Short Stories In Hindi : फैसला – क्या अंकुर को खुद से दूर कर पाई अंजलि

Short Stories In Hindi : अंकुर मेरा नैनीताल जाना बहुत जरूरी है. एक प्रोजैक्ट के सिलसिले में कल ही जाना है. बट सोच रही हूं अकेली कैसे जाऊंगी?’’

‘‘कोई नहीं मैं चलता हूं साथ,’’ 1 मिनट की भी देरी किए बिना अंकुर ने तुरंत कहा.

अंजलि थोड़ी चकित हो कर बोली, ‘‘मगर औफिस में क्या कहोगे? बौस नाराज नहीं होंगे?’’

‘‘ऐसा कुछ नहीं है. मैं कह दूंगा कि तबीयत सही नहीं. इस तरह 2-4 दिन आराम से छुट्टी मिल जाएगी.’’

‘‘ओके फिर आ जाना. हम कैब से चलेंगे. मैं ने कैब वाले से बात कर ली है. कल सुबहसुबह निकलते हैं,’’ अंजलि निश्चित हो कर अपने काम में लग गई.

अंकुर और अंजलि करीब 1 साल से संपर्क में हैं. दोनों औफिस में मिले थे. अंजलि को अच्छी कंपनी से जौब औफर हुई तो वह वहां चली गई मगर अंकुर ने उस से संपर्क बनाए रखा. अब समय के साथ दोनों के बीच एक अच्छी दोस्ती डैवलप हो गई थी. इस दोस्ती की वजह अंकुर का केयरिंग नेचर था जो अंजलि को बहुत पसंद था. अंजलि को जब भी कोई समस्या होती या किसी का साथ चाहिए होता वह अंकुर को कौल करती और उसे कभी निराश नहीं होना पड़ता. अंकुर हमेशा उस का साथ देने के लिए आ जाता.

अंजलि का कोई भाई नहीं था इसलिए वह चाहती थी कि उस का पति उस के घर वालों की भी परवाह करने वाला हो. अंकुर इस माने में बिलकुल फिट बैठता था. वह अकसर अंजलि के घर जाता और उस की मम्मी की हैल्प करने की कोशिश में रहता. कभी मार्किट से कुछ लाना है, कभी शौपिंग के लिए साथ जाना है, कभी कोई खास डिश बनानी है तो वह हमेशा आगे रहता.

हाल ही में जब रात के 11 बजे अचानक अंजलि के पापा को हार्ट प्रौब्लम हुई तो उस ने अंकुर को ही फोन किया. अंकुर तुरंत अपनी बाइक ले कर हाजिर हो गया. आननफानन में ऐंबुलैंस बुलाई गई और दोनों पिता को ले कर सिटी हौस्पिटल पहुंचे. डाक्टर ने सर्जरी के लिए

2 दिन बाद की डेट दे दी. अंजलि को अगले दिन औफिस में जरूरी प्रेजैंटेशन देना था इसलिए किसी भी हाल में औफिस पहुंचना था. अंकुर को जब यह बात पता चली तो उस ने अंजलि से औफिस जाने को कहा. वह खुद  4 दिन की छुट्टी ले कर अस्पताल में रुक कर सब काम देखने लगा. अंजलि अंकुर के इस व्यवहार और प्यार से अभिभूत हो उठी. उसे यकीन नहीं आ रहा था कि अंकुर जैसा दोस्त उस के पास है. वह किसी भी तरह उसे हमेशा के लिए अपनी जिंदगी में शामिल करने को उत्सुक थी. 2-3 बार वह उस की दोनों बहनों से भी मिल चुकी थी. अंकुर अंजलि को बहनों से मिलाने उन के कालेज ले गया था.

एक नजर में अंकुर बहुत हैंडसम या आकर्षक नहीं दिखता था मगर उस का व्यवहार अच्छा था. कपड़े बहुत महंगे नहीं होते थे मगर वे कपड़े उस पर जंचते थे. वह सौम्य, शालीन और दूसरों की प्रौब्लम्स सम?ाने वाला बंदा था खासकर अंजलि के लिए कुछ भी करने को तैयार रहता.

इधर अंजलि काफी खूबसूरत और स्मार्ट थी. 5 फुट 4 इंच का कद, गोरा रंग, घुंघराले बाल और सधी हुई खूबसूरत फिगर. वह अपने काम के प्रति भी बहुत सिंसियर रहती थी. उस ने बेहतर सैलरी पैकेज में नई कंपनी जौइन की थी और बहुत जल्दी उसे प्रमोशन भी मिलने वाली थी. उसे अपनी जिंदगी में बहुत आगे बढ़ना था और इस के लिए वह हमेशा मेहनत करती थी.

अंजलि के घर में मातापिता के अलावा दादाजी थे जिन्हें वह बहुत प्यार करती थी. पिता 5-6 साल बाद रिटायर होने वाले थे और उस से पहले वह अंजलि के लिए एक अच्छा लड़का ढूंढ़ कर शादी करना चाहते थे.

इधर अंजलि के दिल में धीरेधीरे अंकुर जगह बनाने लगा था. उस के सिवा किसी लड़के के बारे में वह सोच ही नहीं सकती थी. मगर वह इंतजार कर रही थी जब अंकुर उसे प्रपोज करे.

उस दिन भी सुबहसुबह अंकुर हाजिर हो गया और अंजलि के साथ नैनीताल के ट्रिप पर निकल पड़ा. नैनीताल में काम खत्म होने के बाद दोनों ने कुछ अच्छा समय साथ बिताया. वहां अंजलि की मौसी रहती थी सो दोनों उन्हीं के घर ठहरे.

एक दिन में ही अपने अच्छे व्यवहार की वजह से अंकुर ने अंजलि की मौसी का दिल भी जीत लिया. मौसी ने इशारोंइशारों में अंजलि से दोनों के रिश्ते के बारे में कन्फर्म भी किया. अगले दिन लौटने का प्लान था मगर अंजलि ने यह प्लान एक दिन आगे बढ़ा दिया. आज वह अंकुर के दिल की बात जानना चाहती थी. इसलिए उस ने सारा दिन अंकुर के साथ नैनीताल घूमने का प्लान बनाया.

शाम में जब दोनों नैनीताल की वादियों में घूम रहे थे तो अचानक अंकुर का हाथ थामते हुए अंजलि ने पूछा, ‘‘अंकुर क्या हम हमेशा दोस्त ही रहेंगे?’’

‘‘हां, हम हमेशा दोस्त रहेंगे,’’  जल्दी में अंकुर ने कह दिया मगर जब उस ने अंजलि की आंखों में देखा तो उसे समझ आ गया कि अंजलि क्या सुनना चाहती है.

अंकुर ने अंजलि की आंखों में झांकते हुए कहा, ‘‘अगर तुम चाहो तो हम कुछ और भी बन सकते हैं.’’

‘‘कुछ और बन सकते हैं? मगर कुछ और क्या?’’ अनजान बनते हुए अंजलि मुसकराई.

‘‘मसलन, शौहरबीवी या पतिपत्नी या हस्बैंडवाइफ या फिर तुम कहो तो…’’

‘‘बस करो. कभी प्यार का इजहार तो किया नहीं और चले पतिपत्नी बनने,’’ मुंह बनाते हुए अंजलि बोली तो उसे अपनी गलती का एहसास हुआ. बोला, ‘‘यार हर धड़कन में तुम हो. हमेशा आंख खुलते ही तुम्हारी याद और नींद लगने से पहले तक बस तुम्हारी बातें,’’ कहते हुए अंकुर ने अंजलि को बाहों में लेना चाहा तो वह दूर भागती हुई बोली, ‘‘इतना फिल्मी बनने की जरूरत नहीं. प्यार है तो वे 3 शब्द बोलो और प्रौमिस करो कि यह प्यार कभी खत्म नहीं होगा.’’

‘‘आई लव यू,’’ कहते हुए अंकुर थोड़ा शरमा गया.

अंजलि इस बात का मजा लेती हुई उसे चिढ़ाने लगी. फिर बोली, ‘‘चलो अपनी जेब ढीली करो और मु?ो कहीं कुछ खिलाओपिलाओ.’’

अंकुर उसे एक ढाबे में ले गया और समोसेचाय और्डर करता हुआ बोला, ‘‘इस से ज्यादा रोमांटिक डिश और कुछ नहीं हो सकती.’’

अंजलि उस के भोलेपन और सादगी पर फिदा हुए जा रही थी. उस ने मन ही मन तय किया कि वह इस रिश्ते को आगे ले जाएगी क्योंकि इस से बेहतर लड़का उसे फिर नहीं मिलेगा.

अब दोनों की दोस्ती ने प्यार का रंग ले लिया था. वे डेट पर जाने लगे. जब भी अंजलि की तरफ से ट्रीट होती तो वह अच्छे रैस्टोरैंट में ले कर जाती मगर अंकुर किसी ढाबे या चाय की दुकान पर ले जाता और कभी चाऊमीन, कभी समोसे या कभी गोलगप्पे खिला देता. अंजलि को अंकुर के इस अंदाज पर प्यार आता.

करीब 6 महीने डेटिंग करने के बाद एक दिन दोनों ने तय किया कि इस रिश्ते को आगे बढ़ाने का समय आ गया है. दोनों के घर वालों ने सगाई की तारीख तय कर दी. छोटेमोटे समारोह के रूप में अंजलि के घर में ही करीबी रिश्तेदारों के बीच सगाई संपन्न हो गई.

अब तक अंकुर ही अंजलि के घर आताजाता रहता था. सगाई के बाद पहली बार अंजलि एक दिन बिना बताए अचानक यह देखने के लिए अंकुर के घर पहुंच गई कि उस की ससुराल कैसी है. अंकुर ने उसे बता रखा था कि लक्ष्मी नगर में उस का 2 कमरों का घर है. मगर आज वह यह देख कर चौंक गई कि उस का घर तो बहुत छोटा और तंग सा है. एक हौल के अलावा 2 छोटेछोटे से कमरे थे जिन में मुश्किल से 1 बैड और 1 टेबल लगी हुई थी. हाल में पुराने जमाने का एक सोफा सैट था और किचन के बाहर एक मध्यम साइज का फ्रिज था. घर बिलकुल साफसुथरा नहीं था खासकर जिस कमरे को अंकुर ने अपना कमरा बताया वह तो और भी ज्यादा अव्यवस्थित और गंदा था. अंकुर की बहनें जो उसे कालेज में अच्छे कपड़े पहने नजर आई थीं आज मैले से फालतू कपड़ों में घूम रही थीं. अंकुर का भी यही हाल था.

घर में साफसफाई की कमी के साथ साफ हवा के आवागमन यानी वैंटिलेशन की भी सही व्यवस्था नहीं थी. ऐसे घर में रहने की कल्पना से उस का दम घुटने लगा. अंकुर आज तक उसे अपनी माली हालत के बारे में गलत जानकारी देता था. उस ने कहा था कि उस के पापा बड़े अधिकारी हैं जबकि वह एक छोटी सी कंपनी में प्राइवेट जौब करते थे. खुद अंकुर की नौकरी 4 महीने पहले छूट चुकी थी. बाद में एक महीने के लिए उस ने दूसरी नौकरी पकड़ी मगर वहां से भी निकाल दिया गया था. अब वह फिर से जौब के लिए इंटरव्यू दे रहा था.

अंकुर के घर में सब उस से बहुत प्यार से पेश आ रहे थे मगर घर से निकलते ही अंजलि ने अंकुर से पहला सवाल किया, ‘‘हम अलग एक नया घर ले कर रहेंगे न?’’

अंकुर ने हैरानी से पूछा, ‘‘नया घर मगर क्यों?’’

‘‘क्योंकि यहां रहना मेरे लिए पौसिबल नहीं,’’ अंजलि ने साफ जवाब दिया.

सुन कर अंकुर की गरदन ?ाक गई. उसे समझ आ गया कि अंजलि इतने छोटे घर में सब के साथ नहीं रहना चाहती. उस ने मजबूर नजरों से उस की तरफ देखा और बोला, ‘‘मगर मम्मीपापा को छोड़ कर मैं कहीं और कैसे रह सकता हूं?’’

‘‘जैसे मैं रहूंगी,’’ अंजलि ने तुरंत कहा, ‘‘मैं भी तो अपने मम्मीडैडी को छोड़ कर आऊंगी न अंकुर.’’

‘‘ओके मैं बात करूंगा घर में,’’ अंकुर ने बुझे मन से कहा.

इधर अंजलि भी बहुत परेशान सी घर लौटी. उसे अपने फैसले पर संदेह होने लगा था कि अंकुर को जीवनसाथी बनाने का उस का फैसला सही है या नहीं. उस ने मां से सारी बात कही तो वे भी सोच में पढ़ गईं. फिर उन्होंने बेटी को समझाया कि इंसान सही होना चाहिए घर और पैसा तो बाद में भी आ सकता है. उन्होंने उसे इस रिश्ते को थोड़ा वक्त देने की सलाह दी और कुछ समय अंकुर को और परखने को कहा.

अंजलि ने मां की बात पर अमल किया और अंकुर से पहले की तरह मिलती रही ताकि उसे बेहतर ढंग से समझ सके.

अंजलि ने अंकुर को सलाह दी कि वह जल्दी कोई अच्छी जौब ढूंढे़ और लाइफ में सैटल होने की कोशिश करे तभी शादी करने का मतलब है. अंकुर ने इस के बाद जौब की तलाश में एड़ीचोटी का दम लगा दिया और वाकई उसे एक अच्छी जौब मिल भी गई.

यह खबर सुन कर अंजलि को थोड़ी राहत मिली मगर अंकुर के स्वभाव में बदलाव नहीं आया. वह अभी भी अपनी जौब को बहुत हलके में ले रहा था. अकसर अंजलि से मिलने या उसे ड्रौप करने के चक्कर में वह औफिस देर से पहुंचता या फिर जल्दी निकल आता. अपनी बहन को इंटरव्यू दिलाने को ले जाने के लिए उस ने नई जौब में 4 दिन की छुट्टी ले ली. उस दिन अंजलि का बर्थडे सैलिब्रेट करने के लिए भी उस ने छुट्टी ले ली. अंजलि समझती थी कि वह दूसरों की खुशी या जरूरत के लिए ही छुट्टियां लेता है मगर कहीं न कहीं उसे अंकुर का यह व्यवहार गैरजिम्मेदाराना भी लगता.

एक दिन औफिस में जब बाहर से गैस्ट आने वाले थे तब भी अंकुर सोता रह गया और औफिस देर से पहुंचा. उस के बौस को गुस्सा आ गया और उन्होंने अंकुर को सस्पैंड कर दिया. यह बात उसे अंकुर की बहन से पता चली.

अंजलि सम?ा गई कि अंकुर में मैच्योरिटी बिलकुल नहीं है. उस का फ्यूचर ब्राइट नहीं. वह अपने काम में बिजी रहने लगी और अंकुर को इग्नोर करने लगी. अंकुर बारबार फोन कर उस से मिलने की कोशिश करता मगर वह व्यस्त होने का बहाना बना देती.

इधर एक दिन अंकुर की मौसी मिलने आई. अंकुर और अंजलि की सगाई के बाद वह पहली दफा आईं थीं. आते ही वे अंकुर के साथ अंजलि से मिलने उस के घर पहुंच गईं. संडे का दिन था इसलिए अंजलि ने उन के लिए अपने हाथों से अच्छा खाना तैयार किया और सब साथ में खाना खाने लगे. बातचीत के दौरान मौसी ने अंजलि की कास्ट पूछी. अंजलि सुनार थी जबकि अंकुर राजपूत घराने से था.

मौसी उस की कास्ट सुनते ही चौंक सी गईं और मुंह बनाती हुई बोलीं, ‘‘पुराने समय में हमारे यहां तो सुनार के घर का खाना भी नहीं खाते थे. शादी की तो बात ही दूर है. मगर अंकुर आज का बच्चा है. क्या पता उस ने इस बारे में कुछ सोचा भी या नहीं.’’

‘‘मौसी मुझे अंजलि पसंद है इस के सिवा क्या सोचना?’’ अंकुर ने कहा.

‘‘हां ठीक है. तुम दोनों जानो. बाकी तुम्हारा परिवार जाने. मुझे क्या करना,’’ मौसी मुंह बनाती हुई बोलीं.

मौसी तो चली गईं मगर अंजलि को उन की बात बहुत बुरी लगी कि सुनार के घर का खाते भी नहीं. 2 दिन तक उस के दिमाग में यही सब घूमता रहा. सगाई और शादी के बीच का यह समय अंजलि के लिए काफी कठिन गुजर रहा था. उस का दिमाग शादी के इस फैसले से लगातार बगावत कर रहा था.

एक दिन अंजलि मम्मीडैडी के पास बैठ कर बोली, ‘‘मैं एक बात सोच रही हूं. सम?ा नहीं आ रहा कि क्या फैसला लूं?’’

‘‘क्या हुआ बेटा सब ठीक तो है?’’ वे चिंतित हो कर पूछने लगे.

‘‘ऐक्चुअली मैं सोच रही थी कि अंकुर अच्छा लड़का है. उस के परिवार के लोग भी अच्छे हैं. अंकुर मु?ा से प्यार भी बहुत करता है और मेरी केयर भी करता है. कई मौकों पर उस ने मेरी मदद भी की है. किसी से शादी करने के लिए यह सब बहुत अच्छी क्वालिटीज हैं. मगर क्या सिर्फ इतना काफी है? क्या उस के गैरजिम्मेदाराना रवैए की अनदेखी की जा सकती है? क्या भविष्य में मु?ो पछताना नहीं पड़ेगा?’’

अंजलि के मम्मीपापा नि:शब्द रह गए. वाकई यह उन की बेटी के भविष्य का मसला था. सिर्फ अच्छे व्यवहार या केयरिंग नेचर की वजह से उस  से शादी कर लेना कहां तक उचित होगा? उन्होंने बेटी का कंधा थपथपाते हुए कहा, ‘‘बेटा यह तेरे जीवन की बात है. इस से जुड़े फैसले तेरे अपने होने चाहिए ताकि बाद में तुझे पछताना न पड़े. वह तुझे प्यार करता है. इतना प्यार करने वाला शायद तु?ो फिर न मिले. इसलिए तू अपने दिल की सुन मगर साथ में अपने दिमाग की भी सुन. दिमाग की बातें भी नजरअंदाज करना सही नहीं होगा. फैसला तुझे खुद लेना है. हम हर हाल में तेरे साथ हैं.’’

अंजलि फैसला ले चुकी थी. अगले दिन रोज डे था. अंजलि ने अंकुर को अपने औफिस के पास वाले रैस्टोरैंट में बुलाया. वह अपने हाथों में गुलाब का फूल ले कर आया था. उस ने बहुत प्यार से रोज थमाते हुए उस के हाथों को किस किया.

अंजलि भी उतने ही प्यार से उस की तरफ देखती हुई बोली, ‘‘हैप्पी रोज डे अंकुर. मु?ो तुम बहुत अच्छे लगते हो. आई रियली लव यू.’’

‘‘मुझे पता है. तभी तो हमारा प्यार इतना खूबसूरत है.’’

‘‘प्यार खूबसूरत है मगर रास्ते जुदा हैं. अंकुर मैं तुम से अब रोज नहीं मिल सकती. ऐक्चुअली मैं आज तुम्हें हमारे रिश्ते से आजाद करती हूं. यह कहते हुए मुझे बहुत तकलीफ हो रही है मगर हम दोनों के लिए यही सही होगा.’’

‘‘मगर ऐसा क्यों कह रही हो?’’ अंकुर की आवाज कांप उठी.

‘‘देखो अंकुर, हमारी कास्ट अलग है, हमारी सोच अलग है और हमारे जीने का तरीका भी अलग है. यानी हमारी दुनिया ही अलग है. हम शादी कर लेंगे मगर हम रोज लड़ते रहेंगे. उस से बेहतर है कि हम अपने लिए अपने जैसा कोई ढूंढ़ें ताकि हम रोज खुश रह सकें. तुम मेरी बात समझ रहे हो न?’’ कहते हुए अंजलि की आंखें भीग गईं.

फिर तुरंत चेहरे पर मुसकान लाती हुई वह उठ खड़ी हुई और बोली, ‘‘आई ऐम सौरी अंकुर. मैं तुम्हारा दिल नहीं तोड़ना चाहती थी. मगर जिंदगीभर एकदूसरे का दिल तोड़ने से अच्छा है हम आज यह तकलीफ सह लें,’’ कह कर अंजलि चली गई. रोज डे के दिन अंकुर को शौक दे कर. अंकुर कुछ कह नहीं सका मगर अंजलि के फैसले की वजह वह समझ रहा था.

Summer Special: डिहाइड्रेशन से हैं परेशान तो अपनाएं ये नेचुरल उपाय

पानी हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी होता है. शरीर में पानी की कमी को ही डिहाइड्रेशन कहते हैं. सामान्यत: जब गर्मियों के दिनों में आपके शरीर में पानी की मात्रा में कमी आ जाती है, तो आपको डीहाइड्रेशन से गुजरना पड़ता है. शरीर में पानी की कमी होने पर शरीर को ताकत देने वाले खनिज पदार्थ जैसे नमक, शक्कर आदि कम होने लगते हैं. आमतौर पर गर्मियों के दिनों में ऐसा होता है.

डिहाड्रेशन किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है. बच्चों से लेकर बूढे तक इसका शिकार हो जाते हैं. अभी तक इसका कोई ठोस कारण भी मालूम नहीं हो सका है. यह बहुत ही खतरनाक होता है, सही समय पर इसका इलाज न हो तो आपको बहुत ही घातक बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है.

डीहाइड्रेशन के कारण:

डीहाइड्रेशन होने का सबसे बड़ा कारण तो पानी की कमी ही है, जिसके बारे में हम यहां बात कर चुके हैं. इसके अलावा इसके और भी कई कारण हैं, जैसे बुखार आना, उल्टी होना, दस्त की समस्या, धूप का प्रभाव, जरूरत से ज्यादा एक्सरसाइज, खाने पीने का सही समय न होना आदि डीहाइड्रेशन के कारण होते हैं.

डीहाइड्रेशन के घरेलू उपचार:

पानी अधिक मात्रा में पीना

हमारे शरीर को 70 फीसदी पानी की आवश्यकता होती है, इसलिए सबसे पहले पानी की मात्रा को बढ़ाना चाहिए. दिन में 10 गिलास पानी का पीना चाहिए.

दही का सेवन

डीहाइड्रेशन में दही का सेवन बहुत ही लाभकारी होता है. यह आसानी से पच भी जाता है और इसका सेवन आप नमक और भुने हुए जीरे के साथ भी कर सकते हैं

रसीले फल और सब्जियां

अगर आपको लगता है कि आपके शरीर में डीहाइड्रेशन की शुरुआत हो चुकी है, तो आप रसीले फल जैसे अंगूर, संतरा, पपीता, तरबूज, खरबूज, मूली, टमाटर आदि का सेवन करें. ये वाकई लाभकारी सिद्ध होता है.

केला

डीहाइड्रेशन की शिकायत से शरीर में पोटेशियम की कमी आ जाती है, इसके लिए केला बहुत ही फायदेमंद साबित होता है. केले में पोटेशियम की भरपूर मात्रा पाई जाती है.

नारियल पानी

जब भी शरीर में डीहाइड्रेशन की शिकायत आ जाती है, तो इससे तुरंत छुटकारा पाने के लिए एक गिलास नारियल का पानी पी लेना चाहिए.

छाछ

जब आप धूप में बहुत ज्यादा काम करते हैं तो आपके शरीर से कॉफी मात्रा में पसीना निकल जाता है. लेकिन यह तो आम बात है पर इसके कारण आप को डीहाइड्रेशन की शिकायत हो जाती है. यदि आप इससे निजात पाना चाहते हैं तो आपको एक दिन में दो गिलास छाछ पी लेनी चाहिए.

सूप का सेवन

डीहाइड्रेशन से बचने के लिए आपको दिन में कम से कम एक बार सूप जरूर पीना चाहिए.

नींबू पानी

नींबू पानी शरीर को हाइड्रेट रखने का सबसे अच्छा स्रोत है. नींबू पानी पीने से शरीर में ताजगी का भी एहसास होता है. नींबू पानी में अगर आप चीनी की जगह शहद का इस्तेमाल करेंगे तो और अधिक फायदा मिलेगा.

डीहाइड्रेशन के लक्षण:

डीहाइड्रेशन वाले व्यक्ति को बहुत ज्यादा घबराहट होती है. कब्ज की समस्या भी होने लगती है. बार-बार चक्कर आना और मुंह का बार-बार सुख जाना भी डिहाइड्रेशन के ही लक्षण है. इसके अलावा त्वचा सुखी होना, सिरदर्द होना, शरीर में सुस्ती और कमजोरी होना. बहुत ज्यादा थकान महसूस होना.

Summer Tips : गरमियों में अपने घर को ऐसे करें तैयार, ताकि घर रहे कूलकूल

Summer Tips :  गरमियों का आगमन हो चुका है.मार्च अप्रैल के महीने में ही गरमी ने पसीने छुड़ाने शुरू कर दिए हैं.आने वाले महीनो में क्या होगा, यह सोच कर ही मन में बेचैनी सी होने लगती है.

इसलिए परेशानी आने से पहले उस का निदान करना ही बेहतर है.गरमियों में कैसे हम अपने घर को ठंडा रख सकते हैं, इस के लिए कुछ तरीके अपनाने होंगे जिस की तैयारी हम अभी से शुरू कर दें तो बेहतर होगा.

गरमियों में बिना एसी चलाए भी घर को ठंडा रखने के कई आसान और किफायती उपाय अपना सकते हैं. इस इकोफ्रैंडली स्टाइल से बिजली की बचत होगी और घर प्राकृतिक रूप से ठंडा रहेगा और स्टाइलिश भी लगेगा.

वैंटीलेशन है जरूरी

दिन के समय कमरों की खिड़की बंद रखें जिस से गरमी अंदर न आ सके.शाम के समय खिड़कियां खोल दें जिस से ताजा हवा आ सके और उमस घर से बाहर निकल सके.

हरियाली दें ठंडक और सौंदर्य

अपने घर में इंडोर पौधे लगाएं जो घर को ठंडक तो देंगे ही साथ में आप के घर का सौंदर्य भी बढ़ाएंगे.साथ ही आप छत पर व बालकनी में पौधे लगाएं क्योंकि जितनी ज्यादा हरियाली रहेगी, गरमी उतनी दूर रहेगी साथ ही घर का वातावरण भी प्रदूषण रहित रहेगा.

छत पर रखें पौधों पर ग्रीन शैड

एरिया अवश्य बनाएं.इस से पौधे भी तेज गरमी से बचे रहेंगे और छत भी कम गरम रहेगी.कोशिश करें कि यदि आप के घर के आसपास खाली जगह है तो वहां पर भी नीम, बरगद, पीपल जैसे औक्सीजन देने वाले पौधे लगाएं.

परदे हैं सहायक

परदे घर को ठंडा रखने में अहम भूमिका निभाते हैं.इसलिए यदि आप को गरमी से बचने के लिए परदे लगाने हों तो ब्लैकआउट कर्टेन लगवाएं.

एलईडी बल्ब का करें उपयोग

यह बल्ब कम गरम होते हैं जिस से घर का तापमान भी अधिक नहीं बढ़ता.कोशिश करें कि जरूरत न हो तो बल्ब औफ ही रखें.ऐसा करने से आप का बिजली बिल भी कम आएगा और घर भी ठंडा रहेगा.

कारपेट हटाएं

कारपेट कमरे को गरम रखते हैं. इसलिए ज्यादा जरूरत पड़ने पर ही इन्हें बिछाएं.लकड़ी की फ्लोरिंग, मार्बल या टाइल्स घर को ठंडा रखने में सहायक होते हैं.

Beauty vs Intelligence : कैरियर हो या फिर शादी, ब्यूटी जरूरी है या स्मार्टनैस, जरूर जानिए

Beauty vs Intelligence : कई लड़कियां कम सुंदर होने की वजह से हीन भावना से ग्रस्त हो जाती हैं कि हम लोगों की पसंद की दौड़ में कहीं हैं ही नहीं और हमें इस दौड़ में शामिल भी नहीं होना. वे अपने पर बिलकुल ही ध्यान देना बंद कर देती हैं जिस की वजह से उन्हें हर जगह रिजैक्शन मिलती है और उस का कारण उन की सुंदरता नहीं, बल्कि उन की अपनी सोच है जिस वजह से उन्हें लगता है कि हमें तो कुछ करने की जरूरत नहीं है, हम जैसे हैं लोग हमें वैसे ही पसंद करें. आइए, जानें इस सोच से कैसे बाहर निकलें…

रिजैक्टेड क्यों समझती हैं

जहां एक तरफ सुंदर लड़कियां अपनी ब्यूटी को और भी अधिक चमकाने के लिए रोजरोज ब्यूटी पार्लर और शौपिंग मौल के चक्कर लगाती नहीं थकतीं, वहीं दूसरी तरफ कई बार देखने में आता है कि जो कम सुंदर लड़कियां होती हैं उन्हें लगता है कि हम तो जैसे हैं वैसे ही रहेंगे और सुंदर लड़कियों से हम कहीं मुकाबले में नहीं हैं. इसलिए वे अपनेआप को पहले ही हारा हुआ मान कर बैठ जाती हैं.

लोगों से खुद के बारे में कई तरह के कमैंट्स सुनती हुए वे बड़ी होती हैं. जैसे,”अरे देखो, इस का रंग कितना काला है. यह तो कुछ भी लगा लें काली ही रहेंगी”. कोई कहता है,”इस के फीचर्स और इस का डीलडौल इतना बेकार है कि इस पर तो कुछ जंचता ही नहीं है,” वगैरह.

ये सब बातें इस तरह की थोड़ी कम सुंदर लड़कियां अपने मन में कुछ इस तरह बैठा लेती हैं कि उन का खुद पर तवोज्जो देना, खुद से प्यार करना खुद को परखना लगभग खत्म ही हो जाता है. ये लड़कियां जब किसी जौब के लिए इंटरव्यू देने जाती हैं या फिर शादी के लिए किसी लड़के से मिलने जाती हैं तो पहले से ही खुद को रिजैक्टेड मान कर जाती हैं.

खुद को कमतर मान लेती हैं

उन्हें लगता है भला कोई लड़का मुझे क्यों पसंद करेगा. दुनिया में इतनी स्मार्ट लड़कियां हैं तो वे मुझे क्यों हां करेगा और अगर करना ही है तो मैं जैसी हूं वे मुझे वैसे ही हां करें.

इसी तरह इन्हें लगता है कि जौब में मेरी काबिलियत और एजुकेशन ही काम आएगी, वहां मेरी ब्यूटी का क्या काम. यही सब सोच कर ये लड़कियां बिलकुल तैयार हो कर नहीं रहतीं। इस का नतीजा यह होता है कि अच्छी फिगर होते हुए भी ये अपने बेकार ड्रैसिंग सैंस और नौन स्मार्ट बिहेवियर की वजह से रिजैक्ट हो जाती हैं न कि अपने कम सुंदर होने की वजह से.

स्मार्ट बनने में क्या बुराई है

अगर आप सुंदर नहीं हैं, तो क्या हुआ, आप को तो और भी ज्यादा अपनी ब्यूटी पर काम करने की जरूरत है. रैगुलर पार्लर जाएं, खूब मनपसंद शौपिंग करें, जिम जाएं और फिट रहें, नएनए फैशन को फौलो करें, अपने पर सूट करने वाले मेकअप को यूज करें, खुद में कौन्फिडेंस लाएं, खुश रहें फिर देखें कि कैसे आप के चेहरे पर निखार आता है. फिर लोग आप को रिजैक्ट नहीं करेंगे बल्कि हर गैदरिंग में आप का वेट करेंगे कि आप आज क्या खास पहन कर आ रही हैं.

जरूरी है ड्रैसिंग सैंस

आप की परफौर्मेंस के अलावा आप की पर्सनैलिटी भी आप को नौकरी देने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है. अगर इंटरव्यू देने जा रही हैं तो आप को अपने आउटफिट से ले कर कई बातों पर ध्यान देना होगा.

इंटरव्यू के लिए ऐसे आउटफिट का चयन करें जिस में आप प्रोफैशनल लगें. कोशिश करें कि ऐसा आउटफिट पहनें जिस में आप का व्यक्तित्व निखर कर सामने आए. इंटरव्यू में फौर्मल लुक ही कैरी करें। लेकिन अगर आप चाहें तो अपने कैजुअल आउटफिट को भी सही तरीके से लेयरिंग कर के पहन सकती हैं, ताकि ये फौर्मल का लुक दें। इस के लिए अपने साथ हमेशा एक ब्लैजर कैरी करें। आप चाहे जींस या ट्राउजर्स के साथ फौर्मल दिखने वाली टौप पहन सकती हैं.

अगर आप किसी जगह इंटरव्यू के गई हैं जहां का माहौल ज्यादा फौर्मल है तो ऐसे में ब्लैजर पहन कर आप अपने कैजुअल लुक फौर्मल टच दे सकती हैं.

जौब इंटरव्यू के लिए आप 2 पीस सूट भी पहन सकती हैं, जो आप की पर्सनैलिटी में चार चांद लगा देता है. पर उस की लुक ग्रेसफुल होनी चाहिए। इस में आप का लुक भी बहुत अच्छा नजर आता है.

आप को अपने फुटवियर पर भी ध्यान देना चाहिए कि वे कम हील्स के साथ कंफर्टेबल होने चाहिए. यदि मौडर्न ड्रैस पहन रही हैं तो फुटवियर भी उस के अनुसार हों और यदि ट्रैडिशनल आउटफिट पहनें तो फुटवियर भी वैसा ही होना चाहिए.

अगर आप इंटरव्यू के लिए नए कपडे पहन रही हैं तो एक बार पहले तय जरूर करें कि आप उन में कौन्फिडेंट फील कर रही हैं या नहीं.

इंटरव्यू के लिए जा रही हैं तो भी मेकअप जरूर करें लेकिन मेकअप बहुत लाइट होना चाहिए और डिसेंट लगना चाहिए.

ज्वैलरी भी बेहद सिंपल होनी चाहिए. ऐसा न हो कि बिना इयरिंग के ही आप इंटरव्यू देने पहुंच जाएं. इस से आप का लुक बहुत खराब लगेगा. आप अपने लुक में घड़ी के साथ लाइट वेट ब्रैसलेट, चेन और स्टड ईयररिंग्स ऐड कर सकती हैं.

शादी के लिए किसी लड़के से मिलने जा रही हैं तो थोड़ा तैयार हो कर जाएं

अगर किसी लड़के से मिलने जाना हो तो ₹500-1000 खर्च कर के ब्यूटी पार्लर जरूर चली जाएं. थोड़ी फेस क्लींजिंग, वैक्स, आइब्रो आदि थोड़ीबहुत चीजे करवा लें. इस से लुक चेंज हो जाता है.

अगर लड़के की पूरी फैमिली मिलने आ रही हो तो उसी हिसाब से तैयार हों और अगर लड़का अकेले मिलने आ रहा है तो उसी हिसाब से तैयार हों. जैसेकि अगर पूरी फैमिली आ रही है तो आप हलकी साड़ी या फिर कोई डिसेंट सा सूट पहन लें. पार्लर जा कर हलका मेकअप भी करा सकती हैं. ऐसा इसलिए भी जरूरी है क्योंकि जो लड़के वाले आप को देखने आ रहें है वे भी आप से अपने स्टैंडर्ड के अकौर्डिंग कुछ तो चाहेंगे। आप उन की सोसाइटी में उठनेबैठने लायक तो लगें, तभी वे आप को पसंद करेंगे. इसलिए थोड़ाबहुत तैयार होने में कोई बुराई नहीं है.

अगर अकेले लड़के से मिलने जा रही हैं तो आप जींस आदि कुछ भी अच्छा सा पहनें जो आप पर सूट करता हो. बल्कि 1-2 अच्छे जोड़े इस चीज के लिए खरीद कर रख लें ताकि कभी किसी लड़के से मिलने जाना हो तो आप को सोचना न पड़े कि क्या पहनें.

अकेले लड़के से मिलने जा रही हैं तो अपने पास कुछ मेकअप की चीजें रखें जैसे फाउंडेशन, लिपस्टिक, कौंपैक्ट, हेयर स्ट्रैटनर आदि ताकि अगर आप को खुद घर पर ही तैयार होना हो तो आप के पास किसी भी चीज की कमी न हो.

दूसरे शब्दों में कहें तो जौब हो या शादी, आप को थोड़ी सी स्टडी करनी होगी कि जो दूसरा व्यक्ति है उस का घरबार कैसा है जो आप को मिलने आ रहा है, मैं इस के लायक हूं या नहीं, अगर नहीं हूं तो किस तरह से बन सकती हूं. यह कहने से काम नहीं चलने वाला कि जिसे पसंद करना होगा वह ऐसे ही कर लेगा. जौब में भी इस तरह से रिजैक्शन के चांस रहते हैं. आप के पास डिग्री है लेकिन आप का अच्छा बन कर नहीं आ रही हैं तो लोग आप को पसंद नहीं करेंगे. औफिस में काम करने के लिए लोगों को स्मार्ट लड़कियों की तलाश रहती है सुंदर लड़कियों की नहीं.

इसलिए भले ही आप सुंदर न हों लेकिन स्मार्ट तो आप को बनना ही पड़ेगा तभी आप सोसाइटी में मूव कर पाएंगी.

बच्चों की खातिर Divorce न ले कर मजबूरी में साथ रहने वाले शादीशुदा जोड़े बच्चों के लिए हो सकते हैं घातक

Divorce :  आज के समय में शादी करना उतना मुश्किल नहीं है जितना शादी को निभाना क्योंकि पहले जब एक बार शादी हो जाती थी तो पत्नी हजारों मुश्किलों के बावजूद पति का घर नहीं छोड़ती थी. कहते हैं, शादी एक समझौता है और यह समझौता दोनों तरफ से होता है जिस के लिए सहनशीलता, एकदूसरे का सम्मान, एकदूसरे पर विश्वास ही पतिपत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाता है. लेकिन आज के दौर में जबकि ज्यादातर औरतें आत्मनिर्भर हैं, पति के टक्कर का कमाती हैं, स्वाबलंबी हैं, ऐसे में शादी के रिश्ते को बनाए रखने के लिए पति और पत्नी दोनों में ही सहनशीलता और विश्वास की कमी आ जाती है और स्वाभिमान से ज्यादा अभिमान बीच में आ जाता है.

वजह क्या है

आज के समय में न तो कोई किसी से दबना चाहता है, न तो कोई किसी को अपनेआप से कम समझता है, जिस की वजह से शादी के कुछ महीनों बाद ही पतिपत्नी में प्रौब्लम शुरू हो जाती है। कभी वह बहस तक सीमित रहती है, तो कभीकभी मारपीट तक पहुंच जाती है. धीरेधीरे यह प्यारभरा रिश्ता कड़वाहट में बदल कर तलाक तक पहुंच जाता है.

अगर फिल्म इंडस्ट्री की बात करें तो यहां पर भी 15 से 25 साल पुराने शादीशुदा रिश्ते टूटने की कगार पर हैं क्योंकि कोई भी अपनेआप को कमतर नहीं समझता. यही वजह है कि कई सारे रिश्ते जैसे ऐश्वर्या अभिषेक, गोविंद सुनीता, मलाइका अरबाज, ऋतिक सुजेन आदि के शादीशुदा रिश्ते कड़वाहट से गुजर रहे हैं.

दरकते रिश्ते

शादी में कड़वाहट के बावजूद तलाक न ले कर बिना मन और मजबूरी में बच्चों की खातिर एक ही घर में अजनबी की तरह रहना और एकदूसरे को नापसंद करते हुए भी रिश्ता निभाना कहां तक सही और कहा तक आसान है? क्या उन टूटे रिश्तों में रहने वाले पतिपत्नी के बच्चे ऐसे मांबाप के साथ खुश रह पाएंगे, जिन मांबाप में खुद ही प्यार नहीं है? क्या वे अपने बच्चों को सुरक्षित भविष्य दे पाएंगे? क्या ऐसे मांबाप के साथ बच्चे खुश रहेंगे? पेश हैं, इसी सिलसिले पर एक नजर :

जब प्यार के बीच झगङा होने लगें

कई मातापिता जो एक समय में प्यार करने वाले पतिपत्नी थे, एकदूसरे के लिए जान देने वाले जीवनसाथी थे, वे लगातार झगड़ों के चलते अब एकदूसरे का मुंह भी नहीं देखना चाहते. लेकिन फिर भी बच्चों की खातिर एकदूसरे के साथ रहने को मजबूर हैं क्योंकि ऐसे लोगों का मानना है कि अगर वे तलाक ले लेंगे तो इस का असर बच्चों पर पङेगा. बच्चों का भविष्य अंधेरे में चला जाएगा.

देखा जाए तो वे अपने तरीके से सही भी सोच रहे हैं क्योंकि अपने बच्चों को अपने आपस के झगड़े और तनाव से दूर रखना हर मातापिता चाहते हैं. लेकिन एक ही घर में एक ही साथ रहने वाले पतिपत्नी और बच्चे क्या इस तनाव से बेखबर रह सकते हैं? मांबाप के बीच का झगड़ा, गालीगलौच और तनाव क्या बच्चों के मानसिक स्तर पर बुरा प्रभाव नहीं छोड़ते? ऐसे तनावपूर्ण माहौल में जहां मांबाप एकदूसरे को जरा भी पसंद नहीं करते और हमेशा एकदूसरे को ताने मारते रहते हैं, ऐसे घरों में क्या बच्चा खुश रह पाएगा?

ऐक्ट्रैस मलाइका अरोङा का दर्द

हाल ही में ऐक्ट्रैस मलाइका अरोड़ा ने एक इंटरव्यू में बताया कि उन का बेटा भी चाहता था कि मलाइका अपने पति से अलग हो जाएं क्योंकि उन का बेटा अपनी मां को दुखी या रोते हुए नहीं बल्कि खुश देखना चाहता था. मलाइका के अनुसार, अरबाज से तलाक के बाद उन के बेटे ने हमेशा उन का साथ दिया. यहां तक कि दोनों ने साथ मिल कर रैस्टोरेंट भी शुरू किया.

वहीं सोहेल खान की पत्नी ने भी अपने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि वे अपने बेटे से कुछ नहीं छिपातीं बल्कि अपनी हर बात अपने बेटे से शेयर करती हैं.

सोहेल की पत्नी के अनुसार, सोहेल से तलाक के बाद उन का बेटा हमेशा उन के साथ रहा और अपने पिता को भी उस ने पूरी इज्जत और सम्मान दिया क्योंकि बेटा चाहता था कि वे अपनी जिंदगी जीना शुरू करें, बजाए दुखी होने के.

कैसे खत्म हो मनमुटाव

इन दोनों की बातों से यही लगता है कि अगर पतिपत्नी बच्चों की खातिर साथ रह भी जाते हैं तो मांबाप के बीच मनमुटाव कभी खत्म नहीं होगा और न ही उन के बीच प्यार वाला रिश्ता फिर से बन पाएगा.

अगर ऐसे मांबाप जो बच्चों की खातिर तलाक न ले कर एकदूसरे से नफरत के बावजूद साथ में रहते हैं, ऐसा सोचते हैं कि तलाक न ले कर वे बच्चों पर एहसान कर रहे हैं। उन के तलाक न लेने से बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो जाएगा, तो वे गलत सोच रहे हैं. उस के बजाए अगर पतिपत्नी बिना तलाक लिए भी अलग रह कर बच्चों का पालनपोषण करते हैं तो बच्चों का भविष्य ज्यादा सुरक्षित रहेगा क्योंकि हो सकता है कि मांबाप के खराब रिश्तों को देखने के बाद वे खुद भी शायद भविष्य में शादी के खिलाफ हो जाएं क्योंकि उन्होंने अपने मांबाप को शादी के बाद हमेशा लड़तेझगड़ते ही देखा है.

वक्त किसी के लिए नहीं ठहरता 

लिहाजा, मांबाप को अगर सही में बच्चों की चिंता है तो अपने झगड़े को साइड में रख कर बच्चों की खातिर ही सही अगर तलाक नहीं भी लेना चाहते तो कम से कम अलग हो कर बच्चों को सारी सचाई बता कर ठोस निर्णय के साथ अपनी आगे की जिंदगी जीना शुरू करें क्योंकि वक्त किसी के लिए नहीं ठहरता और जिंदगी भी बारबार नहीं मिलती, इसलिए इसे लड़झगड़ कर या रोपीट कर जाया न करें. जिंदगी में आगे बढ़ें, रास्ते अपनेआप बन जाएंगे.

Marriage : शादी के लिए मेरे घरवाले मुझ पर प्रैशर डाल रहे हैं, मैं क्या करूं ?

Marriage : अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल-

मैं 27 साल की हूं शादी को ले कर मेरे घर वाले मुझ पर प्रैशर डाल रहे हैं. कई लड़कों से मिली, लेकिन बात नहीं बनी. भविष्य को ले कर काफी टैंशन में हो जाती हूं और अपना वर्तमान समय उस से खराब कर लेती हूं. जब ऐसे विचार आते हैं तब ऐसा लगता जैसे भविष्य एकदम अंधकारमय है. मैं कुछ नहीं कर पाऊंगी. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब-

कभीकभार फैमिली का प्रैशर हमें कुछ निर्णय लेने पर मजबूर कर देता है. मगर शादी एक बहुत ही अहम निर्णय है. इसे किसी के दबाव में आ कर न लिया जाए. जब आप को लगे कि आप इमोशनली, मैंटली और फाइनैंशली तैयार हैं तभी शादी करने का निर्णय लें.

फैमिली मैंबर्स से बात कर उन्हें समझाएं कि आप फिलहाल शादी के लिए तैयार नहीं हैं. जब हो जाएंगी तब खुद उन्हें बता देंगी. आप के ऐसा करने से वे रिलैक्स फील करेंगे.

ये भी पढ़ें- 

सोनिया 20 साल की हुई नहीं कि उस की मां को उस की शादी की चिंता सताने लगी. लेकिन सोनिया ने तो ठान लिया है कि वह पहले पढ़ाई पूरी करेगी, फिर नौकरी करेगी और तब महसूस हुआ तो शादी करेगी वरना नहीं. सोनिया की इस घोषणा की जानकारी मिलते ही परिवार में हलचल मच गई. सभी सोनिया से प्रश्न पर प्रश्न पूछने लगे तो वह फट पड़ी, ‘‘बताओ भला, शादी में रखा ही क्या है? एक तो अपना घर छोड़ो, दूसरे पराए घर जा कर सब की जीहुजूरी करो. अरे, शादी से पतियों को होता आराम, लेकिन हमारा तो होता है जीना हराम. पति तो बस बैठेबैठे पत्नियों पर हुक्म चलाते हैं. खटना तो बेचारी पत्नियों को पड़ता है. कुदरत ने भी पत्नियों के सिर मां बनने का बोझ डाल कर नाइंसाफी की है. उस के बाद बच्चे के जन्म से ले कर खानेपीने, पढ़ानेलिखाने की जिम्मेदारी भी पत्नी की ही होती है. पतियों का क्या? शाम को दफ्तर से लौट कर बच्चों को मन हुआ पुचकार लिया वरना डांटडपट कर दूसरे कमरे में भेज आराम फरमा लिया.’’

यह बात नहीं है कि ऐसा सिर्फ सोनिया का ही कहना है. पिछले दिनों अंजु, रचना, मधु, स्मृति से मिलना हुआ तो पता लगा अंजु इसलिए शादी नहीं करना चाहती, क्योंकि उस की बहन को उस के पति ने दहेज के लिए बेहद तंग कर के वापस घर भेज दिया. रचना को लगता है कि शादी एक सुनहरा पिंजरा है, जिस की रचना लड़कियों की आजादी को छीनने के लिए की गई है. स्मृति को शादीशुदा जीवन के नाम से ही डर लगता है. उस का कहना है कि यह क्या बात हुई. जिस इज्जत को ले कर मांबाप 20 साल तक बेहद चिंतित रहते हैं, उसे पराए लड़के के हाथों निस्संकोच सौंप देते हैं. उन की बातें सुन कर मन में यही खयाल आया कि क्या शादी करना जरूरी है. उत्तर मिला, हां, जरूरी है, क्योंकि पति और पत्नी एकदूसरे के पूरक होते हैं. दोनों को एकदूसरे के साथ की जरूरत होती है. शादी करने से घर और जिंदगी को संभालने वाला विश्वसनीय साथी मिल जाता है. व्यावहारिकता में शादी निजी जरूरत है, क्योंकि पति/पत्नी जैसा दोस्त मिल ही नहीं सकता.

पाठक अपनी समस्याएं इस पते पर भेजें :

गृहशोभा, ई-8, रानी    झांसी मार्ग, नई दिल्ली-110055

कृपया अपना मोबाइल नंबर जरूर लिखें. व्हाट्सऐप मैसेज या व्हाट्सऐप औडियो से अपनी समस्या 9650966493 पर भेजें.

कितना जरूरी वसीयत का रजिस्ट्रेशन

वसीयत एक कानूनी दस्तावेज है, जिस में व्यक्ति अपनी मौत के बाद अपनी संपत्ति को किस तरह से किसकिस को देना चाहता है. वसीयत करने वाले व्यक्ति को वसीयतकर्ता कहा जाता है. वसीयत बनाने से संपत्ति के बंटवारे में होने वाले झगड़ों से बचा जा सकता है. वसीयत में वसीयत करने वाला अपनी इच्छाओं को कानूनी रूप से दर्ज करता है. इस में दान और अपने अंतिम संस्कार की इच्छा भी बता सकते हैं. वसीयत करने वाले को स्वस्थ और दिमागी रूप से ठीक होना चाहिए. अंधे या बहरे लोग भी वसीयत कर सकते हैं. वसीयतकर्ता अपनी जिंदगी में कभी भी वसीयत बदल सकता है या किसी और के नाम कर सकता है.

वसीयत 1925 के भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम यानी आईएसए के अनुसार बनाई जाती है. वसीयत से जुडे़ विवाद इसी कानून के अनुसार सुलझाए जाते हैं. आईएसए की धारा 57 से 191 में 23 सैक्शन है. जो वसीयत के नियमों को बताते हैं. वसीयत शब्द लैटिन के वोलंटस से बना है, जिस का इस्तेमाल रोमन कानून में वसीयतकर्ता के इरादे को व्यक्त करने के लिए किया जाता था. आईएसए की धारा 61 से 70 के द्वारा किसी भी वसीयत या वसीयत के किसी भाग को शून्य घोषित करती है यदि वह धोखाधड़ी, जबरदस्ती बनाई गई हो.

कितना जरूरी है रजिस्ट्रेशन

वसीयत पर वसीयतकर्ता के हस्ताक्षर या अंगूठे का निशान होना चाहिए. वसीयत को 2 या अधिक गवाहों द्वारा सत्यापित किया जाना चाहिए जिन्होंने वसीयतकर्ता को हस्ताक्षर या अंगूठे का निशान लगाते देखा हो. वसीयत को ले कर एक सवाल सब से अधिक पूछा जाता है कि क्या वसीयत का रजिस्ट्रेशन जरूरी है? वसीयत का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य नहीं है. बिना रजिस्टर्ड वसीयत उतनी ही वैध है यदि वह भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार बनी हो. राज्य सरकारों के द्वारा इस तरह का दबाव बनाया जाता है कि वसीयत का रजिस्टर्ड होना जरूरी है. जब मसला कोर्ट में जाता है तो यह देखा जाता है वहां गैररजिस्टर्ड और गैररजिस्टर्ड का भेद नहीं होता है.

भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम के तहत गैररजिस्टर्ड को बाद में रजिस्टर्ड भी कराया जा सकता है. वसीयत का रजिस्टर्ड होना कानूनी नहीं व्यावहारिक विचारों को ध्यान में रख कर देखा जाता है. यदि पहली वसीयत पंजीकृत है और बाद की नहीं हैं तो यह पंजीकृत वसीयत के आधार पर भरने की स्थिति पैदा हो सकती है. इस तरह की परेशानियों से बचने के लिए वसीयत को पंजीकृत करना उचित है. वसीयत सादे कागज पर भी हो सकती है. कई बार 100 रुपए के स्टांप पर भी लिखी जाती है.

भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम यानी आईएसए की धारा 218 में बताया गया है कि जब कोई हिंदू व्यक्ति बिना वसीयत के मर जाता है, तो उस की संपत्ति को प्रशासन किसी भी ऐसे व्यक्ति को दे सकता है जो उत्तराधिकार नियमों के अनुसार मरे व्यक्ति की संपत्ति में विरासत का हकदार होगा. यदि कई व्यक्ति प्रशासन के लिए आवेदन करते हैं तो न्यायालय के पास उन में से एक या अधिक को इसे देने का विवेकाधिकार है.

क्या कहता है सुप्रीम कोर्ट का फैसला

श्रीमती लीला देवी मुकदमे में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वसीयत का रजिस्टर्ड होना उस की मान्यता नहीं देता है. वसीयतकर्ता लीला देवी द्वारा हस्ताक्षरित वसीयत की सचाई के बारे में विवाद हुआ. इस मामले में वसीयतकर्ता के भाई के बेटे यानी भतीजे ने अपील की थी. उस ने कहा कि वसीयतकर्ता ने 27 अक्तूबर, 1987 को उस के पक्ष में वसीयत की थी. वसीयत 03 नवंबर, 1987 को वसीयतकर्ता और 2 गवाहों की मौजूदगी में रजिस्टर्ड भी की गई थी.

ट्रायल कोर्ट ने पाया कि वसीयत के 2 गवाहों द्वारा दिए गए साक्ष्य सही नहीं थे. ट्रायल कोर्ट ने माना कि वसीयतकर्ता 70 वर्ष की अपनी वृद्धावस्था के बावजूद स्वस्थ दिमाग की थी और उस के लिए भतीजे के पक्ष में वसीयत करना स्वाभाविक था क्योंकि उस ने और उस के परिवार ने वसीयतकर्ता के अंतिम वर्षों के दौरान उस की भलाई का खयाल रखा था.

उच्च न्यायालय का मानना था कि चूंकि भतीजे ने वसीयत के तैयार करने और रजिस्ट्रेशन में गहरी रुचि ली थी, इसलिए यह अपनेआप में कुछ संदेह पैदा करने का कारण बनता है. उच्च न्यायालय ने आगे कहा कि वसीयत के 2 सत्यापनकर्ता गवाहों द्वारा दिए गए 2 अलगअलग बयान भी अहम बात कहते हैं. इसलिए यह माना गया कि वसीयत साक्ष्य अधिनियम और आईएसए के कानून पर खरी नहीं उतर रही है. इस के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. वसीयत से जुडे़ तथ्यों और कानून को देखते व सम?ाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने माना कि वसीयत को साबित करने के लिए आवश्यक तथ्य मिलान नहीं करते हैं.

गवाहों की भूमिका

यह वसीयत अंगरेजी में लिखी गई थी लेकिन वसीयतकर्ता ने हिंदी में अपने हस्ताक्षर किए थे. गवाहों के हस्ताक्षर वसीयत के सभी पन्नों पर नहीं थे बल्कि केवल आखिरी पन्ने के नीचे थे. इस के अलावा गवाहों ने अलगअलग तरीके से हस्ताक्षर किए थे. एक ने उन के नाम के ऊपर और एक ने उन के नाम के नीचे हस्ताक्षर किए थे. गवाहों के हस्ताक्षर पहले पृष्ठ के पीछे की ओर दिखाई दिए. एक गवाह ने पृष्ठ के बाईं ओर और दूसरे ने दाईं ओर हस्ताक्षर किए थे. जबकि वसीयतकर्ता ने बीच में हस्ताक्षर किए थे.

पहले गवाह ने दावा किया कि वह वसीयत के पंजीकरण के समय मौजूद था और तहसीलदार ने वसीयतकर्ता को वसीयत के बारे में सम?ाया था और उस ने इसे सम?ा और स्वेच्छा से वसीयत पर हस्ताक्षर किए थे. दूसरे गवाह ने कहा कि वह भतीजे से मिला था जिस समय भतीजे ने दूसरे गवाह को बताया था कि कुछ कागजात पर उस के हस्ताक्षर की आवश्यकता है. दूसरे गवाह ने कागजात पर हस्ताक्षर किए बिना ही उस की विषय वस्तु के बारे में जानकारी हासिल कर ली. दूसरे गवाह ने कहा कि उस ने पहले गवाह को अपनी मौजूदगी में हस्ताक्षर करते नहीं देखा और न ही उस ने वसीयतकर्ता को अपनी मौजूदगी में वसीयत पर हस्ताक्षर करते देखा.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भतीजा वसीयत को सही साबित करने में विफल रहा. भले ही पहले गवाह ने दावा किया कि वसीयतकर्ता ने उस की उपस्थिति में और दूसरे गवाह की उपस्थिति में वसीयत पर हस्ताक्षर किए, लेकिन दूसरे गवाह ने इस बात से साफ इनकार किया. इस के अलावा पहले गवाह ने कभी यह नहीं कहा कि उस ने वसीयतकर्ता की उपस्थिति में वसीयत पर अपने हस्ताक्षर किए थे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वसीयत का रजिस्टर्ड होना ही उस को सच साबित नहीं करता है.

कैसे तैयार करें वसीयत

वसीयत लिखने से पहले संपत्ति के कानूनी पहलू को किसी जानकार वकील से सम?ाना जरूरी होता है. इस के अलावा वसीयत स्पष्ट पढ़ी जाने योग्य लिखी होनी चाहिए. ऐसे में अगर यह टाइप हो तो और भी बेहतर रहता है. यदि वसीयत हाथ से लिखी गई है तो यह बिना किसी ओवर राइटिंग या कटिंग के लिखी होनी चाहिए. जिस दिन यह लिखी गई हो उस का सही तरह से उल्लेख होना चाहिए. वसीयत की भाषा वह हो जिसे वसीयत करने वाला सम?ाता हो. वसीयत के हर पन्ने पर वसीयत करने वाले और गवाहों के पूरे हस्ताक्षर जरूरी होते हैं.

अगर गवाह वसीयत का लाभार्थी न हो तो तो बेहतर होता है. वैसे यह कानूनी प्रतिबंध नहीं है. गवाह कम आयु के हों क्योंकि वसीयत को चुनौती दिए जाने की स्थिति में उन की अदालत में गवाही देने की आवश्यकता पड़ सकती है. वसीयत मेें संपत्ति का बंटवारा स्पष्ट रूप से बताया जाना चाहिए. अगर जरूरत पड़े तो संपत्तियों का पूरा विवरण वसीयत के साथ संलग्न एक अलग सूची में लिख दिया जाए. इस में बैंक और डीमैट खातों का विवरण भी लिखा जाना ठीक रहता है.

वसीयत को मजबूती

वसीयत में अनावश्यक बातें न लिखी हों जो भविष्य में विवाद का कारण बनें. वसीयत में यह बताना जरूरी है कि यह वसीयत पहली वसीयत है. अगर पहले कोई वसीयत है तो एक पैरा में पिछली वसीयत को स्पष्ट रूप से निरस्त करने की बात लिखनी चाहिए. यदि किसी उत्तराधिकारी को खास कारणों से उत्तराधिकार प्राप्त करने से बाहर रखा जाना है तो वसीयत मेें इस बहिष्कार को स्पष्ट रूप से बताएं और इस निर्णय के लिए छोटा सा स्पष्टीकरण भी दें. यदि कोई विरासत किसी ऐसे व्यक्ति को दी जाती है जो उत्तराधिकारी नहीं है तो ऐसी विरासत देने के कारणों को संक्षेप में दर्ज करें.

वसीयत का रजिस्ट्रेशन जरूरी नहीं है. अगर रजिस्ट्रेशन कराना संभव है तो करा लेना चाहिए. यह वसीयत को मजबूती देता है. अगर वसीयत सही है उसे रजिस्टर्ड कराने का समय नहीं मिला तो भी कोई दिक्कत नहीं होती है. इस से अदालत के सामने रख कर इस के अनुरूप संपत्ति का विभाजन हो सकता है. विवाद की दशा में अदालत यह तय करने का अधिकार रखती है

कि कौन सी वसीयत मान्य है. वसीयत का मूल कानून इस के रजिस्ट्रेशन की बात नहीं कहता है. सरकारें विवादों से बचने के लिए रजिस्ट्रेशन पर बल देती हैं.

Skin Care Tips : बेधड़क फ्लौंट करें ब्यूटीफुल स्किन

Skin Care Tips :  हेयर रिमूवल क्रीम का इस्तेमाल कर मिनटों में समर रैडी लुक पाना है, तो यह जानकारी आप के लिए ही है… गरमियों में आप के पास फैशनेबल और स्टाइलिश कपड़े पहनने के बहुत से औप्शंस होते हैं. आप बैकलेस और स्लीवलेस ड्रैसेस जैसे गाउन, औफशोल्डर ड्रैस, मिनीज, शौर्ट्स, क्रौप टौप्स, सिंगल शोल्डर्ड ड्रैस, नूडल्स स्ट्रेपी, स्लिटेड एंड वनपीस वगैरह कितने ही आउटफिट्स पहन कर दूसरों को मंत्रमुग्ध कर सकती हैं.

मगर इस के लिए साफ चमकती त्वचा का होना भी जरुरी है यानी आप को अपनी बाहों, टांगों, अंडरआर्म्स और पीठ के हिस्सों को बालरहित साफ और कोमल रखना होगा और इस के लिए अनचाहे बालों से छुटकारा पाना होगा.मसलन शौर्ट्स पहननी है तो चिकनी टांगों की ख्वाहिश होती है, समुद्र तट पर जा कर स्विमिंग का आनंद लेना है तो अपनी बिकिनी लाइन से अनचाहे बालों से छुटकारा पाना जरुरी है, बैकलेस या औफ शोल्डर ड्रैसेस के लिए बैक की स्किन को क्लीन रखना मस्ट है. इसी तरह स्लीवलेस ब्लाउज या ड्रैसेस पहनने के लिए बाहों का चिकना होना जरूरी है.

हेयर रिमूवल क्रीम हैं बेस्ट औप्शन

बाल साफ करना या हेयर रिमूवल एक ऐसी प्रक्रिया है जिस के द्वारा शरीर से बालों को हटाया जाता है. अनचाहे बाल एक बड़ी परेशानी हो सकते हैं और ऐसे में एक अच्छी क्वालिटी वाला हेयर रिमूवल या बाल साफ करने वाली क्रीम खासे सहायक सिद्ध हो सकते हैं. ये मौइस्चराइजिंग और पौष्टिक एजेंटों से युक्त होती है, जो आप की त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं. वैसे बाजार में कई हेयर रिमूवल विकल्प मौजूद हैं, जिन में शेविंग, वैक्सिंग, थ्रेडिंग, हेयर रिमूवल क्रीम ,लेजर और इलैक्ट्रोलाइसिस शामिल हैं.हेयर रिमूवल के लिए सही औप्शन चुनना भी महत्त्व रखता है.

यदि आप तैयार होने और बाहर जाने को ले कर बहुत जल्दबाजी में होती हैं तो अनचाहे बालों को हटाने के लिए रेजर का उपयोग सस्ता पड़ता है. मगर रेजर केवल आप की त्वचा की सतह पर बालों को काटता है. जिस का अर्थ है कि त्वचा को जो चिकनापन यह प्रदान करता है वह बहुत ही अल्पकालिक होता है और बहुत कम समय में ही आप के बालों की ग्रोथ वापस आ जाती है. जिस से आप को जल्दीजल्दी उसी प्रक्रिया से गुजरना होता है. रेजर के प्रयोग के बाद नए बाल पहले की तुलना में अधिक घने, मोटे और पैने भी होते हैं. इसी तरह लेजर का इस्तेमाल काफी महंगा है. समय भी लगता है.इस के विपरीत हेयर रिमूवल क्रीम का इस्तेमाल करने की प्रक्त्रिया सस्ता होने के साथ इजी और लंबे समय में अधिक फायदेमंद साबित होती है. आप को पार्लर जा कर समय लगाने या दूसरों पर निर्भर होने की जरुरत नहीं पड़ती. आप घर पर बहुत आसानी से इस का इस्तेमाल कर सकती हैं.

इस के प्रयोग के बाद बालों को फिर से बढ़ने में अधिक समय लगेगा और ये वापस महीन और नर्म उगेंगे. हेयर रिमूवल क्रीम आप के शरीर के अधिकांश हिस्सों के अनचाहे बालों से छुटकारा पाने के लिए एकदम सही विधि है चाहे वह आप की बगल हो, टांगें हों, बिकिनी लाइन हो. ये अनचाहे बालों से मुक्ति पाने वाले सभी तरीकों में सब से कम पीड़ारहित तरीका भी है.क्रीम को बस उन बालों पर अच्छी तरह लगाना होता है जिन से आप छुटकारा पाना चाहती हैं. यह बालों में केराटिन प्रोटीन को घोलने का काम करती है. फिर उन्हें जेली जैसे पदार्थ में बदल देती है जो क्रीम को साफ करते समय आप की त्वचा से आसानी से हट जाते हैं. इस प्रक्रिया में आप को अलग से खुद कुछ नहीं करना होता इसलिए एक बार जब आप क्रीम लगाती हैं तो निर्दिष्ट समय तक उसे लगा छोड़ कर अन्य काम भी कर सकती हैं.

बढ़ता है कौन्फिडेंस

शरीर पर बहुत ज्यादा बाल होना कोई शर्म की बात नहीं है मगर इन्हें हटा दिए जाएं तो लुक बेहतर बनता है और आप के अंदर अलग तरह का आत्मविश्वास आता है. आप हर तरह के फैशनेबल कपड़े बिना बेझिझक के पहन पाती हैं. चाहे वे बगल के बाल हों, पैर के बाल हों या चेहरे के बाल हों. अपनेआप में आत्मविश्वास और सहज महसूस करना बहुत महत्त्वपूर्ण है. हेयर रिमूवल के बाद न सिर्फ आप का आत्मविश्वास बढ़ता है बल्कि आप जीभर कर स्टाइलिश कपड़े पहन पाती हैं. आप अपनी त्वचा को ले कर आश्वस्त रहती हैं.साफसुथरा लुक हेयर रिमूवल से त्वचा चिकनी और मुलायम दिखाई देती है जिस से आप का लुक निखरता है. आप के शरीर की सफाई भी होती है और रोम छिद्र खुलते हैं. आप ज्यादा साफसुथरी और डिसेंट लगती हैं. आप का आकर्षण भी बढ़ता है.

बच्चों को डायबिटीज से कैसे बचाएं

डायबिटीज एक क्रोनिक रोग है जो हर उम्र के लोगों को प्रभावित करता है. टाइप 1 डायबिटीज बच्चों और किशोरों में ज्यादा पाई जाती है, जबकि टाइप 2 डायबिटीज ज्यादातर युवा और वयस्कों को होती है. डायबिटीज से पीडि़त बच्चों की देखभाल करना मुश्किल हो सकता है खासतौर पर तब जब आप को पता हो कि आप के बच्चे को जीवनभर इसी के साथ जीना पड़ सकता है.

मातापिता की तरह डायबिटीज का असर बच्चों के मन पर भी पड़ता है. वे हमेशा अपनेआप को दूसरे बच्चों से अलग महसूस करते हैं क्योंकि उन्हें कई चीजों के लिए रोका जाता है. ऐसे में इन बच्चों का आत्मविश्वास भी कम हो सकता है.

पेश हैं, इस संदर्भ में डा. मुदित सबरवाल (कंसलटैंट डायबेटोलौजिस्ट एवं हैड औफ मैडिकल अफेयर्स, बीटो) के कुछ सु झाव:

डायबिटीज से ग्रस्त बच्चे का जीवन

टाइप 1 डायबिटीज एक क्रोनिक रोग है. इस स्थिति में पैंक्रियाज में इंसुलिन नहीं बनता है या कम मात्रा में बनता है. इसलिए शरीर को बाहर से इंसुलिन देना पड़ता है.

टाइप 1 डायबिटीज से पीडि़त बच्चा तनाव और थकान महसूस करता है. वह अपने भविष्य को ले कर चिंतित हो सकता है. ‘डायबिटीज बर्नआउट’ एक ऐसी स्थिति है जिस में व्यक्ति अपनी डायबिटीज को नियंत्रित करतेकरते थक जाता है. ऐसी स्थिति में बच्चे अपने ब्लड ग्लूकोस लैवल को मौनिटर करना, इसे रिकौर्ड करना या इंसुलिन लेना नहीं चाहते.

ऐसे में मातापिता होने के नाते आप को अपने बच्चे के डायबिटीज मैनेजमैंट में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी होती है. बच्चे को खुद अपनी स्थिति पर नियंत्रण रखने दें. इस बीच उसे पूरा सहयोग दें और मार्गदर्शन करें.

डायबिटीज से पीडि़त बच्चों की देखभाल

डायबिटीज मैनेजमैंट में सब से जरूरी चीज है ब्लड शुगर लैवल को सही रेंज में रखना. इस के लिए आप के बच्चे को इंसुलिन लेना पड़ सकता है, हर बार के खाने में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा सीमित करनी पड़ती है और साथ ही ऐक्टिव भी रहना होता है.

रोजाना डाक्टर की सलाह के अनुसार निर्धारित समय पर ब्लड शुगर नापें. इस के लिए आप बीटो का स्मार्टफोन कनैक्टेड ग्लूकोमीटर इस्तेमाल कर सकते हैं. इस के साथ ब्लड शुगर को मौनिटर करना बेहद आसान हो जाता है. आप जब चाहें, जहां चाहें ब्लड ग्लूकोस नाप सकते हैं.

मातापिता के लिए सुझाव

जरूरत से ज्यादा रोकटोक न करें:

आप को अपने बच्चे को अनचाही जटिलताओं से सुरक्षित रखना है. लेकिन ध्यान रखें कि उसे स्पेस दें. आप की मदद से बच्चा खुद अपनी जिम्मेदारी सम झेगा और डायबिटीज मैनेजमैंट कर सकेगा. इस से बच्चे में आत्मविश्वास भी पैदा होगा.

उस की सामान्य जीवन जीने में मदद करें:

हमेशा बच्चे का उत्साह बढ़ाएं. जिस चीज में उस की रुचि है उसे वह करने का मौका दें. आप उसे सिंगिंग, पेंटिंग, स्विमिंग क्लासेज में भेज सकते हैं. देखें कि उसे किस चीज का शौक है.

उसे सिखाएं कि अगर कोई उसे चिढ़ाता है तो उसे क्या करना है:

अकसर डायबिटीज से पीडि़त बच्चे को क्लास के दूसरे बच्चे चिढ़ाते हैं. ऐसे में बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर असर हो सकता है. ध्यान रखें कि इन चीजों का बच्चे पर बुरा असर न पड़े. इस की वजह से वह स्कूल में ब्लड ग्लूकोस मौनिटर करना बंद न कर दे. अगर आप के बच्चे के साथ ऐसा होता है, तो उसे सिखाएं कि उसे ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए, साथ ही दूसरे बच्चों को भी सम झाएं कि वे ऐसा न करें. इस के लिए आप उन के मातापिता, अभिभावकों या अन्य साथियों की मदद ले सकते हैं.

उसे सिखाएं कि उसे सही पोषक आहार ही खाना चाहिए:

बच्चों को चौकलेट, फास्ट फूड बहुत पसंद होता है. हालांकि डायबिटीज से पीडि़त बच्चों को थोड़ा सतर्क रहना होता है. बच्चे को डांटने के बजाय आराम से सम झाएं कि पोषक और सेहतमंद आहार से ही उसे फायदा होगा. उसे साबूत अनाज, ताजा फल और सब्जियां, लीन प्रोटीन और सेहतमंद फैट्स का सेवन करने के लिए कहें.

किसी डायबिटीज ग्रुप के साथ जुड़े:

डायबिटीज से पीडि़त बच्चे की देखभाल करना मुश्किल हो सकता है. इस के लिए आप किसी डायबिटीज गु्रप में शामिल हो सकते हैं जहां आप अपनी समस्याओं पर चर्चा कर सकते हैं. जरूरत पड़ने पर नोट्स बनाएं, एकदूसरे के सु झाव लें. इस के अलावा अपने पार्टनर की मदद लें. ऐसे बच्चे के लिए परिवार का सहयोग बहुत महत्त्वपूर्ण होता है.

ध्यान रखें:

अगर बच्चे में डिप्रैशन के लक्षण दिखते हैं जैसे उदासी, चिड़चिड़ापन, थकान, भूख में बदलाव, सोने की आदत में बदलाव तो डाक्टर से संपर्क करें. नियमित रिमाइंडर्स और नोटिफिकेशंस के द्वारा आप डायबिटीज को बेहतर तरीके से नियंत्रित कर सकते हैं. बीटो ऐप डायबिटीज मैनेजमैंट के लिए हर जरूरी समाधान उपलब्ध कराता है.

Hindi Fiction Stories : मन की सुंदरता- कैसी थी शोभना

Hindi Fiction Stories : शोभना बचपन से ही नटखट स्वभाव की थी.किन्तु वह अपने स्वभाव को सभी के सामने जाहिर नही करती थी.

वह बच्चों के सँग बच्ची और बड़ों के सङ्ग बड़ी बन जाती थी और कभी बेवज़ह ही शांत होकर एक कोना पकड़कर बैठ जाती थी.

वह बहुत जल्दी क्रोधित भी हो जाती थी.मगर उसमे एक ख़ास बात भी थी कि उसे गलत बात बिल्कुल पसँद नही थी. वह हर माहौल में ढल तो जाती थी, लेकिन उसे व उसके स्वभाव को समझने वाला कोई नही था.

शोभना बहुत ही जज्बाती और संवेदनशील लड़की थी. वह दूसरे के दुख को अपना समझकर कभी   स्वयं ही हैरान परेशान हो जाती थी.

शोभना बी०ए० प्रथम वर्ष की छात्रा थी जो कि पढ़ने में बहुत ही होशियार थी.इसलिए कॉलेज के सभी लड़के उस पर जान छिड़कते थे परंतु शोभना किसी को तनिक भी अपने करीब  फटकने नही देती थी.

उसकी सभी सहेलियां उससे इसलिये चिढ़ती भी थी. इसमें क्या है जो मुझमें नही  है. धीर- धीरे समय गुजर रहा था कि शोभना का जीवन ही अगले दिशा में बदल गई.

शोभना रोजाना की भाँति उस दिन भी कॉलेज जा रही थी, जिस दिन उसका जन्मदिन था.

घर के सभी लोग उसे उस दिन मना कर रहे थे कि शोभू आज कॉलेज मत जा, आज हम सबलोग तेरे बर्थडे पर कुछ स्पेशल करेंगे. फिर भी वह नही मानी. क्योंकि उसे अपने दोस्तों को पार्टी देनी थी, इसलिए शोभना खुशी खुशी कॉलेज जा रही थी वह अपने जन्मदिन को बहुत ही अधिक मान देती थी. वह उस दिन पीले रँग की फ़्रॉक सूट और पीले रंग की एक हाथ मे चूड़ी व दूसरे हाथ मे घड़ी पहनी हुई थी. और माथे पर एक छोटी सी काली बिंदी लगाई थी जिसे वह रोज लगाती है.

वह उस दिन मानो स्वर्ग से उतरी कोई अप्सरा भाँति दिख रही थी. शोभना की इसी सादगी भरी सुंदरता पर कॉलेज के सभी लड़के उस पर फ़िदा थे और उसमें से एक ने तो एकदम से जीना ही दुश्वार कर रखा था. शोभना का,जो इस कॉलेज के मैनेजर  का बेटा था. जिससे सभी डरते थे।वह हमेशा ड्रग्स के नशे में धुत्त रहा करता था. वह सबको डराता धमकाता पर लड़कियों पर कभी नज़र उठाकर नही देखता था.मगर शोभना को देख कर वह पागलों जैसा हरक़त करने लगा था.

शोभना उससे परेशान होकर सभी लड़के लड़कियों के सामने एक दिन उसके बदतमीजी पर उसके गाल पर खींचकर अपनी पांचों उंगलियों की छाप छोड़ दी,जिससे वह मवाली व नशेड़ी लड़का बौखला पड़ा था.वह उसी दिन से बदला लेने के  लिए बेताब हो गया.

उस दिन उसको अवसर मिल ही गया. जिस दिन उसका  जन्म दिन था .  मंद – मंद मुस्कान बिखरी हुई थी. चाँद स्वरूप मुखड़े पर ,जो उसे न सुहाई और  शोभना द्वारा प्रेम प्रस्ताव न स्वीकारने पर व प्रतिशोध की आग में जला हुआ आवेश में आकर रास्ते में उसके चेहरे पर तेजाब का भरा बोतल फेंककर ठहाका मारते हुए बोला- “तुझे अपने सुंदरता पर बहुत नाज़ था न! तो लो अब दिखाओ ना.”

इतना बोलकर वह वहाँ से रफूचक्कर हो गया।जनता तमाशा देख रही थी.कोई भी उसकी मदद के लिए आगे नही आया। जब वह बेसुध होकर सड़कपर कराह रही थी. तब वहाँ मीडिया भी कैमरा लेकर आ खड़ी हो गई। मीडिया वालों के लिए एक नई सनसनीखेज ख़बर मिल गई थी.

शोभना की हालत बिगड़ती जा रही थी तभी भीड़ को चीरकर एक युवक सामने आया. वही शोभना को उठाकर अस्पताल ले गया जो डॉ० विक्रम ही था , जिसका तभी तबादला हुआ था  इस नये शहर में.

 शोभना को अस्पताल में  आये यहाँ एक महीना हो गया था, और स्वास्थ्य भी बेहतर हो रहा था.

पर शोभना का वो चँचल पन कहीं विलुप्त हो चुका था. रेत के भाँति सब बिखर गया था.

उसके लिए, उसका चेहरा ही एक  पहचान थी.वह भी जल कर ख़ाक हो गया. फिर भी शोभना डॉक्टर विक्रम से काफी अच्छे से घुल मिल गई थी उसे विक्रम की जिंदादिली बहुत अच्छी लगती थी.वे हर हाल में खुश नजर आते थे।और इधर विक्रम भी शोभना का समय -समय पर दवा पुछने आ जाते थे.इसी बीच दोनो की दोस्ती हो गई । शोभना को बातों -बातों में शायरी बोलने की आदत ने अपनी ओर आकर्षित कर रही थी विक्रम को.  जब शोभना कुछ बोलती तो दर्द भरी शायरी जरूर बोलती और विक्रम उसके होंठों को  और उसके आँखों को ध्यान से देखता, जिससे शोभना भी वाकिफ़ थी. मग़र वह अपनी जली हुई सूरत के कारण डॉ० विक्रम से नज़रें नही मिला पाती थी. एक दिन बातों ही बातों में डॉ०विक्रम अपनी बात शोभना के सामने रख ही दिए. परन्तु शोभना इंकार कर बैठी और सिसकती हुई बोली- “विक्रम जी आप मुझ जैसी लड़की को क्यों इतना चाहते हो। मेरी जो सुन्दरता थी वह अभिशाप बन गई। मेरे लिए .  मैं अब कहीं की नहीं हूँ.”

फिर कुछ ही क्षण में सम्भल कर बोली- “हम सिर्फ़ दोस्त बनकर आजीवन रहेंगें। वादा कीजिये.”

“ठीक है जो आपको सही लगे। लेकिन मेरे ख्याल से सुंदरता चेहरे से नहीं, इंसान के मन से होता है. आप दिल से बहुत सुंदर हो.”

विक्रम की बातें सुनकर शोभना विक्रम का कसकर हाथ पकड़कर बोली- “मुझे कभी उम्मीद ही नही था कि आपके जैसा कोई इतना मन से तन से सुंदर साथी मुझे मिलेगा.मेरा जीवन फिर से सँवर गया.”

शोभना के आँखों मे एक पल के लिए खुशी की लहर उमड़ पड़ी.

अरे! शोभना तुम मेरे जीवन की रौशनी हो. अब तुमसे ही मेरा बंजर घर फिर से हरा- भरा होगा.घर की शोभा बढ़ेगी. तुम अपने पवित्र व सुंदर मन से मेरे नहीं… अपने घर को सुसज्जित करोगी.

बस एक दिन दो दिन में तुम्हारे डिस्चार्ज होने के बाद मैं अपने पापा को लेकर तुम्हारे घर आऊँगा.

जीवन भर के लिए. तुम्हारा हाथ और साथ दोनों माँगने के लिए. और साथ ही साथ उस मवाली को भी सलाखों के पीछे करके तुम्हे न्याय भी दिलाने की भरसक प्रयास करूँगा.”

फिर मुस्करा कर बोला, “और यह भी न भूलो कि चिक्तिसा विज्ञानं में हर रोज नई तकनीक का विकास हो रहा है. कल नहीं तो वर्षों बाद तुम पहले जैसी हो जाओगी और मैं रिस्क नहीं लेना चाहता कि तब कोई और तुम्हें उड़ा ले.”

शोभना बूत समान ख़ामोश होकर आँखों में प्रेम के समंदर को थाम कर विक्रम को एक टक देखे जा रही थी. और भविष्य के दिन के लम्हों को सँजोने के लिए कुछ सँकोच-सी सोच लिए अग्रसरित होने को उतावली भी हो रही थी.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें