Health Insurance के हैं कई फायदे

कोरोना महामारी का कहर अभी भी बरकरार है. अगर किसी व्यक्ति को कोरोना या उस से जुड़े कौंप्लीकेशंस होते हैं और उस का इलाज प्राइवेट अस्पताल में होता है तो कुल खर्च ₹10 से ₹12 लाख तक जा सकता है. कोरोना के अलावा भी तमाम तरह की बीमारियां हैं जो लोगों को परेशान करती हैं और उन के इलाज में लोगों की सारी जमापूंजी खत्म हो जाती है. यही वजह है कि हैल्थ इंश्योरैंस के महत्त्व को नकारा नहीं जा सकता.

कोरोनाकाल में हम सभी को इस सवाल का जवाब भी मिल गया है कि अचानक आई बीमारी से निबटने, सही इलाज और परिवार की सुरक्षा के लिए ₹2-3 लाख का साधारण हैल्थ इंश्योरैंस कुछ भी नहीं है. वह भी तब जब घर में एक व्यक्ति से ज्यादा लोग एकसाथ बीमार हो जाते हैं. कोरोना के दौर में इस तरह का वाकेआ आप के आसपास ही कई घरों में दिखा होगा. इसलिए अगर आप के पास कोई हैल्थ इंश्योरैंस की पौलिसी नहीं है तो आप जल्द से जल्द एक अच्छी पौलिसी अवश्य ले लें.

यदि आप ऐंप्लोई ग्रुप बीमा कवर में आते हैं, तब भी आप अपने लिए कम से कम ₹5 से ₹10 लाख का हैल्थ इंश्योरैंस अवश्य ले लें. अगर आप ने इंश्योरैंस लिया हुआ है तो भी उसे मौजूदा हालात के हिसाब से रीशेप करना जरूरी है. आप चाहें तो एक इंश्योरैंस कंपनी से दूसरी कंपनी में शिफ्ट भी कर सकते हैं. जिस कंपनी द्वारा ज्यादा सुविधाएं दी जा रही हैं उसे चुन सकते हैं.

आइए जानते हैं इस के बारे में:

फैमिली फ्लोटर स्वास्थ्य बीमा योजना

लगभग हर बीमा कंपनी बेसिक हैल्थ इंश्योरैंस कवर उपलब्ध कराती है, जिस में अस्पताल में भरती होने से पहले के खर्चों के अलावा अस्पताल में भरती होने के बाद का खर्च, दवाइयों के लिए खर्च, डाक्टर की फीस और जांच आदि भी शामिल हैं. बेसिक हैल्थ इंश्योरैंस 2 प्रकार के होते हैं- पहला इन्डिविजुअल और दूसरा फैमिली फ्लोटर. इन्डिविजुअल में सिर्फ आप को कवरेज मिलता है जबकि फैमिली फ्लोटर में पूरे परिवार को कवरेज मिलता है.

फैमिली फ्लोटर स्वास्थ्य बीमा योजना आमतौर पर एक व्यक्ति, उस के जीवनसाथी और उस के बच्चों को कवर करती है. हालांकि कुछ बीमा कंपनियां बीमा पौलिसी खरीदने वाले के आश्रित मातापिता, भाईबहन और सासससुर को भी कवरेज देती हैं. फैमिली फ्लोटर स्वास्थ्य बीमा का एक फायदा यह भी है कि कम रकम में पूरे परिवार को सुरक्षा मिल जाती है. आवश्यकता पड़ने पर एक व्यक्ति द्वारा अधिक धनराशि का उपयोग भी किया जा सकता है. इसलिए आज के समय में फैमिली फ्लोटर स्वास्थ्य बीमा योजना एक बेहतरीन औप्शन है.

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लिमिट/सब लिमिट वाला प्लान न लें

कई हैल्थ पौलिसीज में अस्पताल में कमरे के किराए की सीमा तय होती है. ऐसी लिमिट वाली पौलिसीज से बचें. यह आप के हाथ में नहीं है कि आप के इलाज के दौरान आप को किस कमरे में रखा जाएगा. वैसे भी कोरोनाकाल में हम ने देखा है कि अचानक गंभीर रूप से बीमारी और फिर कई सप्ताह हौस्पिटल में एडमिट होने की नौबत आ सकती है. उस पर अलग कमरे में क्वारंटाइन में रहने की जरूरत भी होती है. कई बार जो बैड या रूम मिला वही लेना पड़ता है. आप यह नहीं कह सकते कि सस्ते वाले बैड पर शिफ्ट करो. ऐसे में खर्च के लिए स्वास्थ्य बीमा कंपनी द्वारा कोई सब लिमिट तय किया जाना आप के लिए ठीक नहीं है. हैल्थ पौलिसी खरीदते या रीशेप करते वक्त इस बात का ध्यान रखें और ऐसी पौलिसी न लें.

ताउम्र रिन्यू की सुविधा

ऐसी पौलिसी लें जिसे जीवन में किसी भी समय रिन्यू कराया जा सके. दरअसल, उम्र बढ़ने पर इलाज के लिए रुपयों की जरूरत ज्यादा होती है क्योंकि बड़ी उम्र में बीमारियों का हमला अधिक होता है. आमतौर पर इस समय तक इंसान रिटायर भी हो चुका होता है. उस के पास इलाज कराने के लिए पैसे नहीं होते. इन सब बातों का खयाल रखना जरूरी हो जाता है.

कोरोना कवच

आप कोरोना के इलाज के लिए अलग से भी पौलिसी ले सकते हैं. आईआरडीएआई के निर्देश पर इंश्योरैंस कंपनियों ने कोरोना स्पैशल पौलिसी लौंच की है. इसे कोरोना कवच के नाम से जाना जाता है. इस के लिए बीमा की राशि ₹50 हजार से ₹5 लाख तक है. कोरोना कवच पौलिसी शौर्ट टर्म के लिए साढ़े तीन महीने, साढ़े छह महीने और साढ़े नौ महीने के लिए हो सकती है.

घर पर इलाज कराने पर इंश्योरैंस का फायदा

कोरोना जैसी संक्रामक बीमारी के इस दौर में कई कंपनियां घर पर ही रह कर इलाज कराने पर होने वाले खर्च को भी कवर कर रही हैं. इस के अलावा कई बीमा कंपनियां सरकार द्वारा बनाए जाने वाले क्वारंटाइन सैंटर पर भरती हो कर इलाज कराने पर होने वाले खर्च को भी कवर कर रही हैं. इंश्योरैंस लेते समय यह देख लें कि आप की कंपनी यह सुविधा दे रही है या नहीं.

महामारी को कवर करे

वैसे तो अधिकांश स्वास्थ्य बीमा पौलिसियां कोरोना जैसी महामारियों को कवर करती हैं. हालांकि यह मुख्य रूप से पौलिसी पर निर्भर करता है. कुछ पौलिसीज ऐसी भी हैं जो महामारी को कवर नहीं करती हैं. आप को पौलिसी दस्तावेज पढ़ने चाहिए और उसी हिसाब से पौलिसी लेनी चाहिए जिस में इसे कवर किया गया हो.

इन्वैस्टमैंट एडवाइजर मनीषा अग्रवाल कहती हैं कि कोई भी पौलिसी लेते समय कुछ और महत्त्वपूर्ण बातों का खयाल जरूर रखें.

कैशलैस पौलिसी ज्यादा बैस्ट

ऐसी इंश्योरैंस पौलिसी खरीदनी चाहिए जो कैशलैस सुविधा दे रही हो. कैशलैस इंश्योरैंस पौलिसी का फायदा यह होता है कि पौलिसीधारक को अस्पताल का बिल नहीं चुकाना होता है बल्कि वे इस के लिए सीधे इंश्योरैंस कंपनी से संपर्क करते हैं.

हैल्थ इंश्योरैंस पौलिसी लेते समय इस बात का भी विशेष ध्यान रखें कि आप जिस शहर में रहते हैं, वहां के बड़े और अच्छी सुविधा वाले अस्पताल कैशलैस अस्पतालों की सूची में शामिल हों. इस से आप को किसी भी प्रकार की दिक्कत महसूस नहीं होगी, आप आसानी से हेल्थ इंश्योरैंस का फायदा उठा सकते हैं.

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क्लेम सैटलमैंट

जिस कंपनी का क्लेम रेशो अच्छा हो यानी ज्यादा से ज्यादा लोगों के क्लेम सैटल कर रही हो और उस में आप की सारी जरूरतें पूरी हो रही हों वही पौलिसी लें.

रीफिल बैनिफिट का औप्शन

अगर आप की ₹5 लाख की पौलिसी है और वे रुपए एक बीमारी में खर्च हो गए जबकि 3 माह बाद फिर कोई बीमारी हो जाती है तो ऐसे में पौलिसी ऐसी लें जिस में रिफिल का औप्शन हो ताकि आप को दूसरी बीमारी के लिए भी पैसे मिल जाएं.

ज्यादातर पौलिसीज में यह बैनिफिट सेम पर्सन सेम डिजीज और डिफरैंट पर्सन सेम डिजीज के लिए भी मिल जाता है.

को पेमैंट से बचें

कुछ प्लान्स में को पेमैंट की भी बात होती है यानी किसी बीमारी के इलाज में जितना खर्च आया उस का कुछ प्रतिशत पौलिसीधारक को भी देना होता है. कई ऐसे प्लान्स भी हैं जिन में

60+ वाले लोगों के लिए खासतौर पर को पेमैंट का औप्शन लगा दिया जाता है यानी पूरा पैसा कंपनी के द्वारा नहीं दिया जाएगा बल्कि इस में कुछ खर्च आप को भी करना होगा. इस तरह के प्लान लेने से बचें और यदि लिया हुआ है तो बदलवा लें.

टौपअप प्लान

मौजूदा हालात को देखते हुए बहुत सी कंपनियों के टौपअप प्लान आ गए हैं. मान लीजिए आप का ₹5 लाख का इंश्योरैंस है तो ₹डेढ़ दो हजार की मामूली रकम से ही आप को एडिशनल ₹5 लाख का टौपअप मिल जाता है यानी औलरैडी रनिंग पौलिसी ₹5 लाख की है और उस में ₹5 लाख का टौपअप ले लिया जाए तो आप को कुल ₹10 लाख का बीमा कवर मिल जाएगा. जाहिर है ऐसा प्लान फायदे का सौदा है.

हर बीमा कंपनी के अपने नियम होते हैं. हैल्थ पौलिसी खरीदने से पहले यह जान लें कि उस में कितना और क्याक्या कवर होगा. जिस पौलिसी में ज्यादा से ज्यादा चीजें जैसे टैस्ट का खर्च और ऐंबुलैंस का खर्च कवर हो उस पौलिसी को लेना चाहिए ताकि आप को जेब से पैसे खर्च न करने पड़ें.

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न उड़े मर्दानगी का मजाक तो घटे रेप की वारदात

आए दिन बलात्कार की घटनाएं हमें झंझोड़ कर रख देती हैं, पर हम इन्हें  रोकने के लिए कुछ कर नहीं पाते. सरकारे और पुलिस कुछ मेजर स्टैप्स लेने के बाद भी इन्हें घटने से रोक नहीं पा रही. जाहिर है सरकार को और भी सख्त कानून लाना होगा, साथ ही सुरक्षा व्यवस्था भी तगड़ी करनी होगी. सरकार के साथसाथ हम सब का दायित्व भी कम नहीं. टीवी चैनलों पर शायद ही कोई ऐसा दिन जाता हो, जिस में रेप की खबर न शामिल हुई हो. हमारे समाज की यह बहुत ही शर्मनाक स्थिति है. आखिर ऐसा क्यों हो रहा है?

स्थिति का सूक्ष्मता से अवलोकन करने पर बहुत कारण प्रकाश में आते हैं जैसे गूगल, यूट्यूब पर बेशुमार वल्गर वीडियोज, फिल्म, घटिया, विज्ञापन,्र गलत परवरिश, मर्दानगी साबित करने की बलवती इच्छा, बदला, दुश्मनी, जगहजगह नशे की दुकानें मौडर्न सोच दिख कर लडक़ों पर अंधा भरोसा करती लड़कियां, सार्वजनिक स्थलों पर उत्तेजक पहनावा, हावभाव दोहरे अर्थ वाले संवाद घटिनया सोच, घटती इंसानियत इत्यादि. एक और बहुत बड़ा और महत्त्वपूर्ण कारण है लडक़ों की मर्दानगी का मजाक उड़ाना या उन्हें उकसाना, जिस में कभी दोस्त, कभी रिश्तेदार तो कभी खुद लड़कियां शामिल होती हैं. ‘अरे यह तो मूंछों वाला बच्चा है’, ‘इस के तो अभी दूध के भी दांत नहीं टूटे’, ‘कहीं तीसरा जैंडर तो नहीं’, आदि. घृणित वाक्यों से लडक़ों की मर्दानगी को ठेस पहुंचते हैं जो उन के लिए असहनीय हो जाती हैं. इस से आहत हो कर वे अपनी मर्दानगी साबित करने के लिए बलात्कार जैसा अनैतिक, घृणित कदम उठा लेते हैं.

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बचपन से ही लडक़ों के दिमाग में ये बातें अच्छी तरह बैठा दी जाती हैं कि ‘तुम लडक़ी थोड़े ही हो? मर्द हो, ताकत वर हो’, ‘लडक़े रोते थोड़े ही हैं, रोती तो लड़कियां है’, ‘मतलब यह कि तुम ज्यादा भावुक, जज्बाती भी नहीं हो सकतें’, ‘मर्द को दर्द नहीं होता’, ‘मर्द हो. मतलब तुम्हें फौलाद सा कठोर होना है’, ‘किसी आघात चोट का जल्दी तुम्हारे तनमन पर असर नहीं होगा, जल्दी असर तो लड़कियों पर होता है.’

लडक़े घर में भी बहन, मां, बूआ, चाची, लड़कियों को देखते हैं कि उन्हें देर रात बाहर नहीं जाने दिया जाता, क्योंकि बाहर उन्हें मर्दों से खतरा रहता है, कोई उन से जोरजबरदस्ती कर सकता है. पर लडक़ों को कोई डर नहीं, क्योंकि वे मर्द है. समाज में उन का बलात्कार अथवा यौन शोषण हो जाए तो उसे कलंक की भी संज्ञा नहीं दी जाती.

सामाजिक दृष्टि से लडक़े अपने भविष्य के लिए भी निङ्क्षश्चत होते हैं, क्योंकि उसी घरपरिवार में इज्जत से उन्हें हमेशा रहना है. उन्हें मालूम है उन्हें विदा हो कर कहीं और नहीं जाना. वे ही घरपरिवार के वारिस हैं. वे दिल से हिम्मती और शरीर से बलवान भी अतएव जन्म से ही शारीरिक, मानसिक और सामाजिक सभी स्थितियों से मजबूत, स्वतंत्र वे भारतीय समाज में शुरू से ही लड़कियों से ऊंची पोजीशन पर रखे जाते हैं. यह बात उन्हें घुट्टी में पिलाई जाती है, जो उन के मनमस्तिष्क में घर कर लेती है जो उन में कुछ ज्यादा ही आत्मविश्वास भर अपने को उच्चतम मान लेने की सोच देती है. ऐसे में वे जब किशोर, जवान होने लगते हैं तब किसी ने भी यदि उन की मर्दानगी पर शब्दों के प्रहार किए तो वे बेहद आहत हो उठते हैं. तब चोट खाए वे अपनी मर्दानगी साबित करने के लिए कुछ भी कर डालते हैं. यहां तक कि किसी भी उम्र की किसी भी लडक़ी, महिलाका बलात्कार जैसे कुकृत्य भी कर डालते है. कभीकभी तो बलात्कार पीडि़ता की हत्या तक भी कर देते हैं.

आज के समाज में कई तरह के वर्गों का आपस में मेलजोल शुरू हो गया है. पहले पिछड़े लोग ऊंचे घरों को डर की नजर से देखते थे. पिछड़ों की लड़कियों को तो बलात्कार किया जाना आम था पर अब उलटा भी होने लगा है और पैसा पातीं और पौवर वाली पिछड़ी जातियां बिना जाति पूछे मौके का काम उठा लेती हैं. लड़कियों को भी एकदूसरे वर्ग के तौरतरीकों का ज्यादा पता नहीं होता. वे सोचती है कि हर लडक़ा उन के घर सा होगा पर कुछ घरों में बहुत कुछ छिपा हुआ चलता है चाहे उसे हमेशा नकारा जाता है.

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आज के समय में स्वार्थ, सुख, मजा, पैसा ही जब सर्वोपरि रह गया है तो ऐसे में दूसरे के दर्द, पीड़ा के वैसे ही कोई माने नहीं रह गए हैं. पैसा, सुविधा, स्वार्थ और अपना मजा हवस आदमी को मशीनी बना रही है. भावनाएं निर्मोल होती जा रही है. दूसरे की भावनाओं से खिलवाड़ कभीकभी बहुत महंगा भी पड़ जाता है. अत: किशोर से युवा बन रहे अथवा बन चुके लडक़ों की कोमल मनोस्थिति को समझें, उन की भावनाओं से खिलवाड़ कर उन का मजाक उड़ाने से बचें. उन की मर्दानगी का मजाक महिलाओं के बल, बुद्धि योग्यता और साहस का महत्त्व भी समझाना होगा. साथ ही यह भी कि लड़कियां भी लडक़ों की ही तरह बुद्धिमान विचारवान इंसान हैं, जो आज हर क्षेत्र में, परिवार, समाज, राष्ट्र क्या विश्व स्तर तक प्रगति मं अपना भरपूर योगदान दे रही हैं. उन्हें सम्मान देना ही होगा.

बलात्कार जैसे कुकृत्य से भले लडक़े अपने ईगो को संतुष्ट कर लें पर जब ऐसी घटनाएं खुद उन के अपनों पर घटती हैं तो वे उन के लिए भी असहनीय होती हैं. अत: लडक़ों की मर्दानगी का मजाक उड़ाने पर अंकुश लगने से यकीनन रेप की घटनाओं में कमी आएगी.

वर्किंग वाइफ पसंद करते हैं पुरुष

दिलचस्प बात यह है कि जहां लोग पहले शादी के लिए कामकाज में दक्ष, संस्कारी और घरेलू लड़की पसंद करते थे वहीं आज इस ट्रेंड में बदलाव नजर आ रहा है. अब पुरुष शादी के लिए घर बैठी लड़की नहीं बल्कि वर्किंग वूमन पसंद करने लगे हैं. अपनी वर्किंग वाइफ का दूसरों से परिचय कराते हुए उन्हें गर्व महसूस होता है. आइये जानते हैं पुरुषों की इस बदलती सोच की वजह;

पति की परिस्थितियों को समझती है

अगर पत्नी खुद भी कामकाजी है तो वह पति की काम से जु़ड़ी हर परेशानी को बखूबी समझ जाती है. वह समयसमय पर न तो पति को घर जल्दी आने के लिए फोन करती रहेगी और न घर लौटने पर हजारों सवाल ही करेगी. इस तरह पतिपत्नी का रिश्ता स्मूथली चलता रहता है. दोनों हर संभव एक दूसरे की मदद को भी तैयार रहते हैं. यही वजह है कि पुरुष कामकाजी लड़कियां खोजने लगे हैं.

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अपना खर्च खुद उठा सकती हैं

जो महिलाएं जौब नहीं करतीं वे अपने खर्चे के लिए पूरी तरह पति पर निर्भर होती हैं. छोटी सी छोटी चीज़ के लिए भी उन्हें पति और घरवालों के आगे हाथ पसारना पड़ता है. दूसरी तरफ वर्किंग वूमन खर्चों को पूरा करने के लिए पति पर डिपेंडेंट नहीं रहती हैं. वे न सिर्फ अपने खर्चे खुद उठाती हैं बल्कि समय पड़ने पर परिवार की भी मदद करती हैं.

पौजिटिव होती हैं

कामकाजी महिलाओं पर हुई एक रिसर्च के मुताबिक ज्यादातर वर्किंग वूमन सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर रहती हैं. उन के अंदर आत्मविश्वास और चीज़ों को हैंडल करने का अनूठा जज्बा होता है. उन्हें पता होता है कि किस परेशानी से किस तरह निपटना है.इस लिए वे छोटी छोटी बातों पर हाइपर नहीं होती न ही घबड़ाती हैं. उन्हें पता होता है कि प्रयास करने पर वे काफी आगे बढ़ सकती हैं.

खर्च कम बचत ज्यादा

आज की महंगाई में यदि पतिपत्नी दोनों कमाई करते हैं तो जिंदगी आसान हो जाती है. आप को कोई भी प्लान बनाते समय सोचना नहीं पड़ता. भविष्य के लिए बचत भी आसानी से कर पाते हैं. घर और वाहन खरीदने या फिर किसी और जरुरत के लिए लोन लेना हो तो वह भी दोनों मिल कर आसानी से ले लेते हैं और किश्तें भी चुका पाते हैं. आलम तो यह है कि आज महिलाएं लोन लेने और उसे चुकाने के मामले में पुरुषों से कहीं आगे हैं. वे न सिर्फ पारिवारिक और सामाजिक दृष्टि से बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी घर की धुरी बनती जा रही है.

बढ़ रही है लोन लेने वाली औरतों की संख्या

क्रेडिट इन्फौर्मेशन कंपनी ‘ट्रांसयूनियन सिबिल’ की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार पिछले 3 सालों में कर्ज लेने के मामले में महिला आवेदको की संख्या लगातार बढ़ रही हैं. देखा जाए तो औरतों ने मर्दों को पीछे छोड़ दिया है.

रिपोर्ट के अनुसार, ‘साल 2015 से 2018 के बीच कर्ज लेने के लिए सफल महिला आवेदकों की संख्या में 48 फीसदी की बढ़त हुई है. इस की तुलना में सफल पुरुष आवेदकों की संख्या में 35 फीसदी की बढ़त हुई है. हालांकि कुल कस्टमर बेस के हिसाब से अभी भी कर्ज लेने वाले पुरुषों की संख्या काफी ज्यादा है.

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रिपोर्ट के अनुसार करीब 5.64 करोड़ के कुल लोन अकाउंट में अब भी ज्यादा हिस्सा गोल्ड लोन का है, हालांकि साल 2018 में इस में 13 फीसदी की गिरावट आई है. इस के बाद बिजनेस लोन का स्थान है. कंज्यूमर लोन, पर्सनल लोन और टू व्हीलर लोन के लिए महिलाओं की तरफ से मांग साल-दर-साल बढ़ती जा रही है.

आज हर 4 कर्जधारकों में से एक महिला है. यह अनुपात और भी बदलेगा क्यों कि कर्ज लेने लायक महिलाओं की संख्या पुरुषों के मुकाबले ज्यादा तेजी से बढ़ रही है. बेहतर शिक्षा और श्रम बाजार में बेहतर हिस्सेदारी की वजह से अब ज्यादा से ज्यादा महिलाएं अपने वित्तीय फैसले खुद ले रही हैं.

GHKKPM: भवानी का होगा एक्सीडेंट, श्रुति के बच्चे की बात जानेगी सोनाली

सीरियल गुम है किसी के प्यार में (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin) की कहानी में इन दिनों फैमिली ड्रामा देखने को मिल रहा है. जहां पाखी (Aishwarya Sharma) और सोनाली, विराट (Neil Bhatt) को ताने मारती नजर आ रही हैं. तो वहीं अपमकिंग एपिसोड में श्रुति के बाद उसके बच्चे का भी सच चौह्वाण परिवार के सामने आने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin Latest Update) …

विराट ने छोड़ा घर

 

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अब तक आपने देखा कि चौह्वाण परिवार के सवालों से परेशान होकर विराट घर छोड़ने का फैसला करता है. हालांकि भवानी चाहती है कि विराट और सई के बीच का रिश्ता एक बार फिर ठीक हो जाए. लेकिन ओंकार और सोनाली, विराट की हरकत का जिम्मेदार भवानी को मानते नजर आ ती है. वहीं भवानी इस दौरान गुस्से में चली जाती है.

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सोनाली को पता चलेगा सच

 

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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि झगड़े के दौरान सीड़ियों में भवानी का पैर फिसल जाएगा और उसका सिर लग जाएगा, जिसके बाद पूरा परिवार अस्पताल जाएगा. जहां सभी की मुलाकात सई से होगी. इसी बीच सोनाली, विराट की गोद में बच्चे को देखेगी. वहीं इस दौरान विराट कहता नजर आएगा कि उसकी मां अभी आती ही होगी, जिसे सुनकर सोनाली हैरान रह जाएगी. वहीं ये पूरी बात जाकर चौह्वाण परिवार को बताएगी.

श्रुति को जिम्मेदार मानेगा सम्राट

दूसरी तरफ, पाखी और सम्राट के बीच बहस होगी, जिसमें सम्राट, श्रुति को जिम्मेदार मानते हुए कहेगा कि अगर श्रुति उसके सामने आई तो वह उसे छोड़ेगा नहीं. हालांकि पाखी, सम्राट से कहेगी कि केवल श्रुति की गलती नही है. विराट भी उतना ही दोषी है.

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Anupama: वनराज को काव्या से बड़ा दोषी ठहराएगी नंदिनी, परिवार के सामने कहेगी ये बात

सीरियल अनुपमा (Anupama) में इन दिनों काव्या (Madalsa Sharma), शाह परिवार से दूर नजर आ रही हैं. हालांकि उसके कारण नंदिनी और समर की जिंदगी में बवाल देखने को मिल रहा है. वहीं अपकमिंग एपिसोड में नंदिनी, काव्या के लिए वनराज पर बरसती हुई भी नजर आने वाली है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

नंदिनी-समर की हुई लड़ाई

 

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अब तक आपने देखा कि जहां मालविका और अनुज के कहने पर अनुपमा कपाड़िया हाउस में रहने का फैसला करती है तो वहीं शाह हाउस में समर और नंदिनी के बीच लड़ाई देखने को मिलती है. दरअसल, नंदिनी, समर से पूछती है कि जब सभी की गलतियों को माफ किया जा सकता है, तो उसकी मासी काव्या को माफ क्यों नहीं किया जाता. हालांकि समर जवाब देते हुए कहता है कि पश्चाताप करने वाले की गलतियों को माफ किया जाता है, इसलिए उसे अपनी मासी से 9 साल तक धोखा देने के लिए अनुपमा से माफ़ी मांगने के लिए कहना चाहिए. इसी के चलते दोनों के बीच बहस इतनी बढ़ जाती है कि दोनों अपने रिश्ते को खत्म करने के बारे में एक बार सोचने के लिए कहते हैं.

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वनराज के लिए ये बात कहेगी अनुपमा

 

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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुज, अनुपमा को वनराज को समझाने के लिए शुक्रिया कहेगा. हालांकि अनुपमा उससे कहेगी कि वनराज और मालविका के पति में कोई अंतर नहीं है. क्योंकि मालविका के पति ने उसके साथ शारीरिक हिंसा की है. लेकिन वनराज ने उसे अपनी बातों और 9 साल तक अफेयर के धोखे से दर्द दिया है. इसीलिए दोनों उसके लिए बराबर है.

 

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नंदिनी दिखाएगी वनराज को आईना

 

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इसके अलावा आप देखेंगे कि नंदिनी से हुई लड़ाई के बाद समर टूट जाएगा, जिसके चलते अनुपमा उसे दिलासा देगी. वहीं समर कहेगा कि घर में एक तलाक से पूरा परिवार बिखर गया. इसीलिए शादी से पहले रिश्ता तोड़ लेना ही बेहतर है. अनु सोचेगी कि अगर समर यहां दर्द में है, तो नंदिनी का क्या हाल होगा. वहीं नंदिनी शाह हाउस जाकर वनराज को कहेगी कि वह अपनी पूर्व पत्नी, उसके दोस्त और पूरी दुनिया के लिए चिंतित है, न कि उसकी मासी काव्या के लिए. वहीं वनराज कहेगी कि उनकी मासी ने सबसे ज्यादा गलतियां की हैं. लेकिन नंदिनी कहेगी कि काव्या से ज्यादा कोई और यानी वनराज ज्यादा गलतियां कर चुका है, जिससे वनराज ज्यादा चिढ़ जाएगा.

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5 बातें रिजैक्ट कर देतीं Proposal

जब प्रपोज करने पर हमेशा नाकामयाबी ही मिलती हो तो दिल टूट जाता है. समझ नहीं आता कि आखिर हम में ऐसी क्या कमी रह गई थी जो हमारा प्यार अधूरा रह गया. इस स्थिति में आप के लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि पार्टनर ने आप को क्यों न कहा आइए, जानते हैं इस संबंध में:

ऐटिट्यूड भरा प्रोपोजल

भले ही आप ने अपने क्रश को प्रपोज तो कर दिया, लेकिन वह प्रोपोजल आप का ऐटिट्यूड से भरा हुआ हो, तो हमेशा आप को न ही सुनने को मिलेगी क्योंकि आप जिसे भी प्रपोज करें वह नहीं चाहेगा कि जिस से वह संबंध जोड़ने जा रहा, उस में ऐटिट्यूड हो. फिर चाहे आप कितनी भी गुड लुकिंग क्यों न हों.

आप के प्रोपोजल को न करने पर मजबूर कर ही देगा क्योंकि जिस में अभी इतना ऐटिट्यूड है आगे कितना होगा, कहा नहीं जा सकता. इसीलिए आप को हमेशा अपने क्रश को प्रपोज करने में असफलता मिलती है.

टिप: जब भी आप अपने पार्टनर को प्रपोज करने जाएं तो आप के प्रोपोजल का तरीका बहुत ही सौफ्ट व उसे आकर्षित करने वाला होना चाहिए न कि रोब व ऐटिट्टूड से भरा हुआ हो.

आप का गुड लुकिंग नहीं होना

हो सकता है कि आप जब भी अपने क्रश को प्रपोज करते हों, तो आप को न ही सुनने को मिलता हो. ऐसा इसलिए क्योंकि आप उसे प्रपोज करने तो पहुंच गए, लेकिन अपने हुलिए पर जरा ध्यान नहीं दिया. ऐसे में आप के क्रश से आप को न ही सुनने को मिलेगी, क्योंकि कोई भी लड़की यह नहीं चाहेगी कि उस का पार्टनर दिखने में अच्छा न हो, क्योंकि कहते हैं न कि बातों का इफैक्ट लोगों पर बाद में पड़ता है पहले तो चेहरा ही वर्क करता है. ऐसे में प्रपोज करने से पहले अपने हुलिए पर ध्यान जरूर दें.

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टिप: भले ही आप को टिपटौप रहने का शौक न हो, लेकिन जब आप अपने क्रश को प्रपोज करने जा रहे हों तो खुद को टिपटौप बना कर ही जाएं ताकि लड़की की नजर में आप पहली बार ही बस जाएं और वह आप के प्रोपोजल को न न कर पाए. गुड लुकिंग, हैंडसम बौय की चाह हर लड़की को होती है.

इशारों के बाद प्रपोज करना

कुछ लड़कों की यह आदत होती है कि वे जिसे पसंद करते हैं उसे इशारों से अपने मन का हाल बताने की कोशिश करते हैं, जबकि लड़कियां ऐसे लड़कों से दूरी बनाने में ही समझदारी समझती हैं, क्योंकि ऐसे लड़के उन्हें नियत के सही नहीं लगते. उन्हें लगता है कि जो अभी ऐसी हरकत कर रहा है वह आगे किस हद तक चला जाएगा, कहा नहीं जा सकता. ऐसे में वे उस के प्रपोज करते ही उसे साफ इनकार कर देती हैं.

टिप: जिस पर भी आप का क्रश है और आप उसे प्रपोज करने के बारे में सोच रहे हैं तो इस बात का खास ध्यान रखें कि आप भले ही उसे छिपछिप कर देखें, लेकिन उसे इशारे न करें. जब भी उसे प्रपोज करें तो आप की आंखों में उस के लिए प्यार दिखे न कि एक अजीब सी शरारत.

शो औफ कर के प्रपोज करना

अगर आप अपने क्रश को प्रपोज करने जा रहे हैं और उसे अपने पैसों का रुतबा दिखा कर प्रपोज कर रहे हैं तो यकीन मानिए आप को न ही सुनने को मिलेगी, क्योंकि जो शुरुआत में ही इतना दिखावा कर रहा है वह आगे भी अपने पैसों के बल पर मुझे नीचा दिखाने की कोशिश करेगा, ऐसा सोच कर लड़की आप के गुड लुकिंग होते हुए भी आप को न करने में ही समझदारी समझेगी.

टिप: जब प्रपोज करने के लिए जाएं तो आप इस बात का ध्यान रखें कि आप की पर्सनैलिटी व आप के प्रपोज करने के अंदाज में पैसों का दिखावा जरा भी न हो.

ज्यादा स्मार्ट बनना

कुछ लड़कों की यह आदत होती है कि वे लड़कियों के सामने खुद को जरूरत से ज्यादा स्मार्ट दिखाने की कोशिश करते हैं. इसी चक्कर में जब वे अपने क्रश को अपना बनाने के बारे में सोचते हैं तब उन की यह स्मार्टनैस उन के रिजैक्शन के रूप में सामने आती है, क्योंकि कोई भी लड़की जरूरत से ज्यादा स्मार्ट बनने वाले लड़के को पसंद नहीं करना चाहती. ऐसे में बस वे यही सोचते रह जाते हैं कि लड़की ने उन्हें रिजैक्ट क्यों किया, जबकि उन्होंने तो उन्हें पहल कर के पहले प्रपोज किया.

टिप: ओवर स्मार्टनैस को एक तरफ रख कर कूल डाउन हो कर इस अंदाज में प्रपोज करें कि आप का क्रश आप को हां कहे बिना न रह सके.

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गठिया बाय: सिर्फ जोड़ों की समस्या नहीं

गठिया का नाम सुनते ही अधिकतर लोग मान लेते हैं कि आप जोड़ों के घिसाव की बात कर रहे हैं और इससे अधिकतर वृद्ध पीडि़त होते हैं. परंतु वो ऑस्टियोआर्थराइटिस यानी अस्थिसंधिशोध है. गठिया बाय एक अलग स्थिति है. यह वृद्धावस्था की स्थिति नहीं है. दरअसल, गठिया बाय किसी भी उम्र में हो सकता है, यहां तक कि बच्चे भी इससे प्रभावित हो सकते हैं.

गठिया बाय  एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसका अर्थ है कि हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली हमारी रक्षा करने की बजाय स्वस्थ ऊतकों (जैसे जोड़ों) पर हमला कर देती है और सूजन और दर्द का कारण बनती है. शुरुआत में यह हाथों के छोटे जोड़ों को प्रभावित करता है और बाद में कलाई, कोहनी, कंधे, टखने, घुटने आदि जैसे अन्य जोड़ों पर हमला करना शुरू कर देता है. जोड़ों के अलावा यह शरीर के अन्य अंगों जैसे हृदय, फेफड़े, त्वचा, गुर्दे, आंखें आदि पर भी हमला कर सकता है. इसलिए यह मत सोचिए कि गठिया बाय सिर्फ जोड़ों की समस्या है, यह बहुत अधिक गंभीर समस्या है और इसका तत्काल उपचार करना आवश्यक है.

गठिया बाय के उपचार के लिए अब कई दवाएं उपलब्ध हैं, जो गठिया बाय को जल्दी से नियंत्रित करती हैं और इसकी जटिलताओं को रोकती हैं.

यदि आपको निम्नलिखित लक्षण दिखाई दें तो तुरंत अपने चिकित्सक से परामर्श करें-

– 6 सप्ताह से अधिक समय तक जोड़ों में दर्द, सूजन और जकड़न होना.

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– सुबह उठने पर या थोड़ी देर बैठने के बाद जोड़ों में 30 मिनट से अधिक समय तक रहनेवाली और बेवजह की जकड़न महसूस होना.

– बहुत ज्यादा थकावट लगना.

– चीजों को पकड़ने या मुट्ठी बनाने में कठिनाई.

– सीढि़यां चढ़ने या गाड़ी से बाहर निकलने में कठिनाई.

– गठिया बाय का शीघ्र निदान और उचित उपचार होने वाली जटिलताओं से बचा सकता है और आपको बेहतर जीवन जीने में मदद कर सकता है.

यदि गठिया बाय को नजरअंदाज किया गया या इसका सही उपचार नहीं किया गया, तो इसका गंभीर परिणाम हो सकता है.

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काजल आंखों से फैल जाता है, मैं क्या करुं?

सवाल- 

मु झे काजल लगाना बहुत पसंद है. लेकिन जब भी काजल लगाती हूं वह फैल जाता है. कोई इलाज बताएं जिससे कि मेरा काजल फैले नहीं?

जवाब-

आजकल मार्केट में बहुत अच्छी क्वालिटी के काजल उपलब्ध हैं जो स्मजप्रूफ और वाटरप्रूफ होते हैं. वे जल्दी फैलते नहीं हैं. इस के अलावा आप काजल लगाने के बाद आंखों के नीचे वाटरप्रूफ आईलाइनर की लाइन लगा लें. इस से काजल नहीं फैलता.

काजल लगाने के बाद एक पतले ब्रश से ब्राउन, ब्लैक, पिंक, ग्रीन या ब्लू यानी ड्रैस से मैच करते कौंप्लिमैंटरी कलर के आईशैडो से एक लाइन काजल के नीचेनीचे लगा लें. इस से काजल जल्दी फैलता नहीं. यदि आप हमेशा काजल लगा कर खूबसूरत दिखना चाहती हैं तो प्रौमिनैंट काजल लगवा लें जो 15 साल से भी ज्यादा समय तक टिका रहता है.

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मेकअप करना आसान काम नहीं है . इसमें छोटी से चूक आपकी खूबसूरती को संवारने की बजाय बिगाड़ देती है . जैसे की काजल का फैलना . कजरारी आंखों के बिना खूबसूरती के बारे में सोचा नहीं जा सकता . काजल का इस्तेमाल आप अपनी आंखों की सुंदरता बढ़ाने के लिए करते है . आप और भी  कई तरह से अपनी आंखों को खूबसूरत बनाने के लिए चीजों का इस्तेमाल करते हैं . लेकिन काजल की बात ही कुछ और है .

काजल लगाने से आंखे खूबसूरत लगती है उनमें चमक आती है . लेकिन जब काजल फैल जाता है तो वह देखने में बहुत ही खराब लगता है और आपकी सुन्दरता पर एक धब्बा बन जाता है . लेकिन इस समस्या से भी निपटा जा सकता है . तो यहां कुछ सरल ट्रिक्स हैं जो आपके काजल को फैलने से रोकते हैं .

इन टिप्स से नहीं फैलेगा काजल :

1. चेहरे को अच्छे से करें साफ  –

सबसे पहले अपने चेहरे को अच्छे से साफ करें . काजल लगाने से पहले अपने चेहरे को किसी भी फेस वॉश से धो लें और चेहरा पूरी तरह से सूखने के बाद की काजल को लगाएं.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- 10 Tips: काजल को फैलने से कैसे बचाएं

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

जीवन बीमा क्यों है जरूरी

हमारे देश में आज भी जीवन बीमा को ले कर लोगों में झिक है खासतौर से महिलाओं में. अधिकांश महिलाओं को तो जीवन बीमा के विषय में जानकारी ही नहीं होती. इन सब बातों को वे अपने पति पर छोड़ देती हैं. पति भी पत्नियों को बचत के तरीकों, अपने खातों की जानकारी, विकास पत्र या बीमा पौलिसी के बारे में अधिक जानकारी देने से बचते हैं.

हमारे यहां परिवार का आर्थिक बोझ उठाने की जिम्मेदारी अकसर पुरुषों के कंधों पर होती है. हालांकि अब बड़ी संख्या में  महिलाएं भी नौकरी कर रही हैं और घर की आर्थिक जरूरतों को पूरा करने में अपना योगदान दे रही हैं. ऐसे में बहुत जरूरी है कि आप अपने और अपने परिवार को सुरक्षित रखने का इंतजाम समय रहते कर लें.

घर की आर्थिक गाड़ी खींचने वाला व्यक्ति चाहे स्त्री हो या पुरुष, उस के कंधों पर कई तरह की जिम्मेदारियां होती हैं. बच्चों की शिक्षा, उच्च शिक्षा के लिए बच्चों को विदेश भेजने की ख्वाहिश, बेटी का अच्छा विवाह, अपना घर बनवाना और रिटायर होने के बाद भी आय का कोई सोर्स हर व्यक्ति चाहता है.

बीमा की उपयोगिता

इन तमाम जिम्मेदारियों को पूरा करने से पहले ही अगर घर के कमाऊ सदस्य के साथ कोई अनहोनी घट जाए तो सोचिए उस के लक्ष्यों का क्या होगा? परिवार के सपनों को पूरा करने के लिए पैसे कहां से आएंगे? इस का सिर्फ एक इलाज है- जीवन बीमा. इस के जरीए सभी वित्तीय लक्ष्यों के लिए परिवार को सुरक्षा कवच मिल जाता है. जीवन बीमा परिवार के आत्मसम्मान की रक्षा करता है. घर के मुख्य कमाऊ सदस्य की अचानक मृत्यु के बाद परिवार को दूसरों पर आश्रित नहीं होना पड़ता है.

जीवन बीमा के बारे में आज हर व्यक्ति को जानने की जरूरत है. इस के विषय में ज्यादा से ज्यादा सवाल पूछने की जरूरत है. जीवन बीमा की उपयोगिता क्या है? यह कितनी रकम का होना चाहिए? इसे कब लेना चाहिए? ऐसे सभी सवालों के जवाब हम आप को दे रहे हैं.

अगर आप नौकरीपेशा हैं या अपना कोई व्यवसाय करते हैं तो आप को अपनी सालाना आमदनी का कम से कम 10 गुना जीवन बीमा कवर जरूर लेना चाहिए.

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क्यों खरीदें जीवन बीमा पौलिसी

मान लीजिए किसी व्यक्ति ने होम लोन ले कर घर खरीदा है. उस के बच्चे निजी स्कूल में पढ़ रहे हैं. घर के सभी प्रकार के खर्च के लिए परिवार उस व्यक्ति पर निर्भर है. अब यदि किसी बीमारी या दुर्घटना की वजह से उस व्यक्ति की मौत हो जाती है तो उस के नहीं रहने की स्थिति में उस का परिवार सड़क पर न आ जाए, इस के लिए बीमा पौलिसी खरीदना जरूरी है.

बीमा कवरेज लेने से उस के नहीं होने की स्थिति में उस के आश्रितों को बीमा कंपनी से मुआवजा मिलेगा, जिस से उन का आगे का समय आसानी से कट सकता है. जीवन बीमा पौलिसी व्यक्ति के नहीं रहने की स्थिति में उस के परिवार को वित्तीय जोखिम से सुरक्षा देता है.

जीवन बीमा किसे लेना चाहिए

यदि व्यक्ति के परिवार में पत्नी है, बच्चे हैं और उस के मातापिता वृद्ध हैं तथा उन की अपनी कोई कमाई नहीं है तो उस व्यक्ति को निश्चित रूप से जीवन बीमा पौलिसी खरीदना चाहिए. जीवन बीमा पौलिसी खरीदने की सब से आम वजह किसी अप्रत्याशित घटना से परिवार को संरक्षण प्रदान करना है. जीवन बीमा पौलिसी से मुआवजे के रूप में मिली रकम का उपयोग कर परिवार के आश्रित सदस्यों के अगले कई सालों का खर्च उठाया जा सकता है.

अगर आप पर ऋण या देनदारी है

यदि किसी व्यक्ति ने लोन ले कर खरीदारी यानी घर खरीदा है या अपनी संपत्ति गिरवी रखी है, तो उसे जीवन बीमा पौलिसी अवश्य ले लेनी चाहिए. इस से उस के नहीं रहने की स्थिति में न सिर्फ उस के परिवार को उस कर्ज को चुकाने में मदद मिलेगी, बल्कि परिवार के लिए आमदनी का एक नियमित स्रोत भी बनेगा.

पार्टनरशिप फर्म में भागीदार

यदि आप के साथ पार्टनरशिप फर्म में शामिल कोई व्यक्ति है तो आप दोनों को जीवन बीमा पौलिसी खरीदनी चाहिए. इस प्रकार की पौलिसी आप के पार्टनर की मृत्यु होने की स्थिति में होने वाले किसी प्रकार के वित्तीय नुकसान की स्थिति में आप की फर्म को वित्तीय सुरक्षा देगी.

कब कराना चाहिए जीवन बीमा

नौकरी लगते ही आप को जीवन बीमा पौलिसी खरीद लेनी चाहिए. जीवन बीमा कवरेज लेने के लिए टर्म प्लान कम प्रीमियम में अधिकतम कवरेज हासिल करने का बेहतरीन विकल्प है. आप की उम्र जितनी कम होगी जीवन बीमा पौलिसी में आप का प्रीमियम उतना ही कम होगा.

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बीमा कितने समय के लिए कराना चाहिए

जब तक आप के परिवार के सदस्य अपने खर्च के लिए आप की कमाई पर निर्भर हों, आप को उतने समय का अंदाजा लगा कर ही बीमा पौलिसी खरीदनी चाहिए. आप जब तक अपने परिवार के लिए कमाने वाले महत्त्वपूर्ण सदस्य हैं तब तक के लिए आप को जीवन बीमा कराना चाहिए.

आमतौर पर यह माना जाता है कि अगर आप की शादी 30 साल की उम्र में हो गई है और 35 साल की उम्र तक आप के 2 बच्चे हैं तो उन की पढ़ाईलिखाई आदि अगले 25 साल में पूरी हो जाएगी और तब तक वे जौब शुरू कर देंगे. इस हिसाब से आप को जीवन बीमा पौलिसी में 60-65 साल तक की उम्र के लिए लेनी चाहिए.

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