पलटवार : भाग 3- जब स्वरा को दिया बहन और पति ने धोखा

सुबह उठ कर उस ने अपनी दिनचर्या के अनुसार सारे काम किए. अमित तथा श्रेया को बैड टी दी. डाइनिंग टेबल पर नाश्ता लगा दिया और नहाने के लिए जाने को हुई तभी उस का मोबाइल बज उठा. अमित जल्दी से फोन उठाने के लिए लपका, तभी स्वरा ने उठा लिया. स्क्रीन पर नाम देख कर मुसकराने लगी. ‘हैलो, हांहां, पूरा प्रोग्राम वही है, कोई भी फेरबदल नहीं है. मैं भी बस तैयार हो कर तुम्हारे पास ही आ रही हूं.’ फोन रख कर उस ने बड़े ही आत्मविश्वास से अमित की ओर मुसकरा कर देखा.

अमित की आंतें जलभुन गईं. आज फिर कहां जा रही है, लगता है पर निकल आए हैं, कतरने होंगे, घर के प्रति पूरी तरह समर्पित, भीरू प्रवृत्ति की स्त्री इतनी मुखर कैसे हो गई, क्या इसे मेरी तनिक भी चिंता नहीं है. इस तरह तो यह मुझे धोखा दे रही है. क्या करूं, कुछ समझ में नहीं आ रहा है. इस के पापा ने तो बताया था कि विशेष से श्रेया की शादी फिक्स हो गई है तो फिर यह क्या है? इसी ऊहापोह में फंसा हुआ वह अपने कमरे में जा कर धड़ाम से बैड पर गिर गया. आज फिर औफिस की छुट्टी हो गई, लेकिन कब तक? आखिर कब तक? वह इसी प्रकार छुट्टी लेता रहेगा. बस, अब कुछ न कुछ फैसला तो करना ही है. वह सोचने पर विवश था.

तभी, श्रेया ने धीरे से परदा हटा कर झांका, ‘‘जीजू, आज शाम की फ्लाइट से मैं मांपापा के पास पुणे वापस जा रही हूं. मैं ने अपना त्यागपत्र कंपनी को भेज दिया है. अब जब अगले माह मेरी शादी हो रही है और मुझे कनाडा चले जाना है तो जौब कैसे करूंगी.’’

अमित मौन था. उस ने श्रेया को यह भी नहीं बताया कि उस के पापा का फोन आया था और वह इन सब बातों से अवगत है. श्रेया अपने कमरे में चली गई पैकिंग करने. अमित बैड पर करवटें बदल रहा था मानो अंगारों पर लोट रहा हो.

दरवाजे की घंटी की आवाज पर अमित ने दरवाजा खोला. स्वरा ही थी. ‘‘आ गईं आप? अमित के स्वर में व्यंग्य था, ‘‘बड़ी जल्दी आ गईं, अभी तो रात के 10 ही बजे हैं. इतनी भी क्या जल्दी थी, थोड़ी देर और एंजौय कर लेतीं.’’

‘‘शायद, तुम ठीक कह रहे हो’’, स्वरा ने मुसकरा कर अंदर आते हुए कहा, ‘‘तुम दोनों की फिक्र लगी थी, भूख लगी होगी, अब खाना क्या बनाऊंगी, कहो तो चीजसैंडविच बना दूं. चाय के साथ खा लेना.’’

‘‘बड़ी मेहरबानी आप की. इतनी भी जहमत उठाने की क्या जरूरत है. श्रेया शाम की फ्लाइट से पुणे वापस चली गई है. तुम्हारे पापा का फोन आया था. मैं ने भी खाना बाहर से और्डर कर के मंगा लिया था. तुम टैंशन न लो. जाओ, सो जाओ,’’ अमित ने कुढ़ते हुए कहा और सोने लगा.

स्वरा मन ही मन हंस रही थी. कैसी मिर्च लगी है जनाब को, कितने दिनों से मैं जो उपेक्षा की शरशय्या पर लोट रही थी, उस का क्या. न तो मैं मूर्ख हूं, न ही अंधी, जो इन दोनों की बढ़ती नजदीकियों को समझ नहीं पा रही थी या देख नहीं पा रही थी.

अरे, अमित तो पुरुष है भंवरे की प्रवृत्ति वाला, जहां कहीं भी सौंदर्य दिखा, मंडराने लगा. यद्यपि ऐसा कभी भी नहीं हुआ कि पिछले 2 वर्षों में उस ने कभी भी अपनी बेवफाई का कोई भी परिचय दिया हो, लेकिन श्रेया, वह तो मेरी सगी बहन है, मेरी ही मांजायी. क्या उसे मेरा ही घर मिला था सेंध लगाने को. अमित से निकटता बढ़ाने से पूर्व क्या उसे एक बार भी मेरा खयाल नहीं आया. किसी ने सच ही कहा है, ‘आग और फूस एक साथ रहेंगे तो लपटें तो उठेंगी हीं,’ जिन्हें वह स्पष्ट देख रही थी. उस ने मन ही मन निश्चय ले लिया था कि यह बात अब और आगे नहीं बढ़ने देगी.

सुबह वह थोड़ा निश्ंिचत हो कर  उठी. नहाधो कर नाश्ता लगाया.  ‘‘अमित, श्रेया इतनी जल्दी क्यों चली गई. आज भी तो जा सकती थी,’’ उस ने सामान्य लहजे में कहा.

‘‘तो तुम्हें क्या, तुम अपनी लाइफ एंजौय करो. तुम्हें तो यह भी नहीं पता होगा कि श्रेया की शादी विशेष के साथ तय हो गई है. जो अगले माह में होगी. तुम्हारे पापा का ही फोन आया था. अरे हां, यह विशेष कहीं वही तो नहीं जिस के साथ तुम घूमफिर रही हो,’’ अमित ने चुभने वाले लहजे में कहा.

अब स्वरा चुप न रह सकी, ‘‘हां,  वही है. बताया तो था हम लोग क्लासमेट थे. तुम मिलना चाहो तो लंच पर बुला लेते हैं. और उस ने फोन लगा दिया. अमित हैरान था. इस के पापा ने तो बताया था कि विशेष वहां आया हुआ है तो फिर ये किस के साथ 2 दिनों से घूमफिर रही थी.’’

स्वरा ने बड़ा ही शानदार लंच बनाया था. सभी कुछ अमित की पसंद का था. पालक पनीर, भरवां करेले, मटर पुलाव, फू्रट सलाद, पाइनऐप्पल रायता और केसरिया खीर. 2 बजे दरवाजे की घंटी बज उठी. अमित ने दरवाजा खोला, सामने उस के मामा की बेटी निधि खड़ी मुसकरा रही थी. वह स्वरा की भी खास सहेली बन गई थी.

‘‘हाय दादा, भाभी कहां हैं?’’

‘‘वह तो किचन में है. उस का कोई दोस्त लंच पर आने वाला है. बस, उसी की तैयारी कर रही है,’’ अमित हड़बड़ा गया था.

‘‘अच्छा, तो भाभी से कहिए उन का दोस्त आ गया है,’’ निधि मुसकरा रही थी.

‘‘क्या? कहां है?’’ अमित का माथा चकरा रहा था.

‘‘आप के सामने ही तो है.’’

‘‘तुम?’’

‘‘सच, भाभी बहुत मजेदार हैं. 2 दिनों से जो मजे वे कर रही थीं, वर्षों से नहीं किए थे.’’

‘पूरे दिनदिन भर साथ रहना, रात में देर से आना,’ अमित उलझन में था. तभी पीछे से हंसती हुई स्वरा ने आ कर अमित के गले में अपनी बांहें डाल दीं, ‘‘हां अमित, ये हम दोनों की मिलीभगत थी,’’ स्वरा के स्वर में मृदु हास्य का पुट था.

‘‘दादा, और श्रेया कहां है, भाभी कह रही थीं आजकल आप उस के साथ घूमफिर व खूब मौजमस्ती कर रहे हैं,’’  निधि के स्वर में तल्खी थी.

‘‘अरे भई, इन्हीं की बहन की आवभगत में लगा था ताकि श्रेया को यह न लगे कि मैं उस की अवहेलना कर रहा हूं. आखिर वह मेरी इकलौती साली है और फिर सौंदर्य किसे आकर्षित नहीं करता. फिर, हमारे बीच दोस्ती ही तो थी,’’ अमित ने सफाई पेश की ताकि वह असल बात को छिपा सके.

‘‘अच्छा, वाह दादा, दोस्ती क्या ऐसी थी कि रात में देरदेर से आते थे. अकसर बाहर ही खापी लेते थे.’’

अब अमित खामोश था. उस की कुछ भी कहनेसुनने की अब हालत नहीं थी. सच ही तो है, जब 2 दिनों से स्वरा उस के बगैर ही एंजौय करती रही, तब वह भी तो जलभुन रहा था और वह तो इतने दिनों से मेरी उपेक्षा की शिकार हो रही थी. जबकि उस के समर्पण में कोई भी कमी न थी. तो स्वरा ने गलत क्या किया?

अकस्मात उस ने स्वरा को अपनी बाहों में उठा लिया और गोलगोल चक्कर काटते हुए हंसतेहंसते बोला, ‘‘भई वाह, तुम्हें तो राजनीति में होना चाहिए था. मेरी ओर से तुम्हारा गोल्ड मैडल पक्का.’’

स्वरा भी उस के गले में बाहें डाले झूल रही थी. उस का सिर अमित के सीने पर टिका था. निधि ने दोनों का प्यार देख कर वहां से चली जाना ही उचित समझा. उसे लगा कि दोनों के बीच कुछ था जो अब नहीं है. अब उस के वहां होने का कोई औचित्य भी नहीं था. उस ने राहत की सांस ली और गेट से बाहर आ गई.

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मैटरनिटी फोटोशूट में Kratika Sengar ने यूं दिखाया बेबी बंप, फोटोज वायरल

बीते दिनों टीवी की कई हसीनाएं मां बनीं हैं. वहीं अब ‘झांसी की रानी’ फेम एक्ट्रेस कृतिका सेंगर भी जल्द मां बनने वाली हैं. इसी बीच उन्होंने अपने प्रैग्नेंसी फोटोशूट की झलक फैंस को दिखा दी है. दरअसल, हाल ही में एक्ट्रेस ने अपने पति यानी एक्टर निकितन धीर के साथ अपने मैटरनिटी फोटोशूट की फोटोज शेयर की हैं, जिसमें दोनों की जोड़ी बेहद खूबसूरत लग रही हैं. आइए आपको दिखाते हैं इस कपल के फोटोशूट की झलक…

एक्ट्रेस ने कराया फोटोशूट

 

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कृतिका सेंगर जल्द ही मां बनने वाली हैं, जिसके चलते उन्होंने अपने मैटरनिटी फोटोशूट करवाया था. वहीं इस फोटोशूट में वह पति निकितन धीर के साथ बेहद खूबसूरत पोज देते हुए नजर आईं. ब्लैक कलर की ड्रैस पहने एक्ट्रेस कृतिका का लुक सिंपल लेकिन ट्रैंडी लग रहा था. वहीं पेरेंट्स बनने की खुशी कपल के चेहरे पर झलक रही थी.

शादी के 10 साल बनेंगी मां

कृतिका सेंगर और निकितिन धीर साल 2014 में शादी के बंधन में बंधे थे, जिसके बाद यह 10  सालों में एक्ट्रेस की पहली प्रैग्नेंसी है. वहीं प्रैग्नेंसी फोटोशूट का BTS वीडियो देखकर फैंस कपल की कैमेस्ट्री को काफी पसंद कर रहे हैं. दरअसल, एक्ट्रेस ने अपने फोटोशूट के BTS वीडियो शेयर की है, जिसमें दोनों फोटोशूट के दौरान मस्ती करते हुए नजर आ रहे हैं.

 

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कई सीरियल्स में नजर आ चुकी हैं कृतिका

 

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एक्ट्रेस कृतिका सेंगर टीवी का जाना पहचाना नाम है. सीरियल ‘कसौटी जिंदगी की’ के जरिए जहां एक्ट्रेस ने टीवी डेब्यू किया था. तो वहीं ‘झांसी की रानी’, ‘कसम’ और ‘पुनर्विवाह’ में सीरियल्स के जरिए अपनी घर-घर में पहचान बनाई थीं. वहीं एक्ट्रेस कृतिका के पति निकितन धीर की बात करें तो वह कई बौलीवुड फिल्मों में काम कर चुके हैं, जिनमें चेन्नई एक्सप्रैस फिल्म के चलते उन्होंने काफी सुर्खियां बटोरी थीं.

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Anupama की टीम के साथ Rupali Ganguly ने की बर्थडे पार्टी, फोटोज वायरल

सीरियल अनुपमा (Anupama) एक्ट्रेस रुपाली गांगुली (Rupali Ganguly) ने बीते दिनों अपना 45वां बर्थडे मनाया था. हालांकि बिजी होने के चलते वह पार्टी नहीं कर पाईं थीं. लेकिन अब शूटिंग से फ्री होने के बाद एक्ट्रेस पार्टी करती हुई नजर आ रही हैं. वहीं इस पार्टी में अनुपमा की टीम के अलावा शिवांगी जोशी और साराभाई वर्सेज साराभाई के सितारे भी शामिल होते दिख रहे हैं. आइए आपको दिखाते हैं रुपाली गांगुली के बर्थडे सेलिब्रेशन की फोटोज…

अनुपमा की टीम के साथ मनाया बर्थडे

बीते दिन एक्ट्रेस रुपाली गांगुली ने अपने सीरियल अनुपमा की टीम यानी गौरव खन्ना, सुधांशु पांडे, अनेरी वाजनी, अल्पना बुच और मदालसा शर्मा के अलावा शो के डायरेक्टर के साथ मस्ती करती हुई नजर आईं. वहीं इसके अलावा एक्ट्रेस की फैमिली भी दिखी, जिसके साथ एक्ट्रेस ने बहुत फोटोज क्लिक करवाईं.

शिवांगी जोशी भी आईं नजर

 

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रुपाली गांगुली के बर्थडे बैश में जहां कई सितारे नजर आए तो वहीं एक्ट्रेस शिवांगी जोशी लाइमलाइट बटोरती दिखीं.  इसके अलावा रुपाली गांगुली के हिट शो साराभाई वर्सेस साराभाई के सितारों ने भी इस जश्न में शिरकत की. वहीं रुपाली गांगुली की पार्टी जितनी मौर्डर्न दिखी तो वहीं एक्ट्रेस का लुक ब्लैक गोल्डन कलर के आउटफिट में किसी बौलीवुड हसीना से कम नहीं था.

अनुज संग दिए पोज

जहां रुपाली गांगुली अपने बर्थडे पर रियल लाइफ हस्बैंड के साथ नजर आईं तो वहीं सीरियल में अनुपमा के प्यार अनुज का किरदार निभाने वाले गौरव खन्ना ने भी फैंस के लिए रुपाली गांगुली संग फोटो शेयर की, जिसे देखकर फैंस बेहद खुश नजर आए और एक्ट्रेस को बर्थडे की बधाई देते हुए कपल की तारीफ करते दिखे.

 

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बता दें, सीरियल अनुपमा और उसके प्रीक्वल अनुपमा-नमस्ते अमेरिका के चलते एक्ट्रेस रुपाली गांगुली काफी बिजी चल रही हैं, जिसके चलते वह बेहद कम समय फैमिली के साथ बिता पाती हैं. हालांकि उनकी और टीम की मेहनत के काऱण सीरियल की टीआरपी पहले नंबर पर बनी हुई है.

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अनाम रिश्ता: भाग 2- क्या मानसी को मिला नीरस का साथ

6 महीने के बाद उन्हें पापा अपने साथ आगरा ले आए. यहां पर सब उन के बुरे दिनों को कोसते. मां के घर में तो बिलकुल भी चैन नहीं था. दादी, ताई, चाची, बूआ आदि का जमावड़ा और बस एक ही बात कि हायहाय 25 साल की छोरी. कैसे काटेगी पूरी जिंदगी और फिर जबरदस्ती रोने का नाटक करते हुए बातों में मशगूल हो जाना. पिछले जन्म के कर्म हैं, वे तो भुगतने ही पड़ेंगे.

ताई बोलीं, ‘‘मानसी तुम एकादशी का व्रत किया करो, मेरे साथ कल से मंदिर दर्शन करने चला करो. वहां गुरुजी बहुत बढि़या सत्संग करवाते हैं,’’

मम्मीपापा को यह विश्वास था कि पूजापाठ से कष्ट दूर हो जाएंगे.

‘‘यह क्या तुम ने लाल चूडि़यां पहन लीं?’’ बूआ ने घर में हंगामा मचा दिया. मम्मी उन के सामने जबान नहीं हिला सकती थीं.

‘‘मानसी अभी तक सो रही हो. उठो आज अमावस्या है. स्वप्निल की आत्मा की शांति के लिए ब्राह्मण भोजन और हवन है,’’ ताई ने उन्हें जगाते हुए जोर से कहा.

वे उठीं और भुनभना कर बोलीं, ‘‘स्वप्निल ने तो मुझे जिंदा ही मरणतुल्य कर दिया है. ऐसी जिंदगी से तो उसी दिन मर जाती तो ये सब न देखना पड़ता,’’ उन का चेहरा गुस्से से लाल हो रहा था.

उन की बड़बड़ाहट को बूआ ने सुन लिया, ‘‘वाह रे छोकरी, मरे आदमी को कोस रही है. जाने कौन से पाप किए थे जो भरी जवानी  में  विधवा हो गई. अब तो चेत जाओ कम से कम अगला जन्म तो सुधार लो.’’

वे अपने को अनाथ सा महसूस कर रही थीं, तभी पापा आ गए और जोर से बोले, ‘‘मेरी लाडो को मत परेशान किया करो,’’ और वे पापा से लिपट कर सिसक पड़ीं.’’

अगले दिन सुबह विमला नहीं आई थी. बकुल भूखा था. वे किचन में बगैर नहाए चली गईं. मम्मी आ गईं और उन्हें किचन में देखते ही चिल्ला कर बोलीं, ‘‘मानसी तुम्हें जरा सा सबर नहीं था… मैं नहा कर आ तो रही थी?’’

‘‘बकुल जोर से रो रहा था.’’

‘‘आज पूर्णिमा है तुम ने बगैर नहाए सब छू लिया… अब फिर से किचन धोनी पड़ेगी.’’

‘‘उफ, मां कब तक इन कर्मकांड भरे ढकोसलों में पड़ी रहोगी. आप ने तो मेरा जीना हराम कर दिया है,’’ वे पैर पटकते हुए अपने कमरे में जा कर सिसक पड़ीं, ‘‘यहां से अच्छा तो मेरे ससुराल वाले मुझे रखते हैं. आगरा रहते हुए 6 महीने हो चुके थे. मालती मम्मीजी का फोन लगभग रोज आ जाता और वे बकुल को याद करती रहतीं.

उन्होंने नाराज हो कर लखनऊ जाने का निश्चय कर लिया था. शायद मम्मी भी उन से परेशान हो चुकी थीं. उन्होंने बकुल से फोन पर कहला दिया, ‘‘दादी मुझे आना है.’’

अगली सुबह मम्मीजी ने गाड़ी भेज दी और वे लखनऊ पहुंच गईं. इस बीच पापा ने ईशा दी को अपने घर में बुला लिया. वे लोग सब अब यहीं रहने वाले हैं, यह बात तो उन्हें बहुत बाद में पता चली थी. उन का जीवन तो बोझ बन चुका था क्योंकि मम्मीजी का झकाव बेटियों की तरफ ज्यादा हो गया था. वे अब एक फालतू चीज बन कर रह गई थीं, जिस की कहीं कोई उपयोगिता नहीं थी. उन के पापा और ससुरजी के बीच जेवर, इंश्योरैंस के पैसे, बैंक लौकर के जेवर और एफडी आदि के लिए मनमुटाव शुरू हो गया था. पापा का कहना था कि उन की बेटी के नाम सब होना चाहिए. अकसर मीटिंग होती. दोनों तरफ के कुछ लोग बैठते. बहसा होती. लेकिन कुछ तय नहीं हो पाता क्योंकि पापाजी कुछ भी देना ही नहीं चाहते थे. लौकर के गहने, और इंश्योरैंस के रुपए, उन का स्त्री धन और कुछ प्रौपर्टी कुछ भी उन के नाम करने को तैयार नहीं हो रहे थे. 2 साल तक वे कभी ससुराल तो कभी मायके अपने दिन गुजारती रहीं.

वन्या दी, ईशा दी और मम्मीजी का एक ग्रुप बन गया था. वे उन्हें अपनी बातों में कम शामिल करतीं. खूब शौपिंग पर जातीं. लेकिन अपना सामान बहुत कम ही उन्हें दिखाया करतीं. वे अपने कमरे में टीवी और मोबाइल में सिर फोड़ती रहतीं.

ईशा दी की बेटी लवी और बकुल में दिनभर लड़ाईझगड़ा तो रोज की बात थी. लवी बड़ी थी, वह चुपचाप उस के चुटकी काट लिया करती. कभी बकुल रोते हुए उन के पास आता कि लवी ने मेरा खिलौना छीन लिया. दिनभर यही सब चलता रहता. वे लवी को कुछ नहीं कह सकती थीं. बकुल ही दिनभर डांट खाता. कभी वे नन्हे से बकुल को थप्पड़ लगा कर रो पड़ती थीं. मम्मीजी उस को अपनी गोद में बैठा कर प्यार तो करतीं, लेकिन लवी को कुछ न कहतीं.

एक दिन दोनों बच्चे लड़ रहे थे तो बकुल ने लवी को धक्का दे दिया. वह गिर गई

और होंठ में दांत चुभ गया. दी ने आव देखा न ताव बकुल के गाल पर जोर का थप्पड़ लगा दिया और जोरजोर चीखने लगी तो वे सह नहीं सकीं. गुस्से में बोलीं, ‘‘दी आपने नन्हे से बकुल को इतनी जोर से मारा कि देखिए उस के गाल पर आप की सारी उंगलियां छप गई हैं.’’

‘‘यह नहीं दिखता कि बकुल ने लवी को कितनी जोर से धक्का दिया है. कभी अपने बेटे को भी समझया करो. अब तुम बहुत बोलने लगी हो. भैया तो हैं नहीं जो तुम्हें कंट्रोल करें. अब तो बिना लगाम की घोड़ी बन गई हो,’’ वे बहुत देर तक बकबक करती रही थीं. मम्मीजी मूकदर्शक बनी सब सुनती रही थीं.’’

वे घंटों तक अपने कमरे में सिसकती रही थीं. मासूम बकुल उन के आंसू पोछता रहा.

वन्या दी भी आती रहतीं. ईशा दी तो रहती ही थीं. घर कभी खाली न रहता. वे बहू का फर्ज निभातेनिभाते दुखी हो जाती थीं. इस के बावजूद रोज की चिखचिख. खाना कैसा बना है. सलाद नहीं कटा, सब्जी बेकार है. दाल पतली है.

‘‘मानसी, तुम क्या करती रहती हो? रसोइए से ढंग से खाना भी नहीं बनवा सकतीं? जब खाने बैठो, तो इतना बेकार खाना,’’ कहते हुए पापाजी डाइनिंग टेबल से उठ गए थे. फिर तो हंगामा होना स्वाभाविक ही था.

ईशा दी के पति विनय उन के कमरे में आ कर उन्हें ज्ञान देने लगे, ‘‘भाभी, आप अकेली हो. भैया तो हैं नहीं. छोटा सा बच्चा भी साथ में है. इसलिए आप चुप रहा करिए और घर के कामों पर अपना ध्यान दिया करिए.’’

अब तो जबतब जीजू मौका देख कर उन से बात करते और उन के नजदीक भी आने की कोशिश करने लगे थे. अब वे उन के सामने जाने से कतराया करती थीं. वे उन की ललचाई निगाहों से झलस कर रह जाया करती थीं.

एक दिन तो हद हो गई जब अकेला पाते ही उन्होंने उन्हें अपने आगोश में जकड़ लिया. उन्होंने गुस्से में आव देखा न ताव एक थप्पड़ उन के गाल पर जड़ दिया.

वे उलटे चीखचीख कर कहने लगे कि यह तो उन्हें कब से परेशान कर रही थी. आज मौका लगते ही गले ही पड़ गई. मैं इसे धक्का न देता तो यह न जाने क्या करती.

सब लोग सबकुछ जानसमझ रहे थे, लेकिन वहां पर उन की तरफ से बोलने वाला तो कोई था ही नहीं क्योंकि उन का पति तो उन्हें मझधार में छोड़ कर जा चुका था. उन का जीवन तो बिना नाविक की नाव की तरह हो गया था जो भंवर में डूबउतरा रही थी. काश, पापा ने उन्हें पढ़लिखा कर अपने पैरों पर खड़ा किया होता तो वे इस तरह से मायके और ससुराल की ठोकरें न खातीं.

अपनी बेबसी पर वे रो पड़ी थीं. अब उन्होंने निश्चय कर लिया था कि वे

अब यहां एक दिन भी नहीं रहेंगी. उन्होंने पापा को फोन कर दिया था. वे सुबह आ गए, फिर तो जोर का झगड़ा शुरू हो गया. बकुल के लिए खींचातानी. बकुल स्वप्निल की निशानी है, इसलिए वह यहां पर उन लोगों के साथ ही रहेगा.

आगे पढ़ें- अखिल पापाजी कह रहे थे…

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Summer Special: जाए वहां जहां ज्यादा लोग नहीं जाते

भारत में घूमने के लिए ऐसी जगह है की आपको बाहर जाने की जरूरत ही नही है. प्रकृति की गोद में बसा भारत की खुबसूरत जगहों की बात ही औरौं से जुदा है. यहां पर कुछ ऐसी खुबसूरत जगह हैं जिनके बारे में आपको पता नहीं होगा. अगर आप रोमांच प्रेमी है और एक बार कुछ नई जगह घूमना चाहते हैं तो एक बार इन जगहों पर जरूर जायें.

1. थॉसेघर फॉल्स, सतारा

अगर आप लोनावला या खंडाला गए हैं और थॉसेघर फॉल्स नहीं गए तो आपने बहुत ही खास चीज़ मिस कर दी. यह जगह बेहद ही छोटे से खेड़े में है. सतारा सिटी से 20 किमी की दूरी पर थॉसेघर फॉल्स है. यहां जाकर आप पानी में मस्ती कर सकते हैं. यहां का माहौल आपको काफी पसंद आएगा. यहां की ठंडी हवाएं आपको दिल को खुश कर देंगी. यहां इतनी शांति है कि आप सुकून के लिए बार-बार इस जगह पर आना चाहेंगे.

2. कास का पठार, महाराष्ट्र

पर्यटन की दृष्टि से कास का पठार नया नहीं. इस पठार की ख़ास बात यह है यहां के 850 अलग अलग प्रजातियों के फूल. अक्टूबर से नवम्बर का समय इस पठार की यात्रा का सबसे अच्छा समय है.

3. संदकफू, दार्जिलिंग

इस जगह को जहरीले पेड़ों का जंगल कहा जाता है क्योंकि यहां के पहाड़ों की चोटियों पर जहरीले एकोनाइट पेड़ पाए जाते हैं. इसलिए इसे संदकफू कहा जाता है जिसका मतलब है जहरीले पेड़-पौधों. इसे ‘पैराडाइज ऑफ ट्रैकर्स’ के नाम से भी जाना जाता है क्योकि यहां ट्रेकिंग होती है. दार्जिलिंग में स्थित संदकफू जंगल समुद्र तल से 3,636 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. यहां से आप एवरेस्ट, कंचनजंघा, मकालू और ल्ओत्से की ऊंची चोटियों को देख सकते है.

4. द्रास, लद्दाख

द्रास को भारत देश की सबसे ठंडी जगह और दुनिया की दूसरी सबसे ठंडी जगह माना जाता है. सर्दियों में यहां का तापमान -45 तक होता है. जम्मू व कश्मीर के कारगिल जिले में स्थित एक बस्ती है द्रास. 10760 फीट की ऊंचाई पर बसा द्रास पहाड़ों से घिरा हुआ है. कश्मीर से लद्दाख जाने के लिए द्रास वादी से गुजरना पड़ता है. जिसके कारण इसे ‘लद्दाख का द्वार’ भी कहा जाता है.

5. इमामबाड़ा, लखनऊ

यह इमारत नवाबों के शहर लखनऊ में है. अपनी खासियत के कारण यह पूरी दुनिया में फेमस है. इस इमारत में ही दुनिया का सबसे बड़ा हॉल है जिसमें न खंभे है और न लोहा है और न ही लकड़ी का इस्तेमाल किया गया है. इसका रहस्य जानने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते है. इस इमारत के अलावा यहां का गार्डन भी देखने लायक है. शाही हमाम नामक यह बावड़ी गोमती नदी से जुड़ी है. इसमें पानी से ऊपर केवल दो मंज़िले हैं, शेष तल पानी के अंदर पूरे साल डूबे रहते हैं.

6. लाहौल, हिमाचल प्रदेश

लाहौल हिमाचल प्रदेश राज्‍य में भारत-तिब्‍बत सीमा पर स्थित है. लाहौल और स्‍पीति पहले दो जिले थे, जिन्‍हे बाद में 1960 में एकीकृत कर दिया गया था. यहां कि प्राकृतिक सुंदरता आपको अशांत मन को बहुत शांति देगी.

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मंदिर जरूरी या रोजगार

देश कब क्या सोचे, क्या चिंता करे, क्या बोले, क्या सुने यह भी अब पौराणिक युग की तरह देश का एक वर्ग जो धर्म की कमाई पर जिंदा ही नहीं मौजमस्ती और शासन कर रहा है तय कर रहा है. देश के सामने जो बेरोजगारी की बड़ी समस्या है. उस पर ध्यान ही नहीं देने दिया जा रहा. धर्मभक्तों के खरीदे या बहकाए गए टीवी चैनल या ङ्क्षप्रट मीडिया बेरोजगारों को दुर्दशा की ङ्क्षचता नहींं कर रहे उन की हताशा को आवाज नहीं दे रहे.

हर साल करोड़ों युवा देश में बेरोजगारों की गिनती में बढ़ रहे हैं पर उन के लायक न नौकरियां है, न काम धंधे. यह गनीमत है कि आज जो युवा पढ़ कर बेरोजगारों की लाइनों में लग रहे हैं, वे अपने मांबाप 2 या ज्यादा से ज्यादा 3 बच्चे में से एक है और मांबाप अपनी आय या बधन से उन्हें पाल सकते हैं. 20-25 साल तक के ही नहीं, 30-35 साल तक के युवाओं को मातापिता घर में बैठा कर खिला सकते हैं क्योंकि इस आयु तक आतेआते इन मांबाप के अपने खर्च कम हो जाते हैं.

पर यह बेरोजगारी आत्मसम्मान और अपना विश्वास पर गहरा असर कर रही है और अपनी हताशा को ढंकने के लिए ये युवा बेरोजगार धर्म का झंडा ले कर खड़े हो जाने लगे हैं. ये भी भक्तों की लंबी फौज में शामिल हो रहे है और भक्ति को देश निर्माण का काम समझ कर खुद को तसल्ली दे रहे हैं कि वे कमा नहीं रहे तो क्या. देश और समाज के लिए कुछ तो कर रहे हैं.

आज अगर विवाह की आयु धीरेधीरे बढ़ रही है और नए बच्चों की जन्म दर तेजी से घट रही है तो बढ़ा कारण यही है कि बेरोजगार युवाओं को विवाह करने से डर लग रहा है कि वे अपना बोझ तो मांबाप पर डाल रहे है बीवी और बच्चों को भी कैसे डालें.

घर समाज में सब एक समान नहीं होते. कुछ युवाओं को अच्छा काम मिल भी रहा है. अर्थव्यवस्था के कुछ सेक्टर काफी काम कर रहे हैं. खेती में अभी तक कोई विशेष मंदी नहीं आई है और इसलिए फूड प्रोसीङ्क्षसग और फूड सप्लाई का काम चल रहा है. रिटेङ्क्षलग और डिलिवरी के काम बड़े हैं. पर ये काम बेहद कम तकनीक के हैं और इन में भविष्य न के बराबर है.

आज का युवा बेरोजगारी या आधीअधूरी सी नौकरी के कारण अपनी कमाई में घर भी नहीं खरीद पा रहा है.

ये समस्या आज की चर्चा में नहीं आने दी जा रही क्योंकि ये धर्म द्वारा संचालित शासन की पोल खोलती हैं. निरर्थक मामलों को लिया जा रहा है और जो उठाए गए फालतू के विषयों पर ताॢकक बना देते हैं क्योंकि चर्या का विषय बेरोजगारी जैसे विषय धर्म, दान दक्षिणा, मंदिर, स्वामियों, यज्ञों, आरतियों, मंदिर कैरीडोरों की ओर मुड जाती है.

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Summer Special: 5 लो कैलोरी रेसिपीज

भागदौड़ भरी जिंदगी में सेहत का खयाल रखने के लिए स्वाद से समझौता क्यों? हम आप को बता रहे हैं कुछ ऐसी रेसिपीज जो जायकेदार भी हैं और सेहतमंद भी…

1. नारियल इडली

सामग्री

1 कटोरी बेसन,

1/4 कटोरी सूजी,

1 कटोरी नारियल कसा,

1 छोटा चम्मच ईनो,

1/2 छोटा चम्मच नमक,

1/4 छोटा चम्मच हलदी पाउडर.

सामग्री बघार के लिए

1 छोटा चम्मच तेल,

6 पत्ते मीठा नीम,

1 छोटा चम्मच राई,

4 हरीमिर्चें लंबाई में कटी,

1 छोटा चम्मच शकर,

1/2 छोटा चम्मच नीबू का रस.

विधि

बेसन में सूजी, नमक और नारियल डाल कर गाढ़ा घोल बनाएं. ईनो मिला कर इडली पात्र में रख कर इडली बनाएं. गरम तेल में बघार की सारी सामग्री डाल कर 2 बड़े चम्मच पानी डालें. जब उबाल आ जाए तो आंच बंद कर दें. तैयार इडली को एक प्लेट में रखें और ऊपर से नारियल और बघार डाल कर सर्व करें.

2. खीरा डिलाइट

सामग्री

4 खीरे, 50 ग्राम पनीर,

2 बड़े चम्मच दही,

जरूरतानुसार बारीक कटी शिमलामिर्च,

1/2 छोटा चम्मच चाटमसाला,

1/4 छोटा चम्मच कालीमिर्च पाउडर,

1 बड़ा चम्मच चुकंदर कसा,

जरूरतानुसार धनियापत्ती कटी.

विधि

खीरे को छील कर 2-2 इंच के टुकड़ों में काट लें. बीज निकाल दें. बीच से थोड़ा खोखला कर लें. एक बाउल में दही, पनीर, चाटमसाला, शिमलामिर्च, धनियापत्ती और कालीमिर्च को अच्छी तरह मिलाएं. प्रत्येक खोखले खीरे में तैयार सामग्री भरें. चुकंदर से सजा कर सर्व करें.

3. मल्टीग्रेन पीनट खमण

सामग्री

2 कटोरी मल्टीग्रेन आटा,

1 कटोरी बेसन,

1/2 कटोरी मूंगफली पिसी,

1/2 कटोरी लौकी कसी,

1 छोटा चम्मच नमक,

1 छोटा चम्मच अदरक व हरीमिर्च पेस्ट,

1/4 छोटा चम्मच हलदी पाउडर.

सामग्री बघार के लिए

1 छोटा चम्मच तेल,

2 हरीमिर्चें कटी,

1/4 छोटा चम्मच राई,

4-5 पत्ते मीठा नीम,

1 छोटा चम्मच ईनो.

विधि

आटे में बेसन, मूंगफली, लौकी, अदरक व हरीमिर्च पेस्ट और हलदी पाउडर डाल कर पानी की सहायता से गाढ़ा घोल तैयार करें. इस में ईनो डाल कर खमण पात्र में रख कर भाप में पका कर खमण बनाएं. ठंडा होने पर चौकोर टुकड़ों में काटें. गरम तेल में बघार की सारी सामग्री डालें. फिर खमण पर डाल कर सर्व करें.

4. ब्रैड स्प्राउट पोहा

सामग्री

4 ब्राउन ब्रैडस्लाइस,

1 कप अंकुरित मूंग,

1 प्याज बारीक कटा,

2 हरीमिर्चें बारीक कटी,

1 टमाटर कटा,

1/4 छोटा चम्मच हलदी पाउडर,

1/2 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर,

1 छोटा चम्मच नीबू का रस,

1/4 छोटा चम्मच गरममसाला पाउडर,

1 बड़ा चम्मच भुनी मूंगफली दरदरी कुटी,

1 बड़ा चम्मच तेल,

थोड़ी सी धनियापत्ती कटी.

विधि

ब्रैडस्लाइस के किनारे काट कर अलग कर दें. स्लाइस को छोटेछोटे टुकड़ों में काट लें. गरम तेल में कटे प्याज, हरीमिर्च और टमाटर, सारे मसाले और फिर मूंग डाल दें.

5 मिनट तक ढक कर पकाएं ताकि मूंग पक जाए. अब कटे ब्रैड के टुकड़े, मूंगफली, नीबू का रस और नमक डाल कर अच्छी तरह चलाएं. धनियापत्ती से सजा कर सर्व करें.

5. बेसन पनीर सैंडविच

सामग्री

1 कटोरी बेसन,

2 कटोरी दही,

1 कटोरी पानी,

1/4 छोटा चम्मच नमक,

1/4 छोटा चम्मच हलदी पाउडर,

50 ग्राम पनीर,

1 बड़ा चम्मच खसखस भुनी,

1 बड़ा

चम्मच टोमैटो सौस,

1 छोटा चम्मच चाटमसाला.

विधि

बेसन में नमक, हलदी व दही मिलाएं. इसे एक नौनस्टिक कड़ाही में डाल कर गाढ़ा होने तक पकाएं. तैयार मिश्रण को एक थाली में फैला कर ठंडा होने दें. पनीर के पतले स्लाइस काट लें. इन के दोनों ओर चाटमसाला बुरक लें. अब तैयार बेसन के मिश्रण के भी स्लाइस काट लें और एक ओर टोमैटो सौस लगा लें. एक प्लेट में बेसन का स्लाइस रख कर पनीर का स्लाइस रखें, फिर ऊपर से दूसरा बेसन का स्लाइस रखें और दोनों ओर खसखस में लपेटें. तैयार सैंडविच चाय या कौफी के साथ सर्व करें.

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Eye Sight का गुपचुप चोर ‘ग्लूकोमा’

क्या आपने कभी अपनी आंखों में ऐसा दबाव महसूस किया है, जिससे तेज सिरदर्द हुआ हो और आंखें लाल हो उठी हो?आपने किसी वस्तु को देखते समय उसके चारों ओर इंद्रधनुषी रंग बिखरे देखे है?क्या आँखों पर जोर के साथ आपको मिचली भी आती है? ये ग्लूकोमा के लक्षण हो सकते है,जो दुनिया में अंधेपन का दूसरा सबसे आम कारण है, ऐसा अंधापन जिसे रोका जा सकता है. यह एक ऐसी बीमारी है, जो आईज ऑप्टिक नर्व यानि आंखों की एक ऐसी तंत्रिका को नुकसान पहुंचाती है, जो मस्तिष्क से जुड़ती है और जिससे हमें देखने में मदद मिलती है. ग्लूकोमा आंख में बढ़े हुए दबाव से संबंधित हो सकता है, जिसे इंट्राओकुलर प्रेशर के रूप में जाना जाता है.

ग्लूकोमा के रोगी अधिक

इस बारें में भोपाल के एएसजी आई हॉस्पिटल प्राइवेट लिमिटेड के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ.नेहा चतुर्वेदी कहती है कि बढ़ती उम्र के साथ ये रोग बढ़ता है और 40 वर्ष से अधिक उम्र के लोग ग्लूकोमा के लिए सबसे अधिक संवेदनशील होते है. यह अनुमान है कि भारत में 40 वर्ष से अधिक आयु के लगभग 1.1 करोड़ रोगी है, जिसमें वृद्ध लोगों में ग्लूकोमा अधिक दिखाई पड़ा है, वहीं अलग-अलग आयु वालों के लिए इस बीमारी का नाम भी अलग ही है.

  • नवजात शिशु में इस बीमारी के होने पर इसे ’जन्मजात ग्लूकोमा’ कहा जाता है,
  • कम उम्र (3-10 वर्ष) में इसे ’विकासात्मक ग्लूकोमा’ कहा जाता है,
  • ‘किशोर ग्लूकोमा’ 10-40 वर्ष की आयु के बीच के समूह को होने वाले ग्लूकोमा को कहा जाता है. .

होती है कई बार वंशानुगत

डॉ. नेहा आगे कहती है कि कई अन्य बीमारियों की तरह, ग्लूकोमा भी वंशानुगत हो सकता है, सिर या आंख के क्षेत्र में आघात, आंखों में बूंदों या मौखिक दवा के रूप में लंबे समय तक स्टेरॉयड का इस्तेमाल करना भी इस नेत्र विकार का कारण बन सकता है. ग्लूकोमा आमतौर पर कोई चेतावनी वाले लक्षण नहीं दिखाता, यह धीरे-धीरे विकसित होता है और हल्के-हल्के दृष्टि कमजोर करता जाता है. इसलिए, इसे ’आँखों का गुपचुप चोर’ या ‘साइलेंट थीफ ऑफ साइट’ भी कहा जाता है. ग्लूकोमा की वजह से दृष्टि के नुकसान की भरपाई नहीं हो सकती, ऐसे में हाई रिस्क वाले लोगों के लिए नेत्र रोग विशेषज्ञ से नियमित जांच करवाना बहुत जरूरी हो जाता है. नियमित जांच में ऑप्टिक नर्व स्ट्रक्चर और आई प्रेशर की जांच की जाती है और जरूरी हुआ तो नर्व की टेस्टिंग के लिए कुछ परीक्षणों का सुझाव दिया जाता है. इनमेंविजुअल फील्ड टेस्टिंग,कॉर्नियल मोटाई और ऑप्टिक नर्व की ओसीटी स्कैन शामिल है. ये परीक्षण न केवल ग्लूकोमा के निदान की पुष्टि करने में मदद करते है, बल्कि रोग से होने वाले आँखों की नुकसान की मात्रा निर्धारित करते हुए स्थिति को संभालने में मदद करते है.

एनाटोमिकली अलग संरचना 

हालाँकि प्रत्येक आंख की एनाटोमिकलस्ट्रक्चर अलग होती है, ऐसे में दो प्राथमिक प्रकार के ग्लूकोमा खास तौर पर होते है, ओपन-एंगल ग्लूकोमा (ओएजी), जिसमें धीमी और स्पर्शोन्मुख शुरुआत होती है और एंगल-क्लोजर ग्लूकोमा (एसीजी), जो ओकुलर दबाव में तीव्र वृद्धि का कारण बनता है.

अपनाएं प्रिवेंटिव तरीका

डॉ मानती है कि वर्तमान में ग्लूकोमा का कोई इलाज उपलब्ध नहीं है लेकिन रोगी में विजन और फील्ड के अधिक नुकसान को रोकने के लिए विभिन्न उपचारों और थिरेपी के द्वारा नेत्र विकार का प्रबंधन किया जा सकता है. आंखों के दबाव को वांछित स्तर तक कम करने के लिए कई विकल्प उपलब्ध है. रोग शुरुआती चरण में है, तो नियमित रूप से उपयोग करने के लिए कोई आई ड्रॉप निर्धारित कररोग को नियंत्रित किया जा सकता है. जिन्हें इससे भी लाभ नहीं होता है उन रोगियों में आई सर्जरी भी एक विकल्प है, जो रोग के विकास को धीमा करने या रोकने में मदद करती है. ओलोजन इम्प्लांट, वाल्व सर्जरी, मिनिमली इनवेसिव ग्लूकोमा सर्जरी (एमआईजीएस), लेजर सर्जरी के उपयोग के साथ स्टैंडर्ड फिल्टरिंग सर्जरी जैसे सर्जरी के विभिन्न उपचार विकल्प हैं जिन्हें डॉक्टर की सलाह के बाद करवाया जा सकता है.

सुने डॉक्टर की

रोगी और डॉक्टर मिलकर ही ग्लूकोमा का सही इलाज तय कर सकते है.जरुरत के आधार पर उपचार निर्धारित करने के बाद नेत्र रोग विशेषज्ञ आपको जो भी निर्देश दें, उनका लगातार पालन करने की जरूरत होगी. नियमित जांच, सालाना या छह महीने में आंखों की पूरी जांच, एंटीऑक्सीडेंट खाद्य पदार्थों से भरपूर संतुलित आहार खाकर स्वस्थ वजन बनाए रखना, मधुमेह को नियंत्रण में रखना, कैफीन के अधिक सेवन से बचना और धूम्रपान विकार से लड़ने में मदद करने जैसे कुछ एहतियाती उपाय बरतने पड़ते है. इसके अलावाकुछ केसेज में रोगी से शीर्षासन व्यायाम न करने की सलाह दी जाती है और अचानक ज्यादा मात्रा में पानी न पीने की सलाह भी दी जाती है, क्योंकि इससे आंखों पर दबाव बढ़ सकता है.

अंत में यह कहना सही होगा कि आपको जरा सा भी ग्लूकोमा के लक्षण दिखाई पड़ने पर, तुरंत उपचार की कोशिश करें, ताकि आप दृष्टि हानि से बच सकें. इसके लिए नेत्र रोग विशेषज्ञ के साथ नियमित जांच, निर्धारित दवा को लेना जैसे उपाय आजमाने ही होंगे.इससे  रोगी को स्वस्थ जीवन जीने में मदद मिलेगी. इसके अलावा, स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता भी ग्लूकोमा को नियंत्रित करने की एक कुंजी है.

रिश्तों की परख

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जब अफेयर का राज पकड़ा जाए

बेंगलुरु के एक 31 वर्षीय सौफ्टवेयर इंजीनियर को काफी समय से अपनी पत्नी पर शक था कि उस का किसी के साथ अफेयर चल रहा है और वह ये सब छिपा कर उसे धोखा दे रही है. इंजीनियर को कई बार घर से सिगरेट के कुछ टुकड़े मिलने के साथसाथ और भी कई ऐसी चीजें मिली थीं जिन से पत्नी पर शक और पुख्ता हो गया था. इन सब के बावजूद जब पत्नी ने अपने संबंध की बात नहीं कबूली तो उस ने अपनी पत्नी की गतिविधियों को ट्रैक करने की ठानी.

इस के लिए उस ने लिविंग रूम की घड़ी के पीछे एक कैमरा सैट किया, लेकिन उस की यह कोशिश नाकाम रही.

दूसरी बार उस ने 2 अन्य कैमरे लिविंग रूम में डिफरैंट ऐंगल्स पर सैट किए. साथ ही अपनी पत्नी के फोन को अपने लैपटौप पर ऐप के माध्यम से और रिमोट सैंसर से कनैक्ट किया, जिस से उसे पत्नी के फोन की चैट कनैक्ट करने में आसानी हुई और वौइस क्लिप के माध्यम से पता चला कि उस की पत्नी अपने बौयफै्रंड से कंडोम लाने की बात कह रही थी. उस ने कैमरों की मदद से बैडरूम में उन्हें संबंध बनाते हुए भी पकड़ा.

इन्हीं पुख्ता सुबूतों के आधार पर पति ने तलाक का केस फाइल किया. अदालत में पत्नी ने भी अपनी गलती स्वीकारी, जिस के आधार पर दोनों का तलाक हुआ.

ऐसा सिर्फ एक मामला नहीं बल्कि ढेरों मामले देखने को मिलते हैं जिन में बिस्तर पर रंगेहाथों अवैध संबंध बनाते पकड़े जाने पर या तो रिश्ता टूट जाता है या फिर ब्लैकमेलिंग की जाती है. इतना ही नहीं आप समाज की नजरों में भी गिर जाएंगे.

ऐसा भी हो सकता है कि आप का कोईर् फ्रैंड आप को रिलेशन बनाते हुए पकड़ ले. भले ही आप उसे दोस्ती का वास्ता दें लेकिन अगर उस का दिमाग गलत सोच बैठा तो वह आप को इस से बदनाम कर के आप को कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ेगा. ऐसे में अगर आप पार्टनर के साथ संबंध बनाने की इच्छा रखते भी हैं तो थोड़ी सावधानी बरतें ताकि आप ब्लैकमेलिंग का शिकार न होने पाएं.

1. करीबी का रूम न लें

आप का बहुत पक्का फ्रैंड है और आप उस पर ब्लाइंड ट्रस्ट कर के अपने फ्रैंड का रूम ले लें और बेफिक्र हो कर सैक्स संबंध बनाने लगें. लेकिन हो सकता है कि फ्रैंड ने पहले से ही रूम में कैमरा वगैरा लगाया हो, जिस से बाद में वह ब्लैकमेल कर के आप से पैसा ऐंठे या फिर आप के पार्टनर से सैक्स संबंध बनाने की ही पेशकश कर दे. ऐसे में आप बुरी तरह फंस जाएंगे. इसलिए करीबी का रूम न लें.

2. सस्ते के चक्कर में न फंसें

हो सकता है कि आप सस्ते के चक्कर में ऐसे होटल का चुनाव करें जिस की इमेज पहले से ही खराब हो. ऐसे में आप का वहां सैक्स संबंध बनाना खतरे से खाली नहीं होगा. वहां आप के अंतरंग पलों की वीडियो बना कर आप को ब्लैकमेल किया जा सकता है.

3. नशीले ड्रिंक का सेवन न करें

पार्टनर्स को नशीले पदार्थ का सेवन कर के सैक्स संबंध बनाने में जितना मजा आता है, उतना ही यह सेहत और सेफ्टी के लिहाज से सही नहीं है. ऐसे में जब आप नशे में धुत्त हो कर संबंध बना रहे होंगे तब हो सकता है आप का कोईर् फ्रैंड आप को आप के पेरैंट्स की नजरों से गिराने के लिए ये सब लाइव दिखा दे. इस से आप अपने पेरैंट्स की नजरों में हमेशाहमेशा के लिए गिर जाएंगे.

4. न लगने दें किसी को भनक

अगर आप अपने पार्टनर के साथ संबंध बनाने का मन बना चुके हैं तो इस की भनक अपने क्लोज फ्रैंड्स को न लगने दें वरना वे भी सबक सिखाने के लिए आप को अपने जाल में फंसा सकते हैं.

5. कहीं रूम में कैमरे तो नहीं

जिस होटल में या फिर जिस भी जगह पर आप गए हैं वहां रूम में चैक कर लें कि कहीं घड़ी, अलमारी वगैरा के पास कैमरे तो सैट नहीं किए हुए हैं. अगर जरा सा भी संदेह हो तो वहां एक पल भी न रुकें वरना आप के साथ खतरनाक वारदात हो सकती है.

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