महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन का कथन – अज्ञानता से ज़्यादा अगर कुछ ख़तरनाक है तो वह घमंड है – एकदम फिट है, कम से कम देश की मौजूदा सरकार पर तो है ही. अज्ञानता के चलते ही सरकार ने अपने अभी तक के 6 वर्षों के कार्यकाल में देश की अर्थव्यवस्था को गहरे गड्ढे में पहुंचा दिया है. देश का खजाना खाली हो गया है. सत्ता व विपक्ष के राजनेताओं ने ही नहीं, बल्कि देशीविदेशी अर्थविदों ने भी भारत की जीडीपी में भारी गिरावट का अनुमान लगाया है. लेकिन, सत्ता के घमंड में चूर सरकार अपनी अज्ञानता को स्वीकार करने के बजाय ‘सबकुछ ठीक है’ की दहाड़ करती नज़र आती है. हालांकि, खाली खजाने को ले कर सरकार के भीतर खलबली है.

दुनियाभर में तेल ने हमेशा खलबली ही मचाई है. कभी इस तेल ने लोगों को झुलसाया, कभी यह संगठित आतंक का कारण बना तो कभी पानी की तरह सस्ता हो गया. तेल के दाम बढ़ते हैं तो कुछ देशों की अर्थव्यवस्थाएं डांवांडोल हो जाती हैं, जब तेल सस्ता होता है तो उन्हें राहत मिलती है.

तेल की झुलसन :

भारत हमेशा ही तेल कीमतों में आग से झुलसता रहा है. भारत का सब से बड़ा बिल तेल आयात का ही है. भारत अपनी जरूरत का 85 फीसदी तेल आयात करता है, इसलिए घटने पर भारत को फायदा होता है. यह भारत की अर्थव्यवस्था के वित्तीय घाटे और चालू खाते के घाटे के लिए फायदेमंद रहता है. भारत का व्यापार घाटा कम हो जाता है. वहीं, जब तेल की कीमतें बढ़ती हैं तो भारतीय तेल कंपनियां फ़ौरन लोगों पर बोझ डाल देती हैं.

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हैरानी यह है कि दुनिया में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का दौर जारी है, जबकि हमारे देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में आग लगी हुई है. भारत में पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में सरकार ने 16 जून को लगातार 10वें दिन बढ़ोतरी की है.

देश में तेल की कीमतों में सरकार द्वारा लगाई जा रही आग में देशवासी झुलसते जा रहे हैं. पहले ही से बेरोज़गारी बढ़ रही है, जो रोजगार से लगे हुए हैं उन की इनकम में कमी हो रही है, लौकडाउन ने देशवासियों की अलग कमर तोड़ राखी है. लेकिन सरकार को कुछ नहीं दिख रहा, उसे सिर्फ अपने खाली खजाने की चिंता है.

विपक्ष का चिट्ठी बम :

केंद्र सरकार के तेल के इस खेल से छुब्ध विपक्षी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मोदी हुकूमत पर चिट्ठी बम फोड़ा है. उन्होंने कहा है कि उन्हें, उन की पार्टी को देश की जनता की चिंता है. कोरोना वायरस संकट के बीच पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम से जनता की जेब पर पड़ रहा बोझ न्यायोचित नहीं है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखी चिट्ठी में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आरोप लगाया है कि कोरोना महामारी के संकट में लोगों की हालत ख़राब है और सरकार है कि उन लोगों से मुनाफ़ा कमाने में लगी है. सोनिया गांधी की इस चिट्ठी को कांग्रेस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया है.

ट्वीट में लिखा गया है कि सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी से आग्रह किया है कि तेल की बढ़ी हुई क़ीमतें तुरंत कम की जाएं और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दामों में आई कमी का लाभ नागरिकों को दिया जाए.

गिरते दाम, बढ़ती कीमत :

बता दें कि अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल के दामों में कमी आने के बावजूद देश में आज लगातार 10वें दिन पेट्रोल-डीजल की क़ीमतें बढ़ीं. दिल्ली में 16 जून को पेट्रोल का दाम बढ़ कर 76.73 रुपए प्रति लीटर हो गया और डीजल का दाम 75.19 रुपए प्रति लीटर पर पहुंच गया है. मुंबई में अब पेट्रोल 83.62 रुपए प्रति लीटर और डीजल 73.75 रुपए प्रति लीटर हो गया है. वहीं, चेन्नई में पेट्रोल 80.37, डीजल 73.17, कोलकाता में पेट्रोल 78.55 और डीजल 70.84 रुपए प्रति लीटर पहुंच गया.

उधर, 15 जून को कच्चे तेल की क़ीमत इंटरनेशनल मार्केट में क़रीब 2 फ़ीसदी से ज़्यादा गिर गई. इस से कच्चा तेल 35 डौलर प्रति बैरल के क़रीब आ गया है. वहीं, ब्रेंट क्रूड भी 1.7 फ़ीसदी गिर कर 38.07 डौलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है.

इन्हीं गिरावटों की तरफ़ संकेत कर सोनिया ने चिट्ठी में लिखा है, “मुझे इस में कोई तर्क नहीं दिखाई देता है कि सरकार ऐसे समय में इतनी क़ीमतवृद्धि पर विचार क्यों करेगी जब कोविड-19 का आर्थिक प्रभाव लाखों लोगों को नौकरियों और आजीविका से वंचित कर रहा हो, व्यवसाय को तबाह कर रहा हो, मध्यवर्ग की आय को तेज़ी से घटा रहा हो, यहां तक कि किसान खरीफ सीजन की फ़सल बोने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.”

देशवासियों से खेल करती सरकार :

सोनिया ने लिखा, “यह देखते हुए कि पिछले हफ्ते की तुलना में कच्चे तेल की अंतर्राष्ट्रीय कीमत में लगभग 9 फीसदी की गिरावट आई है, सरकार अपने लोगों से मुनाफा कमाने में कोई कमी नहीं कर रही है, जबकि उन की स्थिति ख़राब है.”

कांग्रेस अध्यक्ष ने साफ़साफ़ लिखा कि सरकार क़ीमतें बढ़ाने की अनैतिक हरकत कर करीब 2 लाख 60 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त राजस्व अर्जित करने की कोशिश कर रही है. उन्होंने लिखा कि लोगों पर एक अतिरिक्त बोझ डालना न तो तर्कसंगत है और न ही उचित.

सोनिया ने कहा कि पिछले 6 वर्षों में तेल की क़ीमतों के ऐतिहासिक रूप से कम होने के बावजूद 12 अलगअलग अवसरों पर पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में वृद्धि से सरकार ने तकरीबन 18 लाख करोड़ रुपए कमाए हैं.

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कम हुई खपत :

बता दें कि लौकडाउन की वजह से भारत में कच्चे तेल की ख़पत 70 प्रतिशत कम हो गई है. इस की वजह यह है कि परिवहन के सभी तरह के साधन और कई तरह की तेलआधारित आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह ठप हो गई हैं.

ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के मुताबिक़, भारत में कच्चे तेल की रोज़ाना खपत में 31 लाख बैरल की कमी आई है.

लौकडाउन के पहले ही कच्चे तेल की खपत में कमी होनी शुरू हो गई थी क्योंकि अर्थव्यवस्था में सुस्ती आ गई थी, डीज़ल की मांग कम हो गई थी, जेट फ्यूल की मांग घट कर एकतिहाई हो गई थी और गैसोलीन की मांग में 17 प्रतिशत की कमी आ गई थी.

मालूम हो कि भारत सरकार ने लौकडाउन के दौरान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम कम होने का फ़ायदा उठाते हुए अपनी  क्षमता से अधिक तेल स्टोर कर लिया था, लेकिन इस का फ़ायदा आम लोगों को नहीं दिया. वह तो अपनी अज्ञानता के चलते जो सरकारी खजाना खाली कर डाला था, उसे किसी भी तरह भरने की जुगत में लगी है. घमंड में डूबी सरकार को देशवासियों की कोई फ़िक्र नहीं है. सरकार का मुखिया अपने पांच ट्रिलियनी सपने के चक्कर में है, जो पूरा होना मुमकिन नहीं दिख रहा.

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