29 फरवरी, 2016 मास्को के एक मैट्रो स्टेशन, औक्याब्रस्कोर पोल के पास का एक दृश्य. करीब 40 वर्षीय बुरका पहनी एक महिला ने बेरहमी से 3-4 साल की बच्ची का कटा सिर बालों से पकड़ रखा था. वह बीचबीच में ‘अल्लाह हो अकबर’ चिल्लाते हुए कह रही थी कि अल्लाह ने उसे ऐसा करने को कहा है.

बाद में पुलिस ने महिला को गिरफ्तार कर लिया और बच्ची का सिर कटा शरीर पास के एक जलते फ्लैट से बरामद किया.

जी बोबोकुलोवा नामक इस हृदयविहीन महिला की उस बच्ची से कोई ज्यादती दुश्मनी नहीं थी. वह तो बच्ची की बेबीसिटर थी. दरअसल, वह अपने पति द्वारा की गई बेवफाई से क्षुब्ध थी.

रोंगटे खड़े करने वाली इस घटना से यह तो साफ है कि देश हो या विदेश, घर में भी अपनी बच्ची को अकेली या आया के पास छोड़ना खतरे से खाली नहीं.

11 अक्तूबर, 2015 को 4 साल की बच्ची दिल्ली के केशवपुरम में बलात्कार का शिकार बनी. दरिंदगी की हद यह कि उस मासूम के चेहरे पर ब्लेड से कई वार किए गए. यह वारदात बच्ची के घर से महज 50 मीटर की दूरी पर हुई.

इस घटना से कुछ दिन पूर्व, 11 अगस्त, 2015 को दिल्ली के ओखला इलाके में एक 8 साल की बच्ची से बलात्कार करने के बाद उसे मारने का प्रयास किया गया. सोचने वाली बात यह है कि यह कुकृत्य किसी अजनबी ने नहीं वरन स्वयं उस के रिश्तेदार ने किया.

मासूम, निरीह बच्चियां ही नहीं, पढ़ीलिखी, ऊंचे ओहदेदार, परिपक्व महिलाएं व लड़कियां भी सुरक्षित नहीं हैं. घर, बाहर, अकेले या भीड़ में, कहीं भी उन के साथ कुछ भी गलत हो सकता है.

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