Anupama के सेट पर पहुंचे Gaurav Khanna के माता पिता, देखें फोटोज

स्टार प्लस के सीरियल अनुपमा की टीआरपी पहले नंबर बनी हुई है, जिसके चलते सेलेब्स जश्न मनाते नजर आ रहे हैं. जहां बीते दिनों अनुपमा यानी रुपाली गांगुली ने अपना बर्थडे सेलिब्रेट किया था तो वहीं अब सीरियल के सेट पर अनुज यानी गौरव खन्ना की फैमिली नजर आई है. आइए आपको दिखाते हैं गौरव खन्ना के पेरेंट्स की सेट पर झलक…

सेट पर पहुंचे गौरव खन्ना के माता-पिता

 

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अनुपमा में अनुज के रोल में की एंट्री के बाद से गौरव खन्ना की फैन फौलोइंग बढ़ गई है, जिसके चलते वह सोशलमीडिया पर भी छाए रहते हैं. इसी बीच एक्टर ने कुछ फोटोज शेयर की हैं, जिसमें उनके माता पिता सीरियल के सेट पर नजर आ रहे हैं. वहीं अनुपमा की स्टार कास्ट के साथ फोटोज क्लिक करवाते दिख रहे हैं, जिसमें शो के डायरेक्टर से लेकर काव्या के रोल में नजर आने वाली मदालसा शर्मा भी शामिल हैं.

औनस्क्रीन बहू के साथ दिए पोज

गौरव खन्ना के माता पिता, औनस्क्रीन बहू अनुपमा के साथ भी फोटोज क्लिक करवाते नजर आए, जिसकी फोटोज फैंस को बेहद पसंद आ रही हैं. वहीं सोशलमीडिया पर फोटोज तेजी से वायरल हो रही हैं. इसके अलावा अनुपमा के सेट पर पहुंची गौरव खन्ना की मां, बा के झूले का मजा लेती हुई भी दिखीं.

सीरियल में हो रहा है बवाल

सीरियल के लेटेस्ट ट्रेक की बात करें तो अनुपमा और अनुज की शादी के बीच मालविका के एक फैसले ने वनराज से लेकर बा की नींद उड़ा दी है. दरअसल, मालविका ने वनराज, काव्या, तोषू को अपनी कंपनी और बिजनेस से निकाल दिया है, जिसके कारण परेशान काव्या को राखी दवे तलाक देने की सलाह देती नजर आ रही है. हालांकि अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुज, मालविका को समझाने की कोशिश करेगा. लेकिन वह नहीं मानेगी और अनुपमा से कहेगी कि उसमे अनुज को वनराज की सिफारिश करने क्यों भेजा.

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दूसरी शादी को अपनाएं ऐसे

जैसे जैसे स्नेहा के विवाह के दिन नजदीक आते जा रहे थे, वैसेवैसे उस की परेशानियां बढ़ती जा रही थीं. अतीत के भोगे सुनहरे पल उसे बारबार कचोट रहे थे. विवाह के दिन तक वह उन पलों से छुटकारा पा लेना चाहती थी, लेकिन सौरभ की यादें थीं कि विस्मृत होने के बजाय दिनबदिन और गहराती जा रही थीं. बीते सुनहरे पल अब नुकीले कांटों की तरह उस के दिलदिमाग में चुभ रहे थे. मातापिता भी स्नेहा के मन के दर्द को समझ रहे थे, लेकिन उन के सामने स्नेहा के दूसरे विवाह के अलावा कोई और रास्ता भी तो नहीं था. स्नेहा की उम्र भी अभी महज 23 साल थी. उसे अभी जिंदगी का लंबा सफर तय करना था. ऐसे में उस के मातापिता अपने जीतेजी उसे तनहाई से उबार देना चाहते थे. यही सोच कर उन्होंने स्नेहा की ही तरह अपने पूर्व जीवनसाथी के बिछुड़ जाने की वेदना झेल रहे एक विधुर व्यक्ति से उस का विवाह तय कर दिया.

शादी जो असफल रही

कई मामलों में औरत दूसरा विवाह करने के बावजूद अपने पहले पति से पूरी तरह से नाता नहीं तोड़ पाती है. दूसरी बार तलाक की शिकार 32 साल की देवयानी बताती हैं, ‘‘दूसरा विवाह मेरे लिए यौनशोषण के अलावा कुछ नहीं रहा. मेरा पहला विवाह महज इसलिए असफल रहा था, क्योंकि मेरे पूर्व पति नपुंसक थे और संतान पैदा करने में नाकाबिल. विवाह के बाद मेरे दूसरे पति ने पता नहीं कैसे यह समझ लिया था कि सैक्स मेरी कमजोरी है. इसीलिए अपना पुरुषोचित अहं दिखाने के लिए वे मेरा यौनशोषण करने लगे. इस से उन के अहं की तो संतुष्टि होती थी, लेकिन वे मेरे लिए मानसिक रूप से बहुत ही पीड़ादायक सिद्ध होते थे.

‘‘मुझे लगा कि उन से तो मेरा पहला पति ही बेहतर था, जो संवेदनशील तो था. मेरे मन के दर्द और प्यार को समझता तो था. पहले पति से तलाक और दूसरे से विवाह का मुझे काफी पछतावा होता था, लेकिन अब मैं कुछ कर नहीं सकती थी. इसी बीच एक दिन शौपिंग के दौरान मेरी मुलाकात अपने पहले पति से हुई. तलाक की वजह से वे काफी टूटे से लग रहे थे. चूंकि उन की इस हालत के लिए मैं खुद को कुसूरवार समझती थी, इसलिए उन से मिलने लगी. मेरे दूसरे पति चूंकि शुरू से शक्की थे, इसलिए मेरा पीछा करते या निगरानी कराते. मेरे दूसरे पति का व्यवहार इस हद तक निर्मम हो गया कि मुझे एक बार फिर अदालत में तलाक के लिए हाजिर होना पड़ा. अब मैं ने दृढ़संकल्प कर लिया है कि तीसरा विवाह कभी नहीं करूंगी. सारी जिंदगी अकेले ही काट दूंगी.’’

नमिता बताती है, ‘‘जब मुझे शादी का जोड़ा पहनाया गया तथा विवाह मंडप में 7 फेरों के लिए खड़ा किया गया, तो मेरे मन में दूसरे विवाह का उत्साह कतई नहीं था. फूलों से सजे पलंग पर बैठी मैं जैसे एकदम बेजान थी. इन्होंने जब पहली बार मेरा स्पर्श किया तो शुभम की यादों से चाह कर भी मुक्त नहीं हो पाई. इसलिए दूसरे पति को अंगीकार करने में मुझे काफी समय लगा.’’

यह समस्या बहुत सी महिलाओं की यह समस्या सिर्फ स्नेहा, देवयानी व नमिता की ही नहीं है, बल्कि उन सैकड़ोंहजारों महिलाओं की है, जो वैधव्य या तलाक अथवा पति द्वारा छोड़ दिए जाने के बाद दोबारा विवाह करती हैं. पहला विवाह उन की जिंदगी में एक रोमांच पैदा करता है. किशोरावस्था से ही मन में पलने वाले विवाह की कल्पना के साकार होने की वे सालों प्रतीक्षा करती हैं. पति, ससुराल और नए घर के बारे में वे न जाने कितने सपने देखती हैं. लेकिन वैधव्य या तलाक से उन के कोमल मन को गहरा आघात पहुंचता है. दूसरा विवाह उन के लिए तो लंबी तनहा जिंदगी को एक नए हमसफर के साथ काटने की विवशता में किया गया समझौता होता है. इसलिए दूसरे पति, उस के घर और परिवार के साथ तालमेल बैठाने में विधवा या तलाकशुदा औरत को बड़ी कठिनाई होती है.

जयपुर के एक सरकारी विभाग में नौकरी करने वाली स्मृति को यह नौकरी उन के पति की मौत के बाद उन की जगह मिली थी. स्मृति ने बताया, ‘‘यह विवाह मेरी मजबूरी थी. चूंकि पति के दफ्तर वाले मुझे बहुत परेशान करते थे. वे कटाक्ष कर इसे सरकार द्वारा दान में दी गई बख्शीश कह कर मेरी और मेरे दिवंगत पति की खिल्ली उड़ाते थे. मेरे वैधव्य और अकेलेपन के कारण वे मुझे अवेलेबल मान कर लिफ्ट लेने की कोशिश करते, लेकिन जब मैं ने उन्हें किसी तरह की लिफ्ट नहीं दी, तो वे अपने या किसी और के साथ मेरे झूठे संबंधों की कहानियां गढ़ते. वे दफ्तर में अपने काम किसी न किसी बहाने मेरे सिर मढ़ देते और बौस से मेरी शिकायत करते कि मैं दफ्तर में अपना काम ठीक से नहीं करती हूं. बौस भी उन्हीं की बात पर ध्यान देते. ऐसे में मुझे लगा दूसरा विवाह कर के ही इन परेशानियों से बचा जा सकता है.

‘‘संयोगवश मुझे एक भला आदमी मिला, जो मेरा अतीत जानते हुए भी मुझे सहर्ष स्वीकारने को राजी हो गया. हम दोनों अदालत में गए, जरूरी खानापूर्ति की और जब विवाह का प्रमाणपत्र ले कर बाहर निकले, तो एहसास हुआ कि मैं अब विधवा नहीं, सुहागिन हूं. पर सुहागरात का कोई रोमांच नहीं हुआ. वह दिन आम रहा और रात भी वैसी ही रही जैसी आमतौर पर विवाहित दंपतियों की रहती है. बस, खुशी इस बात की थी कि अब मैं अकेली नहीं हूं. घर में ऐसा मर्द है जो पति है. इस के बाद दफ्तर वालों ने परेशान करने की कोशिश करना खुद छोड़ दिया.’’

क्या कहते हैं मनोचिकित्सक

मनोचिकित्सक डा. शिव गौतम कहते हैं, ‘‘दरअसल, दूसरे विवाह की मानसिक तौर पर न तो पुरुष तैयारी करते हैं और न ही महिलाएं. दोनों ही उसे सिर्फ नए सिरे से अपना टूटा परिवार बसाने की एक औपचारिकता भर मानते हैं, जिस का खमियाजा दोनों को ही ताजिंदगी भुगतना पड़ता है.

‘‘दूसरे पति को हमेशा यह बात कचोटती है कि उस की पत्नी के शरीर को एक व्यक्ति यानी उस का पहला पति भोग चुका है, उस के तन और मन पर राज कर चुका है. उस की पत्नी का शरीर बासी खाने की तरह उस के सामने परोस दिया गया है. इसलिए ऐसे बहुत से पति दूसरा विवाह करने वाली पत्नी के साथ तालमेल नहीं बैठा पाते हैं.’’

महिलाओं की मानसिक समस्याओं का निदान करने वाली मनोचिकित्सक डा. मधुलता शर्मा ने बताया, ‘‘मेरे पास इस तरह के काफी मामले आते हैं. पति दूसरा विवाह करने वाली पत्नी को मन से स्वीकार नहीं कर पाता. उसे हमेशा अपनी पत्नी के बारे में शक बना रहता है खासकर तब जब उस की पत्नी तलाकशुदा हो. उसे लगता है कि उस के साथ विवाह के बावजूद उस की पत्नी का गुप्त संबंध अपने पूर्व पति से बना हुआ है. उस की गैरमौजूदगी में पत्नी अपने पूर्व पति से मिलतीजुलती है. उस का शक इस हद तक पहुंच जाता है कि उस की निगरानी करना शुरू कर देता है.’’

खुद को विवाह के लिए तैयार करें

डा. मधुलता के यहां एक काफी मौडर्न महिला सुनैना से मुलाकात हुई. उस ने अब तक 4 शादियां कीं और अब 5वीं शादी की तैयारी में थी. सुनैना ने हंसते हुए बताया, ‘‘जब मैं यूनिवर्सिटी में पढ़ रही थी, तब मातापिता ने शादी कर दी. लेकिन डेढ़ साल बाद हमारा तलाक हो गया. दूसरे पति की सड़क हादसे में मौत हो गई. तीसरे व चौथे पति से भी तलाक हो गया. लेकिन चारों पतियों के साथ मैं ने यादगार समय बिताया. जिन तीनों पतियों ने मुझे तलाक दिए, आज भी मेरी उन से अच्छी दोस्ती है. अकसर हम लोग मिलते रहते हैं. अब मैं ने 5वां पति तलाश लिया है. मेरे मन में इस विवाह के प्रति वही उत्साह, रोमांच और उत्सुकता है, जो पहले विवाह के समय थी. इस बार हनीमून मनाने स्विट्जरलैंड जाएंगे.’’ सुनैना ने पुनर्विवाह के बारे में अपना मत कुछ इस तरह व्यक्त किया, ‘‘शादी दूसरी हो या तीसरी या फिर चौथी या 5वीं, खास बात यह है कि आप खुद को विवाह के लिए इस तरह तैयार कीजिए जैसे आप पहली बार विवाह करने जा रही हैं. आप के नए पति को भी इस से मतलब नहीं होना चाहिए कि आप विवाह के अनुभवों से गुजर चुकी हैं. दरअसल, वह तो बस इतना चाहता है कि आप उस के साथ बिलकुल नईनवेली दुलहन की तरह पेश आएं.’’

गौरतलब है कि कम उम्र से ही लड़कियां अपने पति, ससुराल और सुहागरात की जो कल्पनाएं और सपने संजोए रहती हैं, वे बड़े ही रोमांचक होते हैं. लेकिन विवाह के बाद तलाक व वैधव्य के हादसे से गुजर कर उसे जब दोबारा विवाह करना पड़ता है, तो उस में पहले विवाह का सा न तो खास उत्साह रहता है, न रोमांच.

ऐसा क्यों होता है

एक ट्रैवेल ऐजैंसी में कार्यरत महिला प्रमिला ने बताया, ‘‘15-16 साल की उम्र से ही लड़कियां अपने पति और घर के बारे में सपने देखना शुरू कर देती हैं. वे सुहागरात के दौरान अपना अक्षत कौमार्य अपने पति को बतौर उपहार प्रदान करने की इच्छा रखती हैं. इसलिए अधिकतर लड़कियां अपने बौयफ्रैंड या प्रेमी को चुंबन की हद तक तो अपने शरीर के अंगों का स्पर्श करने की इजाजत देती हैं, लेकिन कौमार्य भंग करने की इजाजत नहीं देतीं. साफ शब्दों में कह देती हैं कि यह सब तुम्हारा ही है, लेकिन इसे तुम्हें विवाह के बाद सुहागरात को ही सौंपूंगी.

‘‘लेकिन दूसरी बार विवाह करने वाली औरत के पास अपने दूसरे पति को देने के लिए ऐसा उपहार नहीं होता. अगर दूसरा पति समझदार हुआ, तो उस के मन में यह आत्मविश्वास पैदा कर सकता है कि तुम्हारा पिछला जीवन जैसा भी रहा हो, लेकिन मेरे लिए तुम्हारा प्रेम ही कुंआरी लड़की है. मेरे दूसरे पति मनोज ने यही किया था. उस ने विवाह को जानबूझ कर 6 महीने के लिए टाला और इस दौरान मेरे प्रति अपना प्रेम प्रगाढ़ करता रहा. हम लोग अकसर डेटिंग पर जाते. वह मेरे साथ प्रेमी का सा व्यवहार तो करता, लेकिन शारीरिक संबंध की बात न करता. इसीलिए कभीकभी तो मुझे उस के पुरुषत्व पर शक होने लगता.

‘‘संभवतया उस ने मेरे शक को भांप लिया था, इसलिए एक दिन वह मुझे गोवा ले गया. समुद्र के किनारे हम प्रेमियों की तरह एकदूसरे के साथ प्रेम करते रहे. वह बोला कि प्रमिला, मैं इस समय चाहूं तो तुम्हारे साथ कुछ भी कर सकता हूं और तुम मना भी नहीं कर सकतीं, लेकिन मैं चाहता हूं कि विवाह के पहले तुम से उसी स्थिति में आ जाऊं, जिस में तुम अपने पहले विवाह के समय थीं.

‘‘मनोज की इस बात ने मेरे आत्मविश्वास को काफी बल दिया. उस का मानना था कि औरत हमेशा तनमन से अपने पति के प्रति समर्पित रहती है, क्योंकि विवाह के बाद उस का संबंध सिर्फ अपने पति से रहता है. और सचमुच मनोज ने 6 माह के दौरान मेरे मन को तलाकशुदा के बजाय कुंआरी लड़की बना दिया था. सुहागरात के समय मैं अपना कौमार्य किसी और को उपहारस्वरूप दे चुकी थी, लेकिन मनोज के साथ सब कुछ नयानया तथा रोमांचकारी लग रहा था.’’

फर्ज मातापिता का

मनोवैज्ञानिक डा. मधुलता बताती हैं, ‘‘औरत 2 बार विवाह करे या 3 बार, असली बात उस माहौल की है, जिस में उसे दूसरी या तीसरी बार विवाह के बाद जिंदगी गुजारनी होती है. यह बात सही है कि पहले पति की मीठीकड़वी यादों से वह दूसरे विवाह के समय खुद को आजाद नहीं कर पाती. ऐसे में उस के मातापिता का फर्ज बनता है कि दूसरे विवाह के पहले ही वे उसे मानसिक रूप से तैयार करें, विवाह के प्रति उस के मन में उत्साह पैदा करें. लेकिन ऐसे मामलों में अकसर मातापिता तथा परिवार के अन्य लोग पहले से ही ऐसा माहौल तैयार कर देते हैं गोया लड़की का विवाह वे महज इसलिए कर रहे हैं ताकि उस का घर बस जाए और उसे जिंदगी अकेले न काटनी पड़े. यह व्यवहार उस के मन में निराशा पैदा करता है.’’

दूसरेतीसरे विवाह की स्थिति वैधव्य की वजह से उपजी हो या तलाक के कारण, परिवार वालों को चाहिए कि बेटी के पुनर्विवाह से पूर्व, विवाह के बाद में भी उस के साथ ऐसा ही स्नेहपूर्ण व्यवहार करें, गोया वे अपना या बेटी का बोझ हलका नहीं कर रहे, बल्कि समाज की इकाई को एक परिवार को प्रतिष्ठित सदस्य दे रहे हैं.

ऐसे मामलों में सगेसंबंधियों और परिचितों का भी कर्तव्य बनता है कि वे पुनर्विवाह के जरीए जुड़ने वाले पतिपत्नी के प्रति उपेक्षा का भाव न रख कर जहां तक हो सके अपनी रचनात्मक भूमिका निभाएं. विधवा या तलाकशुदा महिला का पुनर्विवाह मौजूदा वक्त की जरूरत है. इस से औरत को सामाजिक व माली हिफाजत तो मिलती ही है, साथ ही वह चाहे तो अतीत को भुला कर खुद में वसंत के भाव पैदा कर के दूसरे विवाह को भी प्रथम विवाह जैसा ही उमंगों से भर सकती है.

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क्या दवा के बिना PCOS का इलाज करने का कोई अन्य तरीका है?

सवाल- 

मैं 28 साल की शादीशुदा महिला हूं, मेरे पति मुझे बहुत प्यार करते हैं और हम बच्चे की योजना बना रहे हैं, लेकिन अपने पीकौस के कारण मैं गर्भधारण नहीं कर पा रही हूं. मैं दवा या कोई सर्जिकल उपचार नहीं लेना चाहती. क्या दवा के बिना PCOS का इलाज करने का कोई अन्य तरीका है?

जवाब-

पौलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम एक सामान्य स्वास्थ्य समस्या है, जिस का अनुभव गर्भधारण की उम्र की हर 10 में से 1 महिला करती है. 2 आम तरीके जो डाइट पीकौस को प्रभावित करते हैं वे हैं वजन प्रबंधन और इंसुलिन का उत्पादन व प्रतिरोध.

आप के आहार में साबुत अनाज, फलियां, नट्स, बीज, फल, स्टार्च युक्त सब्जियां और कम कार्बोहाइड्रेट वाले फूड, ऐंटीइनफ्लैमेटरी फूड जैसे कि जामुन, वसायुक्त मछली, पत्तेदार साग और ऐक्स्ट्रा वर्जिन औलिव औयल, असंसाधित फूड, हाई फाइबर फूड, वसायुक्त मछली, गहरे लाल फल जैसे लाल अंगूर, ब्लूबेरी, ब्लैकबेरी और चेरी, ब्रोकली दऔर फूलगोभी, सूखी बींस, दाल और अन्य फलियां, स्वास्थ्यबर्धक फैट जैसे जैतून का तेल, ऐवाकाडो और नारियल, नट्स, जिन में पाइन नट्स, अखरोट, बादाम और पिस्ता शामिल हैं.

महिलाओं के लिए जरूरी है जीवन बीमा

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में भावनात्मक एवं शारीरिक सुरक्षा के साथ ही आर्थिक सुरक्षा भी बेहद जरूरी है. खासतौर पर महिलाओं का आर्थिक रूप से मजबूत होना बहुत जरूरी है. इस की बड़ी वजह है, आजकल की महिलाओं का पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिला कर चलना. जी हां, आज की सशक्त महिलाएं न केवल घर की चारदीवारी से बाहर निकल कर अपना अस्तित्व निखार रही हैं, बल्कि अपने घर की आर्थिक जिम्मेदारियों को भी पूरा कर रही हैं. ऐसे में उन की अनुपस्थिति में परिवार को होने वाले आर्थिक नुकसान को पूरा करने के लिए उन का बीमित होना अनिवार्य है.

बचत से ज्यादा जरूरत

वैसे जीवन बीमा को अधिकतर महिलाएं बचत समझती हैं लेकिन जीवन बीमा बचत से ज्यादा जरूरत है, क्योंकि इस से बड़े होते बच्चों की शिक्षा, रोजगार व शादी सहित जीवन की कई महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारियों को पूरा करने में मदद मिलती है. इस के और भी कई लाभ हैं, जो महिलाओं में आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास का समावेश करते हैं.

आइए, कुछ लाभों के बारे में हम बताते हैं:

‘मेरे जाने के बाद मेरे बच्चों का क्या होगा?’, ‘क्या पति अकेले सभी बड़ी जिम्मेदारियां उठा लेंगे?’ यह सवाल अकसर आप को परेशान करते होंगे. जायज भी है, बढ़ती हुई महंगाई में घर एक कमाने वाले की कमाई से नहीं चल सकता, बल्कि जरूरी है कि घर की कुछ आर्थिक जिम्मेदारियां आप भी उठाएं. हो सकता है कि आप की सैलरी घर की बड़ी जिम्मेदारियां उठाने में मददगार न हो लेकिन आप की छोटीछोटी बचत इस में आप की मदद कर सकती है. इस में जीवन बीमा की अहम भूमिका है क्योंकि यह आप को एकमुश्त बड़ी रकम देता है, जिस से आप अपने दायित्वों को पूरा कर सकती हैं.

1. आजकल ऐसी इंश्योरैंस पौलिसी भी आ गई है जिस में जीवन बीमा के साथ ही सेविंग और क्रिटिकल इलनैस (बीमारियां एवं प्रैगनैंसी) को भी कवर किया जाता है. यह पौलिसी खासतौर पर उन महिलाओं के लिए बेहद लाभकारी है जो घर और बाहर दोनों जगह की जिम्मेदारियों को निभा रही हैं, क्योंकि ऐसे में सेहत पर विपरीत असर तो पड़ता ही है, तब इस तरह की पौलिसियां आर्थिक रूप से मददगार बनती हैं.

2. यदि आप का परिवार पूरी तरह आप की आय पर निर्भर है तो आप को टर्म इंश्योरैंस पौलिसी लेनी चाहिए. इस में परिपक्वता पर तो कोई राशि प्राप्त नहीं होती लेकिन बहुत कम प्रीमियम पर बड़ा सुरक्षा कवर मिल जाता है.

3. कुछ जीवन बीमा योजनाओं में विशेष बीमारी होने पर कुछ बीमा कंपनियों द्वारा इलाज हेतु अग्रिम राशि दे दी जाती है.

4. यदि आप की आय, आयकर में महिलाओं को दी गई छूट से अधिक है, तो बीमा पौलिसी पर आप को आयकर की छूट भी प्राप्त होगी.

कैसे चुनें बीमा पौलिसी

बीमा पौलिसी कराने से पहले यह देखना जरूरी है कि बीमाधारक अपनी आर्थिक स्थिति के मुताबिक कितनी रकम का प्रीमियम भर सकता है. दरअसल, अधिक प्रीमियम वाली बीमा पौलिसी लेने के बाद, जब प्रीमियम भरने में कठिनाई महसूस होती है, तब कई बीमाधारक तय समय से पहले ही बीमा अनुबंध तोड़ देते हैं. इस से बीमाधारक को फायदे की जगह नुकसान ही उठाना पड़ता है. पौलिसी चलती रहे, यही कोशिश करनी चाहिए.

इन टिप्स पर गौर करें, बीमा पौलिसी चुनते समय मदद मिल सकती है:

1. बीमाधारक पर कितने लोग आश्रित हैं और वह उन्हें कैसी जीवनशैली देना चाहता है.

2. बीमाधारक को अपने रोजमर्रा के खर्चे और अपने दायित्वों को भी समझना चाहिए.

3. किस तरह की इंश्योरैंस पौलिसी आप के लिए मददगार है, इस बात का भी खयाल रखें.

4. आप अपना प्रीमियम समय पर भर सकते हैं या नहीं इस बात का भी ध्यान रखें.

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Summer Special: शाम के नाश्ते में बनाएं ये टेस्टी रोल

गर्मियों की तपती दोपहरी वाले दिन काफी लंबे होते हैं. इन दिनों दोपहर का भोजन भी अमूमन जल्दी ही खा लिया जाता है और इसीलिए शाम होते होते भूख लग आती है. यूं भी आहार विशेषज्ञों के अनुसार लंच और डिनर के बीच में कुछ स्नैक ले लेना चाहिए और रात्रि का भोजन बहुत हल्का खाना चाहिए. अक्सर शाम को यही समस्या रहती है कि क्या स्नैक बनाया जाए जो सभी को पसन्द भी आये और बन भी आसानी से जाए. आज हम आपको बड़ी आसानी से घर में उपलब्ध सामग्री से ही बनने वाले दो स्नैक के बारे में बता रहे हैं तो आइये देखते हैं कि इन्हें कैसे बनाया जाता है-

-चीजी फिंगर रोल

कितने लोगों के लिए         6

बनने में लगने वाला समय     30 मिनट

मील टाइप                        वेज

सामग्री

ब्रेड स्लाइस                    4

उबले आलू                     2

बारीक कटा प्याज            1

कटी हरी मिर्च                   2

किसी अदरक                    1 इंच

बारीक कटा हरा धनिया       1 टीस्पून

किसी गाजर                      1

कटी शिमला मिर्च                1

चावल का आटा                  1 टीस्पून

दूध                                     1/2 कप

नमक                                 स्वादानुसार

लाल मिर्च पाउडर                1/2 टीस्पून

गर्म मसाला                         1/4 टीस्पून

अमचूर पाउडर                   1/2 टीस्पून

मोजरेला चीज                    1 टेबलस्पून

ब्रेड क्रम्ब्स                          2 टेबलस्पून

कॉर्नफ्लोर                          1 टेबलस्पून

कश्मीरी लाल मिर्च             1 /2 टीस्पून

तलने के लिए तेल

विधि

एक पैन में 1 टीस्पून तेल डालकर प्याज को सॉते करके हरी मिर्च, अदरक और धनिया डालकर अच्छी तरह चलाएं. गाजर और शिमला मिर्च डालकर 3 से 4 मिनट तक हल्का सा पकाएं. अब आलू को इसी में मैश करें और सभी मसाले डालकर भली भांति चलाकर गैस बंद कर दें ताकि मिश्रण ठंडा हो जाये. ब्रेड को तोड़कर एक बाउल में डालें और दूध डालकर 5 मिनट के लिए छोड़ दें ताकि ब्रेड गल जाए. 5 मिनट बाद ब्रेड को अच्छी तरह मसलकर आटे जैसा गूथ लें. ब्रेड के इस आटे में तैयार आलू का मिश्रण चीज, चावल का आटा अच्छी तरह मिलाएं. अब इस मिश्रण से छोटी सी लोई लेकर रोल बनाकर तैयार कर लें. कॉर्नफ्लोर को एक कप पानी में 1/4 टीस्पून नमक और कश्मीरी लाल मिर्च डालकर घोल तैयार करें. तैयार रोल को कॉर्नफ्लोर के घोल में डुबोकर ब्रेड क्रम्ब्स में रोल करें और गर्म तेल में सुनहरा होने तक तलकर बटर पेपर पर निकालें. गर्मागर्म रोल को टोमेटो सॉस के साथ सर्व करें.

-अनियन पनीर रोल

कितने लोगों के लिए          6

बनने में लगने वाला समय      30 मिनट

मील टाइप                         वेज़

सामग्री(रोल के लिए)

लंबे कटे प्याज                 3

बारीक कटी हरीमिर्च         2

बारीक कटा हरा धनिया       1 टीस्पून

नमक                                1/4 टीस्पून

लाल मिर्च पाउडर               1/4 टीस्पून

बेसन                                 1कप

तलने के लिए तेल

सामग्री(स्टफिंग के लिए)

पनीर                             100 ग्राम

चाट मसाला                    1/4 टीस्पून

चिली फ्लैक्स                  1/4 टीस्पून

बारीक कटी हरी धनिया        1 टीस्पून

विधि

रोल बनाने की  समस्त सामग्री को एक बाउल में डालकर अच्छी तरह मिलाएं अब इसमें 1 टेबलस्पून पानी मिलाकर गाढ़ा घोल तैयार करें.

पनीर को मैश करके समस्त सामग्री को मिलाएं. तैयार मिश्रण से 1 टीस्पून मिश्रण लेकर छोटे छोटे रोल बनाएं.

बेसन और प्याज का 1 टेबलस्पून मिश्रण लेकर हथेली पर फैलाएं और बीच में पनीर का रोल रखकर चारों तरफ से बंद करके गर्म तेल में डालें. मध्यम आंच पर सुनहरा होने तक तलें. बटर पेपर पर निकालकर हरे धनिए की चटनी के साथ सर्व करें.

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लिली: अमित ने क्या किया था

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हेल्थ के लिए भी फायदेमंद हैं ये 5 तेल

तेल स्वस्थ जीवन जीने के लिए एक बुनियादी घटक है. हमारे दैनिक जीवन में इस का नियमित इस्तेमाल किया जाता है और इस के लाभदायक तत्त्व हमारे जीवन में गहरा प्रभाव डालते हैं. तेल न सिर्फ हमारी त्वचा को सुंदर बनाता है, बल्कि इंसोमनिया, हृदय रोगों, मधुमेह, याददाश्त में कमजोरी, गुर्दे के रोग, कोलेस्ट्रौल और कैंसर जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से भी लड़ता है.

नारियल का तेल

नारियल तेल के ओस्टियोपोरोसिस, गुर्दे और यकृत की बीमारियों, दांतों के क्षय रोग, मधुमेह, हृदय रोगों, त्वचा संक्रमण, प्रोस्टेट के बढ़ने, पुरानी सूजन, पेट के अल्सर, कब्ज,सिस्टिक फाइब्रोसिस, डर्माटाइटिस और एग्जिमा जैसी घातक बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करने में असाधारण लाभ देखे गए हैं. नारियल तेल की सूजन रोकने और रोग प्रतिरक्षण के नियमन की क्षमता को मधुमेह, उच्च रक्तचाप, कैंसर, आटोइम्यून बीमारी और हृदय रोगों के नियंत्रण में उल्लेखनीय रूप से प्रभावकारी पाया गया है. राजीव गांधी कैंसर इंस्टिट्यूट ऐंड रिसर्च सेंटर के सीनियर मैडिकल ओंकोलौजिस्ट डा. विनीत तलवार कहते हैं, ‘‘नारियल तेल के एंटीऔक्सीडेंट गुणों के साथ एंटीइंफ्लामेटरी और रोग प्रतिरोधक नियामक कार्य कैंसर को रोकने में प्रभावी हैं. हालांकि तथ्य यह है कि इस से इस का कोई सीधा संबंध नहीं है.’’नारियल तेल के लाभों की सूची का कोई अंत नहीं है. यह हेपेटाइटिस सी, दाद, खसरा और निमोनिया जैसे बैक्टीरिया, मूत्र मार्ग के संक्रमण और कवक जैसे विषाणुओं को मारने की बेशुमार शक्ति के साथ डाक्टरों को चकित करता रहा है. नारियल तेल जिन समस्याओं में कारगर है, वे सभी एंटीबायोटिक और दवाओं के प्रति प्रतिरोधी हैं. इन समस्याओं में नारियल तेल काफी प्रभावकारी पाया गया है. तेल में मौजूद मीडियम चेन फैटी एसिड (एमसीएफए) को महत्त्व दिया गया है, क्योंकि वे आप के प्रतिरोधक तंत्र को मूलत: मजबूत करते हैं, साथ ही वे हमारे चारों ओर मौजूद बैक्टीरिया, विषाणुओं, कवक और परजीवियों को मारते हैं. यह निश्चित रूप से अविश्वसनीय लगता है, लेकिन कुछ चिकित्सकों ने रोगी के अच्छे स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए उन के इलाज में नारियल तेल को शामिल करना शुरू कर दिया है. नारियल तेल इन घातक बीमारियों के खिलाफ लड़ने के अलावा वजन को कम करने में भी सहायता करता है, जो विश्व में हर दूसरे मनुष्य की सब से सामान्य समस्या है. हालांकि नारियल तेल एक वसा है लेकिन यह वजन नहीं बढ़ाता है, बल्कि यह वजन को कम करने में आप की मदद करता है.

जब नारियल तेल आप के शरीर में एक बार पच जाता है तो इस के तुरंत बाद कार्बोहाइड्रेट की तरह यह ऊर्जा में परिवर्तित हो जाता है. यह आप के थायरायड के कार्यकलाप में सुधार करता है, आप के चयापचय को नियंत्रित करने वाली ग्रंथि में सुधार करता है और अंत में, प्रचुर मात्रा में एमसीएफए के कारण आप के चयापचय को आश्चर्यजनक रूप से बढ़ाता है. एमसीएफए थर्मोजेनिक (कैलोरी को जलाने वाला) प्रभाव पैदा करता है, जहां यह अधिक गरमी पैदा करने के लिए त्वरित दर पर अधिक कैलोरी को जलाता है. इसलिए आप अपनी उम्मीद से अधिक तेजी से अवांछित वसा को हटा सकते हैं. थर्मोजेनिक प्रभाव वास्तव में आप को अधिक गरम महसूस कराता है और दिन भर ऊर्जावान बनाए रखता है.

नारियल के तेल के लाभ

मसाज बंद करने के बाद भी यह लंबे समय तक आप की त्वचा को नमी युक्त रखता है.

आप की त्वचा के विषाक्त पदार्थों को हटाने का कार्य करता है.

यह एंटीऔक्सीडेंट से भरपूर है.

समय से पहले उम्र बढ़ने को कम करता है.

यह सुखदायक होता है और तनाव को कम करने में सहायता करता है.

धमनियों में चोट की घटना को कम करता है और इस तरह एथरोस्क्लेरोसिस को रोकने में सहायता करता है.

यह वजन कम करने का बहुत अच्छा टौनिक है.

पैंक्रियाटाइटिस के उपचार में इसे लाभदायक माना जाता है.

पाचनतंत्र में सुधार में सहायता करता है.

आप की ऊर्जा और प्रतिरोधकता बढ़ाता है.

संक्रमण होने पर इस का इस्तेमाल करने पर यह चोट से सुरक्षा प्रदान करता है और इसे ठीक होने में मदद करता है.

गुर्दे और पित्त की थैली की बीमारी को  रोकने में सहायता करता है.

रक्त शर्करा को नियंत्रित करता है और इंसुलिन के स्राव में सुधार करता है.

एचआईवी और कैंसर के रोगियों की विषाणु के प्रति संवेदनशीलता को कम करने में भूमिका निभाता है.

जैतून का तेल

जैतून का तेल तरल सोना (लिक्विड गोल्ड) के रूप में जाना जाता है. इस का इस्तेमाल न सिर्फ खाना पकाने के लिए बल्कि सुंदरता बढ़ाने, घरेलू उपचार और सफाई के लिए हर जगह किया जाता है. जैतून का तेल एक प्राकृतिक रस है जो स्वाद, सुगंध, विटामिन और जैतून के फल के गुणों को संरक्षित रखता है. यह एकमात्र वनस्पति तेल है जिसे फल से ताजा निकालने के बाद आसानी से इसी रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. जैतून के तेल को ‘सुपर आहार’ माना जाता है, क्योंकि इस में बीमारियों से लड़ने वाले एंटीऔक्सीडेंट, विटामिन ई, ओलिक अम्ल, पौलीफिनौल,  मोनो संतृप्त वसा और अच्छी स्वास्थ्यवर्द्धक वसा जैसे प्राकृतिक घटक होते हैं.

दरअसल, जैतून के असीमित स्वास्थ्य फायदों का संबंध कोलेस्ट्रौल को कम करने, दर्द को कम करने, मधुमेह को रोकने, आर्थराइटिस के दर्द को कम करने, कैंसर से सुरक्षा प्रदान करने और हृदय को सुरक्षा प्रदान करने से रहा है. जैतून तेल के लाभकारी स्वास्थ्य प्रभाव एकल संतृप्त फैटी अम्ल की अधिक मात्रा और एंटीऔक्सीडेंट पदार्थों की अधिक मात्रा दोनों के कारण होते हैं. अध्ययनों में देखा गया है कि जैतून तेल एलडीएल (खराब) कोलेस्ट्रौल के स्तर को नियंत्रित कर और एचडीएल (अच्छा) कोलेस्ट्रौल के स्तर को बढ़ा कर हृदय रोगों से सुरक्षा प्रदान करता है. जैतून का तेल हमारे पेट में बहुत अच्छी तरह पच जाता है. वास्तव में, जैतून के तेल के सुरक्षात्मक कार्य अल्सर और गैस्ट्राइटिस पर लाभदायक प्रभाव डालते हैं. जैतून का तेल पित्त की पथरी के बनने की आशंका को कम करता है.

कैंसर में सहायक

स्पेन के शोधकर्ताओं का सुझाव है कि अपने आहार में जैतून के तेल को शामिल करने पर कैंसर की रोकथाम में लाभ मिलता है. डा. तलवार कहते हैं, ‘‘जैतून तेल से से वृहदांत्र (कोलोन), स्तन और त्वचा कैंसर की घटना के कम होने की पुष्टि हुई है. यह अन्य लाभों के साथसाथ स्तन कैंसर के इलाज के बाद रोगी के ठीक होने का अच्छा स्रोत भी है.’’

जैतून के तेल के लाभ

कोलेस्ट्रौल को कम करने में सहायता करता है.

दर्द को कम करता है.

कैंसर और हृदय रोगियों की बहुत सहायता करता है.

आर्थराइटिस के दर्द में आराम पहुंचाता है.

मधुमेह की रोकथाम करता है.

स्ट्रेच मार्क्स को कम करता है.

आप की त्वचा को पोषण देता है.

बाल गिरने को कम करता है.

सरसों का तेल

सरसों तेल की आंतरिक खपत पर कई देशों में प्रतिबंध लगाया जा रहा है, जबकि यह सर्दियों के दौरान मालिश के लिए सब से अच्छा तेल है. इस में खाना पकाने के अन्य तेलों की तुलना में कम संतृप्त वसा होती है. सरसों के तेल में मूलत: ओलिक अम्ल, फैटी अम्ल, लिनोलिक अम्ल और इरूसिक अम्ल होते हैं. इस में पर्याप्त मात्रा में विटामिन, एंटीऔक्सीडेंट के अलावा कोलेस्ट्रौल को कम करने के गुण होते हैं. सरसों के तेल को आप के हृदय को स्वस्थ रखने के लिए अच्छा माना जाता है. डा. मेहता कहते हैं, ‘‘सरसों का तेल सब से स्वास्थ्यप्रद खाद्य तेलों में से एक है, क्योंकि इस में संतृप्त फैटी अम्ल की न्यूनतम मात्रा और एकल संतृप्त और बहु असंतृप्त फैटी अम्ल की अधिक मात्रा होती है, जो स्वास्थ्य के लिए अच्छा है.’’

सरसों के तेल के लाभ

कोरोनरी हृदय रोग से पीडि़त होने से बचाव करता है.

मानव शरीर को विषाक्त रहित करता है.

सिर में मालिश करने पर बाल गिरने को रोकता है.

पाचन और उत्सर्जन तंत्र उत्तेजित करता है.

कवक रोधी के रूप में इस्तेमाल होता है.

प्रतिरोधकता को बनाने में सहायता करता है.

खांसी और ठंड के इलाज में लाभदायक है.

दांतों को कीटाणुओं से सुरक्षा प्रदान करता है.

बादाम का तेल

बादाम ऐसे काष्ठ फल के लिए जाना जाता है, जो मानव शरीर के लिए आवश्यक है. बादाम का तेल स्वास्थ्यप्रद पाचन तंत्र और कोलेस्ट्रौल को कम करने का एक उत्कृष्ट उपाय है. यह मैग्नीशियम और कैल्सियम जैसे आवश्यक खनिजों का खजाना है. आर्टेमिस हास्पिटल के न्यूरोलोजी विभाग के प्रमुख और वरिष्ठ कंसल्टेंट डा. प्रवीण गुप्ता कहते हैं, ‘‘बादाम मानव तंत्रिका तंत्र को बढ़ाने वाले विटामिन ई और डी के साथसाथ वसा और अन्य पोषक घटकों का भरपूर स्रोत है.’’ अनुसंधानकर्ताओं ने पुष्टि की है कि रोजाना कुछ बादाम खाने से आप की याददाश्त बढ़ती है. इस के स्वास्थ्यवर्द्धक लाभों के अलावा, बादाम तेल त्वचा को पोषण और बालों को स्वस्थ रखने में काफी सहायता करता है. ताजे क्रीम में मिला कर या इसे फेस स्क्रब के रूप में इस्तेमाल करने से यह त्वचा की मृत कोशिकाओं को हटाता है.

बादाम तेल के लाभ

रंगरूप में सुधार करता है और चमक बरकरार रखता है.

त्वचा की जलन और सूजन कम करता है.

काले घेरे को हलका करता है.

फटे हुए होंठ और शरीर के रैशेज को ठीक करता है.

बालों को लंबा, मजबूत, मोटा और चमकदार बनाता है.

मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को पोषण देता है.

बुद्धि क्षमता और सहनशीलता को बढ़ाता है.

बादाम के तेल का इस्तेमाल तनावपूर्ण मांसपेशियों को आराम पहुंचाता है.

खजूर का तेल

खजूर का तेल इलेइस गीनीनसुइस पेड़ के फल से प्राप्त होता है, जिसे अफ्रीकन औयल पाम ट्री भी कहा जाता है. 50% संतृप्त वसा और 50% असंतृप्त वसा युक्त यह तेल वनस्पति तेल में सर्वाधिक बहुउपयोगी तेलों में से है. खजूर के तेल का फैटी अम्ल नारियल तेल की तरह वास्तव में उतना ही हानिकारक नहीं है जितना लोग विश्वास करते हैं, बल्कि इस के कई स्वास्थ्य लाभ हैं. यह मीडियम चेन ट्राइग्लिसराइड (एमसीटी) है जो माता के दूध, उष्णकटिबंधीय तेल और दुग्ध वसा में पाया जाता है. शरीर के लिए इस का पाचन बहुत आसान होता है और यह ऊर्जा के प्रभाव को बढ़ाता है. एमसीटी वैसे लोगों के पोषण का मूल्यवान स्रोत है जो अन्य वसा को आसानी से पचा नहीं सकते हैं, साथ ही एथलीट जिन्हें अत्यधिक प्रभावी ऊर्जा की जरूरत होती है. वनस्पति तेल के रूप में, खजूर का तेल कोलेस्ट्रौल रहित भोजन है. यह 39% ओलिक अम्ल (ओमेगा-9) और 10% लिनोलिक अम्ल (ओमेगा-6) के साथ एक पूरी तरह संतुलित वसा है. यह आवश्यक फैटी अम्ल आप के शरीर में रक्त कोलेस्ट्रौल के स्तर को कम करने में सहायता करता है.स्वादरहित और गंधरहित इस तेल के त्वचा, जोड़, हड्डी में और अन्य स्वास्थ्य लाभ हैं, जो हमारे दैनिक दिनचर्या के लिए जरूरी हैं.

खजूर के तेल के लाभ

बीटा कैरोटिंस से परिपूर्ण है और कैरोटिनौयड्स का सब से परिपूर्ण प्राकृतिक स्रोत है जो एक प्रभावकारी एंटीऔक्सीडेंट होने के लिए जाना जाता है.

खजूर के तेल में पाया जाने वाला टोकोट्रिनोल्स कैरोटिड धमनी के रुकावट को खत्म करने और साथ ही प्लेटलेट एकत्रीकरण में समर्थ हो सकता है और इस तरह स्ट्रोक, आर्टेरियोस्क्लेरोसिस और हृदय रोग से संबंधित अन्य घटनाओं को कम करता है.

खजूर के तेल से परिपूर्ण आहार रक्त के थक्के बनने की प्रवृत्ति को कम करते हैं.

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स्मार्टफोन कितने स्मार्ट

पिछले कई सालों से स्मार्ट फोनों ने दुनिया को अपनी गिरफ्त में इस तरह ले लिया है मानो स्मार्टफोन का न होना, सूर्य का सुबह न निकलना हो. पढ़ेलिखे डाक्टर, विचारक, नेता हों या अधपढ़े मजदूर, छात्र, किसान सभी सारे दिन स्मार्टफोन में उलझे रहते हैं. स्मार्टफोन पर तरहतरह की जानकारी उपलब्ध है, गेम्स हैं, पढऩे की सामग्री है, वीडियो हैं, फिल्में हैं. वहीं, स्मार्टफोन बिजली खाते हैं, डेटा खाते हैं और सब से बड़ी बात यह है कि ये आम आदमी का समय खाते हैं.

हाथ में स्मार्टफोन हो तो हर समय क्या टैंप्रेचर है, यह देखा जाता है. सुबह से कितने स्टैप चल लिए, यह देखा जाता है. करीना कपूर और आलिया भट्ट ने आज क्या पहना, यह देखा जाता है. बिल स्मिथ ने औस्कर पुरस्कार के दौरान क्रिस रौक को किस तरह चांटा मारा, यह देखा जाता है. यूक्रेन के नष्ट होते शहर देखे जाते हैं. जिंद की लडक़ी का नाच देखा जाता है. मोदी का भाषण देखा जाता है. वृंदावन का आडंबर देखा जाता हैं. हिंदूमुसलिम विवाद की झलकियों का तमाशा देखा जाता है.

सारा दिन यही सब देखने में गुजर जाता है. इस से मिलता क्या है? बड़ा सा जीरो. जिंदगी सुधारने की कोई बात स्मार्टफोन पर शायद ही देखी जाती हो. यह तो वह झुनझुना है जो हाथ में है, तो बजाते रहो और खुश होते रहो. इसलिए अब लोग फिर डंब फोन पर लौटने लगे हैं. सीधे सिर्फ टैक्सट मैसेज और फोन कौल करने वाले नोकिया के फोन अब सफल लोग फिर तेजी से खरीद रहे हैं क्योंकि इन से उन का समय बच रहा है. हां, उन्हें अपने खास कामों के लिए बैग में आईपैड या कंप्यूटर रखना पड़ता है पर हर समय स्मार्टफोन के नोटिफिकेशन की पुंगपुंग से फुरसत मिल जाती है.

स्मार्टफोन स्मार्ट तो हैं पर जैसे हर स्टैंडअप कौमेडियन के शो में पिछले मजाकों के अलावा कुछ नहीं मिलता वैसे ही स्मार्टफोन का अनचैलेंज भंडार हर यूजर को और अधिक बेवकूफ बनाता है क्योंकि वह दिमाग की मैमोरी में बेकार फैक्ट्स इस कदर ठूंस देता है कि कुछ सोचनेविचारने का समय ही नहीं मिलता.

स्मार्टफोन से सही इंफौर्मेशन मिल सकती है, यह ऐसा कहना है कि शहर के बाहर बने कूड़े के ढेर में बहुत सी लगभग नई चीजें भी मिल सकती हैं. सवाल है, यह कौन करेगा. आज तो आप ने कुछ जानने के लिए गूगल पर नीदरलैंड टाइप किया नहीं कि कितनी ही साइटों पर नीदरलैंड के विज्ञापन दिखने लगेंगे. आप ने किडनी के बारे में जानने के लिए कुछ टाइप किया नहीं कि आप का स्मार्टफोन डाक्टरों के मैसेजों से भरने लगेगा जो आप की किडनी की रिपेयरिंग सस्ते में करा देने का वादा करेंगे.

स्मार्टफोन आप की गुलामी की निशानी है जिस में फोन की सुविधा और कुछ काम कीर ऐपों के बदले आप हर समय पब्लिसिटी के शिकार बने रहते हैं. स्मार्टफोन नए धर्म की तरह है जो आप को बेवकूफ बनाने के लिए स्वार्थहीन, परिश्रम, बड़ों के आदर जैसे कुछ वाक्य सुनाने के बदले आप से मोटा धन ही नहीं वसूलते, आप को किसी को जान से मारने के लिए उकसा भी देते हैं और अपनी जान देने को तैयार भी कर देते हैं. स्मार्टफोन हाथ में हो, तो आप को रेल की पटरियां क्रौस करते हुए आती ट्रेन की आवाज सुनाई नहीं देती. वहीं, वहां चलाने के दौरान स्मार्टफोन पर बात करना शुरू कर आप किसी को मार भी सकते हैं. यह भी सही है कि आज की मौजूदा स्थिति में स्मार्टफोन हम सब की जरूरत बन चुके हैं और अब इन से छुटकारा पाने का प्रयास करना गहरे काले अंधेरे में रोशनी की लाइन दिखने जैसा है.

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भ्रम भंग: भाग 3- क्या अभय को सजा दिला पाई लतिका

कैंटीन से बाहर निकली तो शाम के 6 बज रहे थे. तेजतेज कदमों से वह केंद्रीय पुस्तकालय की तरफ चल दी. वहां तक पहुंचने में उसे आधा घंटा लगा. उस ने पहुंचते ही पुस्तकालय के सभी कमरों में एक बार घूम कर पढ़ रहे लड़केलड़कियों को देखा. उन में वह लड़की भी दिखाई दी जो योगी के साथ कैंटीन में थी. बेहद सुंदर चेहरेमोहरे की उस लड़की को देख कर वह सकुचाई कि कहीं यही तो वह मुरगी नहीं जिसे आज हलाल करने का इन लोगों ने इरादा बनाया है.

‘‘मैं यहां बैठ सकती हूं?’’

लतिका के इस सवाल को सुन कर लड़की ने एक बार को ऊपर निगाह उठा कर देखा और फिर पढ़ने में डूब गई.

‘‘आप का नाम पूछ सकती हूं?’’ लतिका ने पूछा.

‘‘क्यों?’’ मुसकरा दी वह.

‘‘इसलिए कि मैं तुम से कुछ कहना चाहती हूं.’’

‘‘पर मैं तो आप को जानती नहीं.’’

‘‘मुझे जानना जरूरी भी नहीं है,’’ लतिका बोली, ‘‘लेकिन आप का यहां से उठ कर अभी घर चले जाना ज्यादा जरूरी है.’’

इस से पहले कि वह लड़की और कोई सवाल पूछे लतिका ने धीरे से पर्स से कागज की वह परची निकाल कर उसे पढ़वा दी.

‘‘आप जिस लड़के के साथ कैंटीन में थीं उस की जेब से निकल कर यह परची गिरी है. उस के 2-3 साथी हैं, यह आप भी जानती होंगी.’’

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लड़की के काटो तो खून नहीं. चेहरा एकदम सफेद पड़ गया. डरीसहमी हिरनी की तरह वह लतिका को देखती रही फिर किसी तरह बोली, ‘‘तभी योगी का बच्चा मुझ से चिकनीचुपड़ी बातें करता रहा था. मुझे खूब नाश्ता कराया और कहा कि पुस्तकालय में देर तक पढ़ती हो तो भूख लग आती होगी, अच्छी तरह खापी कर जाओ.’’

वह एकदम उठ कर खड़ी हो गई, ‘‘किताबें रख कर आती हूं. मुझे डर लग रहा है. आप साथ चल सकती हैं?’’

‘‘बशर्ते इस परची का जिक्र कभी मुंह पर मत लाना और मेरे बारे में उन लोगों को न बताना कि मैं ने तुम्हें आज यहां से निकाल दिया.’’

घर आ कर लतिका ने सारी बात नकुल को बताई तो वह गंभीर हो कर बोला, ‘‘उस लड़की को बचाया तो अच्छा किया लेकिन अगर उस ने उन लोगों से कभी यह बात कह दी तो वे लोग तुम्हारी जान के दुश्मन हो जाएंगे.’’

एक दिन कालिज में लतिका को अभय ने एक परची थमाई और बोला, ‘‘मुझे एक काम से अभी जाना है. प्लीज, लतिका, इस परची को तुम परमजीत को दे देना. पता नहीं वह कालिज में कितनी देर बाद आए.’’

‘‘अभय, तुम्हारा कोई काम करने में मुझे खुशी होती है.’’

‘‘जानता हूं, इसलिए तुम पर विश्वास भी करता हूं और कभीकभी छोटा सा काम भी सौंप देता हूं,’’ कहता हुआ अभय मोटरसाइकिल स्टार्ट कर चला गया.

बहुत देर तक उस परची को लतिका पढ़ती रही पर वह कुछ समझ नहीं पाई. सिर्फ एक पता लिखा हुआ था और पते के अंत में 9 की संख्या लिखी हुई थी. उस ने उस पते को वैसा का वैसा ही अपने पास लिख लिया और कालिज के बाहर ही एक बैंच पर बैठी पढ़ती रही ताकि परमजीत को देख सके.

लगभग डेढ़ घंटे बाद परमजीत आया तो लतिका ने उसे वह परची दे दी. परमजीत ने परची पढ़ी और फाड़ कर फेंक दी. फिर देर तक हंसता हुआ उस से बातें करता रहा. जब वह उठ कर कक्षा में चली गई तो वह भी कहीं चला गया. उस के जाते ही लतिका लपकी हुई आई और उस ने परची के फटे सारे टुकडे सावधानी से बटोर लिए और एक कागज में पुडि़या बना कर अपने पास रख लिए.

घर आ कर उस ने वे सारे कागज के टुकड़े नकुल को दिए और उस में क्या लिखा था यह नकुल को पढ़ा दिया. नकुल सावधान हुआ. तुरंत लतिका को ले कर थाने गया और अपने उस नौजवान पुलिस अफसर से मिला जो शोध मेें उस की बहुत मदद कर रहा था.

लतिका से मिल कर उसे भी प्रसन्नता हुई और वह बोला, ‘‘आप च्ंिता न करें. आज मैं इन लड़कों को रंगेहाथ पकड़ूंगा. फिर भले ही मेरी नौकरी क्यों न चली जाए.’’

पुलिस अफसर ने सिपाहियों को सावधान किया. कुछ हथियार लिए. फिर सब को जीप में साथ ले कर वह उस पते पर पहुंच गया जो लतिका ने लिख रखा था. इस सब में 8 बज गए. दरवाजे में लगी घंटी बजाई तो देर तक दरवाजा नहीं खुला. आखिर कोई काफी कठिनाई से चलता हुआ गैलरी में आया और उस ने पूछा, ‘‘कौन?’’

‘‘पुलिस. दरवाजा खोलिए. आप से मिलना जरूरी है,’’ उस अफसर ने कहा.

बहुत समझाने पर उस बूढ़ी औरत ने दरवाजा खोला. पुलिस के साथ एक लड़की को देख कर वह महिला कुछ संतुष्ट हुई. लतिका ने तुरंत उस वृद्धा का हाथ पकड़ा और उसे भीतर ले जा कर सारी बात समझाई. फिर भी वह बूढ़ी महिला पुलिस की कोई मदद करने को तैयार नहीं हुई. उस का बारबार एक ही कहना था कि मैं ऐसा नहीं करूंगी. वे हत्यारे मुझे मार डालेंगे. पड़ोस के कसबे में भी एक बूढ़े दंपती को हत्यारों ने ऐसे ही मार डाला था. आप लोग यहां रहें जरूर पर मैं दरवाजा नहीं खोलूंगी, उन्हें अंदर नहीं आने दूंगी, वे मुझे मार डालेंगे.’’

बहुत देर तक समझानेबुझाने पर वह तैयार हुई कि दरवाजा खोल देगी पर वे लोग पिछले कमरे में जहां छिपें वहां से आने में कतई देर न करें वरना वे बदमाश उस की जान ले लेंगे.

रात लगभग 9 बजे घंटी बजी. सब सावधान हो गए.

बूढ़ी महिला फिर भय से कांपने लगी पर किसी तरह टसकती हुई दरवाजे तक पहुंची, ‘‘कौन है?’’

‘‘हम हैं, नानी, तुम्हारे पोते.’’ एक आवाज बाहर से आई. लतिका ने आवाज पहचान ली. यह अभय की आवाज थी. लतिका की भी आंखें भय से फैल गईं. अभी तक वह भ्रम में रही थी. अभय का जादू उस के सिर पर सवार था पर आज उस का भ्रम भंग हो गया.

दरवाजा खुलते ही अभय ने एकदम चाकू उस बूढ़ी औरत की गरदन पर रख दिया और बोला, ‘‘बुढि़या, जल्दी से हमें बता कि माल कहांकहां रखा है. अगर न बताया तो हम तुझे अभी मार देंगे. फिर सारे घर को खंगाल कर सब ले जाएंगे. पास के कसबे की घटना सुनी है कि नहीं तू ने? उन लोगों ने बताने में आनाकानी की तो हम ने उन्हें नरक में भेज दिया और सब ले लिया. तू भी अगर नरक में जाना चाहती है तो मत बता वरना चुपचाप साथ चल और सब माल हमारे हवाले कर दे.’’

बुढि़या को ले कर वे लोग आगे बढ़े ही थे कि झपट कर सारे सिपाही और पुलिस अफसर हथियार ताने पिछले कमरे से निकल कर वहां आ गए. उन के साथ लतिका व नकुल को देख कर अभय सकपका गया. परमजीत और योगी भागने की कोशिश करने लगे पर हथियारबंद सिपाहियों ने उन्हें पकड़ लिया और अभय को तुरंत हथकडि़यां पहना दीं.

अभय गरजा, ‘‘तुम ने अपनी मौत मोल ले ली, लतिका. हम देख लेंगे तुम्हें.’’

‘‘देख लेना बच्चू, पर पहले तो अपने दिए गए अभी हाल के बयान का यह टेप सुन लो जिस में तुम ने पास के कसबे के बूढ़े दंपती की हत्या की और लूट को स्वीकारा है,’’ पुलिस अफसर ने हंस कर कहा, ‘‘दूसरे, इस जगह वारदात करने के  इरादे से अपने ही हाथ के लिखे इस परचे को पढ़ो जिसे परमजीत ने फाड़ कर टुकड़ेटुकड़े कर वहीं फेंक दिया था.’’

सबकुछ देख कर परमजीत और योगी तो लगभग गिड़गिड़ाने लगे पर अभय के चेहरे पर जरा भी शिकन नहीं थी, ‘‘तुम चाहे जो कर लो इंस्पेक्टर, हमारा बाप नेता है. वह घुड़क  देगा तो तुम्हारे सारे होश ठिकाने लग जाएंगे.’’

‘‘वह सब तो अब अदालत में देखेंगे. फिलहाल तो तुम पुलिस के साथ थाने की हवालात में चलो,’’ पुलिस अफसर उन्हें साथ ले गया.

जाते समय लतिका और नकुल से बोला, ‘‘तुम लोग फ्रिक मत करना. डरने की जरूरत नहीं है. ऐसे जाने कितने अपराधियों को मैं ने सीधा किया है.’’

फिर अनायास ही लतिका का हाथ पकड़ कर धीरे से दबाया और कहा, ‘‘धन्यवाद देना चाहता हूं आप को. आप मदद न करतीं तो ये लोग कभी रंगेहाथों न पकड़े जाते.’’

कुछ दिनों बाद पुलिस अफसर लतिका और नकुल से मिलने उन के घर आया तो लतिका के पिता भी घर पर ही थे. खूब सत्कार किया उन का. फिर किसी तरह अपने संकोच को भूल कर पुलिस अफसर ने लतिका के पिता से कुछ कहने का साहस बटोरा, ‘‘मेरे मांबाप नहीं हैं. इसलिए यह बात मुझे ही आप से करनी पड़ रही है. अगर आप लोगों को एतराज न हो तो मैं लतिका जैसी बहादुर युवती से शादी करना चाहूंगा.’’

‘‘आप ने तो हम लोगों के मन की बात कह दी, इंस्पेक्टर,’’ बहुत खुश हुए लतिका के पिता, ‘‘अब विश्वास हो गया कि मेरी बेटी इस कांड के बाद सुरक्षित रह सकेगी वरना हम लोग भयभीत थे कि बदमाशों को सजा दिलवा कर कहीं हम लोग जान न गंवा बैठें.’’

‘‘जिम्मेदार नागरिकों के प्रति कुछ हमारी भी जिम्मेदारियां हैं, सर,’’ अफसर ने कहा तो सब मुसकराने लगे और लतिका लजा कर भीतर चली गई.

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खिलाड़ियों के खिलाड़ी: भाग 2- क्या थी मीनाक्षी की कहानी

मीनाक्षी विजयी मुद्रा में देररात अपने घर पहुंची. 2 ही दिनों के बाद विशाल का फोन आ गया कि उस ने डीआईजी से बात कर ली है. अरुण नाईक की जल्दी ही रिहाई हो जाएगी. डीआईजी के प्रमोशन के लिए विशाल ने ही मुख्यमंत्री से सिफारिश की थी, इसलिए उसे यकीन था कि डीआईजी उस का यह काम जरूर कर देंगे. डीआईजी को भी विशाल के उपकारों का कर्ज उतारना था, उन्होंने विशाल का काम कर दिया और कुछ ही दिनों में अरुण नाईक जेल से रिहा हो गया.

अपने पति की रिहाई के एक दिन बाद विशाल ने मीनाक्षी को फोन किया, ‘मीनाक्षी तुम्हारा काम हो गया है न, मुझे धन्यवाद देने नहीं आओगी?’

‘आऊंगी न सर, जरूर आऊंगी. आप ने जो काम किया है उस का दाम भी तो चुकाना पड़ेगा न,’ मीनाक्षी ने हंसते हुए कहा.

‘ठीक है, कल शाम को आ जाना. हम तो तुम्हारा बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. मीनाक्षी, तुम ने तो हम पर जादू कर दिया है,’ खुशी से उछलते हुए विशाल ने कहा.

विशाल और मीनाक्षी की दोस्ती गहरी होती जा रही थी जिस का पूरापूरा फायदा अरुण नाईक उठा रहा था. वह अपनी रिहाई के बाद शहर में सांड की तरह घूमने लगा और छोटेमोटे अपराध करने शुरू कर दिए. अरुण नाईक को भी यह यकीन हो गया था कि अब मीनाक्षी अपनी पहुंच से उस को बचा लेगी. उधर मीनाक्षी ने विशाल के साथ अपनी खास दोस्ती का फायदा उठाना शुरू कर दिया. अब उस का उठनाबैठना हाई सोसाइटी में होने लग गया था. वह अफसर या किसी भी मंत्री की केबिन में सहज शिरकत कर सकती थी. मगर विशाल इस बात से अनजान था.

एक दिन विशाल ने बातोंबातों में मीनाक्षी से कहा, ‘मीनाक्षी, चीफ सैक्रेटरी का मेरा प्रमोशन अटका हुआ है. मेरी फाइल उन के पास पड़ी हुई है. फिर आजकल मुख्यमंत्री महोदय मुझ से नाराज चल रहे हैं. एक बार मैं तुम्हें उन से इंट्रोड्यूस करवाना चाहता हूं. क्या तुम उन से मिलना चाहोगी? एक बार उन से तुम्हारी दोस्ती हो जाएगी तो तुम्हें आगे बहुत फायदा होता रहेगा और मेरी फाइल भी…’

विशाल अपनी बात समाप्त करे इस से पहले मीनाक्षी मुसकराते हुए बोली, ‘समझ गई विशाल, मैं और किसी के लिए नहीं पर तुम्हारे लिए उन से जरूर मिलूंगी.’ यह कहते हुए वह विशाल की बांहों में झम गई.

मीनाक्षी को यह पता था कि 2-3 साल पहले मुख्यमंत्री की पत्नी का निधन हो गया था, उन का एक ही बेटा है जो यूएस में पढ़ाई कर रहा है. मुख्यमंत्री अकेले ही रहते हैं. एक दिन विशाल ने अपने जन्मदिन की छोटी सी पार्टी में मुख्यमंत्री से मीनाक्षी की मुलाकात करवा दी. विशाल ने देखा कि मुख्यमंत्री मीनाक्षी को ऐसे देख रहे थे मानो वे नजरों से ही उसे निगल जाएंगे. विशाल के चेहरे पर मुसकान की एक महीन लकीर फैल गई. कुछ ही दिनों बाद मीनाक्षी और मुख्यमंत्री में मुलाकातें बढ़ने लगीं. मीनाक्षी ने मुख्यमंत्री पर अपने हुस्न का ऐसा जादू किया कि 4 दिनों में ही विशाल राज्य का चीफ सैक्रेटरी बन गया.

अपने प्रमोशन से अपार खुश विशाल तो अब मीनाक्षी की उंगलियों पर नाचने लगा था. वहीं, मीनाक्षी के पास वीडियोरूपी दोचार ब्रह्मास्त्र थे जिन का उपयोग वह आपातकालीन हालात में कर सकती थी.

एक दिन मीनाक्षी ने विशाल को फोन किया. ‘हैलो विशाल, कौंग्रेचुलेशन. पार्टी कब दे रहे हो?’

‘थैंक्यू मीनाक्षी, तुम ने तो कमाल कर दिया. जो फाइल 6 महीने तक नहीं हिल रही थी, उसे तुम ने 6 दिनों में निबटा दिया. ग्रेट जौब, तुम बताओ पार्टी कब चाहिए?’

‘शुभस्य शीघ्रम. कल ही हो जाए.’

‘व्हाई नौट, मीनाक्षी.’

अब तो मीनाक्षी की आएदिन पार्टियां हो रही थीं. कभी किसी अफसर के साथ तो कभी किसी मंत्री के साथ, कई बार मुख्यमंत्री भी उसे अपने बंगले पर बुला लेते. अब मीनाक्षी का रहनसहन बदल गया था. अरुण नाईक ने भी महसूस किया कि मीनाक्षी के बरताव में अब बदलाव आ रहा है, मगर उस ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया. वह तो अपनी अपराध की दुनिया में निश्ंिचत हो कर मौजमस्ती लूटने में मशगूल था. उसे पता था कि अब मीनाक्षी की पहुंच मुख्यमंत्री तक है, तो उस का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता.

मगर इधर मीनाक्षी के दिमाग में अलग खिचड़ी पक रही थी. वह अब अरुण की करतूतों से तंग आ चुकी थी. उस के छोटेमोटे अपराधों के कारण जबजब उसे जेल हो जाती थी या उस पर मुकदमा चलता था तबतब उसे छुड़ाने के लिए उसे कभी किसी पुलिस के आला अफसर या मंत्री के साथ हमबिस्तर होना पड़ता था. एक दिन उस ने अपने मन की बात विशाल को बताई कि वह अरुण से अब दूर होना चाहती है. उस के आपराधिक जीवन से अब उसे घृणा हो गई है. विशाल कुमार की मदद से उस ने एक योजना बनाई कि किसी मुठभेड़ में फर्जी एनकाउंटर से अरुण का सफाया कर दिया जाए.

पहले तो विशाल ने इस के लिए स्पष्ट रूप से मना कर दिया, पर मीनाक्षी ने जब उसे एक वीडियो क्लिप की झलक दिखाई तो उस के पसीने छूट गए. वह घबरा कर बोला, ‘मीनाक्षी, यह वीडियो तुम ने कब  शूट किया?’

मीनाक्षी ने मुसकराते हुए कहा, ‘जनाब, यह तो अपनी पहली मुलाकात का वीडियो है. ऐसे और भी वीडियो मेरे पास हैं. इसलिए, तुम मेरे रास्ते से अरुण को हटाने का इंतजाम कर दो, वरना ये वीडियो वायरल करने में मुझे ज्यादा समय नहीं लगेगा.’

विशाल के पैरोंतले की जमीन खिसकने लगी. उस ने गिडगिड़ाते हुए कहा, ‘मीनाक्षी, प्लीज इसे डिलीट कर दो. मैं तुम्हारा काम कर दूंगा.’

‘डोंट वरी विशाल, पहले मेरा यह काम कर दो, फिर मैं इसे तुम्हारे सामने ही डिलीट कर दूंगी,’ मीनाक्षी ने शरारती मुसकान बिखेरते हुए कहा.

विशाल का गला सूख गया, बदन पसीने से तरबतर हो गया. उस के सामने अंधकार छा गया. उसे नहीं पता था कि मीनाक्षी ने कोई वीडियो बनाया है. विशाल ने तुरंत हाथपैर मारना शुरू कर दिया. अपने डीआईजी दोस्त से बात की. फिर मुख्यमंत्री को जैसेतैसे पटाया. अरुण इन दिनों पुलिस कस्टडी में ही था. उसे तारीख के मुताबिक कोर्ट ले जाना पड़ता था. पुलिस मौके की तलाश में थी.

एक दिन पुलिस अरुण को उस की बीमार मां से मिलवाने के लिए गांव ले जा रही थी. रात को लौटते समय अरुण लघुशंका के बहाने पुलिस वैन से उतरा. उस ने उतरते समय एक पुलिस अधिकारी की पिस्तौल छीन ली और जंगल में भाग गया. वह पुलिस पर गोली चलाने लगा. जवाबी कार्रवाई में पुलिस द्वारा की गई फायरिंग में अरुण ढेर हो गया. इस बार विशाल के नसीब से मुठभेड़ असली हुई जिस में अरुण नाईक मारा गया. मगर प्रैस ने इस मामले को नकली एनकाउंटर बता कर बहुत उछाला. कुछ दिनों तक मामला मीडिया में छाया रहा, बाद में धीरेधीरे ठंडा हो गया.

मीनाक्षी को पता नहीं चल सका कि अरुण नाईक की मौत फर्जी एनकाउंटर में हुई है या वह पुलिस पर गोलियां चलाते समय जवाबी कार्रवाई में मारा गया मगर इस का सारा श्रेय विशाल ने ले लिया. मीनाक्षी ने भी यह मान लिया कि विशाल के इशारे पर ही अरुण नाईक का सफाया किया गया है.

अरुण नाईक की मौत के बाद मीनाक्षी ने उस की सारी जायदाद बेच कर दूसरे शहर में बसने का मन बना लिया. वह चाहती थी कि अब वह एक साफसुथरी जिंदगी जिए. जब अरुण नाईक के गैंग के बाकी गुंडों को इस बारे में पता चला तो वे मीनाक्षी से उस जायदाद में अपना हिस्सा मांगने लगे. उन का कहना था कि वे अरुण नाईक के लिए ही काम करते थे, हफ्तावसूली और फिरौती से प्राप्त सारी रकम अरुण के पास जमा होती थी. वे उसी के लिए तो किसी का अपहरण, हत्या, मारपीट आदि करते थे. बंटवारे को ले कर गैंग के लोगों में मारपीट हो गई और गोलियां भी चलीं. मीनाक्षी ने सभी को समझने की कोशिश की. मगर सभी एकदूसरे की जान लेने पर उतारू हो रहे थे.

मीनाक्षी ने इस मामले में विशाल की मदद लेना उचित समझ. इसीलिए वह बारबार विशाल को फोन लगा रही थी.

‘‘मिस्टर विशाल, तुम्हारा ध्यान कहां है?’’ मुख्यमंत्री ने क्रोधित हो कर तेज आवाज में कहा तो विशाल अतीत से वर्तमान में लौटे, बोले, ‘‘सर कहीं नहीं, बस यों ही थोड़ा ध्यान भटक गया था फैमिली मैटर में.’’

मीटिंग खत्म होने के बाद विशाल ने मीनाक्षी को फोन लगाया, ‘‘क्या बात है मीनाक्षी, मैं मुख्यमंत्री के साथ एक मीटिंग में बिजी था.’’

‘‘विशाल, मैं इन गुंडों के बीच बुरी तरह फंस गई हूं. मुझे इन से छुटकारा दिलाओ यार, नहीं तो मैं एक दिन सब को गोली मार दूंगी,’’ गुस्से से तमतमाते हुए मीनाक्षी ने कहा.

‘‘ओह, मीनाक्षी, थोड़ा धीरज रखो. मैं ने डीआईजी से बात कर ली है. वे एक दिन सब को अंदर डाल देंगे. तब तुम आराम से रहना. अपनी सारी जायदाद भी बेच देना,’’ विशाल ने समझते हुए कहा.

मगर मीनाक्षी राजी नहीं हुई. वह जानती थी कि विशाल का एक फ्लैट खाली पड़ा है जिस में वह इन गुंडों का खात्मा होने तक कुछ दिनों के लिए रह सकती है. मगर विशाल नहीं चाहता था कि मीनाक्षी इस फ्लैट में रहे. यह फ्लैट उस के औफिस के ठीक सामने वाली बिल्ंिडग में था.

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