वैधव्य से मुक्ति: भाग 1- खूशबू ने क्या किया था

कहानी- लक्ष्मी प्रिया टांडि

‘‘मां, ओ मां, कहां हो तुम? जल्दी यहां आओ. एक बहुत बड़ी खुशी की खबर है,’’ खुशबू के खुशी से डूबे हुए स्वर मेरे कानों से टकराए तो मैं बिस्तर छोड़ कर उठने लगी क्योंकि मैं यह अच्छी तरह से जानती थी कि अब अपनी खबर सुनाए बगैर वह मु़झे छोड़ेगी नहीं.

‘‘मां…मां… मैं बहुत खुश हूं. आप भी खबर सुन कर बहुत खुश होंगी,’’  खुशबू ने मेरी बांह पकड़ कर मुझे चक्करघिन्नी सा गोलगोल घुमा दिया.

‘‘अरे, पहले बता तो सही कि ऐसी क्या बात है जो तू यों खुशी से बावली हुई जा रही है,’’ मैं उसे रोकते हुए बोली.

‘‘मां, अभीअभी अंकल का फोन आया था कि अपनी निशा मां बनने वाली है और उस की गोदभराई की रस्म के लिए हमें बुलाया है. उन्होंने यह भी कहा कि सब से पहले आप ही निशा की गोद भरेंगी. मैं जाती हूं यह खबर निखिल को सुनाने,’’ कह कर खुशबू निखिल के कमरे की ओर दौड़ पड़ी जो रविवार होने की वजह से अब तक सो रहा था.

ओह, कितनी खुशी की खबर है पर  मुझ से ज्यादा खुश तो खुशबू है. आखिर निशा उस की ननद कम और सखी ज्यादा जो है. आज यह कहते हुए मुझे फख्र होता है कि खुशबू बहू होते हुए भी मेरे लिए निशा से कहीं अधिक प्यारी बेटी बन गई है. मैं डाइनिंग टेबल की कुरसी पर बैठ जाती हूं. और न चाहते हुए भी मेरा मन अतीत की यादों में खोने लगा.

मेरे जीवन में खुशबू के आने से पहले मुझे क्याक्या नहीं सहना पड़ा था. जीना किसे कहते हैं, शायद मैं भूल चुकी थी और जिंदगी बिताने की रस्म भर अदा कर रही थी. यों तो विधवा के लिए समाज के बनाए नियमों को मैं ने सहज अंगीकार कर लिया था. बचपन से विधवाओं को ऐसी ही बेरंग जिंदगी जीते देखती आई थी सो मन की छोटीछोटी इच्छाओं का दमन करने में मुझे थोड़ी तकलीफ तो होती थी पर दुख नहीं. नियम और परंपरा के नाम पर मेरे ऊपर परिवार वालों का शिकंजा कसा हुआ था.

हालांकि मैं चाहती तो अपने बच्चों के साथ एक छोटा सा घर किराए पर ले कर अलग रह सकती थी पर एक कम उम्र की विधवा को 2 छोटे बच्चों के साथ अकेले रहने पर क्याक्या परेशानी हो सकती थी इस का अंदाजा मुझे अच्छी तरह से था. इसलिए समाज में खुले घूमने वाले भूखे भेडि़यों से खुद को सुरक्षित रखने के लिए मुझे ससुराल वालों का ताना सुनना ज्यादा बेहतर और आसान लगा था.

देखते ही देखते पढ़ाई समाप्त कर निखिल एक मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय में प्रोफेसर नियुक्तहो गया. अब ससुराल वालों की नजरों में मेरी कुछ इज्जत बन गई थी. इधर मेरी ननद अपने पति और ससुराल वालों से झगड़ कर मायके रहने आ धमकी थी. ननद अपने साथ बहुत सारे जेवरात ले कर आई थी और शायद चंद्रहार के साथ सोने की तगड़ी भी जेठानी को देने का लालच दिया था. इसलिए दोनों की आपस में खूब छनती थी और ननद का मायके में डटे रहना जेठानी को बुरा नहीं लगता था.

निखिल की नौकरी लगने के बाद घर में पहला धमाका तब हुआ जब उस ने अपनी बिरादरी से अलग पंजाबी लड़की से विवाह करने का ऐलान किया. विवाह हो भी गया. प्रथा के अनुसार खुशबू पूरे परिवार के लिए कपड़ों के साथ कुछ न कुछ तोहफे भी लाई थी. खूबसूरत साडि़यों ने जेठानी और ननद की नाराजगी को बहुत हद तक कम कर दिया था.

सब से मिलने के बाद खुशबू की नजरें कुछ ढूंढ़ने लगीं. मैं यह सब अंदर कमरे में बैठी परदे की ओट से देख रही थी. चांद सी सुंदर बहू को देख कर मैं मुग्ध थी. मैं यह बिलकुल ही भूल चुकी थी कि अभी थोड़ी देर पहले घर वालों के बीच जा कर अपनी बहू को आशीर्वाद न दे पाने की वजह से मैं कितनी दुखी थी. क्या करती एक विधवा के लिए शुभ काम में शामिल होना वर्जित जो था. पर अपनी ममता को मैं मार न सकी. इसलिए दूल्हादुलहन के रूप में बेटेबहू को देखने की इच्छा मन में लिए परदे के पीछे छिप कर खड़ी हो गई.

तभी खुशबू के प्रश्न ने घर वालों को चौंका दिया, ‘निखिल, मां कहां हैं? क्या वह हमें आशीर्वाद नहीं देंगी?’ फिर वह कुछ ऊंची आवाज में बोली, ‘मां, कहां हो तुम? सब ने मुझे आशीर्वाद दिया, सिर्फ तुम्हीं ने नहीं. किसी कारण से मुझ से नाराज हो तो मैं वचन देती हूं कि तुम्हारी सारी नाराजगी दूर कर दूंगी.’

सभी सकते में आ गए क्योंकि एक तो उन्हें नई बहू के रूप में खुशबू का अपनी सास को ‘तुम’ कह कर संबोधित करना नागवार गुजरा. दूसरे, इस तरह के व्यवहार से खुशबू का दबंग स्वभाव उजागर हो चुका था जो शायद उस के हित में नहीं था लेकिन मैं तो यह संबोधन सुन कर निहाल हुई जा रही थी.

बात यह नहीं थी कि मैं ने मां का संबोधन पहली बार सुना था. हां, खुशबू से ऐसे संबोधन की मैं ने कल्पना नहीं की थी. मैं सोचा करती थी कि मेरी बहू भी और बहुओं की तरह मुझे ‘मांजी’ पुकारा करेगी. शायद इसीलिए एक पराईजाई कन्या का सिर्फ ‘मां’ कहना और आप की जगह बेटी की तरह तुम कह कर संबोधित करना एक अनजाने सुख से मुझे सराबोर कर गया.

फिर भी अंधविश्वास के मकड़जाल को तोड़ कर मैं उस नववधू को आशीर्वाद देने के साथ आलिंगन में भर लेने का साहस न जुटा पाई थी. तभी ननद की बातों ने मेरा ध्यान भंग किया, ‘बेटी, तुम तो जानती ही हो कि मेरे भैया इस दुनिया में नहीं हैं. सो इस समय भाभी यहां आ कर तुम्हें आशीर्वाद नहीं दे सकतीं.’

मैं ने अच्छी तरह अनुभव किया कि ननद ने एक एस.पी. की बेटी से बात करने के लिए अपने स्वभाव के विपरीत बोलने में कितनी कठिनाई से अपने शब्दों को चाशनी में डुबोया था.

ननद की बातें सुन कर खुशबू ने हठी बच्चे की तरह अपना फैसला सुनाया था, ‘फिर ठीक है, मैं भी तब तक अन्न का एक दाना अपने मुंह में नहीं डालूंगी जब तक यहां आ कर मां मुझे आशीर्वाद नहीं दे देतीं.’

सभी बहू को समझासमझा कर थक गए पर 2 घंटे तक वह अपनी बात पर डटी रही. मैं ने भी अंदर परदे की ओट से उस की कितनी मिन्नतें कीं कि वह सब की बात मान ले. पर वह गजब की हठी निकली. इस बात के लिए सब मन ही मन खुशबू को कोस रहे थे कि वह एस.पी. की बेटी थी, ऐसी बित्ते भर की लड़की की क्या मजाल जो वह मेरी जेठानी और ननद जैसी वीरांगनाओं के सामने डटी रहती. चूंकि सब के मन में यह बात गहरे पैठी हुई थी कि नई दुलहन ससुराल में छींक भी दे तो अच्छीभली आफत खड़ी हो सकती है.

आगे पढ़ें- हम दोनों की पलकें भीग उठीं. उफ, मैं…

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GHKKPM: सेट पर ‘पाखी’ को मनाते दिखे ‘विराट’, किया ये काम

सीरियल ‘गुम हैं किसी के प्यार में’ के कपल सई और विराट के बीच आए दिन झगड़ा होता रहता है. हालांकि ये रील लाइफ के झगड़े की जगह इस बार रियल लाइफ कपल यानी नील भट्ट और ऐश्वर्या शर्मा के बीच लड़ाई देखने को मिली है. दरअसल, एक्ट्रेस ऐश्वर्या शर्मा ने सीरियल के सेट पर एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें उनके पति नील उन्हें मनाते हुए नजर आ रहे हैं. आइए आपको दिखाते हैं मजेदार वीडियो की झलक….

पति से गुस्सा हुईं एक्ट्रेस

 

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हाल ही में ऐश्वर्या शर्मा ने एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें एक्ट्रेस गुस्से में नजर आ रही हैं तो वहीं उनके पति यानी नील भट्ट डांस करके उन्हें मनाने की कोशिश करते दिख रहे हैं. इस वीडियो के कैप्शन में ऐश्वर्या शर्मा ने लिखा कि जब मैं नील भट्ट पर गुस्सा होती हूं. वहीं इस वीडियो पर एक्टर नील ने मजेदार कमेंट करते हुए लिखा है कि हाहाहा मान जाना चाहिए था ना कितने प्यार से मना रहा था. दोनों की इस मजेदार वीडियो देखकर फैंस भी रिएक्शन दे रहे हैं.

 

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#reels बनाती हैं ऐश्वर्या

 

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एक्ट्रेस ऐश्वर्या शर्मा सेट पर कई reels शेयर करती रहती हैं. वह पति नील भट्ट हो या भवानी के रोल में नजर आने वाली किशोरी सहाने, सेट पर हर सेलेब्स के साथ फनी रिल्स शेयर करती रहती हैं. फैंस को एक्ट्रेस का ये अंदाज काफी पसंद आता है, जिसके चलते उनकी फैन फौलोइंग भी बढती नजर आ रही है.

 

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सीरियल में आएगा नया ट्विस्ट

 

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अपकमिंग अपडेट की बात करें तो सीरियल गुम हैं किसी के प्यार में इन दिनों सम्राट और पाखी के बीच लड़ाई देखने को मिल रही है. दरअसल, सम्राट अपने रिश्ते को आगे बढ़ाने की कोशिश करेगा. लेकिन पाखी उससे दूर होती जाएगी. वहीं सई को शिवानी बुआ के लवर राजीव के बारे में पता चल जाएगा. हालांकि वह विराट को नहीं बताएगी. लेकिन वह उसका पीछा करते हुए राजीव को गिरफ्तार कर लेगा.

Shahid Kapoor को घर से निकाल देते हैं पत्नी और बच्चे! खुद किया खुलासा

बौलीवुड एक्टर शाहिद कपूर (Shahid Kapoor) की जल्द ही एक्ट्रेस मृणाल ठाकुर संग फिल्म ‘जर्सी’ रिलीज  होने वाली है. इसके चलते वह प्रमोशन और इंटरव्यू में काफी बिजी चल रहे हैं, जिसके कारण वह फैमिली संग कम बिता पा रहे हैं. वहीं एक इंटरव्यू में उन्होंने अपनी वाइफ मीरा राजपूत और बच्चों से जुड़ा एक किस्सा शेयर किया है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

घर से निकाल देते हैं बीवी और बच्चे

फिल्म के प्रमोशन्स के दौरान एक इंटरव्यू में अपनी वाइफ और बच्चों के बारे में बात करते हुए एक्टर शाहिद कपूर ने मजेदार किस्सा शेयर करते हुए कहा कि हर रोज ऐसा होता है जब मेरी वाइफ मीरा राजपूत (Mira Rajput) और उनके बच्चे यानी मीशा और जैन मिलकर उन्हें घर से बाहर निकाल देते हैं, लेकिन वह किसी न किसी तरह वापस आ ही जाते हैं.

 

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ये भी पढ़ें- 15 साल पहले ऐसा था Anupama का परिवार, सामने आई प्रीक्वल की फोटोज

बेटी को लेकर कही ये बात

मजाक वाइफ और बच्चों के बारे में शाहिद ने कहा कि “रोज अपने बीवी और बच्चों के सामने, ऐसा लगता है कि मेरी कोई औकात ही नहीं है. लेकिन मैं फिर भी घर में रह रहा हूं अभी भी. मैं घर से सात साल से निकला नहीं, मतलब निकला था पर आ गया वापस.” वहीं बेटी मीशा पर प्यार लुटाने वाले शाहिद कपूर ने कहा कि मेरी एक बेटी है और उसने स्कूल जाना शुरू कर दिया है. वहीं जब वह घर पर नहीं होती है तो मुझे अजीब महसूस होता है.

बता दें, मीरा राजपूत और शाहिद कपूर की शादी को 7 साल हो गए हैं. लेकिन दोनों का रिश्ता आज भी मजबूत हैं. कपल की दोस्ती देखकर फैंस दोनों की तारीफ करते नहीं थकते. वहीं सोशलमीडिया के जरिए फैंस के साथ जुड़े रहने वाले शाहिद अक्सर वाइफ संग वीडियो और फोटोज शेयर करते हैं, जिसे देखकर फैंस दोनों की कैमेस्ट्री की काफी तारीफ करते हुए नजर आते हैं.

Sunrise Pure स्वाद और सेहत उत्सव में आज बनाते हैं पिंडी चना

अगर आप अपनी फैमिली के लिए लंच या डिनर में टेस्टी रेसिपी ट्राय करना चाहते हैं तो Sunrise Pure के प्रौडक्ट से बनीं पिंडी चना की ये रेसिपी ट्राय करना ना भूलें.

कितने लोगों के लिए : 4

तैयारी में समय : 8 से 10 घंटे

बनाने में समय : 30- 40 मिनट

सामग्री

– 2 कप रात भर भिगोया हुआ काबुली चना

– 2 बड़े प्याज(बारीक कटे हुए)

– 2 टमाटर(बारीक कटे हुए)

– 5-6 हरी मिर्च(बारीक कटे हुए)

– 1 टेबल स्पून अदरक का पेस्ट

– 1 टेबल स्पून लहसुन पेस्ट

– 2 टी बैग

– 1 बड़ा चम्मच सूखे अनारदाने

– 2 टी स्पून धनिया के दाने

– 1/2 टी स्पून Sunrise Pure हल्दी पाउडर

– 1½ टी स्पून Sunrise Pure लाल मिर्च पाउडर

– 1 टी स्पून Sunrise Pure चना मसाला

– ½ टी स्पून Sunrise Pure गरम मसाला

– 1/2 टी स्पून Sunrise Pure अमचूर

– 4 टेबल स्पून घी

– 1½ टी स्पून जीरा

– 2 टेबल स्पून जीरा पाउडर

– गार्निशिंग के लिए धनिया पत्ती और नींबू

– नमक स्वादानुसार

विधि

– एक पैन लें. उसमें टी बैग और नमक रख कर चनें को सॉफ्ट होने तक पकायें.

– पक जाने के बाद टी बैग को हटा दें. एक बाउल में चनें निकाल लें.

– अब पैन में अनार के दाने, धनिया दाने, Sunrise Pure का 1/2 टी स्पून हल्दी पाउडर, 1/2 टी स्पून लाल मिर्च पाउडर, अमचूर डालकर भून लें.

– एक कढ़ाई में 3 टेबल स्पून घी को गर्म कर लें. इसमें 1 टी स्पून जीरा डालकर हल्का भूनें. कटे प्याज डालें और गोल्डन होने तक भूनें.

– अब इस मिश्रण में चना और हल्का सा नमक डालकर मिक्स करें.

– एक अलग से पैन में 1 टेबल स्पून घी को गर्म करें. इसमें बाकी बचा जीरा डालें, हल्का पकायें. अब इसमें कटे टमाटर को डाल कर भूनें. कटी हरी मिर्च और नमक को डाल कर पका लें. टमाटर पिघल जाने तक पकायें.

– 1 ग्लास पानी मिलाकर इसे 2 मिनट तक पकायें. अब इसमें छोले मसाला और गरम मसाला डाल कर अच्छी तरह से मिक्स कर लें.

– करीब 15 मिनट तक धीमी आंच पर पकायें. धनिये की पत्ती और नींबू के साथ गार्निश करें और गरमागरम पूरियों के साथ परोसें.

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Health Policy खरीदने से पहले रखें इन बातों का ध्यान

हम सभी जानते हैं कि बीमारियां कोई सूचना देकर नहीं आती हैं, इसलिए समझदार लोग समय पर ही अपने लिए एक अच्छी हेल्थ पौलिसी खरीद लेते हैं. वहीं अगर आप किसी खास बीमारी से ग्रसित हैं तो भी बाजार में आपके लिए तरह तरह की पौलिसियां मौजूद हैं. एक्सपर्ट मानते हैं कि हमें अपने लिए हेल्थ पौलिसी का चुनाव काफी सोच समझकर करना चाहिए. हम अपनी इस खबर में आपको बताने जा रहे हैं कि हेल्थ पौलिसी की खरीद के दौरान आपको किन सावधानियों को बरतना चाहिए.

एक्सपर्ट की राय

जानकारो का मानना है कि एक अच्छी हेल्थ पौलिसी खरीदने से पहले सबसे पहले इसकी कवरेज जान लें. साथ ही यह सुनिश्चित कर लें कि इसके दायरे में कौन-कौन सी बीमारियां और बेनिफिट्स नहीं आते हैं. इसके पैनल में जो भी अस्पताल हैं उनकी टौप लिमिट क्या है, उसमें डौक्टर के विजिट के चार्जेस, आईसीयू में भर्ती होने के घंटों पर कोई लिमिट तो नहीं है. यह भी जांच कर लें कि किन-किन स्थितियों में पौलिसी धारक क्लेम का हकदार नहीं होता है.

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पहले से चल रही बीमारियां

इंश्योरर ऐसा मानकर चलते हैं कि अगर कोई बड़ी उम्र में हेल्थ पौलिसी खरीद रहा है तो जरूर कोई बीमारी होगी. अपने जोखिम को कम करने के लिए वे प्री एग्जिंस्टिंग क्लौज में पौलिसी को डाल देते हैं. इसमें आमतौर पर तीन से चार साल तक का वेटिंग पीरियड होता है. इसलिए हमेशा कोशिश करें कि ऐसी पौलिसी का चयन करें जिसमें वेटिंग पीरियड कम हो, फिर चाहे उसके लिए आपको ज्यादा प्रीमियम ही क्यों न देना पड़ें.

आंशिक भुगतान

इसे को-पेमेंट भी कहा जाता है. यह वो राशि होती है जो पौलिसी धारक हौस्पिटालाइजेशन के दौरान अदा करता है, शेष क्लेम की गई राशि इंश्योरर भुगतान करता है. आपको बता दें कि वरिष्ठ नागरिकों के अधिकांश हेल्थ इंश्योरेंस प्लान में को-पेमेंट अनिवार्य होती है. हालांकि, कुछ इंश्योरर को-पेमेंट की राशि फिक्स्ड रखते हैं. जबकि कुछ एक रेंज निर्धारित कर देते हैं. यह 10 से 20 फीसद के बीच होती है. ऐसे प्लान को खरीदें जिसमें को-पेमेंट का क्लौज न हो.

अस्पताल के किराये की सीमा

कुछ हेल्थ प्लान में सीमित किराये की कैप लगाई होती है. पौलिसी के तहत अस्पताल के कमरे की निश्चित राशि तय होती है. अगर मरीज इससे ज्यादा का कमरा लेता है तो इंश्योरर मरीज से अस्पताल के कुल बिल इस अतिरिक्त राशि को चार्ज करता है. उदाहरण के तौर पर अगर कमरे का किराया 4000 रुपये प्रतिदिन है और मरीज 5000 रुपये प्रतिदिन का कमरा लेता है. तो रुम के किराये में 20 फीसद का इजाफा हो गया. अब अगर अस्पताल का कुल बिल 50,000 रुपये है तो इंश्योरर यह 20 फीसद का अतिरिक्त चार्ज कुल बिल में लगा देगा. इससे मरीज को 2000 रुपये की जगह 10,000 रुपये देने पड़े जाते हैं. इसलिए ऐसा प्लान खरीदें जिसमें अस्पताल के कमरे के किराये पर कोई सीमा नहीं है.

रेस्टोरेशन बेनिफिट

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हर एक हेल्थ प्लान में एक सम एश्योर्ड लिमिट होती है जो कि पौलिसी धारक के स्वास्थ्य पर निर्भर करती है. इस सम एश्योर्ड की एक साल में क्लेम करने की सीमा होती है. यदि सम एश्योर्ड से ज्यादा का खर्चा आता है तो पौलिसी धारक को खुद देना पड़ता है. लेकिन अगर आपने हेल्थ प्लान रेटोरेशन बेनिफिट के साथ लिया हुआ है तो इंश्योरर सम एश्योर्ड को रीस्टोर करके रख देगा ताकि अगर उसी साल में फिर से पौलिसी धारक बीमार होता है तो सम एश्योर्ड मिल जाए.

जानकारी के लिए बता दें कि रेटोरेशन बेनिफिट केवल उस स्थिति में मिलेगा जब एक ही साल में अलग अलग बीमारी का ट्रीटमेंट हुआ हो. एक साल के भीतर एक ही बीमारी के लिए सम एश्योर्ड नहीं मिलता. उदाहरण के तौर पर आपकी पांच लाख की पौलिसी है. आप बीमार होते हो और दो लाख रुपये का इस्तेमाल कर लेते हो. अब अगर आप उसी साल में फिर से बीमार पड़ते हो तो इंश्योरर वापस सम एश्योर्ड को बढ़ाकर पांच लाख कर देगा.

अस्पतालों का नेटवर्क

हेल्थ पौलिसी डौक्यूमेंट में अस्पतालों के पास उनके कोऔडिनेटर्स की एक लिस्ट होती है. पौलिसीधारक को इस लिस्ट को ध्यान से पढ़ना चाहिए. साथ ही यह देखना चाहिए कि आपके घर के आसपास कौन कौन से अस्पताल हैं. अगर आप ऐसे किसी अस्पताल में भर्ती होते हों जो कि लिस्ट में नहीं है तो मरीज को कैशलैस ट्रीटमेंट नहीं मिलेगा. अस्पताल का कुल बिल मरीज को अपनी जेब से भरना होगा. उसके बाद उसे यह राशि रींबर्स की जाएगी.

ब्राइडल लुक में दिखीं Anupama, फैंस कह रहे हैं ये बात

सीरियल अनुपमा (Anupama) में नजर आने वाली रुपाली गांगुली (Rupali Ganguly Birthday) ने बीते दिनों अपना 45वां बर्थडे सेलिब्रेट किया. जहां इस मौके पर फैंस ने एक्ट्रेस को बधाई दी तो वहीं एक्ट्रेस ने भी रिटर्न गिफ्ट के तौर पर फैंस को अपने ब्राइडल लुक की झलक दिखाई. वहीं इस लुक को देखते ही फैंस कयास लगा रहे हैं कि ये लुक अनुपमा का वेडिंग लुक (Rupali Ganguly Bridal Look) है. आइए आपको दिखाते हैं वायरल फोटोज और वीडियो…

ब्राइडल लुक में दिखी अनुपमा

 

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अनुपमा के रोल में नजर आने वाली रुपाली गांगुली (Rupali Ganguly)ने हाल ही में अपना एक लुक शेयर किया है, जिसमें वह लहंगा और ब्राइडल ज्वैलरी पहने नजर आ रही हैं. वहीं इस लुक को कैरी करते हुए वह शरमाते हुए पोज दे रही है. अनुपमा यानी रुपाली गांगुली का ये लुक देखकर बर्थडे की बधाई देते हुए फैंस उनकी तारीफें करते नहीं थक रहे हैं औऱ उन्हें जल्दी अनुज से शादी करने के लिए कहते नजर आ रहे हैं.

 

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अनुज के आने के बाद बदला अंदाज

 

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सीरियल में अनुज कपाड़िया की एंट्री के बाद काफी कुछ बदल गया है. वहीं इसका असर अनुपमा पर भी पड़ा है. सीधे साधे सिंपल लुक में नजर आने वाली अनु इन दिनों स्टाइलिश लुक में नजर आ रही हैं. चाहे वह कोई कौंपीटिशन हो या फैस्टिवल, अनुपमा का लुक खास नजर आता है. फैंस को अनुपमा में यह बदलाव काफी पसंद आ रहा है. हालांकि वह अनुज और अनुपमा के रोमांस के साथ-साथ शादी का भी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.

 

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रुपाली भी नहीं हैं कम

 

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अनुपमा के रोल में नजर आने वाली रुपाली गांगुली भी इन दिनों फोटोशूट करवाती नजर आ रही हैं, जिसमें एक्ट्रेस का लुक बेहद स्टाइलिश और खूबसूरत लग रहा है. मौर्ड्न हो या इंडियन हर लुक में रुपाली गांगुली बेहद खूबसूरत लग रही हैं.

खुदगर्ज मां: क्या सही था शादी का फैसला

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सुसाइड का कारण बनता अकेलापन

आकड़े बताते हैं कि आम घरों को किसी बाहर वाले के हमलावर से हुई किसी अजीज की हत्या से कम और किसी अजीज की आत्महत्या से ज्यादा डरना चाहिए. भारत समेत 113 देशों के आंकड़ों से पता चलता है कि दक्षिणी अमेरिका को छोड़ दें तो लगभग सब जगह सूसाइड ज्यादा जानलेवा हैं बजाए मर्डर के. जापान में प्रति लाख पौपुलेशन में से 1412 लोग आत्महत्या से मरते हैं और दूसरों के हाथों मर्डर से सिर्फ 0.25 परसैंट मर्डर और सूसाइड में 57 गुना का फर्क है.

भारत में हर लाख पर 11.3 सूसाइड हो रहे हैं और 2.2 मई पाकिस्तान जिसे हम आमतौर पर ला एंड  आर्डर में निखट्टू समझते हैं. मर्डर 8.8 प्रति लाख पर सूसाइड 3.8 प्रति लाख. मतलब कि पाकिस्तान का प्रशासन अपराध रोकने में ज्यादा कामयाब है पर लोगों के खुद मरने से नहीं रोक पाता. बांग्लादेश का गुणगान करे रूका नहीं जा पाता कमेटी वहां मर्डर भी कम 4.7 प्रति लाख और सूसाइड भी कम 2.4 प्रति लाख है. इन 3 दक्षिणी एशियाई देशों में भारत सब से निखद है और हल्ला मचाने में नंबर वन.

सब से ज्यादा चौंकाने वाला आंकड़ा अमेरिका का है जहां गन खरीदना आसान है और जहां की हर फिल्म सीरियल या नौवल में हत्या ही मुख्य बात होती है. वहां भई रेट 4.9 प्रति लाख है और सूसाइट रेट 11.7 प्रति लाख. यूरोपीय देशों मं जहां गन आसानी से स्टोरों में नहीं मिलती मर्डर रेट कम है. 1.3 प्रति लाख फ्रांस में, 0.7 प्रति लाख स्पेन में 1.0 प्रति लाख ब्रिटेन में.

अपनी जान देना असल में समाज की पोल खोलता है और मर्डर रेट शासन की. दक्षिणी अमेरिका के वैंजूएला जैसे देश में इस कदर माफिया और गैंगबाजी है कि वहां मर्डर रेट 49.9 प्रति लाख है और जापान में लोग इस कदर डिप्रैशन और लोमीनैस के शिकार है कि सूसाइड रेट 14.2 और साउथ कोरिया में 19.5 प्रति कोर्स है.

सूसाइड रेट ज्यादा होने का मतलब है कि कोई जना इतना परेशान अकेला है कि उसे जीने का कोई मकसद नजर नहीं आता. जापान और साउथ कोरिया में पैसे की कमी नहीं है. खाने पीने की कमी नहीं है, गरीबी नहीं है, वहां जीने का मकसद नहीं रह गया. इन दोनों देशों में अकेले वृद्धों की गिनती बढ़ती जा रही है. तलाक ज्यादा हो रहे हैं. बिना शादी किए लोगों की गिनती बढ़ रही है. वहां पुलिस से डर लगता है पर उस से ज्यादा खाली सन्नाटेदार घर से डर लगता है.

भारत में यह स्थिति एक वर्ग विशेष में तेजी से बढ़ रही है. आज बड़ी आयु के युवाओं की गिनती तेजी से बढ़ रही है जो अकेले पड़ गए हैं, जिन के पास पैसे हैं पर कोई हंसने बोलने के लिए नहीं. इस वर्ग के लोगों को घर में घुस कर मारने वाले अपराधी से डर नहीं है. दिनोंदिन कोई न बोलने वाले से डर है.

यह दुर्दशा सिर्फ बूढ़ों की नहीं है जिन्हें अकेले छोड़ कर बच्चे गायब हो गए हैं. यह युवाओं की भी है जिन्हें ब्रेकअप और मांबाप भाईबहन छोड़ गए हैं. घर होने के बावजूद, खाने में कमी न  होने के बावजूद डिप्रेशन होना बड़ी बात नहीं है अगर बात करने के लिए सिर्फ डिलीवरी बौय हो. औन लाइन व्यापार तो बस्ती के नुक्कड़ के मौर्य पौय स्टोर के मालिक से भी नाता तोड़ रहा है. टैक्नोलौजी हरेक पर भारी पड़ रही है क्योंकि बिना ट्यूशन कौंटैक्ट के बहुत कुछ मोबाइल या कंप्यूटर पर किया जा रहा है.

ग्लोबल वाकिंग और रूसी हमले से परेशान दुनिया को इन अकेले सुसाइड करने वालों की फिक्र नहीं है. पुलिस के लिए ये समस्या नहीं है क्योंकि सिर्फ मृत की लाश को ठिकाने के अलावा उन्हें कुछ नहीं करना होता. समाज को चिंता नहीं है क्योंकि ये सुसाइड करने वाले के हैं जो पहले ही समाज से कह चुके हैं, अकेले में छिप गए हैं.

शादी में न करें जल्दबाजी

शादी को ले कर हमारे समाज में 2 बातें प्रचलित हैं- छोटी उम्र में शादी और चट मंगनी पट ब्याह. लेकिन इन्हीं 2 कारणों से कई बार शादीशुदा जीवन में परेशानियां झेलनी पड़ जाती हैं. आखिर शादी जैसा अहम निर्णय, जिस से हमारा पूरा जीवन बदल जाता है, उसे लेने में जल्दबाजी क्यों?

कच्ची उम्र की कम समझदारी और कम तजरबा हमारे आने वाले जीवन में ऐसा विष घोलने की क्षमता रखता है, जिस से मीठे के बजाय कड़वे अनुभव हमारी यादों में जुड़ते जा सकते हैं. शादी सिर्फ 2 प्यार करने वालों का मिलन नहीं, अपितु यह ऐसे 2 इंसानों को एक बंधन में बांधती है जिन की परवरिश, शख्सीयत, भावनाएं, शिक्षा और कई बार भाषा भी भिन्न होती है. कभीकभी तो शादी के जरीए 2 अलग संस्कृतियों का भी मेल होता है.

ऐसे बंधन को बांधने से पहले समझदारी इसी में है कि एकदूसरे की पसंदनापसंद, जिंदगी के लक्ष्यों, एकदूसरे के परिवारों के बारे में जानने के लिए ज्यादा वक्त दिया जाए. धैर्य के साथ अपने होने वाले साथी को अच्छी तरह जानने में ही अक्लमंदी है. टैक्सास विश्वविद्यालय के प्रोफैसर टेड हस्टन के अनुसार विवाह के धागे को जोड़ने से पहले अपनी आंखें खोल कर अपने साथी की अच्छाइयां तथा कमियां भली प्रकार तोल लेनी चाहिए.

सही कारणों के लिए ही करें शादी

हां करने से पहले जांच लें कि आप हां क्यों करना चाहती हैं. कहीं इसलिए तो नहीं कि परिवार वाले कह रहे हैं या फिर उम्र हो रही है अथवा आप की सहेलियों की शादियां हो रही हैं? ध्यान रहे कि इस नए रिश्ते को निभाना आप को है. इसलिए अच्छी तरह विचार कर के निर्णय लें.

उर्मिला आज भी पछताती है कि क्यों उस ने कालेज में चूड़े पहनने के चाव में शादी की इतनी जल्दी मचाई. चूड़े तो पहन लिए पर जल्द ही गलत आदमी से शादी करने का दंड उसे भुगतना पड़ा. जिस उम्र में उसे अपनी शिक्षा की ओर ध्यान देना चाहिए था, उस उम्र में उठाए गलत कदम के कारण वह स्वावलंबी नहीं बन पाई और अब गलत पति को सहने के सिवा उस के पास कोई और चारा नहीं.

आर्थिक मजबूती परख लें: 18 की होते ही रचना ने अपने ही संगीत शिक्षक से भाग कर शादी कर ली. किंतु तोतामैना का यह रोमांस अल्पायु निकला. कारण? उस का पति केवल उसे ही संगीत सिखाता था. उस के पास और कोई विद्यार्थी नहीं था. जल्द ही पैसे की तंगी ने शादी के रिश्ते से संगीत गायब कर दिया. जब गृहस्थी का भार पड़ा तो दोनों ही अपने निर्णय पर पछताए.

यदि आप का होने वाला पति घरगृहस्थी के खर्च उठाने में असमर्थ है तो शादी का डूबना तय समझिए.

स्वभाव जांचना बेहद जरूरी: अकसर लड़कियां सुनहरे ख्वाब संजोते समय अपने प्रेमी या मंगेतर का स्वभाव जांचना दरकिनार कर बैठती हैं. कुछ ये सोचती हैं कि अभी उन का रिश्ता मजबूत नहीं है. इसीलिए वह उन से इस प्रकार बात कर रहा है तो कुछ सोचती हैं कि शादी के बाद वे अपने हिसाब से अपने पति का स्वभाव बदल लेंगी. दोनों स्थितियों में नुकसान लड़की का होता है. यह बात तय है कि शादी के बाद कोई किसी का स्वभाव नहीं बदल सकता. जो जैसा है उसे वैसे ही स्वीकार करना आवश्यक है. यदि आप का प्रेमी या मंगेतर गुस्सैल है तो शादी के बाद उस के गुस्से का निशाना अकसर आप को ही बनना पड़ेगा. इसलिए ऐसे इंसान से शादी न करें, जिस का अपने गुस्से पर काबू न हो.

एकदूसरे का प्यार आंकना: जब भी मिलें या बातचीत करें तब यह अवश्य परखें कि क्या आप के होने वाले पति का प्यार आप के लिए सच्चा है? क्या उसे आप की भावनाओं की कदर है? क्या वह आप की खुशी के लिए कदम उठाता है? क्या वह अपने मन की बात आप से करता है? और जो बातें आप उस से करती हैं, क्या वह उन्हें अपने तक रख पाता है?

इसी प्रकार अपनी भावनाएं भी परखनी जरूरी हैं. क्या आप उसे प्यार करती हैं? यदि नहीं तो अभी शादी के लिए आगे बढ़ना गलत रहेगा. गृहस्थ जीवन के सागर में बहुत ऊंचीनीची लहरें आती हैं. ऐसे समय में एकदूसरे के प्रति प्रेम ही गृहस्थी की नैया को डूबने से बचाता है.

जबान संभाल कर:

पहली स्थिति:

पत्नी: मेरे दफ्तर में आजकल कुछ टैंशन चल रही है. लगता है कुछ लोगों को निकाला जाएगा.

पति (मखौल उड़ाते हुए): तब तो तुम्हारा नंबर जरूर लगेगा.

दूसरी स्थिति:

पत्नी: मेरे दफ्तर में आजकल कुछ टैंशन चल रही है. लगता है कुछ लोगों को निकाला जाएगा.

पति: अच्छा? तुम किसी बात की चिंता मत करना. हम दोनों मिल कर इस गृहस्थी को सुचारु रूप से चला लेंगे. मैं तुम्हें कुछ अच्छे कैरियर कंसल्टैंट के नंबर दूंगा, तुम उन से बात करना. यदि तुम्हारी नौकरी चली भी जाती है, तो वे नई नौकरी पाने में तुम्हारी मदद करेंगे.

शादी 2 ऐसे लोगों को जोड़ती है जो एकदूसरे से अलहदा हैं. वे जिस तरह अपनी बात रखते हैं उस का असर काफी हद तक उन के शादीशुदा जीवन पर पड़ता है. वे या तो बातबात पर नुक्स निकाल सकते हैं और शिकायत कर सकते हैं या फिर प्यार से एकदूसरे का हौसला बढ़ा सकते हैं. जी हां, अपनी बातों से हम या तो अपने जीवनसाथी को चोट पहुंचा सकते हैं या उस के जख्मों पर मरहम लगा सकते हैं. अपनी जबान पर लगाम न लगाने से शादीशुदा जीवन में भारी तनाव पैदा हो सकता है.

मातापिता बनने से पहले: शादी के बाद अगला पड़ाव होता है संतान. एक संतान का आगमन पतिपत्नी के रिश्ते को पूरी तरह बदल देता है. एक ओर जहां पत्नी मां बनते ही अपना पूरा ध्यान बच्चे पर केंद्रित कर देती है, वहीं पति अकसर पत्नी के जीवन में आए इस बदलाव में अपना पुराना स्थान खोजता रहता है. मातापिता बनने से पूर्व यह जरूरी है कि पतिपत्नी के आपसी रिश्ते का गठबंधन मजबूत हो चुका हो ताकि जब नए रोल को निभाने का समय आए तो एकदूसरे के प्रति किसी गलतफहमी की गुंजाइश न रहे.

एक बैंक की मैनेजर ऋतु गोयल कहती हैं, ‘‘जब मेरी बेटी ने अपनी पसंद से शादी करने की इच्छा जताते हुए मुझे अपने बौयफ्रैंड के बारे में बताया तो मैं ने उस से पूछा कि सब से पहले 10 जरूरी गुणों के बारे में सोचो जो तुम अपने जीवनसाथी में देखना चाहोगी. अगर तुम्हारे बौयफ्रैंड में सिर्फ 7 गुण दिखते हैं तो खुद से पूछो कि क्या तुम रोजाना उन 3 कमियों को बरदाश्त कर पाओगी? अगर तुम्हारे मन में जरा भी शक है, तो कोई भी कदम उठाने से पहले अच्छी तरह सोच लेना.’’

यह सच है कि आप को हद से ज्यादा की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए. अगर आप शादी करना चाहते हैं, तो यह सचाई ध्यान में रखें कि आप को ऐसा साथी कभी नहीं मिलेगा, जिस में कोई खोट न हो और जो आप से शादी करेगा उसे भी ऐसा साथी नहीं मिलेगा, जिस में कोई खोट न हो. ‘जल्दबाजी में शादी करो और इत्मीनान से पछताओ’ कहावत को चरितार्थ करने में समझदारी नहीं है.

कंपैटिबिलिटी क्विज

कंपैटिबिलिटी में 3 बातें खास होती हैं- आपसी मित्रता व समझौता करने की क्षमता, एकदूसरे के प्रति सहानुभूति व एकदूसरे की आवश्यकताओं की पूर्ती करने का माद्दा. इस क्विज को सुलझाएं. इस से आप जान पाएंगी कि आप दोनों शादी के लिए कितने तैयार हैं:

(1) आप दोनों को ले कर विचारविमर्श करते हैं:

क. कभीकभी

ख. आएदिन

ग. कभी नहीं

घ. हमेशा.

सही जवाब है हमेशा. यदि आप दोनों शादी को ले कर गंभीर हैं तो विवाह संबंधी विचारविमर्श आप दोनों की सूची में होना चाहिए.

(2) साथी का मुझे छोड़ कर चले जाने का विचार मात्र ही मुझे:

क. उदास कर देता है

ख. चैन देता है

ग. मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता

घ. मैं बुरी तरह टूट कर बिखर जाऊंगी.

सही जवाब है उदास कर देता है. यदि आप का रिश्ता स्वस्थ है तो आप का पूरा वजूद केवल अपने साथी के इर्दगिर्द नहीं घूमेगा. आप के रिश्ते में एक संतुलन होगा. आप अपने साथी को चाहेंगी अवश्य, किंतु चाहने और आवश्यकता होने में फर्क होता है.

(3) शादी मेरे लिए:

क. फिल्मों की तरह रोमानी है

ख. बेहद कठिन राह है

ग. इतनी कठिन भी नहीं

घ. परिश्रम व मजे का तालमेल है.

सही जवाब है परिश्रम व मजे का तालमेल. शादी में मेहनत जरूर लगती है पर वह नामुमकिन नहीं. शादी को सफल बनाने के लिए उस की ओर लगातार ध्यान देना चाहिए.

(4) अपने साथी को देख कर मैं:

क. उत्साहित व प्रसन्न हो जाती हूं

ख. मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता

ग. घबराने लगती हूं

घ. थोड़ाबहुत खुश होती हूं.

सही जवाब है उत्साहित व प्रसन्न हो जाती हूं. यदि आप को अपने साथी को देखने से शादी से पहले खुशी नहीं मिलती है तो बाद में क्या होगा. यह बात सच है कि शादी का खुमार समय के साथ कम होता जाता है और उसे बरकरार रखने के लिए मेहनत करनी पड़ती है. इसलिए शुरुआत उत्साह व खुशी से होनी चाहिए.

(5) खास मुद्दों पर हम दोनों:

क. कभी चर्चा नहीं करते हैं

ख. कभीकभार चर्चा कर लेते हैं

ग. रोज चर्चा करते हैं

घ. तभी चर्चा करते हैं जब बात हाथ से बाहर हो जाए.

सही जवाब है कभीकभार चर्चा कर लेते हैं. जिंदगी में इतना कुछ घटित होता रहता है कि यदि आप चर्चा नहीं करते हैं तो अभी आप शादी के लिए तैयार नहीं हैं और यदि आप रोज चर्चा करते हैं तो आप के रिश्ते में तनाव अधिक है और मस्ती कम. अच्छा रिश्ता मस्तीभरा तथा गंभीर बातों का मिलाजुला रस होता है.

(6) प्रेम मेरे लिए:

क. लेनदेन की सुंदर अभिव्यक्ति है

ख. मेरा खयाल रखने के लिए साथी की खोज है

ग. अपने साथी का ध्यान रखना

घ. किसी और की तरह बन जाना.

सही जवाब है लेनदेन की सुंदर अभिव्यक्ति. प्यार में केवल एक ही साथी दूसरे का खयाल रखे यह मुमकिन नहीं. प्यार समझौते का दूसरा नाम है, जिस में दोनों तरफ से आदानप्रदान होना आवश्यक है.

खिलाड़ियों के खिलाड़ी: भाग 1- क्या थी मीनाक्षी की कहानी

राज्य के चीफ सैक्रेटरी विशाल दिल्ली से आए कुछ उच्च अधिकारियों के साथ हाईलेवल और मोस्ट सीक्रेट मीटिंग में अपना मोबाइल साइलैंट तथा वाइब्रेट मोड पर रख कर बैठे हुए थे. मीटिंग की अध्यक्षता राज्य के मुख्यमंत्री कर रहे थे. मीटिंग शुरू हुए आधा घंटा हुआ था कि उन के सामने उन का रखा मोबाइल वाइब्रेट हुआ.

विशाल ने देखा कि मोबाइल की एक्स्ट्रा लार्ज स्क्रीन पर ‘एम एन’ ये 2 अक्षर बारबार उभर रहे थे. विशाल को यह समझने में देर न लगी कि यह मीनाक्षी नाईक की कौल है. एसी रूम होने के बावजूद विशाल के माथे पर पसीने की बूंदें फैल गईं, उस ने धीरे से अपनी जेब से रूमाल निकाल कर माथे पर फेर दिया, फिर सब से नजरें चुराते हुए ‘मैं मीटिंग में हूं’ लिख कर मैसेज भेज दिया.

विशाल की आंखों के सामने ‘एम एन’ अर्थात मीनाक्षी नाईक की मदहोश करने वाली मोहक छवि उभर आई जिस ने पिछले कुछ समय से उस की नींद हराम कर दी थी. शहर के एक कुख्यात गुंडे अरुण नाईक की पत्नी मीनाक्षी अपने पति के मुकदमे के सिलसिले में करीब 4 साल पहले एक दिन उस से मिलने उस के औफिस आई थी जब वह राज्य के सचिव के पद पर आसीन था.

जब मीनाक्षी नाईक पहली बार उस की केबिन में दाखिल हुई थी तब वह उसे देखते ही रह गया था. विशाल की नजरें मीनाक्षी के चेहरे से हटने का नाम नहीं ले रही थीं. उस ने अपनी जिंदगी में पहली बार इतनी खूबसूरत महिला देखी थी. बड़ेबड़े कजरारे नशीले नैन, गुलाब की पंखुडियों से रसभरे होंठ, उफनता वक्षस्थल जहां से साड़ी का पल्लू किंचित नीचे खिसक गया था जिसे वह उचित स्थान पर स्थिर करने की असफल कोशिश कर रही थी. काली और घनी रेशमी जुल्फों की लटें उस के चांद से चेहरे पर अठखेलियां करते हुए कभी आंखों, तो कभी गालों, तो कभी लरजते लबों को छू रही थीं जिन्हें वह बारबार कभी अपने कोमल हाथ से तो कभी अपनी सुराही सी गरदन से झटक कर हटाने की कोशिश कर रही थी लेकिन हर बार उसे नाकामयाबी ही मिल रही थी.

मीनाक्षी ने मुसकराते हुए कहा, ‘गुडमौनिंग सर.’

मीनाक्षी नाईक की मधुर और खनकती आवाज से विशाल की तंद्रा टूटी, वह संभलते हुए बोला, ‘यस, यस वैरी गुडमौर्निंग, प्लीज हैव ए सीट.’

‘थैंक्यू सर,’ कहते हुए मीनाक्षी कुरसी पर बैठ गई. अब मीनाक्षी विशाल के बिलकुल समीप आ गई थी.

‘बोलिए मैडम, मैं आप की क्या सहायता कर सकता हूं,’ मीनाक्षी के चेहरे से नजर हटाते हुए विशाल ने कहा.

‘सर, मैं पहले अपना परिचय देना चाहूंगी. मैं मीनाक्षी नाईक, अरुण नाईक की पत्नी हूं. मैं अपने पति पर चल रहे मुकदमे के सिलसिले में आप से सहायता मांगने आई हूं.’

अरुण नाईक का नाम सुनते ही विशाल की भौंहें तन गईं. वह क्रोधित होते हुए बोला, ‘तो तुम नाईक गैंग के मुखिया अरुण नाईक की पत्नी हो जिस ने पुलिस और सरकार की नाक में दम कर रखा है. शार्पशूटर अरुण नाईक के अपराधों का कोई हिसाब नहीं है. मु?ो माफ करना इस बारे में मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकता,’ कहते हुए विशाल ने दोनों हाथ जोड़ दिए.

‘सर, मेरी बात तो सुनिए. इस मामले को प्रैस ने जरूरत से ज्यादा उछाला है. दरअसल,’ मीनाक्षी अपनी बात पूरी भी न कर पाई थी कि तभी विशाल की केबिन में उन के सहायक ने आ कर बताया कि मुख्यमंत्री ने उन्हें तुरंत बुलाया है. इसी बीच मीनाक्षी ने विशाल का विजिटिंग कार्ड ले लिया और उन से विदा लेते हुए वह केबिन से बाहर आ गई.

मीनाक्षी नाईक केबिन से बाहर जरूर चली गई थी मगर उस की मादक और मोहक छवि युवा अफसर विशाल की नजरों के सामने बारबार आ रही थी. विशाल की पत्नी दिल्ली में थी, वह मायानगरी में अकेला ही रह रहा था. बैठेबैठे न जाने उस के मन में ऐसेवैसे विचार आने लग गए. वह अपनेआप को संयमित रखने की नाकाम कोशिश करता रहा. उस का काम में भी मन नहीं लग रहा था. विशाल सोचने लगा कि राज्य के ज्यादातर मंत्री भी तो भ्रष्ट हैं. वे कई बार उस से अपने रिश्तेदारों या यारदोस्तों के फेवर में काम करवाते रहते हैं. फिर उस के विभाग के छोटेमोटे अफसर भी तो दूध के धुले नहीं हैं.

काश, वह मीनाक्षी की पूरी बात सुन लेता. उसे अपनेआप पर गुस्सा आने लगा. दोचार दिन बीत गए. न तो मीनाक्षी का फोन आया न ही वह दोबारा मिलने औफिस में आई. शिकार खुद चल कर आया था और उस ने सुनहरा मौका गंवा दिया था. उस की फाइल ले कर रख लेता, फिर टिपिकल सरकारी अफसर की तरह ‘अभी देख रहा हूं’, ‘कोशिश कर रहा हूं’, ‘मैं ने ऊपर बात कर ली है’, ‘आगे बात हो रही है’, ‘कुछ वक्त लगेगा’, ‘मामला थोड़ा पेचीदा है मगर तुम्हारा काम हो जाएगा’ आदि जुमलों में तो वह भी माहिर है.

एक दिन दोपहर में विशाल लंच से फारिग हो कर अपनी केबिन में सुस्ताते हुए किसी पत्रिका के पन्ने पलट रहा था. तभी टेबल के एक कोने में रखे मोबाइल की घंटी बजी. उस ने लपक कर मोबाइल उठाया. उधर से आवाज आई-

‘हैलो सर, मैं मीनाक्षी बोल रही हूं.’

मधुर आवाज सुन विशाल की सुस्ती पलभर में फुरती में बदल गई. ‘हां, बोलो मीनाक्षी, उस दिन मु?ो मुख्यमंत्री ने बुला लिया था, इसलिए मैं तुम्हारी बात ध्यान से नहीं सुन सका. फिर औफिस में दिनभर काम का टैंशन भी रहता है.’

‘कोई बात नहीं सर, मैं दोबारा आ जाती हूं. अगर आप बुरा न मानें तो मैं फाइल ले कर शाम को आप के बंगले पर आ जाऊं?’

विशाल मन ही मन खुश होते हुए बोला, ‘नेकी और पूछपूछ.’ फिर उस ने अपने उतावलेपन व उत्साह पर अंकुश रखते हुए गंभीर स्वर में कहा, ‘ठीक है, वैसे मैं बंगले पर किसी को बुलाता नहीं हूं, पर तुम आ जाना.’

‘ओके सर, मैं आज शाम को आती हूं,’ कहते हुए मीनाक्षी ने फोन काट दिया.

बंगले पर पहुंच कर विशाल ने सब से पहले अपने किचन स्टाफ को वीआईपी गैस्ट के आने की सूचना दी. फिर अन्य कर्मचारियों को बारबार यहांवहां न घूमने की सख्त हिदायत दी. रात को 8 बजे मीनाक्षी खूबसूरत गुलदस्ते के साथ विशाल के बंगले पर पहुंच गई.

विशाल ने धन्यवाद देते हुए गुलदस्ता स्वीकार किया. गुलदस्ता लेते वक्त मीनाक्षी के कोमल हाथों का जादुई स्पर्श उस के रोमरोम को रोमांचित कर गया. विशाल ने गुलदस्ता मेज पर रखा और मीनाक्षी को सोफे पर अपने करीब बैठने का इशारा किया. मीनाक्षी झक कर सोफे पर बैठने लगी तो उस की साड़ी का पल्लू उस के उभरे हुए वक्षस्थल से हट गया, जिसे उस ने तुरंत संभाला. पर विशाल की पैनी नजरों ने इस नजारे को कैद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी.

औपचारिक बातों के बाद मीनाक्षी अपने बैग से मुकदमे से संबंधित फाइल निकालने लगी. तो विशाल ने उस का हाथ पकड़ते हुए कहा, ‘अरे, रहने दो मीनाक्षी. इसे बाद में देख लेंगे. तुम पहली बार हमारे आशियाने में आई हो, पहले डिनर करेंगे, फिर तुम्हारी फाइल देख लेंगे.’

डाइनिंग हौल में डिनर लग चुका था. डिनर करने से पहले हौट डिं्रक की भी व्यवस्था थी. विशाल ने मीनाक्षी को डिं्रक की ओर चलने का इशारा किया तो पहले तो उस ने आनाकानी की, मगर विशाल के खास आग्रह करने पर वह मना नहीं कर सकी और अपने हाथ में पैग ले लिया.

मीनाक्षी अपने प्लान में कामयाब हो रही थी. वह पूरी तैयारी के साथ यहां पर आई थी. उस ने विशाल कुमार से हुई पहली मुलाकात में ही उस की नजरों में छलकती उस की ‘खास मंशा’ को भांप लिया था. कहते हैं कि औरतों में ‘सिक्स्थ सैंस’ भी होता है जो पुरुष की आंखों के भावों को अनायास ही समझ लेता है.

मीनाक्षी ने अपने बालों में लगे गजरे के बीच एक ‘हाई पावर माइक्रो कैमरा’ छिपाया था जिस का आकार हेयरपिन की तरह था. पहले जाम टकराए, मीनाक्षी ने बड़े प्यार से विशाल को दोएक जाम ज्यादा पिला दिए और स्वयं बेसिन में हाथ धोने के बहाने अपना प्याला खाली कर देती. इस के बाद डिनर हुआ और डिनर के बाद दोनों बैडरूम में पहुंच गए.

नशे में धुत विशाल भूखे भेडि़ए की तरह उस पर टूट पड़ा था. मीनाक्षी ने बहुत ही सावधानी से शूटिंग कर ली. फिर बाथरूम जाने का बहाना बना कर कैमरेरूपी हेयरपिन को अपने पर्स में संभाल कर रख दिया.

आगे पढ़ें- अपने पति की रिहाई के एक दिन बाद…

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