जब जबान नहीं हाथ चलाएं बच्चे

‘‘पापा, सुनो… सुनो न…’’ थोड़ी देर बाद तेज आवाज में चिंटू चिल्लाया, ‘‘पापा… पापा ऽऽऽ, मुझे दाल नहीं खानी, मेरे लिए पिज्जा और्डरकरो.’’ पिज्जा की जिद के चक्कर में चिंटू ने खाना फेंक दिया और कमरे में बंद हो जोरजोर से चिल्लाने लगा.उस की इस हरकत पर पापा को भी गुस्सा आ गया. उन्होंने उसे डांटते हुए कहा, ‘‘तुम कितने बदतमीज हो गए हो,अब तुम्हें आगे से कुछ नहीं मिलेगा.’’ यह सुनते ही चिंटू ने रोना शुरू कर दिया. इकलौते बच्चे को रोते देख किस बाप का दिल नहीं पिघलेगा.

‘‘अलेअले, मेरा बेटा, अच्छा बाबा, कल तुम्हारे लिए पिज्जा मंगा देंगे.’’ इतना सुनना था कि चिंटू की बाछें खिल गईं, ‘‘ये…ये, हिपहिप हुर्रे. पापा, लव यू.’’

‘‘लव यू टू माय सन,’’ पापा ने प्रत्युत्तर में कहा. क्या आप और आप का बेटा/बेटी चिंटू की तरह ही रिऐक्ट करते हैं? अगर हां, तो आप का बच्चा न केवल जिद्दी है बल्कि उस की परवरिश में आप की तरफ से कमी है. बच्चे अकसर अपना गुस्सा मारपीट या रो कर निकालते हैं ताकि उन की मुंह से निकली ख्वाहिश पूरी हो सके. मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि बच्चे ऐसा व्यवहार अपने आसपास की घटनाओं से ही सीखते हैं.

यहां कुछ पेरैंट्स के साथ हुई घटनाओं के उदाहरण पेश किए जा रहे हैं :

उदाहरण-1

दिल्ली के मयूरविहार, फेज वन, इलाके में रहने वाले रोहन और साक्षी को एक फैमिली गैट टूगैदर में जाना था. वे अपने 8 वर्षीय बेटे सारांश को भी साथ ले कर गए. वैसे तो साक्षी कभी भी सारांश को अकेले नहीं भेजती थी क्योंकि वह बड़ा शैतान बच्चा था. पार्टी में पहुंच कर भी साक्षी ने सारांश का हाथ नहीं छोड़ा क्योंकि साक्षी जानती थी कि हाथ छोड़ते ही वह उछलकूद करने लगेगा. साक्षी को देख उस की फ्रैंड लीजा आ गई. उस ने कहा कि चल, वहां चल कर मजे करते हैं. अब अपनी पूंछ को छोड़ भी दे. उस के कहते ही साक्षी ने सारांश से बच्चों के ग्रुप में शामिल होने को कहा. थोड़ी देर बाद ही चीखनेचिल्लाने के साथ रोने की आवाजें आने लगीं. मुड़ कर देखा, तो सारांश ने एक बच्चे की धुनाई शुरू कर दी थी, जिस कारण वह खूब रो रहा था. साक्षी भाग कर वहां पहुंची और सारांश को समझा कर उसे सौरी बोलने को कहा. फिर साक्षी वहां से चली आई. दरअसल, सारांश जैसे बच्चे दूसरे बच्चों को ऐक्सैप्ट नहीं कर पाते और जब मिलते हैं तो लड़ाईझगड़ा शुरू कर देते हैं.

ये भी पढ़ें- बुजुर्गों को दें अपना प्यार भरा साथ      

उदाहरण-2

मैं ने एक दिन डिनर के लिए अपने एक रिश्तेदार दंपती को घर पर आमंत्रित किया. वे लोग तय समय पर अपनी 6 वर्षीय बेटी सना के साथ आ गए. बातों का दौर शुरू हुआ. बातें इतनी रुचिकर थीं कि काफी देर तक जारी रहीं. बीचबीच में उन की बेटी सना, जो स्वभाव से ऐंठू और कम बोलने वाली थी, ने तो बात करना व बैठना ही मुश्किल कर दिया. वह कुछ सैकंडों में बीचबीच में पापापापा आवाजें लगाए. ‘बसबस, बेटा शांत बैठो’ जैसे शब्द भाईसाहब भी कहते जा रहे थे. कुछ देर बाद सना भाईसाहब की गोद में चढ़ी और उन के गालों पर चांटे मारने लगी. भाईसाहब तो बेटी के लाड़ में इतने अंधे दिखे कि कहने लगे, ‘अरे, मेरा सोना बेटा…अच्छा बताओ, क्या कह रही थी.’ यह देख मैं और मेरे पति एकदूसरे का मुंह देखने लगे. बेटी की ऐसी हरकत के बावजूद भाईसाहब ने उसे कुछ नहीं कहा. बच्चों के प्रति मांबाप का प्यार स्वाभाविक है पर बच्चे को इतना लाड़ देना कि वह मारने लगे या बीच में बोलने लगे गलत है.

ऐसे करें पहचान

डेढ़ से 2 साल : इस उम्र के बच्चे अपनी जरूरत को सही से बता नहीं पाते. इसी उम्र में बच्चों की ओर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत पड़ती है. इस उम्र के बच्चे दांत काटना, हाथ चलाना, खिलौने पटकना, लात मारना या रोने जैसी हरकतें ज्यादा करते हैं. बच्चा अगर इस तरह का नैगेटिव व्यवहार करे तो उसे फौरन समझाएं क्योंकि इस उम्र में नहीं समझाएंगे तो वह बड़ा हो कर भी ऐसी हरकतें करता रहेगा. यह समझें कि वह कहना क्या चाह रहा है और यह सीख कहां से रहा है.

3-6 साल : अगर 2 साल तक उस का व्यवहार नहीं सुधरता तो इस उम्र में वही व्यवहार बच्चों की आदत बन जाती है और वे समझते हैं कि कौन सी चीज पाने के लिए उन्हें क्या करना है. मान लीजिए अगर कोई खिलौना या उन्हें कोई मनपसंद चीज खानी है तो वे मार्केट में बुरी तरह से फैल जाते हैं और चीजें देख कर रोने लगते हैं और तब तक रोते हैं जब तक कि उन्हें वह चीज न मिल जाए.

7-10 साल : इस उम्र के कई बच्चे शैतानी में पूरी तरह परिपक्व हो जाते हैं. ऐसे बच्चों को बातें खूब आती हैं और वे अपनेआप को नुकसान पहुंचा कर अपनी बातों को मनवाते हैं, जैसे चीखतेचिल्लाते हैं, झल्लाते हैं, मारते हैं, चुप हो जाते हैं, चिड़चिड़ करते हैं, बातें छिपाते हैं, झूठ बोलते हैं, बातें बनाते हैं. ऐसे बच्चे अपने आसपास नेगेटिव व्यवहार देखते हैं, उस का असर उन पर पड़ता है.

क्यों होता है ऐसा

सिंगल चाइल्ड : हम दो हमारा एक कौंसैप्ट यानी सिंगल चाइल्ड के चलते भी अब बच्चों में एकाधिकार की भावना आती है, जिस के चलते भी बच्चे दूसरे बच्चों को ऐक्सैप्ट नहीं कर पाते और उन्हें अपनी चीजें भी नहीं देते. वे जहां दूसरे बच्चों या भीड़भाड़ को देखते हैं तो असहज हो जाते हैं. ऐसे बच्चों के दोस्त भी कम होते हैं. ऐसे बच्चे पर पेरैंट्स हमेशा समाजीकरण का विशेष ध्यान दें.

खेल खेलें : इंडोर गेम्स में भी बच्चे सिर्फ वीडियो गेम्स ही खेलना पसंद करते हैं या फिर ज्यादा हुआ तो टीवी खोल कर कार्टून देखते हैं. अगर बच्चों में पेरैंट्स आउटडोर खेल खेलने के लिए प्रेरित करें तो इस से बच्चा बहुतकुछ सीखता है. आउटडोर गेम्स से चीजों की शेयरिंग तो होती ही है, इस से बच्चा अपनी पारी का इंतजार करना भी सीखता है. बच्चे को ऐसे में यह भी एहसास होगा कि हर जगह मनमानी नहीं चल सकती. अगर आप का बच्चा शर्मीला है तो उसे पार्क में ले जाएं ताकि बच्चा और बच्चों के समूह को देखे और खेलने के लिए उत्सुक भी हो.

ये भी पढ़ें- बच्चा न होना बदनसीबी नहीं

घर स्कूल से भी सीखते हैं बच्चे

देखा जाए तो ज्यादातर बच्चे नेगेटिव व्यवहार सब से पहले अपने घर से सीखते हैं. घर के आसपास का माहौल भी अच्छा होना चाहिए ताकि बच्चे पड़ोस से कुछ गलत न सीखें. कुछ बच्चे स्कूल से भी नेगेटिव व्यवहार सीखते हैं. घर में तो टीवी में हिंसा देखने से भी गलत सोच बनती है, जैसे एक कार्टून में अगर भीम ने किसी को मारा तो मारने वाली हिंसा को बच्चे जल्दी अपना लेते हैं. बच्चे कहा जाए तो हर एक गलत चीज जल्दी सीखते हैं और फिर वे प्रैक्टिकली करने की कोशिश भी करते हैं. पहले टीवी पर कोई ऐक्शन या ‘शक्तिमान’ सीरियल आता था तो शक्तिमान अपनी उन शक्तियों और ऐक्शन सीन को अंत में बच्चों को करने से मना करता था, ठीक वैसे ही अगर बच्चा मारधाड़ वाली चीजें देखे तो उसे प्यार से समझाएं.

GHKKPM: सई को छोड़ पाखी संग भागे विराट, वीडियो वायरल

सीरियल गुम हैं किसी के प्यार में (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin) की कहानी में इन दिनों फैमिली ड्रामा देखने को मिल रहा है. जहां सई चौह्वाण परिवार और विराट को छोड़कर चली गई है तो वहीं पाखी इस बात से बेहद खुश नजर आ रही है. इसी बीच सीरियल के सेट से एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें विराट (Neil Bhatt), सई (Ayesha Singh) की चिंता करने की बजाय पाखी (Aishwarya Sharma Bhatt) संग मस्ती करते नजर आ रहे हैं. आइए आपको दिखाते हैं वायरल वीडियो…

विराट-पाखी का वीडियो हुआ वायरल

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Aishwarya Sharma Bhatt (@aisharma812)

पाखी के रोल में नजर आने वाली ऐश्वर्या शर्मा अक्सर अपनी #Reels से फैंस का दिल जीतती हैं. इसी बीच सीरियल के सेट से ऐश्वर्या शर्मा भट्ट ने विराट यानी अपने औफ स्क्रीन पति नील भट्ट के संग एक वीडियो (Aishwarya Sharma Bhatt Insta) शेयर किया है, जिसमें वह मस्ती करते नजर आ रहे हैं. दरअसल, वीडियो में नील भट्ट, ऐश्वर्या शर्मा को साथ चलने के लिए कहते नजर आ रहे हैं. हालांकि नील भंडारा खत्म होने की बात कर रहे हैं. रियल लाइफ कपल की इस वीडियो को फैंस काफी पसंद कर रहे हैं. वहीं सोशलमीडिया पर मजेदार रिएक्श देते नजर आ रहे हैं.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Aishwarya Sharma Bhatt (@aisharma812)

ये भी पढ़ें- Anupamaa के सामने आएगा मालविका का अतीत, वनराज को होगी अनुज से जलन

सई-विराट की कहानी में आएगा नया मोड़

सीरियल के लेटेस्ट ट्रैक की बात करें तो सई घर छोड़कर अपनी पढ़ाई में लग गई है. वहीं विराट श्रुति का ख्याल रखता हुआ नजर आ रहा है. वहीं आने वाले एपिसोड में सई-विराट की गलतफहमी और भी ज्यादा बढ़ने वाली है. दरअसल, सई एक मेडिकल इंटर्न के रूप में श्रुति से मिलने वाली है. जहां श्रुति की फाइल में वह उसका नाम श्रीमती एस चव्हाण लिखा हुआ देखेगी. हालांकि वह शक नही करेगी और वह उससे पूछेगी कि उसका पति क्या करता है और वे कितने समय से शादीशुदा हैं, जिसका जवाब देते हुए श्रुति कहेगी कि वह प्रशासनिक सेवा में काम करता है और उनकी शादी को 1.5 साल हो चुके हैं. इसी बीच पुलकित कहेगा कि उन्हें जल्द ही उसका इलाज करने की जरूरत है ताकि वह हेल्दी लाइफ बिता सके. वहीं इस दौरान विराट कमरे में आएगा और सई और पुलकित को पता लगेगा कि विराट ही श्रुति का पति है, जिसे देखकर वह हैरान रह जाएंगे.

ये भी पढ़ें- Imlie के आदित्य ने छोड़ा सीरियल, अब क्या करेगी मालिनी

बुजुर्गों को दें अपना प्यार भरा साथ      

मुंबई की एक पॉश सोसाइटी में रहने वाले 70 वर्षीय मिश्रा जी आजकल बेहद डरे हुए हैं उन्हें अपने घर से बाहर निकलने में भी डर लगता है, क्योंकि कोरोना की दूसरी लहर में वे अपने बुजुर्ग माता पिता को खो चुके हैं. जब से कोरोना के नए वेरिएंट ओमीक्रोंन ने भारत में दस्तक दी है वे दोनों पति पत्नी बेहद सहम गये हैं यहां तक कि अब उन्हें बेंगलोर में रहने वाले अपने बच्चों के पास जाने में भी डर लग रहा है. वे कहते हैं, “”मार्च 2020 में कोरोना काल से पूर्व हमउम्र दोस्तों से हर दिन मॉर्निग ईवनिंग वॉक पर मिलते थे कुछ अपने दिल की कहते थे तो कुछ उनकी सुनते थे और वह कहना सुनना हमारे लिए पूरे दिन टॉनिक का कार्य करता था पर कोरोना के बाद से हम अपने घरों में बंद हैं. दूसरी लहर में अपने माता पिता को खोने के बाद अब तो कोरोना के नाम से ही रूह कांप जाती है, अब ये ओमिक्रोंन न जाने क्या कहर बरपायेगा यकीन मानिए कभी कभी तो मन घोर निराशा में घिरने लगता है.’’

भोपाल में रहने वाली 70 वर्षीया मीता जी के दोंनों बच्चे यू. एस. में हैं……वे यहां अपने 75 वर्षीय पति के साथ अकेली रहतीं हैं. कोरोना की दूसरी लहर में उन्होंने अपने कुछ करीबियों को खो दिया था. वे कहतीं हैं, “अपने आसपास होने वाली करीबियों की असामयिक मौतों ने हमें तोड़कर रख दिया…..उस समय एक दूसरे का हाथ पकड़कर बेड पर लेटे लेटे बिना खाए पिए हमने कई रातें गुजारीं…..हरदम यही डर सताता रहता था कि यदि हमें कोरोना हो गया तो क्या होगा क्योंकि इस समय कोई मददगार हमें मिल नहीं सकता और बच्चे हमारे पास आ नहीं सकते, पिछले कुछ महीनो में अपने जैसे तैसे खुद को सम्भाला था पर अब इस तीसरी लहर की आहट ने तो हमें मानो फिर से वहीँ पहुंचा दिया है पता नहीं अब इस लहर में हम जैसे बुजुर्ग बचेगें भी या नहीं.’’

वास्तव में कोरोना महामारी ने यूं तो समूची दुनिया को ही प्रभावित किया है परंतु इससे सर्वाधिक पीड़ित बुजुर्ग हैं. यदि वे अकेले रह रहे हैं तो कोरोना के खौफ से भयभीत हैं और यदि अपने बच्चों के साथ भी हैं तो भी वे अकेले ही हैं क्योंकि वर्क फ्राम होम में बड़े और ऑनलाइन क्लास में बच्चे व्यस्त हो जाते हैं. इसके अतिरिक्त बच्चों की यूं भी अपनी एक अलग दुनिया होती है, कोरोना से पूर्व वे मार्निंग ईवनिंग वॉक पर जाकर कुछ बाहर की आबोहवा ले लेते थे तो अपने हमउम्र साथियों से मिलकर दुख सुख की कह सुन भी लेते थे जिससे उनका मन भी हल्का हो जाया करता था. परंतु कोरोना ने उन्हें एकदम अकेला कर दिया है. घर में रहकर भी वे बेगानों से हो गए हैं. एक हालिया रिसर्च के अनुसार इस समय देश के करीब 82 प्रतिशत बुजुर्ग अपनी सेहत को लेकर फिक्रमंद हैं. 70 प्रतिशत नींद न आना, और रात को आने वाले डरावने सपनों से जूझ रहे हैं, 63 प्रतिशत अकेलेपन या सामाजिक अलगाव के कारण अवसाद की ओर अग्रसर हैं, वहीं 55 प्रतिशत बुजुर्ग प्रतिबंधों के कारण मानसिक और शारीरिक रूप से स्वयं को कमजोर अनुभव कर रहे हैं. पहली और तीसरी लहर को किसी तरह झेल लेने वाले बुजुर्ग अब तीसरी लहर की आहट से ही बहुत खौफ में हैं.”

वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक निधि तिवारी कहतीं हैं, “पिछले लॉकडाउन के समय रामायण, महाभारत जैसे धारावाहिक देखने से उनका समय कट जाता था परंतु कोरोना की दूसरी लहर की भयावहता ने उन्हें डरा दिया है और अब कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रोंन के द्वारा आने वाली इस तीसरी लहर के आने से तो वे एकदम टूट से गये हैं क्योंकि  शायद कहीं न कहीं उनके अवचेतन में यह बैठ गया है कि अब शायद बाकी जीवन यूं ही मास्क और परिचितों से मिले बिना ही गुजारना पड़ सकता है.’’ वे आगे कहतीं हैं, ‘मेरे पास प्रतिदिन ऐसे 8 से 10  बुजुर्गों के फोन आते हैं जिसमें वे कहते हैं कि ऐसी कैद की जिंदगी से तो अच्छा है कि भगवान उन्हें उठा ही ले’’

ये भी पढ़ें- बच्चा न होना बदनसीबी नहीं

क्या हो उपाय

बुजुर्ग हमारे समाज और परिवार के आधारस्तंभ हैं… संयुक्त राष्ट्र संघ की शाखा यू एन फार एजिंग अपने वक्तव्य में कहती हैं कि, ‘’युवा पीढी बुजुर्गों को यह अहसास दिलाएं कि वे उनके लिए बहुत कीमती है.. उन्हें कभी यह नहीं लगना चाहिए कि वे अब जीवन के अंतिम चरण में हैं और उनके जीवन की कोई अहमियत नहीं है.’’ भारत ही नहीं समूचे विश्व के बुजुर्ग कोरोना के बाद से भयावह अकेलेपन के दौर से गुजर रहे हैं. यूं भी बच्चों के दूसरे शहर या विदेश चले जाने पर वे अकेले रह जाते हैं पर उस अकेलेपन को वे समय समय पर बच्चों के पास जाकर, कभी बच्चों को अपने पास बुलाकर, नाते रिश्तेदारों से मिलजुलकर खुशी खुशी काट लेते थे. बच्चों के लिए अपने हर सुख दुःख को कुर्बान करने वाले बुजुर्गों का इस प्रकार डर कर जीना बेहद चिंताजनक है……..यह सही है कि बच्चे अपनी नौकरी छोड़कर उनके साथ नहीं रह सकते परंतु दूर रहकर भी उन्हें हरदम अपनेपन का अहसास तो कराया ही जा सकता है. लंबे समय से अपने शहर और घर को छोड़कर स्थायी रूप से बच्चों के साथ रहना भी उनके लिए व्यवहारिक नहीं हो पाता. कोरोना हाल फिलहाल तो हमारे बीच से जाने वाला नहीं है समय समय पर इसकी लहरें और लाकडाउन मानव जाति केा झेलना ही होगा. ऐसे में परिवार के अन्य सभी सदस्यों को उनके बेहतर स्वास्थ्य और मनोदशा के लिए प्रयास करने ही होंगें.

क्या करें युवा सदस्य

–परिवार के सदस्य चाहे उनके साथ हों या दूर हर दिन उन्हें यह अहसास कराएं कि यह वक्त बहुत जल्दी ही गुजर जाएगा और हर समय वे उनके साथ हैं.

-कई बार उन्हें लगता है कि अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने के बाद अब उनके जीने का कोई मकसद ही नहीं बचा है इसलिए घर के प्रत्येक निर्णय में उन्हें शामिल करें और उनकी राय पर अमल करने का भी प्रयास करें और ताकि उन्हें अपनी महत्ता महसूस हो सके.

-घर के युवा सदस्य उनके हमउम्र दोस्तों और नाते रिश्तेदारों के साथ वीडियो कॉल, जूम कॉल, गूगल मीट आदि पर मीटिंग करवाएं.

-व्हाट्स अप, फेसबुक जैसे सोशल मीडिया पर निरंतर आने वाली नकारात्मक खबरों से उन्हें दूर करने का प्रयास करें ताकि वे नकारात्मकता से बचे रहें. घर के सदस्य उन्हें संगीत, साहित्य या जोक्स आदि की एप डाउन लोड करके दें ताकि उसमें व्यस्त रह सकें. उनके लिए विभिन्न पत्रिकाओं के सब्सक्रिप्शन करके दें.

-छोटे बच्चों को पढाने, उनके साथ खेलने, किचिन तथा अन्य घरेलू कार्यों में उनका भरपूर सहयोग लें, उनके द्वारा किए गए कार्यों की सराहना भी करें.

-जितना अधिक हो सके उनके साथ समय बिताने का प्रयास करें, दूर होने पर सप्ताह में कम से कम एक या दो बार उनसे वीडियो काल पर अवश्य बातचीत करें.

-अपने पडोस या सोसाइटी में रहने वाले बुजुर्गों को अपना कुछ समय दें, अक्सर वे ज़ूम मीटिंग, विडिओ कालिंग, जैसी नयी तकनीकों से अनभिज्ञ होते हैं ऐसे में आप इन तकनीकों को ओपरेट करना उन्हें सिखाएं ताकि वे अपनों से टच में रहें.

ये भी पढ़ें- रिश्ते दिल से निभाएं या दिमाग से

बुजुर्ग स्वयं भी करें प्रयास

-निम्हांस-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेज बेंगलूर के अनुसार बच्चे ही नहीं बुजुर्गों को स्वयं भी इस अकेलेपन से उबरने के प्रयास करने होंगें ताकि कोराना का भय उन पर हावी न हो सके.

–इस समय अपनी मनपसंद गतिविधियों जैसे कार्ड्स वर्ड पहेली हल करना, संगीत सुनना, बागवानी, शतरंज, कैरम या ताश के पत्ते खेलने में स्वयं को व्यस्त रखें.

-अपने शरीर को फिट रखने के लिए घर में ही कुछ चहलकदमी, योगा, व्यायाम करें साथ ही अपने परिजनों की यथासंभव मदद करने का प्रयास करें.

-रूटीन के समाचार सुनने के अतिरिक्त बेवजह की बहस अथवा किसी भी प्रकार की नकारात्मक खबरें टी. वी. पर सुनने से बचें. अपने मनपसंद टी. वी. शोज, वेब सीरीज अथवा मूवी देखें.

-छोटों के सहयोग से सोशल मीडिया, वीडियो कालिंग आदि पर एक्टिव होना सीखें ताकि अकेलेपन का अहसास न हो सके.

ऐसे रहें फिट & फाइन

हर ऐरोबिक सैंटर में ऐसी बहुत सारी महिलाएं आती हैं जिन के घुटनों, पैरों, गरदन और पीठ में दर्द की शिकायत होती थी. मगर ऐसी महिलाएं जिन के पास समय कम होता है वे घर पर रह कर भी सप्ताह में 4-5 दिन सिर्फ 20 मिनट वर्कआउट कर फिट रह सकती हैं. इस वर्कआउट को 5 वर्गों में विभाजित किया जा सकता है:

– सोमवार को शरीर का निचला भाग जिस में ‘हिप्स-थाइ’ आदि आते है.

– मंगलवार को पेट और पीठ के लिए,

-बुधवार को शरीर का ऊपरी हिस्सा, आर्म्स, कंधे, गरदन का पिछला भाग.

– बृहस्पतिवार को पूरे शरीर को स्ट्रैच करना.

– शुक्रवार को पूरी प्रक्रिया को 20 मिनट में दोहराना.

इस तरह हर दिन 20 मिनट का समय आप के पूरे शरीर को स्वस्थ बना सकता है. इस में घर में पाई जाने वाली वस्तुओं का वर्कआउट में सहारा लिया जा सकता है. इन में 500 मिलीलिटर के पानी की 2 बोतलें, 1 कुर्सी, दीवार, 1 नहाने की टौवेल, 1चटाई या कारपेट.

तरीका: 2 पानी की 500 मिलीलिटर बोतलों को दोनों हाथों में पकड़े. अब अपनी कुहनी को थोड़ा नीचे करें और आगे बढ़ कर पीछे की तरफ ले जाएं. ऐसा करने से पीठ के बीच के भाग को आराम मिलता है.

ये भी पढ़ें- Winter Special: ऐसे बढ़ाएं शरीर की इम्यूनिटी

– सीधे खड़े हो कर बोतलों को दोनों हाथों में पकड़ कर कमर को पहले दाहिनी और फिर बायीं तरफ मोड़े यह व्यायाम कमर के लिए होता है.

– कुरसी के प्रयोग से आप अपनी जांघों के लिए व्यायाम कर सकती हैं. कुरसी पर बैठ कर अपने पैरों को आगे की तरफ सीधा बैलेंस करें.

– इस के अलावा कुरसी का सहारा ले कर अपने नितंबों को ऊपर और नीचे करें.

– दीवार के सहारे से हिप्स और थाइज का व्यायाम संभव है. दीवार के सहारे सीधे खड़े हो कर अपने घुटनों को 90 डिग्री के कोण पर मोड़ कर 2 सैकंड तक इसी अवस्था में रहें.

– अपना चेहरा दीवार की तरफ रखें और फिर अपनी कुहनियों को मोड़ कर छाती को दीवार के नजदीक लाएं और फिर पीछे जाएं. इस से आप के कंधों व सीने का व्यायाम हो सकेगा.

– जमीन पर कारपेट या चटाई पर बैठ जाएं. हाथों को पीछे ले जा कर पहले दाहिने और फिर बाएं हाथ से टौवेल को पकड़ें. 10 से 30 सैकंड के इस वर्कआउट से आप के कंधों और भुजाओं का व्यायाम होगा.

– जमीन पर लेट कर अपने दोनों हाथों को सिर के नीचे फैला कर रखें और फिर अपने पैरों को मिलाकर 90 डिग्री के कोण पर आगेपीछे करें.

– पीठ के बल लेट जाएं, फिर अपने दोनों हाथों से गरदन को सहारा दें. अब अपने कंधों को थोड़ा ऊपर उठाएं. फिर बाएं कंधे को दाहिने घुटने की ओर ले जाएं. अब दाहिने कंधे को बाएं घुटने की ओर बारीबारी से ले जाएं. यह व्यायाम कमर की अतिरिक्त मसल्स को कम करता है.

ये भी पढ़ें- क्या है लैक्टोज इनटौलरैंस

कैराटिन ट्रीटमेंट से चमकाएं बाल

हेयर रीबौंडिंग, हेयर स्ट्रेटनिंग, हेयर स्मूदनिंग ये तीनों ही ट्रीटमेंट भारतीय महिलाओं के लिए नए नहीं हैं. देश की करीब 70% महिलाओं को इन में से किसी एक ट्रीटमेंट का अनुभव जरूर हुआ होगा. खासतौर पर जब युवावर्ग की महिलाओं की बात की जाए, तो रीबौंडिंग, स्ट्रैटनिंग व स्मूदनिंग के बिना तो उन का गुजारा ही नहीं है. मगर अब इन तीनों के साथ हेयर ट्रीटमेंट भी जुड़ चुका है. हेयर कैराटिन ट्रीटमेंट के नाम से कौस्मैटिक इंडस्ट्री में प्रसिद्ध यह ट्रीटमेंट बालों में कैराटिन की मात्रा को बढ़ाने के लिए किया जाता है.

क्या है कैराटिन ट्रीटमेंट

गृहशोभा की फेब मीटिंग में ब्यूटीशियनों को कैराटिन ट्रीटमेंट पर विस्तृत जानकारी देने आए ऐक्सपर्ट सैम इस ट्रीटमेंट के बारे में बताते हैं, ‘‘महिलाओं में बढ़ती उम्र के साथ होने वाले हारमोनल बदलाव के कारण बालों और नाखूनों पर सब से अधिक प्रभाव पड़ता है. जहां नाखूनों में क्यूटिकल्स के खराब होने की समस्या हो जाती है, वहीं बालों को प्रोटीन लौस की दिक्कत से जूझना पड़ता है. चूंकि बाल कैराटिन नामक प्रोटीन से बने होते हैं, इसलिए इस के लौस होने से बाल पतले और फ्रीजी हो जाते हैं. ऐसे बालों पर रीबौंडिंग और स्ट्रेटनिंग का भी कुछ खास असर नहीं पड़ता है, बल्कि कमजोर बालों में हेयर फौल की समस्या और बढ़ जाती है. ऐसे बालों के लिए कैराटिन ट्रीटमेंट वरदान है. इस ट्रीटमेंट में बालों पर प्रोटीन की परत चढ़ाई जाती है और प्रैसिंग के द्वारा प्रोटीन लेयर को लौक कर दिया जाता है.’’

ये भी पढ़ें- लेंस लगाने के बाद ऐसे करें आई मेकअप

कैराटिन ट्रीटमेंट की प्रक्रिया

इस ट्रीटमेंट के लिए बालों से चिकनाहट को पूरी तरह से दूर करने के लिए 2 बार शैंपू किया जाता है. इस के बाद बालों को 100% ब्लो ड्राई किया जाता है. ऐसा इसलिए ताकि बालों में बिलकुल मौइश्चराइजर न बचे और कैराटिन प्रोडक्ट को अच्छी तरह बालों में पैनिट्रेट किया जा सके. ब्लो ड्राई के बाद बालों को 4 भागों में बांट कर गरदन वाले हिस्से से प्रोडक्ट लगाना शुरू किया जाता है. प्रोडक्ट लगाने के बाद बालों को फौइल पेपर से 25 से 30 मिनट के लिए कवर कर दिया जाता है. इस के बाद बालों को फिर से ब्लो ड्राई किया जाता है और 130 से 200 डिग्री तापमान के बीच बालों की प्रैसिंग की जाती है, ताकि प्रोडक्ट अच्छी तरह बालों में पैनिट्रेट हो जाए.

इस प्रक्रिया के 24 घंटे बाद बालों को पानी से साफ कर के 180 डिग्री तापमान पर उन की फिर से प्रैसिंग की जाती है. प्रैसिंग के बाद बालों को कैराटिन युक्त शैंपू से साफ किया जाता है और कैराटिन कंडीशनर लगा कर 6-7 मिनट के लिए छोड़ दिया जाता है. फिर बालों को साफ कर के ब्लो ड्राई किया जाता है और इसी के साथ कैराटिन ट्रीटमेंट की प्रक्रिया पूरी हो जाती है.

कैराटिन ट्रीटमेंट नहीं है रीबौंडिंग

बहुत सी महिलाएं कैराटिन ट्रीटमेंट को रीबौंडिंग समझने की भूल कर बैठती हैं और बाद में ट्रीटमेंट में खामियां ढूंढ़ने लगती हैं. सैम बताते हैं, ‘‘कैराटिन ट्रीटमेंट बालों की फ्रीजीनैस दूर कर उन्हें शाइनी और स्मूद बनाता है. मगर यह बालों को स्ट्रेट नहीं करता. हां, जिन महिलाओं के बाल पहले से स्टे्रट हों उन के बालों में कुछ समय के लिए स्ट्रैटनिंग वाला इफैक्ट जरूर आ जाता है. मगर जिन के बाल कर्ली हैं उन के बाल शैंपू वाश के बाद पहले की तरह ही हो जाते हैं, बस स्मूदनैस और शाइनिंग रह जाती है. साथ ही बाल पहले से ज्यादा हैल्दी भी लगने लगते हैं.’’

महिलाओं को यह भी भ्रम है कि कैराटिन ट्रीटमेंट परमानैंट होता है जबकि ऐसा नहीं है. सैम के अनुसार, कैराटिन ट्रीटमेंट में बहुत ही माइल्ड प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल होता है जबकि स्मूदनिंग और रीबौंडिंग में हार्ड कैमिकल्स का प्रयोग किया जाता है. कैराटिन ट्रीटमेंट का असर बालों पर 4-5 महीने रहता है. इस के बाद फिर से यह ट्रीटमेंट देना होता है.

इन बातों का रखें ध्यान

1. इस ट्रीटमेंट की प्रक्रिया के दौरान हीट इक्विपमैंट्स का प्रयोग किया जाता है, जिस से बालों को काफी नुकसान पहुंचता है. भले ही यह नुकसान ट्रीटमेंट के प्रभाव के कारण न दिखे, मगर 4-5 महीने बाद जब ट्रीटमेंट का असर खत्म हो जाता है तब बालों में डैमेजेस दिखने लगते हैं. ऐसा न हो इस के लिए बालों को अतिरिक्त देखभाल की जरूरत होती है. मसलन, कैराटिन युक्त हेयरस्पा इस में काफी मददगार साबित होते हैं.

2. ट्रीटमेंट के बाद बालों को कम से कम फोल्ड करें. दरअसल, यह स्ट्रेटनिंग ट्रीटमेंट नहीं है, मगर इस में स्ट्रेटनिंग वाला इफैक्ट आ जाता है. बालों को फोल्ड करने पर यह इफैक्ट खत्म हो जाता है.

ये भी पढ़ें- तो शादी में नहीं हटेगी किसी की नजर

3. अन्य ट्रीटमैंट्स की तरह कैराटिन ट्रीटमेंट भी एक कैमिकल ट्रीटमेंट है. इस के प्रयोग के बाद बालों का रंग 1 लैवल फेड हो जाता है. अत: इस बदलाव के लिए पहले से ही खुद को तैयार कर लें.

4. ट्रीटमेंट के बाद बालों में केवल सल्फेट फ्री शैंपू और सल्फेट फ्री कंडीशनर ही लगाएं. ट्रीटमेंट से पहले प्रोडक्ट के इनग्रीडिऐंट्स जरूर देखें. ग्लाइकोलिक ऐसिड वाले प्रोडक्ट के इस्तेमाल से बचें, क्योंकि इस से भी बालों का प्राकृतिक रंग खराब होता है.

5. यह ट्रीटमेंट खासतौर पर उन महिलाओं के लिए अच्छा साबित हो सकता है जिन के बाल पहले करवाए गए कैमिकल ट्रीटमेंट से डैमेज हो चुके हैं.

6. यह ट्रीटमेंट किसी अनुभवी प्रोफैशनल से ही कराएं और फौर्मल्डेहाइड फ्री कैराटिन ट्रीटमेंट करने के लिए कहें. दरअसल, कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि कैराटिन ट्रीटमेंट में फौर्मल्डेहाइड फ्री कैराटिन ट्रीटमेंट भी उपलब्ध है, इसलिए वही सैलून चुनें जहां फौर्मल्डेहाइड फ्री कैराटिन ट्रीटमेंट दिया जाता है.

ये भी पढ़ें- गुलाब जल के फायदे

Winter Special: मिठाइयों की जान है चाशनी

जलेबी, गुलाबजामुन, इमरती, बर्फी और हल्वे की चाशनी के बिना कल्पना तक नहीं की जा सकती. चाशनी अर्थात् ऐसा द्रव्य पदार्थ जिसे शकर और पानी से बनाया जाता है. विभिन्न मिठाइयों में समाहित होकर यह उन्हें मिठास प्रदान करती है. चाशनी गुड़ और चीनी दोनों की ही बनायी जाती है. गुड़ की चाशनी का प्रयोग मुख्यतया मिठाइयों की अपेक्षा मूंगफली, चना दाल और तिल चिक्की, मुरमुरे के लड्डू तथा अन्य विविध प्रकार के लड्डुओं में किया जाता है वहीं शकर की चाशनी का उपयोग गजक तथा अन्य मिठाइयों में मिठास लाने के लिए किया जाता है. विविध मिठाइयों में चाशनी उसके गाढेपन के अनुसार प्रयोग की जाती है मूलतः चाशनी को एक तार, दो तार और तीन तार की चाशनी के रूप में परिभाषित किया जाता है.

चाशनी बनाने की विधिे

चाशनी बनाने के लिए आमतौर पर गुड़ या शकर की आधी मात्रा में पानी का प्रयोग किया जाता है अर्थात् आधा कप पानी के लिए 1 कप शकर या गुड़. गाढ़ी और तीन तार की चाशनी बनाने के लिए 1 कप शकर या गुड में 1/4 कप पानी ही पर्याप्त होता है. चाशनी को साफ करना अत्यन्यत आवश्यक होता है. जब पैन में शकर पूरी तरह घुल जाए तो साफ करने के लिए 1 टेबलस्पून  फिटकरी के घोल, कच्चे दूध, और नीबू के रस में से किसी एक का प्रयोग किया जा सकता है. चाशनी के उपर आयी गंदगी को कलछी से बाहर निकालकर पुनः पकाकर अपनी उपयोगितानुसार चाशनी का प्रयोग करें. यह देखने के लिए लिए कि चाशनी तैयार है या नहीं, 2 बूंद चाशनी को एक कटोरी में डालें, उंगली और अंगूठे के बीच में रखकर चिपकाएं, अगर इसमें एक तार बन रहा है तो एक तार की चाशनी तैयार है. यदि आप चाशनी को अधिक पका लेंगी तो दो और तीन तार की चाशनी तैयार करें. एक तार की ही भांति दो और तीन तार की चाशनी चैक करें.

उपरोक्त विधि के अतिरिक्त केन्डी थर्मामीटर का प्रयोग करके भी चाशनी पकाई जाती है. 1 तार की चाशनी 220 से 222 डिग्री फारेनहाइट या 104 से 105 डिग्री सेन्टीग्रेट तक चाशनी पकाई जाती है, दो तार के लिए यह तापमान 235 से 240 डिग्री फारेनहाइट से 112-115 डिग्री सेन्टीग्रेट तक तथा तीन तार के लिए 250 से 265 डिग्री फारेनहाइट तथा 125 से 130 डिग्री सेन्टीग्रेट तक होता है.

ये भी पढ़ें- Winter Special: घर पर बनाएं कुरकुरी और हेल्दी मिसी रोटी

चाशनी के उपयोग 

एक तार की चाशनी का उपयोग आमतौर पर गुलाब जामुन, काला जाम, शाही टोस्ट, जलेबी, इमरती और मावा बाटी आदि बनाने के लिए किया जाता है.

दो तार की चाशनी का उपयोग मुख्यतया, गुझिया, मट्ठे, मठरी, बर्फी जमाने में किया जाता है।

तीन तार की चाशनी का उपयोग अक्सर खुरमे, बेसन की बर्फी, बताशा, इलायचीदाना, बालूशाही आदि बनाने में किया जाता है।

चाशनी बनाते समय ध्यान रखने योग्य बातें

-चाशनी बनाने के लिए सदैव नानस्टिक पैन या स्टील की कड़ाही का प्रयोग करें इससे कड़ाही के चारों ओर शकर चिपकती नहीं है.

-चाशनी को गैस पर चढाकर अन्य काम करने से बचें अन्यथा यह कब उफनकर बाहर आ जाएगी आप जान भी नहीं पाएंगी.

-चाशनी को साफ करने के लिए दूध फिटकरी या नीबू का रस डालने के बाद गैस को एकदम मंदा कर दें इससे समस्त गंदगी कुछ ही देर में चाशनी के उपर आ जाएगी इसे बड़े ही आहिस्ता से कलछी या छलनी की सहायता से निकालें. यदि कलछी से पूरी गंदगी न निकले तो छलनी से छान लें.

-गुड़ की चाशनी को छलनी से छानकर ही प्रयोग करें क्योंकि गुड़ में कभी कभी गन्ने के छिल्के और बारीक कड़ आ जाते हैं.

बची चाशनी का उपयोग          

-सर्वप्रथम आप बची चाशनी को एक छलनी से छान लें ताकि मिठाई के बचे टुकड़े आदि निकल जाएं.

-अब आप इसमें अमचूर पाउडर, कश्मीरी लाल मिर्च, काला नमक डालकर मीठी चटनी बना सकती हैं.

-बची चाशनी में बारीक कटे पिंड खजूर, किशमिश, 1/2 टी स्पून बड़ी इलायची पाउडर, काला नमक, काली मिर्च पाउडर और 1/2 टी स्पून सोंठ पाउडर डालकर स्वादिष्ट सोंठ बनाकर दही बडा और खस्ता कचौड़ी के साथ प्रयोग करें.

-सूजी, मूंग आटा, और मक्के का हल्वा बनाने के लिए भी आप इस चाशनी का उपयोग कर सकती हैं.

-चाशनी को कुछ देर तक पकाएं जब यह दो तार की हो जाए तो इससे आप नारियल, और बेसन की बर्फी बनाने में प्रयोग कीजिए.

ये भी पढ़ें- Winter Special: ब्रेकफास्ट में बनाएं Egg Sandwich

-चाशनी को अधिक देर तक पकाकर तीन तार की चाशनी का प्रयोग खुरमे, बताशा, और बालूशाही आदि बनाने में भी किया जा सकता है.

-चाशनी में मैदा गूंथकर स्वादिष्ट मीठी मठरी, भजिए और सूजी के मालपुए बनाए जा सकते हैं.

-चाशनी को पकाकर तीन तार का कर लें फिर इसमें भुनी तिल्ली, मूंगफली या भुने चने दाल मिलाकर स्वादिष्ट चिक्की भी बनाई जा सकती है.

– यदि आप बची चाशनी से कोई मिठाई नहीं बनाना चाहतीं तो आप इसे गैस पर तक तक पकाइए जब तक कि यह सूखकर एक दम खिलीखिली शकर के रूप में परिवर्तित न हो जाए. तैयार शकर बूरे को आप एक मोटी चलनी से छानकर एअरटाइट डिब्बे में भर लें और बेसन और मावे के लड्डू बनाने में प्रयोग करें.

Top 10 मॉडर्न किचन Appliances

आप का किचन एल शेप हो या यू शेप, मौड्यूलर हो या फिर ट्रांजिशनल, जब तक आप अपने किचन में ट्रैडिशनल कुकवेयर को हटा कर मॉडर्न ऐप्लाइंसेज और गैजेट्स को जगह नहीं देंगी, तब तक आप का किचन स्मार्ट नजर नहीं आएगा. इतना ही नहीं, नई तकनीक से बने इन किचन गैजेट्स से आप झटपट अपना काम भी निबटा सकती हैं.

आइए, मॉडर्न किचन ऐप्लाइंसेज के बारे में बारीकी से जानते हैं:

1. फूड प्रोसेसर

अपने किचन को मॉडर्न लुक देने के लिए मिक्सर को हटाइए और उस की जगह फूड प्रोसेसर को घर ले आइए. कई तरह के ब्लेड्स के साथ मिलने वाले फूड प्रोसेसर से आप न सिर्फ पीसने का काम ले सकती हैं, बल्कि खाने की सामग्री को मनचाहा काटने के साथ-साथ उसे कूट और कद्दूकस भी कर सकती हैं. यानी एक चीज से आप कई काम कर सकती हैं. फूड प्रोसेसर की कीमत लगभग 3 हजार से शुरू होती है. फूड प्रोसेसर ऐसा खरीदें जिसे साफ करना और मैंटेन करना आसान हो.

2. सैल्फी टोस्टर

सैल्फी के जमाने में सिंपल लुक वाले टोस्टर को क्या आज भी आप ने अपने किचन में सजा रखा है. यदि हां, तो आज ही उसे रिप्लेस करें सैल्फी टोस्टर से. इन दिनों सैल्फी टोस्टर डिमांड में है, जिस से आप अलग-अलग प्रिंटेड फेसेस के टोस्ट बना कर परोस सकती हैं. सैल्फी टोस्टर के साथ ये प्रिंटेड फेसेस सांचे के रूप में मिलते हैं, जिन्हें सैट करने के बाद आप हूबहू उसी तरह का प्रिंटेड ब्रैड पा सकती हैं. इस की कीमत 5 से 10 हजार रुपए है. आप ऑनलाइन इस की खरीददारी कर सकती हैं.

3. एग कुकर

रोजाना सुबह उठते ही बरतन में पानी भर कर अंडे उबालना अगर आप को भी उबाऊ लगता है, तो आज ही एग कुकर घर ले आइए और इस उबाऊ काम को आसान बनाइए. इस इलैक्ट्रिक एग कुकर की मदद से आप सिर्फ 2 से 3 मिनट में आधा दर्जन अंडे उबाल सकती हैं. इस की कीमत भी बेहद कम है. कम से कम 3 सौ और अधिक से अधिक एक हजार.

ये भी पढ़ें- इन 5 चीजों की बाथरूम में न हो Entry

4. डीप फ्रायर

फ्रैंच फ्राइस से ले कर पकौड़े तलने के लिए क्या आज भी आप कड़ाही का इस्तेमाल करती हैं? तलने के बाद टिशू पेपर की सहायता से पकौड़ों का ऐक्स्ट्रा तेल भी निकालती हैं? बेशक उस के बाद कड़ाही से ले कर किचन टाइल्स पर लगे तेल के दाग को छुड़ाने के लिए काफी मेहनत भी करती होंगी. अगर हां, तो इस झंझट से छुटकारा पाने के लिए आज ही डीप फ्रायर ले आइए. इस से न तो तलते वक्त पकौड़ों के जलने का डर रहेगा न तो यह ऐक्स्ट्रा ऑयल सोखेगा. सब से अच्छी बात यह कि आप को तेल का दाग नहीं छुड़ाना पड़ेगा. बाजार में इस की बड़ी रेंज है, जो डेढ़ से ले कर 6 हजार तक हो सकती है.

5. बार्बेक्यू ग्रिल्स

अगर आप भी डीप फ्राइड के बजाय तंदूरी फूड खाना ज्यादा पसंद करती हैं, तो अब रैस्टोरैंट में जा कर तंदूरी रोटी से ले कर तंदूरी चिकन, पनीर तंदूरी, चिकन टिक्का, गोभी टिक्का जैसी डिशेज ऑर्डर करने के बजाय बार्बेक्यू ग्रिल घर ले आइए और मनचाही तंदूरी रैसिपीज खुद बनाइए. इस ग्रिल का लुक काफी मॉडर्न होता है, इस से आप के किचन को स्टाइलिश लुक भी मिलेगा. बाजार में यह आप को 9 सौ से ले कर 5 हजार में मिल सकता है.

6. कॉफी मेकर

अगर आप को भी कॉफी पीने का शौक है, तो सुबह-शाम खुद कॉफी बनाने के बजाय कॉफी मेकर खरीद कर घर लाइए और झटपट कॉफी बनाइए. मार्केट में कई तरह के कॉफी मेकर उपलब्ध हैं, जिन की कीमत 6 सौ से शुरू होती है और 2 हजार तक हो सकती है. ऐसे में आप डिजाइन और अपनी सुविधानुसार कॉफी मेकर का चुनाव कर सकती हैं.

7. सैंडविच मेकर

वैज सैंडविच, ग्रिल्ड सैंडविच, टोस्ट सैंडविच, चीज सैंडविच जैसे ऑप्शन अगर आप भी रेस्तरां वालों की तरह नाश्ते में अपने घर वालों या फिर घर आए मेहमानों को परोसना चाहती हैं, तो तुरंत सैंडविच मेकर खरीद लीजिए. 7 सौ से 2 हजार की कीमत में मिलने वाले सैंडविच मेकर में सभी तरह के सैंडविच बनाने के साथ-साथ आप इस में आमलेट, पैनकेक, टिक्की आदि भी बना सकती हैं.

8. नूडल मशीन

अगर आप के बच्चों को नूडल्स खाना पसंद है, लेकिन आप उन की सेहत का ध्यान रखते हुए उन्हें नूडल्स खाने से रोकती हैं, तो अब ऐसा न करें, बल्कि नूडल मशीन घर ले आएं और खुद अपने हाथों से उन के लिए हैल्दी टेस्टी नूडल्स बनाएं. 1 से 3 हजार की कीमत में मिलने वाली नूडल मशीन से आप कुछ ही घंटों में नूडल्स बना सकती हैं.

इस से न तो आप को बाजार से नूडल्स खरीदने की जरूरत होगी और न ही बच्चों की सेहत की चिंता. कुछ नूडल्स मशीनों में पास्ता मेकर के भी सांचे होते हैं यानी आप एक ही मशीन से नूडल्स और पास्ता दोनों बना सकती हैं.

ये भी पढ़ें- 7 TIPS: ताकि शिफ्टिंग न बनें सिरदर्द

9. आइसक्रीम मेकर

समर सीजन में हर शाम परिवार वालों या दोस्तों के साथ आइसक्रीम पार्लर जाने के बजाय आइसक्रीम मेकर खरीदिए और खुद अलग-अलग फ्लेवर वाली आइसक्रीम बनाइए. इन दिनों मार्केट में छाए आइसक्रीम मेकर से आइसक्रीम बनाना बहुत ही आसान है. महज 30 मिनट में आप मनचाही आइसक्रीम बना सकती हैं. फ्रीजिंग से ले कर डीफ्रिजिंग का काम भी ये खुद करता है. 2 हजार से 20 हजार कीमत के आइसक्रीम मेकर मार्केट में उपलब्ध हैं.

10. डिश वाशर

घर आए खास मेहमानों के लिए तरह-तरह के पकवान बनाने से ले कर उन्हें भर पेट परोसने में कोई परेशानी नहीं होती, लेकिन जैसे ही बारी बरतन धुलने की आती है कमर दर्द करने लगती है. माना कि इस के लिए आप नौकरानी की मदद ले सकती हैं, लेकिन कभी वह घर पर नहीं हुई तो? यह सोच कर चिंता करने के बजाय आज ही डिश वाशर घर ले आएं. इस की सहायता से आप बरतन आसानी से धुल सकती हैं. बिजली से चलने वाला डिश वाशर आप को 25 हजार से ले कर 40 हजार के अंदर मिल जाएगा.

सुवीरा: घर परिवार को छोड़ना गलत है या सही

family story in hindi

दिल से जुड़ी बीमारियों का इलाज बताएं?

सवाल-

मैं 23 वर्षीय एक कालेज की स्टूडैंट हूं. मेरे परिवार में हृदय रोगों का पारिवारिक इतिहास है. क्या कुछ उपाय हैं जिन के द्वारा में इस के खतरे को कम कर सकूं?

जवाब-

आप बहुत युवा हैं. अपने खानपान को बेहतर बना कर और अनुशासित जीवनशैली का पालन कर के खतरे को कम कर सकती हैं. घर का बना सादा खाना खाएं, जंक फूड्स और तलेभुने भोजन का सेवन न करें या कम करें. रोज 30 मिनट सैर करें. 10 मिनट में 1 किलोमीटर की दूरी तय करना अच्छा रहता है. धूम्रपान और शराब के सेवन से बचें. तनाव न पालें. अपने रक्तदाब और रक्त में कोलैस्ट्रौल के स्तर को नियंत्रित रखें. नियमित रूप से अपनी जरूरी जांचें कराती रहें.

सवाल-

मेरी माताजी को टाइप-2 डायबिटीज है. मैं ने सुना है डायबिटीज के मरीजों के लिए हृदय रोगों का खतरा बढ़ जाता है. क्या इस स्थिति से बचने के लिए कुछ कदम उठाए जा सकते हैं?

जवाब

रक्त में शुगर का बढ़ा हुआ स्तर रक्तनलिकाओं को नुकसान पहुंचाता है और वे कमजोर हो जाती हैं. जिन लोगों को डायबिटीज होती है उन्हें अकसर उच्च रक्तदाब की शिकायत भी हो जाती है. ऐसी स्थिति में हृदय को शरीर में रक्त पंप करने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है. यही सब कारण मिल कर हृदय रोगों का खतरा बढ़ा देते हैं. हृदय रोगों से बचने के लिए रोज

3-4 किलोमीटर पैदल चलें. रक्त में शुगर का स्तर नियंत्रण में रखें. तनाव न पालें. लाल मांस, वसायुक्त भोजन, तलीभुनी और मीठी चीजों से परहेज करें. नियमित रूप से कार्डिएक चैकअप कराएं ताकि समय रहते कोरोनरी आर्टरी डिजीज का उपचार हो सके.

ये भी पढ़ें- मेरे पैरों में बहुत दर्द और नसें बहुत उभरी हुई दिखाई देती हैं, मैं क्या करुं

सवाल-

मेरे पति को एक हार्ट अटैक आ चुका है. उन्हें हमेशा दूसरे हार्ट अटैक की चिंता सताती रहती है. बताएं क्या करूं?

जवाब-

आंकड़ों के अनुसार जिन लोगों को एक बार हार्ट अटैक आ चुका होता है उन में से 20% लोगों को अगले 5 वर्षों में दूसरे हार्ट अटैक के कारण अस्पताल में भरती होना पड़ता है. लेकिन अगर आप के पति लगातार चिंता करते रहेंगे तो उन के लिए खतरा काफी बढ़ जाएगा. उन्हें आप अच्छी आदतें अपनाने के लिए प्रेरित करें जैसे धूम्रपान और शराब पूरी तरह छोड़ने के लिए कहें. मांस, वसायुक्त भोजन, नमक, चीनी और प्रोसैस्ड फूड्स का सेवन कम से कम करने दें. नियमित रूप से ऐक्सरसाइज करने के लिए कहें और मानसिक शांति के लिए ध्यान करने या कोई शौक पूरा करने को कहें.

सवाल-

मेरी सास की उम्र 56 वर्ष है. उन की धमनियों में ब्लौकेज है. क्या ऐंजियोप्लास्टी कराना ठीक रहेगा?

जवाब-

हृदय की मांसपेशियों को बचाने के लिए भोजन और औक्सीजन की आपूर्ति फिर से सामान्य बनाना जरूरी है. इस के लिए ऐंजियोप्लास्टी एक कारगर उपचार माना जाता है. प्राथमिक ऐंजियोप्लास्टी में रक्तनलिकाओं में जमे क्लौट को निकाल कर रक्त के प्रवाह को पुन: प्रारंभ किया जाता है.

आवश्यकता पड़ने पर एडवांस ऐंजियोप्लास्टी की जाती है जिस में धमनियों में रक्त के प्रवाह को सुधारने के लिए एक लचीली नली डाली जाती है. ऐंजियोप्लास्टी

कराने के बाद हार्ट अटैक का खतरा कम हो जाता है. समय पर ऐंजियोप्लास्टी कराने से हृदय की मांसपेशियों को क्षतिग्रस्त होने से बचाया जा सकता है.

सवाल-

मैं 51 वर्षीय घरेलू महिला हूं. सीढि़यां चढ़नेउतरने में मेरी सांस बहुत फूलती है और दिल की धड़कनें भी काफी तेज हो जाती हैं. बताएं ऐसा क्यों होता है?

जवाब-

एकसाथ कई सीढि़यां चढ़ने पर अकसर लोगों की सांस फूलने लगती है, जो सामान्य है. लेकिन अगर 3-4 सीढि़यां चढ़ने पर ही आप की सांस फूलने लगे तो इस का कारण मोटापा, श्वसनतंत्र से संबंधित समस्याएं या हृदय रोग हो सकता है. शारीरिक सक्रियता बढ़ने पर हृदय की धड़कनें थोड़ी बढ़ जाती हैं क्योंकि शरीर की बढ़ी हुई जरूरत के कारण हृदय को अधिक रक्त पंप करना पड़ता है. यदि धड़कनें काफी तेज हो जाती हैं और सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है तो आप किसी हृदय रोग विशेषज्ञा को दिखाएं. जरूरी जांच करने पर ही कारण स्पष्ट हो पाएगा.

ये भी पढ़ें- मेनोपोज और ब्रेस्ट कैंसर क्या अनुवांशिक है?

सवाल-

मेरे पति चेन स्मोकर हैं. क्या धूम्रपान करने से हृदय रोगों का खतरा बढ़ जाता है?

जवाब-

धूम्रपान हृदय रोगों के लिए एक सब से प्रमुख जोखिम कारक माना जाता है. लंबे समय तक धूम्रपान करने से रक्तवाहिकाओं में फैटी ऐसिड जमा हो जाता है जिस से रक्त का सामान्य प्रवाह प्रभावित होता है. तंबाकू में मौजूद विषैले पदार्थ रक्तनलिकाओं को संकरा और क्षतिग्रस्त कर देते हैं जिस से रक्त में थक्के बनने का खतरा बढ़ जाता है और रक्तसंचार प्रभावित होता है. इस से हृदय रोगों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है. अपने पति को तुरंत धूम्रपान बंद करने को कहें. किसी अच्छे हृदय रोग विशेषज्ञा को दिखाएं ताकि कुछ जरूरी जांचों के बाद पता लगाया जा सके कि धूम्रपान ने उन के हृदय और रक्तनलिकाओं को कितना नुकसान पहुंचाया है.

ये भी पढ़ें- बढ़ रहा है हार्ट अटैक का खतरा, ऐसे रखें दिल का ख्याल

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

Anupamaa के सामने आएगा मालविका का अतीत, वनराज को होगी अनुज से जलन

सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupamaa) की टीआरपी इस बार भी पहले नंबर पर बना हुआ है. सीरियल की बात करें तो अनुज (Gaurav Khanna) और मालविका (Aneri Vajani) के रिश्ते का सच जानने के बाद वनराज (Sudhanshu Panday) अपनी प्लानिंग में लग गया है. वहीं काव्या (Madalsa Sharma), अनुपमा (Rupali Ganguly) को वनराज के खिलाफ करती नजर आ रही है. इसी बीच सीरियल में मालविका का अतीत सामने आने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

अनुज से जलन महसूस करेगा वनराज

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि वनराज की बजाय अनुज के प्रैसेंटेशन देने के लिए मालविका कहेगी. वहीं वह जीत भी जाएंगे और मालविका, अनुज की तारीफ करेगी, जिसे सुनकर वनराज चिढ़ जाएगा. वहीं अनुपमा को वनराज के गुस्से का एहसास हो जाएगा और वह परेशान नजर आएगी.

ये भी पढ़ें- Imlie के आदित्य ने छोड़ा सीरियल, अब क्या करेगी मालिनी

मालविका को आएगा पैनिक अटैक

दूसरी तरफ जहां काव्या की न्यू ईयर पार्टी में मालविका आने के लिए मना कर देगी. लेकिन अनुपमा एक गेम खेलकर मालविका को पार्टी में आने के लिए मना लेगी. इसी बीच घर जाते समय एक आदमी एक औरत को मार रहा होगा, जिसे देखकर मालविका घबरा जाएगी और उसे पैनिक अटैक आ जाएगा. वहीं मालविका की हालत देखकर अनुज, अनुपमा को उसके अतीत के बारे में बताता नजर आएगा.

मालविका पर बरसती है काव्या

अब तक आपने देखा कि जीके, अनुपमा से अपने दिल की बात अनुज को बताने के लिए कहते हैं. लेकिन अनुपमा सही वक्त आने पर दिल का इजहार करने के लिए कहती है. वहीं अनुपमा और जीके को बात करता देख अनुज परेशान नजर आता है. दूसरी तरफ बा और मालविका की बौंडिंग देखकर काव्या को जलन महसूस होती है औऱ वह मालविका पर बरसती हुई नजर आती है.

ये भी पढ़ें- अनुज के लिए वनराज का गुस्सा आएगा सामने, क्या करेगी Anupama

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें