भाई की शादी में जलवे बिखेरती दिखीं ‘जमाई राजा’ एक्ट्रेस Nia Sharma, देखें फोटोज

सीरियल जमाई राजा एक्ट्रेस निया शर्मा (Nia Sharma) आए दिन अपने बोल्ड अवतार को लेकर सुर्खियां बटोरती हैं. वहीं हाल ही में एक्ट्रेस ने अपने बड़े भाई विनय शर्मा की शादी की कुछ फोटोज शेयर की हैं, जिनमें वह अपने लुक के चलते सुर्खियां बटोरती नजर आ रही हैं. आइए आपको दिखाते हैं निया शर्मा के भाई की वेडिंग की खास फोटोज…

भाई की शादी में कुछ ऐसी दिखीं निया शर्मा

 

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दरअसल, बीते दिनों निया शर्मा के भाई विनय शर्मा (Nia Sharma Brother) ने अपनी गर्लफ्रेंड से शादी कर ली है, जिसकी फोटोज एक्ट्रेस ने अपने औफिशियल इंस्टाग्राम अकाउंट (Nia Sharma Official Instagram) पर शेयर की हैं. वहीं दोनों को शादी की बधाई दी हैं. हालांकि इन फोटोज में फैंस को निया शर्मा का वेडिंग लुक बेहद पसंद आ रहा है, जिसके चलते उनकी फोटोज सोशलमीडिया पर वायरल हो रही हैं.

 

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वाइट लुक से जीत रहीं फैंस का दिल

 

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भाई की शादी में निया शर्मा ने कलरफुल लुक की जगह प्लेन वाइट लुक कैरी किया था. वाइट कलर का लहंगा पहने निया शर्मा बेहद खूबसूरत लग रही थीं. वहीं इस लुक को लाइट ज्वैलरी, सिंपल हेयर स्टाइल के साथ रेड लिपस्टिक से सजाया था. निया शर्मा का ये लुक देखकर फैंस उनकी तारीफें करते नहीं थक रहे हैं.

 

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हौट लुक को लेकर बटोरती हैं सुर्खियां

 

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एक्ट्रेस निया शर्मा (Nia Sharma) आए दिन अपने हौट लुक के चलते सुर्खियों में रहती हैं. इंडियन हो या वेस्टर्न, निया शर्मा का हटके लुक फैंस को हैरान करता है. हालांकि लोग उनके फैशन सेंस काफी पसंद करते हैं, जिसका अंदाजा निया शर्मा के सोशलमीडिया अकाउंट को देखकर लगाया जा सकता है.

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यहां कट्टरता की फसल न उगाई जाए

1 जनवरी वैसे तो नए साल की शुरूआत होती है और बच्चोंबड़ों सब के लिए खुशी मनाने का एक मौका होता है, इस 1 जनवरी, 2022 को कर्नाटक के एक डीयूनिवर्सिटी कालेज में मुसलिम लड़कियों का हिजाब पहन कर आना और प्रिंसीपल सद्र गौड़ा का उन को क्लास अटैंड करने से रोकने से शुरू हुआ. डाडिपी के इस कालेज में हिंदूमुसलिम कट्टरपंथियों दोनों ने तुरंत धर्म का पैट्रोल फेंकना शुरू कर दिया. मुसलिम लड़कियों ने हिजाब पहनने की धार्मिक आजादी का हक बताया तो बदले में हिंदू कट्टरपंथियों ने अपने पिट्ठओं को भगवा स्कार्फ पहनने को उक्सा दिया.

यह आज धीरेधीरे नहीं तुरंत फैलने लगी. दोनों धर्मों के लोग अपनी जिद पर अड़ गए. स्कूल कालेज प्रिंसीपल कहते थक गए कि स्कूलकालेजों को धर्म का युद्ध क्षेत्र न बनाओ पर धर्मों के ठेकेदार कब इन बातों को समझते हैं. एक ही क्लास में 2 टुकड़े होने लगे. कुछ हिजाब पहनने लगीं, कुछ भगवा स्कार्फ और कुछ खुले सिर. तीनों वर्ग एकदूसरे को दोष देने लगे हैं और जो थोड़ी बहुत दोस्तियां थीं वे सब धर्म के बुल्डोजरों से कुचल दी गई.

बच्चों को धर्म की शिक्षा दिलवाना हर धर्म का पहला काम है. बच्चों को तो खेल चाहिए होता है और वे ईद हो या दीवाली मौजमस्ती चाहते हैं और बढिय़ा खाना मांगते है फिर चाहे उन से कैसी एिक्टग करा लो, कैसी ही पोशाक उन्हें पहना दो. यह फंफूद धीरेधीरे दिमाग में बैठ जाती है और सब कुछ दूषित कर देती है. जो दिन हंसतेखेलने, खिलखिलाने, दोस्तियां बनाने के, पढऩे के, साथसाथ टै्रिकगों और पिकनिकों पर जाने के होते हैं, वे दिन अब धार्मिक एजेंडों को पूरा करने में लग गए हैं.

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लड़कियों को वैसे ही पढऩे की आजादी नहीं है. तालिबानी आफगानिस्तान में लड़कियों के स्कूल अभी तक नहीं खुले हैं. हां यह बात दूसरी कि तालिबानी नेता अपनी बेटियों को पाकिस्तान के प्राईवेट  मदरसों में जहां धार्मिक व आधुनिक शिक्षा दोनों मिल रही है या कातर, दुबई, आबूधाबी भेजने लगे हैं जबकि आम लड़कियां अपने को सिर से पैर तक ढके बंद कमरों में रहने को मजबूर हैं.

यह तालिबानी सोच भारत में भी एक्सपोर्ट हो गई अफसोस है. मुसलिम लड़कियों को किसी भी हालत में हिजाब पहन कर स्कूलकालेज में आने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए. न ही माथे पर तिलक, या टीका, गले में क्रौस का लाकेट, हाथों में धार्मिक अंगूठियां अलग होनी चाहिए. स्कूलकालेज धर्म की कट्टर सोच के भूसे और गोबर को निकालने के लिए है, वह खेत नहीं जहां कट्टरता की फसल उगाई जाए. धार्मिक स्वतंत्रता का अगर कोई अधिकार है तो वहां तक है जहां उस का किसी तरह से विरोध नहीं हो रहा है, स्कूल और कालेज की बाउंड्री के अंदर केवल तर्क, तथ्य और सच की स्वतंत्रता का अधिकार, झूठों पर आधारित धर्मों का नहीं.

लड़कियों के वर्तमान और भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का हक न मुसलिम हिजाब को है, न भगवा स्कार्फ को.

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Valentine’s Special: हेयर रिमूवल के लिए क्या करें क्या नहीं

ऐसा ही प्रियांशा ने भी किया. उस ने जानकारी के अभाव में अपने फेशियल हेयर को रिमूव करने के लिए हेयर रिमूवल क्रीम के विकल्प को चूज किया, लेकिन जानकारी के अभाव में न तो सही तकनीक अपनाया और न ही तरीका, जिस के कारण उस की स्किन क्लीन व खूबसूरत बनने के बजाय खराब हो गई.

ऐसा सिर्फ प्रियांशा के साथ ही नहीं हुआ बल्कि अधिकांश लड़कियों को इस परेशानी का सामना करना पड़ता है. लेकिन यहां हम आप को कुछ तकनीक के साथसाथ उस के संबंध में क्या करें, क्या न करें इस से भी अवगत करवाएंगे ताकि आप को उस तकनीक का पूरा फायदा मिलने के साथसाथ आप की स्किन खूबसूरत भी बन सके.

हेयर रिमूवल क्रीम

अगर बात हो हाथपैरों के अनचाहे बालों को रिमूव करने की तो उस के लिए आप हेयर रिमूवल क्रीम के औप्शन को चूज कर सकती हैं क्योंकि एक तो आप घर बैठे इसे अप्लाई कर सकती हैं और दूसरा इस से हेयर जड़ से निकलते हैं और मिनटों में बिना दर्द के आप को सौफ्ट, क्लीन व स्मूद स्किन मिल जाती है.

लेकिन इस के लिए सही क्रीम का चयन करने की जरूरत होती है जैसे अपनी स्किन टाइप को ध्यान में रख कर प्रोडक्ट का चयन करना, प्रोडक्ट में किस तरह के इनग्रीडिएंट्स का इस्तेमाल किया गया है, प्रोडक्ट के बारे में कस्टमर्स के रिव्यू क्या हैं बगैराबगैरा.

क्या करें

– अपने हेयर और स्किन टाइप को देखें.

– क्रीम अप्लाई करने से पहले पैच टैस्ट जरूर करें.

– क्रीम के पैक पर दिए गए दिशानिर्देशों को अच्छे से पढ़ें.

– ऐक्सपायरी चैक जरूर करें.

– हमेशा अच्छी दुकान या औनलाइन स्टोर से ही खरीदें.

– लगाने से पहले अपनी स्किन को अच्छे से क्लीन जरूर करें.

क्या न करें

– क्रीम को हमेशा हलके हाथों से साफ करें न की रब कर के.

– जरूरत से ज्यादा समय तक क्रीम को अप्लाई

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न करें.

– क्रीम लगाने से अगर स्किन पर जलन या रैडनैस दिखे तो तुरंत हटा लें.

– ऐक्सपायरी क्रीम कभी न लगाएं.

– बारबार एक ही जगह पर क्रीम अप्लाई न करें.

– जल्दीजल्दी क्रीम अप्लाई न करें. 20-25 दिन बाद ही अप्लाई करें.

वैक्सिंग

वैक्सिंग हेयर रिमूवल का बहुत ही कौमन व इफैक्टिव मैथड है क्योंकि इस से हेयर तो रिमूव होते ही हैं, साथ ही यह स्किन को ऐक्सफौलिएट करने में भी मदद करती है.

इस से न सिर्फ आप हाथपैरों के बालों को रिमूव कर सकती हैं बल्कि इस से चिन, फोरहैड, अपरलिप्स, बिकिनी एरिया, यहां तक की शरीर के अनचाहे बालों को भी रिमूव कर सकती हैं. लेकिन जरूरी है सही वैक्स के चुनाव करने की.

सौफ्ट वैक्स: इस का इस्तेमाल हाथपैरों के हेयर के रिमूव करने के लिए किया जाता है. इसमें स्किन पर वैक्स की पतली लेयर फैलाकर हेयर को रिमूव किया जाता है. यह वैक्स अकसर बड़े एरिया जैसे हाथपैरों, अंडरआर्म्स के हेयर को रिमूव करने के लिए इस्तेमाल की जाती है.

हार्ड वैक्स: इसका इस्तेमाल अकसर सैंसिटिव एरिया जैसे चिन, बिकिनी एरिया, अपरलिप्स, फेशियल हेयर को रिमूव करने के लिए किया जाता है. इस का फायदा यह है कि यह वैक्स सिर्फ हेयर को बाइड करती है न कि स्किन को. इस के एक ऐप्लीकेशन मात्र से ही स्किन से हेयर जड़ से रिमूव हो जाते हैं  और दर्द भी कम होता है.

फ्रूट वैक्स: जिस में हैं फू्रट्स की खूबियां. ये ऐंटीऔक्सीडैंट्स व विटामिंस में रिच होने के कारण आप की स्किन को नौरिश करने के साथसाथ उस की ऐक्स्ट्रा केयर करने का काम भी करती है.

चौकलेट वैक्स: यह वैक्स काफी डिमांड में रहती है. इस में गैलेरिन व औयल होने के साथ है ऐंटीइनफ्लैमेटरी प्रौपर्टीज, जो खास कर के सैंसिटिव स्किन व जिन की स्किन वैक्सिंग से रैड होने का डर रहता है, उन के लिए डिजाइन की गई है.

क्या करें

– वैक्सिंग से पहले स्किन पर जमी गंदगी को स्क्रब की मदद से ऐक्सफौलिएट करें.

– वैक्सिंग से पहले स्किन पर हलकाहलका पाउडर अप्लाई करें. इस से स्किन का ऐक्स्ट्रा औयल ऐब्जौर्ब होने से हेयर को निकालने में आसानी होती है.

– स्किन को टाइट होल्ड करें. इस से कट पड़ने का डर नहीं रहता है.

– हमेशा वैक्स को हेयर की उलटी दिशा में ही खींचना चाहिए.

– अपने स्किन टाइप के हिसाब से ही वैक्सिंग के टाइप का चयन करें.

– वैक्सिंग के बाद स्किन को वाइप्स की मदद से साफ कर पानी से क्लीन कर के मौइस्चराइज जरूर करें.

– फेस पर छोटेछोटे हिस्सों में ही वैक्स करें.

– नैचुरल इनग्रीडिऐंट्स व स्किन को कूलिंग इफैक्ट देने वाली वैक्स का ही इस्तेमाल करें.

क्या न करें

– अगर स्किन पर चोट या खरोंचें हो, तो भूल कर भी वैक्सिंग न करवाएं.

– एक ही जगह पर बारबार वैक्सिंग न करें.

– वैक्सिंग करवाने के तुरंत बाद यूवी किरणों के संपर्क में न आएं.

– वैक्सिंग करवाने के बाद 6-7 घंटे तक स्किन पर साबुन का इस्तेमाल न करें.

– वैक्स स्ट्रिप को तेजी से पुल न करें.

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लेजर हेयर रिमूवल

जो महिलाएं रोजरोज वैक्सिंग, शेविंग के झंझट से छुटकारा पाना चाहती हैं, उन के लिए लेजर हेयर रिमूवल ट्रीटमैंट किसी वरदान से काम नहीं है. यह अनचाहे बालों को हटाने की एक कौस्मैटिक प्रक्रिया है. इस में लेजर लाइट के जरीए हेयर फोलिकल्स को नष्ट करने की कोशिश की जाती है.

भले ही यह ट्रीटमैंट थोड़ा लंबा होता है, लेकिन इस का रिजल्ट बहुत ही अच्छा होता है. इस से आप को कुछ सीटिंग्स के बाद ही अनचाहे बालों से छुटकारा मिल जाता है. सीटिंग्स व लेजर ट्रीटमैंट आप के बालों के एरिया व उन की मोटाई पर निर्भर करता है.

क्या करें

– लेजर ट्रीटमैंट करवाने के 2-3 हफ्ते पहले से आप को वैक्सिंग, ब्लीच व हेयर को प्लक करना पूरी तरह से अवौइड करना होगा.

– यूवी किरणों से स्किन को बचा कर रखें और अगर बाहर जाना ही पड़े तो सनस्क्रीन लगा कर ही जाएं.

– पूरी तरह से ब्लीच को अवौइड करें.

– ट्रीटमैंट लेने से पहले मेकअप व क्रीम्स को रिमूव करें.

क्या न करें

– ट्रीटमैंट के बाद 2-3 दिनों तक हार्श सोप व क्रीम के इस्तेमाल से बचें.

– 1-2 दिनों तक ज्यादा गरम पानी से नहाने से बचें.

– ट्रीटमैंट के 2-3 हफ्ते तक ब्लीच के इस्तेमाल से बचें.

– खुशबू वाले कौस्मैटिक्स के इस्तेमाल से बचें क्योंकि इस से स्किन पर ऐलर्जी होने के चांसेज ज्यादा रहते हैं.

– इफैक्टेड एरिया को बर्फ से ठंडक दें.

– सीटिंग्स को मिस न करें.

ऐडवांस्ड शेविंग मशीन

शरीर से ऐक्सैस हेयर को रिमूव करना जहां बहुत ही जरूरी है, वहीं यह काफी सैंसिटिव काम भी होता है क्योंकि सही तकनीक का इस्तेमाल नहीं करने व जरा सी लापरवाही की वजह से स्किन पर कट व कई बार वह जल तक जाती है.

ऐसे में महिलाओं की इस परेशानी को ध्यान में रखकर एडवांस्ड  शेविंग मशीन यानी इलैक्ट्रिक शेविंग मशीन फोर वूमन को पेश किया गया है, जो मशीन में लगे सोफ्ट ब्लेड्स के माध्यम से बालों को आसानी से ट्रैप कर के स्किन को क्लीन व क्लीयर बनाने का काम करती है. इसे अकसर बिकिनी एरिया, अंडरआर्म्स व अपरलिप्स के लिए ही इस्तेमाल किया जाता है.

क्या करें

– जब भी शेविंग मशीन खरीदें तो हमेशा एडवांस मौडल ही खरीदें.

– रिसर्च के बाद ही मशीन खरीदें.

– हाइजीन के लिए उसे अच्छे से क्लीन करती रहें.

– समयसमय पर ब्लेड चेंज करना न भूलें.

– ठीक से चार्ज करें.

क्या न करें

– इस के जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल से बचें.

– एक ही जगह पर बारबार मशीन न चलाएं.

– अंडर रूट बालों पर मशीन चलाने से बचें. इस से रिजल्ट अच्छा नहीं मिलेगा.

फेस रेजर

क्या आप अपने फेशियल हेयर के कारण रोजरोज के पार्लर जाने से परेशान हैं तो आप के लिए ही खासतौर पर है फेस रेजर. यह एक ऐक्सफौलिएटर है, जो आप के चेहरे के बालों को हटाने में मदद करता है. फिर चाहे वे चेहरे पर हों, चिन पर, आईब्रोज पर, अपरलिप्स पर या फिर फोरहैड पर.

यह स्किन से डैड स्किन सैल्स व ऐक्सेस औयल को रिमूव कर के क्लीन स्किन टैक्स्चर देने में भी मदद करता है, साथ ही पौकेट फ्रैंडली होने के कारण हरकोई इसे अफोर्ड कर सकता है.

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क्या करें

– इस्तेमाल से पहले फेस को हाइड्रेट जरूर करें.

– रेजर का इस्तेमाल हेयर ग्रोथ की दिशा में करें.

– प्रोसैस पूरा होने के बाद साफ कपड़े से फेस को क्लीन करें.

क्या न करें

– एकदूसरे का रेजर यूज करने से बचें.

– बेहतर रिजल्ट के चक्कर में हार्श तरह से इस का इस्तेमाल न करें.

– ग्रोथ के हिसाब से रेजर यूज करें.

– अगर आप की स्किन सैंसिटिव है तो आप फेस पर रेजर का इस्तेमाल न करें.

औक्टोपस कैद में: सुभांगी ने क्या लिया था फैसला

लेखक- मुकेश नौटियाल

ज्यों ही वंदना से उस का सामना हुआ, वह अपना आपा खो बैठी. उस ने वंदना को धिक्कारते हुए कहा, ‘‘तुम ने तो अपनी इमेज खराब कर ली, लेकिन तुम ने मेरे बारे में यह कैसे सोच लिया कि मैं भी तुम्हारे रास्ते चल पडं़ूगी.’’

‘‘क्यों… क्या हो गया?’’ वंदना ने ऐसे पूछा, जैसे वह कुछ जानती ही न हो.

‘‘वही हुआ, जो तुम ने सोचा था. मैं भी तुम्हारी तरह लालची और डरपोक होती तो शायद बच कर नहीं निकल पाती…’’ सुभांगी ने अपनी उफनती सांसों पर काबू पाते हुए कहा.

वंदना सम झ गई कि सुभांगी उस की सचाई को जान गई है. उस ने पैतरा बदलते हुए कहा, ‘‘देखो सुभांगी, अगर तुम को आगे बढ़ना है, तो कई जगह सम झौते करने पड़ेंगे. फिर क्या हर्ज है कि किसी एक पहुंच वाले आदमी के आगे  झुक लिया जाए. मु झे देखो, आज मैं मंत्रीजी की वजह से ही इस मुकाम तक पहुंची हूं…’’

वंदना मंत्री से अपने संबंधों के चलते ही ब्लौक प्रमुख बनी थी. पहली बार जब वह आंगनबाड़ी में नौकरी करने की गरज से मंत्री के पास गई थी, तो उस का सामना एक भयंकर दुर्घटना से हुआ था.

उस की मजबूरी को भुनाते हुए मंत्री ने भरी दोपहरी में उस की इज्जत लूटी थी. एक बार तो उस को ऐसा सदमा लगा कि खुदकुशी का विचार उस के मन में आ गया था, लेकिन मंत्री ने उस के गालों को सहलाते हुए कहा था, ‘नौकरी कर के क्या करोगी… मु झे कभीकभार यों ही खुश कर दिया करो. बदले में मैं तुम्हें वह पहचान और पैसा दिलवा दूंगा, जिस की तुम ने कभी कल्पना भी न की हो.’

उस समय वंदना भी मंत्री के मुंह पर थूक कर भाग आई थी, लेकिन घर पहुंचने पर उस के मन में कई तरह के खयाल आए थे. कभी उस को लगता था कि फौरन जा कर पुलिस को सूचित करे और मंत्री के खिलाफ जंग का बिगुल बजा दे, लेकिन अगले ही पल उसे लगा कि मंत्री के खिलाफ लड़ने का अंजाम आखिरकार उस को ही भुगतना पड़ेगा.

जिन दिनों वंदना मंत्री के कारनामे से आहत हो कर घर में गुमसुम बैठी थी, उन्हीं दिनों उस की मुलाकात अर्चना से हुई थी. अर्चना कहने को तो टीचर थी, लेकिन उस के कारनामे बस्ती में काफी मशहूर थे.

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अर्चना ने वंदना को सम झाया था, ‘औरत को तो हर जगह  झुकना ही होता है बहन. कुछ लोग मजे ले कर चले जाते हैं और कुछ एहसान का बदला चुकाते हैं. मंत्रीजी ने जो किया, वह बेशक गलत था, लेकिन अब वे अपने किए का मुआवजा भी तो तुम को दे रहे हैं.  झगड़ा मोल लोगी तो पछताओगी और अगर सम झौता करोगी, तो आगे बढ़ती चली जाओगी.’

अर्चना ने वंदना को इतने हसीन सपने दिखाए थे कि उस से मना करते हुए नहीं बना. उस के साथ वह राजधानी पहुंची और कई दिनों तक मंत्री के लिए  मनोरंजन का साधन बनी रही.

अब वंदना को पता चला कि मंत्री की एक रखैल अर्चना भी है. अर्चना की सेवा से खुश हो कर मंत्री ने उसे उसी स्कूल का प्रिंसिपल बना दिया, जिस में कभी मंत्री की मेहरबानी से वह टीचर बनी थी.

वंदना सत्ता के सपनीले गलियारों में कुछ यों उल झी कि उस को अपने पति से खिलाफत करते हुए भी  िझ झक नहीं हुई.

मंत्री के कारनामों से उस के पति अनजान नहीं थे. नौकरी के सिलसिले में वे अकसर घर से बाहर ही रहते थे, लेकिन अपनी बीवी की हर चाल से

वे वाकिफ थे. पानी जब सिर से ऊपर गुजरने लगा, तो उन्होंने वंदना को रोकने की कोशिश की.

बच्चों का हवाला देते हुए उन्होंने वंदना से कहा था, ‘तुम 2 बच्चों की मां हो. बच्चों की पढ़ाई और परवरिश के लिए मैं जो कमाता हूं, वह काफी है. इज्जत की कमाई थोड़ी ही सही, लेकिन अच्छी लगती है.

‘‘ईमान और इज्जत बेच कर कोई लाखों रुपए भी कमा ले, तो दुनिया की थूथू से बच नहीं सकता. अभी देर नहीं हुई, मैं तुम्हारे अब तक के सारे गुनाह माफ करने को तैयार हूं, बशर्ते तुम इस गलत रास्ते से वापस लौट आओ…’

वंदना अब इतनी आगे बढ़ चुकी थी कि उस का किसी से कोई वास्ता नहीं रहा था. उस ने पति को दोटूक शब्दों में कह दिया था, ‘मैं जिंदगीभर तुम्हारी दासी बन कर नहीं रह सकती. अब तक मैं ने जो चुपचाप सहा, वह मेरी भूल थी. अब मु झे अपने रास्ते चलने दो.’

यह सुन कर वंदना का पति चुप हो गया था. उस को लगा कि वंदना को रोकना अब खतरनाक हो सकता है. उस की वजह से घर में क्लेश बढ़ सकता था. उस ने दोनों बच्चों को अपने साथ ले जाने का फैसला किया और वंदना को उसी के हाल पर छोड़ दिया.

वंदना ने भी पति के फैसले में कोई दखल नहीं दिया. अब उस के ऊपर बच्चों की देखरेख करने का जिम्मा भी नहीं रहा.

तमाम जिम्मेदारियों से छूट कर वंदना अब मंत्री की सेवा में खुद को पूरी तरह सौंप चुकी थी. बाहुबली मंत्री ने पंचायत चुनावों में अपने आपराधिक संपर्कों का इस्तेमाल कर वंदना को ब्लौक प्रमुख बना दिया. मंत्री से अपने संबंधों को उस ने जम कर भुनाया.

वंदना अपने दबदबे का इस्तेमाल जनता की भलाई के लिए करती तो लोगों का समर्थन हासिल करती, लेकिन लालच में अंधी हो कर उस ने मंत्री के दलाल की भूमिका निभानी शुरू कर दी.

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अफसरों से पैसा वसूलना और अपने गुरगों को ठेके दिलवाने के अलावा अब वह आसपास के गांवों की भोलीभाली लड़कियों को नौकरी का लालच दे कर अपने आका के बैडरूम तक पहुंचाने लगी थी.

सुभांगी उस इलाके में अपनी स्वयंसेवी संस्था चलाती थी. वह पढ़ीलिखी और जु झारू थी. अपनी संस्था के जरीए वह औरतों और बच्चों को पढ़ाने की मुहिम चला रही थी.

वंदना और सुभांगी की मुलाकात एक सरकारी कार्यक्रम में हुई. शातिर वंदना की नजर सुभांगी पर लग चुकी थी. उस ने सुभांगी से दोस्ती बढ़ानी शुरू कर दी.

एक दिन मौका पा कर वंदना ने सुभांगी से पूछा, ‘तुम इतनी मेहनत करती हो. चंदा जुटा कर औरतों और बच्चों को पढ़ाती हो. ऐसे कामों के लिए सरकार अनुदान देती है. तुम खुद क्यों नहीं इस दिशा में कोशिश करती?’

‘सरकारी मदद लेने के लिए तो आंकड़े चाहिए और मेरी समस्या यह है कि मैं जमीन पर रह कर यह काम करती हूं, लेकिन फर्जी आंकड़े नहीं जुटा सकती…’ सुभांगी ने जवाब दिया.

‘तुम को फर्जी आंकड़े जुटाने की क्या जरूरत है? तुम्हारे पास तो ढेर सारे आंकड़े पहले से ही मौजूद हैं. तुम कहो तो मैं तुम्हारी मदद कर सकती हूं. इस इलाके के विधायक सरकार में मंत्री हैं और उन से मेरे अच्छे ताल्लुकात हैं,’ वंदना ने अपना जाल बिछाते हुए कहा.

सुभांगी को वंदना के असली कारनामों की जानकारी नहीं थी. वह उस की बातों में आ गई. उस ने सोचा कि चंदा वसूल कर अगर वह इतनी बड़ी मुहिम चला सकती है, तो सरकारी मदद मिलने पर इस को और भी सही ढंग से चला सकेगी.

उस शाम वंदना सुभांगी को ले कर मंत्री के घर पहुंची. उस का परिचय कराने के बाद वह तो कमरे से बाहर आ गई, लेकिन सुभांगी को वहीं छोड़ गई.

सुभांगी ने मंत्री की तरफ अपनी फाइल बढ़ाते हुए कहा, ‘इस में मेरे अब तक के काम का पूरा ब्योरा है. काम तो मैं यों भी कर ही रही हूं, लेकिन सरकार मदद दे दे तो मैं और भी बेहतर काम कर पाऊंगी.’

‘चिंता न करो, हम तुम को अच्छा अनुदान देंगे…’ मंत्री के मुंह से शराब की बदबू का भभका आया, तो सुभांगी के कान खड़े हो गए. वह फौरन कुरसी से उठी और बोली, ‘आप मेरी फाइल देख लीजिए… अभी मैं चलती हूं.’

सुभांगी दरवाजे की ओर मुड़ी ही थी कि नशे में धुत्त मंत्री ने उस को पीछे से दबोचते हुए कहा, ‘फाइल से पहले मैं तुम को तो देख लूं मेरी रानी…’

मंत्री ने सुभांगी को अपनी बांहों में मजबूती से जकड़ लिया. सुभांगी उस की गिरफ्त से बचने के लिए ऐसे छटपटाने लगी, जैसे कोई मजबूर मछली औक्टोपस की कैद से निकलने के लिए छटपटाती है.

देर तक सुभांगी मंत्री के चंगुल से निकलने के लिए छटपटाती रही और जब उस की ताकत जवाब दे गई, तो वह निढाल हो कर फर्श पर गिर पड़ी.

इस से पहले कि वह खूंख्वार शैतान उस की देह पर बिछता, उस ने चालाकी से अपने जूड़े में फंसी पिन मंत्री के मोटे गाल में घोंप दी. मंत्री की चीख निकल गई और वह एक किनारे हो गया. इस बीच सुभांगी बच कर भाग निकली.

मंत्री के कमरे से निकलते ही सुभांगी का सामना वंदना से हुआ. वह वंदना की सचाई सम झ चुकी थी. उस को डपट कर वह पुलिस थाने पहुंची.

एक जवान लड़की को यों बदहवास भागते देख कर लोग सकते में आ गए. मीडिया को भी खबर लग गई. देखते ही देखते थाने में भीड़ जुट गई. दबाव में आ कर पुलिस ने न चाहते हुए भी रिपोर्ट दर्ज कर ली.

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अगले दिन मंत्री के कारनामों की खबरें अखबारों में हैडलाइन बन कर छपीं. विपक्षी पार्टियों के दबाव में आ कर मंत्री को गिरफ्तार किया गया.

पुलिस जांच में पता चला कि सुभांगी के अलावा मंत्री ने कई मजबूर लड़कियों को अपनी हवस का शिकार बनाया और इस की सूत्रधार थी वंदना. वंदना को भी गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया.

आज वंदना जेल की कोठरी में कैद है. उस की सारी इच्छाएं खत्म हो चुकी हैं. अब उस को अपना अतीत याद आता है, जब उस के पति ने उस को बारबार सम झाया था कि गलत रास्ता छोड़ दे, लेकिन उस समय उस की आंखों पर पट्टी बंधी थी. वह खुद को सबकुछ सम झ बैठी थी. सुभांगी की तरह उस ने भी हिम्मत कर मंत्री को सबक सिखाया होता, तो आज यह दिन न देखना पड़ता.

वंदना अब घुटघुट कर जी रही है. उस के पास अपनी करनी पर पछतावा करने के अलावा कोई और चारा नहीं है. उस को अब अपने बच्चों की याद सताती है. पति से अपने गुनाहों के लिए माफी मांगने के लिए वह छटपटाती रहती है, लेकिन उस का कोई अपना उस से मिलने को तैयार नहीं है.

दूसरी तरफ सुभांगी के हिम्मत की चारों ओर तारीफ हो रही है. राजधानी के नागरिक सुरक्षा मंच ने उस को सम्मानित ही नहीं किया, बल्कि अपनी महिला शाखा का प्रधान भी बना दिया.

आज सुभांगी को तमाम सम्मानों से उतनी खुशी नहीं मिलती, जितनी कि इस बात से कि उस के एक हिम्मती कारनामे ने उस दुष्ट औक्टोपस को कैद करवा दिया, जो सालों से मजबूर लड़कियों को जकड़ता चला आ रहा था.

उस को खुशी है तो इस बात की कि न तो उस ने वंदना और अर्चना की तरह सम झौता किया और न ही उस ने हार मानी. उस ने हिम्मत से उस भयंकर औक्टोपस का सामना किया, जो तमाम मछलियों पर घात लगाए बैठा था.

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आलिया: क्या हुआ था आलिया को एहसास

लेखिका- असफिया खान

अगर कोई कुछ सीखना चाहता है तो वह इन्हीं अच्छेबुरे लोगों के बीच रह कर ही सीख सकता है. अगर कोई आगे बढ़ना चाहता है तो उसे इन्हीं लोगों के साथ ही आगे चलना होगा.

लेकिन उन लोगों का क्या, जिन्होंने यह दुनिया जी ही नहीं? ऐसे लोग जो अपने ख्वाबों में अपनी एक अलग दुनिया जीते हैं. वे किताबों, घर के बनाए उसूलों और टैलीविजन देख कर ही पूरी जिंदगी गुजार देते हैं.

ऐसे ही लोगों में से एक है आलिया. वह 12वीं क्लास में पढ़ती है. देखने में होशियार लगती है. और है भी, लेकिन उस ने अपना दिमाग सिर्फ किताब के कुछ पन्नों तक ही सिमटा रखा है. 12वीं क्लास में होने के बावजूद उस ने आज तक बाजार से अपनेआप एक पैन नहीं खरीदा है. वह छोटे बच्चों की तरह लंच बौक्स ले कर स्कूल जाती है और अपने पास 100 रुपए से ज्यादा जेबखर्च नहीं रखती है.

आलिया के पास आर्ट स्ट्रीम है और स्कूल में उस की एक ही दोस्त है हिना, जो साइंस स्ट्रीम में पढ़ती है. दोनों का एक सब्जैक्ट कौमन है, इसलिए वे दोनों उस एक सब्जैक्ट की क्लास में मिलती हैं और लंच बे्रक साथ ही गुजारती हैं.

आलिया को लगता है कि अगर कोई बच्चा 100 रुपए से ज्यादा स्कूल में लाता है तो वह बिगड़ा हुआ है. पार्टी करना, गपें मारना और किसी की खिंचाई करना गुनाह के बराबर है.

अगर कोई लड़की स्कूल में बाल खोल कर और मोटा काजल लगा कर आती है और लड़कों से बिंदास बात करती है तो वह उस के लिए बहुत मौडर्न है.

सच तो यह है कि आलिया बनना तो उन के जैसा ही चाहती है, पर चाह कर भी ऐसा बन ही नहीं पाती है. क्लास के आधे से ज्यादा बच्चों से उस ने आज तक बात नहीं की है.

एक बार रोहन ने आलिया से पूछा, ‘‘आलिया, क्या तुम हमारे साथ पार्टी में चलोगी? श्वेता अपने फार्महाउस पर पार्टी दे रही है.’’

आलिया का मन तो हुआ जाने का, पर उसे यह सब ठीक नहीं लगा. उस ने सोचा कि इतनी दूर फार्महाउस पर वह अकेली कैसे जाएगी.

‘‘नहीं, मैं नहीं आऊंगी. वह जगह बहुत दूर है,’’ आलिया बोली.

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‘‘तो क्या हुआ. हम तुम्हें अपने साथ ले लेंगे. तुम कहां रहती हो, हमें जगह बता दो,’’ श्वेता ने भी साथ चलने के लिए कहा.

‘‘नहीं, मैं वहां नहीं जा पाऊंगी,’’ आलिया ने साफ लहजे में कहा.

‘‘बाय आलिया,’’ छुट्टी के वक्त रोहन ने आलिया से कहा.

आलिया सोचने लगी कि आज वह इतनी बातें क्यों कर रही है. वह रोहन की बात को अनसुना करते हुए आगे निकल गई.

रोहन को लगा कि वह बहुत घमंडी है. इस के बाद उस ने कभी आलिया से बात नहीं की.

अगले दिन आलिया को लंच ब्रेक में हिना मिली. अरे, हिना के बारे में तो बताया ही नहीं. वह आलिया की तरह भीगी बिल्ली नहीं है, बल्कि बहुत बिंदास और मस्त लड़की है. लेकिन अलग मिजाज होने के बावजूद दोस्ती हो ही जाती है. हिना की भी अपनी क्लास में ज्यादा किसी से बनती नहीं थी. इसी वजह से वे दोनों दोस्त बन गईं.

हिना को आलिया इसलिए पसंद थी, क्योंकि वह ज्यादा फालतू बात नहीं करती थी और कभी भी हिना की बात नहीं काटती थी. आलिया को कभी पता ही नहीं चलता था कि कौन किस तरह की बात कर रहा है.

बचपन से ले कर स्कूल के आखिरी साल तक आलिया सिर्फ स्कूल पढ़ने जाती है. बाकी बच्चे कैसे रहते हैं और कैसे पढ़ते हैं, इस पर उस ने कभी ध्यान ही नहीं दिया. अपनी 17 साल की जिंदगी में वह इतना कम बोली है कि शायद बात करना ही भूल गई है. उस की जिंदगी के बारे में जितना बताओ, उस से कहीं ज्यादा अजीब है.

हां, तो हम कहां थे. अगले दिन आलिया लंच ब्रेक में हिना से मिली और रोहन के बारे में बताया.

‘‘आलिया, सिर्फ ‘बाय’ कहने से कोई तुम्हें खा नहीं जाएगा. अगर बच्चे पार्टी नहीं करेंगे, तो क्या 80 साल के बूढ़े करेंगे. वैसे, कर तो वे भी सकते हैं, पर इस उम्र में पार्टी करने का ज्यादा मजा है. स्कूल में हम सब पढ़ने आते हैं, पर यों अकेले तो नहीं रह सकते हैं न. बेजान किताबों के साथ तो बिलकुल नहीं.

‘‘खुद को बदलो आलिया, इस से पहले कि वक्त हाथ से निकल जाए. क्या पता कल तुम्हें उस से काम पड़ जाए, पर अब तो वह तुम से बात भी नहीं करेगा. तू एवरेज स्टूडैंट है, पर दिनभर पढ़ती रहती है और तेरी क्लासमेट पूजा जो टौपर है, वह कितना ऐक्स्ट्रा करिकुलर ऐक्टिविटीज में हिस्सा लेती है. इतने सारे दोस्त हैं उस के.

‘‘टौपर वही होता है, जो दिमागी और जिस्मानी तौर पर मजबूत होता है. जो सिर्फ पढ़ाई ही नहीं करता, बल्कि जिंदगी को भी ऐंजौय करता है.’’

‘‘अच्छा ठीक है. अब लैक्चर देना बंद कर,’’ आलिया ने कहा.

‘‘तू फेसबुक पर कब आएगी? मुझे अपनी कजिन की शादी की पिक्स दिखानी हैं तुझे,’’ हिना ने कहा.

‘‘मेरे यहां इंटरनैट नहीं है. फोटो बन जाएं तब दिखा देना.’’

‘‘ठीक है देवीजी, आप के लिए यह भी कर देंगे,’’ हिना ने मजाक में कहा.

लंच ब्रेक खत्म हो गया और वे दोनों अपनीअपनी क्लास में चली गईं.

‘‘मम्मी, पापा या भाई से कह कर घर में इंटरनैट लगवा दो न.’’

‘‘भाई तो तेरा बाहर ही इंटरनैट इस्तेमाल कर लेता है और पापा से बात की थी. वे कह रहे थे कि कुछ काम नहीं होगा, सिर्फ बातें ही बनाएंगे बच्चे.’’

‘‘तो आप ने पापा को बताया नहीं कि भाई तो बाहर भी इंटरनैट चला लेते हैं और मुझे उस का कखग तक नहीं आता है. मेरे स्कूल में सारे बच्चे इंटरनैट इस्तेमाल करते हैं,’’ आलिया ने थोड़ा गुस्सा हो कर कहा.

‘‘अच्छा, अब ज्यादा उलटीसीधी जिद न कर. पता नहीं, किन जाहिलों में रह रही है. बात करने की तमीज नहीं है तुझे. इतना चिल्लाई क्यों तू?’’ मां ने डांटते हुए कहा.

आलिया अकेले में सोचने लगी कि भाई तो बाहर भी चला जाता है. उसे कभी किसी चीज की कमी नहीं होती और वह घर में ही रहती है, फिर भी भिखारियों की तरह हर चीज मांगनी पड़ती है.

कुछ पेड़ हर तरह का मौसम सह लेते हैं और कुछ बदलते मौसम का शिकार हो जाते हैं. आलिया ऐसे ही बदलते मौसम का शिकार थी.

आलिया का परिवार सहारनपुर से है. उस की चचेरी और ममेरी बहनें हिंदी मीडियम स्कूल में पढ़ती हैं. 12वीं क्लास के बाद ही ज्यादातर सब की शादी हो जाती है. दिल्ली में रहने के बाद भी आलिया नहीं बदली. जब वह छोटी थी तब उस के सारे काम भाई और मम्मी ही करते थे.

वे जितना प्यार करते थे, उतनी ही उस पर पाबंदी भी रखते थे. दिल्ली में एक अच्छे स्कूल में होने की वजह से उसे पढ़ाई का बढि़या माहौल मिला, पर स्कूल के दूसरे बच्चों के घर के माहौल में और उस के घर के माहौल में जमीनआसमान का फर्क था.

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आलिया स्कूल से घर दोपहर के 3 बजे आती है, फिर खाना खाती है, ट्यूशन पढ़ती है. रात में थोड़ा टीवी देखने के बाद 10 या 11 बजे तक पढ़ कर सो जाती है. उस के घर के आसपास कोई उस का दोस्त नहीं है और उस के स्कूल का भी कोई बच्चा वहां नहीं रहता है.

कुछ दिनों के बाद स्कूल के 12वीं क्लास के बच्चों की फेयरवैल पार्टी थी. आलिया भी जाना चाहती थी, पर भाई और पापा काम की वजह से उसे ले कर नहीं गए और अकेली वह जा नहीं सकती थी. न घर वाले इस के लिए तैयार थे, न उस में इतनी हिम्मत थी.

12वीं क्लास के एग्जाम हो गए. पास होने के बाद हिना और आलिया का अलगअलग कालेज में दाखिला हो गया. आलिया की आगे की कहानी क्या है. जो हाल स्कूल का था, वही हाल कालेज का भी था. घर से कालेज और कालेज से घर. पूरे 3 साल में बस 2-3 दोस्त ही बन पाए.

बाद में आलिया ने एमबीए का एंट्रैस एग्जाम दिया, पर पापा के कहने पर बीएड में एडमिशन ले लिया. उस के पापा को प्राइवेट कंपनी में जौब तो करानी नहीं थी, इसलिए यही ठीक लगा.

बीएड के बाद आलिया का रिश्ता पक्का हो गया. नवंबर में उस की शादी है.

एक बात तो बतानी रह गई. 12वीं क्लास के बाद उस ने अपना फेसबुक अकाउंट बना लिया था. जैसेतैसे घर पर इंटरनैट लग गया था. एक दिन उस ने फेसबुक खोला तो हिना का स्टेटस मिला कि उसे एक अच्छी कंपनी में नौकरी मिल गई है.

आलिया ने फिर हिना के फोटो देखे और दूसरे क्लासमेट के भी. सभी अपने दोस्तों के साथ किसी कैफे में तो किसी फंक्शन के फोटो डालते रहते हैं. सभी इतने खुश नजर आते हैं.

अचानक आलिया को एहसास हुआ कि सभी अपनी जिंदगी की छोटीबड़ी यादें साथ रखते हैं. सभी जितना है, उसे और अच्छा बनाने की कोशिश करते हैं. स्कूल टाइम से अब तक सब कितने बदल गए हैं. कितने अच्छे लगने लगे हैं.

सभी काफी खुश लगते हैं और वह… आलिया को एहसास हुआ कि उस ने कभी जिंदगी जी ही नहीं. स्कूल या कालेज की एक भी तसवीर उस के पास नहीं है. शादी के बाद जिंदगी न जाने कौन सा रंग ले ले, पर जिसे वह अपने हिसाब से रंग सकती थी, वह सब उस ने मांबाप के डर और अकेलेपन से खो दिया.

वह दिन भी आ गया, जब आलिया की शादी हुई. हिना भी उस की शादी में आई थी. विदाई के वक्त आलिया की आंखों में शायद इस बात के आंसू थे कि वह जिस वक्त को बिना डरे खुशी से जी सकती थी, उसे किताबों के पन्नों में उलझा कर खत्म कर दिया. जो वक्त बीत गया है, उस में कोई कमी नहीं थी, पर आने वाला वक्त उसे नापतोल कर बिताना होगा.

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बड़े काम के हैं Used Tea Bags, जानिए दोबारा इस्तेमाल करने का तरीका

लेखिका- दीप्ति गुप्ता

क्या आप भी उन लोगों में से हैं, जो चाय बनाने के बाद यूज्ड टी बैग्स को कचरा समझकर फेंक देते हैं. अगर ऐसा है, तो जरा रूक जाइए और यहां ध्यान दीजिए. हममें से ज्यादातर लोग चाय बनाने के तुरंत बाद टी बैग फेंक देते हैं, लेकिन बहुत कम लोग जानते हें कि इस्तेमाल किए गए टी बैग्स में कई उत्पादक तरीकों से फिर से उपयोग करने की अच्छी क्षमता होती है. आपको जानकर हैरत होगी कि ये इस्तेमाल किए गए टी बैग सिर्फ पत्तियों से भरे ही नहीं होते, बल्कि इनमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट के कारण इस्तेमाल होने के बाद भी इनका दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है. यहां पुराने टी बैग्स का फिर से उपयोग करने और इसका ज्यादा लाभ उठाने के लिए कुछ जीनियस हैक्स बताए गए हैं, जो आपके रोजमर्रा के कामों को पहले से ज्यादा आसान बना देंगे.

1. बर्तनों से ग्रीस हटाए-

आप शायद न जानते हों, लेकिन टी बैग्स बर्तनों से ग्रीस, ऑयल हटाने के लिए बहुत अच्छे हैं. बर्तनों को पुराने टी बैग्स के साथ गर्म पानी में भिगो दें. इन्हें आप कुछ घंटों के लिए या रातभर भिगोने के बाद एक लिक्विड डिश वॉशिंग साबुन से अच्छी तरह से धो लें. चाय में मौजूद यौगिक प्राकृतिक रूप से मैले और तैलीय ग्रीस को चुटकियों में साफ कर देंगे.

2. कुकटॉप और माइक्रोवेव को साफ करे-

चाय बनाने के तुरंत बाद एक पैन लें और इसमें यूज्ड टी बैग्स को भिगो दें. एक बार जब मिश्रण रूम टेंप्रेचर पर पहुंच जाए तो इसे एक स्प्रे बोतल में नींबू के रस के साथ डालें. अब आप इस मिश्रण से सतहों को आसानी से साफ कर सकते हैं. सतहों को साफ करने के लिए कपड़े या टॉवेल का उपयोग करके इसे कुक टॉप या स्लैब या फिर ग्लास टेबल पर स्प्रे करें. बेहतर परिणामों के लिए टी बैग्स के गुनगुने मिश्रण का ही उपयोग करें.

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3. पेडीक्योर करें-

चाय में ऐसे गुण होते हैं, जो मृत त्वचा को आसानी से हटा देते हैं और इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट त्वचा के कायाकल्प में मदद करते हैं. पेडीक्योर करने के दौरान आप यूज्ड टी बैग्स को पानी में डाल सकते हैं. यह न केवल मांसपेशियों को आराम देगा बल्कि दर्द और सूजन को भी ठीक कर देगा.

4. सुगंध बढ़ाने के लिए इस्तेमाल करें-

चाय बनाने के बाद टी बैग्स को तुरंत काट लें और इन्हें एक ट्रे में सूखने के लिए ररख दें. आप इन सुगंधित चाय की पत्तियों का उपयोग घर के आसपास की दुर्गध्ंा या गंध को कम करने के लिए कर सकते हैं. आप चाहें तो इन कुचले हुए सूखे पत्तों को अपने खुशबू वाले तेलों में मिला सकते हैं. पुदीना, दालचीनी, लैमनग्रास जैसी चाय की पत्तियां रसोई और घर के आसपास किसी भी तरह की दुर्गंध को ठीक करने के लिए एकदम सही हैं.

5. जूते की बदबू से छुटकारा दिलाए-

कई लोगों के जूते में से काफी तेज स्मेल आती है. ऐसे में टी बैग्स बहुत फायदेमंद साबित हो सकते हैं. जूतों में यूज्ड टी बैग्स डालकर जूतों को गंध मुक्त रखें. दरअसल, टी बैग खराब गंध को सोख लेता है.

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6. ग्लास क्लीनर का काम करे-

घर के कांच और खिड़कियों को साफ करना बेहद चुनौतीपूर्ण है. ऐसे में टी बैग्स का नुस्खा बेहद काम आएगा. आपको बस इतना करना होगा कि टी बैग्स को फिर से उबालना है और इस पानी का उपयोग ग्लास को साफ करने के लिए करना है. अच्छे रिजलट्स के लिए एक लिंट फ्री कपड़े का इस्तेमाल करें.

Imlie और आर्यन के बीच चप्पल से हुई लड़ाई, देखें वीडियो

सीरियल इमली (Imlie) की कहानी दिलचस्प मोड़ आ गया है. जहां त्रिपाठी हाउस का मालिक आर्यन बन गया है तो वही मालिनी, आदित्य को भड़काने में कामयाब हो गई है. इसी बीच सीरियल में हाई वोल्टेज ड्रामा के बीच आर्यन और इमली के बीच चप्पल से लड़ाई होती नजर आ रही है. आइए आपको दिखाते हैं वायरल वीडियो…

चप्पल से हुई लड़ाई

 

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इमली का किरदार निभाने वाली एक्ट्रेस सुंबुल तौकीर खान और आर्यन के रोल में नजर आने वाले एक्टर फहमान खान की औफस्क्रीन और औनस्क्रीन कैमेस्ट्री फैंस को पसंद आती है. इसी बीच  एक वायरल वीडियो में दोनों चप्पल से सेट पर लड़ते नजर आ रहे हैं.

इमली करेगी त्रिपाठी परिवार की मदद

 

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अब तक आपने देखा कि मीठी, इमली को समझाती है कि वह अपनी पूरी सैलरी आर्यन को ना दें. लेकिन नहीं मानती. वहीं आर्यन, इमली से कहता है कि वह अगर अपनी पूरी सैलरी दे देगी तो अपनी मां के इलाज के लिए कैसे पैसे इकट्ठा करेगी. हालांकि इमली उससे कहेगी आदित्य का परिवार भी उसका परिवार है. इसीलिए वह कैसे भी उनकी मदद करेगी. लेकिन आर्यन फैसला करता है कि वह इमली की सैलरी बर्बाद नहीं होने देगा और उसे सैलरी वापस कर देगा.

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अपर्णा को आएगा हार्ट अटैक

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि मालिनी, आदित्य को ताना मारते हुए आत्म सम्मान नहीं होने की बात कहेगी, जिससे आदित्य गुस्से में एक हफ्ते में घर छोड़ने का फैसला लेगा और अपर्णा को सुनाएगा. वहीं आदित्य का फैसला सुनते ही अपर्णा को हार्ट अटैक आ जाएगा, जिसके बाद उसे अस्पताल ले जाएंगे. लेकिन पैसे ना होने के कारण अपर्णा को आदित्य एडमिट नहीं करवा पाएगा. दूसरी तरफ, रुपाली, इमली को बताएगी कि अपर्णा को हार्ट अटैक आया है. हालांकि मालिनी उसे रोक देगी. लेकिन इमली सच जानने के बाद अस्पताल जाएगी. वहीं आर्यन उसकी मदद करता नजर आएगा.

मालिनी को चुनौती देगी इमली

 

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इसी के साथ आप देखेंगे कि अपर्णा के कारण इमली एक बार फिर त्रिपाठी हाउस में एंट्री लेगी. हालांकि इस बार उसके साथ आर्यन भी नजर आएगा. वहीं इमली फैसला करेगी कि वह मालिनी का असली चेहरा परिवार और आदित्य के सामने लाकर रहेगी, जिसके चलते वह मालिनी को चुनौती देती नजर आएगी.

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वनराज-मालविका के ड्रामे के बीच मस्ती करते दिखे Anupama-Anuj, देखें वीडियो

सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupamaa) की कहानी में इन दिनों फैमिली ड्रामा देखने को मिल रहा है. जहां वनराज (Sudhanshu Panday) के भड़काने पर मालविका (Aneri Vajani) और अनुज के बीच दूरियां आ गई है तो वहीं अनुपमा का दिल टूटता नजर आ रहा है. इसी बीच सीरियल के सेट से एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें अनुपमा यानी रूपाली गांगुली (Rupali Ganguly) और अनुज यानी गौरव खन्ना (Gaurav Khanna) मस्ती करते नजर आ रहे हैं. आइए आपको दिखाते हैं वायरल वीडियो की झलक…

अनुपमा-अनुज की वीडियो पर मालविका का कमेंट

 

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अनुज और अनुपमा की केमिस्ट्री जहां फैंस का दिल जीत रही है तो वहीं रुपाली गांगुली और गौरव खन्ना की औफस्क्रीन कैमेस्ट्री फैंस को एंटरटेन करती नजर आ रही हैं. इसी बीच गौरव खन्ना ने रूपाली के साथ एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें वह दोनों ‘छोड़ दो आंचल’ गाने पर #reel बनाते नजर आ रहे हैं. #maan की इस वीडियो को जहां फैंस पसंद कर रहे हैं तो वहीं मालविका के रोल में नजर आने वाली एक्ट्रेस अनेरी वजानी कमेंट करते हुए नजर आ रही हैं. दोनों की इस वीडियो पर अनेरी वजानी (Aneri Vajani) कमेंट करते हुए लिखती हैं कि, ‘मैं यहां तुम दोनों का वेट कर रही हूं! और तुम दोनों पगले-पगले करने में लगे हो! रूपाली और गौरव का सेट पर खाना बंद.’

 

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शो में आएगा नया ट्विस्ट

सीरियल की बात करें तो अनुपमा, जहां कदम-कदम पर अनुज का साथ देती नजर आ रही हैं तो वहीं वनराज, मालविका को भड़काने का एक भी मौका नहीं छोड़ रहा है, जिसके चलते अनुज ने मालविका के नाम प्रौपर्टी करके घर छोड़ने का फैसला कर लिया है. इसी बीच खबरें हैं कि शो में मालविका के पुराने प्यार अक्षय की एंट्री होने वाली है, जो कि वनराज को सबक सिखाता नजर आने वाला है. हालांकि देखना होगा कि नई एंट्री से जहां मालविका और अनुज साथ आएंगे. वहीं वनराज का क्या हाल होगा.

 

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Valentine’s Special: शादी की खबरों के बीच संस्कारी बहू बनीं आलिया भट्ट, देखें फोटोज

टीवी से लेकर बौलीवुड इंडस्ट्री में इन दिनों शादी सीजन ट्रैंड में हैं. जहां बीते दिनों एक्ट्रेस कटरीना कैफ से लेकर करिश्मा तन्ना तक ने शादी का फैसला लिया तो वहीं अब एक्ट्रेस आलिया भट्ट और रणबीर कपूर की शादी की खबरें छाई हुई हैं. इसी बीच आलिया भट्ट के साड़ी में संस्कारी बहू वाले लुकसोशलमीडिया पर वायरल हो रहे हैं. आइए आपको दिखाते हैं आलिया भट्ट के लुक्स, जिन्हें आप वेलेंटाइन हो या वेडिंग सीजन कभी भी ट्राय कर सकती हैं.

गंगू बाई के लिए तैयार हुईं आलिया

 

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जल्द ही आलिया भट्ट की अपकमिंग फिल्म गंगू बाई रिलीज होने वाली है, जिसके चलते सोशलमीडिया पर वह अपने लुक की झलक दिखाती नजर आईं. गंगू बाई में वाइट साड़ी में नजर आ चुकीं एक्ट्रेस आलिया अपनी फिल्म के प्रमोशन में भी वाइट साड़ी फ्लौंट करती नजर आ रही हैं. हाल ही में वाइट कलर की प्लेन साड़ी के साथ बालों में लाल गुलाब लगाए आलिया बेहद खूबसूरत लग रही थीं.

 

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संस्कारी बहू बनीं आलिया

 

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वाइट के अलावा बीते दिनों आलिया भट्ट ने बनारसी साड़ी में अपना एक संस्कारी बहू वाला लुक फैंस के साथ शेयर किया था, जिसमें वह बालों में गजरा लगाए नजर आईं थीं. वहीं फैंस को आलिया भट्ट का ये लुक काफी खूबसूरत लगा था.

वेलेंटाइन डे के लिए आलिया की ड्रैसेस करें ट्राय

 

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आलिया भट्ट सिंपल लुक में अक्सर नजर आती हैं. वहीं आलिया की ड्रैसेस कलेक्शन की बात करें तो वह बेहद खूबसूरत हैं. इन कलेक्शन को आप वेलेंटाइन डे के मौके पर ट्राय कर सकती हैं.

 

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वेलेंटाइन के साथ वेडिंग कलेक्शन करें ट्राय

 

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वेलेंटाइन वीक के अलावा वेडिंग सीजन भी शुरु हो गया है, जिसके लिए लड़कियां एक से बढ़कर एक कलेक्श ढूंढ रही हैं. वहीं आलिया भट्ट का पिंक और ब्लू लहंगा आपके लिए परफेक्ट साबित होने वाला है.

 

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दर्द: जोया ने क्यों किया रिश्ते से इनकार

लेखक- अशरफ खान

‘‘तुम अभी तक गई नहीं हो…’’ छोटी बहन हया ने हैरान हो कर जोया से पूछा.

‘‘कहां…?’’ जोया ने भी हैरान होते हुए कहा.

‘‘आजर भाई को अस्पताल में देखने,’’ हया ने कहा.

‘‘मैं क्यों जाऊं…’’ जोया ने लापरवाही से कहा.

‘‘घर के सब लोग जा चुके हैं, लेकिन तुम हो कि अभी तक नहीं गईं… आखिर वे तुम्हारे मंगेतर हैं…’’

‘‘मंगेतर… मंगेतर था… लेकिन अब नहीं. एक अपाहिज मेरा मंगेतर नहीं हो सकता. मु झे उस की बैसाखी नहीं बनना,’’ जोया आईने के सामने खड़ी अपने बाल संवार रही थी और छोटी बहन हया के सवालों के जवाब लापरवाही से दे रही थी.

जब बाल सैट हो गए तो जोया ने खुद को आईने में नीचे से ऊपर तक देखा और पर्स नचाते हुए दरवाजे से बाहर निकल गई.

आजर के यहां का दस्तूर था कि रिश्ते आपस में ही हुआ करते थे और शायद इसी रिवाज को जिंदा रखने के लिए मांबाप ने बचपन में ही उस का रिश्ता उस के चाचा की बेटी जोया से तय कर दिया था.

आजर कम बोलने वाला सुलझा हुआ लड़का था और जोया को उसकी मां के बेजा लड़ाप्यार ने जिद्दी बना दिया था.

शायद यही वजह थी कि बचपन में दोनों साथ खेलतेखेलते  झगड़ने लगते थे. जो खिलौना आजर के हाथ में होता, जोया उसे लेने की जिद करती और

जब तक आजर उसे दे नहीं देता, वह चुप न होती.

उस दिन तो हद ही हो गई थी. आजर पुरानी कौपी का कवर लिए हुए था. कवर पर कोई तसवीर बनी थी. शायद उसे पसंद थी.

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जोया की नजर उस कवर पर पड़ गई. वह चिल्लाने लगी. ‘यह मेरा है… इसे मैं लूंगी…’’

आजर भी बच्चा था. बजाय उसे देने के दोनों हाथ पीछे कर के छिपा लिया. वह चीखती रही, चिल्लाती रही… यहां तक कि बड़े लोग भी वहां आ गए.

‘तोबा… कागज के टुकड़े के लिए जिद कर रही है… अभी अगर यह आजर के हाथ में न होता तो रद्दी होता… क्या लड़की है. कयामत बरपा कर दी इस ने तो…’ बड़ी अम्मी बड़बड़ाई थीं.

यों ही लड़ते झगड़ते दोनों बड़े हो गए और बचपन पीछे छूट गया. दोनों उम्र के उस मुकाम पर थे, जहां जागती आंखें ख्वाब देखने लगती हैं और जब आजर ने जोया की आंखों में देखा तो हया की लाली उतर आई… नजर अपनेआप  झुकती चली गई. शायद उसे मंगेतर का मतलब सम झ आ गया था. अब वह आजर की इज्जत करती… उस की बातों में शरीक होती… उस के नाम पर हंसती… घर वालों को इतमीनान हो गया था कि चलो, सबकुछ ठीक हो गया है.

बड़ी अम्मी इन दिनों मायके गई हुई थीं और जब लौटीं तो उन के साथ एक दुबलीपतली सी लड़की सना थी, जिस की मां बचपन में गुजर चुकी थी. बाप ने दूसरी शादी कर ली थी… अब उस के भी 4 बच्चे थे… बेचारी कोल्हू के बैल की तरह लगी रहती.

दादा से पोती की हालत देखी न जाती. दादा बड़ी अम्मी के रिश्ते के चाचा थे… जब बड़ी अम्मी उन से मिलने गईं तो पोती का दुखड़ा ले कर बैठ गए. ‘किसी की मां न मरे…’ बड़ी अम्मी ने ठंडी सांस ली, ‘पर, आप इसे हमारे साथ भेज दीजिए,’ बड़ी अम्मी ने कुछ सोच कर कहा था.

अंधा क्या चाहे दो आंखें… वे खुशीखुशी राजी हो गए. लेकिन बहू का खयाल आते ही उन की सारी खुशी काफूर हो गई. वह न जाने देगी और जब नजर उठाई तो वह दरवाजे पर खड़ी थी. उस ने सारी बातें सुन ली थीं.

बड़ी अम्मी कब हारने वाली थीं. उन्होंने अपने तरकश से एक तीर छोड़ा… जो सही निशाने पर जा बैठा. उन्होंने हर महीने कुछ रकम भेजने का वादा किया और उसे ले आईं.

सना ने आते ही पूरा घर संभाल लिया था. इतना काम उस के लिए कुछ भी नहीं था. वह आंखें बंद कर के कर लेती और उसे सौतेली मां के जुल्मों से भी नजात मिल गई थी. वह यहां आ कर खुश थी.

अगर कभी घर में गैस खत्म हो जाती तो लकडि़यों के चूल्हे पर सेंकी हुई सुर्खसुर्ख रोटियां और धीमीधीमी आंच पर दम की हुई हांड़ी से निकलती खुशबू फैलती तो भूख अपनेआप लग जाती.

चाची की तरफ मातम बरपा होता, ‘अरे, गैस खत्म हो गई. अब क्या करें…  भाभी सिलैंडर वाला आया क्या…’ फिर बाजार से पार्सल आते, तब जा कर खाना मिलता.

और अगर कभी मिर्ची पाउडर खत्म हो जाता, तो सना खड़ी मिर्च निकाल लेती और उन्हें सिलबट्टे पर पीस कर खाना तैयार कर देती. सालन देख कर अम्मी को पता चलता था कि मिर्ची खत्म हो गई है.

और चाची की तरफ ऐसा होता तो जोया कहती, ‘न बाबा न, मेरे हाथ में जलन होने लगती है. हया, तुम इसे पीस लो.’

हया भी साफ मना कर देती.

सना तुम कौन हो… कहां से आई हो… सादगी की मूरत… जिंदगी की आइडियल सना… तुम्हारी किन लफ्जों में तारीफ करूं…

यह सुन कर आजर का दिल बिछबिछ जाता… फिर उसे जोया का खयाल आता… वह तो उस का मंगतेर है. कल को उस की उस से शादी हो जाएगी, फिर यह कशिश क्यों? वह सना की तरफ क्यों खिंचा जा रहा है? अकसर तनहाई में वह उस के बारे में सोचता रहता.

एक दिन आजर गाड़ी से लौट रहा था कि रास्ते में उस का ऐक्सिडैंट हो गया. अस्पताल पहुंचने पर डाक्टर ने कहा, ‘अब ये अपने पैरों पर चल नहीं सकेंगे.’

सारा घर वहां जमा था. सब का रोरो कर बुरा हाल था.

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जब से आजर का ऐक्सिडैंट हुआ था, जोया ने अपने कालेज के दोस्तों से मिलना शुरू कर दिया था. आज भी वह तैयार हो कर किसी से मिलने गई थी. हया के लाख सम झाने पर भी उस पर कोई असर नहीं हुआ था.

आजर अस्पताल के बैड पर दोनों पैरों से लाचार लेटा हुआ था… हर आहट पर देखता… शायद वह आ जाए… जिस से दिल का रिश्ता जुड़ा है… वफा के सिलसिले हैं…लेकिन दूर तक जोया का कहीं पता न था.

एक आहट पर उस के खयालात बिखर गए. अम्मी आ रही थीं. उन के पीछे सना थी. अम्मी ने इशारा किया तो वह सामने स्टूल पर बैठ गई.

अम्मी रात का खाना ले कर आई थीं. आजर खाना खा रहा था और कनखियों से सना को देख रहा था. फुल आस्तीन वाला कुरता, चूड़ीदार पाजामा, सिर पर चुन्नी डाले वह खामोश बैठी थी.

‘काश, इस की जगह जोया होती,’ आजर ने सोचा, फिर जल्दी से नजरें  झुका लीं. कहीं उस के चेहरे से अम्मी उस का दर्द न पढ़ लें… और मुंह में निवाला रख कर चबाने लगा.

जब आजर खाने से फारिग हो गया, तो अम्मी बरतन समेटने लगीं.

‘‘अम्मी, आप रहने दीजिए. मैं कर लूंगी,’’ सना की महीन सी आवाज आई. उस ने बरतन समेट कर थैले में रखे और खड़ी हो गई.

जब सना बरतन उठा रही थी तो खुशबू का  झोंका उस के पास से आया और आजर को महका गया. अम्मी उसे अपना खयाल रखने की हिदायत दे कर चली गईं.

आज आजर को डिस्चार्ज मिल गया था. बैसाखियों के सहारे जब वह घर के अंदर आया तो अम्मी का कलेजा मुंह को आने लगा. अब सना आजर का पहले से ज्यादा खयाल रखने लगी थी.

एक दिन देवरानीजेठानी बरामदे में बैठी हुई थीं. देवरानी शायद बात का सिरा ढूंढ़ रही थी, ‘‘भाभी, हम आप से कुछ कहना चाहते हैं…’’ कहते हुए उन्होंने उन की आंखों में देखा.

‘‘जोया ने इस रिश्ते के लिए मना कर दिया है. वह आजर से निकाह नहीं करना चाहती, क्योंकि आजर तो…’’ उन्होंने जुमला अधूरा ही छोड़ दिया और उठ कर चली आईं.आजर ने नोटिस किया था कि अम्मी बहुत बु झीबु झी सी रहती हैं. आखिर आजर पूछ ही बैठा, ‘‘अम्मी, क्या बात है… आप बहुत उदास रहती हैं…

‘‘कुछ नहीं… बस ऐसे ही… जरा तबीयत ठीक नहीं है…’’‘‘मैं जानता हूं कि आप क्यों परेशान हैं… जोया ने इस रिश्ते से मना कर दिया है.’’

अम्मी ने चौंक कर आजर की तरफ देखा.

‘‘हां अम्मी, मु झे मालूम है… वह मु झे देखने तक नहीं आई… अगर रिश्ता नहीं करना था तो इनसानियत के नाते तो आ सकती थी. जिस का इनसानियत से दूरदूर तक वास्ता न हो, मु झे खुद उस से कोई रिश्ता नहीं रखना.’’

‘‘मेरे बच्चे,’’ अम्मी की आंखों से आंसू निकल पड़े. उन्होंने उसे गले से लगा लिया.

‘‘अम्मी, मेरी शादी होगी… उसी वक्त पर होगी…’’ अम्मी ने उस की आंखों में देखा, जिस का मतलब था, ‘अब तु झ से कौन शादी करेगा…’

‘‘अम्मी, मैं सना से शादी करूंगा. मैं ने सना से बात कर ली है.’’

यह सुन कर अम्मी ने फिर उसे गले से लगा लिया.

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शादी की तैयारियां होने लगीं और जो वक्त जोया के साथ शादी के लिए तय था, उसी वक्त पर आजर और सना का निकाह हो गया.

आजर को कुछ याद आया. एक बार जोया ने बातोंबातों में कहा था कि शादी के बाद वह हनीमून के लिए स्विस्ट्जरलैंड जाएगी…

आजर ने स्विट्जरलैंड जाने की ख्वाहिश जाहिर की तो अम्मी ने उसे जाने की इजाजत दे दी.

आज आजर हनीमून से लौट रहा था. सना अंदर दाखिल हुई तो कितनी निखरीनिखरी और कितनी खुश लग रही थी. फिर उस ने दरवाजे की तरफ मुसकरा कर देखा और कहा, ‘‘आइए न…’’ इतने पर आजर अंदर दाखिल हुआ. उसे देख कर अम्मी की आंखें हैरत से फैलती चली गईं. वह अपने पैरों पर चल कर आ रहा था.

‘‘बेटे, यह सब क्या है?’’ उन्होंने आगे बढ़ कर उसे थाम लिया.

‘‘बताता हूं… पहले आप बैठिए तो सही…’’ आजर ने दोनों हाथ पकड़ कर उन्हें बिठा दिया.

‘‘आप बड़े लोग अपने बच्चों के फैसले तो कर देते हैं, लेकिन यह भूल जाते हैं कि बड़े हो कर उन की सोच कैसी होगी, उन के खयालात कैसे होंगे, उन का नजरिया कैसा होगा और मु झे सच्चे हमदर्द की तलाश थी, जिस के अंदर कुरबानी का जज्बा हो. एकदूसरे के लिए तड़प हो. और ये सारी खूबियां मुझे सना में नजर आईं… इसलिए मैं ने डाक्टर से मिल कर एक प्लान बनाया. वह ऐक्सिडैंट  झूठा था. मेरे पैर सहीसलामत थे. यह मेरा सिर्फ नाटक था… नतीजा आप के सामने है.

‘‘जोया ने खुद इस रिश्ते से इनकार कर दिया… सना ने मुझ अपाहिज को कुबूल किया… मैं सना का हूं…’’

दरवाजे पर खड़ी जोया ने सारी बातें सुन ली थीं. उस का जी चाह रहा था कि सबकुछ तोड़फोड़ डाले.

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