आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस हमारे सबसे जरूरी डॉक्‍यूमेंट होते हैं. अगर ये खो जाएं तो हमें कई तरह की दिक्‍कतों का सामना करना पड़ता है. कई बार चोरी हुई हमारी आइडी का गलत इस्‍तेमाल हो जाता है, जिसके चलते हम कानूनी पचड़ों में भी फंस जाते हैं.

रजिस्टर कराएं एफआईआर

आईडी चोरी होने या खाने के बाद सबसे पहले एफआईआर दर्ज कराएं. आईडी चोरी होने पर आईटी एक्ट के तहत केस दर्ज कराया सकता है. पुलिस स्टेशन में मौजूद इंस्पेक्टर रैंक का अधिकारी आपकी एफआईआर दर्ज करेगा.

अगर कोई व्यक्ति पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करने की स्थिति में नहीं है तो वह स्टेट पुलिस की वेबसाइट पर जाकर भी कंप्लेंट लिखा सकता है. वेबसाइट पर कंप्लेंट करने के बाद उसका प्रिंटआउट जरूर अपने पास रखें. ऐसा इसलिए क्योंकि अगर भविष्य में आप किसी तरह से पकड़े जाते हैं तो आपको पुलिस परेशान नहीं करेगी.

स्‍टेप-1

रजिस्टर कराएं एफआईआर

– आईडी चोरी होने पर आईटी एक्ट के तहत केस दर्ज कराया सकता है.

– पुलिस स्टेशन में मौजूद इंस्पेक्टर रैंक का अधिकारी आपकी एफआईआर दर्ज करेगा.

स्‍टेप-2

दर्ज कराएं ऑनलाइन शिकायत

-अगर आप सीधे थाने में जाकर आईडी खोने की शिकायत दर्ज कराने की स्थिति में नहीं है तो स्‍टेट पुलिस की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराएं.

– ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराने बाद आप इसका प्रिंट आउट लेना नहीं भूलें.

– चोरी हुई आईडी का किसी और की ओर से गलत इस्‍तेमाल होने के स्थिति में आप यह प्रिंट आउट तुरंत पुलिस को दिखाएं.

– इससे आप किसी भी कानूनी पचड़ें में फंसने से बच जाएंगे.

स्‍टेप-3

रिव्यू करें अपनी पर्सनल डिटेल्स

– आईडी खोने के तुरंत बाद अपने बैंक और अन्य जगह पर भी शिकायत दर्ज कराएं और डिटेल्स को चेंज करने की कोशिश करें.

– इसमें आप अपना फोन नंबर और ईमेल आईडी चेंज कर सकते हैं एवं डेबिट-क्रेडिट कार्ड को ब्लॉक करवा कर नया कार्ड बनवा सकते हैं.

– हालांकि आधार कार्ड और पैन कार्ड की डिटेल्स को चेंज नहीं किया जा सकता है, लेकिन आप इनके लिए संबंधित अथॉरिटी को भी अपनी शिकायत भेज सकते हैं.

स्‍टेप- 4

गूगल पर लगाएं अपने नाम का अलर्ट

– गूगल पर ऐसे लोग अपने नाम को एलर्ट के रूप में सेव कर सकते हैं.

– इससे यह पता चल जाएगा कि आपके नाम का प्रयोग इंटरनेट पर कहीं कोई गलत तरीके से तो इस्तेमाल नहीं कर रहा है.

– अगर ऐसा है तो आप उसको आसानी से पकड़ सकते हैं.

– इसके साथ ही आप गूगल पर या किसी अन्य क्लाउड सर्विस पर अपने डाटा का बैकअप रख सकते हैं.

– सरकार की तरफ से भी डिजिलॉकर दिया गया है जहां पर डॉक्युमेंट्स की डिटेल्स को सुरक्षित तरीके से सेव किया जा सकता है.

साइबर क्राइम होती है आइडेंटिटी की चोरी

आइडेंटिटी की चोरी साइबर क्राइम के अंतर्गत आती है. यह तब होता है जब कोई और व्यक्ति आपके डॉक्युमेंट्स का इस्तेमाल लोन, क्रेडिट कार्ड, बैंक अकाउंट, मोबाइल या गैस का कनेक्शन लेने के लिए करता है. इसके अलावा इन डॉक्युमेंट्स का इस्तेमाल ऑनलाइन शॉपिंग के लिए भी किया जाता है. आईटी एक्ट के सेक्शन 66सी के अंतर्गत आईडेंटिटी चोरी करने वाले व्यक्ति को 3 साल तक की सजा हो सकती है और 1 लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...