इतिहास चक्र- भाग 3: सूरजा ने कैसे की सहेली की मदद

कमल के चेहरे पर कालिमा सी उतर आई थी, ‘‘चांदनी चलो, अब कल खेलना.’

‘‘चांदनी, कल पर भरोसा कायर करते हैं,’’ अब की बार सूरजा बोली, ‘‘अभी भी वक्त है, तुम चाहो तो हारी हुई बाजी जीत सकती हो, एक ही दांव में सबकुछ तुम्हारा हो सकता है.’’

‘‘मगर अब दांव लगाने को मेरे पास है ही क्या दीदी,’’ चांदनी के होंठों पर फीकी मुसकान उभर आई.

‘‘चांदनी… अभी भी तुम्हारे पास एक ऐसी चीज है जिस का औरों के लिए चाहे कोई मूल्य न हो मगर मेरे लिए उस की काफी कीमत है. बोलो, लगाओगी दांव.’’

‘‘मगर मैं समझी नहीं दीदी… वह चीज…’’

‘‘उस चीज का नाम है कमल,’’ सूरजा की मुसकराती नजरें कमल पर टिक गईं.

‘‘सूरजा,’’ कमल चीख कर खड़ा हो गया.

‘‘बोलो, लगाओगी एक दांव, एक तरफ कमल होगा दूसरी तरफ ये हजारों रुपएगहने, यहां तक कि बाहर खड़ी मेरी कार भी… मैं सबकुछ दांव पर लगा दूंगी, बोलो है मंजूर.’’

‘‘सूरजा इस से पहले कि मेरी सहनशक्ति जवाब दे दे अपनी बकवास बंद कर लो,’’ कमल चीखा.

‘‘मैं आप से बात नहीं कर रही मिस्टर कमल, एक खिलाड़ी दूसरे खिलाड़ी को खेलने के लिए उकसा रहा है और यह कोई जुर्म नहीं. जवाब दो चांदनी.’’

‘‘चांदनी, चलो यहां से,’’ कमल ने चांदनी का हाथ पकड़ कर उसे उठाने की कोशिश की.

‘‘सोच लो चांदनी, मैं अपनी एक फैक्ट्री भी तुम्हारे लिए दांव पर लगा रही हूं, यदि तुम जीत गई तो रानी बन जाओगी और यदि हार भी गई तो तुम्हारे दुखदर्द का प्रणेता तुम्हारे काले अंधेरे का सूरज तुम से दूर हो जाएगा.’’

‘‘चांदनी, इस की बकवास पर मत ध्यान दो. यह बहुत गंदी जगह है, चलो यहां से,’’ कमल ने हाथ पकड़ लिया था.

चांदनी ने हाथ खींचा और एक पल को उस ने कमल को भरपूर नजरों से देखा और फिर बोल पड़ी, ‘‘ठीक है दीदी, मुझे आप का दांव मंजूर है… दीदी, मैं अपने दांव पर अपने पति, अपने सुहाग अपने कमल को लगा रही हूं,’’ चांदनी का स्वर बर्फ कीमानिंद और सर्द हो गया.

‘चांदनी,’’ कमल चीख पड़ा, ‘‘तुम पागल हो गई हो… तुम… तुम मुझे दांव पर… अपने पति… अपने सुहाग को दांव पर लगाओगी.’’

‘‘जुए का जनून सोचनेसमझने की शक्ति छीन लेता है कमल, मुझे एक दांव खेलना ही है. हो सकता है मैं दांव जीत जाऊं. जुए के तराजू में रिश्तेनाते नहीं देखे जाते कमल, जीत और हार देखी जाती है.’’

‘‘चांदनी,’’ कमल विस्फारित नेत्रों से चांदनी को देखता चला गया, उस की आंखों में खून उतर आया था, ‘‘तुम भूल गई कि मैं सूरजा से नफरत करता हूं. तुम से वह मुझे छीनना चाहती है. अरी पगली, तू अपने सुहाग को इस डायन को सौंपना चाहती है. सोच चांदनी, क्या अपने पति को उस के हाथ सौंपना चाहती है.’’

‘‘यह तो सिर्फ एक गेम है कमल, जुआरी कभी अपनी हार के बारे में सोचता ही नहीं.’’

‘‘और अगर तुम दांव हार गई तो,’’ कमल का चेहरा स्याह हो गया.

‘‘चाल चलने से पहले जुआरी सिर्फ जीतने के लिए सोचता है कमल… और यह भी तो सोचो एक तरफ तुम हो और दूसरी तरफ अथाह संपत्ति है, सोचो, अगर हम जीत गए तो तुम्हें कमाने के बारे में सोचना ही नहीं पड़ेगा. हम दोनों ऐश करेंगे, इसलिए मैं यह गेम जरूर खेलूंगी.’’

‘‘चांदनी, उफ, तुम इतनी खुदगर्ज हो गई, तुम्हें अपना पति, अपना सुहाग भी नजर नहीं आ रहा है,’’ कमल का स्वर भर्रा उठा था, ‘‘जुए के दांव को जीतने के लिए अपने पति को दांव पर लगा रही हो.’’

‘‘तो क्या हुआ कमल, अगर एक पति अपनी पत्नी को दांव पर लगा सकता है तो एक पत्नी को यह हक क्यों नहीं है और यह भी तो सोचो कमल, जीवन हम दोनों का है, मेरी जीत भी तो तुम्हारी ही होगी न.’’

‘‘और यदि हार गई तो?’’ कमल बोला.

‘‘अरे, नहीं प्राणनाथ, मैं तो यह सोच भी नहीं सकती.’’

‘‘तुम पागल हो गई हो चांदनी, तुम इतना गिर सकती हो ऐसा मैं ने सोचा भी नहीं था. मैं तुम से अथाह प्यार करता था, लेकिन आज तो मैं तुम से सिर्फ घृणा ही कर सकता हूं. एक सुहागन के नाम पर तुम कलंक हो. तुम सिर्फ दौलत की चाह में अपने पिता को दांव पर लगा रही हो. इतिहास तुम जैसी सुहागनों को कभी माफ नहीं करेगा और कोई भी पतिव्रता तुम जैसों से घृणा करेगी. तू एक बदनुमा धब्बा है चांदनी,’’ कमल का हृदय घृणा से भर उठा था और आंखों में खून उतर आया था मगर आंसू भी गिर रहे थे.

‘‘इतिहास…’’ अचानक चांदनी की आवाज तेज हो गई, ‘‘हुंह, किस इतिहास की बात कर रहे हो कमल, उस इतिहास के बारे में सोचो, जब धर्मराज युधिष्ठिर ने अपने राज्य को पाने के लिए द्रोपदी को दांव पर लगा दिया था. तुम किस इतिहास चक्र की बात कर रहे हो कमल, इतिहास अतीत का आईना होता है और वक्त उसी को वर्तमान में बदल देता है. याद है जबजब तुम जुए में फड़ पर बैठ जाते थे और मैं तुम्हारे पैरों में गिरती थी. तुम अपने परिवार, अपने बच्चों के भविष्य के बारे में भूल जाते थे. आज तुम्हें वर्तमान दिख रहा है.

‘‘कमल, जिस इतिहास की तुम गवाही दे रहे हो क्या उस में वर्तमान और भविष्य के अंधेरे नहीं देख पा रहे हो, हमारी औलाद क्या जुए के फड़ पर बैठ कर भविष्य के उजाले बिखेरगी. तुम्हारी जुआरी प्रवृत्ति क्या बच्चों की उंगली पकड़ कर काली रोशनी में बिखर नहीं जाएगी.’’

कमल का सिर झुक गया था.

‘‘इतिहास चक्र के आईने में कभी तुम ने भविष्य की तसवीर देखी है, बोलो, जवाब दो,’’ चांदनी फूटफूट कर रो पड़ी थी.

कमल का सिर झुकता चला गया था, ‘‘हां चांदनी, आज अपनी गलती को मैं महसूस कर रहा हूं. तुम ने इतिहास चक्र के हर पन्ने को वर्तमान में बदल दिया. यह एक उदाहरण बन जाएगा. शायद सारे पतियों के लिए तुम ठीक कह रही हो. चांदनी, मैं जुए के दांव के लिए स्वयं को प्रस्तुत कर रहा हूं. तुम ठीक कह रही हो चांदनी.’’

‘‘कमल,’’ अभी तक चुप बैठी सूरजा उठ कर कमल के पास आ बैठी थी, ‘‘आज जो आप ने महसूस किया है यही चांदनी की जीत है. लोग अपने परिवार का भविष्य जुए के दांवों पर लगा देते हैं. चांदनी भी फूटफूट कर रोती रहती थी मगर कभी भीआप को अपना दुख नहीं बता पाई. अपने दुख को सिर्फ मुझ से बांटती थी. जरा ध्यान से देखिए क्या एक पत्नी अपने पति के गलत कृत्यों का विरोध नहीं कर सकती है.’’

‘‘नहीं सूरजा, मैं तुम से भी क्षमा चाहती हूं. चलो, जुए की चाल को आगे बढ़ाओ, मैं इस इतिहास चक्र का एक अंग बनना चाहता हूं.’’

‘‘बस, यह इतिहास चक्र ही तो जीत है कमल, तुम्हारा सारा सामान तुम्हारी चांदनी सबकुछ तुम्हारे पास है. चलो, चांदनी का हाथ पकड़ो और सभी मिल कर दीवाली की मिठाइयां खाएं, क्यों चांदनी.’’

तभी अपनेआप को समेटे चांदनी फूटफूट कर रो पड़ी और कमल ने उसे अपने सीने में समेट लिया.

‘‘चांदनी, आज तुम ने सिर्फ मेरे ही नहीं बहुत से अंधेरे में डूबे हुए घरों में उजाला फैला दिया है. मैं विश्वास दिलाता हूं चांदनी, हम दोनों मिल कर जुए के खिलाफ एक जंग लड़ेंगे और इतिहास चक्र एक नई कहानी लिख देगा, आओ, घर चलते हैं और मिल कर दीवाली की रोशनी हर जगह बिखेर देंगे.’’

‘‘और सूरजा दीदी वह भी आ सकती हैं,’’ चांदनी ने मुसकरा कर कहा.

‘‘हां पगली, मैं भी उस का एक अच्छा दोस्त बन कर दिखा दूंगा,’’ कमल ने कहा.-

इतिहास चक्र- भाग 2: सूरजा ने कैसे की सहेली की मदद

‘‘जिंदगी इतनी कमजोर नहीं कमल, और दीवाली के दिन की खुशी जुआ ही नहीं है. सोचो कमल, साल में एक बार आने वाला यह त्योहार सब के लिए खुशियों के दीप जलाता है और तुम्हारी चांदनी दुख के गहरे काले अंधेरे में पड़ी सिसकती रहती है. तुम्हें उस पर जरा भी दया नहीं आती. बोलो, क्या अपनी चांदनी के लिए भी तुम यह जुएबाजी बंद नहीं कर सकते?’’

‘‘उफ, चांदनी. तुम समझती क्यों नहीं, मैं हमेशा तो खेलता नहीं हूं, साल में अगर एक दिन मनोरंजन कर भी लिया तो कौन सी आफत आ गई. मेरे औफिस के सारे दोस्त खेलते हैं, उन की बीवियां खेलती हैं. तुम्हें तो यह पसंद नहीं और यदि मैं पीछे

हट जाऊं तो अपने दोस्तों की नजरों में गिर जाऊंगा. नहीं चांदनी, मैं ऐसा नहीं कर सकता.’’

चांदनी कुछ जवाब न दे सकी. कुछ पल की चुप्पी के बाद उस ने कहा, ‘‘कमल, पतिपत्नी का रिश्ता न केवल तन को एक डोर से बांधने वाला होता है बल्कि इस में मन भी बंध जाता है. हम दोनों एकदूसरे के पूरक हैं… हैं न.’’

कमल कुछ पल उस का चेहरा देखता रहा, ‘‘यह भी कोई कहने वाली बात है.’’

चांदनी कुछ पल शून्य में घूरती रही, ‘‘सोचती हूं कमल, पतिपत्नी को एकदूसरे के सुखदुख का हिस्सेदार ही नहीं बल्कि एकदूसरे की आदत, बुराइयों और शौक का भी हिस्सेदार होना चाहिए. जिंदगी की गाड़ी लगातार चलती रहे, यह जरूरी है न.’’

‘‘तुम कहना क्या चाहती हो चांदनी?’’ कमल उस के चेहरे को ध्यान से पढ़ रहा था.

‘‘कमल, जुए से मुझे सख्त नफरत है, यह भी सच है कमल कि अच्छेखासे घरपरिवार जुए से बरबाद हो जाते हैं. फिर भी मैं तुम्हारी खुशी के लिए सबकुछ करूंगी. कमल मैं जुआ नहीं खेलती, इस के लिए तुम्हें दोस्तों के सामने शर्मिंदा होना पड़ता है लेकिन आइंदा यह नहीं होगा. मुझ से वादा करो कमल, आज से तुम अकेले कहीं नहीं जाओगे. अगर डूबना है तो दोनों साथ डूबेंगे.’’

‘‘सच चांदनी,’’ कमल ने उसे बांहों में भर लिया, ‘‘ओह चांदनी, तुम नहीं जानतीं तुम ने मुझे क्या दे दिया है. तुम तो मेरी पार्टनर हो, तुम्हारे साथ रह कर तो हर बाजी की जीत पर सिर्फ मेरा नाम लिखा होगा. पक्का वादा है न,’’ कमल ने हाथ फैला दिए थे.

चांदनी ने उस के हाथ पर हाथ रख दिया था, ‘‘तुम नहीं जानते कमल, कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है, तुम्हारी खुशी पाने के लिए यही सही.’’

‘‘सिर्फ इतना ही नहीं चांदनी सबकुछ ठीक रहा तो एक दिन हम दोनों करोड़पति होंगे. इतिहास गवाह है कि इसी जुए ने जाने कितनों को मालामाल कर दिया और अब हमारी बारी है,’’ कमल खुश होते हुए बोला.

‘‘एक बात कहूं कमल, मानोगे,’’ चांदनी ने प्यार से पूछा.

‘‘बोलो मेरे प्यार, एक नहीं सैकड़ों बातें मानूंगा, कह कर तो देखो, जान हाजिर है.’’

‘‘जानते हो, वह जो कुसुम है न… वही मिसेज रमन… मेरी सहेली, आज उन के घर दीवाली की पूर्व संध्या पर पार्टी है. कुसुम ने कई बार बुलाया लेकिन हम उन के घर कभी नहीं गए, उन के यहां गेम भी बड़े पैमाने पर होता है. मेरे साथ चलोगे वहां.’’

‘‘लेकिन… मेरे… दोस्त,’’ कमल बोला.

‘‘लेकिन नहीं कमल, क्या मेरी इतनी सी बात नहीं मानोगे. चलो न प्लीज,’’ चांदनी ने प्यार से उस का हाथ थाम कर कहा.

‘‘अच्छा, चलो आज दोस्तों की दावत कैंसिल. आज तो हम अपनी चांदनी की जीत की चांदनी में नहाएंगे. अच्छा तो फटाफट खाना बना लो ताकि चल सकें.’’

‘‘ओके…’’ चांदनी ने कहा और कमल के गाल पर एक प्यार भरा चुंबन जड़ते हुए किचन की तरफ बढ़ गई. कानों में तब भी कमल के शब्द गूंज रहे थे… इतिहास गवाह है… इतिहास गवाह है.

दोनों खाना खा कर कुसुम के घर पहुंचे.

‘‘अरे, चांदनी और कमल बाबू, कल दीवाली है यह तो मालूम है न. आइए, स्वागत है ईद के चांद का,’’ कुसुम ने चांदनी को सीने से लगा लिया, ‘‘आप तो यहां का रास्ता ही भूल गए कमल बाबू.’’

‘‘नहीं भाभी, काम में कुछ ऐसा व्यस्त रहा कि चाह कर भी वक्त नहीं निकाल पाया,’’ कमल बोला.

तभी मिस्टर रमन आ गए. वे वित्त मंत्रालय में जौइंट सैके्रटरी के पद पर कार्यरत थे. इन के काफी अच्छे ठाटबाट थे. औपचारिकता और बातचीत में काफी समय निकल गया. धीरेधीरे लोग आते जा रहे थे. करीब 11 बजे असली पार्टी शुरू हुई. बड़े हौल में 5 मेज लग गई थीं. लोग अपनेअपने ग्रुप में बैठ गए.

‘‘आइए कमल साहब, एक बाजी हो जाए,’’ कुसुम ने कहा, ‘‘चांदनी तो खेलेगी नहीं.’’

‘‘नहीं, आज मैं नहीं चांदनी ही खेलेगी, क्यों पार्टनर,’’ कमल ने उस की तरफ देखा.

‘‘अरे वाह, फिर तो मजा ही आ जाएगा. आओ चांदनी.’’

‘‘जाओ चांदनी, आज की रात मेरी चांदनी के जीतने की रात है.’’

चांदनी एकटक कमल को देखती रह गई, ‘‘सच कहते हो कमल, आज की रात पर ही चांदनी की जीत और हार का फैसला टिका है. चलो कमल, तुम भी वहीं बैठो, तुम्हारे बिना मैं नहीं जाऊंगी.’’

‘‘पगली, मैं तो हर पग पर तेरे साथ हूं, अच्छा चलो,’’ कमल भी आगे बढ़ गया.

गेम शुरू हो गया. इस मेज पर पांचों महिलाएं थीं. मिस्टर रमन ने कमल से भी खेलने का अनुरोध किया, मगर कमल हंस कर टाल गया. शुरू की कुछ बाजियां कुसुम ने जीतीं, फिर चांदनी जीतती चली गई.

कमल के होंठों पर विजयी मुसकान थिरक रही थी. तभी हाल में सूरजा ने प्रवेश किया और वह सीधी उसी मेज पर आई जहां चांदनी बैठी थी.

‘‘अरे सूरजा, आ यार… आतेआते बहुत देर कर दी,’’ कुसुम ने शायराना अंदाज में कहा, मगर कमल के होंठ घृणा से सिकुड़ गए.

‘‘आ बैठ, एकाध बाजी तो खेलेगी न,’’ मिसेज सिंह बोलीं.

‘‘क्यों नहीं, अगर चांदनी को एतराज न हो तो.’’

‘‘मुझे क्यों एतराज होगा दीदी, आइए आप के साथ खेल कर मुझे खुशी होगी.’’

‘‘चांदनी चलो, रात बहुत हो गई है,’’ कमल उठ कर खड़ा हो गया.

‘‘कमल, प्लीज,’’ चांदनी ने उस का हाथ पकड़ कर दबा दिया, उस की आंखों में याचना थी मानो कह रही हो मेरा अपमान न करो.

‘‘बैठिए न कमल बाबू, आज आप का इम्तिहान है. इम्तिहान अधूरा रह गया तो फैसला कैसे होगा?’’ कुसुम बोली.

‘‘बैठो न कमल, प्लीज, मेरे लिए न सही चांदनी के लिए तो बैठ जाओ,’’ सूरजा ने ऐसी मुसकान फेंकी कि कमल का दिल जलभुन गया.

एक बार फिर गेम शुरू हो गया. अब की बार बाजी पलट गई, एकाध गेम तो चांदनी जीती थी मगर फिर लगातार हारती चली गई.

‘‘बस भई,’’ चांदनी ने पत्ते फेंकते हुए कहा, ‘‘हम तो हार गए सूरजा दीदी, आप को जीत मुबारक हो. चलो, कमल चलें.’’

‘‘अरे वाह, अभी तो कमल बाबू का पर्स बाकी है. कमल बाबू निकालिए न पर्स,’’ कुसुम चहकते हुए बोली.

कमल की जुआरी प्रवृत्ति जाग उठी थी, फिर वह दांव पर दांव लगाता गया. यहां तक कि कमल का भी पर्स खाली हो गया.

‘‘छोड़ो कुसुम, अब जाने भी दो. बहुत हो चुका,’’ चांदनी फिर से उठने लगी.

‘‘अरे वाह, अभी तो बहुत कुछ बाकी है,’’ मिसेज सिंह बोलीं, ‘‘कमल बाबू की घड़ी, अंगूठी, तेरा टौप्स भई चांदनी क्या पता सब वापस आ जाए, बैठ न.’’

‘‘नहींनहीं, अब रात भी बहुत हो गई है. चलो कमल.’’

‘‘बैठो चांदनी, मिसेज सिंह ठीक कहती हैं क्या पता बाजी पलट जाए,’’ कमल ने उसे बैठा दिया.

‘‘नहीं कमल, पागल न बनो, आओ चलें, जुए की आग में सबकुछ जल जाता है, चलो चलें.’’‘‘नहीं चांदनी यों बाजी अधूरी छोड़ कर उठना गलत है, बैठ जाओ,’’ कमल ने उसे मानो आदेश दिया था. उस के जेहन में फिर जुआरियों की मानसिकता का काला परदा खिंच गया, जिस पर 3 शब्द खिले रहते हैं शायद… इस बार… और इस बारके चक्कर में एकएक कर सारी चीजें यहां तक कि बाहर खड़ी स्कूटी भी सूरजा के कब्जे में चली गई.

राजू श्रीवास्तव के बाद एक और कॉमेडियन का निधन, पढ़ें खबर

टीवी इंडस्ट्री से इन दिनों दुखद खबरें सामने आ रही है. जहां बीते दिनों पॉपुलर कॉमेडियन रहे राजू श्रीवास्तव (Raju Srivastava) की मौत से फैंस हैरान हो गए हैं तो वहीं अब एक और कॉमेडियन ने दुनिया को अलविदा कह दिया है. दरअसल, लाफ्टर चैलेंज का हिस्सा रह चुके कॉमेडियन पराग कंसारा (Parag Kansara) का निधन हो गया. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

कॉमेडियन के निधन से फैंस हैरान

कॉमेडियन पराग कंसारा के निधन की खबर कॉमेडियन सुनील पाल ने फैंस के साथ शेयर किया और वहीं कैप्शन के साथ दुख जाहिर करते हुए लिखा, ‘कॉमेडी की दुनिया से एक दिल दहला देने वाली खबर आई है. हमारे लाफ्टर चैलेंज के साथी पराग कंसारा जी अब इस दुनिया में नहीं रहे. वह हर बात को उल्टा सोचो कहकर हमें हंसा दिया करते थे. पराग भैया, पता नहीं कॉमेडी की दुनिया को किसकी नजर लग गई है. अभी हमने राजू भाई को खोया और एक के बाद कॉमेडी के पिलर खो रहे हैं.’ इसके साथ ही वीडियो में कॉमेडियन ने भाभी जी घर पर हैं एक्टर दीपेश भान को भी याद किया.

लाफ्टर चैलेंज में आए थे नजर  

https://www.youtube.com/watch?v=j-6UkcOzj5U

गुजरात के वड़ोदरा के रहने वाले कॉमेडियन पराग कंसारा कॉमेडी शो ‘द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज’ के पहले सीजन के कंटेस्टेंट रह चुके हैं. वहीं उनकी कॉमेडी करने के अंदाज को फैंस काफी पसंद करते थे. हालांकि वह शो के विजेता नहीं बन पाए. लेकिन फैंस के दिलों में वह अपनी छाप छोड़ गए. इसके अलावा वह कॉमेडी शोज का हिस्सा रह चुके हैं.

बता दें, बीते दिनों कॉमेडियन और एक्टर राजू श्रीवास्तव और एक्टर दीपेश भान का निधन हो गया था. हालांकि कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव काफी समय तक अस्पताल में भी रहे. लेकिन वह ठीक नहीं हो पाए, जिसके बाद हाल ही में उनका निधन हो गया था. वहीं मुंबई में उनके लिए हुए प्रार्थना सभा में कॉमेडी की दुनिया के कई सितारे नजर आए, जिनमें कपिल शर्मा और भारती सिंह का नाम भी शामिल है.

एक्टर आयुष्मान खुराना फीस में कटौती के लिए क्यों हुए मजबूर

कुछ माह पहले हमने ‘‘गृहशोभा’’ के डिजिटल एडीशन में एक लेख ‘‘पचासवीं जयंती वर्ष में कौन यशराज फिल्मस को डुबाने पर है आमादा’’ प्रकाशित किया था, जिसमें हमने स्पष्ट रूप से इशारा किया था कि इसमें काफी हद तक ‘यशराज फिल्मस’ का अपना टैलेंट मैनेजमेंट ही काफी हद तक जिम्मेदार है. ‘गृहशेाभा’ के इस लेख का असर नजर आने लगा है. सूत्रों पर और मीडिया रिपोर्ट पर यकीन किया जाए,तो अब ‘यशराज फिल्मस’ के टैलेंट मैनेजमेंट ने अपने सभी कलाकारों से उनकी फीस में चालिस प्रतिशत तक कटौती कर बौलीवुड के निर्माताओं की मदद करने की सलाह दी है. वैसे इस संबंध में ‘यशराज फिल्मस’ के टैलेंट मैनेजमेंट ने आफीशियली कुछ भी कहने से चुप्पी साध रखी है.

मगर यशराज फिल्सम’ के ‘टैलेंट मैनेजमेंट’ के सदस्य अभिनेता आयुष्मान खुराना ने ऐलान कर दिया है कि वह अपनी फीस में कटौती कर रहे हैं. पहले वह 25 करोड़ रूपए ले रहे थे और अब वह सिर्फ 15 करोड़ रूपए प्रति फिल्म लेंगें. मीडिया रपट के अनुसार आयुष्मान खुराना की ‘चंडीगढ़ करे आशिकी’ और ‘अनेक’ जैसी फिल्मों के बाक्स आफिस पर बुरी तरह से असफल होने के बाद आयुष्मान खुराना की तरफ से यह कदम उठाया गया है.

आयुष्मान खुराना की लगातार दो फिल्मों ने भले ही बाक्स आफिस पर दम तोड़ा हो,मगर कटु सत्य यह है कि आयुष्मान खुराना उत्कृष्ट कलाकार हैं. वह ज्यादातर  लीक से हटकर और समाज में तोबा समझे जाने वाले विषयों पर आधारित फिल्मांे में ही अभिनय करते रहते हैं. आयुश्मन खुरसाना ने अपने कैरियर की पहली ही फिल्म ‘‘विक्की डोनर’’ को अपार सफलता दिलाकर स्टार का दर्जा हासिल कर लिया था. यह फिल्म ‘स्पर्म डोनेशन’ पर थी. इसमें आयुष्मान खुराना के अभिनय की जबरदस्त प्रशंसा की गयी थी. इस फिल्म के बाद ही आयुष्मान खुराना ने खुद को ‘गृहशोभा मैन’ कहना शुरू कर दिया था. उसके बाद उनकी फिल्म ‘नौटंकी साला’ ने भी जबरदस्त सफलता हासिल की थी. लेकिन ‘बेवकूफियां’ एवरेज फिल्म थी. 2015 में प्रदर्शित फिल्म ‘हवाईजादा’ ने बाक्स आफिस पर निराश किया था. जबकि 2015 में ही ‘यशराज फिल्मस’ की फिल्म ‘‘दम लगा के हाइसा’’ ने अपनी लागत का दस गुना अधिक कमाई कर एक नया रिकार्ड बनाया था. इस फिल्म के साथ ही आयुश्मन खुराना ‘यशराज फिल्मस’ के ‘टैलेंट मैनेजमेंट’ का हिस्सा बन गए और फिर ‘यशराज फिल्मस’ की ही उनकी फिल्म ‘‘मेरी प्यारी बिंदू’’ इतनी बुरी फिल्म आयी थी,जो कि बाक्स आफिस पर अपनी लागत तक नही वसूल पायी थी. इसके चलते अचानक उनके कैरियर में ब्रेक आ गया था. फिर दो वर्ष बाद वह अश्विनी अय्यर तिवारी निर्देशित फिल्म ‘‘बरेली की बर्फी’ में पुनः सफलता दर्ज करायी थी. इसका निर्माण ‘यशराज फिल्मस’ ने नही किया था,पर बीस करोड़ की लागत में बनी इस फिल्म ने बाक्स आफिस पर 57 करोड़ रूपए कमा लिए थे. फिर आयुष्मान खुराना के अभिनय सजी तोबा समझे जाने वाले विषय पर आधारित और 25 करोड़ रूपए मंे ंनिर्मित फिल्म ‘‘शुभ मंगल सावधान’ ने लगभग 65 करोड़ रूपए कमा कर उन्हे स्टार बनाए रखा.

लेकिन 2018 में ‘वायकाम 18’ निर्मित और श्रीराम राघवन निर्देशित आयुष्मान खुराना की 32 करोड़ की लागत में बनी फिल्म ‘‘अंधाधुन’’ ने बाक्स आफिस पर 457 करोड़ रूपए कमा कर हंगामा मचा दिया था. इस फिल्म में एक कलाकार की हत्या के आरोपी अंधे पियानो वादक आकाश श्राफ के किरदार में अपनी अति बेहतरीन परफार्मेंस से आयुष्मान खुराना ने हर दर्शक का दिल जीत लिया था. तो वहीं इसी फिल्म के बाद 29 करोड़ की लागत में बनी फिल्म ‘बधाई हो’ ने बाक्स आफिस पर लगभग 220 करोड़ कमाए. तीस करोड़ की लागत वाली फिल्म ‘आर्टिकल 15 ’ ने लगभग 94 करोड,28 करोड़ की लागत वाली ‘ड्रीम गर्ल’ ने 200 करोड़,‘बाला’ ने 172 करोड़ ‘शुभ मंगल ज्यादा सावधान’ ने 106 करोड़़ कमाए.

सूत्रों का दावा है कि इस फिल्म के प्रदर्शन तक आयुष्मान खुराना अपने कैरियर व पत्रकारों से मिलने आदि के सारे निर्णय खुद लिया करते थे. मगर ‘अंधाधुन’ के बाद ‘यशराज फिल्मस’ के टैलेंट मैनेजमेंट और  ‘पी आर’ डिपार्टमेंट के शिकंजे में फंस गए. इससे उन्हे एक फायदा यह हुआ कि अचानक उनकी प्रति फिल्म फीस पच्चीस करोड़ रूपए हो गयी. तो दूसरी तरफ आयुष्मान खुराना के कैरियर से जुड़े सारे निर्णय टैलेंट मैनेजमेंट ने अपने हाथ में ले लिया. उसके बाद आयुष्मान खुराना उस पत्रकार से बात करते, जिनसे बात करने की इजाजत उन्हे ‘यशराज फिल्मस’ की पीआर टीम देती. यानी कि वह पूरी तरह से रीयालिटी व यथार्थ से दूर हो गए. जिसके परिणाम स्वरुप उनका कैरियर डूबने लगा.

‘शुभ मंगल ज्यादा सावधान’ के बाद आयुष्मान खुराना ने अमिताभ बच्चन के साथ शुजीत सरकार की फिल्म ‘‘गुलाबो सिताबो’ की,जो कि ‘ओटीटी’ प्लेटफार्म ‘अमेजॉन प्राइम वीडियो’पर स्ट्रीम हुई. यह इतनी घटिया फिल्म है कि लोगो ने सवाल उठाया कि आयुष्मान खुराना ने क्या सोचकर इतनी घटिया फिल्म कर ली. इस फिल्म में उनके अभिनय को भी नहीं सराहा गया. फिर दस दिसंबर 2021 को प्रदर्शित अभिषेक कपूर की  फिल्म ‘‘चंडीगढ़ करे आशिकी’’ की भी बाक्स आफिस पर बड़ी दुर्गति हुई. इस फिल्म में आयुष्मान खुराना का अभिनय देखकर लोगों को यकीन करना मुश्किल हो गया कि इसी कलाकार ने ‘विक्की डोनर’,‘अंधाधुंन’,‘बधाई हो’,‘ड्रीमगर्ल’ जैसी फिल्मों में अभिनय किया था. एक बेहतरीन कलाकार के अभिनय में इस कदर की गिरावट को हजम करना मुश्किल हो रहा था. मगर बची हुई कसर उनकी अगली फिल्म ‘‘ अनेक’ ने पूरा कर डाला. घटिया कहानी व आयुष्मान खुराना सहित सभी कलाकारों के घटिया परफार्मेंस की वजह से 47 करोड़ की लागत से बनी फिल्म ‘अनेक’ बाक्स आफिस पर महज दस करोड़ ही कमा सकी. नुकसान निर्माता का हुआ. आयुष्मान खुराना की जेब भरी रही. मगर आयुष्मान खुराना के प्रशंसकों व दर्शकों को इस बात की तकलीफ हुई कि वह  एक उत्कृष्ट कलाकार को खो रहे थे. पर आयुष्मान खुराना तो अपने ‘टैलेंट मैनेजमेंट’ और पीआर के आगे इस कदर नतमस्तक हो गए थे कि उनकी समझ में ही नही आ रहा था कि वह इस तरह से अपने पैर पर ही कुल्हाड़ी मार रहे हैं. वह जिन लोगों को करोड़ रूपए अपनी ‘ब्रांड वैल्यू’ को बढ़ाने के लिए दे रहे हैं,वही अपरोक्ष रूप से उनकी ‘ब्रांड वैल्यू’ को नष्ट करने का काम कर रहे हैं.

इसके बाद बौलीवुड के अंदर ही चर्चा होने लगी कि आयुष्मान खुराना की इस असफलतमा के पीछे उनका जमीन से दूर हो जाना ही है. बहरहाल,उनके क्षरा अपनी फीस में कटोती की खबर उस वक्त आयी है,जबकि उनकी फिल्म ‘डाक्टर जी’ 14 अक्टूबर को प्रदर्शित होने वाली है. यह फिल्म भी अलग तरह के विषय पर है. इसके अलावा उनकी दो फिल्में ‘एन एक्शन हीरो’ और ‘ड्रीम गर्ल 2’’ भी जल्द प्रदर्शित होंगी. लेकिन एक बेहतरीन कलाकार के कैरियर का इस तरह पतन से उनके प्रशंसक  भी निराश हैं. अपनी फीस में कटौती कर आयुष्मान खुराना ने इस बात का संकेत दे दिया है कि ‘चंडीगढ़ करे आशिकी’ और ‘अनेक’ की असफलता के लिए वही दोषी हैं. जबकि हकीकत यह है कि वह गलत लोगों के इशारे पर नाचते हुए अपने कैरियर को संभाल नही पाए. अन्यथा बौलीवुड में आयुष्मान खुराना जैसे उत्कृष्ट कलाकार कम हैं. आयुष्मान खुराना को समझना होगा कि चंद शहरों के शॉपिंग माल्स में या कुछ कालेज के ग्राउंड पर नाचने से न तो उनके फिल्म का सही प्रचार होता है और न ही इससे उनकी अपनी ‘ब्रांड वैल्यू’ में ही इजाफा होता है.

तेंदुए के दो मादा शावकों में एक को भवानी तो दूसरे को चंडी नाम दिया मुख्यमंत्री योगी ने

आदित्यनाथ ने कहा कि रामराज की भावना के अनुरूप मानव कल्याण के साथ प्रत्येक प्राणी की रक्षा व संरक्षण में सभी को अपना योगदान देना चाहिए. इसकी प्रेरणा हमें रामायण से भी मिलती है. रामायण की गाथा में अरण्य कांड जीव जंतुओं के संरक्षण, प्रकृति के प्रति दायित्वों, जीवों के प्रति व्यवहार की सीख देता है. अरण्य कांड में एक प्रकार से पूरी भारतीय ज्ञान संपदा समाहित है.

सीएम योगी बुधवार को शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणी उद्यान (गोरखपुर चिड़ियाघर) में तेंदुए के दो मादा शावकों को दूध पिलाकर उनका नामकरण (भवानी और चंडी) करने, व्हाइट टाइगर (सफेद बाघिन गीता) को क्रॉल से बाड़ा प्रवेश कराने, चिड़ियाघर के हाल में लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन करने के बाद यहां आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. मुख्यमंत्री ने रामचरित मानस की पंक्तियों ‘हित अनहित पसु पच्छिउ जाना, मानुष तनु गुन ग्यान निधाना’ का स्मरण करते हुए कहा कि कौन हितैषी है और कौन हानि पहुंचाने वाला पशुओं में इसका स्पंदन होता है.

इस उद्धरण को और स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम वन में माता सीता व अपने अनुज लक्ष्मण के साथ ही गए थे लेकिन वनवास काल में उनकी मदद वनवासियों, भालू, वानर, गिद्ध यहां तक कि पेड़, पौधों, व जंगल के नदी नालों ने की.

मुख्यमंत्री ने कहा कि मनुष्य भी तभी संरक्षित रहेगा जब वह प्रकृति के प्रति और जीव-जंतुओं के संरक्षण के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को लेकर सजग रहेगा. उन्होंने वन्यजीवों के संरक्षण हेतु सभी लोगों के योगदान की अपील की.

लखनऊ में शुरू होने जा रहा यूपी का पहला नाइट सफारी :

सीएम योगी ने वन्यजीव संरक्षण तथा ईको टूरिज्म को लेकर प्रदेश सरकार के प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा कि लखनऊ में प्रदेश का पहला नाइट सफारी शुरू करने की प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है. इससे ईको टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा, वन्यजीवों के प्रति सम्मान की भावना जागृत होगी, मनोरंजन के साथ बच्चों का ज्ञानवर्धन भी होगा. उन्होंने कहा कि चित्रकूट के रानीपुर में टाइगर रिजर्व बनाए जाने की भी घोषणा हो चुकी है.

भगवान राम ने अपने वनवास काल का सर्वाधिक समय चित्रकूट में ही व्यतीत किया था. बिजनौर व रामनगर में भी ईको टूरिज्म से जुड़े प्रस्ताव मंजूर हो चुके हैं. सरकार वन्यजीवों के लिए महाराजगंज, मेरठ, चित्रकूट, पीलीभीत आदि जगहों पर रेस्क्यू सेंटर बना रही है. महाराजगंज के सोहगीबरवा क्षेत्र में गिद्ध संरक्षण केंद्र बनाया जा रहा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि वन्यजीवों से होने वाली हानि को सरकार ने आपदा की श्रेणी में रखा है.

नमामि गंगे परियोजना से हो रहा जलीय जीवों का संरक्षण :

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सरकार जलीय जीवों के संरक्षण को लेकर भी संवेदनशील है. उन्होंने कहा कि नमामि गंगे परियोजना से इसमें काफी मदद मिल रही है. सीएम ने कहा कि कानपुर के सीसामऊ में पहले गंगा नदी में प्रतिदिन 14 करोड़ लीटर सीवर गिरता था, नमामि गंगे परियोजना के कार्यों से अब एक बूंद भी नहीं गिरता. अब सीवर गिरने वाला स्थान सेल्फी प्वाइंट बन चुका है. इसी तरह जाजमऊ में चमड़ा उद्योग का कचरा गिरने से जलीय जीव समाप्त प्राय हो गए थे. वहां अब जलीय जीवों को पुनर्जीवन मिला है और बड़ी संख्या में जलीय जीव नदी में दिखने लगे हैं.

गंगा नदी में पाई जाने वाली डॉल्फिन की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि डॉल्फिन संरक्षण के लिए सरकार ने भगवान श्रीराम के प्रिय मित्र निषादराज के क्षेत्र को चुना है. विगत वर्ष अपने काशी के एक दौरे का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि कि अब वहां भी गंगा नदी में डॉल्फिन दिखाई देने लगी हैं. उन्होंने आश्वस्त किया कि सरकार डॉल्फिन संरक्षण के लिए हर संभव कदम उठाएगी.

वन्यजीवों के इलाज के लिए बनेगा डॉक्टरों का अलग कैडर :

कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वन्यजीवों के उपचार व संरक्षण के लिए पशु चिकित्सा अधिकारियों का अलग कैडर निर्धारित करने का निर्देश वन विभाग के जिम्मेदारों को दिया. उन्होंने कहा कि वन्यजीवों के इलाज के लिए अभी चिकित्सक पशुपालन विभाग से लाए जाते हैं. पर, अब वन्यजीवों के रेस्क्यू व उनके उपचार हेतु पशु चिकित्सा अधिकारियों का अलग कैडर तैयार करना होगा.

एक-एक पेड़ का होना चाहिए संरक्षण :

पर्यावरण संरक्षण के लिए अधिकाधिक वृक्षारोपण की अपील करते हुए सीएम योगी ने कहा कि एक एक पेड़ की कीमत को समझते हुए उनका संरक्षण होना चाहिए. उन्होंने बताया कि विगत 5 वर्ष में उत्तर प्रदेश में100 करोड़ पेड़ लगाए गए. यह दुनिया में सर्वाधिक है. इस बार 35 करोड़ वृक्ष लगाए गए हैं, इसे और आगे बढ़ाने की आवश्यकता है पर्यावरण अनुकूल होगा तो स्वास्थ्य की रक्षा के साथ ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से भी बचा जा सकेगा. बुधवार को हो रही बारिश का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा ऐसी बारिश सावन में होती है. अक्टूबर माह में यदि इस तरह की बारिश हो रही है तो हमें इसके बारे में सोचना होगा. उन्होंने कहा कि प्रकृत से छेड़छाड़ होगी तो उसके दुष्परिणाम सामने आएंगे ही.

कार्यक्रम के दौरान सीएम योगी ने गंगा डॉल्फिन संबधी पोस्टर रिलीज करने के साथ प्रदेश के जलीय जीवों पर डाक विभाग के स्पेशल कवर का भी अनावरण किया. साथ ही चिड़ियाघर के निदेशक डॉ एच राजमोहन, पशु चिकित्साधिकारी डॉ योगेश सिंह, उप क्षेत्रीय वनाधिकारी.रोहित सिंह को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया. उन्होंने वन्यजीव सप्ताह के अंतर्गत आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार भी प्रदान किया.

सोहगीबरवा में शुरू होगी जंगल सफारी : वन मंत्री

कार्यक्रम में वन, पर्यावरण, जंतु उद्यान एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ अरुण कुमार सक्सेना ने कहा कि महाराजगंज के सोगीबरवा में सरकार जल्द ही जंगल सफारी की सुविधा शुरू करेगी. जंगल सफारी से ईको टूरिज्म बढ़ेगा, लोगों को रोजगार मिलेगा. दूसरे प्रदेशों के लोग पर्यटन के साथ ही अब उत्तर प्रदेश में रोजगार के लिए भी आएंगे.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पर्यावरण प्रेम व वन्यजीवों से लगाव का उल्लेख करते हुए वन मंत्री ने कहा कि सीएम योगी ने अपने जन्मदिन पर सुबह उठते ही सबसे पहला काम पौधरोपण का किया था. उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित बच्चों से अपील की कि वे अपने जन्मदिन पर पौधरोपण अवश्य करें.

कार्यक्रम के दौरान डॉल्फिन दिवस पर राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, जैव विविधिता के सलाहकार डॉ संदीप बेहरा ने आधारभूत व्याख्यान देते हुए डॉल्फिन संरक्षण में सबकी सहभागिता की अपील की. वन एवं पर्यावरण विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज सिंह ने वन्य जीव सप्ताह के कार्यक्रमों के साथ प्रदेश सरकार द्वारा ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी. आभार ज्ञापन प्रधान वन संरक्षक वन्यजीव केपी दूबे ने किया.

इस अवसर पर वन, पर्यावरण, जंतु उद्यान एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के राज्यमंत्री केपी मलिक, सांसद रविकिशन, महापौर सीताराम जायसवाल, भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष एवं एमएलसी डॉ धमेंद्र सिंह, विधायक विपिन सिंह, प्रदीप शुक्ल, महेंद्रपाल सिंह, प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं विभागध्यक्ष श्रीमती ममता संजीव दूबे, गोरखपुर क्षेत्र के मुख्य वन संरक्षक भीमसेन प्रभागीय वनाधिकारी विकास यादव, प्राणी उद्यान के निदेशक डॉ एच. राजा मोहन, पशु चिकित्साधिकारी डॉ योगेश सिंह आदि मौजूद रहे.

करवा चौथ 2022: Bigg Boss 16 की प्रियंका चौधरी के ये साड़ी और लहंगे के लुक्स करें ट्राय

टीवी एक्ट्रेस सरगुन मेहता (Sargun Mehta) और रवि दुबे (Ravi Dubey) के प्रोडक्शन हाउस में बना सीरियल उड़ारियां फैंस के पसंदीदा शोज में से एक रहा है. हालांकि अब उड़ारियां सीरियल में तेजो का रोल अदा करने वाली प्रियंका चौधरी सीरियल को अलविदा कहने के बाद बिग बॉस 16 में धमाल मचाती हुई नजर आ रही हैं. वहीं रियलिटी शो में उनकी एक्टर अंकित गुप्ता संग दोस्ती भी फैंस के बीच सुर्खियां बटोर रही हैं. लेकिन आज हम एक्ट्रेस प्रियंका चहर चौधरी के शो की नहीं बल्कि सूट से लेकर साड़ी में उनके लुक्स की झलक आपको दिखाएंगे, जिसे शादीशुदा औरतें ट्राय कर सकती हैं. इन साड़ी से लेकर लहंगे तक, हर लुक्स आपकी खूबसूरती पर चार चांद लगाएंगे.

लहंगे में लगती हैं खूबसूरत

प्रियंका चौधरी सोशलमीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं, जिसके चलते वह फैंस के साथ रील्स और लुक्स शेयर करती रहती हैं. वहीं उनके लुक्स फैंस को पसंद आते हैं. हाल ही में सिंपल ब्लू लहंगे में तेजो का लुक बेहद खूबसूरत लग रहा था, जिसे देखकर फैंस ने उनकी काफी तारीफें की थी.

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लाल साड़ी में ग्लैमरस था अंदाज

लाल साड़ी में तेजो यानी प्रियंका चौधरी के लुक की बात करें तो वह बेहद ग्लैमरस लग रहा था. फैंस उन्हें हौटनेस की क्वीन कहते नजर आए. फैंस को उनका ये अंदाज काफी अलग दिखा.

प्रिंटेड सूट में लगती हैं खूबसूरत

प्रिंटेड सूट्स इन दिनों ट्रैंड में हैं. वहीं उड़ारियां की तेजो भी सीरियल में तेजो के लुक में वह प्रिंटेड सूट ट्राय करती नजर आती हैं, जिसे फैंस काफी पसंद करती हैं.

लहंगे के दिखते हैं नए अंदाज

हैवी चुनरी के साथ खूबसूरत वाइट लहंगा और फुल स्लीव्स वाले ब्लाउज में प्रियंका चौधरी बेहद खूबसूरत लगती हैं. इसके साथ मैचिंग ज्वैलरी और कमरबंद प्रियंका के लुक पर चार चांद लगा रहा था.

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अजीब दास्तान: क्या हुआ था वासन और लीना के साथ

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बच्चों को कुकिंग सिखाने के 5 फायदे

बदलते समय के चलते मल्टीटास्किंग खूबी नहीं, बल्कि आज की जरूरत बन गई है. पेरैंट्स को इस के लिए तभी से शुरुआत करनी चाहिए जब बच्चा स्कूल जाने लायक हो जाए. पढ़ाईलिखाई, स्पोर्ट्स, ब्रेन ऐक्टीविटी ट्रेनिंग के साथसाथ अब बच्चों को कुकिंग भी सिखानी चाहिए. ऐसा सिर्फ इसलिए नहीं कि वे खाना बनाना सीख जाएं, बल्कि इस के और भी कई फायदे हैं. जैसेकि:

1. सिखाएं मदद करना:

कुकिंग करते समय यदि बच्चा आसपास है तो उस से छोटीमोटी सहायता लेने से शुरुआत करें जैसे रैफ्रीजरेटर से सब्जी निकलवाना आदि. बच्चों में नईनई चीजों के बारे में जानने की जिज्ञासा होती है. जब वे कुकिंग की इन सब चीजों को करीब से देखेंगे तो इन की मदद से होने वाले काम के बारे में भी जानना चाहेंगे.

2. सिखाए सबकुछ खाना:

ज्यादातर पेरैंट्स की परेशानी यह होती है कि उन का बच्चा सारी सब्जियां या फल नहीं खाता. ऐसा इसलिए होता है कि खानेपीने की ज्यादातर चीजों को या तो बच्चा कभीकभी देखता है या पहली बार ही देखता है. जब आप रोज कुकिंग के समय बच्चे से खानेपीने की चीजों के बारे में बात करेंगी तो वह उन चीजों को चखना भी चाहेगा.

3. सिखाए हैल्दी ईटिंग:

कुकिंग करतेकरते बच्चे से डिश बनाने के लिए इस्तेमाल हो रही सामग्री के हैल्थ बैनिफिट्स के बारे में बात करें. धीरेधीरे वह खुद ही फ्रूट्स, वैजीटेबल्स और दूसरी खानेपीने की चीजों के बारे में आप से पूछना शुरू करेगा.

4. बनाए बौंडिंग:

बच्चे से बौंडिंग बनाने और उस के शौक के बारे में जानने के लिए किचन से बेहतर जगह भला घर में और कौन सी होगी. बच्चे चंचल होते हैं और उन को सामने बिठा कर अपनी बात कहना और उन की सुनना थोड़ा मुश्किल होता है. ऐसे में किचन में होने वाली अलगअलग कुकिंग ऐक्टीविटीज उस को अपनी तरफ आकर्षित करती हैं और वह कुछ समय वहां जरूर बिताना चाहता है. बस यही तो समय है काम करतेकरते उस के साथ बौंडिंग मजबूत बनाने का.

5. बनाए सैल्फ डिपैंड:

कैरियर बनाने के लिए ज्यादातर बच्चों को टीनऐज में ही घर से बाहर पीजी या होस्टल इत्यादि में रह कर पढ़ाई करनी पड़ रही है. ऐसी स्थिति में आप के द्वारा दी गई कुकिंग ट्रेनिंग बच्चे के सब से ज्यादा काम आएगी. वह मनपसंद और सेहतमंद खाने के लिए किसी पर निर्भर न रह कर खुद कुकिंग करने के लिए तैयार होगा.

बच्चे की उम्र के अनुसार उसे आसान डिशेज बनाना भी सिखाएं ताकि वह भी ‘हैल्दी ईटिंग हैप्पी लिविंग’ का सही मतलब समझ सके.

पंछी एक डाल के: क्या पूरी हो पाई सीमा की शादी

‘‘औफिस के लिए तैयार हो गईं?’’ इतनी सुबह रजत का फोन देख कर सीमा चौंक पड़ी.

‘‘नहीं, नहाने जा रही हूं. इतनी जल्दी फोन? सब ठीक है न?’’

‘‘हां, गुडफ्राईडे की छुट्टी का फायदा उठा कर घर चलते हैं. बृहस्पतिवार की शाम को 6 बजे के बाद की किसी ट्रेन में आरक्षण करवा लूं?’’

‘‘लेकिन 6 बजे निकलने पर रात को फिरोजाबाद कैसे जाएंगे?’’

‘‘रात आगरा के बढि़या होटल में गुजार कर अगली सुबह घर चलेंगे.’’

‘‘घर पर क्या बताएंगे कि इतनी सुबह किस गाड़ी से पहुंचे?’’ सीमा हंसी.

‘‘मौजमस्ती की रात के बाद सुबह जल्दी कौन उठेगा सीमा, फिर बढि़या होटल के बाथरूम में टब भी तो होगा. जी भर कर नहाने का मजा लेंगे और फिर नाश्ता कर के फिरोजाबाद चल देंगे. तो आरक्षण करवा लूं?’’

‘‘हां,’’ सीमा ने पुलक कर कहा.

होटल के बाथरूम के टब में नहाने के बारे में सोचसोच कर सीमा अजीब सी सिहरन से रोमांचित होती रही. औफिस के लिए सीढि़यां उतरते ही मकानमालिक हरदीप सिंह की आवाज सुनाई पड़ी. वे कुछ लोगों को हिदायतें दे रहे थे. वह भूल ही गई थी कि हरदीप सिंह कोठी में रंगरोगन करवा रहे हैं और उन्होंने उस से पूछ कर ही गुडफ्राईडे को उस के कमरे में सफेदी करवाने की व्यवस्था करवाई हुई थी. हरदीप सिंह सेवानिवृत्त फौजी अफसर थे. कायदेकानून और अनुशासन का पालन करने वाले. उन का बनाया कार्यक्रम बदलने को कह कर सीमा उन्हें नाराज नहीं कर सकती थी.

सीमा ने सिंह दंपती से कार्यक्रम बदलने को कहने के बजाय रजत को मना करना बेहतर समझा. बाथरूम के टब की प्रस्तावना थी तो बहुत लुभावनी, अब तक साथ लेट कर चंद्र स्नान और सूर्य स्नान ही किया था. अब जल स्नान भी हो जाता, लेकिन वह मजा फिलहाल टालना जरूरी था.

सीमा और रजत फिरोजाबाद के रहने वाले थे. रजत उस की भाभी का चचेरा भाई था और दिल्ली में नौकरी करता था. सीमा को दिल्ली में नौकरी मिलने पर मम्मीपापा की सहमति से भैयाभाभी ने उसे सीमा का अभिभावक बना दिया था. रजत ने उन से तो कहा था कि वह शाम को अपने बैंक की विभागीय परीक्षा की तैयारी करता है. अत: सीमा को अधिक समय नहीं दे पाएगा, लेकिन असल में फुरसत का अधिकांश समय वह उसी के साथ गुजारता था. छुट्टियों में सीमा को घर ले कर आना तो खैर उसी की जिम्मेदारी थी. दोनों कब एकदूसरे के इतने नजदीक आ गए कि कोई दूरी नहीं रही, दोनों को ही पता नहीं चला. न कोई रोकटोक थी और न ही अभी घर वालों की ओर से शादी का दबाव. अत: दोनों आजादी का भरपूर मजा उठा रहे थे.

सीमा के सुझाव पर रजत ने शाम को एमबीए का कोर्स जौइन कर लिया था. कुछ रोज पहले एक स्टोर में एक युवकयुवती को ढेर सारा सामान खरीदते देख कर सीमा ने कहा था, ‘‘लगता है नई गृहस्थी जमा रहे हैं.’’ ‘‘लग तो यही रहा है. न जाने अपनी गृहस्थी कब बसेगी?’’ रजत ने आह भर कर कहा.

‘‘एमबीए कर लो, फिर बसा लेना.’’

‘‘यही ठीक रहेगा. कुछ ही महीने तो और हैं.’’

सीमा ने चिंहुक कर उस की ओर देखा. रजत गंभीर लग रहा था. सीमा ने सोचा कि इस बार घर जाने पर जब मां उस की शादी का विषय छेड़ेंगी तो वह बता देगी कि उसे रजत पसंद है. औफिस पहुंचते ही उस ने रजत को फोन कर के अपनी परेशानी बताई.

‘‘ठीक है, मैं अकेला ही चला जाता हूं.’’

‘‘तुम्हारा जाना जरूरी है क्या?’’

‘‘यहां रह कर भी क्या करूंगा? तुम तो घर की साफसफाई करवाने में व्यस्त हो जाओगी.’’

‘‘ठीक है,’’ कह सीमा ने मम्मी को फोन कर बता दिया कि रंगरोगन करवाने की वजह से वह रजत के साथ नहीं आ रही. रविवार की शाम को कमरा सजा कर सीमा रजत का इंतजार करने लगी. लेकिन यह सब करने में इतनी थक गई थी कि कब आंख लग गई, पता ही नहीं चला. रजत सोमवार की शाम तक भी नहीं आया और न ही उस ने फोन किया. रात को मम्मी का फोन आया. उन्होंने बताया, ‘‘रजत यहां आया ही नहीं, मथुरा में सुमन के घर है. उस के घर वाले भी वहीं चले गए हैं.’’

सुमन रजत की बड़ी बहन थी. सीमा से भी मथुरा आने को कहती रहती थी. ‘अब इस बार रजत घर नहीं गया है. अत: कुछ दिन बाद महावीर जयंती पर जरूर घर चलना मान जाएगा,’ सोच सीमा ने कलैंडर देखा, तो पाया कि महावीर जयंती भी शुक्रवार को ही पड़ रही है.

लेकिन कुछ देर के बाद ही पापा का फोन आ गया. बोले, ‘‘तेरी मम्मी कह रही है कि तू ने कमरा बड़ा अच्छा सजाया है. अत: महावीर जयंती की छुट्टी पर तू यहां मत आ, हम तेरा कमरा देखने आ जाते हैं.’’

‘‘अरे वाह, जरूर आइए पापा,’’ उस ने चिंहुक कर कह तो दिया पर फिर जब दोबारा कलैंडर देखा तो कोई और लंबा सप्ताहांत न पा कर उदास हो गई.

अगले दिन सीमा के औफिस से लौटने के कुछ देर बाद ही रजत आ गया. बहुत खुश लग रहा था, बोला, ‘‘पहले मिठाई खाओ, फिर चाय बनाना.’’

‘‘किस खुशी में?’’ सीमा ने मिठाई का डब्बा खोलते हुए पूछा.

‘‘मेरी शादी तय होने की खुशी में,’’ रजत ने पलंग पर पसरते हुए कहा, ‘‘जब मैं ने मम्मी को बताया कि मैं बस से आ रहा हूं, तो उन्होंने कहा कि फिर मथुरा में ही रुक जा, हम लोग भी वहीं आ जाते हैं. बात तो जीजाजी ने अपने दोस्त की बहन से पहले ही चला रखी थी, मुलाकात करवानी थी. वह करवा कर रोका भी करवा दिया. मंजरी भी जीजाजी और अपने भाई के विभाग में ही मथुरा रिफायनरी में जूनियर इंजीनियर है. शादी के बाद उसे रिफायनरी के टाउनशिप में मकान भी मिल जाएगा और टाउनशिप में अपने बैंक की जो शाखा है उस में मेरी भी बड़ी आसानी से बदली हो जाएगी. आज सुबह यही पता करने…’’

‘‘बड़े खुश लग रहे हो,’’ किसी तरह स्वर को संयत करते हुए सीमा ने बात काटी.

‘‘खुश होने वाली बात तो है ही सीमा, एक तो सुंदरसुशील, पढ़ीलिखी लड़की, दूसरे मथुरा में घर के नजदीक रहने का संयोग. कुछ साल छोटे शहर में रह कर पैसा जोड़ कर फिर महानगर में आने की सोचेंगे. ठीक है न?’’

‘‘यह सब सोचते हुए तुम ने मेरे बारे में भी सोचा कि जो तुम मेरे साथ करोगे या अब तक करते रहे हो वह ठीक है या नहीं?’’ सीमा ने उत्तेजित स्वर में पूछा.

‘‘तुम्हारे साथ जो भी करता रहा हूं तुम्हारी सहमति से…’’

‘‘और शादी किस की सहमति से कर रहे हो?’’ सीमा ने फिर बात काटी.

‘‘जिस से शादी कर रहा हूं उस की सहमति से,’’ रजत ने बड़ी सादगी से कहा, ‘‘तुम्हारे और मेरे बीच में शादी को ले कर कोई वादा या बात कभी नहीं हुई सीमा. न हम ने कभी भविष्य के सपने देखे. देख भी नहीं सकते थे, क्योंकि हम सिर्फ अच्छे पार्टनर हैं, प्रेमीप्रेमिका नहीं.’’

‘‘यह तुम अब कह रहे हो. इतने उन्मुक्त दिन और रातें मेरे साथ बिताने के बाद?’’

‘‘बगैर साथ जीनेमरने के वादों के… असल में यह सब उन में होता है सीमा, जिन में प्यार होता है और वह तो हम दोनों में है ही नहीं?’’ रजत ने उस की आंखों में देखा.

सीमा उन नजरों की ताब न सह सकी. बोली, ‘‘यह तुम कैसे कह सकते हो, खासकर मेरे लिए?’’

रजत ठहाका लगा कर हंसा. फिर बोला, ‘‘इसलिए कह सकता हूं सीमा कि अगर तुम्हें मुझ से प्यार होता न तो तुम पिछले 4 दिनों में न जाने कितनी बार मुझे फोन कर चुकी होतीं और मेरे रविवार को न आने के बाद से तो मारे फिक्र के बेहाल हो गई होतीं… मैं भी तुम्हें रंगरोगन वाले मजदूरों से अकेले निबटने को छोड़ कर नहीं जाता.’’

रजत जो कह रहा था उसे झुठलाया नहीं जा सकता था. फिर भी वह बोली, ‘‘मेरे बारे में सोचा कि मेरा क्या होगा?’’

‘‘तुम्हारे घर वालों ने बुलाया तो है महावीर जयंती पर गुड़गांव के सौफ्टवेयर इंजीनियर को तुम से मिलने को… तुम्हारी भाभी ने फोन पर बताया कि लड़के वालों को जल्दी है… तुम्हारी शादी मेरी शादी से पहले ही हो जाएगी.’’

‘‘शादी वह भी लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाली लड़की के साथ? मैं लड़की हूं रजत… कौन करेगा मुझ से शादी?’’

‘‘यह 50-60 के दशक की फिल्मों के डायलौग बोलने की जरूरत नहीं है सीमा,’’ रजत उठ खड़ा हुआ, ‘‘आजकल प्राय: सभी का ऐसा अतीत होता है… कोई किसी से कुछ नहीं पूछता. फिर भी अपना कौमार्य सिद्ध करने के लिए उस समय अपने बढ़े हुए नाखूनों से खरोंच कर थोड़ा सा खून निकाल लेना, सब ठीक हो जाएगा,’’ और बगैर मुड़ कर देखे रजत चला गया. रजत का यह कहना तो ठीक था कि उन में प्रेमीप्रेमिका जैसा लगाव नहीं था, लेकिन उस ने तो मन ही मन रजत को पति मान लिया था. उस के साथ स्वच्छंदता से जीना उस की समझ में अनैतिकता नहीं थी. लेकिन किसी और से शादी करना तो उस व्यक्ति के साथ धोखा होगा और फिर सचाई बताने की हिम्मत भी उस में नहीं थी, क्योंकि नकारे जाने पर जलालत झेलनी पड़ेगी और स्वीकृत होने पर जीवन भर उस व्यक्ति की सहृदयता के भार तले दबे रहना पड़ेगा.

अच्छा कमा रही थी, इसलिए शादी के लिए मना कर सकती थी, लेकिन रजत के सहचर्य के बाद नितांत अकेले रहने की कल्पना भी असहनीय थी तो फिर क्या करे? वैसे तो सब सांसारिक सुख भोग लिए हैं तो क्यों न आत्महत्या कर ले या किसी आश्रमवाश्रम में रहने चली जाए? लेकिन जो भी करना होगा शांति से सोचसमझ कर. उस की चार्टर्ड बस एक मनन आश्रम के पास से गुजरा करती थी. एक दिन उस ने अपने से अगली सीट पर बैठी महिला को कहते सुना था कि वह जब भी परेशान होती है मैडिटेशन के लिए इस आश्रम में चली जाती है. वहां शांति से मनन करने के बाद समस्या का हल मिल जाता है. अत: सीमा ने सोचा कि आज वैसे भी काम में मन नहीं लगेगा तो क्यों न वह भी उस आश्रम चली जाए. आश्रम के मनोरम उद्यान में बहुत भीड़ थी. युवा, अधेड़ और वृद्ध सभी लोग मुख्यद्वार खुलने का इंतजार कर रहे थे. सीमा के आगे एक प्रौढ दंपती बैठे थे.

‘‘हमारे जैसे लोगों के लिए तो ठीक है, लेकिन यह युवा पीढ़ी यहां कैसे आने लगी है?’’ महिला ने टिप्पणी की.

‘‘युवा पीढ़ी को हमारे से ज्यादा समस्याएं हैं, पढ़ाई की, नौकरी की, रहनेखाने की. फिर शादी के बाद तलाक की,’’ पुरुष ने उत्तर दिया.

‘‘लिव इन रिलेशनशिप क्यों भूल रहे हो?’’

‘‘लिव इन रिलेशनशिप जल्दबाजी में की गई शादी, उस से भी ज्यादा जल्दबाजी में पैदा किया गया बच्चा और फिर तलाक से कहीं बेहतर है. कम से कम एक नन्ही जान की जिंदगी तो खराब नहीं होती? शायद इसीलिए इसे कानूनन मान्यता भी मिल गई है,’’ पुरुष ने जिरह की, ‘‘तुम्हारी नजरों में तो लिव इन रिलेशनशिप में यही बुराई है न कि यह 2 लोगों का निजी समझौता है, जिस का ऐलान किसी समारोह में नहीं किया जाता.’’

जब लोगों को विधवा, विधुर या परित्यक्तों से विवाह करने में ऐतराज नहीं होता तो फिर लिव इन रिलेशनशिप वालों से क्यों होता है?

तभी मुख्यद्वार खुल गया और सभी उठ कर अंदर जाने लगे. सीमा लाइन में लगने के बजाय बाहर आ गई. उसे अपनी समस्या का हल मिल गया था कि वह उस गुड़गांव वाले को अपना अतीत बता देगी. फिर क्या करना है, उस के जवाब के बाद सोचेगी. कार्यक्रम के अनुसार मम्मीपापा आ गए. उसी शाम को उन्होंने सौफ्टवेयर इंजीनियर सौरभ और उस के मातापिता को बुला लिया.

‘‘आप से फोन पर तो कई महीनों से बात हो रही थी, लेकिन मुलाकात का संयोग आज बना है,’’ सौरभ के पिता ने कहा.

‘‘आप को चंडीगढ़ से बुलाना और खुद फिरोजाबाद से आना आलस के मारे टल रहा था लेकिन अब मेरे बेटे का साला रजत जो दिल्ली में सीमा का अभिभावक है, यहां से जा रहा है, तो हम ने सोचा कि जल्दी से सीमा की शादी कर दें. लड़की को बगैर किसी के भरोसे तो नहीं छोड़ सकते,’’ सीमा के पापा ने कहा. सौरभ के मातापिता एकदूसरे की ओर देख कर मुसकराए फिर सौरभ की मम्मी हंसते हुए बोलीं, ‘‘यह तो हमारी कहानी आप की जबानी हो गई. सौरभ भी दूर के रिश्ते की कजिन वंदना के साथ अपार्टमैंट शेयर करता था, इसलिए हमें भी इस के खानेपीने की चिंता नहीं थी. मगर अब वंदना अमेरिका जा रही है. इसे अकेले रहना होगा तो इस की दालरोटी का जुगाड़ करने हम भी दौड़ पड़े.’’

कुछ देर के बाद बड़ों के कहने पर दोनों बाहर छत पर आ गए.

‘‘बड़ों को तो खैर कोई शक नहीं है, लेकिन मुझे लगता है कि हम दोनों एक ही मृगमरीचिका में भटक रहे थे…’’

‘‘इसीलिए हमें चाहिए कि बगैर एकदूसरे के अतीत को कुरेदे हम इस बात को यहीं खत्म कर दें,’’ सीमा ने सौरभ की बात काटी.

‘‘अतीत के बारे में तो बात यहीं खत्म कर देते हैं, लेकिन स्थायी नीड़ का निर्माण मिल कर करेंगे,’’ सौरभ मुसकराया.

‘‘भटके हुए ही सही, लेकिन हैं तो हम पंछी एक ही डाल के,’’ सीमा भी प्रस्ताव के इस अनूठे ढंग पर मुसकरा दी.

क्लब क्रोलिंग: कौनसे सरप्राइज से चौंक गई ऐमली

शुक्रवार की शाम थी. बर्मिंघम के अंतर्राष्ट्रीय नृत्य समारोह के खत्म होने में 10 मिनट बाकी थे. लेकिन ऐश चिंतित था. वह समय पर सिंफनी हाल के बीयर बार में पहुंच भी पाएगा या नहीं, जहां उस के मित्र उस का इंतजार कर रहे होंगे. नृत्य शो के बाद उसे कम से कम 15 मिनट तो चाहिए ही, कपड़े बदलने तथा मेकअप साफ करने के लिए. उस ने सोच लिया था कितनी भी देर क्यों न लगे, इस बार तो वह मेकअप अच्छी तरह साफ कर के ही जाएगा. पिछली बार की तरह नहीं. यह सोच वह खुद ही मुसकरा उठा.

ऐश एक सरल, सुशील और मेहनती नौजवान है. उस के मातापिता का दिया नाम तो आशीष है किंतु अंगरेजों की सहूलियत के लिए उस ने अपना नाम ऐश रख लिया है. वह एक सफल नृत्यकार है. सदा ही अपने अच्छे व्यवहार से सभी को प्रभावित कर लेता है. उस की उम्र 26-27 वर्ष के करीब होगी. उस के चेहरे का भोलापन साफ झलकता है. अकसर सुना है कि कलाकार भावुक तथा संवेदनशील होते हैं. वह भी कुछ ऐसा ही है. तभी तो उस ने प्रेमबद्ध हो कर एक मुसलिम लड़की से विवाह कर लिया.

कपड़े बदल कर ऐश ड्रैसिंगरूम से बाहर निकलने ही वाला था कि उस के मोबाइल की घंटी बजी. ‘‘हाय ऐश, भूलना मत. ठीक 10 बजे बीयर बार में पहुंच जाना. तुम्हारे लिए एक सरप्राइज है.’’

‘‘सरप्राइज, कैसा सरप्राइज, कर्ण?’’

‘‘बता दिया तो सरप्राइज थोड़े ही रहेगा. वहीं मिलते हैं,’’ इतना कह कर उस ने फोन बंद कर दिया.

सरप्राइज का नाम सुन कर ऐश की टांगें कांपने लगीं. मन ही मन सोचने लगा, इस बार पिछले 6 महीने जैसा सरप्राइज न हो. उस की आंखों के सामने वही पुराना दृश्य घूमने लगा. जब इन्हीं तीनों दोस्तों कर्ण, थौमस और जस्सी ने उसे क्लबिंग के चक्कर में अविस्मरणीय अचंभे में डाल दिया था. अभी तक भूल नहीं पाया. बीता वक्त चलचित्र की भांति आंखों के आगे घूम गया…

उस दिन हम पब में ही खाना खाने वाले थे. कर्ण ने प्रस्ताव रखा, ‘चलो आज क्लबिंग करते हैं.’ (क्लबिंग का मतलब यूके में जवान लड़केलड़कियां एक क्लब में 1 घंटा बिता कर फिर दूसरे क्लब में जाते हैं, फिर तीसरे में. रात के 3-4 बजे तक यही सिलसिला चलता रहता है. इसे क्लब क्रोलिंग भी कहते हैं.)

‘क्लबिंग? यार फिर तो बहुत देर हो जाएगी?’ ऐश ने चिंतित स्वर से कहा.

‘भूल गया क्या? आज हमारी पत्नियों की भी गर्ल्ज नाइटआउट का दिन है. वे चारों खाने के बाद थिएटर में ‘फैंटम औफ द औपेरा’ शो देखने जा रही हैं,’ थौमस ने बताया.

‘क्यों न हमें भी कभी पब, क्लब की जगह थिएटर, सिनेमा या प्ले के शो देखने जाना चाहिए,’ ऐश ने सुझाव देते हुए कहा.

‘तू भी न सिस्सी (लड़कियों) सी बातें करता है,’ जस्सी ने ऐश को छेड़ा. कर्ण उन्हें क्लब फौग में ले गया. फौग एक अपमार्केट क्लब है. तीनों जानते थे, जब कर्ण साथ है तो चिंता की कोई बात नहीं. कर्ण अमीर मातापिता का बिगड़ा नवाब है. 6 फुट का लंबा हट्टाकट्टा नौजवान, उस के शरीर पर कायदे से पहनी वेशभूषा, उस पर डिजाइनर अरमानी की जैकेट, दर्पण जैसे चमकते जूते, टौप मौडल की बीएमडब्लू, उस के रंगढंग, बोलचाल से उस के मातापिता की अमीरी की झलक साफ दिखाई देती है. यों कहिए, कर्ण पूर्वपश्चिम सभ्यता का इन्फ्यूजन है. ऐश एक परंपरावादी हिंदू गुजराती परिवार से है. कई वर्ष पहले उस के मातापिता अफ्रीका से आ कर यूके में बस गए हैं. वह लड़कियों जैसा नाजुक और शांत स्वभाव का है. कथक नृत्यकार होने के साथसाथ वह पिता के कारोबार में हाथ भी बंटाता है.

जसविंदर…अंगरेजों की सहूलियत के लिए उसे जस्सी नाम से पुकारा जाता है. वह एक वर्किंग क्लास से है. उस के मातापिता पढ़ेलिखे तो नहीं हैं पर बहुत मेहनती हैं. थौमस एक मध्यवर्गीय रूढि़वादी अंगरेज परिवार से है. उसे अपनी संस्कृति और मान्यताओं पर गर्व है. पिता चर्च के मान्य हैं. उपरोक्त चारों की दोस्ती नर्सरी स्कूल से चली आ रही है. नौकरी के अतिरिक्त वे एकदूसरे के बिना कोई काम नहीं करते. उन का बस चलता तो वे शादी भी एक ही लड़की से करते. पब में थौमस, ऐश तथा जस्सी ने तो आधाआधा लिटर बीयर ली. कर्ण, जो स्वयं को सब से अलग समझता था, ने एक गिलास रैडवाइन ली. ऐश और कर्ण तो बैठ कर गपें मारते रहे. थौमस तथा जस्सी क्लब के धुएं के अंधेरे में डांस में लीन हो गए.

डांस करतेकरते जस्सी एक अफ्रीकन महिला के संग चुटकियां लेने लगा. वह आयु में जस्सी से करीब 20 साल बड़ी थी. वजन उस का 100 किलो से कम नहीं होगा. जस्सी को उस के साथ मसखरियां करते 1 घंटा हो गया. सब बोर होने लगे तो ऐश बोला, ‘चलो, अब कहीं और चलते हैं.’ जस्सी छैलछबीले बाबू ने सुनाअनसुना कर दिया. इतने में वह अफ्रीकन महिला जस्सी की कमर में हाथ डाले उसे बाहर ले गई. शायद कुछ कहने की कोशिश कर रही थी. डांस फ्लोर पर बहुत शोर हो रहा था. जैसे ही जस्सी उस महिला के संग बाहर निकला, महिला जस्सी के गले में बांहें डालते हुए बोली, ‘बैब, वुड यू लाइक टु कम माई प्लेस टुनाइट, लव.’

इतना सुनते ही जस्सी के होशोहवास गुम हो गए. वह हवा की गति से भागा. अंदर पहुंचते ही बोला, ‘चलो, जल्दी यहां से चलो.’

‘बात क्या है?’

‘नहीं, कुछ नहीं, बाहर चल कर बताता हूं. चलो प्लीज,’ जस्सी ने घबराते हुए कहा.

‘कहां चलना है?’ थौमस ने पूछा.

‘कहीं भी, यहां से निकलो.’

जस्सी एक लापरवाह सा हिप्पी टाइप का था. घिसीपिटी जींस, कानों में बालियां, नाक में नथनी, लंबेलंबे बाल, यह उस की पहचान थी. बिलकुल नारियल की भांति, बाहर से ब्राउन अंदर से सफेद. वह एक सफल चित्रकार होने के साथसाथ एक संगीतकार भी था किंतु था बिलकुल डरपोक कबूतर. सब हैरान थे, ऐसा क्या हो गया है? चारों दोस्त एक और पब की ओर चल पड़े ‘औल नाइट लौंग क्लब.’ वहां सब एकएक बीयर ले कर बैठ गए. थौमस और कर्ण डांस करने में लीन हो गए. जस्सी की अभी तक हवाइयां उड़ी थीं. थौमस मिस्टर कन्फ्यूज अपने में ही मस्त. सदा औरतों का अभिनय करकर सब को हंसाता रहता. शायद इसीलिए अपनी टोली में बहुत लोकप्रिय था.

डांस करतेकरते कर्ण थक चुका था, बोला, ‘यहां बहुत शोर है. चलो, कहीं और चलते हैं.’ इतने में थौमस, मिस्टर कन्फ्यूज बोले, ‘आज कुछ नई जगह आजमाते हैं.’

‘कौन सी ऐसी जगह है जो हम ने नहीं देखी,’ जस्सी ने पूछा?

‘गे क्लब.’

गे क्लब का नाम सुनते ही सब के कान खड़े हो गए.

‘तजरबे के लिए,’ थौमस ने सकपकाते हुए कहा.

‘तजरबा ही सही. देयर इज औलवेज अ फर्स्ट टाइम, हर्ज ही क्या है?’

इतना सुनते ही तीनों के हंसी के फौआरे छूट पड़े.

‘हंस क्यों रहे हो? मजाक नहीं कर रहा.’

थोड़ी हिचकिचाहट के बाद तीनों बड़ी उत्सुकता से गे क्लब की ओर चल पड़े. ऐश थका हुआ था क्योंकि अभीअभी वह नाट्य प्रदर्शन कर के आया था. गे क्लब पहुंचते ही वे हक्केबक्के रह गए. पुरुष महिलाओं के भेष में और महिलाएं पुरुषों के भेष में. पूरे मेकअप और विग के साथ, उन के हावभाव और व्यवहार से स्त्रीपुरुष के भेद का अनुमान लगाना कठिन था. अंगरेज, अफ्रीकन, चीनी, भारतीय सभी स्त्रीपुरुष गे थे. कर्ण, ऐश और जस्सी का यह पहला अनुभव था.

‘देख कर्ण, थौमस कैसे सब से घुलमिल कर बातें कर रहा है,’ ऐश ने कहा, ‘मुझे तो लगता है कि वह यहां पहले भी आ चुका है.’

‘ऐश, मेरा तो यहां दम घुट रहा है. लगता है हम किसी दूसरे लोक में आ पहुंचे हैं,’ कर्ण ने घबराते हुए कहा.

‘देखदेख कर्ण, वह लगातार मुझे निहार रही है. मुझे डर लग रहा है,’ ऐश ने घबरा कर कहा.

‘निहार रही नहीं, निहार रहा है. उस की दाढ़ी देख, उस के हाथ देखे हैं, एक थप्पड़ मारा तो मुंह दूसरी तरफ मुड़ जाएगा. उस की मोटीमोटी टांगें देख, जिस ने गुलाबी टाइट्स डाली हैं. वह देख, नीली स्कर्ट वाली. पिछले आधे घंटे से उस की नजरें तुझ पर टिकी हैं. देखदेख, कितने प्यार से तुझ पर फ्लाइंग किसेज फेंक रही है,’ जस्सी ने मुलायम सी मुसकान फेंकते हुए कहा.

‘यार, कहां फंसा दिया थौमस ने. कोई आदमी आंख मारता है, कोई चुंबन फेंकता है, कोई इशारों से बुलाता है. सभी की नजरें हम पर टिकी हैं. जैसे हम अजायबघर से भाग कर आए हों. ऐश, तैयार हो जा, वह तेरी तरफ आ रहा है. लगता है तुझ

पर उस का दिल…’

‘मैं ने ऐसा क्या कर दिया?’

‘यह तेरे मेकअप का कमाल है,’ जस्सी ने कहा.

‘हाय, आय एम रौबर्ट,’ उस ने मटकतेमटकते हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा, ‘वुड यू लाइक अ डिं्रक?’ उत्तर की प्रतीक्षा किए बिना ही रौबर्ट दोस्तों के लिए बीयर ले आया. 1 नहीं, 2 नहीं, 3 बार. हर बार वह ऐश के करीब आने की कोशिश करता रहा. आखिर में उस ने ऐश की ओर अपना हाथ डांस के लिए बढ़ा ही दिया. ऐश कांप रहा था. रौबर्ट उन पर पैसा लुटाए जा रहा था. यहां तक कि उस ने बीयर बार के काउंटर पर कह दिया था कि इन्हें जो भी चाहिए, दे देना. पैसे मेरे खाते में डाल देना. रात का 1 बज चुका था.

‘मेरा दम घुट रहा है, चलो घर चलते हैं,’ ऐश ने कहा.

‘नाइट इज स्टिल यंग, वाय डोंट यू कम टू माई प्लेस, फौर ए डिं्रक,’ रौबर्ट ने खुशी से उन्हें आमंत्रित करते हुए कहा.

अब तक वे चारों रौबर्ट की इतनी शराब पी चुके थे कि मना करने की गुंजाइश ही नहीं रही. ऐश मन ही मन दुखी हो रहा था. थौमस ने किसी से बिना पूछे ही हां कर दी. क्लब से निकलतेनिकलते उन्हें करीब 2 बज गए. जैसे ही ‘गे क्लब’ से बाहर निकले तो रौबर्ट की काले रंग की लेटेस्ट रजिस्ट्रेशन की लिमोजीन शोफर के साथ खड़ी थी. यह देख कर चारों के मुंह खुले के खुले रह गए.

जस्सी के मुंह से निकला, ‘वाओ.’

चारों चुपचाप गाड़ी में बैठ गए. लिमोजीन हवा में ऐसे भाग रही थी मानो सारथी रथ को खींचे ले जा रहा हो. जैसे ही लिमोजीन रौबर्ट के पेंटहाउस के सामने रुकी, सब की आंखें चौंधिया गईं. रौबर्ट ने पेंटहाउस बड़े सलीके और शौक से सजाया था. एकएक कमरा अपनी सजावट की व्याख्या कर रहा था. छत पर हराभरा बगीचा, तारों की छांव में हलकेहलके रंगबिरंगे फूलों की महक वातावरण को महका रही थी. धीमीधीमी चांदनी पत्तों की ओट से झांक रही थी. सबकुछ होते हुए भी एक अजीब सी शून्यता थी वहां. एक खोखलापन, खालीपन. उन्होंने इतना भव्य पेंटहाउस जीवन में पहली बार देखा था. रौबर्ट की नजरें निरंतर ऐश पर टिकी हुई थीं. वह बारबार किसी न किसी बहाने ऐश के निकट आ ही जाता, अपने प्रेम की अभिव्यक्ति करने की ताक में. ऐश की स्थिति एक हवाई जहाज में बैठे यात्री की तरह थी, जिस के हवाई जहाज में कोई तकनीकी खराबी हो गई हो. उस की सांस अंदर की अंदर, बाहर की बाहर. रौबर्ट विनतीपूर्वक बोला, ‘ऐश, क्यों न हम दोनों यहां मिल कर रहें. मैं तुम्हें बहुत खुश रखूंगा.

ऐश कभी कोई बहाना बना कर बाथरूम में जाता, कभी कर्ण और कभी जस्सी से बातें करने लगता. ऐश पिंजरे में बंद पंछी की भांति वहां से उड़ जाना चाहता था. रौबर्ट गिड़गिड़ाए जा रहा था. ‘प्लीज ऐश, केवल एक रात.’

ऐश पर उस की याचना का कोई प्रभाव नहीं पड़ा. ऐश को रौबर्ट का प्रस्ताव बड़ा अटपटा सा लगा. कर्ण तथा जस्सी ने रौबर्ट को समझाने का बहुत प्रयत्न किया. थौमस ने भी ऐश को समझाया, ‘चिंता मत करो. सब ठीक हो जाएगा.’

‘क्या खाक ठीक हो जाएगा?’

‘रौबर्ट अच्छा आदमी है. आज थोड़ी ज्यादा पी ली है,’ थौमस ने रौबर्ट की पैरवी करते हुए कहा.

‘तुझे हमदर्दी है तो बिता ले रात इस नामर्द के साथ,’ कर्ण क्रोध में बोला.

‘लेकिन उसे तो ऐश चाहिए,’ थौमस ने कहा.

‘सब तेरा ही कुसूर है, तू ने ही डाला है इस मुसीबत में. अब तू ही निकाल इस का हल. बाय द वे, तू क्यों नहीं सो जाता?’

‘ठीक है, तुम कहते हो तो मैं ही…नो प्रौब्लम.’

इतना सुनते ही तीनों के होश उड़ गए. उन्हें यकीन ही नहीं हुआ. तीनों सोच में थे कि क्या वे सचमुच थौमस को जानते हैं?

‘मान गए थौमस, बड़ी चतुराई से छिपाया है यह राज तुम ने,’ कर्ण ने कहा.

‘तुम ने क्या सोचा था अगर बता देते तो क्या हम तुम्हारे दोस्त न रहते? यार, हम लोगों ने स्कूल से अब तक का सारा सफर साथसाथ तय किया है. अब यह लुकाछिपी शोभा नहीं देती. मेरे दोस्त, मेरा दिल तेरे लिए रोता है. मैं तो नृत्य के शो में कुछ घंटों में मुखौटा चढ़ा कर दुखी हो जाता हूं और तू इतने वर्षों से… कब तक जिएगा दोहरा जीवन? उगल डाल जो मन में है,’ ऐश ने उसे समझाते हुए कहा.सब की आंखें भर आईं.

हमदर्दी के दो बोल सुनते ही थौमस रोतेरोते कपड़े की तह की भांति खुलता गया, बोला, ‘बचपन से ही अलग सी भावनाओं से जूझता रहा. गुडि़यों से खेलना, चोरीछिपे बहन के कपड़ों और उस के मेकअप को देखना, छूना व सूंघना आदि. पहले तो दूसरे लिंग के प्रति जिज्ञासा होना स्वाभाविक सा लगा, जैसेजैसे उम्र बढ़ती गई, मैं लड़कों की ओर आकर्षित होने लगा. यूनिवर्सिटी में भी चला गया, पर अभी तक किसी गर्लफ्रैंड को घर नहीं लाया. घर वालों को चिंता होने लगी. लड़कियां मेरी ओर आकर्षित होतीं जबकि मैं लड़कों की ओर. मैं करता भी क्या? बेबस था. ‘मातापिता को लगा, शायद उन की परवरिश में कोई कमी रह गई है. आप लोग सोचते होंगे, अंगरेज हूं, घरवालों ने सरलता से स्वीकार कर लिया होगा. नहीं, ऐसा नहीं है. अंगरेजों की भी मान्यताएं हैं, सीमाएं हैं, संस्कार हैं. इन्हीं संस्कारों के कारण कभी किसी का पूछने का साहस नहीं हुआ. मेरी इस स्थिति को अनदेखीअनसुनी करते रहे. मैं अपनी व्यथा समेटे ककून में घुसता गया. नौकरी मिलते ही अपना फ्लैट लेने की ठान ली.

‘मातापिता अप्रत्यक्ष रूप से गर्लफ्रैंड को घर लाने का संकेत देते रहे. परदाफाश तब हुआ जब मैं अपनी बहन के बौयफ्रैंड की ओर आकर्षित होने लगा. मेरी पीड़ा असहनीय हो चुकी थी. दर्द बढ़ता जा रहा था. मैं ने भी सोच लिया, अब जो भी पहली लड़की मेरी ओर आकर्षित होगी, मैं उसी के सामने शादी का प्रस्ताव रख दूंगा. ऐसा ही हुआ, 6 महीने पहले ऐमली उस का शिकार हुई. यों कहूं कि बलि चढ़ी. जिसे मैं ने वैवाहिक सुख से वंचित रखा. इंसान ही हूं न, गलती हो गई. और नहीं जी सकता दोहरा जीवन. दोषभावना की गुठली गले में अटकी रहती है.’

‘ऐमली जानती है क्या?’ कर्ण ने पूछा.

‘शक तो है उसे, सामना करने से डरती है.’

‘अच्छा किया तुम ने, मन का बोझ हलका कर लिया,’ तीनों ने एक स्वर में कहा.

जस्सी ने मन ही मन प्रण किया कि आगे से कभी लड़कियों जैसी हरकत नहीं करेगा. अब रौबर्ट के साथ रात बिताने की समस्या तो हल हो गई. अब जुगाड़ यह लगाना था कि कैसे ऐश का बुखार रौबर्ट के सिर से उतारा जाए.चारों ने बैठ कर रौबर्ट को पूरी तरह से धुत करने की ठान ली. जब नशे में धुत रौबर्ट को विश्वास हो गया कि आज ऐश उसी के साथ रहने वाला है, ऐश ने रौबर्ट से कपड़े बदलने को कहा. जैसे ही रौबर्ट बाथरूम में कपड़े बदलने गया तो बिस्तर पर थौमस ने ऐश का स्थान ले लिया.अब तीनों को घर पहुंचते ऐमली का सामना करना था. घर पहुंचते ही ऐमली ने पूछा, ‘थौमस कहां है?’

‘वह रौबर्ट के साथ है. सुबह आएगा,’ तीनों ने दबे स्वर में कहा.

ऐमली मन ही मन बड़बड़ाई, ‘आई न्यू इट, आई न्यू इट.’

सुबह होने को आई थी, तीनों अपनेअपने घर चले गए. ऐमली की रात भारी गुजरी. सुबह थौमस के घर पहुंचने से पहले ऐमली काम पर जा चुकी थी. घर की दिनचर्या सामान्य रूप से चलती रही. ऐमली के व्यवहार में कोई परिवर्तन न पा कर थौमस थोड़ा चिंतित हुआ. एक सप्ताह बाद नाश्ते की मेज पर थौमस के लिए एक पत्र पड़ा था.

‘स्नेही थौमस,

मैं तुम्हारा दर्द समझती हूं. आज मैं तुम्हें अनचाहे बंधन में बंधे शादीरूपी पिंजरे से आजाद करती हूं. मैं चाहती हूं कि आप अपने जीवन की वास्तविकता से आगे बढ़ें तथा खुश रहें.

शुभकामनाओं सहित
तुम्हारी दोस्त-ऐमली.’

थौमस ने भारमुक्त हो, राहत की सांस ली और अपना सामान बांधना शुरू कर दिया. आज थौमस खुश है. काफी वक्त बाद चारों दोस्तों ने आज फिर मिलने का प्रोग्राम बनाया है. आज क्या सरप्राइज देना चाहते हैं. बस पिछली बार की तरह चौंका देने का सरप्राइज न मिले. अच्छा सोचते हुए ऐश के कदम सिंफनी हाल की ओर उठ गए.

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