एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के साइड इफैक्ट्स

शादी के बाद पतिपत्नियों को यह जानने में जरा भी देर नहीं लगती कि उन का साथी पहले जैसा नहीं रहा. आखिर इस मनमुटाव का क्या कारण है? दरअसल, अधिकांश केसों में पतिपत्नी के बीच झगड़े का मुख्य कारण अतृप्त सैक्स संबंध हैं. सैक्स संबंधों की वैवाहिक जीवन में पतिपत्नी दोनों को आवश्यकता होती है.

महिलाओं में शुरू से ही लज्जा, शर्म और संकोच होता है. वैवाहिक जीवन के बाद भी वे सैक्स संबंधों के बारे में खुल कर बात नहीं कर पातीं. यही कारण है कि स्त्री सैक्स का चरमसुख प्राप्त करने के बारे में स्वयं कुछ नहीं कहती. लेकिन सैक्स एक ऐसी आग है, जो भड़कने के बाद आसानी से शांत नहीं होती.

स्त्रियों की परपुरुष के प्रति आसक्ति

‘‘जब मैं ने पहली बार परपुरुष से संबंध बनाया तब मुझे पता चला कि शारीरिक सुख का असल मजा क्या है वरना पति के साथ तो बस खानापूर्ति ही थी. वे तो अपना काम कर के सो जाते थे. एक बार भी पूछने की जरूरत नहीं  समझते थे कि मुझे संतुष्टि हुई या नहीं. जैसे मैं एक खिलौना हूं. जब तक मन हुआ खेला, फिर सो गए. अब तो मुझे परपुरुष से ही मजा आता है. वैसे भी इस में हरज ही क्या है,’’ यह कहना है मेरी एक फ्रैंड का.

जब मैं ने पूछा कि डर नहीं लगता तो वह बोली, ‘‘इस में डर कैसा?’’

कभीकभी कुछ महिलाएं ऐसी भी होती हैं जो अपनी सैक्स की भूख को शांत करने के लिए सुखसुविधा भरे जीवन को ठोकर मार ऐसे पुरुष के पास चली जाती हैं, जो उन की सैक्स इच्छा को पूरी कर सके.

सपना ने भी तो यही किया था. उस की शादी दानिश से हुई थी. दानिश के पास काफी पैसा था. जब दोनों की शादी हुई थी तब पहली रात को ही सैक्स संबंध के दौरान सपना को पता चल गया था कि दानिश शीघ्रपतन का रोगी है. लेकिन दानिश अपनी पत्नी की अतृप्त इच्छा से बेखबर सिर्फ अपने काम में उलझा रहता. इस के बारे में सोचने का समय ही नहीं था.

अपने पति से सैक्स संबंधों में संतुष्टि न मिलने से वह मानसिक रूप से परेशान रहने लगी. एक तो सपना घर में अकेली थी फिर घर में करने के लिए कोई काम भी नहीं था. ऐसे में वह अपने पड़ोस में रहने वाले एक कालेज के विद्यार्थी के प्रति आकर्षित हो गई. धीरेधीरे आकर्षण बढ़ने लगा. सपना जब भी उस के साथ होती उस के मन में दबी सैक्स की इच्छा बढ़ने लग जाती.

एक दिन सपना अपनेआप पर काबू नहीं रख पाई. उस से लिपट उसे बेतहाशा चूमने लगी. इस तरह सपना के लिपटने और चुंबन करने से वह लड़का भी अपनेआप को रोक नहीं पाया और दोनों में सैक्स संबंध बन गया. दोनों ने उस दिन सैक्स का भरपूर आनंद उठाया. सपना को उस दिन सैक्स से जो शारीरिक व मानसिक सुख मिला वह पहले कभी नहीं मिला था.

धीरेधीरे दोनों के बीच सैक्स इच्छा बढ़ने लगी. एक दिन सपना ने घर छोड़ कर जाने का फैसला किया और मौका पा कर अपने घर से जितना हो सका उतने पैसे जेवर ले कर उस के साथ भाग गई. उस लड़के के दिखाए सपने में शायद उसे अच्छेबुरे का ध्यान ही नहीं रहा.

एक दिन वह लड़का सारे जेवर ले कर भाग गया. अब सिवा पछतावे के उस के पास कुछ नहीं था. घर लौटना चाहा पर सपना को उस के पति ने अस्वीकार कर दिया. इस तरह सैक्स का अधूरापन स्त्री को दूसरे पुरुष के पास जाने पर मजबूर कर सकता है.

सैक्स का ज्ञान

सैक्स के मामले में पुरुष की मानसिकता अजीब होती है. वह सैक्स करते समय स्वयं तो सैक्स का पूरा आनंद लेना चाहता है, जबकि वह कभी यह जानने की कोशिश नहीं करता कि क्या इस सैक्स संबंध से स्त्री को आनंद मिला? वह संतुष्ट हो पाई?

पुरुषों में सैक्सक्षमता प्रभावित होने के भी बहुत से कारण हैं जैसे लिंग में तनाव न आना या लिंग का जल्दी ढीला पड़ जाना अथवा शीघ्र स्खलन आदि. इन सभी सैक्स संबंधी समस्याओं से पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियां बहुत अधिक प्रभावित होती हैं. जब इस प्रकार की समस्याएं हर सैक्स संबंध के दौरान आती हैं, तब वे अपनेआप को बहकने से नहीं रोक पातीं. वे ऐसे पुरुष की ओर आकर्षित होने लगती हैं जो उन की सैक्स इच्छा को पूरी कर सके.

लेकिन जब पत्नी के इन अनैतिक संबंधों का पता उस के पति को चलता है तो उन का वैवाहिक जीवन तो नष्ट होता ही है, साथ ही परिवार में झगड़ा, विघटन व अन्य सामाजिक परेशानियां भी उत्पन्न हो जाती हैं.

पतिपत्नी के बीच झगड़ा

ऊंची महत्त्वाकांक्षा: अपने पति को छोड़ कर किसी दूसरे पुरुष से विवाह कर लेने या उस के साथ भाग जाने का कारण केवल सामाजिक रीतिरिवाज, पारिवारिक समस्या और यौन संबंधों में कमी ही नहीं है, बल्कि स्त्री के मन में उत्पन्न इच्छाएं और आकांक्षाएं भी हैं. अच्छी सुखसुविधा की इच्छा करना कोई गलत बात नहीं है, लेकिन उस इच्छा और कल्पना में अपनी वास्तविकता को भूल जाना मूर्खता है.

आजकल अधिकांश लड़कियां अपनी इन्हीं इच्छाओं के कारण अनेक प्रकार की समस्याओं में फंस जाती हैं और गलत रास्ते पर चल पड़ती हैं.

रीता ग्रैजुऐशन करतेकरते ऐसे पति की कल्पना करने लगी जो उसे शारीरिक संतुष्टि के साथसाथ उस की सभी इच्छाओं को भी पूरी कर सके. कुछ समय बाद रीता की शादी जिस लड़के से हुई वह एक कंपनी में अकाउंटैंट था. इस काम में उसे जितना पैसा मिलता था वह घर चलाने के लिए काफी होता था. लेकिन यह पैसा रीता की इच्छाओं को पूरी करने के लिए काफी नहीं था. इसलिए वह नौकरी की तलाश करने लगी. एक औफिस में उसे पर्सनल सैक्रेटरी की नौकरी मिल गई. उस की सुंदरता पर उस का बौस लट्टू हो गया. वह रीता को समयसमय पर पैसे देने लगा. इस के बाद वह उसे महंगे उपहार देने लगा. कभीकभी दोनों होटल में खाना खाने भी जाने लगे. ये नजदीकियां जल्द ही शारीरिक संबंधों में तबदील हो गईं.

अब रीता का मन अपने पति के लिए बदलने लगा. काम के बहाने 2-4 दिनों के लिए घर से बाहर चली जाती और जगत के साथ खूब ऐश करती.

कुछ समय तक दोनों इसी तरह मौज करते रहे. इस के बाद धीरेधीरे रीता ने उस से शादी की बात करनी शुरू कर दी. वह अकसर सैक्स संबंध के दौरान बौस से शादी के लिए कहती. वह अकसर टाल देता कि पहले अपने पति से तलाक ले ले. रीता तलाक लेने के लिए तैयार हो गई और उस ने तलाक ले लिया. फिर दोनों एकसाथ एक ही घर में रहने लगे.

एक सुबह जब रीता उठी तो घर में वर्तमान पति को कहीं न पा कर परेशान हो गई. वह औफिस में गई तो पता चला कि वह लंदन चला गया है और उस के नाम का एक लैटर छोड़ गया है.

लैटर में लिखा था, ‘‘प्यारी रीता, मैं आज सुबह की फ्लाइट से लंदन जा रहा हूं. मैं ने जितना समय तुम्हारे साथ बिताया है वह मुझे हमेशा याद रहेगा. मैं कंपनी के काम से यहां आया था और यहां मेरा काम खत्म हो जाने के बाद मैं वापस जा रहा हूं. मैं तुम से शादी नहीं कर सकता था, क्योंकि जो स्त्री अपने पति की न हो सकी वह मेरी क्या होगी? जो मेरे पैसे को देख कर अपने पति का घर छोड़ सकती है, वह कल मुझ से अधिक पैसे वाले के लिए मुझे भी छोड़ सकती है.’’

अब रीता के पास खुद को कोसने के अलावा कोई और विकल्प नहीं था.

पश्चिमी सभ्यता का प्रभाव: हमारे देश की संस्कृति, सभ्यता और संस्कारों से आज भी जहां पूरी दुनिया प्रभावित होती है, वहीं हम अपने संस्कारों और संस्कृति को छोड़ कर पश्चिमी देशों की संस्कृति को अपना रहे हैं. हाई सोसाइटी में इस तरह का व्यवहार आम होता जा रहा है.

कुछ साल पहले की बात है. मुरादाबाद से 3 नवविवाहित जोड़े हनीमून पर नैनीताल गए. तीनों ने दूसरी रात पत्नियों की अदलाबदली की. पर उन में से एक की पत्नी ऐसे संबंधों को तैयार नहीं हुई और उस ने शोर मचाने की धमकी दे डाली. कहने का अर्थ है कि दूसरे देशों के प्रभाव में आ कर हमें अपने देश की संस्कृति, सभ्यता और संस्कार को नहीं भूलना चाहिए वरन इन्हें बचाने के लिए पश्चिमी देशों के प्रभावों से बचना चाहिए.

निराशा, तालमेल की कमी, खटपट और बेरुखी तो सिर्फ चंद वजहें हैं, जिन की वजह से शादीशुदा जिंदगी में प्यार की कमी हो सकती है. बेशक इस की कई और भी वजहें हैं, मगर वजह चाहे जो भी हो, क्या उन पतिपत्नियों के लिए कोई आशा है जो शादी के ऐसे बंधन में बंधे हैं?

एकदूसरे को एक मौका जरूर दें. साथ बिताए पलों को साथ बैठ याद करें. कोई भी गलत कदम उठाने से पहले उस के साइड इफैक्ट्स के बारे में जरूर सोचें.

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क्या पौष्टिक खाना बच्चों के लिये टेस्टी हो सकता है?

यदि आप इस बारे में चर्चा कर रहे हैं कि आपके घर में बच्चों का पोषण एक अहम मुद्दा है तो फिर आप अकेले नहीं हैं. काफी सारे पेरेंट्स इस बात को लेकर चिंतित रहते हैं कि उनके बच्चों को क्या खाना चाहिए और क्या नहीं. लेकिन एक हफ्ते के दौरान, ज्यादातर बच्चे खाने में पर्याप्त वैराइटी और पोषण ले लेते हैं. खाने को लेकर मतभेद से बचने के लिये इन तरीकों का इस्तेमाल करें, यदि आपके बच्चे की पसंद अभी भी विकसित हो रही हो.

डॉ. अमित गुप्ता, सीनियर कंसल्टेंट पीडियाट्रिशियन एंड नियोनेटोलॉजिस्ट, बता रहे हैं खास तरीके-

1.भूख पर नजर रखे-

अपने बच्चे की भूख या उसकी कमी पर नजर रखें यदि आपका बच्चा भूखा नहीं है तो अपने बच्चे को जबरदस्ती खाना या स्नैक ना खिलाएं. ना ही अपने बच्चे को पूरी प्लेट खत्म करने या कोई खास चीज खाने का लालच दें या उन्हें मजबूर करें. इससे खाने को लेकर संघर्ष बढ़ सकता है.

2. शेड्यूल तय करें-

हर दिन, खाना और स्नैक्स एक ही समय पर दें. यदि आपका बच्चा नहीं खाना चाह रहा है तो स्नैक खाने का नियत समय बच्चे को हेल्दी खाने का मौका देगा. आप खाने के साथ, दूध या 100% जूस दे सकते हैं, लेकिन खाने और स्नैक्स के बीच केवल पानी ही देना चाहिए. यदि आप अपने बच्चे को ज्यादा मात्रा में पूरे दिन जूस या स्नैक्स देते हैं तो इससे उन्हें खाने के समय पर कम भूख लगेगी.

3.धैर्य रखें-

यदि आप कुछ नया देने की कोशिश कर रहें तो धैर्य रखें छोटे बच्चे अक्सर नए खाने को छूते या सूंघते हैं और उसे हटाने से पहले हो सकता है वे कुछ टुकड़े अपने मुंह में भी रख लें. पहला कौर लेने से पहले, आपके बच्चे को कई बार खाने की नई चीज से परिचय कराने की जरूरत हो सकती है.

4. शॉर्ट ऑर्डर शेफ बनने से बचें

आपके बच्चे द्वारा पहली बार खाने को मना करने पर, उसके लिये फिर दूसरा खाना तैयार करना, खाने में नखरे की आदत को बढ़ाता है. आपको अपने बच्चे को खाने के दौरान बैठने के लिये प्रेरित करना चाहिए, भले ही आपका बच्चा या बच्ची खाना ना खा रहे हों.

5. उसे मजेदार बनाएं

ब्रोकली और अपनी पसंद की सब्जियों के सॉस या डिप के साथ परोसें. खाने को अलग-अलग शेप देने के लिये कुकी कटर का इस्तेमाल करें. डिनर की चीजें ब्रेकफास्ट में परोसें. तरह-तरह के रंगों वाली वैराइटी वाले फूड दें.

6. अपने बच्चे की मदद लें

ग्रोसरी स्टोर में अपने बच्चे से फलों, सब्जियों और दूसरी पौष्टिक चीजों का चुनाव करने में मदद लें. ऐसी चीजें खरीदने से बचें जोकि आप नहीं चाहते कि आपका बच्चा खाए. बच्चे को घर पर सब्जियां धोने या बैटर को हिलाने में आपकी मदद करने के लिये प्रेरित करें.

7.एक अच्छा रोल मॉडल बनें

यदि आप तरह-तरह का हेल्दी खाना खाते हैं तो आपको बच्चा भी यह आदत सीखेग.

8. कल्पनाशील बनें

स्पेगेटी सॉस को थोड़ी कटी हुई ब्रोकली या हरी मिर्च, सीरियल पर फलों के स्लाइस की टॉपिंग या पुलाव और सूप में किसी हुई जुशिनी और गाजर से और बेहतर बनाया जा सकता है.

9.भटकाव कम करें

खाने के दौरान टेलीविजन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स बंद कर दें. इससे आपका बच्चा ज्यादा ध्यानपूर्वक खाना खा सकेगा. इस बात को याद रखें कि टेलीविजन पर आने वाले विज्ञापनों की वजह से आपके बच्चे में मीठा या अनहेल्दी खाने की आदत आ सकती है.

10. इनाम के तौर पर मीठा देने से बचें

डेजर्ट सबसे अच्छे होते हैं, इसलिए उसे खाने से मना करना गलत संदेश देगा और इससे आपके बच्चे को मीठा खाने की क्रेविंग और ज्यादा होगी. आप हफ्ते में एक या दो रातें, डेजर्ट नाइट के तौर पर रख सकते हैं और बाकी रातों को डेजर्ट देने से बच सकते हैं, या फिर आप फल, दही या अन्य पौष्टिक विकल्पों को डेजर्ट के रूप में पेश कर सकते हैं.

यदि आपके बच्चे के खाने-पीने के नखरे की वजह से आपको उसके विकास के प्रभावित होने का डर सता रहा है तो अपने डॉक्टर से बात करें. वह आपके बच्चे के विकास के लिये चार्ट बनाने में मदद कर सकते हैं. पिछले तीन दिनों के दौरान आपका बच्चा क्या खा रहा है और कितनी मात्रा में खा रहा है इसको ध्यान में रखते हुए, वह ऐसा चार्ट बनाएंगे. एक फूड जर्नल, आपके बच्चे के साथ किसी भी प्रकार की समस्या की पहचान करने में डॉक्टर की मदद कर सकता है. इस बीच, इस बात को ध्यान में रखें कि आपके बच्चे के खाने की आदतें रातोंरात नहीं बदलेंगी; हर दिन आपके द्वारा उठाए गए छोटे-छोटे कदम पूरी जिंदगी हेल्दी खाने की आदत को प्रोत्साहित करेंगे.

REVIEW: जानें कैसी है Taapsee Pannu की फिल्म Dobaaraa

रेटिंगः डेढ़ स्टार

निर्माताः शोभा कपूर ,  एकता कपूर ,  सुनीर खेत्रपाल और गौरव बोस

लेखकः निहित भावे (ओरिऑल पाउलो की फिल्म ‘मिराज’ पर आधारित)

निर्देशकः अनुराग कश्यप

कलाकारः तापसी पन्नू ,  पवैल गुलाटी ,  राहुल भट्ट ,  शाश्वत चटर्जी ,  हिमांशी चैधरी ,  नासर और शौर्य दुग्गल

अवधिः दो घंटे 15 मिनट

ओटीटी प्लेटफार्मः नेटफ्लिक्स

हिंदी फिल्में बाक्स आफिस पर लगातार दम तोड़ती जा रही है. फिल्मकार इसका सारा ठीकरा दक्षिण की सफल होती फिल्मों के सिर मढ़कर चैन की नींद सोने पर उतारू हैं. हिंदी भाषी फिल्मकार निरंतर दर्शकों  से दूरी बनाता जा रहा है. वह जमीन से जुड़े लेखकों व जमीनी रोचक व मनोरंजक कहानियों की भी अनदेखी करते हुए दक्षिण की फिल्मों का रीमेक, बायोपिक फिल्में अथवा विदेशी फिल्मों का हिंदी रूपांतरण करने में ही यकीन रख रहा है. इस तरह की फिल्में बनाते वक्त वह मौलिक फिल्म की कहानी का बंटाधार करने में भी पीछे नहीं रहता है. ऐसा महज नवोदित फिल्मकार कर रहे हों,  ऐसा भी नही है. पिछले बीस वर्षों के अंतराल ‘देव डी’, ‘गुलाल’, ‘‘गैंग्स आफ वासेपुर’,  ‘मुक्काबाज’ व ‘मनमर्जियां’ सहित 22 फिल्में निर्देशित कर चुके निर्देशक अनुराग कश्यप भी पीछे नहीं है. इस बार वह स्पेनिश फिल्म ‘मिराज’ का भारतीय करण कर ‘‘दोः बारा’’ नाम से लेकर आए हैं. जो कि 19 अगस्त से ‘नेटफिलक्स’ पर स्ट्रीम हो रही है. फिल्म कथानक के स्तर बहुत गड़बड़ है. कलाकारों का अभिनय औसत दर्जे से भी कमतर है. मजेदार बात यह है कि एक खास विचार धारा के पोषक अनुराग कश्यप ने अपनी फिल्म ‘‘दोः बारा’’ के माध्यम से दर्शकों को चुनौती दी है कि अगर आप वास्तव में पढ़े लिखे हैं, आपके पास फिल्म को समझने वाला दिमाग है, तो उनकी फिल्म को समझकर दिखाएं. अफसोस की बात यह है कि ‘नेटफ्लिक्स’ जैसे ओटीटी प्लेटफार्म के कर्ताधर्ता अनुराग कश्यप जैसे फिल्मकारों की घटिया व बोरिंग फिल्मों को स्ट्रीम कर धीरे धीरे भारत में अपना दर्शकों का आधार निरंतर खोते जा रहे हैं, मगर किसी के भी कान में जूं नहीं रेंग रही है.

कहानीः

फिल्म ‘दोः बारा ’’ की कहानी काफी जटिल है.  कहानी का आधार टाइम ट्रेवेल है. फिल्म की कहानी और किरदार 1990 और 2021 के बीच झूलते हैं. नब्बे के दशक में,  एक भयावह तूफानी रात में दो बजकर बारह मिनट पर 12 वर्षीय लड़के अनय की फायर ब्रिगेड की गाड़ी के नीचे आ जाने से मौत हो जाती है. अपनी मौत सेे पहले अनय  अपने पड़ोसी राजा (शाश्वस्त चटर्जी) को अपनी पत्नी की हत्या और फिर उस हत्या का सुराग मिटाते देख चुका होता है. पच्चीस साल बाद एक बार फिर उसी तरह की तूफानी रात में एक अस्पताल की नर्स अंतरा (तापसी पन्नू) अपने पति विकास ( राहुल भट्ट ) और बेटी अवंती के साथ उसी घर में रहने आती है, जिसमें कभी अनय अपनी मां के साथ रहा करता था. नए घर में अंतरा खुद को एक टीवी सेट के सामने पाती है. जैसे ही अंतरा टीवी को चालू करती है, उसे टीवी के अंदर वही बच्चा अनय दिखायी देता है. डरावनी बात यह है कि दूसरी तरफ अनय को भी अंतरा अपने टीवी में नजर आती है. अनय से बातचीत से अंतरा जान जाती है कि अनय कत्ल को देखने के बाद सड़क हादसे में मरने वाला है. अब वह टीवी के माध्यम से अनय की जान बचाने का प्रयास करती है.  अतीत में अनय को उस सड़क हादसे से बचा लेती है,  मगर उसके चक्कर में वर्तमान में अंतरा अपनी जिंदगी को इकट्ठा नही कर पा रही है.

लेखन व निर्देशनः

फिल्म लेखक व निर्देशक अनुराग कश्यप की फिल्म बनाने की अपनी शैली रही है. अब तक वह रीमेक या किसी विदेशी फिल्म का भारतीय करण करने से बचते रहे हैं. मगर बकौल अनुराग कश्यप उन्हे यह फिल्म तापसी पन्नू की वजह से निर्देशित करनी पड़ी. तापसी पन्नू को स्पेनिश फिल्म ‘‘मिराज’ की कहानी पसंद थी और उन्होने ही इसका भारतीयकरण करवाते हुए पटकथा लिखी थी, पर उन्हे कोई सही निर्देशक नही मिला, तो उन्होंने इसे निर्देशित करने के लिए अनुराग कश्यप से कहा. हम सभी जानते हैं कि अनुराग कश्यप और तापसी पन्नू एक ही विचारधारा के पोषक होने के अलावा एक साथ ‘मनमर्जियां’ फिल्म कर चुके हैं. मगर ‘दोः बारा’ में टाइम ट्रेवेल के साथ रहस्य व रोमांच को मनोरंजक तरीके से पेश करने में अनुराग कश्यप बुरी तरह से विफल रहे हैं. कहानी इस कदर उलझी हुई है कि सब कुछ दर्शक के सिर के उपर से जाता है. पर अनुराग कश्यप हमेशा इस बात से खुश होते है कि वह ऐसी फिल्म बनाते हैं, जिसे दर्शक समझ नही पाता.

टाइम ट्रेवेल को विज्ञान मानता है. मगर तूफानी मौसम बदलने पर जिस तरह के घटनाक्रम  अनुराग कश्यप ने फिल्म ‘‘दोः बारा ’’में दिखाए हैं, उसे तो विज्ञान नही मानता. यही ंपर अनुराग कश्यप अपनी बाजी हार जाते हैं. दर्शक तो टाइम ट्रेवेल व फिल्म के उस तथ्य को भी नही मानता कि तूफानी मौसम में कोई औरत या कोई बच्चा आकर कातिल को सजा दिलाने में सफल होता है. मगर फिल्म ‘दो ः बारा’ देखकर इस बात का अहसास ही नही होता कि यह अनुराग कश्यप स्टाइल की फिल्म है.

मजेदार बात यह है कि अनुराग कश्यप व तापसी पन्नू अपनी फिल्म ‘दो ः बारा’’ के प्रचार के लिए लगातार झूठ बोलते रहे. ट्ेलर लांच पर दावा किया कि उनकी फिल्म ‘दोः बारा’’, स्पैनिश फिल्म ‘मिराज’ का रीमेक नही है.  कुछ दिन बाद कबूल किया कि यह फिल्म उनके पास तापसी पन्नू लेकर आयी थीं.  इसके अलावा तापसी पन्नू और अनुराग कश्यप रोते रहे कि कोई उनकी फिल्म के ‘बौयकौट’ करने की मुहीम नही चलाता.

इतना ही नही अनुराग कश्यप के विचारों से सहमति रखने वाले फिल्म निर्देशक विधु विनोद चोपड़ा की पत्नी और फिल्म समीक्षक अनुपमा चोपड़ा कुछ वर्षों से ‘‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’’ चलाती हैं, जिसमें एक खास सोच वाले फिल्म समीक्षकों को सदस्य बनाया गया है. और हर वर्ष पुरस्कार भी बांटे जाते हैं. ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्यों को  अगस्त के पहले सप्ताह में ही फिल्म दिखायी गयी थी . और उनके द्वारा फिल्म को दिए गए ‘स्टार’ को खूब सोशल मीडिया पर प्रचारित किया गया. इतना ही नही फिल्म का प्रेस शो मंगलवार, 16 अगस्त को आयोजित किया गया.  तब पीआरओ ने सभी पत्रकारों से कहा कि फिल्म की समीक्षा 19 तारीख से पहले न छपे. लेकिन सभी पत्रकारो से लिखकर मांगा गया कि वह कितने स्टार देंगे. जिस पत्रकार ने तीन से अधिक स्टार दिए, उसके नाम के साथ एकता कपूर, तापसी पन्नू सभी ने ट्वीट कर फिल्म को प्रचारित किया. पर अहम सवाल है कि क्या इससे घटिया फिल्म को दर्शक मिल जाएंगे??

फिल्म को एडीटिंग टेबल पर कसे जाने की जरुरत थी. फिल्म का गीत संगीत भी अति कमजोर है.

अभिनयः

अंतरा के किरदार में तापसी पन्नू ने काफी निराश किया है. मानाकि ‘‘दोः बारा’’ एक टाइम ट्रेवल वाली फिल्म है, पर तापसी पन्नू को इस तरह की फिल्मों में अभिनय करने का कुछ ज्यादा ही शौक है. वह इससे पहले टाइम ट्रेवेल वाली ‘‘ गेम ओवर’’ और ‘‘लूप लपेटा’’ में वह अभिनय कर चुकी हैं. मगर नर्स व डाक्टर अंतरा के किरदार में तापसी पन्नू का अभिनय निराशा जनक है. पत्नी को धोखा देने वाले विकास के किरदार में राहुल भट्ट भी आकर्षित नहीं करते. फिल्म ‘थप्पड़’ में तापसी पन्नू के साथ अभिनय कर अपने बेहतरीन अभिनय प्रतिभा की झलक दिखाने वाले अभिनेता पावेल गुलाटी  इस फिल्म में पुलिस अधिकारी बने आनंद उर्फ अनय  के किरदार में हैं. मगर उनके अभिनय में कोई जान नही है. अपनी पत्नी के कातिल राजा के किरदार में शाश्वत चटर्जी जरुर लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचते हैं. अन्य कलाकारों का अभिनय ठीक ठाक है.

Saath Nibhana Saathiya: दूसरी बार मां बनेगी राशि, Rucha Hasabnis ने शेयर की फोटो

टीवी के हिट सीरियल्स में से एक ‘साथ निभाना साथिया (Saath Nibhana Saathiya)’ का हर किरदार आज भी फैंस के दिलों पर राज करता है. वहीं उनकी पर्सनल लाइफ से जुड़ी जानकारी के लिए बेताब रहता है. इसी बीच राशि यानी एक्ट्रेस रुचा हसबनीज (Rucha Hasabnis) के बारे में भी फैंस जानने के लिए एक्साइटेड नजर आते हैं. इसी बीच एक्ट्रेस ने अपनी दूसरी प्रैग्नेंसी की खबर फैंस को दे दी है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

दूसरी बार मां बनेंगी रुचा

सीरियल की दुनिया से दूर एक्ट्रेस रुचा हसबनीज ने साल 2019 में बेटी को जन्म दिया था, जिसके बाद अब वह दोबारा मां बनने जा रही हैं, जिसका एक्ट्रेस ने एक क्यूट पोस्ट फैंस के साथ शेयर किया है. दरअसल, एक्ट्रेस ने अपनी बेटी की एक फोटो शेयर की है, जिसमें उनकी बेटी कैनवास पर ‘बिग सिस्टर’ लिखती दिख रही है. वहीं इस फोटो के कैप्शन में एक्ट्रेस ने लिखा, “ज्यादा प्यार करने के लिए एक और…”

सेलेब्स दे रहे हैं बधाई

एक्ट्रेस रुचा हसबनीज के इस क्यूट पोस्ट पर सेलेब्स जहां बधाई देते दिख रहे हैं तो वहीं फैन्स एक्ट्रेस की दूसरी प्रैग्नेंसी पर प्यार लुटा रहे हैं. इसी के चलते सोशलमीडिया पर एक्ट्रेस का पोस्ट तेजी से वायरल हो रहा है. वहीं फैंस एक्ट्रेस के लेटेस्ट अपडेट को जानने के लिए काफी एक्साइटेड दिख रहे हैं.

बता दें, एक्ट्रेस रुचा हसनबीज ने साल 2015 की जनवरी में शादी की थी, जिसके बाद वह फेम और टीवी सीरियल्स की दुनिया से दूर हो गई थीं. वहीं साल 2019 में वह पहली बार मां बनीं थीं, जिसके बाद वह एक म्यूजिक वीडियो का भी हिस्सा बनती हुई दिखाई दी थीं. हालांकि वह सीरियल्स की दुनिया में दोबारा कब लौटेंगी अभी तक कोई जानकारी नहीं हैं. हालांकि फैंस उन्हें दोबारा देखने के लिए बेताब हैं.

GHKKPM: सई को ट्रोल होता देख आयशा सिंह ने शेयर किया मैसेज, देखें वीडियो

स्टार प्लस का सीरियल गुम है किसी के प्यार में (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin) इन दिनों खासा चर्चा में है. जहां 8 साल के लीप को लेकर मेकर्स की तैयारी जारी है तो वहीं लेटेस्ट ट्रैक के चलते शो के कलाकारों को ट्रोलिंग का सामना करना पड़ रहा है. वहीं अब इस ट्रोलिंग के निशाने पर आई सई यानी एक्ट्रेस आयशा सिंह (Ayesha Singh) ने अपने फैंस को खास मैसेज दिया है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

ट्रोलर्स को दिया ये मैसेज

 

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बीते दिनों अपने लेटेस्ट ट्रैक के चलते विराट से लेकर सई के किरदारों को सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग का सामना करना पड़ रहा है. वहीं मेकर्स को भी जमकर खरी खोटी सुननी पड़ रही है. लेकिन अब सई जोशी यानी एक्ट्रेस आयशा सिंह ने प्यार से लोगों से सपोर्ट की गुजारिश करते हुए एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें वह कहती दिख रही हैं कि ‘सई का सफर बहुत ही खूबसूरत रहा है. बहुत ही ज्यादा उतार-चढ़ाव रहे हैं. कई मुश्किलों का सामना किया है और उन्हीं के चलते वह मजबूत बन पाई है. सई को बहुत सारा प्यार सभी दर्शकों से मिला है. उम्मीद करती हूं कि आगे भी ऐसा ही चलता रहे.’ हालांकि इस वीडियो में वह स्टार प्लस के नए शो रज्जो (New TV Show Rajjo) की टीम को भी ढेर सारी बधाई देती दिख रही हैं.

इस कारण हो रही हैं ट्रोल

 

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हाल ही के एपिसोड में सई चौह्वाण परिवार को छोड़कर अपने बेटे विनायक के साथ बस में जाती दिखीं थीं. जहां बस में झटका लगते ही सई बच्चा छोड़ती नजर आई थीं, जिसके चलते ट्रोलर्स का गुस्सा सामने आया है. वहीं एक वीडियो में आयशा सिंह बच्चे को एंटरटेन करते हुए दिख रही है. हालांकि ट्रोलर्स का कहना है कि वह एक बच्चे को ढंग से खिला नहीं पा रही है. इसके अलावा, सीरियल के दूसरे किरदार विराट और पाखी यानी नील भट्ट और उनकी रियल वाइफ एक्ट्रेस ऐश्वर्या शर्मा भी कई बार ट्रोलिंग का शिकार हो चुके हैं. हालांकि उनके इस मामले में कोई रिएक्शन सामने नहीं आया है.

कंचन अवस्थी को मिला ‘भारत सम्मान’-2022

बुद्धाजंलि रिसर्च फाउन्डेशन एवं बीइंग मदर स्टैंड यूनाइटेड, मुम्बई द्वारा दिल्ली के द अशोका में होटल में आयोजित एक भव्य समारोह में लखनऊ निवासी बालीवुड की जानी मानी अभिनेत्री कंचन अवस्थी को बालीवुड सिंगर उदित नारायण, संगीत निर्देशक अनु मलिक, अभिनेत्री एवं प्लेबैक सिंगर सलमा आगा, माननीया सांसद, लोक सभा श्रीमती सुनीता दुग्गल तथा केलाश मासूम, अध्यक्ष, बुद्धाजंलि रिसर्च फाउन्डेशन चैरिटेबुल ट्रस्ट द्वारा सम्मानित किया गया. इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में माननीय मंत्री भारत सरकार श्री रामदास अठावले ने दीप प्रज्जवलन कर के कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया.

कंचन अवस्थी को इसके पूर्व बेस्ट डांसर अवार्ड, मंजू श्री सम्मान,

सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री सम्मान, यू0पी0 आर्टिस्ट अकादमी द्वारा बेस्ट एक्ट्रेस अवार्ड,वर्ष 2018 में बेस्ट अपकमिंग एक्ट्रेस का सम्मान,ग्लोबल एचीवर्स अवार्ड, फिल्म बंधु,उत्तर प्रदेश द्वारा काशी फिल्म महोत्सव में दिये गये अवार्ड सहित  कई सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है.

कंचन अवस्थी ने फीचर फिल्म फ्राड सैंया, मंटो रीमिक्स ( अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शित),लव हैकर्स,  अंकुर अरोड़ा मर्डर केस, गन वाली दुलहनिया, भूत वाली लव स्टोरी,मैं खुदी राम बोस, चापेकर ब्रदर्स,जय जवान जय किसान, कुतुब मीनार सहित बहुत सी फिल्मों में अपने अभिनय का लोहा मनवाया है. अभी हाल ही में भैया जी स्माइल सहित कई वेब सीरीज एवं  धारावाहिक अम्मा में भी अहम किरदार निभाया है.

हाथों की फाइन लाइंस को कैसे दूर करें?

सवाल-

मेरी उम्र 30 साल है और मेरे हाथों में फाइन लाइंस दिखने लगी हैं जो मुझे अच्छे नहीं लगतीं. कोई उपाय बताएं?

जवाब-

हाथों को धोने के बाद हमेशा कोई मौइस्चराइजिंग क्रीम जरूर लगाएं. अगर ऐसा लगातार करती रहेंगी तो फाइन लाइंस नहीं आएंगी. रात को सोने से पहले किसी औयल से हलकी मसाज करें. किसी ऐरोमैटिक औयल का इस्तेमाल भी कर सकती हैं.

फाइन लाइंस के लिए आप हफ्ते में 2 बार यह पैक लगाएं-

तो फाइन लाइन कुछ कम जरूर होंगे. 1 चम्मच मुलतानी मिट्टी लें. 1/2 चम्मच कौफी पाउडर मिलाएं. थोड़ा सा हनी डालें और रोजवाटर मिला कर पेस्ट बना लें. इसे हाथों पर लगा लें. 1/2 घंटे बाद धो लें. इस पैक से फाइन लाइंस में काफी फायदा होगा.

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एक मां अपने बच्चे की खुशी के लिए क्या कुछ नहीं करती. कभी उस के लिए अपनी नींद से समझता करती है, तो कभी उस के लिए खुद भूखी रह जाती है. उस के कहीं बाहर जाने पर उस के इंतजार में बैठी रहती है. बच्चे की एक डिमांड पर वह अपनी सारी थकान को भूल कर उस की डिमांड को पूरा करने में जुट जाती है.

दुनियाभर से उस के लिए फाइट करने में भी पीछे नहीं रहती. उस की खुशी के लिए अपनी सारी खुशियां कुरबान करने के लिए तैयार हो जाती है.

भले ही हम मां को बहुत कुछ नहीं दे सकते, लेकिन मदर्स डे एक बेटी होने के नाते आप अपनी मां की इनर ब्यूटी की तरह आउटर ब्यूटी को बैस्ट ब्यूटी ट्रीटमैंट्स गिफ्ट में दे कर निखार सकती हैं क्योंकि वह खुद को हमेशा टिपटौप तो रखना पसंद करती है, लेकिन परिवार व बच्चों से हमेशा घिरी रहने के कारण खुद को संवारने पर ध्यान ही नहीं देती है. ऐसे में आप के ये गिफ्ट्स मां के चेहरे पर मुसकान लाने के काम करेंगे. तो आइए जानते हैं कैसे:

फेशिअल केयर बौक्स

अपने चेहरे को निखारना व अपनी खूबसूरती की तारीफ बटोरना हर मौम को अच्छा लगता है. लेकिन घरपरिवार में बिजी रहने के चक्कर में व पैसों के कारण हमेशा खुद की स्किन से समझता कर ही लेती हैं. ऐसे में आप उन्हें इस मदर्स डे पर फेशियल केयर बौक्स गिफ्ट कर के उन के होंठों पर मुसकान लौटाने के साथसाथ उन के चेहरे की खोई रौनक को भी लौटा सकती हैं क्योंकि इस बौक्स में होता है फेशियल क्लींजर, टोनर, पैक से ले कर नाइट ट्रीटमैंट क्रीम तक और सन प्रोटैक्शन देने वाला सनस्क्रीन भी जो उन की स्किन को क्लीन, डैड स्किन को रिमूव करने के साथसाथ फेस पर ग्लो तो लाएगा ही, साथ ही स्किन पर एजिंग को भी कम करने का काम करता है.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- मां को दें स्किन केयर से जुड़ा ये तोहफा

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

मैट प्रौडक्ट से स्किन को बनाएं खूबसूरत

अगर आप औल टाइम फ्रैश और सौफिस्टिकेटेड मेकअप लुक की ख्वाहिश रखती हैं, तो मैट के मेकअप प्रोडक्ट्स को अपनी पहली पसंद बना सकती हैं. लौंग लास्टिंग, फ्रैश लुक, नैचुरल शेड्स जैसी इस में ऐसी कई खूबियां हैं, जो इसे बाकी मेकअप प्रोडक्ट्स से बेहतर बनाती हैं.

मैट मेकअप प्रोडक्ट्स

मैट के मेकअप प्रोडक्ट्स औयल फ्री और पाउडर बेस्ड होते हैं. क्रीमी, ग्लौसी, शाइनी, शिमरी कौस्मैटिक की तरह ये औयली नजर नहीं आते और न ही इन का इफैक्ट गौडी होता है. इन का टैक्स्चर बहुत ही सौफ्ट ऐंड स्मूद होता है. इन्हें अप्लाई करने से चेहरा फ्रैश नजर आता है.

मैट के डिफरैंट मेकअप प्रोडक्ट्स

मैट कौस्मैटिक लिपस्टिक या आईलाइनर तक सीमित नहीं हैं. बाजार में मैट का फाउंडेशन, प्राइमर, मैट फिनिश पाउडर, आई लाइनर, आईशैडो, मसकारा, लिपस्टिक, लिप लाइनर, ब्लशर, नेल पौलिश आदि भी मैट फिनिश लुक में मिल जाते हैं, जो मिनटों में आप की खूबसूरती को निखार सकते हैं.

मैट मेकअप प्रोडक्ट्स की खासीयत

लौंग लास्टिंग: चूंकि मैट कौस्मैटिक पाउडर बेस्ड होते हैं, इसलिए ये न तो जल्दी मिटते हैं और न ही फैलते हैं. अप्लाई करने के कुछ देर बाद ही ये जल्दी सैट हो जाते हैं और लंबे समय तक टिके रहते हैं, जबकि क्रीमी और ग्लौसी कौस्मैटिक बहुत जल्दी चेहरे से उतर जाते हैं.

फ्रैश लुक: बाकी कौस्मैटिक की तरह मैट कौस्मैटिक में मिनरल औयल और पैट्रोलियम जैल नहीं होता, इसलिए बाकी मेकअप प्रोडक्ट्स की तरह कुछ घंटों में ही इन का शेड न तो फीका पड़ता है और न ही चेहरा मुरझाया सा लगता है. यह हमेशा फ्रैश नजर आता है.

यंग इफैक्ट: मैट कौस्मैटिक का टैक्स्चर काफी स्मूद होता है. चेहरे पर मैट कौस्मैटिक लगाने से आंखों के करीब और होंठों के आसपास उभर आईं फाइन लाइंस और रिंकल्स आसानी से छिप जाती हैं, जबकि ग्लौसी कौस्मैटिक से झुर्रियां उभर कर दिखती हैं.

वैल्वेट फिनिश: शाइनी या शिमरी टैक्स्चर के कौस्मैटिक चेहरे को गौडी इफैक्ट देते हैं, लेकिन मैट का वैल्वेट फिनिश टैक्स्चर चेहरे को सौफ्ट लुक देता है, जिस से चेहरा काफी आकर्षक नजर आता है.

लाइट वेट: नौनऔयली और जीरो शिमर होने की वजह से मैट के मेकअप प्रोडक्ट्स बाकी कौस्मैटिक की तुलना में लाइट वेट होते हैं. इन्हें लगाने से त्वचा में भारीपन महसूस नहीं होता है, जबकि शिमरी कौस्मैटिक से हैवी फील होता है.

नैचुरल शेड्स: औयल की वजह से जहां क्रीमी शेड मेकअप प्रोडक्ट्स नैचुरल शेड  से थोड़ा डल नजर आता है, वहीं पाउडर बेस्ड होने के कारण मैट कौस्मैटिक का शेड और भी गहरा हो जाता है. नतीजतन यह बिलकुल नैचुरल लगता है.

नौनस्टिकी: मैट के मेकअप प्रोडक्ट्स बिलकुल चिपचिपे नहीं होते. अप्लाई करने के कुछ देर बाद ही सूख जाते हैं और ये तब तक नहीं निकलते जब तक कि इन्हें रगड़ कर छुड़ाया न जाए, जबकि ग्लौसी और क्रीमी कौस्मैटिक दूर से ही स्टिकी नजर आते हैं.

नो टचअप: समय के साथ जब मेकअप का शेड हलका होने लगता है तब टचअप की जरूरत होती है, लेकिन एक बार चेहरे पर मैट मेकअप लगा कर आप कई घंटों के लिए टैंशन फ्री हो सकती हैं, क्योंकि ये जल्दी नहीं उतरते.

ईजी टू अप्लाई: मैट कौस्मैटिक की एक और खासीयत यह है कि कुछ बातों को ध्यान में रख कर आप इसे घर बैठे खुद भी लगा सकती हैं. आप को किसी मेकअप ऐक्सपर्ट की सहायता लेने की जरूरत नहीं है.

फौर औल सीजन: मेकअप आर्टिस्ट के अनुसार विंटर में क्रीम बेस्ड मेकअप प्रोडक्ट्स लगाने चाहिए. समर सीजन में वाटर बेस्ड, लेकिन पाउडर बेस्ड मैट कौस्मैटिक आप हर सीजन में लगा सकती हैं.

हाई डैफिनेशन: मैट कौस्मैटिक फेशियल फीचर को स्ट्रौंगली हाईलाइट करते हैं जैसे आप के होंठ अगर पतले हैं तो मैट की लिपस्टिक आप के होंठों को फुलर लुक दे सकती है. अगर आप की आंखें छोटी हैं तो मैट के आईलाइनर और आईशैडो से उन्हें आकर्षक लुक दिया जा सकता है.

सैल्फी ऐक्सपर्ट: मेकअप में फोटो भी तब खूबसूरत नजर आता है जब मेकअप का टैक्स्चर सही हो. ग्रेसी और शाइनी मेकअप चेहरे को औयली इफैक्ट देते हैं, जो फोटो में भी साफ नजर आता है, लेकिन मैट के मेकअप प्रोडक्ट्स फोटो में भी काफी आकर्षक नजर आते हैं.

हर स्किन टाइप के लिए आइडियल है मैट

मैट कौस्मैटिक प्रोडक्ट्स नौर्मल, ड्राई और औयली स्किन टाइप पर भी सूट करता है, लेकिन बात अगर औयली स्किन की करें तो औयली स्किन के लिए ये किसी वरदान से कम नहीं. जहां ग्लौसी और क्रीमी कौस्मैटिक औयली स्किन पर सूट नहीं करते और पूरी तरह से फैल कर चिपचिपे नजर आते हैं, वहीं मैट के मेकअप प्रोडक्ट्स औयल अब्जौर्बर होने की वजह से औयली त्वचा के ऐक्स्ट्रा औयल को पूरी तरह से सोख लेते हैं, जिस से मेकअप का बेस अच्छी तरह सैट हो जाता है और लंबे समय तक टिका रहता है.

कैसे दूर करें बच्चों में नींद की समस्या

अकसर नवजात शिशु के रात में न सोने पर प्रसूता मां परेशान रहती है. उसे सास या मां द्वारा यह तसल्ली भी दी जाती है कि 40 दिन तक यह परेशानी झेलनी पड़ेगी. उस के बाद बच्चा रात में ज्यादा तंग नहीं करेगा. लेकिन कई बच्चे 4-6 महीने तक, तो कई डेढ़ से 2 साल तक मां को रात में जगाते रहते हैं और मांएं अकसर परेशान रहती हैं कि उन के बच्चे बड़ों की तरह पूरी रात लगातार क्यों नहीं सोते? उन के इसी प्रश्न को ले कर हम ने पश्चिमी दिल्ली में अपना क्लीनिक चला रहे बालरोग विशेषज्ञ डा. अरुण कुमार सागर से बातचीत की. उन्होंने बताया, ‘‘दरअसल, हम सब के सोनेजागने का एक चक्र होता है, उसी हिसाब से हम सोते और जागते हैं. नवजात शिशु में इस चक्र के नियमित होने में समय लगता है. इसी वजह से वह अनियमित नींद लेता है. इस नियम के बनने में लगभग 6 सप्ताह लग जाते हैं और तब शिशुओें का नियमित सोनेजागने का चक्र बन जाता है.’’

बच्चे की नींद को पहचानना सीखें

सब से महत्त्वपूर्ण बात यह है कि नएनए मातापिता बने दंपती को बच्चे की नींद पहचानना आना चाहिए. नींद की 2 दशाएं होती हैं- एक कच्ची या सक्रिय नींद, जिसे वैज्ञानिक भाषा में रेम (रेपिड आई मूवमेंट) कहते हैं. दूसरी, गहरी नींद (नौन रेम). वयस्क व्यक्ति बिस्तर में जाते ही आसानी से गहरी नींद में सो जाता है. उस की गहरी नींद का चक्र 90 मिनट का होता है. इस दौरान व्यक्ति का शरीर बिलकुल स्थिर रहता है, श्वास की गति नियमित होती है, मांसपेशियां ढीली होती हैं. 90 मिनट के बाद शरीर तो सुप्त अवस्था में रहता है लेकिन मस्तिष्क जाग जाता है और काम करना शुरू कर देता है और उसे गहरी नींद से सक्रिय नींद या कच्ची नींद में ले आता है. इस दौरान बंद पलकों के अंदर पुतलियां सक्रिय हो जाती हैं. वह करवट बदलता है, सपने देखता है और कुछ देर बाद पुन: गहरी नींद में चला जाता है. सारी रात यह चक्र चलता रहता है.

इस तरह 8 घंटों की नींद में से 6 घंटे गहरी नींद में और 2 घंटे सक्रिय नींद या कच्ची नींद में बीतते हैं. लेकिन नवजात शिशु में यह चक्र 50 मिनट का होता है. वह 20-25 मिनट कच्ची नींद में रहता है और 25 मिनट गहरी नींद में. यह चक्र इसी तरह दिनरात चलता है. 6 माह की उम्र होतेहोते कच्ची नींद 30% हो जाती है.स्कूल की उम्र आतेआते बच्चे की नींद का चक्र भी 90 मिनट का हो जाता है. बच्चा जब कच्ची नींद में होता है तो मुसकराता है, हिलताडुलता है, उस की सांसें अनियमित होती हैं, मुट्ठियां कसी होती हैं. इसी कच्ची नींद में शोर से या किसी अन्य कारण  से यदि बच्चा उठ जाता है तो वह रोने लगता है और उसे फिर से सुलाना पड़ता है, तब वह गहरी नींद में जाने के लिए फिर से 20-25 मिनट का समय लेता है.

गहरी नींद आ जाने पर बच्चे जल्दी से नहीं उठते हैं, इसलिए बच्चे के सोने के 20-25 मिनट तक घर में शांति का माहौल रखना चाहिए. गहरी नींद में बच्चे बेसुध सोते हैं, उन की मुट्ठियां खुल जाती हैं, श्वास की गति नियमित हो जाती है.

नवजात शिशु (1-2 माह तक)

इस अवधि में नवजात शिशु 24 घंटों में से 10 से 18 घंटे तक सोते हैं. उन के सोनेजागने का चक्र उन की जरूरत के हिसाब से भी चलता है. शिशु को मां का दूध जल्दी हजम हो जाता है, उस का पेट भी छोटा होता है, इसलिए उसे जल्दी से भूख लग जाती है. भूख की वजह से उस की नींद खुल जाती है. उस की जरूरत को जितनी जल्दी पूरा कर दिया जाए, वह उतनी जल्दी दोबारा सो जाता है. चूंकि उस की नींद का चक्र 50 से 60 मिनट का होता है, इसलिए वह 1 घंटे या उस से पहले ही हिलनेडुलने लगता है. ऐसे समय में यदि उस की पीठ थपथपा कर, उस को अपने साथ सटा कर या लोरी गा कर अपने साथ होने का एहसास करा दिया जाए तो वह कच्ची नींद से फिर गहरी नींद में चला जाएगा. कुछ माह में वह खुद ही गहरी नींद में जाने की कला सीख जाता है. नवजात शिशु के साथ दिन में खेल कर या बतिया कर उसे कम सोने दें ताकि रात में वह अपनी नींद पूरी कर सके. रात को कमरे का वातावरण शांत रखें और जीरो वाल्ट का बल्ब जला कर धीमी रोशनी रखें.

शिशु की नींद (3-11 माह तक)

6 माह के बाद रात को उठ कर शिशु को दूध देने की आदत छुड़वा देनी चाहिए. 3 से 6 माह की आयु होने पर अधिकतर शिशु 5 घंटे लगातार सो जाते हैं. इस उम्र में रात को वे 1 या 2 बार उठते हैं. यदि शिशु रात्रि में उठ कर रोए तो कारण जानने की कोशिश करें. हमेशा यही मत सोचें कि उसे भूख ही लगी होगी. उस के रोने के कई कारण हो सकते हैं. उस के पेट मेें अफारा हो सकता है, उस की नैपी गीली हो सकती है, जुकाम से उस की नाक बंद हो सकती है, ज्यादा थकावट हो सकती है, हाथपैर में पहना कोई आभूषण चुभ रहा हो सकता है या नैपी रैशेज आदि दूसरे कारण हो सकते हैं. कारण को समझ कर यदि उस का तुरंत इलाज कर दिया जाए तो बच्चा शांत हो कर सो सकता है. सर्दियों में शिशुओं को बहुत ज्यादा गरम कपड़े पहना कर न सुलाएं. डाक्टर की सलाह से जुकाम, बुखार, गैस्ट्रिक, खांसी आदि की दवा रात को अपने बेड के पास हमेशा रखें ताकि बच्चे की तकलीफ तत्काल दूर कर सकें. सुबह होने पर बच्चे को डाक्टर के पास अवश्य ले जाएं.

बच्चा जब उनींदा हो तभी उसे गोद से उतार कर बिस्तर पर लिटा दें. ऐसा करने से बच्चा खुदबखुद गहरी नींद में सोना सीख जाता है. कुछ बच्चे उनींदी अवस्था में गोद से उतरना पसंद नहीं करते और बिस्तर पर लिटाते ही रोने लगते हैं. ऐसे बच्चों की मांओं को बच्चे के गहरी नींद में जाने की प्रतीक्षा करनी चाहिए ताकि वे बिस्तर पर लिटाने से देर तक सोते रहें. वैसे इस उम्र में उन की गहरी नींद में सोने की औसत दर बढ़ जाती है.

छोटे बच्चे की नींद (1-3 वर्ष तक)

इस पीरियड में बच्चे की नींद 12 से 14 घंटे की हो जाती है. अब बच्चे दिन में एक बार ही नींद लेते हैं. यह नींद 1 घंटे से ले कर 3 घंटे तक की हो सकती है. अब बच्चे की दिनचर्या अनुशासित कर देनी चाहिए. उसे दिन में एक निश्चित समय में सुलाएं और रात में भी उस का सोने का समय निश्चित कर दें. कुछ बच्चे डेढ़ से 2 साल के हो जाने पर भी रात को उठ जाते हैं. ऐसे बच्चों में असुरक्षा की भावना होती है, उन्हें सुरक्षित महसूस कराइए. जैसा वे चाहते हैं, कुछ देर वैसे ही उन के साथ समय बिताइए. उस के बाद वे निश्ंचत हो कर सो जाते हैं. कुछ बच्चे सोने से पहले बहुत तंग करते हैं. वे शायद अंधेरे या दुस्वप्नों के डर की वजह से ऐसा करते हैं. उन्हें लोरी गा कर, कहानी सुना कर, बातें करतेकरते सुलाएं. दिन में बच्चा ज्यादा खेल चुका हो और उसे ज्यादा थकावट हो रही हो तो उस की टांगें, बाहें दबाते हुए उसे सुलाएं. कभीकभी दांत निकलने की वजह से बच्चा सिर में भारीपन महसूस करता है, ऐसा होने पर सिर की मालिश करते हुए उसे सुलाएं.

कुछ बच्चे आप के सोने के नियमों को न मान कर स्वतंत्र रहना चाहते हैं. बारबार उन्हें सुलाने की कोशिश करने से वे चिढ़ जाते हैं और रोने लगते हैं. ऐसे बच्चों को 1-2 सप्ताह स्वतंत्र छोड़ दें, वे अपनेआप सोने लगेंगे. प्रत्येक मां अपने बच्चे के स्वभाव को पहचान कर उस के साथ वैसा ही व्यवहार करे तो मां और बच्चा दोनों खुश रहेंगे.

नवजात शिशु द्वारा रात में उठने के लाभ

जन्म के शुरू के महीनों में बच्चे की जरूरतें काफी अधिक होती हैं, लेकिन उस के पास अपनी जरूरतों को बताने के तरीके बहुत कम होते हैं. यदि वह सारी रात सोता रहेगा तो उस का नन्हा सा पेट, जो जल्दी खाली हो जाता है, उस के बारे में वह बता नहीं पाएगा. उस की भूख की जरूरत पूरी न होने से उस का विकास सही तरीके से नहीं हो पाएगा. यदि बच्चे की नाक जुकाम से बंद हो रही है और वह ठीक से सांस नहीं ले पा रहा है तो वह रो कर ही उसे व्यक्त करेगा. यदि वह सोता ही रहा तो कुछ अनिष्ट भी हो सकता है. रिसर्च यह भी बताती है कि बच्चे की कच्ची नींद में दिमाग की तरफ जाने वाला खून का दौरा दोगुना हो जाता है, जिस से नवजात के दिमाग का विकास अच्छे तरीके से होता है. इसलिए किसी दवा द्वारा या अन्य तरीके से बच्चे को एकदम गहरी नींद में सुलाना उस के दिमागी विकास में बाधक होगा. नवजात को 9 घंटे कच्ची या सक्रिय नींद लेने दें.

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