Alia Bhatt करने जा रही है ग्लोबल डेब्यू, पढ़ें खबर

आज आलिया बॉलीवुड में टॉप के बड़े फिल्म सितारों में से एक है, अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दर्शकों को प्रभावित करने के लिए पूरी तरह से तैयार है. यह फिल्म भारत के सबसे बड़े बॉलीवुड सितारों में से एक के रूप में चार फिल्मफेयर पुरस्कार विजेता आलिया की वैश्विक शुरुआत को चिह्नित करती है, जो उसने बहुत ही कम समय में पा लिया है. उनकी मेहनत और लगन हमेशा फिल्मों में किसी न किसी रूप में देखी गयी है, जिसे दर्शकों ने काफी सराहा है. अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा, दीपिका पादुकोण की श्रेणी में आज अलिया भी शामिल होने वाली है, जो उनके परिवार के लिए गर्व की बात है. आलिया ने लगभग हर बड़े निर्देशक के साथ काम किया है और मानती है कि किसी कलाकार के कला को निखारने में निर्देशक का बड़ा हाथ होता है.

संजय लीला भंसाली द्वारा निर्देशित उनकी हाल ही में रिलीज़ हुई फिल्म “गंगूबाई काठियावाड़ी”, बॉक्स ऑफिस पर एक सफल फिल्म बन चुकी है. फिल्म ने पिछले सप्ताह के अंत में तीसरी सबसे बड़ी ओपनिंग हासिल की और और महामारी की शुरुआत के बाद से बॉलीवुड फिल्म के लिए सबसे बड़ी गैर-हॉलिडे ओपनिंग साबित हुई है, हालांकि ये फिल्म काफी पहले बन चुकी थी, लेकिन इस लार्जर देन लाइफ फिल्म को भंसाली सिनेमा हॉल में रिलीज करना चाहते थे.संजय ने वैसा ही किया और अब रिलीज किया है.

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जोया अख्तर द्वारा निर्देशित उनकी 2019 की फिल्म “गली बॉय”, उस वर्ष के बर्लिन फिल्म महोत्सव में प्रीमियर हुई थी और एक अंतरराष्ट्रीय हिट बन गई थी, जिसने अब तक दुनिया भर में $ 25M से अधिक की कमाई की है. यह फिल्म 2020 के ऑस्कर में सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा फिल्म के तौर पर भारत की आधिकारिक प्रस्तुति थी. अलिया जानती है कि किस तरह से उसे लाइम लाइट में रहना है. ITA अवार्ड फंक्शन में अलिया प्लास्टिक की साड़ी में प्रवेश किया, तो सभी ने उसका मजाक उड़ाया, लेकिन बाद में पता चला कि वह कोई मामूली साड़ी नहीं है बल्कि आलिया की स्टर्लिंग सिल्वर साड़ी रिसाइकल नायलॉन बेस और डिग्रेडेबल फॉक्स लेदर (अशुद्ध चमड़े) से मिलकर तैयार की गई है, जिसमें मैटेलिक पैराशूट का भी प्रयोग किया गया है.

फ़िल्मी परिवार में जन्मी आलिया अपने पेरेंट्स के बहुत कारीब है और किसी भी बात को वह कहने से हिचकिचाती नहीं. 28 साल की आलिया हर तरीके की फिल्म में काम करना पसंद करती है और ये मौका उसे मिल भी रहा है. International women’s day पर महिलाओं के लिए अलिया का कहना है कि मैं अपने आसपास इतनी महिला कर्मचारी को देखकर बहुत खुश होती हूँ, क्योंकि उनका काम के प्रति समर्पण बहुत अधिक होता है, इसलिए अधिकतर कंपनियों में भी महिला कर्मचारी को अधिक प्राथमिकता दी जाती है.मैं खुद महिला होकर गर्वित हूँ.

उनकी अंतर्राष्ट्रीय अपील (इंस्टाग्राम पर 60 मिलियन से अधिक फॉलोअर्स सहित) को स्वीकार करते हुए, द अकादमी ने उन्हें 2020 के क्लास में शामिल किया.

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कुछ पल का सुख: क्यों था ऋचा के मन में आक्रोश- भाग 1

मालती ने घड़ी देखी. सुबह के साढ़े 5 बजे थे. इतनी सर्दी में मन नहीं हुआ कि रजाई छोड़ कर उठे लेकिन फिर तुरंत ध्यान आया कि बगल के कमरे में बहू लेटी है, उस का हुक्म है कि जब ताजा पानी बहुत धीमा आ रहा हो तो उसी समय भर लेना चाहिए इसलिए मन और शरीर के साथ न देने पर भी वह उठ कर रसोई की ओर चल दी.

धीमी धार के नीचे बालटी लगा कर मालती खड़ी हो गई. पानी की धार के साथसाथ ही उस के विचारों की शृंखला भी दौड़ने लगी. वह सोचने लगी कि किस तरह उस की बहू ने बड़ी चालाकी और होशियारी से उस के घर और बेटे पर पूर्ण अधिकार कर लिया और उसे खबर भी न होने पाई.

राजीव उस की इकलौती संतान है. विवाह के 10 वर्ष बाद जब राजीव ने जन्म लिया तो मालती और उस के पति सुधीर की प्रसन्नता का ठिकाना न रहा. दोनों अपने बेटे को देख कर खुशी से फूले न समाते थे. धीरेधीरे राजीव बड़ा होने लगा. जब वह स्कूल जाने लगा तो मालती के आंचल में मुंह छिपा कर कहता, ‘मां, मैं इतनी देर तक स्कूल में तुम्हारे बिना कैसे रहूंगा, मुझे तुम्हारी याद आती है.’

उस की भोली बातें सुन कर मालती को हंसी आ जाती, ‘स्कूल में और भी तो बच्चे होते हैं, राजू, वे भी तो अपनी मम्मियों को छोड़ कर आते हैं.’

‘आते होंगे, उन की मम्मियां उन से प्यार ही नहीं करती होंगी.’

‘अच्छा, तो क्या दुनिया में आप की मम्मी ही आप से प्यार करती हैं और आप अपनी मम्मी को,’ कह कर मालती प्यार से राजीव को अपने आंचल में समा लेती.

फिर जब राजीव की नौकरी लगी तो उसे एक ही रट लगी रहती कि अब तू जल्दी से शादी कर ले. वह चाहती थी कि जल्द से जल्द घर में बहू आ कर उस के सूनेपन को भर दे लेकिन राजीव सदा ही इनकार कर देता. जब मालती के लाए सभी रिश्तों के लिए वह मना करता गया तो उसे कुछ शक हुआ. उस ने पूछा, ‘देख, अगर तू ने खुद ही कोई लड़की देख ली है तो बता दे, मैं बेकार ही बहू ढूंढ़ने की परेशानी उठाती फिर रही हूं.’

आखिर राजीव ने उसे अपने मन की बात बता दी कि वह लड़की उस के साथ ही आफिस में काम करती है.

‘कब से जानता है तू उसे?’

‘यही कोई 6-7 महीने से.’

‘दिखने में कैसी है?’

‘बहुत सुंदर है मां, और बहुत ही अच्छी,’ राजीव बोला, ‘तुम पापा से बात करो न.’

सुन कर मालती मुसकरा दी पर साथ ही हृदय में हौले से कहीं कुछ कचोट गया. जीवन में पहली बार उस के बेटे ने कोई बात उस से छिपाई थी पर क्षमा करने का अद्भुत गुण भी  था उस के भीतर. उस ने सुधीर से इस बारे में बात की तो वह भी इस रिश्ते के लिए तैयार हो गए. आखिर राजीव और ऋचा का विवाह संपन्न हो गया.

राजीव के विवाह के बाद मालती की प्रसन्नता का ठिकाना न था. ऋचा का स्वभाव भी ठीक था. मालती का जीवन बड़े ही शांतिपूर्ण ढंग से कट रहा था कि तभी सुधीर का हार्ट फेल होने से देहांत हो गया.

खुशियों की उम्र इतनी छोटी होगी उस ने सोचा भी न था. बेटे के प्रेम में वह कब पति को भूल गई थी इस का अनुभव उसे सुधीर से बिछड़ने के बाद हुआ. व्याकुल हो कर वह सुधीर की एकएक बात याद करती. उसे याद आता सुधीर हंस कर कहा करते थे, ‘हर समय बेटाबहू के आगेपीछे घूमती रहती हो, कभी दो घड़ी मेरे पास भी बैठ जाया करो. ऐसा न हो कि बाद में पछताती फिरो.’

मालती उन बीते हुए क्षणों को लौटा लेने के लिए विकल हो उठती मगर अब यह संभव नहीं था.

फिर ऋचा ने धीरेधीरे बड़ी चालाकी से उस से काम लेना शुरू किया, ‘मां, मैं नहाने जा रही हूं. आप जरा राजीव का टिफिन तैयार कर देंगी.’

सरल स्वभाव की मालती, ऋचा की बातों को समझ नहीं पाती. खुद ही कह देती, ‘तुम नहा लो, बहू, खाना मैं बना देती हूं.’

फिर उसे पता ही नहीं चला और रसोई की सारी जिम्मेदारी धीरेधीरे उस के ऊपर ही आ गई. सुबह नाश्ता बनाने से ले कर रात का खाना तक वही बनाती है. जब सुधीर थे तब परिस्थिति ऐसी कभी नहीं थी. काम तो वह तब भी करती थी पर कभी ऐसा प्रतीत नहीं हुआ कि वह किसी के अधीन है. पहले यहां जो कुछ था उस का अपना था. अब वह जो भी काम करती है उस में ऋचा जानबूझ कर मीनमेख निकाल कर उसे अपमानित करती रहती है.

जब से राजीव का प्रमोशन हुआ है तब से वह काम में अधिक व्यस्त रहने लगा है. मालती को बेटे से कोई शिकायत नहीं है. बस, है तो केवल यह दुख कि जो बेटा बचपन में उस से एक पल भी दूर नहीं रह पाता था, आज उसी के पास उस से बात तक करने का समय नहीं रह गया है. इस कमी को वह अपने 5 वर्षीय पोते रमन के साथ खेल कर पूरा कर लेती है लेकिन ऋचा को दादी का यह स्नेह भी अच्छा नहीं लगता.

जिस घर के बनने पर उस ने पति का हाथ थाम कर गृहस्वामिनी बन कर प्रवेश किया था आज उसी घर में उस की स्थिति एक नौकरानी जैसी हो गई है.

‘‘मां,’’ तभी ऋचा ने उसे आवाज दी और वह अतीत की यादों से वर्तमान में लौट आई. उस ने घबरा कर पानी भरना छोड़ चाय का पानी गैस पर रख दिया.

ऋचा का मायका उसी शहर में होने के कारण वह कभी अपने घर रहने नहीं जाती थी. यदि सुबह गई तो शाम तक वापस आ जाती थी. एक दिन उस की बूआ के बेटे की शादी का दिल्ली से निमंत्रणपत्र आया. ऋचा ने राजीव से कहा तो राजीव बोला, ‘‘मैं तो नहीं जा पाऊंगा, तुम रमन को ले कर चली जाओ.’’

‘‘ठीक है. फिर मेरा 2 दिन बाद का रिटर्न टिकट भी यहीं से करा देना.’’

अगले हफ्ते ऋचा, रमन को ले कर दिल्ली चली गई. ट्रेन में बिठा कर राजीव लौटा तो काफी रात हो गई थी. थका हुआ राजीव आ कर तुरंत सो गया.

मालती का प्रतिदिन का यह नियम है कि उसे सुबह ठीक साढ़े 5 बजे उठ कर पीने का पानी भरना होता था. अगले दिन सुबह उसी समय उस की आंख खुल गई लेकिन फिर उस ने आराम से रजाई में मुंह ढक लिया.

जड़ों से जुड़ा जीवन: भाग 2- क्यों दूर गई थी मिली

कहानी- वीना टहिल्यानी

आखिर फरीदा ने ही धीरज धरा. अपनी पकड़ को शिथिल किया. फिर आंचल से आंसू पोंछे. भरे गले से बच्ची को समझाया, ‘जा बेटी, जा…बीती को भूल जा…अब यही तेरे मातापिता हैं… बिलकुल सच्चे…बिलकुल सगे. तू तो बड़ी तकदीर वाली है बिटिया जो तुझे इतना अच्छा घर मिला, अच्छा परिवार मिला… यहां क्या रखा है? वहां अच्छा खाएगी, अच्छा पहनेगी, खूब पढ़ेगी और बड़ी हो कर अफसर बनेगी…मेरी बच्ची यश पाए, नाम कमाए, स्वस्थ रहे, सुखी रहे, सौ बरस जिए…जा बिटिया, जा…मुड़ कर न देख, अब निकल ही जा…’ कहतेकहते फरीदा ने उसे गोद से उतारा और मिली उर्फ मृणाल की उंगली मिसेज ब्राउन को पकड़ा दी.

नई मां की उंगली पकड़ कर मिली, मृणाल से मर्लिन बन गई. नया परिवार पा कर कितना कुछ पीछे छूट गया पर यादें हैं कि आज भी साथ चलती हैं. बातें हैं कि भूलती ही नहीं.

घर के लाल कालीन पर पैर रखते ही मिली को लाल फर्श वाले बाल आश्रम के लंबे गलियारे याद आ जाते जिन पर वह यों ही पड़ी रहती थी…बिना चादरचटाई के. उन गलियारों की स्निग्ध शीतलता आज भी उस के पोरपोर में रचीबसी है.

मिली को शुरुआत में लंदन बड़ा ही नीरव लगा था. सड़कों पर कोलकाता जैसी भीड़ नहीं थी और पेड़ भी वहां जो थे हरे भरे न थे. सबकुछ जैसे स्लेटी. मिली को कुछ भी अपना न दिखता. दिल हरदम देश और अपनों के छूटने के दर्द से भरा रहता. मन करता कि कुछ ऐसा हो जाए जो फिर वह वापस वहीं पहुंच जाए.

मौम उस का भरसक ध्यान रखतीं. खूब दुलार करतीं. डैड कुछ गंभीर से थे. कुछकुछ विरक्त और तटस्थ भी. उसे गोद लेने का मौम का ही मन रहा होगा, ऐसा अब अनुमान लगाती है मिली.

यहां सब से भला उस का भाई जौन है. उस से 8 साल बड़ा. खूब लंबा, ऊंचा, गोराचिट्टा. मिली ने उसे देखा तो देखती ही रह गई.

पहले परिचय पर घुटनों के बल बैठ कर जौन ने उस के छोटेछोटे हाथों को अपने दोनों हाथों में ले लिया फिर हौले से उसे अंक में भर लिया. कैसा स्नेह था उस स्पर्श में, कैसी ऊष्मा थी उस आलिंगन में, मानो पुरानी पहचान हो.

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मिली के मन में आता कि वह उसे दादा कह कर बुलाए. अपने देश में तो बड़े भाई को दादा कह कर ही पुकारते हैं. पर यहां संभव न था. यहां और वहां में अनेक भेद गिनतेबुनते मिली हर पल हैरानपरेशान रहती.

अपनी अलग रंगत के कारण मिली स्कूल में भी अलग पहचानी जाती. सहज ही सब से घुलमिल न पाती. कैसी दूरियां थीं जो मिटाए न मिटतीं. सबकुछ सामान्य होते हुए भी कुछ भी सहज न था. मिली को लगता, चुपचाप कहीं निकल जाए या फिर कुछ ऐसा हो जाए कि वह वापस वहीं पहुंच जाए पर ऐसा कुछ भी न हुआ. मिली धीरेधीरे उसी माहौल में रमने लगी. मां के स्नेह के सहारे, भाई के दुलार के बल पर उस ने मन को कड़ा कर लिया. अच्छी बच्ची बन कर वह अपनी पढ़ाई में रम गई.

अंधेरा घिरने लगा था. गुडनाइट बोल कर मिसेज स्मिथ कब की जा चुकी थीं और मिली स्थिर सी अब भी वहीं डाइनिंग टेबल पर बैठी थी…अपनेआप में गुमसुम.

दरवाजे में चाबी का खटका सुन मिली अतीत की गलियों से निकल कर वर्तमान में आ गई…

एक हाथ में बैग, दूसरे में कापीकिताबों का पुलिंदा लिए ब्राउन मौम ने प्रवेश किया और सामने बेटी को देख मुसकराईं.

मिली के सामने खाली प्लेट पड़ी देख वह कुछ आश्वस्त सी हुईं.

‘‘ठीक से खाया… गुड, वैरी गुड…’’

इकतरफा एकालाप. फिर बेटी के सिर में हाथ फेरती हुई बोलीं, ‘‘मर्लिन, मैं ऊपर अपने कमरे में जा रही हूं, बहुत थक गई हूं…नहा कर कुछ देर आराम करूंगी… फिर पेपर सैट करना है…डिनर मैं खुद ले लूंगी…मुझे डिस्टर्ब न करना. अपना काम खत्म कर सो जाना,’’ कहतेकहते मिसेज ब्राउन सीढि़यां चढ़ गईं और मिली का दिल बैठ गया.

‘काम…काम…काम…जब समय ही न था तो उसे अपनाया ही क्यों? साल पर साल बीत गए फिर भी यह सवाल बारबार सामने पड़ जाता. समाज सेवा करेंगी, सब की समस्याएं सुलझाती फिरेंगी पर अपनी बेटी के लिए समय ही नहीं है. यह सोच कर मिली चिढ़ गई.

जब से जौन यूनिवर्सिटी गया था मिली बिलकुल अकेली पड़ गई थी. सुविधासंपन्न परिवार में सभी सदस्यों की दुनिया अलग थी. सब अपनेआप में, अपने काम में व्यस्त और मगन थे.

पहले ऐसा न था. लाख व्यस्तताओं के बीच भी वीकएंड साथसाथ बिताए जाते. कभी पिकनिक तो कभी पार्टी, कभी फिल्म तो कभी थिएटर. यद्यपि मूड बनतेबिगड़ते रहते थे फिर भी वे हंसते- बोलते रहते. हंसीखुशी के ऐसे क्षणों में मौम अकसर ही कहती थीं, ‘मर्लिन थोड़ी और बड़ी हो जाए, फिर हम सब उस को इंडिया घुमाने ले जाएंगे.’

मिली सिहर उठती. उसे रोमांच हो आता. उस का मन बंध जाता. उसे मौम की बात पर पूरा यकीन था.

डैड भी तब मां को कितना प्यार करते थे. उन के लिए फूल लाते, उपहार लाते और उन्हें कैंडिल लाइट डिनर पर ले जाते. मौम खिलीखिली रहतीं लेकिन डैड के एक अफेयर ने सबकुछ खत्म कर दिया. घर में तनातनी शुरू हो गई. मौम और डैड आपस में लड़नेझगड़ने लगे. परिवार का प्रीतप्यार गड़बड़ा गया. उन्हीं दिनों जौन को यूनिवर्सिटी में प्रवेश मिल गया और भाई के दूर जाते ही अंतर्मुखी मिली और भी अकेली पड़ गई.

मौम और डैड के बीच का वादविवाद बढ़ता गया और एक दिन बात बिगड़ कर तलाक तक जा पहुंची. तभी डैड की गर्लफ्रेंड ने कहीं और विवाह कर लिया और मौमडैड का तलाक टल गया. उन्होंने आपस में समझौता कर लिया. बिगड़ती बात तो बन गई पर दिलों में दरार पढ़ गई. अब मौम और डैड 2 द्वीप थे जिन्हें जोड़ने वाले सभी सेतु टूट चुके थे.

उन के रिश्ते बिलकुल ही रिक्त हो चुके थे. मन को मनाने के लिए मौम ने सोशल सर्विस शुरू कर ली और डैड को पीने की लत लग गई. कहने को वे साथसाथ थे, पर घर घर न था.

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मिली को अब इंतजार रहता तो बस, जौन के फोन का लेकिन जब उस का फोन आता तो वह कुछ बोल ही न पाती. भरे मन और रुंधे गले से बोलती उस की आंखें…बोलते उस के भाव.

जौन फोन पर झिड़कता, ‘‘मर्लिन… मुंह से कुछ बोल…फोन पर गरदन हिलाने से काम नहीं चलता,’ और मिली हंसती. जौन खिलखिलाता. बहुत सी बातें बताता. नए दोस्तों की, ऊंची पढ़ाई की. वह मिली को भी अच्छाअच्छा पढ़ने को प्रेरित करता. खुश रहने की नसीहतें देता. मिली उस की नसीहतों पर चल कर खूब पढ़ती.

मिसेज ब्राउन ने अपने को पूरी तरह से काम में झोंक कर अपनी सेहत को खूब नकारा था. अचानक वह बीमार पड़ीं और डाक्टर को दिखाया तो पता चला कि उन्हें कैंसर है और वह अंतिम स्टेज में है. मिली ने सुना तो सकते में आ गई. लेकिन मौम बहादुर बनी रहीं. जौन मिलने आया तो उसे भी समझाबुझा कर वापस भेज दिया. उस की पीएच.डी. पूरी होने वाली थी. मां के लिए उस की पढ़ाई का हर्ज हो यह मिसेज ब्राउन को मंजूर न था.

मां के समझाने पर मिली सामान्य बनी रहती और रोज स्कूल जाती. बीमार अवस्था में भी मौम अपना और अपने दोनों बच्चों का भी पूरा खयाल रखतीं. डैड अपनेआप में ही रमे रहते. पीते और देर रात गए घर लौटते थे.

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Aditya Narayan ने 15 साल बाद कहा SaReGaMaPa को अलविदा

टीवी के जाने माने होस्ट आदित्य नारायण (Aditya Narayan) इन दिनों सुर्खियों में हैं. जहां बीते दिनों वह बेटी के पिता बने हैं तो वहीं अब उन्होंने अपना  सालों पुराना शो ‘सारेगामापा’ (Sa Re Ga Ma Pa) को अलविदा कहने का फैसला कर लिया हैं. हालांकि इसका ऐलान एक्टर ने अपने सोशलमीडिया के जरिए फैंस को कहा है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

शो छोड़ने का लिया फैसला

बीते 6 मार्च को शो सा रे गा मा पा का फिनाले हुआ था, जिसमें नीलांजना रे (Neelanjana Ray) ने शो का खिताब अपने नाम किया था. वहीं एक्टर ने इन्हीं पलों की फोटोज शेयर करते हुए होस्टिंग छोड़ने का फैसला फैंस को सुनाया है. दरअसल, फोटोज के साथ आदित्य नारायण ने कैप्शन में लिखा, ‘ बड़े भारी मन के साथ, मैं अपने सालों पुराने शो सारेगामापा की होस्टिंग को छोड़ रहा हूं, जिसने मुझे पहचान दी. 18 साल के एक यंग लड़के से खूबसूरत पत्नी और एक बच्ची के साथ यह पूरे 15 साल, 9 Season, 350 एपिसोड, सचमुच समय बहुत आगे बढ़ गया है. इसी के साथ उन्होंने शो से जुड़े सभी लोगों को थैंक्यू भी कहा है.

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विशाल ददलानी समेत लोगों ने दी शुभकामनाएं

आदित्य नारायण के फैसले से जहां फैंस दुखी हैं तो वहीं सेलेब्स उन्हें करियर की शुभकामनाएं दे रहे हैं. वहीं शो के जज विशाल ददलानी उन्हें कमेंट में कह रहे हैं कि ‘मैं क्या बोलूं… तुम्हारा पहला सारेगामापा मेरा पहला सारेगामापा और जो कुछ भी हमने इससे पाया है. इससे मुझे उम्मीद है तुम अपना मन बदलोगे. तुम्हारा म्यूजिक , जो इतना कामयाब हुआ कि तुम्हारे पास टीवी करने का समय नहीं है. कोई नहीं, मैं रह लूंगा तुम्हारे बगैर. जा, आदि….जी ले अपनी जिंदगी! लव यू.’

बता दें, हाल ही में 24 फरवरी को आदित्य नारायण बेटी के पिता बने हैं, जिसके चलते वह काफी खुश हैं. वहीं बेटी के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताना चाहते हैं. इसके अलावा वह कुछ बड़ा करने की तैयारी भी कर रहे हैं, जिसके लिए वह टीवी और अपने काम से थोड़ा ब्रेक लेने की बात कह चुके हैं.

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Anupamaa की ‘नंदिनी’ ने छोड़ी एक्टिंग, इस वजह से हुई TV इंडस्ट्री से दूर

टीवी सीरियल अनुपमा (Anupamaa) के सितारे आए दिन सुर्खियों में रहते हैं. जहां सीरियल में इन दिनों फैमिली ड्रामा देखने को मिल रहा है तो वहीं सीरियल से जुडी एक्ट्रेस ने एक्टिंग छोड़ने का फैसला कर लिया है. जी हां, सीरियल अनुपमा में समर की मंगेत्तर नंदिनी के रोल में नजर आने वाली एक्ट्रेस अनघा भोसले (Anagha Bhosale) ने अचानक एक्टिंग से ब्रेक लेने का फैसला लिया है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

एक्टिंग छोड़ने का बताया कारण

खबरों की मानें तो हाल ही में एक्ट्रेस अनघा भोसले ने अचानक सीरियल अनुपमा को छोड़ दिया था, जिसके चलते फैंस उन्हें काफी याद कर रहे थे. वहीं उनके को स्टार सोशलमीडिया के जरिए उनका हाल जानते नजर आए थे. वहीं अब एक इंटरव्यू में अनघा भोसले ने एक्टिंग की दुनिया छोड़ने के बारे में बताया है. दरअसल, एक्ट्रेस ने कहा है, ‘मैं अंदर से आध्यात्मिक हूं और ऐसे कामों में दिल से शामिल होती हूं. काम करने के दौरान महसूस किया है कि मैं इसके बारे में इस इंडस्ट्री के बारे में जो सोचती थी, वो पूरी तरह से गलत था. यहां चीजें मेरी सोच से एकदम अलग हैं. इंडस्ट्री में बहुत पॉलिटिक्स है और लोग एक-दूसरे के ऊपर चढ़कर आगे बढ़ना चाहते हैं. यहां हमेशा खूबसूरत दिखने का दवाब रहता है.

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एक्ट्रेस ने दबाव की कही बात

इंडस्ट्री के बारे में अनघा कहती हैं कि यहां हर वक्त लोगों पर सोशल मीडिया में एक्टिव रहने का दवाब रहता है और मैं ऐसी नहीं हूं, जिसके कारण मुझे इन चीजों को एक्सेप्ट करने में वक्त लगा है. इस इंडस्ट्री से जुड़े लोग सच्चे नहीं हैं क्योंकि यहां हर मोड़ पर दोगले इंसान देखने को मिलते हैं. मैं इन सारी चीजों से दूर होकर आध्यात्म की राह पर चलना चाहती हूं, ताकि मुझे शांति मिल सके.’ हालांकि एक्ट्रेस ने कहा है कि अगर अनुपमा के निर्माता राजन शाही उन्हें दोबारा बुलाते हैं तो वह एक्टिंग की दुनिया में वापस आएंगी. वहीं एक्ट्रेस के इस फैसले से उनके फैंस कयास लगा रहे हैं कि उनका ये फैसला अनुपमा शो से जुड़ा हुआ है.

 

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बता दें, एक्ट्रेस अनघा भोसले से पहले ये रिश्ता क्या कहलाता है कि एक्ट्रेस मोहेना सिंह ने भी एक्टिंग की दुनिया छोड़ने का फैसला किया है. हालांकि उनका ये फैसला शादी के चलते लिया गया था.

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मेरे न्यू बौर्न बेबी की हार्ट प्रौब्लम के कारण मौत हो गई, कृपया इसका कारण बताएं?

सवाल-

मैं 20 वर्षीय विवाहिता हूं. 4 महीने पहले मैं ने एक बेटे को जन्म दिया था. बच्चे को कोई हार्ट प्रौब्लम थी और उस का पेट भी सामान्य से बड़ा था. शायद इसीलिए औपरेशन से प्रसव होने के 13 घंटों के बाद ही मेरे बेटे की मृत्यु हो गई. प्रसव से पूर्व सब कुछ ठीक था अर्थात प्रसवावस्था में मुझे कोई समस्या नहीं थी. फिर मेरे बच्चे के साथ ऐसा क्यों हुआ? मैं बहुत दुखी रहती हूं.

जवाब-

एक मां 9 महीने तक जिस शिशु को अपने गर्भ में रखती है, जिस के लिए कष्ट सहती है, उसे अपनी गोद में लेने और उस पर अपनी ममता लुटाने के सपने देखती है. पर जब उस सपने को यों ठेस पहुंचती है तो मायूस होना लाजिम है. आप को स्वयं को इस दुख से उबारना होगा. साथ ही अपने स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना होगा. अभी आप की उम्र बहुत कम है. आप थोड़े अंतराल के बाद किसी स्त्रीरोग विशेषज्ञा की देखरेख में दोबारा गर्भधारण कर सकती हैं.

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अबौर्शन कराने का निर्णय कठोर और साहसिक निर्णय होता है. कुछ महिलाएं विवाह से पहले अनचाहे गर्भ से, तो कुछ विवाह बाद के अनप्लान्ड गर्भ से छुटकारा पाने के लिए अबौर्शन कराती हैं. कई महिलाओं को बच्चे की चाह रखने के बावजूद चिकित्सकीय या सामाजिक दबाव के कारण यह निर्णय लेना पड़ता है. अबौर्शन में कई शारीरिक और मानसिक बदलावों से गुजरना पड़ता है. अबौर्शन सर्जरी या दवाईयों के द्वारा किया जाता है.

ये शारीरिक लक्षण चिंता का कारण

वैसे तो अधिकतर अबौर्शन सुरक्षित होते हैं, लेकिन फिर भी दूसरे सर्जिकल प्रोसैस की तरह इस में कई जटिलताएं और जोखिम होते हैं. अबौर्शन के बाद ये शारीरिक लक्षण चिंता का कारण हो सकते हैं:

– 48 घंटे से अधिक समय तक 100 डिग्री से अधिक बुखार रहना.

– अत्यधिक ब्लीडिंग.

– वैजाइना से रक्त के बड़ेबड़े थक्के निकलना.

– अबौर्शन के 4-5 दिन बाद तक ब्लीडिंगजारी रहना.

– पेट में मरोड़ और अत्यधिक दर्द होना.

– वैजाइना से ऊतकों का डिसचार्ज होना.

– वैजाइना से निकलने वाले डिसचार्ज सेदुर्गंध आना.

– मूत्र और मल त्याग की आदत में बदलाव आना.

– पेशाब और मल में रक्त आना.

– चक्कर आना, बेहोशी छाना.

– कमजोरी महसूस होना.

– अवसादग्रस्त अनुभव करना.

– भूख न लगना.

– सोने में समस्या आना.

अबौर्शन कराने के बाद प्रैगनैंसी हारमोन भी शरीर में रहते हैं यानी अबौर्शन के बाद शरीर और हारमोन सिस्टम को सामान्य अवस्था में आने में 1 से 6 हफ्ते लग सकते हैं. आमतौर पर अबौर्शन सुरक्षित होता है. 100 में से 1 महिला मेंही गंभीर लक्षण दिखाई देते हैं. अबौर्शन के बाद के ये समस्याएं हो सकती हैं:

पूरी खबर पढ़ने के लिए- अबौर्शन: क्या करें क्या नहीं

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

ले न डूबे यह लत

लोग बिस्तर तक मोबाइल से चिपके रहते हैं. मगर उन की यह लत उन्हें भारी पड़ सकती है क्योंकि हाल ही में अमेरिकन जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार हफ्ते में 20 घंटे से ज्यादा टीवी या मोबाइल फोन देखने से पुरुषों के स्पर्म प्रोडक्शन में 35% तक की कमी आ सकती है. रिपोर्ट के मुताबिक 1 दिन में 5 घंटे से ज्यादा टीवी देखने वालों के शरीर में स्पर्म काउंट में भारी कमी आती देखी गई है.

इस के ठीक उलट कंप्यूटर पर रोजमर्रा का औफिस का दिनभर काम करते रहने वालों के शरीर में ऐसी कोई कमी नहीं देखी गई. ऐसे लोगों के न तो स्पर्म काउंट में कोई कमी देखी गई और न ही उन के शरीर में टेस्टोस्टेरौन हारमोन के स्तर में कोई कमी आई. इस का एक कारण यह भी हो सकता है कि ऐसे लोग जो बहुत ज्यादा टीवी देखते हों, पर ज्यादा ऐक्सरसाइज नहीं करते हों और न ही हैल्दी खाना खाते हों, तो ये दोनों ही आदतें उन की फर्टिलिटी पर प्रभाव डालती हैं.

इन्फर्टिलिटी का बड़ा कारण

टीवी या मोबाइल पर फिल्में देखने वालों का दिमाग एक तरह से काम करना बंद कर देता है. जंक फूड के अत्यधिक सेवन और आलस भरे लाइफस्टाइल के चलते आजकल काफी लोग मोटापे का शिकार होते जा रहे हैं और यह इन्फर्टिलिटी का एक बड़ा कारण बनता जा रहा है. मोटापे की वजह से पुरुषों और महिलाओं दोनों में कामेच्छा कम होती जाती है.

मोटापा न केवल यौन संबंध बनाने की इच्छा में कमी लाता है, बल्कि इस के चलते सैक्स के दौरान जल्दी स्खलन होने की समस्या भी पेश आती है. इस के चलते सैक्सुअल परफौर्मैंस प्रभावित होती है क्योंकि लिंग में पर्याप्त उत्तेजना नहीं आ पाती, साथ ही अगर महिला मोटापे से पीडि़त है, तो उस स्थिति में भी सही तरीके से समागम नहीं हो पाता है.

कैन, पैकेट बंद फूड और हाई फैट युक्त चीजें बहुत तेजी से और बड़ी मात्रा में ऐसिडिटी पैदा करती हैं, जिस से शरीर के पीएच स्तर में बदलाव आता है. आलस भरे लाइफस्टाइल के साथ कैमिकल ऐडिटिव्स और ऐसिडिक नेचर वाला खानपान या तो स्पर्म सैल्स के आकार और उन की गतिशीलता को नुकसान पहुंचाता है या फिर इस की वजह से स्पर्म डैड हो जाते हैं.

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हार्ट पर खतरा

‘ब्रिटिश जर्नल औफ स्पोर्ट्स मैडिसन’ में प्रकाशित रिपोर्ट के तहत लैब ऐनालिसिस के लिए 18 से 22 साल की उम्र के 200 स्टूडैंट्स के स्पर्म सैंपल कलैक्ट किए गए. उन के विश्लेषण से यह पता चला कि सुस्त लाइफस्टाइल और स्पर्म काउंट में कमी का एकदूसरे से सीधा संबंध है.

ज्यादा टीवी देखने वालों का औसत स्पर्म काउंट 37 एमएन माइक्रोन प्रति एमएल था, जबकि उन स्टूडैंट्स का स्पर्म काउंट 52 एमएन माइक्रोन प्रति एमएल था, जो बहुत कम टीवी देखते हैं. सुस्त लाइफस्टाइल और टीवी देखने के आदी लोगों के स्पर्म काउंट में सामान्य के मुकाबले 38% तक कमी पाई गई है.

इस रिपोर्ट से यह भी साबित हुआ है कि अत्यधिक टीवी देखने वालों के हृदय में अत्यधिक आवेग के चलते फेफड़ों में खून का जानलेवा थक्का जमने और उस के चलते हार्ट अटैक से मौत होने की संभावना भी 45% तक बढ़ जाती है और टीवी, या मोबाइल स्क्रीन के सामने हर 1 घंटा और बिताने के साथसाथ यह संभावना और भी बढ़ती जाती है.

प्रजनन क्षमता पर असर

कुछ रिपोर्ट्स में बताया गया है कि हर हफ्ते औसतन 18 घंटे की ऐक्सरसाइज करने से स्पर्म क्वालिटी बढ़ाई जा सकती है, लेकिन अत्यधिक ऐक्सरसाइज करने से भी स्पर्म क्वालिटी पर असर पड़ता है. देखने में आया है कि शारीरिक रूप से सक्रिय रहने वाले ऐसे लोग जो हफ्ते में 15 घंटे मौडरेट ऐक्सरसाइज करते हैं या कोई खेल खेलते हैं उन का स्पर्म काउंट शारीरिक रूप से कम सक्रिय रहने वाले लोगों की तुलना में 3-4 गुना तक ज्यादा रहता है.

टीवी या मोबाइल के सामने घंटों एकटक निगाहें रखने का सीधा संबंध शरीर में गरमी बढ़ाने से होता है. स्पर्म ठंडे वातारण में ज्यादा अच्छी तरह पनपते हैं, जबकि शरीर के ज्यादा गरम रहने से वे ज्यादा अच्छी तरह नहीं पनप पाते हैं. जरूरत से ज्यादा ऐक्सरसाइज करना और लगातार टीवी देखना, दोनों ही शरीर में फ्रीरैडिकल्स के उत्पादन और उत्सर्जन को बढ़ावा देते हैं, जिस के चलते स्पर्म सैल्स मर जाते हैं, जिस का सीधा असर प्रजनन क्षमता पर पड़ता है. इसलिए डाक्टरों की सलाह है कि आप सबकुछ करें, लेकिन हर चीज की एक सीमा हो.

आप टीवी, मोबाइल देखिए, लेकिन साथ में जिन में भी वक्त बिताएं, हैल्दी डाइट लें और जीवन को अच्छी तरह ऐंजौय करें.

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Holi Special: स्नैक्स में आसानी से बनाएं राइस कटलेट

अगर आप स्नैक्स में कुछ नई रेसिपी ट्राय करना चाहते हैं तो बचे हुए चावलों से कटलेट की रेसिपी ट्राय करें. ये कम समय में बनने वाली आसान रेसिपी है, जो आपकी फैमिली को पसंद आएगी.

सामग्री

1 कप चावल उबले

1 आलू उबला व कद्दूकस किया

2 बड़े चम्मच भुने चनों का आटा

1/4 कप ओट्स का पाउडर

2 छोटे चम्मच अदरक व हरीमिर्च बारीक कटी

1 बड़ा चम्मच धनियापत्ती कटी

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1/2 छोटा चम्मच अमचूर पाउडर

1/2 छोटा चम्मच चाटमसाला

1 ब्रैडपीस किनारा निकला

तलने के लिए पर्याप्त रिफाइंड औयल

मिर्च व नमक स्वादानुसार.

विधि

चावलों में सारी सामग्री अच्छी तरह मिलाएं और मनचाहे कटलेट का आकार दें. फिर इन्हें 1/2 घंटा फ्रिज में ठंडा कर गरम तेल में डीपफ्राई करें या नौनस्टिक तवे पर दोनों तरफ से सेंक लें. सौस या चटनी के साथ सर्व करें.

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पति के बिहेवियर में आए बदलाव तो आजमाएं ये 8 Tips

जिंदगी का सफर उन पतिपत्नी के लिए और भी आसान बन जाता है, जो एकदूसरे को समझ कर चलते हैं. कई बार दिनबदिन बढ़ती जिम्मेदारियों व जीवन की आपाधापी की वजह से पति पारिवारिक जीवन में सही तालमेल नहीं रख पाते. जिस के कारण उन के व्यवहार में चिड़चिड़ापन व बदलाव आना स्वाभाविक होता है. ऐसी स्थिति में पत्नी ही पति के साथ सामंजस्य बैठा कर दांपत्य की गाड़ी को पटरी पर ला सकती है.

1. पति का सहयोग लें

पति की अहमियत को कम न आंकें. वैवाहिक जीवन से जुड़ी समस्याओं में उन की सलाह जरूर लें. परिवार की समस्याओं का समाधान अकेले न कर के उन का भी सहयोग लें. यकीनन उन के व्यवहार में बदलाव आएगा.

2. जब उम्मीदें पूरी नहीं होतीं

कई बार पति चाहते हैं कि घरेलू कामों में उन की साझेदारी कम से कम हो. लेकिन पत्नियां अगर कामकाजी हैं तो वे पति से घरेलू कामों में हाथ बंटाने की अपेक्षा करती हैं. इस स्थिति से उपजा विवाद भी पति के स्वभाव में बदलाव का कारण बनता है. ऐसे में कार्यों का बंटवारा आपसी सूझबूझ व प्यार से करें. फिर देखिएगा, पति खुशीखुशी आप का हाथ बंटाएंगे.

3. छोटी पोस्ट को कम न आंकें

एक प्राइवेट फर्म में मार्केटिंग मैनेजर की पोस्ट पर कार्यरत आराधना को यह शिकायत रहती थी कि उन के पति एक फैक्टरी में सुपरवाइजर की छोटी पोस्ट पर हैं. इसे ले कर दोनों में गाहेबगाहे तकरार भी होती थी, जिस से पति चिड़चिड़े हो उठे. घर में अशांति रहने लगी. हार कर आराधना को साइकोलौजिस्ट के पास जाना पड़ा. उन्होंने समझाया कि पत्नी को पति के सुपरवाइजर पद को ले कर हीनभावना का शिकार नहीं बनना चाहिए और न ही पति की पोस्ट को कम आंकना चाहिए.

4. नजरिया बदलें

परिवार से जुड़ी छोटीछोटी समस्याओं का निबटारा स्वयं करें. रोज शाम को पति के सामने अपने दुख का पिटारा न खोलें. इस का सीधा असर पति के स्वभाव पर पड़ता है. वे किसी न किसी बहाने से ज्यादा समय घर के बाहर बिताने लगते हैं या स्वभाव से चिड़चिड़े हो जाते हैं.

संयुक्त परिवारों में रह रहे कपल्स में यह समस्या आम है. छोटीछोटी घरेलू समस्याओं का हल स्वयं निकालने से आप का आत्मविश्वास तो बढ़ेगा ही, पति भी आप जैसी समझदार पत्नी पर नाज करेंगे.

5. ज्यादा पजेसिव न हों

पति के पत्नी के लिए और पत्नी के पति के लिए जरूरत से ज्यादा पजेसिव होने पर दोनों में एकदूसरे के प्रति चिड़चिड़ाहट पैदा हो जाती है. अत: रिश्ते में स्पेस देना भी जरूरी है. पति की महिला मित्रों या पत्नी के पुरुष मित्रों को ले कर अकसर विवाद पनपता है, जिस का बुरा असर आपसी रिश्तों पर व पतिपत्नी के व्यवहार पर पड़ता है. जीवनसाथी को हमेशा शक की निगाहों से देखने के बजाय उन पर विश्वास करना आवश्यक है.

6. ईर्ष्यालु न बनने दें

कभीकभी ऐसा भी होता है कि कैरियर के क्षेत्र में पत्नी पति से आगे निकल जाती है. इस स्थिति में पति के स्वभाव मेंबदलाव आना तब शुरू होता है, जब पत्नी अपने अधिकतर फैसलों में पति से सलाहमशवरा करना आवश्यक नहीं समझतीं. ऐसे हालात अलगाव का कारण भी बन जाते हैं. अपनी तरक्की के साथसाथ पति की सलाह का भी सम्मान करें. इस से पति को अपनी उपेक्षा का एहसास भी नहीं होगा और रिश्ते में विश्वास भी बढ़ेगा.

7. खुल कर दें साथ

खुशहाल वैवाहिक जीवन जीने के लिए सैक्स संबंध में खुलापन भी बेहद जरूरी है. रोजरोज बहाने बना कर पति के आग्रह को ठुकराते रहने से एक समय ऐसा आता है कि पति आप से दूरी बनाने लगते हैं या कटेकटे से रहने लगते हैं, जिस से दांपत्य में नीरसता आने लगती है.

कभीकभी ऐसा हो सकता है कि आप पति का सहयोग करने में असक्षम हों. ऐसे में पति को प्यार से समझाएं. सैक्स में पति का खुल कर साथ दें, क्योंकि यह खुशहाल दांपत्य की ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य की भी कुंजी है.

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8. घर का बजट

घर का बजट संतुलित रखने की महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी पत्नी के कंधों पर होती है. अनापशनाप खर्चों का बोझ जब पति पर पड़ने लगे तो वे चिड़चिड़े होने लगते हैं. इस समस्या से निबटने का सब से सरल उपाय है महीने भर के बजट की प्लानिंग करना व खर्चों को निर्धारित करना. समझदार गृहिणी की तरह जब आप अपने बजट के अलावा बचत भी करेंगी, तो आप के पति की नजरों में आप के लिए प्यार दोगुना हो जाएगा.

30 की उम्र में कहां करें निवेश

आज का दौर अनिश्चिंतताओं से भरा हुआ है. कभी महामारियों का हमला, तो कभी रोजगार का संकट युवाओं को संपन्न व खुशहाल जीवन जीने के रास्ते में रोड़े अटकाता है. ऐसे में स्मार्ट इनवैस्टमैंट यानी सुरक्षित और मुनाफेदार निवेश ही आप के जीवन की संपन्नता की नींव को मजबूत कर सकता है.

तो आइए फाइनैंशियल कंसल्टैंट राघेंद्र मिश्रा से जानते हैं युवाओं के लिए सब से सुगम, सुरक्षित और सर्वोत्तम निवेश विकल्प क्या है:

स्टैप 1: टर्म इंश्योरैंस

अगर बात करें 30 की उम्र की तो अकसर इस उम्र तक हम अपनी जिम्मेदारियों को सम   झने लगते हैं ऐसे में हमारा पहला और सब से अहम कदम होना चाहिए कि हम टर्म इंश्योरैंस लें क्योंकि जीवन में कब, क्या हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता. कब हम जीवन को अलविदा कह दें किसी को पता नहीं होता. ऐसे में टर्म इंश्योरैंस असली जीवन बीमा प्लान है, जो आप के परिवार को आप के जाने के बाद फाइनैंशियल सपोर्ट प्रदान करने का काम करता है.

इस के अंतर्गत पौलिसी की अवधि के दौरान बीमा करवाने वाले व्यक्ति की अकाल मृत्यु होने पर यह इंश्योरैंस पौलिसी के अंतर्गत बनाए गए नौमिनी को एकमुश्त राशि प्रदान करता है. इसलिए टर्म इंश्योरैंस आज बेहद जरूरी हो गया है. इस बात का ध्यान रखें कि जितनी जल्दी आप टर्म इंश्योरैंस ले लेंगे उतना ही आप को कम प्रीमियम देना पड़ेगा.

बैस्ट टर्म इंश्योरैंस प्लान कैसे चुनें

–  आप को हमेशा कंपनी का क्लेम सैटलमैंट रेशो देखना चाहिए ताकि आप को ज्ञात हो जाए कि परिवार पर मुसीबत आने पर कंपनी कितने समय में क्लेम सेटलमैंट कर देती है वरना बाद में परिवार को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.

–  आप को कंपनी के ब्रैंड और उस की मार्केट में क्या अहमियत है, इस की जांच जरूर करनी चाहिए.

–  किसी भी कंपनी का प्लान अच्छी तरह चैक

करने के बाद ही टर्म इंश्योरैंस लेना चाहिए. उस में यह भी चैक कर लें कि उस में क्या कवर है और क्या नहीं तथा कितने साल तक का कवर है. इस से पौलिसी के चयन में आसानी होगी.

–  टर्म इंश्योरैंस आप की वार्षिक सैलरी का लगभग 10 गुणा होना चाहिए.

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स्टैप 2: हैल्थ इंश्योरैंस

हैल्थ इंश्योरैंस पौलिसी मुश्किल समय में परिवार पर बिना बो   झ डाले आर्थिक सहायता प्रदान करने का काम करती है. सोचिए अगर आप के परिवार में अचानक कोई अपना बीमार हो जाए और आप ने कोई हैल्थ पौलिसी न ली हो, तो आप सब से पहले बिना सोचेसम   झे उस का इलाज तो करवाएंगे ही, लेकिन इस इलाज के दौरान जो आप को शारीरिक व पैसों के कारण आर्थिक मार    झेलनी पड़ेगी वह आप की कमर तोड़ देगी.

इस से हो सकता है कि आप की फ्यूचर प्लानिंग भी पूरी तरह से बिगड़ जाए. इसलिए जरूरी है समय रहते हैल्थ इंश्योरैंस लेने की ताकि आप के साथसाथ आप का परिवार भी इस में कवर हो जाए और मुसीबत की घड़ी में यह इंश्योरैंस आप के बड़े काम का साबित हो. हैल्थ इंश्योरैंस वैसे तो छोटी उम्र से ही ले लेना चाहिए ताकि कम प्रीमियम देने के साथसाथ आप अपनी और अपनी फैमिली की हैल्थ संबंधित चिंताओं से मुक्त हो जाएं.

लेकिन यदि आप इसे लेने में लेट हो गए हैं तो आप अभी भी इसे ले सकते हैं क्योंकि उम्र के साथ बीमारियों का डर बढ़ सकता है. जान लें कि कुछ बीमारियां पहले साल से ही कवर नहीं होतीं. इन का कुछ वेटिंग पीरियड होता है. ऐसी स्थिति में आप की पौकेट पर बो   झ पड़ सकता है.

नोट: आप को बता दें कि इंश्योरैंस न सिर्फ आप को सुरक्षा देते हैं बल्कि टैक्स सेविंग में भी आप की मदद करते हैं.

काम के हैल्थ इंश्योरैंस

इनडिविजुअल हैल्थ इंश्योरैंस: इस में पौलिसी का लाभ केवल एक व्यक्ति यानी सिंगल व्यक्ति ही उठा सकता है. इसलिए यह पौलिसी आप तभी लें जब आप अकेले हों.

फैमिली हैल्थ इंश्योरैंस: इस में आप अपने साथ अपने परिवार को कवर कर सकते हैं. इस में समइनशोरेड परिवार के सभी सदस्यों पर लागू होता है.

टौपअप हैल्थ इंश्योरैंस: अगर आप के पास पहले से कोई हैल्थ इंश्योरैंस है तो आप अपना प्रीमियम कवरेज बढ़ाने के लिए टौपअप हैल्थ इंश्योरैंस भी ले सकते हैं. इस का प्रीमियम हैल्थ इंश्योरैंस पौलिसी के मुकाबले काफी कम होता है क्योंकि इस का इस्तेमाल केवल तभी होगा, जब आप अपनी हैल्थ इंश्योरैंस पौलिसी का पूरा समऐश्योर्ड यूज कर चुके हों. आजकल कुछ हैल्थ पौलिसीज आप को फिटनैस के हिसाब से छूट भी देती हैं. आप अपने हैल्दी लाइफस्टाइल से इन पौलिसीज में प्रीमियम भी बचा सकते हैं.

स्टैप 3: इनवैस्टमैंट के लिए म्यूचुअल फंड

स्टैप 1 और स्टैप 2 जीवन की अनिश्चिंतताओं में आप के परिवार को सुरक्षा प्रदान करने का काम करता है. लेकिन खुद को फाइनैंशियल स्ट्रौंग बनाने यानी बचत करने के लिए, अपनी छोटीबड़ी जरूरतों को पूरा करने के लिए  म्यूचुअल फंड में इनवैस्ट करना आज काफी बेहतर विकल्प है क्योंकि इस में अच्छा व टिकाऊ रिटर्न जो मिल रहा है. ‘सिक्यूरिटी ऐक्सचेंज बोर्ड औफ इंडिया’ ने इस में रिस्क और सेफ्टी के आधार पर 17-18 तरह की कैटेगरी डिवाइड की हैं, जिन में आप अपनी जरूरत, रिटर्न व रिस्क को देखते हुए इंनैस्ट कर सकते हैं.

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आप को बता दें कि सिप यानी सिस्टेमैटिक इनवैस्टमैंट प्लान के जरीए इस में निवेश करने वालों की संख्या काफी ज्यादा है क्योंकि इस में आप अपनी पसंद की म्यूचुअल फंड स्कीम में रैग्युरली एक निश्चित रकम इनवैस्ट कर सकते हैं. यह आप मंथली, क्वार्टली व सेमीऐनुअली किसी भी मोड़ का चयन कर के आसानी से अपने फाइनैंशियल गोल को पूरा कर सकते हैं.

कैसेकैसे म्यूचुअल फंड्स

डेब्ट्स फंड: ये ऐसे फंड्स होते हैं , जो एक निश्चित इनकम रिटर्न देते हैं.

गिल्ट फंड: यहे फंड आप का पैसा सिर्फ गवर्नमैंट सिक्युरिटीज में ही इनवैस्ट करते हैं, जिस से रिस्क न के बराबर होता है.

लिक्विड फंड्स: ये ऐसे फंड्स होते हैं, जिन्हें किसी भी समय यानी जरूरत पड़ने पर बंद करवाए जा सकते हैं. यह काफी सेफ तरीका है.

इक्विलिटी फंड: इस में रिस्क ज्यादा है तो रिटर्न भी ज्यादा मिलता है क्योंकि इस में आप का पैसा स्टौक मार्केट में लगता है. म्यूचुअल फंड में इनवैस्टमैंट के जरीए आप अपने गोल्स जैसे गाड़ी खरीदना, घर खरीदना, बच्चे की हायर स्टडीज के लिए पैसे जमा करना, बच्चों की मैरिज के लिए या फिर रिटायरमैंट तक के लिए इस में निवेश कर के बड़ी आसानी से गोल प्लानिंग कर सकते हैं.

स्टैप 4: रिटायरमैंट प्लानिंग

वैसे 30 की उम्र में अगर रिटायरमैंट की बात करें तो दूर की कल्पना प्रतीत होती है. लेकिन कब हम जिम्मेदारियों से घिर कर 30 से 50 के हो जाते हैं, पता ही नहीं चलता. ऐसे में अगर 50 की उम्र में रिटायरमैंट प्लानिंग के बारे में सोचेंगे तब तक काफी देर हो चुकी होगी.

इसलिए जरूरी है 30 में ही इस के बारे में विचार कर निवेश शुरू कर देना ताकि 60 के बाद आप ठाटबाट से रह सकें वरना पैसे की तंगी बुढ़ापे में आप का सुखचैन छीन कर रख देगी क्योंकि कम उम्र में निवेश करने पर आप को ज्यादा रिटर्न जो मिलता है. इस के लिए आप निम्न प्लान में इनवैस्ट कर सकते हैं:

म्यूचुअल फंड : अगर आप प्राइवेट नौकरी में हैं तो आप को छोटी उम्र से ही रिटायरमैंट के लिए एक सिस्टेमैटिक वे में म्यूचुअल फंड में इनवैस्ट करना शुरू कर देना चाहिए. इस के लिए आप अपने अनुमानित खर्चों के हिसाब से रिटायरमैंट के बाद कितने पैसों की जरूरत पड़ेगी उस का टारगेट बना कर छोटीछोटी सिप में इनवैस्टमैंट कर के सेफली पैसा जमा कर सकते हैं. इस में आप अपनी सुविधा के हिसाब से तारीख का चयन कर के निवेश कर सकते हैं.

पीपीएफ: आप प्रौविडैंट फंड में भी निवेश कर सकते हैं. यह भारत सरकार द्वारा दी जाने वाली एक सेवानिवृत्ति बचत योजना है, जिस का उद्देश्य रिटायरमैंट के बाद सभी को सिक्योर जीवन प्रदान करना है. इस के तहत आप साल में कम से कम 500 रुपए और ज्यादा से ज्याद डेढ़ लाख रुपए जमा कर सकते हैं.

पैंशन फंड: यह एक तरह की पैंशन योजना है, जो लंबी अवधि तक लागू रहती है. यह पैंशन योजना तुलनात्मक रूप से मैच्योरिटी पर बेहतर रिटर्न प्रदान करती है.

यूलिप: इसे यूनिट लिंक्ड इंश्योरैंस प्लान कहा जाता है. इस में लाइफ कवर के साथसाथ कंपनीज निवेश का भी मौका देती हैं.

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स्टैप 5: इमरजैंसी फंड भी है जरूरी

पिछले 2 साल में दुनिया ने ऐसा समय देखा है, जिस की हम ने कभी कल्पना भी नहीं की थी, जिस के कारण बहुत से लोगों ने अपनी नौकरियां खो दीं, अपनों को खोया और यहां तक कि अपनों को बचाने के लिए काफी पैसे खर्च करने पड़े. इसलिए आज के समय की जरूरत है इमरजैंसी फंड की, जो आप की आकस्मिक जरूरतों में आप की बैकबोन का काम करेगा. इस के लिए आप के पास कम से कम 6 महीने से 1 साल तक के सभी जरूरी खर्चों के बराबर का फंड होना चाहिए.

इस के लिए आप अपने पैसों को लिक्विड फंड, हाई इंटरैस्ट सेविंग अकाउंट में इनवैस्ट कर सकते हैं और इमरजैंसी की स्थिति में आप इस फंड का इस्तेमाल कर के लोन लेने से भी बच सकते हैं. लेकिन इस बात का भी ध्यान रखें कि इमरजैंसी की स्थिति में ही इस फंड का इस्तेमाल करें.

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