Public Toilets : होस्टल में रहने वली 21 वर्षीय इशिता को एक दिन तेज बुखार आया. उसे इतनी कमजोरी थी कि चल कर डाक्टर के पास पहुंचना मुश्किल हो रहा था. उस की सहेली उसे सहारा दे कर डाक्टर के पास ले गई. जांच से पता चला कि उसे यूरिनरी ट्रेक इन्फैक्शन यानि यूटीआई की समस्या है. कई दिनों की इलाज के बाद वह ठीक हो पाई. इशिता को इस इन्फैक्शन के होने की वजह होस्टल में गंदे टौयलेट के प्रयोग से है.
डाक्टर ने उसे कई प्रकार की सावधानियां बरतने की सलाह दी हैं, जिस में टौयलेट जाते समय एक बालटी साफ पानी से टौयलेट को साफ कर लेना है.
असल में घर से बाहर होस्टल हो या मौल या किसी अन्य स्थान पर जब आप जाते हैं, तो अकसर सार्वजनिक शौचालय का उपयोग करना पड़ता है, ऐसे में टौयलेट कितना साफ है, इस में किसी बीमारी की बैक्टीरिया या वायरस के ब्रीडिंग ग्राउंड है या नहीं, पता लगाना संभव नहीं होता.
ऐसे में महिलाओं के लिए यूरिनरी और जैनिटल क्षेत्रों में संक्रमण के बढ़ने का खतरा होता है. इस रिस्क को देखते हुए सार्वजनिक शौचालयों में जाने से पहले उस की हाइजीनिक कंडीशन को देख लेना जरूरी होता है, जो आप के वश में नहीं होता, ऐसे में किसी प्रकार की बीमारी से बचने के लिए खुद ही कुछ उपाय करनी पड़ती है, ताकि किसी भी प्रकार की बीमारी से खुद को बचाया जाए, क्योंकि समय रहते अगर इन बीमारियों को न रोका जाए, तो बाद में यही बीमारियां गंभीर रूप ले लेती हैं.
सार्वजनिक टौयलेट से होने वाली बीमारियां
इस बारें में मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हौस्पिटल के कंसल्टैंट, यूरोलौजिस्ट और रीनल ट्रांसप्लांट सर्जन डाक्टर श्याम वर्मा कहते हैं कि सार्वजनिक टौयलेट से होने वाली बीमारियां आम हैं, इसलिए हर महिला को इस के लिए जागरूक होने की जरूरत है, ताकि किसी प्रकार की यूरिन संबंधी बीमारियों से बचा जा सके.
डाक्टर आगे कहते हैं कि सार्वजनिक शौचालयों में बैक्टीरिया, वायरस और फंगी जैसे खतरनाक रोगाणु हो सकते हैं, इन से महिलाओं को होने वाले संक्रमण निम्न हैं :
- यूरिनरी ट्रैक्ट संक्रमण (UTIs) में अकसर ईकोलाई जैसे बैक्टीरिया होते हैं, जो मूत्रमार्ग पर आक्रमण करते हैं. तब यूटीआई होने की संभावना होती है. इस के लक्षण हैं पेशाब करते समय जलन, बारबार पेशाब आना और पेट के निचले हिस्से में दर्द होना वगैरह.
- कैंडीडिओसिस जैसे फंगल संक्रमण गंदे सतहों के संपर्क में आने से हो सकते हैं, इस से बचना जरूरी होता है. इस के लक्षण खुजली, जलन और अत्यधिक दुर्गंधयुक्त स्राव होता है.
- बैक्टीरियल वैजिनोसिस ऐसी बीमारी है, जो अधिकतर हानिकारक रोगाणु के संपर्क में आने से वेजाइना में बैक्टीरिया का असंतुलन हो सकता है, जिस के परिणामस्वरूप वैजिनोसिस हो सकता है, जिस में मछली जैसी गंध आना, स्राव होना और दर्द होता है.
- योनी से फैलने वाले संक्रमण (STIs) के अंतर्गत शरीर के फ्लूइड से दूषित सतहें हर्पीज या ट्राइकोमोनिएसिस जैसे संक्रमण फैला सकती हैं, हालांकि यह बहुत कम देखा गया है.
रिस्क फैक्टर
सार्वजनिक शौचालय से संक्रमण का जोखिम भी कई कारकों पर निर्भर करता है, मसलन शौचालय की सफाई, विषाणुजनक रोगजनकों की उपस्थिति और व्यक्तिगत स्वच्छता की आदतों में कमी होना है.
हालांकि एसटीआई जैसे गंभीर संक्रमण कम होते हैं, लेकिन यूटीआई और फंगल संक्रमण के मामले अधिक देखने को मिलते हैं. स्त्रियों की योनि बहुत अधिक संवेदनशील होती है, क्योंकि उन का मूत्रमार्ग मलद्वार के करीब होता है, इसलिए बैक्टीरिया आसानी से बहते हैं और उस भाग को संक्रमित करते हैं.
क्या है इलाज
सार्वजनिक शौचालय में जाने से संक्रमण होने पर तुरंत डाक्टर से परामर्श करना चाहिए, ताकि संक्रमण की प्रकृति के अनुसार उपचार किया जा सके, यूटीआई
संक्रमित बैक्टीरिया को हटाने के लिए आमतौर पर ऐंटीबायोटिक्स दिए जाते हैं. ऐंटीबायोटिक शुरू करने के 1-2 दिनों के भीतर लक्षण ठीक हो जाते हैं। लगभग 1 सप्ताह में संक्रमण पूरी तरह से ठीक हो जाता है.
फंगल इन्फैक्शन
संक्रमण को ठीक करने के लिए ऐंटीफंगल क्रीम, सपोसिटरी या ओरल पिल्स दी जाती हैं. ऐंटीफंगल थेरैपी से मामूली मामले 3 से 7 दिनों में ठीक हो जाते हैं.
बैक्टीरियल वैजिनोसिस
सामान्य योनि बैक्टीरिया संतुलन को वापस लाने के लिए ऐंटीबायोटिक्स या ऐंटीमाइक्रोबियल जैल दिए जाते हैं. उपचार शुरू करने के कुछ दिनों के भीतर लक्षण ठीक हो जाते हैं, लेकिन समस्या फिर से हो सकती है, इसलिए हमेशा सावधान रहने की जरूरत होती है.
इस प्रकार इस के ठीक होने की अवधि संक्रमण के प्रकार और गंभीरता पर आधारित होती है.
सावधानियां
डाक्टर श्याम बताते हैं कि किसी प्रकार की संक्रमण को ठीक होने में समय लगता है और रोकथाम इलाज से बेहतर होता है. इसलिए जब भी आप बाहर जाएं कुछ सावधानियां जरूर बरतें, ताकि ऐसे इन्फैक्शन न हों.
सार्वजनिक शौचालय का उपयोग करते समय बरती जाने वाली सावधानियां इस प्रकार हैं :
- स्वच्छ शौचालय चुनें, जो अच्छी जगहों पर अच्छी तरह से रखे गए हों, गंदे या खराब तरीके से रखे गए शौचालयों का उपयोग न करें.
- यदि टौयलेट सीट कवर उपलब्ध है, तो उस का उपयोग करें, यदि नहीं, तो अपनी त्वचा और सीट के बीच अवरोध की तरह सीट पर टौयलेट पेपर की एक परत रख लें.
- जब भी बाहर जाएं, अपने साथ कीटाणुनाशक वाइप्स साथ रखें, जिसे टौयलेट सीट, फ्लश हैंडल और दरवाजे के हैंडल को उपयोग करने से पहले अच्छी तरह से पोंछ लें, इस से कोरोना वायरस जैसे खतरनाक रोगाणुओं के संपर्क में आने की संभावना कम हो जाती है.
- हमेशा डिस्पोजेबल टौयलेट सीट कवर पर बैठें या सीट को टौयलेट पेपर से ढकें. फ्लश हैंडल या दरवाजे को छूते समय अपने हाथ को ढंकने के लिए टौयलेट पेपर का उपयोग करें.
- मलद्वार से मूत्रमार्ग या योनि पर बैक्टीरिया फैलने से बचने के लिए आगे से पीछे की ओर पोंछें.
- शौचालय जाने के बाद कम से कम 20 सैकंड के लिए साबुन और पानी से अपने हाथ धोएं. यदि साबुन और पानी उपलब्ध नहीं हैं, तो कम से कम 60% अल्कोहलयुक्त हैंड रब का उपयोग करें.
- व्यक्तिगत स्वच्छता आइटम्स अपने साथ लाना न भूलें। अपने बैग में एक छोटी किट लाएं, जिस में तत्काल उपयोग के लिए हैंड सैनिटाइजर, कीटाणुनाशक वाइप्स और टिश्यू जैसी जरूरी चीजें होने चाहिए.
- फर्श से कीटाणुओं से बचने के लिए अपने पर्स या बैग को हुक पर टांग लें या अपने हाथ में रखें.
- खुद को हमेशा हाइड्रेटेड रखना बहुत जरूरी होता है, ऐसे में बहुत पानी पीने से आप के यूरिनरी ट्रैक्ट से बैक्टीरिया बाहर निकल जाते हैं, जिस से यूटीआई का खतरा कम हो जाता है.
- अधिक समस्या होने पर डाक्टर की सलाह तुरंत लें, ताकि बीमारी गंभीर रूप न लें. इन बीमारियों में घरेलू उपचार कभी कामयाब नहीं होते, बल्कि रोग बढ़ते जाते हैं.
सार्वजनिक शौचालय से दूर रहना संभव नहीं होता है, लेकिन कुछ सरल सावधानियां संक्रमण को काफी हद तक रोक सकती हैं. जागरूक रहने और उचित स्वच्छता रखने से महिलाएं सार्वजनिक शौचालय के उपयोग की परेशानी और स्वास्थ्य परिणामों से सुरक्षित रह सकती हैं. देखा जाए तो आप का स्वास्थ्य आप के हाथों में है, इसलिए जागरूक रहें, तैयार रहें और स्वस्थ रहें.