इन 8 ब्यूटी सीक्रेट्स से पाएं नई पहचान

आजकल का दौर ऐसा है कि हर स्मार्ट लड़की हमेशा चमकते और दमकते रहना चाहती है. और हो भी क्‍यों न, इससे अंदर से कांफिडेंस आता है जिससे आप हंसते-हंसते कई कामों को आसानी से कर सकती हैं. चलिए जानते हैं कि क्‍या हैं वह ब्‍यूटी सीक्रेट्स जो दे सकते हैं आपको एक नई पहचान.

  • काजल और लिपलाइनर हमेशा लगाएं 

8 beauty secrets

 काजल भारतीय स्त्री की खूबसूरती में हमेशा ही चार चांद लगाता है. यह आंखों का आकर्षण बढाने का आसान तरीका है. इसी तरह लिपलाइनर भी लगाना जरूरी होता है, क्योंकि यह लंबे समय तक टिकता है और फैलता भी नहीं है. अगर आप अपनी पसंदीदा लिपस्टिक लगा रही हैं तो साथ में लिपलाइनर लगाना न भूलें

  • सनस्क्रीन जरूर लगाएं 

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सनस्‍क्रीन सौंदर्य बढाने में मदद तो नहीं करती बल्कि त्वचा को धूप की तेज अल्ट्रावौयलेट किरणों से सुरक्षा जरुर प्रदान करती है. धूप से बचने के लिए हर चार घंटे में सनस्क्रीन का प्रयोग करना जरूरी है. अगर आप इसका प्रयोग नहीं करेगीं तो संवाली होने का डर भी रहेगा. साथ ही ब्राउन स्पौट और झुर्रियां भी इन्हीं के कारण होती है. इसलिए चाहे घर पर रहे या बाहर निकलें, लेकिन सनस्क्रीन जरूर लगाएं.

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  • हर दूसरे दिन शैंपू: 

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भारतीय युवतियों की सबसे आम समस्या है बालों का रूखापन, क्योंकि हर दूसरी स्त्री कामकाजी है और चारों तरफ प्रदूषण का सामना, धूप का प्रकोप, काम का बोझ और स्ट्रेस का सामना करती है. सबसे बडी बात यह कि स्त्री चाहे किसी भी उम्र की हो, मेकअप किया हो या नहीं, लेकिन जिस दिन शैंपू करती है उस दिन वह बेहद सुंदर दिखती है. इसलिए शैंपू करने में कोताही न बरतें.

  • भरपूर नींद

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 रोजाना निश्चित समय पर ही सोएं. अगर आप रात में सोएगीं नहीं तो दिन-भर आप थकी-थकी सी रहेगीं. टिश्यू और सेल्स को रेजुवेनेट करने के लिए नींद बहुत जरूरी है. त्वचा को रेजुवेनेट करने के लिए रात में एक अच्छी नाइट क्रीम लगाएं. रेटिनौल बेस्ड क्रीम चुनें जो पिग्मेंटेशन, पोर्स और बारीक लकीरों को कम करने में मदद करते हैं.

  • त्वचा को दमकने दें

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 त्‍वचा का एक्सफोलिएशन सबसे जरूरी है. प्रदूषण भरे वातावरण में डेड सेल्स की समस्या आम होती है. एक्सफोलिएट इस्तेमाल करने से त्वचा के मृत कोश भी निकल जाते हैं और त्वचा रेशम सी कोमल और चमकदार हो जाती है.

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  • मेहंदी और औयल ट्रीटमेंट

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 रेशमी बाल और चमकदार त्वचा हर स्त्री का गहना होते हैं. इसलिए हफ्ते में एक बार हौट औयल मसाज बेहद जरूरी है. स्कैल्प में तेल जज्ब हो जाए इसलिए मसाज के बाद बालों में गर्म तौलिया लपेटें. मसाज के लिए कोकोनट औयल का ही इस्तेमाल करें. औलिव औयल बालों के लिए हेवी हो सकता है. इसके अलावा महीने में एक बार मेहंदी ट्रीटमेंट भी ले.

  • एक अच्छा हेयर कट

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 जब कुछ समझ न आए तो एक अच्छा हेयर कट लें. लेकिन अपनी पर्सनैल्टी और चेहरे पर सूट करने वाला. प्रत्येक दो-चार माह में हेयरकट जरूरी है. बिखरे, उलझे, दो मुंहे, बेजान बाल आपके व्यक्तित्व के आकर्षण को खत्म कर देते हैं. एक अच्छा हेयरकट आपकी पर्सनैल्टी में वॉल्यूम भर देता है.

  • सेहत का रखें खयाल

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स्वास्थ्य सही हो तो सौंदर्य दोगुना हो जाता है. स्वास्थ्य तभी सही रह सकता है जब आप अपना खयाल रखें. सही वक्त पर सही, संतुलित एवं पौष्टिक आहार लें. हफ्ते में कम से कम 5 बार 30 से 40 मिनट तक एक्सरसाइज करें. वजन पर नियंत्रण रखने के लिए जंक फूड, औयली चीजें और मिर्च मसालों से दूर रहें. एक्सरसाइज से रक्त संचार बढता है और चेहरे पर ग्लो आता है.

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पत्नी की कमाई पर हक किस का

आज के जीवनस्तर और बढ़ती महंगाई को देखते हुए यह जरूरी हो गया है कि पत्नियां भी नौकरी करें. मगर समस्याएं तब खड़ी होती हैं जब वे पति से अलग अपनी पहचान की बात उठाती हैं और आर्थिक रूप से स्वतंत्र होना चाहती हैं. घर का खर्च चलाना आज भी पति की ही जिम्मेदारी मानी जाती है, जबकि पत्नी की कमाई एक बोनस के रूप में ली जाती है. रचना एक मल्टीनैशनल कंपनी में मैनेजर हैं. उन का कहना है, ‘‘रोजीरोटी चलाने लायक मेरे पति कमा ही लेते हैं. मैं घर और औफिस की दोहरी जिम्मेदारी सिर्फ घरखर्च में पैसा झोंकने के लिए ही नहीं उठा रही हूं. मैं यह कहने का अधिकार रखती हूं कि मेरा पैसा कहां और कैसे खर्च होगा. एक अफसर की हैसियत से औफिस में मेरी एक अलग छवि है, जिसे मुझे कायम रखना होता है. उसी तरह घर, पति और बच्चों की इमेज भी बनाए रखनी होती है वरना लोग हमारे बारे में क्या सोचेंगे.’’

लेकिन पति कुछ और ही सोचते हैं. इस संबंध में सोनिया कहती हैं, ‘‘मेरे पति अपनी आर्थिक सुरक्षा को ले कर कुछ ज्यादा ही चिंतित रहते हैं. इसलिए वे अपनी सारी सैलरी निवेश कर मुझ से ही घर का खर्च चलवाना चाहते हैं.’’ सोनिया के पति का तर्क है, ‘‘आखिरकार, मैं घर की भलाई के बारे में ही तो सोचता हूं. ऐसा कर के मैं क्या बुरा करता हूं? क्या परिवार की सुरक्षा, इमेज बनाए रखने से ज्यादा महत्त्वपूर्ण नहीं है?’’

यहां पर पतिपत्नी दोनों की प्राथमिकताएं अलगअलग होने के कारण ही उन में टकराव होने की स्थिति उत्पन्न हो गई है. लेकिन वे शरद और ऊषा से इस टकराव से बचने का उपाय जान सकते हैं. आर्किटेक्ट ऊषा एम.ई.एस. में कार्यरत हैं. नईनई शादी और नयानया परिवार. शरद का हुक्म सिरमाथे पर लिए ऊषा शरद की हर बात मान कर खुश थीं. शरद की यह सलाह कि घर का खर्च ऊषा के वेतन से चलेगा और शरद का वेतन बचत खाते में जमा होगा, भी ऊषा ने सहर्ष मान ली, क्योंकि दोनों का पैसा साझा ही तो था. इसलिए कौन सा खर्च हो रहा है, कौन सा जुड़ रहा है, यह बात कोई खास माने नहीं रखती थी

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भविष्य की सुरक्षा

शरद के अत्यंत खर्चीले स्वभाव ने शीघ्र ही ऊषा को अपनी भूल का एहसास करा दिया. शरद अपने वेतन से कुछ भी बचत न कर सारा पैसा कीमती उपहार खरीदने, महंगे होटल व रेस्तरां में खाने पर खर्च कर देते थे. हालांकि वे ऊषा के लिए भी महंगी साडि़यां, कीमती आभूषण तथा कौस्मैटिक्स लाते थे. ऊषा चाहती थीं कि भविष्य की सुरक्षा को ध्यान में रख कर पैसा निवेश किया जाए. वे जानती थीं कि बच्चों के आने पर खर्चे बढ़ेंगे और तब उन्हें ज्यादा पैसों की जरूरत होगी. इसी बात को ले कर शरद और उन के बीच काफी तनाव चलता रहता. ऊषा का कहना था कि शरद अपना आधा वेतन घरखर्च के लिए दिया करें ताकि वे अपना आधा वेतन बचा सकें. वे अपनी बात पर दृढ़ थीं. शरद को उन की बात माननी ही पड़ी. यह स्पष्ट है कि आज की पत्नी अपनी पहचान के प्रति जागरूक है. तब तो और भी ज्यादा जब वह कमाऊ बीवी हो. इसलिए अगर वह अपना अलग बैंक बैलेंस तथा अपने धन का सारा कारोबार साझा रखना चाहती है, तो ऐसा वह स्वयं को सुरक्षित रखने के लिए ही करती है. कानून किसी भी साझी वैवाहिक संपत्ति को मान्यता नहीं देता.

अहं का टकराव

अनिल और रेहाना का ही उदाहरण लें. अंतर्जातीय विवाह करने के कारण दोनों को ही अपनेअपने घर से कुछ नहीं मिला. चूंकि दोनों अच्छा कमा रहे थे, इसलिए उन्होंने कुछ ही वर्षों में दिल्ली में, जहां वे कार्यरत थे, अपने लिए एक मकान खरीद लिया. लेकिन धीरेधीरे उन का आपसी मतभेद और अहं का टकराव इतना बढ़ा कि बात तलाक तक आ पहुंची. अनिल ने अपना सामान कहीं और शिफ्ट कर लिया. जब उन्होंने पत्नी रेहाना से भी सामान शिफ्ट करने के लिए कहा तो रेहाना को आघात लगना स्वाभाविक था. तब रेहाना ने कारण जानना चाहा. इस बात पर अनिल ने बताया कि उन्होंने मकान बेच दिया है. उस समय रेहाना के पास बैंक में सिर्फ 1 हजार रुपए ही पड़े थे, क्योंकि रेहाना ने अपना सारा रुपया प्रौविडेंट फंड, फिक्स्ड डिपौजिट तथा मकान पर खर्च कर दिया था.

इस स्थिति में रेहाना अपने पति पर ‘बेनामी ट्रांजैक्शन ऐक्ट’ के तहत मुकदमा जरूर दायर कर सकती थीं. लेकिन इस के लिए न तो वे आर्थिक रूप से सक्षम थीं और न ही एक लंबी कानूनी लड़ाई के लिए उन के पास भावनात्मक स्थिरता, धैर्य और समय था. अपनी कमाई के कुछ हिस्से पर अपना अधिकार जता कर स्त्री कुछ गलत या अपराध नहीं करती. पुरुषों के वर्चस्व वाले समाज में स्त्री आज भी असुरक्षित है. अपनी रक्षा और देखभाल उसे स्वयं ही करनी है वरना वह प्रबुद्ध और आधुनिक होने के बावजूद आर्थिक मामले में भी पुरुषों द्वारा दबाई जाती रहेगी.

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चुनाव और औरतों का अधिकार

5 राज्यों की जनता को फरवरी, मार्च में फैसला करना है कि उन्हें शासन से क्या चाहिए. वे धर्म की रक्षा, मंदिर, चारधार्म यात्रा, आरतियां, ङ्क्षहदूमुसलिम विवाद और बढऩा पैट्रोल टैक्स, मंहगी होती गैस, दंगे, आंदोलन में से किसे चुने. जिसे भी चुना जाएगा वह रातोंरात न तो ङ्क्षहदू राष्ट्र बना पाएगा न महंगाई कम कर के सामाजिक मेलजेल को पटरी पर ले पाएगा. चुनाव शासकों की हर समय अधर में लटकाए रखते हैं पर अफसोस यह है कि चुनावों से सही सरकारों का जन्म नहीं हो पा रहा. हर चुनाव एक विक्षिप्त एक बच्चा पैदा कर रहा है और लोग सोचते हैं कि अगले चुनाव में कोई समझदार कमाऊ संतान पैदा होगी जो उन का भविष्य बनाएगी पर ऐसा नहीं हो रहा.

अब यह दोष किस का है कहना कठिन है पर इतना जरूर दिख रहा है कि लोकतंत्र की बेसिक समझ इस देश से गायब हो गर्ई है. जैसे शादीब्याहों में कुंडलियों, पूजापाठों, मन्नतों पर संबंध तय किए जाते हैऔर जैसे सफल सुखी वैवाहिक जीवन के लिए दुआएं और आरतियों पर निर्भर रहा कम रहा है वैसे ही राजनीति में टोटकों और जपतप पर चुनाव लडक़े जा रहे हैं. यह लोकतंत्र के लिए खतरा है, यह किसी भी देश की जनता को अंधकार भरे कमरे में धकेलने के जैसा है.

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आज मतदाता 18वीं सदी की निरीह की तरह हो गया है जिसे सुनीसुनाई बातों के आधार पर कुंडली के बलबूते पर किसी के पल्ले बांध दिया जाता था और  वह किया जाता था कि तेज भाग्य अच्छा होगा तो पति राजकुमार निकलेगा, भाग्य खराब होगा तो वह भी होगा. मतदाता जिसे चुनता है, वह कैसा होगा, अब पता नहीं.

पिछले चुनावों से देखें तो सब से ज्यादा शिकार औरतें रही हैं. 18वीं 19वीं सदी तक कि औरतों की तरह वे बरक वधू बन कर संतानें पैदा कर के, विचार, असहाय, जल्लाद सासों, बेरुखे पति के जुल्मों के शिकार हैं. आज की औरत को मंहगाई से निपटना पड़ रहा है. घर व काम की जगह भेदभाव सहना पड़ रहा है, असुरक्षा ने घेरा रखा है. कब उस पर राजनीतिक कहर आन पड़े कहा नहीं जा सकता. आज भारी टैक्स देकर भी न उसे साफ सडक़ मिल रही है, न साफ पानी, न साफ हवा, न अफोर्टेबल अच्छी पढ़ाई व चिकित्सा और न भविष्य की कोई गांंटी फिर भी उसे चुनावों के पंडितों, मौलवियों, पादरियों की शरण में जाना पड़ेगा और जो मिलेगा उसी से संतोष करना होगा.

इस का बड़ा कारण है कि औरतें अपने हकों और अपनी आवश्यकताओं के बारे में चुप रहती हैं, वे बढ़चढ़ कर सरकार चुनने में आगे नहीं आतीं और न ही अपनी सम्मानित घरेलू ङ्क्षजदगी की मांग को पहली जरूरत के रूप में प्रस्तुत करती है. वे ये फैसले पिताओं और पतियों पर छोड़ रही हैं और इसलिए जब कोविड जैसी महामारी आती है तो परेशान हैरान में फ्रंट में वे ही होती है. शासन उस समय दुबक कर बैठ जाता है. वह टीवी स्क्रीन पर दिखता है, पड़ोस में नहीं.

अब एक और मौका है जब अपना विरोध इस्तेमाल करें. वोट घर को दें, धर्म, धंधे, धन या धमाकेदार भाषणों को नहीं. उन्हें चुनें जो औरतों को समझें. समाज औरतों पर चलता है, आदमियों पर नहीं यह साबित करें. जिसे वोट देने के अवसर मिल रहा है वोट अपने मन से दें पति, पिता या भाई के कहने पर नहीं.

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सिगरेट पीने से मेरे लिप्स काले हो गए हैं, मैं क्या करुं?

सवाल

मैं ने अपनी फ्रैंड के साथ सिगरेट पीना शुरू कर दिया था, जिस से मेरे होंठ काफी काले हो गए हैं. अब मैं ने सिगरेट पीनी छोड़ दी है. मगर होंठ गुलाबी कैसे करूं कृपया कोई उपाय बताएं?

जवाब-

आप ने बहुत अच्छा किया कि सिगरेट पीनी छोड़ दी. इस से होंठ ही काले नहीं होते बल्कि सेहत भी बहुत खराब होती है. होंठों को गुलाबी करने के लिए सब से पहले उन्हें स्क्रब करना शुरू कीजिए.

1/2 चम्मच औयल ले कर उस में चीनी को दरदरा पीस कर मिला लें. फिर इसे उंगली से होंठों पर लगा कर रोज स्क्रब करें. इस से आप की डार्क स्किन धीरेधीरे निकलनी शुरू हो जाएगी.

स्क्रब करने के बाद थोड़ी सी मलाई में चुकंदर के रस की कुछ बूंदें मिला लें. 3-4 बूंदें शहद की भी डाल लें. इस मिक्स्चर को होंठों पर 20 से 25 मिनट तक लगाएं रखें और फिर पोंछ लें. इस से आप के होंठों का रंग गुलाबी होने लग जाएगा. यह आप की सेहत के लिए भी काफी अच्छा होता है. अगर थोड़ाबहुत मुंह में भी चला जाए तो कोई टैंशन की बात नहीं है.

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चेहरा हमारे व्यक्तित्त्व का आईना होता है. यही कारण है कि हर महिला अपने चेहरे को खूबसूरत बनाने के लिए बहुत से जतन करती है. लेकिन यह भी सच है कि चेहरा तभी खूबसूरत दिखाई देता है जब त्वचा बेदाग व होंठ गुलाबी हों. फटे और टैन होंठ चेहरे की सुंदरता को फीका कर देते हैं.

इस में सब से ज्यादा चिंता की बात यह है कि महिलाएं अपने शरीर के अन्य पार्ट्स की टैनिंग को ले कर तो बहुत जागरूक होती हैं, लेकिन लिप्स की टैनिंग को ले कर बिलकुल भी अवेयर नहीं होती हैं. जानिए, होंठों की देखभाल करने के कुछ महत्वपूर्ण टिप्स :

1. कई बार होंठों पर घटिया किस्म का कौस्मैटिक यूज करने से भी होंठ टैन हो जाते हैं या फिर जरूरत से ज्यादा कौस्मैटिक के प्रयोग से भी होंठों का रंग गहरा पड़ सकता है.

2. धूम्रपान की वजह भी होंठ काले हो जाते हैं.

3. ज्यादा देर तक स्विमिंग करने से भी होंठों में कालापन आ सकता है.

4. ज्यादा कैफीन का सेवन होंठों के कालेपन का कारण बनता है.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- लिप्स की टैनिंग को कहें बाय-बाय

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

दांतों के लिए बेमिसाल हैं लौंग के तेल के फायदे

लेखिका- दीप्ति गुप्ता

लोगों की खराब लाइफस्टाइल का असर उनके  दांतों पर भी पड़ रहा है. सही खानपान न होने की वजह से दांतों में दर्द, मसूडों में सूजन, कैविटी और मुंह में छालों की समस्या पैदा हो जाती है. अक्सर इन समस्याओं से बचने के लिए लोग दवाओं का सेवन करते हैं, लेकिन इनका सेवन कभी-कभी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है. अगर आप भी अक्सर दांत दर्द से परेशान रहते हैं, तो दांतों की इस समस्या से निजात पाने के लिए अपनी दादी-नानी के बताए नुस्खे को जरूर याद कर लें. दांत में दर्द होने पर वह अक्सर लौंग को दांतों के नीचे दबाने की सलाह देती थीं. आप मानें या ना मानें, लेकिन आज भी दांत दर्द और मुंह में छालों के लिए लौंग के तेल का उपयोग बहुत फायदेमंद होता है. दरअसल, इसमें मौजद यूजेनॉल लौंग के तेल का मुख्य घटक है, जो दर्द कम कर दांतों को हेल्दी भी बनाता है. लोगों में बढ़ रहीं इन्हीं समस्याओं के चलते लौंग के तेल का उपयोग अब विभिन्न प्रकार के माउथवॉश और टूथपेस्ट में भी किया जाने लगा है. तो आइए जानते हैं दांत से जुड़ी सभी प्रकार की समस्याओं के लिए लौंग के तेल के फायदे और इसका उपयोग करने का तरीका .

दांत दर्द के लिए लौंग के तेल के फायदे  और उपयोग करने का तरीका-

दांत के दर्द को दूर करने के लिए-

जब कभी दांत में दर्द हो तो लौंग के तेल का इस्तेमाल करना सबसे अच्छा माना गया है. यह दर्द को सुन्न करने में मदद करता है. साबुत लौंग की जगह लौंग के तेल का इस्तेमाल करने से ऊतक क्षतिग्रस्त होने से बच जाते हैं. आपको बता दें कि, लौंग दांतों पर एंटीसेप्टिक के रूप में काम करती है.

उपयोग करने का तरीका-

इसका उपयोग करने के लिए एक कटोरी में एक चम्मच लौंग का तेल और एक चम्मच नारियल का तेल मिलाएं. जब भी दांत में दर्द हो, तो प्रभावित हिस्से पर इस तेल को लगा लें. आपको बता दें कि, लौंग का तेल केवल दर्द को सुन्न करने की क्षमता रखता है, न कि जड़ से समस्या का इलाज करता है.

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मुंह के अल्सर का इलाज करे

मुंह के छालों से छुटकारा पाने के लिए लौंग का तेल बहुत फायदेमंद है. कभी -कभी गैस्ट्रिक समस्याएं मुंह के छालों यानि अल्सर को जन्म देती हैं. समय पर इसका इलाज न किया जाए, तो ये स्थिति काफी दर्दनाक हो सकती है. ऐसे में लौंग का तेल का इस्तेमाल करने से मुंह के छाले बहुत जल्दी सही हो जाते हैं.

उपयोग करने का तरीका-

इसका उपयोग करने के लिए थोड़े से गर्म पानी में एक चम्मच लौंग का तेल मिलाएं. छालों से राहत देने के लिए दिन में दो बार इस पानी से गरारे करें. यह किसी भी कीटाणु या संक्रमण को दूर करने में मदद करता है.

मुंह की दुर्गंध दूर करे

सांसों से आने वाली बदबू न केवल आपको बल्कि आपके आसपास के लोगों को भी परेशान करती है. कई बार इस वजह से लोगों के बीच आपको शर्मिंदा भी होना पड़ता है. इस समस्या से बचने के लिए लौंग के तेल का प्रयोग किया जा सकता है. लौंग के तेल में मौजूद एंटी बैक्टीरियल गुण आपको ताजा सांस लेने में मदद करते हैं.

उपयोग करने का तरीका-

आप इसका उपयोग माउथफ्रेशनर के रूप में कर सकते हैं. लौंग के तेल की कुछ बूंदों को पेपरमेंट असेंशियल ऑयल के साथ मिलाएं. अब इसे एक स्प्रे बोतल में भर दें और जब भी आपको सांस से दुर्गंध आए, तो इसका इस्तेमाल करें. इसके अलावा आप चाहें, तो दो लौंग को मुंह में रखकर लगभग 20 मिनट तक चबाएं. ऐसा करने से मुंह से आने वाली दुर्गंध गायब हो जाएगी.

लौंग का तेल दांत दर्द और दांत से जुड़ी अन्य समस्याओं का अस्थाई घरेलू इलाज है. इसलिए कम समस्या होने पर इसका इस्तेमाल करना बेहतर है. विशेषज्ञों के अनुसार, जिन लोगों को गर्म तासीर वाली चीजों से परेशानी होती है, उन्हें लौंग का तेल इस्तेमाल करने से पहले विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए.

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जब खरीदें जीवन बीमा

जीवन बीमा पौलिसी असल में बीमा कंपनी और बीमाकृत जीवन के बीच एक अनुबंध होता है, जिस में बीमा धारक द्वारा भुगतान किए गए प्रीमियम के बदले बीमा कंपनी बीमाकृत व्यक्ति की मौत या तय समय के बाद एक निश्चित रकम, जिसे बैनिफिट्स कहते हैं, देने को राजी होती है. जीवन बीमा की आवश्यकता समझने के बाद भी लोगों के लिए सही प्लान का चयन करना हमेशा मुश्किल होता है. यह पर्सनल फाइनैंस के उन विषयों में से एक है, जिसे समझने में अधिकतर लोग गलती करते हैं. सामान्यतया, जीवन बीमा पौलिसी बीमा धारक की आवश्यकता एवं बचत क्षमता के आधार पर खरीदी जाती है. जीवन बीमा प्लान आप के प्रियजनों को वित्तीय स्वतंत्रता प्रदान कर उन्हें सुरक्षित करने के लिए लिया जाता है, इसलिए इसे खरीदने से पहले आप को अतिरिक्त सावधान रहना चाहिए. आप अगली बार जीवन बीमा खरीदते समय क्या करें और क्या न करें को ध्यान में जरूर रखें.

क्या करें

विशेषज्ञों व अलगअलग स्रोतों से सलाह लें और प्रत्येक सलाह पर धैर्यपूर्वक विचार करें. फिर इस के आधार पर जीवन बीमा के लिए अपनी आवश्यकताओं के बारे में सोचें. यदि आप संख्या में इस की मात्रा निर्धारित कर सकते हैं तो करें. जैसे आप यह देखें कि अगर आप के परिवार में 4 सदस्य हैं, तो आप के बिना घर चलाने के लिए उन्हें कितने पैसों की आवश्यकता होगी? यदि आप परिवार के मुख्य कमाने वाले सदस्य हैं, तो आप के बाद आप के बच्चों की स्कूल फीस, कालेज फीस और अन्य खर्र्चों को पूरा करने के लिए न्यूनतम कितने रुपयों की नियमित आवश्यकता होगी. इस में आप अपने सभी कर्ज, देयताएं, यहां तक कि क्रैडिट कार्ड की बकाया राशि भी शामिल करें. इस बात को समझने की कोशिश करें कि जीवन बीमा आप के परिवार को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने का जरीया है. इसे महज एक टैक्स बचाने के माध्यम के तौर पर इस्तेमाल न करें.

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अपने परिजनों विशेषकर जीवनसाथी/ नौमिनी को पौलिसी के बारे में जरूर बताएं. उसे यह भी समझाएं कि कोई अनहोनी होने पर क्लेम लेने के लिए उसे क्या करना होगा. ऐसे में अकसर हम सभी अनहोनी जैसे मुद्दों पर बातचीत करने से बचते हैं, जबकि आप अपने प्रियजनों को अपने जाने के बाद उन के लिए बनाए गए सुरक्षा कवच से अवगत करा कर अपने कौमन सैंस और समझदारी का परिचय दे रहे होते हैं. अपनी पौलिसी की नियमित आधार पर समीक्षा करें और परिस्थितियों व आवश्यकता में बदलाव होने पर उस में सुधार करें. उदाहरण के लिए यदि आप की शादी हो जाती है, आप के घर में नन्हा मेहमान आ जाता है, आप की देयता या कर्ज में बढ़ोतरी हो जाती है या आप का पेशा बदल जाता है आदि, तो अपनी पौलिसी की समीक्षा करने के दौरान आप अपने वित्तीय सलाहकार की सहायता भी ले सकते हैं.

क्या न करें

सिर्फ सस्ते के चक्कर में आवश्यकता से कम का कवर न लें. यदि आप को प्रीमियम का खर्च वहन करने में समस्या है तो कवर कम करने के बजाय कम अवधि का प्लान चुनें. प्रपोजल फौर्म में कोई भी कौलम खाली न छोड़ें तथा किसी दूसरे को अपना फौर्म भरने भी न दें. अपने प्रीमियम का भुगतान करना न भूलें, न ही इस में विलंब करें क्योंकि लैप्स अवधि के दौरान पौलिसी का कवर नहीं होता है और क्लेम नहीं मिलता है. पौलिसी लेते समय न कोई तथ्य छिपाएं, न ही कोई गलत जानकारी दें क्योंकि इस से क्लेम के समय विवाद की स्थिति बन सकती है.   

– अनिल चोपड़ा, ग्रुप सीईओ एवं निदेशक, बजाज कैपिटल

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Anupama देगी वनराज को चेतावनी, देखें वीडियो

सीरियल अनुपमा (Anupama) की कहानी में इन दिनों मालविका (Aneri Vajani) के अतीत की कहानी देखने को मिल रही है, जिसके चलते अनुपमा (Rupali Ganguly), अनुज(Gaurav Khanna) और वनराज (Sudhanshu Panday) साथ नजर आ रहे हैं. हालांकि एक बार फिर अनुज-अनुपमा को वनराज के इरादों पर शक होने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

पाखी को अनुपमा ने कही ये बात

 

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अब तक आपने देखा कि पाखी, अनुपमा से कहती है कि आगे की पढ़ाई के लिए वह विदेश जाना चाहती है. लेकिन अनुपमा कहती है कि वह अभी छोटी है और अभी उसे विदेश जाने की सोचनी नहीं चाहिए. हालांकि वह वनराज से बात करने के लिए कहती है. दूसरी तरफ वनराज और मालविका की नजदीकी देखने को मिलती है, जिसे देखकर अनुज का गुस्सा बढ़ जाता है.

 

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अनुपमा ने दी वार्निंग

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि मालविका की अनुज से बढ़ती नजदीकियों को देखकर अनुज और वनराज के बीच झगड़ा देखने को मिलता है. हालांकि मालविका, वनराज का साथ देते हुए नजर आती है. इसी के चलते अनुपमा, वनराज को गुस्से में देखेगी और उससे कहेगी कि मालविका से दूर रहे, जिसके चलते वनराज, अनुपमा को कहेगा कि उसका मालविका के साथ एक बिजनेस वाला रिश्ता और कम्फर्ट जोन है और इससे ज्यादा कुछ नहीं. हालांकि अनुपमा उससे कहेगी कि ऐसा नहीं होना चाहिए, मालविका कभी-कभी अपनी सीमा पार कर जाती है, लेकिन वनराज को अपनी सीमा में रहना चाहिए. वरना वे उसी जगह होगा जहां वे कुछ दिन पहला था.

 

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आर्यन और Imlie के बीच होगी हाथापाई, मालिनी और अनु करेगी ये काम

सीरियल इमली (Imlie) की कहानी दिलचस्प होती जा रही है. जहां आदित्य, मालिनी से दूर होता नजर आ रहा है तो वहीं आर्यन और इमली की नजदीकियों ने फैंस का दिल जीत लिया है. इसी बीच सीरियल के नए आदित्य की एंट्री को देखने के लिए बेताब हैं. हालांकि इससे पहले सीरियल में लड़ाई देखने को मिलने वाली है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

आदित्य की मदद करेगी मीठी

अब तक आपने देखा कि आर्यन, इमली को डांस के लिए कहता है क्योंकि वह उसकी पार्ट्नर होती है. लेकिन इमली आदित्य की चिंता में खोई नजर आती है, जिसके चलते आर्यन उसे जबरदस्ती डांस के लिए लेकर जाता है. हालांकि मौका मिलते ही इमली, मीठी को फोन करके आदित्य के बारे में पता लगाने को कहती है, जिसके बाद मीठी, आदित्य के घर जाकर देखती है कि वह नशे में है और उसकी मदद करती है.

 

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अनु करेगी ये काम

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अनु, मालिनी को आदित्य की चिंता करते हुए देखेगी और कहेगी कि वह चिंता न करे क्योंकि आदित्य, इमली से दूर है. लेकिन मालिनी कहेगी कि इमली जरुर आदित्य से बात करने की कोशिश करेगी. हालांकि अनु कहेगी कि वह इमली को आदित्य से बात नहीं करने देगी. इसी के चलते वह कारपेट पर आग लगा देगी. वहीं आग देखकर अर्पिता घबरा जाएगी, जिसके चलते आर्यन और नर्मदा बचाने के लिए भागेंगे. हालांकि इमली उन्हें रोक देगी और आर्यन से लड़ती नजर आएगी.

इमली और आर्यन के बीच होगी हाथापाई

 

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आगे आप देखेंगे कि आर्यन को अर्पिता की मदद करने से रोकने के लिए इमली उसे फूलदान से मारेगी. लेकिन आर्यन नहीं रुकेगा. इसी के चलते दोनों के बीच हाथापाई हो जाएगी. दूसरी तरफ मालिनी दोनों की लड़ाई देखकर खुश होती नजर आएगी.

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गर्भपात की गोलियां: औरत की आजादी की निशानी

बीते 20 सालों में औरत होने के माने काफी बदल गए हैं. इस का एक अहम और सीधा नाता गर्भधारण की स्वतंत्रता और इच्छा से भी है. निजी और सरकारी क्षेत्र में कई दशकों से औरतों का नौकरियों में आने का सिलसिला जो शुरू हुआ वह थमने का नाम नहीं ले रहा है.

अब हर कहीं औरत दिख रही है तो इस की बड़ी वजह उस की आर्थिक निर्भरता की सम?ा है. जब तक वह पैसों और जीवनयापन के लिए पुरुषों की मुहताज थी तब तक उसे पुरुष की मरजी से किए गए सैक्स संबंध के परिणामस्वरूप हुए गर्भ को धारण करना पड़ता ही था.

इस दबाव में धर्म की भूमिका भी अहम रही है जिस के तहत स्त्री बच्चा पैदा करना अपना फर्ज सम?ाती रही. गर्भधारण से बचने के पहले ज्यादा उपाय नहीं थे और ऐसी कोई सहूलियत भी उपलब्ध नहीं थी कि वह अपनी मरजी से उस से बच सके. आज अमीर और गरीब सभी वर्गों की औरतों ने गर्भधारण को नियंत्रित करने के उपाय जान लिए हैं और इसीलिए जनसंख्या वृद्धि तेजी भी से घट रही है.

दिलचस्प इत्तफाक

यह बेहद दिलचस्प इत्तफाक है कि गर्भधारण से बचने या गर्भपात करने के लिए गोलियों का चलन भी 90 के दशक से ही शुरू हुआ. शुरुआती दौर में हिचकने के बाद औरतें इन्हें बड़े पैमाने पर इस्तेमाल कर रही हैं और उन्हें रोकने की हिम्मत कोई नहीं कर पा रहा. सहमति से स्थापित हुए यौन संबंधों को लोग व्यभिचार के दायरे के बाहर रखने लगे हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप को मान्यता दे कर बहुतों की उल?ान को दूर कर दिया है. एक दबी सामाजिक क्रांति अब स्वीकृत हो चुकी है कि औरत को गर्भधारण करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता उलटे गर्भपात के लिए उसे प्रोत्साहित किया जा रहा है. जिन समाजों में गर्भपात को ईश्वर की मरजी के खिलाफ सम?ा जाना है, जिन में अमेरिका के गोरे कट्टरपंथी चर्च जाने वाले भी हैं, औरतें बेहद तनाव में रहने को मजबूर हैं.

समाज तेजी से बदल रहा है. शारीरिक संबंधों के मामले में पूर्वाग्रह भी छोड़े जा रहे हैं, जिस की बड़ी वजह आज की औरत में आती जागरूकता है. अपने स्वास्थ्य, कैरियर और अधिकारों के प्रति वह सचेत है और कोई सम?ौता करने को तैयार नहीं है तो इस के पीछे उन गोलियों और उपचारों का बड़ा योगदान है जो उसे बेहद सरलतापूर्वक गर्भधारण से बचाते हैं.

लापरवाही की सजा

बात विवाहितों की ही नहीं है बल्कि युवतियों की भी है. भोपाल की एक वरिष्ठ स्त्रीरोग विशेषज्ञा के अनुसार बड़ी संख्या में युवतियां गर्भपात कराने के लिए नर्सिंगहोम्स में आती हैं. उन में छात्राएं भी हैं और नौकरीपेशा भी होती हैं जो मां नहीं बनना चाहतीं. इन में से अधिकांश ने लापरवाही वक्त पर कौंट्रासैप्टिव पिल्स न लेने की की थी पर उस की पहले की तरह उन्हें कीमत बहिष्कृत या शर्मिंदा हो कर नहीं चुकानी पड़ती.

बकौल क्षमा अगर गर्भनिरोधक और गर्भपात वाली गोलियां बड़े पैमाने पर नहीं अपनाई जातीं तो प्रसव से कई गुना ज्यादा मामले गर्भपात के आते.

जाहिर है, यह वाकई हाहाकार वाली स्थिति होती. एक अंदाजे के मुताबिक भोपाल जैसे बी श्रेणी के शहर में 12 से 19 आयुवर्ग की 100 और दिल्ली में 1000 लड़कियां रोजाना गर्भपात कराती हैं. अधिकांश अबौर्शन बगैर किसी खतरे के हो जाते हैं क्योंकि पहली के बाद दूसरी गलती लड़कियां नहीं करतीं.

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असुरक्षित सहवास के बाद पहली माहवारी वक्त पर न आने के बाद वे खुद प्रैंगनैंसी टैस्ट कराती हैं और बिना वक्त गवाएं गर्भपात करा लेती हैं. उन का बौयफ्रैंड साथ दे न दे उन्हें फर्क नहीं पड़ता यानी सहूलियत युवकों को भी हुई है कि उन पर कोई पारिवारिक, नैतिक या कानूनी दबाव नहीं पड़ता, जिस से पुरुष सदियों से कतराते रहे हैं.

शुचिता बीते कल की बात

लड़के या पुरुष जेब में कंडोम रखें न रखें पर युवतियां और औरतें पर्स में लिपस्टिक और फेस पाउडर के साथसाथ गर्भ से बचाने वाली गोलियां जरूर रखती हैं. यौन शुचिता बीते कल की बात हो गई है. विवाहित और अविवाहित का फर्क सहवास के मामले में कहने भर को रह गया है.

यह हालत किसी के लिए चिंतनीय नहीं है सिवा धर्म और संस्कृति के ठेकेदारों के जिन की औरत को गुलाम बनाए रखने की दलीलें और टोटके इन गोलियों के आगे दम तोड़ रहे हैं. हिंदू राष्ट्र की बात करने वाले और जनसंख्या नियंत्रण की वकालत करने वाले लोग एक ही हैं जो विरोधाभासी बातें करते हैं.

तनाव और अवसाद

यह ठीक है कि अब आप किसी महिला को सहवास से रोक नहीं सकते. भोपाल की एक ब्यूटीशियंस कहती हैं कि नए जमाने की स्त्री की सोच को सम?ाना होगा और मुद्दा कतई सहवास की स्वतंत्रता न हो कर एक ऐसी जिम्मेदारी को बेवक्त न उठाने का है जिस में कोई बेईमानी औरत नहीं कर सकती. जब वह अपनी मरजी से मां बनती है तो पूर्णता के साथ बनती है.

वह बच्चे की परवरिश में कोई कोताही नहीं बरतती उलटे पहले की स्त्री के मुकाबले ज्यादा गंभीरता से इसे निभाती है. मगर अविवाहिताओं के मामले में मैं गर्भपात की विरोधी हूं. वजह लड़कियों को ही सारे तनाव और अवसाद का सामना करना पड़ता है. भ्रूण हत्या या गर्भ न ठहरने देना हमारी संस्कृति के खिलाफ है.

इस विरोधाभासी कथन के माने भी बेहद  साफ हैं कि अब औरत अपनी मरजी से सहवास कर मां बनना चाहती है पुरुष की मरजी से नहीं और इस के लिए मैडिकल अबौर्शन पिल्स मौजूद हैं तो कोईर् खास दिक्कत भी उसे पेश नहीं आती. मगर उसे सावधान भी रहना चाहिए.

गर्भपात की आजादी हरज की बात नहीं पर यह किन शर्तों पर मिल रही है इस पर बहस की खासी गुंजाइश मौजूद है.

कुंआरी मांओं को मान्यता

अनाथाश्रमों में आने वाले लावारिस बच्चे अधिकांश लापरवाही से पैदा हुए लगते हैं. वजह कोई भी स्त्री बच्चा यों छोड़ देने के लिए या शर्त पर मां नहीं बनती. एक मां ने स्वीकारा था कि वह पिल्स लेना भूल गई थी, इसलिए मजबूरी में जन्म देना पड़ा. गर्भ का पता उसे देर से चला. अभी समाज इतना भी आधुनिक नहीं हुआ है कि कुंआरी मांओं को मान्यता देने लगे. अनवैड मदर्स को आज भी कोई मकान किराए पर नहीं देगा, कोई नौकरी नहीं देगा, कोई भाई अपने घर नहीं रखेगा.

ऐसी हालत से बचने के लिए गर्भपात कराने में देर नहीं करनी चाहिए. सहवास के पहले या 72 घंटों बाद तक गोलियों का कोर्स पूरा करने से 99% मामलों में गर्भ नहीं ठहरता. आमतौर पर 20 सप्ताह तक का गर्भ गिराया जा सकता है पर भ्र्रूण को बढ़ने न दिया जाए तो खतरा भी कम होता है. उस से भी ज्यादा बेहतर है गोलियों का सेवन और जानकारी जो विज्ञापनों में बिस्तार से बताई जाती है. 13-14 वर्ष की लड़कियों को यह जानकारी पूरी तरह सम?ा लेनी चाहिए क्योंकि सैक्स उत्तेजक मैटीरियल आज ज्यादा सुलभ है.

निहायत व्यक्तिगत बात

ऐस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरौन हारमोंस से बनी ये गोलियां जो विभिन्न नामों से बाजार में उपलब्ध हैं वीर्य को गाढ़ा कर देती हैं जिस से वह गर्भाशय में प्रवेश नहीं कर पाता. शुक्राणु और अंडाणु नहीं मिलते तो गर्भ नहीं ठहरता. ये गोलियां सुरक्षित हैं और कोई शंका होने पर डाक्टर से सलाह लेने में हरज नहीं. भ्रूण बड़ा होता है तो कई बार उस के अंश गर्भाशय में रह जाते हैं जो रक्तस्राव की वजह बनते हैं.

ऐसा तभी होता है जब समय पर गोलियां न ली जाएं. एक अविवाहित सरकारी अधिकारी की मानें तो इन गोलियों ने उन जैसी महिलाओं को जो पारिवारिक जिम्मेदारियों या दूसरी वजहों के चलते शादी नहीं कर पातीं आजादी से जीना और सम्मानजनक तरीके से रहना सिखाया है. इस में हरज क्या है? इस कथन से जाहिर है गर्भधारण निहायत व्यक्तिगत बात है और ये गोलियां एक अनुशासित स्वतंत्रता देती हैं.

पुरुष की तरह सहवास महिला का भी अधिकार और जरूरत है. पर चूंकि गर्भधारण महिला को ही कराना होता है, इसलिए इस से बचाव भी उस का प्राकृतिक अधिकार है.

एक इंजीनियरिंग कालेज की छात्रा बेहिचक जरूरत पड़ने पर इन गोलियां के सेवन को स्वीकारते हुए कहती हैं, ‘‘मैं अभी 5 साल और शादी नहीं करना चाहती. मेरा बौयफ्रैंड भी नामी कंपनी में नौकरी करता है. हम दोनों अलगअलग पैसा इकट्ठा कर रहे हैं. माह में 2-3 बार शारीरिक संबंध स्थापित हो ही जाते हैं और ऐसा 2-3 दफा ही हुआ कि हम कंडोम का इस्तेमाल नहीं कर पाए. तब अप्रिय स्थिति से बचने के लिए मैं ने गर्भनिरोधक गोलियां लीं.

ऐसी युवतियां इन गोलियों की वजह से आजादी की जिंदगी जी रही हैं और यह आजादी खुद के भविष्य और सुरक्षा के लिए है. विलासिता के लिए नहीं जैसाकि आमतौर पर सोचा और प्रचारित किया जाता है.

आज परिवारिक संरचना बेहद तेजी से बदल रही है. हमें उस में बच्चों को ढालना होगा. खतरा या मुद्दा शारीरिक संबंध नहीं रह जाता है बल्कि नादानी में गर्भ ठहर जाना है. ऐसे में घर से दूर या घर में ही रहते अभिभावकों से दूर होती लड़कियों को मालूम होना चाहिए कि वे कैसे गर्भधारण से बच सकती हैं. ये गोलियां काफी प्रचारित हो चुकी हैं और शादीशुदा औरतों के लिए भी वरदान हैं जो पति की जिद या जोरजबरदस्ती के कारण खुला विरोध नहीं कर पातीं.

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औरत की आजादी

भारतीय सामाजिक परिवेश बड़ा दिलचस्प है और मर्यादित भी. भाई या पिता जानता है कि बहन या बेटी सैनिटरी नैपकिन की तरह अबौर्शन पिल्स का इस्तेमाल करती होगी पर इस बाबत न वह कुछ पूछ सकता न टोकने का जोखिम बगावत के डर से मोल ले सकता.

परिवार बने रहें यह हर शर्त पर सभी को मंजूर है. औरत की आजादी इन में से एक है, इसलिए अबौर्शन पिल्स के नाम पर नाकभौं सिकोड़ने वालों की तादाद कम हो रही है. औरत अपनी पहचान बना रही है, पैसा कमा रही है और तमाम वे काम कर रही है जिन पर कल तक मर्दों का दबदबा था तो अब उस पर गर्भ थोपा नहीं जा सकता. अबौर्शन या कौंट्रासैप्टिव पिल्स ने उसे सहूलियत और मजबूती ही दी है. होना तो यह चाहिए कि इन पिल्स को ओटीसी घोषित कर के इन के प्रचार की इजाजत दी जाए.

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