लीवर में छाले, क्या है इलाज 

लीवर में छाले पड़ना यानि लीवर के कुछ भाग में पस जमा होने लगता है, जो काफी दर्दनाक होता है. अगर समय पर इसका इलाज नहीं करवाया जाता तो ये जख्म फूट सकते हैं और इससे निकलने वाली गंदगी रक्त प्रवाह के जरिए शरीर के अन्य हिस्सों में पहुंचकर उन्हें संक्रमित कर सकती है.  इस संबंध में बताते हैं मणिपाल होस्पिटल के लीवर ट्रांसप्लांटेशन सर्जन डाक्टर राजीव लोचन. साधारण तौर पर यह बीमारी दो प्रकार की होती है- एमिओबिक लीवर एब्सेस और पायोजेनिक लीवर एब्सेस .वैसे आपके लीवर में छाले पड़ने के कई कारण हो सकते हैं. बता दें कि एमिओबिक  लीवर एब्सेस का महत्वपूर्ण कारण यह है कि यह बीमारी एन्टामिबा हिस्टॉलिटिका  जैसे पेरेसाइट्स के चलते होती है. इसका मतलब यह है कि लीवर के मार्ग में इंफेक्शन के चलते  एमिबायासिस होता है. पायोजेनिक लीवर एब्सेस होने का प्रमुख कारण इंटेस्टाइन ट्रैक या मूत्र मार्ग का इंफेक्शन होना ही अकसर माना जाता है.

एब्सेस की बीमारी होने में उम्र भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.  एमिओबिक  लीवर एब्सेस की बीमारी अधिकतर अधिक उम्र के लोगों में ज्यादा होती है. वयस्क लोग विशेष रूप से जिन्हें मधुमेह या जिनकी कीमोथेरेपी हुई होती है , उन्हें लीवर एब्सेस होने का खतरा सबसे अधिक होता है. या फिर ऐसे व्यक्ति जिनकी प्रतिकार क्षमता कम हो या जो वजन घटाने का कोई उपचार कर रहे हैं , उन्हें भी लीवर की बीमारियां होने का खतरा सबसे अधिक हो सकता है.

ये भी पढ़ें- पेट के कैंसर से कैसे बचें

क्या हैं लक्षण 

– पेट के निचले हिस्से में दर्द होना.

– डायरिया

– बेचैनी

– हलका बुखार

– खाने की इच्छा नहीं होना

– वजन कम होना आदि.

कौन से प्रकार का लीवर एब्सेस है, उसकी जांच करने के बाद ही उसका पता चलता है व उसके बाद ही उस का सही इलाज करना संभव होता है.

लीवर एब्सेस होने के कारण 

लीवर एब्सेस होने के निर्मलिखित कारण होते हैं , जो इस प्रकार से हैं-

–  पित्ताशय के मार्ग में बीमारी.

–   पित्ताशय  के मार्ग में कोई समस्या.

– यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन

लीवर एब्सेस की रोकथाम कैसे करें 

इसके लिए पेट के निचले हिस्से में इंफेक्शन की जांच करना बहुत जरूरी होता है . क्योंकि लीवर एब्सेस होने का यह भी एक कारण हो सकता है, और इसकी रोकथाम के लिए ये जांच बहुत जरूरी होती है.  विशेष रूप से बुजुर्ग़ या जिन्हें डाईबिटिज़ जैसी कोई बीमारी है , ऐसे व्यक्तियों में इसका खतरा सबसे अधिक रहता है. ओब्सक्यूअर यूरिनरी ट्रैक इंफेक्शन और पेल्विक सेप्सिस भी लीवर एब्सेस होने के कारण  हो सकते हैं. लेकिन इसके लिए पहले सही कारण का पता लगाना बहुत जरूरी होता है, ताकि सही इलाज संभव हो सके.

ये भी पढ़ें- डेंचर से अपनी खूबसूरत मुस्कान वापस पाएं!

उपचार 

लीवर में अगर किसी तरह का पस नजर आता है, तो डाक्टर जरूरी जांच कर शुरुवात में एंटीबायोटिक दवाएं देते हैं , जिससे महीने भर के अंदर पस सूखने के साथ मरीज को आराम मिल जाता है. लेकिन अगर मरीज को ज्यादा दर्द व लक्षण ज्यादा गंभीर नजर आते हैं , तो किसी खास तरह की सिरिंज का इस्तेमाल करके पस को बाहर निकाला जाता है. लेकिन अगर स्तिथि ज्यादा गंभीर है और दवाओं से ही कंट्रोल करना संभव नहीं है तो सर्जरी की मदद लेकर लीवर का कुछ भाग निकालने की जरूरत होती है और फिर जल्दी घाव को भरने के लिए  मरीज को साथसाथ एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती है. लेकिन ये ट्रीटमेंट मरीज की स्तिथि को देखकर दिया जाता है. इस बीमारी के इलाज के लिए एचबीपी सर्जन, मेडिकल गैस्ट्रोएंट्रोलोजिस्ट तथा डायगोनोस्टिक और इंटरवेशनल रेडियोलॉजिस्ट जैसे विशेषज्ञों की टीम द्वारा एक निर्णय लेना बहुत आवश्यक होता है.

किचन गार्डन में जरूर लगाएं ये 7 पौधे

पेड़-पौधे और हरियाली किसे अच्छी नहीं लगती. बारीश में नहाए पेड़ों को देखना आंखों को एक अलग तरह की राहत देता है. पेड़-पौधों के बिना हम अपनी जिन्दगी के बारे में सोच ही नहीं सकते. पेड़ों से ही हमें आहार मिलता है और पेड़ों के कारण ही हम सांसे ले पाते हैं.

आज हम आपको कुछ हर्बल पौधों के बारे में बताएंगे जिन्हें लगाकर आप अपने किचन गार्डन की सुंदरता बढ़ाने के साथ ही आपके किचन में भी काम आएंगे. इन पौधों के पत्तों से आपके खाने का स्वाद तो बढ़ेगा ही साथ ही आप स्वस्थ भी रहेंगे.

1. लेमन बाम

अगर आप बहुत ज्यादा स्ट्रेस लेते हैं या अनिद्रा के शिकार हैं, तो लेमन बाम आपके लिए बहुत फायदेमंद है. लेमन बाम से पेट भी सही रहता है. यही नहीं, ये पौधा आपके घर की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी उठाता है. यह पौधा एक नैचुरल पेस्ट कन्ट्रोलर है और सभी बिमारी फैलाने वाले कीटाणुओं को दूर रखता है.

इस पौधे को अच्छी क्वालिटी के मिट्टी में ही लगाना चाहिए. साथ ही नियमित तौर पर पानी भी डालना चाहिए. लेमन बाम से आप घर पर ही हर्बल चाय बना सकती हैं, इसके साथ ही यह पौधा आपके सलाद के स्वाद को दोगुना कर देता है.

ये भी पढ़ें- Financial Planning करते वक्त रखें 7 बातों का ख्याल

2. थाइम

आजकल कैंसर ऐसे फैल रहा है, जैसे कभी जुकाम फैलता था. थाइम कैंसर जैसी कई अन्य बीमारियों में आपको स्वस्थ रखने की क्षमता रखता है. कई तरह के बैक्टीरियल इनफेक्शन और स्कीन प्रोबलेम से भी थाइम छुटकारा दिलाता है. गले की खराश से लेकर आर्थराइटस में भी थाइम काफी फायदेमंद है.

थाइम को घर पर आसानी से उगाया जा सकता है. स्ट्यू बनाने से लेकर मटन की अलग अलग डिश के भी स्वाद में थाइम चार चांद लगा देता है.

3. रोजमेरी

रोजमेरी में आयरन, कैलशियम और विटामिन बी6 की भरपूर मात्रा होती है. रोजमेरी में ऐसे तत्व होते हैं जिससे आपकी एकाग्रता भी बढ़ती है. इसे गमले में लगाएं और ये सुनिश्चित करें कि पौधे पर डायरेक्ट सनलाइट न पड़े.

ड्राई या फ्रेश रोजमेरी को सिजनिंग की तरह पिज्जा या पास्ता में इस्तेमाल करें.

4. पार्सले

पार्सले में विटामिन सी और के भरपूर मात्रा में मिलते हैं. किडनी स्टोन्स, कब्ज, मधुमेह के रोगियों के लिए यह बहुत फायदेमंद है.

पार्सले के बीजों को गिली मिट्टी में 7-10 इंच की दूरी ही लगाएं. पार्सले से आपके खाने का स्वाद और रंग दोनों बढ़ जाते हैं.

5. चाइव्स

चाइव्स में कैलोरी की मात्रा बहुत कम और विटामिन, ऐंटीऑक्सीडेंट्स की मात्रा बहुत अधिक होती है. चाइव्स से आप सुकून की नींद सो सकती हैं.

चाइव्स को आप घर के बाहर और अंदर दोनों जगह लगा सकती हैं. ये आसानी से कहीं भी ऊग जाते हैं. पर चाइव्स में भी नियमित तौर पर पानी देना बहुत जरूरी है. सलाद में चाइव्स मिलाएं और सलाद का स्वाद बढ़ाएं.

6. मिन्ट

मिन्ट बहुत ही जरूरी हर्ब है और इसे हर किचन गार्डन में जगह मिलनी ही चाहिए. इसे गमले में या यूं ही जमीन पर लगाएं, पर इसकी नियमित देखभाल बहुत जरूरी है. इसे सूखने में भी ज्यादा वक्त नहीं लगता.

मिन्ट या पुदीने की चटनी तो आपने कई बार बनाई होगी. पर इससे हर्बल टी, सलाद वगैरह में भी डालकर खाया जा सकता है.

ये भी पढ़ें- Festive Special: Newly Weds के लिए होम डेकोर टिप्स

7. ओरिगैनो

ओरिगैनो बच्चों और आपका फेवरेट है. पर यह बाजार में महंगा मिलता है. आप ओरिगैनो को अपने घर पर ही लगा सकती हैं. इस घर के बाहर लगाना ही ज्यादा बेहतर है. इस हर्ब में कमाल की खूशबू होती है.

ध्यान रहे, ओरिगैनो के पौधे में तभी पानी डालें जब इसकी मिट्टी पूरी तरह से सूख चुकि हो. पास्ता सॉस, पिज्जा, सैंडविच किसी भी ओरिगैनो डालकर खाएं.

इन हर्ब्स को अपने किचन गार्डन में ऐंट्री जरूर दें, और जब चाहें इन्हें खाने में प्रयोग करें. हर्ब्स से आपके गार्डन की सुंदरता तो बढ़ेगी ही, साथ ही आपके खाने का स्वाद भी बढ़ जाएगा.

डिनर में बनाएं पनीर टिक्का मसाला

कुछ अच्छा खाने से भी मूड अच्छा हो जाता है. डिनर में बनाएं पनीर टिक्का मसाला, और पहले विकडे की थकान को दूर करें.

सामग्री

– 1/2 किलोग्राम पनीर

– 1/4 टी स्पून लाल मिर्च पाउडर

– 1 टेबल स्पून अदरक पेस्ट

– 1/2 टी स्पून धनिया पाउडर

– 1 टेबल स्पून दही

– 1 टेबल स्पून तेल

ये भी पढ़ें- Festive Special: ब्रेड क्रम्ब्स से बनाएं ये टेस्टी डिशेज

– नमक स्वादनुसार

ग्रेवी के लिए

– 3 टमाटर

– 1 हरी मिर्च

– 1 टेबल स्पून तेल

– 1/2 टी स्पून जीरा

– एक चुटकी हींग

– 2 तेज पत्ता

– 1 टेबल स्पून धनिया पाउडर

– 1/2  टी स्पून कश्मीरी लाल मिर्च

– 1/4 टी स्पून काली मिर्च

– 1/4 टी स्पून हल्दी

– 1/2 टी स्पून चीनी

– 1 टी स्पून अरारोट

– 2 टेबल स्पून हरा धनिया

– 1/4 टी स्पून गरम मसाला

विधि

पनीर को बड़े चौकोर टुकड़ों में काट लें. एक बाउल में अदरक पेस्ट, काली मिर्च, नमक, धनिया पाउडर और दही डालकर मिक्स करें. पनीर के टुकड़ों को इस मिश्रण से 1 घंटे के लिए मैरिनेट करें.

टमाटर और हरी मिर्च को बारीक पीस लें. 2 टेबल स्पून पानी में अरारोट डालकर अच्छी तरह घोलें.

एक पैन में 1 तेल डालकर अच्छी तरह गरम करें. अब इसमें मेरीनेट किए हुए पनीर डालकर गोल्डन होने तक फ्राई करें.

ये भी पढ़ें- Festive Special: नाश्ते में बच्चों के लिए बनाएं Cheese परांठा

पैन में से पनीर के टुकड़े निकाल लें, अब इसी पैन में 1 चम्मच तेल डालकर गरम करें. जीरा, हींग और तेजपत्ता डाल दें. अब इसमें टॉमेटो प्यूरी, धनिया पाउडर, हल्दी, लाल मिर्च पाउडर, चीनी डालकर 4 मिनट तक मध्यम आंच पर भून लें.

ग्रेवी को गाढ़ा करने के लिए उसमें अरारोट घोल डाल दें. उबाल आने पर फ्राइड पनीर भी डाल दें. बारीक कटे हरे धनिये और गरम मसाले से सजाकर गर्मागरम परांठे या नान के साथ ऐन्जॉय करें.

Festive Season के लिए कम बजट वाले बेस्ट आउटफिट

फेस्टिव सीजन अपने साथ खुशियाँ और उत्सव लेकर आता है और विशेष रूप से सेलिब्रेशन मोड सभी के लिए एक निश्चित स्ट्रेस बस्टर होता है. कोविड की दूसरी वेव ख़त्म होने के बाद यह फेस्टिव सीजन लोगों को घर से बहार निकल कर खुशियाँ मानाने का मौका देने वाला है. और इस साल ट्रेंड एथनिक (पारम्परिक) कपड़ों का है, इसलिए कम बजट में मॉडर्न डिज़ाइन के कपड़े आपको भीड़ से अलग रखेंगे.

जयपुरकुर्ती.कॉम के चेयरमैन व एमडी, अनुज मुंधड़ा ने सही बजट में मॉडर्न डिज़ाइन के एथनिक वियर कपड़ों के लिए यह सलाह दी –

फैशनेबल स्ट्रैट कुर्ती – 

अगर आप किसी सेलिब्रेशन में आरामदायक कपड़े पहनना चाहते हैं, तो आप डिजाइनर स्ट्रेट कुर्ती ही पहने. कुर्ती स्टाइल और आराम दोनों का खास मिश्रण है. फैशनेबल स्ट्रेट कुर्ती को पैंट और पलाज़ो के साथ पेयर किया जा सकता है. यह एक ऐसा पहनावा है जो सभी प्रकार के शरीर पर अच्छा लगता है. इस उत्साह के सीजन में स्ट्रेट कुर्तियां शानदार लुक देगी. यदि आप ऐसे व्यक्ति नहीं हैं जो भारी भरकम एथनिक वियर पसंद करते हैं, तो फैशनेबल स्ट्रेट कुर्ती आपके लिए सबसे सुगम विकल्प हो सकती है.

ये भी पढ़ें- जामदानी सिल्क को देते हैं मॉडर्न लुक, पढ़ें खबर

पलाज़ो के साथ कढ़ाई वाली कुर्ती –

पलाज़ो के साथ कढ़ाई वाली कुर्ती फैशन में है चाहे अवसर कितना भी बड़ा या छोटा क्यों न हो, आप उन्हें हमेशा बेझिझक पहन सकते है. कार्यक्रम कितना बड़ा है, इस पर निर्भर करते हुए, आप एक आरामदायक कपड़ा चुन सकते हैं या जॉर्जेट भी विकल्प में रख सकते हैं. आप आराम से चल सकते हैं, जितना चाहें घूम सकते हैं और हर सेलिब्रेशन को बहुत आराम से मना सकते हैं. एक स्टाइलिश और सिंपल टू-एक्ज़ीक्यूट लुक, यह एक एथनिक आउटफिट है जो हर महिला को अपने वॉर्डरोब में रखना चाहिए.

ब्रोकेड सूट चुनें:

ब्रोकेड एक उपयुक्त इंडियन वियर है. पारंपरिक एथनिक वियर बिना ब्रोकेड के अधूरा सा होता है और इस फेस्टिव सीजन में यह पैटर्न ट्रेंड में है और इसको निश्चित ही पहनना चाहिए. दिखने में एलिगेंट, ब्रोकेड सूट सेट आपको इस त्योहारी सीजन के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ लुक का अनुभव कराएगा.

बेस्ट इंडो-वेस्टर्न के लिए धोती और कुर्ता पहने –

यह कपड़े वेस्टर्न और इंडियन कपड़ों का सबसे अच्छा कॉम्बिनेशन है. आकर्षक लुक पाने के लिए इस सेलिब्रेशन सीजन में इस सबसे स्मार्ट कॉम्बिनेशन को ट्राई करें. शॉर्ट कुर्ती के साथ धोती पैंट की आकर्षक जोड़ी है जिसे आपको ज़रूर आज़माना चाहिए. यह पहनावा त्योहारों पर एलेगन्स और स्टाइल सुनिश्चित करता है.

फ्लेयर्ड स्कर्ट –

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Gauahar Khan (@gauaharkhan)

सबसे मॉडर्न फेस्टिव ट्रेंड्स में से एक, फ्लेयर्ड स्कर्ट को लंबे कुर्ते, शॉर्ट टॉप और यहां तक ​​कि शर्ट के साथ पहना जा सकता है. जब इस कॉम्बिनेशन को डिजाइन करने की बात आती है तो आप बहुत कुछ कर सकते हैं, और सबसे अच्छी बात यह है कि यह बहुत आरामदायक होते हैं और सभी मौसमों में सुंदर और क्लासी दिखते हैं. फेस्टिवल्स के सेलिब्रेशन में क्रॉप टॉप और स्कर्ट का कॉम्बिनेशन बहुत क्लासी लगेगा. हल्के रंग या कम डिज़ाइन वाले क्रॉप टॉप के साथ फुल प्रिंटेड स्कर्ट इस लुक को आउटर आकर्षक बना लेंगे.

ये भी पढ़ें- Festive Special: त्योहारों में जब अपने लुक को बनाना हो खास

शरारा के साथ सूट का सेट –

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Gauahar Khan (@gauaharkhan)

फ्लेयर्ड बॉटम्स, विशेष रूप से शरारा या घरारा स्टाइल इन दिनों फैशन में हैं. शरारा के निचे लगी हुई सजावटी लेस बहुत सुन्दर लगती है. इन आउटफिट्स को फ्लेयर्ड स्लीव्स वाली शर्ट के साथ भी पहना जाता है.

इंडियन कपड़ों के किसी भी कार्यक्रम के लिए असीमित विकल्प होते हैं. थोड़ी सी खोज आपको कई ट्रेंड्स पता करने में मदद कर सकती है. सिर्फ, कुर्ता और लेगिंग जैसे बेसिक आउटफिट को भी स्टड, नेकबैंड जैसी एक्सेसरीज के साथ सजाया जा सकता है. इस प्रकार, सबसे मज़ेदार एथनिक वियर पहनें और इस फेस्टिव सीजन का आनंद ले.

न करें हनीमून पर ये मिस्टेक्स

शादी तय होते ही विवेक हनीमून की कल्पना की ऊंची उड़ान भरने लगा. मन ही मन कई तरह के प्लान बनाने लगा. वह दिन भी आ गया जब वह अपनी पत्नी को ले कर हनीमून के लिए चला गया. मगर दोनों जल्द ही घर लौट आए. ऐसी क्या बात हुई कि दोनों अपने बनाए प्रोग्राम के पहले ही घर लौट आए? असल में हनीमून के दौरान विवेक से कुछ मिसटेक हो गई, जिस की वजह से हनीमून का मजा ही खराब हो गया. शादी तय होते ही लोग हनीमून के सपने देखने लगते हैं, लेकिन हनीमून के दौरान वे कुछ मिसटेक्स कर देते हैं, जिन की वजह से हनीमून का भरपूर मजा नहीं ले पाते हैं. हनीमून के दौरान कुछ जरूरी बातों पर ध्यान रख कर गलतियों से बच सकते हैं. मसलन:

कहां जाना है मिल कर करें फैसला:

हनीमून पर दो जनों को जाना होता है. इसलिए इस का फैसला एक जना न करे, कहीं ऐसा न हो आप जिस जगह पर हनीमून के लिए गए हैं, वह जगह आप के पार्टनर को पसंद न हो. मौसम के अनुसार आरामदायक, खुशनुमा व सुकून वाली जगह चुनें. पहले बजट बनाएं: हनीमून पर जाने से पहले बजट बना लें ताकि बाद में आप को परेशानी का सामना न करना पड़े, दिखावे के चक्कर में विदेश जाने या हाईफाई जगह रुकने का प्लान न बनाएं. अपनी हैसियत से अधिक बजट आप के हनीमून में बाधा डाल सकता है. अपने बजट में बनाया गया हनीमून टूअर ही हनीमून का सही आनंद देगा.

ऐडवैंचर टूअर न बनाएं:

अपने हनीमून टूअर को ऐडवैंचर टूअर न बनाएं. कई जोड़े अपने हनीमून टूअर को ऐडवैंचर टूअर बना लेते हैं. वे स्वयं को इतना थका लेते हैं कि बिस्तर पर जाते ही नींद के आगोश में चले जाते हैं, जिस से हनीमून का सारा मजा किरकिरा हो जाता है. फालतू बातें न करें: घूमते वक्त फालतू बातें न करें. कहीं किसी गार्डन या शांत जगह बैठ कर रोमांटिक बातें करें या आंखोंआंखों में बातें करें.

ये भी पढ़ें- सास नहीं मां बनें

दूसरे कपल्स को न घूरें:

देखा गया है कि अनेक लड़के हनीमून टूअर पर दूसरे कपल्स को खासकर लड़कियों कोे घूरते नजर आते हैं. असल में लड़कों की फितरत होती है लड़कियों पर नजर डालने की, लेकिन उन्हें समझना चाहिए कि वे बैचलर लाइफ से मैरिज लाइफ में ऐंट्री कर चुके हैं. ऐसे में जीवनसंगिनी को आप की यह आदत खटक सकती है.

मोबाइल रखें बंद:

आजकल अधिकतर लोग मोबाइल कौल, नैट या गेम पर बिजी रहते हैं. मोबाइल पर बिजी होने पर एकदूसरे पर से ध्यान हट जाता है. हनीमून के दौरान मोबाइल को पूरी तरह बंद रखें. जब घर वालों से बात करनी हो उस वक्त थोड़े समय के लिए चालू कर लें.

शूट न करें:

कुछ जोड़े इतने ऐक्साइट रहते हैं कि अपनी फर्स्ट नाइट के क्रियाकलापों को शूट कर लेते हैं. रोमांच के इन पलों को शूट करना अच्छी बात नहीं है. पिछले दिनों इंदौर का एक जोड़ा मुंबई हनीमून के लिए गया था. उन्होंने अपनी फर्स्ट नाइट की लाइव शूटिंग करनी शुरू की. उन का फोन औटो मोड पर था. ऐसे में उन की पूरी शूटिंग औनलाइन हो गई. उन के जितने फ्रैंड्स औनलाइन थे, उन्होंने इस का मजा लिया. किसी समझदार दोस्त ने उन्हें फोन कर के इस बारे में जानकारी दी तो दोनों शर्म से पानीपानी हो गए.

टीवी बंद रखें:

मोबाइल के बाद ज्यादातर लोगों को टीवी देखने का शौक होता है. हनीमून के दौरान टीवी देख कर अपने रोमांटिक पलों को कम न करें. कमरे में आने के बाद सब से पहले रिमोट कहीं छिपा दें ताकि दूसरे को टीवी चलाने का मौका न मिले.

लाइट म्यूजिक सुनें:

रोमांटिक होने के लिए गाना सुनना तो ठीक है पर उन हसीन पलों में गाना सुनना ठीक नहीं है. ऐसे मौके पर गाने सुनने से ध्यान बंट जाता है और सैक्स का मजा खराब हो जाता है. उस दौरान मदहोश कर देने वाला लाइट म्यूजिक ठीक रहेगा.

सैक्स में ही न डूबे रहें:

हनीमून की मस्ती में डूबे रहना तो अच्छी बात है पर हर वक्त सैक्स में डूबे रहना अच्छी बात नहीं है शादी के बाद सैक्स ऐंजौय का साधन जरूर है, पर इस के लिए सारी जिंदगी भी तो पड़ी है, मजा लें पर लिमिट में. तब इस का आनंद कुछ और ही होगा. पास्ट में न झांकें: विवेक और प्रतिमा हनीमून पर गए थे. रोमांच और मौजमस्ती के दौरान विवेक अपनी पत्नी के पास्ट में झांकने की कोशिश करने लगा. उस ने प्रतिमा से पूछा उस के कितने बौयफ्रैंड हैं? उन के साथ कभी बैड भी शेयर किया क्या? विवेक की बातें सुन कर उस के दिल को बड़ा धक्का लगा. उस का सारा उत्साह रफूचक्कर हो गया.

विवेक ने जब महसूस किया कि प्रतिभा उस की बात का बुरा मान गई है तब उसे अपनी गलती का एहसास हुआ. उस ने प्रतिभा से माफी मांगते हुए कहा कि यह सब तो उस ने मजाक में कहा था. लेकिन प्रतिभा के दिल को गहरी चोट लगी थी. वर्षों गुजर जाने के बाद भी वह इस बात को भुला नहीं पाई. इसलिए ऐसी बातें जीवनसाथी से न करें, जिन से लाइफ टाइम आप को पछताना पड़े.

जल्दबाजी न करें:

बैड पर सैक्स ऐक्ट के समय जल्दबाजी में न रहें. आप ने सुना होगा, जल्दबाजी का काम शैतान का होता है. फिर आप शैतान का काम क्यों करना चाहेंगे? बडे़ इत्मीनान से सैक्स का भरपूर आनंद लें.

सहज रहें:

इस बात से न डरें कि आगे कुछ गड़बड़ न हो जाए. डर और घबराहट की वजह से किसी प्रकार की प्रौब्लम हो सकती है. अत: बिलकुल सहज रहें. कई लड़कियां अपनेआप को शर्मीली या एकदम से बिंदास दिखाने की कोशिश करती हैं. ये दोनों ही बातें ठीक नहीं हैं. आप जीवनसाथी के सामने वैसे ही रहने की कोशिश करें जैसी आप हैं.

ये भी पढ़ें- सुनिए भी और सुनाइए भी…..

नखरे न करें:

सैक्स के वक्त पति के सामने ज्यादा नखरे दिखाने की कोशिश करना ठीक नहीं है. इस से पति नाराज हो सकता है. शरमाना, इठलाना, नखरे दिखाना स्त्री के गुण हो सकते हैं, पर ऐन मौके पर नखरे दिखाने पर पति का मूड बिगड़ सकता है. अत: ऐसे मौके पर पति को भरपूर सहयोग दें.

ऐक्सपैरिमैंट न करें:

हनीमून के दौरान सैक्स संबंध को ले कर ज्यादा ऐक्सपैरिमैंट न करें. कुछ लोग दोस्तों द्वारा बताए गए टिप्स, सस्ती किताबों या वैबसाइट पर दी गई ऊलजलूल टिप्स आजमाने लगते हैं. उन बेतुके टिप्स की वजह से जीवनसाथी को परेशानी हो सकती है.

जबलपुर के एक होटल में हनीमून के दौरान एक युवक अपनी नवविवाहिता को दोनों पैरों से बांध कर उलटा लटका कर सैक्स करने की कोशिश करने लगा. किसी दोस्त ने उसे बताया था कि इस तरह से पहली बार सैक्स करने पर मजा कुछ और ही आता है. इस लटकी नवविवाहिता की सांस ऊपरनीचे होने लगी. वह तो अच्छा हुआ, युवक ने नवविवाहिता की हालत देख कर जल्दी उतार दिया. इतने में नवविवाहिता बेहोश हो गई. उस ने जल्दी से डाक्टर बुला कर सारी बात सहीसही बता दी. डाक्टर ने चैक कर के बताया, दिमाग में रक्तसंचार बढ़ जाने से वह बेहोश हो गई है. थोड़ी देर और लटकी रहती तो उस की जान भी जा सकती थी.

अच्छी तरह देख लें:

होटल कितना ही महंगा क्यों न हो, पूरे कमरे को अच्छी तरह जरूर चैक कर लें. बाथरूम, बैडरूम, आलमारी, ट्यब लाइट, स्विचबोर्ड, पंखा आदि जगहों को चैक करें. चेक करने का आसान उपाय है कि इन के पास मोबाइल ले जाएं. यदि कहीं कैमरा लगा होगा तो मोबाइल का नैटवर्क गायब हो जाएगा.

कैमरा लगा होने का पता करने के लिए दूसरा उपाय है उस रूम की सारी लाइटें बंद कर दें. फिर अपने स्मार्ट फोन का कैमरा औन करें. लेकिन फ्लैश औफ कर दें. फिर कैमरे में देखें कि कोई लाल रंग के डौट्स तो नहीं दिख रहे हैं. दिखें तो समझ जाएं कि हिडन कैमरा लगा है. इस बात का ध्यान रखें, हनीमून के लिए किसी अच्छे होटल का ही चुनाव करें. कम रेट वाले होटलों में स्पाई कैमरे लगे रहने के चांस अधिक होते हैं, क्योंकि यहां काम करने वाले कर्मचारियों को वेतन कम मिलता है. ऐसे में वे अलग से कुछ कमाने के चक्कर में ऐसी हरकतें कर सकते हैं.

ये भी पढ़ें- शादी के बाद तुरंत उठाएं ये 5 स्‍टेप

औफिस की चिंता:

हनीमून के दिनों में आप अपना औफिस साथ न ले जाएं. ऐसे में पूरा ध्यान नईनवेली दुलहन के बजाय औफिस या अपने बिजनैस पर रहता है. ऐसे में हनीमून का सारा मजा खराब हो जाता है. फोन अटैंड करना, मेल चैक करना, फोन कर के कर्मचारियों को निर्देश देना जैसी बातें आप की पार्टनर को डिस्टर्ब करती हैं. हनीमून के दौरान सारी बातें भूल कर अपना फोकस जीवनसाथी पर करें.

दादी अम्मा : भाग 1-आखिर कहां चली गई थी दादी अम्मा

लेखक- असलम कोहरा

दादी अम्मा कहीं चली गई थीं. कहां गई थीं, किसी को पता नहीं चला. रातदिन की उपेक्षा और दुर्दशा के कारण एक न एक दिन यह होना ही था. पहले कभीकभी अकेलेपन से दिल घबराने या तबीयत खराब होने पर वे पासपड़ोस के घरों में या महल्ले के हकीम साहब से माजून लेने चली जाती थीं. लेकिन 2-3 घंटे या फिर देर हुई तो शाम तक घर वापस आ जाती थीं. इस बार जब वे देर रात तक नहीं लौटीं तो तीनों बेटों को चिंता सताने लगी. तमाम रिश्तेदारों में पूछताछ की, लेकिन उन का कहीं पता नहीं चला.

‘‘पता नहीं कहां चली गईं अम्मा, दिल फटा जा रहा है, चचा. 1 महीने से ज्यादा वक्त हो गया है, न जाने किस हाल में होंगी,’’ बड़े बेटे रेहान ने मायूसी भरे लहजे में हाजी फुरकान से कहा.

हाजी फुरकान पूरे महल्ले के मुंहबोले चचा थे. रेहान के घर पर उन का कुछ ज्यादा ही आनाजाना था. वे दादी अम्मा के बारे में ही पूछने आए थे.

‘‘बेटा, दुखी मत हो. सब्र से काम लो,’’ हाजी फुरकान ने दिलासा दिया.

‘‘चचा, दुख तो इस बात का है कि हम तीनों भाइयों ने उन की कोई खिदमत नहीं की. अब कैसे प्रायश्चित्त करें कि दिल को सुकून मिले. हम उन की खिदमत न कर पाने से तो दुखी हैं ही, उस से भी बड़ी परेशानी यह है कि अम्मा की कई ख्वाहिशें अधूरी रह गई हैं. न वे कुछ मनचाहा खापी सकीं और न ही पहनओढ़ सकीं. इस के पछतावे में हम सब का दिल बैठा जा रहा है.’’

ये भी पढ़ें- अनोखा बदला : निर्मला ने कैसे लिया बहन और प्रेमी से बदला

तभी आंगन के दूसरी ओर बने कमरे में से उस का छोटा भाई जुबैर अपनी बीवीबच्चों के साथ आ गया.

‘‘जुबैर बेटा, अपने भाई को समझाओ, ज्यादा आंसू न बहाए, सबकुछ ठीक हो जाएगा,’’ हाजी फुरकान ने जुबैर के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा. थोड़ी देर बाद उन्होंने दोनों भाइयों से पूछा, ‘‘फैजान कहां है? उसे भी जरा बुलाओ. कुछ खास बात करनी है तुम सब भाइयों के साथ.’’

जुबैर मकान के सामने के हिस्से के ऊपर बने कमरों में से एक कमरे का परदा हटा कर उस में घुस गया. थोड़ी देर बाद वह फैजान को ले कर नीचे आ गया. हाजी फुरकान तीनों भाइयों को ले कर घर की बैठक में चले गए.

‘‘बेटा, परेशान और पशेमान होने की कोई जरूरत नहीं है. अली मियां की मजार पर बैठने वाले मुजाविर गफूर मियां को तुम जानते ही हो. हर मर्ज का इलाज है उन के पास. वे और उन के साथी जाबिर मियां तुम्हें सभी दुखों से नजात दिला देंगे. जनाब जाबिर मियां तो तावीजगंडों और झाड़फूंक में माहिर हैं, माहिर, समझे. अपनी रूहानी ताकतों से अम्मा का पता लगा लेंगे. अगर जिंदा हुईं तो उन्हें घर आने पर मजबूर कर देंगे और यदि मर गई होंगी तो उन की रूह को सुकून दिला देंगे,’’ हाजी फुरकान ने ऐसी शान से कहा जैसे उन्होंने रेहान और उस के भाइयों के दुख दूर करने का ठेका ले रखा हो.

‘‘चचाजान, गफूर मियां और जाबिर मियां से जल्दी मिला दीजिए,’’ जुबैर तपाक से बोला.

‘‘जब तुम सब ने मुझ पर भरोसा किया है तो समझ लो कि तुम्हारी सारी परेशानियों का खात्मा हो गया. मैं कल ही गफूर मियां और जाबिर मियां को बुला लाऊंगा,’’ भरोसा दे कर हाजी फुरकान चले गए.

अपने अब्बू और चाचाओं की ये सारी बातें रेहान की बड़ी बेटी आरजू भी सुन रही थी. 12वीं कक्षा में पढ़ रही आरजू अपनी दादी अम्मा से काफी घुलीमिली थी. एक तरह से वह उन्हें ही अपनी मां समझती थी. वह अपनी दादी को बहुत चाहती थी और दादी अम्मा कह कर पुकारती थी. दादी अम्मा के चले जाने से सब से अधिक दुख उसी को था. अब्बू और चाचाओं के दोहरे व्यवहार को देख कर उस का कलेजा फटा जा रहा था. जब से उस ने होश संभाला था तब से घर में दादी अम्मा की उपेक्षा और दुर्दशा देख रही थी.

ये भी पढ़ें- हम बेवफा न थे: हमशां ने क्यों मांगी भैया से माफी

जब तक अम्मा घर पर थीं तो बेटों ने उन की महत्ता नहीं समझी. अब उन्हें उन की कमी दुख दे रही थी. अलग रहते हुए भी अम्मा पूरे घरबार के टब्बर को कैसे समेटे रहती थीं. शादीब्याह और दूसरे कार्यक्रमों में जब बेटे अपनी बीवियों के साथ कुछ दिनों के लिए चले जाते तो अम्मा ही उन के बच्चों को ऐसे संभालतीं जैसे मुरगी अपने चूजों को परों के नीचे सुरक्षा देती है. घर के कार्यक्रमों में भी उन की मौजूदगी से सब निश्चिंत से हो जाते.

कई बार हलकीफुलकी बीमारी में तो बच्चे दादी अम्मा की गरम गोद, उन की कड़वे तेल की मालिश और घरेलू नुस्खों से ही ठीक हो जाते थे. अब उन के चले जाने से घर का भारीपन कहीं खो गया था. लगा, जैसे घर की छत उड़ गई हो और दीवारें नंगी हो गई हों. बेटेबहुएं पछता रही थीं कि काश, वे घर के बुजुर्ग का मूल्य समझ पाते. दादी अम्मा के साए में घर और बच्चों को सुरक्षित समझते हुए बेटे और बहुएं अपनेआप में मगन थे. लेकिन अब सुरक्षा का आवरण कहीं नहीं था. घर के सूनेपन और बच्चों के पीले चेहरों ने बेटों और बहुओं को झकझोर कर रख दिया था. उन्हें पछतावा हो रहा था कि जो अम्मा अकेले पूरे घर को समेटे हुए थीं, उन्हें पूरे घर के लोग मिल कर भी क्यों नहीं समेटे रख सके. पूरा घर आह भर रहा था, काश, दादी अम्मा वापस आ जाएं.

अम्मा का चरित्र कुछ इस तरह आंखों के सामने चित्रित होने लगा: दादी अम्मा जब इस घर में आई थीं तो उस समय उन की उम्र यही कोई 19 वर्ष की रही होगी. मांबाप ने उन का प्यारा सा नाम रखा था, सकीना. पिछड़े घराने से ताल्लुक रखने के कारण वे बस 5 दरजा तक ही पढ़ सकी थीं, लेकिन सुंदरता, गुणवत्ता और गुरुत्वता उन में कूटकूट कर भरी थी. मांबाप ने उन का विवाह महल्ले के 10वीं पास सुलेमान बेग से कर दिया था.

ये भी पढ़ें- वारिसों वाली अम्मां : पुजारिन अम्मां की मौत से मच गई खलबली

नीति आयोग की रैकिंग में यूपी के 7 जिले टॉप 10 में शामिल

नीति आयोग ने जुलाई-अगस्त 2021 के सर्वे के आधार पर देश के अतिपिछड़े 112 जिलों की डेल्टा रैंकिंग जारी कर दी है. नीति आयोग की तरफ से जारी जुलाई- अगस्त 2021 डेल्टा रिपोर्ट में देश के आकांक्षात्मक जनपदों की सूची में प्रदेश के 8 जनपदों में से 7 जनपदों ने टॉप 10 में स्थान बनाया है. यह जनपद सिद्धार्थनगर, बहराइच, सोनभद्र, श्रावस्ती, फतेहपुर, चित्रकूट, चंदौली है.

फतेहपुर ने नीति आयोग के निर्धारित मानकों पर कार्य करते हुए पूरे देश में विकास के क्षेत्र में दूसरा स्थान हासिल किया है. वहीं तीसरे स्थान पर सिद्धार्थनगर, चौथे पर सोनभद्र, पांचवें पर चित्रकूट, सातवें पर बहराइच, आठवें पर श्रावस्ती और नौवें पर चंदौली ने स्थान बनाया है.

उत्तर प्रदेश के आठ आकांक्षात्मक जिलों में चित्रकूट और चित्रकूट ने नीति आयोग के मानकों पर उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है. आयोग ने इन जिलों को विकास कार्यों के लिए अतिरिक्त बजट आवंटित किया है. नीति आयोग की ओवरआल डेल्टा रैंकिग में चित्रकूट ने शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण सहित अनेक मानकों पर देश में पांचवा स्थान हासिल किया है.

डेल्टा रैंकिंग द्वारा छह विकासात्मक क्षेत्र स्वास्थ्य और पोषण, शिक्षा, कृषि और जल संसाधन, वित्तीय समावेश, कौशल विकास और बुनियादी ढांचा विकास हैं, जिन्हें रैंकिंग के लिए ध्यान में रखा गया. आकांक्षी जिलों की रैंकिंग हर महीने जारी की जाती है. आकांक्षी जिला कार्यक्रम जनवरी 2018 में शुरू किया गया. इसका उद्देश्य उन जिलों को आगे बढ़ाना है जिनमें महत्वपूर्ण सामाजिक क्षेत्रों में कम प्रगति देखी गई है और कम विकसित इलाके के तौर पर सामने आये हैं.

गांव-गांव युवाओं का संबल बनी ग्राम स्वरोजगार योजना

राज्य सरकार युवाओं को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने के लिए बड़े प्रयास कर रही है. खाद्य प्रसंस्करण की योजनाएं गांव-गांव में बदलाव ला रही हैं. युवा खुद का स्वरोजगार तो स्थापित कर ही रहे हैं साथ में दूसरों को भी रोजगार दे रहे हैं.

महात्मा गांधी खाद्य प्रसंस्करण ग्राम स्वरोजगार योजना इसकी बड़ी मिसाल बनी है. इस योजना का लाभ लेकर गांव के किसान और युवा, उद्यमी बनने के साथ आर्थिक रूप से समृद्ध हो रहे हैं.

सरकार की प्राथमिकता गांवों में स्वरोजगार के इच्छुक युवाओं को प्रशिक्षण देकर उनको आत्मनिर्भर बनाने की है. जिससे युवाओं को आर्थिक लाभ होने के साथ गांव का विकास भी संभव हो सके. महात्मा गांधी खाद्य प्रसंस्करण ग्राम स्वरोजगार योजना इसमें बड़ी सहायक बनी है.

पंचायत स्तर पर युवाओं को 03 दिवसीय खाद्य प्रसंस्करण जागरूकता शिविर से जोड़ा जा रहा है. योजना से जुड़े युवाओं को 01 महीने का उद्यमिता विकास प्रशिक्षण दिया जा रहा है. प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद किसान और युवा फल-सब्जी, मसाला, दुग्ध, अनाज प्रसंस्करण की इकाईयां स्थापित कर रहे हैं. खाद्य प्रसंस्करण की इकाई स्थापित करने वाले युवा गांव के बेरोजगार युवकों को भी अपने यहां रोजगार दे रहे हैं.

योजना के तहत खाद्य प्रसंस्करण की इकाई स्थापित करने वाले युवाओं को मशीन या उपकरण की लागत का अधिकतम 50 प्रतिशत और 01 लाख रुपये का अनुदान भी दिया जा रहा है. जिससे गांव के किसान और युवाओं को संबल मिला है और वे स्वयं का रोजगार स्थापित करने में सफल हो रहे हैं.

स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के प्रेरणास्रोत है प्रधानमंत्री जी

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा है कि देश की सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में सबको स्वास्थ्य बीमा का कवर प्रदान कर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के सपने को पूरा किया जा रहा है. प्रधानमंत्री जी ने 03 वर्ष पूर्व दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा कवर योजना आयुष्मान भारत प्रारम्भ की थी. आयुष्मान भारत योजना के अन्तर्गत देश में 50 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य बीमा कवर दिया जा रहा है. इस योजना से प्रदेश में 06 करोड़ लोग प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं.

मुख्यमंत्री जी लोक भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री जन आरोग्य अभियान के अन्तर्गत अन्त्योदय राशन कार्ड धारकों को आयुष्मान कार्ड का वितरण कर रहे थे. इस अवसर पर मुख्यमंत्री जी ने 15 लाभार्थियों को आयुष्मान कार्ड अपने कर कमलों से प्रदान किए. उल्लेखनीय है कि आज प्रदेश के प्रत्येक जनपद में ब्लाॅक स्तर पर एक ही दिन में लगभग 01 लाख पात्र लोगों को इस योजना के अन्तर्गत आयुष्मान कार्ड का वितरण किया जा रहा है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि 2011 की जनगणना के अनुसार एस0ई0सी0सी0 की सूची में कुछ परिवार आयुष्मान भारत योजना से वंचित रह गये थे. प्रदेश सरकार द्वारा मुख्यमंत्री जन आरोग्य अभियान से 8.45 लाख वंचित परिवारों के लगभग 45 लाख व्यक्तियों को जोड़ा गया. प्रदेश के 40 लाख से अधिक अन्त्योदय परिवार, जो आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना से आच्छादित होने से रह गये थे, उन परिवारों को मुख्यमंत्री जन आरोग्य अभियान के अन्तर्गत आच्छादित किया जा रहा है. इससे प्रदेश की एक बड़ी आबादी लाभान्वित होगी.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश के सभी प्रवासी एवं निवासी श्रमिकों, जिनका रजिस्ट्रेशन श्रम विभाग में है, उनको 02 लाख रुपये का सामाजिक सुरक्षा कवर एवं 05 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा कवर उपलब्ध करा रही है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी इन सभी स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के प्रेरणास्रोत हैं. उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत योजना ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में जागरूकता के साथ-साथ आमजन को जीने की एक राह दिखायी है. इसके अन्तर्गत लाभार्थी आयुष्मान भारत योजना में इम्पैनल्ड किसी अस्पताल में अपना उपचार करा सकता है.

चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री सुरेश खन्ना ने कहा कि लौकिक व अलौकिक जगत में जो मानवीय कार्य किये जाते हैं, वे दूसरों की जिन्दगी बनाते हैं. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में एक करोड़ से अधिक परिवारों को स्वास्थ्य बीमा का कवर प्रदान किया जा रहा है. पूर्ववर्ती सरकार में मात्र 30 हजार रुपये स्वास्थ्य बीमा का कवर प्रदान किया गया था. प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में वर्तमान में 05 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा कवर प्रदान किया जा रहा है. मुख्यमंत्री जी द्वारा प्रधानमंत्री जी का अनुकरण करते हुए प्रदेश में सबसे निचले स्तर पर खड़े व्यक्ति के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए आज 40 लाख से अधिक परिवारों को मुख्यमंत्री जन आरोग्य अभियान के अन्तर्गत जोड़ा जा रहा है.

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री जय प्रताप सिंह ने कहा कि अन्तिम पायदान के 40 लाख अन्त्योदय राशन कार्डधारक परिवारों को मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना के अन्तर्गत जोड़ा जा रहा है.

इस अवसर पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्य मंत्री श्री अतुल गर्ग, नीति आयोग के सदस्य डाॅ0 विनोद पाॅल, मुख्य सचिव श्री आर0के0 तिवारी, अपर मुख्य सचिव गृह श्री अवनीश कुमार अवस्थी, अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य श्री अमित मोहन प्रसाद, अपर मुख्य सचिव सूचना एवं एम0एस0एम0ई0 श्री नवनीत सहगल, निदेशक आई0आई0टी0 कानपुर श्री अभय करंदीकर, टीम-09 के सभी सदस्य, सूचना निदेशक श्री शिशिर तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.

ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश के 40.79 लाख अन्त्योदय राशन कार्डधारक परिवारों के 1.30 करोड़ सदस्यों को मुख्यमंत्री जन आरोग्य अभियान में शामिल किया गया है. शुरुआती 10 दिनों में ही लगभग 02 लाख लोगों ने इस योजना के अन्तर्गत अपना कार्ड बनवा लिया. समय-समय पर ‘मुख्यमंत्री जन आरोग्य अभियान’ के अन्तर्गत नई श्रेणियों को जोड़े जाने की भी व्यवस्था प्रदेश सरकार ने की और यह सुनिश्चित किया कि प्रदेश का कोई भी गरीब और वंचित परिवार योजना के दायरे से बाहर न रहे.

इसी क्रम में श्रम विभाग में पंजीकृत 11.65 लाख निर्माण श्रमिक परिवारों को भी योजना की पात्रता सूची में जोड़ा गया.
‘मुख्यमंत्री जन आरोग्य अभियान’ के माध्यम से प्रदेश के लगभग 61 लाख परिवारों के 1.87 करोड़ व्यक्तियों को 05 लाख रुपए तक के निःशुल्क इलाज की सुविधा मिलना सम्भव हो सका है.

प्रारम्भ में ‘प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना’ के अन्तर्गत प्रदेश की 24 प्रतिशत आबादी को स्वास्थ्य बीमा का लाभ मिल रहा था, लेकिन प्रदेश में ‘मुख्यमंत्री जन आरोग्य अभियान’ लागू होने से 13 प्रतिशत अतिरिक्त परिवारों को स्वास्थ्य बीमा कवर से जोड़ा गया. इसका परिणाम है कि आज प्रदेश की लगभग 37 प्रतिशत आबादी को 05 लाख रुपए तक की निःशुल्क उपचार सुविधा का लाभ मिल रहा है. इससे सतत विकास लक्ष्य के तहत गरीबी उन्मूलन और सबके लिए स्वास्थ्य के लक्ष्यों की पूर्ति में मदद मिलेगी.

त्योहारों के समय में निर्बाध विद्युत आपूर्ति आवश्यक – मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने प्रदेश के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में सायं 06 बजे से प्रातः 07 बजे तक निरन्तर विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा है कि वर्तमान समय पर्वों एवं त्योहारों का है. प्रदेशवासी नवरात्रि का पर्व हर्षोल्लास के साथ मना रहे हैं. विभिन्न स्थलों पर रामलीला आदि का आयोजन किया जा रहा है. ऐसे समय में रात्रि में निर्बाध विद्युत आपूर्ति आवश्यक है.

मुख्यमंत्री जी आज यहां अपने सरकारी आवास पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश में विद्युत व्यवस्था की समीक्षा कर रहे थे. सभी मण्डलायुक्त, जिलाधिकारी, ए0डी0जी0, बिजली विभाग के वरिष्ठ अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से समीक्षा बैठक में सम्मिलित हुए. उन्होंने यू0पी0पी0सी0एल0 के चेयरमैन को प्रदेश में विद्युत संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति के सम्बन्ध में गहन समीक्षा करने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि प्रदेश के विद्युत संयंत्रों को पर्याप्त कोयला आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएं.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रत्येक उपभोक्ता बिजली के बिल का भुगतान करना चाहता है. त्रुटिपूर्ण विद्युत बिलों से उपभोक्ता परेशान होता है, जिससे विद्युत बिल का कलेक्शन प्रभावित होता है. त्रुटिपूर्ण विद्युत बिलों के कारण उपभोक्ता को परेशानी नहीं होनी चाहिए. एग्रीमेण्ट के अनुसार कार्य न करने वाली विद्युत बिलिंग एजेंसियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए. ऐसी एजंेसियों की सिक्योरिटी जब्त की जाए, उनके विरुद्ध एफ0आई0आर0 कराने के साथ ही ब्लैक लिस्ट भी किया जाए.

मुख्यमंत्री जी ने विद्युत बिलों के सम्बन्ध में शीघ्र ही एकमुश्त समाधान योजना (ओ0टी0एस0) लागू करने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि खराब ट्रांसफार्मर्स को निर्धारित व्यवस्था के अनुसार ग्रामीण इलाकों में 48 तथा शहरी क्षेत्रों में 24 घण्टों में आवश्यक रूप से बदला जाए. बदले गए ट्रांसफार्मर की गुणवत्ता भी परखी जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि ट्रांसफार्मर्स की क्षमता वृद्धि के सम्बन्ध में पूर्व में लागू व्यवस्था को पुनः क्रियान्वित किया जाए.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी के सम्बन्ध में तत्काल कार्यवाही की जाए. ट्यूबवेल के कनेक्शन समयबद्ध ढंग से प्रदान किए जाएं. जिस किसी किसान ने ट्यूबवेल के कनेक्शन के सम्बन्ध में भुगतान कर दिया है, उन्हें तत्काल विद्युत कनेक्शन प्रदान कर दिए जाएं. ऐसे मामलों को लम्बित न रखा जाए. सौभाग्य योजना सहित अन्य योजनाओं के लाभार्थियों के विद्युत बिलों में गड़बड़ी के मामलों का तत्काल समाधान कराया जाए.

मुख्यमंत्री जी ने पूर्वांचल, मध्यांचल, दक्षिणांचल, पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगमों तथा केस्को के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ विद्युत व्यवस्था की विस्तृत समीक्षा की. उन्होंने सभी विद्युत वितरण निगमों को विद्युत व्यवस्था सुचारु बनाए रखने तथा लाइन लॉस को कम करने के निर्देश दिए.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बैठक में दिए गए निर्देशों के सम्बन्ध में सभी विद्युत वितरण निगमों के प्रबन्ध निदेशक फीडर स्तर पर जवाबदेही तय कर कार्य करें. यू0पी0पी0सी0एल0 के चेयरमैन के स्तर पर प्रतिदिन इनकी समीक्षा विद्युत वितरण निगमवार होनी चाहिए. हर दूसरे दिन अपर मुख्य सचिव ऊर्जा द्वारा प्रगति की समीक्षा की जाए तथा रिपोर्ट ऊर्जा मंत्री को उपलब्ध करायी जाए. ऊर्जा मंत्री द्वारा प्रगति की साप्ताहिक समीक्षा की जाए.

इस अवसर पर ऊर्जा मंत्री श्री श्रीकान्त शर्मा, मुख्य सचिव श्री आर0के0 तिवारी, कृषि उत्पादन आयुक्त एवं अपर मुख्य सचिव ऊर्जा श्री आलोक सिन्हा, पुलिस महानिदेशक श्री मुकुल गोयल, यू0पी0पी0सी0एल0 के चेयरमैन श्री एम0 देवराज, अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री श्री एस0पी0 गोयल, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एवं सूचना श्री संजय प्रसाद, उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम एवं पारेषण निगम के प्रबन्ध निदेशक श्री पी0 गुरुप्रसाद, सूचना निदेशक श्री शिशिर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें