घर सजाने की है तैयारी, तो सामान की खरीदारी में दिखाएं थोड़ी समझदारी

अपने घर को स्पैशल दिखाने के लिए हम क्या कुछ नहीं करते. घर को अनोखे अंदाज में सजाने की कोशिश में नया फर्नीचर लाने की प्लानिंग करते हैं ताकि घर के इंटीरियर को मिले नया लुक. इस साल अपने घर के इंटीरियर की शौपिंग के लिए बनाइए एक ऐसी लिस्ट जिस से आपके आशियाने को मिले नया लुक.

परदे बदलें लुक

परदे घर को खूबसूरत लुक देने के अलावा बैडरूम को प्राइवेसी व रोमांटिक लुक भी देते हैं. अगर आप परदों से अपने घर की सजावट को बदलना चाहती हैं, तो ड्राइंगरूम में एक ही रंग के परदे लगाएं. आप चाहें तो 2 लेयर वाले परदों के अलावा जूट या सिल्क के परदे भी चुन सकती हैं. ये आप के लिविंगरूम को खास बनाएंगे.

अगर परदों के डिजाइन की बात की जाए तो सिल्क स्ट्राइप्ड, वर्टिकल स्ट्राइप्ड, नैट, कढ़ाई व लैस वाले परदे बाजार में उपलब्ध हैं. फैब्रिक की बात की जाए तो आप सिल्क, वैल्वेट, कौटन, पौलिएस्टर, सिंथैटिक, जौर्जेट, शिफौन में से कोई भी फैब्रिक चुन सकती हैं. परदों का चयन करते समय ध्यान रखें कि वे या तो दीवारों के रंग से मैच करें या फिर फर्नीचर से.

परदों को बदलने से न केवल घर को नया लुक मिलेगा, बल्कि इस बदले लुक से आप को भी नएपन व खुशी का एहसास भी होगा.

सोफा व काउच

आप जब भी नए सोफे या काउच पर बैठ कर कौफी पीते हुए कोई रोमांटिक मूवी देखेंगी तो इस अनोखी शौपिंग को कभी नहीं भूलेंगी. सोफा व काउच किसी भी लिविंग रूम के इंटीरियर का महत्त्वपूर्ण हिस्सा होते हैं. बाजार में मौडर्न व ट्रैडिशनल सोफे और काउच के अनेक डिजाइन मौजूद हैं, जिन्हें आप अपने कमरे की स्पेस व डैकोर से मैच करते हुए खरीद सकती हैं. अगर आप हौलीवुड स्टाइल का सोफा लेना चाहती हैं, तो सिल्वर, गोल्ड, ब्रोंज का शाइनी मेटैलिक सोफा खरीदें. यह आप के इंटीरियर में हौलीवुड के ग्लैमर का तड़का लगाएगा.

अगर आप अपने लिविंग रूम को ऐरिस्टोक्रेट लुक देना चाहती हैं तो लैदर या फिर व्हाइट कलर का सोफा खरीदें. अगर ट्रैडिशनल लुक चाहती हैं तो राजस्थानी वर्क वाला कर्विंग या केन का सोफा खरीद सकती हैं. बाजार में ऐसे सोफे भी उपलब्ध हैं, जो बैकबैड में कन्वर्ट हो जाते हैं. ये उन घरों के लिए बेहतर होते हैं, जिन में स्पेस की कमी होती है. ट्रैडिशनल इंटीरियर के लिए रोल्ड आर्म्स वाला सोफा ही लें. सोफे की ऊंचाई, लंबाई व गहराई का चुनाव कमरे के साइज के अनुसार करें. अगर जगह कम हो तो ऐसे सोफे का चुनाव करें जो लोआर्म्स या विदाउटआर्म्स हो. इस से कमरा बड़ा लगेगा.

सोफा खरीते समय यह भी ध्यान रखें कि आप उसे दैनिक प्रयोग जैसे रिलैक्स करने, पढ़ने, टीवी देखने के लिए ले रही हैं या फिर फौर्मल सिटिंग के लिए.

ज्यादातर लोग सोफा व काउच को एक ही मानने की गलती कर बैठते हैं. जबकि सोफा व काउच स्टाइल, लुक, साइज सभी में एकदूसरे में अलग होता है व दोनों का उद्देश्य भी अलग होता है. सोफा जहां आर्म्स व बैक वाला होता है, वहीं काउच में आर्म्स नहीं होतीं. सोफे में ज्यादा लोग बैठ सकते हैं, जबकि काउच 2-3 लोगों के लिए ही होता है. काउच को ज्यादातर दोस्तों, नजदीकी रिश्तेदारों के साथ पार्टी करने के लिए प्रयोग किया जाता है, तो सोफे की वहां प्रयोग होता है जहां ज्यादा लोगों का उठनाबैठना होता है. काउच विक्टोरियन स्टाइल औफ डैकोरेशन को दर्शाता है तो सोफा अमेरिकन स्टाइल को. अब यह आप पर निर्भर करता है कि आप किस स्टाइल को अपना कर अपने इंटीरियर में नयापन लाना चाहती हैं.

झूले से दीजिए स्विंगिंग मोशन

अगर आप अपने घर की सजावट में कुछ अनोखा करने की सोच रही हैं, तो झूले को अपने इंटीरियर में शामिल कीजिए . ट्रैडिशनल व मौडर्न राजस्थानी आर्टवर्क और कुशन से सजे झूले से आप की बचपन की यादें ताजा हो जाएंगी. झूला हाईसीलिंग में बैस्ट इफैक्ट देता है. इसे आप अपनी लौबी, पोर्च या फिर बरामदे में लगा सकती हैं. रस्सी, मैटल रौड से बंधा केन और वुडन सीट का सौफ्ट कुशन से सजा झूला रोमांटिक माहौल पैदा करता है. सुबह की ताजा हवा हो या ढलती शाम, इस पर बैठ कर चाय की चुसकियां लेते हुए आप पुरानी यादों को ताजा करने के साथसाथ भविष्य की योजनाएं भी बना सकती हैं. झूला किसी भी घर की सजावट में परंपरागत लुक देने के साथसाथ रैट्रो लुक भी देता है. बाजार में इस के अनेक डिजाइन व स्टाइल मौजूद हैं. आप घर की स्पेस के अनुसार झूला खरीद सकती हैं.

नए बैड मैट्रेस से पाएं आराम व हैल्थ

धीमीधीमी रोशनी हो और हो आरामदायक बैड, तो सजीले सपनों को आने से भला कौन रोक सकता है. आरामदायक बैड की पहली जरूरत होती है बैड मैट्रेस. कंफर्टेबल बैड मैट्रेस न केवल अच्छी नींद देते हैं, वरन पतिपत्नी के संबंधों को भी मजबूत बनाते हैं.

आजकल बाजार में फोम ऐंड लेटैक्स व स्प्रिंग वाले गद्दों की खूब वैराइटीज उपलब्ध हैं, जो स्पाइन स्पैशलिस्ट भी हैं और आप के कमरदर्द का बेहतर इलाज भी हैं. 3, 6, 4.5, 8 और 10 इंच की ऊंचाई वाले फर्म और मीडियम फर्म वाले गद्दे बाजार में मौजूद हैं, जिन्हें आप अपनी जरूरत के अनुसार खरीद सकती हैं. पूरी रात करवटें बदलते गुजारने से बेहतर है कि आप अपने बैड मैट्रेस बदलें व सुबह फ्रैश-फ्रैश उठें ताकि आप का पूरा दिन बेहतर गुजरे. फिर जब आप कंफर्टेबल नींद लेंगी तो रिश्तों में मधुरता आएगी ही.

मल्टीपर्पज फर्नीचर

मल्टीपर्पज फर्नीचर आज हर घर की जरूरत है. मल्टीपर्पज फर्नीचर जहां घर की पूरी जगह प्रयोग करने का औप्शन देता है, वहीं पैसे की बचत भी कराता है. मल्टीपर्पज फर्नीचर जैसा कि इस के नाम से ही साफ है कि इस में एक फर्नीचर के कई प्रयोगों का औप्शन होता है. बाजार में मल्टीपर्पज फर्नीचर की बड़ी रेंज उपलब्ध है जैसे शोकेस, कैबिनेट, मौड्यूलर शोकेस, वौल शैल्व्स, बुक शैल्फ, फोल्डेबल, स्टोरेज टूल, चैस्ट ड्राअर्स, सोफा कम बैड, कन्वर्टेबल कौफी टेबल, मल्टीपर्पज वाल यूनिट, ड्रैंगिग रैक्स आदि.

मल्टीपर्पज वाल यूनिट में आप बच्चों के खिलौने, किताबें, शोपीसेज रख सकती हैं. इस से घर तो खूबसूरत लगेगा ही साथ ही सारी चीजें भी एक ही यूनिट में समा जाएंगी. सोफा कम बैड से आप एक ही फर्नीचर से कमरे को दिन में लिविंग रूम और रात को बैडरूम में कन्वर्ट कर सकती हैं. इन बैड्स में स्टोरेज की भी पूरी जगह होती है.

तो इस साल मल्टीपर्पज फर्नीचर की शौपिंग कर के घर डैकोरेशन को दें नया लुक.

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घरवालों की ढूंढी पत्नी, पति को जब नापसंद हो

नितिन की आज सुहागरात है और वह दोस्तों की बैचलर पार्टी में उदास सा बैठा है.उसके दोस्त अपनी शाम उसके नाम पर रंगीन कर रहे हैं, नितिन के चेहरे की रौनक नदारद है. पार्टी खत्म कर दोस्तों ने जब घर की राह पकड़ी, तब वह बेरौनक बुझा बुझा अपनी गाड़ी में जाकर बैठा.

क्या बात हुई होगी!

नितिन को गुड़गांव वाली लड़की पसंद थी.वह उसकी ही तरह इंजीनियर है.स्मार्ट सुंदर, सबसे बड़ी बात नितिन की तरह ही सोच उसकी.बावजूद इसके नितिन के घरवालों ने किसी भी हाल में उससे शादी नहीं होने दी.समस्या यह थी कि कुंडली मिलान में नितिन से उसके तीन जरूरी गुण नहीं मिले, जबकि घरवालों की पसंद की लड़की से नितिन के छत्तीस गुण मिल गए.

ये अलग बात हुई कि अब नितिन को इस कुंडली के छत्तीस गुण वाले आंकड़े की वजह से अपनी पत्नी से छत्तीस का आंकड़ा ही रह गया!

निहार का किस्सा कुछ अलग होते हुए भी एक ही दर्द बयां करता है.

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घरवालों ने पारिवारिक दोस्त की बेटी से किशोर उम्र से ही निहार की शादी तय कर रखी थी. कालेज जाते तक उन दोनों में दोस्ती रही, लेकिन कालेज में अच्छी लड़कियां जब उसकी दोस्त बनती गईं तो निहार को पहले से तय शादी बोझ लगने लगी.निहार को उस लड़की के प्रति न लगाव था, न आकर्षण! बचपन में इन बातों की गहराई मालूम न थीं,अब लेकिन वह इस बन्धन से मुक्त होने को परेशान हो गया.
बागदत्ता कहकर घरवालों ने नौकरी लगते ही उसकी जबरदस्ती उस लड़की से शादी कर दी. दोनो परिवारों के अनगिनत रिश्तेदारी के दबाव में शादी तो हो गई, लेकिन निहार से निभाते न बना.
दो साल उहापोह में गुजार कर वह अपनी गर्लफ्रेंड के साथ विदेश चला गया! सब देखते रह गए.

*ऐसा हश्र क्यों?

सच पूछा जाए तो लड़कों पर यह तोहमत लगा देना कि शादी न निभाकर वे गैर जिम्मेदार हो गए हैं, गलत होगा!

विवाह आपसी समझदारी है, तो एक दूसरे के प्रति आकर्षण से उपजा लगाव भी है.अगर आकर्षण का तत्व पूरी तरह हटा दिया जाय, तो यह निभाना सिर्फ मुसीबत ही है.और मुसीबत जिंदगी भर के लिए उठाई नहीं जा सकती!

*अरेंज मैरेज को मज़बूरी क्यों बनाया जाय?

दो जिंदगी के बीच बेहतर तालमेल से जीने की तमाम चुनौतियों को बहुत हद तक कम कर सकने का नाम शादी होना चाहिए. अगर शादी के बाद दो व्यक्तियों की जिंदगी अलग अलग और कठिन ही हो जाय तो उस शादी को नाकाम ही समझना चाहिए.

यह ठीक है कि भारत में आज भी अरेंज मैरेज का अपना महत्व है, क्योंकि शादी में पूरा समाज जुड़ता है, समाज के अपरिचित लोग मिलकर एक परिवार और उसके हिस्से बनते हैं. लेकिन इससे व्यक्ति के व्यक्तिगत सुख शांति को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता. अरेंज मैरेज में जब शादी वाले जोड़े की इच्छा अनिच्छा का कोई मोल नहीं रह जाता और शादी को धार्मिक रीति रिवाज ,परंपरा मानकर निभाने को बाध्य कर दिया जाता है, तो ही बात बिगड़ती है.

*अरेंज मैरेज और धार्मिक रूढ़ि –

सदियों से भारतीय समाज में अरेंज मैरेज को धार्मिक सिंहासन पर बिठाया गया है. जबकि लव मैरेज हो या अरेंज यह दो दिलों को साथ लाने का माध्यम भर है.
अगर शादी के बाद दो दिल आपस में जुड़ा हुआ महसूस नहीं करते, तो शादी महत्वहीन हो जाती है.
शादी जैसी भी हो, धार्मिक बाध्यता से कभी भी आपसी संबंध मधुर नहीं हो सकते.

*शादी सिर्फ नून तेल और धर्म का डर नहीं है

चाहे कुंडली के सौ गुण मिले अगर घरवालों की पसंद पर लड़के को आपत्ति हो, दिल बेगाना ही रहता है.
फिर यह नून तेल का रिश्ता बना रहे, या फिर धार्मिक डर की डोरी से बंधा रिश्ता!
ऐसी शादी कभी सुकून नहीं दे सकती जो लड़का लड़की के खुद के पसंद से न हो.
देखते है जब घरवालों ने ढूंढी हो पत्नी और पति को हो वह नापसंद तो परिणाम क्या क्या हो सकते है :

केस 1.

पति दूसरी औरत के साथ भावनात्मक संबंध रखे.-

जबरदस्ती की शादी कई बार नई पत्नी पर भारी पड़ जाती है जब पति घरवालों के दवाब में शादी तो कर लेता है, लेकिन मन कहीं और भटकता है.  पत्नी की उपस्थिति को भुलाकर वह बाहर कहीं संपर्क गढ़ लेता है.

केस 2. घर बाहर शरीर संबंध –

ऐसा देखा जाता है कि जब पत्नी मन पसंद न हो तो पति को घर में कोई रुचि नहीं रह जाती है.भले ही वह घर में पत्नी के साथ शरीर संपर्क में रहता है, लेकिन पत्नी के प्रति व्यक्तिगत रुचि उसे महसूस नहीं होती!
पति पत्नी के प्रति कोई जवाबदारी महसूस नहीं करता, पत्नी से किसी तरह निभाते हुए भी अपनी सारी खुशी बाहर ढूंढता रहता है.

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केस 3 –

पत्नी का मानसिक शोषण करे.

पति जब नापसंद वाली शादी से खिन्न रहे तो बहुत संभव है वह पत्नी की गलतियां ढूंढे, और बात बात पर उसे जलील करे. पत्नी के घरवालों को ताना दे, और पत्नी कभी भी पति के प्रति इज्जत महसूस न कर सके.

4.पति पत्नी को हमेशा आर्थिक रूप से कमजोर रखे –

यद्दपी शादी के बाद पत्नी को कानूनी रूप से आर्थिक अधिकार प्राप्त होता ही है, लेकिन पति अगर पत्नी को तकलीफ़ देना चाहे तो दैनिक जीवन उसकी कठिन हो सकती है.
कानूनी प्रक्रिया एक लम्बी लड़ाई है, और इससे रिश्ते खत्म ही होते हैं .

5. निभाते हुए भी पति खुश न रहे –

पति अगर भावुक और अभिमानी किस्म का हो तो घुट घुट कर अपनी इच्छा को दबा लेता है. जैसे तैसे पत्नी के साथ निभाता भी है, लेकिन मन से हमेशा असंतुष्ट रहता है. वह इसी आवेश में जिंदगी गुजारता है कि उसके साथ अन्याय हुआ, किसी ने उसकी नहीं सुनी.
उसका सारा क्रोध अंततः पत्नी पर ही रहता है. जब न चाहते हुए भी इंसान निभाता है तो उस जैसा दुखी इंसान और कौन हो सकता है!

उपरोक्त सारी स्थितियां एक जटिल पारिवारिक स्थिति को दर्शाती है और निष्कर्ष तो यही निकलता है कि अरेंज मैरेज को जबरदस्ती विवाह बन्धन का जरिया बनाने से सिवा बगावत के कुछ भी हासिल नहीं होगा.

चाहे धर्म कर्म के नाम पर, चाहे सामाजिक रीति नीति, जाति पाति के नाम पर जब दो दिलों को जबरन एक दूसरे पर थोपा जाएगा – सिर्फ नफरत की जमीन ही तैयार होगी!
आज लड़की लड़का दोनो परिपक्व सोच रखते हैं, इसलिए उनकी निजी पसंद नापसंद का महत्व ही सबसे ज्यादा है.

भले ही भारतीय समाज विविधता से परिपूर्ण है, समाज और परिवार व्यवस्था एक दूसरे मे गूंथें हो,
इंकार तो लेकिन किया नहीं जा सकता कि शादी करके निभाने का काम तो लड़का लड़की को ही करना है.अगर वे ही खुशी से एक दूसरे को अपना नहीं पाए, तो पूरी शादी ही व्यर्थ हो जाती है.
आइए जाने ऐसी जबरन शादी के बाद क्या कारगर कदम उठाएं, कि बिगड़े रिश्तों और उनसे पैदा हुई

मानसिक परेशानियां सुलझ सकें –

1. परिवार के बड़ों की जिम्मेदारी – लड़का और लड़की के परिवार वाले जब अपनी धुन में कुंडली मिलान और धार्मिक आस्थाओं के तामझाम तले जवान दिलों की मर्जी को कुचल दें तो जिम्मेदारी सबसे पहले उनकी ही बनती है कि इस शादी को बुरे हश्र से बचाया जाए.

2. लड़का खुद भी समझे – शादी जिंदगी को निपटाना नहीं है, बल्कि जिंदगी को नई दिशा देने की एक सार्थक पहल है. इसलिए लड़का सिर्फ यह कहकर नहीं बच सकता कि घरवालों ने शादी दी तो अब वही समझे! पल्ला झाड़ने की गैर जिम्मेदाराना हरकत आखिर लड़के को भी चैन नहीं लेने देगी. यह लड़के की भी भविष्य की बात है.

एक लड़की जब हजार सपने लेकर नए घर में प्रवेश करती है तो मासूम और कोरा स्लेट होती है.
पति हो जाने के बाद अपने आप कुछ जिम्मेदारियां जुड़ जाती है और इसमें प्रधान यह है कि पत्नी की स्थिति ,उसकी मानसिकता को पति समझे .
अगर निहायत ही यह ग़लत शादी है, तो पत्नी को तलाक देकर जल्द से जल्द उसे स्वतंत्र करना जरूरी है ताकि वह त्रिशंकु की तरह बीच मे न झूलती रहे.

3. खुद की जिम्मेदारी लड़की की भी –

पारिवारिक दवाब और मन के भुलभुलैया में फंसकर अगर लड़की ने किसी ऐसे लड़के से शादी कर ली हो जो इस शादी को मानता ही नहीं, तो लड़की को खुद के प्रति जिम्मेदारी उठाने से कतराना नहीं चाहिए.

जैसे तैसे मुंह फुलाकर जिंदगी काटने से बेहतर है कि पहले पति से नरम शब्दों में साफ बात की जाय, और सही रास्ता न निकले तो ससुराल और मायके के जिम्मेदार सदस्यों तक खुद की तकलीफ़ बताई जाय.

बावजूद इसके अगर लोग उसकी बातों पर ध्यान न दें, और पति अपनी नापसंदगी की वजह से उसे उपेक्षित छोड़ दे, तो वह तीव्र विरोध को कमर कस ले.
अगर चारा न रहे तो उसे अवश्य इस शादी से निकलने को तैयार हो जाना चाहिए
पूरी जिंदगी रोकर तो गुजारी नहीं जा सकती. लड़की अपने करियर पर फोकस करे, तलाक लेकर नई जिंदगी और नई शादी की भी पहल की जा सकती है.
“जाने दो, अब जो भाग्य में लिखा था ” जैसी बातों के साथ ताउम्र घुटना जिंदगी के साथ खिलवाड़ करना है.

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जिंदगी खुद की है, और इसकी जिम्मेदारी खुद को ही उठानी पड़ेगी.
जब सामने लड़ाई आ ही जाती है तो उससे भागकर या मुंह छुपाकर मसले हल नहीं होते .
टाल कर कुछ भी अपने आप ठीक नहीं हो सकता जब तक न इस ओर प्रयास किए जाएं.
पुराने रीति रिवाज, कर्म काण्ड और कुंडली विधान के प्रपंच से बचकर शादी के लिए लड़के लड़की के मनोविज्ञान की जांच जरूरी है, उनके स्वास्थ्य और व्यवहार की पड़ताल जरूरी है.दोनो की इच्छा से ही शादी हो, इस बात पर नजर रखी जाए.
स्थाई रिश्ते और परिवार में शांति के लिए यही ज्यादा कारगर उपाय है.

Sunrise Pure स्वाद और सेहत उत्सव में आज बनाते हैं मसाला पूरी

घर पर अगर आपको आसानी से और कम समय में कुछ टेस्टी बनाना चाहते हैं तो आज हम आपको मसाला पूरी की टेस्टी रेसिपी के बारे में बताएंगे. ये टेस्टी और हेल्दी रेसिपी है, जिसे आप चाहे तो स्नैक्स के साथ ट्राय कर सकते हैं. आइए आपको बताते हैं Sunrise Pure के प्रौडक्ट से बनाएं टेस्टी मसाला पूरी…

हमें चाहिए

–  250 ग्राम आटा

–  25 ग्राम सूजी

– 1 बड़ा चम्मच अजवाइन

– 1/2 छोटा चम्मच Sunrise Pure हलदी पाउडर

– 1 छोटा चम्मच Sunrise Pure लालमिर्च पाउडर

1 छोटा चम्मच Sunrise Pure गरम मसाला पाउडर

– 1/2 छोटा चम्मच Sunrise Pure कसूरी मेथी

–  1/2 छोटा चम्मच तिल

–  पानी जरूरतानुसार

– 15 एमएल गरम किया Refined औयल

–  नमक स्वादानुसार.

बनाने का तरीका

पानी के अतिरिक्त Sunrise Pure हलदी, लालमिर्च, गरम मसाला पाउडर के साथ बाकी सारी सामग्री को मिला लें. अब इस मिश्रण में धीरेधीरे पानी डालें और सख्त मांड़ तैयार कर लें. इसे 20 मिनट तक ढक कर फ्रिज में रख दें. उस के बाद छोटीछोटी लोइयां ले कर पूरियां बेल लें. फिर कड़ाही में तेल गरम कर पूरियों को सुनहरा होने तक तल लें. अचार या चटनी के साथ गरमगरम सर्व करें.

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मालिनी के लिए Imlie को जान से मारेगी अनु, क्या करेगा आर्यन

 सीरियल इमली (Imlie) के आदित्य यानी गशमीर महाजनी के शो छोड़ने की खबरें सोशलमीडिया पर छाई हुई हैं. इसी बीच सीरियल की बात करें तो इमली एक बार फिर आदित्य की जान बचाने के लिए आर्यन के खिलाफ जाती हुई नजर आ रही हैं. लेकिन अपकमिंग एपिसोड में इमली की जान खबरे में पड़ने वाली है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

आदित्य से परेशान हुआ आर्यन

 

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अब तक आपने देखा कि आदित्य ने आतंकियों से कहता है कि वह जो करना चाहता है वह कर सकता है लेकिन आदित्य डरेगा नहीं, जिसके चलते आतंकी गांव में बम विस्फोट करते हैं. वहीं आदित्य की इस हरकत से आर्यन गुस्से में आ जाता है और कहता है कि आदित्य की मूर्खता के कारण फिर से निर्दोष लोगों की जान खतरे में पड़ गई है.

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इमली के लिए आर्यन कहेगा ये बात

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि जहां इमली जेल से निकलने की कोशिश करेगी और इसमें सत्यकाम उसकी मदद करेगा, जिसके चलते वह जेल से भाग जाएगी. वहीं मालिनी घबराती हुई नजर आती है. दूसरी तरफ इमली को जेल से निकालने के लिए आर्यन पूरी कोशिश करता नजर आता है. इसी के चलते औफिस के लोग इमली से जलते हुए नजर आते हैं और आर्यन पर सवाल उठाते नजर आते हैं. हालांकि आर्यन पूरे औफिस को जवाब देता है कि इमली से जलने की वजह क्या है.

खतरे में पड़ेगी इमली की जान

 

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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि जेल से भागने के बाद इमली पगड़डिया के लिए निकलेगी और सड़कों पर भागेगी. इसी बीच मालिनी को परेशान देखकर अनु, इमली को जान से मारने का प्लान बनाएगी और गुंडे उसके पीछे भेजेगी. वहीं इमली को देखकर गुंडे उसे कार से कुचलने की कोशिश करेंगे.

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Pandya Store की ऋषिता को मिली रेप की धमकी, जानें क्या है मामला

एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के सेलेब्स अक्सर ट्रोलिंग का शिकार होते रहते हैं. वहीं कई बार बात इतनी बढ़ जाती है कि सेलेब्स को रेप और जान से मारने की धमकी भी मिलने लगती है. हालांकि सेलेब्स इन ट्रोलर्स को करारा जवाब देते हुए भी नजर आते हैं. इसी बीच खबरें हैं कि स्टार प्लस के पौपुलर सीरियल में से एक  ‘पांड्या स्टोर’ (Pandya Store) की एक्ट्रेस सिमरन बुधरुप (Simran Budharup) को रेप और जानलेवा हमले की धमकी मिली है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

शिवि के फैंस के चलते ट्रोल हुईं सिमरन

खबरों की मानें तो हाल ही में  ‘पांड्या स्टोर’ (Pandya Store) की ऋषिता यानी एक्ट्रेस सिमरन ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक पोस्ट शेयर किया था, जिसमें रेप और जान से मारने की धमकी के मेसेजेस का स्क्रीनशॉट था. वहीं इसके साथ एक वीडियो भी शेयर किया. वहीं इस पोस्ट के साथ कैप्शन में सिमरन बुधरूप (Simran Budharup Instagram) ने लिखा, ‘मुझे इस तरह के मेसेज मिल रहे हैं, जिनमें रेप, जान से मारने की धमकियों के साथ गालियां भी दी जा रही हैं. ये मेसेज मुझे सिर्फ शिवि के फैंस की तरफ से आ रहे हैं. और इस लड़की में इतनी हिम्मत भी नहीं थी कि यह अपना चेहरा भी दिखा पाए. मैं यह सुनिश्चित करूंगी इन बच्चों की यह हरकत इनके मां-बाप तक पहुंचे. क्योंकि मां-बाप को पता होना चाहिए कि उनके बच्चे सोशल मीडिया के नाम पर क्या करते हैं. मुझे इन बच्चों पर बहुत दया आती है. अब वक्त आ चुका है कि इनके खिलाफ शिकायत दर्ज की जाए. तुझे तो मैं ढूंढके रहूंगी.’

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नेगेटिव रोल के चक्कर में फंसी एक्ट्रेसेस

सीरियल की बात करें तो ऋषिता सीरियल में नेगेटिव रोल करती हुई नजर आ रही हैं, जिसके चलते उनके चाहने वाले जहां उन्हें सपोर्ट कर रहे हैं तो वहीं ट्रोलिंग भी करते नजर आ रहे हैं. हालांकि यह पहली बार नहीं है कि किसी एक्ट्रेस को ऐसी धमकी मिली हो इससे पहले गुम हैं किसी के प्यार में की पाखी यानी ऐश्वर्या शर्मा को भी अपने किरदार के चलते ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा है.

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Winter Special: सर्दियों में बच्चे की स्किन का ध्यान रखें कुछ ऐसे

जाड़े की कड़ाके की ठण्ड में आदित्य के जन्म के बाद उसके सिर के मध्य भाग में सूखी चमडी जैसे दिखाई पड़ने लगी थी, उसकी माँ उस न्यू बोर्न बेबी को नहलाते समय उसे साफ़ करने की कोशिश करती रही, पर वह निकाल नहीं सकी, उस चमड़े की वजह से उसके केश भी उलझ जाते थे. डॉक्टर से कंसल्ट करने पर पता चला कि ये जाड़े की ठण्ड की वजह से जमा हुआ डेनड्रफ़ है, जिसे शैम्पू से निकाला जा सकेगा और ये कई बार शैम्पू करने के बाद ही धीरे-धीरे निकलेगा. ये सही था, चार-पांच बार शैम्पू करने के बाद स्कैल्प पूरी तरह क्लीन हो गया.

असल में बच्चे की स्किन की देखभाल अलग-अलग मौसम में अलग-अलग तरीके से करनी पड़ती है. सर्दियां शुरू हो चुकी है,इसलिए बच्चे की स्किन की देखभाल में बदलाव करना ज़रूरी है.इस बारें में पुणे की नियोनेटोलॉजी विभागकी प्रोफेसर और प्रमुख डॉ प्रदीप सूर्यवंशी, जो इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (IAP) के सदस्य भी है, उनका कहना है कि सर्दियों में हवा ठंडी और शुष्क होती है,जिससे स्किन भी रुखी हो जाती है. छोटे बच्चों की स्किन बड़ों की तुलना में अधिक नाजुक और संवेदनशील होती है, इसलिए छोटे बच्चों की स्किन की नमी कम होने का खतरा सबसे अधिक होता है.साथ ही बड़ों की स्किन की तुलना में नवजात बच्चे की स्किन 30 प्रतिशत पतली होती है, नमी कम होने की वजह से इसमें नैचुरल नमी पैदा करने वाले तत्वों की कमी हो जाती है. सर्दियों में, छोटे बच्चों में शुष्क स्किन, एलर्जी और खुजली होना यह बहुत आम समस्याएं हैऔर इससे निपटने के लिए माता-पिता को अपने बच्चे के स्किन की देखभाल अत्यंत भावनात्मक तरीके से करने की आवश्यकता होती है.

सर्दियों में छोटे बच्चे की स्किन को कोमल और स्वस्थ रखने में पेरेंट्स की भूमिका मुख्य होती है, कुछ टिप्स निम्न है,

मॉइश्चराइज़ करें,

बच्चे की मालिश करना हो, स्नान कराना हो, या कोई बच्चे के देखभाल की कोई अन्य विकल्प होने पर भी यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि उसके लिए उपयोग किए जाने वाले उत्पादों में मॉइस्चराइज़र हो. विटामिन ई, विटामिन बी5, मिल्क प्रोटीन और चावल का अर्क ये कुछ ऐसे तत्व है, जो गहरा पोषण प्रदान करते है और बच्चे की नाजुक स्किन की रक्षा करते है.

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नहाने का समय करें कम

बच्चे की स्किन की उचित देखभाल के लिए उसे नहलाना बहुत ज़रूरी है, लेकिन सर्दियों में गर्म पानी से, ज्यादा देर तक न नहलाएं, क्योंकि नहाने के दौरान बच्चे की स्किन रूखी हो सकती है. कम से कम समय में, गुनगुने पानी से नहलाने से स्किन से नमी खो जाने की समस्या कम हो जाती है, ध्यान रखें कि पानी, खासकर गर्म पानी के संपर्क में आने से बच्चे की स्किन से नमी निकल जाती है और स्किन सूख जाती है. स्पॉन्ज से नहलाना भी एक विकल्प है. बच्चे की स्किन बहुत नाजुक और संवेदनशील होती है, इसलिए विशेष रूप से बच्चे की स्किन के लिए तैयार किए गए pH (पीएच)संतुलित, हाइपोएलर्जेनिक और चिकित्सकीय रूप से सिद्ध माइल्ड क्लींजर का उपयोग किया जा सकता है. इससे बच्चे की स्किन में मॉइश्चर संतुलन बना रहेगा.

स्किन में नमी बनाए रखना जरुरी

नहलाने या स्पॉन्ज करने के बाद बच्चे की स्किन में पर्याप्त नमी पैदा करने की ज़रूरत होती है. इसके लिए सबसे अच्छा उपाय है कि बच्चे को नहलाने के बाद स्किन थोड़ी गीली होने पर ही मॉइस्चराइजिंग लोशन लगाएं. चावल का अर्क और दूध प्रोटीन जैसे पोषक तत्वों के साथ सही माइल्ड बेबी लोशन बच्चे की स्किन को पोषण देने में मदद करता है. इस प्रकार के घटक वाले लोशन अधिक मॉइस्चराइजिंग होते हैऔर इसमें विटामिन ई, विटामिन बी5 होते है, बच्चे की स्किन में नमी को पूरे दिन भर बनाए रखते है, जिससे बच्चे की स्किन कोमल रहती है.बच्चे की स्किन के लिए लोशन और क्रीम का उपयोग करना सबसे अच्छा होता है, ठंड के मौसम में बच्चों के गाल तुरंत सूख सकते है, इसलिएबच्चे के साथ बातें करते हुए, अपनी उंगलियों को हल्के से गोलाकार घुमाते हुए उसके गालों पर क्रीम लगाने की कोशिश करें. इस तरह बच्चे के गालों की स्किन को रूखेपन से बचाया जा सकता है और उसमें नमी बनाये रखी जा सकती है. बच्चे को बाहर ले जाने से पहले और घर लौटने के बाद मॉइस्चराइज़ करने से स्किन को कोमल और स्वस्थ रखने में मदद मिलती है. अगर घर के भीतर की हवा बहुत शुष्क है, तो आप ह्यूमिडिफायर का भी इस्तेमाल कर सकते है. हवा में नमी बढ़ने से स्किन के रूखेपन को कम करने में मदद मिलेगी.

डायपर की वजह से स्किन पर होने वाले रैशेज से बचाव

बच्चों में डायपर रैशेज हर मौसम में होने वाली समस्या है. यह समस्या सर्दियों में अधिक गंभीर होती है, क्योंकि उस समय बच्चे को ज़्यादा कपड़ें पहनाए जाते हैं, जिससे डायपर को बार-बार बदलना मुश्किल हो जाता है.रैशेज, सूजन या खुजली को रोकने के लिएडायपर वाले स्थानों की स्किन को अल्कोहल फ्री और सोप फ्री वाइप्स से साफ करें, जिसमें मॉइस्चराइजिंग के गुण हो, गीला डायपर लंबे समय तक पहने रहने से संक्रमण और रैशेज  पैदा हो सकते है,इसलिए डायपर को नियमित रूप से बदलते रहना चाहिए.

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स्किन का रूखापन

यदि बच्चे की स्किन पहले से सूखी या संवेदनशील है,तो एक्जिमा जैसी समस्या हो सकती है. ठंड के मौसम से बचाने के लिए विशेष देखभाल की ज़रूरत होती है, क्योंकि सर्दियों में स्किन का सूखापन और एक्जिमा जैसी समस्याएं अधिक गंभीर हो जाती है.IAP की  दिशानिर्देशों के मुताबिक, ये समस्याएं स्किन की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करती है, इसलिए स्किन के प्रतिरक्षा गुणों को बनाए रखने, संक्रमण को रोकने और बच्चे की स्किन को नुकसान से बचाने के लिए मॉइश्चराइज़िंग क्रीम जैसे अमोलिएंट्स का उपयोग करना बहुत महत्वपूर्ण है.

इस प्रकार मॉइश्चराइज़िंग टिप्स का पालन रोज करने पर सर्दियों के कारण बच्चे की स्किन में रूखापन आने की आम समस्या को आसानी से खत्म किया जा सकता है, लेकिन ये सब करने के बाद भी बच्चे की स्किन या उसके स्वास्थ्य के बारे में किसी प्रकार की समस्या है, तो बच्चे के डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए.

न बनें बनावटी ब्यूटी की शिकार

नया साल, नया विहान, नई ख्वाहिशें और सब से खूबसूरत दिखने की चाह. हर लड़की की तमन्ना होती है कि वह सब से ज्यादा खूबसूरत दिखे, भले ही मौका कोई भी हो और पार्टी कहीं भी हो. कुछ लड़कियों को कुदरत खुद ही बेमिसाल खूबसूरती से नवाजती है और कुछ को अपनी शारीरिक कमियों के साथ समझौते करने पड़ते हैं. इन कमियों को दूर करने या फिर और भी ज्यादा खूबसूरत दिखने की कोशिश में अकसर लेने के देने पड़ जाते हैं.

आप भी इस नए साल में खुद को संवारने की कोशिश जरूर कीजिएगा पर ज्यादा तराशने की कोशिश न ही करें तो अच्छा है. मतलब यह है कि अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के साथ कोई ऐसी छेड़छाड़ कतई न करें जिस से आप सेहत से ही हाथ धो बैठें.

वैसे बहुत सी ऐसी जौब या काम होते हैं जिन में महिलाओं को प्रेजैंटेबल दिखना जरूरी होता है और इस चक्कर में उन्हें अपनी हैल्थ के साथ समझौता करना पड़ता है. उदाहरण के लिए ऐअर होस्टेस को अकसर 12 घंटों से ज्यादा समय तक हाई हील्स पहन कर रहना पड़ता है जिस से उन की सेहत पर बुरा असर पड़ता है. यही वजह है कि हाल ही में एक फैसला लिया गया था जिस के अनुसार यूक्रेन की स्काई अप ऐअरलाइंस की महिला क्रू सदस्याएं अब पैंसिल स्कर्ट, हाई हील्स और ब्लेजर के बजाय आरामदायक पोशाक पैंट सूट्स और स्नीकर्स में नजर आएंगी.

इसी तरह हीरोइनों को फुल मेकअप में घंटों रहना पड़ता है और उन का चेहरा खराब होता जाता है. करीना कपूर के चेहरे को ही लीजिए, हाल के दिनों में सोशल मीडिया पर उन की ऐसी कई तसवीरें वायरल हुई हैं जिन में बिना मेकअप के उन का चेहरा काफी खराब नजर आ रहा है. ऐसा और बहुत सी हीरोइनों के साथ हुआ है. दरअसल, सालों लगातार मेकअप करने के कारण स्किन खराब हो जाती है.

इसी तरह बनावटी खूबसूरती जैसे ब्रैस्ट इंप्लांट्स आदि के चक्कर में भी महिलाएं अकसर अपनी सेहत से हाथ धो बैठती हैं. कहीं न कहीं महिलाएं कभी जानबूझ कर और कभी वर्क कल्चर की वजह से पुरुषों को रिझाने के लिए खुद को अधिक खूबसूरत, प्रेजैंटेबल और सैंशुअस बनाने के लिए ऐसा करती हैं. सुंदर दिखने की चाहत में लड़कियां कुछ भी करने को तैयार रहती हैं.

कुछ सर्जरी में करोड़ों रुपए खर्च कर देती हैं तो कुछ पचासों तरह की क्रीमें और दवाइयां खरीद लेती हैं. बहुत सी लड़कियां सस्ते के चक्कर में अपना काफी नुकसान भी कर बैठती हैं. कई लड़कियां जो पहले से ही खूबसूरत होती हैं वे और खूबसूरत दिखने के चक्कर में अपना चेहरा और जीवन बरबाद कर लेती हैं.

खूबसूरती बढ़ने के बजाय बनने लगा मजाक

इंगलैंड के लंकाशायर में रहने वाली 21 साल की ओलिविया मैककैन के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ. पेशे से ऐअर होस्टेस ओलिविया ने अपने चेहरे की खूबसूरती बढ़ाने के लिए अपने होंठों की सर्जरी करवाने का फैसला किया. मगर सर्जरी के बाद उस के होंठ 3 गुना अधिक बड़े हो गए.

ओलिविया का चेहरा देख कर लोगों की हंसी छूटने लगी. लोग उस का मजाक उड़ाने लगे. दरअसल, 21 साल की ऐअर होस्टेस ओलिविया ने क्व10 हजार में अपने होंठों की सर्जरी करवाई. उसे थोड़े मोटे होंठ चाहिए थे. ब्यूटीशियन ने कहा था कि सर्जरी के बाद उस के होंठों पर आई सूजन घट जाएगी और उस के होंठ प्राकृतिक रूप से खूबसूरत नजर आएंगे. मगर ऐसा नहीं हुआ. उस ने खूबसूरत दिखने के लिए सर्जरी करवाई थी. लेकिन उसे क्या पता था कि यह सर्जरी उस का चेहरा बिगाड़ देगी और उस के होंठ 3 गुना ज्यादा बड़े हो जाएंगे.

सर्जरी के बाद ओलिविया के होंठों के अंदर ऐसे फोड़े हो गए जिन में काफी दर्द होता था. कई महीने उस की हालत ऐसी ही रही. बाद में धीरेधीरे वह थोड़ी नौर्मल हो सकी. ओलिविया पहले भी सुंदर दिखने के लिए अपने होंठों में फिलर्स डलवा चुकी थी.

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नकली सर्जन का झांसा

खुद को बार्बी सर्जन कहने वाली ओलगिसा अकसर इंस्टाग्राम पर अपनी ग्लैमरस तसवीरें पोस्ट करती रहती थी. साथ ही लड़कियों को अपने जैसी खूबसूरत बनाने का लालच दे कर उन्हें प्लास्टिक सर्जरी करवाने के लिए राजी करती थी. मगर उस के पास अपने इस व्यवसाय की कोई डिगरी नहीं थी. नतीजा यह हुआ कि ओलगिसा के कई पेशैंट्स आज बहुत बुरी हालत में हैं.

एक भुक्तभोगी महिला के मुताबिक वह ओलगिसा की तसवीरें देख कर इंप्रैस हो गई थी. इस के बाद वह उस से मिली और अपनी नाक और आईब्रोज को अपलिफ्ट कराने के लिए सर्जरी को तैयार हो गई. ओलगिसा ने उस की सर्जरी कर दी.

लेकिन इस के बाद उस के चेहरे के बाएं हिस्से में जलन रहने लगी. नतीजा यह हुआ कि

7 दिन तक वह अपनी आंखें नहीं खोल पाई. कुछ ऐसी ही मिलतीजुलती समस्याएं ले कर करीब 11 महिलाएं सामने आईं. कई शिकायतें सामने आने के बाद ओलगिसा अपना क्लीनिक छोड़ कर भाग गई.

खूबसूरती के चक्कर में गंवाने पड़े दोनों पैर

कुछ ऐसी ही कहानी सेविंक सेक्लिक नाम की एक लड़की की है जिसे खूबसूरत चेहरे की ख्वाहिश में नाक की सर्जरी करवाना बहुत भारी पड़ गया. एक तुर्किश प्लास्टिक सर्जरी क्लीनिक से नाक की सर्जरी करवाने के बाद उसे मजबूरन घुटनों से नीचे अपनी दोनों टांगें कटवानी पड़ीं. 25 साल की सेविंक सेक्लिक ने इस्तांबुल के एक प्राइवेट अस्पताल से नाक छोटी कराने के लिए ‘नोज रिडक्शन सर्जरी’ करवाई थी.

करीब 2 घंटे तक चले इस औपरेशन के बाद डाक्टर्स ने उसे घर भेज दिया. घर जा कर सेविंक को बुखार चढ़ने लगा. हालांकि अस्पताल इस बात पर जोर देता रहा कि यह सब नौर्मल है. सभी लक्षण साधारण हैं और घबराने की कोई बात नहीं है. मगर उस की हालत दिनबदिन बिगड़ती गई.

उस का खानापीना छूट गया और वह लगातार बीमार रहने लगी. उस की टांगों का रंग काला पड़ चुका था. हालत बहुत ज्यादा गंभीर होने के बाद उसे फिर से अस्पताल में भरती कराया गया. सेविंक ब्लड पौइजनिंग की समस्या से जूझ रही थी, इसलिए अंत में उस की जान बचाने के लिए पैर काटने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं था. उस के घुटनों से नीचे तक पैर काटने पड़े. इस तरह खूबसूरती के चक्कर में वह सामान्य जिंदगी जीने की खुशी से भी हाथ धो बैठी.

हाथ से निकले कई रोल

इसी तरह चीनी अभिनेत्री और गायिका गाओ लियू ने हाल ही में कौस्मैटिक सर्जरी कराई, लेकिन उसे भी यह सर्जरी करवाना भारी पड़ गया. अभिनेत्री ने सर्जरी से पहले और बाद की अपनी कुछ तसवीरें सोशल मीडिया पर अपने 50 लाख फौलोअर्स के साथ साझा कीं जिन में कौस्मैटिक सर्जरी के बाद उस की नाक पर धब्बे नजर आ रहे हैं. नाक का अगला भाग काला और चपटा दिख रहा है.

दरअसल, एक दोस्त की सलाह पर अभिनेत्री ने ज्यादा खूबसूरत दिखने के लिए एक कौस्मैटिक क्लीनिक में नाक की सर्जरी करवाई थी. करीब 4 घंटे की सर्जरी के बाद अभिनेत्री को नाक की मनचाही शेप तो नहीं मिली, लेकिन उस की नाक के कुछ टिशू डैड हो गए. उस अभिनेत्री को बाद में पता चला कि जो सर्जरी वह करवा चुकी है उसे करने की इजाजत उस क्लीनिक के पास नहीं है.

गाओ लिऊ के मुताबिक उसे लगा कि सर्जरी के बाद उसे ऐक्टिंग के ज्यादा रोल मिलने लगेंगे. लेकिन अब उसे आत्महत्या करने जैसे खयाल आ रहे हैं और हाथ से ऐक्टिंग के कई रोल निकल गए हैं. गाओ कहती है कि इस सर्जरी के कारण उसे 61 दिनों तक अस्पताल में भरती रहना पड़ा. गलत सर्जरी के चलते उस के 2 खास प्रोजैक्ट्स हाथ से चले गए, जिस से उन्हें करोड़ों का नुकसान हुआ है.

प्लास्टिक सर्जरी कराने वालों में सब से ज्यादा युवा महिलाएं हैं. सोशल मीडिया पर खूबसूरत दिखने और इन्फ्लुएंसर बनने के चक्कर में यह बाजार तेजी से बढ़ता जा रहा है. यही नहीं बहुत सी लड़कियों की मानसिकता यह होती है जैसे खूबसूरत दिख कर ही वे अपनी मंजिल पा सकती हैं. भले ही बात रिलेशनशिप की हो या कैरियर की, उन की नजर में सफलता के लिए खूबसूरती सब से महत्त्वपूर्ण पायदान है.

यही वजह है कि इस के लिए वे कोई भी कदम उठाने से नहीं हिचकतीं. बाद में जब नतीजा भयावह निकलता है तो सिवा पछताने के और कुछ हाथ नहीं लगता. इसलिए बेहतर है कि लड़कियां इस बात को समझें कि उन्हें प्रकृति ने जितनी खूबसूरती दी है उसे ही संभालने में अपना समय लगाएं न कि और के लालच में जो मिला है उसे भी गंवा दें. ऐसे बहुत से तरीके हैं जिन से आप खुद को बेहतर तरीके से कैरी कर सकती हैं और अपनी औसत खूबसूरती को भी नैचुरल तरीके से खास बना सकती हैं.

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खुद को रखें फिट और स्मार्ट

खूबसूरती का पहला पैमाना आप का चुस्तदुरुस्त व्यक्तित्व होता है. अगर आप फिट हैं, कुछ भी करने से डरती नहीं हैं, शारीरिक रूप से कोई परेशानी नहीं है, एडवैंचर पसंद करती हैं, आप न बहुत मोटी हैं और न पतली,

आप के कंधे झुके हुए नहीं हैं और आप कुछ भी पहन लें वह आप को फिट आता हो क्योंकि आप की बौडी बैलैंस्ड है तो भला आप से ज्यादा खूबसूरत और कौन होगा? खूबसूरती के लिए आकर्षक व्यक्तित्व और इस के लिए फिट और स्मार्ट होना सब से जरूरी है न कि नाक, होंठ या ब्रैस्ट का आकार. आप खुद को स्मार्ट बना कर रखें यह सब से जरूरी है.

कुछ करने की उमंग हो आंखों में

खूबसूरती आंखों में दिखती है. आप की आंखें यदि नई ऊर्जा और उमंग से भरपूर हैं, आप आंखों से हंसती हैं और आंखों से ही सामने वाले पर अपना असर डालने में सक्षम हैं तो फिर आप के लिए खूबसूरती की चिंता करना बेमानी है. आंखों में विश्वास और कुछ करने की लगन झलक रही हो तो लोग आप के आकर्षण में खुद बंध जाते हैं. आप अपने काम के लिए जानी जाती हैं. आप की आंखों में आत्मविश्वास झलकना चाहिए तभी आप कैरियर की राह पर तेजी से आगे बढ़ सकेंगी.

सकारात्मक नजरिया

कुछ लोगों की बातचीत ऐसी होती है कि सामने वाला बात कर के बहुत अच्छा महसूस करने लगता है. दोनों के बीच एक पौजिटिव ऐनर्जी डैवलप होती है. आसपास का वातावरण सकारात्मक हो उठता है. इंप्लोई हो या सोलमेट, हरकोई ऐसे ही व्यक्ति के साथ संबंध बना कर रखना चाहता है. इसलिए अपनी खूबसूरती के बजाय अपने नजरिए पर काम करना ज्यादा जरूरी होता है. नजरिया सकारात्मक है तो आप को हर क्षेत्र में सफल होने से कोई नहीं रोक सकता.

ड्रैस और हेयरस्टाइल का अंदाज हो अलग

अगर आप बहुत खूबसूरत नहीं हैं तो सर्जरी कराने से अच्छा है कि अपने पहनावे और हेयरस्टाइल के जरीए खूबसूरत दिखें. ऐसे कपड़े चुनें जो कुछ हट कर हों, रंग और डिजाइन आप पर सूट करें और आप के व्यक्तित्व को निखारें.

उलझे से बाल आप के व्यक्तित्व पर बुरा असर डालते हैं. इस के विपरीत स्टाइल में कटे हुए चमकीले, हैल्दी, लंबे, काले बाल आप को अलग ही खूबसूरती देते हैं. इस पर ध्यान दीजिए. बातों से जादू चलाएं. आप ने गौर किया होगा कि कुछ लोगों के बोलने का अंदाज इतना खूबसूरत होता है कि आप बस उन्हें देखते रह जाते हैं. प्रिय बोलें, मीठा बोलें, आत्मविश्वास के साथ बोलें और एक खूबसूरत अंदाज में बोलें. फिर देखिए कैसे लोग आप के दीवाने होते हैं.

याद रखिए कि प्राकृतिक सुंदरता से छेड़छाड़ आप को नुकसान पहुंचा सकता है. पैसों के साथसाथ सेहत की नजरिए से भी आप के लिए यह घाटे का सौदा साबित हो सकता है. एक बार आप ने सर्जरी करवाई, वह सफल रही, मगर अगली बार आप को बहुत ज्यादा नुकसान भी हो सकता है. खूबसूरत दिखना जौब की डिमांड है तो फिर भी बात समझ आती है. मगर केवल पुरुषों को रिझाने या आकर्षक दिखने की तमन्ना में सेहत से खिलवाड़ करना बहुत बड़ी मूर्खता है. इसलिए बेहतर है कि इस चक्कर में पड़ा ही न जाए. जो है उसे ही खूबसूरत बना कर रखें.

बनावटी खूबसूरती से दूर रहें

सैलिब्रिटी मेकअप आर्टिस्ट और ब्यूटी ऐक्सपर्ट पूनम चुघ के अनुसार

आज जो महिलाएं अधिक खूबसूरत दिखने या फिर अपनी उम्र कम दिखाने की होड़ में कौस्मैटिक सर्जरी या बनावटी खूबसूरती के पीछे भाग रही हैं वे वास्तव में खुद का ही बुरा कर रही हैं. दरअसल, ऐसी महिलाएं खुद से ही प्यार नहीं करतीं. यदि वे खुद से प्यार करती होतीं तो खुद को ऐक्सैप्ट करतीं. कोई इंसान जैसा भी है उसे खुद को पसंद करना चाहिए तभी दूसरे भी उसे प्यार करते हैं. पर बहुत सी महिलाएं ऐसी हैं जो खुद को स्वीकार नहीं कर पातीं और आर्टिफिशियल जिंदगी जीने में अपना अधिक से अधिक समय, ऊर्जा और पैसे लगा रही हैं.

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ऐसी महिलाएं आर्टिफिशियल आईलैशेज लगाती हैं, आर्टिफिशियल नेल्स यूज करती हैं, आंखों में लैंस लगाती हैं और हेयर ऐक्सटैंशन भी करवाती हैं. यह सब कहीं न कहीं शरीर के लिए बहुत पेनफुल है. हमारी आंख में यदि एक छोटा सा बाल या कोई कण चला जाता है तो भी हमें कितनी तकलीफ होती है. पर सोचिए जब कोई महिला पूरी की पूरी पलकें आर्टिफिशियल लगा कर घूमती है तो उस की क्या हालत होती होगी. दरअसल, जो भी आर्टिफिशियल चीजें हम अपनाते हैं उन से हमें कुछ न कुछ समस्याएं जरूर पैदा होती हैं. मसलन, आईलैशेज लगाने से इरिटेशन, इचिंग और अनकंफर्टेबल फीलिंग रहती है. सिर में दर्द और आंखों की रोशनी भी धीरेधीरे खो सकती है. नकली आईलैशेज को हम आंखों पर ग्लू के द्वारा चिपकाते हैं. ये कैमिकल होते हैं और इन का आंखों पर बुरा असर पड़ता है.

आंखें भारीभारी महसूस होती हैं पर हमें ये बुरे असर नहीं दिखते. हम बस यह देख कर खुश हो जाते हैं कि लोग हमारी आईलैशेज की तारीफ कर रहे हैं. इसी तरह नेल ऐक्सटैंशन का प्रयोग करने पर भी हमें काम करने में काफी दिक्कतें होती हैं. हमारा फोकस केवल इसी बात पर रहता है कि यह टूट न जाए, इस में पैसा लगा हुआ है. इस के चक्कर में कोई भी काम ढंग से नहीं कर पाते. बालों में हेयर ऐक्सटैंशन लगाने के बाद हम ठीक से बाल नहीं धो पाते और स्कैल्प क्लीन नहीं होती तो तरहतरह की समस्याएं पैदा होती हैं. दिखावट की ऐसी चीजें कभीकभार के लिए फिर भी ठीक हैं, पर यदि आप परमानैंट आईलैशेज, ऐक्सटैंशन या ब्रैस्ट इंप्लांट्स करा कर खूबसूरत दिखना चाहती हैं तो यह भी याद रखें कि यह सब ज्यादा समय चलने वाला नहीं.

इन के बजाय यदि हम होम रैमेडीज या प्राकृतिक उपायों की तरफ जाएं तो हम यकीनन आर्टिफिशियल चीजें भूल जाएंगे. उदाहरण के लिए यदि हमारी आईलैशेज नहीं हैं तो हम कैस्टर औयल लगा सकते हैं, ऐलोवेरा जैल या फिर नीम का औयल भी लगा सकते हैं. इस से हमें किसी तरह की समस्या नहीं होगी, न कोई इन्फैक्शन होगा और न फंगस या खुजली होगी. बाल झड़ेंगे भी नहीं और नए बाल भी बहुत जल्दी आएंगे और वह भी बहुत खूबसूरती के साथ. यही हाल सिर के बालों के साथ है. इसी तरह यदि कोई महिला अपनी छोटी ब्रैस्ट की समस्या के लिए ब्रैस्ट इंप्लांट्स न करा कर ऐक्सरसाइज, योगा, वेटलिफ्टिंग और रोजाना वाक करे एवं अपनी डाइट पर ध्यान दे तो बहुत जल्दी वह सुडौल बदन की स्वामिनी बन जाएगी.

सच तो यह है कि यदि एक महिला के चेहरे पर आत्मविश्वास है तो वैसे भी वह खूबसूरत दिखती है. पर यदि वह आर्टिफिशियल खूबसूरती ले कर चलती है, लेकिन चेहरे पर कौन्फिडैंस नहीं है तो यह किसी काम का नहीं. वैसे भी जो इंसान आप से प्यार करता है वह आप की कमियों से भी प्यार करता है. अगर किसी की हाइट कम है तो यह भी बहुत बड़ी कमी है. पर आप आर्टिफिशियल हाइट तो नहीं बना सकते यानी आप अपनी उस कमी को ऐक्सैप्ट करते हैं. कुछ महिलाएं आर्टिफिशियल लंबाई बढ़ाने के लिए हील पहनती हैं पर हील से उन की ऐडि़यों और थाइज में पेन हो सकता है और तब दवाई का सहारा लेना पड़ता है. उस से अच्छा है कि आप कपड़े ऐसे पहनें जिन से आप की लंबाई अधिक दिखे.

आजकल 40 और 40+ महिलाएं भी खुद को 18 की दिखाने की होड़ में रहती हैं और पैसा दे कर खुद को प्लेटफौर्म देती हैं. उस के लिए अपनी फैमिली से छिप कर ड्रिंक और स्मोकिंग करते हुए दिखाती हैं. घर से पूरे कपड़े पहन कर निकलती हैं पर पार्टी में जा कर छोटे कपड़े पहनती हैं. मेल सर्कल के बीच में जा कर उन को अट्रैक्ट करने के लिए बहुत सारी ऐब्यूज की चीजें भी बर्दाश्त करती हैं. यह आर्टिफिशियल जिंदगी सिर्फ उन के बाहरी रूप में ही नहीं है बल्कि वे अपने मन तक को भी आर्टिफिशियल बना रही हैं. वे अपनी फैमिली के आगे कुछ और होती हैं और बाहर कुछ और होती हैं. इस तरह एकसाथ 2-2 जिंदगियां जीती हैं. दिखावे में ज्यादा ध्यान देती हैं और अपना घर नहीं देखतीं जिस का नतीजा कभी अच्छा नहीं होता. पर ऐसी लाइफ में कोई कंफर्टेबल नहीं रह सकता. तभी इतने ज्यादा फैमिली डिस्प्यूट्स और डिवोर्स होते हैं.

ऐसे में जरूरी है कि आप खुद को ऐक्सैप्ट करें और भरोसा रखें कि आप बेहद खूबसूरत हैं. आप की वास्तविक खूबसूरती आप के स्वभाव में, आप के काम करने के अंदाज में, आप की मुसकराहट में, आप के सफल कैरियर में और आप की ओवरऔल पर्सनैलिटी में है. बेहतर है कि दिखावे और बनावट की खूबसूरती से दूर रहें.

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11 टिप्स: रिलेशनशप बनाएं बेहतर

सब से पहले बात करें पारिवारिक रिश्तों की जो हमें विरासत में मिलते हैं और किसी पूंजी से कम नहीं होते. चलिए हम आप को बताते हैं वे कुछ तरीके जिनसे आप बना सकते हैं अपने पारिवारिक रिश्तों को मजबूत:

1. प्रपंच छोड़ें

प्रपंच बड़ा चटपटा शब्द है. लोग इसे चटखारे ले ले कर इस्तेमाल करते हैं. मसलन, बहू के भाई ने इंटरकास्ट मैरिज कर ली. बस फिर तो बहू का ससुराल के लोगों से नजरें मिलाना मुश्किल हो गया. सासूमां अपने दिए संस्कारों की मिसाल देदे कर बहू के मायके के लोगों की धज्जियां उड़ाने में मशगूल हो गईं.

क्यों, भई इसे प्रपंच का मुद्दा बनाने की क्या जरूरत है? इंटरकास्ट मैरिज कोई गुनाह तो नहीं है. हां, यह बात अलग है कि आप के समाज वाले इसे पचा नहीं सकते. लेकिन बहू तो आप के ही घर की है. उस के सुखदुख में शरीक होना आप का कर्तव्य है, जिस को आप प्रपंच में उड़ा रही हैं. आप को क्या लगता है, प्रपंच करने से आप खुद को दूसरों की नजर में महान बना लेते हैं और सामने वाले को दूसरों की नजरों से गिरा देते हैं. नहीं इस से आप की ही साख पर असर पड़ता है. आप के ही परिवार का मजाक बनता है, जिस में आप खुद भी शामिल होते हैं. इसलिए नए वर्ष में तय करिए कि इस रोग से खुद को मुक्त करेंगे और दूसरों को भी सलाह देंगे.

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2. अपना उत्तरदायित्व समझें

उत्तरदायित्व का मतलब सिर्फ मातापिता की सेवा करना ही नहीं, बल्कि अपने बच्चों के प्रति भी आप के कुछ उत्तरदायित्व होते हैं. आजकल के मातापिता आधुनिकता की चादर में लिपटे हुए हैं. बच्चों को पैदा करने और उन्हें सुखसुविधा देने को ही वे अपनी जिम्मेदारी मानते हैं. लेकिन इस से ज्यादा वे अपनी पर्सनल लाइफ को ही महत्त्व देते हैं. इस स्थिति में यही कहा जाएगा कि आप एक आदर्श मातापिता नहीं हैं. लेकिन इस नए वर्ष में आप भी आदर्श होने का तमगा पा सकते हैं यदि आप अपने उत्तरदायित्वों को पूरी शिद्दत से निभाएं.

3. झूठ का न लें सहारा

अकसर देखा गया है कि अपनी जिम्मेदारियों से बचने, अपनी साख बढ़ाने या फिर अपनी गलती छिपाने के लिए लोग झूठ का सहारा लेते हैं. संयुक्त परिवार में झूठ की दरारें ज्यादा देखने को मिलती हैं, क्योंकि एकदूसरे से खुद को बेहतर साबित करने की प्रतिस्पर्धा में लोगों से गलतियां भी होती हैं. लेकिन इन्हें नकारात्मक रूप से लेने की जगह सकारात्मक रूप से लेना चाहिए. जब आप ऐसी सोच रखेंगे तो झूठ बोलने का सवाल ही नहीं उठता. इस वर्ष सोच में सकारात्मकता ले कर आएं. इस से पारिवारिक रिश्तों के साथ आप का व्यक्तित्व भी सुधर जाएगा.

4. आर्थिक मनमुटाव से बचें

आधुनिकता के जमाने में लोगों ने रिश्तों को भी पैसों से तराजू में तोलना शुरू कर दिया है. रिश्तेदारियों में अकसर समारोह के नाम पर धन लूटने का रिवाज है. शादी जैसे समारोह को ही ले लीजिए. यहां शगुन के रूप में लिफाफे देने और लेने का रिवाज है. इन लिफाफों में पैसे रख कर रिश्तेदारों को दिए जाते हैं. जो जितने पैसे देता है उसे भी उतने ही पैसे लौटा कर व्यवहार पूरा किया जाता है. लेकिन ऐसे रिश्तों का कोई फायदा नहीं जो पैसों के आधार पर बनतेबिगड़ते हैं. इस वर्ष तय कीजिए कि रिश्तों में आर्थिक मनमुटाव की स्थिति से बचेंगे, रिश्तों को भावनाओं से मजबूत बनाएंगे.

5. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लेख हमारे देश के संविधान में भी किया गया है, लेकिन परिवार के संविधान में यह हक कुछ लोगों को ही हासिल होता है, जो बेहद गलत है. अपनी बात कहने का हक हर किसी को देना चाहिए. कई बार हम सामने वाले की बात नहीं सुनते या उसे दबाने की कोशिश करते हैं अपने सीधेपन के कारण वह दब भी जाता है, लेकिन नुकसान किस का होता है? आप का, वह ऐसे कि यदि वह आप को सही सलाह भी दे रहा होता है, तो आप उस की नहीं सुनते और अपना ही राग अलापते रहते हैं. ऐसे में सही और गलत का अंतर आप कभी नहीं समझ सकते. इसलिए इस वर्ष से तय करें कि घर में पुरुष हो या महिला, छोटा हो या बड़ा हर किसी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी जाएगी.

6. सामाजिक रिश्ते

संतुलित और सुखद जिंदगी जीने के लिए पारिवारिक रिश्तों के साथसाथ सामाजिक रिश्तों को भी  मजबूत बनाना जरूरी है. आइए हम आप को बताते हैं सामाजिक रिश्तों को बेहतर बनाने के 5 तरीके

7. ईगो का करें त्याग

ईगो बेहद छोटा लेकिन बेहद खतरनाक शब्द है. ईगो मनुष्य पर तब हावी होता है जब वह अपने आगे सामने वाले को कुछ भी नहीं समझना चाहता. उसे दुख पहुंचाना चाहता हो या फिर उस का आत्मविश्वास कम करने की इच्छा रखता हो. अकसर दफ्तरों में साथ काम करने वाले साथियों के बीच ईगो की दीवार तनी रहती है. इस चक्कर में कई बार वे ऐसे कदम उठा लेते हैं, जो उन के व्यक्तित्व पर दाग लगा देते हैं या कई बार वे सामने वाले को काफी हद तक नुकसान पहुंचाने में कामयाब हो जाते हैं. लेकिन क्या ईगो आप को किसी भी स्तर पर ऊंचा उठा सकता है? शायद नहीं यह हमेशा आप से गलत काम ही करवाता है. आप को खराब मनुष्य की श्रेणी में लाता है, तो फिर ऐसे ईगो का क्या लाभ जो आप को फायदे से ज्यादा नुकसान पहुंचाता हो? इस वर्ष ठान लीजिए की ईगो का नामोनिशान अपने व्यक्तित्व पर से मिटा देंगे और दूसरों का बुरा करने की जगह अपने व्यक्तित्व को निखारने में समय खर्च करेंगे.

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8. मददगार बनें

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और हमेशा से समूह में रहता चला आया है. इस समूह में कई लोग उस के जानकार होते हैं तो कई अनजान भी. लेकिन मदद एक ऐसी प्रक्रिया है जो मनुष्य को मनुष्य से जोड़ती है. किसी की तकलीफ में उस का साथ देना या उस की हर संभव मदद करना एक मनुष्य होने के नाते आप का कर्तव्य है.

9. पुण्य नहीं कर्तव्य समझें

धार्मिक ग्रंथों में पुण्य कमाने का बड़ा व्याख्यान है. लोग किसी की मदद सिर्फ इस लालच में करते हैं कि उन्हें इस के बदले में पुण्य कमाने का मौका मिलेगा. लेकिन जहां उन्हें पुण्य कमाने का जरीया नजर नहीं आता वहां वे घास भी नहीं डालते. कहते हैं भूखे और प्यासे आदमी को खाना खिलाने से पुण्य की प्राप्ति होती है. इसे कमाने के लिए लाखों रुपए उड़ा कर लोग भंडारों का आयोजन करते हैं. लेकिन दूसरी तरफ ऐसे ही लोग राह में मिलने वाले गरीब भूखे बच्चे को 2 रोटी देने की जगह दुतकार देते हैं. जबकि किसी भूखेप्यासे को खिलाना पुण्य नहीं बल्कि आप का कर्तव्य है. इस तरह धर्म के नाम पर या उस का सहारा ले कर किसी विशेष दिन का इंतजार कर के कोई कार्य करने की जगह जरूरतमंदों को देखते ही उन्हें सहारा दें और इसे अपना कर्तव्य समझें. तो इस वर्ष प्रतिज्ञा लें कि काम को पुण्य नहीं, बल्कि कर्तव्य समझ कर करेंगे.

10. खुल कर सोचें बड़ा सोचें

इस वर्ष अपनी सोच का विस्तार करें. ऐसा करने पर आप पाएंगे कि आप से ज्यादा संतुष्ट और चिंतामुक्त मनुष्य और कोई नहीं है. ऐसे कई लोग आप को अपने आसपास मिल जाएंगे जो अपना वक्त सिर्फ दूसरों के बारे में सोचने में जाया कर देते हैं. उन्हें हर वक्त यही लगता है कि उन के लिए कोई गलत कर रहा है या कह रहा है. लेकिन जरा सोचें, क्या इस भागतीदौड़ती दुनिया में किसी के पास दूसरे के लिए सोचनेसमझने का समय है? नहीं है. इसलिए आप भी अपने बारे में सोचें और किसी का नुकसान न करते हुए अपने फायदे का काम करें.

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11. सम्मान करें और सम्मान पाएं

कई लोग जब किसी बड़े स्तर पर पहुंच जाते हैं तो वे हमेशा अपने से छोटे स्तर पर खड़े लोगों को हिकारत की नजर से देखने लगते हैं. अकसर दफ्तरों में ऐसा होता है कि खुद को सीनियर कहलवाने की जिद में लोग अपने से नीचे ओहदे वालों का शोषण और अपमान करना शुरू कर देते हैं. लेकिन आप ने यह कहावत तो सुनी ही होगी कि कीचड़ पर पत्थर फेंको तो खुद पर भी कीचड़ उछल कर आता है. उसी तरह अपमान करने वाले को भी अपमान ही मिलता है. इसलिए इस वर्ष तय कर लीजिए कि हर स्थिति व परिस्थिति में आप सभी से सम्मानपूर्वक ही पेश आएंगे.

फटी एड़ियों से कैसे छुटकारा पाया जाए?

सवाल-

बदलते मौसम के साथ मेरी एड़ियां काफी फट गई हैं , जिसके कारण मुझे काफी शर्म महसूस होती है.  कैसे मुझे इस समस्या से निजात मिलेगा? 

जवाब

जिस तरह हम अपने चेहरे की केयर करते हैं उस तरह अपने हाथ पैरों की नहीं करते , जिसके कारण मौसम बदलते ही यानि ठंड के मौसम में एड़ियों के फटने  की समस्या सबसे ज्यादा होती है, क्योंकि इसका काऱण एक तो केयर नहीं करना और दूसरे कारण जैसे ज्यादा गरम पानी से नहाना व शुषक  हवाओं के कारण धीरेधीरे शरीर का मोइस्चर खत्म होने लगता है. साथ ही शरीर में न्यूट्रिएंट्स की कमी होने की वजह से भी एड़ियों के फटने की समस्या उत्पन्न  होती है. ऐसे में अगर समस्या उत्पन्न हो जाती है , तो उससे निजात पाने के लिए उपाय भी करने जरूरी होते हैं , ताकि आपको फटी एड़ियों से राहत मिल सके और किसी के सामने शर्म महसूस न हो.

इस बारे में कोस्मोटोलोजिस्ट पूजा नागदेव बताती हैं कि मार्केट में आपको ढेरों ऐसी क्रीम्स मिल जाएंगी, जो फटी एड़ियों को ठीक करने का दावा करती हैं ,  लेकिन जरूरी नहीं कि हर महंगी क्रीम व हर किया गया दावा सही हो, ऐसे में आप जब भी  मार्केट से एड़ियों के घाव को भरने वाली क्रीम्स को खरीदें तो देखें तो उसमें निर्म इंग्रीडिएंट्स हैं, ताकि आपको जल्दी से आराम मिलकर आपकी स्किन को मोइस्चर भी मिल सके  –

– कपूर का तेल सदियों से अपने प्राकृतिक  गुणों के लिए जाना जाता है, क्योंकि ये एड़ियों के फटने के कारण उनमें होने वाली जलन को कम करने में कारगर जो होता  है, साथ ही ये ब्लड सर्कुलेशन को इम्प्रूव करके दर्द से राहत दिलवाने का भी काम करता है.

– ब्लैक पेपर आयल जिसे काली मिर्च के नाम से भी जानते हैं , ये न सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाने का काम करता है, बल्कि वर्षों से इसका इस्तेमाल दवाओं में भी किया जाता है. क्योंकि इसमें भारी मात्रा में फोलिक एसिड , कॉपर, कैल्शियम, विटामिन्स , पोटैशियम होता है. इसमें एड़ियों के घावों को भरने व दर्द से राहत दिलाने की पावर होती है.

– पैपरमेंट आयल , जिसका इस्तेमाल कोस्मेटिक्स प्रोडक्ट्स में किया जाता है. क्योंकि ये स्किन को यंग और ब्यूटीफुल बनाने का काम करता है. इसकी स्ट्रेस रिलीविंग खुशबू एड़ियों की जलन को दूर करके उसे राहत पहुंचाने का काम करती है. इसमें मेंथोल जैसे तत्व  एड़ियों को ठीक करने के लिए काफी सक्षम होते हैं.

– लैवेंडर आयल में एंटीसेप्टिक और एंटी इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज होने के कारण  ये स्किन व एड़ियों को तुरंत हील करने का काम करता है. ये डेड स्किन को रिमूव करके हैल्दी स्किन सेल्स को बढ़ावा देने का काम करता है. साथ ही एड़ियों की ड्राईनेस को दूर करके पैरों को फिर से खूबसूरत बनांता है.

– बीस वैक्स स्किन को नौरिश व मोइस्चराइज  करने का काम करती है.  इसलिए जब भी फुट क्रीम खरीदें तो इन इंग्रीडिएंट्स को जरूर देखें. क्योंकि ये सभी घावों को तुरंत भरकर , ड्राईनेस को दूर करके फटी एड़ियों से राहत पहुंचाने का काम करते हैं.

ये भी है कारगर उपाय– 

– बाल्टी में गरम पानी लेकर उसमें 3 बड़े चम्मच एप्सोम साल्ट डालें. फिर उसमें आधा कप के करीब डिटोल डालें. बता दें कि  एप्सोम साल्ट स्किन को एक्सफोलिएट करके उसे सोफ्ट बनाने का काम करता है, वहीं डिटोल एंटीसेप्टिक का काम करके फंगल इंफेक्शन को होने से रोकता है. क्योंकि कई बार एड़ियां ज्यादा फटने के कारण इंफेक्शन फैलने के चांसेस ज्यादा बढ़ जाते हैं.  फिर आप इस पानी में 15 मिनट तक अपने पैरों को डुबो कर रखें. फिर लोफह में शावर जैल डालकर उससे  पैरों को सिर्फ क्लीन करें. इसके बाद उसी बाल्टी में दोबारा से पैरों को डालकर साफ करें और फिर टॉवल से सुखाएं.  फिर अच्छी क्वालिटी का बोडी बटर फटी एड़ियों पर अप्लाई करके उससे 5 मिनट तक मसाज करें. रिसर्च में यह साबित हुआ है कि शी बटर में एंटी इंफ्लेमेटरी प्रोपर्टीज होने के कारण ये रेडनेस, फटी एड़ियों के कारण होने वाली जलन से राहत पहुंचाने का काम करता है. ऐसा आप हफ्ते में 2 बार रात को सोते समय करें. यकीन मानिए आपको जल्दी ही  फटी एड़ियों से राहत मिल जाएगी.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
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असली पहचान

लेखक- बबिता श्रीवास्तव

वह मेरी पड़ोसिन की बूआ का बेटा था. मेरे परिवार के लोग राजेश को टपोरी समझते थे पर उसी टपोरी ने वह कर दिखाया था जिस के बारे में न तो मैं ने कभी सोचा था न मेरे परिवार में किसी को उम्मीद थी.

आज जब राजेश का फोन आया कि नीलू मां बनने वाली है तो मेरे परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई. मां और बाबूजी के साथ मेरे देवर भी तरहतरह के मनसूबे बनाने लगे और मैं सोचने लगी कि इस दुनिया में कितने ऐसे लोग हैं जो जैसे दिखते हैं वैसे अंदर से होते नहीं और जो बाहर से भोलेभाले दिखते हैं स्वभाव से भी वैसे हों यह जरूरी नहीं.

नीलू मेरी सब से छोटी ननद है. मेरी आंखों के सामने उस की बचपन की तसवीर घूमने लगी और मेरा मन 15 साल पीछे की बातों को याद करने लगा.

मैं इस घर में बहू बन कर जब आई थी तब मेरे दोनों देवर व ननद छोटेछोटे थे. मेरे पति सब से बड़े थे. उन में व बाकी बहनभाइयों में उम्र का काफी फासला था. हमारी शादी के दूसरे दिन ही बूआ सास ने मजाक में कहा था, ‘बहू, तुम्हें पता है कि तुम्हारे पति व अन्य बहनभाइयों में उम्र का इतना अंतर क्यों है? तुम्हारे पति के जन्म के बाद मेरी भाभी ने सोचा थोड़ा आराम कर लिया जाए…’ और इतना कह कर वह जोर का ठहाका मार का हंस पड़ी थीं.

नईनई भाभी पा कर मेरे छोटेछोटे देवर तो मेरे आगेपीछे चक्कर काटते और मेरा आंचल पकड़ कर घूमते रहते थे. पर मैं ने गौर किया कि मेरी सब से छोटी ननद नीलू जो लगभग 6-7 साल की थी, मेरे सामने आने से कतराती थी. यदि वह कभी हिम्मत कर के पास आती भी थी तो उस के भाई उसे झिड़क देते थे. यहां तक कि मांजी भी हमेशा उसे अपने कमरे में जाने को बोलतीं. नीलू मुझे सहमी सी नजर आती.

शादी के कुछ दिन बाद घर मेहमानों से खाली हो गया था. कोई काम नहीं था तो सोचा कमरे में पेंटिंग ही लगा दूं. मैं अपने कमरे में पेंटिंग लगा रही थी कि देखा, नीलू चुपचाप मेरे पीछे आ कर खड़ी हो गई है. मुझे इस तरह उस का चुपचाप आना अच्छा लगा.

‘आओ नीलू, तुम अपनी भाभी के पास नहीं बैठोगी? तुम मुझ से बातें क्यों नहीं करतीं.’

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मैं उस से प्यार से अभी पूछ ही रही थी कि मेरा बड़ा देवर संजय आ गया और नीलू की ओर देख कर बोला, ‘अरे, भाभी, यह क्या बातें करेगी…इतनी बड़ी हो गई पर इसे तो ठीक से बोलना तक नहीं आता.’

संजय ने बड़ी आसानी से यह बात कह दी. मैं ने देखा कि नीलू का खिला चेहरा बुझ सा गया. मैं ने सोचा कि इस बारे में संजय को कुछ नसीहत दूं. पर तभी मांजी मेरे कमरे में आ गईं और आते ही उन्होंने भी नीलू को डांटते हुए कहा, ‘तू यहां खड़ीखड़ी क्या कर रही है. जा, जा कर पढ़ाई कर.’

नीलू अपने मन के सारे अरमान लिए चुपचाप वापस अपने कमरे में चली गई.

उस के जाने के बाद मांजी बोलीं, ‘देखो बहू, मैं ने तुम्हारे लिए यह सूट खरीदा है,’ और वह मुझे सूट दिखाने लगीं, पर मेरा मन नीलू पर ही लगा रहा.

शाम को जब यह घर आए तो चायनाश्ते के समय मैं ने इन से पूछा, ‘आप एक बात बताइए कि यह नीलू इतनी डरीसहमी सी क्यों रहती है?’

यह गौर से मुझे देखते हुए बताने लगे कि वह साफसाफ बोल नहीं पाती. दरअसल, नीलू ने बोलना ही देर से शुरू किया और 6 साल की होने के बावजूद हकलाहकला कर बोलती है.

‘आजकल तो कितनी मेडिकल सुविधाएं हैं. आप नीलू को किसी स्पीच थेरेपिस्ट को क्यों नहीं दिखाते?’

उस समय उन्होंने मेरी बात हवा में उड़ा दी पर मैं ने मन ही मन सोचा कि मैं खुद नीलू को दिखाने के लिए किसी स्पीच थेरेपिस्ट के पास जाऊंगी. इस बारे में जब मैं ने बाबूजी से बात की तो उन्होंने भी कोई उत्सुकता नहीं दिखाई लेकिन उन्होंने सीधे मना भी नहीं किया.

अगले हफ्ते मैं नीलू को शहर की एक लोकप्रिय महिला स्पीच थेरेपिस्ट के पास ले गई.

थोड़ी देर बाद जब थेरेपिस्ट नीलू का विश्लेषण कर के बाहर आईं तो बोलीं, ‘इस का हकला कर बोलना उतनी परेशानी की बात नहीं है जितना इस के व्यक्तित्व का दबा होना. इसे लोगों के सामने आने में घबराहट होती है क्योंकि लोग इस के हकलाने का मजाक उड़ाते हैं. इसी से यह खुल कर नहीं रहती और न ही बोल पाती है.’

मैं नीलू को ले कर घर चली आई. मैं ने निश्चय किया कि नीलू को ले कर मैं बाहर निकला करूंगी, उसे अपने साथ घुमाने ले जाया करूंगी और उस दिन से मैं नीलू पर और ज्यादा ध्यान देने लगी.

मैं ने नीलू के व्यक्तित्व को निखारने की जैसे कसम खा ली थी. इस के नतीजे जल्दी ही हम सब के सामने आने लगे. उस दिन तो घर में खुशी की लहर ही दौड़ गई जब नीलू अपने स्कूल में कविता प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार ले कर घर आई थी.

समय पंख लगा कर कितनी तेजी से उड़ गया, पता ही नहीं चला. मेरे सभी देवरों की शादी हो गई. अब घर में बस, नीलू ही थी. उस ने भी एम.ए. कर लिया था. हम लोग उस की शादी के लिए लड़का देख रहे थे. जल्द ही लड़का भी मिल गया जो डाक्टर था. परिवार के लोगों ने बड़ी धूमधाम से नीलू की शादी की.

शादी के बाद के कुछ महीनों तक तो सब कुछ ठीकठाक चलता रहा. धीरेधीरे मैं ने महसूस किया कि नीलू की आवाज में खुशी नहीं झलकती. मैं ने पूछा भी पर उस ने कुछ बताया नहीं और शादी के केवल 2 साल बाद ही नीलू अकेले मायके वापस आ गई.

उस के बुझे चेहरे को देख कर हम सभी परेशान रहते थे. मैं ने सोचा भी कि कुछ दिन बीत जाएं तो उस के ससुराल फोन करूं. क्या पता पतिपत्नी में खटपट हुई हो.

15 दिन बाद जब मैं ने नीलू के ससुराल फोन किया तो उस की सास व पति के जवाब सुन कर सन्न रह गई.

‘मेरा तो एक ही बेटा है, आप ने हम से झूठ बोल कर शादी की और अपनी तोतली बेटी हमें दे दी. उस पर वह बांझ भी है. मैं तो सीधे तलाक के पेपर भिजवाऊंगी,’ इतना कह कर नीलू की सास ने फोन काट दिया.

घर में सन्नाटा छा गया. मांजी ने मुझे भी कोसना शुरू कर दिया, ‘मैं कहती थी कि यह कभी ठीक नहीं होगी. तुम्हारे उस ‘स्पीच थेरेपी’ जैसे चोंचलों से कुछ होने वाला नहीं है. लो, देखो, अब रखो अपनी छाती पर इसे जिंदगी भर.’

मुझे नीलू की सास की बात सुन कर उतना दुख नहीं हुआ जितना कि अपनी सास की बातों से हुआ. दरअसल, नीलू एकदम ठीक हो गई थी पर नए माहौल में एकाध शब्द पर थोड़ा अटकती थी जोकि पता नहीं चलता था. पर उस के ससुराल वालों ने उसे कैसे बांझ करार दे दिया यह बात मेरी समझ में नहीं आई. क्या 2 साल ही पर्याप्त होते हैं किसी स्त्री की मातृत्व क्षमता को नापने के लिए?

खैर, बात काफी आगे बढ़ चुकी थी. आखिर तलाक हो ही गया. इस के बाद नीलू एकदम चुप सी रहने लगी. जैसे कि मेरी शादी के समय थी. बंद कमरे में रहना, किसी से बातें न करना.

एक दिन मैं ने जिद कर के नीलू को अपने साथ बाहर चलने के लिए यह सोच कर कहा कि घर से बाहर निकलेगी तो थोड़ा बदलाव महसूस करेगी. रास्ते में ही पड़ोस की बूआ का बेटा राजेश मिल गया. उस ने मुझे रोक कर नमस्कार किया और बोला, ‘भाभी, मुझे मुंबई में अच्छी नौकरी मिल गई है और कंपनी वालों ने रहने के लिए फ्लैट दिया है. किसी दिन मम्मी से मिलने के लिए आप मेरे घर आइए न.’

‘ठीक है भैया, किसी दिन मौका मिला तो आप के घर जरूर आऊंगी,’ इतना कह कर मैं नीलू के साथ बाजार चली गई.

एक दिन मैं बूआ के घर गई. उन का घरपरिवार अच्छा था. अपना खुद का कारोबार था. मैं ने बातों ही बातों में बूआ से नीलू का जिक्र किया तो वह बोल पड़ीं, ‘अरे, उस बच्ची की अभी उम्र ही क्या है? कहीं दूसरी शादी करा दें तो ठीक हो जाएगी.’

‘लेकिन बूआ, कौन थामेगा उस का हाथ? अब तो उस पर बांझ होने का ठप्पा भी लग गया है. यद्यपि मैं ने उस के तमाम मेडिकल चेकअप कराए हैं पर उस में कहीं कोई कमी नहीं है,’ इतना कहते- कहते मेरा गला जैसे भर्रा गया.

‘मैं कैसा हूं आप के घर का दामाद बनने के लिए?’ राजेश बोला तो मैं ने उसे डांट दिया कि यह मजाक का वक्त नहीं है.

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‘भाभी, मैं मजाक नहीं सच कह रहा हूं. मैं नीलू का हाथ थामने को तैयार हूं बशर्ते आप लोगों को यह रिश्ता मंजूर हो.’

मेरा मुंह आश्चर्य से खुला का खुला रह गया. आश्चर्य से मैं बूआ की ओर पलटी तो मुझे लगा कि उन्हें भी राजेश से यह उम्मीद नहीं थी.

थोड़ी देर रुक कर वह बोलीं, ‘मैं घूमघूम कर समाजसेवा करती हूं और जब अपने घर की बारी आई तो पीछे क्यों हटूं? फिर जब राजेश को कोई एतराज नहीं है तो मुझे क्यों होगा?’

राजेश मेरी ओर मुड़ कर बोला, ‘भाभी, जहां तक बच्चे की बात है तो इस दुनिया में सैकड़ों बच्चे अनाथ पड़े हैं. उन्हीं में से किसी को अपने घर ले आएंगे और उसे अपना बच्चा बना कर पालेंगे.’

राजेश के मुंह से ऐसी बातें सुन कर मुझे सहसा विश्वास ही नहीं हुआ. जिस की पहचान हम उस के पहनावे से करते रहे वह तो बिलकुल अलग ही निकला और जो सूटटाई के साथ ‘जेंटलमैन’ बने घूमते थे वह कितने खोखले निकले.

मेरे मन से राजेश के लिए सैकड़ों दुआएं निकल पड़ीं. मेरा रोमरोम पुलकित हो उठा था. मुझे टपोरी ड्रेस में भी राजेश किसी राजकुमार की तरह लग रहा था.

घर आ कर मैं ने यह बात परिवार के दूसरे लोगों को बताई तो सब इस के लिए तैयार हो गए और फिर जल्दी ही नीलू की शादी राजेश के साथ कर दी गई. शादी के साल भर बाद ही वे दोनों अनाथ आश्रम जा कर एक बच्चा ले आए और आज जब नीलू खुद मां बनने वाली है तो मेरा मन खुशी से झूम उठा है.

मैं ने राजेश से फोन पर बात की और उसे बधाई दी तो वह कहने लगा कि भाभी, हम मांबाप तो पहले ही बन चुके थे पर बच्चों से परिवार पूरा होता है न. बेटी तो हमारे पास पहले से ही है अब जो भी होगा उसे ले कर कोई गिलाशिकवा नहीं रहेगा, क्योंकि वह हमारा ही अंश होगा.

राजेश के मुंह से यह सुन कर सचमुच मन भीग सा गया. राजेश ने मानवता की जो मिसाल कायम की है, यदि ऐसे ही सब हो जाएं तो समाज में कोई परेशानी आए ही न. यह सोच कर मेरी आंखों में राजेश व उसके परिवार के प्रति कृतज्ञता के आंसू आ गए.

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