Sunrise Pure स्वाद और सेहत उत्सव में बनाइए टेस्टी सांभर

आपने कई बार बाहर restaurants में सांभर खाया होगा पर अक्सर जब हम इसे घर पर बनाते है तो ओरिजिनल टेस्ट नहीं आ पाता.  तो चलिए आज मै आपको बिलकुल साउथ इंडियन टाइप सांभर बनाना बताएंगे. इस तरह सांभर बनाने के बाद आपके साउथ इंडियन फ़ूड का स्वाद दोगुना हो जायेगा.

कितने लोगो के लिए: 3 से 4

कितना समय:20 से 25 मिनट

मील टाइप:वेज

हमें चाहिए-

तेल –1 टेबल स्पून

अरहर की दाल-1 छोटा कप

लौकी- 1 ½  कप छोटे टुकड़े में कटी हुई

बैगन – 1 कप छोटे टुकड़े में कटा हुआ

गाज़र- ¼ कप छोटे टुकड़े में कटी हुई

सहजन की फली-4 से 5  टुकड़े 3 इंच की लम्बाई में कटे हुए (ऑप्शनल)

टमाटर- 1 मध्यम

प्याज़- 1 बड़े आकार का

सांभर पाउडर- 2 छोटे चम्मच

इमली का पेस्ट-1 बड़ा चम्मच (अगर आपके पास इमली नहीं है तो आप अमचूर पाउडर या नीम्बू भी इस्तेमाल कर सकते है)

राई –1 छोटा चम्मच

करी पत्ता-7 से 8

कड़ी लाल मिर्च -2 से 3

हींग-1 चुटकी भर

बनाने का तरीका –

सबसे पहले दाल को अच्छे से धोकर कुकर में दाल दीजिये.  अब कुकर में कटी हुई लौकी, बैगन,सहजन की फली  और नमक भी  डाल दीजिये. आप चाहे तो और भी कोई सब्जी ऐड कर सकते हैं. इसके  बाद  1 से 1 1/2 गिलास पानी डाल कर इसको 4 से 5 सीटी आने तक पकने दीजिये. अब गैस को बंद कर दीजिये और भाप खत्म हो जाने के बाद इसको किसी बर्तन में निकाल लीजिये.

अब 1/2 कप गर्म पानी में इमली को दाल कर भिगो दीजिये. फिर थोड़ी देर बाद उसके बीज हटाकर उसका पल्प निकाल लीजिये. अब एक कढाई में तेल गर्म कीजिये. अब उसमे तेल डालिए. तेल गर्म हो जाने के बाद उसमे राई डाल कर उसको चटकने दीजिये. अब उसमे करी पत्ता और खड़ी लाल मिर्च डाल दीजिये. अब उसमे कटी हुई प्याज़ डालकर उसको लाल होने तक भूनिए. इसके बाद उसमे टमाटर डालकर उसको भी पकने दीजिये.

जब टमाटर पक जाये तब उसमे कटी हुई गाज़र डाल दीजिये और उसको अच्छे से पका लीजिये. अब उसमे सांभर मसाला डाल दीजिये और उसको अच्छे से मिला दीजिये. अब ऊपर से उसमे पकी हुई दाल और सब्जियों का मिश्रण डाल दीजिये जिसे हमने कुकर में पकाया था.  और इमली का पल्प भी मिला दीजिये.

अब उसको अच्छे से पकने दीजिये.  अगर आपको थोडा सांभर पतला चाहिए तो उसमे अपने हिसाब से गर्म पानी मिला लीजिये. 7 से 8 मिनट पकने के बाद गैस बंद कर दीजिये. आप चाहे तो आप ऊपर से एक बार और राई और करी पत्ते का  तड़का लगा सकते है.

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Anupama संग शादी से पहले कंगाल हुआ अनुज! मांगने पड़ रहे हैं पैसे

सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupamaa) में किंजल की प्रैग्नेंसी की खबर ने जहां शाह परिवार में खुशियां ला दी हैं तो वहीं अनुज और अनुपमा के रिश्ते में दूरी आ गई हैं. हालांकि दोनों ने अपने प्यार को कुबूल करते हुए शादी करने का फैसला ले लिया है. इसी बीच एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें शादी से पहने ही अनुज, समर संग पैसे मांगते नजर आ रहे हैं. आइए आपको दिखाते हैं वायरल वीडियो की झलक…

पैसे मांगता दिखा अनुज

हाल ही के एपिसोड में अनुपमा (Rupali Ganguly) ने अनुज (Gaurav Khanna) से शादी करने का फैसला कर लिया है. इसी बीच अनुज यानी गौरव खन्ना ने एक वीडियो शेयर की है, जिसमें वह अपनी पेमेंट का इंतजार करता नजर आ रहा है. वहीं इस काम में समर भी अनुज का साथ दे रहा है. हालांकि फैंस कमेंट करते हुए गौरव खन्ना को मजाक में कह रहे हैं कि मालविका ने तो पहले ही उससे सबकुछ छीन लिया है.

 

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सोशलमीडिया पर गौरव रहते हैं एक्टिव

 

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अनुज यानी गौरव खन्ना की पर्सनल लाइफ की बात करें तो वह अक्सर अपनी वाइफ अकांक्षा संग फनी और रोमांटिक वीडियो शेयर करते रहते हैं. वहीं फैंस को दोनों की वीडियो काफी पसंद आती हैं. हालांकि सीरियल के फैंस अनुपमा यानी रुपाली गांगुली संग वीडियो शेयर करने की बात भी कहते हैं.

 

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राखी दवे के आने से होगा हंगामा

सीरियल की बात करें तो किंजल की प्रैग्नेंसी की खबर से शाह परिवार में नया बवाल होने वाला है. दरअसल, अपकमिंग एपिसोड में किंजल की मां राखी दवे उसे अपने घर ले जाने के लिए आएगी. वहीं कहेगी वह अपने नाती को भिखारियों के घर पर नहीं पैदा होने दे सकती. हालांकि अनुपमा इस बार राखी दवे को करारा जवाब देने वाली है, जिसके चलते राखी दवे, अनुज और अनुपमा के रिश्ते पर वार करती हुई नजर आएगी.

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GHKKPM: परेशान ‘सई’ को छोड़ ‘पाखी’ ने सास संग लगाए ठुमके! वीडियो वायरल

सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin) की कहानी में जहां विराट ने सई को पहचानने से इंकार कर दिया है तो वहीं पाखी का सपना पूरा होता नजर आ रहा है. इसी बीच पाखी के रोल में नजर आने वाली एक्ट्रेस ऐश्वर्या शर्मा (Aishwarya Sharma) का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह सास के साथ सेक्सी डांस करती नजर आ रही हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

सास संग लगाए ठुमके

 

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दरअसल, इन दिनों ‘स्मार्ट जोड़ी’ (Smart Jodi) में पति नील भट्ट (Neil Bhatt) संग ऐश्वर्या शर्मा नजर आ रही हैं, जिसके चलते वह सोशलमीडिया पर फैंस के साथ नई-नई वीडियो शेयर कर रही हैं. इसी बीच एक्ट्रेस ने हाल ही में एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें वह अपनी ऑनस्क्रीन सास सोनाली तनवी ठक्कर और शीतल मौलिक के साथ सेक्सी डांस स्टेप्स करती नजर आ रही हैं. जबरदस्त डांस करती नजर आ रही हैं. पाखी का डांस देखकर फैंस उनकी तारीफें करते नहीं थक रहे हैं.

 

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पाखी चलेगी चाल

 

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सीरियल की बात करें तो इन दिनों शो में फैमिली ड्रामा देखने को मिल रहा है. जहां एक तरफ विराट ने सई को अपनाने से इंकार कर दिया है तो वहीं परिवार को छोड़कर अलग रहने का फैसला लिया है. हालांकि सई अब विराट का दिल जीतने की कोशिश करने वाली है. लेकिन पाखी एक बार फिर दोनों को दूर करने की कोशिश करती हुई नजर आएगी.

 

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बता दें, नील भट्ट और ऐश्वर्या शर्मा की जोड़ी फैंस के बीच काफी पौपुलर है, जिसके चलते दोनों इन दिनों स्मार्ट जोड़ी में नजर आ रहे हैं. वहीं कपल को दर्शकों का बेहद प्यार मिल रहा है.

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Holi 2023: होली खेलने जा रही हैं तो ये 7 काम करना ना भूलें

होली के रंग में सराबोर होने से पहले आपको अपनी त्वचा और बालों की सुरक्षा के संबंध में कुछ बातों का जरूर ध्यान रखना चाहिए. इससे आपको किसी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा.

कुछ लोग होली खेलने के पहले यह सोचकर बाल नहीं धोते हैं कि रंग खेलने के बाद बाल गंदे होंगे ही. लेकिन पहले से गंदे बाल में रंग लगने से आपके बालों को और नुकसान पहुंच सकता है और बाल रूखे हो सकते हैं. इसलिए बाल धोकर, सुखाने के बाद बालों में अच्छी तरह से तेल लगाकर ही होली खेलें.

1. होली खेलने निकलने से पहले सनस्क्रीन क्रीम लगाना ना भूलें. तेज धूप में आपकी त्वचा झुलस सकती है और रंग काला पड़ सकता है.

2. बाजार में उपलब्ध सिंथेटिक रंगों में हानिकारक केमिकल हो सकते हैं जिससे आपकी त्वचा और आंखों को नुकसान पहुंच सकता है. इसलिए त्वचा और बालों पर अच्छे से तेल लगाएं और हो सके तो प्राकृतिक रंगों या घर पर बने टेसू के फूल वाले रंग से होली खेलें. कानों के पीछे, उंगिलयों के बीच में भी तेल अच्छे से लगाएं और नाखूनों पर नेल पॉलिश लगाना ना भूलें.

3. बालों में नारियल तेल डालकर अच्छे से मसाज करें, इससे आपके बाल रूखे नहीं होंगे.

4. शरीर के अधिकांश हिस्सों को रंगों से बचाने के लिए पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें. कोशिश करें कि सूती कपड़े पहनें क्योंकि भींगने पर सिंथेटिक कपड़े शरीर से चिपक जाते हैं और आपको उलझन महसूस हो सकती है.

5. फलों और सब्जियों के छिलकों को सुखाकर उसमें टेल्कम पाउडर और संतरे के सूखे छिलकों के पाउडर को मिलाकर होली खेलना एक अच्छा विकल्प है. लेकिन इन पाउडर को जोर से त्वचा पर मले नहीं, क्योंकि इससे लालिमा, खरोंच या दाने पड़ सकते हैं और त्वचा में जलन हो सकती है.

6. होली खेलने के बाद सॉफ्ट फेसवॉश या साबुन का ही इस्तेमाल करें. हार्श साबुन से त्वचा रूखी हो सकती है. नहाने के बाद मॉइश्चराइजर और बॉडी लोशन जरूर लगाएं.

7. बालों को हर्बल शैम्पू से अच्छी तरह से धोएं ताकि अभ्रक युक्त और केमिकल वाले रंग बालों से अच्छी तरह से निकल जाएं. शैम्पू के बाद बालों का रूखापन दूर करने के लिए एक मग पानी में एक नींबू का रस मिलाकर धोएं या फिर बीयर से भी बाल धो सकते हैं. इससे आपके बाल मुलायम रहेंगे.

लहंगे में शरमाती दिखीं Sapna Choudhary, फैंस दे रहे हैं ये रिएक्शन

Bigg Boss का हिस्सा रह चुकीं हरियाणा की सिंगर और डांसर सपना चौधरी (Sapna Choudhary) आए दिन अपनी नई वीडियो फैंस के साथ शेयर करती रहती हैं. वीडियो में सपना चौधरी के डांस के अलावा उनका लुक फैंस को काफी पसंद आता है. इसी बीच सपना चौधरी का ट्रैडिशनल लुक सोशलमीडिया पर वायरल हो रहा है. आइए आपको दिखाते हैं सपना चौधरी के लेटेस्ट लुक के फोटोज…

देसी अवतार में सपना चौधरी ने जीता फैंस का दिल

 

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दरअसल, हाल ही में सपना चौधरी ने कुछ फोटोज शेयर की हैं, जिसमें वह देसी अवतार में नजर आ रहे हैं. लुक की बात करें तो ब्राउन और सिल्वर स्टोन्स वाला लहंगे के साथ हैवी चोकर और बड़े-बड़े ईयररिंग्स पहने सपना चौधरी बेहद खूबसूरत लग रही हैं. फैंस को सपना का लुक बेहद पसंद आ रहा है और वह जमकर सोशलमीडिया पर तारीफ करते नजर आ रहे हैं.

 

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कलरफुल साड़ी फ्लौंट करती दिखीं सपना

 

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सपना चौधरी के लहंगा लुक के अलावा साड़ी लुक भी फोटोज सोशलमीडिया पर काफी वायरल होती रहती हैं. वहीं हाल ही में शेयर किया गया कलरफुल साड़ी लुक फैंस को काफी पसंद आ रहा है. वहीं ये लुक शेयर करते हुए सपना चौधरी बेहद खुश नजर आ रही हैं.

 

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सेक्सी लुक भी शेयर करती हैं सपना

 

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इंडियन हो या वेस्टर्न, सपना चौधरी फैंस के साथ हर लुक शेयर करती रहती हैं. वहीं साड़ी को सेक्सी लुक कैसे दें. इसके चलते साड़ी फोटोज शेयर की हैं, जिसमें वह औफ शोल्डर ब्लाउज के साथ ट्रांसपेरेंट साड़ी पहने नजर आ रही हैं. इस लुक को कौकटेल पार्टी में ट्राय किया जा सकता है.

 

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बता दें, शादी और मां बनने के बाद सपना चौधरी का लुक बदल गया है. वह सोशलमीडिया पर अपने नए-नए लुक की फोटोज शेयर करती हुई नजर आती हैं.

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एमसीयूजी और यूरोडायनैमिक जांच के कारण डर लग रहा है, मैं क्या करुं?

सवाल-

मेरी बेटी 7 साल की है और उस का वजन 33 किलोग्राम है. वह 3 सालों से मूत्रनली के संक्रमण से पीडि़त है. इस दौरान उसे बुखार या पेट में दर्द नहीं हुआ, लेकिन पिछले 2 हफ्तों से उसे दर्द रहने लगा है, जो पेशाब करने के 3-4 घंटों के बाद ठीक हो जाता है. जांच में पता चला है कि उसे ई. कोली बैक्टीरिया का संक्रमण है और डाक्टर ने उसे ऐंटीबायोटिक का कोर्स लेने को कहा है. ऐंटीबायोटिक में मौजूद नाइट्रोफ्यूरैंटोइन से उसे उलटी और पेट में जलन की शिकायत होती है. पेट के अल्ट्रासाउंड में सबकुछ सामान्य निकला है. उस के गुरदों और ब्लैडर की अवस्था भी ठीक है और ब्लैडर में अवशिष्ट पेशाब भी नहीं था. यूरोलौजिस्ट ने उपचार जारी रखते हुए एमसीयूजी तथा यूरोडायनैमिक जांच करवाने को कहा. बताएं, क्या करूं?

जवाब-

आप की जांच अपर्याप्त लगती है. इस में एमसीयूजी या यूरोडायनैमिक जांच की जरूरत नहीं है. लेकिन यूरोलौजिस्ट ने बच्ची को रोगनिरोधक ऐंटीबायोटिक देने की सही सलाह दी है. पेशाब की संवेदनशीलता और कल्चर जांच दोबारा करा लें. अगर रिपोर्ट जीवाणुरहित आती है तो रोगनिरोध के लिए अपने चिकित्सक की सलाह से ऐंटीबायोटिक लें. इस बीच उसे भरपूर पानी पीने को दें और जब भी महसूस हो तुरंत पेशाब करा लें. भरपूर पानी पीने से पेशाब की थैली में बैक्टीरिया का जमाव नहीं होगा.

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अगर आप अपने पार्टनर को काफी समय से सेक्‍स के लिए न कह रही हैं, तो यह चिंता का विषय हो सकता है. ये भी संभव है कि आपका पार्टनर सेक्‍स के प्रति आपका रुझान न होने की समस्‍या से परेशान हो. इसे  यौन अक्षमता भी कहा जाता है. इस शब्द का उपयोग किसी ऐसे व्यक्ति को परिभाषित करने के लिए किया जाता है जो अपने साथी को सेक्‍स के दौरान सहयोग नहीं करता. महिलाओं में एफएसडी होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे सेक्स के दौरान दर्द या मनोवैज्ञानिक कारण. ज्यादातर मामलों में, हालांकि, एफएसडी को मनोवैज्ञानिक कारणों के लिए जिम्मेदार माना जाता है. इस परिदृश्य में, महिलाओं के लिए किसी पेशेवर से मदद लेना महत्वपूर्ण होता है. डौ. अनुप धीर ने एफएसडी के निम्‍न  मुख्‍य कारण बताएं हैं-

1. मनोवैज्ञानिक कारण

डॉ. धीर कहते हैं, पुरुषों के लिए सेक्‍स एक शारीरिक मुद्दा हो सकता है, लेकिन महिलाओं के लिए यह एक भावनात्मक मुद्दा है. पिछले बुरे अनुभवों के कारण कुछ महिलाएं भावनात्मक रूप से टूट जाती हैं. वर्तमान में बुरे अनुभवों के कारण मनोवैज्ञानिक मुद्दे या फिर अवसाद इसका कारण हो सकता है.

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2. और्गेज्‍म तक न पहुंच पाना

एनोर्गस्मिया के बारे में समझाते हुए डॉ. धीर कहते हैं, एफएसडी का दूसरा भाग एनोर्गस्मिया कहलाता है. यह स्थिति तब होती है जब व्‍यक्ति को या तो कभी ऑर्गेज्‍म नहीं होता या वह कभी इस तक पहुंच ही नहीं पाता. ऑर्गेज्‍म तक पहुंचने में असमर्थता भी एक मेडिकल कंडीशन है. सेक्स में रुचि की कमी और ऑर्गेज्‍म तक पहुंचने में असमर्थता दोनों ही स्थिति गंभीर हैं. यह मुख्य रूप इसलिए होता है क्योंकि महिलाएं अधिक फोरप्ले पसंद करती हैं. अगर ऐसा नहीं हो रहा तो ऑर्गेज्‍म तक पहुंचना मुश्किल है. इसका मनोचिकित्सा के माध्यम से इलाज किया जा सकता है.महिलाओं को अपने रिश्ते में सेक्स के साथ समस्याएं होती हैं. अगर आपको ऐसी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, तो आपको अपने एंड्रॉजिस्ट को जल्द से जल्द दिखाना चाहिए ताकि समस्या संबंधों को प्रभावित न करे.

रिश्ते में है समर्पण जरूरी

समर्पण शब्द सुनते ही नजरों के सामने फैल जाता है एक बड़ा सा कैनवस, जिस पर कोई एक विचार या भावना नहीं, बल्कि अनेक चित्र एकसाथ उभरते हैं. जैसे मातापिता और संतानें, व्यक्ति और उस का लक्ष्य, व्यवसाय तथा व्यवसायी और इन सब से अलग और महत्त्वपूर्ण चेहरा होता है पतिपत्नी का. इन सभी चित्रों में एक बात जो मुखर है, वह यह कि किसी संबंध के प्रति स्वयं को पूरी तरह से सौंप देने का ही नाम समर्पण है.

समर्पण का विस्तृत आकाश

मेरी बचपन की सहेली मोहिनी के पिता मुख्य चिकित्साधिकारी थे. मोहिनी की मां उस के जन्म के पूर्व ही अपनी दोनों आंखें गंवा चुकी थीं पर क्या मजाल कि अंकल ने आंटी को एक पल के लिए भी आंखों की कमी खलने दी हो. पार्टी हो या सिनेमाहाल, उत्सव हो या समारोह, वे हर स्थान पर आंटी का हाथ अपने हाथों में लिए रहते तथा सतत कमेंट्री करते रहते. यही नहीं, उन के घर में कोई नई खरीदारी की जाए तो तुरंत बच्चों को आदेश देते कि जाओ, मम्मी को दिखा लाओ. आंटी सामान को छू कर अपनी सहमतिअसहमति जतातीं परंतु अंकल उन के ‘छूने’ को भी देखने का नाम ही देते. यह उन के प्रति एक विलक्षण समर्पण था. दांपत्य जीवन की शुरुआत करते समय पतिपत्नी आजीवन एकदूसरे के प्रति निष्ठावान बने रहने तथा एकदूसरे से सुखदुख में साथ निभाने के वादे करते हैं. यही समर्पण की पहली सीढ़ी है. पतिपत्नी दोनों ही अलगअलग वातावरण में पलेबढ़े होते हैं. दोनों की पारिवारिक पृष्ठभूमि, जीवनशैली, शिक्षादीक्षा तथा शारीरिक एवं मानसिक क्षमताओं में भिन्नता होना स्वाभाविक है.

ऐसी स्थिति में एक सफल और सुखी गृहस्थ जीवन की कल्पना तभी की जा सकती है, जब पतिपत्नी दोनों ही एकदूसरे के गुणदोषों, पारिवारिक, सामाजिक व आर्थिक दायित्वों को सहज रूप से स्वीकारें. आवश्यकतानुसार स्वयं को बदलने और तालमेल बैठाने की कोशिश करें. यह प्रयास ‘मैं’ और ‘तुम’ से अलग ‘हम’ का एक संसार बसाने का होना चाहिए.

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पति की पत्नी से अपेक्षाएं

दिल्ली के वरिष्ठ मैरिज काउंसलर अमृत कपूर का मानना है कि अधिकांश मामलों में आपसी मनमुटाव की शुरुआत सैक्स संबंधों से ही होती है. पतियों की यह शिकायत होती है कि उन की पत्नी सैक्स के मामले में असक्रिय है तथा थके होने और मूड न होने का बहाना बना कर उन्हें टालतीटरकाती रहती है, जिस के कारण वे तनावग्रस्त हो जाते हैं. शारीरिक समर्पण वैवाहिक जीवन की एक अनिवार्य अभिव्यक्ति अवश्य है पर इकलौता मानदंड नहीं. सैक्स को विषय बना कर पत्नी को दुख देना पतियों के एकतरफा स्वार्थीपन को उजागर करता है न कि पत्नी के प्रति प्रेम को. पति भूल जाता है कि पत्नी भी एक व्यक्तित्व है. पत्नी रातोरात पति तथा उस के परिवार को अपना सर्वस्व मान कर उन के अनुरूप ढल जाए, ऐसा सोचना गलत होगा. अत: पतियों को चाहिए कि वे धैर्य तथा समझदारी से काम लें. वे जीवनसाथी के निजी सुखदुख का भागीदार बनने का कार्य भी उतने ही प्यार, सहानुभूति, अपनत्व तथा उत्साह से करें जैसा कि वे पत्नी से चाहते हैं.

पारिवारिक शांति का आधार

स्त्री को पिता का घर छोड़ कर पति के नए तथा अजनबी परिवार में स्वयं को बसाने से ले कर पति, परिवार तथा संतान के प्रति कर्तव्यों को निभाने के अनेक कठिन पड़ावों पर अपने समर्पण की परीक्षा देनी पड़ती है. पत्नी का यह समर्पण कहनेसुनने में तो बड़ा सरल प्रतीत होता है मगर इसे करना आसान नहीं होता. यदि स्त्री अपने उत्तरदायित्वों को भलीभांति समझ कर एकएक कदम बढ़े तो यह कार्य सुगम हो जाएगा. स्त्री में वह शक्ति और समायोजन क्षमता होती है, जिस के सहारे वह सरलता से स्वयं को किसी भी परिस्थिति में ढाल लेती है. बंगाल की वयोवृद्ध समाजसेविका सुनंदा बनर्जी अपने युवावस्था के दिनों को याद करते हुए बताती हैं, ‘‘उन दिनों समर्पण प्राय: एकतरफा ही होता था. पुरुषों तथा परिवार की आशाओं पर खरा उतरने की जंग में स्त्री का सारा जीवन होम हो जाता था. परंतु आज परिस्थितियां बदल चुकी हैं. आज यदि घर की सुखशांति के लिए पत्नी एक कदम आगे बढ़ाती है, तो पति एवं परिवार की ओर से उसे दोगुना प्रेम, सम्मान तथा उत्साह मिलता है.’’

बलिदान नहीं सामंजस्य

वैवाहिक जीवन के तनावों तथा अवसादों से ग्रस्त, जो विवाहित जोड़े मनोरोगचिकित्सकों का द्वार खटखटाने पहुंच जाते हैं, उन में एक साझा पहलू यह पाया जाता है कि वे अहं के टकराव का शिकार होते हैं. उन में एकदूसरे के ऊपर प्रभुत्व जमाने की तीव्र इच्छा होती है. उन की शिकायत अकसर यही होती है कि उन का जीवनसाथी उन्हें उंगलियों पर नचाना चाहता है, बलि का बकरा बना रखा है, मेरा तो सब कुछ होम हो गया आदि. ऐसी स्थिति में मनोरोगचिकित्सक उन्हें यही समझाते हैं कि वैवाहिक जीवन कोई बलिवेदी नहीं है जिस पर एक के लिए दूसरा कुरबान हो जाता है. गृहस्थ जीवन एक ऐसा कर्मक्षेत्र है जिस में सुखदुख, उतारचढ़ाव तथा ऊंचनीच आते ही रहते हैं. पतिपत्नी दोनों को इन्हें सहज रूप से स्वीकार कर आपसी प्रेम, तालमेल तथा सूझबूझ के साथ जीवन चलाना चाहिए. आपस में सुंदर सामंजस्य स्थापित करने का प्रयास दोनों ओर से हो, एकतरफा नहीं. एकदूसरे पर रोब जमा कर समर्पण की मांग करना सरासर अशिष्टाचार तथा असभ्यता ही है.

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समर्पण के मार्ग की रुकावट

दिल्ली के वरिष्ठ ऐडवोकेट राकेश दीवान के अनुसार, वर्तमान समय में अधिकतर नवविवाहित जोड़े अपनी जिम्मेदारियों से भागते हैं. विवाह के पूर्व जिन सपनों की दुनिया में ये जीते हैं, उस से बाहर आ कर व्यावहारिक जगत के रिश्ते निभाना उन के लिए कठिन हो जाता है और विवाह के कुछ ही समय उपरांत इन में तूतू, मैंमैं शुरू हो जाती है. ये जोड़े एकदूसरे के अधिकार और कर्तव्यों को मुद्दा बना कर परस्पर आरोपप्रत्यारोप करते हैं, जिस से इन का दांपत्य बिखर जाता है. विवाह चाहे अरेंज्ड मैरिज हो या लव मैरिज, दोनों ही स्थितियों में 2 भिन्नभिन्न व्यक्तियों को एकसाथ रहने का अभ्यास करना पड़ता है. पतिपत्नी के रिश्ते में कोई छोटा या बड़ा नहीं होता. दोनों ही का योगदान बराबर का होता है, अलबत्ता दोनों की क्रियाप्रतिक्रिया का रूप और तरीका अलगअलग हो सकता है. गृहस्थ जीवन कोई कोर्टकचहरी नहीं, जहां समयअसमय अधिकार बनाम कर्तव्य का मुकदमा चलाया जाए. इस जंग में हासिल कुछ भी नहीं होता है. हाथ आती है तो  केवल जगहंसाई, दांपत्य में दरार और पारिवारिक विघटन.    

 सफल दांपत्य के 10 गुर

विवाह के पूर्व होने वाले जीवनसाथी की पसंदनापसंद तथा पारिवारिक पृष्ठभूमि की विशेष जानकारी कर लें.

विवाह के पश्चात आजीवन एकदूसरे के प्रति निष्ठावान बने रहें.

पतिपत्नी एकदूसरे के परिवार, रिश्तेदारों तथा रीतिरिवाजों का सम्मान करें.

पतिपत्नी एकदूसरे के गुणदोषों को स्वीकारने तथा संपूर्ण सामंजस्य का नियमित अभ्यास करें.

एकदूसरे से अनावश्यक तथा सीमा के बाहर की अपेक्षाएं न रखें.

परस्पर स्नेह और सम्मान का प्रदर्शन करें. भूल कर भी ‘अहंकार’ को बीच में न आने दें.

पतिपत्नी दोनों ही एकदूसरे के क्रोध, चिड़चिड़ाहट और झल्लाहट आदि को सामान्य मानवीय प्रतिक्रिया समझ कर स्वीकार करें.

घर, बाहर, परिवार एवं बच्चों की जिम्मेदारियों को यथासंभव मिलबांट कर निभाएं. जो कर सकें उसे अवश्य करें और जो न कर पाएं उस के लिए विनम्रतापूर्वक ‘न’ कह दें.

जीवनसाथी के प्रति समर्पण का प्रदर्शन करने के लिए समयसमय पर उस की प्रशंसा अवश्य करें तथा उसे खुश करने के छोटेछोटे उपाय भी करें.

अपने गृहस्थ जीवन को सुखी रखने के लिए मार्गदर्शन अवश्य लें, मगर हस्तक्षेप कदापि स्वीकार नहीं करें.

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कैसे चुनें सही एअरकंडीशनर

बाजार में इन दिनों कई कंपनियों के एअरकंडीशनर उपलब्ध हैं. लेकिन एअरकंडीशनरों की बहुतायत के कारण अपने घर के लिए सही एअरकंडीशनर का चुनाव करने में काफी माथापच्ची करनी पड़ती है. आप अपनी जरूरत के अनुसार उपयुक्त एअरकंडीशनर कैसे चुनें, इस के लिए यहां कुछ नुसखे आप को बताए जा रहे हैं.

सही एअरकंडीशनर का चुनाव करते समय सब से पहले इस पर विचार करना चाहिए कि उपयोग के लिए किस तरह का सिस्टम सही रहेगा. बाजार में आजकल अनेक प्रकार के एअरकंडीशनिंग सिस्टम उपलब्ध हैं:

विंडो एअरकंडीशनर

कमरे के लिए इस का सब से ज्यादा इस्तेमाल होता है. इस के कंप्रेसर, कंडेंसर, क्वाइल, इवैपरेटर और कूलिंग क्वाइल वगैरह सामान एक ही बौक्स में रहते हैं और इस यूनिट को कमरे की दीवार में बने खांचे में या आमतौर पर खिड़की में लगा दिया जाता है. विंडो एसी को लगाना या उसे एक जगह से दूसरी जगह पर ले जाना आसान होता है.

हाई वाल स्प्लिट एअरकंडीशनर

स्प्लिट एअरकंडीशनर के 2 हिस्से होते हैं – आउटडोर यूनिट और इनडोर यूनिट. आउटडोर यूनिट को कमरे या घर के बाहर लगाया जाता है. इस में कंप्रेसर, कंडेंसर और ऐक्सपैंशन वाल्व होते हैं. इनडोर यूनिट में इवैपरेटर, कूलिंग क्वाइल और कूलिंग फैन होते हैं. इस यूनिट के लिए आप को कमरे की दीवार में कोई खांचा नहीं बनाना पड़ता है और इसे किसी भी दीवार पर फिट किया जा सकता है.

विंडो यूनिट से अलग इसे स्थायी तौर पर लगाया जाता है. इस की शुरुआती लागत ज्यादा होती है, क्योंकि इसे फिट करने की प्रक्रिया कुछ जटिल होती है और इस के लिए पेशेवर जानकारों की जरूरत पड़ती है. अगर आप के कमरे में खिड़कियां नहीं हैं, तो यह एक अच्छा विकल्प हो सकता है.

सीलिंग कैसेट एअरकंडीशनर

छत में लगने वाला यह एअरकंडीशनर उन कमरों के लिए उपयुक्त होता है, जिन की दीवारों पर इसे लगाने की जगह या खिड़कियां नहीं होतीं. यह शोर नहीं करता है और सोने के मुख्य कमरे, बैठकखाने और व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए उपयुक्त होता है.

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फ्लोर स्टैंडिंग एअरकंडीशनर

यह बड़े और भव्य घरों के अनुकूल है. इसे कहीं भी खड़ा किया जा सकता है और एक जगह से दूसरी जगह पर इसे ले जा कर रखना भी आसान होता है. लेकिन इसे खिड़की के पास रखना उचित होता है, क्योंकि विंडो एअरकंडीशनर की तरह ही इस के ऐग्जौस्ट वैट को खिड़की के पास रखना जरूरी होता है.

मौजूदा दौर में इन्वर्टर टैक्नोलौजी युक्त एअरकंडीशनर भी बाजार में उपलब्ध है, जो सामान्य तापक्रम बनाए रखता है. इन्वर्टर एसी को परिचालन खर्च और आवश्यकतानुसार बढि़या एअरकंडीशनिंग को ध्यान में रख कर तैयार किया गया है. परंपरागत एअरकंडीशनर की तुलना में इन्वर्टर एअरकंडीशनर के निम्नलिखित फायदे हैं:

1. इन्वर्टर एसी में कम बिजली खर्च होती है जिस से बिजली की खपत में 30-50% तक की बचत होती है.

2. यह अधिक तेजी से वांछित तापक्रम हासिल करता है. इसे चालू करने में 30% कम समय लगता है.

3. यह बिना आवाज किए चलता है.

4. स्थिर तापक्रम के साथ अधिकाधिक आरामदेह है.

5. कंप्रेसर में वोल्टेज नहीं बढ़ता है.

6. कुछ इन्वर्टर एसी में हीट पंप लगे होते हैं, जो गरमियों के मौसम में एसी के सही ढंग से काम करने के लिए बहुत उपयोगी होते हैं.

आकार और क्षमता का चुनाव

ठंडी होने वाली जगह के आकार के अलावा एअरकंडीशनिंग सिस्टम की उचित क्षमता निर्धारित करने के और भी अनेक कारण हैं. जरूरी क्षमता तय करने के लिए ताप भार का अनुमान सब से जरूरी है. ताप भार का अनुमान लगाने के लिए निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान देना चाहिए:

1. जगह का आकार.

2. अभिविन्यास (ओरिएंटेशन).

3. ठंडा करने की जगह के आसपास और ऊपरनीचे की बनावट.

4. शीशा लगे स्थान.

5. शीशों पर छाया की मात्रा और स्वरूप.

6. इंसुलेशन (रोधन) डेक के ऊपर/नीचे की स्थिति और प्रयुक्त सामग्री.

7. इस्तेमाल की जगह आवासीय, शोरूम, अस्पताल आदि.

8. स्थान पर कौपियर, सर्वर आदि जैसे उपकरणों की मौजूदगी.

9. मकान बनाने में इस्तेमाल हुई सामग्री.

बेहतर है कि ठंडा करने वाली जगह के हिसाब से बिलकुल सही क्षमता का निर्धारण करने के लिए किसी पेशेवर व्यक्ति की मदद ली जाए.

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ऊर्जा दक्षता और ऊर्जा बचत की जांच: विंडो एसी और हाई वाल यूनिटों के लिए बीईई स्टार रेटिंग की जांचपड़ताल कर लेना बेहद जरूरी है. एअरकंडीशनर की कूलिंग क्षमता और विद्युत खपत के अनुपात को मापने वाली ऊर्जा दक्षता अनुपात (ईईआर) के विचार से रेटिंग जितनी उच्च होगी, उतनी ही ज्यादा दक्षता होगी. उच्चतर दक्षता से कूलिंग ज्यादा असरदार और बिजली की खपत कम होती है.

विशेषताएं: उपकरण के आसान इस्तेमाल के लिए रिमोट कंट्रोल, एलसीडी डिस्प्ले और बिल्ट इन टाइमर महत्त्वपूर्ण विशेषताएं हैं. अन्य फायदेमंद विशेषताओं में सस्ती क्रियाशीलता प्रणाली, फिल्टर और वायुशोधक शामिल हैं. इन के अलावा खरीदारी का फैसला करते समय इस्तेमाल में आसानी पर भी ध्यान देना जरूरी है. खरीदारी के पहले आवाज और कंपन स्तर पर अवश्य ही गौर करें. अधिक स्टाइलिश एअर कंडीशनर से आराम तो मिलेगा ही, जीवनशैली भी खूबसूरत हो जाएगी.

वारंटी: हमेशा अधिकृत विक्रेता से ही एअरकंडीशनर खरीदें. आप जो ब्रैंड ले रहे हैं, उस की वारंटी की जानकारी प्राप्त कर लें. कंपनी का सुव्यवस्थित सेवा नैटवर्क होना और बुलाने पर मैकेनिक का तुरंत आना जरूरी है.

घर के लिए एअरकंडीशनर लेना आप के लिए सब से खर्चीली खरीदारी होती है. भले ही आप पुराने एसी को बदल रहे हों या कोई नया एसी ले रहे हों, एक बार खरीद लेने पर हो सकता है कि 10 वर्ष के बाद ही इसे बदलने की जरूरत पड़े. चूंकि आप उसे लंबे समय तक इस्तेमाल करेंगे, इसलिए उपर्युक्त बिंदुओं पर ध्यान देने से आप को न केवल गरमी में ज्यादा राहत मिलेगी, बल्कि बिजली के बिल में भारी कमी का लाभ भी मिलेगा.

– संजय महाजन, वाइस प्रैसिडैंट-विक्रय एवं विपणन, कैरियर माइडिया इंडिया

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इजाबेला: गंगूबाई ने क्यों की उसकी मदद

कहानी- अनिता सभरवाल

इजाबेला, 13 साल की दुबलीपतली लड़की को एनीपौल और आर्थर दंपती ने बड़ी शान से गोद लिया. उस की दयनीय नजरें कई सवाल पैदा करती थीं. लेकिन उस की मासूम जबान उन सवालों का जवाब देने की हिम्मत नहीं कर पाती थी.

‘‘इजाबेला नाम है इस का,’’ एनी पौल ने बड़े प्यार से एक दुबलीपतली लड़की को अपने से सटाते हुए कहा, ‘‘हमारी बेटी.’’

यद्यपि किसी को उन की बात पर विश्वास नहीं हो रहा था लेकिन जब वह कह रही हैं तो मानना ही पड़ेगा. अत: सभी ने गरमागरम पकौड़े खाते हुए उन की और उन के पति की मुक्तकंठ से प्रशंसा की.

दरअसल मद्रास से लौटने के बाद उसी दिन शाम को एनी ने अपनी पड़ोसिनों को चाय पर बुलाया और सूचना दी कि उन्होंने एक लड़की गोद ली है.

उस 13 साल की दुबलीपतली लड़की को देख कर नहीं लगता था कि उस का नाम इजाबेला भी हो सकता है. एनी ने ही रखा होगा यह खूबसूरत नाम. उस की सेहत ही बता रही थी कि उस ने शायद ही कभी भरपेट भोजन किया हो.

इस अप्रत्याशित सूचना से पड़ोस की महिलाएं हैरान थीं. सब मन ही मन एनी पौल की घोषणा पर अटकलें लगा रही थीं कि आखिर समीरा ने झिझकते हुए पूछ ही लिया, ‘‘एनी, तुम्हारे 2 बेटे तो हैं ही, फिर आज की महंगाई में…’’

उस की बात को बीच में काटती हुई एनी बोलीं, ‘‘अरे, बेटे हैं न, बेटी कहां है. और तुम तो जानती हो कि बेटी के बिना भी घर में रौनक होती है क्या? आर्थर को एक बेटी की बहुत चाहत थी. हम ने 2 साल बहुत सोचविचार किया और खुद को बड़ी मुश्किल से मानसिक रूप से तैयार किया. सोचा, यदि गोद ही लेनी है तो क्यों न किसी गरीब परिवार की बच्ची को लिया जाए.’’

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अपनी बात को खत्म करतेकरते एनी की आंखों में प्यार के आंसू उमड़ आए. इस दृश्य और बातचीत के अंदाज से सब का संदेह कुछकुछ दूर हो गया. कुछकुछ इसलिए क्योंकि ज्यादातर लोगों की सोच यह थी कि कामकाज के लिए एनी बेटी गोद लेने के बहाने नौकरानी ले आई हैं.

इजाबेला अब कभीकभी नए कपड़ों में दिखाई देने लगी. लेकिन उस के नए कपड़े ऐसे नहीं थे कि वह एनी पौल की बेटी लगे. एनी के बेटे आपस में खेलते नजर आते पर उन की दोस्ती इजाबेला से नहीं हुई थी. वह बरामदे के एक कोने में खड़ी रहती. उदास या खुश, पता नहीं चलता था. हां, सेहत जरूर कुछ सुधर गई थी…शायद ढंग से नहानेधोने के कारण रंग भी कुछ निखरानिखरा सा लगता था.

धीरेधीरे सब अपने कामों में मशगूल हो गए. फिर कभी वह लौन में से पत्तियां उठाती दिखाई देती तो कभी पौधों में पानी देती. एक बार झाड़ू लगाती भी नजर आई थी. घर में काम करने वाली गंगूबाई से कालोनी की औरतों को यह भी पता चला कि इजाबेला अब खाना भी बनाने लगी है.

महिलाओं की सभा जुड़ी और सब के चेहरे पर एक ही भाव था कि मैं ने कहा था न…

महिलाओं की यह सुगबुगाहट एनी तक पहुंच गई थी और उन्होंने सोने के टौप्स दिखा कर सब का शक दूर कर दिया. सभी उस के सामने एनी की तारीफ तो करती थीं पर मन एनी के दिखावे को सच मानने को तैयार न था.

समय धीरेधीरे सरकता रहा. एनी और इजाबेला की खबरें कालोनी की औरतों को मिलती रहती थीं. लगभग 10 माह बाद एक दिन मीरा मौसी ने कहा, ‘‘मुझे तो लगता है कि घर का सारा काम इज्जु ही करती है.’’

‘‘कौन इज्जु?’’ एक महिला ने पूछा.

‘‘अरे, वही इज्जाबेला.’’

‘इज्जाबेला नहीं मौसी, इजाबेला… और समीरा एनी उसे इजू कहती हैं, न कि इज्जु,’’ लक्ष्मी ने बात स्पष्ट की.

‘‘कुछ भी कह लक्ष्मी, अगर बेटी होती तो क्या स्कूल नहीं जाती? यदि गोद लिया है तो अपनी औलाद की तरह भी तो पालना चाहिए न. काम के लिए नौकरानी लानी थी तो इतना नाटक करने की क्या जरूरत थी. ऐसी बातें शोभा नहीं देतीं एनी पौल को,’’ मौसी ने कहा.

कभी कोई महिला इस लड़की के मांबाप पर गुस्सा निकालती कि कितनी दूर भेज दिया है लड़की को. ये लोग उसे कभी बाहर नहीं आने देते. किसी से बात नहीं करने देते. घर जाओ तो उसे दूसरे कमरे में भेज देते हैं. क्यों? मीरा मौसी को कुछ ही नहीं सबकुछ गड़बड़ लगता था. एक दिन एनी से पूछ ही लिया, ‘‘एनी, साल भर होने को आया, अभी तक अपनी बेटी का किसी स्कूल में एडमीशन नहीं करवाया.’’

एनी बड़ी नजाकत से बोली थीं, ‘‘मौसी, अब किसी ऐसेवैसे स्कूल में तो बेटी को भेजेंगे नहीं. जहां इस के भाई जाते हैं वहीं जाएगी न? और वहां दाखिला इतनी आसानी से कहां मिलता है. आर्थर प्रिंसिपल से मिला था. उम्र के हिसाब से इसे 9वीं में होना चाहिए. 14 की हो गई है. पर इसे कहां कुछ आता है. एकाध साल घर में ही तैयारी करवानी पड़ेगी. आर्थर पढ़ाता तो है.’’

मौसी कुछ और जानने की इच्छा लिए अंदर आतेआते बोलीं, ‘‘तो वहां कुछ नहीं पढ़ासीखा इस ने?’’

‘‘वहां सरकारी स्कूल में जाती थी. 5वीं तक पढ़ी है. फिर मां ने काम पर लगा दिया. अब यही तो कमी है न इन लोगों में. मुफ्त की आदत पड़ी हुई है फिर मैनर्स भी तो चाहिए. वैसे मौसी, इजाबेला चाय बहुत अच्छी बनाने लगी है,’’ फिर आवाज दे कर बोलीं, ‘‘इजू बेटे, मौसी को बढि़या सी चाय बना कर पिलाओ.’’

जब वह चाय बना कर लाई तो मौसी ने देखा कि उस ने बहुत सुंदर फ्राक पहनी हुई थी और करीने से बाल संवारे हुए थे. मौसी खुश हो गईं और संतुष्ट भी. उन्होंने प्यार से उस के सिर पर हाथ रखा तो एनी संतुष्ट हो गई.

‘‘इजू, शाम को बाहर खेला करो न. मेरी पोती भी तुम्हारी उम्र की है.’’

वह कुछ कहती उस से पहले एनी बोल उठीं, ‘‘मौसी, यह हिंदी, अंगरेजी नहीं जानती है. सिर्फ तमिल बोलती है. टूटीफूटी हिंदी की वजह से झिझकती है.’’

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इजू अब सारा दिन घर में इधरउधर चक्कर काटती दिखाई देती और एनी घर से निश्चिंत हो कर बाहर घूमती रहती. महल्ले की औरतों की हैरानी तब और बढ़ गई जब गंगूबाई छुट्टी पर थी और एनी ने एक बार भी किसी से कोई शिकायत नहीं की. मस्त थी वह. तो काम कौन करता है? पर अब कोई नहीं पूछता कुछ उस से क्योंकि जिन की बेटी है उन्हें ही कुछ परवा नहीं तो महल्ले वाले क्यों सोचें.

अब मौसी भी कुछ नहीं कह सकतीं. भई, जब बेटी बनाया है, घर दिया है तो वह कुछ काम तो करेगी ही न? और सब लोगों के बच्चे भी तो करते हैं. अब समीरा की बेटी को ही देख लो. 7वीं में पढ़ती है पर सुबह स्कूल जाने से पहले दूध ले कर आती है, डस्टिंग करती है और कोई घर पर आता है तो चाय वही बनाती है.

मीरा मौसी की पोती भी कुछ कम है क्या? टेबल लगाती है, दादीदादा को कौन सी दवा कब देनी है आदि बातों के साथसाथ मम्मी के आफिस से आने से पहले कितना काम कर के रखती है तो इजू क्यों नहीं अपने घर में काम कर सकती?

गंगूबाई बीमारी से लौट कर काम पर आई तो सब से पहले एनी के ही घर गई थी. लौट कर बाहर आई तो जोरजोर से बोलने लगी. किसी की समझ में कुछ नहीं आया. फिर समीरा के घर पर हाथ  नचानचा कर कहने लगी, ‘‘सब जानती हूं मैं, 1,500 रुपए में खरीद कर लाए हैं, काम करने के वास्ते.’’

‘‘तुम्हें कैसे पता, गंगूबाई?’’ समीरा ने पूछा.

‘‘अब कामधंधे पर निकलो तो सब की जानकारी रहती ही है. आप लोगों जैसे घर के अंदर बैठ कर बतियाते रहने से कहां कुछ पता चलता है,’’ फिर थोड़ा अकड़ कर गंगूबाई बोली, ‘‘मेरा भाई, आर्थर साहब के चपरासी का दोस्त है,’’ कह कर गंगूबाई मटकती हुई चली गई.

अब एनी पौल को घर और महल्लेवालों की परवा नहीं थी. वह नौकरी करने लगीं और इजू बिटिया घर की देखभाल. दत्तक बेटी से इजू नौकरानी बन गई थी. नौकरानी तो वह शुरू से ही थी पर पहले प्रशिक्षण चल रहा था अत: पता नहीं चलता था, अब फुल टाइम जौब है तो पता चल रहा है. इस तरह यह मुद्दा खत्म हो गया था कि बेटी है या नौकरानी. अब मुद्दा यह था कि उस के पास फुल टाइम मेड क्यों है? धीरेधीरे यह मुद्दा भी ठंडा पड़ने लगा.

इजाबेला ने नया माहौल स्वीकार कर लिया था. उस के पास और कोई चारा भी तो नहीं था. हंसतीमुसकराती इजाबेला सुबह काम में जुटती तो रात को 11-12 बजे ही बिस्तर पर जाने को मिलता. किसी दिन मेहमान आ जाते तो बस…

अपने कमरे में जा कर लेटती तो बोझिल पलकें लिए ‘रानी’ बन सुदूर गांव के अपने मांबाप के पास पहुंच जाती. सागर के किनारे खेलती रानी, रेत में घर बनाती रानी, छोटे भाईबहनों को संभालती रानी. बीमार मां की जगह राजश्री मैडम के घर बरतन मांजती… मां ने एक दिन उस के शराबी बाप से रोतेरोते कहा था, ‘शराब के लिए तू ने अपनी बेटी को बेच दिया है.’ उसे याद है एनी पौल का छुट्टियों में राजश्री के घर आना.

वह आंखें बंद कर मां के गले लग कर रोती. उसे इस तरह रोते 3 साल हो गए हैं. एनी मैडम ने कहा था कि हर साल छुट्टी पर उसे घर भेजेगी. कल वह जरूर बात करेगी.

अगली सुबह एडी को तेज बुखार था और वह सब भूल गई. एडी से तो उसे बहुत लगाव था. वह भी उस से खूब बातें करता था. इजाबेला पूरीपूरी रात एडी के कमरे में बैठ कर काट देती. पलक तक न झपकाती थी.

तीसरी रात जाने कैसे उसे नींद आ गई. और जब नींद खुली तो देखा आर्थर उस के ऊपर झुका हुआ था. वह जोरों से चीख पड़ी. पता नहीं किसी ने सुना या नहीं. अब इजाबेला आर्थर को जब भी देखती तो उस में अपने बाप का चेहरा नजर आता. इसीलिए वह बड़ी सहमी सी रहने लगी और फिर एक भरी दोपहरी में इजू बड़ी जोर से चीखी थी पर महानगरीय शिष्टता में उस की चीख किसी ने नहीं सुनी.

सुघड़, हंसमुख इजू अब सूखती जा रही थी. वह हर किसी को ऐसे देखती जैसे कुछ कहना चाह रही हो पर किसे क्या बताए, एनी को? वह मानेगी? और किसी से बात करे? पर ये लोग जिंदा नहीं छोड़ेंगे. ऐसे कई सवाल उस के मन में उमड़तेघुमड़ते रहे और ताड़ती निगाहों ने जो कुछ अनुमान लगाया उस की सुगबुगाहट घर के बाहर होने लगी. चर्चा में कालोनी की औरतें कहती थीं, ‘‘गंगूबाई पक्की खबर लाई थी.’’

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‘‘कैसे?’’

‘‘क्या आर्थर के चपरासी ने बताया?’’

‘‘नहीं, कल घर में कोई नहीं था. इजाबेला ने खुद ही बताया.’’

‘‘एनी मेम साहब को नहीं पता? आर्थर जबरदस्ती पैसे दे देता है और साथ में धमकी भी.’’

‘‘मैं बताऊंगी एनी मेम साहब को,’’ गंगूबाई बोली.

‘‘नहीं, गंगूबाई. वह बेचारी पिट जाएगी,’’ हमदर्दी जताते हुए समीरा बोली.

और एक दिन एनी ने भी देख लिया. उस का पति इतना गिर सकता है? उस ने अब ध्यान से बड़ी होती इजू को देखा. रंग पक्का होने पर भी आकर्षक लगती थी. एनी ने आर्थर को आड़े हाथों लिया. फिर अपने घर की इज्जत बखूबी बचाई थी. अगली सुबह ‘इजू बिटिया’ को पीटपीट कर बरामदे में लाया गया.

‘‘जिस थाली में खाती है उसी में छेद करती है,’’ गुस्से से एनी बोलीं, ‘‘हम इतने प्यार से रखते रहे और इसे देखो… यह ले अपना सामान, यह रहे तेरे पैसे… अब कभी मत आना यहां…’’

तभी गंगूबाई जाने कहां से आ पहुंची.

‘‘क्यों मार रही हो बेचारी को?’’

‘‘बेचारी? जानती हो क्या गुल खिला रही है?’’

‘‘गुल इस ने खिलाया है या तुम्हारे साहब ने?’’

‘‘गंगूबाई, यह मेरी बच्ची की तरह है. गलती करने पर पेट जाए को भी मारते हैं या नहीं? इस ने चोरी की है,’’ कहतेकहते उस की नजर इजू पर पड़ी.

इजू ने बस यही कहा, ‘‘मैं ने चोरी नहीं की.’’

गंगूबाई चिल्ला पड़ी थी, ‘‘मुझे पता है क्या बात है? ऐसे बाप होते हैं… सगी बेटी होती तो उसे देख कर भी लार टपकाता क्या?’’

जिन लोगों ने यह सुना सकते में आ गए.

‘‘एनी,’’ आर्थर का कहना था, ‘‘ऐसे ही होते हैं यह लोग. घटिया, जितना प्यार करो उतना ही सिर पर चढ़ते हैं. बदनाम करा दिया मुझे न,’’ आर्थर देख रहा था कि गंगूबाई की बात का लोगों ने लगभग यकीन कर लिया था.

और वे लोग जो उस के बेटी या नौकरानी होने के मुद्दे को ले कर कल तक परेशान थे, आज चुप थे. कल को उन के नौकरनौकरानी भी कुछ ऐसा कह सकते हैं न. भई, इन लोगों का क्या भरोसा? ये तो होते ही ऐसे हैं, झट से नई कहानी गढ़ लेते हैं. कल को कुछ भी हो सकता है, सच भी, झूठ भी. अगर इजू का साथ देते हैं तो कल उन का साथ कौन देगा.

एनी को लगा कि सभी उसे देख रहे हैं और उस का मजाक बना रहे हैं. इसलिए दरवाजा बंद करते हुए और जोर से बोली थीं, ‘‘शुक्र है पुलिस में नहीं दिया.’’

अपने ट्रंक पर बैठी इजाबेला गेट के बाहर रो रही थी.

गंगूबाई आगे आई थी.

‘‘चल मेरे साथ. पैसा नहीं दे सकती पर सहारा तो दे सकती हूं. सब से बड़ी बात मर्द नहीं है मेरे घर में. जो खाती हूं वही मिलेगा तुझे भी. एकदूसरे की मदद करेंगे हम दोनों. चल, पर मैं इज्जाबेला न कहूंगी. ये कोई नाम हुआ भला? या तो इज्जा या बेला… बेला ठीक है न?’’

बेला धीरेधीरे गंगूबाई के पीछेपीछे चल पड़ी. अपने जैसे लोगों के साथ रहना ही ठीक है.

कुछ दिन बाद सब ने देखा कि बेला अपनी नई मां गंगूबाई के साथ काम पर जाने लगी थी.

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