Anupama करेगी अनुज का प्यार कुबूल, देखें वीडियो

सीरियल अनुपमा में इन दिनों फैमिली ड्रामा देखने को मिल रहा है. जहां एक तरफ बा, वनराज और काव्या पूरी कोशिश कर रहे हैं कि अनुज और अनुपमा को जलील करने की. वहीं अनुज, अनुपमा से अपने प्यार के लिए माफी मांगने की बात करता नजर आ रहा है. लेकिन अपकमिंग एपिसोड में अनुपमा का नया कदम शाह परिवार को हैरान करने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा सीरियल में आगे…

अनुज के साथ नई दोस्ती की शुरुआत करेगी अनुपमा

इसी बीच शो के मेकर्स ने एक नया प्रोमो रिलीज किया है, जिसमें समर के कहने पर अनुपमा, अनुज के प्यार को समझकर उसे थैंक्यू बोलेगी. दरअसल, प्रोमो अनुपमा, अनुज से मिलकर कहती है कुछ पूछना था, जिसका जवाब देते हुए अनुज कहता है कि- क्या पूछना है? वहीं अनुपमा कहती है-बोल दूं. अनुज कहता है -प्लीज. इसके बाद अनुपमा कहती हैं थैंक्यू, मुझसे इतना प्यार करने के लिए और दिल से थैंक्यू. अनुपमा की यह बात सुनकर जहां अनुज का पछतावा कम होता है तो वहीं उसकी खुशी से फूला नहीं समाता. इसी बीत अनुपमा एक बार फिर अनुज की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाती नजर आती है.

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समर के कहने पर अनुपमा करती है फैसला

अब तक आपने देखा कि अनुज कपाड़िया शाह परिवार के सामने अपने 26 साल के प्यार को कुबूल करता है. लेकिन अनुपमा इस बात को सुन लेती है और अपने घर पहुंचती है. जहां समर उसे समझाता है कि अनुज का प्यार एकतरफा है. लेकिन उसने कभी अपनी दोस्ती का गलत फायदा नहीं उठाया और हमेशा #MaAn रखा. दूसरी तरफ अपने राज को सालों बाद खोलने पर अनुज को पछतावा होता है. लेकिन जीके उसे समझाते हैं कि अनुपमा से उसे माफी मांगनी चाहिए.

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चाकलेट खाये ,खुश हो जाए

चाकलेट खाना सभी को पसंद हैं.अक्सर चाकलेट किसी को खाते हुए देख खुद का मन भी , इसे खाने को  मचल उठता हैं. अपने दांतों को खराब होने से बचाने के लिए और अपने बढ़ते वजन पर नजर रखने के कारण ,हमें अपने को रोकना होता हैं  .किन्तु डार्क चाकलेट खाने के बहुत से फायदे हैं .कोको पदार्थ से बनी चाकलेट में बहुत से पोष्टिक तत्व होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक हैं .

कोको की विशेषता

जिस कोको पेड़ से डार्क चोकलेट बनाई जाती हैं, उस पेड़ में एंटी औक्सिडेंट ,मैग्निशियम ,लोहा ,पोटेशियम ,जिंक के अलावा भी बहुत से पोषक तत्व मौजूद हैं .इसके अतिरिक्त इसमें थोड़ी सी मात्रा में कैफीन भी होती हैं .इसीलिए   चाकलेट थोड़ी सी मात्रा में खाने पर भी  ,  ये हमें भरपूर  उर्जा से भर देती  हैं  . हमारे शरीर को उर्जावान रखने के लिये हमें एंटी ओक्सीडेंट की खुराक की  जरूरत होती हैं . शोध से यह साबित हो चूका हैं कि ब्लूबेरी की तुलना में कोको में बेहतर एंटी ओक्सीडेंट हैं .

डार्क और सुगर फ्री, चाकलेट डायबिटीज के मरीजों के लिये भी फायदेमंद हैं .इसकी प्रकृति उत्तेजक होने के कारण ,ये पित्त और इन्सुलिन के स्राव को प्रभावित करती हैं .जिससे डायबिटीज के स्तर को कम करने में, सहायता मिलती हैं .

डिप्रेशन और तनाव में भी बेहद फायदेमंद हैं .हम सभी अपने स्वभाव के उतार चड़ाव से पीड़ित रहते हैं कभी मन बेहद उदास या चिडचिडा हो जाता हैं .डार्क चाकलेट ऐसी स्तिथि में अत्यंत लाभदायक हैं.इसमें मौजूद कोको पौलिफेनोल्स के सेवन से गुड कोलेस्ट्रोल में वृद्धि होती हैं.डार्क चाकलेट में मौजूद तत्व मस्तिष्क को स्वस्थ्य रखने में सहायक हैं .

लीन बार

हरियाणा के टॉपर रहे देवांश जैन ने ,२०१८ में लम्बे शोध के बाद ऐसी चाकलेट का निर्माण किया हैं कि जो वजन कम करने में सहायक हैं .इन्होंने चोको ,सिपिरुलिना ,बादाम,किशमिश और म्यूसली के सफल मिश्रण से यह चाकलेट तैयार की हैं .जिसे बाद में स्टार्ट अप  का रूप दे दिया . आज ऑनलाइन  ‘द हेल्दी ’ के जरिये पचास हजार से ज्यादा उपभोक्ता इस चाकलेट को खरीद चुके हैं .

देवांश का कहना हैं कि महिने भर, एक चाकलेट सुबह नाश्ते में खाये तो वजन में छह से आठ किलो तक कमी आ सकती हैं .यह मेटाबालिज्म को बढ़ाने में भी मददगार हैं .देवांश के मुताबिक उनकी चाकलेट को भारतीय खाध्य संरक्षा एवम मानक प्राधिकरण  से  मान्यता प्राप्त हैं .

चाकलेट के नुकसान

डार्क चाकलेट में कैफीन की मात्रा अधिक मात्रा में होती हैं .इसीलिए इसका सीमित मात्रा में ही उपयोग किया जाना चाहिए . इसके अत्यधिक सेवन से अनिंद्रा , डीहाईड्रेसन ,सिर चकराना ,मितली आना,वजन बढ़ना जैसे विकार उत्पन्न हो जाते  हैं .

अति किसी भी चीज़ की अच्छी नहीं होती हैं यही बात चाकलेट पर भी लागू होती हैं . प्रतिदिन एक या दो टुकड़े ही डार्क चाकलेट का सेवन करना चाहिए . सेवन के लिए आप अपने डॉक्टर्स से भी परामर्श कर सकते हैं.  हाई ब्लडप्रेशर के लोगों को इससे दिक्कत हो सकती हैं .डार्क चाकलेट का अत्यधिक सेवन आपको लती बना देता हैं . साधारण चाकलेट में  सुगर की मात्रा अत्यधिक होती हैं जो  दांतों के लिए और शरीर के लिए  नुकसानदायक होती हैं .यदि सोच विचार कर, सीमित  मात्रा में डार्क चाकलेट  का सेवन करें तो इसके गुणों से लाभ उठाया जा सकता हैं .

डार्क चाकलेट का चुनाव

चाकलेट की लिखी एक्सपायरी डेट अवश्य देखे .

ऑर्गेनिक ब्रांड और अच्छे ब्रांड की चाकलेट  का चुनाव अति उत्तम रहता हैं .

पैक में अंकित फैट ,चीनी व् फ्लेवर की मात्रा को देखे .

डार्क चाकलेट में ७० प्रतिशत तक कोकोआ की उपस्तिथि फायेदेमंद हैं . जिसमे सुगर की मात्रा कम हो .

अपने स्वाद और सेहत के हिसाब से भी आप ,डार्क चाकलेट में मौजूद कोको की मात्रा का चयन कर सकते हैं .

सुरक्षित रखे

फ्रिज़ में ६५ से ८३ डिग्री f के बीच चाकलेट सुरक्षित रहती हैं

किसी एयर टाईट कंटेनर में सम्भाल कर रखे .

चाकलेट को तेज़ लाईट ,गर्मी व् नमी से दूर रखें .

जलते अलाव: भाग 2- क्यों हिम्मत नही जुटा सका नलिन

पूरे 30 सालों तक अनगिनत हादसों ने मेरी, नैना और जरी की जिंदगी को कई दर्दीले पड़ावों तक पहुंचा दिया.

2 बच्चों के बाद मेरी बेहद अहंकारी और खर्चीली पत्नी कमर से धनुष की तरह मुड़ कर पलंग के साथ पैबस्त हो गई. नैना के पति को लकवा मार गया और वह नौकरी करने के लिए मजबूर हो गई. जरी के पति भोपाल गैस कांड के शिकार हो गए. 2 मासूम बच्चों के साथ रोजीरोटी की जुगाड़ ने उसे भी दहलीज के बाहर कदम रखने को मजबूर कर दिया.

जरी के अम्मीअब्बू जिंदा थे. हर गरमी की छुट्टियों में बच्चों के साथ अपने शहर आती तो नैना अपने दुखदर्द में, शिकवेशिकायतें करने में जरी के अलावा किसी को शामिल नहीं करती.

मेरी पत्नी धनुषवात रोग को लंबे समय तक झेल नहीं सकी. दोनों बच्चों के पालनपोषण की जिम्मेदारी नौकरी के अतिरिक्त मुझे ही संभालनी पड़ती. पूरा दिन भागदौड़, व्यस्तता में कट तो जाता मगर रात, जैसे कयामत की तरह आग बरसाती. पनीली आंखों में जरी का चेहरा तैरने लगता. उस की नरम, नाजुक हथेली का हलकाहलका दबाव अकसर अपने माथे पर महसूस करता. रोज रात आंखें बरसतीं. तकिया भिगोतीं और तीसरे पहर कहीं आंख लगती तो जरी ख्वाब में आ जाती. मैं शादी के बाद भी एक पल के लिए उसे भूला नहीं.

6 कमरों की कोठी खाने को दौड़ती थी, इसलिए नैना को अपने पास बुला लिया. बच्चे बूआ से हिलमिल गए. गोया नैना ने मेरी गृहस्थी संभाल ली.

दूसरे दिन नाश्ते की टेबल पर मैं ने नैना के हाथों में जरी का कार्ड थमा दिया था.

‘‘दादा, कब मिली थी जरी आप से? कैसी है वह?’’ नैना ने बेचैन हो कर सवालों की झड़ी लगा दी, ‘‘दादा, अभी चलिए, प्लीज उठिए न.’’ नैना की जरी के प्रति आतुरता ने मुझे भी भावविह्वल कर दिया पर मैं ऊपर से शांत बना रहा.

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‘‘पहले फोन तो कर लो,’’ मैं ने कहा.

‘‘नहीं, कोई जरूरत नहीं फोन की. क्या आप जानते नहीं कि वह 1 महीने से यहां है, फिर भी उस ने कोई खबर नहीं दी. इस का मतलब क्या है? हमेशा की तरह वह कोई न कोई जहर चुपचाप पी रही होगी.’’

नैना मुझ से भी ज्यादा जरी की खामोशी की जबान को समझती है. यह देख कर मैं उस की दोस्ती को सलाम करने लगा और जरी के घर चल दिया.

कौलबैल बजते ही जरी के छोटे बेटे ने दरवाजा खोला, नैना और मैं अंदर गए. जरी भी ड्राइंगरूम में आ गई. उदास आंखें, निस्तेज चेहरा और पतलेपतले होंठों पर जमी चुप्पी की मोटी पपड़ी. नैना ने उस के गले लगते ही शिकायत की, ‘‘यहां 1 महीने से कैसे? क्या इतनी लंबी छुट्टी मिल गई?’’

‘‘मैं ने वीआरएस ले लिया है,’’ चट्टान से व्यक्तित्व की कमजोर आवाज गूंजी.

‘‘व्हाट? वीआरएस लेने की क्या जरूरत पड़ गई?’’ नैना ने जरी का हाथ अपने हाथों में ले कर उतावलेपन से पूछा.

जरी हमेशा की तरह सूनी दीवार को घूरने लगी.

‘‘बच्चों की जिम्मेदारी अभी पूरी कहां हुई है. ऐसी कौन सी मजबूरी थी जरी जो तुम जैसी दूरदर्शिता और समझदार ने ऐसा बचकाना फैसला ले लिया?’’ नैना के सब्र का बांध टूटने लगा था.

‘‘यह मेरा फैसला नहीं था? मेरी मजबूरी थी,’’ जरी की भर्राई आवाज का शूल मेरे कलेजे में धंस गया. मैं पत्थर की तरह बैठा, सन्न सा उसे अपलक देखता रहा. उस की दर्दीली आवाज का एकएक शब्द मुझ पर हथौड़े की चोट करता रहा.

1 साल पहले जरी का प्रमोशन उत्तर प्रदेश के ऐसे शहर में हो गया, जो अपनी मिट्टी को सांप्रदायिकता के खून की होली से रंगता रहा और देश के धर्मनिरपेक्ष संविधान को कलंकित करता रहा. जरी उस शहर की बलिदानी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से बहुत प्रभावित थी लेकिन रैस्टहाउस में कुछ दिन बिताने के बाद जब अपने लिए मकान तलाशने निकली तो लोग उस के चुंबकीय व्यवहार से प्रभावित हो कर किराया और अन्य औपचारिकताएं तय कर लेते. लेकिन जैसे ही उन्हें उस के धर्म का पता चलता, वे कोई न कोई बहाना बना कर टाल जाते. पूरे 1 महीने की कोशिश के बावजूद किराए का मकान नहीं मिला.

स्टाफ मैंबर कोरी हमदर्दी जताते हुए व्यंग्य से पूछते, ‘मिल गया मकान मैडम?’

‘जी नहीं,’ जरी का संक्षिप्त जवाब उसे खुद को बुरी तरह आहत कर देता.

‘मुसलिम इलाके में क्यों नहीं ट्राइ करतीं?’

‘ऐक्चुअली वह काफी दूर है. बच्चों का काफी वक्त आनेजाने में ही बरबाद हो जाएगा.’

‘यह क्यों नहीं कहतीं मैडम कि मुसलमान बस्ती की गंदगी और परदेदारी की पाबंदी को आप खुद ही नहीं झेल पाएंगी,’ मिसेज खुराना ठहाका लगाते हुए व्यंग्य करतीं. हिंदू बहुसंख्यक स्टाफ, अल्पसंख्यक एक अदद महिला कर्मचारी पर, कभी लंच टाइम में, कभी कैंटीन में कोई न कोई कठोर उपहास भरा जुमला उछाल कर आहत करने का अवसर हाथ से न जाने देता.

वतन के लिए शहीद होने वाले मंगल पांडे जैसे जांबाज सिपाही का साथ सिर्फ हिंदुओं ने ही नहीं, मुसलमानों ने भी दिया था. तब कहीं तिरंगा शान से लालकिले पर लहराया था. लेकिन आज कौमपरस्ती की तंगदिली ने उस शहर के गलीकूचों में नफरत की आग जला कर देश के इतिहास को रक्तरंजित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. सांप्रदायिक दंगों में कितने बेगुनाहों के घर जले, कितने बेकुसूरों को नाहक मौत के घाट उतारा गया, कितनी बेवाएं, कितने यतीमों की चीखें शहर का कलेजाहिलाती रहीं. इस का हिसाब तो खुद उस शहर की जमीन, हवाओं और आसमान के पास भी नहीं है. नफरत की आग में नाहक वे लोग भी झुलसने लगे जो रोजीरोटी की आस में मजबूरन उस शहर के बाश्ंिदे बने थे.

जरी की परेशानी देख कर जल्द ही रिटायर्ड होने वाली महिला प्राचार्या ने अपने क्वार्टर में शेयरिंग में रहने की लिखित इजाजत दे कर अपनी सहृदयता दिखाई.

जरी ने साइलैंट वर्कर के रूप में प्राचार्या के दिल में जल्द ही जगह बना ली. उन्होंने जरी को ऐडमिशन इंचार्ज बना दिया. इस बदलाव ने स्टाफ में आग में घी का काम किया. प्राचार्या के विरोधियों को उन की आलोचना करने का एक शिगूफा मिल गया.

जरी की कर्मठता और अनुशासन ने आर्ट्स 11वीं, 12वीं के बिगड़े बच्चों को आपराधिक और उद्दंड जीवनशैली त्याग कर शिक्षा के प्रति समर्पित एवं अनुशासित जीवन जीने और महत्त्वाकांक्षी विद्यार्थी बनने की प्रेरणा दी. विद्यालय में होने वाले नित नए अर्थपूर्ण बदलावों ने, अकर्मण्य शिक्षकों के मन में, जरी के प्रति ईर्ष्या और द्वेष की भावना भर दी.

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विद्यालय का बदलता रूप और विद्यार्थियों के मन में उपजी शिक्षा व पुस्तकप्रेम की भावना को जगा कर भविष्य की आशाओं के नए अंकुर प्रस्फुटित करने में जरी कामयाब रही.

प्राचार्या की रिटायरमैंट पार्टी में शामिल नए प्राचार्य के कानों में जरी को प्राचार्या का दायां हाथ बताने वाले स्तुतिभरे वाक्य पड़े तो उस के प्रति उपजी सहज उत्सुकता ने स्टाफ के कुछ धूर्त एवं मक्कार शिक्षकों को अपनी कुंठा की भड़ास निकालने का मौका दे दिया. 2 दिन में ही प्राचार्य ने जरी की पर्सनल फाइल का एकएक शब्द बांच लिया. 28 साल के सेवाकाल में प्राथमिक शिक्षिका के 2 प्रमोशन, इन सर्विस कोर्स की रिसोर्स पर्सन, पिछले स्कूलों में 10 सालों से ऐडमिशन इंचार्ज, ऐक्टिव, पजेसिव, रिसोर्सफुल, प्रोगैसिव शब्द, प्राचार्य की आंखों के कैनवास पर छप कर खटकने लगे. ‘तमाम मुसलमान, एक तरफ देश की जडे़ं खोद रहे हैं अपनी असामाजिक और गैरकानूनी गतिविधियों से, दूसरी तरफ अपनी ईमानदारी और कर्मठता का ढोल पीट कर खुद को देशभक्त साबित करने का ढोंग करते हैं,’ रात को अंगूरी के नशे के झोंक में प्राचार्य के मुंह से निकले इन शब्दों ने जरी के विरोधियों को उस के खिलाफ जहर उगलने के सारे मौके अता कर दिए.

चौथे दिन ही प्राचार्य क्वार्टर छोड़ने और उस के पद से नीचे का क्वार्टर का एलौटमैंट लेटर चपरासी ने जरी को थमा दिया. जरी ने कोई प्रतिरोध नहीं किया.

शांत, कर्मठ जरी का कोई भी कमजोर पहलू प्राचार्य के हाथ नहीं लगा तो इंस्पैक्शन के बहाने अकसर उस की कक्षा में आ कर बैठने लगे. बच्चों को अलगअलग बुला कर ‘जरी के टीचिंग मैथड से सैटिस्फाइड हैं या नहीं?’ लिखित में जवाब मांगने लगे.

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गलती: क्या हुआ था कविता के साथ

लेखक- विनय कुमार पाठक

साढ़े 5 लाख रुपए कोई छोटी रकम नहीं होती. साढ़े 5 लाख तो क्या, उस के पास अभी साढ़े 5 हजार रुपए भी नहीं हैं और उसे धमकी मिली है साढ़े 5 लाख रुपए देने की. नहीं देने पर उस की तसवीर को उजागर करने की धमकी दी गई है.

उस ने अपने मोबाइल फोन में ह्वाट्सऐप पर उस तसवीर को देखा. उस के नंगे बदन पर उस का मकान मालिक सवार हो कर बेशर्मों की तरह सामने देख रहा था. साथ में धमकी भी दी गई थी कि इस तरह की अनेक तसवीरें और वीडियो हैं उस के पास. इज्जत प्यारी है तो रकम दे दो.

यह ह्वाट्सऐप मैसेज आया था उस की मकान मालकिन सारंगा के फोन से. एक औरत हो कर दूसरी औरत को वह कैसे इस तरह परेशान कर सकती है? अभी तक तो कविता यही जानती थी कि उस की मकान मालकिन सारंगा को इस बारे में कुछ भी नहीं पता. बस, मकान मालिक घनश्याम और उस के बीच ही यह बात है. या फिर यह भी हो सकता है कि सारंगा के फोन से घनश्याम ने ही ह्वाट्सऐप पर मैसेज भेजा हो.

कविता अपने 3 साल के बच्चे को गोद में उठा कर मकान मालकिन से मिलने चल दी. वह अपने मकान मालिक के ही घर के अहाते में एक कोने में बने 2 छोटे कमरों के मकान में रहती थी.

मकान मालकिन बरामदे में ही मिल गईं.

‘‘दीदी, यह क्या है?’’ कविता ने पूछा.

‘‘तुम्हें नहीं पता? 2 साल से मजे मार रही हो और अब अनजान बन रही हो,’’ मकान मालकिन बोलीं.

‘‘लेकिन, मैं ने क्या किया है? घनश्यामजी ने ही तो मेरे साथ जोरजबरदस्ती की है.’’

‘‘मुझे कहानी नहीं सुननी. साढ़े 5 लाख रुपए दे दो, मैं सारी तसवीरें हटा दूंगी.’’

‘‘दीदी, आप एक औरत हो कर…’’

‘‘फालतू बातें करने का वक्त नहीं है मेरे पास. मैं 2 दिन की मुहलत दे रही हूं.’’

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‘‘लेकिन, मेरे पास इतने पैसे कहां से…’’

‘‘बस, अब तू जा. 2 दिन बाद ही अपना मुंह दिखाना… अगर मुंह दिखाने के काबिल रहेगी तब.’’

कविता परेशान सी अपने कमरे में वापस आ गई. उस के दिमाग में पिछले 2 साल की घटनाएं किसी फिल्म की तरह कौंधने लगीं…

कविता 2 साल पहले गांव से ठाणे आई थी. उस का पति रामप्रसाद ठेले पर छोटामोटा सामान बेचता था. घनश्याम के घर में उसे किराए पर 2 छोटेछोटे कमरों का मकान मिल गया था. वहीं वह अपने 6 महीने के बच्चे और पति के साथ रहने लगी थी.

सबकुछ सही चल रहा था. एक दिन जब रामप्रसाद ठेला ले कर सामान बेचने चला गया था तो घनश्याम उस के घर में आया था. थोड़ी देर इधरउधर की बातें करने के बाद उस ने कविता को अपने आगोश में भरने की कोशिश की थी.

जब कविता ने विरोध किया तो घनश्याम ने अपनी जेब से पिस्तौल निकाल कर उस के 6 महीने के बच्चे के सिर पर तान दी थी और कहा था, ‘बोल क्या चाहती है? बच्चे की मौत? और इस के बाद तेरे पति की बारी आएगी.’

कोई चारा न देख रोतीसुबकती कविता घनश्याम की बात मानती रही थी. यह सिलसिला 2 साल तक चलता रहा था. मौका देख कर घनश्याम उस के पास चला आता था. 1-2 बार कविता ने घर बंद कर चुपचाप अंदर ही पड़े रहने की कोशिश की थी, पर कब तक वह घर में बंद रहती. ऊपर से घनश्याम ने उस की बेहूदा तसवीर भी खींच ली थी जिन्हें वह सभी को दिखाने की धमकी देता रहता था.

इन हालात से बचने के लिए कविता ने कई बार अपने पति को घर बदलने के लिए कहा भी था पर रामप्रसाद उसे यह कह कर चुप कर देता था कि ठाणे जैसे शहर में इतना सस्ता और महफूज मकान कहां मिलेगा? वह सबकुछ कहना चाहती थी पर कह नहीं पाती थी.

पर आज की धमकी के बाद चुप रहना मुमकिन नहीं था. कविता की समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे. इतने पैसे जुटाना उस के बस में नहीं था. यह ठीक है कि रामप्रसाद ने मेहनत कर काफी पैसे कमा लिए हैं, पर इस लालची की मांग वे कब तक पूरी करते रहेंगे. फिर पैसे तो रामप्रसाद के खाते में हैं. वह एक दुकान लेने के जुगाड़ में है. जब रामप्रसाद को यह बात मालूम होगी तो वह उसे ही कुसूरवार ठहराएगा.

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रामप्रसाद रोजाना दोपहर 2 बजे ठेला ले कर वापस आ जाता था और खाना खा कर एक घंटा सोता था. मुन्ने के साथ खेलता, फिर दोबारा 4 बजे ठेला ले कर निकलता और रात 9 बजे के बाद लौटता था.

‘‘आज खाना नहीं बनाया क्या?’’ रामप्रसाद की आवाज सुन कर कविता चौंक पड़ी. वह कुछ देर रामप्रसाद को उदास आंखों से देखती रही, फिर फफक कर रो पड़ी.

‘‘क्या हुआ? कोई बुरी खबर मिली है क्या? घर पर तो सब ठीक हैं न?’’ रामप्रसाद ने पूछा.

जवाब में कविता ने ह्वाट्सऐप पर आई तसवीर को दिखा दिया और सारी बात बता दी.

‘‘तुम ने मुझे बताया क्यों नहीं?’’ रामप्रसाद ने पूछा.

कविता हैरान थी कि रामप्रसाद गुस्सा न कर हमदर्दी की बातें कर रहा है. इस बात से उसे काफी राहत भी मिली. उस ने सारी बातें रामप्रसाद को बताईं कि किस तरह घनश्याम ने मुन्ने के सिर पर रिवौल्वर सटा दिया था और उसे भी मारने की बात कर रहा था.

रामप्रसाद कुछ देर सोचता रहा, फिर बोला, ‘‘इस में तुम्हारी गलती सिर्फ इतनी ही है कि तुम ने पहले ही दिन मुझे यह बात नहीं बताई. खैर, बेटे और पति की जान बचाने के लिए तुम ने ऐसा किया, पर इन की मांग के आगे झुकने का मतलब है जिंदगीभर इन की गुलामी करना. मैं अभी थाने में रिपोर्ट लिखवाता हूं.’’

रामप्रसाद उसी वक्त थाने जा कर रिपोर्ट लिखा आया. जैसे ही घनश्याम और उस की पत्नी को इस की भनक लगी वे घर बंद कर फरार हो गए.

कविता ने रात में रामप्रसाद से कहा, ‘‘मुझे माफ कर दो. मुझ से बहुत बड़ी गलती हो गई.’’

‘‘माफी की कोई बात ही नहीं है. तुम ने जो कुछ किया अपने बच्चे और पति की जान बचाने के लिए किया. गलती बस यही कर दी तुम ने कि सही समय पर मुझे नहीं बताया. अगर पहले ही दिन मुझे बता दिया होता तो 2 साल तक तुम्हें यह दर्द न सहना पड़ता.’’

कविता को बड़ा फख्र हुआ अपने पति पर जो इन हालात में भी इतने सुलझे तरीके से बरताव कर रहा था. साथ ही उसे अपनी गलती का अफसोस भी हुआ कि पहले ही दिन उस ने यह बात अपने पति को क्यों नहीं बता दी. उस ने बेफिक्र हो कर अपने पति के सीने पर सिर रख दिया.

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Winter Special: सर्दियों में पानी पीना न करें कम

हमारा शरीर जिन तत्वों से बना है, उसमें जल मुख्य घटक है. अगर शरीर में जल की मात्रा कम हो जाए, तो जीवन खतरे में पड़ जाता है.  इससे यह बात बिल्‍कुल साफ है कि पानी पीना हमारे लिए कितना जरूरी है.

गर्मियों में प्यास अधिक लगती है तो लोग पानी भी खूब पीते हैं मगर सर्दियों में यह मात्रा कम हो जाती है. इसकी एक वजह यह है कि हमें इन दिनों प्यास नहीं लगती, जिसके कारण लोग पर्याप्‍त पानी नही पीते हैं. इस वजह से कई गंभीर समस्‍याओं का सामना करना पड़ता है.

शरीर में पानी की कमी डिहाइड्रेशन, हाई ब्लड प्रेशर और इंफेक्शन जैसी बीमारियों को जन्म देती है. पानी की कमी से पाचन क्रिया भी प्रभावित होती है जिस कारण सिरदर्द और थकान की शिकायत होती है. कई लोग बुखार में मरीज को पानी नहीं देते. जबकि बुखार और डायरिया में शरीर को पानी की ज्यादा जरूरत पड़ती है.  डायरिया में शरीर में पानी की कमी के कारण मरीज की हालत खराब हो सकती है. इसलिए थोड़ी-थोड़ी देर में उसे पानी देते रहना चाहिए. बुखार में शरीर का तापमान सही रखने के लिए पानी की जरूरत ज्यादा होती है.

महिलाओं के लिए है जरूरी

महिलाओं को अधिक मात्रा में पानी पीना चाहिए.  स्त्रियों में यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन की समस्या होती है.  इसी वजह उनके शरीर को पानी की अधिक जरूरत होती है. जो महिलाएं प्रेगनेंट हैं या स्तनपान कराती हैं उनके शरीर को पानी की ज्यादा जरूरत होती है. ऐसे में उन्हें ज्यादा से ज्यादा पानी पीना चाहिए. कोई भी इंसान खाने के बिना कई दिनों तक रह सकता हैं, पर शरीर को पानी रोज चाहिए. शरीर के मेटाबोलिज्म, डाइजेशन और एबजॉरव्शन के लिए पानी की बेहत जरूरत होती हैं. शरीर के यूरिया, सोडियम और पोटेशियम जैसे विषैले पदार्थ को बाहर करने और तापमान सही रखने के लिए पानी की जरूरत पड़ती है.

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खूबसूरती के लिए 

त्वचा की खूबसूरती को बरकरार रखने के लिए पानी ज्यादा से ज्यादा मात्रा में पिएं.  पानी की कमी त्वचा को रूखा बनाती है.  रूखी त्वचा पर झुर्रियां भी जल्द पड़ती हैं.  इसलिए त्वचा में नमी के लिए पानी पीएं ताकि त्वचा चमकदार और जवां बनी रहे.  शरीर में पानी की कमी मोटापा भी बढ़ाता है.  पर्याप्त पानी पीने से वजन भी नियंत्रित रहता है.  आप चाहें तो डाइट से भी शरीर में पानी की कमी को पूरा कर सकते हैं.  खाने में खीरा, तरबूज, खरबूज और दूसरे फल शामिल कर पानी की पूर्ति कर सकते हैं.  सर्दियों के मौसम में कई तरह की हरी सब्जियां मिलती हैं जिससे शरीर को पानी मिलता है.

इस वजह से भी पीएं पानी

पानी पीना इस इस बात पर भी निर्भर करता हैं कि आपकी दिनचर्या कैसी है.  अगर आप ज्यादा शारीरिक मेहनत करते हैं तो आपके शरीर को ज्यादा पानी की जरूरत है.  जो लोग एक्‍सरसाइज करते हैं उन्‍हें भी भरपूर मात्रा में पानी पीना चाहिए.  पसीना, यूरिन अैर मेटाबोलिज्म फंक्शन के कारण शरीर में पानी की कमी होती है. इसलिए पानी ज्यादा से ज्यादा पीना जरूरी है.

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नाश्ते में बनाएं बनाना पैनकेक

नाश्ता हर गृहिणी के लिए अक्सर बहुत बड़ी समस्या होती है क्योंकि इसे हर सुबह या शाम को बनाना होता है इसलिए इसका पौष्टिक होना भी अत्यंत आवश्यक है. हमारे घरों में पैनकेक बनाने के लिए आमतौर पर मैदा का प्रयोग किया जाता है लेकिन दूसरे प्रिजर्वेटिव इत्यादि डाले जाने से इसका कम से कम प्रयोग किया जाना चाहिए. लेकिन आज हम आपको आटे और केले के कौम्बिनेशन से पैनकेक बनाने की रेसिपी बताएंगे.

सामग्री

–  1/2 कप गेहूं का आटा

– 1 मैश किया केला

– थोड़ा सा टुकड़ों में कटा गुड़

–  1/2 छोटा चम्मच वैनिला ऐसैंस

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– 1 कप सोया मिल्क

– 1 छोटा चम्मच घी.

विधि

एक बाउल में आटा ले कर उस में मैश किया केला डालें. फिर इस में गुड़, वैनिला ऐसैंस व सोया मिल्क डाल कर अच्छी तरह तब तक फेंटें, जब तक गुड़ उस में अच्छी तरह मिल न जाए व वह बैटर की फौर्म में न आ जाए. इस के बाद एक नौनस्टिक पैन को मीडियम आंच पर गरम कर के उस में थोड़ा सा घी डाल कर अच्छी तरह फैलाएं. अब 1 चम्मच बैटर ले कर उसे पैन पर गोलाकार पैन केक बनाते हुए घुमाएं. इसे तब तक पकाएं, जब तक यह किनारों से सुनहरा न हो जाए. फिर इसे पलट कर दूसरी तरफ से भी पकाएं. पैनकेक बनने के बाद इसे आंच से उतार कर गरमगरम सर्व करें.

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नई दुल्हन के लिए परफेक्ट है Kundali Bhagya की ‘प्रीता’ के ये लुक्स, जल्द करेंगी शादी

इन दिनों सेलेब्सकी शादियों की खबरें सोशलमीडिया पर छाई हुई हैं. जहां एक्ट्रेस अंकिता लोखंडे ने फैंस को शादी की जानकारी दी तो वहीं खबरे हैं कि कुंडली भाग्य की प्रीता यानी लीड एक्ट्रेस श्रद्धा आर्या जल्द ही दुल्‍हन बनने वाली हैं. खबरों की मानें तो एक्ट्रेस श्रद्धा आर्या 16 नवंबर 2021 को दिल्ली में शादी करेंगी. हालांकि अभी तक उनकी शादी और पति को लेकर कोई बयान सामने आया है. लेकिन आज हम आपको श्रद्धा आर्या की शादी की नहीं बल्कि उनके इंडियन लुक्स के बारे में बताएंगे, जिसे नई दुल्हन ट्राय कर सकती हैं. शादियों के सीजन में नई बहू या होने वाली बहू के लुक्स खास होने चाहिए. इशीलिए आज हम टीवी की पौपुलर बहू के लुक्स की झलक आपको दिखाएंगे.

लाल लहंगे में जीते दिल

 

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नई दुल्हन के लिए लाल कलर काफी ट्रैंड में रहता है. वहीं रेड कलर नई दुल्हन के लुक पर चार चांद भी लगाता है. श्रद्धा आर्या का रेड कलर का लहंगा आपके लिए परफेक्ट औप्शन साबित हो रहा है.

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ब्लू लहंगा करें ट्राय 

 

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अगर आप वेडिंग सीजन में कुछ नया और ट्रैंडी ट्राय करना चाहती हैं तो श्रद्धा आर्या का ब्लू लहंगा आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. इसके साथ आप अपने लुक पर चार चांद लगा सकती हैं.

सूट के औप्शन भी हैं खास

 

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लहंगे के अलावा श्रद्धा आर्या का सूट कलेक्शन भी खास है. सिंपल ग्रीन कलर के सूट के साथ फ्लावर प्रिंटेड दुपट्टा आप ट्राय कर सकती हैं. ये आपके लुक को ट्रैंडी बनाने के साथ एलीगेंट दिखाने में भी मदद करेगा.

हल्दी फंक्शन में ट्राय करें ये लहंगा

 

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अगर आप नई बहू हैं और किसी शादी के फंक्शन का हिस्सा बनने वाली हैं तो श्रद्धा आर्या का ये सिंपल लहंगा बेहद खूबसूरत लगेगा. प्लेन सिल्क कौम्बिनेशन में ये लहंगा आपको रौयल लुक देगा.

 

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बच्चों का बचपन तो न छीनो

धारावाहियों की जानीमानी ऐक्ट्रैस श्वेता तिवारी के मामले में मुंबई उच्च न्यायालय ने कहा है कि यद्यपि श्वेता तिवारी एक बिजी ऐक्टै्रस है पर वह अपने 5 साल के  छोटे बेटे का ध्यान अकेले नहीं रख सकती है, गलत है. श्वेता तिवारी का अपने पति अभिनव कोहली से कस्टडी का विवाद चल रहा है और दोनों में तलाक का मुकदमा चल रहा है. बेटा अभी श्वेता तिवारी के पास रह रहा है और अभिनव उस से मिल तक नहीं पाता.

अभिनव का कहना था कि उस के पास बच्चे को संभालने का काफी टाइम है जबकि श्वेता अपनी शूटिंगों में बिजी रहती है. हाई कोर्ट के जजों एसएस शिंदे और एन.जे. जामदार ने अभिनव को बेटे से सप्ताह में 2 घंटे मिलने और 30 मिनट की वीडियो कौल का हक दिया, उस से ज्यादा नहीं.

जिन विवादों में झगड़ा हो जाता है उन में पति की संपत्ति से ज्यादा जो दर्द देने वाला मामला होता है वह छोटे से या बड़े होते बच्चों की कस्टडी या उन से मिलने के अवसरों का होता है.

मांएं अकसर केवल पूर्व पति को तंग करने के लिए बच्चे पर संपूर्ण हक जमाने की कोशिश करती हैं, वे तरहतरह के आरोप लगा कर पति का पिता का हक भी छीन लेना चाहती हैं. यही विवाह की सब से बड़ी ट्रैजेडी है.

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एक बार बच्चा हो जाने के बाद एक स्वाभाविक व प्राकृतिक लगाव पिता के मन में बच्चे के प्रति पैदा हो जाता है. वह दुनिया के सारे दुख भूल कर, संपत्ति दे कर बच्चे का साथ चाहता है और मां को परपीड़न सुख मिलता है. जब वह मां होने के नाते, जिस ने 9 महीने बच्चे को गर्भ में रखा, जिस ने अपनी ब्रैस्ट से दूध पिलाया, जिस ने रातरात भर जाग कर नैपी बदलीं, बच्चे पर पूरा हक मांगती है और पिता को सताती है.

जहां पैसे का मामला हो वहां तो थोड़ाबहुत लिहाज रहता है पर जहां पत्नी काफी कमा रही हो, वह वह पति के पैसे के बदले बच्चे के साथ रहने का हक नहीं छोड़ना चाहती जबकि संतान वह दोनों की होती है.

बच्चे क्या चाहते हैं यह आमतौर पर स्पष्ट नहीं होता क्योंकि स्वाभाविक लगाव तो हर बच्चे का मां के साथ ही होता है. 30-40-50 साल का बेटा भी जो बातें मां से शेयर कर सकता है, वह पिता से नहीं. पिता और बच्चों में प्यार तो होता है पर संवाद के खुलेपन पर एक अदृश्य सा परदा पड़ा रहता है.

पिता दो टूक बात कहता है,  दो टूक सुनता है. मां पूरी कहानी सुनने को तैयार है, शुरू से आखिर तक. मां का प्रेम वात्सल्य वाला होता है, पिता का तार्किक, व्यावहारिक और थोड़ा रूखा. पिता के साथ रहते बच्चे भी भागभाग कर मां के पास पहुंचते हैं चाहे मां ने भले ही दूसरी शादी कर ली हो और दूसरे पति से उस के और बच्चे भी हो गए हों. बेटियों का लगाव तो पिताओं से बहुत देर में पनपता है जब उन्हें एक संरक्षक की जरूरत पड़ती है.

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मुंबई हाई कोर्ट की राय अपनेआप में ठीक है कि व्यस्त मां भी बच्चे का खयाल रख सकती है. मां के पास यदि पैसा है तो वह सुरक्षा व देखभाल करने वालों को जमा कर सकती है. यदि पतिपत्नी में बन रही हो और दोनों कामकाजी हों तो भी बच्चे तो कुकों और आयों के हाथों ही पलते हैं. आज की तो दादीनानी भी देखभाल करने को मना कर देती हैं.

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जल्दी खत्म हो जाती है सैलरी…

महंगाई ज्यादा है और सैलरी कम. ऐसे में बचत और निवेश करें, तो कैसे करें. यहां दो जून की रोटी जुगाड़ने में सारा पैसा जा रहा है. हममें से ज्यादातर लोगों की सैलरी महीना पूरा होने से पहले ही खत्म हो जाती है.

फिर शुरू होता है वो दौर जब अगली सैलरी का बेसब्री से इंतजार किया जाता है. सैलरी, बचत और निवेश के कई ऐसे आंकड़े सामने आए हैं जिन्हें जानकर आप दंग रह जाएंगे.

रोजाना की जरूरत में खर्च होती सैलरी

आपको जानकर हैरानी होगी कि 10 में से 9 परिवार अपनी सारी कमाई रोजाना की जरूरत पूरा करने में खर्च कर देते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि हमारे देश में 94% परिवार ऐसे हैं जो 70-100% सैलरी खर्च कर देते हैं. अब इसी से अंदाजा लगा लीजिए कि भारत के लोग बचत को लेकर कितने अलर्ट हैं.

भारतीयों को लोन का बोझ नापसंद

भले ही सबका सपना घर खरीदने का हो, लेकिन ज्यादातर लोग इसके लिए लोन लेने में सहज महसूस नहीं करते. शायद इसलिए क्योंकि हम भारतीयों की एक खासियत है कि हम किसी के बोझ तले दबे रहने में सुकून महसूस नहीं करते. यही कारण है कि 20 में से 17 परिवारों पर होम लोन का कोई बोझ नहीं है.

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खाली जेब

देश के आधे परिवार की तनख्वाह महीने के अंत तक खत्म हो जाती है. एक रिपोर्ट के मुताबिक 47 प्रतिशत परिवार ऐसे हैं जो अपनी इनकम का 1-29 फीसदी हिस्सा बचा लेते हैं. वहीं हैरानी वाली बात यह है कि सिर्फ 1.3 फीसदी परिवार ऐसे हैं जो हर महीने 50-100 फीसदी की बचत करते हैं.

ठन-ठन गोपाल

चौंकाने वाली बात है कि 10 में से 8 परिवार ऐसे हैं, जिनके पास निवेश के लिए कोई बचत नहीं होती. 84 फीसदी परिवार ऐसे हैं जो 1-29 फीसदी के बीच निवेश करते हैं. वहीं, 50 फीसदी से ज्यादा निवेश करने वालों की लिस्ट में एक फीसदी परिवार भी शामिल नहीं हैं.

बैंक में भागीदारी

करीब आधे भारतीय आज भी बचत के लिए पुराने फिक्स डिपॉजिट पर कायम हैं. वहीं, 5 में से 1 आदमी का पैसा टैक्स बचत वाले देशों के बैंकों में रखा है.

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बचत के लिए अच्छी जगह

भारत में 56.2 फीसदी लोग बैक डिपॉजिट में निवेश करते हैं. वहीं, 9.5 फीसदी (रियल स्टेट), 6.3 फीसदी (बीमा,) 3.8 फीसदी (सोना) और 2.1 फीसदी दूसरी चीजों में. बता दें कि 20.7 फीसदी लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने इस बात का जवाब देने से ही इनकार कर दिया.

भविष्य की चिंता

हमारे देश में दो तिहाई लोग ऐसे हैं, जो नौकरी जाने के खौफ से बचत करते हैं. आपको जानकर हैरानी ऐसे लोगों की तादाद 70.6 फीसदी है.

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