तीज 2022: मेकअप से लेकर ड्रेस तक ऐसे करें तैयारी

भादो के महीने साथ ही आती है तीज. नई-नवेली दुल्हनों और लड़कियों के लिए तीज में पीले, हरे, लाल रंगों के साथ ही एथनिक लुक का खास महत्व होता है. ऐसे में कैसा हो आपका मेकअप आइये जानते हैं एल्प्स अकेडमी और ब्यूटी क्लिनिक की फाउंडर डायरेक्टर डौक्टर भारती तनेजा से…

ड्रेस हो कैसी

भारती जी के अनुसार अधिकतर महिलाएं त्योहारों पर ट्रेडिशनल लुक पाना चाहती है. वे ट्रेडिशनल आउटफिट को ही प्राथमिकता देती है. ऐसे में उनका मेकअप भी उनकी ड्रेस से मैच करता हुआ होना चाहिए ताकि परफेक्ट लुक मिल सके.अगर आप ट्रेडिशनल आउटफिट के साथ हैवी जूलरी कैरी कर रही है तो आपको ज्यादा मेकअप करने की जरुरत नहीं है. मेकअप बहुत ही लाइट रखें. परफेक्ट मेकअप के साथ ही आप बेहतरीन लुक पा सकती है.

मेकअप हो लाइव

इस मौसम में वाटर प्रूफ मेकअप करें. इतना ही नहीं, मेकअप भी लाइव होना चाहिए. इस मौसम में उमस और नमी होती है, जिससे मेकअप के बाद आपका चेहरा औयली लग सकता है, इसलिए बेहतर है कि हल्का मेकअप करें. पहले स्किन को अच्छे से साफ कर लें. मेकअप करने से पहले 5-10 अपनी स्किन पर मलमल के कपड़े मे लपेट कर बर्फ रगड़ें. इससे आपका मेकअप लंबे समय तक बरकरार रहेगा. अगर आपकी स्किन औयली है तो मेकअप से पहले एस्ट्रिंजर लगाएं. अगर स्किन ड्राई है तो बर्फ के बाद स्किन पर टोनर लगाएं.

हमेशा पहले बेस लगाए इससे स्किन स्मूथ और इवन टोन दिखेगा. बेस लगाने के बाद फाउंडेशन लगाए. ध्यान रहे कि फाउंडेशन हमेशा आप अपने स्किन टोन के अकौर्डिंग लें. स्किन पर अब फेस पाउडर लगाए लेकिन ध्यान दे कि ज्यादा ना लगाए बस टचअप करें क्योंकि फिर इससे मेकअप ओवर दिखने लगता है.

मेकअप का जरूरी हिस्सा है आंखें. लेकिन दिन के समय लाइट मेकअप करना बेहतर होगा. आप इलेक्ट्रिक ब्लर आईलाइनर के इस्तेमाल करने से भी अच्छा लुक पा सकती हैं.आईमेकअप को पूरा करने के लिए ही नहीं बल्कि उसे बेहतर फिनिशिंग देने का काम करता है मसकारा. इससे पलकें घनी, काली नजर आती हैं और आंखों की खूबसूरती भी बढ़ जाती है,लेकिन आपका मस्कारा भी वाटर प्रूफ होना चाहिए.

आंखों के बाद आते हैं लिप्स मेकअप पर. अगर पौसिबल हो तो इस मौसम में मैट लिपस्टिक लगाएं . होंठों पर लगने वाले रेड, फुशिया, औरेंज और बरगंडी जैसे कलर्स हर एक स्किन टोन को सूट करते हैं.

हेयर स्टाइल पर भी दें ध्यान

ड्रेस के बाद बारी आती है हेयर स्टाइल की. आप चाहे कितना भी अच्छा मेकअप कर लें या ज्वेलरी पहन लें जब तक आपका हेयर स्टाइल सही नहीं होगा आपका लुक परफेक्ट नहीं लग सकता. इसलिए अपने बालों को अच्छा सा हेयर स्टाइल दें.अगर आपके बाल छोटे हैं, तो उन्हें खुला ही छोड़ दें. खुले बालों में भी काफी स्टाइल दिए जा सकते हैं. जैसे कि आप अपने बालों को सामने की ओर से पफ दे सकती हैं या क्लिप्स की मदद से सामने के बाल थोड़े-थोड़े लेकर पीछे की ओर घुमाकर पिनअप कर सकती हैं. अगर आपके बाल लंबे हैं, तो उन्हें कोई स्टाइल दें जैसे चोटी या जूड़ा ही इस मौसम में सुंदर लगता है.

भारती तनेजा, डौयरेक्टर औफ एल्पस ब्यूटी क्लीनिक एंड एकेडमी

hariyali

वनराज को गिरफ्तार करने पहुंचेगी पुलिस, बरखा को सबक सिखाएगी Anupama

सीरियल अनुपमा (Anupama) में जल्द ही जन्माष्टमी सेलिब्रेशन देखने को मिलने वाला है, जिसमें मेकर्स एक के बाद एक नए ट्विस्ट लाने हैं. जहां एक तरफ बरखा अपनी प्लानिंग के चलते वनराज (Sudhanshu Panday) को जेल भेजती दिखेगी तो वहीं अनुपमा (Rupali Ganguly) के सब्र का बांध टूट जाएगा, जिसके चलते सीरियल में बड़ा फैमिली ड्रामा होते हुए नजर आएगा. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे  (Anupama Written Update)…

अनुपमा के कारण गुस्से में आई बरखा

 

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अब तक आपने देखा कि अनुपमा के चैक पर साइन ना करने के कारण बरखा और अंकुश गुस्से में नजर आते हैं. वहीं अधिक, पाखी से मिलकर उसे अपनी बातों में बहकाने की कोशिश करता दिखता है. हालांकि इन सबके बीच अनुपमा, जीके के साथ मिलकर जन्माष्टमी और अनुज के जन्मदिन की तैयारी करती नजर आती है.

 

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बरखा का बढ़ेगा पारा

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि बरखा, अनुज के कमरे में सीसीटीवी लगवाएगी, जिसके लिए अनुपमा उसका शुक्रिया करेगी. हालांकि बरखा का गुस्सा फिर भी शांत नहीं होगा. वहीं वनराज, अनुज से मिलने की कोशिश करता दिखेगी. इसी बीच बरखा अपने वकील के साथ मिलकर कुछ कानूनी कागजात तैयार करवाएगी, जिससे अनुपमा को कपाड़िया हाउस से बाहर किया जा सके.

 

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अनुपमा देगी धमकी

 

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इसके अलावा सीरियल में आप देखेंगे कि अनुपमा, अनुज को उसकी बर्थडे पार्टी के लिए तैयार करेगी. वहीं बरखा इस बात से खुश होगी कि वह अनुपमा से उसकी खुशी छीन लेगी. दरअसल, बरखा की शिकायत पर वनराज को गिरफ्तार करने पुलिस पहुंचेगी. तो दूसरी तरफ बरखा की हरकत पर अनुपमा को गुस्सा आएगा और वह उसे चेतावनी देगी कि कहीं उसकी जन्माष्टमी उनके लिए दुर्गाष्टमी न बन जाए. अनुपमा का ये गुस्सा देखकर बरखा और अंकुश हैरान रह जाएंगे.

बता दें, सीरियल में इन दिनों अनुज यानी गौरव खन्ना को पैरालाइज देखकर फैंस काफी नाखुश हैं और मेकर्स से अनुज को दोबारा ठीक करने की बात कह रहे हैं. वहीं मेकर्स से अनुज की बहन मालविका को वापस लाने की बात कहते दिख रहे हैं.

REVIEW: Web Series दुरंगा में गुलशन देवैय्या का शानदार अभिनय

रेटिंगः साढ़े तीन स्टार

निर्माताः गोल्डी बहल

निर्देशकः प्रदीप सरकार और एजाज खान

कलाकारः गुलशन देवैय्या, दृष्टि धामी, दिव्या सेठ, राजेश खट्टर, अभिजीत खंडेलकर, बरखा बिस्ट, किरण श्रीनिवास, स्पर्श वालिया व अन्य.

अवधिः लगभग पौने पांच घंटे,  तीस से पैंतिस मिनट के नौ एपीसोड

ओटीटी प्लेटफार्मः जी 5

बौलीवुड की ही तरह अब ओटीटी पर भी रीमेक का चलन बढ़ता जा रहा है. अब मशहूर कोरियन सायकोपाथ अपराध कथा वाली वेब सीरीज ‘‘फ्लावर आफ इविल’’ का भारतीय करण करते हुए गोल्डी बहल  वेब सीरीज ‘‘दुरंगा’’ लेकर आए हैं, जो कि 19 अगस्त से ओटीटी प्लेटफार्म ‘‘जी 5’’ पर स्ट्रीम हो रही है. इस अपराध कथा वाली कहानी में सतत दो प्रेम कहानियां भी चलती रहती हैं.

कहानीः

इसकी कहानी का केंद्र बिंदु  एक आदर्श इंसान, एक समर्पित पिता,  देखभाल करने वाले पति और एक आदर्श रसोइए समित पटेल के इर्द गिर्द घूमती है. हकीकत में यह कहानी सारंगवाड़ी, गोवा के अभिषेक बन्ने (गुलशन देवैया)े की है, जो कि पिछले सत्रह वर्ष से समित पटेल के नाम से मंुबई रह रहा है. पर वह अपने गहरे अंधेरे अतीत के साथ एक भावनाहीन मनोरोगी है. उसने ग्यारह वर्ष पहले मुंबई क्राइम ब्रांच की वरिष्ठ अधिकारी इरा जयकर पटेल (दृष्टि धामी) के साथ प्रेम विवाह किया था और अपनी शादी में संतुष्ट है. एक प्यारी बेटी अन्या उर्फ कैटरपिलर (हेरा मिश्रा) के साथ समित सामान्य स्थिति में नजर आते हैं. अचानक एक वृद्ध महिला की उसके घर में हुई हत्या से सनसनी पैदा होती है. एक यूट्यूब चैनल का ब्लागर विकास सरवदेकर शंका जाहिर करता है कि 17 वर्ष बाद यह हत्या उसी तरह से हुई है, जिस तरह से अभिषेक बन्ने के पिता बाला बन्ने (जाकिर हुसैन) किया करते थे. अभिषेक बन्नेे खुद गांव के सरपंच की हत्या का आरोपी है. पर पुलिस रिकार्ड के अनुसार उसने 2005 में आत्महत्या कर ली थी. इसी के साथ दर्शकों  को पता चल जाता है कि यह समित पटेल ही अभिषेक बन्ने है. इतना ही समित पटेल के हिंसक स्वभाव का नजारा भी सामने आ जाता है. उधर ईरा हत्याकांड की जांच कर रही है. ईरा के साथ पुलिस इंस्पेक्टर निखिल प्रधान(किरण श्रीनिवास ) और इंस्पेक्टर लक्ष्य रानाडे (स्पर्श वालिया ) भी अपराधी की तलाश में लगे हैं. कहानी ज्यों ज्यों आगे बढ़ती है, त्यांे त्यों कहानी की परते सामने आती है. पता चलता है कि विकास सरोदे (अभिजीत खांडकेकर) भी सारंगवाड़ी का ही रहने वाला है . अभिषेक व विकास सहपाठी हैं. तो वहीं अभिषेक की बहन प्राची(बरखा बिष्ट) बतौर सहायक निर्देशक काम कर रही है. सत्रह वर्षों से अभिषेक व प्राची की मुलाकात नही हुई है. सारंगवाड़ी मंे रहने के दौरान प्राची और विकास के बीच प्रेम संबंध थे. बहरहाल, अपने सच को छिपाने व उसके अपराध से जुड़े जितने भी सबूत विकास के पास हैं, उन्हे समाप्त करने के लिए समित पटेल चरम सीमा तक जाता है. कहानी में अचानक कई अन्य पात्र भी आते हैं. अभिषेक के पिता के अपराध में उनके भागीदार का चेहरा भी सामने आता है, जो कि अब शहर की बड़ी हस्ती है. एपीसोड दर एपीसोड कहानी में कई नए मोड़ आते रहते हैं. अंततः कहानी नौंवे एपीसोड में खत्म जरुर होती है, पर इस इशारे के साथ कि इसका दूसरा सीजन आएगा.

लेखन व निर्देशनः

कोरियन अपराध सीरीज ‘‘फ्लावर आफ इविल’’मैने देखी नही है, इसलिए उसके संग ‘‘दुरंगा’’ की तुलना नहीं कर सकता. मगर इसकी पटकथा काफी हद तक अच्छे ढं गसे लिखी गयी है. निर्देशक द्वय प्रदीप सरकार और एजाज खान ने रोमांटिक कथा के अलावा पुलिस व अपराधी के बीच की चूहा दौड़ को काफी बेहतरीन तरीके से परदे पर उभारा है. कुछ दृश्यों में दर्शक भ्रमित जरुर होता है, जो कि पटकथा व निर्देशक की कमजोरी का परिणाम है. इसकी दूसरी कमजोरी इसकी धीमी गति है. कहानी हर एपीसोड में अतीत व वर्तमान के बीच झूलती रहती है. वर्तमान की कहानी के साथ ही अभिष् ोक के अतीत और समित व ईरा की मुलाकात व विवाह के प्रसंग भी आते जाते रहते हैं.

समित के अतीत से अंजान ईरा जब सारंगवाड़ी गांव में लगभग समित को पकड़ लेती है,  तो दर्शकों को आभास होता है कि उसका खेल खत्म हो गया है. लेकिन फिर वह बच निकलता है और कहानी आगे बढ़ती है. मगर धीरे धीरे ईरा के सामने कुछ सबूत ऐसे आते हैं, जिससे उसे शक होने लगता है कि समित ही अभिषेक है. यह  लेखक व निर्देशक की खूबी है. कहानी की जटिलता में खोने की बनिस्बत रोमांस, ड्ामा व एक्शन से भरपूर एक अच्छी रोमांचक अपराध कथा के रूप उभर कर ‘दुरंगा’आती है. इस वेब सीरीज की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह दर्शक कों अंत तक बांधकर रखती है.

अभिनयः

समित पटेल के बहुआयामी किरदार में गुलशन देवैया का अभिनय काफी प्रभावशाली है. गुलशन ने मानसिक उथलपुथल व छिपे हुए इरादे वाले समित पटेल के किरदार को शानदार अभिनय से संवारा है. वह एक ऐसा पात्र है, जो कि प्यार, खुशी या दुःख को महसूस ही नही करता है. वह तो मुस्कुराने के लिए भी आॅनलाइन ट्यूटोरियल की मदद लेता है.  तो वहीं ईरा के किरदार में दृष्टि धामी का अभिनय प्रभावशाली है. दृष्टि धामी के चेहरे पर हर तरह के भाव आते हैं. पर निर्देशक ने उन्हे एक्शन करने का अवसर नही दिया. इंस्पेक्टर निखिल प्रधान के किरदार में किरण श्रीनिवास और लक्ष्य रानाडे के किरदार में स्पर्श वालिया भी अपनी छाप छोड़ जाते हैं. कहानी को दिलचस्प मोड़ देेने वाले क्राइम रिपोर्टर कम यूट्यूब ब्लॉंगर विकास सरोदे के किरदार को अभिजीत खंाडकेकर ने शानदार तरीके से परदे पर जिया है.  समित पटेल के माता पिता के किरदार में दिव्या सेठ शाह और राजेश खट्टर ठीक ठाक हैं.

Monsoon Special: मौनसून में क्या पहनें क्या नहीं

बारिश के मौसम में फैशन सिंपल होना चाहिए यानी कपड़े ऐसे पहनने चाहिए जो लहराएं नहीं वरना वे जल्दी गंदे हो जाएंगे. ऐसे में कैसा हो कपड़ों का चुनाव आइए, जानते हैं:

– इन दिनों आप चाहें तो अपने वार्डरोब में लाल, पीला, हरा, नारंगी आदि रंग शामिल कर सकती हैं.

– इस मौसम में इंडोवैस्टर्न लुक कैरी कर सकती हैं. कालेज गर्ल्स चाहें तो कैप्री व शौर्ट पैंट के साथ कलरफुल और स्टाइलिश टौप पहन सकती हैं.

– बारिश के दिनों में लहरिया बेहद खूबसूरत लगती है, गर्ल्स लहरिया स्टाइल का सलवार सूट, कुरती, ट्यूनिक पहन सकती हैं.

– अगर साड़ी पहनती हैं तो लहरिया साड़ी के साथ मौडर्न स्टाइल का ब्लाउज पहनें. प्लेन लहरिया साड़ी के साथ भारी कढ़ाई का ब्लाउज भी ट्राई कर सकती हैं.

– अगर बारिश में बाहर जाती हैं तो डार्क कलर के कपड़े पहनने से बचें, क्योंकि बारिश में उन का कलर उतरने का डर रहता है.

– बारिश के मौसम में होने वाली नमी से बचने के लिए ऐसे कपड़े पहनें जो शरीर से चिपकें नहीं. इस मौसम में लाइट वेट या स्ट्रैचेबल लाइक्रा और कौटन को तवज्जो दें. पौलिएस्टर और सिंथैटिक के कपडे़ इस मौसम में बिलकुल न पहनें.

– इस मौसम में कपड़ों के रंग से मैच करती ऐक्सैसरीज भी पहनें. अगर औफिस जाने वाली महिला हैं या कालेज जाने वाली गर्ल्स, तो पौप और ऐक्सैसरीज पहनी जा सकती है.

– इस सीजन में फैशनेबल दिखना चाहती हैं, तो इन दिनों बाजार में गहरे हलके कौंबिनेशन के कलरफुल स्कार्प या लहरिया, बंधेज स्टाइल का स्कार्प इस्तेमाल करें.

– सलवारकुरती पहननी हो तो सिंथैटिक की ही पहनें.

– बौटम ड्रैसेज डार्क कलर में हों तो बेहतर है. ये ट्रांसपैरेंट नहीं होतीं और न ही इन पर धब्बे दिखते हैं. इन के साथ अपर वियर में ब्राइट और फंकी कलर्स चुन सकती हैं. औरेंज, पिंक, टर्क्वाइज, लैमन यलो, ब्लू, ग्रीन जैसे कलर्स मूड को एनहांस करते हैं. फ्लोरल और स्ट्राइप्स भी पहन सकती हैं.

– फैब्रिक की बात करें, तो इस समय लाइक्रा को अवौइड करें. यह बौडी पर चिपकती है. ह्यूमिडिटी भी पैदा करती है. इस के बजाय कौटन निट, सिल्क, पौलिनायलोन और कौटन ब्लैंड का यूज कर सकती हैं. ये जल्दी क्रश नहीं होते.

– कौटन और पौलिएस्टर से बचें. ये जल्दी क्रश हो जाते हैं.

– लैदर के शूज हों या हैंड बैग, बारिश में गीले हो कर खराब हो जाते हैं. अत: इन्हें अवौइड करें.

इन्हें भी आजमाएं

इन के अलावा गुलाबी, नारंगी, पीच आदि रंगों के ब्राइट शेड्स भी इस मौसम में आजमा सकती हैं. पारदर्शी रंगबिरंगे रेनकोट, रंगीन स्पोर्ट शूज, वेजिस और गम बूट्स को इस मौसम में अपनाया जा सकता है. पोल्का प्रिंट्स, जिओमैट्रिकल प्रिंट्स और फ्लोरल प्रिंट्स का जलवा इस मौसम में फैशन की प्रेमियों को दीवाना बना देगा. ड्रैस के रंग से मेल खाते फैशनेबल कलरफुल स्लीपर्स भी अपनाए जा सकते हैं.

जींस टीशर्ट पर चौड़ी बैल्ट की जगह पतली बैल्ट लगाएं. लड़कियों के लिए नीलैंथ फ्रौक, फ्लोरल प्रिंट स्कर्ट आदि मौनसून के बेहतरीन परिधान होंगे. सूती, शिफौन से बनी ड्रैसेज को युवा ज्यादा पसंद करेंगे. आंखों की सुरक्षा व थकान से बचने के लिए धूप के चश्मे की हर मौसम में मांग होती है. कपड़ों के साथ बालों के स्टाइल को भी दें नया लुक.

फुटवियर

मौनसून के सीजन में बाजार में फुटवियर के ढेरों विकल्प मिल जाएंगे, जो बरसात में भी आप के स्टाइल में चार चांद लगा देंगे. बाजार रंगीन फ्लिपफ्लौप, फ्लोटर, रेन बूट्स और प्लास्टिक चप्पलों से भरा पड़ा है. ये फुटवियर लाल, नीले, पीले, हरे सभी रंगों में मौजूद हैं. इस के अलावा फ्लौवर प्रिंट व अन्य आकर्षक डिजाइनों में भी फुटवियर मिल जाएंगे, जो हैपनिंग लुक देंगे और मौनसून सीजन में भी आप कुछ हट कर दिखेंगे. यदि मौनसून में अपने लिए फुटवियर की शौपिंग करने जा रही हैं, तो स्टाइल के साथसाथ पैरों के आराम का भी ध्यान जरूर रखें.

Food Special: फैमिली के लिए बनाएं मूंगफली के पकौड़े

पकौड़े खाने का असली मजा बारिश के मौसम में ही है. प्याज के, आलू के, मिर्ची के पकौड़े तो आपने पहले भी खाए होंगे लेकिन आज हम आपको मूंगफली के पकौड़े बनाना सिखाएंगे. बनाने में आसान और खाने में टेस्टी हैं ये मूंगफली के पकौड़े.

साम्रगी

1 कप पोहा

1 कप मूंगफली के दाने

1 कप बेसन

3 चम्मच हरा धनिया

1/2 चम्मच धनिया पाउडर

1/2 चम्मच लाल मिर्च पाउडर

3 हरी मिर्च (बारीक कटी हुई)

नमक स्वादनुसार

तेल जरूरत के मुताबिक

विधि

सबसे पहले पोहे में 1 कप पानी डालकर उसे अलग से रख दें. ताकि पोहा अच्छे से भींग जाए. अब एक कटोरे में बेसन और थोड़ा पानी डालकर इसका गाढ़ा घोल तैयार कर लें.

घोल को अच्छे से फेंटने के बाद इसमें धनिया पाउडर, लाल मिर्च पाउडर, हरी मिर्च, नमक और धनिया पत्ता डालकर एक बार फिर अच्छी तरह से मिक्स कर लें.

पोहे से अतिरिक्त पानी निकाल दें. तैयार किए हुए बेसन के घोल में भीगे हुए पोहे डाल दें.

इसके बाद इसमें मूंगफली के दाने भी दाल दें. अब इन सारे मिक्सचर को अच्छे से मिलाकर पकौड़े के लिए बैटर तैयार कर लें.

एक कड़ाही में तेल गर्म कर पकौड़ों को कड़ाही में डालें. पकौड़ों को पलट-पलटकर अच्छे गोल्डन ब्राउन होने तक तलें. पकौड़ों के गोल्डन ब्राउन होते ही गैस बंद कर दें और पकौड़ों को प्लेट में निकाल लें. आपके गरमा-गरम मूंगफली के पकौड़े तैयार हैं.

लॉन्ग टर्म सेविंग के लिए ऐसे करें Invest

लॉन्ग टर्म सेविंग के लिए इन्वेस्टमेंट करना बहुत जरूरी है क्योंकि इससे आपकी कमाई बढ़ जाएगी. सेविंग करने से पहले अपना इन्वेस्टमेंट प्लान जरूर बनाएं, जिससे आपका मंथली बजट भी न बिगड़े और सेविंग करने से इनकम में भी बढ़ोत्तरी हो जाए. जानिए ऐसे ही कुछ इन्वेस्टमेंट ऑप्शन के बारे में जो आपकी कमाई को लॉन्ग टर्म में काफी बढ़ा देंगे.

बचत के साथ निवेश भी जरूरी

आपको सिर्फ बचत ही नहीं करना है बल्कि बचत को सही प्रकार और सही जगह निवेश करना भी जरूरी है. इसकी वजह है कि निवेश ही एक मात्र माध्यम है, जिसकी मदद से आप रुपए की गिरती कीमत से खुद को सुरक्षित कर सकते हैं. साथ ही ऐसा निवेश आपको भविष्य में भी सुरक्षा प्रदान करता है.

साल की शुरुआत में ही लॉन्ग टर्म गोल तय कर लें. इसी तरह इन्वेस्टमेंट प्लानिंग करें ताकि आपको टैक्स में ज्यादा से ज्यादा छूट मिल सके. इसके लिए आप मेडिकल इन्श्योरेंस ले सकते हैं,एनपीएस या पीपीएफ में निवेश कर सकते हैं. इसके अलावा अगर आपकी फैमिली में बेटी है तो उसके नाम से सुकन्या समृद्धि अकाउंट खोल सकते हैं जिस पर आप साल भर में अच्छी खासी सेविंग कर सकते हैं.

स्मॉल सेविंग से करें शुरुआत

इन्वेस्टमेंट प्लानिंग इस तरह से करें की हर महीने आपकी थोड़ी बहुत सेविंग हो सके. इसके लिए अगर आपने पहले से किसी तरह की कोई सेविंग प्लान दिमाग में तैयार नहीं किया है तो उसके बारे में पहले से पता करें और उसके बाद इन्वेस्‍टमेंट का खाका तैयार करें. शादी के बाद इस तरह का प्लानिंग करना बेहद जरूरी है, क्योंकि इससे आपको इमरजेंसी के वक्त पैसों की कमी का सामना नहीं करना पड़ेगा.

बैंक में खोल सकते हैं आरडी अकाउंट

आप अपने बैंक की मदद से एक आरडी अकाउंट खोल सकते हैं. आरडी अकाउंट आप उसी बैंक में खोलें जिसमें आपका पहले से सेविंग अकाउंट हो. ऐसा इसलिए है, क्योंकि इससे आपको केवाईसी दुबारा से नहीं करवानी पड़ेगी. आप बैंक में अपने आरडी अकाउंट को सेविंग अकाउंट से लिंक करा सकते हैं. इससे आपके सेविंग अकाउंट से एक निश्चित रकम आरडी अकाउंट में ऑटोमैटिक तरीके से ट्रांसफर हो जाएगी, जिससे आपको बैंक में हर महीने चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे. आप 100 रुपए प्रति माह की छोटी सी रकम से इस तरह का अकाउंट खोल सकते हैं.

ईपीएफ में करें निवेश

इंप्लॉई प्रॉविडेंट फंड (ईपीएफ) बचत और निवेश का एक बेहतरीन जरिया है. यह आपकी सैलरी आपके हाथ आने से पहले ही काट लिया जाता है. यह दूसरे निवेश माध्यमों के मुकाबले लंबी अवधि के लिए होता है. इसके दो फायदे होते हैं, पहला टैक्स सेविंग और दूसरा बेहतर रिटर्न. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह भी है कि इसके लिए आपको कोई खास कोशिश भी नहीं करनी पड़ती.

टर्म लाइफ इन्श्योरेंस पॉलिसी

खरीदें टर्म लाइफ प्लान वाली इन्श्योरेंस पॉलिसी खरीदना आपके लिए लॉन्ग टर्म में फायदेमंद होता है. हमसे से ज्यादातर लोग पॉलिसी लेने से बचते हैं, लेकिन इसको लेकर आप जीवन में आने वाले कई बड़े खर्चों को प्रीमियम अमाउंट से पूरा हो सकता. मकान खरीदना, बच्चों की हाई एजुकेशन, उनकी शादी,रिटायरमेंट के बाद हर महीने मिलने वाली इनकम और एक्सीडेंट व बड़े ऑपरेशन के दौरान होने वाले खर्चों को आप इस पॉलिसी के अमाउंट से कवर हो सकते हैं.

पोस्‍ट ऑफिस की एनएससी

पोस्‍ट ऑफिस की नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट एक बेहतर ऑप्‍शन साबित हो सकता है. पोस्‍ट ऑफिस से आप 1000 रुपए से 10,000 रुपए तक की एनएससी अपने अलावा परिवार के अन्य सदस्यों के लिए भी खरीद सकते हैं. पोस्‍ट ऑफिस की यह स्‍कीम देश के किसी भी पोस्‍ट ऑफिस से खरीदी जा सकती है.

गोल्‍ड बांड

सरकार ने गोल्‍ड बांड स्कीम को लॉन्‍च किया हुआ है. इसमें 2 ग्राम गोल्ड से लेकर अधिकतम 500 ग्राम तक गोल्ड पर बांड लेने का ऑप्शन है. आप अपनी पत्‍नी को सोने का सिक्‍का, गहने न खरीद कर गोल्‍ड बांड दे सकते हैं. गोल्‍ड बांड पर आपको 2.75 फीसदी की दर से सालाना ब्‍याज ऑफर किया जाएगा. इस पर रिटर्न भी मिलेगा. हालांकि इसके रिटर्न पर आपको टैक्स चुकाना होगा.

एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के साइड इफैक्ट्स

शादी के बाद पतिपत्नियों को यह जानने में जरा भी देर नहीं लगती कि उन का साथी पहले जैसा नहीं रहा. आखिर इस मनमुटाव का क्या कारण है? दरअसल, अधिकांश केसों में पतिपत्नी के बीच झगड़े का मुख्य कारण अतृप्त सैक्स संबंध हैं. सैक्स संबंधों की वैवाहिक जीवन में पतिपत्नी दोनों को आवश्यकता होती है.

महिलाओं में शुरू से ही लज्जा, शर्म और संकोच होता है. वैवाहिक जीवन के बाद भी वे सैक्स संबंधों के बारे में खुल कर बात नहीं कर पातीं. यही कारण है कि स्त्री सैक्स का चरमसुख प्राप्त करने के बारे में स्वयं कुछ नहीं कहती. लेकिन सैक्स एक ऐसी आग है, जो भड़कने के बाद आसानी से शांत नहीं होती.

स्त्रियों की परपुरुष के प्रति आसक्ति

‘‘जब मैं ने पहली बार परपुरुष से संबंध बनाया तब मुझे पता चला कि शारीरिक सुख का असल मजा क्या है वरना पति के साथ तो बस खानापूर्ति ही थी. वे तो अपना काम कर के सो जाते थे. एक बार भी पूछने की जरूरत नहीं  समझते थे कि मुझे संतुष्टि हुई या नहीं. जैसे मैं एक खिलौना हूं. जब तक मन हुआ खेला, फिर सो गए. अब तो मुझे परपुरुष से ही मजा आता है. वैसे भी इस में हरज ही क्या है,’’ यह कहना है मेरी एक फ्रैंड का.

जब मैं ने पूछा कि डर नहीं लगता तो वह बोली, ‘‘इस में डर कैसा?’’

कभीकभी कुछ महिलाएं ऐसी भी होती हैं जो अपनी सैक्स की भूख को शांत करने के लिए सुखसुविधा भरे जीवन को ठोकर मार ऐसे पुरुष के पास चली जाती हैं, जो उन की सैक्स इच्छा को पूरी कर सके.

सपना ने भी तो यही किया था. उस की शादी दानिश से हुई थी. दानिश के पास काफी पैसा था. जब दोनों की शादी हुई थी तब पहली रात को ही सैक्स संबंध के दौरान सपना को पता चल गया था कि दानिश शीघ्रपतन का रोगी है. लेकिन दानिश अपनी पत्नी की अतृप्त इच्छा से बेखबर सिर्फ अपने काम में उलझा रहता. इस के बारे में सोचने का समय ही नहीं था.

अपने पति से सैक्स संबंधों में संतुष्टि न मिलने से वह मानसिक रूप से परेशान रहने लगी. एक तो सपना घर में अकेली थी फिर घर में करने के लिए कोई काम भी नहीं था. ऐसे में वह अपने पड़ोस में रहने वाले एक कालेज के विद्यार्थी के प्रति आकर्षित हो गई. धीरेधीरे आकर्षण बढ़ने लगा. सपना जब भी उस के साथ होती उस के मन में दबी सैक्स की इच्छा बढ़ने लग जाती.

एक दिन सपना अपनेआप पर काबू नहीं रख पाई. उस से लिपट उसे बेतहाशा चूमने लगी. इस तरह सपना के लिपटने और चुंबन करने से वह लड़का भी अपनेआप को रोक नहीं पाया और दोनों में सैक्स संबंध बन गया. दोनों ने उस दिन सैक्स का भरपूर आनंद उठाया. सपना को उस दिन सैक्स से जो शारीरिक व मानसिक सुख मिला वह पहले कभी नहीं मिला था.

धीरेधीरे दोनों के बीच सैक्स इच्छा बढ़ने लगी. एक दिन सपना ने घर छोड़ कर जाने का फैसला किया और मौका पा कर अपने घर से जितना हो सका उतने पैसे जेवर ले कर उस के साथ भाग गई. उस लड़के के दिखाए सपने में शायद उसे अच्छेबुरे का ध्यान ही नहीं रहा.

एक दिन वह लड़का सारे जेवर ले कर भाग गया. अब सिवा पछतावे के उस के पास कुछ नहीं था. घर लौटना चाहा पर सपना को उस के पति ने अस्वीकार कर दिया. इस तरह सैक्स का अधूरापन स्त्री को दूसरे पुरुष के पास जाने पर मजबूर कर सकता है.

सैक्स का ज्ञान

सैक्स के मामले में पुरुष की मानसिकता अजीब होती है. वह सैक्स करते समय स्वयं तो सैक्स का पूरा आनंद लेना चाहता है, जबकि वह कभी यह जानने की कोशिश नहीं करता कि क्या इस सैक्स संबंध से स्त्री को आनंद मिला? वह संतुष्ट हो पाई?

पुरुषों में सैक्सक्षमता प्रभावित होने के भी बहुत से कारण हैं जैसे लिंग में तनाव न आना या लिंग का जल्दी ढीला पड़ जाना अथवा शीघ्र स्खलन आदि. इन सभी सैक्स संबंधी समस्याओं से पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियां बहुत अधिक प्रभावित होती हैं. जब इस प्रकार की समस्याएं हर सैक्स संबंध के दौरान आती हैं, तब वे अपनेआप को बहकने से नहीं रोक पातीं. वे ऐसे पुरुष की ओर आकर्षित होने लगती हैं जो उन की सैक्स इच्छा को पूरी कर सके.

लेकिन जब पत्नी के इन अनैतिक संबंधों का पता उस के पति को चलता है तो उन का वैवाहिक जीवन तो नष्ट होता ही है, साथ ही परिवार में झगड़ा, विघटन व अन्य सामाजिक परेशानियां भी उत्पन्न हो जाती हैं.

पतिपत्नी के बीच झगड़ा

ऊंची महत्त्वाकांक्षा: अपने पति को छोड़ कर किसी दूसरे पुरुष से विवाह कर लेने या उस के साथ भाग जाने का कारण केवल सामाजिक रीतिरिवाज, पारिवारिक समस्या और यौन संबंधों में कमी ही नहीं है, बल्कि स्त्री के मन में उत्पन्न इच्छाएं और आकांक्षाएं भी हैं. अच्छी सुखसुविधा की इच्छा करना कोई गलत बात नहीं है, लेकिन उस इच्छा और कल्पना में अपनी वास्तविकता को भूल जाना मूर्खता है.

आजकल अधिकांश लड़कियां अपनी इन्हीं इच्छाओं के कारण अनेक प्रकार की समस्याओं में फंस जाती हैं और गलत रास्ते पर चल पड़ती हैं.

रीता ग्रैजुऐशन करतेकरते ऐसे पति की कल्पना करने लगी जो उसे शारीरिक संतुष्टि के साथसाथ उस की सभी इच्छाओं को भी पूरी कर सके. कुछ समय बाद रीता की शादी जिस लड़के से हुई वह एक कंपनी में अकाउंटैंट था. इस काम में उसे जितना पैसा मिलता था वह घर चलाने के लिए काफी होता था. लेकिन यह पैसा रीता की इच्छाओं को पूरी करने के लिए काफी नहीं था. इसलिए वह नौकरी की तलाश करने लगी. एक औफिस में उसे पर्सनल सैक्रेटरी की नौकरी मिल गई. उस की सुंदरता पर उस का बौस लट्टू हो गया. वह रीता को समयसमय पर पैसे देने लगा. इस के बाद वह उसे महंगे उपहार देने लगा. कभीकभी दोनों होटल में खाना खाने भी जाने लगे. ये नजदीकियां जल्द ही शारीरिक संबंधों में तबदील हो गईं.

अब रीता का मन अपने पति के लिए बदलने लगा. काम के बहाने 2-4 दिनों के लिए घर से बाहर चली जाती और जगत के साथ खूब ऐश करती.

कुछ समय तक दोनों इसी तरह मौज करते रहे. इस के बाद धीरेधीरे रीता ने उस से शादी की बात करनी शुरू कर दी. वह अकसर सैक्स संबंध के दौरान बौस से शादी के लिए कहती. वह अकसर टाल देता कि पहले अपने पति से तलाक ले ले. रीता तलाक लेने के लिए तैयार हो गई और उस ने तलाक ले लिया. फिर दोनों एकसाथ एक ही घर में रहने लगे.

एक सुबह जब रीता उठी तो घर में वर्तमान पति को कहीं न पा कर परेशान हो गई. वह औफिस में गई तो पता चला कि वह लंदन चला गया है और उस के नाम का एक लैटर छोड़ गया है.

लैटर में लिखा था, ‘‘प्यारी रीता, मैं आज सुबह की फ्लाइट से लंदन जा रहा हूं. मैं ने जितना समय तुम्हारे साथ बिताया है वह मुझे हमेशा याद रहेगा. मैं कंपनी के काम से यहां आया था और यहां मेरा काम खत्म हो जाने के बाद मैं वापस जा रहा हूं. मैं तुम से शादी नहीं कर सकता था, क्योंकि जो स्त्री अपने पति की न हो सकी वह मेरी क्या होगी? जो मेरे पैसे को देख कर अपने पति का घर छोड़ सकती है, वह कल मुझ से अधिक पैसे वाले के लिए मुझे भी छोड़ सकती है.’’

अब रीता के पास खुद को कोसने के अलावा कोई और विकल्प नहीं था.

पश्चिमी सभ्यता का प्रभाव: हमारे देश की संस्कृति, सभ्यता और संस्कारों से आज भी जहां पूरी दुनिया प्रभावित होती है, वहीं हम अपने संस्कारों और संस्कृति को छोड़ कर पश्चिमी देशों की संस्कृति को अपना रहे हैं. हाई सोसाइटी में इस तरह का व्यवहार आम होता जा रहा है.

कुछ साल पहले की बात है. मुरादाबाद से 3 नवविवाहित जोड़े हनीमून पर नैनीताल गए. तीनों ने दूसरी रात पत्नियों की अदलाबदली की. पर उन में से एक की पत्नी ऐसे संबंधों को तैयार नहीं हुई और उस ने शोर मचाने की धमकी दे डाली. कहने का अर्थ है कि दूसरे देशों के प्रभाव में आ कर हमें अपने देश की संस्कृति, सभ्यता और संस्कार को नहीं भूलना चाहिए वरन इन्हें बचाने के लिए पश्चिमी देशों के प्रभावों से बचना चाहिए.

निराशा, तालमेल की कमी, खटपट और बेरुखी तो सिर्फ चंद वजहें हैं, जिन की वजह से शादीशुदा जिंदगी में प्यार की कमी हो सकती है. बेशक इस की कई और भी वजहें हैं, मगर वजह चाहे जो भी हो, क्या उन पतिपत्नियों के लिए कोई आशा है जो शादी के ऐसे बंधन में बंधे हैं?

एकदूसरे को एक मौका जरूर दें. साथ बिताए पलों को साथ बैठ याद करें. कोई भी गलत कदम उठाने से पहले उस के साइड इफैक्ट्स के बारे में जरूर सोचें.

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क्या पौष्टिक खाना बच्चों के लिये टेस्टी हो सकता है?

यदि आप इस बारे में चर्चा कर रहे हैं कि आपके घर में बच्चों का पोषण एक अहम मुद्दा है तो फिर आप अकेले नहीं हैं. काफी सारे पेरेंट्स इस बात को लेकर चिंतित रहते हैं कि उनके बच्चों को क्या खाना चाहिए और क्या नहीं. लेकिन एक हफ्ते के दौरान, ज्यादातर बच्चे खाने में पर्याप्त वैराइटी और पोषण ले लेते हैं. खाने को लेकर मतभेद से बचने के लिये इन तरीकों का इस्तेमाल करें, यदि आपके बच्चे की पसंद अभी भी विकसित हो रही हो.

डॉ. अमित गुप्ता, सीनियर कंसल्टेंट पीडियाट्रिशियन एंड नियोनेटोलॉजिस्ट, बता रहे हैं खास तरीके-

1.भूख पर नजर रखे-

अपने बच्चे की भूख या उसकी कमी पर नजर रखें यदि आपका बच्चा भूखा नहीं है तो अपने बच्चे को जबरदस्ती खाना या स्नैक ना खिलाएं. ना ही अपने बच्चे को पूरी प्लेट खत्म करने या कोई खास चीज खाने का लालच दें या उन्हें मजबूर करें. इससे खाने को लेकर संघर्ष बढ़ सकता है.

2. शेड्यूल तय करें-

हर दिन, खाना और स्नैक्स एक ही समय पर दें. यदि आपका बच्चा नहीं खाना चाह रहा है तो स्नैक खाने का नियत समय बच्चे को हेल्दी खाने का मौका देगा. आप खाने के साथ, दूध या 100% जूस दे सकते हैं, लेकिन खाने और स्नैक्स के बीच केवल पानी ही देना चाहिए. यदि आप अपने बच्चे को ज्यादा मात्रा में पूरे दिन जूस या स्नैक्स देते हैं तो इससे उन्हें खाने के समय पर कम भूख लगेगी.

3.धैर्य रखें-

यदि आप कुछ नया देने की कोशिश कर रहें तो धैर्य रखें छोटे बच्चे अक्सर नए खाने को छूते या सूंघते हैं और उसे हटाने से पहले हो सकता है वे कुछ टुकड़े अपने मुंह में भी रख लें. पहला कौर लेने से पहले, आपके बच्चे को कई बार खाने की नई चीज से परिचय कराने की जरूरत हो सकती है.

4. शॉर्ट ऑर्डर शेफ बनने से बचें

आपके बच्चे द्वारा पहली बार खाने को मना करने पर, उसके लिये फिर दूसरा खाना तैयार करना, खाने में नखरे की आदत को बढ़ाता है. आपको अपने बच्चे को खाने के दौरान बैठने के लिये प्रेरित करना चाहिए, भले ही आपका बच्चा या बच्ची खाना ना खा रहे हों.

5. उसे मजेदार बनाएं

ब्रोकली और अपनी पसंद की सब्जियों के सॉस या डिप के साथ परोसें. खाने को अलग-अलग शेप देने के लिये कुकी कटर का इस्तेमाल करें. डिनर की चीजें ब्रेकफास्ट में परोसें. तरह-तरह के रंगों वाली वैराइटी वाले फूड दें.

6. अपने बच्चे की मदद लें

ग्रोसरी स्टोर में अपने बच्चे से फलों, सब्जियों और दूसरी पौष्टिक चीजों का चुनाव करने में मदद लें. ऐसी चीजें खरीदने से बचें जोकि आप नहीं चाहते कि आपका बच्चा खाए. बच्चे को घर पर सब्जियां धोने या बैटर को हिलाने में आपकी मदद करने के लिये प्रेरित करें.

7.एक अच्छा रोल मॉडल बनें

यदि आप तरह-तरह का हेल्दी खाना खाते हैं तो आपको बच्चा भी यह आदत सीखेग.

8. कल्पनाशील बनें

स्पेगेटी सॉस को थोड़ी कटी हुई ब्रोकली या हरी मिर्च, सीरियल पर फलों के स्लाइस की टॉपिंग या पुलाव और सूप में किसी हुई जुशिनी और गाजर से और बेहतर बनाया जा सकता है.

9.भटकाव कम करें

खाने के दौरान टेलीविजन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स बंद कर दें. इससे आपका बच्चा ज्यादा ध्यानपूर्वक खाना खा सकेगा. इस बात को याद रखें कि टेलीविजन पर आने वाले विज्ञापनों की वजह से आपके बच्चे में मीठा या अनहेल्दी खाने की आदत आ सकती है.

10. इनाम के तौर पर मीठा देने से बचें

डेजर्ट सबसे अच्छे होते हैं, इसलिए उसे खाने से मना करना गलत संदेश देगा और इससे आपके बच्चे को मीठा खाने की क्रेविंग और ज्यादा होगी. आप हफ्ते में एक या दो रातें, डेजर्ट नाइट के तौर पर रख सकते हैं और बाकी रातों को डेजर्ट देने से बच सकते हैं, या फिर आप फल, दही या अन्य पौष्टिक विकल्पों को डेजर्ट के रूप में पेश कर सकते हैं.

यदि आपके बच्चे के खाने-पीने के नखरे की वजह से आपको उसके विकास के प्रभावित होने का डर सता रहा है तो अपने डॉक्टर से बात करें. वह आपके बच्चे के विकास के लिये चार्ट बनाने में मदद कर सकते हैं. पिछले तीन दिनों के दौरान आपका बच्चा क्या खा रहा है और कितनी मात्रा में खा रहा है इसको ध्यान में रखते हुए, वह ऐसा चार्ट बनाएंगे. एक फूड जर्नल, आपके बच्चे के साथ किसी भी प्रकार की समस्या की पहचान करने में डॉक्टर की मदद कर सकता है. इस बीच, इस बात को ध्यान में रखें कि आपके बच्चे के खाने की आदतें रातोंरात नहीं बदलेंगी; हर दिन आपके द्वारा उठाए गए छोटे-छोटे कदम पूरी जिंदगी हेल्दी खाने की आदत को प्रोत्साहित करेंगे.

REVIEW: जानें कैसी है Taapsee Pannu की फिल्म Dobaaraa

रेटिंगः डेढ़ स्टार

निर्माताः शोभा कपूर ,  एकता कपूर ,  सुनीर खेत्रपाल और गौरव बोस

लेखकः निहित भावे (ओरिऑल पाउलो की फिल्म ‘मिराज’ पर आधारित)

निर्देशकः अनुराग कश्यप

कलाकारः तापसी पन्नू ,  पवैल गुलाटी ,  राहुल भट्ट ,  शाश्वत चटर्जी ,  हिमांशी चैधरी ,  नासर और शौर्य दुग्गल

अवधिः दो घंटे 15 मिनट

ओटीटी प्लेटफार्मः नेटफ्लिक्स

हिंदी फिल्में बाक्स आफिस पर लगातार दम तोड़ती जा रही है. फिल्मकार इसका सारा ठीकरा दक्षिण की सफल होती फिल्मों के सिर मढ़कर चैन की नींद सोने पर उतारू हैं. हिंदी भाषी फिल्मकार निरंतर दर्शकों  से दूरी बनाता जा रहा है. वह जमीन से जुड़े लेखकों व जमीनी रोचक व मनोरंजक कहानियों की भी अनदेखी करते हुए दक्षिण की फिल्मों का रीमेक, बायोपिक फिल्में अथवा विदेशी फिल्मों का हिंदी रूपांतरण करने में ही यकीन रख रहा है. इस तरह की फिल्में बनाते वक्त वह मौलिक फिल्म की कहानी का बंटाधार करने में भी पीछे नहीं रहता है. ऐसा महज नवोदित फिल्मकार कर रहे हों,  ऐसा भी नही है. पिछले बीस वर्षों के अंतराल ‘देव डी’, ‘गुलाल’, ‘‘गैंग्स आफ वासेपुर’,  ‘मुक्काबाज’ व ‘मनमर्जियां’ सहित 22 फिल्में निर्देशित कर चुके निर्देशक अनुराग कश्यप भी पीछे नहीं है. इस बार वह स्पेनिश फिल्म ‘मिराज’ का भारतीय करण कर ‘‘दोः बारा’’ नाम से लेकर आए हैं. जो कि 19 अगस्त से ‘नेटफिलक्स’ पर स्ट्रीम हो रही है. फिल्म कथानक के स्तर बहुत गड़बड़ है. कलाकारों का अभिनय औसत दर्जे से भी कमतर है. मजेदार बात यह है कि एक खास विचार धारा के पोषक अनुराग कश्यप ने अपनी फिल्म ‘‘दोः बारा’’ के माध्यम से दर्शकों को चुनौती दी है कि अगर आप वास्तव में पढ़े लिखे हैं, आपके पास फिल्म को समझने वाला दिमाग है, तो उनकी फिल्म को समझकर दिखाएं. अफसोस की बात यह है कि ‘नेटफ्लिक्स’ जैसे ओटीटी प्लेटफार्म के कर्ताधर्ता अनुराग कश्यप जैसे फिल्मकारों की घटिया व बोरिंग फिल्मों को स्ट्रीम कर धीरे धीरे भारत में अपना दर्शकों का आधार निरंतर खोते जा रहे हैं, मगर किसी के भी कान में जूं नहीं रेंग रही है.

कहानीः

फिल्म ‘दोः बारा ’’ की कहानी काफी जटिल है.  कहानी का आधार टाइम ट्रेवेल है. फिल्म की कहानी और किरदार 1990 और 2021 के बीच झूलते हैं. नब्बे के दशक में,  एक भयावह तूफानी रात में दो बजकर बारह मिनट पर 12 वर्षीय लड़के अनय की फायर ब्रिगेड की गाड़ी के नीचे आ जाने से मौत हो जाती है. अपनी मौत सेे पहले अनय  अपने पड़ोसी राजा (शाश्वस्त चटर्जी) को अपनी पत्नी की हत्या और फिर उस हत्या का सुराग मिटाते देख चुका होता है. पच्चीस साल बाद एक बार फिर उसी तरह की तूफानी रात में एक अस्पताल की नर्स अंतरा (तापसी पन्नू) अपने पति विकास ( राहुल भट्ट ) और बेटी अवंती के साथ उसी घर में रहने आती है, जिसमें कभी अनय अपनी मां के साथ रहा करता था. नए घर में अंतरा खुद को एक टीवी सेट के सामने पाती है. जैसे ही अंतरा टीवी को चालू करती है, उसे टीवी के अंदर वही बच्चा अनय दिखायी देता है. डरावनी बात यह है कि दूसरी तरफ अनय को भी अंतरा अपने टीवी में नजर आती है. अनय से बातचीत से अंतरा जान जाती है कि अनय कत्ल को देखने के बाद सड़क हादसे में मरने वाला है. अब वह टीवी के माध्यम से अनय की जान बचाने का प्रयास करती है.  अतीत में अनय को उस सड़क हादसे से बचा लेती है,  मगर उसके चक्कर में वर्तमान में अंतरा अपनी जिंदगी को इकट्ठा नही कर पा रही है.

लेखन व निर्देशनः

फिल्म लेखक व निर्देशक अनुराग कश्यप की फिल्म बनाने की अपनी शैली रही है. अब तक वह रीमेक या किसी विदेशी फिल्म का भारतीय करण करने से बचते रहे हैं. मगर बकौल अनुराग कश्यप उन्हे यह फिल्म तापसी पन्नू की वजह से निर्देशित करनी पड़ी. तापसी पन्नू को स्पेनिश फिल्म ‘‘मिराज’ की कहानी पसंद थी और उन्होने ही इसका भारतीयकरण करवाते हुए पटकथा लिखी थी, पर उन्हे कोई सही निर्देशक नही मिला, तो उन्होंने इसे निर्देशित करने के लिए अनुराग कश्यप से कहा. हम सभी जानते हैं कि अनुराग कश्यप और तापसी पन्नू एक ही विचारधारा के पोषक होने के अलावा एक साथ ‘मनमर्जियां’ फिल्म कर चुके हैं. मगर ‘दोः बारा’ में टाइम ट्रेवेल के साथ रहस्य व रोमांच को मनोरंजक तरीके से पेश करने में अनुराग कश्यप बुरी तरह से विफल रहे हैं. कहानी इस कदर उलझी हुई है कि सब कुछ दर्शक के सिर के उपर से जाता है. पर अनुराग कश्यप हमेशा इस बात से खुश होते है कि वह ऐसी फिल्म बनाते हैं, जिसे दर्शक समझ नही पाता.

टाइम ट्रेवेल को विज्ञान मानता है. मगर तूफानी मौसम बदलने पर जिस तरह के घटनाक्रम  अनुराग कश्यप ने फिल्म ‘‘दोः बारा ’’में दिखाए हैं, उसे तो विज्ञान नही मानता. यही ंपर अनुराग कश्यप अपनी बाजी हार जाते हैं. दर्शक तो टाइम ट्रेवेल व फिल्म के उस तथ्य को भी नही मानता कि तूफानी मौसम में कोई औरत या कोई बच्चा आकर कातिल को सजा दिलाने में सफल होता है. मगर फिल्म ‘दो ः बारा’ देखकर इस बात का अहसास ही नही होता कि यह अनुराग कश्यप स्टाइल की फिल्म है.

मजेदार बात यह है कि अनुराग कश्यप व तापसी पन्नू अपनी फिल्म ‘दो ः बारा’’ के प्रचार के लिए लगातार झूठ बोलते रहे. ट्ेलर लांच पर दावा किया कि उनकी फिल्म ‘दोः बारा’’, स्पैनिश फिल्म ‘मिराज’ का रीमेक नही है.  कुछ दिन बाद कबूल किया कि यह फिल्म उनके पास तापसी पन्नू लेकर आयी थीं.  इसके अलावा तापसी पन्नू और अनुराग कश्यप रोते रहे कि कोई उनकी फिल्म के ‘बौयकौट’ करने की मुहीम नही चलाता.

इतना ही नही अनुराग कश्यप के विचारों से सहमति रखने वाले फिल्म निर्देशक विधु विनोद चोपड़ा की पत्नी और फिल्म समीक्षक अनुपमा चोपड़ा कुछ वर्षों से ‘‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’’ चलाती हैं, जिसमें एक खास सोच वाले फिल्म समीक्षकों को सदस्य बनाया गया है. और हर वर्ष पुरस्कार भी बांटे जाते हैं. ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्यों को  अगस्त के पहले सप्ताह में ही फिल्म दिखायी गयी थी . और उनके द्वारा फिल्म को दिए गए ‘स्टार’ को खूब सोशल मीडिया पर प्रचारित किया गया. इतना ही नही फिल्म का प्रेस शो मंगलवार, 16 अगस्त को आयोजित किया गया.  तब पीआरओ ने सभी पत्रकारों से कहा कि फिल्म की समीक्षा 19 तारीख से पहले न छपे. लेकिन सभी पत्रकारो से लिखकर मांगा गया कि वह कितने स्टार देंगे. जिस पत्रकार ने तीन से अधिक स्टार दिए, उसके नाम के साथ एकता कपूर, तापसी पन्नू सभी ने ट्वीट कर फिल्म को प्रचारित किया. पर अहम सवाल है कि क्या इससे घटिया फिल्म को दर्शक मिल जाएंगे??

फिल्म को एडीटिंग टेबल पर कसे जाने की जरुरत थी. फिल्म का गीत संगीत भी अति कमजोर है.

अभिनयः

अंतरा के किरदार में तापसी पन्नू ने काफी निराश किया है. मानाकि ‘‘दोः बारा’’ एक टाइम ट्रेवल वाली फिल्म है, पर तापसी पन्नू को इस तरह की फिल्मों में अभिनय करने का कुछ ज्यादा ही शौक है. वह इससे पहले टाइम ट्रेवेल वाली ‘‘ गेम ओवर’’ और ‘‘लूप लपेटा’’ में वह अभिनय कर चुकी हैं. मगर नर्स व डाक्टर अंतरा के किरदार में तापसी पन्नू का अभिनय निराशा जनक है. पत्नी को धोखा देने वाले विकास के किरदार में राहुल भट्ट भी आकर्षित नहीं करते. फिल्म ‘थप्पड़’ में तापसी पन्नू के साथ अभिनय कर अपने बेहतरीन अभिनय प्रतिभा की झलक दिखाने वाले अभिनेता पावेल गुलाटी  इस फिल्म में पुलिस अधिकारी बने आनंद उर्फ अनय  के किरदार में हैं. मगर उनके अभिनय में कोई जान नही है. अपनी पत्नी के कातिल राजा के किरदार में शाश्वत चटर्जी जरुर लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचते हैं. अन्य कलाकारों का अभिनय ठीक ठाक है.

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