सिद्धार्थ की वापसी -भाग 2 : सुमित और तृप्ति शादी के बाद भी खुश क्यों नहीं थे

देखा, आ गई न गाड़ी पटरी पर, खुल गई मित्रता की पोल,’ मां और पिताजी लगभग एकसाथ बोले थे. ‘ऐसा कुछ नहीं है जैसा आप दोनों सोच रहे हैं. बस, हम दोनों को एकदूसरे का साथ अच्छा लगता है,’ तृप्ति ने सफाई देनी चाही थी. ‘ठीक है, हमारी बात हमें अच्छी तरह समझ में आ गई. अब तुम भी तुम्हारी बात समझ लो. कल ही सुमित से बात करो और यदि वह विवाह के लिए तैयार है तो हम उस के मातापिता से बात आगे बढ़ाएंगे, नहीं तो हम तुम्हारा विवाह कहीं और कर देंगे,’ तृप्ति के पिता ने सख्ती से कहा था. ‘इसे आदेश समझूं या चेतावनी?’ कह कर तृप्ति ने मुसकराना चाहा था. ‘वह तुम्हारी इच्छा है, पर हम अब और चुप्पी नहीं साध सकते. इस पार या उस पार, हमें समाज में रहना है और उस के बनाए नियमकायदे हमें मानने पड़ते हैं.

अरे, यह क्या कोई विलायत है जो तुम खुलेआम अपने पुरुष मित्र के साथ घूमती रहोगी और कोई कुछ नहीं कहेगा? यह बात बिरादरी में फैल गई तो तुम्हारा विवाह करवाना कठिन हो जाएगा,’ तृप्ति के पिता ने गंभीरता से कहा था. ‘आप ऐसी बातें कर के मुझे नीचा दिखाने का प्रयत्न क्यों करते रहते हैं? आप डरते होंगे बिरादरी से, मैं नहीं डरती. फिर बिरादरी ने हमारे लिए किया ही क्या है कि हम हर पल उस से थरथर कांपते रहें,’ तृप्ति स्वयं पर नियंत्रण न रख सकी थी. ‘देखा, न कहती थी मैं कि लड़की को अधिक पढ़ाओलिखाओ मत. चलो, पढ़लिख भी ली तो कम से कम नौकरी तो मत करवाओ, पर मेरी सुनता ही कौन है. आप को तो बेटी को अपने पैरों पर खड़ा करना था. चलो, अच्छा हुआ, पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो गई है आप की बेटी,’ तृप्ति की मां व्यंग्य से बोली थीं.

‘क्यों बात का बतंगड़ बना रही हैं आप. कह तो दिया है कि सुमित से बात करूंगी,’ कहती हुई तृप्ति अपने कक्ष की ओर चली गई थी और मातापिता देर तक बड़बड़ाते रहे थे. तृप्ति जब दूसरे दिन कार्यालय पहुंची तो किसी भी कार्य में उस का मन नहीं लगा था. उस ने कई बार सुमित को फोन किया, पर वह भी न जाने कहां चला गया था. ‘शाम को 5 बजे तक लौट आएगा वह,’ उस के सहकर्मी ने तृप्ति को बताया था. ‘क्या हुआ? कहां चले गए थे तुम? सुबह से मैं ने तुम्हें हजार बार फोन किया था,’ शाम को जब कार्यालय बंद होने पर तृप्ति नीचे उतरी तो सुमित को स्कूटर सहित सामने खड़ा देख वह भड़क उठी थी. ‘खैरियत तो है, आज तो आप पत्नी की तरह डांट रही हैं. बात क्या है? घर जल्दी पहुंचना है क्या? आइए, बैठिए. मिनटों में आप हवा से बातें कर रही होंगी,’ सुमित ने स्कूटर पर बैठने का इशारा करते हुए मुसकरा कर कहा था. ‘ऐसा कुछ नहीं है, पर मुझे तुम से बहुत जरूरी बात करनी है. मैं अब और प्रतीक्षा नहीं कर सकती,’

कहते हुए तृप्ति रोंआसी हो उठी थी. ‘ऐसी क्या जरूरी बात है? चलो, कहीं बैठ कर चाय पीते हैं,’ अपना उपहास भूल कर सुमित ने प्रस्ताव दिया था, पर तृप्ति ने केवल हां में सिर हिला दिया था तो एक रैस्टोरैंट में जा कर वे दोनों एकदूसरे के सामने बैठ कर चाय पीने लगे. ‘हां, बोलो, समस्या क्या है? मैं तो तुम्हारी हालत देख कर घबरा ही गया था,’ कहते हुए सुमित ने अपनी आकुल नजरें तृप्ति के चेहरे पर टिका दी थीं. ‘मैं कल जब देर से घर पहुंची तो मां और पिताजी बहुत नाराज थे,’ तृप्ति ने अपने मन की बात कहनी शुरू की थी. ‘उन का नाराज होना सही था. यदि जवान बेटी रात को 10 बजे घर पहुंचे तो कौन से मातापिता नाराज नहीं होंगे,’ सुमित ने शालीन लहजे में समझाते हुए कहा था. ‘10 बजे? मैं पूरे 11 बजे घर पहुंची थी, वह भी तुम्हारे कारण क्योंकि तुम्हें मुझे अपने हाथ का पकाया भोजन कराने का शौक जो चढ़ आया था. फिर भी तुम यह निर्णय कर लो कि तुम मेरी तरफ हो या उन की तरफ,

’ तृप्ति झुंझला उठी थी. ‘मैं पूरी तरह अपनी तृप्ति के साथ हूं, पर बताओ तो सही कि आगे क्या हुआ?’ ‘पिताजी का आदेश है कि हमारे संबंध को जल्दी से जल्दी परिभाषित किया जाए,’ कहते हुए तृप्ति खिलखिला कर हंसी थी. तृप्ति ने सोचा था कि उस की बातें सुनते ही सुमित भावुक हो कर, उस का हाथ अपने हाथ में ले कर कल्पनाओं में खो जाएगा या फिर कहेगा कि यह क्या प्रिये, इतनी सी बात के लिए तुम इतनी परेशान थीं. हम दोनों तो बने ही एकदूसरे के लिए हैं, पर ऐसा कुछ नहीं हुआ था वह गुमसुम बैठा रहा. उस के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी थीं. ‘बात क्या है, सुमित? तुम तो बिलकुल गुमसुम हो गए. शायद तुम ने मेरी बात का मतलब नहीं, समझा?’ ‘मैं ने तुम्हारी बात का मतलब अच्छी तरह समझ लिया है, तृप्ति. पर मेरे लिए तुम्हारी बात का उत्तर दे पाना सरल नहीं होगा,’ सुमित गंभीर स्वर में बोला था. ‘अर्थात मेरे मातापिता जो सोच रहे थे, वही सही था? साथ घूमनाफिरना, सैरसपाटा अलग बात है, पर विवाह अपने लोगों में भारीभरकम दहेज ले कर ही करोगे?’ तृप्ति आवेशपूर्ण स्वर में बोली थी.

‘ऐसा कुछ नहीं है. तुम जैसी पत्नी तो किसी खुशमिजाज इंसान को ही मिलेगी.’ ‘हां, और तुम खुद को उस खुशमिजाजी से वंचित रख कर कितना बड़ा त्याग कर रहे हो,’ तृप्ति ने उलाहनाभरे अंदाज में कहा था. ‘तृप्ति, क्या हम केवल मित्र बन कर नहीं रह सकते? मैं कारण बता कर तुम्हें खोना नहीं चाहता?’ ‘यदि तुम ने आज ही मुझे सबकुछ नहीं बताया तो मैं तुम्हारा मुंह भी नहीं देखूंगी,’ तृप्ति ने तैश में आ कर कहा. ‘तो सुनो, मेरी शादी हो चुकी है. 2 वर्ष पहले मेरे बेटे सिद्धार्थ के जन्म के समय वह हम सब को रोताबिलखता छोड़ कर चली गई थी.’ ‘और आप का बेटा?’ ‘उझानी नाम का छोटा सा कसबा है, वहीं मेरे मातापिता के पास रहता है.’ ‘6 महीने से हम दोनों साथ घूमफिर रहे हैं. तुम ने इतनी बड़ी बात मुझ से छिपाए रखी?’ कहते हुए तृप्ति रोंआसी हो गई. ‘ऐसी कोई विशेष बात भी नहीं, फिर तुम ने कभी पूछा नहीं, तो मैं क्यों बताता? पर जब आज बात शादी की उठी तो तुम्हें खोने का खतरा उठा कर भी मैं ने यह बात बताई, क्या यही काफी नहीं है?’ सुमित ने अपनी बात स्पष्ट की थी. ‘नहीं, यह सच नहीं है. 6 माह तक तुम मेरे साथ घूमतेफिरते रहे, यों दुनियाभर की बातें करते हो, पर बातोंबातों में भी तुम ने कभी अपने विवाह या बेटे का नाम तक नहीं लिया,’ तृप्ति ने शिकायती लहजे में कहा. ‘यह तुम नहीं, तुम्हारी वह मानसिकता बोल रही है जिस में हमारे समाज का हर व्यक्ति एक पुरुष और स्त्री की मित्रता को सही परिप्रेक्ष्य में आंक ही नहीं पाता. उस की परिणति व लक्ष्य दोनों ही केवल वैवाहिक संबंध ही क्यों होते हैं,

तृप्ति?’ सुमित धीरगंभीर स्वर में बोला था. ‘सुमित, इतने आदर्शवादी बनने का प्रयास मत करो. क्या तुम ने इन महीनों में कभी विवाह के संबंध में नहीं सोचा?’ कहते हुए तृप्ति की आंखें छलछला आई थीं. ‘तृप्ति, मैं झूठ नहीं कहूंगा, तुम मुझे पहली ही नजर में भा गई थीं, पर मेरी पत्नी के निधन के बाद मेरा जीवन बहुत अस्तव्यस्त हो गया था. अभी तो उसे नए सिरे से संवारने का समय भी नहीं मिला. सोचा था कि तुम्हें धीरेधीरे सिद्धार्थ के संबंध में बताऊंगा, उस से मिलवाऊंगा शायद बात बन जाए. मैं सिद्धार्थ को भी बहुत चाहता हूं और नए संबंध बनाते समय पुराने संबंधों को तोड़ा तो नहीं जाता न?’ ‘ओह, तो तुम ने सोचा था कि यदि तुम मेरे बहुत आगे बढ़ने के बाद अपने पुत्र का प्रवेश हमारी कहानी में करोगे तो तुम गलती पर थे. आज के बाद तुम मुझ से मिलने का प्रयास मत करना.

तुम ने यह समझ भी कैसे लिया कि मैं तुम्हारे जैसे व्यक्ति को कभी स्वीकार कर पाऊंगी,’ कहते हुए तृप्ति उठ खड़ी हुई थी. ‘रुको तो, मैं तुम्हें घर छोड़ देता हूं,’ सुमित बोला था. ‘धन्यवाद, मुझे अपने घर की राह पता है, वह तो तुम्हारी संगति में पड़ कर भूल गई थी,’ कहते हुए तृप्ति रैस्टोरैंट से बाहर चली गई और सुमित पुकारता ही रह गया था. क्षणांश में ही तृप्ति उस की आंखों से ओझल हो गई थी. अगले दिन से सुमित उसी जगह खड़ा हो कर तृप्ति के कार्यालय की सीढि़यों की ओर ताकता रहता, पर तृप्ति पता नहीं कार्यालय आती भी थी या नहीं और आती थी तो किधर से निकल जाती थी, पता ही नहीं चलता था. कुछ दिनों बाद वह नजर भी आई थी तो मुंह फेर कर चल दी थी. ‘तृप्ति, मुझे तुम से जरूरी बातें करनी हैं,’ एक दिन कार्यालय से लौट कर तृप्ति आंखें मूंदे सोफे पर पसरी हुई थी,

पूर्वांचल एक्सप्रेस वे पर रोजगार की गाड़ी भी भरेगी फर्राटा

इस सदी के सबसे बड़े वैश्विक संकट कोरोना के संक्रमण रोकने के लिए देश व्यापी लॉक डाउन लगा. सारी आर्थिक गतिविधियां ठप्प पड़ गईं. इसका सर्वाधिक असर रोज कमाने खाने वालों पर पड़ा.

उत्तर प्रदेश 24 करोड़ से अधिक जनसंख्या के कारण देश की सबसे अधिक आबादी वाला प्रदेश है. रोजी-रोजगार के लिए यहां के लोग बड़ी संख्या में दूसरे प्रदेशों में रहते हैं. इनमें से 40 लाख लोगों की प्रदेश सरकार ने सुरक्षित और ससम्मान घर वापसी कराई.

वापस आने वालों में से सर्वाधिक सघन आबादी के कारण पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोग ही अधिक थे. ऐसे में यहां के स्थानीय और प्रवासी श्रमिकों के लिए रोजी रोजगार की व्यवस्था उस समय प्रदेश सरकार के लिये बड़ी चुनौती थी. पूर्वांचल एक्स्प्रेस वे इसका जरिया बनी.

कोरोना काल में भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल से कोविड प्रोटोकाल का अनुपालन करते हुए इस पर काम जारी रहा. इस दौरान 60 लाख से अधिक मानव दिवस सृजित हुए थे. इसमें स्थानीय और दूसरे प्रदेशों से आये श्रमिकों को इसके निर्माण में रोजगार मिला. अब जब यह बनकर तैयार हो गया.

बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया है. ऐसे में इस एक्सप्रेसवे के जरिए पूरे क्षेत्र में रोजगार की बहार आना तय है.

16 नवम्बर को इसके उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा था कि अभी तो इस एक्सप्रेसवे के निर्माण में करीब 22 हजार करोड़ रुपए खर्च हुए हैं. आने वाले समय में इसीके जरिए इस क्षेत्र में लाखों करोड़ रुपये के निवेश आएंगे.

योगी सरकार पहले से ही इस बाबत मुकम्मल कार्ययोजना तैयार कर चुकी है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कई बार सार्वजनिक रूप से यह कह चुके हैं कि प्रदेश में बनने वाले हर एक्सप्रेसवे के किनारों पर उस क्षेत्र के खास उत्पादों, कृषि जलवायु क्षेत्र और बाजार की मांग के अनुसार ओद्योगिक गलियारे बनाए जाएंगे. भविष्य में इनके समानांतर सेमी स्पीड बुलेट ट्रेन भी चलाई जाएगी.

देश-दुनिया में बढ़ेगी ब्रांड यूपी की धमक

पूर्वांचल एक्सप्रेस वे पर इस बाबत आठ इंडस्ट्रियल कॉरिडोर चिन्हित किए गए हैं. यहां होने वाले उत्पाद पूर्वांचल एक्सप्रेसवे और अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट्स के जरिए देश-दुनिया में कम समय में सुरक्षित तरीके से पहुंच जाएंगे. इससे ब्रांड यूपी की पहचान और धमक भी बढेगी. इनके उत्पादन से लेकर, ग्रेडिंग, पैकिंग, लोडिंग, अनलोडिंग के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार मिलेगा. इन्हीं वजहों से निर्माणाधीन बुंदेलखंड, गोरखपुर लिंक,पूर्वांचल-बलिया लिंक और गंगा एक्सप्रेसवे के जरिए भीआने वाले समय में उस क्षेत्र के लोंगों को रोजी-रोजगार मिलेगा.

समग्रता में तब मुख्यमंत्री योगी के सपनों के अनुरूप नए भारत का नए उत्तर प्रदेश का सपना साकार होगा. उत्तर प्रदेश देश की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगी. कोरोना के वैश्विक संकट और आर्थिक मंदी के बीच प्रदेश सरकार द्वारा बनाया गया पूर्वांचल एक्सप्रेसवे एक ऐसी उपलब्धी है जो योगी सरकार को खास बनाती हैं.

कुछ समय पहले तक सूबे में बेहतर हुई कानून व्यवस्था को प्रदेश सरकार की मुख्य उपलब्धि माना जाता था, परन्तु अब पूर्वांचल एक्सप्रेसवे और सुधरती हुई अर्थव्यवस्था के माध्यम से युवाओं के लिए उद्योगों के माध्यम से रोजगार के अवसर भी पैदा हो रहें हैं. योगी जी के कार्यकाल में प्रतिव्यक्ति आय बढ़ना, निर्यात में इजाफा होने और इलेक्ट्रानिक्स एवं अन्य उद्योगों के क्षेत्र में संसार की नामी कंपनियों को उत्तर प्रदेश में निवेश के लिए रजामंद करने से आज यूपी में निवेश की तस्वीर तेजी से बदल रही है. जल्दी ही इस एक्सप्रेसवे के टेक्सटाइल, इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग और मैन्युफैक्चरिंग में यूपी में कई नई महत्वपूर्ण इकाइयां आएंगी, जो रोजगार के नए अवसर प्रदान करेंगी.

पर्यटन उद्योग को संजीवनी दे रहा हॉट एयर बैलून फ़ेस्टिवल

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार रोज़ नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है. वाराणसी की धरती से पहली बार हॉट एयर बैलून ने उड़ान भरा. अभी तक लोगों ने बनारस के सुबह की छटा को गंगा के किनारे घाटों से देखा होगा, पर अब योगी सरकार बनारस की सुबह के साथ ही घाटों की लम्बी शृंखला को आसमान से देखने का भी मौका दे रही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने वाराणसी में तीन दिनों का हॉट एयर बैलून फेस्टिवल का आयोजन किया है. पर्यटक एडवेंचर टूरिज्म का आनंद ले रहे हैं. पर्यटक 19 नवंबर को देव दीपावली भी हॉट बैलन से देख सकेंगे. पर्यटकों के रुझान को देखते हुए सरकार इसका आगे भी संचालन कर सकती है.

बदलते काशी की बदलती तस्वीर अब लोग हाट एयर बैलून पर सवार होकर देख़ सकते हैं. बनारस के गंगा घाट हों या शहर, करीब एक घंटे की बैलून राइड में लगभग पूरे काशी का दर्शन हो जाएगा. अभी तक लोगों ने गलियों में घूमकर काशी को देखा होगा, लेकिन अब योगी सरकार ने आसमान से भी काशी दर्शन का प्रबंध कर दिया है. मोदी व योगी के प्रयासों से वाराणसी के चतुर्दिक विकास में पर्यटन उद्योग भी एक महत्पूर्ण कड़ी है. कोविड काल में पर्यटन उद्योग पर भी काफी असर देखने को मिला था. हॉट एयर बैलून फेस्टिवल मंद पड़े पर्यटन उद्योग को संजीवनी देने का काम रही है.

पर्यटक अमित और पुनीत ने बताया कि हॉट बैलून एयर का सफर बेहद रोमांचक है. हॉट एयर बैलून पर सवार होकर सूर्योदय और शहर दोनों बेहद खूबसूरत नजर आ रहा था. देव दीपावली पर जब घाटों पर दीपक जलेंगे तो यह नज़ारा और भी अद्भुत होगा. हॉट एयर बैलून की विदेशी पायलट ने कहा कि वाराणसी जैसा नजारा आज तक उन्होंने कहीं नहीं देखा है.

वाराणसी में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने देव दीपावली के मौके पर तीन दिवसीय हॉट एयर बैलून फेस्टिवल का आयोजन किया है. पर्यटन विभाग के मुताबिक 18 और 19 नवंबर रात्रि की उड़ान टेडर्ड फ्लाइट के माध्यम से होगी, जबकि सुबह की उड़ान पूरे शहर में होगी. टेडर्ड उड़ान में बैलून का नीचे का सिरा रस्सी से बंधा होगा और उड़ान नियंत्रित होगी और करीब 50 मीटर ऊपर तक बैलून उड़ सकेगा. बैलून गंगा पार डोमरी क्षेत्र से उड़ान भर रहा है.

वेब सीरीज ‘ Dil Bekraar’ में नजर आएंगी एक्ट्रेस Poonam Dhillon, पढ़ें इंटरव्यू

1980 के दशक की कामयाब, खुबसूरत और ग्लैमरस लुक की धनी अभिनेत्री पूनम ढिल्लों किसी परिचय की मोहताज़ नहीं. उन्होंने 16 वर्ष की उम्र में फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखी है, पहली फिल्म ‘त्रिशूल’ की सफलता के बाद फिल्म ‘नूरी’ जो बहुत कम बजट में बनाई गयी हिट फिल्म थी. अभिनेता फारुख शेख के साथ बनी इस फिल्म को दर्शकों का प्यार खूब मिला. इससे पूनम इंडस्ट्री पर राज करने लगी और उनकी अधिकतर फिल्में बॉक्स ऑफिस पर हिट रही. पूनम ने हिंदी फिल्मों के अलावा साउथ की फिल्मों में भी काम किया है.

पूनम को जितनी सफलता फिल्मों में मिली, उतनी उनके निजी जीवन में प्यार के रूप में नहीं मिली. उनके प्यार के चर्चे रमेश तलवार, राज सिप्पी और अशोक ठाकरिया से रही. किसी कारणवश रमेश तलवार और राज सिप्पी के प्यार को छोड़कर पूनम ने निर्माता अशोक ठाकरिया से शादी की और दो बच्चों,अनमोल और पालोमा की माँ बनी. पति की एक्स्ट्रा मेरिटल अफेयर और पत्नी पर ध्यान न देने की वजह से पूनम ने बच्चों की कस्टडी अपने पास रखकर साल 1997 में तलाक लिया. पूनम ने फिल्मों के अलावा थिएटर और टीवी में भी काम किया है. वह 100 से अधिक फिल्में कर चुकी है. अभी उनकी वेब सीरीज ‘दिल बेक़रार’ डिजनी + हॉटस्टार पर रिलीज होने वाली है. इसे पेंड़ेमिक के दौरान बहुत मुश्किल से शूट किया गया है. पूनम से उनकी जर्नी के बारें में वर्चुअली बात की, पेश है कुछ खास अंश.

सवाल – इस वेब सीरीज को एक्सेप्ट करने की खास वजह क्या है?

जवाब –पहले थोड़ी सोच थी कि ये कैसी होगी और मेरा करना सही होगा या नहीं,क्योंकि वेब के दर्शक अलग होते है और कंटेंट भी अलग होते है. पिछले कुछ सालों में वेब सीरीज बहुत पोपुलर हो चुकी है और इसकी पहुँच भी बहुत अधिक है. इसके अलावा एक अच्छी कहानी,अच्छी सेटअप, सही निर्देशक और अच्छे साथी कलाकार हो, तो अधिक सोचने और झिझकने की जरुरत नहीं होती.

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सवाल –क्या आप पहले की प्यार आज के प्यार में कुछ अंतर पाती है?

जवाब – पहले और अब की प्यार में कोई अंतर नहीं होती, क्योंकि व्यस्क होना कुदरती है. समय के साथ सब कुछ बदलती है, हाँ इतना जरुर है कि ये कहानी 80 के दशक की है, अब देश इलेक्ट्रोनिकली काफी आगे बढ़ चुका है. फ़ोन, गाड़ी, वीडियोज, टीवी,रिकार्ड्स, आदि कई चीजे है, जिसका मॉडर्न रूप हमारे सामने है, लेकिन रिश्ते और इमोशन वैसे ही रहते है, केवल भाषा थोड़ी बहुत बदल जाती है, कुछ नए शब्द इसमें जुड़ जाते है. हमारे ज़माने में चीजें थोड़ी साधारण हुआ करती थी. आज की जेनरेशन ने कभी फ़ोन डायल नहीं किया होगा, बटन प्रेस किया है. चीजे बदलती है, जबकि कुछ एक जैसी ही रहती है.

सवाल – आज के समय में रिश्तों की अहमियत बहुत कम रह गयी है, क्योंकि अधिकतर यूथ जॉब की तरह रिश्ते बदलते रहते है, इस बारें में आपकी राय क्या है?

जवाब – ये एक बड़ी चर्चा का विषय है, लेकिन मैं इसमें इतना कहूंगी कि 80 के दशक में हम सभी को कहीं भी जाना हो, माता-पिता को बताकर जाना था. मैं जितनी भी बड़ी हो जाऊं, पर बोलकर ही कही जाना पड़ता था. ये एक प्रकार का सिस्टम परिवार में होता था. आज के बच्चों में भी ऐसे संस्कार होने चाहिए. वे कही जाने पर पेरेंट्स को बताएं, क्योंकि उन्हें समझना है कि पेरेंट्स हर काम बच्चों की भलाई के लिए ही करते है. उन्हें अपमानित करना या दोषी बताना ठीक नहीं. इसके अलावा ये भी सही है कि आज के बच्चे माता-पिता से दूर पढने या जॉब करने चले जाते है. मेरी बेटी और बेटा जब भी बाहर जाते है, मेरे फ़ोन करने पर वे मुझे निश्चित होकर सोने को कहते है, लेकिन मुझे नींद तब तक नहीं आती, जब तक बच्चे घर नहीं आ जाते. पेरेंट्स की फ़िक्रमंदी उन्हें समझ में नहीं आती.

सवाल – ये कहानी 80 के दशक की किस बात बताने की कोशिश कर रही है?

जवाब – इसमें 80 के दशक की पोलिटिकल और सोशल इवेंट्स किस तरीके की होते थे, जिसमें लोगों की सोच और नजरिये को बताते हुए नई जेनरेशन के विचार को दर्शाने की कोशिश की गई है. ये एक पारिवारिक कहानी है, जिसमें बच्चे का बड़े होना, जॉब करना, शादी करना आदि कई चीजों को शामिल किया गया है और ये हर परिवार में होता है, ये एक नार्मल फीचर है. 80 के दशक को पृष्ठभूमि में रखते हुए नई जेनरेशन को दिखाने की कोशिश की गयी है.कुछ सालों पहले जहाँ एक गाडी के बीच रास्ते में रुक जाने पर सभी लोग कार से उतरकर धक्का मारते है, पर उन्हें इसमें कोई शर्म नहीं, बल्कि अपने पास गाडी होने का गुमान होता था.

सवाल –आपने काफी दिनों बाद ओटीटी प्लेटफॉर्म पर कदम रखी है, जबकि उस समय के काफी कलाकार काम कर रहे है, इसकी वजह क्या रही?

जवाब –मैंने रैट रेस में नहीं पड़ते हुए और अपनी सुविधा के अनुसार परिवार की देखभाल करते हुए काम किया है. जब कभी लगता है कि अगले 6 महीने फिल्म या टीवी नहीं कर सकती तब मैंने काम आने पर भी उसे छोड़ दिया, क्योंकि इस उम्र में मुझे किसी के साथ किसी प्रकार की कॉम्पिटिशन नहीं करना है. लाइफ में कम्फर्ट जरुरी है और मैं खुद का ध्यान रखती हूं. इतने सालों से काम कर रही हूं और अब प्रायोरिटी थोड़ी अलग हो चुकी है.

सवाल – आपके बच्चों का रुझान किस क्षेत्र में है?

जवाब –मेरे बेटे की एक फिल्म ओटीटी पर रिलीज हुई है, क्योंकि लॉकडाउन था और हॉल बंद थे. अभी वह दूसरे प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है. बेटी की इच्छा फिल्मों में आने की है, लेकिन अभी कोई निर्णय उसने नहीं लिया है.

सवाल – आपने बहुत कम उम्र से अभिनय की शुरुआत की और कामयाब रही, क्या फिल्म इंडस्ट्री में किसी प्रकार की बदलाव महसूस करती है?

जवाब – आज कहानियां काफी रीयलिस्टिक हो चुकी है. मसलन अगर एक कहानी एक बच्चे पर है, तो पूरी कहानी उस बच्चे के इर्दगिर्द घूमती हुई बन जाती है. इसके अलावा बायोपिक्स का दौर भी आ चुका है. पहले पुराने हिस्टोरिकल चरित्र पर बायोपिक फिल्में बनती थी, जबकि आजकल जीवित व्यक्ति की भी बायोपिक बन जाती है. पहले ऐसी जीवंत लोगों के बारें में कोई सोच भी नहीं सकता था.

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सवाल – आपकी इतनी फिल्मों में कौन सी फिल्म आपके दिल के करीब है और क्यों?

जवाब – उस समय काम बहुत अधिक हुआ करते थे,हॉल में जाकर फिल्मे देखना संभव नहीं था. बाद में डीविडी आई तो कुछ फिल्में मैंने देखी, पर अपनी नही, क्योंकि अपनी फिल्मों को देखने में कोई मज़ा नहीं था. कई बार लोग कहते है कि मेरी फिल्म टीवी पर आ रही है, तो मैं उसे देख लेती हूं. शूटिंग, डबिंग के बाद फिल्म थिएटर में आ गयी, बस मेरा काम खत्म हो जाता था, लेकिन अब जब देखती हूं तो लगता है कि कुछ आलोचना खुद को ही कर लेना आवश्यक है. मेरी फिल्म सोहनी महिवाल बहुत अच्छी बनी थी. मेरे हिसाब से एक नोस्टाल्जिया होती है और उसे याद करना अच्छा लगता है. इसके अलावा नूरी फिल्म इतनी इम्पैक्टफुल फिल्म होगी, मुझे पता नहीं था, क्योंकि उस समय मेरी उम्र भी कम थी. इस फिल्म को बहुत सादगी से बनायीं गयी है और इसके गाने एवरग्रीन है.

सवाल – अभी घर पर आपकी रूटीन कैसी होती है?

जवाब –हर एक हाउसवाइफ की तरह मैं घर की देखभाल करती हूं, एक जमाना था, जब हमें सामान खरीदने बाज़ार जाना पड़ता था, अब घर पर एक फोन कॉल से समान घर पहुँच जाता है. कई बार मैं बच्चों को इसकी दायित्व लेने के लिए कहती हूं. इसके अलावा थोड़ी वर्कआउट भी करती हूं.

सवाल – क्या कोई मेसेज देना चाहती है?

जवाब – आज की महिलाएं घर और जॉब दोनों को आसानी से सम्हाल लेती है. इसलिए उन्हें जो भी काम पसंद हो, उसे करें, छोड़े मत.

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GHKKPM: पाखी पर भड़केगी सई, देवर-भाभी के रिश्ते पर उठाएगी सवाल

सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ (Ghum Hai Kisi Ke Pyaar Mein) सई (Ayesha Singh) और विराट (Neil Bhatt) की कहानी में प्यार की एंट्री हो चुकी है, जिसके चलते पाखी (Aishwarya Sharma) कदम कदम पर जलती हुई नजर आ रही है. इसका असर जल्द ही उसकी शादी शुदा जिंदगी पर पड़ने वाला है. लेकिन इससे पहले सई और पाखी के बीच बहस होने वाली है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

सई बन रही है अच्छी बहू

अब तक आपने देखा  कि मेडिकल कौलेज में दोबारा एडमिशन मिलने के बाद सई, बेहद खुश है. वहीं विराट उसका इस खुशी में साथ देता नजर आ रहा है. लेकिन पाखी ये बात बिल्कुल पसंद नही आती और वह दोनों को परेशान करने की कोशिश करती है. लेकिन सम्राट  उसे रोक लेता है और पाखी को विराट-सई के क्वालिटी टाइम में अड़चन डालने से रोकता है. दूसरी तरफ सई एक बार फिर भवानी को मनाने के लिए और अच्छी बहू साबित होने के लिए चकली बनाती नजर आती है, जिसे देखकर भवानी बेहद खुश होती है.

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पाखी पर बरसेगी सई

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि चौह्वाण निवास के बाहर सई, विराट के गले लगेगी, जिसे देखकर भवानी गुस्सा करती नजर आएगी और सई और विराट से सवाल करेगी कि वे बाहर क्या कर रहे थे? वहीं पाखी, सई को ताना मारते हुए कहेगी कि वह परिवार को वारिस देने की तैयारी कर रही होगी, जिसे सुनते ही सई, पाखी पर बरस जाएगी और कहेगी कि आप मेरे पति से मिलने के लिए बाहर बुलाती है तो वह ठीक है और कैफे में मेरे पति के कंधे पर सर रखकर रोती हैं तो वह सही है. लेकिन अगर वह अपने पति विराट को बाहर गले लगाया तो वह गलत. हालांकि पाखी उसे रुकने के लिए कहेगी. लेकिन सई गुस्से में नजर आएगी. वहीं पूरा चौह्वाण परिवार ये देखकर चौंक जाएगा.

 

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सई होगी किडनैप

 

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इसके अलावा खबरों की मानें तो विराट का खास दोस्त, जो एक आतंकवादी बन गया है. वह सई को किडनैप कर लेगा ताकि अपना मकसद पूरा करवा सके. वहीं सई के किडनैप होने से जहां पूरा चौह्वाण परिवार परेशान होगा तो पाखी बेहद खुश नजर आएगी.

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कोविड-19 में मृत्यु और प्रमाणपत्र

जीवन साथी के अचानक चले जाने का गम तो हरेक को होता है और कोविड 19 के कारण लाखों मौतों ने एकदम बहुतों को बिना साथी के समझौते करने पर मजबूर कर दिया है पर उस औरत की त्रासदी का तो कोई अंत नहींं  है जिस के पति का पता ही नहीं कि वह मौत के आगोश में गया तो कब और कहां. दिल्ली की एक औरत महिला आयोग के दरवाजे खटखटा रही है कि दिल्ली पुलिस और अस्पताल बता तो दें कि उस के पति की कब कहां मृत्यु हुई या वह कहीं आज भी ङ्क्षजदा है.

अप्रैल में पुलिस के अनुसार उस के पति को सडक़ के किनारे कहीं बेहोश पड़ा पाया गया था और एक अस्पताल में भर्ती करा दिया गया था. वहां से उसे दूसरे अस्पताल भेजा गया जहां कोई रिकार्ड नहीं है और अब पत्नी को नहीं मालूम कि उन का क्या हुआ. खुद कैंसर की मरीज पत्नी पति की मृत्यु के प्रमाण पत्र पाने के लिए भटक रही है.

जीवन साथी के चले जाने के बाद भी उस के हिसाबकिताब करने के लिए बहुत से प्रमाणों की जरूरत होती है. मृत्यु प्रमाण पत्र इस देश में बहुत जरूरी है. उस के बिना तो विरासत का कानून चालू ही नहीं हो सकता. धर्मभीरूओं को लगता है कि वे अगर सारे पाखंड वाले रीतिरिवाज नहीं करेंगे तो मृत को स्वर्ण नहीं मिलेगा और आत्मा भटकती रहेगी. बहुत मामलों में घरवाले जब तक मृतक का शव न देख लें, यह स्वीकार करने को तैयार ही नहीं होते कि मौत आ चुकी है.

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जैसे उत्तर प्रदेश बिहार में बहुत से लोगों के मृत्यु प्रमाण पत्र उन के जिंदा रहते जारी कर दिए जाते हैं और वे अपने को जिंदा होने का प्रमाण पत्र खोजते दफ्तरों के चक्कर काटते रहते हैं, वैसे ही जो मगर गया उसे खोया गया मान कर कुछ अधूरा मान लिया जाता है जो अपनेआप में एक बहुत ही दुखद स्थिति होती है.

कोविड-19 के भयंकर प्रहार के दिनों में लोगों को अपने प्रियजन का शव देखने तक का अवसर नहीं मिला था पर उन्हें प्रमाण पत्र मिल गया था इसलिए संतोष कर लिया गया. इस मामले में जीवनसाथी का अभाव, अपनी बिमारी और कागजी कारवाई सरकारी लापरवाही के कारण पूरी न होने के कारण तीहरा दुख सरकार एक बेबस औरत को दे रही है.

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पिता के अमीर दोस्त, मां के गरीब रिश्तेदार

रिश्तों की अपनी अहमियत होती है. बिना रिश्तेदारों के जिंदगी नीरस हो जाती है व अकेलापन कचोटने लगता है. जिंदगी में अनेक अवसर ऐसे आते हैं जब रिश्तों के महत्त्व का एहसास होता है.

अकसर देखने में आता है कि किशोरकिशोरियां उन रिश्तेदारों को ज्यादा अहमियत देते हैं जो आर्थिक रूप से ज्यादा संपन्न होते हैं और गरीब रिश्तेदारों की उपेक्षा करने में तनिक भी नहीं हिचकिचाते, गरीब रिश्तेदारों को अपने घर बुलाना उन्हें अच्छा नहीं लगता. वे खुद भी उन के घर जाने से कतराते हैं. भले ही बर्थडे पार्टी या शादी हो, अगर जाते भी हैं तो बेमन से.

आज के किशोरकिशोरियों में एक बात और देखने को मिलती है. वे अपने पिता के अमीर दोस्तों का दिल से स्वागत करते हैं. अपने मातापिता की बर्थडे पार्टी या मैरिज ऐनिवर्सरी में वे उन्हें खासतौर से इन्वाइट करते हैं. उन की पसंद की चीजें बनवाते हैं, लेकिन मां के गरीब रिश्तेदारों को बुलाना जरूरी नहीं समझते. यदि मां के कहने पर उन्हें बुला भी लिया, तो उन के साथ उन का बिहेवियर गैरों जैसा रहता है.

सुरेश के मम्मीपापा की मैरिज ऐनिवर्सरी थी. सुरेश और उस की बहन सुषमा एक महीना पहले ही तैयारियों में जुट गए थे. दोनों ने मिल कर मेहमानों की लिस्ट तैयार की और अपनी मम्मी को दिखाई.

लिस्ट में पिता के सभी अमीर दोस्तों का नाम शामिल था. मां को लिस्ट देख कर बड़ा आश्चर्य हुआ. वे बोलीं, ‘‘अरे, तुम दोनों ने अपने मामामामी, मौसामौसियों के नाम तो लिखे ही नहीं. केवल मुंबई वाले मौसामौसी का ही नाम तुम्हारी लिस्ट में है.’’

यह सुनते ही सुरेश का चेहरा तमतमा उठा. वह बोला, ‘‘मैं आप के गरीब रिश्तेदारों को बुला कर अपनी व पापा की नाक नहीं कटवाना चाहता. न उन के पास ढंग के कपड़े हैं न ही उन्हें पार्टी में मूव करना आता है. क्या सोचेंगे पापा के दोस्त?’’

यह सुन कर मम्मी का चेहरा उतर गया. उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि उन का बेटा ऐसा सोचता होगा. उन की मैरिज ऐनिवर्सरी मनाने की सारी खुशी काफूर हो चुकी थी.

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सुरेश के पिता ने भी सुरेश और सुषमा को बहुत समझाया कि बेटे रिश्तेदार अमीर हों या गरीब, अपने होते हैं. हमें अपने हर रिश्तेदार का सम्मान करना चाहिए.

सुरेश ने मातापिता के कहने पर मम्मी के रिश्तेदारों को इन्वाइट तो कर लिया पर मैरिज ऐनिवर्सरी वाले दिन जब वे आए तो उन से सीधे मुंह बात तक नहीं की. वह पापा के अमीर दोस्तों की आवभगत में ही लगा रहा.

सुरेश की मम्मी को उस पर गुस्सा तो बहुत आ रहा था, पर रंग में भंग न पड़ जाए, इसलिए वे शांत रहीं और स्वयं अपने भाई, भाभी और अन्य रिश्तेदारों की खातिरदारी करने लगीं.

मेहमानों के जाने के बाद सुरेश और सुषमा मम्मीपापा को मिले गिफ्ट के पैकेट खोलने लगे. उन्होंने मामामामी के गिफ्ट पैकेट खोले तो उन्हें यह देख कर बड़ा ताज्जुब हुआ. उन के दिए गिफ्ट सब से अच्छे व महंगे थे. रोहिणी वाले मामामामी ने तो महंगी घड़ी का एक सैट उपहार में दिया था और पंजाबी बाग वाली मौसीमौसा ने मम्मीपापा दोनों को एकएक सोने की अंगूठी गिफ्ट की थी, जबकि पापा के ज्यादातर अमीर दोस्तों ने सिर्फ बुके भेंट कर खानापूर्ति कर दी थी.

सुरेश व सुषमा ने अपने मम्मीपापा से माफी मांगते हुए कहा, ‘‘हमें माफ कर दीजिए. हम गलत थे. जिन्हें हम गरीब समझ कर उन का अपमान करते थे, उन का दिल कितना बड़ा है, यह आज हमें पता चला. आज हमें रिश्तों का महत्त्व समझ आ गया है.’’

ऐसी ही एक घटना मोहित के साथ घटी जब उसे गरीब रिश्तेदारों का महत्त्व समझ में आया. मोहित के पापा बिजनैस के सिलसिले में मुंबई गए हुए थे. एक दिन अचानक उस की मम्मी को सीने में दर्द उठा. मम्मी को दर्द से तड़पता देख मोहित ने पापा के दोस्त हरीश अंकल को फोन मिलाया और अस्पताल चलने को कहा तो उन्होंने साफ कह दिया, ‘‘बेटा, रात को मैं कार ड्राइव नहीं कर सकता, तुम किसी और को बुला लो.’’

मोहित ने पापा के कई दोस्तों को फोन किया, पर सभी ने कोई न कोई बहाना बना दिया. मोहित की समझ में नहीं आ रहा था कि वह अब क्या करे. अचानक उसे मम्मी के चचेरे भाई का खयाल आया जो पास में ही रहते थे. उस ने उन्हें फोन पर मम्मी का हाल बताया तो वे बोले, ‘‘बेटा, तुम परेशान मत हो, मैं तुरंत आ रहा हूं.’’

चाचाजी तुरंत मोहित के घर पहुंच गए. वे अपने पड़ोसी की कार से आए थे. वे मोहित की मम्मी को फौरन अस्पताल ले गए. डाक्टर ने कहा कि उन्हें हार्टअटैक पड़ा है. अगर अस्पताल लाने में थोड़ी और देर हो जाती तो उन्हें बचाना मुश्किल था.

यह सुनते ही मोहित की आंखों में आंसू आ गए. उसे आज रिश्तों का महत्त्व समझ में आ गया था. पिछले दिनों इन्हीं चाचाजी की बेइज्जती करने से वह नहीं चूका था.

किशोरकिशोरियों को रिश्तों के महत्त्व को समझना चाहिए. अमीरगरीब का भेदभाव भूल कर सभी रिश्तेदारों से अच्छी तरह मिलना चाहिए. उन्हें पूरा सम्मान देना चाहिए.

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रिश्तों में मिठास घोलें

रिश्ते अनमोल होते हैं. किशोरकिशोरियों को मां के गरीब रिश्तेदारों को भी इज्जत देनी चाहिए. उन के यहां अगर कोई शादी या अन्य कोई फंक्शन हो तो जरूर जाना चाहिए. ऐसा कोई भी काम नहीं करना चाहिए कि उन्हें अपनी बेइज्जती महसूस हो. चाचाचाची, मामामामी, मौसामौसी से समयसमय पर फोन पर या उन के घर जा कर हालचाल लेते रहना चाहिए, इस से रिश्तों में मिठास घुलती है और रिश्तेदार हमेशा मदद के लिए तैयार रहते हैं.

रिश्तेदारों के बच्चों से भी बनाएं संपर्क

किशोरकिशोरियों को चाहिए कि वे अपने गरीब रिश्तेदारों से न केवल संपर्क बनाए रखें बल्कि उन के बच्चों से भी दोस्त जैसा व्यवहार रखें. उन से फेसबुक, व्हाट्सऐप द्वारा जुड़े रहें. परिवार के फोटो आदि शेयर करते रहें. उन्हें कभी इस बात का एहसास न कराएं कि वे गरीब हैं. चचेरे व ममेरे भाईबहनों से भी अपने सगे भाईबहन जैसा ही व्यवहार करें. इस से उन्हें भी अच्छा लगेगा. आजकल वैसे भी एकदो भाईबहन ही होते हैं. कहींकहीं तो एक भी भाई या बहन नहीं होता. ऐसे में कजिंस को अपना सगा समझें और उन के साथ लगातार संपर्क में रहें.

छुट्टियों में रिश्तेदारों के घर जाएं

स्कूल की छुट्टियों में अपने मम्मीपापा के साथ रिश्तेदारों के घर जरूर जाएं. खासतौर से मम्मी के गरीब रिश्तेदारों के घर. जब आप उन के घर जाएंगे तो उन्हें अच्छा लगेगा. उन के बच्चों यानी अपने कजिंस के लिए कोई न कोई गिफ्ट जरूर ले जाएं. इस से आपस में प्यार बढ़ता है.

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मां का दिल महान: क्या हुआ था कामिनी के साथ

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शादी के बाद Kundli Bhagya एक्ट्रेस श्रद्धा का बदला अंदाज, रिसेप्शन से लेकर ससुराल में कुछ ऐसा है अंदाज

टीवी इंडस्ट्री में इन दिनों शादी का सिलसिला जारी हैं. जहां एक तरफ संस्कारी बहू प्रीता यानी श्रद्धा आर्या ने 16 नवंबर को नेवी ऑफिसर के साथ शादी के बंधन में बंधी तो वहीं टीवी एक्ट्रेस पूजा बनर्जी ने धूमधाम से अपनी कुणाल वर्मा संग दूसरी बार शादी रचाई. वहीं एक्ट्रेसेस के लुक सोशलमीडिया पर छा गए. इसी बीच श्रद्धा आर्या के वेडिंग लुक के अलावा रिसेप्शन और नई बहू के लुक सोशलमीडिया पर वायरल हो रहे हैं. आइए आपको दिखाते हैं शादी के बाद कैसी लग रही हैं कुंडली भाग्य की प्रीता…

रिसेप्शन में था सिंपल लुक

 

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हाल ही में शादी के बाद एक्ट्रेस श्रद्धा आर्या ने अपने वेडिंग रिसेप्शन लुक्स फैंस के साथ शेयर किए हैं, जिसमें वह पति के साथ रोमांटिक पोज देती नजर आ रही हैं. लुक की बात करें तो वह ग्रे कलर की साड़ी में बेहद खूबसूरत लग रही थीं. इस साड़ी के साथ श्रद्धा ने लाल चूड़ा और फुल स्लीव्स ब्लाउज पहना था, जो उनके नई नवेली दुल्हन लुक में चार चांद लगा रहा था.

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ससुराल में कुछ यूं था अंदाज

 

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रिसेप्शन के अलावा एक्ट्रेस श्रद्धा आर्या अपने ससुराल में भी सिंपल लुक में नजर आईं. श्रद्धा आर्या ने रेड गोल्डन कलर की बनारसी साड़ी पहनी, जिसमें उन्होंने गोल्ड की ज्वैलरी और चूड़ा पहनकर फोटोज क्लिक करवाईं. इस लुक में श्रद्धा बेहद खूबसूरत लग रही थीं. वहीं फैंस को उनका ये सिंपल अंदाज बेहद खूबसूरत लग रहा था.

शादी में जीता फैंस का दिल

 

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वेडिंग लुक की बातकरें तो महरून कलर जोड़े में श्रद्धा बेहद खूबसूरत लग रही थीं. इसके साथ मैचिंग ज्वैलरी उनके लुक को चार चांद लगा रही थी. रील लाइफ लुक से ज्यादा फैंस श्रद्धा के इस लुक की तारीफें करते नहीं थक रहे हैं.

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Winter Special: हार्ट पेशंट के लिए हानिकारक हो सकती हैं सर्दियां, जानिए दिल को स्वस्थ रखने के टिप्स

लेखिका- दीप्ति गुप्ता

सर्दियों का मौसम बड़ा ही सुहावना होता है. लेकिन दिल के मरीजों के लिए काफी चैलेंजिंग है. सर्दी वह समय है जब दिल से जुड़ी समस्या वाले लोगों को दिल का दौरा पड़ सकता है. दरअसल, तापमान में अचानक गिरावट के कारण पेराफेरल वेसेल्स सिकुड़ जाती हैं इस प्रकार हृदय पर अधिक दबाव पड़ता है. जिसके कारण हृदय में ऑक्सीजन की आपूर्ति कम हो जाती है. नतीजतन आपके दिल को ऑक्सीजन और ब्लड पंप करने के लिए ज्यादा प्रयास करने होते हैं. ऐसे में ठंड में दिल की सेहत को मैनेज करने के लिए यहां बताए गए कुछ घरेलू टिप्स आपकी मदद कर सकते हैं.

1. ब्लड प्रेशर की निगरानी करें-

यदि आप उन लोगों में से हैं, जिन्हें ब्लड प्रेशर की समस्या है, तो आपके लिए नंबरों पर नजर रखना बेहद जरूरी है. ऐसा करने से कार्डियक अटैक की संभावना काफी कम हो सकती है. इसलिए आपको डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाओं को समय पर लेना चाहिए.

2. शराब के सेवन से बचें-

शराब त्वचा में ब्लड वेसेल्स का विस्तार कर सकती है. यह आपके शरीर के जरूरी अंगों  से गर्मी निकालकर आपको गर्म महसूस करा सकती है. इसी तरह धूम्रपान से एथेरोस्कलेरोसिस होता है. इतना ही नहीं धूम्रपान करने वालों को भी दिल का दौरा पड़ सकता है. धूम्रपान न केवल हृदय की तरफ ऑक्सीजन के प्रवाह को कम करता है बल्कि आपकी हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर को भी बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है.

3. स्वस्थ आहार लें-

ताजे, फल और सब्जियां , बीज, मेवा, फलियां और दालों का सेवन ज्यादा से ज्यादा करें. दिल के रोगियों को ठंड के दिनों में गर्म सूप या गर्म भोजन का सेवन ही करना चाहिए. विशेषज्ञ मानते हैं कि नमक या चीनी से भरपूर भोजन खाने से बचना दिल को स्वस्थ रखने का बेहतर तरीका है. डॉक्टर भी दिल के रोगी को प्रोसेस्ड, जंक और ऑयली फूड्स से बचने की सलाह देते हैं.

4. सिर और हाथों को ढंकें-

डॉक्टर अक्सर दिल के मरीज को ठंड में ज्यादा समय घर से बाहर न बिताने के लिए कहते हैं. उनके अनुसार, यदि जाना भी पड़े, तो कई परतों में गर्म कपड़े पहनना चाहिए. खासतौर से अपने हाथों और सिर को पूरी तरह से ढंकें, गर्म मोजे और जूते पहनें.

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5. शरीर को ज्यादा गर्म करने से बचें-

बेशक सर्दियों में शरीर में गर्माहट जरूरी है, लेकिन इसे जरूरत से ज्यादा गर्म नहीं करना चाहिए. इससे रक्त वाहिकाएं फैल सकती हैं, जिससे हृदय की समस्या से जूझ रहे लोगों का ब्लड प्रेशर लो हो सकता है. इस वजह से हृदय की रक्त आपूर्ति कम हो जाती है और हार्ट अटैक आने की संभावना बढ़ जाती है.

6. स्वस्थ आदतों को अपनाएं-

दिल की सेहत को सर्दियों में दुरूस्त बनाए रखने के लिए एक इंडोर एक्सरसाइज प्रोग्राम शुरू करें. घर का गर्म भोजन करें और नियमित रूप से पानी पीएं. यह आपके शरीर को ऊर्जा देगा , जो आपको गर्म रखने के लिए जरूरी है.

7. ज्यादा से ज्यादा आराम करें-

अगर आप दिल के रोगी हैं और आपको ठंड के मौसम में खांसी-जुकाम रहता है, तो आप आराम करें और अच्छे से  अच्छा खाएं. इन दिनों यदि आपको ह्दय रोग के कोई भी लक्षण दिखाई दें, तो डॉक्टर से संपर्क जरूर करें.

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