कैसे करें घर बैठे मोटी कमाई

एक मशहूर कहावत है कि ऐवरी क्राइसिस कम विद एन औपर्चयुनिटी यानी हर आपदा एक अवसर ले कर आती है. कोरोना भी एक आपदा है, लेकिन कोरोना आपदा की शक्ल में कई सारे अवसर ले कर आया है खासकर उस तरह  के व्यवसाय और काम के लिए, जो पढ़ाई, आईटी, टैक्नोलौजी से संबंधित हैं, वर्चुअल दुनिया के प्रोडक्ट हैं, डिजिटल प्रोडक्ट हैं. क्योंकि कोरोना के समय में जिस तरह से लोग एकदूसरे से दूर हो कर घर में बंद हो गए हैं, वहां पर सौफ्टवेयर, आईटी, औनलाइन डिलिविरी, वर्चुअल ऐजुकेशन, ऐप्लिकेशंस इन सब की डिमांड बढ़ी है. जूम रातोंरात करोड़पति ऐप्लिकेशन बन गई है. और भी कई ऐप्लिकेशंस का यही हाल है.

इस आपदा के समय कोचिंग का व्यवसाय भी खूब फूलफल रहा है. वैसे तो यह व्यवसाय पहले भी खूब फलफूल रहा था, लेकिन जब से स्कूलकालेज बंद हुए हैं तब से इस व्यसाय के बढ़ने की संभावना और बढ़ गई है. इसलिए अगर आप घर में खाली बैठे हैं, आप की नौकरी नहीं है या फिर आप का बिजनैस डाउन हो गया है, तो आप अपने अंदर के हुनर को तराश कर इसे बिजनैस के तौर पर शुरू कर सकते हैं. जानिए कैसे:

घर बैठे सीखें केक बनाना

घर में किसी का बर्थडे हो या फिर ऐनीवर्सरी या फिर न्यू बौर्न बेबी के वैलकम की बात हो, हर शुभ अवसर पर केक कटिंग का चलन आम हो गया है. ऐसे में कोरोना की दस्तक ने इस बिजनैस को तेजी से बढ़ाने का काम किया है. अब लोग मार्केट से केक लाने से परहेज करने लगे हैं, इस की जगह वे अपने करीबी से या फिर खुद घर पर केक बनाना ज्यादा अच्छा औप्शन सम झते हैं. ऐसे में अगर आप में केक बनाने की कला है तो आप अपने इस हुनर को खुद तक ही सीमित न रखें बल्कि दूसरों को भी सिखा कर आप अच्छाखासा पैसा कमा सकते हैं.

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इस संबंध में मेराकी होम बेकरी की दीप्ति जांगड़ा बताती हैं कि उन में केक बनाने का जनून है और उन के इस हुनर को लौकडाउन के समय काफी बढ़ावा मिला है. वे सिंपल से ले कर कस्टोमाइज्ड डिजाइनर केक तक बनाती हैं यानी जिसे जैसा केक चाहिए होता है उसी तसवीर को हूबहू केक पर उतारने की कला है उन में. उन्होंने बताया कि लोग उन के इस हुनर को बहुत अधिक प्रोत्साहित कर रहे हैं, जिस से उन में उत्साह और अधाक बढ़ गया है. यह उन की आमदनी का अच्छा साधन बन गया है, जो उन में कौन्फिडैंस बढ़ाने का काम करता है.

वे बताती हैं कि बेसिक केक सीखने के लिए क्व1,500 से क्व2,000, तो वहीं डिजाइनर केक बनाने की कला को सीखने के लिए क्व3,000 से क्व5,000 तक खर्च करने पड़ते हैं. कहने का तात्पर्य यह है कि अगर आप में हुनर है तो आप घर बैठे औनलाइन ट्रेनिंग दे कर अपनी आमदनी कर सकते हैं. यकीन मानिए इस से आप को जो खुशी मिलेगी उस का अंदाजा भी आप को नहीं होगा. बस आप को अपने हुनर को तराश कर उसे सही प्लेटफौर्म देने की जरूरत होती है.

डांस क्लासेज

डांस सदियों से पसंद किया जाता रहा है, जिस के कारण यह हमेशा से ही डिमांड में रहता है. चाहे संगीत हो या शादी या फिर पार्टी अथवा गैटटुगैदर, हर जगह डांस का अपना महत्त्व होता ही है. आज तो डांस के इतने प्रौब्लम आने लगे हैं कि उन में भाग लेने के लिए डांस की ट्रेनिंग लेनी बहुत जरूरी होती है ताकि बेहतर सीख कर अव्वल आ सकें. इस के लिए लोग मुंहमांगा पैसा देने के लिए भी तैयार रहते हैं. अगर आप किसी खास तरह के डांस जैसे हिप होप, बैलेट, फोक डांस, क्लासिक डांस इत्यादि को अच्छे से जानते हैं तो आप इस की औनलाइन ट्रेनिंग दे कर अपने स्किल्स को बढ़ाने के साथसाथ इस प्रोफैशन से अच्छाखासा कमा सकते हैं, क्योंकि घर से इस बिजनैस को शुरू करने पर इस की लागत न के बराबर ही आएगी.

पर्सनैलिटी डैवलपमैंट

कोरोना ने हर किसी को घर में बैठा दिया है, फिर चाहे बात बड़ों की हो या फिर बच्चों की, ऐसे में घर में बोरियत का माहौल हो गया है. हरकोई बदलाव चाहता है. ऐसे में अगर आप में वह है कि आप दूसरों को पर्सनैलिटी डैवलपमैंट की ट्रेनिंग दे सकते हैं तो यह समय आप के लिए गोल्डन चांस का काम करेगा, क्योंकि हर पेरैंट्स इस समय का फायदा उठा कर अपने बच्चों को सब सिखाना चाहते हैं, जिस से पढ़ाई के साथ उन की पर्सनैलिटी डैवलप हो. ऐसे में आप इस समय अपने हुनर का फायदा उठा कर औनलाइन पर्सनैलिटी डैवलपमैंट के कोर्स शुरू करें. आप औफर्स भी दे सकते हैं कि बच्चे के साथ पेरैंट्स भी अगर सीखते हैं तो आप को डिस्काउंट मिलेगा. बता दें कि पर्सनैलिटी डैवलपमैंट के कोर्सेज की काफी डिमांड रहती है. आप को अगर 3-4 लोग भी मिल गए तो भी आप महीने में क्व12,000 से क्व15,000 तक कमा लेंगे. बस जरूरत है आप को अपने हुनर को सही तरह से इस्तेमाल करने की.

कोडिंग क्लासेज

बच्चे सम झ गए हैं कि अगर टैक्नोलौजी वर्ल्ड में पहचान बनानी है तो कोडिंग से नाता जोड़ना ही पड़ेगा, क्योंकि आज के समय में टैक्नोलौजी की मदद लेनी ही पड़ती है. ऐसे में आईटी टीचर्स के लिए जहां सुनहरे अवसर खुल गए हैं वहीं बच्चों को भी इस के माध्यम से कुछ नया सीखने को मिल रहा है, जो उन के भविष्य को और उज्ज्वल बनाने का काम करेगा. बता दें कि कोडिंग प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को कहते हैं, जिस की मदद से ऐप्स, वैबसाइट व सौफ्टवेयर बना सकते हैं. कोरोना के बाद से तो कोडिंग की काफी डिमांड बढ़ी है. ऐसे में अगर आईटी से जुड़े हुए हैं और आप को कोडिंग का अच्छाखासा ज्ञान है तो आप इस में औनलाइन कोचिंग दे कर मोटा पैसा कमा सकते हैं. इस से आप के ज्ञान में वृद्धि भी होगी और आप मोटा पैसा भी कमा पाएंगे.

कैरियर काउंसलिंग

बहुत सारे बच्चे असमंजस की स्थिति में रहते हैं कि 10वीं के बाद कौन सी स्ट्रीम चुनें या फिर 12वीं के बाद किस सैक्टर में अपना कैरियर बनाएं. असल में उन पर पेरैंट्स का भी दबाव होता है और साथ ही देखादेखी भी. ऐसे में वे अपने अंदर की प्रतिभा को जान नहीं पाते और गलत निर्णय लेने के कारण कई बार उन्हें पछताना भी पड़ता है. ऐसे में कैरियर काउंसलिंग बच्चों के लिए बहुत काम की साबित होती है ताकि उन से बात कर के उन की रुचि को जान कर और उन्हें किस जगह पर दिक्कत आती है उसे गहराई से सम झ कर उन्हें किस क्षेत्र में कैरियर बनाना चाहिए, कैरियर काउंसलिंग के माध्यम से मदद की जाती है. इस से उन्हें जहां कैरियर चुनने में मदद मिलती है वहीं उन्हें सही कैरियर चुनने से आगे सक्सैस मिलने के चांसेज भी काफी बढ़ जाते हैं.

कैरियर काउंसलिंग का महत्त्व कोरोना के टाइम में तो और अधिक बढ़ गया है, क्योंकि बच्चों का कैरियर चौपट सा हो गया है. ऐसे में उन के मन के संदेह को कैरियर काउंसलिंग के माध्यम से ही दूर किया जा सकता है. इस क्षेत्र में पैसा भी अच्छाखासा मिलता है. जैसे आप ने अगर 2 घंटे बच्चे की काउंसलिंग की तो आप एक बच्चे से कम से कम 2,000 से 3,000 तक कमा लेंगे. ऐसे में अगर आप में हुनर है और आप पेरैंट्स व बच्चों को सही गाइड कर सकते हैं, तो फिर औनलाइन कैरियर काउंसलिंग कर के कमाएं पैसा.

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फिटनैस ट्रेनिंग

आज अधिकांश लोग अपनी हैल्थ को ले कर ज्यादा सजग हो गए हैं. तभी तो उन के रूटीन में जुंबा, ऐरोबिक्स, जिम आदि शामिल हो गया है. यही नहीं वे इन के लिए हर महीने हजारों रुपए खर्च करने में भी गुरेज नहीं करते. सही भी है कि अगर आप स्वस्थ हैं तभी आप जीवन को अच्छे से ऐंजौय कर पाओगे. लेकिन कोरोना ने फिटनैस पर थोड़ा ब्रेक लगा दिया है. अब लोग जिम व अन्य ऐक्सरसाइज के लिए किसी ट्रेनर के पास जा कर सीखना उचित नहीं सम झ रहे हैं. ऐसे में उन की जरूरत और आप का हुनर आप की आमदनी का साधन बना सकता है. आप जूम, मीट जैसे ऐप्स की मदद ले कर उन्हें घर बैठे फिटनेस की ट्रेनिंग दे सकते हैं. यकीन मानिए आज के समय में आप का यह हुनर बहुत फायदे का साबित होगा क्योंकि अब और लोग अपनी हैल्थ से सम झौता नहीं करना चाहते हैं. आप फीस दिनों, घंटों व कोर्स के आधार पर रख कर काफी फायदा कमा सकते हैं.

इस संबंध में एशियन इंस्टिट्यूट औफ मैडिकल साइंसेज के हैल्थ ऐंड फिटनैस कंसल्टैंट हरीश कुमार शर्मा बताते हैं कि अगर आप में फिटनैस की ट्रेनिंग देने का हुनर है तो आप इस  से पर आवर एक व्यक्ति से स्टैंडर्ड कोर्स के क्व500 से क्व800 कमा सकते हैं. कोर्स के टाइप के हिसाब से आप फीस चार्ज कर के अपनी इनकम को बढ़ा सकते हैं.

ऐंट्रैंस कोचिंग

कोचिंग का बाजार तो हमेशा से ही गरम रहा है, लेकिन अब कोरोना के कारण औनलाइन कोचिंग की डिमांड और बढ़ गई है, क्योंकि न तो पेरैंट्स अपने बच्चों की पढ़ाई में ब्रेक लगने देना चाहते हैं और न ही बच्चे खुद. ऐसे में उन्हें चाहे फिर बात हो जौइंट ऐंट्रैंस ऐग्जामिनेशन की, ग्रैजुएट ऐप्टीटूड टैस्ट इन इंजीनियरिंग या फिर बैंकिंग सैक्टर इत्यादि की, वे औनलाइन कोचिंग के जरीए खुद को तैयार कर रहे हैं ताकि किसी भी कीमत पर उन्हें हार न मिले. ऐसे में अगर आप किसी भी फील्ड में कोचिंग दे सकते हैं और आप को अच्छाखासा ज्ञान है तो आप औनलाइन ऐंट्रैंस कोचिंग दे कर घर बैठे घंटे के हिसाब से काफी अच्छा कमा सकते हैं. आज इस प्रोफैशनल से लोग प्रति महीना का हजारोंलाखों कमा रहे हैं.

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बिजनैस कोचिंग

अगर कोरोना के कारण आप की नौकरी चली गई है या फिर आप नौकरी छोड़ कर खुद का बिजनैस करना चाहते हैं, लेकिन सम झ नहीं आ रहा कि कैसे चुनें सही बिजनैस, जिस से खुद को भी मुनाफा हो और कस्टमर्स में भी अच्छी पहचान बन सके तो इस के लिए आप को बिजनैस ट्रेनर की मदद लेनी पड़ेगी ताकि आप को बिजनैस को ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए ट्रेनर से छोटी से छोटी जानकारी मिल सके. अगर आप को बिजनैस और मार्केट की अच्छीखासी जानकारी है और आप व्यक्ति से बात कर के जान सकते हैं कि उसे किस बिजनैस में सफलता मिल सकती है या नहीं, मार्केट में क्या ज्यादा डिमांड में है, तो आप औनलाइन बिजनैस कोचिंग दे कर अपनी आमदनी बढ़ाने के साथसाथ लोगों को बिजनैस शुरू करने में मदद भी कर सकते हैं.

सब्जैक्ट कोचिंग

कोरोना के कारण वर्क फ्रौम होम का कल्चर बढ़ा है. ऐसे में अगर पतिपत्नी दोनों वर्किंग हैं तो वे अपने बच्चों को पढ़ाई में पूरा टाइम नहीं दे पा रहे हैं. साथ ही स्कूल की औनलाइन क्लासेज भी मात्र खानापूर्ति ही हो रही है. ऐसे में बच्चों को कोचिंग की जरूरत पड़ रही है. अगर आप किसी भी सब्जैक्ट के ऐक्सपर्ट हैं तो आप औनलाइन सब्जैक्ट कोचिंग दे सकते हैं. इस में कम टाइम में आप ज्यादा पैसा कमा सकते हैं. आप औनलाइन ग्रुप कोचिंग भी कर सकते

हैं या फिर इनडिविजुअल भी. इस से आप के ज्ञान में भी वृद्धि होगी और आप की आमदनी  भी बढ़ेगी.

औनलाइन बिजनैस शुरू करने के लिए कैसे करें तैयारी

–  इसे शुरू करने के लिए आप सोशल मीडिया जैसे व्हाट्सऐप, फेसबुक की मदद ले कर अपने परिचितों तक इस की जानकारी पहुंचाएं. उन्हें कहें कि वे इस संदेश को आगे फौरवर्ड करें ताकि आप को अच्छा रिजल्ट मिले. इस से आप दोस्तों, सगेसंबंधियों के जरीए अजनबियों तक पहुंच बना पाएंगे.

–  3-4 फ्री क्लासेज दें ताकि सीखने वाले जान सकें कि आप में कितना हुनर है.

–  फीस सही व सटीक रखें. लेकिन अपनी मेहनत का सही मूल्य आंकना न भूलें.

–  जिस भी विषय में आप कोचिंग दे रहे हैं, उस की आप को गहराई से जानकारी होनी चाहिए. हर क्लास में आप को क्या पढ़ाना है इस की पहले से तैयारी करें ताकि अधूरी जानकारी के साथ आप लोगों के सामने खुद को प्रेजैंट न करें.

–  घर के इंटीरियर को थोड़ा बदलें ताकि बैकग्राउंड अच्छी दिखे.

–  रिसर्च अच्छे से करें ताकि आप को बिजनैस में सफलता मिले.

–  आप औनलाइन प्लेटफौर्म के जरीए बिजनैस को बढ़ाने के लिए मार्केटिंग करें.

साबुन बढ़ा सकता है पिंपल्स की प्रौब्लम

आज की भागदौड़ भरी और व्यस्त जीवनशैली का विपरीत असर चेहरे की स्किन पर पड़ता है, जिससे स्किन संबंधी समस्याएं होने लगती हैं. इन समस्याओं में पिंपल्स का होना सबसे आम है और इससे निपटने के लिए हम कई उपाय भी करते हैं.

अक्सर हम इस बात को नजरअंदाज कर देते हैं कि किस तरह हमारा फेशियल क्लेन्जर पिंपल्स से छुटकारा दिलाने के बजाय और भी नुक्सान पहुंचा रहा है. साधारण टॉयलेट सोप पिंपल्स के लिए नुक्सानदायक होने के साथ-साथ उन्हें बढ़ा भी सकता है.

सोप पिंपल्स से निपटने के लिए सही उपाय क्यों नहीं हैं?

यदि चेहरे पर पिंपल्स हैं, तो ऐसे में साबुन का इस्तेमाल करना पिंपल्स के लिए हानिकारक साबित हो सकता है. चेहरे की स्किन शरीर की बाकी स्किन की तुलना में ज्यादा संवेदनशील होती है. साबुन चेहरे के पीएच स्तर को प्रभावित करता है, जिससे स्किन रूखी नजर आने लगती है. चेहरा जब ज्यादा ड्राई हो जाता है, तब यह तेल ग्रंथियों को सक्रिय कर देता है. ऐसे में पिंपल्स पैदा करने वाले बैक्टीरिया स्किन पर पनपने लगते हैं और पिंपल्स की समस्या भी बढ़ने लगती है.

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ऐसे में हमें चाहिए एक ऐसा सोप-फ्री फेशियल क्लेन्जर जिसमें ऐसे तत्त्व हों जो पिंपल्स से छुटकारा दिला सकें. हिमालया प्यूरीफाइंग नीम फेसवाश पूरी तरह सोप-फ्री है इसलिए पिंपल्स पर हार्श नहीं होता.

पिंपल्स से छुटकारा दिलाने में किस तरह सहायक है?

हिमालया प्यूरीफाइंग नीम फेसवाश सोप फ्री फेसवाश है. यह स्किन की गंदगी को साफ करने के साथ-साथ आपके चेहरे को पिंपल्स से भी मुक्त करता है. इसमें नीम और हल्दी जैसे प्राकृतिक गुण होते हैं जो चेहरे की स्किन पर पिंपल्स के कारण पनपने वाले बैक्टीरिया से लड़ने का काम करते हैं और इस तरह पिंपल्स की समस्या से छुटकारा दिलाने में यह फेसवाश सहायक है. तो साफ-सुथरी और पिंपल फ्री स्किन पाने के लिए सोप फ्री फेसवाश अपनाने का यही है सही समय.

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Sunrise Pure स्वाद और सेहत उत्सव में आज बनाते हैं चना मसाला

फैमिली के लिए अगर आप पनीर या नौनवेज की रेसिपी की बजाय कुछ चटपटी रेसिपी ट्राय करना चाहते हैं तो चना मसाला की रेसिपी आपके लिए अच्छा औप्शन है. ये रेसिपी आप लंच या डिनर के मौके पर बनाकर फैमिली के लिए ट्राय कर सकते हैं.

सामग्री

1 कप काबुली चने उबले हुए

, 2 बड़ी इलायची,

2-3 लौंग,

1 छोटा टुकड़ा दालचीनी स्टिक,

2-3 छोटी इलायची,

1 बड़ा चम्मच घी या तेल,

1 बड़ा चम्मच अनारदाना,

1 बड़ा चम्मच जीरा,

2 हरीमिर्चें लंबाई में कटी हुई,

2 चम्मच Sunrise Pure चना मसाला पाउडर

1 छोटा चम्मच अमचूर पाउडर,

2 इंच टुकड़ा अदरक का लंबाई में कटा हुआ,

1 प्याज कटा हुआ,

1 टमाटर कटा हुआ,

थोड़े से नीबू के टुकड़े,

थोड़ी सी धनियापत्ती कटी हुई.

विधि

पैन को गरम कर जीरा और अनारदाने को बिना तेल के भूनें. ठंडा होने पर इसे पीस लें. फिर एक गहरे बरतन में तेल या घी गरम कर बड़ी इलायची, छोटी इलायची, दालचीनी व लौंग को भूनें. अब हरीमिर्च डाल कर उबले काबुली चने, धनियापत्ती,अमचूर,  Sunrise Pure चना मसाला पाउडर व नमक डाल कर अच्छी तरह मिलाएं, काबुली चनों को अच्छी तरह मैश करें. फिर उन में 1/2 कप पानी मिला कर धीमी आंच पर 10-15 मिनट पकाएं. पकने पर अदरक, प्याज व नीबू से सजा कर सर्व करें.

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बहुत देर कर दी: हानिया की दीवानी कोन थी

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बेवफाई आखिर क्यों

यूनाइटेड किंगडम के कुल्युवेन विश्वविद्यालय की प्रयोगशाला में डा. मारटेन लारमूसीयू द्वारा किए एक अध्ययन में पाया गया कि यूके की 2% संतानें गैरपिता से उत्पन्न हैं. अब प्रश्न यह उठता है कि इतने बड़े स्तर पर लोग बेवफाई में लिप्त क्यों हैं, जबकि बेवफाई, भावनात्मक व यौन विशिष्टता के संदर्भ में किए गए विवाह अनुबंध का उल्लंघन है?

वर्तमान समय में विभिन्न पत्रपत्रिकाओं द्वारा किए गए सर्वे भी इसी बात को इंगित करते हैं कि भारत में भी 25 से 30% विवाहित महिलाएं समयअसमय पर अपने पति के अतिरिक्त अन्य पुरुषों के साथ अपनी कामवासना शांत करती हैं. भले ही यह अतिशयोक्ति लगती हो, लेकिन सच को नकारा नहीं जा सकता. जो महिलाएं बहुत सीधीसादी व गंभीर दिखती हैं वे भी विवाहशादियों व सामाजिक मेलमिलाप के अवसरों पर अपने लिए किसी ऐसे व्यक्ति की खोज में रहती हैं, जो उन की कामवासना को दबेछिपे शांत कर सके.

अधिकतर लोग यह जानते हुए भी कि उन की पत्नियां उन के प्रति वफादार नहीं हैं, तो भी वे इस सत्य को सार्वजनिक रूप से स्वीकार करने से कतराते हैं. कई लोग तो जानबूझ कर भी ऐसा सिद्ध करने की कोशिश करते हैं कि उन की पत्नी उन के प्रति पूरी वफादार है.

1950 के आरंभ में किंसे द्वारा जारी किए सर्वे में बताया गया था कि  विवाह पूर्र्व शारीरिक संबंधों की तुलना में विवाहेतर संबंधों की संख्या अधिक है. किंसे ने लिखा था कि उन के द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर देने वालों में से 50% विवाहित पुरुषों के तथा 25% विवाहित महिलाओं के विवाहेतर संबंध थे.

इसी प्रकार अमेरिका में यौन व्यवहार पर आधारित जेन्स द्वारा किए गए सर्वे में एकतिहाई विवाहित पुरुष और एकचौथाई महिलाओं का विवाहेतर संबंधों में लिप्त होना पाया गया था. बेवफाई पर सब से सटीक सूचना शिकागो विश्वविद्यालय में 1972 में किए गए एक अध्ययन से आई थी, जिस में 12% पुरुष और 7% महिलाओं ने विवाहेतर संबंधों में लिप्त होना स्वीकारा था.

मनोवैज्ञानिकों का विश्वास है कि व्यक्ति न तो पूरी तरह एकल विवाही है और न ही पूरी तरह बहुविवाही. मानव विज्ञानी हेलनफिशर के मुताबिक व्यभिचार के लिए कई मनोवैज्ञानिक कारण जिम्मेदार हैं.

कुछ लोग विवाह के उपरांत भी यौन संबंधों का अभाव पाते हैं, जिस कारण वे विवाहेतर यौन संबंध कायम कर लेते हैं. कुछ लोग अपनी यौन समस्या के समाधान हेतु तो कुछ अपनी ओर ध्यानाकर्षण के लिए भी विवाहेतर संबंध कायम कर लेते हैं. कुछ लोग प्रतिशोध लेने या विवाह संबंधों को और रोचक बनाने के लिए भी विवाहेतर संबंध कायम कर लेते हैं.

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हेलनफिशन ने अपने शोध में व्यभिचार के लिए कुछ जैविक कारण भी बताए हैं. उन्होंने बताया है कि इनसान के मस्तिष्क में 2 प्रणालियां हैं. एक प्रणाली प्रेमालाप और लगाव से जुड़ी है, तो दूसरी पूर्णतया यौन आचरण से. कभीकभी दोनों प्रणालियों का तालमेल टूट जाता है, जिस के कारण बिना भावनात्मक लगाव के व्यक्ति यौन संतुष्टि प्राप्त करने में सक्षम नहीं होता.

सोशल मीडिया पर प्रतिदिन 18 लाख व्यक्ति केवल सैक्स चर्चा करते हैं. बेवफाई के प्रत्येक मामले में व्यक्ति का एक अलग उद्देश्य हो सकता है, लेकिन बेवफाई की मुख्यरूप से 5 श्रेणियां हैं-

अवसरवादी बेवफाई: अवसरवादी बेवफाई तब लागू होती है जब कोई व्यक्ति अपने जीवनसाथी के प्रति समर्पित तो होता है, किंतु अपनी यौनेच्छा पूरी करने के लिए वह किसी अन्य से यौन संबंध स्थापित कर लेता है.

अनिवार्य बेवफाई: यह स्थिति तब पैदा होती है जब कोई व्यक्ति अपने धोखेबाज जीवनसाथी के प्रेम से पूर्णतया ऊब जाता है. तब उस के लिए यह जरूरी हो जाता है कि वह भी किसी अन्य के साथ यौन संबंध बनाए.

विरोधाभासी बेवफाई: यह स्थिति तब पैदा होती है जब कोई व्यक्ति अपने जीवनसाथी के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध रहता है, किंतु अपनी प्रबल यौनेच्छा के कारण समयसमय पर अन्य से भी यौन संबंध बनाता रहता है.

संबंधनिष्ट बेवफाई: यह स्थिति तब पैदा होती है जब कोई व्यक्ति अपने वैवाहिक संबंधों के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध रहता है, लेकिन जीवनसाथी से कोई अपनत्व न मिलने के कारण वह किसी अन्य से यौन संबंध स्थापित कर लेता है.

रोमांटिक बेवफाई: यह स्थिति तब पैदा होती है जब कोई व्यक्ति अपने जीवनसाथी से प्रतिबद्ध रहते हुए कई अन्य के साथ रोमांस करता रहता है.

लेकिन इन सभी प्रकार की बेवफाई हर हाल में दुष्परिणाम ही देती है. ऐसे संबंधों

के उजागर होने पर बेइज्जती, आत्मग्लानी, मानसिक तनाव, पारिवारिक संबंधों में बिखराव, मुकदमेबाजी सहित और कई परेशानियां पैदा हो सकती हैं.

बेवफाई हर युग में होती रही है पर आज औरतों के अधिकार ज्यादा हैं. अत: वे ज्यादा रिस्क भी लेती हैं और बेवफाई करने वाले साथी को छोड़ती भी नहीं है. उचित यही है कि आप अपने जीवनसाथी के प्रति ईमानदार रहें. अगर कोई परेशानी है तो पहले तो कोशिश करें उसे बातचीत से हल किया जाए और बेवफाई को जीवन का अंत न समझा जाए. फिर विवाह विशेषज्ञों से बात करें. अलग रहने या तलाक लेने की बात तब करें जब साथी लगातार बेवफाई कर रहा हो.

– डा. प्रेमपाल सिंह वाल्यान

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Winter Special: नहीं सताएगा जोड़ों का दर्द

शरीर के मजबूत जोड़ हमें सक्रिय रखते हैं और चलने-फिरने में मदद करते हैं. जोड़ों को मजबूत और स्वस्थ बनाए रखने के लिए क्या जरूरी है, इस बारे में सटीक जानकारी जरूरी है. जोड़ों की देखभाल और मांसपेशियों तथा हड्डियों को मजबूत रखने के लिए सबसे अच्छा तरीका है, स्थिर रहें. जोड़ों को स्वस्थ रखने के लिए यहां कुछ ऐसे सुझाव दिए गए हैं, जिन्हें आजमा कर आप अपनी सर्दियां बिना किसी दर्द के काट सकते हैं…

1. जोड़ों को स्वस्थ रखने के लिए सबसे जरूरी है शरीर के वजन को नियंत्रण में रखना. शरीर का अतिरिक्त वजन हमारे जोड़ों, विशेषकर घुटने के जोड़ों पर दबाव बनाता है.

2. व्यायाम से अतिरिक्त वजन को कम करने और वजन को सामान्य बनाए रखने में मदद मिल सकती है. कम प्रभाव वाले व्यायाम जैसे तैराकी या साइकिल चलाने का अभ्यास करें.

3. वैसे लोग जो अधिक समय तक कंप्यूटर पर बैठे रहते हैं, उनके जोड़ों में दर्द होने की संभावना अधिक रहती है. जोड़ों को मजबूत बनाने के लिए अपनी स्थिति को लगातार बदलते रहिए.

4. व्यायाम उपास्थि के पोषण में मदद करता है. यदि व्यायाम को खुशी के साथ किया जाए तो एंडॉर्फिन नामक हॉर्मोन निकलता है, जो आपको स्वस्थ होने का अनुभव देता है. एक दिन में कम से कम 20-40 मिनट तक जरूर टहलें.

5. मजबूत मांसपेशियां जोड़ों का समर्थन करती हैं. यदि आपकी मांसपेशियां कमजोर हैं, तो इससे आपके जोड़ों में विशेष रूप से रीढ़ की हड्डी, कूल्हों और घुटनों में दर्द होगा.

6. बैठने का सही तरीका भी आपके कूल्हे और पीठ की मांसपेशियों की रक्षा करने में मदद करता है. कंधों को झुकाकर न खड़े हों. सीढ़ी चढ़ना दिल के लिए अच्छा है, लेकिन अगर सीढ़ी अप्राकृतिक है, तो यह आपके घुटनों को नुकसान पहुंचा सकती है.

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7. स्वस्थ आहार खाना आपके जोड़ों के लिए अच्छा है. यह मजबूत हड्डियों और मांसपेशियों के निर्माण में मदद करता है. हमें हड्डियों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए कैल्शियम की जरूरत होती है.

8. अगर आपको नियमित भोजन से जरूरी मिनरल लेने में समस्या हो रही है, तो सप्लिमेंट ले सकते हैं. वर्तमान में, निर्धारित जरूरत के अनुसार 50 साल की उम्र तक के वयस्क पुरुषों और महिलाओं को नियमित रूप से 1,000 मिलीग्राम कैल्शियम और 50 के बाद नियमित रूप से 1,200 मिलीग्राम कैल्शियम की जरूरत होती है.

9. 71 साल की आयु के बाद 1,200 मिलीग्राम कैल्शियम पुरुष और महिला दोनों ले सकते हैं. इसे आप दूध, दही, ब्रोकली, हरी पत्तेदार सब्जी, कमल स्टेम, तिल के बीज, अंजीर और सोया या बादाम दूध जैसे पौष्टिक आहार को खाद्य पदार्थ के रूप में शामिल कर कैल्शियम की जरूरत पूरी कर सकते हैं.

10. हड्डियों और जोड़ों को स्वस्थ रखने के लिए विटामिन डी की जरूरत होती है. आप जो आहार खाते हैं, उसमें विटामिन डी शरीर में कैल्शियम का अवशोषण में मदद करता है. यह हड्डियों के विकास और हड्डी के ढांचे को सक्षम बनाता है.

11. विटामिन डी की कमी मांसपेशियों की कमजोरी का कारण बनता है, जो उम्र बढ़ने के साथ हड्डियों के क्षतिग्रस्त होने के लिए जिम्मेदार होता है. विटामिन डी का सबसे अच्छा स्रोत सूरज की रोशनी है. डेयरी उत्पाद और कई अनाज, सोया दूध और बादाम के दूध में विटामिन डी प्रचुर मात्रा में होता है.

12. जो लोग धूम्रपान करते हैं, उनमें हड्डियों का घनत्व कम होता है और उनके फ्रैक्चर होने की संभावनाएं ज्यादा होती हैं. यह संभवत: कैल्शियम के अवशोषण और हड्डियों के विकास और शक्ति को प्रभावित करने वाले एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन के उत्पादन को कम करने से संबंधित है, जो हड्डियों के विकास और मजबूती के लिए जिम्मेदार होते हैं.

13. समय-समय पर अपने चिकित्सक से मिलते रहें. रक्त में यूरिक एसिड के स्तर की जांच नियमित रूप से कराते रहें.

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अनुज को छोड़ बौस बनीं Anupama, फोटोज हुई वायरल

सीरियल अनुपमा में इन दिनों हाईवोल्टेड ड्रामा देखने को मिल रहा है, जिसके चलते शो की टीआरपी पहले नंबर पर बनी हुई है. वहीं शो के सितारे अपने फैंस को एंटरटेन करने के लिए सोशलमीडिया पर भी काफी एक्टिव नजर आ रहे हैं. इसी बीच अनुपमा के किरदार में नजर आने वाली रुपाली गांगुली के फोटोशूट की फोटोज काफी वायरल हो रही है, जिसमें वह लेडी बौस के लुक में नजर आ रही हैं. आइए आपको दिखाते हैं  रुपाली गांगुली की लेटेस्ट फोटोज…

बौस बनीं रुपाली गांगुली

 

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हाल ही में अनुपमा यानी रुपाली गांगुली ने एक फोटोशूट की फोटोज फैंस के साथ शेयर की हैं, जिसमें वह बौस लुक में नजर आ रही हैं. ब्लैक पैंट, टौप और प्रिंटेड श्रग पहनें, रुपाली गांगुली का लुक बेहद स्टाइलिश लग रहा है. वहीं फैंस फोटोज देखकर अंदाजा लगा रहे हैं कि यह उनके सीरियल में अपकमिंग लुक है.

 

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नए-नए फैशन कर रही हैं ट्राय

 

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अनुपमा की सिंपल बहू लुक से हटकर रुपाली गांगुली नए-नए लुक ट्राय कर रही हैं. ड्रैसेस से लेकर वह इन दिनों मौर्डन लुक में फैंस का दिल जीत रही हैं. वहीं फैंस उनके नए लुक में तारीफें कर रहे हैं.

अनुपमा के लुक में भी फैंस कर रहे हैं पसंद

 

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अनुपमा के रुप में दर्शकों को रुपाली गांगुली के कई लुक देखने को मिले हैं. वहीं अनुज की एंट्री के बाद अनुपमा के बदले लुक को भी फैंस को काफी पसंद किया है.

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अपना स्वास्थ्य करें सुरक्षित

महिलाएं ही अपने परिवार में स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देती हैं और सभी का खयाल रखती हैं, मगर वे कामकाजी और पारिवारिक जीवन में इतनी व्यस्त हो जाती हैं कि दोनों को संभालने के चक्कर में अपने स्वास्थ्य को नजरअंदाज करती हैं. ज्यादातर महिलाओं को इस बात का एहसास नहीं होता कि वे अपने परिवार के स्वास्थ्य का खयाल अच्छी तरह तभी रख सकती हैं, जब वे खुद बिलकुल स्वस्थ होंगी.

ऐसे में स्वास्थ्य बीमा की जरूरत को भी समझना बहुत जरूरी हो जाता है, जो आप को किसी भी मैडिकल आपात स्थिति में बड़े संकट से बचा सकता है. जांच में कोई बड़ी बीमारी निकल आए तो उस से न सिर्फ आप के स्वास्थ्य को नुकसान होता है, बल्कि वह आप की पूरी जिंदगी को भी खराब कर सकती है. आज मैडिकल इलाज बहुत महंगा हो गया है. इतना महंगा कि व्यक्ति के लिए स्वास्थ्य बीमा के बिना अपने दम पर इतना वित्तीय बोझ वहन करना मुमकिन नहीं है.

स्वास्थ्य बीमा सभी आयुवर्गों के लिए उपयोगी होता है. युवा लड़कियां स्वयं और अपने मातापिता के लिए स्वास्थ्य बीमा ले सकती हैं, जबकि विवाहित महिलाएं स्वयं और अपने नए परिवार के लिए स्वास्थ्य बीमा का विकल्प चुन सकती हैं.

क्या है स्वास्थ्य बीमा

स्वास्थ्य बीमा एक व्यापक कौन्सैप्ट है, जो लोगों को किसी अप्रत्याशित मैडिकल आपदा और उस पर होने वाले खर्च से सुरक्षा प्रदान करता है. आज बाजार में ऐसी कई योजनाएं मौजूद हैं, जिन में कवर, लाभ इत्यादि उपलब्ध हैं, लेकिन सभी में कुछ न कुछ अंतर होता है.

महिलाओं के लिए स्वास्थ्य बीमा

बाजार में महिलाओं पर केंद्रित कई अनूठी योजनाएं उपलब्ध हैं, जो सिर्फ उन की जरूरतों और गंभीर बीमारियों को कवर करती हैं. हालांकि बाजार में उपलब्ध इन योजनाओं के लिए कोई विशेष प्रीमियम मूल्य नहीं है.

सभी स्वास्थ्य बीमा कंपनियां महिलाओं पर केंद्रित उत्पाद उपलब्ध नहीं करातीं, लेकिन कंपनियों की नीतियों में मैटरनिटी बैनिफिट शामिल होता है. कंपनियों की नई योजनाएं विभिन्न आयुवर्गों की महिलाओं और उन के जीवन के कई चरणों के लिए हैं. बाजार में उपलब्ध प्रत्येक पौलिसी दूसरी पौलिसी से अलग होती है. पौलिसी के कुछ सामान्य प्रावधान निम्नलिखित हैं:

– बीमा कंपनी के नैटवर्क के अस्पतालों में कैशलैस हौस्पिटलाइजेशन.

– अस्पताल में भरती होने से पहले या भरती होने के दौरान आने वाला खर्च.

– अधिकृत केंद्रों पर हैल्थ चैकअप की लागत.

– मैटरनिटी बैनिफिट, जो अस्पताल में भरती होने का खर्च भी कवर करता है. जन्म से पूर्व और जन्म के बाद होने वाला खर्च शामिल.

– ऐसी पौलिसी, जो आप के परिवार को भी कवर करे. पौलिसीधारक को कैंसर, हार्टअटैक, स्ट्रोक और गुरदे खराब होने जैसी गंभीर बीमारी होने पर संपूर्ण भुगतान.

– धारा 80 डी के तहत लाभ.

– पौलिसी में महिलाओं की गंभीर बीमारियां जैसे स्तन कैंसर, सर्वाइकल कैंसर और स्पौंडिलाइटिस आदि भी कवर होता है.

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अविवाहित/विवाहित महिलाओं के लिए स्वास्थ्य बीमा

अविवाहित या विवाहित महिलाओं द्वारा उठाया जाने वाला मैडिकल खर्च काफी अधिक होता है. अगर उन के परिवार में किसी को गंभीर बीमारी हो जाए, जिस के इलाज पर काफी रकम खर्च करने की जरूरत हो तो एक समग्र हैल्थकेयर योजना और एक गंभीर बीमारी योजना परिवार को ऐसे समय में वित्तीय मदद उपलब्ध कराती है.

अगर आप अकेले ही बच्चों की जिम्मेदारी उठा रही हैं तो स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के जरीए निम्तलिखित लाभ उठा सकती हैं:

– व्यापक स्वास्थ्य कवर के तहत आप के साथ आप का बच्चा भी कवर हो सकता है.

– एक ही कवर में चाइल्ड केयर बैनिफिट भी उपलब्ध हो सकता है.

– इस कवर में 12 वर्ष की आयु तक वैक्सिनेशन शुल्क भी शामिल.

– आप अपने सिंगल कवर के तहत अपने बच्चों के साथ ही अपने अभिभावकों को भी शामिल कर सकती हैं.

– किसी भी गंभीर बीमारी की स्थिति में अस्पताल में इलाज पर होने वाला पूरा खर्च शामिल.

नवविवाहित युगल के लिए स्वास्थ्य बीमा

नवविवाहित महिलाएं ऐसा बीमा योजना चुन सकती हैं कि जब अपना परिवार आगे बढ़ाने की योजना बनाएं तो मैटरनिटी बैनिफिट ले सकें. युगल मैटरनिटी लाभ तभी ले सकते हैं, जब पति और पत्नी को यह योजना लिए कम से कम 2 साल का समय बीत गया हो.

संयुक्त परिवार में रहने वाली महिलाओं के लिए स्वास्थ्य बीमा अगर कोई महिला संयुक्त परिवार में रहती है तो उस के लिए भी बाजार में ऐसी पौलिसियां हैं, जो एक बार में 15 लोगों को कवर कर सकती हैं जैसे स्वयं, पति, उन पर निर्भर लोग (25 वर्ष तक की आयु के अविवाहित) या फिर उन पर निर्भर नहीं रहने वाले बच्चे, उन पर निर्भर या निर्भर नहीं रहने वाले अभिभावाक, निर्भर रहने वाले भाईबहन, बहुएं, दामाद, सासससुर, दादादादी और पोतेपोती (अधिकतम 15 सदस्य तक).

वरिष्ठ नागरिकों के लिए स्वास्थ्य बीमा

वरिष्ठ महिला नागरिक किसी बीमारी के इलाज के लिए अस्पताल में भरती होने पर स्वास्थ्य बीमा का लाभ उठा सकती हैं. अस्पताल से आने के बाद नर्सिंग जैसी सेवाएं भी उपलब्ध कराई जाती हैं और ये सेवाएं उस समय बहुत काम आती हैं, जब घर में उन की देखभाल करने वाला कोई नहीं हो. कुछ पौलिसियों में नई पौलिसी खरीदने के लिए कोई उम्र सीमा नहीं होती. हालांकि उस के तहत व्यक्ति को दिए जाने वाले लाभ पौलिसी दर पौलिसी बदल सकते हैं.

बीमित रकम और भुगतान किया जाने वाला प्रीमियम

स्वास्थ्य बीमा पौलिसी का प्रीमियम योजना, प्लान, कवरेज की सीमा और बीमित रकम के साथ ही व्यक्ति की उम्र पर भी निर्भर करता है व इसी के अनुसार बढ़ या घट सकता है. प्रीमियम का भुगतान ईसीएस, कैश, चैक और डायरैक्ट औनलाइन भी किया जा सकता है.

दावों का निबटान

बीमाकर्ता पौलिसीधारक को विस्तृत दिशानिर्देश उपलब्ध कराते हैं, जिन में लिखा होता है कि दावे के लिए उन्हें क्या करना है. अस्पताल में भरती दावों के लिए बीमा कंपनी के नैटवर्क में शामिल अस्पतालों में कैशलैस सुविधा उपलब्ध  होती है. इन अस्पतालों को सूची बीमाधारक को पौलिसी लेते समय ही उपलब्ध करा दी जाती है. अगर बीमाकंपनी के नैटवर्क में शामिल अस्पतालों के अतिरिक्त कहीं और इलाज कराया तो बीमाधारक को दावों का भुगतान प्रतिपूर्ति के आधार पर करना होता है.

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कैसे खरीदें पौलिसी

पौलिसी की खरीद औनलाइन भी की जा सकती है. इस के अतिरिक्त आप बीमा कंपनी की अपने नजदीक की शाखा या कौल सैंटर पर भी कौल कर सकते हैं. उस के बाद वे एक उपयुक्त अधिकारी को आप से संपर्क करने को कहेंगे, जो आप को उस योजना की विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराएगा.

बीमाकर्ता का चयन कैसे करें

व्यक्ति को बीमा हमेशा अच्छी साख वाली बीमा कंपनी से ही लेना चाहिए, जिन की सेवा और दावे निबटान का रिकौर्ड बहुत अच्छा हो, क्योंकि ये बातें उस समय बहुत महत्त्वपूर्ण हो जाती हैं, जब वास्तव में आप को अपने बीमा का इस्तेमाल करने की जरूरत होती है. सस्ती पौलिसी जरूरी नहीं कि हमेशा अच्छी हो. ऐसी पौलिसी चुनें, जो कवरेज और बीमित रकम के लिहाज से आप की जरूरतों को पूरा करती हो. पूरी विवरणिका और पौलिसी के नियमों व शर्तों को ध्यान से पढ़ें, जिस से आप को निबटान इंतजार की अवधि, क्या शामिल नहीं है और पौलिसी में कितनी सीमा है जैसी जानकारी मिल सके. किसी भी पौलिसी पर हस्ताक्षर करने से पहले अच्छी तरह सोच समझ लें.

(श्रीराज देशपांडे, प्रमुख (स्वास्थ्य बीमा) फ्यूचर जेनेराली इंडिया इंश्योरैंस कंपनी लिमिटेड)

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Winter Special: फैमिली के लिए बनाएं शाही पनीर

डिनर या लंच के मौके पर अगर आप अपनी फैमिली के लिए कुछ टेस्टी रेसिपी ट्राय करना चाहते हैं तो शाही पनीर की रेसिपी ट्राय करें.

सामग्री

–  300 ग्राम पनीर के टुकड़े –  6 बड़े टमाटर कटे

–  8-10 काजू –  1 इलायची –  1 तेजपत्ता

–  3-4 कालीमिर्च –  1 टुकड़ा दालचीनी

–  1/2 कप पानी –  1 छोटा चम्मच लालमिर्च

–  2 छोटे चम्मच बटर –  1 छोटा चम्मच तेल

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–  1 छोटा चम्मच जीरा –  1/4 कप क्रीम

–  नमक स्वादानुसार.

विधि

टमाटर, काजू, मोटी इलायची, तेजपत्ता, काली मिर्च, दालचीनी, 1/2 कप पानी डाल कर 1 सीटी लगा लें. प्रेशर ड्रौप और ठंडा होने पर अच्छे से ग्राइंड कर लें और छान लें. अब पैन में बटर और तेल गरम कर जीरा तड़काएं और तैयार मिश्रण के साथ सभी पिसे मसाले डाल कर भूनें. अब पनीर के टुकड़े मिला कर जरूरतानुसार पानी मिलाएं और कुछ देर भून कर सर्विंग डिश में निकालें. क्रीम से गार्निश कर नान के साथ परोसें.

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अभियुक्त: भाग 3- सुमि ने क्या देखा था

शैलेंद्र का चेहरा सफेद पड़ गया, ‘‘चाचीजी, बड़ा मुश्किल सवाल किया आप ने.’’

‘‘मुश्किल होगा तेरे लिए. मैं तो इस का जवाब जानती हूं. तभी तो कहती हूं तेरे संस्कार सदियों पुराने हैं. औरतें तो हों सीता जैसी जो अग्निपरीक्षा भी पास कर लें और आदमी हो रावण जैसे जो दूसरों की औरतों को उठा लाएं.’’

शैलेंद्र चाचीजी की बात पर हंस दिया, ‘‘चाचीजी, इतनी बार आप ने मुझे माफ किया है, इस बार भी कर दो. सुमि को समझाना अब आप की जिम्मेदारी है.’’

चाचीजी का चेहरा गंभीर हो गया. भोली सी बच्ची शैलेंद्र की नादानी का सदमा ले बैठी थी. चाचीजी सुमि से पूछपूछ कर उस की पसंद के व्यंजन बनातीं तो वह उन्हें अभिभूत हो कर देखती रहती. सीधे पल्ले की सूती साड़ी, गोरा, गोल, आनंददीप्त चेहरा. सिर से पांव तक चाचीजी ममता की मूर्ति थीं. मां जैसी वह उस की देखभाल करतीं. अधिकारपूर्ण वाणी में उसे आदेश देतीं. कभी बड़ी बहन बन कर उस के रूखे बालों में तेल मलतीं, कभी सहेली बन कर गांव, खेतखलिहान की सैकड़ों बातें करतीं.

सुमि की चुप्पी धीरेधीरे टूटने लगी. चाचीजी को ले कर एक भय था मन में, जो कब का खत्म हो गया. अब तो उसे लगता कि बस, चाचीजी यहीं रह जाएं.

‘‘सुमि,’’ चाचीजी उस दिन उस के लिए खीर बना रही थीं, ‘‘गांव में अपना सबकुछ है. दूध, मक्खन, घी, कितना वैभव है. यहां पनियल दूध की खीर बनाना बहुत तकलीफ दे रहा है. दूध औटा कर आधा कर लिया फिर भी ऐसे उबल रहा है जैसे पानी.’’

सुमि मुसकरा दी, ‘‘अब इस से गाढ़ी यह नहीं हो पाएगी,’’ उस ने गैस बंद कर दी.

‘‘चलो, बेटी, दो घड़ी आराम कर लें फिर खाना खाएंगे.’’

‘‘जी,’’ सुमि उन के साथ शयनकक्ष तक चली आई.

‘‘चाचीजी,’’ सुमि लाड़ से उन का आंचल अपनी उंगली में लपेटते हुए बोली.

‘‘आप सचमुच आदर्श हैं. शैलेंद्र आप की तारीफ अकसर किया करते थे. शादी के बाद मैं 4 दिन आप के पास रही पर अब लगता है काश, वहीं रहती.’’

‘‘पगली कहीं की,’’ चाचीजी उसे अंक में भर कर बोलीं, ‘‘फिर मेरे शैलेंद्र का खयाल कौन रखता. शादी के शुरुआती दिनों में पतिपत्नी को एकदूसरे के पास ही रहना चाहिए. गांव वालों ने मुझ से कितना कहा कि बहू को कम से कम 1 महीना अपने पास ही रखो पर मैं ने किसी की नहीं सुनी.’’

‘‘चाचीजी, आप तो अंतर्यामी हैं. निपट देहात में रह कर आप इतनी आधुनिक बातें कैसे समझ लेती हैं? शैलेंद्र कहते हैं, आप बहुत बड़ी मनोवैज्ञानिक हैं.’’

चाचीजी सकुचा गईं फिर बोलीं, ‘‘बसबस, अब चने के झाड़ पर मत चढ़ा. और तू जिसे मनोविज्ञान कहती है वह मेरे लिए कड़वेमीठे अनुभवों का निचोड़ भर है. 21 साल की उम्र में पति और जेठजेठानी की मृत्यु. बूढ़ी सास की जहर उगलती जबान, मुझे मनहूस समझ कर पड़ोसियों का सुबह से छिपना. एकएक अनुभव हृदय पर अमिट परिभाषाएं लिखता रहा. मानव के अबूझ व्यवहार की, धर्म के नाम पर किए जाने वाले ढकोसलों की, झूठे चरित्र की…’’

‘‘चाचीजी…’’ बीच में टोकते हुए सुमि की आवाज कांप गई.

‘‘ठीक कह रही हूं, सुमि, एक परीक्षा से गुजरते ही दूसरी सामने खड़ी हो जाती. अनगिनत परीक्षाएं दीं मैं ने. पर एक बात सोलह आने सच है कि समाज के सामने ताल ठोंक कर खड़े हो जाना फिर भी आसान था. लेकिन अपनेआप से लड़ना बहुत ही मुश्किल.’’

चाचीजी ने एक गहरी सांस ली. फिर कहने लगीं, ‘‘मेरा धर्म मुझे संयम सिखाता रहा, संस्कार गलत काम करने से रोकते रहे लेकिन 25 साल की उम्र और विवाह के सुखभरे 2 साल…खेत में हिसाब- किताब देखने वाला मोहनलाल उन दिनों मेरे संयम की मजबूत चट्टान को हिला रहा था. लाख रामनाम जपा. रामायणगीता पढ़ी पर सब बेकार…और एक रात जब वह मुझे हिसाब के रुपए देने आया उस ने…नहीं, यह कहना गलत होगा, बल्कि मैं ने ही उसे मौका दे दिया. मन मुझे पीछे धकेल रहा था पर शरीर कुछ भी सुनने को तैयार नहीं था. पता नहीं उस दिन कैसे इतनी कमजोर पड़ गई थी मैं. सुबह उठ कर इतनी शरम आई कि मुंह अंधेरे बावड़ी की ओर चल दी.

लेकिन कूदने से पहले शैलेंद्र की याद ने मेरे पैरों में बेडि़यां डाल दीं. मैं मर जाती तो वह बेचारा जीतेजी मर जाता. माना कि मेरी गलती बहुत बड़ी थी पर सजा तो शैलेंद्र को ही भुगतनी पड़ती न. मैं तो अपनी बदकिस्मती से पल भर में मुक्त हो जाती पर उस की भी किस्मत के दरवाजे बंद कर जाती. अबोध शैलेंद्र क्या पता उसे यह जमीनजायदाद मिलती भी या चालाकी से ये मुलाजिम ही सब डकार जाते.’’

सुमि शांत मन से चाची द्वारा कहे एकएक शब्द को सुन रही थी.

‘‘बहुत नफरत हो रही है न मुझ से?’’ चाचीजी ने उसे टटोला.

‘‘नफरत,’’ सुमि को सोचना पड़ा. कम उम्र में आवेश को नकारना सहज नहीं होता. उसे मानना ही पड़ा.

‘‘उस कमजोरी को यदि मैं ताकत में न बदलती तो इस घटना की मुझे बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती. मोहनलाल को मैं ने नौकरी से हटा दिया. अपना आचरण संयमित कर लिया और मन ममतामय. कोशिश की कि कोई भी मुझे भोग्या न समझे बल्कि मां की तरह आदरणीय समझे.’’

कुछ देर रुक कर चाचीजी ने गहरी सांस ली, ‘‘सुमि, राह चलते पैरों में कीचड़ लग जाए तो कोई पांव काट कर नहीं फेंक देता. पवित्रता का महत्त्व जरूर है पर जीवन की कीमत पर नहीं.’’

‘‘चाचीजी,’’ सुमि उन के कंधे से लग कर फूटफूट कर रोने लगी.

‘‘शैलेंद्र से भी गलती हुई है. लेकिन वह तुम से बहुत प्यार करता है. उस गलती के लिए तुम 3 जिंदगियां दांव पर लगाने की गलती मत करो. तुम, वह और यह नन्ही सी जान, सब बिखर जाएंगे. वह तो तुम से माफी मांग ही चुका है, उस की ओर से आंचल फैला कर मैं भी तुम से विनती करती हूं.’’

‘‘नहीं, चाचीजी, आप बड़ी हैं. आप का आदेश ही मेरे लिए काफी है. लेकिन क्या शैलेंद्र ने आप को सबकुछ बता दिया?’’

‘‘तो क्या गलत किया? उस ने मुझ से आज तक कुछ नहीं छिपाया. इस बार भी…’’

सुमि को हंसी आ गई. उस की घुंघरू जैसी रुनझुन हंसी की अनुगूंज पूरे घर को आनंद से सराबोर कर रही थी. अभीअभी आया, दरवाजे पर ठिठका शैलेंद्र समझ गया था कि इस बार भी चाचीजी ने उस की समस्या चुटकियों में सुलझा दी है. अभियुक्त की बाकी सजा माफ हो गई है.

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