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तृप्ति  बहुत अच्छी तरह तैयार हुई थी. स्लीवलैस, बास्डी हगिंग ब्लू ड्रैस और खुले लंबे स्ट्रेट बालों में उस का आकर्षण और बढ़ गया था. वह बेसब्री से अपने प्रेमी और लिव इन पार्टनर अमित के आने का इंतजार कर रही थी. आज अमित को तरक्की मिली थी और वह इस दिन को खास अपने अंदाज में सैलिब्रेट करने वाली थी.

तभी दरवाजे की घंटी बजी. तृप्ति ने इठलाते हुए दरवाजा खोला. अमित ने एक ?ाटके से तृप्ति को अपनी बांहों में उठाया और दरवाजा बंद कर उसे ले कर बैडरूम में आ गया.

तृप्ति ने अमित के होंठों को चूमते हुए कहा, ‘‘बधाई हो जान.’’

अमित ने उसे अपने करीब खींचते हुए कहा, ‘‘क्या केवल बधाई से काम चलाने का इरादा है? अपनी चाहतों के फूल भी तो बरसाओ.’’

फिर दोनों एकदूसरे की बांहों में खो गए. तृप्ति ने आज अमित को हर तरह से तृप्त कर दिया. वैसे यह पहली बार नहीं था. पिछले 8 महीनों से दोनों लिव इन में रह रहे थे. तनमन से तृप्ति अमित की थी. उस की खुशी में अपनी खुशी देखती. उस के सपनों को अपने सपने मानती. उस की चाहत को अपनी जिंदगी मानती. दोनों देर तक एकदूसरे में खोए रहे. तभी अमित के औफिस से फोन आ गया. वह बात करने लगा. इधर तृप्ति उठ कर बाथरूम चली गई. लौटी तो अमित ने उसे पकड़ कर मिरर के सामने खड़ा कर दिया.

उस के बदन पर जो 1-2 कपड़े बाकी थे उन्हें भी हटाता हुआ बोला, ‘‘जरा गौर से खुद को देखो तृप्ति. यह संगमरमर की तरह तरासा हुआ कोमल बदन, यह दूध सा गोरा रंग, यह काली घटाओं से केशुओं का घना जाल, ये कातिल निगाहें, ये सुर्ख होंठ. कोई तुम्हें एक बार देखे तो मदहोश हो जाए.’’

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