Wrinkles: आजकल बहुत कम उम्र में चेहरे पर झुर्रियां आने लगती हैं. इस की वजह स्ट्रैस, धूप, प्रदूषण, धूम्रपान और खराब लाइफस्टाइल शामिल हैं. इस के अलावा कुछ लोगों में झुर्रियां आने की प्रवृत्ति आनुवंशिक भी हो सकती है. पहले 50 की उम्र के बाद चेहरे पर झुर्रियों के संकेत नजर आते थे, लेकिन अब 30 की उम्र से ही त्वचा बूढ़ी दिखने लगती है.
ब्यूटी ऐक्सपर्ट का मानना है कि बढ़ता प्रदूषण, तनाव, खानपान में गलतियां, सोनेउठने का गलत समय, ऐसी कई वजहें हैं जो हमें वक्त से पहले किसी व्यक्ति को वयस्क बना देती है. अगर समय रहते स्किन का सही ध्यान रखा जाए और लाइफस्टाइल में सुधार किया जाए, तो बढ़ती उम्र के संकेतों को रोका जा सकता है.
हालांकि उम्र का बढ़ना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, लेकिन आप चाहें तो इसे कुछ सालों के लिए रोक सकते हैं, जिस में खास रिंकल्स को रोकना होता है. इस में पौष्टिक आहार, भरपूर पानी, हैल्दी लाइफस्टाइल, पर्याप्त नींद और नियमित योग व ऐक्सरसाइज इसे रोकने में काफी हद तक मददगार होते हैं.
उम्र बढ़ने की वजह से त्वचा का पतला होना और कोलेजन और इलास्टिन की कमी होना स्वाभाविक है. इस के अलावा, धूप में ज्यादा रहना, धूम्रपान, प्रदूषण, बारबार चेहरे के भाव (जैसे मुसकराना या आंखें सिकोड़ना) और आनुवंशिकी भी झुर्रियों के लिए जिम्मेदार हैं.
इस बारे में इंदौर के कोकिलाबेन धीरुभाई अंबानी अस्पताल की डर्मेटोलौजिस्ट, डा. शीना कपूर कहती हैं कि उम्र के साथ त्वचा में कई प्रकार के बदलाव आने लगते हैं, जिन में सब से प्रमुख होता है रिंकल्स (झुर्रियों) का बनना. यह एक अनिवार्य जैविक प्रक्रिया है, जो हर महिला की त्वचा में समय के साथ दिखाई देती है, लेकिन कम उम्र में किसी को रिंकल्स आने पर वह दुखी हो जाता है.
आइए, जानते है रिंकल्स है क्या और इस का इलाज क्या है :
रिकल्स का कौमन नाम है झुर्रियां. रिंकल्स पतली या गहरी रेखाएं होती हैं, जो त्वचा की सतह पर बन जाती हैं. ये 2 प्रकार के होते हैं :
-फाइन रिंकल्स : छोटी और कम गहराई वाली रेखाएं होती हैं.
-कोर्स रिंकल्स : इन की चौड़ाई और गहराई अधिक होती है, सामान्यतया 1 मिमी से अधिक होती है.
रिंकल्स होने के प्रमुख कारण
-फिजिकल कारक
-उम्र के साथ कोलेजन और इलास्टिन प्रोटीन की मात्रा घटती है, जिस से त्वचा की इलास्टिसिटी कम होती जाती है.
-मेनोपौज के बाद ऐस्ट्रोजन स्तर में गिरावट से त्वचा रुखी और ढीली हो जाती है.
बाहरी कारक
-यूवी रेडिएशन की वजह से धूप में अधिक समय बिताने से त्वचा को फोटो डैमेज होता है.
-लाइफस्टाइल भी इस के लिए कम जिम्मेदार नहीं. धूम्रपान, शराब, तनाव और असंतुलित आहार रिंकल्स को तेजी से बढ़ाते हैं.
-इस के अलावा विटामिन, प्रोटीन और मिनरल्स की कमी भी त्वचा की सेहत को प्रभावित करती है.
जैनेटिक्स का होता है खास प्रभाव
जैनिटिकली विदेशी वूमन से भारतीय स्त्रियों में रिंकल्स का देर से दिखने की खास वजह यहां त्वचा में मेलानिन की मात्रा अधिक होना है, जो प्राकृतिक सुरक्षा कवच का काम करती है. यह उन्हें सूर्य की हानिकारक किरणों से फोटो डैमेज और स्किन कैंसर से बचाती है. इसी कारण भारतीय महिलाओं में रिंकल्स अपेक्षाकृत देर से और कम दिखाई देते हैं.
ऐंटी एजिंग थेरैपी और स्किन केयर
आज के समय में झुर्रियों को रोकने या कम करने के लिए कई प्रकार की ऐंटी एजिंग थेरैपीज उपलब्ध हैं, जो निम्न हैं :
-डेली स्किन केयर रूटीन : इस में सनस्क्रीन का काफी सहयोग होता है, एसपीएफ 30 या उस से अधिक सनस्क्रीन रोजाना लगाएं, भले ही आप घर के अंदर हों.
-माइल्ड क्लींजर और मोइस्चराइजर को अपनी त्वचा के प्रकार के अनुसार चुनें, ताकि स्किन बैरियर सुरक्षित रहे.
-टौपिकल ऐंटी औक्सीडैंट्स का प्रयोग कर सकते हैं, जैसे विटामिन सी, कौपर पेप्टाइड, क्रिएटिनिन और अल्फा हाइड्रौक्सी एसिड्स वाले सीरम त्वचा को पुनर्जीवित करने में मदद करते हैं, लेकिन ध्यान रखें कि किसी भी प्रोडक्ट के प्रयोग से पहले डर्मेटोलौजिस्ट की सलाह अवश्य लें.
ऐडवांस्ड कौस्मेटिक प्रोसीजर्स
डाक्टर कहती हैं कि ऐडवांस्ड कौस्मेटिक प्रोसीजर्स का भी प्रयोग डाक्टर की सलाह से ही करें, मसलन :
- बोटोक्स के प्रयोग से एसिटाइलकोलाइन को अवरुद्ध कर के मांसपेशियों को रिलैक्स करता है, जिस से झुर्रियां कम दिखती हैं.
- फिलर्स का काम गहरी झुर्रियों में भराव लाने के लिए प्रभावी होता है.
- कैमिकल पील्स में त्वचा की ऊपरी परत हटा कर नई, चिकनी त्वचा को उभरने में मदद करते हैं, इसे भी किसी ऐक्सपर्ट की सलाह से ही कराएं.
- लेजर थेरैपी (CO₂ Laser) में कोलेजन उत्पादन बढ़ा कर त्वचा को टाइट और स्मूद बनाता है.
- रेडियोफ्रीक्वैंसी थेरैपी एक नौन-इनवेंसिव तरीका है, जो फेसलिफ्टिंग और रिंकल रिडक्शन में मदद करता है.
- वैंपायर फेसलिफ्ट में रोगी के रक्त से प्लाज्मा निकाल कर चेहरे में इंजैक्ट किया जाता है, जिस से ग्रोथ फैक्टर्स फाइनलाइंस और स्किन टैक्स्चर को सुधारते हैं.
लाइफस्टाइल मौडिफिकेशन
संतुलित आहार लेने से भी रिंकल्स को कुछ हद तक रोका जा सकता है. ग्रीन वैजिटेबल्स, सीजनल फ्रूट्स और ऐंटी औक्सीडेंट से भरपूर भोजन झुर्रियों के लिए फायदेमंद है.
इस के अलावा पर्याप्त पानी पीएं. शरीर को हाइड्रेटेड रखें और त्वचा की चमक बनाए रखें. नियमित वर्कआउट और ऐक्सरसाइज करें, ताकि ब्लड सरकुलेशन बढ़े और स्किन की ग्लो बनी रहे.
मेकअप का सहारा
अगर आप के चेहरे पर थोड़ी झुर्रियां आ गई हों, तो मेकअप का सहारा ले सकती हैं, जो आप को फ्रैश फील करवाएगा. मसलन :
-हमेशा नौन-कौमेडोजैनिक और कैमिकल फ्री प्रोडक्ट्स का चयन करें.
-सोने से पहले चेहरा अच्छी तरह साफ करें.
-मेकअप से पहले मोइस्चराइजर जरूर लगाएं.
-रिंकल्स आजकल हर उम्र की स्त्रियों में दिखने लगा है, जो पहले उम्रदराज के ही होते थे, लेकिन सही स्किनकेयर, संतुलित आहार और वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित ऐंटी-एजिंग थेरैपीज से इन्हें काफी हद तक रोका और नियंत्रित किया जा सकता है.
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