टीवी इंडस्ट्री छोड़ने के बाद ऐसी दिख रही हैं Anupama की नंदिनी, फोटोज वायरल

सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupama) टीवी के हिट सीरियल्स में से एक हैं. वहीं इस सीरियल से जुड़े सितारे भी घर-घर में फेमस हो गए हैं. हालांकि कुछ सितारों ने सीरियल को अलविदा भी कहा है, जिनमें नंदिनी का किरदार निभाने वाली अनघा भोसले (Anagha Bhosale) का नाम भी शामिल हैं. हालांकि फैंस उनका टीवी पर आने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. इसी बीच एक्ट्रेस ने टीवी इंडस्ट्री छोड़ने के बाद अपनी नई लाइफ की कुछ फोटोज शेयर की हैं, जिसे देखकर फैंस हैरान रह गए हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

सिंपल जिंदगी जी रही हैं अनघा

बीते दिनों टीवी की दुनिया को छोड़कर धर्म की राह पर चलने वाली एक्ट्रेस ने हाल ही में अपने औफिशियल सोशल मीडिया अकाउंट पर  कुछ फोटोज शेयर की हैं, जिसमें वह ग्लैमर लुक छोड़कर सिंपल साड़ी में नजर आ रही हैं. वहीं फैंस एक्ट्रेस का ये लुक देखकर हैरान नजर आ रहे हैं और सीरियल में दोबारा लौटने की बात करते नजर आ रहे हैं. दरअसल, फोटोज में अनघा श्रीकृष्ण को आम खिलाने की तैयारी करते हुए नजर आ रही हैं. वहीं एक्ट्रेस के को स्टार रह चुके एक्टर पारस कलनावत मजाक करते हुए कमेंट में लिख रहे हैं कि 1 किलो आम उनके घर भी भिजवा दें.

कुछ ऐसे जी रही हैं अनघा

ग्लैमर की दुनिया को अलविदा कहने वाली अनघा आम जीवन जी रही हैं, जिसकी अपडेट वह फैंस के साथ शेयर कर रही हैं. बीते दिनों एक्ट्रेस ने अपनी कुछ फोटोज शेयर की थीं, जिसमें वह गाय के तबेले में बछड़े को प्यार करती हुई नजर आईं थीं. इसके अलावा वह बच्चों को प्यार करते हुए भी दिखीं थीं.

सीरियल में होगा शादी सेलिब्रेशन

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Anupama serial (@anupama_serial.04)

सीरियल के लेटेस्ट ट्रैक की बात करें तो अनुपमा की सगाई की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. वहीं पूरा परिवार बेहद खुश नजर आ रहा है. हालांकि वनराज, अनुपमा की खुशियों को बर्बाद करने की प्लानिंग करता नजर आ रहा है. अपकमिंग एपिसोड में अनुपमा की शादी की रस्में शुरु होते हुए नजर आने वाली हैं, जिसका फैंस बेसब्री से इंतजार करते दिख रहे हैं. हालांकि वनराज इन खुशियों में कौनसा जहर घोलेगा यह देखने लायक होगा.

ये भी पढ़ें- GHKKPM: सई करेगी प्यार का इजहार तो पाखी और भवानी को लगेगा झटका

नकल से काम नहीं चलेगा

हिंदी का मुंबई सिनेमा जिसे बौलीवुड कहा जाता है अब दक्षिण की फिल्मों से डरा हुआ लगता है क्योंकि एक के बाद एक कई दक्षिण में बनी और हिंदी में सिर्फ डब हुई फिल्में सफल हुई हैं. पहले दक्षिण की सफल फिल्मों की उत्तर भारतीय सितारों के साथ नए सिरे से बनाया जाता था पर अब केवल साउंड ट्रैक और कुछ एडििटग से बढिय़ा काम चल रहा है. अल्लू अर्जुन की  ‘पुष्पा : द राइज’,  ‘आरआरआर’,  ‘बहुबली : द बिगिनग’,  ‘साहू,’  ‘बहुबली-2’ ने अच्छा पैसा हिंदी में कमाया और इस दौरान बौलीवुड की फिल्में बुरी तरह पिटी.

असल में एक कारण है कि हिंदी फिल्म निर्माताओं की जो पीढ़ी आज बौलीवुड पर कब्जा किए हुए है वह अनपढ़ है, जी हां, अनपढ़. अंग्रेजी माध्यम स्कूलों से रेव पाॢटयों और रैिसग कोर्स में घूमने वाले बच्चे अब एडल्ट हो गए हैं और एक्टर प्रोड्यूसर पिता से फिल्म बिजनैस तो संभाल लिया पर वह जमीनी हकीकत नहीं पाई जिस में वे पलेबड़े थे और जिस जमीन में वे कणकण के वाकिफ थे. आज के युवा निर्माता पार्टी गो भर और विदेशों में रहने वाले हो गए हैं और भारत की जनता का दर्द और समस्याएं जरा भी नहीं समझते.

दक्षिण में जाति और वर्ग का भेद नहीं है, ऐसा नहीं है पर फिर भी वहां ज्यादातर फिल्म निर्माता पिछड़ी जातियों के दर्द को खुद झेल चुके हैं या समझ सकते हैं वे अंधभक्त जरूर हैं क्योंकि वे भी लौजिक, फैक्ट और एनेलिसिस की जगह पूजापाठ में भरोसा करते हैं पर रिएलिटी जानते और समझते हैं.

मुंबई के ऊचे मकानों में रहने वाले नीचे की झोपड़ी बस्तियां देखते हैं पर उन पर वे गुस्सा नहीं होते हैं कि शहर को क्यों घेरे हुए हैं, उन की सामाजिक, आॢथक व धाॢमक सोच के बारे में एबीसी ने जानते हैं और न जानना चाहते हैं. उन के लिए वे ग्राहक हैं पर कंगाल ग्राहक. उन के असल ग्राहक वे हैं जो एजि कमरों में ओमीटी पर फिल्में देखते हैं या विदेश में रह कर भारतीय संस्कृति पर हाउिलग अपने हो या शिएटर में करते हैं.

मुंबई की सिनेमा संस्कृति ने मल्टीप्लैक्स बना कर फिल्मों को आम आदमी से दूर कर दिया है, ….भी व्यायाम हो गई, उस आडियंस के सबजैक्ट भी. दक्षिणी फिल्मों में जंगल भी हैं. गरीबी भी है, गरीबों के प्रति वौयलैंस भी, क्लास डिस्क्रीमिनेशन भी है, गरीब की अमीर पर जीत भी हैं.

हां यह बात दूसरी है कि जैसे रामानंद सागर और ताराचंद बडज़ात्य ने वैश्य होते हुए भी खूब पौराणिक धर्म का प्रचार फिल्मों से किया था, वैसे ही दक्षिणी निर्माता बैक्वर्ड होते हुए भी कट्टर हिंदू धर्म के एजेंट हैं पर पूरे भक्त नहीं है क्योंकि वे उस जमात के हैं उन परिवारों के हैं, जिन्होंने अपने पर होते अत्याचार देखे हैं. हिंदी फिल्मों में यह युग 1950-60 में था जब एक लाभ धाॢमक फिल्में बन रही थीं तो दूसरी ओर विशुद्ध कम्युनिस्ट विचारधारा वाली जिनमें औरतों को भी बराबर का दिखाया गया जैसे ‘मदर इंडिया’ या  ‘अछूत कन्या’ में गिया गया. बौलीवुड अब यह मूल बात भूल गया है.

हिंदी वाले दक्षिणी भारतीय फिल्में इसलिए लपक रहे हैं क्योंकि उन में अपना दुखदर्द दिखता है चाहे भव्य सैटों के पीछे छिपा हो और लाउड वौयस और रंगबिरंगे कपड़ों के पीछे हिंदी फिल्म वाले अपने को सुधार पाएंगे, इस में संदेह है. अब सामाजिक और राजनीतिक तौर पर भी दक्षिण हावी होने लगा क्योंकि उसे गाय और राम की नहीं बराबरी और कमाई की िचता है जो दक्षिण की फिल्मों में भी दिखती है.

ये भी पढ़ें- तो व्यापार कई गुना उन्नति करेगा

स्पाइनल इंजरी और मैरिड लाइफ

स्पाइनल इंजरी किसी के भी जीवन की त्रासदपूर्ण घटना हो सकती है. इस से व्यक्ति एक तरह से लकवाग्रस्त हो सकता है. इंजरी जब गरदन में हो तो इस से टेट्राप्लेजिया हो सकता है. यदि इंजरी गरदन के नीचे हो तो इस से पाराप्लेजिया यानी दोनों टांगों और इंजरी से निचले धड़ में लकवा हो सकता है. केंद्रीय स्नायुतंत्र का हिस्सा होने के कारण स्पाइनल कौर्ड की सेहत पर ही पूरे शरीर की सेहत निर्भर करती है. इंजरी से यौन सक्रियता भी प्रभावित हो सकती है. स्पाइनल कौर्ड इंजरी ऊंचाई से गिरने, सड़क दुर्घटना, हिंसक या खेल की घटनाओं के कारण हो सकती है. स्पाइनल कौर्ड इंजरी के नौनट्रोमेटिक कारणों में स्पाइन और ट्यूमर के टीबी जैसे संक्रमण शामिल हैं.

यौन सक्रियता जरूरी

स्पाइनल इंजरी से पीडि़त व्यक्ति को यथासंभव आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश होनी चाहिए. भारतीय समाज के एक बड़े हिस्से में यौन स्वास्थ्य पर चर्चा करना हमेशा वर्जित विषय माना जाता रहा है, इसलिए इस विषय पर बात करने से लोग कतराते हैं और मरीज खामोशी से इसे सहता रहता है. शिक्षा, ज्ञान और जागरूकता के अभाव में लोग ऐसे मरीजों के बारे में यह समझने लगते हैं कि वे यौनेच्छा एवं यौन उत्कंठा से पीडि़त हैं. लेकिन सच यह है कि सामान्य व्यक्ति की तरह ही स्पाइनल इंजरी से पीडि़त व्यक्ति के लिए भी यौन सक्रियता उतनी ही जरूरी है.

पार्टनर का अभाव

दरअसल, स्पाइन इंजरी इच्छाशक्ति का स्तर तो प्रभावित नहीं करती, लेकिन किसी व्यक्ति की यौन गतिविधि प्रभावित जरूर हो जाती हैं. कई बार ऐसा पार्टनर के अभाव में भी होता है. अन्य मामलों में यह मांसपेशियों पर नियंत्रण रखने वाले व्यायाम की कमजोर क्षमता के कारण भी हो सकता है. यौन अनिच्छा लिंग के आधार पर भी अलगअलग हो सकती है. पुरुष जहां उत्तेजना के अभाव के कारण प्रभावित होते हैं, वहीं महिलाएं आमतौर पर शिथिल पार्टनर होने के कारण इस से कम प्रभावित होती हैं खासकर भारतीय समाज में. लेकिन स्पाइनल इंजरी से पीडि़त व्यक्तियों की यौन अनिच्छा को सैक्सुअल रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम और निरंतर अभ्यास से बहुत हद तक दूर किया जा सकता है.

समस्या की अनदेखी

ऐसे मरीजों में आत्मविश्वास जगाना और यौन स्वास्थ्य के बारे में उन से खुल कर बात करना बहुत जरूरी होता है. इस में तंबाकू पूरी तरह से निषेध होना चाहिए. शारीरिक गतिविधियों के अभाव और दर्द के अलावा एससीआई मरीज आकर्षण, संबंधों और प्रजनन की क्षमता जैसे अन्य कारकों को ले कर भी चिंतित रहते हैं. समय के साथ जहां मरीज अपने नवजात शिशु के साथ जीना सीख जाते हैं और परिवर्तित जिंदगी अपना लेते हैं, वहीं वे अपने यौन स्वास्थ्य को ले कर अकसर अनजान रहते हैं. मरीज के शरीर की कुछ खोई गतिविधियां बहाल करने के लिए व्यापक रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम के दौरान भी यौन समस्या की अनदेखी ही की जाती है.

खुद पहल नहीं करतीं

एससीआई के मामले में पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लिए अकसर सैक्सुअल पार्टनर बनना ज्यादा आसान होता है जो न सिर्फ शारीरिक रचना के कारण, बल्कि सक्रियता के स्तर पर भी संभव होता है. भारत जैसे रूढिवादी समाज में महिलाओं से यौनइच्छा की उम्मीद करना मुश्किल है. भारत की 80% महिलाएं ऐसी पैसिव सैक्सुअल पार्टनर होती हैं जो खुद पहल नहीं करतीं. इसलिए पुरुषों की तुलना में उन के लिए यौन स्वास्थ्य वापस पाना ज्यादा आसान होता है और उन का मुख्य लक्ष्य यौन सक्रियता वापस पाना तथा संभोग करने की क्षमता हासिल करना होता है.

समस्या का समाधान

पुरुषों के मामले में समस्याएं उत्तेजना में कमी और स्खलन से ही जुड़ी होती हैं. उन की उत्तेजना क्षमता और स्खलन में बदलाव आने के अलावा कामोत्तेजना की यौन संतुष्टि भी एक ऐसा क्षेत्र है जो एससीआई पीडि़त पुरुषों के लिए चिंता का कारण होता है. एक अन्य चिंता स्पर्म की क्वालिटी पर होने वाले प्रभाव और स्पर्म काउंट को ले कर होती है. ज्यादातर स्पाइनल इंजरी के मामले में वियाग्रा जैसी दवा से उत्तेजना की समस्या दूर की जा सकती है. कुछ मामलों में वैक्यूम ट्यूमेसेंस कंस्ट्रक्शन थेरैपी (वीटीसीटी) या पैनाइल प्रोस्थेसिस जैसे उपकरण की भी जरूरत पड़ सकती है.

गलत धारणा की वजह

सैक्सुअल काउंसलिंग और मैनेजमैंट विकासशील देशों में एससीआई के सब से उपेक्षित पहलुओं में से एक है. लेखकों के एक अध्ययन से पाया गया है कि एससीआई से पीडि़त 60% मरीजों और उन के 57% पार्टनरों ने पर्याप्त रूप से सैक्सुअल काउंसलिंग नहीं ली. जिन फैक्टर्स पर बहुत कम जोर दिया जाता है, उन में से एक है जागरूकता और सांस्कृतिक बदलाव. पति और पत्नी के बीच यौन संबंध का मकसद सिर्फ बच्चे पैदा करना ही माना जाता है. सैक्स के बारे में बातचीत को खराब माना जाता है. यौन समस्याएं न सिर्फ आम हो गई हैं, बल्कि सैक्स की अनदेखी, सैक्स के बारे में गलत धारणाओं और नकारात्मक सोच भी इस के मुख्य कारण माने जाते हैं. पारंपरिक वर्जना भी इस में अहम भूमिका निभाती है. सैक्सुअलिटी को प्रभावित करने वाले अन्य सामाजिक, पारंपरिक फैक्टर्स में यौन संबंधी सोच, मातापिता के प्रति सम्मान तथा अन्य ऐसे कारण शामिल हैं, जिन में सैक्स को खराब माना जाता है और पुरुषों तथा महिलाओं के लिए बरताव के दोहरे मानदंड अपनाए जाते हैं. पुरुषों की तुलना में महिलाओं की स्थिति बदतर होती है.

आत्मविश्वास में कमी

एक अध्ययन के अनुसार, विकसित देशों की तुलना में भारत जैसे देश में स्पाइनल कौर्ड इंजरी से पीडि़त व्यक्तियों की यौन गतिविधि की बारंबारता कम रहती है. ज्यादातर मरीज इंजरी से पहले की तुलना में मौजूदा स्तर पर अपने सैक्स जीवन को कमतर आंकते हैं. यह शायद एससीआई की समस्याओं, इंजरी के बाद पार्टनर की असंतुष्टि, यौनक्रिया के दौरान पार्टनर से कम सहयोग, आत्मविश्वास में कमी तथा अपर्यात सैक्सुअल रिहैबिलिटेशन के कारण भी हो सकता है. पश्चिमी देशों के मामलों की तरह बहुत कम पार्टनर संतुष्ट होते हैं. पुरुषों की तुलना में महिलाएं यौन संतुष्टि के अभाव की शिकायतें ज्यादा करती हैं. इस के पीछे प्रचलित सांस्कृतिक मान्यता है कि किसी बीमार महिला के साथ यौन संबंध बनाना नैतिकता के विरुद्ध है और इस से पुरुष पार्टनर में भी रोग संचारित हो सकता है. भारतीय समाज में महिलाओं की कमतर स्थिति, पार्टनर की भिन्न सोच, पाचनतंत्र आदि की गड़बड़ी और निजता का अभाव भी इस के कुछ अन्य संभावित कारण हो सकते हैं.

यौनजीवन का अंत नहीं

निष्कर्षतया स्पाइनल इंजरी को यौनजीवन का अंत नहीं मान लेना चाहिए. इस से इंजरी पीडि़त व्यक्ति को अपने नए शरीर में यौन सुख स्वीकार करने में मदद की जरूरत पड़ती है और कई बार उस के लिए अलग तरीके से सोचने की जरूरत होती है. परिवर्तित संवेदनशीलता, शारीरिक प्रतिबंध की स्वीकृति या उन्नत मसल कंट्रोल जैसे फैक्टर्स को समझने से स्पाइनल इंजरी मरीज को स्वस्थ यौनजीवन बहाल करने में मदद मिल सकती है. उस के सैक्सुअल रिहैबिलिटेशन के लिए मैडिकल प्रोफैशनल्स की मदद की जरूरत होती है. इस संबंध में जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है खासकर भारतीय समाज तथा प्रोफैशनल्स के बीच.      –

(डा. एच.एस. छाबड़ा, इंडियन स्पाइनल इंजरीज सैंटर में स्पाइन सर्वि के प्रमुख और मैडिकल डायरैक्टर)

ये भी पढ़ें- बढ़ते बच्चों की परवरिश चुनौती नहीं

Divya Khosla Kumar का फैशन देख ट्रोलर्स को आई Bigg Boss Trophy की याद

बौलीवुड एक्ट्रेस दिव्या खोसला कुमार (Divya Khosla Kumar) 34 साल की उम्र में भी अपने फैशन से फैंस का दिल जीतती हैं. हालांकि इस बार वह ट्रोलिंग का शिकार हो गई हैं. दरअसल, हाल ही में एक रियलिटी शो में पहुंची एक्ट्रेस का आउटफिट देखकर ट्रोलर्स को बिग बौस 15 की बात याद आ गई, जिसके बाद से वह ट्रोलिंग का सामना कर रही हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

ड्रैस के कारण हुईं ट्रोल

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Divyakhoslakumar (@divyakhoslakumar)

नया नया फैशन ट्राय करने वालीं एक्ट्रेस दिव्या खोसला कुमार  (Divya Khosla Kumar) एक शो में ब्लैक कलर की स्कर्ट वाले गाउन में नजर आईं. हालांकि इसके ऊपर के टौप ने सुर्खियां बटोरीं. दरअसल, एक्ट्रेस का गाउन जहां ब्लैक कलर का था तो वहीं औफशोल्डर टॉप, गोल्डन कलर में था, जिसे देखकर फैंस को ‘बिग बॉस ट्रॉफी’ (Bigg Boss Trophy) की याद आ गई और वह ट्रोलिंग की शिकार हो गईं.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Divyakhoslakumar (@divyakhoslakumar)

एक्ट्रेस का फैशन है लाजवाब

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Divyakhoslakumar (@divyakhoslakumar)

दिव्या खोसला कुमार (Divya Khosla Kumar) एक्टिंग और डायरेक्टिंग की दुनिया में हाथ आजमा चुकी हैं. वहीं सुर्खियों में भी रहती हैं. एक्ट्रेस का फैशन आए दिन सोशलमीडिया पर वायरल होता रहता है. इंडियन लुक में एक्ट्रेस दिव्या बेहद खूबसूरत लगती हैं. वहीं फैंस उनकी सादगी और खूबसूरती के कायल हैं. 34 साल की उम्र में भी वह बौलीवुड की यंग एक्ट्रेसेस को फैशन के मामले में टक्कर देती हुई नजर आती हैं.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Divyakhoslakumar (@divyakhoslakumar)

हॉटनेस के मामले में नहीं हैं कम

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Divyakhoslakumar (@divyakhoslakumar)

एक्ट्रेस दिव्या खोसला कुमार इंडियन ही नहीं वेस्टर्न आउटफिट भी कैरी करती रहती हैं, जिसकी फोटोज और वीडियो वह अपने औफिशनयल इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर करती रहती हैं. वहीं फैंस उनके वेस्टर्न लुक को देखकर तारीफें करते हुए नहीं थकते हैं, जिसका अंदाजा एक्ट्रेस के सोशलमीडिया की फैन फौलोइंग से लगाया जा सकता है. दरअसल, एक्ट्रेस के 5.2 मिलियन फौलोअर्स हैं, जिसके चलते वह सुर्खियों में छाई रहती हैं.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Divyakhoslakumar (@divyakhoslakumar)

ये भी पढ़ें- बेहद स्टाइलिश हैं Sachin Tendulkar की बेटी Sara Tendulkar, बौलीवुड में रखेंगी कदम!

Summer Special: नेचुरल ब्यूटी से भरपूर है पूर्वोत्तर राज्य

पूर्वोत्तर राज्यों में कुदरती खूबसूरती सौगात बन कर बरसती है. यहां आ कर एक नए भारत के दर्शन होते हैं. आदिवासी जीवन, नृत्यसंगीत, लोककलाएं व परंपराओं से रूबरू होने के साथसाथ प्राकृतिक सुंदरता और सरल जीवनशैली भी यहां के खास आकर्षण हैं.

पूर्वोत्तर राज्यों की  खूबसूरती का जवाब नहीं. यहां के घने जंगल, हरेभरे मैदान, पर्वत शृंखलाएं सैलानियों को बहुत लुभाते हैं. सरल स्वभाव के पूर्वोत्तरवासी अपनी परंपराएं और संस्कृति आज भी कायम रखे हुए है. यहां आ कर ऐसा प्रतीत होता है कि मानो हम किसी दूसरी दुनिया में आ गए हैं. यहां के हर राज्य का अपना नृत्य व अपना संगीत है.

गुवाहाटी

गुवाहाटी असम का प्रमुख व्यापार केंद्र है. गुवाहाटी उत्तरपूर्व सीमांत रेलवे का मुख्यालय है. सड़क मार्ग से भी यह आसपास के राज्यों के अनेक शहरों शिलौंग, तेजपुर, सिलचर, अगरतला, डिब्रूगढ़, इंफाल आदि से जुड़ा हुआ है. यही कारण है यह पूर्वोत्तर का गेटवे कहलाता है.

असम

यहां का सब से बड़ा आकर्षण कांजीरंगा नैशनल पार्क है. गैंडे, बाघ, बारहसिंगा, बाइसन, वनविलाव, हिरण, सुनहरा लंगूर, जंगली भैंस, गौर और रंगबिरंगे पक्षी इस नैशनल पार्क के आकर्षण हैं. बल्कि बर्ड वाचर्स के लिए तो कांजीरंगा बर्ड्स पैराडाइज है. पार्क में हर तरफ घने पेड़ों के अलावा एक खास किस्म की घास, जो हाथी घास कहलाती है, भी देखने को मिलती है. इस घास की खासीयत यह है कि इस की ऊंचाई आम पेड़ जितनी है. यहां की घास इतनी लंबी है कि इन के बीच हाथी भी छिप जाएं. इसी कारण यह घास हाथी घास कहलाती है. कांजीरंगा ऐलीफैंट सफारी के लिए ही अधिक जाना जाता है. यहां हर साल फरवरी में हाथी महोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. इस महोत्सव का मकसद सिर्फ पर्यटन को बढ़ावा देना नहीं है, बल्कि इस क्षेत्र में पाए जाने वाले एशियाई हाथियों का संरक्षण और उन्हें सुरक्षा प्रदान करना भी है.

कांजीरंगा में हाथी सफारी का मजा बागुड़ी, मिहीमुखी में लिया जा सकता है. हाथी की सवारी के लिए सब से जरूरी हिदायत यह दी जाती है कि पैर पूरी तरह से ढके होने चाहिए वरना यहां पाए जाने वाली हाथी घास से दिक्कत पेश आ सकती है. कांजीरंगा जाने का बेहतर समय नवंबर से ले कर अप्रैल तक है. यहां खुली जीप में या हाथी की सवारी कर पहुंचा जा सकता है. कांजीरंगा के पास ही नामेरी नैशनल पार्क है. यह रंगबिरंगी चिडि़यों और ईकोफिश्ंिग के लिए जाना जाता है. नामेरी पार्क हिमालयन पार्क के नाम से भी जाना जाता है.

यहां से 40 किलोमीटर की दूरी पर एक ऐतिहासिक खंडहर है. यह देखने में बड़ा अद्भुत है, लेकिन विडंबना यह है कि इस खंडहर के बारे में अभी तक ज्यादा पता नहीं चल पाया है. गुवाहाटी से 369 किलोमीटर की दूरी पर शिवसागर है. असम के चाय और तेल व प्राकृतिक गैस के लिए शिवसागर जिला प्रसिद्ध है. यहां एक  झील है. इसी  झील के चारों ओर बसा है. असम के अन्य दर्शनीय स्थलों में बोटैनिकल गार्डन, तारामंडल, ब्रह्मपुत्र पर सरायघाट पुल, बुरफुकना पार्क साइंस म्यूजियम और मानस नैशनल पार्क शामिल हैं.

भारत में सब से अधिक वर्षा के लिए जाना जाने वाला चेरापूंजी भी असम में ही है. यह बंगलादेश की सीमा पर है. पर्यटन के लिए सब से अच्छा समय अक्तूबर से मई तक है.

क्या खरीदें

खरीदारी के लिए यहां बांस के बने शोपीस से ले कर बहुत सारा सजावटी सामान है. इस के अलावा महिलाओं के पहनने के लिए मेखला है. यह थ्री पीस ड्रैस है. चोली और लुंगीनुमा मेखला असम का पारंपरिक पहनावा है. इस के साथ दुपट्टेनुमा एक आंचल, साड़ी के आंचल की तरह ओढ़ा जाता है.

  -साधना

ईटानगर

असम, मेघालय के रास्ते अरुणाचल की राजधानी ईटानगर पहुंचा जा सकता है. ईटानगर पहुंचने का दूसरा रास्ता है मालुकपोंग, जो असम के करीब है. यानी असम की यात्रा यहां पूरी हो सकती है, इस के आगे का रास्ता ईटानगर को जाता है.

ईटानगर के आकर्षणों में ईंटों का बना अरुणाचल फोर्ट है. इस के अलावा एक और आकर्षण है और वह है हिमालय के नीचे से हो कर बहती एक नदी जिसे स्थानीय आबादी गेकर सिन्यी के नाम से पुकारती है. जवाहर लाल नेहरू म्यूजियम, क्राफ्ट सैंटर, एंपोरियम ट्रेड सैंटर, चिडि़याघर और पुस्तकालय भी हैं.

टिपी और्किड सैंटर से 165 किलोमीटर की दूरी पर बोमडिला है जो खूबसूरत और्किड के फूलों के लिए विशेष रूप से जाना जाता है. यहां और्किड फूलों का एक सेंटर है, जो टिपी आर्किडोरियम के नाम से जाना जाता है. यहां 300 से भी अधिक विभिन्न प्रजातियों के और्किड के फूलों के पौधे देखने को मिल जाते हैं.

बोमडिला की ऊंचाई से हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियां, विशेष रूप से गोरिचन और कांगटो की चोटियां खूबसूरत एहसास दिलाती हैं. यहां से 24 किलोमीटर की दूरी पर सास्सा में पेड़पौधों की एक सैंक्चुरी है. पहाड़ी नदी माकेंग में पर्यटक और एडवैंचर टूरिज्म के शौकीनों के लिए यहां वाइट वाटर राफ्ंिटग का मजा कुछ और ही है. यहां नदी में फिश्ंिग का भी शौक पर्यटक पूरा करते हैं.

अरुणाचल के हरेक टूरिस्ट स्पौट के लिए बसें, टैक्सी, जीप और किराए पर हर तरह की कार मिल जाती हैं. ईटानगर अक्तूबर से ले कर मई के बीच कभी भी जाया जा सकता है. यहां सर्दी और गरमी दोनों ही मौसम में पर्यटन का अलग मजा है.

अगरतला

पूर्वोत्तर भारत में त्रिपुरा वह राज्य है जो राजेरजवाड़ों की धरती कहलाती है. दुनियाभर में हर जगह लोग प्रदूषण की मार  झेल रहे हैं जबकि त्रिपुरा को प्रदूषणविहीन राज्य माना जाता है. इस राज्य का बोलबाला यहां के खुशगवार और अनुकूल पर्यावरण के लिए भी है. त्रिपुरा पर्यटन के कई सारे आयाम हैं. सिपाहीजला, तृष्णा, गोमती, रोवा अभयारण्य और जामपुरी हिल जैसे यहां प्राकृतिक पर्यटन हैं. वहीं पुरातात्विक पर्यटन के लिए उनाकोटी, पीलक, देवतैमुरा (छवि मुरा), बौक्सनगर भुवनेश्वरी मंदिर आदि हैं. अगर वाटर टूरिज्म की बात की जाए तो रुद्रसार नीलमहल, अमरपुर डुमबूर, विशालगढ़ कमला सागर मौजूद हैं.

त्रिपुरा में ईको टूरिज्म के लिए कई ईको पार्क हैं. तेपानिया, कालापानिया, बारंपुरा, खुमलांग, जामपुरी आदि ईको पार्क हैं. पर्यटकों के लिए त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में सब से महत्त्वपूर्ण दर्शनीय स्थल जो है वह उज्जयंत पैलेस है. यह राजमहल एक वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. 3 गुंबज वाले इस दोमंजिले महल की ऊंचाई 86 फुट है. बेशकीमती लकड़ी की नक्काशीदार भीतरी छत व इस की दीवारें देखने लायक हैं. महल के बाहर मुगलकालीन शैली का बगीचा पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है.

पर्यटकों के लिए दर्शनीय स्थलों में अगरतल्ला से 55 किलोमीटर की दूरी पर है रुद्धसागर नामक एक  झील. इस  झील के किनारे बसा है नीरमहल. इस महल का स्थापत्य मुगलकालीन है. ठंड के मौसम में यहां यायावर पक्षियों का जमघट लग जाता है. अगरतला से 178 किलोमीटर की दूरी पर उनकोटि है. यह जगह चट्टानों पर खुदाई कर के बनाई गई कलाकृतियों के लिए विख्यात है. पहाड़ों की ढलान पर यहां 7वीं और 9वीं शताब्दी के दौरान चट्टानों को काट कर, छील कर और खुदाई कर अनुपम कलाकृतियां बनाई गई हैं. ये कलाकृतियां विश्व- विख्यात हैं.

यहां 19 से भी अधिक आदिवासी जनजातियों का वास है. इसीलिए त्रिपुरा को आदिवासी समुदायों की धरती भी माना जाता है. हालांकि मौजूदा समय में आदिवासी और गैर आदिवासी समुदाय यहां मिलजुल कर रहते हैं और एकदूसरे के पर्वत्योहार भी मनाते हैं.

कैसे पहुंचें

हवाई रास्ते से अगरतला देशभर से जुड़ा हुआ है. ज्यादातर हवाई जहाज गुवाहाटी हो कर अगरतला पहुंचते हैं. ट्रेन के रास्ते गुवाहाटी से होते हुए अगरतला तक पहुंचा जा सकता है. सड़क के रास्ते कोलकाता से अगरतला की दूरी 1,645 किलोमीटर, गुवाहाटी से 587, शिलौंग से 487 और सिलचर से 250 किलोमीटर है. सड़क के रास्ते जाने के लिए लक्जरी कोच, निजी व सरकारी यातायात के साधन उपलब्ध हैं. पासपोर्ट और वीजा साथ ले कर चलें तो त्रिपुरा के रास्ते बंगलादेश भी घूमा जा सकता है.

सिक्किम

रेल मार्ग या सड़क मार्ग से सिक्किम जाया जा सकता है. रेलयात्री जलपाईगुड़ी, सिलीगुड़ी, कलिंपोंग होते हुए जाते हैं, जबकि सड़क मार्ग तिस्ता नदी के किनारेकिनारे चलता है. तिस्ता सिक्किम की मुख्य नदी है. जलपाईगुड़ी से एक टैक्सी ले कर हम सिक्किम की राजधानी गंगटोक के लिए चल पड़े. तिस्ता की तरफ निगाह पड़ती तो उस का साफ, स्वच्छ सतत प्रवाहमान जल मनमोह लेता और जब वनश्री की ओर निगाह उठती तो उस की हरीतिमा चित्त चुरा लेती. प्रारंभ में शाल, सागौन, अश्वपत्र, आम, नीम के  झाड़ मिलते रहे और कुछ अधिक ऊंचाई पर चीड़, स्प्रूस, ओक, मैग्नोलिया आदि के वृक्ष मिलने लगे. हम 7 हजार फुट की ऊंचाई पर पहुंच गए थे, जिस से समशीतोष्ण कटिबंधीय वृक्षों की अधिकता दिखाई दे रही थी.

रंगपो शहर पश्चिम बंगाल व सिक्किम के सीमांत पर स्थित है. यहां ठंड अधिक होती है. फिर हम गंगटोक पहुंचे. वहां हनुमान टैंक घूमने गए. वहां से कंचनजंघा की तुषार मंडित, धवल चोटियां स्पष्ट दिखाई दे रही थीं.  अपूर्व अलौकिक दृश्य देखा. अहा, यहां प्रकृति प्रतिक्षण कितने रूप बदलती है. सूर्योदय के पूर्व कंचनजंघा अरुणिम आभा में रंगा था और जब सूर्य ने प्रथमतया उस की ओर अपनी सुनहरी किरणों से स्पर्श किया, उस का रंग और भी लाल हो गया.

धूप में कंचनजंघा की बर्फीली चोटियां स्वच्छ धवल चांदी की तरह चमक रही थीं. गंगटोक से थोड़ी ही दूर है जीवंती उपवन प्रकृति का मनोरम नजारा प्रस्तुत करता है यह उपवन. रूमटेक गुम्पा भी सिक्किम का एक प्रसिद्ध गुम्पा है. गंगटोक से 30 किलोमीटर दूर तक छोटी सी पहाड़ी की पृष्ठभूमि में इस का निर्माण किया गया है. यहां लामाओं को प्रशिक्षित किया जाता है. वहां का शांत और पवित्र वातावरण सुखद अनुभव देता है.

गंगटोक से पहले की सिक्किम की राजधानी गेजिंग से 15 किलोमीटर दूर पश्चिम में एक छोटा सा गांव है प्रेमयांची. यहां से अन्यत्र जाने के लिए अपने पैरों पर ही भरोसा रखना पड़ता है. 2,600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित प्रेमयांची बौद्ध धर्म की नियंगमा शाखा का सब से बड़ा गुम्पा है. यहां के सभी लामा लाल टोपी पहनते हैं. इसे लाल टोपी धारी लामाओं का गुम्पा भी कहते हैं.

इस गुम्पा के अंदर ‘संग थी पाल्थी’ नाम की उत्कृष्ट कलाकृति प्रथम तल पर स्थापित है. इस कलाकृति से जीव की 7 अवस्थाओं का परिचय मिलता है. कक्ष की भीतरी दीवारों पर अनेक सुंदर चित्र निर्मित हैं, जो भारतीय बाम तंत्र से प्रभावित जान पड़ते हैं.

सेमतांग के पहाड़ों पर चाय के खूबसूरत बागान हैं. दूर से देखने पर लगता है जैसे हरी मखमली कालीन बिछा दी गई हो. यहां से सूर्यास्त का नजारा देखने लायक होता है. इस अद्वितीय दृश्य का लाभ लेने के लिए हमें वहां कुछ घंटों तक ठहरना पड़ा और जब सूर्य दूसरे लोक में गमन की तैयारी करने लगा तो हमारी आंखें उधर ही टंग गईं. सूर्यास्त का नजारा देखने लायक था.

सारा सिक्किम कंचनजंघा की आभा से मंडित प्रकृति सुंदरी के हरेभरे आंचल के साए में लिपटा हुआ है. चावल, बड़ी इलायची, चाय और नारंगी के बाग से वहां की धरती समृद्धि से भरपूर है. तिस्ता की घाटी अपनेआप में सौंदर्य व प्रेम के गीतों की संरचना सी है. यहां की वनस्पतियों में विविधता है. सब से बड़ी बात यह है कि औषधीय गुण वाले वृक्षों की वहां बहुतायत है.

ये भी पढ़ें- Nail Art: आमदनी का खूबसूरत जरिया

लाइफस्टाइल डिसऔर्डर से होती बीमारियां

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में महिलाएं अपनी सेहत के प्रति लापरवाह होती जा रही हैं. इस से घर और कैरियर दोनों के बीच तालमेल बैठाए रखना उन के लिए चुनौती बनता जा रहा है. सेहत का ध्यान न रखने की वजह से महिलाएं कम उम्र में ही कई बीमारियों की शिकार हो जाती हैं, जिन्हें लाइफस्टाइल डिसऔर्डर बीमारियां भी कहा जा सकता है. इस के बारे में मुंबई के फोर्टिस हौस्पिटल की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञा डा. वंदना सिन्हा बताती हैं कि बीमारियां कभी भी अचानक नहीं होतीं. उन का अलार्म तो पहले ही बज चुका होता है, जिसे महिलाएं नजरअंदाज करती रहती हैं. ये बीमारियां तो दरअसल युवावस्था से ही शुरू हो जाती हैं.

महिलाओं के बदले लाइफस्टाइल की वजह से उन का मोटापा भी खूब बढ़ा है, जिस की वजहें जंक फूड का अत्यधिक सेवन, समय से भोजन न करना, डाइटिंग करना आदि हैं. इन से हारमोनल बैलेंस बिगड़ता है. आजकल करीब 40% महिलाओं में पौलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम भी पाया जाता है. इस में ओवरीज ठीक से काम नहीं करतीं और हारमोनल संतुलन बिगड़ता है, जिस से चेहरे और बौडी पर अधिक हेयर ग्रो होने लगता है. त्वचा रफ हो जाती है और ऐक्ने का प्रभाव दिखता है.

एक सर्वे के मुताबिक, आज के दौर में 75% महिलाओं का कोई न कोई लाइफस्टाइल डिसऔर्डर है. इस से 42% को पीठ दर्द, मोटापा, डिप्रैशन, डायबिटीज, हाइपरटैंशन की शिकायत है. ऐसा न हो इस के लिए लड़कियों को किशोरावस्था से ही लाइफस्टाइल में परिवर्तन करना आवश्यक है, जिस के लिए सही व्यायाम, सही डाइट, मोटापे को न बढ़ने देना आदि सभी विषयों पर मातापिता को ध्यान देना आवश्यक है, क्योंकि ये आदतें ऐसी हैं, जिन्हें उन्हें कम उम्र से ही अभ्यास में लाना जरूरी है.

कम उम्र में दिल का दौरा

डा. वंदना बताती हैं कि दिल की बीमारी का खतरा भी महिलाओं में तेजी से बढ़ रहा है. आजकल 24-25 साल की उम्र में भी लड़कियों को दिल का दौरा पड़ जाता है, जो चिंता का विषय है. अगर लड़कियां ओवरवेट हैं, तो वे पतला होने के लिए खाना छोड़ देती हैं. तब जरूरत से कम खाना खाने पर वे ऐनीमिया और हीमोग्लोबिन की मात्रा कम होने से बारबार इन्फैक्शन की शिकार होती हैं.

इस के अलावा जब लड़कियों का स्वास्थ्य खराब रहने लगता है, तो वे मानसिक बीमारी की शिकार हो जाती हैं, जिस में डिप्रैशन, सुसाइडल टैंडैंसी आदि प्रमुख हैं. दरअसल, इस उम्र में पीयर प्रैशर अधिक होता है, जिस से बौयफ्रैंड या रिलेशनशिप न होने पर वे अपनेआप को कमतर समझना आदि को अपने अंदर पाल लेती हैं. क्या सही क्या गलत है यह समझना उन के लिए मुश्किल हो जाता है, तो वे दोस्तों की संगत में जाती हैं, जहां सही राय नहीं मिल पाती. ऐसे में मातापिता ही उन्हें सही दिशानिर्देश दे सकते हैं. युवावस्था में स्ट्रैस लैवल बढ़ने की वजह से नींद में कमी आती है, जिसे स्लीपिंग डिसऔर्डर कहते हैं. आजकल की लड़कियों में स्मोकिंग, ड्रिंकिंग की आदत भी बढ़ चुकी है, जो उन के लिए खतरनाक है.

विटामिन डी की कमी

विटामिन डी की कमी भी आजकल की युवतियों और महिलाओं में कौमन है. डा. वंदना का कहना है कि इस से महिलाओं में मैंस्ट्रुअल समस्या बढ़ रही है और शहरी क्षेत्रों में इस की संख्या अधिक है. विटामिन डी की कमी से महिलाओं को और भी कई गंभीर बीमारियों की शुरुआत हो जाती है. मसलन इम्यूनिटी का कम हो जाना, इनफर्टिलिटी का बढ़ना, मधुमेह की बीमारी, पीरियड की अनियमितता, स्तन कैंसर आदि. ओवरी के सही फंक्शन के लिए विटामिन डी जरूरी है. अत्यधिक दर्द के साथ पीरियड होने पर ऐंड्रोमैट्रियौसिस का खतरा रहता है, जिस में ओवरी में सिस्ट बन जाता है, जिस से आगे चल कर इनफर्टिलिटी बढ़ती है. यह समस्या आजकल 15 से 25 वर्ष की लड़कियों में अधिक देखने को मिल रही है, जो विटामिन डी की कमी की वजह से हो रही है. ये सभी बीमारियां लाइफस्टाइल की वजह से हैं, जिस का परिणाम स्ट्रैस है. विटामिन डी पूरे शरीर के लिए जरूरी है. यह हमारे शरीर में कैल्सियम के स्तर को नियंत्रित करता है.

संक्रमण का खतरा

संक्रमण की बीमारी भी आजकल महिलाओं में अधिक है. आजकल के युवा कम उम्र में अनप्रोटैक्टेड सैक्स में लिप्त होते हैं, तो उन के मल्टीपल सैक्सुअल पार्टनर्स भी होते हैं. ऐसे में हाइजीन पर ध्यान न देने से वे इन्फैक्शन के शिकार हो जाते हैं. जबकि पर्सनल हाइजीन पर अधिक ध्यान देना आवश्यक है. महिलाएं आजकल जेनाइटल ट्यूबरकुलोसिस की शिकार भी हो रही हैं. इस बीमारी की जब तक सही जांच न हो पता नहीं चलता. इस बीमारी के तहत वे मां नहीं बन पातीं. अगर गर्भधारण करती भी हैं, तो बच्चा पूरे 9 महीने नहीं ठहरता. बायोप्सी से इस का पता चलता है. कई जगह पर तो इस की जांच भी संभव नहीं होती. लाइफस्टाइल से जुड़ी सब से खतरनाक बीमारी हार्ट डिजीज है. अधिकतर महिलाएं शहरों में कामकाजी हैं. उन के खाने में फैट अधिक होता है और वे व्यायाम नहीं करतीं, इसलिए उन का कोलैस्ट्रौल लैवल बढ़ जाता है. इस से कम उम्र में ही हाई ब्लडप्रैशर, डायबिटीज, थायराइड आदि सब दिखने लगता है. डा. वंदना कहती हैं कि पहले जो बीमारी 45 वर्ष के बाद दिखती थी अब 27-28 साल की उम्र में ही दिखने लगी है. कामकाजी महिलाओं में स्ट्रैस लैवल काफी बढ़ चुका है.

मेनोपौज के बाद बीमारी बढ़ने की वजह कम उम्र में अपना ध्यान न रखना है. कुछ बीमारियां आनुवंशिक होती हैं. पर अधिकतर हमारे लाइफस्टाइल की वजह से ही होती हैं. मैटाबौलिज्म ठीक न रहने की वजह से रोगप्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है. इस से बीमारियां दिनोंदिन बढ़ती जाती हैं. अगर शुरू से ही कुछ खास बातों पर ध्यान दिया जाए तो इन बीमारियों से काफी हद तक बचा जा सकता है. डा. वंदना के अनुसार, इस के लिए कुछ टिप्स निम्न हैं:

  1. 30 मिनट फिजिकल ऐक्टिविटी हर दिन करें.
  2. 10 मिनट ब्रीदिंग ऐक्सरसाइज अवश्य करें. सुबह 5 मिनट शाम को 5 मिनट.
  3. रोज 10 से 15 गिलास पानी अवश्य पीएं.
  4. शुगर वाले खाद्यपदार्थ कम खाएं, प्रोटीन अधिक लें.
  5. फाइबर, कार्बोहाइड्रेट और कौंप्लैक्स कार्बोहाइड्रेट को डाइट में जरूर शामिल करें. फैट को कम से कम लें.
  6. चाय, कौफी अधिक न पीएं. ग्रीन टी का सेवन करें, जो स्वास्थ्य के लिए अच्छी है.
  7. स्ट्रैस लैवल कम करने के लिए अपने लिए समय निकालें. अपनी मनपसंद की किताबें व पत्रिकाएं पढ़ें और मूवी आदि देखें, जिस से आप को खुशी मिले.
  8. सर्वाइकल कैंसर का वैक्सिन 11-12 साल की उम्र में अवश्य लगवाएं.
  9. मोटापे को बढ़ने से रोकना बेहद जरूरी है. अगर यह समस्या आनुवंशिक है, तो डाक्टर की सलाह के आधार पर दिनचर्या बनाएं और फिट रहें.

ये भी पढ़ें- सैक्सी फिगर से करें इंप्रैस

GHKKPM: सई करेगी प्यार का इजहार तो पाखी और भवानी को लगेगा झटका

स्टार प्लस के सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ (Ghum Hai Kisi Ke Pyaar Mein) की कहानी इन दिनों दर्शकों का दिल जीत रही है, जिसका कारण मेकर्स का सीरियल में नया ट्विस्ट कहा जा रहा है. वहीं अपकमिंग एपिसोड में जहां फैंस को सई (Ayesha Singh) और विराट (Neil Bhatt) का रोमांस दिखने वाला है तो वहीं पाखी (Aishwarya Sharma) का गुस्सा दर्शकों को हैरान करेगा. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे (Ghum Hai Kisi Ke Pyaar Mein Serial Update).

सई से रिश्ता खत्म करता है विराट

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Ghkkpm_SaiRat (@ghkkpm_sairat5)

अब तक आपने देखा कि विराट सई से अपने सारे रिश्ते खत्म करने का ऐलान करते हुए परिवार के सामने अपने ट्रांसफर लेने का ऐलान करता है, जिसके चलते सई परेशान हो जाती है. हालांकि शिवानी की शादी के लिए दोनों साथ में नजर आते हैं. वहीं सई और विराट के बीच दूरियां देखकर पाखी खुश होती हुई नजर आती है.

शिवानी की शादी में प्यार का इजहार करेगी सई

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि राजीव की बारात शिवानी के घर पहुंचेगी. जहां पर उसका स्वागत होगा. वहीं सई ढ़ोल नगाड़ों के साथ महाराष्ट्रियन लुक में तैयार होकर डांस करते हुए पहुंचेगी. इसी के साथ सई, विराट के सामने जाकर खूबसूरत अंदाज में अपने प्यार का इजहार करेगी, जिसे सुनकर विराट हैरान नजर आएगा. हालांकि सई के प्यार को जानकर वह बेहद खुश होगा.

पाखी को लगेगा झटका

जहां विराट, सई की सारी गलतियां माफ करेगा तो वहीं चौह्वाण परिवार के सामने सई, विराट को गाल पर किस करेगी, जिसे देखकर भवानी और पाखी को गुस्सा आएगा और दोनों सई को खरी खोटी सुनाती नजर आएंगी. इसी बीच खबरे हैं कि सई को माफ करते ही दोनों के बीच जहां रिश्ता सुधरेगा तो वहीं सई घर से गायब हो जाएगी, जिसके बाद विराट पागलों की तरह उसे ढूंढता नजर आएगा.

ये भी पढ़ें- आदित्य के बाद Imlie के इस किरदार ने कहा सीरियल को अलविदा

आदित्य के बाद Imlie के इस किरदार ने कहा सीरियल को अलविदा

स्टार प्लस के सीरियल ‘इमली’ (Imlie) की कहानी में जहां नई एंट्री देखने को मिल रही है तो वहीं आदित्य यानी मनस्वी विशिष्ठ के शो छोड़ने के बाद सीरियल के एक और एक्टर ने अलविदा कह दिया है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

शो छोड़ने पर लिखी ये बात

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Arham Abbasi (@iarhamabbasi)

सीरियल में आर्यन और इमली की लव स्टोरी शुरु करने के बाद अब आदित्य की फैमिली पर मेकर्स कम ध्यान देते नजर आ रहे हैं, जिसके चलते अब सीरियल इमली में निशांत त्रिपाठी के रोल में नजर आने वाले एक्टर अरहम अब्बासी ने सीरियल ‘इमली’ को अलविदा कर दिया है. एक्टर ने सोशलमीडिया के जरिए ऐलान करते हुए एक सीरियल इमली के सेट पर एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा, पता ही नहीं चला कि कब ये सफर खत्म हो गया. मुश्किल था लेकिन आप सभी लोगों के प्यार ने इसे आसान बना दिया. शुक्रगुजार हूं आप सभी लोगों का जिन्होंने मेरे किरदार को इतना प्यार दिया. निशांत त्रिपाठी से कोई गलती हुई हो तो माफ करना. अजीब से लग रहा है ये पोस्ट शेयर करते हुए… लेकिन ये किस्सा अब यहीं खत्म होने जा रहा है. लव यू ऑल…. मैं आप सभी से गुजारिश करता हूं कि आप ‘इमली’ को देखना बंद मत करना. इस शो को इसी तरह अपना प्यार देते रहना.

सीरियल के बंद होने की आ रही हैं खबरें

जहां एक के बाद एक सीरियल इमली के किरदार शो को अलविदा कह रहे हैं तो वहीं खबरें हैं कि सीरियल बंद होने की कगार पर पहुंच गया है. हालांकि मेकर्स का कहना है कि वह सीरियल की कहानी में नया मोड़ लाने वाले हैं, जिसके चलते सीरियल बंद नहीं होगा.

बता दें, सीरियल में इन दिनों इमली और आर्यन की फैमिली पर फोकस किया जा रहा है. जहां अर्पिता की दूसरी शादी को लेकर घर में बवाल होता नजर आ रहा है तो वहीं सीरियल में नए विलेन की एंट्री होती नजर आ रही है.

ये भी पढ़ें- टीवी के बाद OTT पर भी हिट हुआ Anupamaa Namaste America, फैंस ने कही ये बात

बेहद स्टाइलिश हैं Sachin Tendulkar की बेटी Sara, बौलीवुड में रखेंगी कदम!

क्रिकेट वर्ल्ड के सुपरस्टार सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) की बेटी सारा तेंदुलकर  (Sara Tendulkar) सोशलमीडिया पर छाई रहती हैं. वहीं उनकी बौलीवुड के स्टार किड्स के साथ दोस्ती सुर्खियों में रहती है. इसी बीच खबरें हैं कि जल्द ही वह बौलीवुड की दुनिया में कदम रखने वाली हैं. हालांकि अभी इस खबर की पुष्टि नही हुई है. लेकिन सारा तेंदुलकर के बौलीवुड में नजर आने के चलते उनकी सोशलमीडिया पर फैन फौलोइंग बढ़ गई है. इसी के चलते आज हम सारा तेंदुलकर के फैशन की झलक आपको दिखाएंगे, जिससे आपको उनकी खूबसूरत का अंदाजा लग जाएगा.

स्टाइलिश हैं सारा

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Sara Tendulkar (@saratendulkar)

मेडिसिन की पढ़ाई करने वाली सारा तेंदुलकर फैशन के मामले में बेहद स्टाइलिश हैं. वह आए दिन नई नई ड्रैसेस में नजर आती हैं, जिसमें वह बेहद खूबसूरत लगती हैं. वहीं फैंस उनके वेस्टर्न अवतार को काफी पसंद करते हैं.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Sara Tendulkar (@saratendulkar)

इंडियन लुक में भी लगती हैं खास

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Sara Tendulkar (@saratendulkar)

वेस्टर्न ही नहीं सारा तेंदुलकर इंडियन लुक में भी नजर आती हैं. दोस्त या फैमिली के साथ फंक्शन में इंडियन अवतार कैरी करती हैं, जिसमें वह बेहद खूबसूरत लगती हैं. वहीं इन लुक्स में वह बौलीवुड हसीनाओं को फैशन के मामले में टक्कर देती नजर आती हैं.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Sara Tendulkar (@saratendulkar)

फिटनेस का रखती हैं ख्याल

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Sara Tendulkar (@saratendulkar)

सारा तेंदुलकर पेशे से एक मॉडल हैं, जिसके चलते कई विज्ञापनों में नजर आ चुकीं हैं. वहीं अपने लुक्स को फ्लौंट करने के साथ-साथ फिटनेस का भी ख्याल रखती हैं, जिसकी फोटोज और वीडियोज वह फैंस के साथ सोशलमीडिया पर शेयर करती रहती हैं.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Sara Tendulkar (@saratendulkar)

बता दें, सारा तेंदुलकर कई बौलीवुड फंक्शन में नजर आ चुकी हैं. वह अपने पिता सचिन तेंदुलकर और मां के साथ कई बार डिनर डेट पर भी स्पॉट हो चुकी हैं, जिसके चलते वह खबरों में छाई रहती हैं. हालांकि बौलीवुड में कदम रखने की खबर से फैंस काफी एक्साइटेड हैं. लेकिन अभी वह बौलीवुड का हिस्सा बनेंगी या नहीं ये देखना होगा.

ये भी पढ़ें- बेहद खूबसूरत हैं KGF 2 के ‘रॉकी भाई’ की औनस्क्रीन मां अर्चना

बेदाग सुंदरता के नए ट्रीटमैंट्स

ब्यूटी करैक्शन के लिए ऐसे बहुत सारे ट्रीटमैंट्स और सर्जरी आ गई हैं जो कुछ वक्त के लिए ही सही लेकिन बेदाग खूबसूरती देने के लिए कारगर हैं:

स्किन ग्लोइंग ऐंड मार्क्स रिमूवल ट्रीटमैंट

चेहरे की स्किन चमकदार और ग्लोइंग दिखे इस के लिए लड़कियां न जाने क्याक्या चेहरे पर लगाती रहती हैं, लेकिन अवलीन की माने तो घर से बाहर निकलते ही स्किन को धूप और प्रदूषण का सामना करना पड़ता है खासतौर पर सूर्य की अल्ट्रावायलट किरणों से स्किन पर जमा होने वाला मैलानिन स्किन की मासूमियत को छीन लेता है. लेकिन स्किन को नयापन देने और बच्चों की स्किन जैसी कोमलता देने के लिए अब निम्न ट्रीटमैंट्स उपलब्ध हैं:

सुपर फेशियल कैमिकल पील्स

गोरा होना हर लड़की का ख्वाब होता है. इस बाबत कौस्मैटोलौजिस्ट अवलीन खोकर कहती हैं कि भारतीय महिलाओं में बहुत कम प्रतिशत में स्किन का रंग पेल व्हाइट पाया जाता है. ज्यादातर का रंग डस्की या व्हीटिश होता है. लेकिन बौलीवुड अभिनेत्रियों के हैवी मेकअप को देख कर सभी लड़कियों पर गोरा होने का जनून सवार रहता है, जबकि बायोलौजिकल कलर को कभी भी नहीं बदला जा सकता, हां उसे 2 लैवल बेहतर जरूर बनाया जा सकता है. कैमिकल पील्स ऐसा ही एक ट्रीटमैंट है, जो स्किन में उम्र के 25 वर्षों में आई हारमोनल खराबी से स्किन पर पड़े फर्क को सुधार देता है.

दरअसल इस ट्रीटमैंट में एलका हाइड्रौक्सी ऐसिड्स द्वारा स्किन की ऊपरी लेयर को जल्दीजल्दी निकाला जाता है, जिस से नई स्किन आती है. इस से स्किन को अच्छा कौंप्लैक्शन भी मिलता है. लेकिन इस ट्रीटमेंट के बाद स्किन का बहुत अधिक ध्यान रखने की आवश्यकता होती है. द स्किन सैंटर, दिल्ली में कंसलटैंट डर्मैटोलौजिस्ट एवं कौस्मैटोलौजिस्ट डाक्टर वरुण कत्याल कहते हैं कि ट्रीटमैंट के बाद स्किन बहुत पतली हो जाती है, इसलिए उसे सूर्य की रोशनी से तब तक बचा कर रखना चाहिए जब तक उस पर सुरक्षित स्किन की परत न चढ़ जाए.

यदि सुरक्षित स्किन के आने के इंतजार में खुद को 2-3 दिन के लिए एक कमरे में बंद भी करना पड़े तो कर लेना चाहिए क्योंकि जरा सी भी लापरवाही स्किन को संक्रमित कर सकती है. साथ ही ट्रीटमैंट के बाद ऐंटीबायोटिक, ऐंटीबैक्टीरियल एवं ऐंटीफंगल क्रीम लगानी चाहिए. ट्रीटमैंट के बाद जो नई स्किन आती है उस में बच्चों की स्किन जैसी कोमलता और चमक रहती है.

अवलीन आगे कहती हैं कि कैमिकल पील कराने के साइड इफैक्ट्स भी कभीकभी देखने को मिलते हैं, इसलिए शादी की तारीख से ठीक 6 माह पहले यह ट्रीटमैंट कराना चाहिए क्योंकि कभीकभी इस ट्रीटमैंट के बाद जलने के निशान और संक्रमण होने का खतरा रहता है.

– कैमिकल पील में स्किन की ऊपर की लेयर को ट्रीट किया जाता है. इसे ऐपिडर्मिस लेयर कहते हैं.

– ट्रीटमैंट के बाद लगभग 2 दिन तक स्किन में खिंचाव और जलन महसूस होती है, इसलिए सनस्क्रीन का प्रयोग करना चाहिए.

– इस ट्रीटमैंट के लिए 6 से 12 सिटिंग्स लेनी पड़ती हैं और खर्चा लगभग ₹15 हजार से ₹30 हजार तक आता है.

लेजर फोटो फेशियल

यह थेरैपी फेशियल का एक नया स्वरूप है. इस ट्रीटमैंट में इंटेंस पलस्ड लेजर लाइट के द्वारा स्किन के उस हिस्से का ट्रीट किया जाता है जहां सन डैमेजेस, डिसकलरेशन, एज स्पौट या फिर इनलार्ज्ड पोर्स होते हैं. बकौल अवलीन आईपीएल लेजर के द्वारा इफैक्टेड एरिया पर विजिबल ब्रौडबैंड लाइट से स्पार्क मारते हैं. स्पार्क के स्किन पर स्पर्श के दौरान चींटी के काटने जैसा एहसास भी होता है, लेकिन यह पेनफुल नहीं है.

यह ट्रीटमेंट ज्यादातर लड़कियां अपने पिगमैंटेशन सैल्स को डिस्ट्रौय करने और दागधब्बों को मिटाने के लिए भी करवाती हैं. चूंकि इस में इफैक्टेड एरिया को बिजली का शौट दिया जाता है, इसलिए उस स्थान की स्किन पर जलन या खुजली की समस्या होने की संभावना रहती है. ट्रीटमैंट के बाद ट्रीट किए गए स्थान पर आइसिंग की जानी चाहिए और सनस्क्रीन लगाने के बाद ही बाहर निकलना चाहिए.

इस ट्रीटमैंट को शादी से 6 महीने पहले करवाएं. इस की एक सिटिंग के चार्जेस ₹3,500 से ₹5 हजार हैं.

माइक्रोडर्माब्रेशन

स्किन की मृत कोशिकाओं को हटाने के लिए यह बहुत ही सेफ  ट्रीटमैंट है. इस ट्रीटमैंट के बाद स्किन के रंग और टैक्स्चर दोनों में ही सुधार आता है. थेरैपी के बारे में डाक्टर वरुण का कहना है कि इस थेरैपी में मशीनों के माध्यम से स्किन की ग्राइंडिंग की जाती है. यह एक स्ट्रौंग ऐक्सफौलिएशन प्रोसैस है. इस थेरैपी द्वारा स्किन पर पड़े स्कार्स और कालेपन को दूर किया जा सकता है. इस के लिए मृतकोशिकाओं को हटाने के लिए ऐपिडर्मिक स्किन को पतला किया जाता है.

वैसे कभीकभी इस प्रोसैस में स्किन से खून भी आ जाता है. इस थेरैपी में मशीनों में ऐल्यूमिनियम और डायमंड पाउडर भरा जाता है और उसी से स्किन का ट्रीटमैंट किया जाता है. इस ट्रीटमैंट के लिए 6 से 8 सिटिंग्स की जरूरत पड़ती है. इस थेरैपी को कराने में लगभग ₹20 हजार से ₹25 हजार तक का खर्च आ जाता है.

फेशियल लाइंस, बोंस एनहैंसमैंट और डिंपल्स: हंसते वक्त चेहरा कैसा लग रहा है? कहीं अनवौंटेड लाइंस तो नहीं दिख रहीं? डिंपल पड़ रहे हैं या नहीं? शादी के पहले लड़कियां अचानक इन सब पर ध्यान देना शुरू कर देती हैं. इस की वजह भी खास होती है क्योंकि शादी में ब्राइड पर ही सब की नजरें टिकी होती हैं. कैमरामैन भी ज्यादा तसवीरें ब्राइड की ही लेता है. ऐसे में फेशियल लाइंस और अनबैलेंस्ड स्माइल दुलहन का चेहरा बिगाड़ सकती है. इस से बचने के लिए आजकल की ब्राइड्स में बोटोक्स, फिलर्स और डिंपल सर्जरी आम हो गई है. आइए, जानते हैं इन ट्रीटमैंट्स के बारे में:

बोटोक्स

कई महिलाओं के हंसते वक्त नाक की दोनों ओर से होंठों तक लकीरें बनने लगती हैं जिन्हें लाफिंग लाइंस कहते हैं. इसी तरह बातचीत करते वक्त कई लोगों की आंखों के कोनों पर क्रो लाइंस बन जाती हैं या फिर माथे पर ऐक्सप्रैशन लाइंस दिखने लगती हैं, जो बेहद भद्दी लगती हैं. इन्हें बोटोक्स ट्रीटमैंट के द्वारा मिटाया जा सकता है.

डाक्टर वरुण का इस ट्रीटमैंट के बारे में कहना है कि बोटोक्स बोट्यूलियन टौक्सिन टाइप ए का प्यूरिफाइड और डिल्यूटेड फौर्म है, जो चेहरे की मसल्स को रिलैक्स कर के फेशियल क्रीज को मिटाता है. इस ट्रीटमैंट में इंजैक्शन द्वारा बोटोक्स को इफैक्टेड एरिया में इंजैक्ट किया जाता है. इस का असर 4 से 6 महीने तक रहता है. लेकिन यदि यह गलत तरीके से इंजैक्ट किया जाए तो चेहरा इंबैलेंस हो जाता है, साथ ही इंजैक्ट किए गए एरिया में सूजन भी आ जाती है.

फिलर

आजकल सब को पाउटी लिप्स चाहिए. यह ट्रैंड सा बन चुका है खासतौर पर बौलीवुड ऐक्ट्रैसेज में यह ट्रैंड बहुत आम है. अब उन्हीं को देख कर ब्राइड बनने जा रही लड़कियों को भी अपने लिप्स पाउटी चाहिए. इस ट्रीटमैंट को करवाने में कोई जोखिम भी नहीं. पतले होंठों वाली लड़कियों के लिए यह ट्रीटमैंट किसी वरदान से कम नहीं. लेकिन अवलीन की माने तो फिलर ब्यूटी इंडस्ट्री में अब बहुत कौमन हो चुके हैं. लेकिन इस का असर इफैक्टेड एरिया में जबरदस्त दिखता है. इस लिए इस ट्रीटमैंट को तब ही करवाया जाए जब आप पूरी तरह से बदलाव के लिए तैयार हों. थेरैपी और इसे किसी अच्छे कौस्मैटोलौजिस्ट से ही करवाएं.

इस थेरैपी द्वारा अंडर आई बैग्स को कंट्रोल करने, लिप्स को शेप देने और चीकबोंस को उठाने के लिए फिलर लिपिड्स होते हैं जो पानी की कमी को पूरा करते हैं और बैठी हुई स्किन को उभारते हैं. इस थेरैपी पर ₹25 हजार से ₹30 हजार तक खर्चा आता है.

आर्टिफिशियल डिंपल सर्जरी

फोर्टिस अस्पताल की कौस्मैटिक सर्जन रश्मि तनेजा का कहना है, ‘‘आजकल बहुत सी लड़कियां डिंपल सर्जरी के लिए आती हैं.

लेकिन इस के लिए हमें उन के चेहरे की प्रौपर सर्जरी करनी पड़ती है. इस के लिए हम स्किन को काट कर मसल्स से जोड़ देते हैं. सर्जरी से हुए घाव को भरने में लगभग 3 हफ्ते लग जाते हैं. लेकिन यह जरूरी नहीं कि सर्जरी सक्सैसफुल हो. कई बार सर्जरी के बाद भी डिंपल नहीं बनता बल्कि ऐसा भी होता है कि हंसने पर या न हंसने भी सर्जरी की जगह क्रीज बन जाती है, जबकि प्राकृतिक तौर पर बनने वाले डिंपल स्किन पर क्रीज नहीं बनाते.

इस सर्जरी को शादी से 8 माह पूर्व करवाना चाहिए. इसे करवाने में लगभग ₹50 हजार से ₹60 हजार तक लग सकते हैं और इस का असर भी 6 महीने तक ही रहता है.

हेयर रिमूवल थेरैपी

इस बाबत अवलीन कहती हैं कि चेहरे पर बाल होना न होना हारमोंस पर निर्भर करता है. कई लड़कियों में लड़कों वाले हारमोंस का लैवल ज्यादा होता है. उस केस में चेहरे पर लड़कों की तरह बाल आ जाते हैं. अब इन बालों की शेव तो की नहीं जा सकती है, इसलिए कई लड़कियां थ्रैड से बाल हटवा लेती हैं. लेकिन इस से दोबारा निकलने वाले बाल कड़े जो जाते हैं और उन की संख्या भी बढ़ जाती है. उन्हें हटाने के लिए हेयर रिमूवल लेजर थेरैपी का सहयोग लिया जा सकता है. इस के लिए स्पार्क्स द्वारा बालों को जलाया जाता है.

इस थेरैपी में एनडीयोग लेजर, डायर्ड लेजर और आईपीएल लेजर का इस्तेमाल होता है. लेकिन एक बार इस थैरेपी को करवाने के बाद चेहरे पर ब्लीच नहीं किया जा सकता. थेरैपी का असर खत्म होने के बाद बालों की डैंसिटी और मोटाई दोनों ही कम हो जाती हैं. कभीकभी इस थेरैपी के रिएक्शन भी देखने को मिलते हैं. कई बार इस थेरैपी के बाद स्किन पर रैशेज, इरीटेशन हो जाती है. इस थेरैपी के लिए मल्टीपल स्टिंग (12-20) भी लेनी होती हैं. थेरैपी को कराने में खर्च ₹2 हजार से ₹2,500 तक आता है.

ये भी पढ़ें- जरूरी है हेयर औयल मसाज

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें