इन 15 टिप्स से करें Diabetes को कंट्रोल

यूं तो डायबिटीज दुनिया भर में फैली है, मगर भारत आज उसका सबसे बड़ा गढ़ बना हुआ है. इसका सबसे बड़ा कारण 21वीं सदी की जीवनशैली है. लेकिन अगर समय रहते ही इस पर ध्‍यान दे दिया जाए और खान-पान में सुधार कर लिया जाए तो यह काफी हद तक कंट्रोल में रह सकती है.

करें यह उपाय

1. व्यायाम-स्‍टडी बताती है कि व्‍यायाम करने से शरीर में खून का दौरा सही रहता है और खून में शक्‍कर की मात्रा भी नियंत्रण में रहती है. रिजल्‍ट के तौर पर हाई मेटाबॉलिज्‍़म और मधुमेह का कम खतरा रहता है.

2. ना लें चीनी-आपको चीनी, गुड़, शहद, कोल्ड ड्रिंक्स आदि कम खानी चाहिये जिससे रक्त में शर्करा का स्तर बिल्‍कुल नियंत्रण में रहे. ज्‍यादा मीठी चीजे और मीठे पेय पदार्थों का सेवन इंसुलिन के लेवल को बढा सकता है.

3. फाइबर-खून में से शुगर को सोखने में फाइबर का महत्‍वपूर्ण योगदान होता है. इसलिये आपको गेहूं, ब्राउन राइस या वीट ब्रेड आदि खाना चाहिये जिससे शरीर में ब्‍लड शुगर का लेवल कंट्रोल रहेगा, जिससे मधुमेह का रिस्‍क कम होगा.

4. ताजे फल और सब्‍जियां-फलों में प्राकृतिक चीनी का मिश्रण होता है और यह शरीर को हर तरह का पोषण देते हैं. ताजे फलों में विटामिन ए और सी होता है जो कि खून और हड्डियों के स्‍वास्‍थ्‍य को मेंटेन करता है. इसके अलावा जिंक, पोटैशियम,आयरन का भी अच्‍छा मेल पाया जाता है. पालक, खोभी, करेला, अरबी, लौकी आदि मधुमेह में स्‍वास्‍थ्‍य वर्धक होती हैं. यह कैलोरी में कम और विटामिन सी, बीटा कैरोटीन और मैगनीशियम में ज्‍यादा होती हैं, जिससे मधुमेह ठीक होता है.

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5. ग्रीन टी-रोजाना बिना चीनी की ग्रीन टी पीजिये क्‍योंकि इसमें एंटी ऑक्‍सीडेंट होता है जो कि शरीर में फ्रीरैडिकल्‍स से लड्राई करता है और ब्‍लड शुगर लेवल को मेंटेन करता है.

6. कॉफी-ज्‍यादा कैफीन लेने से हृदय रोग की समस्‍या हो सकती है, लेकिन अगर यह हद में रह कर ली जाए तो काफी हद तक यह ब्‍लड शुगर लेवल को मेंटेन कर सकती है.

7.खाने का खास ख्‍याल-थोड़ी-थोड़ी देर पर खाना नहीं लेते रहने से हाइपोग्लाइसेमिया होने की आशंका काफी बढ़ जाती है जिसमें शुगर 70 से भी कम हो जाती है. खाना लगभग हर ढ़ाई घंटे बाद लेते रहें. दिन भर में तीन बार खाने के बजाय थोड़ा-थोड़ा छह-सात बार खाएं.

8. दालचीनी-रिसर्च बताती है कि दालचीनी, शरीर की सूजन को कम करता है तथा इंसुलिन लेवल को नियंत्रित करता है. इसको आप खाने, चाय या फिर गरम पानी में एक चुटकी दालचीनी पाउडर मिक्‍स कर पिएं.

9. तनाव कम करें-ऑक्‍सीटोसिन और सेरोटिन दोनों ही नसों की कार्यक्षता पर असर डालते हैं. तनाव के समय जब एड्रानलिन का रिसाव होता है तब यह डिस्‍टर्ब हो जाता है, जिससे डायबिटीज का हाई रिस्‍क पैदा होता है.

10. उच्‍च प्रोटीन डाइट-जो लोग नॉन वेज खाते हैं उन्‍हें अपनी डाइट में लील मीट शामिल करना चाहिये. उच्‍च प्रोटीन डाइट खाने से शरीर में ताकत बनी रहती है क्‍योंकि मधुमेह रोगियों को कार्बोहाइड्रेट और हाई फैट से दूर रहने के लिये कहा गया है.

11. फास्‍ट फूड को कहें ना-शरीर की बुरी हालत केवल जंक फूड खाने से ही होती है. इसमें ना केवल खूब सारा नमक होता है बल्कि शक्‍कर और कार्बोहाइड्रेट्स तेल के रूप में होता है. यह सब आपके ब्‍लड शुगर लेवल को बढाते हैं.

12. नमक पर रोक-नमक की सही सीमा आपको डायबिटीज को कंट्रोल करने मे मदद करेगा. ज्‍यादा नमक लेने से शरीर में हार्मोनल विसंगतियों का खतरा पैदा हो जाता है. इसके यह अलावा यह टाइप 2 डायबिटीज को बढा भी सकता है.

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13. खूब पानी पिएं-पानी खून में बढी शुगर को इकठ्ठा करता है जिस वजह से आपको 2.5 लीटर पानी रोजाना पीना चाहिये. इससे ना ही आपको हृदय रोग होगा और ना ही डायबिटीज.

14. सिरका-खून मे एकाग्र शुगर को सिरका खुद के साथ घोल कर हल्‍का कर देता है. स्‍टडी में बताया गया है कि भोजन करने के पहले दो चम्‍मच सिरका लेने से ग्‍लूकूज का फ्लो कम हो जाएगा.

15. सोया-डायबिटीज को कम करने के लिये सोया जादुई असर दिखाता है. इसमें मौजूद इसोफ्लावोन्‍स शुगर लेवल को कम कर के शरीर को प्रोषण पहुंचाता है.

तब्बरः परिवार के अस्तित्व को बचाने के लिए आप किस हद तक जा सकते हैं…

रेटिंगः चार स्टार

निर्माताः जार पिक्चर्स

निर्देशकः अजीत पाल सिंह

कलाकारः पवन मल्होत्रा, सुप्रिया पाठक, गगन अरोड़ा, रणवीर शोरी,  साहिल मेहता, परमवीर सिंह चीमा,  अली मुगल, बाबला कोचर , कंवलजीत सिंह, नुपुर नागपाल,  आकाशदीप साहिर,  तरन बजाज,  निशांत सिंह, लवली सिंह,  मेहताब विर्क, रोहित खुराना, रचित बहल व अन्य

अवधिः पांच घंटे 15 मिनटः 30 से 47 मिनट के आठ एपीसोड

ओटीटी प्लेटफार्मः सोनी लिव

हर इंसान के लिए सबसे पहले अपना परिवार होता है. इंसान अपने परिवार के अस्तित्व को बरकरार रखने के लिए किस हद तक जा सकता है, इसी को चित्रित करते हुए कई अंतरराष्ट्ीय पुरस्कार हासिल कर चुके फिल्मकार अजीत पाल सिंह क्राइम थ्रिलर वेब सीरीज ‘‘ टब्बर’’ लेकर आए हैं, जो कि 15 अक्टूबर से ओटीटी प्लेटफार्म सोनी लिव पर स्ट्रीम हो रही है. पंजाबी में परिवर को टब्बर कहते हैं. इसी के साथ अजीत पाल सिंह ने इस सीरीज में एक ऐसे द्वंद का चित्रण किया है, जो अक्सर घर व हर इंसान के अंदर चलता रहता है. इस सीरीज में पत्नी सरगुन भगवान यानी कि रब पर पूरा भरोसा करती है. मगर पति ओंकार भगवान यानी कि ईश्वर यानी कि रब से नाराज है. ओंकार तय करता है कि परिवार पर आयी आफत को वह ख्ुाद ही ठीक करेगा. वह तय करता है कि मैं खुद ही अपने परिवार को बचाउंगा. मैं खुद ही तय करुॅंगा कि मेरे व मेरे परिवार के साथ क्या हो. रब कुछ नही करने वाला है.

कहानीः

कहानी का केंद्र बिंदु जालंधर,  पंजाब में रह रहा ओंकार(पवन मल्होत्रा) और उसका परिवार है. ओंकार के परिवार में उसकी पत्नी सरगुन(सुप्रिया पाठक), बड़ा बेटा हरप्रीत सिंह उर्फ हैप्पी(गगन अरोड़ा) व छोटा बेटा तेगी(साहिल मेहता) है. 12 वर्ष तक पुलिस की नौकरी करने के बाद एक हादसे के चलते पुलिस की नौकरी छोड़कर ओंकार ने अपनी किराने की दुकान खोल ली थी. अपने दोनों बेटों को बेहतर इंसान बनाने व उच्च शिक्षा देने में वह अपना सब कुछ न्योछावर करते रहते हैं. मगर तकदीर अपना खेल ख्ेालती रहती है. ओंकार ने अपने बड़े बेटे हैपी को आई पीएस अफसर बनाने के लिए उसे कोचिंग में पढ़ने के लिए दिल्ली भेजता है. जहां घर का बड़ा बेटा होने की जिम्मेदारी का अहसास कर हैप्प्ी दो माह बादकोचिंग छेाड़कर एक इंसान से कुछ कर्ज लेकर अपना व्यापार श्ुारू करता है. पर घाटा होता है और कर्ज तले दब जाता है , तब वह जालंधर वापस आता है. रास्ते में कर्ज के बोझ से छुटकारा पाने के लिए वह महीप सोढ़ी(रचित बहल ) के बैग से अपना बैग बदल लेता है. क्योंकि उसे पता चल जाता है कि महीप के बैग में पीला ड्ग्स है. मगर हैप्पी के पीछे पीछे महीप अपना बैग लेेने हैप्पी के घर आ जाता है. हालात कुछ ऐसे बनते हैं कि हैप्पी के हाथों महीप का कत्ल हो जाता है. महीप का भाई अजीत सोढ़ी (रणवीर शोरी ) बहुत बड़ा उद्योगपति है, जो कि चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा है. अब अपने बेटे हैप्पी व परिवार को सुरक्षित रखने का निर्णय लेते हुए ओंकार ऐसा निर्णय लेते हैं कि कहानी कई मोड़ों से होकर गुजरती है.

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लेखन व निर्देशनः

‘कर बहियां बल आपनी, छांड़ बिरानी आस. . . ’’ का संदेश देने वाली वेब सीरीज है- ‘‘टब्बर’’. जिसमें ‘‘रम्मत गम्मत’’ और ‘‘फायर  इन द माउंटेंस’’ के लिए कई अंतरराष्ट्ीय पुरस्कार हासिल कर चुके  निर्देशक अजीत पाल सिंह ने अपनी संवेदन शीलता को एक बार फिर उजागर किया है. फिल्मकारों के लिए अब तक पंजाब यानी कि ‘सरसों के खेत’’ही रहा है, मगर अजीत पाल सिंह ने इस वेब सीरीज में न सिर्फ   पंजाब के परिवार बल्कि पंजाब के सामाजिक व राजनीतिक परिदृश्य को भी यथार्थ परक तरीके से उकेरा है. इतना ही नही फिल्मकार ने बड़ी खूबसूरती से यह संदेश भी दे दिया है कि इंसान ‘रब’ की बजाय ख्ुाद पर भरोसा कर हर मुसीबत का मुकाबला ज्यादा बेहतर ढंग से कर सकता है. निर्देशक ने सारे दृश्य इस तरह से गढ़े है कि वह कहानी व लेखक के लिखे शब्दों को बल देता है. अजीत पाल सिंह का उत्कृष्ट संवेदनशील निर्देशन इस सीरियल को उत्कृष्टता की उंचाई प्रदान करता है. यॅॅंू तो यह क्राइम थ्रिलर है, मगर फिल्मकार व लेखक ने इसमें पंजाब की जमीनी सच्चाई को पूरी इमानदारी के साथ पेश किया है. इसमें पारिवारिक रिश्ते, प्यार,  दोस्ती, तनाव,  ड्ग्स,  ड्ग्स के चलते बर्बाद होती होनहार युवा पीढ़ी, गलत समझे जाने वाला पॉप कल्चर, पूरे संसार को जीतने की ललक के साथ ही राजनीति की बिसातों का भी चित्रण है. वेब सीरीज का अंत यानी कि आठवंे एपीसोड का अंतिम अति मार्मिक दृश्य दर्शकांे की आॅंखांे से आंसू छलका देता है. इसके बावजूद लेखक व निर्देशक ने किसी भी किरदार को सही या गलत नही ठहराया है, बल्कि दिखाया है कि आप चाहे जितना मासूम हो, पर गलती हुई है, तो उसकी सजा मिलनी ही है.

लेखक हरमन वडाला ने इसमें परिवार के अंदर भावनात्मक संघर्ष, आथर््िाक हालात के साथ प्यार को साधने के संघर्ष,  का भी बाखूबी चित्रण किया है. सीमावर्ती प्रदेश पंजाब की भौगोलिक स्थिति को कहानी के एक किरदार के रूप में उकेरा है, तो वहीं कौवा और कौवे की आवाज का भी संुदर उपयोग किया गया है, जिससे कहानी समृद्ध हो जाती है.

लेकिन शुरूआत के दो एपीसोड काफी ढीले ढाले हैं. इसके अलावा कुछ दृश्य तार्किक नही लगते. इतना ही नही पलक व हैप्पी की प्रेम कहानी को अंत में लेखक व निर्देशक भूल गए.

अभिनयः

एक पिता, परिवार का मुखिया और अपने दो मासूम बेटो को हर तूफान से सुरक्षित रखने के लिए बिना ‘रब’@‘भगवान’ पर भरोसा किए अकेले ही सबसे लड़ने व नई पई योजना बनाने वाले ओंकार के अति जटिल किरदार को जीवंतता प्रदान कर अभिनेता पवन मल्होत्रा ने अपने कुशल व उत्कृष्ट अभिनय का एक बार फिर लोहा मनवाया है. पूरी वेब सीरीज को पवन मल्होत्रा अकेले अपने कंधे पर लेकर चलते हैं. पति का साथ देने व भावनात्मक स्वाद बढ़ाते हुए सरगुन के किरदार में एक बार फिर सुप्रिया पाठक ने खुद को एक बार फिर मंजी हुई अदाकारा  के रूप में पेश किया है. बड़े बटेे हैप्पी के संजीदा किरदार में अभिनेता गगन अरोड़ा अपने अभिनय के चलते न सिर्फ लोगों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करते हैं, बल्कि साबित करते है कि उनके अंदर लंबी रेस का घोड़ा बनने की क्षमता है.

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खुद को साबित करने के जुनून में जल रहे पुलिस वाले मासूम लक्की के किरदार में अभिनेता परमवीर सिंह चीमा भी प्रशंसा बटोर लेते हैं. कंवलजीत की प्रतिभा को जाया किया गया है. कंवलजीत ने इसमें क्यों अभिनय किया, यह समझ से परे है. तेगी के किरदार में नवोदित अभिनेता साहिल मेहता ने काफी उम्मीदें जगाई हैं.

अजीत सोढ़ी के किरदार में   रणवीर शोरी ने भी अच्छा अभिनय किया है, वैसे उनके किरदार को उतनी अहमियत नही मिल पायी, जितनी मिलनी चाहिए थी. हैप्पी की प्रेमिका पलक के किरदार में नुपुर नागपाल ने भी ठीक ठाक अभिनय किया है.

GHKKPM: सई को विराट से दूर करेगी अश्विनी, लेगी बड़ा फैसला

सीरियल गुम है किसी के प्यार में की कहानी जबरदस्त मोड़ देखने को मिल रहे हैं. जहां एक तरफ सम्राट और पाखी के रिश्ते में गलतफहमी बढ़ रही है तो वहीं विराट को अपनी गलती का एहसास हो रहा है. इसी बीच सीरियल में नई एंट्री हो गई है, जिससे सई और विराट के रिश्ते में नया मोड़ आएगा. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

सई ने की घर छोड़कर जाने की बात

 

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अब तक आपने देखा कि सई का एक्सीडेट होने के बाद से विराट काफी परेशान है. वहीं सई पूरी कोशिश कर रही है कि वह विराट से दूर चली जाए. लेकिन विराट की मां उसे घर छोड़कर जाने के लिए मना कर देती है. क्योंकि डौक्टर का कहना है कि विराट या सई अगर एक दूसरे से दूर गए तो उन दोनों की जान को खतरा हो सकता है.

 

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अश्विनी ने किया ये फैसला

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि विराट और उसका परिवार सई को चव्हाण निवास लेकर आएगा, जहां भवानी, निनाद और परिवार के दूसरे सदस्य उसका बड़े धूमधाम से स्वागत करेगें. हालांकि पाखी इस बात से खुश नही होगी. दूसरी तरफ विराट की मां अश्विनी परिवार के सामने घोषणा करेगी कि अब से सई और विराट अलग-अलग कमरों में रहेंगे, जिसे सुनकर सभी चौंक जाएंगे. हालांकि अश्विनी का ये फैसला विराट और सई को करीब लाने के लिए होगा.

पाखी को होगी खुशी

 

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एक तरफ जहां विराट औऱ सई, अश्विनी के फैसले से परेशान होंगे तो वहीं पाखी इस कदम से बेहद खुश होगी. हालांकि सम्राट, पाखी की खुशी को देखकर गुस्से में नजर आएगा. वहीं जल्द से जल्द घर छोड़कर पाखी से दूर जाने का फैसला करेगा. लेकिन पाखी हार नहीं मानेगी वह सम्राट को अपने साथ रहने के लिए मनाती नजर आएगी. वहीं विराट और सई एक-दूसरे के करीब आते नजर आएंगे.

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Anupama: समर की जान बचाएगा अनुज, वनराज को होगी जलन

स्टार प्लस का सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupama) में इन दिनों फैमिली ड्रामा जोरों पर है, जिसके चलते टीआरपी चार्ट्स में सीरियल पहले नंबर पर बना हुआ है. सीरियल की बात करें पाखी के कारण अनुपमा और वनराज एक बार फिर साथ नजर आ रहे हैं. वहीं अनुज और काव्या इसके चलते परेशान दिख रहे हैं. लेकिन अपकमिंग एपिसोड में एक बार फिर वनराज की जलन सामने आएगी. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

अनुपमा औऱ अनुज ने किया डांस

 

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अब तक आपने देखा कि अनुपमा, देविका और अनुज एक कुकिंग कॉम्पिटिशन करेंगे. जहां अनुपमा और अनुज जमकर मस्ती करते नजर आएंगे. वहीं इसमें उनका साथ बापूजी और किंजल देते नजर आएंगे. इसी बीच समर, नंदनी को ढूंढने की कोशिश करता है. लेकिन गुस्से में वनराज उसका साथ देने से मना कर देता है. हालांकि अनुज, समर की मदद करने की कोशिश करता है. वहीं सड़क पर बेहोश हालत में नंदनी भी मिल जाती है.

 

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एक फिर फूटेगा वनराज का गुस्सा

 

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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुज के साथ समर और नंदनी घर लौटेंगे. जहां वनराज, समर पर गुस्सा निकालेगा. साथ ही अनुपमा को ब्लेम करता नजर आएगा. हालांकि अनुपमा का साथ देते हुए समर कहेगा कि उसने ही अनुपमा को मना किया था वनराज को बताने से, जिसके बाद वनराज एक बार फिर अनुज को ताना मारेगा और अनुज की तरफ ताना देते हुए अनुपमा को सुनाएगा.

 

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समर की जान होगी खतरे में

 

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दूसरी तरफ शाह परिवार दशहरे का सेलिब्रेशन मनाएगा. लेकिन इस दौरान समर पर नंदिनी के एक्स बौयफ्रेंड के गुंडे हमला कर देंगे. वहीं अनुपमा को समर के साथ कुछ बुरा होने का एहसास हो जाएगा. हालांकि अनुज, समर की जान बचाता नजर आएगा, जिसके बाद वनराज का गुस्सा एक बार फिर बढ़ जाएगा.

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लीवर में छाले, क्या है इलाज 

लीवर में छाले पड़ना यानि लीवर के कुछ भाग में पस जमा होने लगता है, जो काफी दर्दनाक होता है. अगर समय पर इसका इलाज नहीं करवाया जाता तो ये जख्म फूट सकते हैं और इससे निकलने वाली गंदगी रक्त प्रवाह के जरिए शरीर के अन्य हिस्सों में पहुंचकर उन्हें संक्रमित कर सकती है.  इस संबंध में बताते हैं मणिपाल होस्पिटल के लीवर ट्रांसप्लांटेशन सर्जन डाक्टर राजीव लोचन. साधारण तौर पर यह बीमारी दो प्रकार की होती है- एमिओबिक लीवर एब्सेस और पायोजेनिक लीवर एब्सेस .वैसे आपके लीवर में छाले पड़ने के कई कारण हो सकते हैं. बता दें कि एमिओबिक  लीवर एब्सेस का महत्वपूर्ण कारण यह है कि यह बीमारी एन्टामिबा हिस्टॉलिटिका  जैसे पेरेसाइट्स के चलते होती है. इसका मतलब यह है कि लीवर के मार्ग में इंफेक्शन के चलते  एमिबायासिस होता है. पायोजेनिक लीवर एब्सेस होने का प्रमुख कारण इंटेस्टाइन ट्रैक या मूत्र मार्ग का इंफेक्शन होना ही अकसर माना जाता है.

एब्सेस की बीमारी होने में उम्र भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.  एमिओबिक  लीवर एब्सेस की बीमारी अधिकतर अधिक उम्र के लोगों में ज्यादा होती है. वयस्क लोग विशेष रूप से जिन्हें मधुमेह या जिनकी कीमोथेरेपी हुई होती है , उन्हें लीवर एब्सेस होने का खतरा सबसे अधिक होता है. या फिर ऐसे व्यक्ति जिनकी प्रतिकार क्षमता कम हो या जो वजन घटाने का कोई उपचार कर रहे हैं , उन्हें भी लीवर की बीमारियां होने का खतरा सबसे अधिक हो सकता है.

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क्या हैं लक्षण 

– पेट के निचले हिस्से में दर्द होना.

– डायरिया

– बेचैनी

– हलका बुखार

– खाने की इच्छा नहीं होना

– वजन कम होना आदि.

कौन से प्रकार का लीवर एब्सेस है, उसकी जांच करने के बाद ही उसका पता चलता है व उसके बाद ही उस का सही इलाज करना संभव होता है.

लीवर एब्सेस होने के कारण 

लीवर एब्सेस होने के निर्मलिखित कारण होते हैं , जो इस प्रकार से हैं-

–  पित्ताशय के मार्ग में बीमारी.

–   पित्ताशय  के मार्ग में कोई समस्या.

– यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन

लीवर एब्सेस की रोकथाम कैसे करें 

इसके लिए पेट के निचले हिस्से में इंफेक्शन की जांच करना बहुत जरूरी होता है . क्योंकि लीवर एब्सेस होने का यह भी एक कारण हो सकता है, और इसकी रोकथाम के लिए ये जांच बहुत जरूरी होती है.  विशेष रूप से बुजुर्ग़ या जिन्हें डाईबिटिज़ जैसी कोई बीमारी है , ऐसे व्यक्तियों में इसका खतरा सबसे अधिक रहता है. ओब्सक्यूअर यूरिनरी ट्रैक इंफेक्शन और पेल्विक सेप्सिस भी लीवर एब्सेस होने के कारण  हो सकते हैं. लेकिन इसके लिए पहले सही कारण का पता लगाना बहुत जरूरी होता है, ताकि सही इलाज संभव हो सके.

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उपचार 

लीवर में अगर किसी तरह का पस नजर आता है, तो डाक्टर जरूरी जांच कर शुरुवात में एंटीबायोटिक दवाएं देते हैं , जिससे महीने भर के अंदर पस सूखने के साथ मरीज को आराम मिल जाता है. लेकिन अगर मरीज को ज्यादा दर्द व लक्षण ज्यादा गंभीर नजर आते हैं , तो किसी खास तरह की सिरिंज का इस्तेमाल करके पस को बाहर निकाला जाता है. लेकिन अगर स्तिथि ज्यादा गंभीर है और दवाओं से ही कंट्रोल करना संभव नहीं है तो सर्जरी की मदद लेकर लीवर का कुछ भाग निकालने की जरूरत होती है और फिर जल्दी घाव को भरने के लिए  मरीज को साथसाथ एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती है. लेकिन ये ट्रीटमेंट मरीज की स्तिथि को देखकर दिया जाता है. इस बीमारी के इलाज के लिए एचबीपी सर्जन, मेडिकल गैस्ट्रोएंट्रोलोजिस्ट तथा डायगोनोस्टिक और इंटरवेशनल रेडियोलॉजिस्ट जैसे विशेषज्ञों की टीम द्वारा एक निर्णय लेना बहुत आवश्यक होता है.

किचन गार्डन में जरूर लगाएं ये 7 पौधे

पेड़-पौधे और हरियाली किसे अच्छी नहीं लगती. बारीश में नहाए पेड़ों को देखना आंखों को एक अलग तरह की राहत देता है. पेड़-पौधों के बिना हम अपनी जिन्दगी के बारे में सोच ही नहीं सकते. पेड़ों से ही हमें आहार मिलता है और पेड़ों के कारण ही हम सांसे ले पाते हैं.

आज हम आपको कुछ हर्बल पौधों के बारे में बताएंगे जिन्हें लगाकर आप अपने किचन गार्डन की सुंदरता बढ़ाने के साथ ही आपके किचन में भी काम आएंगे. इन पौधों के पत्तों से आपके खाने का स्वाद तो बढ़ेगा ही साथ ही आप स्वस्थ भी रहेंगे.

1. लेमन बाम

अगर आप बहुत ज्यादा स्ट्रेस लेते हैं या अनिद्रा के शिकार हैं, तो लेमन बाम आपके लिए बहुत फायदेमंद है. लेमन बाम से पेट भी सही रहता है. यही नहीं, ये पौधा आपके घर की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी उठाता है. यह पौधा एक नैचुरल पेस्ट कन्ट्रोलर है और सभी बिमारी फैलाने वाले कीटाणुओं को दूर रखता है.

इस पौधे को अच्छी क्वालिटी के मिट्टी में ही लगाना चाहिए. साथ ही नियमित तौर पर पानी भी डालना चाहिए. लेमन बाम से आप घर पर ही हर्बल चाय बना सकती हैं, इसके साथ ही यह पौधा आपके सलाद के स्वाद को दोगुना कर देता है.

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2. थाइम

आजकल कैंसर ऐसे फैल रहा है, जैसे कभी जुकाम फैलता था. थाइम कैंसर जैसी कई अन्य बीमारियों में आपको स्वस्थ रखने की क्षमता रखता है. कई तरह के बैक्टीरियल इनफेक्शन और स्कीन प्रोबलेम से भी थाइम छुटकारा दिलाता है. गले की खराश से लेकर आर्थराइटस में भी थाइम काफी फायदेमंद है.

थाइम को घर पर आसानी से उगाया जा सकता है. स्ट्यू बनाने से लेकर मटन की अलग अलग डिश के भी स्वाद में थाइम चार चांद लगा देता है.

3. रोजमेरी

रोजमेरी में आयरन, कैलशियम और विटामिन बी6 की भरपूर मात्रा होती है. रोजमेरी में ऐसे तत्व होते हैं जिससे आपकी एकाग्रता भी बढ़ती है. इसे गमले में लगाएं और ये सुनिश्चित करें कि पौधे पर डायरेक्ट सनलाइट न पड़े.

ड्राई या फ्रेश रोजमेरी को सिजनिंग की तरह पिज्जा या पास्ता में इस्तेमाल करें.

4. पार्सले

पार्सले में विटामिन सी और के भरपूर मात्रा में मिलते हैं. किडनी स्टोन्स, कब्ज, मधुमेह के रोगियों के लिए यह बहुत फायदेमंद है.

पार्सले के बीजों को गिली मिट्टी में 7-10 इंच की दूरी ही लगाएं. पार्सले से आपके खाने का स्वाद और रंग दोनों बढ़ जाते हैं.

5. चाइव्स

चाइव्स में कैलोरी की मात्रा बहुत कम और विटामिन, ऐंटीऑक्सीडेंट्स की मात्रा बहुत अधिक होती है. चाइव्स से आप सुकून की नींद सो सकती हैं.

चाइव्स को आप घर के बाहर और अंदर दोनों जगह लगा सकती हैं. ये आसानी से कहीं भी ऊग जाते हैं. पर चाइव्स में भी नियमित तौर पर पानी देना बहुत जरूरी है. सलाद में चाइव्स मिलाएं और सलाद का स्वाद बढ़ाएं.

6. मिन्ट

मिन्ट बहुत ही जरूरी हर्ब है और इसे हर किचन गार्डन में जगह मिलनी ही चाहिए. इसे गमले में या यूं ही जमीन पर लगाएं, पर इसकी नियमित देखभाल बहुत जरूरी है. इसे सूखने में भी ज्यादा वक्त नहीं लगता.

मिन्ट या पुदीने की चटनी तो आपने कई बार बनाई होगी. पर इससे हर्बल टी, सलाद वगैरह में भी डालकर खाया जा सकता है.

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7. ओरिगैनो

ओरिगैनो बच्चों और आपका फेवरेट है. पर यह बाजार में महंगा मिलता है. आप ओरिगैनो को अपने घर पर ही लगा सकती हैं. इस घर के बाहर लगाना ही ज्यादा बेहतर है. इस हर्ब में कमाल की खूशबू होती है.

ध्यान रहे, ओरिगैनो के पौधे में तभी पानी डालें जब इसकी मिट्टी पूरी तरह से सूख चुकि हो. पास्ता सॉस, पिज्जा, सैंडविच किसी भी ओरिगैनो डालकर खाएं.

इन हर्ब्स को अपने किचन गार्डन में ऐंट्री जरूर दें, और जब चाहें इन्हें खाने में प्रयोग करें. हर्ब्स से आपके गार्डन की सुंदरता तो बढ़ेगी ही, साथ ही आपके खाने का स्वाद भी बढ़ जाएगा.

डिनर में बनाएं पनीर टिक्का मसाला

कुछ अच्छा खाने से भी मूड अच्छा हो जाता है. डिनर में बनाएं पनीर टिक्का मसाला, और पहले विकडे की थकान को दूर करें.

सामग्री

– 1/2 किलोग्राम पनीर

– 1/4 टी स्पून लाल मिर्च पाउडर

– 1 टेबल स्पून अदरक पेस्ट

– 1/2 टी स्पून धनिया पाउडर

– 1 टेबल स्पून दही

– 1 टेबल स्पून तेल

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– नमक स्वादनुसार

ग्रेवी के लिए

– 3 टमाटर

– 1 हरी मिर्च

– 1 टेबल स्पून तेल

– 1/2 टी स्पून जीरा

– एक चुटकी हींग

– 2 तेज पत्ता

– 1 टेबल स्पून धनिया पाउडर

– 1/2  टी स्पून कश्मीरी लाल मिर्च

– 1/4 टी स्पून काली मिर्च

– 1/4 टी स्पून हल्दी

– 1/2 टी स्पून चीनी

– 1 टी स्पून अरारोट

– 2 टेबल स्पून हरा धनिया

– 1/4 टी स्पून गरम मसाला

विधि

पनीर को बड़े चौकोर टुकड़ों में काट लें. एक बाउल में अदरक पेस्ट, काली मिर्च, नमक, धनिया पाउडर और दही डालकर मिक्स करें. पनीर के टुकड़ों को इस मिश्रण से 1 घंटे के लिए मैरिनेट करें.

टमाटर और हरी मिर्च को बारीक पीस लें. 2 टेबल स्पून पानी में अरारोट डालकर अच्छी तरह घोलें.

एक पैन में 1 तेल डालकर अच्छी तरह गरम करें. अब इसमें मेरीनेट किए हुए पनीर डालकर गोल्डन होने तक फ्राई करें.

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पैन में से पनीर के टुकड़े निकाल लें, अब इसी पैन में 1 चम्मच तेल डालकर गरम करें. जीरा, हींग और तेजपत्ता डाल दें. अब इसमें टॉमेटो प्यूरी, धनिया पाउडर, हल्दी, लाल मिर्च पाउडर, चीनी डालकर 4 मिनट तक मध्यम आंच पर भून लें.

ग्रेवी को गाढ़ा करने के लिए उसमें अरारोट घोल डाल दें. उबाल आने पर फ्राइड पनीर भी डाल दें. बारीक कटे हरे धनिये और गरम मसाले से सजाकर गर्मागरम परांठे या नान के साथ ऐन्जॉय करें.

Festive Season के लिए कम बजट वाले बेस्ट आउटफिट

फेस्टिव सीजन अपने साथ खुशियाँ और उत्सव लेकर आता है और विशेष रूप से सेलिब्रेशन मोड सभी के लिए एक निश्चित स्ट्रेस बस्टर होता है. कोविड की दूसरी वेव ख़त्म होने के बाद यह फेस्टिव सीजन लोगों को घर से बहार निकल कर खुशियाँ मानाने का मौका देने वाला है. और इस साल ट्रेंड एथनिक (पारम्परिक) कपड़ों का है, इसलिए कम बजट में मॉडर्न डिज़ाइन के कपड़े आपको भीड़ से अलग रखेंगे.

जयपुरकुर्ती.कॉम के चेयरमैन व एमडी, अनुज मुंधड़ा ने सही बजट में मॉडर्न डिज़ाइन के एथनिक वियर कपड़ों के लिए यह सलाह दी –

फैशनेबल स्ट्रैट कुर्ती – 

अगर आप किसी सेलिब्रेशन में आरामदायक कपड़े पहनना चाहते हैं, तो आप डिजाइनर स्ट्रेट कुर्ती ही पहने. कुर्ती स्टाइल और आराम दोनों का खास मिश्रण है. फैशनेबल स्ट्रेट कुर्ती को पैंट और पलाज़ो के साथ पेयर किया जा सकता है. यह एक ऐसा पहनावा है जो सभी प्रकार के शरीर पर अच्छा लगता है. इस उत्साह के सीजन में स्ट्रेट कुर्तियां शानदार लुक देगी. यदि आप ऐसे व्यक्ति नहीं हैं जो भारी भरकम एथनिक वियर पसंद करते हैं, तो फैशनेबल स्ट्रेट कुर्ती आपके लिए सबसे सुगम विकल्प हो सकती है.

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पलाज़ो के साथ कढ़ाई वाली कुर्ती –

पलाज़ो के साथ कढ़ाई वाली कुर्ती फैशन में है चाहे अवसर कितना भी बड़ा या छोटा क्यों न हो, आप उन्हें हमेशा बेझिझक पहन सकते है. कार्यक्रम कितना बड़ा है, इस पर निर्भर करते हुए, आप एक आरामदायक कपड़ा चुन सकते हैं या जॉर्जेट भी विकल्प में रख सकते हैं. आप आराम से चल सकते हैं, जितना चाहें घूम सकते हैं और हर सेलिब्रेशन को बहुत आराम से मना सकते हैं. एक स्टाइलिश और सिंपल टू-एक्ज़ीक्यूट लुक, यह एक एथनिक आउटफिट है जो हर महिला को अपने वॉर्डरोब में रखना चाहिए.

ब्रोकेड सूट चुनें:

ब्रोकेड एक उपयुक्त इंडियन वियर है. पारंपरिक एथनिक वियर बिना ब्रोकेड के अधूरा सा होता है और इस फेस्टिव सीजन में यह पैटर्न ट्रेंड में है और इसको निश्चित ही पहनना चाहिए. दिखने में एलिगेंट, ब्रोकेड सूट सेट आपको इस त्योहारी सीजन के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ लुक का अनुभव कराएगा.

बेस्ट इंडो-वेस्टर्न के लिए धोती और कुर्ता पहने –

यह कपड़े वेस्टर्न और इंडियन कपड़ों का सबसे अच्छा कॉम्बिनेशन है. आकर्षक लुक पाने के लिए इस सेलिब्रेशन सीजन में इस सबसे स्मार्ट कॉम्बिनेशन को ट्राई करें. शॉर्ट कुर्ती के साथ धोती पैंट की आकर्षक जोड़ी है जिसे आपको ज़रूर आज़माना चाहिए. यह पहनावा त्योहारों पर एलेगन्स और स्टाइल सुनिश्चित करता है.

फ्लेयर्ड स्कर्ट –

 

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सबसे मॉडर्न फेस्टिव ट्रेंड्स में से एक, फ्लेयर्ड स्कर्ट को लंबे कुर्ते, शॉर्ट टॉप और यहां तक ​​कि शर्ट के साथ पहना जा सकता है. जब इस कॉम्बिनेशन को डिजाइन करने की बात आती है तो आप बहुत कुछ कर सकते हैं, और सबसे अच्छी बात यह है कि यह बहुत आरामदायक होते हैं और सभी मौसमों में सुंदर और क्लासी दिखते हैं. फेस्टिवल्स के सेलिब्रेशन में क्रॉप टॉप और स्कर्ट का कॉम्बिनेशन बहुत क्लासी लगेगा. हल्के रंग या कम डिज़ाइन वाले क्रॉप टॉप के साथ फुल प्रिंटेड स्कर्ट इस लुक को आउटर आकर्षक बना लेंगे.

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शरारा के साथ सूट का सेट –

 

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फ्लेयर्ड बॉटम्स, विशेष रूप से शरारा या घरारा स्टाइल इन दिनों फैशन में हैं. शरारा के निचे लगी हुई सजावटी लेस बहुत सुन्दर लगती है. इन आउटफिट्स को फ्लेयर्ड स्लीव्स वाली शर्ट के साथ भी पहना जाता है.

इंडियन कपड़ों के किसी भी कार्यक्रम के लिए असीमित विकल्प होते हैं. थोड़ी सी खोज आपको कई ट्रेंड्स पता करने में मदद कर सकती है. सिर्फ, कुर्ता और लेगिंग जैसे बेसिक आउटफिट को भी स्टड, नेकबैंड जैसी एक्सेसरीज के साथ सजाया जा सकता है. इस प्रकार, सबसे मज़ेदार एथनिक वियर पहनें और इस फेस्टिव सीजन का आनंद ले.

न करें हनीमून पर ये मिस्टेक्स

शादी तय होते ही विवेक हनीमून की कल्पना की ऊंची उड़ान भरने लगा. मन ही मन कई तरह के प्लान बनाने लगा. वह दिन भी आ गया जब वह अपनी पत्नी को ले कर हनीमून के लिए चला गया. मगर दोनों जल्द ही घर लौट आए. ऐसी क्या बात हुई कि दोनों अपने बनाए प्रोग्राम के पहले ही घर लौट आए? असल में हनीमून के दौरान विवेक से कुछ मिसटेक हो गई, जिस की वजह से हनीमून का मजा ही खराब हो गया. शादी तय होते ही लोग हनीमून के सपने देखने लगते हैं, लेकिन हनीमून के दौरान वे कुछ मिसटेक्स कर देते हैं, जिन की वजह से हनीमून का भरपूर मजा नहीं ले पाते हैं. हनीमून के दौरान कुछ जरूरी बातों पर ध्यान रख कर गलतियों से बच सकते हैं. मसलन:

कहां जाना है मिल कर करें फैसला:

हनीमून पर दो जनों को जाना होता है. इसलिए इस का फैसला एक जना न करे, कहीं ऐसा न हो आप जिस जगह पर हनीमून के लिए गए हैं, वह जगह आप के पार्टनर को पसंद न हो. मौसम के अनुसार आरामदायक, खुशनुमा व सुकून वाली जगह चुनें. पहले बजट बनाएं: हनीमून पर जाने से पहले बजट बना लें ताकि बाद में आप को परेशानी का सामना न करना पड़े, दिखावे के चक्कर में विदेश जाने या हाईफाई जगह रुकने का प्लान न बनाएं. अपनी हैसियत से अधिक बजट आप के हनीमून में बाधा डाल सकता है. अपने बजट में बनाया गया हनीमून टूअर ही हनीमून का सही आनंद देगा.

ऐडवैंचर टूअर न बनाएं:

अपने हनीमून टूअर को ऐडवैंचर टूअर न बनाएं. कई जोड़े अपने हनीमून टूअर को ऐडवैंचर टूअर बना लेते हैं. वे स्वयं को इतना थका लेते हैं कि बिस्तर पर जाते ही नींद के आगोश में चले जाते हैं, जिस से हनीमून का सारा मजा किरकिरा हो जाता है. फालतू बातें न करें: घूमते वक्त फालतू बातें न करें. कहीं किसी गार्डन या शांत जगह बैठ कर रोमांटिक बातें करें या आंखोंआंखों में बातें करें.

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दूसरे कपल्स को न घूरें:

देखा गया है कि अनेक लड़के हनीमून टूअर पर दूसरे कपल्स को खासकर लड़कियों कोे घूरते नजर आते हैं. असल में लड़कों की फितरत होती है लड़कियों पर नजर डालने की, लेकिन उन्हें समझना चाहिए कि वे बैचलर लाइफ से मैरिज लाइफ में ऐंट्री कर चुके हैं. ऐसे में जीवनसंगिनी को आप की यह आदत खटक सकती है.

मोबाइल रखें बंद:

आजकल अधिकतर लोग मोबाइल कौल, नैट या गेम पर बिजी रहते हैं. मोबाइल पर बिजी होने पर एकदूसरे पर से ध्यान हट जाता है. हनीमून के दौरान मोबाइल को पूरी तरह बंद रखें. जब घर वालों से बात करनी हो उस वक्त थोड़े समय के लिए चालू कर लें.

शूट न करें:

कुछ जोड़े इतने ऐक्साइट रहते हैं कि अपनी फर्स्ट नाइट के क्रियाकलापों को शूट कर लेते हैं. रोमांच के इन पलों को शूट करना अच्छी बात नहीं है. पिछले दिनों इंदौर का एक जोड़ा मुंबई हनीमून के लिए गया था. उन्होंने अपनी फर्स्ट नाइट की लाइव शूटिंग करनी शुरू की. उन का फोन औटो मोड पर था. ऐसे में उन की पूरी शूटिंग औनलाइन हो गई. उन के जितने फ्रैंड्स औनलाइन थे, उन्होंने इस का मजा लिया. किसी समझदार दोस्त ने उन्हें फोन कर के इस बारे में जानकारी दी तो दोनों शर्म से पानीपानी हो गए.

टीवी बंद रखें:

मोबाइल के बाद ज्यादातर लोगों को टीवी देखने का शौक होता है. हनीमून के दौरान टीवी देख कर अपने रोमांटिक पलों को कम न करें. कमरे में आने के बाद सब से पहले रिमोट कहीं छिपा दें ताकि दूसरे को टीवी चलाने का मौका न मिले.

लाइट म्यूजिक सुनें:

रोमांटिक होने के लिए गाना सुनना तो ठीक है पर उन हसीन पलों में गाना सुनना ठीक नहीं है. ऐसे मौके पर गाने सुनने से ध्यान बंट जाता है और सैक्स का मजा खराब हो जाता है. उस दौरान मदहोश कर देने वाला लाइट म्यूजिक ठीक रहेगा.

सैक्स में ही न डूबे रहें:

हनीमून की मस्ती में डूबे रहना तो अच्छी बात है पर हर वक्त सैक्स में डूबे रहना अच्छी बात नहीं है शादी के बाद सैक्स ऐंजौय का साधन जरूर है, पर इस के लिए सारी जिंदगी भी तो पड़ी है, मजा लें पर लिमिट में. तब इस का आनंद कुछ और ही होगा. पास्ट में न झांकें: विवेक और प्रतिमा हनीमून पर गए थे. रोमांच और मौजमस्ती के दौरान विवेक अपनी पत्नी के पास्ट में झांकने की कोशिश करने लगा. उस ने प्रतिमा से पूछा उस के कितने बौयफ्रैंड हैं? उन के साथ कभी बैड भी शेयर किया क्या? विवेक की बातें सुन कर उस के दिल को बड़ा धक्का लगा. उस का सारा उत्साह रफूचक्कर हो गया.

विवेक ने जब महसूस किया कि प्रतिभा उस की बात का बुरा मान गई है तब उसे अपनी गलती का एहसास हुआ. उस ने प्रतिभा से माफी मांगते हुए कहा कि यह सब तो उस ने मजाक में कहा था. लेकिन प्रतिभा के दिल को गहरी चोट लगी थी. वर्षों गुजर जाने के बाद भी वह इस बात को भुला नहीं पाई. इसलिए ऐसी बातें जीवनसाथी से न करें, जिन से लाइफ टाइम आप को पछताना पड़े.

जल्दबाजी न करें:

बैड पर सैक्स ऐक्ट के समय जल्दबाजी में न रहें. आप ने सुना होगा, जल्दबाजी का काम शैतान का होता है. फिर आप शैतान का काम क्यों करना चाहेंगे? बडे़ इत्मीनान से सैक्स का भरपूर आनंद लें.

सहज रहें:

इस बात से न डरें कि आगे कुछ गड़बड़ न हो जाए. डर और घबराहट की वजह से किसी प्रकार की प्रौब्लम हो सकती है. अत: बिलकुल सहज रहें. कई लड़कियां अपनेआप को शर्मीली या एकदम से बिंदास दिखाने की कोशिश करती हैं. ये दोनों ही बातें ठीक नहीं हैं. आप जीवनसाथी के सामने वैसे ही रहने की कोशिश करें जैसी आप हैं.

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नखरे न करें:

सैक्स के वक्त पति के सामने ज्यादा नखरे दिखाने की कोशिश करना ठीक नहीं है. इस से पति नाराज हो सकता है. शरमाना, इठलाना, नखरे दिखाना स्त्री के गुण हो सकते हैं, पर ऐन मौके पर नखरे दिखाने पर पति का मूड बिगड़ सकता है. अत: ऐसे मौके पर पति को भरपूर सहयोग दें.

ऐक्सपैरिमैंट न करें:

हनीमून के दौरान सैक्स संबंध को ले कर ज्यादा ऐक्सपैरिमैंट न करें. कुछ लोग दोस्तों द्वारा बताए गए टिप्स, सस्ती किताबों या वैबसाइट पर दी गई ऊलजलूल टिप्स आजमाने लगते हैं. उन बेतुके टिप्स की वजह से जीवनसाथी को परेशानी हो सकती है.

जबलपुर के एक होटल में हनीमून के दौरान एक युवक अपनी नवविवाहिता को दोनों पैरों से बांध कर उलटा लटका कर सैक्स करने की कोशिश करने लगा. किसी दोस्त ने उसे बताया था कि इस तरह से पहली बार सैक्स करने पर मजा कुछ और ही आता है. इस लटकी नवविवाहिता की सांस ऊपरनीचे होने लगी. वह तो अच्छा हुआ, युवक ने नवविवाहिता की हालत देख कर जल्दी उतार दिया. इतने में नवविवाहिता बेहोश हो गई. उस ने जल्दी से डाक्टर बुला कर सारी बात सहीसही बता दी. डाक्टर ने चैक कर के बताया, दिमाग में रक्तसंचार बढ़ जाने से वह बेहोश हो गई है. थोड़ी देर और लटकी रहती तो उस की जान भी जा सकती थी.

अच्छी तरह देख लें:

होटल कितना ही महंगा क्यों न हो, पूरे कमरे को अच्छी तरह जरूर चैक कर लें. बाथरूम, बैडरूम, आलमारी, ट्यब लाइट, स्विचबोर्ड, पंखा आदि जगहों को चैक करें. चेक करने का आसान उपाय है कि इन के पास मोबाइल ले जाएं. यदि कहीं कैमरा लगा होगा तो मोबाइल का नैटवर्क गायब हो जाएगा.

कैमरा लगा होने का पता करने के लिए दूसरा उपाय है उस रूम की सारी लाइटें बंद कर दें. फिर अपने स्मार्ट फोन का कैमरा औन करें. लेकिन फ्लैश औफ कर दें. फिर कैमरे में देखें कि कोई लाल रंग के डौट्स तो नहीं दिख रहे हैं. दिखें तो समझ जाएं कि हिडन कैमरा लगा है. इस बात का ध्यान रखें, हनीमून के लिए किसी अच्छे होटल का ही चुनाव करें. कम रेट वाले होटलों में स्पाई कैमरे लगे रहने के चांस अधिक होते हैं, क्योंकि यहां काम करने वाले कर्मचारियों को वेतन कम मिलता है. ऐसे में वे अलग से कुछ कमाने के चक्कर में ऐसी हरकतें कर सकते हैं.

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औफिस की चिंता:

हनीमून के दिनों में आप अपना औफिस साथ न ले जाएं. ऐसे में पूरा ध्यान नईनवेली दुलहन के बजाय औफिस या अपने बिजनैस पर रहता है. ऐसे में हनीमून का सारा मजा खराब हो जाता है. फोन अटैंड करना, मेल चैक करना, फोन कर के कर्मचारियों को निर्देश देना जैसी बातें आप की पार्टनर को डिस्टर्ब करती हैं. हनीमून के दौरान सारी बातें भूल कर अपना फोकस जीवनसाथी पर करें.

दादी अम्मा : भाग 1-आखिर कहां चली गई थी दादी अम्मा

लेखक- असलम कोहरा

दादी अम्मा कहीं चली गई थीं. कहां गई थीं, किसी को पता नहीं चला. रातदिन की उपेक्षा और दुर्दशा के कारण एक न एक दिन यह होना ही था. पहले कभीकभी अकेलेपन से दिल घबराने या तबीयत खराब होने पर वे पासपड़ोस के घरों में या महल्ले के हकीम साहब से माजून लेने चली जाती थीं. लेकिन 2-3 घंटे या फिर देर हुई तो शाम तक घर वापस आ जाती थीं. इस बार जब वे देर रात तक नहीं लौटीं तो तीनों बेटों को चिंता सताने लगी. तमाम रिश्तेदारों में पूछताछ की, लेकिन उन का कहीं पता नहीं चला.

‘‘पता नहीं कहां चली गईं अम्मा, दिल फटा जा रहा है, चचा. 1 महीने से ज्यादा वक्त हो गया है, न जाने किस हाल में होंगी,’’ बड़े बेटे रेहान ने मायूसी भरे लहजे में हाजी फुरकान से कहा.

हाजी फुरकान पूरे महल्ले के मुंहबोले चचा थे. रेहान के घर पर उन का कुछ ज्यादा ही आनाजाना था. वे दादी अम्मा के बारे में ही पूछने आए थे.

‘‘बेटा, दुखी मत हो. सब्र से काम लो,’’ हाजी फुरकान ने दिलासा दिया.

‘‘चचा, दुख तो इस बात का है कि हम तीनों भाइयों ने उन की कोई खिदमत नहीं की. अब कैसे प्रायश्चित्त करें कि दिल को सुकून मिले. हम उन की खिदमत न कर पाने से तो दुखी हैं ही, उस से भी बड़ी परेशानी यह है कि अम्मा की कई ख्वाहिशें अधूरी रह गई हैं. न वे कुछ मनचाहा खापी सकीं और न ही पहनओढ़ सकीं. इस के पछतावे में हम सब का दिल बैठा जा रहा है.’’

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तभी आंगन के दूसरी ओर बने कमरे में से उस का छोटा भाई जुबैर अपनी बीवीबच्चों के साथ आ गया.

‘‘जुबैर बेटा, अपने भाई को समझाओ, ज्यादा आंसू न बहाए, सबकुछ ठीक हो जाएगा,’’ हाजी फुरकान ने जुबैर के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा. थोड़ी देर बाद उन्होंने दोनों भाइयों से पूछा, ‘‘फैजान कहां है? उसे भी जरा बुलाओ. कुछ खास बात करनी है तुम सब भाइयों के साथ.’’

जुबैर मकान के सामने के हिस्से के ऊपर बने कमरों में से एक कमरे का परदा हटा कर उस में घुस गया. थोड़ी देर बाद वह फैजान को ले कर नीचे आ गया. हाजी फुरकान तीनों भाइयों को ले कर घर की बैठक में चले गए.

‘‘बेटा, परेशान और पशेमान होने की कोई जरूरत नहीं है. अली मियां की मजार पर बैठने वाले मुजाविर गफूर मियां को तुम जानते ही हो. हर मर्ज का इलाज है उन के पास. वे और उन के साथी जाबिर मियां तुम्हें सभी दुखों से नजात दिला देंगे. जनाब जाबिर मियां तो तावीजगंडों और झाड़फूंक में माहिर हैं, माहिर, समझे. अपनी रूहानी ताकतों से अम्मा का पता लगा लेंगे. अगर जिंदा हुईं तो उन्हें घर आने पर मजबूर कर देंगे और यदि मर गई होंगी तो उन की रूह को सुकून दिला देंगे,’’ हाजी फुरकान ने ऐसी शान से कहा जैसे उन्होंने रेहान और उस के भाइयों के दुख दूर करने का ठेका ले रखा हो.

‘‘चचाजान, गफूर मियां और जाबिर मियां से जल्दी मिला दीजिए,’’ जुबैर तपाक से बोला.

‘‘जब तुम सब ने मुझ पर भरोसा किया है तो समझ लो कि तुम्हारी सारी परेशानियों का खात्मा हो गया. मैं कल ही गफूर मियां और जाबिर मियां को बुला लाऊंगा,’’ भरोसा दे कर हाजी फुरकान चले गए.

अपने अब्बू और चाचाओं की ये सारी बातें रेहान की बड़ी बेटी आरजू भी सुन रही थी. 12वीं कक्षा में पढ़ रही आरजू अपनी दादी अम्मा से काफी घुलीमिली थी. एक तरह से वह उन्हें ही अपनी मां समझती थी. वह अपनी दादी को बहुत चाहती थी और दादी अम्मा कह कर पुकारती थी. दादी अम्मा के चले जाने से सब से अधिक दुख उसी को था. अब्बू और चाचाओं के दोहरे व्यवहार को देख कर उस का कलेजा फटा जा रहा था. जब से उस ने होश संभाला था तब से घर में दादी अम्मा की उपेक्षा और दुर्दशा देख रही थी.

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जब तक अम्मा घर पर थीं तो बेटों ने उन की महत्ता नहीं समझी. अब उन्हें उन की कमी दुख दे रही थी. अलग रहते हुए भी अम्मा पूरे घरबार के टब्बर को कैसे समेटे रहती थीं. शादीब्याह और दूसरे कार्यक्रमों में जब बेटे अपनी बीवियों के साथ कुछ दिनों के लिए चले जाते तो अम्मा ही उन के बच्चों को ऐसे संभालतीं जैसे मुरगी अपने चूजों को परों के नीचे सुरक्षा देती है. घर के कार्यक्रमों में भी उन की मौजूदगी से सब निश्चिंत से हो जाते.

कई बार हलकीफुलकी बीमारी में तो बच्चे दादी अम्मा की गरम गोद, उन की कड़वे तेल की मालिश और घरेलू नुस्खों से ही ठीक हो जाते थे. अब उन के चले जाने से घर का भारीपन कहीं खो गया था. लगा, जैसे घर की छत उड़ गई हो और दीवारें नंगी हो गई हों. बेटेबहुएं पछता रही थीं कि काश, वे घर के बुजुर्ग का मूल्य समझ पाते. दादी अम्मा के साए में घर और बच्चों को सुरक्षित समझते हुए बेटे और बहुएं अपनेआप में मगन थे. लेकिन अब सुरक्षा का आवरण कहीं नहीं था. घर के सूनेपन और बच्चों के पीले चेहरों ने बेटों और बहुओं को झकझोर कर रख दिया था. उन्हें पछतावा हो रहा था कि जो अम्मा अकेले पूरे घर को समेटे हुए थीं, उन्हें पूरे घर के लोग मिल कर भी क्यों नहीं समेटे रख सके. पूरा घर आह भर रहा था, काश, दादी अम्मा वापस आ जाएं.

अम्मा का चरित्र कुछ इस तरह आंखों के सामने चित्रित होने लगा: दादी अम्मा जब इस घर में आई थीं तो उस समय उन की उम्र यही कोई 19 वर्ष की रही होगी. मांबाप ने उन का प्यारा सा नाम रखा था, सकीना. पिछड़े घराने से ताल्लुक रखने के कारण वे बस 5 दरजा तक ही पढ़ सकी थीं, लेकिन सुंदरता, गुणवत्ता और गुरुत्वता उन में कूटकूट कर भरी थी. मांबाप ने उन का विवाह महल्ले के 10वीं पास सुलेमान बेग से कर दिया था.

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