हंगामा है क्यों बरपा

किसी महिला डिगरी कालेज के 2-3 साल पुराने बैच की लड़कियों की आज की स्थिति का जायजा लिया जाए तो 100 छात्राओं के बैच की मात्र 3-4 लड़कियां वर्तमान में किसी अच्छी नौकरी में होंगी, 4-5 साधारण नौकरी में होंगी और अन्य सभी शादी कर के गृहस्थी का बोझ ढो रही होंगी.

भारत में लड़कियों को ग्रैजुएशन कराई ही इसलिए जाती है ताकि अच्छा घरवर मिल सके. नौकरी, बिजनैस या अन्य क्षेत्रों में बढि़या कैरियर के नजरिए से पढ़ाई करने वाली लड़कियों की तादाद मात्र 5 फीसदी है.

पितृसत्तात्मक समाज की मानसिकता पहले यह थी कि लड़की को पढ़ालिखा कर क्या करना है, आखिर ससुराल जा कर तो उसे रोटियां ही बनानी हैं, इसलिए चूल्हेचौके, सिलाईबुनाई का काम ठीक से सिखाया जाए. मगर आजकल इस मानसिकता में थोड़ा सा बदलाव यह आया है कि लड़की अगर कम पढ़ीलिखी होगी तो उस की शादी में दिक्कत आएगी. ठीक घरवर चाहिए तो लड़की को कम से कम ग्रैजुएशन करा दो. अगर वह परास्नातक हो, इंजीनियर हो, उस के पास एमबीए या एलएलबी जैसी बड़ी डिगरी हो तो और भी अच्छी नौकरी में लगे लड़के से शादी के चांसेज बढ़ जाते हैं.

साजिश नहीं तो और क्या

अब लड़की अनपढ़ हो या परास्नातक, शादी कर के उसे बाई का काम ही करना है- रोटी पकानी है, घर साफसुथरा रखना है, पति को शारीरिक सुख देना है, बच्चे पैदा करने हैं, घर के बुजुर्गों की सेवा करनी है और ऐसे ही और तमाम कार्य करने हैं. यह भारतीय समाज में अधिकांश महिलाओं की स्थिति है और इस में कोई झूठ नहीं है. आप अपने घर में देख लें या किसी भी पड़ोसी के घर में ?ांक लें, कमोबेश सब जगह एक ही सूरत है.

मांबाप का खूब पैसा खर्च करवा कर और कई साल रातों को जागजाग कर खूब कड़ी मेहनत से पढ़ कर बड़ीबड़ी डिगरियां हासिल करने वाली लड़कियां चूल्हेचौके तक सिमट कर रह जाती हैं. पति हर महीने उन के हाथ पर पैसे रखते हैं और वे उन्हीं में अपनी गृहस्थी चला कर खुशी महसूस करती हैं. फिर जीवनभर उन का ध्यान कभी अपनी क्षमता, अपने ज्ञान और अपनी काबिलीयत पर नहीं जाता है.

बात करते हैं मध्य प्रदेश के मंत्री बिसाहूलाल सिंह द्वारा महिलाओं के संबंध में की गई टिप्पणी की, जिस के लिए उन की खूब भर्त्सना हुई और उन्हें लिखित में माफी मांगनी पड़ी. बिसाहूलाल ने अनूपपुर की एक सभा में कह दिया कि जितने बड़ेबड़े लोग हैं, वे अपने घर की औरतों को कोठरी में बंद कर के रखते हैं. बाहर निकलने ही नहीं देते. धान काटने का, आंगन लीपने का, गोबर फेंकने का का ऐसे तमाम काम हमारे गांव की महिलाएं करती हैं.

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गलत क्या है

जब महिलाओं और पुरुषों का बराबर अधिकार है तो दोनों को बराबरी से काम भी करना चाहिए. सब अपने अधिकारों को पहचानो और पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिला कर काम करो. बड़े लोगों की महिलाएं बाहर न निकलें तो उन्हें पकड़पकड़ कर बाहर निकालो, तभी तो महिलाएं आगे बढ़ेंगी.

बिसाहूलाल ने इस में क्या गलत कहा? सच बोलने पर भी उन्हें क्यों माफी मांगनी पड़ी? बिसाहूलाल ने तो समाज के सच को सामने रखा था. पढ़ीलिखी महिलाओं को गृहस्थी के चूल्हे में अपने सपने, अपनी काबिलीयत, अपने ज्ञान और अपनी डिगरियां जलाने के बजाय बाहर निकल कर अपनी क्षमताओं को समाज व देश हित में लगाने का आह्वान किया बिसाहूलाल ने. तो इस में गलत क्या था?

दरअसल, पितृसत्तात्मक समाज को सच सुनना बरदाश्त ही नहीं है. वह औरत को आजादी और आर्थिक मजबूती तो हरगिज नहीं देना चाहता है. वह औरत को बस अपने रहमोंकरम और अपने टुकड़ों पर पलने के लिए मजबूर कर के रखना चाहता है.

बिसाहूलाल ने बड़े घरों की औरतों की बात उठाई. आमतौर पर भारत में बड़े और आर्थिक रूप से संपन्न घर सवर्ण जातियों के ही ज्यादा हैं. आर्थिक रूप से संपन्न होने के नाते महिलाओं की शिक्षादीक्षा भी अच्छी होती है. आमतौर पर ज्यादातर सवर्ण महिलाएं उच्च शिक्षा प्राप्त मिलेंगी, लेकिन उस शिक्षा का कोई प्रयोग वे समाज हित में नहीं करती हैं. समाज में अपनी बड़ी इज्जत का ढोल पीटने वाले सवर्ण पुरुष अकसर अपनी बहूबेटियों से नौकरी करवाना पसंद नहीं करते हैं. कुछ फीसदी ही हैं जो औरतों की शिक्षा और नौकरी को महत्त्व देते हैं और उन के घरों की महिलाएं ऊंचे पदों पर भी पहुंचती हैं.

थोथली दलील

आमतौर पर ऊंचे और सम्मानित घरों के पुरुषों की दलील यह होती है कि जब घर में पैसे की कमी नहीं है तो घर की औरतों को बाहर निकल कर सड़कों पर धक्के खाने और पैसा कमाने की क्या जरूरत है? तो फिर उन की औरतों द्वारा ली गई उच्च शिक्षा का औचित्य क्या था? वह सीट किसी गरीब और निम्न जाति की महिला को दे दी जाती तो वह नौकरी कर के अपने घर की आर्थिक स्थिति बेहतर कर सकती थी.

बिसाहूलाल ने बिलकुल ठीक कहा कि जितने धान काटने, आंगन लीपने, गोबर फेंकने के काम हैं वे हमारे गांव की महिलाएं करती हैं. उन के कहने का अर्थ यह कि छोटी जाति की महिलाएं शिक्षित नहीं होते हुए भी घर से बाहर निकल कर काम करती हैं और अपनी क्षमतानुसार पैसा कमाती हैं. बारीक नजर इन गरीब तबके की और उच्चवर्ग की महिलाओं पर डालें तो आप पाएंगे कि गरीब घर की जो महिला घर से बाहर निकल कर काम कर रही है वह खुद को ज्यादा आजाद पाती है. वह किसी पर निर्भर नहीं है. अपने पैरों पर खड़ी है और सब से बड़ी बात यह कि घर के फैसलों में उस का भी मत शामिल होता है.

मंत्री बिसाहूलाल ने अगली बात यह कही कि  जब महिलाओं और पुरुषों का बराबर अधिकार है तो दोनों को काम भी बराबरी से करना चाहिए. सब अपने अधिकारों को पहचानो और पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिला कर काम करो. बड़े लोगों की महिलाएं बाहर न निकलें तो उन्हें पकड़पकड़ कर बाहर निकालो. तभी तो महिलाएं आगे बढ़ेंगी.

दूरदर्शी सोच

इस वक्तव्य से बिसाहूलाल की देश की महिलाओं के प्रति विस्तृत और दूरदर्शी सोच का पता चलता है. देश के संविधान ने महिला और पुरुष दोनों को समान अधिकार दिए हैं. फिर क्यों एक पुरुष शिक्षा प्राप्त कर के बढि़या नौकरी करता है, बढि़या और ऊंची तनख्वाह वाली नौकरी की तलाश में अन्य शहरों तक और विदेशों तक बेखटके चला जाता है, जबकि एक महिला शिक्षा प्राप्त करने के बाद गृहस्थी के बंधन में जकड़ी घर की किचन तक सिमट कर रह जाती है.

वह लड़?ागड़ कर नौकरी कर भी ले तो उसे घर के पास ही किसी स्कूल या औफिस में काम करने की इजाजत मिलती है. वह अपनी शिक्षा और क्षमता के अनुसार दूसरे शहर या विदेश में नौकरी के लिए अप्लाई नहीं कर सकती है. यह उस की आजादी पर बहुत बड़ी रोक है. बिसाहूलाल इस रोक को हटाने का आह्वान कर रहे थे तो उस में गलत क्या था?

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आजादी चाहिए या धनदौलत

फिल्में समाज का आईना होती हैं. समाज जैसा है वही परदे पर आता है. भिन्नभिन्न समयकाल में भारतीय महिला की स्थितियां अनेक फिल्मों में दिखाई गई हैं. एक महिला को उस की आजादी प्रिय है या धनदौलत, इसे बहुत सुंदर तरीके से फिल्म ‘रौकस्टार’ के एक गाने में दर्शाया गया है. इस फिल्म के गीत ‘हवाहवा को जरा ध्यान से सुनिए- चकरी सी पैरों में… रुके न फिर पांव पांव पांव… पांव रुके न किसी के रोके… ये तो चलेंगे… नाच लेंगे…’

चिढ़ कर गुस्से में बोला राजा, ‘ओ रानी, क्यों फटकी मेरी पोछी, ओ नाक कटाई, वाट लगाई, तूने तलवाई मेरी इज्जत की भाजियां, आज से तेरा बंद बाहर है जाना…’

यह सुन कर रानी मुसकराई बोली, ‘सोने की दीवारें मु?ो खुशी न यह दे पाईं, आजादी दे दे मु?ो, मेरे खुदा… ले ले तू दौलत और कर दे रिहा… हवा हवा…’

इस गीत ने आर्थिक रूप से संपन्न घर में कैद औरत की छटपटाहट को बखूबी सामने रखा है. सोनेचांदी की बेडि़यां वह खुशी कभी दे ही नहीं सकतीं, जो आजाद हवा में सांस लेने पर मिलती है. इसलिए रानी कहती है, ‘ले ले तू दौलत और कर दे रिहा…’

यदि आर्थिक रूप से संपन्न औरत को अपने मनमुताबिक काम करने की आजादी न हो तो वह संपन्नता उस के लिए रोग बन जाती है.

देश की आजादी के 7 दशक बाद भी देश की आर्थिक आजादी और विकास में महिलाओं की भूमिका अब भी वैसी नहीं है जैसी होनी चाहिए. इस मामले में देश ने 70 सालों में भी कोई खास प्रगति नहीं की है. देश में हो रहे आर्थिक विकास के परिपेक्ष्य में इन्वैस्ट इंडिया इनकम ऐंड सेविंग सर्वे में जो आंकड़े निकल कर आए हैं वे बेहद निराशाजनक हैं.

गांवों में ज्यादा काम करती हैं महिलाएं

टीवी पर आधुनिक भारत की महिलाओं की तसवीर देख कर कोई विदेशी भ्रम में पड़ सकता है कि आधुनिक भारत के शहरों में रहने वाली महिलाएं घर से निकल कर बाहर काम करने के लिए कितनी उत्साहित हैं, परंतु वस्तुस्थिति बिलकुल भिन्न है. गांव में महिलाएं घर के बाहर जा कर ज्यादा काम करती हैं, शहरी आबादी की तुलना में. गांव में 45% से ज्यादा महिलाएं खेतों में काम करती हैं. इन में से 55% महिलाएं वर्ष भर में 50 हजार रुपए भी नहीं कमा पाती हैं.

शिक्षित न होने के कारण और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक न होने के कारण लोग उन का शोषण करते हैं. यह शोषण कार्यस्थल पर भी होता है और घर में भी. इन में से मात्र 15% महिलाएं ही ऐसी होंगी जो अपनी कमाई को अपनी इच्छानुसार खर्च कर पाती हैं वरना अधिकतर अपनी कमाई अपने पति के हाथ में रखने के लिए मजबूर होती हैं. उन का अपनी कमाई पर कोई अधिकार नहीं होता. पति जैसे चाहे उस का पैसा खर्च करता है.

शहरी क्षेत्रों में 2 से 5 लाख रुपए सालाना आय वाले परिवारों की मात्र 13% महिलाएं ही नौकरी करने के लिए घर से बाहर जाती हैं जबकि 5 लाख से ऊपर वाले आय वर्ग में काम करने वाली महिलाओं का प्रतिशत मात्र 9 है.

सपनों को उड़ान

जिन राज्यों की आर्थिक स्थिति अच्छी है वहां महिलाओं के नौकरी या घर से बाहर निकल कर काम करने का प्रतिशत कम है. पंजाब में 4.7% महिलाएं घर के बाहर काम करती हैं जबकि हरियाणा में 3.6%, दिल्ली में 4.3%, उत्तर प्रदेश में 5.4% महिलाएं काम के लिए घर से बाहर जाती हैं. वहीं बिहार में 16.3% और उड़ीसा में 26% महिलाएं घर से बाहर निकल कर मजदूरी या नौकरी करती हैं.

एक तथ्य जो गौर करने लायक है वह यह कि दक्षिण के राज्यों में जहां साक्षरता का प्रतिशत ज्यादा है वहां पर राज्यों की आर्थिक स्थिति अच्छी होने के बावजूद महिलाएं घर से निकल कर बाहर काम के लिए जाती हैं. तमिलनाडु में यह प्रतिशत 39 है, जबकि आंध्र प्रदेश में 30.5, कर्नाटक में 23.7 है यानी शिक्षित महिला जो निम्न या मध्यवर्ग की है, अपनी आजादी का आनंद लेने के साथसाथ आर्थिक रूप से भी मजबूत है.

मगर बाकी देश में सामाजिक बंधनों और धार्मिक कट्टरता के चलते महिलाएं चाह कर भी अपना योगदान खुद और देश के आर्थिक

विकास में नहीं दे पा रही हैं. हम चाहे कितनी भी आर्थिक आजादी की बात कर लें, पर जब तक महिलाओं के विकास और आजादी की बात

नहीं होगी, जब तक धर्म की बेडि़यां नहीं कटेंगी, औरत की इच्छाओं पर पड़े समाज के बंधन नहीं टूटेंगे, तब तक आर्थिक आजादी अधूरी नजर आएगी.

13% महिलाएं ही काम करती हैं

सामाजिक रूप से अब भी हम इस मामले में काफी पिछड़े हैं. घर की महिलाएं काम करने के लिए जाएं यह वहीं हो रहा है जहां परिवार काफी गरीब हैं और घर के मुखिया के मेहनताने पर घर नहीं चल पा रहा है यानी महिलाओं के घर से बाहर निकल कर काम करने को सीधे रूप से गरीबी से जोड़ कर ही देखा जाना चाहिए.

आंकड़े भी यही कहते हैं कि औरतों की जनसंख्या का मात्र 13 फीसदी ही बाहर काम करने के लिए जाता है. उन में से भी प्रति 10 महिलाओं में से 9 महिलाएं असंगठित क्षेत्रों में काम करती हैं. असंगठित क्षेत्रों में काम करने के कारण इन महिलाओं को सुविधाएं तो दूर, काम करने के लिए अच्छा माहौल तक नहीं मिल पाता है. अगर निम्न जाति की महिलाओं को अच्छी शिक्षा प्राप्त हो जाए तो यही महिलाएं देश और समाज में क्रांतिकारी परिवर्तन कर सकती हैं.

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Valentine’s Day: हर उम्र में नजर आएं हौट

लेखिका- पूनम

हर उम्र में खूबसूरत नजर आने के लिए सिर्फ मेकअप करना काफी नहीं, उम्र के अनुसार अपनी ड्रैसिंगसैंस पर ध्यान देना भी जरूरी है. माना कि यंग जैनरेशन जैसा चाहे वैसा फैशन ट्रैंड अपना सकती है, लेकिन 30 पार कर चुकी महिलाएं भी किसी से कम नहीं.

कुछ बातों को ध्यान में रख कर वे भी खुद को ट्रैंड सैंटर कहला सकती हैं. इस उम्र में महिलाएं किस तरह के आउटफिट्स पहन कर यंग लड़कियों की तरह सुंदर दिख सकती हैं, इस संबंध में कुछ फैशन डिजाइनरों से बात करने के बाद कुछ टिप्प मिले जो इस प्रकार हैं:

कच्ची उम्र में खूबसूरत मैच्योर लेडी नजर आने के लिए आप ने भी कभी मां की साड़ी तो कभी मौसी की जूती पहनी होगी, लेकिन अब आप मैच्योर हो गई हैं यानी अब आप को खूबसूरत नजर आने के लिए बहुत ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं है. अपने बार्डरोब का मेकओवर कर आप मिनटों में प्रेजैंटेबल लुक पा सकती हैं.

शेपवियर को बनाएं हमसफर

यह जरूरी नहीं कि बढ़ती उम्र में आप की फिगर 36-24-36 हो, लेकिन इस का मतलब यह भी नहीं है कि आप फिटिंग कपड़े पहनना छोड़ दें. परफैक्ट फिगर के लिए शेपवियर पहनें. इस से आप की बौडी शेप में नजर आएगी और उस के ऊपर आप जो चाहे वह पहन सकती हैं.

आप की सिर्फ टमी यानी तोंद बाहर निकली हुई है और बाकी सब शेप में है तो पेट को छिपाने के लिए टमी टकर पहनें.

अगर आप की वेस्ट लाइन झुकी हुई नजर आ रही है, तो सपोर्टिव ब्रा पहन कर इसे शेप दें. बौडी शेपर, शेपवियर, सपोर्टिव ब्रा की ढेरों बैराइटीज आप को औनलाइन शौपिंग वैबसाइट पर आसानी से मिल जाएंगी.

ब्लैक शेड्स का रखें कलैक्शन

अपने वार्डरोब में ब्लैक शेड्स के आउटफिट्स जरूर रखें जैसे ब्लैक ड्रैस, टौप, कुरती, साड़ी, जींस आदि. एवरग्रीन ब्लैक शेड कभी आउट औफ फैशन नहीं होता. इसे आप किसी भी सीजन में और कहीं भी जैसे किसी पार्टी में जाना हो या फिर फौर्मल मीटिंग में पहन कर जा सकती हैं. ब्लैक आउटफिट की तरह ब्लैक कलर के हैंड बैग, वाच, फुटवियर भी हमेशा फैशन में इन होते हैं. इसलिए इन का कलैक्शन भी जरूर रखें.

पार्टी में पहनें नीलैंथ ड्रैस

आप जब अब तक पार्टी में ड्रैसेज पहन कर जा रही थीं तो अब परहेज क्यों? 30 पार करने का यह मतलब नहीं कि अब आप डै्रस पहन कर पार्टी ऐंजौय नहीं कर सकतीं. फैशन के साथ कंफर्ट का खयाल रखते हुए शौर्ट के बजाय नीलैंथ यानी घुटनों तक की ड्रैस पहनें. यकीन मानिए इस में आप बेहद खूबसूरत नजर आएंगी.

स्टै्रपी टौप्स से न करें परहेज

हौट लुक के लिए यकीनन आप 20 की होने पर स्ट्रैपी टौप पहनती होंगी, तो अब इस से तोबा क्यों कर रही हैं? आज भी आप स्ट्रैपी टौप को अपने वार्डरोब में रख सकती हैं. हां, लेकिन वाइड यानी चौड़े स्ट्रैप वाला स्ट्रैपी टौप खरीदें. इस में आप कंफर्ट भी फील करेंगी और स्टाइलिश भी नजर आएंगी.

वन पीस भी है बैस्ट

वन पीस, गाउन, मैक्सी, बीच ड्रैस आदि भी आप 30 के बाद की होने पर बे?ि?ाक पहन सकती हैं. ऐसे आउटफिट्स काफी फैशनेबल नजर आते हैं जैसे आप पार्टी फंक्शन के मौके पर बन पीस या गाउन पहन सकती हैं और हौलिडे सैलिब्रेशन के दौरान बीच ड्रैस आप की पर्सनैलिटी को निखार सकती हैं. इसी तरह रैग्युलर बियर के लिए मैक्सी ड्रैस भी ट्राई कर सकती हैं.

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औल टाइम फैवरिट  है जींस

जींस एक ऐसा आउटफिट है, जिसे टीनऐज गर्ल्स ही नहीं, मैच्योर वूमंस भी बिंदास पहन सकती हैं. हां, यह बात और है कि आप इस उम्र में जींस के साथ टाइट फिट टी शर्ट नहीं पहन सकतीं, लेकिन फौर्मल शर्ट या लौंग कुरती पहन कर आप स्मार्ट नजर आ सकती हैं. ध्यान रहे, लौंग वेस्ट के बजाय हार्ट वेस्ट जींस आप पर ज्यादा सूट होगी.

साड़ी भी है बेहतर औप्शन

अगर आप रैग्युलर लुक से अगर ऊब चुकी हैं तो डिफरैंट लुक के लिए साड़ी भी ट्राई कर सकती हैं. साड़ी बौडी की खामियों को छिपाने के साथसाथ आकर्षक लुक भी देती है. सिंपल साड़ी के साथ स्लीवलैस, बैकलैस, हौल्टर या टी नैक ब्लाउज पहनें. इस से आप स्टाइलिश नजर आएंगी. इसी तरह किसी खास मौके पर रौयल लुक के लिए डिजाइनर साड़ी भी पहन कर जा सकती हैं. हालांकि अब साड़ी बहुत कम और सिर्फ औफिशियल अवसरों पर ही पहनी जाती है पर इस की ऐलिगैंस का जवाब नहीं है.

स्कर्ट ट्राई करें

न तो बहुत छोटी और न ही बहुत बड़ी, लेकिन नीलैंट स्कर्ट तो आप अब भी पहन सकती हैं. इसे टीशर्ट या क्रौप टौप के साथ पहनने के बजाय शौर्ट कुरती के साथ पहनें. इस लुक में आप काफी स्मार्ट नजर आएंगी. डार्क या ब्राइट शेड स्कर्ट के साथ डल ऐंड लाइट कलर की कुरती आप को बैलेंस्ड लुक देगी.

जैकेट या कोट

जींस या स्कर्ट के साथ टाइट फिटिंग टौप, टीशर्ट या शर्ट पहन रही हैं तो उस के ऊपर जैकेट या कोट पहनें, ये आप को सौफिस्टिकेटेड लुक देगी. इसी तरह शौर्ट ड्रैस के साथ कार्डिगन पहन कर आप पार्टी की जान भी बन सकती हैं. अगर आप कोई फुलस्लीव्स आउटफिट पहन रही हैं तो उस के साथ स्लीवलैस जैकेट या कोट की जोड़ी जम सकती है.

ऐक्सैसरी भी हैं जरूरी

मिस ब्यूटीफुल कहलाने के लिए परफैक्ट मेकअप, प्रैजेंटेबल आउटफिट के साथ आप को ऐक्सैसरी भी पहनी होगी. ज्यादा न सही, मगर आउटफिट से मैच करती 2-3 ऐक्सैसरीज जरूर पहनें या फिर हैंगिंग इयररिंग्स, लौंग नेम पीस, ब्राइट कफ या फुलसाइज फिंगर रिंग में से किसी एक ऐक्सैसरी को अपना स्टाइल स्टेटमैंट बनाएं और आउटफिट से मैच करती इस ऐक्सैसरीज का कलैक्शन जुटा कर रखें.

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लाइट आउटफिट ब्राइट ऐक्सैसरीज

माना कि आप इस उम्र में बहुत ज्यादा ब्राइट, डार्क या चमकीला आउटफिट नहीं पहन सकतीं, लेकिन अपने लाइट शेड वियर को ब्राइट टच तो दे ही सकती हैं जैसे-

– लाइट शेड किसी ड्रैस के साथ ब्राइट कलर का स्कार्फ पहनें जैसे व्हाइट टौप के साथ डार्क औरेंज कलर का स्कार्फ लें.

– लाइट शेड जींस के साथ शिमरी या ज्वैल्ड बैल्ट लगाएं.

– बोल्ड शेड की हेयर ऐक्सैसरीज जैसे क्लिप, हेयर बैंड आदि बालों में लगाएं.

– पार्टी जैसे मौके पर सौफ्ट शेड आउटफिट के साथ सिल्वर या गोल्डन क्लच कैरी करें.

– नियोन शेड्स की बैली, मोजड़ी, शूज भी लाइट कलर के आउटफिट के साथ आकर्षक नजर आते हैं.

– कलरफुल फ्रेम वाले सनग्लासेज भी आप की खूबसूरती बढ़ा सकते हैं.

– शाइनी शिमरी लुक के लिए सिंगल से आउटफिट के साथ ऐलिगैंट डायमंड सैट पहनें.

– डार्क ऐंड ब्राइट शेड की नेलपौलिश लगा कर भी आप अपनी लाइट शेड ड्रैस को ट्रैंडी लुक दे सकती हैं.

चरित्र: क्यों देना पड़ा मणिकांत को अपने चरित्र का प्रमाण

लेखक- अनिल के. माथुर

‘‘उफ, इसे भी अभी ही बजना था,’’ आटा सने हाथों से ही मधु ने दरवाजा खोला. सामने मणिकांत खड़ा था, जो उसी के कालिज में लाइब्रेरी का चपरासी था.

‘‘तुम…’’ बात अधूरी छोड़ मधु रोते विशू को उठाने लपकी मगर अपने आटा सने हाथ देख कर ठिठक गई. परिस्थिति को भांपते हुए मणिकांत ने अपने हाथ की पुस्तकें नीचे रखीं और विशू को गोद में उठा कर चुप कराने लगा.

‘‘मैं अभी आई,’’ कह कर मधु हाथ धोने रसोई में चली गई. एक मिनट बाद ही तौलिए से हाथ पोंछते हुए वह फिर कमरे में आई और मणिकांत की गोद से विशू को ले लिया.

‘‘मैडम, आप ये पुस्तकें लाइब्रेरी में ही भूल आई थीं,’’ पुस्तकों की ओर इशारा करते हुए मणिकांत ने कुछ इस तरह से कहा मानो वह अपने आने के मकसद को जाहिर कर रहा हो.

मधु को याद आया कि पुस्तकें ढूंढ़ कर जब वह उन्हें लाइब्रेरियन से अपने नाम इश्यू करवा रही थी तभी उस का मोबाइल बज उठा था. लाइब्रेरी की शांति भंग न हो इसलिए वह बात करती हुई बाहर आ गई थी. पति सुमित का फोन था. वह आफिस के कुछ महत्त्वपूर्ण लोगों को डिनर पर ला रहे थे. मधु को जल्दी

घर पहुंचना था. जल्दबाजी में वह अंदर से पुस्तकें लेना भूल गई और सीधे घर आ गई थी.

‘‘अरे, यह तो मैं कल ले लेती, पर तुम्हें मेरे घर का पता कैसे चला?’’

‘‘जहां चाह वहां राह. किसी से पूछ लिया था. लगता है आप खाना बना रही हैं. बच्चे को तब तक मैं रख लेता हूं,’’ मणिकांत ने विशू को गोद में लेने के लिए दोनों हाथ आगे बढ़ाए तो मधु पीछे हट गई.

‘‘नहीं…नहीं, मैं सब कर लूंगी. मेरा तो यह रोज का काम है. तुम जाओ,’’ दरवाजा बंद कर वह विशू को सुलाने का प्रयास करने लगी. विशू को थपकी देते हाथ मानो उस के दिमाग को भी थपथपा रहे थे.

उस की जिंदगी कितनी भागम- भाग भरी हो गई है. बाई तो बस, बंधाबंधाया काम करती है, बाकी सब तो उसे ही देखना पड़ता है. सुबह जल्दी उठ कर लंच पैक कर सुमित को आफिस रवाना करना, विशू को संभालना, खुद तैयार होना, विशू को रास्ते में क्रेच छोड़ना, कालिज पहुंचना, लौटते समय विशू को लेना, घर पहुंच कर सुबह की बिखरी गृहस्थी समेटना और उबासियां लेते हुए सुमित का इंतजार करना.

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थकेहारे सुमित रात को कभी 10 तो कभी 11 बजे लौटते. कभी खाए और कभी बिना खाए ही सो जाते. मधु जानती थी, प्राइवेट नौकरी में वेतन ज्यादा होता है तो काम भी कस कर लिया जाता है. यद्यपि पहले स्थिति ऐसी नहीं थी. सुमित 8 बजे तक घर लौट आते थे और शाम का खाना दोनों साथ खाते थे. लेकिन जब से सुमित की कंपनी के मालिक की मृत्यु हुई थी और उन की विधवा ने सारा काम संभाला था तब से सुमित की जिम्मेदारियां भी बहुत बढ़ गई थीं और उस ने देरी से आना शुरू कर दिया था.

मधु शिकायत करती तो सुमित लाचारी से कहते, ‘‘क्या करूं डियर, आना तो मैं भी जल्दी चाहता हूं पर मैडम को अभी काम समझने में समय लगेगा. उन्हें बताने में देर हो जाती है.’’

एक विधवा के प्रति सहज सहानुभूति मान कर मधु चुप रह जाती.

शादी से पहले की प्रवक्ता की अपनी नौकरी वह छोड़ना नहीं चाहती थी. उस का पढ़ने का शौक शादी के बाद तक बरकरार था. इसलिए अपनी व्यस्ततम दिनचर्या में से समय निकाल कर वह लाइब्रेरी से पुस्तकें लाती रहती थी और देर रात सुमित का इंतजार करते हुए उन्हें पढ़ती रहती. हालात से अब उस ने समझौता कर लिया था. पर कभीकभी कुछ बेहद जरूरी मौकों पर उसे सुमित की गैरमौजूदगी खलती भी थी.

उस दिन भी वह आटो में गृहस्थी का सारा सामान ले कर 2 घंटे बाद घर लौटी तो थक कर चूर हो चुकी थी. गोद में विशू को लिए उस ने दोनों हाथों में भरे  हुए थैले उठाने चाहे तो लगा चक्कर खा कर वहीं न गिर पड़े. तभी जाने कहां से मणिकांत आ टपका था.

तुरतफुरत मणिकांत ने मधु को मय सामान और विशू के घर के अंदर पहुंचा दिया था. शिष्टतावश मधु ने उसे चाय पीने के लिए रोक लिया. वह चाय बनाने रसोई में घुसी तो विशू ने पौटी कर दी. मधु उस के कपड़े बदल कर लाई तब तक देखा मणिकांत 2 प्यालों में चाय सजाए उस का इंतजार कर रहा था.

‘‘अरे, तुम ने क्यों तकलीफ की? मैं तो आ ही रही थी,’’ मधु को संकोच ने आ घेरा था.

‘‘तकलीफ कैसी, मैडम? आप को इतना थका देख कर मैं तो वैसे भी कहने वाला था कि चाय मुझे बनाने दें, पर…’’

‘‘अच्छा, बैठो. चाय पीओ,’’ मधु ने सामने के सोफे की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘अच्छा, तुम इधर कैसे आए?’’

‘‘इधर मेरा कजिन रहता है. उसी से मिलने जा रहा था कि आप दिख गईं,’’ चाय पीते हुए मणिकांत ने पूछा, ‘‘मैडम, साहब कहीं बाहर नौकरी करते हैं?’’

‘‘अरे, नहीं. इसी शहर में हैं पर दफ्तर में बहुत व्यस्त रहते हैं इसलिए घर देर से आते हैं. सबकुछ मुझे ही देखना पड़ता है,’’ मधु कह तो गई पर फिर बात बदलते हुए बोली, ‘‘तुम्हारे घर में कौनकौन हैं?’’

‘‘मांपिताजी हैं, जो गांव में रहते हैं. शादी अभी हुई नहीं है. थोड़ा पढ़ालिखा हूं इसलिए शहर आ कर नौकरी करने लगा. पढ़नेलिखने का शौक है इसलिए पुराने मालिक ने यहां लाइब्रेरी में लगवा दिया,’’ कहते हुए मणिकांत उठ खड़ा हुआ. मधु उसे छोड़ने बाहर आई. उसे वापस उसी दिशा में जाते देख मधु ने टोका, ‘‘तुम अपने कजिन के यहां जाने वाले थे न?’’

‘‘हां…हां. पर आज यहीं बहुत देर हो गई है. फिर कभी चला जाऊंगा.’’

उस का रहस्यमय व्यवहार मधु की समझ में नहीं आ रहा था. उसे तो यह भी शक होने लगा था कि वह अपने कजिन से नहीं बल्कि उसी से मिलने आया था.

रात को मधु ने सुमित को मणिकांत के बारे में सबकुछ बता दिया.

‘‘भई, कमाल है,’’ सुमित बोले, ‘‘एक तो बेचारा तुम्हारी इतनी मदद कर रहा है और तुम हो कि उसी पर शक कर रही हो. खुद ही तो कहती रहती हो कि मैं गृहस्थी और विशू को अकेली ही संभालतेसंभालते थक जाती हूं. कोई हैल्पिंगहैंड नहीं है. अब यदि यह हैल्पिंग- हैंड आ गया है तो अपनी शिकायतों को खत्म कर दो. चाहो तो उसे काम के बदले पैसे दे दिया करो ताकि तुम्हें उस से काम लेने में संकोच न हो.’’

‘‘हूं, यह भी ठीक है,’’ मधु को सुमित की बात जंच गई.

अब मधु गाहेबगाहे मणिकांत की मदद ले लेती. वह तो हर रोज आने को तैयार था पर मधु का रवैया भांप कम ही आता था. हां, जब भी मणिकांत आता मधु के ढेरों काम निबटा जाता. कभी बिना कहे ही शाम को ढेरों सब्जियां ले कर पहुंच जाता. मधु उसे हिसाब से कुछ ज्यादा ही पैसे पकड़ा देती. फिर वह देर तक विशू को खिलाता रहता, तब तक मधु सारे काम निबटा लेती. फिर मधु उसे खाना खिला कर ही भेजती थी.

पैसे लेने में शुरू में तो मणिकांत ने बहुत आनाकानी की पर जब मधु ने धमकी दी कि फिर यहां आने की जरूरत नहीं है तो वह पैसा लेना मान गया. विशू भी अब उस से बहुत हिलमिल गया था. मधु को भी उस की आदत सी पड़ गई थी.

मणिकांत का पढ़ने का शौक भी मधु के माध्यम से पूरा हो जाता था क्योंकि वह लाइब्रेरी से अच्छी पुस्तकें चुनने में उस की मदद करती थी. किसी पुस्तक के बारे में उसे घंटों समझाती. इस तरह अपनी नीरस जिंदगी में अब मधु को कुछ सार नजर आने लगा था.

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वह मणिकांत को छोटे भाई की तरह स्नेह करने लगी थी. मणिकांत के मुंह से भी अब उस के लिए मैडम की जगह दीदी संबोधन निकलने लगा था जिसे सुन कर मधु का मन बड़ी बहन के बड़प्पन से फूल उठता. सुमित भी खुश था क्योंकि अब उस के देर से लौटने पर भी मधु खुशी मन से उस का स्वागत करती थी. वरना पहले तो वह शिकायतों का अंबार लगा देती थी. लेकिन आश्चर्य की बात थी कि इतने लंबे समय में भी सुमित और मणिकांत का अभी तक आमनासामना नहीं हुआ था. कारण, एक तो वह छुट्टी वाले दिन नहीं आता था. दूसरे, वह कभी देर रात तक नहीं रुकता था.

सुमित को मणिकांत से मिलवाने के लिए मधु ने एक रविवार मणिकांत को लंच के समय आने को कहा. नियत समय पर मणिकांत तो पहुंच गया लेकिन आफिस से जरूरी फोन आ जाने के कारण सुमित उस के आने से पहले ही निकल गए. देर तक इंतजार कर आखिर मणिकांत बिना मिले ही चला गया जिस का मधु को भी बहुत अफसोस रहा.

इस घटना के कुछ दिन बाद मधु एक दिन कालिज पहुंची तो उसे लगा कि आज कालिज की फिजा कुछ बदली- बदली सी है. विद्यार्थी से ले कर साथी अध्यापक तक उसे विचित्र नजरों से घूर रहे थे. किसी अनहोनी की आशंका से पीडि़त मधु स्टाफरूम में जा कर बैठी ही थी कि एक चपरासी ने आ कर सूचित किया कि मैडम, प्रिंसिपल साहब आप को बुला रहे हैं. अनमनी सी वह चुपचाप उस के पीछेपीछे चल दी.

‘‘मुझे समझ नहीं आ रहा है कि आप जैसी जिम्मेदार और गंभीर व्यक्तित्व वाली प्रवक्ता ने इतना घटिया कदम क्यों उठाया?’’ बिना किसी भूमिका के प्रिंसिपल ने अपनी बात कह दी.

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‘‘जी?’’ मधु बौखला उठी, ‘‘आप कहना क्या चाहते हैं?’’

‘‘कालिज के एक अदने से चपरासी मणिकांत के संग नाजायज संबंध रखते हुए आप को शरम नहीं आई? विद्यार्थियों के सम्मुख यह कैसा आदर्श प्रस्तुत कर रही हैं आप?’’

‘‘आप होश में तो हैं? इतना गंदा आरोप लगाने से पहले आप ने कुछ सोचा तो होता,’’ क्रोध के आवेश में मधु थरथर कांप रही थी.

‘‘पूरी तहकीकात करने के बाद ही मैं आप से रूबरू हुआ हूं. आप के साथी अध्यापकों और विद्यार्थियों ने कई बार आप दोनों को अकेले बातचीत करते भी देखा है.’’

‘‘क्या किसी से बात करना गुनाह है?’’

‘‘आप के पड़ोसियों ने भी पूछताछ में बताया है कि वह अकसर आप के यहां आता है और आप के पति की गैरमौजूदगी में काफी वक्त वहां गुजारता है.’’

‘‘हां, तो इस से आप जो आरोप लगा रहे हैं वह तो सिद्ध नहीं होता. मणि मेरे छोटे भाई की तरह है और हम दोनों बहनभाई की तरह ही एकदूसरे का खयाल रखते हैं,’’ मधु गुस्से में बोली, ‘‘आप मणिकांत को बुलवाइए. अभी दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा.’’

‘‘वह आज कालिज नहीं आया है. घर पर भी नहीं मिला. शायद भेद खुल जाने के भय से शहर छोड़ कर भाग गया है.’’

‘‘जब कोई भेद है ही नहीं तो खुलेगा क्या? हमारा रिश्ता शीशे की तरह पाकसाफ है. मेरे पति को भी मुझ पर पूरा विश्वास है. आज तक हमारे संबंधों को ले कर उन्होंने कभी कोई शक नहीं किया.’’

प्रिंसिपल मधु को ऐसे देखने लगे मानो सामने कोई पागल खड़ा हो.

‘‘क्या आप नहीं जानतीं कि आप पर चरित्रहीन होने का आरोप आप के पति ने ही लगाया है?’’

‘‘क्या?’’ मधु के लिए यह दूसरा बड़ा आघात था.

‘‘वह आप से तलाक चाहते हैं,’’ प्रिंसिपल साहब बोले, ‘‘इसी बारे में साक्ष्य जुटाने सुमितजी कल कालिज आए थे. आप तब तक घर जा चुकी थीं. उन्होंने मणिकांत से आप के अवैध संबंधों के बारे में पूछताछ की. आप की चरित्रहीनता विद्यार्थियों पर गलत प्रभाव डाले, इस से पहले मैं चाहूंगा कि आप त्यागपत्र दे दें.’’

मधु किंकर्तव्यविमूढ़ बैठी रही. उसे गहरा मानसिक आघात लगा था.

‘‘मैं आप की मनोदशा समझ रहा हूं पर मजबूर हूं. अब आप जा सकती हैं.’’

लड़खड़ाते कदमों से मधु कैसे कालिज से निकली और कैसे घर पहुंची उसे खुद होश न था. उस की दुनिया उजड़ चुकी थी. अपने केबिन में बैठ कर कंपनी की उन्नति के लिए स्ट्रेटजी रचने वाला उस का पति उस के खिलाफ इतनी बड़ी स्ट्रेटजी रचता रहा और उसे भनक तक नहीं लगी. लेकिन सुमित ने यह सब किया क्यों? क्या मणिकांत उसी का आदमी था? सोचसोच कर मधु का भेजा घूम रहा था.

लाइब्रेरी और आफिस आदि में फोन से पूछताछ करने पर मधु को पता चला कि किसी बहुराष्ट्रीय कंपनी के सुमित साहब ने उसे कालिज लाइब्रेरी में लगवाया था. मधु का अगला दिन भी आंसू बहाने और तहकीकात करने में बीत गया. न मणिकांत मिला और न सुमित ही घर लौटे. सुमित के मोबाइल पर घंटी जाती रहती और फिर फोन कट जाता.

मधु की भूखप्यास गायब हो चुकी थी. आंखों से नींद उड़ चुकी थी. वह छत की ओर टकटकी लगाए लेटी थी. तभी दरवाजे पर ठकठक हुई.

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‘जरूर सुमित होंगे,’ सोच कर मधु ने लपक कर दरवाजा खोला. लेकिन सामने मणिकांत को देख वह एकबारगी स्तब्ध रह गई. फिर उस का कालर पकड़ कर 2-3 थप्पड़ जमा दिए.

‘‘आस्तीन के सांप, मेरी जिंदगी बरबाद कर देने के बाद अब यहां क्या लेने आए हो?’’

‘‘दीदी वो…’’

‘‘खबरदार जो अपनी गंदी जबान से मुझे दीदी कहा…’’

‘‘दीदी, प्लीज, मेरी बात तो सुनिए. मुझे खुद नहीं पता था कि सुमित साहब के इरादे इतने भयानक हैं.’’

‘‘कब से जानते हो तुम सुमित को?’’

‘‘मैं पहले उन्हीं के आफिस में काम करता था. उन के बारे में बहुत ज्यादा तो नहीं जानता था. बस, इतना पता था कि मालिक की मौत के बाद अब साहब ही कंपनी के कर्ताधर्ता हैं. मालकिन भी उन्हीं के इशारों पर नाचती हैं.

‘‘मैं अकसर आफिस में खाली समय में पुस्तकें पढ़ा करता था. सुमित साहब मेरे इस शौक से वाकिफ थे. उन्होंने मुझे इस के लिए कभी नहीं टोका जिस के लिए मैं उन का शुक्रगुजार था. एक दिन उन्होंने मुझे अकेले में बुलाया और कहा कि मुझे उन का एक काम करना होगा. आफिस में व्यस्तता की वजह से वह अपनी बीवी यानी आप की पर्याप्त मदद नहीं कर पाते जिस से आप काफी तनाव में रहती हैं. वह मुझे आप के कालिज में लगवा देंगे. मुझे धीरेधीरे आप को विश्वास में ले कर घर और विशू की देखभाल का काम संभालना होगा. लेकिन आप को कुछ पता नहीं चलना चाहिए.’’

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‘‘ऐसा क्यों?’’ मधु ने आश्चर्य से पूछा.

‘‘मुझे भी उन की यह बात समझ में नहीं आई थी. इसीलिए मैं ने भी यही सवाल किया था. तब उन्होंने बताया कि आप नौकर या आया रखने के पक्ष में नहीं हैं क्योंकि एक अनजान आदमी से आप को हमेशा घर और विशू की सुरक्षा की चिंता सताती रहेगी. इसलिए मुझे पहले जानेअनजाने आप की मदद कर आप का विश्वास जीतना होगा. इस कार्य में साहब ने मेरी पूरी मदद करने का भरोसा भी दिया क्योंकि वह आप को परेशान नहीं देख सकते थे.

‘‘उस रोज रविवार के दिन जब आप ने मुझे लंच पर साहब से मिलवाने की बात कही थी तो मुझे लगा शायद आज साहब आप के सामने अपने सरप्राइज का खुलासा करेंगे, लेकिन वह तो मेरे आने से पहले ही चले गए थे. सरप्राइज तो उन्होंने मुझे कल बुला कर दिया.

‘‘वह कंपनी की विधवा मालकिन से शादी रचा कर कंपनी के एकछत्र मालिक बनना चाहते हैं लेकिन इस के लिए उन्हें पहले आप से तलाक लेना होगा और इस के लिए उन के पास आप के खिलाफ ठोस साक्ष्य होने चाहिए. आप पर चरित्रहीनता का लांछन लगाने के लिए उन्होंने मुझे मोहरा बनाया. मैं तो यह सोच कर उन के इशारों पर चलता रहा कि एक नेक काम में मैं उन की मदद कर रहा हूं. पर छी, थू है ऐसे आदमी पर जो पैसे के लालच में इतना गिर गया है कि अपनी बीवी के चरित्र पर ही कीचड़ उछाल रहा है.’’

‘‘लेकिन उन्होंने तुम्हें कल क्यों बुलाया?’’

‘‘वह नीच आदमी चाहता है कि सचाई जानने के बाद भी मैं उस के इशारों पर काम करूं. उस ने 50 हजार रुपए निकाल कर मेरे सामने रख दिए और कहा कि वह और भी देने को तैयार है लेकिन मुझे अदालत में उस की हां में हां मिलानी होगी. बयान देना होगा कि आप चरित्रहीन हैं और आप मेरे संग…’’ शरम से मणिकांत ने गरदन झुका ली.

‘‘तो अब तुम क्या…’’ मधु ने थूक गटकते हुए बात अधूरी छोड़ दी.

‘‘मेरा चरित्र उस नीच आदमी के चरित्र जितना सस्ता नहीं है, दीदी,’’ मणिकांत बोला, ‘‘पैसा होते हुए भी और पैसे के लालच में वह इतना गिर गया कि अपनी बीवी के चरित्र का सौदा करने लगा. ऐसा पैसा पा कर भी मैं क्या करूंगा जिस से इनसान इनसान न रहे, हैवान बन जाए. हालांकि बात न मानने पर उस ने मुझे जान से मारने की धमकी दी है पर मैं उसे उस के कुटिल मकसद में कामयाब नहीं होने दूंगा. इस के लिए चाहे मुझे अपनी जान ही क्यों न देनी पड़े.’’

‘‘तुम्हें अपनी जान देने की जरूरत नहीं है, भाई,’’ मधु भावुक स्वर में बोली, ‘‘मुझे अब न उस आदमी की चाह है और न उस के पैसे की. इसलिए तलाक हो या न हो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता. मैं अपने विशू को ले कर यहां से बहुत दूर चली जाऊंगी. तुम भी उस की बात मान लो. पैसा सबकुछ तो नहीं होता लेकिन बहुतकुछ होता है. उस पैसे से एक नई जिंदगी शुरू करो.’’

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‘‘थूकता हूं मैं ऐसी नई जिंदगी पर. और आप यह कैसी बहकीबहकी बातें कर रही हैं? अन्याय सहने वाला भी उतना ही दोषी है जितना कि अन्याय करने वाला. दीदी, यह पाठ भी आप ही ने तो मुझे पढ़ाया था. आप कुछ भी करें लेकिन मैं दुनिया को आप के चरित्र की सचाई बता कर रहूंगा और उस चरित्रहीन को समाज के सामने नंगा कर दूंगा.’’

आवेश से तमतमाते मणिकांत की बातों ने मधु को झकझोर कर रख दिया. उस के मानसपटल में बिजली कौंध रही थी और उस में एक ही वाक्य उभरउभर कर आ रहा था. करोड़ों की संपत्ति का स्वामी सुमित इस सद्चरित के स्वामी मणिकांत के सम्मुख कितना दीनहीन है.

आखिर फिल्मों के किस प्लेटफॉर्म के बारें में बात कर रही है निर्माता शिखा शर्मा

मनोरंजन की दुनिया में क्रिएटिव हेड और प्रोड्यूसर शिखा शर्मा को हमेशा से अच्छी और मनोरंजक कहानियां कहने का शौक था. इसके लिए पहले उन्होंने कई कॉर्पोरेट संस्थानों में काम किया और फिल्मों के लिखने से लेकर रिलीज होने और दर्शकों की रिव्यु को समझने तक काम किया और उन्होंने उन कहानियों को पर्दे पर लाने की कोशिश की,जो उन्होंने अपने आसपास देखी हो और दर्शकों तक पहुंचना जरुरी था. इस श्रृंखला में शिखा ने पहले फिल्म मकबूल, के लिए पोस्ट-प्रोडक्शन एसिस्टेंट, फिल्म शेरनी, छोरी, शकुंतला देवी, दुर्गामती, ‘हश हश’, नूर आदि कई फिल्मो की निर्माता और लेखक है. उन्हें बचपन से फिल्में देखने का बहुत शौक था. कई बार उन्हें महसूस होता था कि कई ऐसी कहानियां हमारे आसपास है, जिससे लोग छुपते है, जबकि ऐसी कहानियां समाज और परिवार में जागरूकता फ़ैलाने का काम करती है. अपनी इस पैशन को शिखा आज भी जारी रखे हुए है. उन्होंने गृहशोभा के लिए खास बातचीत कर बताया कि जिस प्रकार एक पुरुष को आगे लाने में महिला का योगदान होता है, वैसी ही मेरी सफलता में मेरे पति आरिफ शेख का बहुत बड़ा हाथ रहा है.

मिली प्रेरणा

इस क्षेत्र में आने की प्रेरणा के बारें में पूछने पर शिखा बताती है कि बचपन से ही मुझे और मेरे पेरेंट्स को फिल्में देखने का शौक था. बचपन में मैंने कई फिल्में देखी है. ये फिल्में हमेशा मुझे फेसिनेट करती थी, क्योंकि मुझे स्टोरी कहने की जरुरत थी. इसलिए मैंने फिल्म मेकिंग में डिग्री ली और क्रिएटिव हेड के रूप में एक कॉर्पोरेट कंपनी में काम करने लगी, लेकिन इम्पैक्ट फुल फैक्ट्स को सामने लाने की इच्छा हमेशा रही और तब मुझे मकबूल और मंगल पांडे फिल्म के लिए प्रोडक्शन एक्सिक्यूटिव बनने का मौका मिला. इसके बाद दूसरी कंपनी में मुझे कंटेंट डेव्लोप करने का मौका मिला और मैंने फिल्म शोर इन द सिटी, द डर्टी पिक्चर, क्या सुपर कूल है हम आदि कई फिल्मों के कंटेंट पर काम किया. उस दौरान मुझे एक अच्छी टीम के साथ काम करने का अवसर मिलता रहा. मैंने सोचा यही सबसे अच्छा मौका है, क्योंकि मुझे कम मेहनत से अच्छे निर्देशक, टेक्निशियन,क्रीयेटर्स आदि सब मिल गए थे. मैंने उन सबके साथ मिलकर कहानी कहने की शुरुआत की.

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मकसद कहानियों को कहना

इसके आगे शिखा कहती है कि मैं बोर्न दिल्ली में हुई थी, मेरे पिता ट्रांसफरेबल जॉब में थे इसलिए मुंबई आना हुआ और मैं पिछले 18 साल से मुंबई में काम कर रही हूँ. इस क्षेत्र में आने से पहले मैंने एक शार्ट फिल्म बनाई. कैंपस प्लेसमेंट से ही मुझे काम मिला और आगे बढती गई. मेरी डीएनए में ही ऐसी शौक थी, क्योंकि मैं हमेशा एक मीनिंग फुल और प्रेरणा दायक कहानियाँ कहना चाहती थी, जिसमें मनोरंजन के साथ कुछ मेसेज भी हो.

ओटीटी है वरदान

महिला होने पर भी शिखा को काम में कोई मुश्किल नहीं होती, क्योंकि उन्होंने फिल्म मेकिंग की बारीकियों को नजदीक से देखा है. अभी कई महिला निर्माता इंडस्ट्री में है. वह हंसती हुई कहती है कि स्टोरी टेलर्स के लिए ये समय बहुत एक्साईटिंग है, जहाँ पर निर्देशक और पूरी यूनिट एक साथ काम कर रही है और काम जल्दी भी हो रहा है. ओटीटी के माध्यम से बोल्ड, रियल और एक्शन की कहानियाँ शामिल हो रही है. पहले इन फिल्मों को पैरेलल सिनेमा कहाजाता था, पर अब ये लाइन बहुत ब्लर हो चुकी है. आज अच्छी तरह से एक राइटर अपनी बात रख सकती है, क्योंकि अच्छी कहानियों के लिए दर्शक उत्सुक रहते है. इस समय लेखक, निर्देशक, निर्माता सभी को फायदा इंडस्ट्री से हो रहा है. छोरी,शेरनी जैसी अच्छी फिल्में भी ओटीटी पर है, जिसे दर्शको ने काफी पसंद किया है. ख़ुशी की बात यह है कि इन फिल्मों में लेखक अपनी कहानी सबके सामने रख पाए है और लोगों को इन फिल्मों से मनोरंजन भी मिला है. साथ ही वे अपने घर पर बैठकर आराम से अपने डिवाइस पर इन फिल्मों को देख सकते है. इससे अलग रामसेतु जैसी बड़ी फिल्में थिएटर के लिए भी बन रही है.

दिल के करीब

शिखा हर तरह की कहानी कहने की कोशिश कर रही है, लेकिन ‘हश हश’शो की कहानी उनके दिल के काफी करीब है.जिसे इन हाउस डेवलप किया गया है,जो बहुत सारी औरतों के जीवन पर आधारित है, जो अलग-अलग चरित्र की होते हुए खुबसूरत और मीनिंगफुल है. ये औरते अलग-अलग परिस्थिति में कैसे रियेक्ट करती है. ये सारी कहानियाँ उनके आसपास घटी है और वह उससे बहुत प्रेरित है.

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जरुरी है मेंटल हेल्थ पर जागरूकता फैलाना

मेंटल हेल्थ के बारें में शिखा कहती है कि आज यह एक बड़ी समस्या है. इससे बच्चे ही नहीं बड़े भी प्रभावित है और दर्शकों के बीच इसकी जागरूकता फैलाने की जरुरत है, क्योंकि केवल शरीर ही बीमार नहीं होता, बल्किमानसिक स्वास्थ्य भी बीमार हो सकता है. कुछ लोग ऐसे है, जो इन बातों को कहना नहीं चाहते, शर्म महसूस करते है,इसे लोग एक टैबू के रूप में लेते है, उन्हें लगता है कि मानसिक बीमारी के बारें में बात करने पर लोग मजाक बनायेंगे.इसके लिए हमें बच्चों को समझाना पड़ेगा कि मानसिक समस्या कोई बहुत बड़ी बात नहीं होती. इसके अलावा क्रिएटर का ये सामाजिक दायित्व है कि वे इस बात को कहानी और मनोरंजन के माध्यम से दर्शकों को समझा पाए. इस पर काम चल रहा है. आगे रामसेतु, जलसा, छोरी 2 आदि कई फिल्मों पर काम चल रहा है और कुछ को लिखने का काम चल रहा है.

परिवार का सहयोग

परिवार के सहयोग के बारें में शिखा का कहना है कि सपोर्ट न मिलने पर काम करना मुश्किल होता है. परिवार के सहयोग से ही मुझे हर रोज कुछ नया काम करने की प्रेरणा मिलती है, जिसमें मेरा बेटा, पति, माँ और सास सभी है. मेरे पति आरिफ शेख फिल्म एडिटर है, काम के दौरान ही मैं उनसे मिली थी. मेरा 11 साल का बेटा कियान शर्मा शेख भी फिल्मों का बहुत शौक़ीन है, पर अभी इस फील्ड में बिलकुल आना नहीं चाहता. उसको क्रिकेट में रूचि है और उसमे ही कुछ करना चाहता है. कोविड में जिंदगी ने बहुत कुछ समझा दिया है, उसे समझते हुए काम करे और आगे बढ़े. साथ ही अपने स्वास्थ्य की देखभाल अवश्य करें.

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Tejasswi की Bigg Boss 15 की जीत को ट्रोलर्स ने बताया खैरात, Karan ने दिया ये रिएक्शन

Bigg Boss का 15वां सीजन भले ही खत्म हो चुका है. लेकिन सोशलमीडिया पर इसके चर्चे होना बंद नहीं हुए हैं. जहां बीते दिनों सेलेब्स एक्ट्रेस तेजस्वी प्रकाश (Tejasswi Prakash) की जीत पर ताने कसते नजर आए थे और प्रतीक सहजपाल को विनर बताते दिखे थे तो वहीं अब लोग तेजस्वी को ट्रोल करते नजर आ रहे हैं. हालांकि इस बार उनके सपोर्ट में बौयफ्रेंड एक्टर करण कुंद्रा नजर आ रहे हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

ट्रोलर्स को दिया करारा जवाब


Bigg Boss 15 की ट्रॉफी जीतने के बाद से तेजस्वी प्रकाश ट्रोलिंग का सामना कर रही हैं. हालांकि वह अक्सर ट्रोलर्स को करारा जवाब देती नजर आईं. लेकिन इस बार तेजस्वी के सपोर्ट में बॉयफ्रेंड करण कुंद्रा आ गए हैं. दरअसल, करण कुंद्रा ने हाल ही में अपने ट्विटर हैंडल पर फैंस के लिए सवाल/जवाब का सेशन रखा था, जिसमें एक  यूजर ने तेजस्वी प्रकाश को खैरात में ट्रॉफी देने की बात कही थी. लेकिन करण कुंद्रा ने इसका करारा जवाब देते हुए लिखा, ‘ट्रॉफी वो जीती… कहानी खत्म… सड्डो मत रीलैक्स करो… प्यार करो लड़ाई नहीं… चक्को.’

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साथ नजर आता है कपल

बिग बॉस 15 खत्म होने के बाद से #tejran कपल साथ नजर आता है. वहीं दोनों कई बार डेट पर भी जाते नजर आते हैं. हालांकि दोनों शादी के सवाल से दूर भागते नजर आते हैं. वहीं हाल ही के एक इंटरव्यू में तेजस्वी प्रकाश ने कहा है कि अभी तक करण कुंद्रा ने उन्हें शादी के लिए प्रपोज नहीं किया है.

बता दें, बिग बॉस 15 के घर में तेजस्वी प्रकाश और करण कुंद्रा (Karan Kundrra) के बीच प्यार हुआ था, जिसके बाद फैंस ने दोनों को #tejran का टैग दिया था. वहीं शो में ही दोनों को परिवार की भी मंजूरी मिल गई थी, जिसके चलते दोनों सोशलमिडिया पर काफी सुर्खियों में थे.

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और वक्त बदल गया: क्या हुआ था नीरज के साथ

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पौधों को पानी देने के 11 टिप्स

इंसान हो या पेड़ पौधे सभी के लिए पानी जीवनदायी है बिना पानी के जहां इंसान डीहाइड्रेशन का शिकार हो बीमार पड़ जाता है वहीं पेड़ पौधे भी पानी के अभाव में मुरझा जाते हैं. हमारे घरों में छोटा सा किचिन गार्डन तो होता  है और यदि फ्लैट है तो हम अपनी बालकनी में भी पेड़ पौधे लगाकर अपने प्रकृति प्रेम को पूरा कर लेते हैं. घर में लगे पेड़ पौधों के लिए पानी जितना जरूरी है उतना ही हानिकारक है उन्हें अधिक पानी देना. अक्सर घरों में लगे महंगे से महंगे इंडोर प्लांट्स पानी की अधिकता से ही मर जाते हैं क्योंकि हमें पता ही नहीं होता कि इन्हें कब और कितना पानी देना है. आज हम आपको ऐसे ही कुछ टिप्स बता रहे हैं जो आपको अपने प्लांट्स की देखभाल में मदद करेंगे-

1. प्रत्येक पौधे की पानी की आवश्यकता अलग अलग होती है घर में लगे इंडोर प्लांट्स की मिट्टी  में एक इंच गहराई तक अपनी उंगली डालें यदि मिट्टी सूखी लगे तो ही पानी दें अन्यथा इंतजार करें.

2. यदि किसी भी पौधे की पत्तियां आपको एकदम झुलसी और टहनी पर लटकती सी दिखें तो इसका सीधा तात्पर्य है कि पौधे को पानी की डिमांड है.

3. यदि मिट्टी में आपको फंगस लगी दिख रही है तो पानी देना बंद करके पौधे को धूप दिखाएं क्योंकि फंगस नमी की अधिकता से लगती है.

4. पत्तियों के किनारे भूरे होने पर यदि वे छूने से टूट कर जमीन पर गिर जाए तो पानी कम है परन्तु यदि पत्तियां नरम हैं तो पानी अधिक है.

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5. पौधे की मिट्टी अगर निरन्तर गीली ही रह रही है तो गमले में से पानी ठीक से निकल नहीं रहा है इसे दूर करने के लिए गमले में से पानी के  निकास को चेक करें.

6. गमले में लगे पौधों की पत्तियों को स्प्रे बॉटल से स्प्रे करके नियमित रूप से साफ करें क्योंकि पेड़ पौधे अपनी पत्तियों के माध्यम से ही फोटो सिंथेसिस प्रक्रिया से श्वांस लेते हैं.

7. स्नैक प्लांट, एग्लोनिमा, जेड प्लांट, एलोवेरा,  अडेनिम, सिंगोनिम और मनी प्लांट जैसे पौधों को बहुत कम पानी की आवश्यकता होती है इन्हें आप केवल तभी पानी दें जब इनकी मिट्टी छूने पर एकदम सूखी प्रतीत हो.

8. गमले में मिट्टी भरते समय उसके ड्रेनेज सिस्टम पर पत्थर अवश्य रखें ताकि पौधे को पानी मिल भी सके और पानी की निकासी भी भली भांति हो सके.

9. यदि आपका किचिन गार्डन बड़ा है तो आप उसकी सिंचाई के लिए स्प्रिंकलर पद्धति का प्रयोग करें इससे सभी पौधों की पत्तियों की धुलाई भी हो जाती है और सिंचाई भी हो जाती है.

10. कैक्टस यूं तो रेगिस्तान में उगने वाला पौधा है परन्तु आजकल लोग अपने घरों में भी इन्हें लगाने लगे है. इसे धूप अधिक और पानी बहुत कम चाहिए होता है इसलिए इन्हें आप 10 दिन में एक बार ही पानी दें.

11. पौधों को पानी सीधे पाइप से न देकर पाईप में स्प्रे नोजल लगाकर दें इससे गमले की मिट्टी में एक समान पानी लगेगा.

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Top 10 Best Crime Story In Hindi: धोखे और जुर्म की टॉप 10 बेस्ट क्राइम की कहानियां हिन्दी में

Crime Story in Hindi. इस लेख में आज हम आपको गृहशोभा की Top 10 Crime Story in Hindi 2022 की कहानियां बताएंगे. इन Crime Story में आपको समाज, परिवार और रिश्तों की आड़ में हुए धोखे और जुर्म की कहानी के बारे में बताएंगे, जिसे पढ़कर आपको थ्रिलर का एहसास होगा. साथ ही रिश्तों को लेकर सीख मिलेगी. इन Crime Stories को पढ़कर आप जीवन के कई पहलुओं से परिचित होंगे. तो अगर आप भी Crime Stories पढ़ने के शौकिन हैं तो पढ़िए गृहशोभा की Top 10 Crime Story in Hindi 2022.

1. सही रास्ता: आखिर चोर कौन था

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मुन्ना के पिता गरीब थे. उस पर जेब से इतनी बड़ी रकम के गायब होने से घर में हाहाकार मच गया. शक की सूईयां कभी मुन्ना पर तो कभी उस की अम्मा पर जातीं लेकिन चोर तो कोई और ही था.

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2. बड़ा जिन्न: क्या हुआ था सकीना के साथ

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सकीना के मां न बन पाने का कारण उस के ससुराल वाले एक जिन्न को समझ रहे थे. उस काल्पनिक जिन्न को भगाने के लिए उसे पीर साहब के पास भेजा गया. लेकिन वहां पर सकीना का सामना काल्पनिक जिन्न के बजाय एक जीतेजागते शैतान से हुआ.

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3. पिपासा: कैसे हुई थी कमल की मौत

crime story in hindi

मदन की जिंदगी में चमेली का आना किसी सुनहरी धूप से कम न था. उस पर कमल ने उस की जिंदगी को खुशियों से भर दिया था. पर कमल की रहस्यमयी मौत क्या उसे अशांत कर पाई?

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4. संपत्ति के लिए साजिश: क्या हुआ था बख्शो की बहू के साथ

crime story in hindi

मुझे यह देख कर बहुत खुशी हुई थी कि भड़ोले से बच जाने वाला बच्चा आज कितना सुंदर जवान, बिलकुल अपने बाप गुलनवाज की तरह लग रहा था.

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5. महबूबा के प्यार ने बना दिया बेईमान: पुष्पक ने क्या किया था

crime story in hindi

अगर पत्नी पसंद न हो तो आज के जमाने में उस से छुटकारा पाना आसान नहीं है. क्योंकि दुनिया इतनी तरक्की कर चुकी है कि आज पत्नी को आसानी से तलाक भी नहीं दिया जा सकता.

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6. बदले की आग: क्या इकबाल बेटी और पत्नी को बचा पाया

crime story in hindi

इकबाल को इस बात का एहसास था कि कि उसी की गलती से उसकी पत्नी और बेटी हुस्न के बाजार में पहुंची हैं. शायद इसी वजह से वह उन्हें वापस घर ले जाने आया था, लेकिन वे नहीं मानीं. इसके बाद जो हुआ, वह बहुत बुरा था…

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7. घुंघरू: राजा के बारे में क्या जान गई थी मौली

crime story in hindi

मौली को जब राजा की इस चाल का पता चला, तो वह मन ही मन खूब कुढ़ी, लेकिन वह कर भी क्या सकती थी.

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8. बहन का सुहाग: क्या रिया अपनी बहन का घर बर्बाद कर पाई

crime story in hindi

आनंद रंजन ने बड़ी बेटी निहारिका का बीए प्रथम वर्ष में एडमिशन बडे़ शहर लखनऊ में करा दिया, जहां उस की मुलाकात राजवीर सिंह से हुई. यही मुलाकात बाद में शादी में तबदील हो गई. जब रिया अपनी बहन निहारिका के घर आई तो जीजाजी की शानोशौकत देख वैसा ही पति चाहने लगी.

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9. माहौल: क्या 10 साल बाद सुलझी सुमन की आत्महत्या की गुत्थी

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सुमन की आत्महत्या की गुत्थी ने मुझे ऐसे उलझाया कि मैं मन ही मन कई तरह के कयास लगाता रहा कि आखिर सुमन ने आत्महत्या क्यों की? लेकिन सवाल ज्यों का त्यों बना रहा. आज 10 साल बाद यह गुत्थी सुलझ पाई और मैं यह जान कर अवाक रह गया.

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10. ठूंठ से लिपटी बेल : रूपा को किसका मिला साथ

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33 वसंत देखने के बाद भी रूपा अविवाहित थी. सहारे की तलाश में भटकती रूपा को साथ मिला भी तो एक ऐसे अधेड़ ठूंठ का जिसे सिर्फ बेल से लिपटने की चाह थी.

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जानें क्या हैं 30+ हैल्थ सीक्रैट्स

लेखिका -अनुराधा 

आधुनिकता के इस दौर ने सभी चीजों में नएपन की एक परत चढ़ा दी है. यह नयापन युवतियों की सोच में भी आया है. अब युवतियां लंबी उम्र तक अकेले ही रहना पसंद करती हैं और अपने हिसाब से जीवन की गाड़ी को आगे बढ़ाती हैं. मगर उम्र के 30वें पड़ाव पर पहुंचने के बाद महिलाओं का शरीर कई शारीरिक बदलाव की प्रक्रियाओं से गुजरता है खासतौर पर वे लड़कियां, जो सिंगल हैं उन में कुछ बदलाव विवाहित लड़कियों से कुछ अलग हो जाते हैं.

इस बाबत एक इन्फर्टिलिटी एवं डैंटल हैल्थ सैंटर की वूमन हैल्थ स्पैशलिस्ट कहती है कि युवतियां विवाहित हों या अविवाहित 30 की उम्र पार करते ही उन के शरीर में बदलाव शुरू हो जाते हैं और 40 की उम्र तक पहुंचनेपहुंचते बदलाव की प्रक्रिया तेज हो जाती है. अविवाहित युवतियों में कुछ बीमारियों का डर अधिक होता है क्योंकि वे सैक्सुअली ज्यादा ऐक्टिव नहीं होती हैं.

जो बदलाव विवाहित युवतियों में शरीर को चुस्त रखने के लिए होते हैं वे सारे बदलाव अविवाहित युवतियों के शरीर में नहीं हो पाते हैं. मगर इस उम्र में सभी युवतियों की स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें लगभग एक सी होती हैं और खुद को फिट रखने के तरीकों में भी अधिक फर्क नहीं होता है.

फैमिली हैल्थ हिस्ट्री पर दें ध्यान

इस उम्र में खुद को चुस्त रखने के लिए युवाओं के पास बहुत से तरीके होते हैं खासतौर पर व्यायाम, नियमित हैल्थ चैकअप और संतुलित एवं पोषणयुक्त आहार आदि इस उम्र की खास जरूरतों में शामिल होते हैं. युवतियों के लिए इन तीनों में सही तालमेल बैठाना बहुत जरूरी है. न्यूट्रीशनिस्ट का कहना है कि क्लीनिकल डैफिशिएंसी के मामले में इस उम्र की महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा थोड़ी कमजोर हो जाती हैं.

यही वह उम्र होती है जब महिलाओं में ब्रैस्ट कैंसर होने के बहुत चांसेज होते हैं. इस की वजह होती है बढ़ता वजन. इस उम्र में युवतियों का बौडी मास्क इंडैक्स यदि 30 से अधिक है तो कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी के चांस और भी बढ़ जाते हैं. अब ब्रैस्ट कैंसर का सफल इलाज हो सकता है. इसलिए 35 की उम्र में आते ही महिलाओं को अपनी फैमिली हैल्थ हिस्ट्री जरूर चैक करनी चाहिए. यदि परिवार में किसी को बै्रस्ट कैंसर रहा है तो हर 2 वर्ष में मैमोग्राम जरूर करवाएं और यदि ऐसी कोई हिस्ट्री नहीं रही तो हर 3 वर्ष में एक बार मैमोग्राम जरूर करवाएं.

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कैल्सियम लैवल न होने दें डाउन

कैंसर ही नहीं इस उम्र में कैल्सियम लैवल भी डाउन हो जाता है जिस में औस्टियोपीनिया और औस्टियोपोरोसिस जैसी हड्डियों से संबंधित बीमारियों के होने का भी डर रहता है. यह दोनों ही स्थितियां गंभीर हैं क्योंकि दोनों में ही हड्डियां टूटने और चटकने का खतरा रहता है. यहां तक कि ये दोनों ही समस्याएं युवतियों को आसानी से उठनेबैठने का मुहताज बना देती हैं और खुद के ही काम न कर पाने पर विवश कर देती हैं. ‘कैल्सियम’ लैवल डाउन होने का बड़ा कारण शरीर में विटामिन डी की कमी होती है.

इस कमी को केवल विटामिन डी युक्त आहार ले कर पूरा नहीं किया जा सकता बल्कि इस के लिए सन ऐक्सपोजर बहुत ही जरूरी है, जिस से आधुनिक जमाने की महिलाएं घबराती हैं. उन्हें अपनी खूबसूरती बिगड़ जाने का डर होता है. त्वचा में रिंकल्स न पड़ें, इसलिए महिलाएं धूप में निकालने से पूर्व शरीर के पूरे हिस्से को ढक लेती हैं जबकि त्वचा में यूवी किरणों का पैनीट्रेट होना जरूरी है क्योंकि यह विटामिन डी का सब से अच्छा स्रोत है.

इतना ही नहीं जो युवतियां टैनिंग के डर से धूप में जाने से बचती हैं या फिर सनस्क्रीन का इस्तेमाल करती हैं, वे अपने स्किन पोर्स को ब्लौक कर देती हैं जिस से विटामिन डी त्वचा के अंदर पैनीट्रेट नहीं होता है. इसलिए खूबसूरती के चक्कर में अपनी फिटनैस से हाथ न धोएं.

विटामिन बी 12 युक्त आहार जरूरी

30 साल से ज्यादा उम्र की युवतियों के शरीर में विटामिन बी 12 की भी कमी पाई जाती है, जिस की वजह से बाल  झड़ने, कमजोरी, आने, अवसाद होने और याददाश्त कमजोर होने जैसी बीमारियों का सामना करना पड़ता है. साथ ही इस की कमी से त्वचा संबंधी रोग भी हो जाते हैं. डर्मैटोलौजिस्ट कहते हैं कि 90% महिलाओं को 35 से 40 की उम्र में विटामिन बी 12 की कमी हो जाती है, दरअसल यह एक ऐसी उम्र होती है जब डाइट थोड़ी कम हो जाती है और यदि डाइट में औप्टिमल प्रोटीन न लिया जाए या विटामिन बी 12 युक्त आहार का सेवन न किया जाए तो त्वचा और बाल संबंधी कई परेशानियां हो सकती हैं. विटामिन बी 12 की कमी को सही आहार ले कर पूरा किया जा सकता है.

यह समस्या अधिकतर उन युवतिओं को होती है जो शाकाहारी होती हैं क्योंकि विटामिन बी 12 केवल ऐनिमल फूड जैसे अंडा, मांस और मछली में ही पाया जाता है, मगर डेयरी प्रोडक्ट्स में भी विटामिन बी 12 होता है. इस के साथ ही बाजरा, रागी, ज्वार के आटे से बनी रोटियां भी कुछ हद तक शरीर में विटामिन बी 12 की कमी को पूरा करती हैं.

व्यायाम भी करें

वैसे तो व्यायाम हर उम्र में जरूरी है, मगर उम्र के 30वें पड़ाव में आ कर व्यायाम शारीरिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यकता बन जाता है. इस उम्र की महिलाओं का मैटाबोलिज्म स्लो हो जाता है, जिस से वजन बढ़ने लगता है. मगर वजन को नियंत्रित रखना भी इस उम्र में बेहद जरूरी है नहीं तो थायराइड एवं हृदय और श्वास संबंधी रोग होने का डर रहता है.

दरअसल, एक समय था जब औरतें सारा कार्य हाथों से करती थीं इस से उन की मांसपेशियों में फ्लूइड बना रहता था. वर्तमान में भी जो युवतियां कामकाजी हैं उन में बहुत ही शारीरिक गतिविधियां होती हैं और इस का उन्हें स्वास्थ्य लाभ भी मिलता है. पर आज घरेलू कामकाज अब तकनीक की सहायता से हो जाते हैं और इस में शारीरिक श्रम कम लगता है.

30-40 की उम्र में शरीर को ऐक्टिव रखने के लिए बहुत जरूरी है कि युवतियां 45 मिनट से ले कर 1 घंटा मौर्निंग वाक पर जरूर जाएं और कार्डियो ऐक्सरसाइज करें. यह मैटाबोलिज्म को सही रखती है. जौगिंग भी इस उम्र की महिलाओं के लिए एक अच्छा व्यायाम है. लेकिन ये सारे व्यायाम सुबह के वक्त ही करने चाहिए क्योंकि इस वक्त शरीर ज्यादा गतिशील रहता है.

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अकेलेपन से लड़ने के हैं कई तरीके

30-40 की उम्र में सिंगल रहने वाली अधिकतर युवतियों को अकेलेपन से जू झना पड़ता है. यह अकेलापन महिलाओं को अवसाद जैसी गंभीर बीमारी की ओर ले जाता है. यह ऐसी उम्र होती है जब अपनी उम्र के लगभग सभी दोस्त अपनेअपने परिवार में व्यस्त हो चुके होते हैं और भाईबहन का भी अपना गृहस्थ जीवन शुरू हो चुका होता है. मातापिता से बात करने को ज्यादा कुछ नहीं होता.

इस स्थिति में सिंगल युवती को एक साथी की कमी खलती है. अकेलापन केवल कोई व्यक्ति ही नहीं बांट सकता. इस के अतिरिक्त कई चीजें होती हैं जो अकेलेपन को दूर करती हैं. किताबें इस में बड़ी भूमिका निभाती हैं. इस के अलावा ट्रैवल का शौक भी अकेलेपन को दूर करता है.

30-40 की उम्र में भी सिंगलहुड का

लुत्फ महिलाएं उठा सकती हैं बशर्ते वे अपनी फिटनैस को नजरअंदाज न करें और अपनी जीवनशैली में थोड़े से बदलाव स्वीकार कर लें और हां यदि टैंपरेरी साथी लड़की या लड़का मिले तो उस का साथ इसलिए न छोड़ें कि इस के साथ कौन सी जिंदगी निभानी है जैसे हर पतिपत्नी एकदूसरे को देख कर अपने को बदलते हैं. सिंगल वूमन को भी खुद को साथी के अनुसार बदलने की आदत डालनी चाहिए. सेम सैक्स या हैट्री सैक्स दोनों को वर्जित न मानें और नफरत पड़ने पर हिचकें नहीं पर इस में सावधानियां बहुत बरतनी होती हैं.

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Karishma Tanna की मेहंदी सुखाते दिखे पति Varun, क्यूट वीडियो वायरल

बीते दिनों एक्ट्रेस मौनी रौय (Mouni Roy) की शादी की फोटोज जहां सोशलमीडिया पर वायरल हुई थी तो वहीं अब टीवी एक्ट्रेस करिश्मा तन्ना (Karishma Tanna) की शादी से जुड़ी रस्में शुरु हो गई है. इसी बीच मेहंदी (Karishma Tanna Mehendi Ceremony) की रस्म की एक वीडियो वायरल होती नजर आ रही है, जिसमें करिश्मा तन्ना के होने वाले पति वरुण बंगेरा (Varun Bangera) उनकी मेहंदी सुखाते दिख रहे हैं. वहीं फैंस को उनका ये अंदाज काफी पसंद आ रहा है. आइए आपको दिखाते हैं वायरल वीडियो…

करिश्मा की मदद करते दिखे वरुण

 

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हल्दी की रस्म के बाद एक्ट्रेस करिश्मा तन्ना की मेहंदी की रस्में शुरु हो गई हैं. ग्रीन कलर के सूट में करिश्मा मेहंदी लगाते हुए नजर आ रही हैं. वहीं एक वीडियो में करिश्मा तन्ना के होने वाले हस्बैंड वरुण बगेरा उनकी मेहंदी को ड्रायर से सुखाते हुए नजर आ रहे हैं. इस वीडियो को देखकर फैंस करिश्मा तन्ना को लकी कहते हुए नजर आ रहे हैं.

 

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मेहंदी सेरेमनी के लिए पहुंचा कपल

 

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इसी बीच मेहंदी लगाकर करिश्मा तन्ना वेन्यू पर पहुंचती हुई नजर आ रही हैं. औरेंज कलर का सूट पहने करिश्मा तन्ना पति वरुण के साथ नजर आ रही हैं. वहीं उनके हाथों में मेंहदी बेहद खूबसूरत लग रही हैं. हल्दी सेरेमनी की बात करें तो करिश्मा तन्ना ने फैंस के लिए अपनी हल्दी सेरेमनी की फोटोज शेयर की हैं, जिसमें दोनों बेहद खुश नजर आ रहे हैं, जिसके चलते सोशलमीडिया पर वीडियो वायरल हो रही हैं.

 

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बता दें, करिश्मा तन्ना, वरुण बंगेरा को करीब डेढ साल से डेट कर रही हैं, जिसके बाद हाल ही में दोनों ने शादी का फैसला किया है.  वरुण बंगेरा  की पर्सनल लाइफ की बात करें तो वह मुंबई के एक बिजनेसमैन हैं.

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