खींचना ही नहीं फोटोज को सहेजना भी है जरूरी

छोटा या बड़ा कैसा भी अवसर हो उसकी यादों को सहेजने के लिए फोटो हम सभी खींचते ही हैं. स्मार्ट फोन के अवतार के बाद फोटो  खींचना बहुत आसान हो गया है. पहले जहां किसी भी अवसर पर फोटो खींचने के लिए फोटोग्राफर को बुलाना पड़ता था, या फिर कैमरा खरीदना होता था फिर खींची गई फोटोज को देखने के लिए रील के धुलने का इंतजार करना पड़ता था वहीं आज मोबाइल से आप कहीं भी कितनी भी फोटोज खींच सकते हैं साथ ही इन्हें खींचने के तुरंत बाद ही देखा भी जा सकता है परन्तु इन्हें खींचना और देखना जितना आसान है सहेजना उतना ही मुश्किल क्योंकि मोबाइल यदि खराब हो गया या खो गया तो सारी फोटोज भी गुम हो जातीं हैं परन्तु यदि मोबाइल से ली गईं पिक्स को अच्छी तरह सहेज लिया जाए तो वे सालों साल आपके साथ रहेंगी.

कैसे सहेजे

मोबाइल में एक ही पोज और अवसर की अनेकों पिक्स होती हैं. आप माह में एक बार मोबाइल की गैलरी में जाकर सभी पिक्स को  अच्छी तरह देखें और फिर जो भी फोटोज आपको सर्वश्रेष्ठ लगतीं हैं उन्हें छोड़कर शेष सभी को डिलीट कर दें. इससे एक तो आपकी गैलरी में स्पेस हो जाएगा दूसरे आपको अपनी श्रेष्ठ पिक्स भी मिल जाएंगी. यदि आपके दोस्तों या परिवारीजनों की पिक्स हैं तो उन्हें उनकी पिक्स भेजकर अपनी गैलरी को फ्री कर लें. ध्यान रखिये कि यदि मोबाइल से लंबे समय तक वीडियोज और पिक्स को न हटाया जाए तो स्पेस कम होने से मोबाइल की स्पीड कम हो जाती है और वह अक्सर हैंग करने लगता है.

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कहां सहेजें

पिक्स को आप लेपटॉप, टैब और पेनड्राइव में तो सुरक्षित कर ही सकते हैं साथ ही आप मोबाइल की गूगल ड्राइव में भी फोटोज को सेव कर सकतीं हैं. मोबाइल से लेपटॉप और हार्ड डिस्क में भी इन्हें ट्रान्सफर किया जा सकता है.  सभी फोटोज को अवसर के अनुकूल, या ट्रिप के अनुसार तिथि सहित अलग अलग फोल्डर में सहेजें ताकि आपको खोजने में परेशानी न हो मसलन यदि आप दीवाली की फोटोज लेपटॉप में डाल रहे हैं तो फोल्डर के ऊपर दीवाली 2021 अवश्य लिख दें ताकि आपको फोटोज को देखते ही तुरंत याद आ जाते.

परिवार के सदस्यों के फोटोज अलग अलग फोल्डर में सेव करके नाम सहित सेव कर दें. आजकल बर्थडे, एनिवर्सरी जैसे अवसरों पर  फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सअप आदि पर स्टोरी और स्टेटस डालने का फैशन है ऐसे में नाम सहित सेव होने से खोजना नहीं पड़ता.

यह भी रखें ध्यान

-एक बार सेव करने के बाद आगामी फोटोज को आप सम्बंधित फोल्डर में ही अपडेट करते रहें.

-यदि आप मोबाइल ठीक कराने जा रहे हैं तो सबसे पहले अपनी फोटोज को पेनड्राइव या लैपटॉप में सहेज लें.

-फोटोज को सदैव छांटकर ही दूसरी ड्राइव में ट्रांसफर करें ताकि खोजने और देखने में आसानी रहे.

-यदि सम्भव हो तो अपने लैपटॉप में एक ड्राइव को फोटोज और वीडियो के लिए अलग कर लें.

-यदि आपके बच्चे भी आपके लैपटॉप और मोबाइल को यूज करते हैं तो आप एक पेनड्राइव में भी फोटोज को सुरक्षित कर लें.

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मजा न बन जाए सजा

हिमाचल प्रदेश की एक महिला नेता का बाथरूम का बना वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो उसे इस का खमियाजा भुगतना पड़ा. पार्टी ने उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया. इस के अलावा समाज में बदनामी अलग हुई. पूरे वीडियो को देखने के बाद साफ लगता है कि यह वीडियो दोनों की मरजी से बना था और उन का इस में कोई गलत उद्देश्य भी नहीं था. दोनों ने इसे एकदूसरे को ब्लैकमेल करने के इरादे से नहीं बनाया था. इस के अचानक सोशल मीडिया पर आने से यह उन के लिए हर तरह से नुकसानदायक साबित हुआ.

यह कोई पहला मामला नहीं है, जिस में अंतरंग पलों का बना वीडियो गले की हड्डी बन गया. कुछ समय पहले ऐसा ही मामला मथुरा के एक पंडे का भी सामने आया था. पंडा के अपनी विदेशी शिष्या के साथ सैक्सी पोजों के कई वीडियो थे, जो उन के अपने लैपटौप पर थे. एक दिन लैपटौप खराब हो गया.

पंडा ने जब लैपटौप बनने के लिए दिया तो वहां से वे वीडियो बन गए और सीडी के जरीए बाजार में पहुंच गए. उस समय व्हाट्सऐप प्रयोग में नहीं था. इस वजह से मथुरा की वह घटना सीडी के जरीए ही चर्चा में आई थी.

सोशल मीडिया के चलते ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जिन में नेताओं सहित कई बड़े लोगों के सैक्सी पलों के बने वीडियो वायरल हो कर चर्चा में आ चुके हैं. उन का असर उन की जिंदगी पर पड़ चुका है. कई लोगों ने ऐसे वीडियो वायरल होने के बाद खुद को नुकसान पहुंचाने का प्रयास भी किया है.

प्रेमीप्रेमिका या पतिपत्नी के बीच बनने वाले ऐसे वीडियो वायरल होने के बाद वे उन की छवि को नुकसान पहुंचा सकते हैं. ऐसे में जरूरी है कि ऐसे वीडियो या फोटो न ही बनाए जाएं.

ब्लैकमेलिंग का साधन:

20 साल की रेखा यादव ने अपने बौयफ्रैंड विशाल गुर्जर के साथ ‘किस’ करते हुए एक वीडियो बना लिया था. खेलखेल में बना यह वीडियो दोनों ने केवल आपसी रिश्ते की गहराई को दिखाने के लिए बनाया था. कुछ समय के बाद वह वीडियो डिलीट भी कर दिया. मगर रेखा की एक सहेली पूनम ने रेखा का मैमोरी कार्ड ले लिया. उस में से पूनम का अपना कोई डेटा डिलीट हो गया, जो बहुत जरूरी था. उस ने अपने एक साथी दीपक से पूछा तो उस ने बताया कि एक ऐसा सौफ्टवेयर है, जिस से डिलीट डेटा भी रिकवर किया जा सकता है.

दीपक ने पूनम से मैमोरी कार्ड ले कर उस का डेटा रिकवर किया. उस में रेखा यादव और उस के बौयफ्रैंड विशाल गुर्जर का ‘किस’ वाला वीडियो भी रिकवर हो गया. अब दीपक ने रेखा यादव को ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया.

तकनीक का गलत इस्तेमाल

सौफ्टवेयर इंजीनियर दीपक जाटव बताते हैं कि अब ऐसेऐसे सौफ्टवेयर हैं जो मैमोरी कार्ड या कंप्यूटर लैपटौप से वे फोटो या वीडियो भी रिकवर कर सकते हैं, जो काफी समय पहले डिलीट किए जा चुके हों. ऐसे में एक ही रास्ता बचता है कि ऐसे सैक्सी पलों के फोटो या वीडियो बनाने से बचें भले ही आप का आपस में कितना भी गहरा रिश्ता क्यों न हो.

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कई बार यह भी देखा गया है कि जब आपसी रिश्ते टूटते हैं तो लोग ऐसे फोटो या वीडियो वायरल कर देते हैं. सोशल मीडिया अब ऐसा माध्यम बन गया है कि देशदुनिया के एक कोने से ऐसी चीजों का दूसरे कोने तक पहुंचने में समय नहीं लगता है. ऐसी घटनाएं जीवन के बहुत महत्त्वपूर्ण समय पर सामने आती हैं. उस समय लोग यही सोचते हैं कि ऐसा काम किया ही क्यों था?

आमतौर पर प्रेमिका को भरोसा होने लगता हैकि शादी तो होनी ही है तो क्या फर्क पड़ता है अगर सैक्स करते हुए वीडियो बना लिया जाए.

कैरियर की तबाही

अंतरंग पलों के ये फोटो और वीडियो कईर् बार ऐसे समय पर सामने आते हैं जब कैरियर में कुछ बेहतर हासिल करना होता हो. कई नेताओं के हाल ही में ऐसे वीडियो वायरल हुए हैं. अब तो सौफ्टवेयर के जरीए वीडियो में भी चेहरे को बदला जा सकता है.

पिछले दिनों गुजरात के नेता हार्दिक पटेल का ऐसा ही वीडियो वायरल हुआ जब वे वहां की सरकार के खिलाफ बड़ी लड़ाई लड़ रहे थे. ऐसे नेताओं, अफसरों, फिल्मी क्षेत्र के लोगों और समाजसेवियों की संख्या कम नहीं होती है. सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो वायरल होना कोई बड़े अचंभे वाली बात नहीं रह गई है.

ऐसी घटनाएं भले ही कानूनी रूप से गलत मानी जाती हों, वायरल करने वालों के खिलाफ आईटी ऐक्ट में मुकदमा भी हो सकता है पर यह काफी कठिन काम होता है. सजा के पहले ही जिस का वीडियो या फोटो वायरल होता है वह टूट कर तबाह हो जाता है.

समाज पर प्रभाव

सोशल मीडिया के माध्यम होने के बाद ऐसे वीडियो और फोटो बहुत तेजी से वायरल होने लगे हैं, जिन का समाज पर खराब प्रभाव पड़ने लगा है. हाल के दिनों में लोगों का हौसला इतना बढ़ गया है कि बलात्कार जैसी घटनाओं के वीडियो उन के खुद के गले की फांस बन गए. पुलिस ने उन्हीं वीडियोज को आधार बना कर पहले उन की पहचान की बाद में उन्हें जेल भेज दिया. ऐसे में ये वीडियो अपराधी को जेल भेजने के साधन भी बन गए.

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अपराध प्रवृत्ति के लोग ऐसे वीडियो बना कर पोर्न साइटों को बेचने का धंधा भी करते हैं. ये लोग लड़कियों को प्रेम के झांसे में फंसा कर पहले उन के साथ पोर्न वीडियो शूट करते हैं और फिर बाद में पोर्न साइट पर इन्हें बेच देते हैं.

ऐसे में अंतरंग पलों के बने ये वीडियो कितने घातक हो सकते हैं, इस का अंदाजा लगाना भी आसान नहीं होता है. इन से बचने का एक ही तरीका है कि अंतरंग पलों के ऐसे वीडियो बनाने से बचें. कई बार भावुकता और प्रेम की गहराई को जताने के लिए बने ये वीडियो कब वायरल हो कर गले की हड्डी बन जाएंगे, पता ही नहीं चलेगा. अत: ऐसी शर्मनाक हालत से बचने के लिए जरूरी है कि अंतरंग पलों के वीडियो और फोटो लेने से बचें. अंतरंग पल आप के अपने होते हैं.

गर्मियों में ठंडक देगी चावल की ये रेसिपी

सर्दियां अब लगभग प्रस्थान कर चुकी हैं और सूर्य देवता अपना प्रचंड प्रकोप दिखाने को तैयार हैं. गर्मियों में जहां एक तरफ किचिन में घुसने के नाम से ही गर्मी लगने लगती है वहीं खाने को भी कुछ ठंडा चाहिए होता है. सर्दियों की अपेक्षा इन दिनों में हमारी पाचन क्षमता कमजोर हो जाती है इसलिए इन दिनों कुछ हल्का और पौष्टिक व्यंजन खाना उचित रहता है. आज हम आपको चावल से बनने वाली पौष्टिक डिशेज को बनाना बता रहे हैं. यूं तो हमारी दादी, नानी इन्हें बनाती रहीं हैं परन्तु आज के विविधता से भरे फ़ास्ट फ़ूड के दौर में ये मानो गुम से हो गये हैं. बनाने में आसान होने के साथ साथ ये स्वाद से भी भरपूर हैं तो आइये देखते हैं कि इन्हें कैसे बनाया जाता है-

1-गन्ने की रस खीर

कितने लोंगों के लिए              8

बनने में लगने वाला समय         30 मिनट

मील टाइप                       वेज

सामग्री

दूध                        2 लीटर

गन्ने का रस                      6 कप

बासमती चावल                    1 कप

घी                              1/4 टी स्पून

कटी मेवा                          1 छोटी कटोरी

इलायची पाउडर                     1/4 टीस्पून

विधि-

चावल को धोकर 15 मिनट के लिए भिगो दें. दूध को 1 लीटर होने तक उबालकर ठंडा होने दें. भीगे चावल का पानी निकालकर घी में सुनहरा होने तक भूनकर एक प्लेट पर निकाल लें. इसी पैन में मेवा को भी हल्का सा रोस्ट कर लें. अब गन्ने के रस को छानकर गैस पर गर्म करें जब एक उबाल आ जाए तो चावल डालकर धीमी आंच पर चावल के गलने और रस के गाढ़ा होने तक पकाएं. यह दूध की खीर से काफी गाढ़ी और जमने जैसी रहती है. मेवा और इलायची पाउडर मिलाकर गैस बंद कर दें. ठंडी होने पर ठंडे दूध में मिलाकर सर्व करें.

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2-महेरी

कितने लोगों के लिए                 6

बनने में लगने वाला समय             30 मिनट

मील टाइप                          वेज

सामग्री

चावल                              1 कप

छाछ                               2 कप

नमक                               स्वादानुसार

घी                                 1 टी स्पून

तेजपात                             2

बड़ी इलायची                         2

दालचीनी                             1 इंच

बारीक कटा हरा धनिया                  1 टीस्पून

सामग्री (बघार के लिए)

तेल 1 टी स्पून, राई 1/4 टी स्पून, साबुत लाल मिर्च 2, मूंगफली दाना 1 टेबल स्पून, मीठा नीम 1 टी स्पून, हरी मिर्च बीच से कटी.

विधि-

चावल को अच्छी तरह धोकर छाछ में नमक, तेजपात पत्ता, बड़ी इलायची, दालचीनी और घी डालकर प्रेशर कुकर में तेज आंच पर तीन सीटी ले लें. अब गर्म तेल में बघार की समस्त सामग्री डालकर बघार तैयार कर लें. जब कुकर का प्रेशर रिलीज हो जाये तो ढक्कन खोलकर बघार को अच्छी तरह मिलाएं. हरा धनिया डालकर सर्व करें. आप चाहें तो इसमें ठंडा दही भी मिला सकतीं हैं.

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उत्तर प्रदेश चुनाव: बिकिनी के बहाने महिलाओं पर निशाना

हस्तिनापुर की जब बात होती है तो महाभारत की याद आ जाती है. महाभारत के युद्ध की बुनियाद में द्रौपदी का अपमान बड़ी वजह थी. महाभारत को धर्मयुद्ध कहा जाता है. उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में पुराणवादी लोगों के द्वारा हस्तिनापुर से विधानसभा का चुनाव लड़ रही कांग्रेस की अर्चना गौतम को सोशल मीडिया पर ट्रोल कर के उन का अपमान किया जा रहा है. उत्तर प्रदेश के योगी राज में महिलाओं का अपमान पुराणों की कहानियों जैसा ही है. पौराणिक कहानियों में बताया गया है कि औरत का अपमान सत्ता के विनाश का कारण बनता है.

कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए जिन उम्मीदवारों के नाम चुनें उन में एक नाम मेरठ जिले की हस्तिनापुर सीट से अर्चना गौतम का है. अर्चना गौतम का नाम पता चलते ही उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रोल किया जाने लगा. कट्टरवादी संगठनों और नेताओं ने तो यहां तक कह दिया कि अगर अर्चना गौतम चुनाव जीत गईं तो वे घंटाघर पर अपनी गरदन कटा लेंगे.

यह साजिश क्यों

अर्चना गौतम को ले कर तमाम तरह की अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया जाने लगा. इस की वजह यह है कि अर्चना गौतम मौडलिंग करती हैं. उन्होंने ब्यूटी कौंटैस्ट में हिस्सा लिया. ‘बिकिनी गर्ल’ के रूप में उन की अलग पहचान है. कट्टरवादी लोगों को अर्चना गौतम की ‘बिकिनी गर्ल’ वाली पहचान से ही एतराज है. इसे ले कर ही उन के नाम की घोषणा होते ही उन्हें ट्रोल किया जा रहा है. भारतीय जनता पार्टी, अखिल भारतीय हिंदू महासभा और संत महासभा से जुड़े लोग अर्चना गौतम का विरोध कर रहे हैं.

अर्चना गौतम पेशे से मौडल और अभिनेत्री हैं. उन्होंने कई बौलीवुड फिल्मों में काम किया है. 2021 में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उन्हें कांग्रेस पार्टी में शामिल किया था. इसी बीच उत्तर प्रदेश में विधानसभा के चुनाव के लिए कांग्रेस प्रत्याशियों का चुनाव कर रही थी.

कांग्रेस ने इस चुनाव में 40 फीसदी टिकट महिलाओं को देने का फैसला किया. कांग्रेस ने महिला राजनीति को मुद्दा बनाने के लिए ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं’ का नारा दिया. ऐसे में कांग्रेस में शामिल होने के 2 माह के अंदर ही अर्चना गौतम को हस्तिनापुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए टिकट दे दिया गया.

अर्चना गौतम का जन्म पहली सितंबर, 1995 को हुआ था. वे मूल रूप से उत्तर प्रदेश के मेरठ की रहने वाली हैं. अर्चना ने पत्रकारिता की पढ़ाई की है. अपने मौडलिंग के कैरियर को आगे बढ़ाने के लिए वे मुंबई में रहती हैं. 2014 में अर्चना ने मिस यूपी का खिताब जीता था.

इस के बाद वे मौडलिंग और ऐक्टिंग के कैरियर में आगे बढ़ीं. कई मशूहर फिल्मों में अर्चना ने काम किया. इन में ‘ग्रैंड मस्ती,’ ‘हसीना पार्कर,’ ‘बैंड बाजा बारात’ और ‘वाराणसी जंक्शन’ प्रमुख हैं. छोटे रोल्स के सहारे अर्चना अपनी अलग पहचान बना रही थीं. उन्होंने हिंदी के साथसाथ तमिल फिल्मों में भी काम किया.

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अर्चना बनीं बिकिनी गर्ल

अर्चना गौतम की चर्चा तब शुरू हुई जब 2018 में उन्होंने ‘बिकिनी इंडिया 2018’ का खिताब जीता. इसी साल अर्चना गौतम ने ‘कास्मो वर्ल्ड 2018’ में भी हिस्सा लिया और अपनी अलग पहचान बनाई. अब अर्चना राजनीति में अपनी पहचान बनाना चाहती हैं. कांग्रेस के टिकट पर वे मेरठ की हस्तिनापुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रही हैं. बिकिनी गर्ल होने के कारण ही उन को विरोधी लोग ट्रोल कर रहे हैं.

इन आलोचनाओं से दूर अर्चना गौतम कहती हैं, ‘‘मुझे इस बात की खुशी है कि हस्तिनापुर से टिकट दिया गया है. यह एक पर्यटन स्थल है. यहां बहुत सारे प्राचीन मंदिर हैं. इस के बाद भी लोग यहां उतना नहीं आ रहे जितने आने चाहिए. अगर मैं यहां से चुनाव जीत गई तो सब से पहले यहां आनेजाने की सुविधा बढ़े इस का प्रयास करूंगी.

‘‘यहां एक अच्छा बस स्टौप और रेलवे स्टेशन बनवाने का काम करूंगी ताकि पर्यटक यहां आसानी से आ जा सकें. इस के साथसाथ मुझे किसानों के भी लिए काम करना है. सड़कें सही न होने के कारण खेती की पैदावार सही तरह से मंडियों तक नहीं पहुंच पाती. फसलों का नुकसान न हो, इस का प्रयास करूंगी. यहां केवल एक चीनी मिल है जबकि किसानों को ज्यादा चीनी मिलों की जरूरत है.’’

अपनी फिल्मी दुनिया की छवि को राजनीति से जोड़े जाने को ले कर अर्चना गौतम कहती हैं, ‘‘मेरे फिल्मी कैरियर को राजनीति से जोड़ कर न देखा जाए. सभी को पता है कि मैं ने कई ब्यूटी कौंटैस्टों में हिस्सा लिया है. वहां की तसवीरों को ले कर ट्रोल करना विरोधियों का काम है. मुझे पूरा भरोसा है कि हस्तिनापुर की जनता मेरा साथ देगी और वह मेरी बात को समझ रही होगी.

जब मुझे कांग्रेस में टिकट दिया गया तो हमारी नेता प्रियंका गांधी ने कहा था कि आधेअधूरे मन से राजनीति में कदम मत रखना. तुम्हें तुम्हारे फोटोज को ले कर ट्रोल किया जाएगा. तुम हिम्मत मत हारना. प्रियंका दीदी के हिम्मत देने के बाद मेरा साहस और बढ़ गया है. उन के शब्दों से मुझे ताकत मिली है.’’

निशाना तो औरतों को बनाना है

अर्चना गौतम कहती हैं, ‘‘हस्तिनापुर की पहचान से द्रौपदी भी जुड़ी हैं. हस्तिनापुर में उन का अपमान हुआ था, जिस के बाद महाभारत हुआ और द्रौपदी जीती थीं. अपमान करने वालों के पूरे वंश का नाश हो गया था. मैं द्रौपदी के उसी कथानक को फिर लिखना चाहती हूं. मेरे लिए अब यह चुनाव विधानसभा के चुनाव से अलग धर्मयुद्ध हो गया है. जहां औरत का अपमान किया जा रहा है.

महाभारत की सभा की ही तरह कुछ लोग सोशल मीडिया पर बुराभला लिख कर मेरा अपमान कर रहे हैं. लोग कहते हैं कि हस्तिनापुर को द्रौपदी का श्राप लगा है इस कारण यहां खुशहाली नहीं है. हस्तिनापुर को इस श्राप से मुक्ति दिलाने के लिए मैं यहां आई हूं. मैं इसी शहर में पैदा हुई हूं. यहां मेरा घर है. यहीं पलीबढ़ी हूं. मैं उन लोगों में नहीं जो मुंबई से उड़ कर चुनाव लड़ने उत्तर प्रदेश आते हैं.

‘‘भाजपा के लोग कहते हैं कि कांग्रेस के पास कोई उम्मीदवार नहीं था इसलिए मुझे सस्ती लोकप्रियता के लिए यहां से टिकट दिया गया है. यह उन के दिमाग का दिवालियापन है. ये लोग महिलाओं को सम्मान देना ही नहीं जानते. इन्हें कांग्रेस से और महिलाओं के साथ उस के जुड़ाव से डर लग गया है. महिला विरोधी होने के कारण मुझे निशाना बना रहे हैं. भाजपा में फिल्मों में तमाम महिलाएं आई हैं.

लेकिन उन पर कोई सवाल नहीं खड़ा कर रहा. मेरे मामले में बिकिनी तो एक बहाना है. महिला विरोधी लोग महिलाओं के विरोध के लिए मुझे निशाना बना रहे हैं. मैं डरने वाली नहीं हूं.’’

पौराणिक सोच में है महिला विरोध

धर्म की सोच हमेशा से महिला विरोध की रही है. पौराणिक और धार्मिक कहानियों में हमेशा यही बताया गया कि महिलाओं को अपना जीवन अपनी मरजी से जीने का हक नहीं है. इसी कारण कदमकदम पर पुरुषों के खराब कामों का दंड भी महिलाओं को भोगना पड़ा. सीता, द्रौपदी और अहिल्या जैसी कहानियों के पौराणिक ग्रंथ भरे पड़े हैं. इन महिलाओं के साथ जो कुछ घटा उस में इन का दोष नहीं था. दोष पुरुष मानसिकता का था. दंड महिलाओं को भुगतना पड़ा.

आज के दौर में भी महिलाओं को ही निशाना बनाया जाता है. हस्तिनापुर में चुनाव कांग्रेस लड़ रही है. महिला उम्मीदवार के ‘बिकिनी गर्ल’ होने के नाते उस को निशाना बनाया जा रहा है. जिस समाज में अपराध करने वाला, भ्रष्टाचार करने वाला, दंगे कराने वाले को टिकट दिया जा रहा हो उस पर किसी को एतराज नहीं होता है.

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‘बिकिनी गर्ल’ से समाज के बिगड़ने का खतरा दिख रहा है. भारत ऐसा देश है जहां वात्स्यायन ने ‘कामसूत्र’ लिखा, जिस में सैक्स को परिभाषित किया गया. खजुराहो के मंदिरों में सैक्सरत मूर्तियां उकेरी गई हैं. वहां बिकिनी के नाम पर बदनाम किया जा रहा है. ‘बिकिनी गर्ल’ एक प्रतियोगिता थी, जिस में तमाम लड़कियों ने हिस्सा लिया था. इस में जीतना हरकोई चाहता था. यह किस संविधान में लिखा है कि ‘बिकिनी गर्ल’ चुनाव नहीं लड़ सकती.

हमारा समाज उदार है. यहां पोर्न फिल्मों में काम करने वाली सनी लियोनी तक को स्वीकार किया गया है. कलाकार के जीवन का आकलन उस के कला क्षेत्र में किए गए काम से नहीं करना चाहिए. औरतों की आजादी को दबाने के लिए उन को मुख्यधारा से दूर रखने का काम किया जाता है. औरत को बिकिनी में देखना भले गुनाह न हो पर उस के चुनाव को गुनाह समझ जा रहा है.

महिला आरक्षण का विरोध

महिला विरोधी इसी सोच के कारण महिला आरक्षण बिल संसद में पास नहीं हो पाया. 2014 और 2019 में भारतीय जनता पार्टी की बहुमत वाली सरकार केंद्र में बनी. बहुत सारे क्रांतिकारी काम करने का दावा इस दौरान किया गया. इस के बाद एक भी बार महिला आरक्षण बिल को पास करने पर विचार नहीं हुआ. 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने महिलाओं को राजनीति में आगे बढ़ाने के लिए ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं. अभियान की शुरुआत की, जिस का समाज की महिलाओं ने स्वागत किया. कांग्रेस ने ज्यादा से ज्यादा टिकट महिलाओं को देने का काम किया.

देश के इतिहास में पहली बार 40 फीसदी टिकट कोई दल महिलाओं को दे रहा है. कांग्रेस का यह दांव बाकी दलों के लिए भारी पड़ रहा है. कांग्रेस की पहल के चलते ही बाकी दलों ने भी अधिक से अधिक सीटें महिलाओं को देने की पहल की. ये सीटें पहले पुरुष उम्मीदवारों को मिलती थीं.

ऐसे में कांग्रेस की यह शुरुआत पुरुषवादी मानसिकता के लोगों को पसंद नहीं आ रही. वे इस के विरोध में हैं. पुरुषवादी मानसिकता के लोग मानते हैं कि अगर महिलाएं राजनीति में ज्यादा से ज्यादा आ गईं तो वे अपने लिए कानून बनाएंगी, अपने अधिकारों को पहचान लेगीं, जिस से पुरुषवादी मानसिकता के लोगों को डर लग रहा है.

आसान नहीं महिलाओं के मुद्दों को दबाना

लखनऊ मध्य विधानसभा सीट से उम्मीदवार सदफ जफर कहती हैं, ‘‘समाज में आधी आबादी को हर तरह से दबाने की कोशिश होती है. उसे आंदोलन करने से रोका जाता है. उसे राजनीति में आने से रोका जाता है. उस के लिए घर और समाज में तमाम तरह की बंदिशें लगाई जाती हैं. कोशिश यह होती है कि महिला नेता केवल तमाशाई बन कर रहे. पार्टी में शो पीस बनी रहे. यह भी देश जानता है कि कांग्रेस ने हमेशा महिलाओं को और अधिकार देने में सब से अधिक काम किया है.

‘‘पंचायती राज चुनाव के जरीए महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने का काम कांग्रेस ने किया. कांग्रेस की सरकार में ही लड़कियों को अपने पिता की संपत्ति में अधिकार का कानून बना. महिला आरक्षण बिल कांग्रेस लाई. दूसरे दलों ने उसे पास नहीं होने दिया. अब विधानसभा चुनाव में महिलाओं को 40 फीसदी टिकट देना मील का नया पत्थर कांग्रेस ने लगाया है.

‘‘विधानसभा चुनावों की मुहिम आगे रंग लाएगी. अब इस कदम से पीछे हटना आसान नहीं है. हर चुनाव में यह मुद्दा बनेगा. 2024 के लोकसभा चुनाव में भी महिलाओं की यह गूंज दिखेगी.’’

हर वर्ग को होगा लाभ

लखनऊ की मोहनलालगंज विधानसभा सीट से कांग्रेस ने ममता चौधरी को अपना प्रत्याषी बनाया है. मोहनलालगंज सुरक्षित सीट है. ममता चौधरी कहती हैं, ‘‘कांग्रेस में हर जाति और वर्ग की महिलाओं को सम्मानजनक स्थान दिया जाता है. कुछ दलों में केवल ऊंची जाति की महिलाओं को ही टिकट दिया जाता है. राजारजवाड़ों के साथ कांग्रेस ने गरीब कमजोर वर्ग की महिलाओं को भी टिकट दिया है. पंचायती राज चुनाव में महिलाओं को आरक्षण देने से पहले कोई कल्पना नहीं कर सकता था कि गरीब, कमजोर वर्ग की महिलाएं राजनीति में आ सकती हैं. पंचायती राज अधिनियम लागू होने के बाद कमजोर वर्ग की महिलाएं केवल प्रधान ही नहीं ब्लौक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष तक के पदों पर पहुंचीं.

‘‘अगर लोकसभा और विधानसभा चुनाव में महिला आरक्षण लागू होता तो संसद और विधानसभा में महिलाएं अपने हितों और अधिकारों के कानून बनाने में हिस्सेदारी कर रही होती. वैसे तो हर दल का नेता ‘जिस की जितनी हिस्सेदारी, उस की उतनी भागीदारी’ की बात करता है. लेकिन जब आधी आबादी की महिलाओं को उस की हिस्सेदारी देने का वक्त आता है तो वे पीछे हो जाते हैं. कांग्रेस की यह पहल महिलाओं के अधिकार के लिए है. यह रंग जरूर लाएगी. जो लोग यह समझ रहे हैं कि महिलाएं कमजोर प्रत्याशी होती हैं, वे महिलाओं की ताकत का सही आकलन नहीं कर पा रहे हैं.’’

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कांग्रेस की महिला राजनीति के दूरगामी परिणाम सामने आएंगे. दूसरे दलों की महिलाएं भी यह मान रही हैं कि उन के दलों को भी 40 फीसदी टिकट महिलाओं को देने चाहिए. 2022 की यह सोच धीरेधीरे बड़ी होगी और आने वाले चुनावों में अब यह मुद्दा बनेगी. अब महिलाएं खामोश रह कर ही सही पर कांग्रेस की इस पहल के साथ खड़ी नजर आ रही हैं.

समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव का कहना है, ‘‘मैं पूरी तरह से महिला आरक्षण के समर्थन में हूं. महिलाओं को अधिक से अधिक संख्या में संसद और विधानसभा में पहुंचना चाहिए. यह केवल राजनीतिक दलों की ही नहीं हम महिलाओं की भी जिम्मेदारी है.’’

प्यार को लेकर क्या कहती है एक्ट्रेस निकिता रावल, पढ़ें इंटरव्यू

मुंबई की डॉक्टर के परिवार में जन्मी निकिता रावल को हमेशा से अभिनय का शौक था, लेकिन पहले उन्होंने कथक डांस सीखा और इंडिया को इंटरनेशनल स्तर पर प्रस्तुत कर अवार्ड जीते. उन्होंने पूरे विश्व में बहुत सारे परफोर्मेंस किये है. कुल मिलकर 478शोज निकिता ने किये है.उन्हें इंडिया की डांस इंडस्ट्री में शकीरा के नाम से जाना जाता है.साल 2007 की फिल्म ‘मिस्टर हॉट मिस्टर कूल’ और 2009 की फिल्म ‘द हीरो-अभिमन्यु’ में निकिता ने  काम किया है, इसके बाद उन्होंने अरशद वारसी की फिल्म ‘रोटी कपड़ा और रोमांस’ में भी अभिनय की है. उन्हें हमेशा लीक से हटकर फिल्म करना पसंद है और मदर अर्थ को बचाने के लिए कुछ प्रभावशाली काम करना चाहती है. एक वेब सीरीज की शूटिंग के बाद उन्होंने गृहशोभा के लिए खास बातें की, आइये जाने निकिता की कुछ बातें,

सवाल – कोविड के बाद आपका कैरियर कैसा चल रहा है?

जवाब – कोविड के बाद मैं आफताब शिवदासानी के साथ एक वेब सीरीज ‘मास्टर पीस’ की शूटिंग कर रही हूं, जो पूरा होने वाला है. इससे पहले मैंने फिल्म ‘रोटी कपडा और रोमांस’ फिल्म अरशद वारसी और चंकी पांडे के साथ पूरा किया है. उसमें मेरी भूमिका कॉमिक है और दोनों अभिनेताओं की मैं एकलौती पसंद हूं. ये एक रोमांटिक कॉमेडी है.

सवाल –अभिनय में आने की प्रेरणा आपको कैसे मिली?

जवाब – मेरा परिवार फ़िल्मी माहौल से जुड़ा है. अभिनेता मुकेश रावल मेरे चाचा है. कई सारे परिवार के सदस्य इस क्षेत्र में है. इस तरह अभिनय मेरे ब्लड में है. बचपन से एक्टिंग की प्रेरणा रही, क्योकि कई सारे लोगों ने मुझे प्रेरित किया है. सबको देखते हुए ही मैं बड़ी हुई हूं और मुझे एक्ट्रेस ही बनना था, ये मैने शुरू से सोच रखा था,

सवाल – क्या परिवार के सदस्य इंडस्ट्री में होने की वजह से आपको काम मिलने में आसानी हुई ?

जवाब – ऐसा कुछ नहीं था, मैंने कभी उनका परिचय नहीं दिया, क्योंकि अंजान रहने पर फायदा अधिक होता है और मैं अपनी बलबूते पर कुछ करना चाहती थी. कठिनाई अधिक नहीं आई, क्योंकि फिल्म ‘गरम मसाला’ में अक्षय कुमार फिर अनिल कुमार के साथ मैंने अभिनय किया. इसके अलावा साउथ में बहुत सारा काम किया है,इसलिए इंडस्ट्री में आने के लिए अधिक संघर्ष नहीं करना पड़ा.

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सवाल –  टीन एज में आपके शौक क्या थे?

जवाब – टिन एज में मेरा शौक मध्रुरी दीक्षित और श्रीदेवी के डांस को देखना था . मेरे सारी चीजे एक तरफ और डांस एक तरफ हो जाता था, जिससे मुझे पढाई में मन नहीं लगता था. मैं डांस पर बहुत अधिक फोकस्ड थी और बचपन से ही मुझे एक अच्छी परफ़ॉर्मर बनने की इच्छा था. इस लगन ने मुझे कथक डांस में कई जगह विदेश में परफॉर्म करने का मौका दिया और बहुत सारे अवार्ड्स मिले.

सवाल –  आप प्रोड्यूसर कैसे बनी?

जवाब – पहले मैंने छोटे- छोटे वीडियोज बनाये, अब मैं वेब सीरीज की ओर बढ़ रही हूं, इसके अलावा मैं बड़ी कमर्शियल फिल्म बनाने की कोशिश भी कर रही हूं. मुझे रॉ स्टोरी और रॉ एक्टर्स बहुत पसंद है. वैसी ही फिल्मे बनाने की इच्छा है और मैं वैसी फिल्मे बना भी रही हूं.

सवाल –  आप एक डांसर, एक्ट्रेस और प्रोड्यूसर है, इन तीनो में किसे करने में अधिक मेहनत महसूस करती है?

जवाब – मेहनत तीनों में है, लेकिन एक ऐक्ट्रेस बने रहने के लिए अपनी स्टाइल, फिगर, ब्यूटी आदि पर अधिक ध्यान देना पड़ता है, डांस में घंटों की रिहर्सल, रिदम को पकड़ना, परफोर्मेंस के तरीकों को समझना होता है, लेकिन अगर आप के पास पैसे है, तो आप आसानी से प्रोड्यूसर बन सकते है, क्योंकि इसमें सही स्क्रिप्ट होने पर फिल्म या वेब सीरीज चल जाती है. मैं दिल से एक डांसर ही हूं, इसलिए मैं अभी भी डांस प्रैक्टिस करती हूं और किसी भी इवेंट पर बुलाये जाने पर परफॉर्म भी करती हूं.

सवाल –  परिवार का सहयोग कितना रहा?

जवाब – परिवार ने हमेशा मुझे सहयोग दिया है, मेरे आज तक यहाँ पहुँचने में उनका सहयोग सबसे अधिक है. हर कदम पर उन्होंने साथ दिया है, मुझे जो भी बनना है, उसमेंउन्होंने खुले दिल से सहयोग किया है. मेरा परिवार डॉक्टर की बैकग्राउंड से हूं,लेकिन मेरे पेरेंट्स ने मुझमे डांस की रूचि को देखा, उन्हें समझ में आया कि मेरा टेस्ट थोडा आर्टिस्टिक है. मैं खून, काटपीट इस चीजो को देख नहीं सकती, जो मुझे डॉक्टर की प्रोफेशन में देखना पड़ेगा.

सवाल –  किस शो ने आपकी जिंदगी बदली?

जवाब – मैंने कथक की एक शो कनाडा में किया था, बहुत सारे देशों से लोग परफॉर्म करने आये थे, लेकिन मेरी परफोर्मेंस ख़त्म होने पर मैने भारत के झंडे को ओढ़कर स्टेज से स्टेडियम चली गयी, सभी ने इसकी तारीफ की और वह क्लिप बहुत वाइरल हुई थी, जिससे लोग मुझे पहचानने लगे थे.

सवाल – कोई ड्रीम है ?

जवाब – देश को रिप्रेजेंट करना, एक अच्छी मूवी करना और एक्टिंग करना सब हो चुका है. बायोग्राफी में मैं झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की भूमिका करना चाहती हूं.

सवाल – आपके हिसाब से पहले और आज के प्यार में अंतर क्या है?

जवाब – मुझे आज का प्यार बड़ा टेक्निकल लगता है. शार्ट टाइम प्यार और इमोशन भी दिखता है. वीडियो कालिंग या व्हाट्स एप परसभी बात करते हुए दिखते है. फिर अचानक सुनने में आता है कि ब्रेक अप हो गया. ये उनके लिए कहना बहुत आसान लगता है, जो रियल प्यार को नहीं दर्शाती.

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सवाल – कभी तनाव होने पर उससे कैसे निकल पाती है?

जवाब – मैं अपने परिवार के साथ समय बिताती हूं. इसके अलावा मैं परिवार को कही घूमने या डिनर पर ले जाती हूं, इससे तनाव चला जाता है.

सवाल – आपको कोई सुपर पॉवर मिलने पर क्या बदलना चाहती है?

जवाब – सुपर पॉवर मिलने पर मैं मदर अर्थ को उन लोगों से बचाना चाहती हूं, जो इसका  सत्यानाश कर रहे है. लॉक डाउन होने पर गाड़ियाँ नहीं चलती थी, लोग बाहर प्लास्टिक नहीं फेंकते थे, चारों तरफ चिड़ियों की चहचाहट सुनाई पड़ती थी, अभी काम तो चल रहा है, पर कोई वातावरण पर ध्यान नहीं देता. हालांकि इस पेंडेमिक में लोगों के काम छूट गए है, पर मौसम की बदलाव से मुझे ख़ुशी मिली. सभी ने इसको नुकसान पहुँचाया है. इसलिए सुपर पॉवर से मैं इस पूरे मदर अर्थ को बचाना चाहती हूं,

सवाल –  आप कितनी फूडी और फैशनेबल है?

जवाब – मैं बहुत फूडी हूं, हर तरीके की डिश मुझे पसंद है. दाल बाटी और चूरमा बहुत पसंद है.फैशनेबल भी हूं, अच्छी तरह से बन ठनकर रहना मुझे पसंद है.

सवाल –  आपके सपनो का राजकुमार कैसा हो?

जवाब – मेरे सपनों का राजकुमार अच्छी समझ के साथ, अपना कुछ काम करता हो, आत्मनिर्भर हो और महिलाओं का सम्मान करता हो.

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आदित्य के लिए आर्यन से शादी करेगी Imlie, सामने आया New Promo

सीरियल इमली (Imlie) में मालिनी (Mayuri Deshmukh) का सच आदित्य और उसके परिवार के सामने आ गया है. वहीं आर्यन (Fehmaan Khan) को इमली (Sumbul Tauqeer Khan) से प्यार का एहसास हो गया है. इसी के चलते अपकमिंग एपिसोड (Imlie Upcoming Episode) में आर्यन, इमली से शादी करने वाला है. आइए आपको दिखाते हैं शो के नए प्रोमो की झलक(Imlie New Promo)…

शो के नए प्रोमों में दिखी शादी की झलक

 

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दरअसल, शो के मेकर्स ने नया प्रोमो रिलीज कर दिया है, जिसमें इमली दुल्हन बने नजर आ रही है और कहती दिख रही है कि यह शादी नहीं समझौता है. वहीं आदित्य उसे आर्यन से शादी करने के लिए कहता नजर आ रहा हैं. हालांकि आर्यन बेहद खुश नजर आ रहा है.

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आदित्य बुलाता है पुलिस

 

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अब तक आपने देखा कि सच जानने के बाद आदित्य, मालिनी को घर से बाहर निकाल देता है. वहीं सत्यकाम से माफी मांगते हुए कहता है कि अगर उसने इमली पर भरोसा किया होता तो वह आज उसके साथ होती. वहीं आदित्य, अनु को पुलिस से गिरफ्तार करवा देता है. हालांकि मालिनी उससे अपनी मां को छोड़ने की गुहार लगाती है. लेकिन आदित्य नहीं मानता. वहीं अनु त्रिपाठी परिवार से बदला लेने की बात कहती है.

 

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आर्यन से नौकरी मांगेगा आदित्य

अपकमिंग एफिसोड में आप देखेंगे कि आदित्य, इमली को मनाने का फैसला करेगा और आर्यन से नौकरी मांगने के लिए जाएगा. जहां आर्यन उसे रखने के लिए तैयार हो जाएगा. वहीं आर्यन, इमली को धमकी देगा कि अगर वह आदित्य को बचाना चाहती है तो उसे उससे शादी करनी पड़ेगी. हालांकि इमली कहकी है कि यह शादी और शादी का प्रमाणपत्र दोनों फर्जी होंगे. लेकिन आदित्य,इमली को पूरे रस्मों रिवाज से आर्यन से शादी करने के लिए कहेगा.

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शेरनी बनकर वनराज पर भड़केगी अनु, बनेगी अनुज की Anupama

सीरियल अनुपमा (Anupamaa) की कहानी इन दिनों दिलचस्प होती जा रही है. जहां वनराज, मालविका को भड़काने में लगा हुआ है तो वहीं अनुज और अनुपमा के बीच प्यार बढ़ता जा रहा है, जिसके चलते अनुपमा शादी के बारे में सोचने के लिए भी तैयार हो गई है. इसी बीच अनुपमा का शेरनी रुप वनराज के सामने आने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

बापूजी को शादी के बारे में बताएगी अनुपमा

 

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अब तकआपने देखा कि अनुपमा के जन्मदिन के लिए समर और बापूजी पार्टी की तैयारी करते नजर आते हैं. वहीं अनुपमा, अनुज से शादी करने के डर को बापूजी के साथ शेयर करती है. हालांकि बापूजी, अनुपमा को वनराज और अनुज में फर्क होने की बात कहेंगे. दूसरी तरफ वनराज, अनुज के खिलाफ चाल चलता नजर आएगा.

 

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वनराज चलेगा नई चाल

 

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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि वनराज अखबारों में कपाड़िया अंपायर से अनुज को निकालने की खबर छपवा देगा, जिसे देखकर अनुज को झटका लगेगा. हालांकि अनुपमा, अनुज को समझाएगी कि यह वनराज की एक नई चाल है, जिसमें मालविका का कोई हाथ नही होगा. दूसरी तरफ, मालविका को भड़काते हुए वनराज कहेगा कि यह सब अनुज ने किया है.

वनराज को सुनाएगी खरी खोटी

इसके अलावा आप देखेंगे कि वनराज की नई चाल पर अनुपमा गुस्से में औफिस जाएगी. जहां पर मालविका भी मौजूद होगी. वहीं  वनराज की घटिया हरकत के लिए वनराज को खरी खोटी सुनाते हुए कहेगी वनराज को उसके नाम से पुकारेगी, जिसे सुनकर वनराज हैरान हो जाएगा और गार्ड्स से धक्के मारकर अनुपमा को औफिस से निकालने के लिए कहेगा. लेकिन अनुपमा शेरनी की तरह वनराज से कहेगी कि इतना किसी में दम नहीं है कि अनुज की अनुपमा को हाथ भी लगा सके. अनुपमा का ये रुप देखकर वनराज जहां गुस्से में नजर आएगा तो वहीं मालविका हैरान होगी.

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जब कोरोना ने छीन लिया पति

लेखक व लेखिका -शैलेंद्र सिंह, भारत भूषण श्रीवास्तव, सोमा घोष, नसीम अंसारी कोचर, पारुल भटनागर 

कोरोना महामारी की पहली लहर इतनी भयावह नहीं थी, मगर दूसरी लहर ने देशभर में लाखों परिवारों को पूरी तरह उजाड़ दिया. कई परिवार ऐसे हैं, जहां जवान औरतों ने अपने पति खो दिए हैं. कई महिलाएं 30-40 साल की उम्र की हैं, जिन के छोटे छोटे मासूम बच्चे हैं. कई ऐसी हैं जो आर्थिक रूप से पूरी तरह पति पर निर्भर थीं.

पति की मौत के बाद उन के सामने अपने बच्चों के लालनपालन की समस्या खड़ी हो गई है. आर्थिक जरूरतें और अनिश्चित भविष्य उन्हें डरा रहा है. बच्चों के कारण दूसरी शादी का फैसला भी आसान नहीं है.

गृहशोभा के रिपोर्टर्स की टीम ने ऐसी अनेक महिलाओं के दुखों और परेशानियों को जानने की कोशिश की:

पति के नाम को जिंदा रखना चाहती हैं ऐश्वर्या लखीमपुर खीरी जिले के गोला की रहने वाली ऐश्वर्या पांडेय की शादी 2009 में हुई थी. उन के पति पीयूष बैंक में कार्यरत थे. ऐश्वर्या एमबीए के बाद जौब करने लगी थी, मगर शादी के बाद ससुराल की जिम्मेदारियों और बेटे पार्थ के जन्म के कारण जौब छोड़नी पड़ी.

ऐश्वर्या और पीयूष बेटे पार्थ के भविष्य को ले कर सुनहरे सपने देख रहे थे. मगर काल के क्रूर चक्र को कुछ और ही मंजूर था.

11 मई, 2021 को पीयूष कोरोना की चपेट में आ गए. बैंक स्टाफ और अस्पताल के लोगों ने ऐश्वर्या का साथ दिया. अस्पताल में पीयूष का औक्सीजन लैवल घटने पर उन्हें आईसीयू में शिफ्ट किया गया. 8 जून को उन्हें जनरल वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया.

मगर उन का कोविड टैस्ट लगातार पौजिटिव ही आ रहा था. 9 जून को उन का पल्स रेट फिर बिगड़ने लगा तो उन्हें फिर से आईसीयू में ले जाया गया, मगर 10 जून की सुबह ऐश्वर्या के जीवन में अंधेरा बन कर आई यानी पीयूष इस दुनिया से हमेशा के लिए दूर चले गए. ऐश्वर्या डिप्रैशन में चली गई.

ऐश्वर्या कहती है, ‘‘मेरे लिए सब से अधिक महत्त्वपूर्ण बेटे को संभालना था. मैं ने यह सोच कर हिम्मत बांधी कि अगर मुझे कुछ हो गया होता तो पीयूष कैसे बेटे को संभाल रहे होते? इस सोच ने मुझे हिम्मत दी. बेटे को ले कर मैं लखनऊ लौटी. उस का स्कूल में एडमिशन कराया. घर वालों ने सहयोग किया. अभी भी मैं पूरी तरह से उस दुख से उबर नहीं पाई हूं.

पहले घर किराए का था अब जिंदगी

दिल्ली में रहने वाली कंचन माथुर अपने पति शिशिर माथुर के साथ बुढ़ापे की दहलीज पर पहुंच चुकी थीं. उम्र के 55 साल पूरे हो गए थे. पति भी 58 के थे. 2 बेटियां थीं, जिन की शादियां हो चुकी थीं. घर में अब ये 2 ही बचे थे. शुरू से ही कंचन और उन के पति शिशिर किराए के मकान में रहे. अपना घर नहीं खरीदा. वजह थी 2 बेटियां. शिशिर सोचते थे कि बेटियां शादी कर के अपनेअपने घर चली जाएंगी तो अपना घर ले कर क्या करना.

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कोरोना की दूसरी लहर ने शिशिर को जकड़ लिया. 2 हफ्ते होम क्वारंटाइन रहे. बड़ी बेटी, जो दिल्ली में ही ब्याही थी, उस ने देखभाल के लिए अपने बड़े लड़के को भेज दिया. मगर शिशिर का बुखार नहीं उतर रहा था. उन्हें डायबिटीज भी थी. एक शाम जब शिशिर का औक्सीजन लैवल 86 हो गया तो बेटीदामाद घबरा कर औक्सीजन सिलैंडर लेने के लिए गए, मगर कहीं नहीं मिला और न ही किसी अस्पताल में बैड खाली मिला.

दूसरे दिन नोएडा के एक अस्पताल में जगह मिली. मगर 4 दिन के इलाज के बाद ही शिशिर चल बसे. उन के दोनों फेफड़े संक्रमण के कारण नष्ट हो चुके थे. अस्पताल से ही उन का शव अस्पताल के कर्मचारियों के द्वारा श्मशान ले जाया गया और उन्होंने ही उन का क्रियाकर्म किया. घर के किसी सदस्य ने अंतिम समय में उन्हें नहीं देखा.

गहरा धक्का

इस बात का सब से ज्यादा धक्का उन की पत्नी कंचन को लगा है. पति के अचानक चले जाने से वे बिलकुल बेसहारा हो गई हैं. बड़ी बेटी किसी तरह अपने ससुराल वालों को राजी कर के उन्हें अपने साथ ले तो गई है, मगर अजनबी लोगों के बीच कंचन की वैसी देखभाल नहीं हो पा रही है जैसी उन के पति के रहते अपने घर में होती थी.

उन के दामाद ने उन का किराए का घर खाली कर दिया है. सारा सामान बेच दिया. बैंक में जो पैसा था वह अपने अकाउंट में ट्रांसफर करवा लिया.

घर का सामान बिकते देख कंचन के दिल पर जो गुजरी उस दर्द को कोई और नहीं समझ सकता है. पति की जोड़ी गई 1-1 चीज उन की आंखों के सामने कबाड़ में बेच दी गई. पहले घर किराए का था, मगर घर में रहने वाला अपना था, पर अब उन की पूरी जिंदगी किराए की हो गई है.

फिट इंसान के साथ ऐसा होगा सोचा न था

37 वर्षीय रेशमा राजेश पाटिल और उन के 12 वर्षीय बेटे रितेश राजेश पाटिल की जिंदगी कोरोना ने वीरान कर दी. कोविड की दूसरी लहर में मां ने अपना पति और बेटे ने अपने पिता को खो दिया है.

मुंबई के नजदीक अलीबाग के रहने वाले 42 वर्षीय तंदुरुस्त राजेश पाटिल सरकारी दफ्तर में काम करते थे. कोरोना की दूसरी लहर ने राजेश के बुजुर्ग पिता को कोरोना हो गया. राजेश पिता को रोजाना खाना पहुंचाने अस्पताल जाने लगा. एक दिन उसे भी बुखार हो गया. टैस्ट करवाने पर वह भी कोरोना पौजिटिव पाया गया. राजेश तुरंत होम क्वारंटाइन में चला गया. उस की पत्नी रेशमा ने अपने बेटे को मामा के पास मायके भेज दिया.

रेशमा अपने आंसू पोछती हुई कहती हैं, ‘‘होम क्वारंटाइन में राजेश डाक्टर से पूछ कर दवा ले रहे थे. लेकिन एक दिन उन्हें सांस लेने में ज्यादा दिक्कत होने लगी तो मैं तुरंत उन्हें सिविल अस्पताल ले गई. डाक्टर ने जांच की और बताया कि उन का औक्सीजन लैवल 97 है, इसलिए उन्हें यहां भरती नहीं कर सकते. तब मैं उन्हें प्राइवेट अस्पताल में ले गई. वहां जांच करने पर पता चला कि उन्हें निमोनिया हो गया है. डाक्टर ने एक इंजैक्शन शुरू करने की बात कही, जो 40 हजार रुपए का था. मैं ने पैसा अरेंज किया और इंजैक्शन ला कर दिए. मगर इंजैक्शन का उन पर कोई असर नहीं हुआ और 20 दिन अस्पताल में रहने के बाद उन का देहांत हो गया.

‘‘अभी रेशमा किराए के मकान में रहती हैं. उन्हें पति की पैंशन नहीं मिल सकती है क्योंकि उन्होंने 2009 में सरकारी नौकरी जौइन की थी. कुछ पैसे उन्हें राज्य सरकार और संस्था की तरफ से जरूर मिले हैं. बाल संगोपन संस्था के अंतर्गत उन्हें राज्य सरकार की तरफ से 50 हजार रुपए की रकम फौर्म भरने के 4 दिन बाद मिल गई. इस के अलावा बाल संगोपन संस्था के द्वारा बेटे की पढ़ाई के लिए प्रति माह 11 सौ रुपए और मुफ्त में थोड़ा राशन मिल जाता है, जिस से गुजारा हो रहा है. लेकिन आगे उन्हें खुद अपने पैरों पर खड़ा होना होगा.’’

रेशमा कहती हैं, ‘‘मैं ने पति के औफिस में नौकरी के लिए अर्जी दी है, लेकिन मेरे लायक कोई पद खाली होने पर ही मुझे नौकरी मिलेगी. गांव में पढ़ाई अच्छी न होने की वजह से मुझे बेटे की शिक्षा के लिए अलीबाग में ही रहना है. मेरे ससुराल में मेरे सासससुर भी हैं.’’

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जैसे जिंदगी से रोशनी चली गई

भोपाल के गांधी मैडिकल कालेज में टैक्नीशियन पद पर कार्यरत रवींद्र श्रीवास्तव की पत्नी रश्मि शहर के सरकारी स्कूल बाल विद्या मंदिर में प्राध्यापिका थीं. 18 साल पहले दोनों

की शादी हुई थी. सबकुछ ठीकठाक चल रहा था कि गत 9 मई को कोरोना रश्मि को अपने साथ ले गया.

‘‘मुझे अभी तक यकीन नहीं होता कि रश्मि अब नहीं रही,’’ रवींद्र कहते हैं, ‘‘औफिस से घर लौटता हूं तो लगता है वह मेरा चाय पर इंतजार कर रही है. सच को स्वीकारने की बहुत कोशिश करता हूं, लेकिन उस की याद किसी न किसी बहाने आ ही जाती है.

रश्मि के जाने के बाद रवींद्र का सूनापन अब शायद ही कभी भर पाए. 17 साल का बेटा ऋषि भी अकसर उदास रहता है. रवींद्र पूरी तरह टूट गए हैं, मगर बेटे के लिए जैसेतैसे खुद को संभाले हुए हैं.

परिवार के लिए कमाना है

‘‘27 अप्रैल, 2021 को मेरे पति विकास ने कोविड की दूसरी लहर में अपनी जान गवां दी. मैं और मेरे दोनों बच्चे इस दुनिया में अकेले रह गए…’’ कहती हुई 40 वर्षीय नयना विकास की आवाज भारी हो गई.

नैना के पति विकास छत्तीसगढ़ के जिले के रायगढ़ के अंतर्गत सासवाने गांव में नयना और 2 बच्चों के साथ रहते थे. उन का बिल्डिंग मैटीरियल सप्लाई करने का व्यवसाय था, जिसे अब नयना संभाल रही हैं. मददगार प्रवृत्ति के विकास कोविड-19 के दूसरी लहर के दौरान लोगों की मदद कर रहे थे. उन्हें कुछ हो जाएगा, इस बारे में उन्होंने सोचा नहीं था.

नयना कहती हैं, ‘‘एक दिन उन्हें बुखार आया पर उन्होंने बताया नहीं. बुखार के साथ ही काम करते रहे. वे 100 से 150 लोगों को खाना खिलाते थे, जिसे मैं खुद बनाती थी. जो भी पैसा उन्हें अपने व्यवसाय से मिलता था, उन्हें जरूरतमंदों के लिए खर्च कर देते थे. 14 अप्रैल से उन्हें बुखार था. 19 अप्रैल को राशन बांटने के उद्देश्य से उन्होंने गांव के सरपंच के साथ मीटिंग रखी थी. मीटिंग खत्म होते ही वे घर आ गए. बुखार तेज था. मैं उन्हें सिविल अस्पताल ले गई, जहां टैस्ट करवाने पर रिपोर्ट पौजिटिव आई. मगर वहां अस्पताल में कोई बैड नहीं मिला. फिर मैं ने उन्हें प्राइवेट अस्पताल में ले गई जहां उन की मौत हो गई.

नयना के 2 बच्चे हैं. बेटी 8वीं कक्षा में और बेटा 5वीं कक्षा में पढ़ रहा है. दुख से उबरने के बाद नयना ने पति का व्यवसाय संभाल लिया है. काम में थोड़ी मुश्किलें भी हैं क्योंकि वे पहले इस काम से जुड़ी नहीं थीं. पति का बैंक खाता बिलकुल खाली है और किसी प्रकार का हैल्थ इंश्योरैंस भी नहीं है. नयना पर काफी कर्ज हो गया है.

पति की मृत्यु के बाद बाल संगोपन संस्था की तरफ से नयना को 50 हजार रुपए तथा राज्य सरकार की तरफ से बच्चों को पढ़ाई का खर्च मिल रहा है. लेकिन आगे नयना को ही परिवार की गाड़ी खींचनी है बिलकुल अकेले.

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बच्चों की परवरिश में कोई कमी नहीं आने दूंगी -विना दुब

कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया में कुहराम मचा रखा है. लाखों परिवारों ने इस में अपने लोगों को खो दिया है. किसी ने बेटा, किसी ने पति, किसी ने पिता तो किसी ने पत्नी, बहन, बेटी या मां को खो दिया है. कुछ बच्चे तो ऐसे हैं जिन्होंने इस महामारी में अपने मातापिता दोनों को ही खो दिया है.

छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले की विना दुबे ने कोरोना की दूसरी लहर में अपने पति को खो दिया. उन के दर्द को शब्दों में बयां करना मुश्किल है, लेकिन विना ने हिम्मत नहीं हारी. दर्द से उबर कर जीवन को फिर वापस पटरी पर ले आई हैं और बच्चों का पालनपोषण कर रही हैं.

विना नहीं चाहतीं कि उन के बच्चों को कोई कमी हो या उन की पढ़ाई और कैरियर में किसी प्रकार की रुकावट पैदा हो. विना ने गृहशोभा से अपनी आपबीती साझ की:

जब आप को पता चला कि कोरोना से आप के पति की मृत्यु हो गई है तो उस समय आप को क्या लग रहा था?

मेरे पति अखिल कुमार दुबे मेरे लिए मेरे आदर्श, मेरे मार्गदर्शक, मेरे सबकुछ थे. लेकिन जब मुझे पता चला कि 6 दिन हौस्पिटल में इलाज करवाने के बाद भी वे नहीं रहे, तो मुझे एक पल को तो विश्वास ही नहीं हुआ कि वे हमें छोड़ कर चले गए हैं. लेकिन हकीकत यही थी कि वे अब नहीं रहे. मुझे समझ ही नहीं आ रहा था कि आगे अब जिंदगी कैसे गुजारूंगी, क्या करूंगी, बच्चों का, खुद का जीवनयापन कैसे करूंगी? मेरे कदमों के नीचे से जैसे जमीन ही खिसक गई हो. कुछ समझ में नहीं आ रहा था. सामने ढेरों परेशानियां थीं. लेकिन बच्चों की खातिर मैं ने पति के जाने के दुख को अपने अंदर छिपा कर उन के लिए आगे बढ़ने का निर्णय लिया.

किस तरह का संघर्ष करना पड़ा?

एक तो पति के जाने का गम और दूसरा आर्थिक तंगी. उस समय खुद को कैसे स्ट्रौंग बनाऊं, यही मेरे लिए सब से बड़ा संघर्ष था. 2 बच्चों की परवरिश, ऐजुकेशन की जिम्मेदारी अकेले मेरे कंधों पर आ गई है. भले ही मैं पहले से वर्किंग हूं, लेकिन बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए सिंगल हैंड से काम नहीं चलता बल्कि मातापिता दोनों का कमाना बहुत जरूरी है. मगर मैं अकेली रह गई हूं. ऐसे में मैं इस संघर्ष के सामने हिम्मत तो नहीं हारूंगी क्योंकि मेरे बच्चों के भविष्य का सवाल जो है.

आप कैसे अपने परिवार का जीवनयापन कर रही हैं?

मैं बीए पास वर्किंग वूमन हूं. मुझे अपने बच्चों की हर जरूरत को पूरा करना है, इसलिए कोई भी काम करना पड़े, मैं पीछे नहीं हटूंगी. जौब के कारण बच्चे उपेक्षित न हों, इस बात का भी मैं पूरा ध्यान रखती हूं. उन के साथ वक्त गुजारती हूं, उन की प्रोब्लम सुनती हूं, पढ़ाई में उन्हें पूरा सहयोग देती हूं क्योंकि अब मैं ही उन की मां और पिता दोनों हूं.

पति के न रहने पर समाज व रिश्तेदारों का क्या योगदान रहा?

समाज का तो कुछ नहीं कह सकती क्योंकि वो दौर ही ऐसा था जब सभी एकदूसरे से दूरी बनाए हुए थे. सब अपनों को बचाने के लिए, अपनेअपने बारे में सोच रहे थे. लेकिन ऐसे वक्त में मेरे जेठ अमित दुबे और जेठानी रीना दुबे ने तनमनधन हर तरह से सहयोग दिया. समाजसेविका नीतूजी की मैं दिल से आभारी हूं. उन्होंने जो बन पड़ा वह हमारे लिए किया. मेरे भाई मेरी हिम्मत बन कर खड़े हुए हैं, जिस के कारण मुझे आगे बढ़ने का हौसला मिला है.

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हादसे के बाद जीवन के लिए सीख?

मैं सभी से यही कहना चाहूंगी कि जीवन में कब क्या हो जाए, कोई नहीं जानता. कब हंसतीखेलती जिंदगी में सन्नाटा छा जाए, किसी को नहीं मालूम. इसलिए परिवार में जब तक संभव हो सके पति पत्नी मिल कर काम करें. चाहे आप ज्यादा शिक्षित न भी हों तो भी जो भी आप में करने की योग्यता है, जैसे कुकिंग, बुनाई आदि तो उसे कर के न सिर्फ खुद सैल्फ डिपेंडैंट बनें, बल्कि उस से होने वाली आय को भविष्य के लिए जोड़ कर रखें ताकि कभी भी मुसीबत आने पर आप अपने परिवार की हिम्मत बन कर कठिन परिस्थितियों से लड़ पाने में सक्षम हों. फुजूलखर्ची छोड़ कर सेविंग करने की आदत को बढ़ाएं, साथ ही कभी भी हिम्मत न हारें.

प्रेजेंटेबल होने से बढता है कॉन्फिडेंस, कैसे, जानें एक्सपर्ट से

फेस्टिवल कोई भी हो हेयर स्टाइल और मेकअप सबसे अधिक महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि सही हेयर स्टाइल से व्यक्ति का व्यक्तित्व बदल जाता है और वह उस पार्टी की सबसे आकर्षक बन जाता है. केशों की सुंदरता में सिल्की और शाइनी होना बहुत जरुरी है. इस समय अधिकतर महिलाएं घर से काम कर रही है और वे अपने केशों और मेकअप पर ध्यान नहीं दे पा रही है, लेकिन अपने चेहरे और केशों का ध्यान हमेशा रखने की जरुरत होती है.

मुसीबत में है ब्यूटी इंडस्ट्री 

कोरोना की वजह से ब्यूटी इंडस्ट्री काफी मुसीबतों का सामना कररही है, क्योंकि अभी आधे से अधिक लोग घर से काम कर रहे है बाहर निकलने पर मास्क लगाना पड़ता है. मेकअप केवल आँखों का ही किया जाना संभव होता है. इस बारें में कोस्मोप्रूफ़ और वेलनेस एक्सपर्ट समीर श्रीवास्तव कहते है कि ये समय निश्चित रूप से अच्छा नहीं है.पिछले 2 साल में इम्पैक्ट बहुत अधिक था, पर अभी कुछ हद तक ठीक हो गया है. कई राज्यों में तो पूरी तरह से अब ब्यूटी सैलून खुल चुके है. महाराष्ट्र में अभी भी कुछ सावधानियां है. मेरे हिसाब से ब्यूटी एक हायजिन से जुड़ा शब्द है, इसमें हेयर कट से शुरू कर पूरा मेकओवर होता है. अच्छा हेयर कट, ब्लो ड्रायर और अच्छा कलर मिल गया, तो व्यक्ति अंदर से खुशियों को पा लेता है. किसी ने अगर आपके चेहरे और केशो की तारीफ़ की है, तो व्यक्ति मानसिक रूप से बहुत अधिक खुश हो जाते है.ब्यूटी इंडस्ट्री में उतार-चढ़ाव हमेशा रहेगी, ये कम नहीं हो सकती.

पुरुष भी करते है मेकअप

समीर आगे कहते है किमैं करीब 20 साल से इस क्षेत्र में हूँ. ब्यूटी की खपत धीरे-धीरे बढती ही जा रही है और केवल महिलाएं ही नहीं, आज पुरुष भी अपनी ब्यूटी, मेकअप के द्वारा बढाते है. इस क्षेत्र में कोई भी पैसे खर्च करने में कंजूसी नहीं करते, इसलिए दिनोदिन ये व्यवसाय बढती ही जा रही है.

आयुर्वेद को ब्यूटी में जोड़ना

इसके अलावा इंडिया में ब्यूटी के क्षेत्र में उत्पादों की भरमार हो चुकी है, जिसमें आजकल आयुर्वेदिक प्रोडक्ट, वेगन प्रोडक्ट और न जाने क्या- क्या है. आयुर्वेद को सभी कंपनी महत्व दे रही है, जिसमें हल्दी, एलोवेरा, नीम, तुलसी और न जाने क्या-क्या प्रयोग करते है. इससे ये पता लग रहा है कि पूरानी रूट्स मॉडर्न फॉर्म में बाहर निकल रही है. इसके अलावा जिन कंपनियों ने ब्यूटी प्रोडक्ट को छोड़ दिया था, वे वापस आ रहे है.

खुद करें मेकअप

खुद मेकअप करने की चाहत केवल यहाँ नहीं, विश्व में हर जगह पर है. इसके लिए सुविदाएं भी खूब है, कोई इन्टरनेट पर तो कोई यूट्यूब पर देखकर खुद का मेकअप करते है. लेकिन इसमें देखना ये जरुरी है कि मेकअप सीखाने वाला कोई एक्सपर्ट हो.कई अच्छे-अच्छे मेक अप आर्टिस्ट आजकल सोशल मीडिया पर सिखाते है.

असली मेकअप के लिए हेयर कट और चेहरे की आकृति अधिक मायने रखती है. सही मेकअप लगाने के लिए उसकी सही जानकारी होना बहुत जरुरी है. कुछ बातें ध्यान देने योग्य निम्न है,

  • मेकअप का स्किन से मैच करना,
  • फेस कट मसलन ओवल, पतला, छोटा आदि को देखना,
  • हेयर कट जैसे केशों का रंग, हाईलाईट कलर, लम्बे केश, छोटे केश, कर्ली हेयर आदि के आधार पर मेकअप लगाने से किसी की भी पर्सोनालिटी खिलती है.

ट्रेंड में न्यूड मेकअप है, जिसमें अलग तरीके की लिपस्टिक्स, नेलपॉलिश और मेकअप होती है. इसे मेकअप करने पर किसी को पता नहीं लग पाता और व्यक्ति सुंदर दिखता है. ये   हल्का मेकअप होने वजह से हर उम्र की महिलाए इसे लगा सकती है. मास्क की वजह से लिपस्टिक्स का प्रयोग पूरे विश्व में महिलाएं कम कर रही है, जबकि लिपस्टिक मूड को बदल सकती है. किसी की पर्सोनालिटी को अच्छा बनाये रखना आज बहुत जरुरी है, इससे कॉन्फिडेंस आता है. आज छोटे शहरों में काफी लोग अपनी ब्यूटी को लेकर जागरूक हो चुके है.

गंगूबाई काठियावाड़ी: शांतनु माहेश्वरी और आलिया भट्ट के सॉन्ग ‘मेरी जान’ ने बनाया सबको दिवाना

अभिनेता शांतनु माहेश्वरी, संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ से बड़े पर्दे पर कदम रखने के लिए पूरी तरह से तैयार है . इस फिल्म में आलिया भट्ट और शांतनु पर फिल्माया गाना ‘जब सैंया’ रिलीज होते ही दर्शकों के दिल में घर कर चुका है . अब एक बार फिर वो अपने दूसरे गाने ‘मेरी जान’ से दर्शकों को अपना दीवाना बना रहे है .

इस मदमस्त गाने को नीति मोहन ने गाया है जो कि आलिया भट्ट द्वारा अभिनीत किरदार गंगूबाई और शांतनु के खूबसूरत प्यार को गाडी की पिछली सीट पर बैठे हुए दर्शता है . यह बिल्कुल नई जोड़ी अपनी शानदार केमिस्ट्री और अपने चेहरें के हाव-भाव से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर रही है.

‘मेरी जान’ की धुन आपके पैर को थिरकने पर मजबूर कर देगी . इस गाने में एक-दूसरे को चिढ़ाते हुए, आलिया और शांतनु गाने की शुरुआत में संकेतों और हाथों के इशारों से एक-दूसरे से बात करते दिख रहे है. गाने की शुरुआत को देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि प्यार को शब्दों की आवश्यकता नहीं होती है और दोनों कलाकार जिस प्रकार अपनी आंखों से बोल रहे है, सच मानिए काबिले तारिफ़ है . प्यार का एक शानदार चित्रण करते हुए आलिया और शांतनु दर्द, भय, घुटन, निराशा और सबसे अधिक तड़प को व्यक्त करते है.

इस गाने के रिलीज होने की खुशी में शांतनु ने कहा कि  ” ‘मेरी जान’ में दिखाया गया है कि संजय लीला भंसाली सर जैसा फिल्म निर्माता दो किरदारों के समीकरण को इतनी काव्यात्मक ढंग से सामने लाने के लिए क्या कर सकते है . गाने में आलिया भट्ट का किरदार गंगूबाई मुझे गले लगाना चाहती है लेकिन वह डरती है. वह केवल प्यार करना चाहती है और जब उसे अंत में प्यार मिलता है तो आप देख सकते है कि उसकी आँखों में एक अलग ख़ुशी नज़र आती है . यह रोमांस से बहुत अधिक है. यह गाना दिखाता है कि किस प्रकार दो व्यक्ति अपने इतिहास को भूला कर एक दूसरे में खो जाते है .”

संजय लीला भंसाली और डॉ. जयंतीलाल गड़ा (पेन स्टूडियोज ) द्वारा निर्मित यह फिल्म 25 फरवरी 2022 को सिनेमाघरों में रिलीज होने के लिए पूरी तरह तैयार है.

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