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Christmas Special: इस क्रिसमस पर बनाएं बच्चों का औल टाइम फेवरेट डोनट

आम तौर पर देखा जाए तो बच्चे बाजार का ही खाना खाना पसंद करते हैं और बात जब डोनट की हो तो नाम सुनते ही उनके चेहरे पर खुशी छा जाती है. डोनट खाने में तो बेहतरीन होते ही हैं साथ-साथ दिखने में भी बेहद आकर्षक होते हैं. फिर ये चाहे सिनामन और चीनी में लिपटे हों, चाहे चाकलेट की ग्लेजिंग किए हुए हों.

रोज बाहर का डोनट खाना आपके बच्चों के लिए नुकसानदेह हो सकता है. इसलिए इस क्रिसमस आप घर पर ही तैयार करें नरम-नरम और कुरकुरे डोनट्स. जानिए इसे बनाने की विधि.

सामग्री

मैदा – 1 कप

इस्ट – 1 चम्मच

चीनी – 1/3 कप (पिसी हुई आटे में डालने के लिए)

नमक – 2 चुटकी

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बेकिंग पाउडर आधा चम्मच

बटर – 1 बड़ा चम्मच

तलने के लिए रिफाइंड औयल

आधा कप पिसी चीनी ऊपर से लगाने के लिए

विधि

सबसे पहले इस्ट को गुनगुने पानी में भिगा दें. अब मैदे को छान लें और उसमें बटर, चीनी, नमक, बेकिंग पाउडर, और इस्ट मिला के मुलायम आटा मिला लें.

फिर उस आटे की एक बड़ी सी मोटी रोटी बेल ले, और उसे डोनट कटर या फिर किसी ग्लास से गोल काट लें बीच से भी काट के डोनट का शेप बना दें.

इसी तरह से सारे डोनट तैयार कर लें. फिर उसे ढ़ककर चार घंटे के लिए रख दें या फिर जब तक डोनट फूल के दोगने मोटे न हो जाये तब तक उसे रखें.

अब एक कड़ाही में तेल गरम करें और डोनट को दोनों तरफ से सुनहरा होने तक तल लें. फिर ऊपर से पिसी हुई चीनी चारों तरफ से लगा दें. आप चाहें तो चौकलेट और क्रीम भी डोनट पर लगा सकती हैं.

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Christmas Special: कुछ ऐसे सजाएं अपने होंठों पर लिपस्टिक

आपके मेकअप का सहसे महत्वपूर्ण भाग लिपस्टिक है, जिस पर आप खासा ध्यान देना पसंद करती हैं. लिपस्टिक आपकी मेकअप किट का एक बेहद अहम हिस्सा जिससे कि आपके चेहरे पर एक अलग ही निखार आता है. पर समस्या ये है कि आप में से अधिकतर लोगों को लिपस्ट‍िक लगाने का सही तरीका ही मालूम नहीं होता, इसी वजह से आपकी लिपस्टिक ज्यादा देर तक आपके होंठों पर टिकी नहीं रह पाती.

लंबे समय तक के लिए अपने होंठों पर लिपस्टिक को ठहराने के लिए आपको लिपस्टिक लगाते समय कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए. अगर आप इन कुछ बातों का ध्यान रखेंगी तो लिपस्टिक देर तक आपके होंठों पर टिकी रहेगी.

– लिपस्‍टिक लगाने से पहले अपने होंठों पर हल्के रंग की लिप कलर पेंसिल से एक आउट लाइन बना लें. आउट लाइन बनाने के बाद लिपस्ट‍िक लगाना आसान हो जाता है और ऐसा करने से लिपस्ट‍िक लंबे समय तक आपके होंठों पर टिकी भी रहती है.

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– अगर आपके होठ फटे हैं ते लिपस्ट‍ि‍क लगाने के बाद वो भी आपके चेहरे पर फटी-फटी नजर आएगी. ऐसे में लिपस्ट‍ि‍क लगाने से पहले होंठों को थोड़ा स्क्रब कर लेना चाहिए. वैसे तो समय-समय पर स्क्रब की मदद से आपको अपने होंठों को साफ करते रहना चाहिए ताकि ये हरदम स्मूद बने रहें. होंठों को मौइश्चराइज करते रहना भी जरूरी है और इसके लिए आप किसी भी विश्वसनीय लिप बाम या ग्ल‍िसरीन का इस्तेमाल कर सकती हैं.

– लिपस्ट‍िक लगाने के बाद, इसका पहला कोट कर के उसे हल्का थोड़ा सा हल्का कर लेना भी जरूरी होता है, ऐसे करने से आपकी लिपस्टिक होंठों पर जम जाती है और इसके फैलने का डर भी नहीं रह जाता. अब इसके बाद आप चाहें तो अपनी इच्छा के अनुसार दूसरा हल्का या गाढ़ा कोट इस पर लगा सकती हैं.

– लिपस्ट‍िक लगाने के बाद अपने होंठो पर उंगलियों से हल्का सा पाउडर लगाकर उस पर हल्के से उंगली फेरें. ये पाउडर लिपस्ट‍िक को आपके होंठों पर पूरी तरह सेट कर देगा. अब अगर आपको लगता है कि आपकी लिपस्ट‍िक हल्की हो गई है तो आप इसके ऊपर से एक कोट और लगा सकती हैं.

– लिपस्टिक को फ्रिज में रखना चाहिए. कई सौंदर्य विशेषज्ञों का भी यही मानना है कि लिपस्टिक को फ्रिज में रखने से यह मेल्ट कम होती है और आपके होंठों पर लंबे समय के लिए भी टिकी रहती है.

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डिप्रेशन के खतरे को बढ़ा सकती हैं 5 आदतें

आप शायद पहले से ही जानते होंगे कि बुरी आदतें आपको बीमार कर सकती हैं.  रोज सुबह पनीर सॉसेज अंडे और हर रात पिज्जा खाने से आपका कोलेस्ट्रॉल बढ़ेगा, आपकी कमर की चौड़ाई बढ़ेगी और आपको हार्ट की बीमारी भी हो सकती है.

डॉ. प्रकृति पोद्दार, मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ, निदेशक पोद्दार वेलनेस के मुताबिक जिस तरह बुरी आदतें आपके शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती हैं, उसी तरह कुछ बुरी आदतें आपके मानसिक स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती हैं. ये आदतें आपके डिप्रेशन के खतरे को बढ़ा सकती हैं, या आपको ज्यादा चिंतित या तनावग्रस्त महसूस करा सकती हैं.

1- पर्फेक्सिनिज्म

किसी भी चीज़ को बेहतर तरीके से करने से आपकी सफलता की संभावना बढ़ सकती है, लेकिन हर समय सही होने की (परफेक्ट) ज़रूरत वास्तव में आपके प्रयासों को कमजोर कर सकती है.

साइकोलॉजिस्ट पर्फेक्सिनिज्म को सकारात्मक या नकारात्मक बताते हैं.  सकारात्मक पर्फेक्सिनिज्म आपको अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में मदद करता है- एक पर्फेक्सिनिस्ट के रूप में आप अपने काम में कोई गलती होने की गुंजाइश नहीं छोड़ते हैं.  सकारात्मक पर्फेक्सिनिज्म की आदतों में वास्तविक लक्ष्य निर्धारित करना, असफलताओं को पीछे छोड़ना, गलतियों को सुधारना, चिंता और तनाव को कम करना और प्रक्रिया के साथ-साथ परिणाम का आनंद लेना शामिल होता है.

नकारात्मक पर्फेक्सिनिज्म की आदतों में आपकी पहुंच से बाहर स्टैंडर्ड स्थापित करना, परफेक्शन से कम होने पर किसी भी चीज़ से असंतोष होना, असफलता या अस्वीकृति के साथ व्यस्तता और गलतियों को अयोग्यता का प्रमाण मानना शामिल होता है.

2- असफलता की मानसिकता

हर किसी के मन में कभी न कभी नकारात्मक विचार आते हैं, और कभी-कभी असफलता की भावनाएँ आमतौर पर कोई मानसिक स्वास्थ्य समस्या पैदा नहीं करती हैं.  हालांकि इन नकारात्मक विचारों को बढ़ावा देने से एक असफल मानसिकता पैदा हो सकती है, जो आपके सफल होने की क्षमता में बाधा डाल सकती है.  नकारात्मक विचार से आपको लग सकता है कि आपका जीवन अंधकारमय, दयनीय है, और बिना किसी आशा या मतलब के न होने से आपको नींद नही आ सकती है, और आपको दिन के दौरान आगे कोई काम करने में बाधा डाल सकता है.  अगर इसका कुछ समाधन न किया जाए तो ये असफलता के विचार आदत बन जाते हैं.

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3. एक्सरसाइज की कमी

एक आलस भरी लाइफस्टाइल आपकी कमर, आपके हार्ट और, आपके मानसिक स्वास्थ्य को नुक़सान पहुंचा सकते है.

नियमित एक्सरसाइज एंडोर्फिन और अन्य “फील गुड” केमिकल को रिलीज़ करके डिप्रेशन को कम कर सकते है, और शरीर के तापमान को बढ़ाकर एक शांत प्रभाव पैदा करता है.  नियमित रूप से एक्सरसाइज करने से आपको आत्मविश्वास भी मिल सकता है, सामाजिक संपर्क में सुधार कर सकता है और स्वस्थ तरीके से जीवन के तनावों से निपटने में आपकी मदद कर सकता है.

4. सोशल मीडिया का बहुत ज्यादा प्रयोग

चाइल्ड माइंड इंस्टीट्यूट का कहना है कि सोशल मीडिया का बहुत ज्यादा प्रयोग युवाओं में एंग्जाइटी को बढ़ा रहा है और आत्मसम्मान को कम कर रहा है.  सोशल मीडिया के उपयोग से उत्पन्न मानसिक स्वास्थ्य समास्याएं वयस्कों को भी प्रभावित कर सकते हैं.  1500 वयस्क फेसबुक और ट्विटर उपयोगकर्ताओं को लेकर एक सर्वे हुआ  था जिसमे  62 प्रतिशत लोगों ने अपर्याप्तता की फीलिंग से पीड़ित होने के बारे में बताया और 60 प्रतिशत ने खुद की तुलना अन्य सोशल मीडिया यूज़र से करने से ईर्ष्या की भावना से पीड़ित होने के बारे में बताया.  तीस प्रतिशत ने कहा कि सोशल मीडिया के इन दो रूपों (ट्विटर और फेसबुक) का उपयोग करने से उन्हें अकेलापन महसूस होता है.

5. ख़राब नींद

नींद शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने में मुख्य भूमिका निभाती है.  अपने मस्तिष्क और शरीर को पिछले दिन की कठिनाइयों से उबरने का मौका प्रदान करके नींद आपको आने वाले कल की चुनौतियों का सामना करने में मदद करती है.  एक या दो रात न सोने  से आप उदास, गुस्सैल और एकाग्र होने में परेशानी महसूस कर सकते हैं, इन सबके अलावा खराब नींद की आदत आपके मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर डाल सकती है.  रिसर्च से पता चलता है कि मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित लोगो में  खराब नींद की समस्या देखी गई हैं.

ठोस मानसिक स्वास्थ्य होने का मतलब यह नहीं है कि आप कभी भी बुरे समय से नही गुजरेंगे या भावनात्मक समस्याओं का अनुभव नहीं करेगें.  हम सभी निराशाओं, कमियों और बदलावों से गुजरते हैं जबकि ये सभी जीवन का सामान्य हिस्सा हैं, फिर इनकी वजह से उदासी, डिप्रेशन और स्ट्रेस हो सकता हैं.  लेकिन जिस तरह शारीरिक रूप से स्वस्थ लोग बीमारी या चोट से उबरने में सक्षम होते हैं, उसी तरह मजबूत मानसिक स्वास्थ्य वाले लोग विपरीत परिस्थितियों, ट्रॉमा और तनाव से बेहतर तरीके से उबरने में सक्षम होते हैं.  इसलिए इन बुरी आदतों को छोड़ दें और कठिन परिस्थितियों का सामना करें और सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखें.

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बिजली से सुरक्षा ऐसे करें सुनिश्चित

आग की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए विद्युत सुरक्षा की जरूरत हर व्यक्ति के लिए चिंता का प्रमुख विषय है. आजकल हो रही आग की घटनाओं के पीछे इलैक्ट्रिकल शौर्ट सर्किट को आम कारण बताया जाता है. ऐसा अकसर सुरक्षा से संबंधित महत्त्वपूर्ण सावधानियों को नजरअंदाज करने अथवा जाने अनजाने उपकरण का दुरुपयोग करने के कारण होता है.

इलैक्ट्रिकल शौक्स एवं आग की घटनाओं से मौत तक हो सकती है. ये घटनाएं अकसर वायरिंग और इलैक्ट्रिकल सिस्टम के कमजोर एवं अनुचित प्रतिष्ठापन के कारण होती हैं. अनिवार्य नैशनल इलैक्ट्रिकल कोड (एनईसी) के प्रावधानों के बारे में जानकारी रखना भी जरूरी है. आग की घटनाओं और इलैक्ट्रिकल शौक्स के खिलाफ सुरक्षा के लिए इन नियमों के क्रियान्वयन के लिए सुदृढ़ प्रमाणन प्रक्रिया का निर्माण करें.

विद्युत सुरक्षा से संबंधित सावधानियां बरतने से अपने व अपने परिवार के लिए सुरक्षित जिंदगी सुनिश्चित की जा सकती है:

– मल्टीपिन प्लग्स का इस्तेमाल कर सिंगल पौइंट (सौकेट आउटलेट) को ओवर प्लग न करें.

– प्लग्स अच्छी तरह कस कर लगाए गए हों, क्योंकि ढीले रहने पर उन में स्पार्किंग होने से आग की घटना की आशंका रहती है.

– आग बुझाने के यंत्र काम करने की स्थिति में होने चाहिए.

– ट्यूबलाइट के बजाय एलईडी बल्ब्स का प्रयोग करें. इस से बिजली की बचत भी होगी.

– बिजली के सभी उपकरण लगाने के लिए हमेशा प्रशिक्षित एवं प्रमाणित इलैक्ट्रिशियन की ही मदद लें.

– इमरजैंसी के दौरान भागने के लिए सीढि़यों एवं रिफ्यूज एरिया को खाली रखना चाहिए.

यदि आप घर पर इलैक्ट्रिक सिस्टम लगा रहे हैं, तो आप को इन उपायों को ध्यान में रखना चाहिए:

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उपकरणों की सुरक्षा : अपने विद्युत उपकरणों एवं उन के तारों की नियमित जांच करें. कटेफटे अथवा क्षतिग्रस्त विद्युत तार को फौरन बदल दें अन्यथा कोई जानलेवा दुर्घटना हो सकती है. अपने विद्युत उपकरणों के पास कोई ज्वलनशील पदार्थ न रखें खासतौर से रसोई में इस बात का पूरा ध्यान रखें, जहां गैस स्टोव, सिलैंडर के कारण विद्युत उपकरणों में आग लगने की घटनाओं का सब से अधिक जोखिम रहता है. कई सारे ऐडौप्टर्स का उपयोग कर पावर पौइंट्स को ओवरलोड न करें.

उचित अर्थिंग : अर्थिंग सब से महत्त्वपूर्ण सुरक्षा उपकरण है. अर्थिंग सिस्टम को दक्ष बनाए रखें. इस की जांच तकनीशियन से कराएं. इलैक्ट्रिकल लीकेज प्रोटैक्शन डिवाइसेज ऐसी स्थिति से पैदा होने वाले खतरे से बचने का सर्वश्रेष्ठ समाधान हैं.

ओवरहीटिंग का जोखिम : सभी विद्युत उपकरणों को निश्चित करंट में परिचालित करने के लिए डिजाइन किया जाता है. यदि करंट शौर्ट सर्किट, अर्थ फाल्ट अथवा इलैक्ट्रिकल ओवरलोडिंग के कारण अधिक हो जाता है, तो उपकरण ओवरहीट हो जाएगा अथवा उस में आग लग सकती है. विद्युत उपकरणों को सुरक्षित परिचालन के लिए अधिकतम कुछ कूलिंग अथवा वैंटिलेशन की जरूरत पड़ती है.

आवासीय वायरिंग : संपूर्ण वायरिंग प्रक्रिया में अमूमन 4 घटक शामिल होते हैं- पावर (मेन वोल्टेज), लोड कंडक्टर और स्विच. आवासीय परिसर में लाइटिंग एवं पावर पौइंट्स की कम से कम संख्या होनी चाहिए. घरों में विद्युत उपकरणों एवं यूपीएस आदि का अधिक इस्तेमाल होने पर आप को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि समान आकार के न्यूट्रल कंडक्टर को फेज में किया गया है.

आउटडोर वायरिंग : इमारत के बाहर व अपने ऐरिया में लैंप पोस्ट के लिए हुई वायरिंग पर नजर रखें. खंभों अथवा पेड़ों से लटक रहे किसी भी खुले तार को ले कर सावधान रहें. यदि आप को ऐसा कुछ दिखाई देता है तो फौरन स्थानीय सेवा प्रदाता को इस की सूचना दें और इसे सही कराएं.

गगनचुंबी इमारतें

इन उपायों के अलावा गगनचुंबी इमारतों में निम्न बातों का जरूर ध्यान रखें:

विद्युत वितरण नैटवर्क : बस्बार आधारित नैटवर्क का चुनाव करें जोकि फ्लोर की पूरी ऊंचाई में केबल डालने की तुलना में भरोसेमंद एवं सुरक्षित है. केबल जौइंट्स और कनैक्शंस की समयसमय पर जांच करनी चाहिए ताकि हौटस्पौट से बचा जा सके.

लिफ्ट एवं इमरजैंसी सिस्टम्स : सुनिश्चित करें कि सर्वश्रेष्ठ उपकरण एवं ऐक्सैसरीज का इस्तेमाल किया जाए ताकि इमरजैंसी के दौरान वे आप को धोखा न दें.

रिन्यूवल्स : रिन्यूवल इंटीग्रेटेड इमारतों के मामले में इंटरकनैक्शन मामलों एवं फेल्योर के कारण बाद में इस से होने वाले नुकसान से बचने के उपाय करें.

इस के अतिरिक्त यदि आप के यहां बिजली का कोई काम हो रहा है तो इन एहतियाती कदमों से किसी भी अप्रत्याशित दुर्घटना को रोकने में मदद मिल सकती है:

– इलैक्ट्रिकल परमिट एवं इलैक्ट्रिकल इंस्टालेशन निरीक्षण आवश्यक है.

– सेवा उपकरण को कनैक्टेड लोड की आपूर्ति करने के लिए पर्याप्त क्षमता का होना चाहिए.

– सेवा उपकरण को सुरक्षा नियमों के अनुसार ही लगाया जाना चाहिए.

– अमोल कलसेकर

चीफ मैनेजर, बिल्डिंग वायर इंटरनैशनल कौपर

ऐसोसिएशन औफ इंडिया

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औरत की जिम्मेदारी और सरकार

मंहगाई बढऩे की एक बड़ी वजह सरकार का आम आदमी पर टैक्स बढ़ाना है. सरकार को अब पैट्रोल, डीजल और गैस की शक्ल में एक अनूठा हथियार मिल गया है जिस के सहारे मनमाना टैक्स वसूला जा सकता है. सरकार को जहां 2014 में मनमोहन ङ्क्षसह के जमाने में एक लीटर पैट्रोल पर 9.48  रुपए अब मोदी सरकार 3 गुना 27.90 रुपए वसूल रही है. गैस और डीजल पर भी ऐसा सा ही हाल है.

मोदी सरकार की मनमानी इतनी है कि जहां 2014 में राज्यों को पैट्रोल पर टैक्स से 38 पैसे मिलने में अब 2021 में बढ़ कर सिर्फ 57 पैसे हुए है और भारतीय जनता पार्टी सारे देश में हल्ला मचा रही है कि विपक्षी राज्य सरकारें टैक्स कम नहीं कर रहीं.

2021 में मोदी सरकार ने पैट्रोलियम पदार्थों पर 3.72 लाख करोड़ रुपए जनता से वसूले जबकि पिछले साल 2.23 लाख करोड़ रुपए मिले थे और बहाना बना दिया कि विश्व बाजारों में कच्चे तेल के दाम बढ़ गए हैं. अगर सिर्फ कच्चे तेल के बढ़े दाम जनता से बसूले जाते तो पैट्रोल, डीजल, गैस 5-7 रुपए प्रति लीटर या किलोग्राम बढ़ते.

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केंद्र सरकार जानती है कि इस देश की औरतों को जितना चाहे लूट लो, वे चूं न करेंगी. उन्हें बचपन से ही यह पाठ पढ़ा दिया जाता है कि जो भी आफत आए उसे भगवान की मर्जी मान लो और पूजापाठ कर के बचने की कोशिश करो. फिर भी कुछ न हो तो इसे अपने पिछले जन्मों के कर्मों का फल मान लो. आम जनता को भी कहा जाता है कि तुम बस कर्म करो, फली की ङ्क्षचता न करो. कृष्ण का पाठ बारबार यूं ही नहीं दोहराया जाता. इस में हर युग में राजाओं और शासकों का मतलब छिपा रहा है.

लोकतंत्र में उम्मीद थी कि लोगों के टैक्स का पैसा उन कामों में इस्तेमाल होगा जो अकेले बना नहीं कर सकते. स्कूल बनेंगे, सडक़ें बनेंगी, बिजली के कारखाने लगेंगे, बाग बनेंगे, अस्पताल बनेंगे. ये बने भी पर अब सब बनना कम हो गया है.

अब अगर सडक़ें बन रही है तो वे जिन पर 25-30 लाख से मंहगी गाडिय़ां दौड़ सके. बाग बन रहे हैं तो वहां जहां धन्ना सेठ रहते हैं या मंदिर है. स्कूल बनाने का काम जनता पर छोड़ दिया गया है. सरकारी मुफ्त स्कूल न के बराबर रह गए है और वहा जाता है कि वहां पढ़ाई नहीं हो या उनको सुधारने के लिए पैसा नहीं है.

जनता का टैक्स तो देना पड़ ही रहा है अब बदले में उसे न चिकित्सा मिल रही है, न सस्ती पढ़ाई मिल रही है, न मुफ्त सडक़ें मिल रही हैं, न सुरक्षा मिल रही है. एक बड़ी रकम तो हर जगह चौकीदारों, सिक्योंरिटी पर खर्च करनी पड़ रही है क्योंकि पुलिस को तो क्राउड मैनेजमैंट के लगाना पड़ रहा है, उस क्राउड को पीटने के लिए जो टैक्स वसूलने वाली सरकार का विरोध करने जमा हो रही है.

इस मोदी सरकार आमदनी से कुछ सौ लोगों की चांदी ही चांदी हो रही है. शेयर बाजार ऊंचा जा रहा है, अडानी अंबानी जैसे उद्योगपति सरकार के साथ रहने की वजह से और अमीर हो रहे हैं. आम औरत गरीब हो रही है.

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आज देश की लाखों औरतों को घर चलाने के लिए मुथुट जैसी कंपनियों के दरवाजों पर कर्ज के लिए सिर पटकना होता है जहां जेवर रख कर पैसे मिल जाते हैं. हर थोड़े दिन बाद इन कंपनियों के पूरे पेज के विज्ञापन छपते हैं कि बारीक शब्दों में छपे नंबरों के खातेदारों का जमा सोना निलाम किया जा रहा है. टैक्स वसूली के साथ कर्ज वसूली का धंधा भी जोरों से चमचमा रहा है.

औरतें जब तक अपने हकों के लिए असली गुनाहगारों को नहीं पहचानेंगी, उन्हें लूटा जाएगा, घरों में मातापिता, भाई, पति, सास, ससुर लूटते हैं, बाहर सरकार उन्हें बचाने नहीं आती उन के घर की कमाई को छीनने आती है. हर टैक्स औरत पर टैक्स है क्योंकि घर तो उसे ही चलाना होता है.

जी का जंजाल बनते बेमेल रिश्ते

बेमेल रिश्ते वे होते हैं, जिन की जोड़ी नहीं जमती. जोड़ी में यह असमानता शारीरिक भी हो सकती है और मानसिक भी. यह जानते हुए कि यह एक बेमेल रिश्ता होगा, आप इस रिश्ते में बंधते हैं या परिजन दबाव बना कर शादी कर देते हैं तो इस का अंजाम अच्छा नहीं होता. वे ज्यादा दिनों तक साथ नहीं निभा पाते. उन के संबंधों में दरार आ जाती है और बात तलाक पर जा कर खत्म होती है. काश, शुरू से ही इस बात का ध्यान रखा होता, तो उन के गले में फंदा पड़ने की नौबत न आती.

यदि लड़का असाधारण रूप से मोटा है यानी 150-200 किलोग्राम वजन वाला और उस का रिश्ता ऐसी लड़की से करा दिया जाता है, जो 50 किलोग्राम की भी नहीं है, तो क्या वह ऐसे मोटे व्यक्ति को अपने पति के रूप में स्वीकार कर पाएगी? इसी प्रकार यदि कोई लड़की 125-150 किलोग्राम वजन की है और लड़का मात्र 50-60 किलोग्राम वजन का, तो ऐसी जोड़ी भी बेमेल ही होगी. कोई भी लड़का इतनी मोटी लड़की की ख्वाइश नहीं रखता. फिर भी जबरदस्ती या दबाव बना कर रिश्ते में बांध दिया जाता है तो वह उस के गले का फंदा बन जाता है.

यदि 6 या 7 फुट लंबे लड़के की शादी 4 फुट लंबी लड़की से कर दी जाए तो ऐसी जोड़ी देख लोग उन का मजाक ही उड़ाएंगे. इसी प्रकार यदि लड़की का कद 7 फुट है और उस की शादी किसी बौने से कर दी जाए तो यह बेमेल रिश्ता ही होगा. ऐसे रिश्ते ताउम्र निभा पाना दोनों के लिए बड़ा मुश्किल होता है.

किसी ऊंची डिगरी प्राप्त लड़के का अनपढ़ या 5वीं कक्षा तक पढ़ी लड़की से रिश्ता करना क्या उचित होगा? एमकौम, एमबीए डिगरीधारी युवक की 8वीं फेल लड़की से शादी रचाना क्या बेमेल रिश्ता नहीं है? इसी प्रकार, एमए, पीएचडी वाली लड़की की शादी अंगूठाछाप लड़के से करना भी बेमेल रिश्ता ही होगा. जब दोनों की शैक्षणिक पृष्ठभूमि में इतना अंतर हो तो उन में वैचारिक समानताएं कैसे आ पाएंगी? दोनों एकदूसरे को समझ ही नहीं सकेंगे. ऐसे रिश्तों का हश्र बहुत बुरा होता है. तलाक की नौबत आते देर नहीं लगती.

काली लड़की और गोरा लड़का या गोरी लड़की और काले लड़के की क्या जोड़ी जमती है? नहीं न, लेकिन ऐसे जोड़े भी हैं जो रंग में एकदम उलट हैं. ऐसे में उन्हें अपने रंग को ले कर या तो हीनभावना रहती है या उच्चभावना. दोनों ही स्थितियां दांपत्य के लिए ठीक नहीं.

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लखपति परिवार के लड़के का संबंध किसी कंगाल परिवार की बेटी से महज इसलिए करना कि वह सुंदर है या किसी अमीर की बेटी का रिश्ता किसी ऐसे गरीब परिवार में करना जहां खाने के लाले पड़ते हों, क्या बेमेल रिश्ता नहीं है? दोनों ही स्थितियों में वे एकदूसरे से तालमेल नहीं बैठा पाएंगे. या तो लड़की, लड़के की गरीबी को कोसेगी या फिर लड़का लड़की के मायके की गरीबी की वजह से उस की 7 पीढि़यों को कोसेगा. गरीबीअमीरी की खाई पाटना आसान बात नहीं है. ऐसे बेमेल रिश्ते दीर्घायु नहीं होते.

विवाहेतर संबंध बनने की आशंका

जरा सोचिए, अपने से 20 साल बड़ी या 20 साल छोटी लड़की अथवा 20 साल बड़े या 20 साल छोटे लड़के से शादी करना क्या बेमेल रिश्ता नहीं है? जब एक की जवानी ढलनी शुरू होगी तब दूसरे की उफान भरेगी. फिर इतने वर्षों का अंतर होने से उन के विचारों में भी अंतर होगा. वे मेल नहीं खाएंगे. जब पति बूढ़ा होने लगेगा और पत्नी की जवानी खिलने लगेगी, तो उसे अपनी पत्नी के चरित्र पर शंका होगी. इस के विपरीत यदि पत्नी बूढ़ी होने लगे तब पति की जवानी जागे तो भी जगहंसाई होगी. हालांकि ऐसे बेमेल रिश्ते बहुत हैं जो किसी न किसी दबाव का परिणाम होते हैं. ऐसे रिश्तों में विवाहेतर संबंध बनने की आशंका सदैव बनी रहती है.

यदि लड़का कुरूप है और उस का रिश्ता किसी खूबसूरत लड़की से हो जाता है, तो लोग यही कहेंगे कि ‘कौए की चोंच में अनारकली.’ इस के विपरीत किसी खूबसूरत, हैंडसम लड़के के साथ ऐसी लड़की का रिश्ता तय कर दिया जाता है, जो हैंडसम न हो तो लोग कहेंगे पैसा देख कर शादी कर ली होगी.

आखिर क्यों बनते हैं बेमेल रिश्ते? फिल्मों या टीवी धारावाहिकों में बेमेल रिश्ते भले ही सफल बताए जाते हों, लेकिन जमीनी हकीकत इस के उलट है. शादी बच्चों का खेल नहीं है, अपितु यह एक अटूट बंधन है, इसलिए जोड़ी मिलना बहुत जरूरी है. इस के लिए उन की जन्मकुंडली मिलाना जरूरी नहीं, अपितु ऊपर जो मानदंड बताए गए हैं, उस हिसाब से उन की जोड़ी सही हो तभी दांपत्य सफल होता है.

आखिर वजह क्या है

आखिर क्यों होते हैं ये बेमेल रिश्ते? क्या इन्हें रोका नहीं जा सकता? दरअसल, ऐसा दबाव की वजह से होता है. पहले बात करते हैं लड़कों की. वे क्यों इस के लिए तैयार हो जाते हैं? सब से बड़ी बात तो पैसे वाली लड़की होने की है. मांबाप को धन चाहिए और अंतत: वे लड़के को इस के लिए तैयार कर ही लेते हैं कि लड़की चाहे कालीगोरी, दुबलीमोटी, लंबीठिगनी, कम पढ़ी या अधिक पढ़ीलिखी हो, पैसे वाली तो है. यदि वह दुबली है, तो लड़के से कहा जाएगा कि शादी के बाद मोटी हो जाएगी. यदि मोटी है तो कहा जाएगा कि घर का कामकाज करेगी तो दुबली हो जाएगी. यदि ठिगनी है तो अमिताभ बच्चन और जया भादुड़ी का उदाहरण पेश कर दिया जाएगा.

यदि लड़की काली है, तो लड़के को यह कह कर राजी कर लिया जाएगा कि काली है तो क्या हुआ उस के फीचर्स तो अच्छे हैं. यदि अत्यधिक गोरी या भूरी है तो कहा जाएगा कि पूरी तरह से विदेशी मेम लग रही है. यदि लड़की लड़के से काफी बड़ी है तो कहा जाएगा कि तुझ से बड़ी है तो क्या हुआ, तू उस का पति होगा. उस पर तेरा ही हुक्म चलेगा. यदि लड़के से बहुत छोटी उम्र की है तो कहा जाएगा कि अच्छा है तुझे कमसिन लड़की मिल रही है.

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यदि लड़की गरीब परिवार की है, तो लड़के को यह दबाव बना कर शादी के लिए विवश किया जाता है कि पैसा तो अपने पास बहुत है. आजकल लड़कियां मिल कहां रही हैं. सुदर है, हां कर दे. इस के विपरीत, यदि लड़की लड़के से बहुत अमीर है तो उसे यह पट्टी पढ़ाई जाएगी कि पैसे वाली ससुराल है. इकलौती लड़की है. ब्याह के बाद सब कुछ बेटी का यानी तेरा होगा.

यदि लड़की बदसूरत है, तो लड़के से कहा जाएगा कि खूबसूरती तन की नहीं मन की देखनी चाहिए. यदि वह लड़के से बहुत ज्यादा सुंदर है, तो कहा जाएगा जल्दी से हां कह दे.

यदि लड़की बहुत अधिक पढ़ीलिखी है तो लड़के को रिश्ते के लिए दबाव बनाया जाएगा, अच्छा है पढ़ीलिखी है, बच्चों में अच्छे संस्कार डालेगी और चाहो तो उस से नौकरी करा लेना और यदि अनपढ़ है, किंतु पैसे वाली है तो लड़के से कहा जाएगा कि पढ़ीलिखी नहीं है तो क्या हुआ, बाप के पास पैसा तो है. फिर तुझे कौन सी उस से नौकरी करानी है?

अब यह देखिए कि लड़की पर परिजन किस तरह बेमेल रिश्ते के लिए दबाव बनाते हैं. यदि लड़का गरीब परिवार का है तो लड़की से कहा जाएगा कि गरीब है तो क्या हुआ संस्कारवान है और रही बात उस की हैसियत की, तो तुझे इतना दहेज देंगे कि वह मालामाल हो जाएगा. यदि लड़का अमीर खानदान का हो तो लड़की से कहा जाएगा कि तेरी तो लौटरी लग गई, जो इतना अमीर घर का रिश्ता आया है.

यदि लड़का कम पढ़ालिखा है तो लड़की पर दबाव बनाने के लिए कहा जाएगा कि पढ़ालिखा नहीं है तो क्या हुआ खानदानी, पैसे वाला तो है. उसे नौकरी करने की जरूरत ही क्या? इतना पुश्तैनी पैसा है कि 7 पीढि़यां बैठेबैठे खा सकें. यदि लड़की से बहुत ज्यादा पढ़ालिखा या डिगरीधारी लड़का हो तो लड़की से कहा जाएगा कि यह समझ ले कि किसी आईएएस लड़के से शादी हो रही है. शादी के बाद तू भी आगे पढ़ लेना.

ऐसे रिश्ते से क्या लाभ

यदि लड़का काला है, तो कहा जाएगा कि लड़के का रंग नहीं कमाई देखनी चाहिए. यदि वह अत्यधिक गोरा है तो लड़की से कहा जाएगा कि तुझे कोई अंगरेज मिला है. कितना हैंडसम है लड़का.

यदि लड़का अत्यधिक मोटा है, तो लड़की पर यह कह कर दबाव बनाया जाएगा कि खातेपीते घर का है. यह तो उस की संपन्नता की निशानी है.

यदि वह बेहद दुबला है तो लड़की से कहा जाएगा कि तू जा कर मोटा कर लेना या फिर आजकल तो स्लिमट्रिम का ही जमाना है.

यदि लड़का बहुत लंबा है तो लड़की से कहा जाएगा कि देखने में अमिताभ जैसा लगता है और बौना हो तो कहा जाएगा बौना है तो क्या हुआ उस की सोच तो बौनी नहीं है.

यदि बेमेल रिश्ते में बंधे दंपती तलाक न भी लें, तो भी उन की साथ रहने की चाह नहीं होती. दोनों ही मानसिक दबाव में रहते हैं गोया उन के गले में फंदा पड़ गया हो. जब रिश्ते में प्यार ही न हो तो ऐसे रिश्ते से क्या लाभ?

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‘लगे रहो मुन्नाभाई’ के कैप्शन को क्यों फॉलो करती हैं एक्ट्रेस Tannaz Irani, पढ़ें इंटरव्यू

हंसमुख और स्पष्टभाषी अभिनेत्री तनाज ईरानी से कोई अपरिचित नहीं, उन्होंने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री और टीवी में हर तरीके का अभिनय किया है, उन्हें ह्यूमर बहुत पसंद है और उन्होंने कई कॉमेडी फिल्मों में भी काम किया है. तनाज केवल अभिनय ही नहीं, रियल लाइफ में भी हमेशा हंसती रहती है. तनाज़ साल 2002 की मिसेज इंडिया रनर अप रह चुकी है. उन्होंने बहुत कम उम्र में चर्चित थिएटर आर्टिस्ट फरीद कुरीम से शादी कर ली थी और 19 साल की उम्र में बेटी जैनी कुरिम की माँ भी बन गयी थी, लेकिन ये शादी अधिक दिनों तक नहीं चल पाई और तनाज ने फरीद से तलाक लिया, इसके बाद साल 2006 में उनकी मुलाकात शो फेम गुरुकुल के सेट पर बख्तियार ईरानी से हुई, प्यार हुआ और जब शादी का फैसला लिया तो बख्तियार के परिवार वाले इस शादी के खिलाफ हो गए, क्योंकि तनाज, बख्तियार से 8 साल बड़ी है.तब बख्तियार की बहन और अभिनेत्री डेलनाज़ ईरानी ने पेरेंट्स को शादी के लिए राजी कराया. साल 2007 में दोनों की शादी हुई और दोनों बेटा zeus, बेटी ज़ारा ईरानी के परेंट्स बने.

तनाज ने फिल्म ‘कहों न प्यार है’ में नीता की भूमिका निभाकर एक्टिंग कैरियर शुरू किया और उसके बाद कई फिल्में जैसे 36 चाइना टाउन, मैं प्रेम की दीवानी हूं, रोड साइड रोमियों आदि और टीवी धारावाहिकों में काम किया है.कई सालों बाद उन्हें पहली बार शेमारू मी की वेब सीरीज ‘बेनकाब’ में काम करने का मौका मिला, जिससे वह बहुत उत्साहित है, पेश है उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश.

सवाल – कोविड के बाद ओटीटी का क्रेज बढ़ा है, लेकिन आप इससे कितनी संतुष्ट है?

जवाब – मेरा पूरा परिवार मूवी देखना पसंद करता है. पति बख्तियार को भी फिल्में देखने का शौक है. फिल्म सूर्यवंशी के रिलीज होने पर हम सभी ने टिकट लेकर फिल्म को देखा है. प्रीमियर अटेंड करने के बाद भी मैं उसे थिएटर हॉल में देखती हूं. किसी भी फिल्म को मेरा परिवार बीच में छोड़कर नहीं निकलता, पूरी फिल्म देखती हूं. कोविड शुरू होने के बाद भी मैंने शूटिंग की है. लोगों को एंटरटेन करना मेरा पैशन है और कोविड में भी सारे प्रीकॉशन को मानते हुए मैंने शूटिंग की है.

सवाल –इस वेब में खास क्या है?

जवाब – ये एक गुजराती नाटक का रीमेक मर्डर मिस्ट्री है, जो बहुत ही मशहूर गुजराती नाटक है. ओटीटी आने के बाद अब सभी निर्माता, निर्देशक नयी-नयी विषय ढूंढने लगे है और ये एक अच्छी विषय है. जो 9 एपिसोड में आएगी. मेरी भूमिका अलग – अलग है और सालों से चली आ रही कॉमेडी की इमेज से हटकर है. हालंकि मैं रियल लाइफ मैं भी बहुत कॉमेडी करती हूं, पर अभी मुझमें थोड़ी मैच्योरिटी और ग्रेस आ चुकी है और अब मुझे इंटरेस्टिंग और अर्थयुक्त भूमिका निभानी है. मर्डर मिस्ट्री में मुझे वो सब मिला. इसमें मैं एक पब्लिशिंग हाउस की ओनर की भूमिका निभा रही हूं. मेरी पब्लिशिंग हाउस ही इस मर्डर मिस्ट्री को सुलझाने का काम करती है. मुझ पर भी शक किया जाता है,ऐसे कई अलग – अलग अभिनय के शेड्स करने का मुझे मौका मिला है.

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सवाल –आप अपनी जर्नी से कितनी संतुष्ट है?

जवाब – सही माइने में ये ओटीटी प्लेटफॉर्म उन कलाकारों के लिए बहुत अच्छा मंच है,जिसमें मैच्योर आर्टिस्ट को अपनी प्रतिभा को एक्स्प्लोर करने का मौका मिलता है. मैं इसमें भाग लेकर बहुत खुश हूं. मैंने जो चाहा मुझे सब मिला है, लेकिन दर्शकों ने मेरे इतने सारे पहले किये हुए काम को नहीं देखा है, क्योंकि तब यू ट्यूब नहीं था, इसलिए आधे से अधिक चीजे रिकॉर्ड नहीं की गयी है.

मुझे इस बात से आश्चर्य होता है कि आज दो या तीन सीरियल करने के बाद कलाकार खुद को सफलता की चोटी पर मानते है. पहले के हम सभी ने बहुत पापड़ बेले है, जिसका अंदाजा हमें भी नहीं है. मुझे किसी प्रकार की रिग्रेट नहीं है. भूमिकायें आती रहती है, लेकिन डिजिटल प्लेटफॉर्म नहीं मिली थी, जो मुझे इस वेब सीरीज में मिली है. ये भी सही है कि आज डिजिटल के लाइक्स को देखकर कलाकार चुन लिए जाते है, लेकिन अधिक दिनों तक सफल होने वाले वही कलाकार होते है, जो मेहनत और लगन से काम करते रहते है. मैं खुद ‘लगे रहो मुन्नाभाई’ कीजुमले को फोलो करती हूं.

सवाल – कॉमेडी करना आसान है या सीरियस भूमिका?

जवाब – आसान कोई भी भूमिका नहीं होती, सभी में मेहनत लगती है. सबसे अधिक मेहनत तब लगती है, जब स्क्रिप्ट ख़राब हो और डायरेक्टर की समझ कम हो. मुझे किसी भी अभिनय को करने में मेहनत नहीं लगती, क्योंकि निर्देशक सही होने और एक स्टाइल को पकड़ा देने से अभिनय करना आसान हो जाता है.

सवाल –इतने सालों में इंडस्ट्री में किस प्रकार की परिवर्तन पाती है?

जवाब – परिवर्तन हर क्षेत्र में होना आवश्यक है, नहीं तो चीजे बोरिंग लगती है. सोच हो या इंडस्ट्री परिवर्तन होना जरुरी है. कई लोग इस परिवर्तन को सही नहीं समझते और दुखी रहते है, पर मैं परिवर्तन के साथ ही चलना चाहती हूं.इसके अलावा इस दौर में मानसिकता, हमदर्दी और प्यार में कमी आई है, क्योंकि लोग इमोशनली अकेले हो गए है. किसी पर भरोसा नहीं कर पाते, इन सबमें कमी आई है, पर ये किसी की वश में नहीं होता.

सवाल – ओटीटी की वजह से लोगों में इसकी एडिक्शन बढ़ी है, क्या इसका असर आगे देखने को मिलेगा?

जवाब – मेरे परिवार में सभी बहुत अधिक मोबाइल पर वेब सीरीज देखते है, क्योंकि ये बहुत कम पैसे में पूरा मनोरंजन मिलने का एकमात्र साधन है. इसके अलावा इसे कभी भी अपने हिसाब से देख सकते है, यही सहूलियत इंसान को इसके करीब लाई है.

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सवाल –आपके बच्चे आपके क्षेत्र से कितने प्रभावित है?

जवाब – वे बड़े हो चुके है और मेरे काम से बहुत प्रभावित है, लेकिन वे आलोचक भी है.

सवाल – नए साल के लिए आपकी रेसोल्यूशन क्या है?

जवाब – रेसोल्यूशन मैं साल के शुरू में खुद के लिए और परिवार के लिए बनाना चाहती हूं. एक अच्छी प्लानिंग करने पर ही मैं अपने लिए और परिवार के लिए कुछ अच्छा कर सकती हूं. इसके अलावा आज के परिवेश में सभी को परिवार के साथ खुश रहने की जरुरत है.

पीएम ने दिया महिला सशक्तिकरण पैकेज

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रयागराज में महिला सशक्तिकरण के लिए विशेष पैकेज की घोषणा की. महिलाओं को सहायता प्रदान करने के क्रम में प्रधानमंत्री ने ₹1,000 करोड़ की धनराशि स्वयं सहायता समूहों के खातों में अंतरित किया, जिससे स्वयं सहायता समूहों की लगभग 16 लाख महिला सदस्यों को फायदा होगा. यह अंतरण दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) के तहत किया गया, जिसके अनुसार प्रति समूह ₹1.10 लाख के हिसाब से 80 हजार समूहों को समुदाय निवेश निधि (सीआईएफ) तथा ₹15 हजार प्रति स्वयं सहायता समूह के हिसाब से 60 हजार समूहों को परिचालन निधि प्राप्त हो रही है.

प्रधानमंत्री द्वारा 20 हजार बीसी सखियों (बैंकिंग कॉरेस्पॉन्डेन्ट सखी) के खातों में पहले महीने का ₹4,000 मानदेय हस्तांतरित किया गया.

बीसी-सखियां जब घर-घर जाकर जमीनी स्तर पर वित्तीय सेवायें उपलब्ध कराती हैं, तो उन्हें छह महीने के लिये ₹4,000 मानदेय दिया जाता है, ताकि वे स्थायी रूप से काम कर सकें और उसके बाद लेन-देन से मिलने वाले कमीशन से उन्हें आय होने लगे.

प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री कन्या सुमंगल योजना के तहत एक लाख से अधिक लाभार्थियों को ₹20 करोड़ से अधिक की धनराशि भी हस्तांतरित किया. इस योजना से कन्याओं को उनके जीवन के विभिन्न चरणों में शर्तों के साथ नकद हस्तांतरण मिलता है. प्रति लाभार्थी हस्तांतरित की जाने वाली कुल रकम 15 हजार रुपये है. विभिन्न चरणों में: जन्म (₹2,000), एक वर्ष होने पर सारे टीके लग जाना (1,000), कक्षा-प्रथम में दाखिला लेना (₹2,000), कक्षा-छह में दाखिला लेना (₹2,000), कक्षा-नौ में दाखिला लेना (₹3,000) कक्षा-दस या बारह उत्तीर्ण होने के बाद किसी डिग्री/डिप्लोमा पाठ्यक्रम में दाखिला लेना (₹5,000) शामिल हैं.

प्रधानमंत्री ने 202 पूरक पोषण निर्माण इकाइयों की आधारशिला भी रखी. इन इकाइयों का वित्तपोषण स्वसहायता समूह कर रहे हैं तथा इनके निर्माण में प्रति इकाई के हिसाब से लगभग एक करोड़ रुपये का खर्च बैठेगा. यह इकाइयां राज्य के 600 प्रखंडों में एकीकृत बाल विकास योजना (आईसीडीएस) के तहत पूरक पोषण की आपूर्ति करेंगी.

Imlie की बेइज्जती का बदला लेगा आर्यन, मालिनी-आदित्य को करेगा बर्बाद

स्टार प्लस के सीरियल इमली (Imlie) में आर्यन को प्यार का एहसास होने लगा है तो वहीं मालिनी की मां कदम कदम पर इमली की बेइज्जती करती नजर आ रही हैं. वहीं आदित्य भी इमली से मुंह फेर कर बैठा है. लेकिन आर्यन अब इमली के लिए सभी से बदला लेता हुआ नजर आने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे (Imlie Serial Update)…

आदित्य-इमली को दूर करेगी मालिनी

 

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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि निशांत-रूपाली, अनु और मालिनी दोनों से छिपकर इमली और आदित्य को साथ लाने की कोशिश करेंगे. दरअसल, दोनों इमली को आदित्य के कमरे में भेजकर दरवाजा बंद कर देंगे. वहीं मालिनी को इमली के गायब होने की भनक पड़ेगी तो वह सोचेगी कि अगर वे फिर से बात करेंगे, तो वे फिर से मिल जाएंगे और वह ऐसा नहीं होने दे सकती क्योंकि उनका ब्रेकअप बड़ी मुश्किल से हुआ था. दूसरी तरफ इमली कमरे से बाहर निकलने की कोशिश करेगी तो आदित्य उसे ताना मारेगा कि क्या उसे डर है कि आर्यन को शक होगा.

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मालिनी कहेगी ये बात

इसी बीच मालिनी कमरे का दरवाजा खोलेगी और इमली से सवाल करेगी कि वह अकेले कमरे में क्या कर रहे थे, क्या वह अपने असहाय बनने की एक्टिंग और इमोशनल ब्लैकमेल के साथ आदि को फिर से फंसा रही थी. मालिनी, इमली पर आरोप लगाएगी कि वह पुरुषों के साथ समय बिताना पसंद करती है, पहले आदि, फिर आर्यन और अब फिर से आदि. हालांकि आदित्य, मालिनी को रोकेगा. लेकिन  मालिनी कहेगी कि इमली को जलन हो रही है और वह बार-बार उसकी खुशी छीनना चाहती है. वहीं मालिनी के इल्जामों को सुनकर इमली गुस्से में कहती है कि उसने कभी अपने पति के अलावा किसी और पर नजर नहीं डाली और आदित्य इस बात का सबूत है. लेकिन आदित्य, इमली को ताना मारते हुए कहता है कि यह उसकी गलती है कि वह इमली की उम्मीदों को पूरा नहीं कर सका, क्योंकि इमली को बेहतर सैलरी और बड़े घर की उम्मीद है, इसलिए अब वह आर्यन राठौर पर नजर गड़ाए हुए है, जिसे सुनकर इमली टूट जाएगी.

आर्यन लेगा बदला

 

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इसके अलावा आप देखेंगे कि आर्यन एक कमरे में जाएगा जहां पर हरीश को अपने लेनदार से बात करते हुए सुनेगा कि वह अपना कर्ज चुकाने के लिए 1 महीने का समय देने की गुहार लगा रहा होगा और किसी को इसके बारे में बताने से मना कर रहा होगा. हरीश की ये बात सुनकर आर्यन, आदित्य को बर्बाद करने का प्लान बनाएगा, लेकिन वही उसकी शादी होने का इंतजार करेगा. वहीं आर्यन और इमली डीडीएलजे के राज और सिमरन के रूप में एक साथ डांस करते नजर आएगा, जिसे देखकर आदित्य और मालिनी जलते हुए नजर आएंगे.

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