Yami Gautam से लेकर Disha Parmar तक, शादी के बाद पहला करवाचौथ मनाएंगी ये Celebs

Karwa Chauth 2021: साल 2021 में कई सेलेब्स शादी के बंधन में बंधे, जिनमें कुछ सेलेब्स ने फैंस के साथ खुशियां बांट कर शादी के हर फंक्शन को एंजौय किया तो वहीं कुछ सेलेब्स ने चोरी चुपके शादी करके फैंस को चौंका दिया. हालांकि फैंस को इन शादियों को देखकर बेहद खुशी हुई. इसी बीच ‘करवा चौथ’ का सेलिब्रेशन शादी के बाद पहली बार मनाने के लिए ये सेलेब्स तैयार हैं. तो आइए आपको बताते हैं कौन-कौन से सेलेब्स शादी के बाद पहली बार मनाएंगे करवाचौथ.

यामी गौतम का होगा पहला करवाचौथ

 

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बौलीवुड एक्ट्रेस यामी गौतम ने फिल्म निर्माता आदित्य धर के साथ 4 जून 2021 को हिमाचल प्रदेश के मंडी के फार्महाउस में शादी की थी. वहीं दोनों ने सोशलमीडिया के जरिए फैंस को अपनी शादी की खबर दी थी, जिसके चलते दोनों की फोटोज सोशलमीडिया पर छा गई थी. वहीं इस साल य़ामी का पहला करवाचौथ है, जिसकी तैयारियों में वह इन दिनों बिजी नजर आ रही हैं.

दिशा परमार और राहुल वैद्य की शादी थी यादगार

 

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पौपुलर टीवी शो बिग बॉस 14 में अपने प्यार का इजहार करने वाले सिंगर राहुल वैद्य अपनी गर्लफ्रैंड और एक्ट्रेस दिशा परमार संग 16 जुलाई को शादी के बंधन में बंध गए थे. वहीं सोशलमीडिया पर दोनों की मेहंदी से लेकर रिसेप्शन की फोटोज ने काफी सुर्खियां बटोरी. इसी बीच शादी के बाद दोनों का ये पहला करवाचौथ बेहद ही यादगार होगा.

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वरुण धवन का भी होगा पहला सेलिब्रेशन

 

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बौलीवुड एक्ट्रेसेस ही नहीं बल्कि एक्टर ने भी साल 2021 में शादी करने का फैसला लिया था. एक्टर वरुण धवन अपनी बचपन की दोस्त नताशा दलाल के साथ 24 जनवरी, 2021 को अलीबाग में शादी के बंधन में बंध गए थे. हालांकि कोरोना के चलते साल 2020 में दोनों ने शादी न करने का फैसला लिया था. वहीं अब करवाचौथ का सेलिब्रेशन दोनों इस साल पहली बार साथ मिलकर मनाएंगे.

‘ये है मोहब्बतें’ एक्टर ने फैंस को चौंकाया

 

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हाल ही में टीवी सीरियल ‘ये है मोहब्बतें’ (Yeh Hai Mohabbatein) और ‘कहां हम कहां तुम’ (Kahaan Hum Kahaan Tum) एक्टर अभिषेक मलिक (Abhishek Malik) ने 19 अक्टूबर को मंगेतर सुहानी चौधरी (Suhani Chaudhary) के साथ सात फेरे लिए थे, जिसके बाद ये दोनों का पहला सेलिब्रेशन होगा.

ये सितारे भी मनाएंगे करवाचौथ

रियलिटी शोज के सितारे यानी सुगंधा मिश्रा और डॉ संकेत भोसले के अलावा एंकर और सिंगर आदित्य नारायण इस साल अपना पहला करवाचौथ सेलिब्रेट करेंगे, जिसकी तैयारियों में दोनों जोड़ी इन दिनों बिजी हैं.

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असम की खूबसूरती से जुडी है पोशाक मेखला चादोर, जानें कैसे

असम की हरी-भरी वादियाँ और सुंदर पर्वत श्रृंखला अनायास ही किसी को आकर्षित करती है. वहां की रहन-सहन, खान-पान और मौसम बहुत ही मनोरम होता है. वहां की महिलाओं का खास परिधान मेखला चादोर है. पारंपरिक इस परिधान अधिकतर सिल्क या कॉटन होते है. उस पर खुबसूरत डिजाईन की बुनाई कर सुंदर रूप दिया जाता है, लेकिन ऐसी खूबसूरत परिधानों का चलन पहले की अपेक्षा कम होने लगी है, क्योंकि नए जेनरेशन को पुरानी डिजाईन आकर्षित नहीं करती, जिससे इन्हें बनाने वाले बुनकरों का पेट भरना भी मुश्किल होने लगा. इनके बच्चे घर छोड़कर बाहर काम की तलाश में जाने लगे.

फैला रही है विश्व में

असम की राजधानी गौहाटी में रहने वाली डिज़ाइनर संयुक्ता दत्ता ने इन्ही कारीगरों को जोड़कर उनके काम को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही है और उनके द्वारा बनाये गए आसाम सिल्क और मूंगा सिल्क के काम को मार्केट तक पहुंचाकर उनके काम को विश्व में फैला रही है. यही वजह है कि आज इन बुनकरों के बच्चे भी धीरे-धीरे इस काम की ओर रुख कर रहे है. आज मेखला चादोर विश्व में बहुत स्टाइलिस्ट और चर्चित पहनावा बन चुका है. लक्मे फैशन वीक विंटर कलेक्शन में संयुक्ता ने कांसेप्ट ‘चिकी-मिकी’ को रैम्प पर उतारी और उनकी शो स्टॉपर अभिनेत्री दिव्या खोसला कुमार ने ब्लैक मेखला चादोर बेल्टेड साडी स्ट्रेपिंग चोली के साथ पहन रखी थी.

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विलुप्त होती कला कोबचाने की कोशिश

इस कला के बारें में संयुक्ता कहती है कि हैंडलूम कपड़ों को लोगों तक पहुँचाना बहुत कठिन होता है, क्योंकि ये कपडे महंगे होते है.पॉवरलूम को अधिक अहमियत इसलिए मिल रही है, क्योंकि इनके कपडे जल्दी बन जाने की वजह से सस्ते होते है, जबकि पारंपरिक असम सिल्क हाथ से बुनाई कर तैयार किये जाते है इसलिए थोड़े महंगे होते है,लेकिन सालों तक इसकी खूबसूरती बनी रहती है. पॉवरलूम पर वे आसाम सिल्क की खूबसूरती को नहीं ला पाते. इसी वजह से आज भी इन कारीगरों की चाह लोगों में है और मेरी ये कोशिश है कि इन कारीगरों की कारीगरी को विलुप्त होने से बचाई जाय और मेखला चादोर को सब लोग जाने. पहले मैं जब असम से दूर किसी दूसरी जगह जाती थी, तो लोग हर प्रकार के कपड़ों को जानते है, लेकिन आसाम सिल्क और मेखला चादोर से परिचित नहीं थे. मैं हर फैशन शो में मेखला चादोर को ही शो केस करती हूँ, क्योंकि वहां हर तरह के व्यवसायी से लेकर ब्लॉगर सभी आते है और इसे लोगों तक पहुँचाना आसान होता है.

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छोड़नी पडीजॉब 

संयुक्ता ने अपनी जर्नी सरकारी नौकरी, एक इंजिनीयर के रूप में शुरू की थी. 10 साल काम करने के बाद उन्होंने जॉब छोड़ दिया और आसाम सिल्क को पोपुलर करने का बीड़ा उठाया. ये निर्णय लेना उनके लिए आसान नहीं था, क्योंकि संयुक्ता के पिता की मृत्यु के बाद उनकी माँ ने पूरे परिवार का पालन-पोषण बहुत मुश्किल से किया था, ऐसे में माँ ने संयुक्ता को नौकरी न छोड़ने की सलाह दी थी. संयुक्ता आगे कहती है कि माँ के मना करने की वजह मेरा डिज़ाइनर के क्षेत्र में ज्ञान का न होना है, पर मुझे विश्वास था कि मैं कुछ अच्छा कर सकूँगी.पति ने सपोर्ट दिया और दिल की बात सुनने की सलाह दी. नौकरी छोड़ मैं डिज़ाइनर बन गयी. तब मेरे पास कोई फैक्ट्री नहीं थी और बुनकर किसी काम के लिए एडवांस में पैसे लेते थे, पर उन्हें मेरी डिजाईन को बनाना पसंद नहीं था, क्योंकि उन्हें मार्केट की जानकारी नहीं थी. गांव में रहकर वे एक ही डिजाईन को बार-बार बनाते थे. वे किसी नयी डिजाईन को एक्सपेरिमेंट करना नहीं चाहते थे. मेरे लिए ये सबसे बड़ी चुनौती थी.

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हैंडलूम में लगती है अधिक श्रम

असल में एक मेखला चादोर को बनाने में 25 से 30 दिन की कठिन श्रम लगते है, लेकिन उनकी मजदूरी उनके मेहनत के हिसाब से नहीं थी. इसलिए वे इस काम को छोड़ दूसरे क्षेत्र में जाना चाह रहे थे. मैंने उनकी जरूरतों को देखते हुए उन्हें अच्छी मजदूरी के साथ-साथ मुफ्त में खाना, मुफ्त में ठहरने की व्यवस्था, मेडिकल की सुविधा देनी शुरू कर दी. तब उन्हें समझ में आया कि मैं कुछ अच्छा काम उनके लिए कर रही हूँ. अभी मेरे पास 150 लूम्स है और इन सभी बुनकरों को मैं हर तरीके की सपोर्ट करती हूँ. मैंने खुद की फैक्ट्री साल 2015 में शुरू की है. अभी मुझे कोई समस्या नहीं है, बुनकर खुद काम की तलाश में मेरे पास आते है. इसमें व्यस्क ही नहीं, यूथ भी आकर काम सीख रहे है, क्योंकि उनकी बेसिक जरूरतें यहाँ पूरी हो रही है. साथ ही अच्छे और अधिक काम के लिए उन्हें इन्सेन्टिव भी देती हूँ.

मिला बुनकरों का समर्थन

अभी ये बुनकर इस इंडस्ट्री की ओर अधिक से अधिक आकर्षित हो इसकी कोशिश चल रही है. मेरा काम आसाम की मलबरी सिल्क, मूंगा सिल्क और हैंडलूम है. मैं हैंडलूम को जिन्दा रखना चाहती हूँ, क्योंकि पॉवरलूम बहुत तेजी से इस पर हावी हो रहा है और यहाँ एक मेखला चादोर को बनाने में केवल एक दिन लगता है, इसलिए ये सस्ती होती है, पर सस्टेनेबल नहीं होती. बुनकरों को सपोर्ट न करने पर हैण्डलूम एक दिन मर जायेगी. सरकार की तरफ से किसी प्रकार की कोई सहायता नहीं मिलती. इसलिए मैं अधिक से अधिक फैशन शो कर इस कला को विलुप्त होने से बचाना चाहती हूँ. हर साल दो से तीन फैशन शो करती हूँ, जो काफी खर्चीला होता है, लेकिन इसका खर्चा मैं अपनी कमाई से पूरा करती हूँ. मैने जितना कमाया, उसे इन्ही चीजों पर खर्च कर किया है. आसाम सिल्क से बने मेखला चादोर को किसी भी अवसर पर पहना जा सकता है.

सोचनी पड़ती है नयी डिजाईन

डिजाईन में नयापन लाने के लिए वह खुद डिजाईन ड्रा करती है,इस काम में एक लम्बा प्रोसेस होता है. इसके लिए उन्हें बहुत सोचना पड़ता है, इसके बाद उस डिजाईन को कम्प्यूटर पर बनाकर कार्ड्सबनाये जाते है, जिसे लूम से जोड़ा जाता है फिर डिजाईन की बुनाई कपड़ों पर होती है. इस प्रकार कई प्रोसेस से गुजर कर ही ड्रेसेज बनती है. संयुक्ता को ख़ुशी इस बात से है कि उन्हें अगले साल न्यूयार्क फैशन वीक में उनकी यूनिक पोशाक के लिए  आमंत्रित किया गया है.

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विदेशों में है इसकी मांग

संयुक्ता आगे कहती है कि कोविड में पूरा देश लॉकडाउन में था, पर मेरे फैक्ट्री का काम चलता रहा, क्योंकि बुनकर फैक्ट्री में रहते और काम करते रहे. उन्हें बाहर जाने की जरुरत नहीं थी, उनकी देखभाल मैं करती थी. ऐसे में जब लॉकडाउन खुला तो मेरे पास ही केवल ड्रेसेज थे और मैंने 3 महीने का व्यवसाय एक महीने में किया.बांग्लादेश में बहुत सारे लोग मेरे इस काम की बहुत तारीफ़ करते है और मैं उन्हें अपनी ड्रेसेज भेजती हूँ. इसके अलावा यूके, अमेरिका, इंडोनेशिया, दोहा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड आदि सभी जगहों पर मैं आसाम सिल्क को पहनना लोग चाहते है. ये लोग आसामीज नहीं, फिर भी मेखला चादोर को पहनना पसंद करते है.

Karwa Chauth Special: दही की इन 4 Tips से निखारें खूबसूरती

अपने चेहरे के नूर को दिनभर बरकरार रखने के लिए ना जाने आप क्या क्या करती होंगी, किस किस ब्यूटी प्रोडक्ट का इस्तमाल करती होंगी. अपनी इस इच्छा की पूर्ति के लिए आप लोशन, क्रीम आदि पर खूब पैसे खर्च करती होंगी. और गलती से कभी सस्ती ब्यूटी प्रोडक्ट लगा लिया तो सौंदर्य समस्याओं की चिंता.

आज हम आपको आपकी इस परेशानी का एक सरल उपाय बताने जा रहे हैं. दमकती और चमकती त्वचा के लिए आप दही का प्रयोग करें. दही आपके चेहरे पर नूर ला देगा.

दही में प्रचुर मात्रा में बैक्टीरिया, विटामिन और खनिज पाया जाता है जो कंडिशनर और स्क्रब की तरह कार्य करता है. दही में उपस्थित लैक्टिक अम्ल में जस्ता और अन्य महत्वपूर्ण खनिज होते हैं जो आपकी त्वचा के स्वास्थ्य के लिये जरूरी है.

1. मॉइस्चराजर

दही के गुण, दही कुछ ही मिनटों में आपकी त्वचा को नम कर देगा. दही को अपने चेहरे, शरीर, हाथ और पैर पर लगा लें. 15 से 20 मिनट तक छोड़ने के बाद सादे पानी से धुल दें. यह त्वचा को नम रखेगा. आप दही के साथ शहद का भी उपयोग कर सकती हैं.

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2. स्क्रबर

दही स्क्रब का प्रयोग त्वचा की रंगत और चमक को बढ़ाने के लिये किया जा सकता है. दो चम्मच दही में 3 चम्मच जौ के आटे को मिला दें. दही के फायदे, इन दोनों सामग्रियों को मिलाकर अपने चेहरे पर रगड़ें और कुछ मिनट बाद गुनगुने पानी से धुल दें. आप दही में चावल के आटे को भी मिलाकर उपयोग कर सकती हैं.

3. एजिंग एफेक्ट

उम्र बढ़ने के साथ ही चेहरे पर झुर्रियां, महीन रेखाएं और त्वचा के बेजान होने जैसी समस्याएं आना काफी सामान्य बात है. पर दही के प्रयोग से आप उम्र बढ़ने की वजह से त्वचा पर आए निशानों को काफी कम कर सकती हैं.

3 चम्मच दही में 2 चम्मच केले का लेप और एक चम्मच मसला हुआ रुचिरा लेकर इन तीनों को अच्छे से मिला लें और एक चिकना लेप बना लें. स्किन की देखभाल, इसे चेहरे पर 20 से 25 मिनट तक लगायें और फिर धुल दें और कपड़े से सुखा लें. इस मिश्रण में शहद को शामिल करना चिकनी त्वचा पाने में लाभकारी है.

4. दही फेस पैक

जब हमारी त्वचा इसके अंदर की नमी पर नियंत्रण प्राप्त नहीं कर पाती है तो इसके परिणाम काफी भयंकर हो सकते हैं. दही के इस फेस पैक की मदद से आप ठंडी हवाओं को अपनी त्वचा की नमी को छीनने से रोक सकती हैं. यह विधि सिर्फ ठण्ड के मौसम के लिए नहीं है, बल्कि आप नमी प्रदान करने वाले त्वचा के इस पैक का प्रयोग साल के किसी भी समय कर सकती हैं. आपकी त्वचा पर यह पैक काफी अच्छा असर दिखाएगा.

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भयंकर खुजली, जलन, ब्लैकहेड आपके आत्मविश्वास के स्तर को गिरा देते हैं. दही की चिकनाई और मलाई की संरचना बाह्य त्वचा को साफ त्वचा और नई परत देगा. एक रूचिरा का गूदा, 1 या 2 चम्मच दही और 2 चम्मच जैतून का तेल ले लें. इन सभी सामग्रियों को मिलाकर चिकना लेप बना लें. इससे मालिश करने के बाद 15 से 20 मिनट छोड़कर धुल दें.

मुल्तानी मिट्टी को दही के साथ मिलाने पर एक अद्भुत स्क्रब मिलता है जो मृत त्वचा कोशिकाओं को हटा देगा. अगर यह फिर भी गंदा रह जाता है तो यह प्राकृतिक चमक को घटा देता है. त्वचा की देखभाल कैसे करें, मुल्तानी मिट्टी के पैक को काटकर एक बर्तन में डाल लें, और एक चम्मच दही मिलायें. इसे उचित मोटा बनाने के लिये कुछ बूंदें शहद की मिलायें. इस मिश्रण को हिलाकर लेप बना लें. इसे 20 मिनट तक अपनी त्वचा पर लगाये रखे इसके बाद धुल दें.

शाम के नाश्ते में बनाएं ये 3 स्नैक्स

शाम का नाश्ता सेहत के लिए लाभदायक रहता है क्योंकि दोपहर और रात्रि के भोजन  में अधिक अंतर हो जाता है जिससे रात्रि में भोजन अधिक कर लिया जाता है जब कि आहार विशेषज्ञों के अनुसार रात्रि का भोजन बहुत हल्का होना चाहिए. शाम को कुछ हल्का फुल्का नाश्ता कर लेने से डिनर में भी हल्का भोजन लेना सुगम हो जाता है. परन्तु अक्सर समस्या यह रहती है कि शाम के नाश्ते में क्या बनाया जाए जो सबको पसन्द भी आये और जल्दी भी बने. आज हम आपको ऐसे ही कुछ नाश्ते बनाना बता रहे हैं जिन्हें बनाना भी आसान है और घर के सभी सदस्य रुचिपूर्वक उसे खाएंगे भी. तो आइए देखते हैं कि इन्हें कैसे बनाते हैं-

1-नूडल्स कटलेट

कितने लोगों के लिए            6

बनने में लगने वाला समय      30 मिनट

मील टाइप                            वेज

सामग्री

उबले नूडल्स              1 कप

उबला आलू                 1

शिमला मिर्च किसी        1/2 कप

किसी गाजर                  1/2 कप

बारीक कटा प्याज           1

बारीक कटी हरी मिर्च       4

किसा अदरक                 1 इंच

नमक                           स्वादानुसार

लाल मिर्च पाउडर             1/2 टीस्पून

कटा हरा धनिया              1 लच्छी

अमचूर पाउडर                 1/2 टीस्पून

चावल का आटा                1 टेबलस्पून

मैदा                                 2 टेबलस्पून

ब्रेड क्रम्ब्स                       2 टेबलस्पून

तलने के लिए तेल           पर्याप्त मात्रा में

विधि

तेल, ब्रेड क्रम्ब्स और मैदा को छोड़कर समस्त सामग्री को एक बाउल में एक साथ अच्छी तरह मिला लें. तैयार मिश्रण से गोल छोटे छोटे कटलेट बनाएं. मैदा को 1 टेबलस्पून पानी में घोल लें. तैयार कटलेट को मैदा के घोल में डुबोकर ब्रेड क्रम्ब्स में लपेट लें. अब इन्हें गर्म तेल में मद्धिम आंच पर तलकर बटर पेपर पर निकाल लें. हरी चटनी या टोमेटो सॉस के साथ सर्व करें.

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2-कलमी बड़ा

कितने लोगों के लिए             4

बनने में लगने वाला समय       30 मिनट

मील टाइप                            वेज

सामग्री

चने की दाल                  1 कप

अदरक हरी मिर्च पेस्ट       1 टीस्पून

बारीक कटा हरा धनिया      1 लच्छी

बारीक कटा प्याज              1

नमक                               स्वादानुसार

लाल मिर्च पाउडर             1/4 टीस्पून

गर्म मसाला                      1/4 टीस्पून

धनिया पाउडर                  1/2 टीस्पून

हींग                                 चुटकी भर

तलने के लिए तेल              पर्याप्त मात्रा में

विधि

चने की दाल को रात भर भिगोकर बिना पानी के पल्स मोड पर दरदरा पीस लें. अब तेल को छोड़कर समस्त सामग्री को एक बाउल में मिक्स करें. तैयार मिश्रण से गोल बड़े बनाएं. एक भगौने में गर्म पानी करें और छलनी रखकर बड़े रख दें, अब इन्हें ढककर भाप में 5 मिनट तक धीमी आंच पर पकाएं.  ठंडे होने पर बीच से काट लें और गर्म तेल में सुनहरा होने तक तलकर हरे धनिए की चटनी के साथ सर्व करें.

3-स्वीट कॉर्न फ्रिटर्स

कितने लोंगों के लिए        6

बनने में लगने वाला समय   30 मिनट

मील टाइप                         वेज

सामग्री

स्वीट कॉर्न                        2 कप

प्लेन ओट्स                      1 कप

बारीक कटा प्याज              1

बारीक कटी हरी मिर्च          4

बारीक कटा हरा धनिया       1 टीस्पून

नमक                                 स्वादानुसार

अदरक किसा                     1 इंच

तेल पर्याप्त मात्रा में

विधि

स्वीट कॉर्न को मिक्सी में दरदरा पीस लें. अब एक बाउल में तेल को छोड़कर सभी सामग्री को एकसाथ मिक्स कर लें. तैयार मिश्रण से छोटे छोटे फ्रिटर्स बनाकर गर्म तेल में सुनहरा होने तक तलकर बटर पेपर पर निकाल लें. गरमागरम फ्रिटर्स को टोमेटो सॉस के साथ सर्व करें.

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अर्टिकैरिया से छुटकारा पाना है आसान

पित्ती को चिकित्सकीय भाषा में अर्टिकैरिया कहा जाता है. अर्टिकैरिया 20% लोगों को उन के जीवन के किसी न किसी स्तर पर जरूर प्रभावित करता है. यह कई पदार्थों या स्थितियों के कारण होता है. यह त्वचा की एक प्रतिक्रिया है, जिस से चकत्ते पड़ जाते हैं और उन में खुजली होती है. यह खुजली मामूली से ले कर गंभीर स्थिति तक हो सकती है. तेज खुजलाने, शराब का सेवन करने, ऐक्सरसाइज करने और भावनात्मक तनाव से खुजली की समस्या और गंभीर हो सकती है.

अर्टिकैरिया के प्रकार

अर्टिकैरिया निम्न प्रकार के होते हैं:

ऐक्यूट अर्टिकैरिया : ऐक्यूट अर्टिकैरिया में सूजन 6 सप्ताह से कम समय तक रहती है. भोजन, दवा, संक्रमण इस के होने के सब से सामान्य कारण हैं. कीड़े के काटने और किसी आंतरिक रोग के कारण भी यह समस्या हो सकती है.

क्रौनिक अर्टिकैरिया : क्रोनिक अर्टिकैरिया में सूजन 6 सप्ताह से अधिक समय तक रहती है. इस के कारणों को पहचानना कठिन है. इस के कारण ऐक्यूट अर्टिकैरिया के समान हो सकते हैं, लेकिन इस में औटोइम्युनिटी, गंभीर संक्रमण और हारमोन असंतुलन भी सम्मिलित हो सकते हैं.

फिजिकल अर्टिकैरिया : फिजिकल अर्टिकैरिया सर्दी, गरमी, पसीने आदि के कारण हो सकता है. यह केवल उन्हीं स्थानों पर होता है जहां त्वचा इन ट्रिगरों के सीधे संपर्क में आती है.

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लक्षण –

अर्टिकैरिया के कारण निम्न लक्षण दिखाई दे सकते हैं :

– लाल, अत्यधिक खुजली वाले अंडाकार या कीड़े के आकार के  चकत्ते. चकत्तों का आकार कुछ मिलीमीटर से कई इंच तक हो सकता है.

– जब लाल चकत्ते को बीच से दबाया जाता है तो यह सफेद या पीला पड़ जाता है.

– अर्टिकैरिया के चकत्ते शरीर के किसी भी भाग पर दिखाई दे सकते हैं. ये अपना आकार बदल सकते हैं, दूसरे स्थान पर फैल सकते हैं, गायब हो सकते हैं और पुन: प्रकट हो सकते हैं. अधिकतर अर्टिकैरिया के लक्षण 24 घंटों में चले जाते हैं, लेकिन क्रौनिक अर्टिकैरिया के लक्षण कई महीनों या वर्षों तक रह सकते हैं.

ट्रिगर/कारण

अनुसंधानों में अर्टिकैरिया के  कई कारणों की पहचान की गई है, लेकिन सभी कारकों के बारे में पता नहीं है. अर्टिकैरिया के सामान्य कारक निम्न हैं :

भोजन : कई लोगों में कुछ भोज्यपदार्थ अर्टिकैरिया के  लिए ट्रिगर का कार्य करते हैं जैसे मछली, मूंगफली, अंडा, दूध आदि.

दवा : कई दवाओं से भी यह समस्या हो सकती है. ऐस्प्रिन, पेनिसिलीन और ब्लड प्रैशर की दवा से यह समस्या अधिक होती है.

सामान्य ऐलर्जन: पराग कण, पशुओं की मृत त्वचा और कीड़ों के डंक जैसे सामान्य ऐलर्जन से भी यह समस्या हो सकती है.

पर्यावरणीय कारक: इन में गरमी, सर्दी, सूर्य का प्रकाश, पानी सम्मिलित हैं. इस के अलावा ऐक्सरसाइज और भावनात्मक तनाव के कारण भी त्वचा पर पड़ने वाले दबाव से अर्टिकैरिया की समस्या हो सकती है.

चिकित्सकीय अवस्था: कभीकभी अर्टिकैरिया की समस्या ब्लड ट्रांसफ्यूजन, इम्यून तंत्र से संबंधित गड़बडि़यों, थायराइड, हारमोन की गड़बड़ी, कैंसर के  कुछ प्रकार जैसे लिंफोमा या बैक्टीरिया का संक्रमण जैसे हैपेटाइटिस, एचआईवी आदि के कारण भी हो सकती है.

आनुवंशिकता: आनुवंशिक अर्टिकैरिया के मामले कम देखे जाते हैं. यह कुछ निश्चित ब्लड प्रोटीन्स के कम स्तर या असामान्य कार्यप्रणाली से संबंधित हैं, जो इसे नियंत्रित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है कि आप का रोगप्रतिरोधक तंत्र किस प्रकार कार्य करेगा.

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डाक्टर से संपर्क

अगर अर्टिकैरिया की समस्या निम्नलिखित लक्षणों के साथ आए तो तुरंत डाक्टर से संपर्क करें :

– शरीर के कई भागों पर बड़ी संख्या में त्वचा पर चकत्ते पड़ना.

– चक्कर आना.

– सनसनाहट महसूस होना.

– सांस लेने में कष्ट होना.

– छाती में जकड़न महसूस होना.

– ऐसा महसूस होना जैसे जीभ या गले में सूजन आ गई हो.

अर्टिकैरिया का उपचार घर पर ही कुछ सामान्य सावधानियां रख कर किया जा सकता है. लेकिन अगर 5 दिन में लक्षण दूर न हो कर गंभीर हो जाए तो डाक्टर से संपर्क करें.

(डा. रोहित बत्रा, डर्मैटोलौजिस्ट ऐंड विटिलिगो ऐक्सपर्ट, सर गंगाराम हौस्पिटल, नई दिल्ली)

शादी से पहले Financial Issues पर करें बात

आपमें से कई लोगों ने डेविड धवन की फिल्म मुझसे शादी करोगी देखी होगी. इस फिल्म में सनी बार-बार समीर और रानी के बीच तरह-तरह की गलत फहमियां पैदा करने की कोशिश करता है. फिल्म में एक तरह का संदेश था कि किसी भी कपल के रिश्तों में सनी नाम की कई तरह की समस्याएं हमेशा आती हैं और रिश्तों की परीक्षा लेती रहती हैं. कई बार इनके कारण गलत फहमियां पैदा होती है जो रिश्ते टूटने तक पहुंच जाती है.

द इमोशन बिहाइंड मनी की लेखक जूली मर्फी के मुताबिक शादी में वित्तीय मामले हमेशा से दिक्कत पैदा करते हैं. मौजूदा आर्थिक संकट और बदलती जीवन शैली लोगों के रिश्तों में ज्यादा दरार डाल रही है.

कई बार नई-नई शादी होने पर पति-पत्नी वित्तीय मामलों पर ज्यादा बात नहीं करते. अगर आपकी शादी नहीं हुई है तो अपनी मंगेतर से शादी से पहले वित्तीय मामलों पर जरूर बात करें. भारत में अरेंज मैरिज होने के कारण कई बार कपल आपस में इस तरह की बातें नहीं करते हैं. लेकिन बेहतर भविष्य के लिए शुरूआत में वित्तीय मामलों पर बात करना बहुत जरूरी है.

इन मुद्दों पर बात करें

शादी के बाद की उम्मीदें

शादी के बाद न्युली वेड कपल के कई सपने होते हैं. पर क्या आपने कभी सोचा है कि इन सपनों के लिए पैसा कहां से आएगा? शायद नहीं. अगर आप जीवन भर के लिए रिश्ते में बंधने जा रहे हैं तो अपने सपने और उनको कैसे पूरे करेंगे इस पर जरूर बात करें. ये रोमांटिक नहीं है लेकिन कड़वा सच है. कितनी जल्दी आप घर खरीदने जा रहे हैं. बच्चे होने के बाद वित्तीय भार कैसे बदलेगा. क्या कोई सिर्फ एक नौकरी करेगा. क्या आप नौकरी बदलेंगे. इस तरह की बाते शुरूआत में करने पर बाद में दिक्कतें कम आती हैं.

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बचत

बचत में आपके पास भले ही 1 लाख हो या 50 लाख हो. आपको अपने पार्टनर को बताना चाहिए कि आप कितनी बचत कर रहे हैं और किस चीज के लिए. बचत कितनी जरूरी है. आप पैसे बचाने के लिए क्या-क्या त्याग कर सकते हैं? आप दोनों किस तरह का निवेश करना चाहते हैं? रिटायरमेंट की योजना भी शुरूआत से ही बनाएं. बाहर छुट्टी और इमरजेंसी फंड की व्यवस्था पर आपकी बातचीत होती रहन चाहिए.

मनी पर्सनालिटी

आप और आपके पार्टनर किस तरह के मनी पर्सनालिटी है? क्या वो खर्चीले हैं या बचत करने वाले? पैसे को लेकर क्या सोच है? किसी भी बड़े खर्च के समय ये बहुत काम आती है. अगर आप दोनों खर्चीले हैं तो पैसा बचाना मुश्किल होगा. इसलिए इस तरह के मुद्दों पर बातचीत करते रहें.

कर्ज

कर्ज एक संवेदनशील विषय है. कुछ लोग बहुत बड़ी परेशानी आने पर ही कर्ज लेते हैं तो कुछ को ये शिक्षा मिली होती है लग्जरी चीजों के लिए भी कर्ज लिया जा सकता है. रिश्तों में इस विषय पर बात करने में थोड़ी मुश्किल होती है. अगर कर्ज ले रहे हैं तो अपने पार्टनर को जरूर बताएं. बड़ी चीजों के लिए कर्ज लेने योजना से पहले उसके चुकाने के इंतजाम के बारे में सोंचे. अगले साल ये कर्ज किस तरह से आपकी स्थिति पर असर डालेगा इस पर भी विचार करें.

खर्च

अपने खर्च की स्थिति पर बात करें. अगर कार की ईएमआई भर रहे हैं, मेडिकल का खर्च उठा रहे हैं तो इसकी चर्चा करें. आपको इस बात का अंदाजा होगा कि एक महीने में आप कितना पैसा खर्च करते हैं. अगर नहीं है तो बैठकर इस बात का अंदाजा लगाएं. अपने खर्च और आय का हिसाब बिठाएं. बजट बनाकर काम करें.

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मनी मैनेजमेंट पर शुरूआत से ही बातचीत करना शुरू कर बजट, खर्च और निवेश की योजना बनाएंगे तो ये वित्तीय अनुशासन जीवन भर काम आएगा. यही नहीं आगे जाकर इससे आपको वित्तीय स्वायत्तता मिलेगी. इस मोर्चे पर टीम की तरह काम करेंगे तो जीवन में वित्तीय मौकों पर कई तरह की परेशानियों से छुटकारा मिल जाएगा.

नारी शक्ति पर अलग नजरिया पेश करने वाली पहली इंडो पोलिश फिल्म ‘‘नो मींस नो’

सिनेमा राष्ट् का ऐसा सांस्कृतिक राजदूत होता है कि सिनेमा जिस देश भी पहुंचता है, उस राष्ट् के लोगों को अपने राष्ट् की संस्कृति, गीत व संगीत से जोड़ ही लेता है. तभी तो पोलैंड के निवासी इन दिनों भारतीय खानपान व गीत संगीत के न सिर्फ दीवाने बन चुके हैं, बल्कि अब हजारों लोग हिंदी भाषा भी सीख रहे हैं. हम सभी जानते हैं कि पोलैंड एक ऐसा यूरोपीय देश है, जहां के लोग केवल पोलिश भाषा ही जानते और बोलते हैं. पोलैंड के लोग हिंदी तो क्या अंग्रेजी भाषा के भी जानकार नही है. मगर पोलैंड जैसे राष्ट् के निवासियों के बीच भारतीय संगीत, व भारतीय भोजन व हिंदी के प्रति लालायित करने का श्रेय सिक्यूरिटी गार्ड की एजंसी चलाते हुए फिल्म निर्माता व निर्देशक बनने वाले विकाश वर्मा को जाता है, जो कि पहली इंडो पोलिश फिल्म ‘‘नो मींस नो’’ लेकर आ रहे हैं. हिंदी, अंग्रेजी और पोलिश भाषाओं में एक साथ बनी फिल्म ‘‘नो मींस नो’’ का निर्माण भारत व पोलैंड के बीच सामाजिक व सांस्कृति द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत करने के साथ ही महिलाओं को उनकी शक्ति का अहसास दिलाने के साथ ही उनके अंदर उनकी आंतरिक ताकत को लेकर जागरूकता लाना मकसद है.

विकाश वर्मा के पिता और पूर्व फौजी ने 1969 में ‘सिक्यूरिटी एजंसी  की शुरूआत की थी, उससे पहले सिक्यूरिटी एजंसी का कोई कॉसेप्ट नहीं था. मशहूर फिल्म निर्देशक राज कुमार कोहली के संग बतौर सहायक काम कर रहे विकाश वर्मा ने अपने पिता के देहंात के बाद पिता की सिक्यूरिटी एजंसी को संभाला और पिछले पच्चीस तीस वर्षों में उन्होने इस क्षेत्र में कमाल का काम किया. अमरीकी प्रेसीडेट व बिल गेट्स,  वार्नर ब्रदर्स, कोलंबिया पिक्चर्स,  सेेबी से लेकर विश्व की कई हस्तियों की सिक्यूरिटी संभाल चुके विकाश वर्मा ने देश के कई खंूखार अपराधियों को पकड़वाने में भी अहम भूमिका निभा चुके हैं. तो वहीं हॉलीवुड के एक्शन सुपर स्टार स्टीवन को अपना गुरू मानने वाले विकाश वर्मा ‘लगान’,  ‘दीवानगी’,  ‘भूमि’, ‘पद्मश्री लालू प्रसाद यादव जैसी कई फिल्मों के साथ भी सहायक या एसोसिएट निर्देशक के रूप में जुड़े रहे.

फिल्म ‘‘नो मींस नो’’ की कहानी पोलैंड की एक लड़की के जीवन की सत्य घटना पर चेक गणराज्य की भाषा में लिखी गयी किताब का भारतीय करण है. फिल्म की कहानी कें कंेद्र में स्कीइंग खेल,  प्रेम कहानी, पिता व पुत्री का रिश्ता के साथ नारी सशक्तिकरण है. यह कहानी एक भारतीय लड़के राज वर्मा(ध्रुव वर्मा )की है, जो कि बेहतरीन स्कीइंग खिलाड़ी है. एक स्कीइंग प्रतियोगिता में वह पोलैंड की स्कीइंग खिलाड़ी लड़की कासिया(नतालिया बाक )को अपना दिल दे बैठता है और फिर उस लड़की के पीछे पीछे पोलैंड पहुॅकर वहां अंतरराष्ट्ीय स्कीइंग प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के साथ ही उस लड़की का भी दिल जीत लेता है. इस पर फिल्म के निर्देशक विकाश वर्मा कहते हैं-‘‘मैने एक प्रेम कहानी के माध्यम से भारत व पोलैंड,  दोनों देशों के बीच सामाजिक-सांस्कृतिक,  धार्मिक और द्विपक्षीय रिश्ते बनाने की कोशिश की है. हमने इसे बर्फीले पहाड़ों और बेहद खूबसूरत स्थलों पर किया, जिससे पोलैंड में जन-जीवन की झलक भी नजर आती है. इससे देश के पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा. ’’

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फिल्म का नाम ‘‘ नो मींस नो ’’ है,  जिससे यह अनुमान गलत होगा कि इसमें भारतीय नारी अपने शरीर के हक या सेक्स को लेकर अपनी राय की बात कर रही है. इस संबंध में खुद निर्देशक विकाश वर्मा कहते हैं-‘‘मेरी फिल्म देखकर लोगों की समझ में आएगा कि हर औरत कुछ भी कर सकती है. उसकी ताकत को कम आंकना मूर्खता है. जिसके पास विनाश करने की ताकत हो, उससे कोई नही जीत सकता. हमने इसमें नारी स्वतंत्रता और नारी सशक्तिकरण की बात की है. ’’

विकाश वर्मा आगे कहते हैं-‘‘जब कोई परिस्थिति बनती है, तो एक औरत की कोख सबसे अधिक शक्तिशाली होती है. वह जननी है. वही इंसान को क्रिएट करती है, जन्म देती है. जिस इंसान को औरत खुद जन्म देती है, आज उसी इंसान सेऔरत डरती है. मेरी फिल्म हर नारी को यह संदेश देती है कि तुम्हे किसी भी इंसान से डरने की जरुरत नही है, तुम तो उसका विनाश कर सकती हो. घर में चूल्हे पर खाना बनता है,  मगर वही अग्नि, दावानल भी है. औरत एक ऐसी शक्ति है कि यदि उस पर आपत्ति आ जाए, तो अपनी रक्षा के लिए उसने जिसे पैदा किया है, उसका विनाश भी कर सकती है. मैने अपनी फिल्म में सृष्टि को एक नारी का पेट कोख बताया है. उसे ही ब्रम्हांड बताया है. पुरूष कुछ भी पैदा नही कर सकता. जबकि पुरूष को जन्म देने वाली औरत में ऐसी शक्ति है. हमारी फिल्म का नाम ‘नो मींस नो’ जिसका अर्थ है कि नारी के आगे कुछ भी नहीं है. हमारी फिल्म की कहानी एक अबला नारी की नही है. इसमें हमने एक औरत की शक्ति को चित्रित किया है. ’’

फिल्म तो एक लड़की की सत्य कथा पर है, तो उसकी कहानी की किस बात ने आपको प्रभावित किया था?इस सवाल पर विकाश वर्मा ने कहा-‘‘मैं फिलहाल कहानी को पूरी तरह से उजागर नहीं कर सकता. भारत ही नही पूरे विश्व में पिता व बेटी के बीच जो इमोशनल संबंध होते हैं, वह है. इसी के साथ इसमें प्रकृति के खिलाफ इंसान का मुद्दा है. हम इंसान के तौर पर प्रकृति नेचर की चुनौतियों का सामना कर ही नही पाते हैं. हम बेवजह न्यूकलियर वार या अन्य युद्ध की बात करते हैं. पहले हमें प्रकृति से लड़ना सीखना होगा. अगर उस पर हमने विजय पा ली, तो हम बहुत कुछ कर सकते हैं. दूसरे देशो में क्या है?बर्फ में लोग मर जाते थे, मगर यूरोपियन ने उसी बर्फ को खेल बना लिया. वह लोग बर्फ में स्केटिंग करते हैं. उन्होने ‘विंटर स्कीइंग’खेल को जन्म दिया. मैने भी सोचा कि हमारे देश में गुलमर्ग है, शिमला है, कुलू मनाली है. इन जगहों पर ‘स्कीइंग’को लाया जाना चाहिए. स्कीइंग एक अलग और अति खूबसूरत खेल है. इस पर खर्च नही है. मैं ‘स्कीइंग’के कॉसेप्ट को अपने देश में लाना चाहता हूं, मगर किसी ने भी इसे महत्व नहीं दिया. हमारे देश में केवल क्रिकेट को ही महत्व दिया गया. पोलैंड के दो साल के बच्चे भी स्कीइंग पहनकर बर्फ में घूमते रहते हैं. बचपन से ही बच्चों को खेलों से जोड़ना चाहिए. वहां के लोग इस बात की चिंता नही करते कि हमारा दो वर्ष का बच्चा गिर जाएगा, चोट लग गयी तो?जबकि हमारे यहां हर माता पिता बच्चे को चोट न लग जाए, इस भय से सायकल भी चलाने नहीं देता. ’’

‘‘नो मींस नो’’ की पोलैंड में शूटिंग करने का क्या प्रभाव नजर आया. इस पर विकाश वर्मा ने कहा-‘‘ हम जहां शूटिंग कर रहे थे, तो हमने वहां से तीन सौ किलोमीटर दूर स्थित एक  होटल से बात कर भारतीय भोजन यानी कि चावल, दाल व सब्जी वगैरह बनवाते थे, जिसे पोलैंड के कलाकार व वहां के तकनीशियन भी खाते  थे, धीरे धीरे उनके परिवार भी सिर्फ भारतीय भोजन खाने आने लगे. बाद में पता चला कि वहां के लोग भारतीय भोजन के दीवाने हो गए हैं.  इसके अलावा हमारी फिल्म में हरिहरण ने गीत गाए हैं. एक गीत के फिल्मांकन के वक्त लोगों को गीत बहुत पसंद आया. उसके बाद हमने रेडियो पर हरिहरण का स्वरबद्ध एक गाना चलवाया,  तो उन्हे पॉंच हजार ईमेल आ गए कि यह कौन है?इस तरह पूरे यूरोप में हरिहरण मशहूर हो गए हैं. तो हमारी फिल्म की शूटिंग देखते हुए वहां के लोगो ने हिंदी भाषा सीखने की कोशिश की है. उन्हें हिंदी गानों के साथ अपनापन हो गया है. ’’

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फिल्म‘‘नो मींस नो’’ के अलावा विकाश वर्मा एक चार सौ करोड़ रूपए के बजट की फिल्म ‘‘गुड महाराजा’’ का भी निर्माण कर रहे हैं, जिसकी कुछ शूटिंग वह पोलैंड में कर चुके हैं. बाकी की शूटिंग जल्द पोलैंड में ही करेंगे. इस फिल्म में शीर्ष भूमिका संजय दत्त निभा रहे हैं. तो वहीं ध्रुव वर्मा की भी इसमें अहम भूमिका है.  फिल्म की कहानी जाम साहिब के नाम से प्रसिद्ध नवानगर,  गुजरात के महाराजा दिग्विजयसिंहजी रंजीतसिंहजी जडेजा पर आधारित है, जिन्होने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जर्मन बम विस्फोटों से बचने के लिए सोवियत रूस से निकाले गए लगभग एक हजार पोलिश बच्चों को आश्रय और शिक्षा प्रदान की थी.

फिल्म ‘‘नो मींस नो ’’में भारतीय कलाकारों गुलशन ग्रोवर,  दीप राज राणा,  शरद कपूर,  नाजिया हसन, कैट क्रिस्टियन के साथ ही पोलैंड के नतालिया बाक,  अन्ना गुजिक,  सिल्विया चेक,  पावेल चेक,  जर्सी हैंडजलिक और अन्ना एडोर जैसे कलाकारो ने अभिनय किया है.

Bigg Boss 15: #tejran पर बरसे सेलेब्स, प्रतीक साथ हिंसा को लेकर कही ये बात

बौलीवुड एक्टर सलमान खान के पौपुलर रिएलिटी शो बिग बॉस 15 (Bigg Boss 15) में प्यार और तकरार दोनों देखने को मिल रही हैं. जहां एक तरफ करण कुंद्रा और तेजस्वी प्रकाश की दोस्ती बढ़ रही है तो वहीं हाल ही में करण कुंद्रा (Karan Kundrra) का दूसरे कंटेस्टेंट प्रतीक सहजपाल (Pratik Sehajpal) पर गुस्सा देखने को मिला. हालांकि तेजस्वी ने करण का साथ दिया. इसी के चलते सोशलमीडिया पर सेलेब्स जहां करण कुंद्रा और तेजस्वी प्रकाश की क्लास लगा रहे हैं तो वहीं फैंस उनका साथ दे रहे हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

टास्क के दौरान हुई उठा-पटक

 

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दरअसल, टास्क के दौरान करण कुंद्रा और प्रतीक सहजपाल के बीच लड़ाई देखने को मिली, जिसके बाद करण ने प्रतीक का गला दबा लिया और उन्हें उठाकर पटक दिया. लेकिन तेजस्वी प्रकाश लगातार जहां करण का बचाव और साथ देते नजर आईं तो वहीं करण के दोस्त जय भानूशाली उनसे लड़ते नजर आए. हालांकि सोशलमिडिया पर भी ये लड़ाई देखने को मिली है.

 

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सेलेब्स ने लगाई क्लास

इसी बीच शो के एपिसोड के औनएयर होते ही इस हादसे ने सभी को चौंका दिया. वहीं गौहर खान, काम्या पंजाबी, नेहा भसीन और एंडी जैसे सेलेब्स ने अपनी नाराजगी जाहिर की है. वहीं कुछ लोगों ने मेकर्स को भी सख्त कदम उठाने की हिदायत दी है. दरअसल, बिग बौस ओटीटी में प्रतीक सहजपाल की खास दोस्त बनी नेहा भसीन ने करण के बारे में लिखा कि  डियर बिग बॉस हिंसा बिल्कुल ठीक नहीं है. आपके पास फुटेज है जिसमें साफ नजर आता है कि करण कुंद्रा ने जानबूझकर प्रतीक सहजपाल को पकड़ा और हिंसक तरीके से उन्हें नीचे गिराया. जीशान खान को मेरे सामने शो से बाहर किया गया था, जो कि इस हिंसा का 10 प्रतिशत भी नहीं था. प्लीज एक अच्छा उदाहरण पेश करें. वहीं गौहर खान ने तेजस्वी प्रकाश को करण कुंद्रा का साथ देने पर अनफेयर कहा है.

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Karwa Chauth Special: इन मेकअप टिप्स से सजाएं अपना लुक

टोनर, प्राइमर, फाउंडेशन, कंसीलर, हाईलाइटर, लिपस्टिक, काजल, आईलाइनर और ब्लश (वैकल्पिक) जैसे बुनियादी मेकअप उत्पादों की ही आवश्यकता होती है. आप अन्य मेकअप आइटमस जैसेकि कलर करैक्टर, ब्रोंजर, आईशैडो, फेस पाउडर आदि रखना चाह सकती हैं पर ये अनिवार्य नहीं हैं. इन के बिना भी कोई भी महिला आसानी से प्राकृतिक और परफैक्ट लुक पा सकती है.

आइए, अब हम कुछ प्रमुख मेकअप मुद्दों और उन से बचने के तरीकों के बारे में बात करते हैं, जिन का सामना अकसर करना पड़ता है:

केकी और पैची मेकअप

कई मेकअप इन्फ्लुऐंसर्स हमेशा कहते हैं कि मेकअप का मतलब थोड़ा केकी होना है और यह हमेशा त्वचा पर दिखाई देगा. लेकिन यह सच नहीं है. आप हमेशा सब से पहले और सब से महत्त्वपूर्ण यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि मेकअप लगाने से पहले आप की त्वचा के छिद्रों को छिपाया और कड़ा किया जाए. साथ ही यहां सब से महत्त्वपूर्ण बात यह है कि आप को अपनी त्वचा के दागधब्बों, काले घेरों आदि को पहचानना और अपनी त्वचा को सहारा देना है.

आप को दागधब्बों और काले घेरों को केवल उस सीमा तक ढकना है जब तक वे आप की त्वचा के साथ ब्लैंड नहीं हो जाते. अकसर महिलाएं यह सोच कर बहुत सारा फाउंडेशन और कंसीलर लगा लेती हैं कि इस से उन के दोष, काले घेरे आदि ढक जाएंगे. हालांकि यह एक अप्राकृतिक और केकी लुक देता है.

मेकअप करने से पहले सब से महत्त्वपूर्ण कदम यह सुनिश्चित करना है कि आप ने मेकअप प्रक्रिया शुरू करने से पहले टोनर, मौइस्चराइजर और प्राइमर लगा लिया है. ऐसा करना आप की त्वचा को स्मूद कैनवास में बदलने में मदद करता है. अब आप आसानी से अपना मेकअप लगा सकती हैं.

यहां और महत्त्वपूर्ण बात यह है कि जिस दिन आप ऐक्सफोलिएट करें उस दिन कोई मेकअप न करें. इस से मेकअप आप के रोमछिद्रों में प्रवेश करेगा और उन्हें बंद कर देगा. यह  2 तरह से हानिकारिक होता है- पहला यह त्वचा को नुकसान पहुंचाता है और दूसरा यह आप के मेकअप को टूटा हुआ दिखता है व पैची लुक देता है.

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इस से पहले कि आप फाउंडेशन लगाना शुरू करें उन हिस्सों को छिपाएं जिन में दागधब्बे और काले घेरे हैं. जब आप फाउंडेशन लगातार लगाएं तो याद रखें कि ब्यूटी ब्लैंडर का उपयोग कर के इसे 2-3 मिनट से अधिक समय तक ब्लैंड करें. फाउंडेशन हमेशा अपनी त्वचा के रंग का प्रयोग करें न कि हलका या गहरा रंग. आउटिंग या उत्सव के दौरान मेकअप का विचार आप की त्वचा को सुंदर दिखाना है न कि हलका या गहरा.

फाउंडेशन बहुत ज्यादा न लगाएं. इस के  2-3 पंपों का उपयोग करें और अधिक नहीं. अगर आप को लगता है कि दाग अभी भी दिखाई दे रहे हैं तो उन्हें कंसीलर से छिपाने का प्रयास करें. लेकिन अगर आप को लगता है कि फाउंडेशन की एक मोटी परत लगाने से दोष ढक जाएंगे तो ऐसा हो सकता है, लेकिन 1 या 2 घंटों के बाद आप के मूल मेकअप को बेहद केकी बना देगा खासकर तब जब आप नृत्य कर रही हों और उत्सव का आनंद ले रही हों तथा आप को पसीना आने लगे.

पैची कंसीलर

अकसर मेकअप के कुछ घंटों बाद आंखों के नीचे की जगह पैची हो जाती है, रेखाएं दिखाई देती हैं और अचानक सफेदी दिखाई देने लगती है. इस से बचने का एक आसान तरीका है कि कंसीलर को निचली पलकों और आंखों के नीचे के बीच थोड़ा सा गैप दे कर लगाएं. एक बार जब आप कंसीलर को इस तरह लगाने के बाद ब्लैंड कर लेती हैं, तो यह पूरी तरह से ब्लैंड हो जाता है, जिस से आंखों के नीचे की जगह को केकी या पैची होने से बचा जा सकता है.

इस के अलावा वाटरपू्रफ कंसीलर और फाउंडेशन का इस्तेमाल करें जो पानी या पसीने से अप्रभावित हो. आप की आंखों के नीचे पूरी तरह से मेकअप हो जाने के बाद उन क्षेत्रों पर जहां अधिक पसीना आता है, फेस पाउडर भी लगाएं.

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आईशैडो और आउटफिट

अकसर महिलाएं सूक्ष्म रूप से डिजाइन किए गए आउटफिट के साथ स्मोकी आई मेकअप करती हैं जो ओवरऔल लुक की अपील को खत्म कर देता है. साथ ही कई बार आईशैडो आउटफिट से मैच नहीं कर पाता, जिस से आप का पूरा लुक ब्लंडर हो जाता है. इस तरह की परेशानी से बचने के लिए मेकअप कलर पैलेट गाइड की जांच करें और ऐसा आई मेकअप करें जो आप के आउटफिट के रंग को कौंप्लिमैंट करे.

-दामिनी चतुर्वेदी  मेकअप आर्टिस्ट 

आयरन की कमी को न करें नजरअंदाज

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में कामकाजी महिलाएं हों या गृहिणियां हमेशा अपने स्वास्थ्य को इग्नोर करती हैं. वे दिन भर इतनी व्यस्त रहती है कि उन्हें खुद पर ध्यान देने का मौका ही नहीं मिलता.

कई बार उन्हें थकान महसूस होती है, मगर ज्यादा काम का बहाना बना कर वे उसे नजरअंदाज कर देती हैं. जबकि अकसर थकान का आभास होना शरीर में आयरन की कमी होने का संकेत होता है. यदि ज्यादा समय तक इस स्थिति को नजरअंदाज किया जाए तो धीरेधीरे शरीर में खून की कमी होने लगती है और महिलाएं ऐनीमिया से ग्रस्त हो जाती हैं. उन के हीमोग्लोबिन का स्तर नीचे चला जाता है. ऐसे में छोटी से छोटी बीमारी से भी उन्हें बचाना मुश्किल हो जाता है.

आयरन की कमी पड़ सकती है भारी

दरअसल ऐनीमिया एक बड़ी समस्या है. इस से भारत ही नहीं, पूरा विश्व जूझ रहा है. आंकड़ों के अनुसार भारत में हर 3 महिलाओं में 1 महिला ऐनीमिक है. यह कमी 15 से 49 साल की महिलाओं में अधिक है. खून की कमी के दौरान अगर कोई महिला मां बनती है तो उस का बच्चा भी ऐनीमिक हो जाता है.

इस से यह पता चलता है कि हमारे देश में आयरन और फौलिक ऐसिड सप्लिमैंट की कितनी आवश्यकता है. व्यस्त महिलाएं न तो समय पर भोजन करती हैं और न ही सही डाइट लेती हैं. उन्हें लगता है कि समय के साथसाथ जब उन्हें आराम मिलेगा वे स्वस्थ हो जाएंगी. पर क्या वह ऐसा कर पाती हैं? नहीं, उन का आत्मविश्वास जवाब देने लगता है. कई बार तो वे थकान भरे चेहरे को छिपाने के लिए मेकअप का भी सहारा लेती हैं.

अगर कोई उन के थकान भरे चेहरे का जिक्र करता भी है तो वे कुछ कह कर टाल देती है, क्योंकि उन्हें पता ही नहीं होता है कि आखिर उन में कमी क्या है और वे अपने स्वस्थ्य को इग्नोर करती जाती हैं.

वैज्ञानिक मानते हैं कि महिलाओं में थकान पुरुषों की अपेक्षा 3 गुना अधिक होती है और उन की यह थकान उन के लिए एक अलार्म है कि उन के शरीर में आयरन की कमी हो रही है.

इस बारे में मुंबई की क्रेनियो थेरैपिस्ट डा. मीता बाली बताती हैं कि अधिकतर महिलाएं बच्चे होने के बाद अपनी जिम्मेदारी केवल बच्चों की परवरिश और पति की देखभाल को ही समझती हैं. जब वे गर्भवती होती हैं तब डाक्टर के अनुसार दवा लेती हैं, लेकिन ज्यों ही बच्चा जन्म लेता है, वे अपना ध्यान बच्चे पर कंद्रित कर देती हैं और अपने की अनदेखी करती हैं.

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उन्हें अपना खयाल तब आता है जब वे थकान महसूस करती हैं. कुछ महिलाएं तो मानसिक रूप से इतनी डिप्रैस्ड होती हैं कि वे अपनी थकान के लिए अपने पति और परिवार वालों को दोषी मानती हैं और उन्हें अपनी परेशानियां नहीं बताती.

मीता बताती हैं कि महिलाएं परिवार की केंद्र बिंदु हैं, उन्हें अपनी समस्या पति और परिवार वालों से कह देनी चाहिए ताकि वे भी उन के काम में हाथ बंटाएं, क्योंकि उन के बीमार होने पर पूरा परिवार परेशान होता है. अगर महिलाएं अपनेआप को थोड़ा समय दें. साल में 1 बार अपनी जांच करवाएं तो अपने अंदर  विटामिन और मिनरल की कमी को जान कर वे आसानी से सप्लिमैंट ले सकती हैं. अगर वे ऐसा कम उम्र से शुरू कर देती हैं तो 50 के बाद भी वे मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ महसूस कर सकती हैं.

आयरन की कमी के मुख्य लक्षण

महिलाओं में आयरन की कमी के कई कारण होते हैं जिन से उन्हें थकान महसूस होती है. वैसे थकान सामान्य समस्या है, लेकिन इसे नजरअंदाज करना ठीक नहीं इस के प्रारंभिक लक्षण निम्न हैं :

– किसी काम में मन न लगना.

– दिन के अंत में उदासी छा जाना या थक जाना.

– बारबार लेटने की इच्छा होना.

– खाना खाने की इच्छा न होना.

– अधिक थकान होने पर जी मचलना.

– त्वचा का बेजान होना, चेहरे पर पीलापन आना, जिसे महिलाएं काम के बोझ की वजह से स्पा न जा सकने की वजह समझती हैं.

– बिना वजह चिडचिडापन होना.

– पीरियड्स में रक्तस्राव का बढ़ जाना.

– नाखूनों का टूटना.

– बालों का झड़ना.

थकान की कई वजहें हो सकती हैं जिन्हें समय रहते डाक्टर के पास जा कर जांच करवा  लेना आवश्यक है, कुछ वजहें निम्न हैं:

– अधिक थकान से सिरदर्द और कमजोरी के चलते चेहरे की ताजगी का लुप्त हो जाना.

– थकान की वजह कई बार शारीरिक न हो कर मानसिक भी होती है, इसलिए जीवनशैली पर ध्यान देने की जरुरत होती है.

ऐसे करें आयरन की कमी पूरी

अपने खानपान में आयरन युक्त आहार लेने के साथसाथ महिलाएं बाजार में उपलब्ध आयरन सप्लिमैंट्स का भी प्रयोग कर सकती हैं. इस के अलावा निम्न बातों का भी ध्यान रखें:

– पुरुषों से अधिक महिलाओं में आयरन की कमी देखी जाती है. शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी से ऐनीमिया होता है. लाल रक्त कोशिकाएं मस्तिष्क को ऊर्जा प्रदान करती हैं. इस में आयरन युक्त भोजन लेने की जरूरत होती है. भोजन में खासकर हरी पत्तेदार सब्जियां, चुकंदर, कद्दू, शकरकंदी, नारियल, सोयाबीन आदि जरूर शामिल हों. अगर यह संभव नहीं हैं, तो सप्लिमैंट की जरूरत पड़ती है.

– फौलिक ऐसिड की कमी से भी महिलाएं थकान महसूस करती हैं. फौलिक ऐसिड नई कोशिकाओं को विकसित करता है. यह हर महिला के लिए जरूरी होता है. खासकर गर्भावस्था में आयरन और फौलिक ऐसिड बच्चे के विकास में काफी सहायक होता है. इस से शिशु का मस्तिष्क और स्पाइनल कौड का विकास अच्छा होता है, फौलिक ऐसिड हर महिला के भोजन में होनी चाहिए, हर उम्र में लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण और ऐनीमिया से बचाव के लिए यह जरूरी होता है.

– फौलिक ऐसिड महिलाओं में ब्रैस्ट कैंसर और कोलोन कैंसर की आशंका को कम करता है.

– आयरन और फौलिक ऐसिड प्राकृतिक रूप से पाने के लिए सही मात्रा में हरी पत्तेदार सब्जियां, साबूत दालें और फल खाने की जरूरत होती है.

– आयरन और फौलिक ऐसिड की कमी से शरीर का मैटाबोलिज्म सही तरीके से काम नहीं करता, जिस के कारण पर्याप्त मात्रा में भोजन न मिलने की वजह से शरीर की ऊर्जा तेजी से खत्म हो जाती है और महिलाएं थकान महसूस करती हैं. लेकिन महिलाएं यह नहीं समझतीं. उन्हें लगता है कि बच्चे के पीछे भागतेभागते उन की यह हालत हो रही है. जब तक वे यह बात समझती हैं तब तक बहुत देर हो गई होती है.

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– कई कंपनियों में रात की शिफ्ट में भी महिलाएं काम करती हैं और सुबह घर की देखभाल. ऐसे में उन्हें सही समय पर पर्याप्त भोजन नहीं मिल पाता और वे थकान महसूस करती हैं.

– पीरियड्स के दौरान रक्तस्राव की वजह से आयरन की कमी महिलाओं में अधिक होती है. यह एक बड़ी वजह है, पर वे इस पर ध्यान नहीं देतीं, जबकि उन्हें आयरन सप्लिमैंट लेने की जरूरत होती है.

थकान को केवल उम्रदराज महिलाएं ही नहीं, बल्कि 20 से 30 साल की उम्र वाली भी फेस करती हैं. थोड़ा सा काम करने पर थक जाती हैं, व्यायाम नहीं कर सकतीं, कहीं आनेजाने से बचती हैं.

ये सारी वजहें उन की जीवनशैली और खानपान पर आधारित होती हैं, जिन्हें ठीक करना आवश्यक होता है. शाकाहारी महिलाओं में यह कमी अधिक होती है. इस से बचने और शरीर में आयरन की सही मात्रा बनाए रखने के लिए डाक्टर की सलाह से आयरन सप्लिमैंट लेने से महिलाएं रोजरोज की थकान से मुक्ति पा सकती हैं.

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