अजंता: भाग 3- आखिर क्या हुआ पूजा के साथ

लेखक- सुधीर मौर्य

भले ही अजंता के दिल में अब भी प्रशांत के लिए मुहब्बत के जज्बात न जगे हों पर वह उस का होने वाला पति था, इसलिए उस का मुसकरा कर स्वागत करना लाजिम था. भीतर आ कर प्रशांत उसी सोफे पर बैठ गया जहां कुछ देर पहले शशांक बैठा था. प्रशांत के लिए फ्रिज से पानी निकालते हुए अजंता सोच में पड़ गई कि अगर प्रशांत कुछ देर पहले आ जाता और शशांक के बारे में पूछता तो वह क्या जवाब देती.

‘‘बाहर तो काफी धूप है?’’ अजंता ने पानी देते हुए प्रशांत से जानना चाहा.

पानी पीते हुए प्रशांत ने अजंता को ऊपर से नीचे तक देखा और फिर गिलास उस के हाथ में देते हुए बोला, ‘‘मैं ने तुम्हें मना किया था न ये शौर्ट कपड़े पहनने के लिए.’’

‘‘ओह हां, बट घर में पहनने को तो मना नहीं किया था,’’ अजंता ने कहा और फिर बात बदलने की गरज से झट से बोली, ‘‘आप चाय लेंगे या कौफी?’’

‘‘चाय,’’ प्रशांत सोफे पर पसर और्डर देने के अंदाज में बोला. अजंता किचन की ओर जाने लगी तो प्रशांत ने कहा, ‘‘अजंता मैं चाहता हूं तुम इस तरह के कपड़े घर पर भी मत पहनो.’’

‘‘अरे, घर में इस ड्रैसिंग में क्या प्रौब्लम है और फिर आजकल यह नौर्मल ड्रैसिंग है. ज्यादातर लड़कियां पहनना पसंद करती हैं,’’ चाय बनाने जा रही अजंता ने रुक कर प्रशांत की बात का जवाब दिया.

‘‘नौर्मल ड्रैसिंग है, लड़कियां पसंद करती हैं इस का मतलब यह नहीं कि तुम भी पहनोगी?’’ प्रशांत के स्वर में थोड़ी सख्ती थी.

‘‘अरे, इस तरह की ड्रैसिंग में मैं कंफर्ट फील करती हूं और मुझे भी पसंद है ये सब पहनना,’’ अजंता ने अपनी बात रखी.

‘‘पर मुझे पसंद नहीं अजंता… तुम नहीं पहनोगी आज के बाद यह ड्रैस, अब जाओ चाय बना कर लाओ,’’ और्डर देने वाले अंदाज में प्रशांत के स्वर में सख्ती और बढ़ गई थी.

‘‘तुम्हारी पसंद… क्या मेरी कोई पसंद नहीं?’’ प्रशांत की सख्त बात सुन कर अजंता की आवाज भी थोड़ी तेज हो गई.

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अजंता की तेज आवाज ने प्रशांत के गुस्से को बढ़ा दिया. वह चिल्लाते हुए बोला, ‘‘मैं ने जो कह दिया वह कह दिया और तुम इतने भी मैनर नहीं जानती कि जब पति बाहर से थक कर आता है तो पत्नी उस के साथ बहस नहीं करती.’’

अजंता स्वभाव से सीधीसादी थी. वह समझती थी पति से तालमेल बैठाने के लिए उसे अपनी कुछ इच्छाएं कुरबान करनी ही पडे़ंगी. मगर आज जो प्रशांत कह रहा था वह उसे बुरा लगा. वह पढ़ीलिखी सैल्फ डिपैंडैंट लड़की थी. अत: प्रशांत की बात का विरोध करते हुए बोली, ‘‘प्रशांत, यह तो कोई बात नहीं कि मैं आप की बैसिरपैर की बात मानूं… मुझे इस ड्रैसिंग में कोई दिक्कत नजर नहीं आती और हां आप मेरे होने वाले पति हैं, पति नहीं.’’

अजंता की बात सुन प्रशांत का गुस्सा 7वें आसमान पर जा पहुंचा. लगभग दहाड़ते हुए बोला, ‘‘अजंता, मेरे घर में आने के बाद ये सब नहीं चलेगा. तुम्हें मेरे अनुसार खुद को ढालना ही पड़ेगा. वरना…’’ प्रशांत ने अजंता को थप्पड़ मारने के लिए हाथ उठाया पर फिर रुक गया.

प्रशांत का यह रूप अंजता के लिए एकदम नया था. कुछ देर वह हैरानी खड़ी रही, फिर बोली, ‘‘वरनावरना क्या करोगे… मुझे पीटोगे?’’

प्रशांत को लगा उस से गलती हो गई है. अत: अपनी आवाज को ठंडा करते हुए बोला, ‘‘सौरी अजंता वह बाहर धूप है शायद उस की वजह से मेरे सिर में पागलपन भर गया था… मैं गुस्से में बोल गया. चलो अब तो अपने नर्मनर्म हाथों से चाय बना कर लाओ डियर.’’

‘‘धूप से घर आने वाले व्यक्ति को क्या इस बात का सर्टिफिकेट मिल जाता है कि वह अपनी पत्नी को डांटे, उसे पीटे?’’ अजंता की बात में भी अब गुस्सा था.

प्रशांत कुछ देर अजंता को देखता रहा. फिर मन ही मन कुछ सोच कर बोला, ‘‘अच्छा ठीक है जो मेरी होने वाली बीवी मेरी थकान उतारने के लिए मुझे अपने कोमल हाथों से बना कर चाय नहीं पिला सकती तो मैं अपनी प्यारी खूबसूरत पत्नी का गुस्सा उतारने के लिए उसे चाय बना कर पिलाता हूं,’’ कह कर प्रशांत किचन की ओर बढ़ गया.

वह भले ही उच्च शिक्षा प्राप्त लड़की थी पर थी तो फीमेल, नौर्मल फीमेल, अचानक उस के मन में खयाल जागा कि कहीं सही में बाहर की धूप और थकान की वजह से प्रशांत ने गुस्से में तो उस पर हाथ उठाना नहीं चाहा… केवल हाथ ही तो उठाया, मारा तो नहीं… और अब

वह जब गुस्से में है तो उसे मनाने के लिए खुद किचन में चाय बनाने गया है… उस की खुद भी तो गलती है जब प्रशांत ने उस से कहा था वह थक कर आया है उसे 1 कप चाय बना के पिला दो तो वह क्यों उस से बहस करने लगी?

ये सब सोचते हुए अजंता किचन में आ गई. प्रशांत हाथ में लाइटर ले कर गैस जलाने जा रहा था.

‘‘आप चल कर पंखे में बैठिए मैं चाय बना लाती हूं,’’ अजंता प्रशांत से लाइटर लेने की कोशश करते हुए बोली.

‘‘नहीं अब तो मैं ही चाय बनाऊंगा,’’

प्रशांत ने अजंता का हाथ हटा कर गैस जलाने की कोशिश की. अजंता ने फिर लाइटर लेने की कोशिश की. पर प्रशांत ने फिर मना किया. अजंता ने गैस जला रहे प्रशांत का हाथ पकड़ लिया. प्रशांत ने अजंता का हाथ छुड़ाने की कोशिश की. इस छीनाझपटी में अजंता फिसल कर प्रशांत की बांहों में गिर गई. प्रशांत ने उसे बांहों में भर लिया.

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‘‘छोडि़ए चाय बनाने दीजिए,’’ अजंता कसमसाई.

‘‘नहीं अब तो तुम्हारे होंठों को पीने के बाद ही चाय पी जाएगी,’’ कह प्रशांत ने अजंता के होंठों पर होंठ रख दिए. एक लंबे किस ने अजंता को निढाल कर दिया. इतना निढाल कि प्रशांत ने बिना किसी विरोध के उसे ला कर बिस्तर पर लिटा दिया.

कुछ देर बाद जब प्रशांत ने अजंता की कमर से पाजामा खिसकाने की कोशिश की तो अजंता ने विरोध करते हुए कहा, ‘‘नहीं प्रशांत ये सब शादी के बाद.’’

प्रशांत अजंता की बात सुन कर कुछ देर इस अवस्था में रहा जैसे खुद को संयत करने की कोशिश कर रहा हो और फिर अजंता के ऊपर से उठते हुए बोला, ‘‘ओके डियर ऐज यू विश.’’

अजंता ने उठ कर अपने कपड़े सही किए और फिर चाय बनाने के लिए किचन में आ गई.

‘‘जानती हो अजंता तुम्हारी इसी अदा का

तो मैं दीवाना हूं,’’ प्रशांत ने किचन में आ कर कहा.

‘‘कौन सी?’’ अजंता ने बरतन में पानी डाल कर गैस पर चढ़ाते हुए पूछा.

‘‘यही कि ये सब शादी के बाद,’’ प्रशांत ने मुसकरा कर कहा.

प्रशांत की इस बात पर अजंता भी मुसकरा कर रह गई.

‘‘मैं भी यही चाहता हूं कि मैं तुम्हारे

जिस्म को अपनी सुहागरात में पाऊं,’’

प्रशांत ने अजंता के पीछे आ कर उस के गले में बांहें डाल कर कहा.

अजंता कुछ नहीं बोली. उबलते पानी में चायपत्ती और शक्कर डालती रही.

‘‘हर व्यक्ति अपने मन में यह अरमान पालता है,’’ प्रशांत अपनी उंगलियों से अजंता के गालों को धीरेधीरे सहलाते हुए बोला.

‘‘कैसा अरमान?’’ अजंता ने पूछा.

‘‘यही कि उस की बीवी वर्जिन हो और सुहागरात को अपनी वर्जिनिटी अपने पति को तोहफे में दे.’’

कह कर प्रशांत प्लेट से बिस्कुट उठा कर खाने लगा.

प्रशांत की बात सुन कर अजंता को धक्का लगा कि और अगर लड़की ने शादी से पहले अपनी वर्जिनिटी लूज कर दी हो और फिर प्रशांत पर नजरें गड़ा दीं.

‘‘अगर लड़की वर्जिन न हो एक इंसान कैसे उसे प्यार कर सकता है. तुम्हीं बताओ अजंता, कोई व्यक्ति किसी ऐसी लड़की के साथ पूरी जिंदगी कैसे रह पाएगा जिस ने शादी से पहले ही अपनी वर्जिनिटी लूज कर दी हो?

क्या उस का दिल ऐसी लड़की को कभी कबूल कर पाएगा? और सोचो तब क्या होगा जब किसी दिन वह इंसान सामने आ जाए जो उस लड़की का प्रेमी रहा हो. बोलो अजंता उस व्यक्ति पर यह सोच कर क्या गुजरेगी कि यही वह आदमी है जिस की वजह से उस की बीवी ने शादी से पहले ही अपनी वर्जिनिटी खो दी. ऐसी लड़की से शादी के बाद तो जिंदगी नर्क बन जाएगी, नर्क.’’

प्रशांत बोले जा रहा था, अजंता पत्थर की मूर्त बने सुनते जा रही थी. चाय उबल कर नीचे फैलती जा रही थी…

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फिर क्यों: भाग 2- क्या था दीपिका का फैसला

लेखक- राम महेंद्र राय 

जब सास उसे तरहतरह के ताने देने लगी तो दीपिका ने आखिर चुप्पी तोड़ दी. उस ने सभी के सामने सच्चाई बता दी. पर उस का सच किसी ने स्वीकार नहीं किया. सभी ने उस की कहानी मनगढ़ंत बताई.

आखिर अपने सिर बदचलनी का इलजाम ले कर दीपिका मातापिता के साथ मायके आ गई.

वह समझ नहीं पा रही थी कि अब क्या करे. भविष्य अंधकारमय लग रहा था. होने वाले बच्चे की चिंता उसे अधिक सता रही थी.

5 दिन बाद दीपिका जब कुछ सामान्य हुई तो मां ने उसे समझाते हुए गर्भपात करा कर दूसरी शादी करने की सलाह दी.

कुछ सोच कर दीपिका बोली, ‘‘मम्मी, गलती मैं ने की है तो बच्चे को सजा क्यों दूं. मैं ने फैसला कर लिया है कि मैं बच्चे को जन्म दूंगी. उस के बाद ही भविष्य की चिंता करूंगी.’’

दीपिका को ससुराल आए 20 दिन हो चुके थे तो अचानक तुषार आया. वह बोला, ‘‘मुझे विश्वास है कि तुम बदचलन नहीं हो. तुम्हारे पेट में मेरे भाई का ही अंश है.’’

‘‘जब तुम यह बात समझ रहे थे तो उस दिन अपना मुंह क्यों बंद कर लिया था, जब सभी मुझे बदचलन बता रहे थे?’’ दीपिका ने गुस्से में कहा.

‘‘उस दिन मैं तुम्हारे भविष्य को ले कर चिंतित हो गया था. फिर यह फैसला नहीं कर पाया था कि क्या करना चाहिए.’’ तुषार बोला.

दीपिका अपने गुस्से पर काबू करते हुए बोली, ‘‘अब क्या चाहते हो?’’

‘‘तुम से शादी कर के तुम्हारा भविष्य संवारना चाहता हूं. तुम्हारे होने वाले बच्चे को अपना नाम देना चाहता हूं. इस के लिए मैं ने मम्मीपापा को राजी कर लिया है.’’

औफिस और मोहल्ले में वह बुरी तरह बदनाम हो चुकी थी. सभी उसे दुष्चरित्र समझते थे. ऐसी स्थिति में आसानी से किसी दूसरी जगह उस की शादी होने वाली नहीं थी, इसलिए आत्ममंथन के बाद वह उस से शादी के लिए तैयार हो गई.

दीपिका बच्चे की डिलीवरी के बाद शादी करना चाहती थी, लेकिन तुषार ने कहा कि वह डिलीवरी से पहले शादी कर के बच्चे को अपना नाम देना चाहता है. ऐसा ही हुआ. डिलीवरी से पहले उन दोनों की शादी हो गई.

जिस घर से दीपिका बेइज्जत हो कर निकली थी, उसी घर में पूरे सम्मान से तुषार के कारण लौट आई थी. फलस्वरूप दीपिका ने तुषार को दिल में बसा कर प्यार से नहला दिया और पलकों पर बिठा लिया.

तुषार भी उस का पूरा खयाल रखता था. घर का कोई काम उसे नहीं करने देता था. काम के लिए उस ने नौकरी रख दी थी.

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तुषार का भरपूर प्यार पा कर दीपिका इतनी गदगद थी कि उस के पैर जमीन पर नहीं पड़ रहे थे.

डिलीवरी का समय हुआ तो बातोंबातों में तुषार ने दीपिका से कहा, ‘‘तुम अपने बैंक की डिटेल्स दे दो. डिलीवरी के समय अगर मेरे एकाउंट में रुपए कम पड़ जाएंगे तो तुम्हारे एकाउंट से ले लूंगा.’’

दीपिका को उस की बात अच्छी लगी. बैंक की पासबुक, डेबिट कार्ड और ब्लैंक चैक्स पर दस्तखत कर के पूरी की पूरी चैकबुक उसे दे दी.

नौरमल डिलीवरी से बेटा हुआ तो उस का नाम गौरांग रखा गया. 6 महीने बाद तुषार ने हनीमून पर शिमला जाने का प्रोग्राम बनाया तो दीपिका ने मना नहीं किया.

वहां से लौट कर आई तो बहुत खुश थी. तुषार का अथाह प्यार पा कर वह विक्रम को भूल गई थी.

गौरांग एक साल का हो गया था. फिर भी दीपिका ने तुषार से डेबिट कार्ड और दस्तखत किए हुए चैक्स वापस नहीं लिए थे. इस की कभी जरूरत महसूस नहीं की थी. तुषार ने उस के अंधकारमय जीवन को रोशनी से नहला दिया था. ऐसे में भला वह उस पर अविश्वास कैसे कर सकती थी.

जरूरत तब पड़ी, जब एक दिन दीपिका के पिता को बिजनैस में कुछ नुकसान हुआ और उन्होंने उस से 3 लाख रुपए मांगे. तब दीपिका ने पिता का एकाउंट नंबर तुषार को देते हुए कहा, ‘‘तुषार, मेरे एकाउंट से पापा के एकाउंट में 3 लाख रुपए ट्रांसफर कर देना.’’

इतना सुनते ही तुषार ने दीपिका से कहा, ‘‘डार्लिंग, तुम्हारे एकाउंट में रुपए हैं कहां. मुश्किल से 2-4 सौ रुपए होंगे.’’

दीपिका को झटका लगा. क्योंकि उस के एकाउंट में तो 12 लाख रुपए से अधिक थे. आखिर वे पैसे गए कहां.

उस ने तुषार से पूछा, ‘‘मेरे एकाउंट में उस समय 12 लाख रुपए से अधिक थे. इस के अलावा हर महीने 40 हजार रुपए सैलरी के भी आ रहे थे. सारे के सारे पैसे कहां खर्च हो गए?’’

तुषार झुंझलाते हुए बोला, ‘‘कुछ तुम्हारी डिलीवरी में खर्च हुए, कुछ हनीमून पर खर्च हो गए. बाकी रुपए घर की जरूरतों पर खर्च हो गए. तुम्हारे पैसों से ही तो घर चल रहा है. मेरी सैलरी और पापा की पेंशन के पैसे तो शिखा की शादी के लिए जमा हो रहे हैं.’’

तुषार का जवाब सुन कर दीपिका खामोश हो गई. पर उसे यह समझते देर नहीं लगी कि उस के साथ कहीं कुछ न कुछ गलत हो रहा है.

डिलीवरी के समय उसे छोटे से नर्सिंगहोम में दाखिल किया गया था. उस का बिल मात्र 30 हजार रुपए आया था. हनीमून पर भी अधिक खर्च नहीं हुआ था. जिस होटल में ठहरे थे, वह बिलकुल साधारण सा था. उन का खानापीना भी सामान्य हुआ था.

जो होना था, वह हो चुका था. उस पर बहस करती तो रिश्ते में खटास आ जाती. लिहाजा उस ने भविष्य में सावधान रहने की ठान ली.

तुषार से अपनी बैंक पास बुक, चैकबुक और डेबिट कार्ड ले कर उस ने कह दिया कि वह घर खर्च के लिए महीने में सिर्फ 10 हजार रुपए देगी. सैलरी के बाकी पैसे गौरांग के भविष्य के लिए जमा करेगी और शिखा की शादी में 2 लाख रुपए दे देगी.

दीपिका के निर्णय से तुषार को दुख हुआ, लेकिन वह उस समय कुछ बोला नहीं.

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अगले दिन ही दीपिका ने बैंक से ओवरड्राफ्ट के जरिए पैसे ले कर अपने पिता को दे दिए. पर उन्हें यह नहीं बताया कि तुषार ने उस के सारे रुपए खर्च कर दिए हैं.

कुछ दिनों तक सब कुछ सामान्य रहा. उस के बाद अचानक तुषार ने उस से कहा, ‘‘मैं ने नौकरी छोड़ दी है.’’

‘‘क्यों?’’ दीपिका ने पूछा.

‘‘बिजनैस करना चाहता हूं. इस के लिए तैयारी कर ली है, पर तुम्हारी मदद के बिना नहीं कर सकता.’’

‘‘तुम्हारी मदद हर तरह से करूंगी. बताओ, मुझे क्या करना होगा?’’ दीपिका ने पूछा.

‘‘तुम्हें अपने नाम से 50 लाख रुपए का लोन बैंक से लेना है. उसी रुपए से बिजनैस करूंगा. मेरा कुछ इस तरह का बिजनैस होगा कि लोन 5 साल में चुकता हो जाएगा.’’

‘‘इतने रुपए का लोन मुझे नहीं मिलेगा. अभी नौकरी लगे 5 साल ही तो हुए हैं.’’

‘‘मैं ने पता कर लिया है. होम लोन मिल जाएगा.’’

‘‘होम लोन लोगे तो बिजनैस कैसे करोगे. इस लोन में फ्लैट या कोई मकान लेना ही होगा.’’ दीपिका ने बताया.

‘‘इस की चिंता तुम मत करो. मैं ने सारी व्यवस्था कर ली है. तुम्हें सिर्फ होम लोन के पेपर्स पर दस्तखत कर बैंक में जमा करने हैं.’’

‘‘मैं कुछ समझी नहीं, तुम करना क्या चाहते हो. ठीक से बताओ.’’

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उम्र का फासला: भाग 3- क्या हुआ लक्षिता के साथ

दूसरी तरफ मां का हाल अलग ही बुरा था. वह बारबार अस्पताल जाने और पापा को देखने की जिद किए जा रही थी. विशाल अपनी सारी परेशानी लक्षिता को सुना कर हलका हो लिया करता था. लक्षिता भी कभी केवल सुन कर तो कभी सलाह दे कर उस का हौसला बढ़ाती रहती.

अगले 2 दिन विशाल का फोन नहीं आया. ‘व्यस्त होगा,’ सोच कर लक्षिता ने भी उसे डिस्टर्ब नहीं किया. आज रविवार की छुट्टी थी. लक्षिता को विशाल के आने की उम्मीद थी. जब से वह यहां शिफ्ट हुई है, एक छोड़ एक रविवार को विशाल आता है उस से मिलने.

शाम ढलने को थी, लेकिन विशाल नहीं आया. उस के इंतजार में लक्षिता ने लंच भी नहीं किया. सोचा साथ ही करेंगे, लेकिन अब तो वह शाम की चाय भी पी चुकी थी. मां ने जिद की तो चाय के साथ 2 बिस्कुट ले लिए.

‘‘आज विशाल नहीं आया?’’ मां ने पूछा.

लक्षिता सिर्फ ‘‘हम्म’’ कह कर रह गई.

‘‘क्यों?’’ मां ने फिर पूछा तो लक्षिता ने ससुरजी के कोरोना ग्रस्त और विशाल के परेशानी में होने की जानकारी दी. लक्षिता ने महसूस किया कि उस के हर वाक्य के साथ मां की आंखें आश्चर्य से फैलतीं और माथे की लकीरें तनाव से सिकुड़ती जा रही थीं.

‘‘अरे, विशाल तो छोटा है, लेकिन तु?ो भी अकल क्यों नहीं आई. कम से कम ऐसे समय तो सासससुर को बहू से सेवा की आशा रहती ही है. मैं तो कहती हूं कि तुझे कल ही वहां चले जाना चाहिए. तू ऐसा कर, अभी विशाल को फोन कर. उसे हिम्मत बंधा और अपना सामान पैक कर. और सुन, औफिस से कम से कम 15 दिन की छुट्टी ले कर जाना.’’

मां ने लक्षिता को दुनियादारी सिखाई.

लक्षिता को हालांकि मां का उम्र का हवाला देना अखरा, लेकिन उसे अपनी गलती भी महसूस हुई.

‘अकेला लड़का, बेचारा परेशान हो रहा है. न घरबाहर संभल रहा होगा… मुझ से भी तो आने को कह सकता था न,’’ सोचतेविचारते हुए उस ने विशाल को फोन किया.

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‘‘क्या बताता तुम्हें? पापा को संभालतेसंभालते मैं खुद संक्रमित हो गया. तुम्हें बताता तो तुम आने की जिद करती और तुम्हारे लिए मैं कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहता. फिलहाल तो लक्षण गंभीर नहीं दिख रहे इसलिए घर पर ही क्वारंटीन हूं, लेकिन मु?ो बहुत डर लग रहा है. पता नहीं क्या होगा,’’ लक्षिता का फोन सुनते ही विशाल छोटे बच्चे की तरह बिलखने लगा.

इधर लक्षिता के पांवों तले से भी जमीन दरक गई. उसे पति पर दया भी आई और लाड़ भी. अगले दिन सुबह लक्षिता विशाल के घर अपनी सास के पास थी.

घर पहुंचते ही लक्षिता ने सारी जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली. साफसफाई से ले कर पौष्टिक खाने तक सभी काम वह अपनी निगरानी में ही करवाती. विशाल एक अलग कमरे में क्वारंटीन था. लक्षिता उस की हर जरूरत का खयाल रख रही थी. वह विशाल की शारीरिक और मानसिक स्थिति पर अपनी नजर बनाए हुए थी. विशाल को अकेलापन न खले इस का भी उसे पूरा खयाल था. लगातार वीडियो कौल पर बातों के साथसाथ कुछ अच्छी पुस्तकों और कई ओटीटी प्लेटफौर्म उसे सब्सक्राइब करवा दिए ताकि उस का मन बहलता रहे.

लक्षिता की सास उस की हर गतिविधि का अवलोकन कर रही थी. हालांकि लक्षिता ऐसा कुछ भी विशेष नहीं कर रही थी जो कोई अन्य नहीं कर सकता, लेकिन उस ने महसूस किया कि लक्षिता के हर क्रियाकलाप में एक गंभीरता है, परिपक्वता है. वह कोई भी काम चाहे किसी डाक्टर से परामर्श लेना हो या कोई घरेलू उपाय, हड़बड़ी या घबराहट में नहीं करती बल्कि पूरी तरह से विचार कर, आगापीछा सोच कर करती है. इस दौरान उसे एक बार भी यह विचार नहीं आया कि यदि बहू विशाल की हमउम्र होती तो ऐसी परिस्थति में कैसे रिएक्ट करती. शायद मुसीबतों का भी व्यक्ति की उम्र से कुछ लेनादेना नहीं होता.

डाक्टर की दवाओं के साथसाथ लक्षिता एक वैद्य के संपर्क में भी थी.

ऐलोपैथी और आयुर्वेद के साथसाथ लक्षिता की मेहनत भी मिल गई थी. तीनों ने मिल कर उम्मीद से कहीं अधिक अच्छे परिणाम दिए. विशाल अब पहले से काफी बेहतर महसूस कर रहा था. सप्ताह भर बाद उस की कोरोना रिपोर्ट भी नैगेटिव आ गई और इधर विशाल के पापा को भी अस्पताल से छुट्टी मिल गई. वे भी लक्षिता की समझदारी की तारीफ करते नहीं थक रहे थे.

इन दिनों लक्षिता की सास के चेहरे पर संतुष्टि की चमक उत्तरोत्तर गहराने लगी थी. उस ने यह भी लक्ष्य किया कि लक्षिता के सलीके और सुघड़ता को देख कर उस की और विशाल की उम्र के अंतर को भांप पाना आसान नहीं लगता.

विशाल अब पूरी तरह से स्वस्थ था. पापा की रिकवरी भी बहुत अच्छी हो रही थी. 2 दिन बाद लक्षिता की छुट्टियां भी खत्म हो रही थीं. लक्षिता ने घर में साफसफाई और खाने की व्यवस्था करवा दी. कपड़े धोने के लिए औटोमैटिक वाशिंग मशीन भी खरीद लाई. एकबारगी काम चलाने लायक जुगाड़ हो गया था. यह भी तय हुआ कि जब तक पापा पूरी तरह ठीक नहीं हो जाते तब तक लक्षिता हर सप्ताह उन्हें देखने आएगी. यही सब बताने के लिए लक्षिता अपनी सास के कमरे की तरफ जा रही थी कि भीतर से आते संवाद में अपने नाम का जिक्र सुन कर दरवाजे पर ही ठिठक गई.

‘‘लक्षिता, सचमुच बहुत समझदार है. उस के व्यवहार ने मेरी उस धारणा को गलत साबित कर दिया कि अधिक उम्र की लड़की अपने पति को बच्चा समझ कर उस के साथ मां की तरह पेश आती है बल्कि अब तो मु?ो लग रहा है कि विशाल से तो लक्षिता जैसी समझदार पत्नी ही निभा सकती थी. कितना बचपना है विशाल में. एकदम अनाड़ी है दुनियादारी में.’’

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अपने बारे में सास के विचार जान कर लक्षिता चौंक गई.

‘‘यानी तुम इस बात को स्वीकार करती

हो कि विवाहित जोड़े में किसी एक की उम्र

दूसरे से इतनी ही अधिक होनी चाहिए. तुम्हारे हिसाब से उम्र का यह फासला जायज है?’’ यह ससुर की आश्चर्य भरी प्रतिक्रिया थी. लक्षिता

इस प्रतिक्रिया का जवाब सुनने के लिए उतावली हो उठी. उस ने अपने कान सास के जवाब पर टिका दिए.

‘‘हर जोड़े में ऐसा ही हो यह जरूरी नहीं. इस बात में भी दोराय नहीं कि उम्र का

अधिक फासला रिश्तों में पेचीदगी लाता है, लेकिन हां, इस बात को मैं खुले दिल से स्वीकार करती हूं कि प्रेम उम्र के फासले को पाट सकता है,’’ सास ने कहा तो लक्षिता के चेहरे की मुसकान और भी अधिक गहरी हो गई. वह सास के कमरे में जाने के बजाय रसोई की तरफ मुड़ गई. आज मन कुछ खास बनाने को हो आया.

‘‘लक्षिता, वैसे तो यह फैसला पतिपत्नी का होता है, लेकिन फिर भी मैं सलाह देना चाहूंगी कि तुम दोनों को अपना परिवार बढ़ाने में देर नहीं करनी चाहिए. उम्र बढ़ने पर कोई कौंप्लिकेसी आ सकती है,’’ सास ने रात को खाने की मेज पर सब के सामने कहा तो निवाला मुंह की तरफ बढ़ाते विशाल का हाथ रुक गया. वह कभी अपनी मां तो कभी लक्षिता की तरफ देखने लगा.

सब्जी परोसती लक्षिता के हाथ भी ठिठक गए. आज उसे सास का बड़ी उम्र का ताना देना भी बुरा नहीं लगा. रिश्ते को स्वीकृति देने के इस अनोखे अंदाज को समझते ही लक्षिता की आंखें शर्म से झक गईं.

‘‘मैं तो कहता हूं कि कोशिश कर के तुम अपना ट्रांसफर यहीं करवा लो, कम से कम परिवार एकसाथ तो रहेगा,’’ कहते हुए ससुरजी ने उस की तरफ देखा.

विशाल और लक्षिता एकदूसरे को चोर निगाहों से देखते हुए मंदमंद मुसकरा रहे थे.

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Women’s Day: ‘ड्राइव हर बैक’ कैंपेन महिलाओं को कैरियर से दोबारा जोड़ने की पहल

महिलाओं का जीवन जिम्मेदारियों व उतारचढ़ाव से भरा होता है. परिवार व बच्चों की खातिर उन्हें कई बार ऐसे समझते भी करने पड़ते हैं, जो उनके सपनों से जुड़े होते हैं यानी अच्छीखासी नौकरी करने के बावजूद उन्हें कई बार किन्हीं कारणों से जौब छोड़नी पड़ती है या फिर जौब से ब्रेक लेना पड़ता है, जो सीधे तौर पर उनके आत्मविश्वास को कम करने के साथसाथ उनके मनोबल को तोड़ने का भी काम करता है. वे मन ही मन यही सोचती हैं कि कैरियर से ब्रेक तो आसानी से ले लिया, लेकिन क्या कैरियर में वापसी भी उतनी आसानी से हो पाएगी. यही सवाल उन्हें मन ही मन परेशान करता है.

महिलाओं की इसी परेशानी को समझते हुए 2019 में एमजी मोटर इंडिया की पहल पर ‘ड्राइव हर बैक’ (डीएचबी) कैंपेन की शुरुआत हुई, जिस से कैरियर में वापस लौटने वाली महिलाओं को जोड़ कर उन्हें न सिर्फ रोजगार दिया बल्कि उनके आत्मविश्वास व कोन्फिडेन्स को भी वापस लौटाने का काम किया.

तो आइए जानते हैं इसके बारे में

एमजी मोटर इंडिया कुछ समय से उन प्रतिभावान व अनुभवी महिलाओं की मदद करना चाहता था, जो परिवार, बच्चों व प्रेग्नेंसी इत्यादि कारणों की वजह से कैरियर से ब्रेक ले चुकी थीं, लेकिन अब दोबारा से अपनी कारपोरेट यात्रा को शुरू करना चाहती थीं. उनकी भावना व परेशानी को अपनी परेशानी समझते हुए एमजी मोटर इंडिया ने 2019 में ‘ड्राइव हर बैक’ कैंपेन की शुरुआत की ताकि ऐसी महिलाओं के हुनर को प्रशिक्षण से और निखार कर वे कामयाबी की ऊंचाइयों को छूने में सफल हो सकें. उनका खोया हुआ कोन्फिडेन्स वापस लौटे और वे अपने अधूरे सपनों को इस प्लेटफार्म के जरिए पूरा कर सकें.

‘ड्राइव हर बैक’ कैंपेन के पहले सीजन में 250 महिलाओं ने भाग लिया, वहीं दूसरे सीजन में इनकी संख्या दोगुनी होकर 500 पहुंच गई है. जिसके माध्यम से अब तक 42 महिलाओं को दोबारा से अपना कैरियर शुरू करने में सहयोग मिल चुका है. जो इस कैंपेन की बड़ी सफलता को दर्शाने का काम करता है. बता दें कि जिन महिलाओं ने कैरियर से ब्रेक लिया था, उनमें आत्मविश्वास पैदा करने के लिए इसके अंतर्गत उनके लिए कार्यशालाएं चलाई जाती हैं. ये कार्यशालाएं प्रवेश कार्यक्रम के दौरान होती हैं, जहां टीम के हर सदस्य को एक उपयुक्त संरक्षक दिया जाता है.

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महिलाओं को ट्रेनिंग

हमारे आफलाइन वार्षिक कार्यक्रम के अंतर्गत महिलाओं को कुशल संरक्षकों द्वारा जरूरी ट्रेनिंग दी जाती है ताकि उन्हें कॉरपोरेट सेक्टर में उतरने के लिए स्ट्रौंग ट्रेनिंग दी जाने के साथसाथ वे वर्क व जीवन में बैलेंस बनाना भी सीख सकें.

इसके लिए हमने गुजरात के आसपास से योग्य महिला अभ्यर्थियों को खोजा और उन्हें एमजी इंडिया की सपोर्ट टीम में शामिल करने के लिए प्रोत्साहित किया. महिलाएं के इस प्रशिक्षण में हिस्सा लेने पर उन्हें कई बेहतरीन अवसर मिल सकते हैं व मिल रहे हैं.

एमजी मोटर इंडिया ‘ड्राइव हर बैक’ कैंपेन की टीम में प्रोफेशनल्स को नियुक्त करता है, जो हमेशा कंपनी के मिशन व विजन को ध्यान में रखकर काम करें. छोटेबड़े हर स्तर पर पहल करने की कोशिश की जा रही है ताकि इस कार्यक्रम को सफल बनाया जा सके. यहां तक कि अपने कर्मचारियों के लिए तरहतरह के डी एंड आई सत्रों (डाइवर्सिटी एंड इनक्लूसन) सत्रों का आयोजन भी किया जाता है ताकि कहीं कोई कमी न रहने पाए और समावेशी संस्कृति को भी बढ़ावा मिले.

एक उपयुक्त मंच है

इसके अंतर्गत हर कर्मचारी के लिए लचीली समयसारणि व रणनीतियां तैयार करते हैं ताकि उनका व्यक्तिगत व प्रोफेशनल तरीके से विकास हो. इसके अनुसार डीएचबी की महिला सदस्याएं प्रशिक्षण व मेहनत के अनुसार अपना कॉरपोरेट कैरियर शुरू कर सकती हैं. हम जमीनी स्तर पर भी सीख देते हैं ताकि कहीं भी किसी भी तरह की कोई दिक्कत न आए.

‘ड्राइव हर बैक’ प्रोग्राम महिलाओं में कुशलताओं का निर्माण करने के अलावा सीखने और विचारों का आदानप्रदान करने के लिए भी एक बहुत ही उपयुक्त मंच है ताकि वे इसका हिस्सा बनकर खुद को बेहतर साबित करने में सफल हो सकें.

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इसके दो सीजन की सक्सेस को देखते हुए एमजी मोटर इंडिया इसके तीसरे सीजन में कुछ और बदलाव कर रहा है. विभिन्न स्तरों और कुशलताओं के आधार पर नियुक्ति होगी और कई उद्योगों से महिलाओं को आमंत्रित किया जाएगा. इस कार्यक्रम से जुड़कर महिलाएं खुद में काफी सुधार महसूस कर

रही हैं. शुरुआत में उनमें विचारों को व्यक्त करने में जो हिचकिचाहट थी, वे प्रशिक्षण से दूर होकर खुद को अब कोन्फिडेन्स से भरपूर पा रही हैं, क्योंकि मेहनत, प्रशिक्षण के दम पर उनकी जोरदार तरीके से कैरियर में वापसी जो हो रही है.

Holi Special: फैमिली के लिए बनाएं मीठी पूरी

फैमिली संग सेलिब्रेशन के मौके पर अगर आप अपनी फैमिली के लिए टेस्टी रेसिपी ट्राय करना चाहती हैं तो मीठी पूरी आपके लिए अच्छा औप्शन है.

सामग्री

500 ग्राम आटा,

2 छोटे चम्मच सौंफ,

150 ग्राम गुड़,

1 छोटा चम्मच अमचूर,

1/2 छोटा चम्मच बेकिंग सोडा,

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4 छोटे चम्मच घी मोयन के लिए,

थोड़ा सा नारियल कद्दूकस किया भरावन के लिए,

तलने के लिए पर्याप्त तेल.

विधि

आटे में मोयन डाल कर दोनों हथेलियों से मसल कर एकसार कर लें. सौंफ को भी आटे में मिल लें. गुड़ को 11/2 कप पानी में उबाल कर ठंडा करें. गुड़ के पानी में बेकिंग सोडा व अमचूर मिक्स कर के आटा गूंध लें. आटे की लोइयां बना कर पूरियां बेल लें. बीच में 1 चम्मच नारियल भर कर बेलें. गरम तेल में सुनहरा तल कर गरमगरम सर्व करें.

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कैंसर से जुड़ी गलत धारणा और फैक्ट के बारे में बताएं?

सवाल-

मुझे ब्रैस्ट कैंसर है. डाक्टर ने सर्जरी के द्वारा ब्रैस्ट का एक भाग निकालने को कहा है, लेकिन मुझे किसी ने सलाह दी है कि पूरी ब्रैस्ट निकालनी जरूरी है वरना यह दोबारा हो सकता है?

जवाब-

सर्जरी के द्वारा ब्रैस्ट के उसी भाग को निकाला जाता है जिस में कैंसर होता है. डाक्टर हमेशा ब्रैस्ट को सुरक्षित रखना चाहते हैं क्योंकि यह मरीज के आत्मविश्वास और सामान्य जीवन जीने के लिए बहुत जरूरी है. स्वस्थ ब्रैस्ट को बचाने से दोबारा कैंसर होने का रिस्क नहीं बढ़ता है. आप अपने डाक्टर पर विश्वास बनाए रखें और उस के निर्देशों का पालन करें.

सवाल-

मेरी शादी को 2 साल हुए हैं. कोई बच्चा नहीं है. ब्रेस्ट कैंसर के लिए सर्जरी कराने के बाद अब कीमोथेरैपी हो रही है. क्या मैं अपने अंडे प्रिजर्व करा सकती हूं?

जवाब-

ब्रैस्ट कैंसर के उपचार के परिणाम बहुत अच्छे हैं. उपचार के पश्चात अधिकतर मरीज सामान्य जीवन जी सकते हैं. कीमोथेरैपी डिवाइडिंग सैल्स पर काम करती है, इसलिए यह अंडों की कोशिकाओं को भी मार सकती है. इसलिए जो महिलाएं फैमिली प्लान करना चाहती हैं उन्हें अपने अंडे प्रिजर्व करा लेने चाहिए.

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सवाल-

मेरी उम्र 54 वर्ष है. 5 साल पहले मेनोपौज हो गया है. लेकिन कभीकभी वैजाइना से ब्लीडिंग होती है. कोई खतरे की बात तो नहीं?

जवाब-

मेनोपौज के बाद वैजाइना से ब्लीडिंग होना बिलकुल भी सामान्य नहीं है. ब्लीडिंग चाहे मेनोपौज के बाद हो, 2 माहवारी के बीच या शारीरिक संबंध बनाने के बाद, महिलाओं को इसे गंभीरता से लेना चाहिए. यह सर्वाइकल कैंसर का संकेत हो सकता है. आप तुरंत किसी अच्छे डाक्टर को दिखाएं, जरूरी जांच कराएं और डायग्नोसिस के अनुसार उपचार शुरू करें.

सवाल-

मेरे पति स्मोकिंग करते हैं. उन के फेफड़ों की स्थिति को देखते हुए डाक्टर ने उन्हें स्मोकिंग पूरी तरह बंद करने का सुझाव दिया है. क्या इस कारण मेरे लिए भी फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ गया है?

जवाब-

विश्वभर में स्मोकिंग को फेफड़ों के कैंसर का सब से बड़ा रिस्क फैक्टर माना जाता है. आप स्मोकिंग नहीं करतीं. लेकिन अपने पति के कारण आप पैसिव स्मोकर तो हैं ही. ऐसे में आप के लिए फेफड़ों के कैंसर का खतरा सामान्य लोगों से अधिक है. आप अपने पति को धूम्रपान पूरी तरह बंद करने के लिए समझाएं.

सवाल-

मेरे स्तन में गांठ है. डाक्टर ने बायोप्सी और एफएनएसी कराने को कहा है. लेकिन मुझे डर लग रहा है कि कहीं नीडिल के कारण कैंसर दूसरे अंगों तक तो नहीं फैल जाएगा?

जवाब-

बायोप्सी और फाइन नीडल एसपाइरेशन साइटोलौजी (एफएनएसी) दोनों ही बड़ी सुरक्षित प्रक्रियाएं हैं. इन्हीं जांचों के द्वारा कैंसर और उस के प्रकार के बारे में पता चलता है. बायोप्सी या एफएनएसी कैंसर के फैलने का कारण बन सकते हैं. यह पूरी तरह गलत धारणा है. आप अपने डाक्टर के कहे अनुसार दोनों जांचें जरूर कराएं.

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सवाल-

मेरी मां को लिवर कैंसर और पिता को प्रोस्टेट कैंसर है. मैं अपने स्वास्थ्य को ले कर बहुत चिंतित हूं. क्या मातापिता दोनों को कैंसर होने से मैं हाई रिस्क कैटेगरी में आती हूं?

जवाब-

यह सही है कि आनुवंशिक कारण कैंसर के लिए प्रमुख रिस्क फैक्टर्स में से एक है. लेकिन परिवार में जब 3 पीढि़यों तक कैंसर के मामले लगातार होते हैं तब उसे आनुवंशिक माना जाता है. आप के मातापिता दोनों को कैंसर है इस से आप को घबराने की जरूरत नहीं है. उन में आपस में कोई रक्त संबंध नहीं है क्योंकि वे अलगअलग परिवारों से आते हैं. इसलिए ये आनुवंशिकता से संबंधित नहीं माना जा सकता है.

सवाल-

डाक्टर मुझे कीमोथेरैपी के बाद स्टेराइड भी दे रहे हैं. मैं ने बहुत पढ़ा है कि स्टेराइड का सेवन नहीं करना चाहिए. यह सेहत के लिए काफी नुकसानदायक होता है?

जवाब-

अगर आप के डाक्टर आप को कीमोथेरैपी के साथ स्टेराइड दे रहे हैं तो आप को जरूर लेना चाहिए. यह कीमोथेरैपी के साइड इफैक्ट्स से बचने के लिए दिया जाता है. कई बार तो स्टेराइड कीमोथेरैपी का ही हिस्सा होता है. ऐसे में इसे लेने से कोई दिक्कत नहीं होती. इसलिए डाक्टर द्वारा सुझाई सभी दवाइयां नियत समय पर और निर्धारित मात्रा में जरूर लें.

सवाल-

मुझे 2-3 महीनों से लगातार खांसी आ रही है. 1-2 बार बलगम में खून भी आया है. क्या यह फेफड़ों के कैंसर का संकेत हो सकता है? लेकिन मैं ने तो जीवन में कभी सिगरेट नहीं पी है?

जवाब-

यह सही है कि फेफड़ों के कैंसर को पहले स्मोकर्स डिजीज के नाम से जाना जाता था. लेकिन आज हालात बदल गए हैं. बढ़ते वायुप्रदूषण, खानपान की गलत आदतें, शारीरिक सक्रियता की कमी के कारण धूम्रपान न करने वाले भी फेफड़ों के कैंसर के शिकार हो रहे हैं. आप डाक्टर को दिखाएं. छाती का एक्सरे या सीटी स्कैन कराने पर ही स्थिति स्पष्ट होगी. फेफड़ों के कैंसर का संदेह होने पर बायोप्सी कराई जाएगी.

-डा. गौतम गोयल

कंसल्टैंट, कैंसर विशेषज्ञ, मैक्स हौस्पिटल, मोहाली, पंजाब.

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

सुखद बनाएं Twin Pregnancy

रमा की शादी को कई 8 साल गए थे, पर उसे कोई बच्चा नहीं हो रहा था. बच्चे के लिए इलाज कराने रमा अपने पति के साथ डाक्टर के पास गई. कुछ दिन दवा खाई, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. रमा और उस के पति ने डाक्टर का इलाज बंद कर दिया. इस के 7 माह बाद ही रमा के पेट में बच्चा आ गया. उसे लगा कि बच्चा तो उसे बिना कोई दवा खाए आया है. जिस तरह बच्चा पेट में आया है उस तरह उस का प्रसव भी हो जाएगा, उस ने सोचा.

यहीं पर रमा से गलती हो गई. उसे कोई तकलीफ नहीं हुई तो वह किसी भी तरह की जांच कराने के लिए डाक्टर के पास नहीं गई. जब प्रसव का समय करीब आ गया और बच्चा नहीं हो पा रहा था तब रमा को पेट में बहुत दर्द होने लगा. तब रमा घबरा कर पति के साथ अस्पताल गई.

अस्पताल पहुंचते पहुंचते उस की हालत बहुत बिगड़ गई. बड़ी मुश्किल से औपरेशन कर के डाक्टरों ने रमा को तो बचा लिया, लेकिन उस के जुड़वां बच्चों को नहीं बचा पाए. रमा और उस का पति अब पछता रहे हैं कि अगर समयसमय पर जांच कराते रहते और प्रसव के समय अस्पताल चले जाते तो बच्चों को बचाया जा सकता था.

टैंशन नहीं सावधानी बरतें

दरअसल, बच्चा पेट में आने पर डाक्टर से जांच जरूर करानी चाहिए. प्रसव अस्पताल या किसी जानकार की देखरेख में ही होना चाहिए. अगर पेट में जुड़वां बच्चे पल रहे हों तो और ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत होती है.

अगर पेट में जुड़वां बच्चे हों तो किस तरह की सावधानियां बरतनी चाहिए, इस बारे में जानकारी देते हुए लखनऊ की स्त्रीरोग विशेषज्ञा डाक्टर रेनू मक्कड़ कहती हैं, ‘‘जब गर्भ में 1 से अधिक बच्चे हों तो इसे मल्टीपल प्रैगनैंसी कहते हैं. संतानहीनता का उपचार करने में प्रयोग होने वाली दवाओं के चलते जुड़वां बच्चों के मामलों में तेजी आ रही है. जब गर्भ में 1 से ज्यादा बच्चे पल रहे हों तो गर्भवती और उस के परिवार के लोगों को और भी ज्यादा सावधान रहने की जरूरत होती है.’’

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जुड़वां बच्चे यानी डबल परेशानी

डाक्टर रेनू मक्कड़ कहती हैं, ‘‘जुड़वां बच्चों के दौरान प्रसव की परेशानियां बढ़ जाती हैं. गर्भवती का वजन बढ़ जाता है, सामान्य प्रसव के मुकाबले अधिक उलटियां होती हैं. जुड़वां बच्चे जब पेट में होते हैं तो औरत को डायबिटीज का खतरा भी ज्यादा हो जाता है. औरत को हाई ब्लड प्रैसर की शिकायत हो जाती है.

प्रसव के बाद खून ज्यादा मात्रा में बहता है. जुड़वां बच्चों के मामलों में प्रसव समय से पहले हो जाता है. प्रसव के लिए औपरेशन करने की जरूरत भी सामान्य प्रसव के मुकाबले ज्यादा होती है. पेट में 1 से अधिक बच्चे होने पर वे कमजोर पैदा होते हैं.

‘‘जुड़वां बच्चों के पेट में पलने पर मां को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है. मां को ऐनीमिया की शिकायत ज्यादा होती है. इस तरह के बच्चों में कभीकभी जन्मजात विकृति भी हो जाती है. पेट में पानी की थैली में ज्यादा पानी भी हो जाता है.’’

कैसे पता करें जुड़वां बच्चों का

जुड़वां बच्चों के प्रसव में होने वाली परेशानी को दूर करने के लिए यह जानना जरूरी है कि सच में पेट में जुड़वां बच्चे पल रहे हैं. मगर इस बात का पता कैसे चल पाएगा? इस पर डाक्टर रेनू मक्कड़ कहती हैं कि अल्ट्रासाउंड के जरीए यह पता लगाना आसान हो गया है. गर्भवती महिला में जब एचसीजी का स्तर बढ़ जाता है तो पता चल जाता है कि पेट में जुड़वां बच्चे पल रहे हैं. इस का पता वक्त और मूत्र की जांच से भी चल जाता है. गर्भवती औरतों में किए जाने वाले एएफपी टैस्ट से भी इस का पता चल जाता है.

पेट में जुड़वां बच्चे होने की दशा में पेट का आकार सामान्य से ज्यादा बड़ा होता है. डाक्टर गर्भाशय का आकार नाप कर इस बात का पता लगा सकते हैं. मगर यह बात सटीक जानकारी नहीं देती. कभीकभी दूसरे कारणों से भी पेट का आकार बढ़ जाता है. गर्भवती औरत का बढ़ता वजन भी जुड़वां बच्चों की चुगली कर देता है. आमतौर पर प्रसव के दौरान औरतों का वजन 10 किलोग्राम बढ़ता है. अगर पेट में जुड़वां बच्चे पल रहे हैं तो वजन 15 किलोग्राम तब बढ़ जाता है.

जुड़वां बच्चों के पेट में पलने की दशा में औरतों को सामान्य से ज्यादा उलटियां होने लगती हैं, उन्हें थकान भी ज्यादा होती है और शरीर में सुस्ती बनी रहती है. अगर परिवार में गर्भवती की मां या नानी के जुड़वां बच्चे हुए हों तो जुड़वां बच्चे होने की संभावना ज्यादा रहती है.

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क्या करें जब पेट में हो जुड़वां बच्चे

जब औरत को इस बात का पता चल जाए कि उस के पेट में जुड़वां बच्चे पल रहे हैं, तो उसे सामान्य गर्भवती औरत से ज्यादा आराम करना चाहिए. जब प्रसव का समय करीब आए तो बहुत सावधानी बरते, क्योंकि कभीकभी जुड़वां बच्चे होने पर प्रसव समय से पहले भी हो जाता है. जुड़वां बच्चे होने की दशा में पेट में पल रहे बच्चों की सेहत पर भी बहुत प्रभाव पड़ता है. इसलिए उन की सेहत की जांच भी कराते रहना चाहिए. गर्भवती को ज्यादा पौष्टिक खाना खाने की जरूरत होती है. वह डाक्टर के संपर्क में रहे और इस बात का पता कर ले कि प्रसव सामान्य ढंग से होगा या फिर औपरेशन के द्वारा.

Top 10 Husband-wife Relationship Tips in Hindi: पति-पत्नी के रिश्ते से जुड़ी टॉप 10 खबरें हिंदी में

Top 10 Husband-wife Relationship Tips in Hindi: पति-पत्नी के रिश्ते में कई उतार-चढ़ाव देखने को मिलते हैं. जिसके कारण जहां कई रिश्ते मजबूत होते हैं तो वहीं कईं टूट जाते हैं. क्योंकि हरेक की सोच और बिहेवियर एक दूसरे से अलग होता है. हालांकि अगर इन रिश्तों को समझदारी और प्यार से सुलझाया जाए तो वह सालों तक मजबूत बने रहते हैं. तो अगर आप भी अपनी मैरिड लाइफ को मजबूत बनाना चाहते हैं तो पढ़िए गृहशोभा की Top 10 Husband-wife Relationship Tips in Hindi. आप इन खास टिप्स को अपनाकर अपने पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत कर सकते हैं.

1. गंदी बात नहीं औरत का और्गेज्म

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हाल ही में दूसरे देशों में नैशनल और्गेज्म डे मनाया गया और वहां इस से जुड़ी बातें लोग खुले तौर पर करते भी रहते हैं. वहीं भारत में सैक्स और और्गेज्म पर बात करने से लोग मुंह छिपाने लगते हैं. यहां तक कि ज्यादातर लोग अपने ही साथी या पार्टनर से भी इस पर बात नहीं कर पाते. एक बेहद दिलचस्प बात यह भी है कि हिंदी में और्गेज्म का मतलब तृप्ति है जो इस शब्द का सही अर्थ नहीं है.

महिला और पुरुष दोनों एकदूसरे से शारीरिक तौर पर बेहद अलग हैं और दोनों पर धर्म से नियंत्रित समाज का नजरिया और भी अलग है. जहां पुरुषों को सभी प्रकार की छूट बचपन से ही भेंट में मिल जाती है, वहीं महिलाओं को बचपन से ही अलग तरीकों से पाला जाता है. उन के लिए तमाम तरह के नियमबंधन बनाए जाते हैं. उन के बचपन से वयस्क होने की दहलीज तक आते आते उन्हें इस तरह की शिक्षा दी जाती है कि वे अपने शरीर से जुड़ी बातें चाह कर भी नहीं कर पाती हैं.

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2. आर्थिक तनाव सैक्स पर हावी तो नहीं

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सैक्स केवल शारीरिक गतिविधि ही नहीं है वरन इस में भावनात्मक लगाव भी प्रमुख होता है. आर्थिक तनाव के कारण इमोशन के स्तर पर खासा प्रभाव पड़ता है. चिंता में डूबा मन शरीर का पूरी तरह साथ नहीं दे पाता है, जिस वजह से सैक्स लाइफ प्रभावित होती है. इस का प्रभाव केवल पतिपत्नी पर ही नहीं वरन घरपरिवार बच्चे और समाज पर भी पड़ता है. खराब सैक्स लाइफ का प्रभाव व्यक्ति की कार्यक्षमता पर भी पड़ता है.

वैसे तो हर तरह का तनाव सैक्स लाइफ पर असर डालती है. आर्थिक तनाव होने पर केवल खुद पर ही असर नहीं पड़ता साथी या पार्टनर पर भी असर पड़ता है. इस की वजह यह है कि पैसों की कमी के कारण डाक्टर और दवा दोनों मुश्किल हो जाते हैं.

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3. आपकी पत्नी को ये बातें लग सकती हैं बुरी, इसलिये रखें खास ख्याल

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पति –पत्नी का रिश्ता बहुत अहम होता है खासतौर पर उस वक्त जब आपकी नई-नई शादी हुई हो और आपको एक-दूसरे को वक्त देना ज्यादा जरूरी होता है. क्योंकि अगर आपने अपना रिश्ता उस वक्त नहीं संभाला तो आने वाने समय में आपको बहुत सारी समस्याओं को सामना करना पड़ सकता है इसलिए कुछ बातें ऐसी होती हैं जिनका खास खयाल आपको रखना चाहिए.

जब आपकी शादी होती है तो सब कुछ नया होता है ऐसे में एक पति को पत्नी को ज्यादा वक्त देना चाहिए ये नहीं की आप बस अपने में मस्त हैं. दिन-भर बस फोन पर लगे हुए हैं.क्योंकि पत्नी जो की आपकी जीवन संगिनी है उसको सिर्फ आपका प्यार औऱ वक्त के अलावा कुछ भी नहीं चाहिए होता है.यदि आप वक्त नहीं देंगे तो ये आपके रिश्ते के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं होगा.

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4. 10 टिप्स: ऐसे मजबूत होगा पति-पत्नी का रिश्ता

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जीवन की खुशियों के लिए पति-पत्नी के रिश्ते को प्यार, विश्वास और समझदारी के धागों से मजबूत बनाना पड़ता है. छोटी-छोटी बातें इग्नोर करनी होती हैं. मुश्किल के समय में एक-दूसरे का सहारा बनना पड़ता है. कुछ बातों का ख्याल रखना पड़ता है. जैसे…

1 मैसेज पर नहीं बातचीत पर निर्भर रहे…

ब्राइघम यूनिवर्सिटी में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक जो दंपत्ति जीवन के छोटे-बड़े पलों में मैसेज भेज कर दायित्व निभाते हैं जैसे बहस करना हो तो मैसेजेज, माफी मांगनी हो तो मैसेज, कोई फैसला लेना हो तो मैसेज, ऐसी आदत रिश्तों में खुशी और प्यार कम करती है. जब कोई बड़ी बात हो तो जीवनसाथी से कहने के लिए वास्तविक चेहरे के बजाय इमोजी का सहारा न लें.

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5. सैक्स संबंधों में उदासीनता क्यों?

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बिना सैक्स के आदमी और औरत का संबंध अधूरा है.कुछ लोग चाहे जितना गुणगान कर लें कि सैक्स गंदा है, असल में आदमीऔरत में पूरा प्यार या लगाव सैक्स से ही होता है. यह बात दूसरी है कि कुछ मामलों में यह प्यार व लगाव कुछ मिनटों तक सिमट कर रह जाता है और शारीरिक प्रक्रिया पूरी होते ही दोनों अपनेअपने काम में व्यस्त हो जाते हैं. सैक्स के बराबर ही पेट भरना जरूरी है. शायद सैक्स से ज्यादा दूसरे मनोरंजन भी भारी पड़ते हैं.

एक संस्थान जो लगातार अमेरिकी लोगों पर शोध कर रही है ने पता किया है कि अमेरिकियों में भी सैक्स की चाहत कम हो रही है और वे सैक्स की जगह वीडियो गेम्स या अपने कैरियरों पर समय और शक्ति अधिक लगाने लगे हैं. युवा लड़कियों में 18% और युवा लड़कों में 23% ने कहा कि उन्हें पिछले 1 साल में एक बार भी सैक्स सुख नहीं मिला. 60 वर्ष की आयु से अधिक के 50% लोग सैक्स से दूर रहते हैं.

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6. किसी और की जरूरत कब

relationship tips in hindi

वैवाहिक जीवन में सैक्स की अहम भूमिका होती है. लेकिन यदि पति किसी ऐबनौर्मल सैक्सुअल डिसऔर्डर से ग्रस्त हो, तो पत्नी की जिंदगी उम्र भर के लिए कष्टमय हो जाती है. सैक्सोलौजिस्ट डा. सी.के. कुंदरा ऐबनौर्मल सैक्सुअल डिसऔर्डर के बारे में बताते हुए कहते हैं कि उन की क्लीनिक में शादी के बाद कृष्णानगर की मृदुला अपनी मां के साथ आई. हुआ यह था कि शादी के बाद मृदुला एकदम बुझीबुझी सी मायके आई, तो उस की मां उसे देख कर परेशान हो गईं. लेकिन मां के लाख पूछने पर भी उस ने कोई वजह नहीं बताई. उस ने अपनी सहेली आशा को बताया कि वह अब ससुराल नहीं जाना चाहती, क्योंकि उस के पति महेश उस से संबंध बनाने के दौरान उस के यौनांग में बुरी तरह से चिकोटी काटते हैं और पूरे शरीर को हाथ फेरने के बजाय नाखूनों से खरोंचते हैं. जिस से घाव बन जाते हैं, हलका खून निकलता है. उसे देख कर महेश खुश होते हैं. फिर संबंध बनाते हैं. यह कह कर मृदुला रोने लगी. डा. कुंदरा ने आगे बताया कि आशा ने जब उस की मां को यह बात ताई तो वे मृदुला को ले कर मेरे पास आईं.

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7. पति जब मां मां करे, तो क्या करें पत्निया

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नेहा की नई-नई शादी हुई है. वह विवाह के बाद जब कुछ दिन अपने मायके रहने के लिए आई तो उसे अपने पति से एक ही शिकायत थी कि वह उस का पति कम और ‘मदर्स बौय’ ज्यादा है. यह पूछने पर कि उसे ऐसा क्यों लगता है? उस का जवाब था कि वह अपनी हर छोटीबड़ी जरूरत के लिए मां पर निर्भर है. वह उस का कोई काम करने की कोशिश करती तो वह यह कह कर टाल देता कि तुम से नहीं होगा, मां को ही करने दो.

नेहा पति के ये सब काम खुद करना चाहती है, लेकिन उस की सास उसे कोई मौका नहीं देतीं. नेहा की मां माला ने बेटी को समझाया कि चिढ़ने और किलसने से कोई लाभ नहीं है. बेकार में अपना खून जलाओगी. मांबेटे की इस दोस्ती का खुलेदिल से स्वागत करो और फिर बड़ी होशियारी से उन के बीच अपनी जगह बनाओ. नेहा की बातें सुन कर माला को अपने पुराने दिन याद आ गए. जब वे इस घर में ब्याह कर आई थीं, इस समस्या को उन्होंने भी लंबे समय तक झेला था.

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8. कहीं बोझ न बन जाए प्यार

relationship tips in hindi

प्यार एक खूबसूरत एहसास है. जिंदगी तब बेहद हसीन लगने लगती है जब हम किसी के ख्यालों में खोए होते हैं. इस के विपरीत वही प्यार जब जी का जंजाल बन जाता है तो एकएक पल गुजारना कठिन लगने लगता है. कई दफा प्यार को भार बनाने में हमारी कुछ छोटीछोटी भूल जिम्मेदार होती हैं.

ओवर पजेसिव नेचर

कुछ लोग अपने प्यार को किसी के साथ भी बंटता हुआ नहीं देख सकते. यहां तक कि वे अपने गर्लफ्रेंड / बौयफ्रेंड को अपने दोस्तों से भी बातें करता देख इनसिक्योर फील करने लगते हैं, शक करते हैं और इस बात पर उन के बीच झगड़े होने लगते हैं. जाहिर सी बात है कि किसी से प्यार करने का अर्थ यह तो नहीं कि इंसान अपने दोस्तों से नाता तोड़ ले. यदि गर्लफ्रेंड किसी और लड़की से बात करने पर अपने बौयफ्रेंड से नाराज हो जाती है ऐसे में बौयफ्रेंड के पास एक ही औप्शन बचता है, और वह है झूठ बोलना. वह छुप कर दोस्तों से बातें करेगा और फोन से बातचीत का सारा रिकौर्ड डिलीट कर देगा. यही नहीं बाकी जो भी बातें उस की गर्लफ्रेंड को बुरी लगती है उन सब को छुपाने लगेगा. एक समय आएगा जब झूठ बोलते बोलते वह आजिज आ जाएगा. हर वक्त उसे अपनी आज़ादी छिनती हुई नजर आएगी. वह बंधा हुआ महसूस करने लगेगा और एक दिन उस के सब्र का बांध टूट जाएगा और तब प्यार के रिश्ते में जज्बातों का दम घुट जाएगा. प्यार भार बन जाएगा और व्यक्ति अपने प्यार से पीछा छुड़ाने के बहाने ढूंढने लगेगा.

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9. जब डेटिंग किसी से और शादी किसी और से

relationship tips in hindi

क्या हो अगर डेटिंग वाला शादी के समय आ धमके? पता चला कि इधर दुलहन शादी की तैयारियों में मगन, सजधज कर शादी के लिए तैयार है और उधर पुराने मजनूजी दिल हथेली पर लिए लैला की शादी में खलल डालने पधार गए. ऐसी स्थिति लड़कों के साथ भी हो सकती है कि दूल्हे मियां साफा बांध कर शादी करने चले और पुरानी गर्लफ्रैंड आ धमके रंग में भंग डालने.

ऐसे माहौल में रिश्तेदारों की प्रतिक्रिया अलग होगी. कुछ को शायद मजा आए, कुछ तरस खाएं, लेकिन खुद शादी वाले लड़के/लड़की का क्या हाल होगा, कैसे निबटेंगे वे इस परिस्थिति से, आइए जानते हैं:

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10. पति ही क्यों जताए प्यार

relationship tips in hindi

अंजलि की पीठ पर किसी ने धौल जमाई. उस ने मुड़ कर देखा तो हैरान रह गई. उस की कालेज की फ्रैंड साक्षी थी. आज साक्षी अंजलि से बहुत दिनों बाद मिल रही थी.

अंजलि ने उलाहना दिया, ‘‘भई, तुम तो बड़ी शैतान निकली. शादी के 6 साल हो गए. घर से बमुश्किल 5 किलोमीटर दूर रहती हो. न कभी बुलाया और न खुद मिलने आई. मियां के प्यार में ऐसी रमी कि हम सहेलियों को भूल ही गई.

अंजलि की बात सुनते ही साक्षी उदास हो गई. बोली, ‘‘काहे का मियां का प्यार यार. मेरा पति केशव शुरूशुरू में तो हर समय मेरे आगेपीछे घूमता था, लेकिन अब तो लगता है कि उस का मेरे से मन भर गया है. बस अपने ही काम में व्यस्त रहता है. सुबह 10 बजे घर से निकलता है और रात 8 बजे लौटता है. लौटते ही टीवी, मोबाइल और लैपटौप में व्यस्त हो जाता है. दिन भर में एक बार भी कौल नहीं करता?’’

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Women’s Day: पाएं चमकदार और खूबसूरत Skin

हर औरत का ख्वाब होता है कि उसकी त्वचा चमकदार व सुंदर हो. हर मौसम में त्वचा हर मौसम के हिसाब से खुद को बदलती है और हम उस की जरूरतों को पूरा करना चाहिए, वैक्सिंग से आपका कान्फिडेंस चार गुना बढ़ जायेगा अगर अगर आप अपनी त्वचा का ख्याल रखेंगे, क्या आप जानना चाहते है कि आप ऐसा कैसे कर सकते हैं. प्रदूषण और अधिकधूप आप की त्वचा में एजिंग ला सकती है, इन कुछ बातों का ध्यान रखकर आप अपनी त्वचा को ड्रायनेस और एजिंग से बचा सकते हो.

वैक्सिंग के बाद स्किन को प्रोटेक्ट करे

वैक्सिंग के बाद, अगर आपकी स्किन औयली है तो एस्ट्रिजेंट का इस्तेमाल करें और अगर आपकी स्किन ड्राई है तो क्लीजिंग मिल्क या टोनर का इस्तेमाल करना न भूलें, ये आपकी त्वचा को जवान और खूबसूरत रखेगा, वैक्सिंग के बाद हमारी त्वचा ड्राई और रूखी हो जाती है, तो उसका ख्याल रखना बहुत जरूरी है. अनचाहे बाल किसे पसंद होते है? वैक्सिंग एक सबसे अच्छा तरीका है उनसे छुटकारा पाने का, पर हमें अपनी त्वचा का भी ख्याल रखना चाहिए. वैक्सिंग के बाद रेडनेस और डायनेस लाजमी है, उसकी केयर करना हमारे हाथ में है. लोशन, एस्ट्रिजेंट, टोनर और गुलाब जल का इस्तेमाल करे और अपनी त्वचा को सुरक्षित बनाएं.

अपने लिए सब से बेहतर चुनने

बाजार में हर प्रकार की वैक्स उपलब्ध है, अपने लिए सबसे बेहतर वैक्स चुने जिससे आपको किसी भी तरह का नुकसान न हो और आपकी त्वचा कोमल रहे, ताकि आप पेनलेस वैक्सिंग का आनंद ले सकें. वैक्सिंग सबसे अच्छा तरीका है अनचाहे बालों से छुटकारा पानें का, क्योंकि रेजर और हेयर रिमूवल क्रीम्स आपकी त्वचा को रफ करती है, जिससे आपकी स्किन का मॉइस्चर कम या थोड़े वक्त में खत्म भी हो सकता है. वैक्सिंग के लिए अच्छे प्रोड्क्ट का होना बहुत जरूरी है जो आपकी स्किन को कोई नुकसान न पहुंचाए.

अपनी त्वचा के बारे में स्टडी करें

कुदरत ने हर किसी की त्वचा अलग बनाई हैं, और ये जरूरी है हमें त्वचा के बारे में सब पता होना चाहिए कि हमारी त्वचा का टाइप क्या है और हमारी त्वचा पर क्याक्या प्रोडक्ट्स सूट करेंगे और क्या प्रोडक्ट्स सूट नहीं करेंगे. अपनी त्वचाका टाइप जानिए, अगर आपकी त्वचा ड्राई है तो क्लीजिंग मिल्क का इस्तेमाल करे और अगर आपकी त्वचा औयली है तो एस्ट्रिजेंट का इस्तेमाल करें. वैक्सिंग के बाद एस्ट्रिजेंट या क्लीजिंग पोर्स ओपन करने का काम करता है, इसके बाद आप टोनर का इस्तेमाल करें जिससे आपकी स्किन के पोर्स मिनीमाइज हो जाए. आपकी त्वचा की देखभाल आपके हाथ में है, अपने लिए सबसे बेहतर चुनें.

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वैक्सिंग के बाद स्क्रब का इस्तेमाल बिलकुल न करे

वैक्सिंग से ही हमारी त्वचा की सन टैन और डेड स्किन सेल्स हट जाते हैं. पर वैक्सिंग के बाद हमारी स्किन बहुत ज्यादा सेंसिटिव हो जाती है और हमें उसका खास ख्याल रखना चाहिए. वैक्सिंग के बाद अपनी स्किन को तौलिये से न पोछे और स्क्रबिंग न करें, ये हमारी स्किन को ड्राई बना सकता है. अकसर वैक्सिंग के बाद हमारी स्किन के पोर्स ओपन हो जाते हैं और हमें उन्हें मिनीमाइज कर देना चाहिए ताकि प्रदूषण और डर्ट से हमारी स्किन खराब न हो. अच्छे लोशन व एस्ट्रिजेंट का इस्तेमाल करें और अपनी स्किन को मॉइश्चराइज करें.

टाइट कपड़े न पहनें

वैक्सिंग के बाद हमारी त्वचा को आराम की जरूरत होती है, तो हमें टाइट कपड़े नहीं पहनने चाहिए, इससे हमारी स्किन में एयर पास नहीं होगी और हमारी स्किन पर रेडनेस और दानें होने की संभावना बढ़ जाएगी. अपनी स्किन को थोड़ा समय दे, उससे सांस लेने दे, ताकि वो और चमकदार और स्मूथ हो. काटन के लूज कपड़े पहनें जिससे आपकी स्किन को किसी भी प्रकार का नुकसान न हो और आप कोई भी आउटफिट अच्छे से कैरी कर पाएं.

वैक्सिंग के समय रखें इन चीजों का ख्याल

वैक्स की थिक लेयर न लगाए, इससे आपकी स्किन पे चोट लग सकती है, स्किन पील भी हो सकती है, या स्किन जल भी सकती है. अपनी स्किन पर पहने टेलकम पाउडर लगाए और वैक्स की पतली लेयर लगाए जिससे आपकी स्किन को किसी प्रकार का नुकसान न हो. वैक्स के बाद अपनी स्किन को वेट वाइप्स से पोंछे ताकि स्किन के ओपन पोरस मिनीमाइज हो जाएं.

अपने पर्सनल वैक्सिंग वेट वाइप्स कैसे बनाये?

  1. काटन पैड्स को काटें.
  2. काटन पैड को एस्ट्रिजेंट या रोज वाटर में डिप करें.
  3. काटन पैड को फ्रिज में स्टोर करे.
  4. उस से वैक्सिंग के बाद इस्तेमाल करें.

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वैक्स और उनके प्रकार

एलोवेरा वैक्स: ये वैक्स ऑयली स्किन के लिए बेस्ट है, क्योंकि ये आपकी स्किन को मॉइश्चरीज्ड और औयल फ्री रखेगी. एलोवेरा बढ़ते दाने और रेडनेस को रोकती है और आपकी त्वचा को हैल्थी बनाता है.

वाइट चॉकलेट वैक्स: ये वैक्स ड्राई स्किन के लिए बैस्ट है, क्योंकि ये आपकी स्किन को हाइड्रेट करता है और उसका रूखापन और रिंकल्स हटाती है. इस वैक्स से आपकी स्किन कोमल और टैन फ्री हो जायेगी.

डार्क चॉकलेट वैक्स: ये वैक्स हर स्किन टाइप के लिए बेस्ट है क्योंकि ये हर मौसम के लिए बेहतरीन है. ये स्किन को स्क्रब करती है और डेड स्किन सेल्स निकालती है.

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