Anupama के सामने फूट-फूटकर रोएगा अनुज, मालविका कहेगी ये बात

सीरियल अनुपमा (Anupama) की कहानी में मालविका (Aneri Vajani) की एंट्री ने दर्शकों के मन में सवाल खड़ा कर दिया है. दर्शक जानने के लिए बेताब हैं कि मालविका, अनुज (Gaurav Khanna) और अनुपमा के प्यार को खत्म करने आई है या फिर उनके प्यार को नया मोड़ देने. लेकिन अपकमिंग एपिसोड में फैंस को झटका लगने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

अनुपमा को बाहरवाला कहेगी मालविका

मालविका के आने के बाद अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुज, अनुपमा के सामने फूट-फूटकर रोएगा और उससे माफी मांगेगा कि वह मालविका और अनुपमा दोनों का गुनहगार है. वहीं मालविका, जीके साथ अनुपमा के घर पहुंचेगी. जहां वह अनुज को अनुपमा की गोद में रोते हुए देखेगी और अनुज पर गुस्सा करते हुए कहेगी कि वो अनुपमा को बाहरवाली कहते हुए अपनी घर की बातें बताने से रोकती नजर आएगी, जिसे सुनकर अनुज और अनुपमा हैरान रह जाएंगे.

 

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वनराज-काव्या ने कही अनुपमा को ये बात

 

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अब तक आपने देखा कि अनुज की बहन मालविका की बात पता न होने से अनुपमा नाराज होती है. लेकिन मालविका पूरी कोशिश करेगी कि वह अनुज को अनुपमा से बात करने से रोकती नजर आएगी. वहीं वनराज (Sudhanshu Panday), अनुपमा से कहेगी कि वह मालविका के आने से डर क्यों रही है लेकिन अनुपमा कहेगी कि वह डरी नहीं बल्कि दुखी है. दूसरी तरफ काव्या (Madalsa Sharma) भी अनुपमा को भड़काने की कोशिश करती है.

अनुपमा करती है फैसला

पार्टी से निकलने के बाद आप देखेंगे कि काव्या, जहां वनराज को मालविका से दूर रहने की धमकी देती है तो वहीं अनुपमा, अनुज के घर न जाने का फैसला करती है. वहीं अनुज परेशान होता है कि अनुपमा आखिर अभी तक आई क्यों नही. लेकिन अनुज इस बात से परेशान हो जाता है और अनुपमा के घर चला जाता है. जहां वह पूछता है कि वो घर क्यों नहीं आई. हालांकि अनुपमा जवाब देते हुए कहती है कि वह उसके घर के नीचे तक आई थी, लेकिन घर पर नहीं आ पाई.

 

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आजादी का मतलब है कि गरीबों में खुशहाली हो : मुख्यमंत्री

आजादी के क्रांतिकारियों का नमन करने के लिए अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश होने पर पांच मंत्र दिए हैं. इनमें देश की ऊर्जा का, देश के क्रांतिकारियों के नमन का, देश के कल्याण का, देश को दुनिया में एक ताकत बनाने का और भारत को आत्मनिर्भर बनाने का सपना शामिल है. काकोरी एक्शन के वीर शहीदों की स्मृति में शहीदों के परिवारों को सम्मानित करने पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह बातें कही.

इस मौके पर परमवीर चक्र विजेता मनोज पांडे के परिवारीजनों समेत काकोरी एक्शन के शहीदों के परिवारों को सम्मानित किया गया.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आजादी का मतलब है कि गरीब के पास पक्का मकान हो इसलिए सरकार पीएम आवास योजना लाई, महिलाओं को रसोई गैस मिल सके तो सरकार ने उज्ज़वला योजना लागू की, गरीब के पास विद्युत कनेकशन हो तो सरकार ने सौभाग्य योजना लागू की, हर कन्या का उन्नयन हो तो मुख्यमंत्री सुमंगला योजनाओं को लागू किया गया. कोई भी दैवयोग के कारण कोई भी बेटी वैवाहिक वंधन से वंचित न हो इसलिए मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना और कोई भी गरीब उपचार के अभाव में दम न तोड़ने पाए इसके लिए आयुष्मान योजना को लागू किया गया. यह प्रयास इसी दिशा में हो रहे हैं कि गरीब के चेहरे पर खुशहाली लाई जा सके, हर बेटी को सुरक्षा की गारंटी दी जा सके हर नवजवान को आर्थिक स्वावलंबन की ओर अग्रसर किया जा सके. हमें आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ाया जा सके.

उन्होनें कहा कि देश के अंदर 133 करोड़ लोगों को कोरोना महामारी से बचाने के लिए मोदी सरकार फ्री वैक्सीन, फ्री उपचार, फ्री टेस्ट, फ्री राशन बिना भेदभाव के दे रही है. यह इसलिए कर रही है कि देश स्वाधीन है सरकार की जवाबदेही है. इसलिए मोदी-योगी सरकार लोगों को समभाव तरीके से योजनाएं पहुंचाने का काम कर रही है.

उन्होंने काकोरी स्मति स्थल पर क्रांतिकारियों की शहादत याद करते हुए कहा कि हमारा देश विदेशी आक्रांताओं और विदेशी हुकूमत में कुछ समय के लिए बंधक बनने के लिए मजबूर जरूर हुआ था. लेकिन देश की जनता ने कभी इसे स्वीकार नहीं किया. यह प्रयास बलिया, गोरखपुर, बिठूर, झांसी समेत देश के अलग-अलग स्थानों पर देखने को मिला था.

उन्होंने बताया कि वर्ष 1922 में गोरखपुर के चौरी चौरा में एक ऐतिहासिक घटना हुई थी यह उसका शताब्दी वर्ष है. चौरी चौराह में किसानों, मजदूरों, महिलाओं, युवाओं ने ब्रिटिश हुकूमत को चुनौती दी थी. उसी तरह से काकोरी एक्शन में क्रांतिकारियों ने अपनी सम्पत्ति को लेकर ब्रिटिश हुकूमत को हिला दिया था. इनके नायकों में राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी, पं. रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां और ठाकुर रोशन सिंह थे. इन चार क्रांतिकारियों को ब्रिटिश हुकूमत ने बिना किसी सुनवाई को पूरा किए 19 दिसम्बर 1927 को फांसी देने का फैसला कर लिया. लेकिन डरी हुई ब्रिटिश हुकूमत ने राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी को गोंडा में दो दिन पहले ही फांसी दे दी. इसके बाद गोरखपुर में रामप्रसाद बिस्मिल को, फैजाबाद जेल में अशफाक उल्ला खां और नैनी की जेल में ठाकुर रोशन सिंह को फांसी दे दी गई. इन चारों क्रांतिकारियों का बलिदान भारत की आजादी के लिए मील का पत्थर साबित हुआ.

यूपी+योगी= बहुत है उपयोगी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश वासियों को “यूपी+योगी= बहुत है उपयोगी” का मंत्र दिया है. शनिवार को शाहजहांपुर में 12 ज़िलों से होकर गुजरने वाले 594 किमी लंबे “गंगा एक्सप्रेस वे का शिलान्यास करते हुए प्रधानमंत्री ने प्रदेश की बेहतरी के लिए योगी सरकार की कोशिशों को खूब सराहा. उन्होंने कहा कि आज यूपी में माफिया पर बुलडोजर चल रहा है. यूं तो बुलडोजर तो गैर-कानूनी इमारत पर चलता है, लेकिन दर्द उसे पालने-पोसने वाले को होता है. इसीलिए आज यूपी की जनता कह रही है- यूपी+योगी बहुत है उपयोगी. उन्होंने कहा कि मेरठ में एक बाजार है सोतीगंज देश मे कहीं गाड़ी चोरी हो तो वहीं कटती थी. चोरी की गाड़ियों के कटाई के आका पर पिछली सरकार कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं करती थी. अब योगी जी ने उस पर भी बुलडोजर चलवा दिया.

कुछ राजनीतिक दलों को विरासत और विकास से है दिक्कत: पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारे यहां कुछ राजनीतिक दल ऐसे रहे हैं जिन्हें देश की विरासत से भी दिक्कत है और देश के विकास से भी. देश की विरासत से दिक्कत क्योंकि इन्हें अपने वोटबैंक की चिंता ज्यादा सताती है. देश के विकास से दिक्कत क्योंकि गरीब की, सामान्य मानवी की इन पर निर्भरता दिनों-दिन कम हो रही है. इन लोगों को गंगा जी के सफाई अभियान से दिक्कत है. यही लोग हैं जो आतंक के आकाओं के खिलाफ सेना की कार्रवाई पर सवाल उठाते हैं. यही लोग हैं जो भारतीय वैज्ञानिकों की बनाई मेड इन इंडिया कोरोना वैक्सीन को कठघरे में खड़ा कर देते हैं. इन लोगों को काशी में बाबा विश्वनाथ का भव्य धाम बनने से दिक्कत है तो अयोध्या में प्रभु श्रीराम का भव्य मंदिर बनने से दिक्कत है. पीएम ने कहा कि योगी जी के नेतृत्व में यहां सरकार बनने से पहले, पश्चिम यूपी में कानून-व्यवस्था की क्या स्थिति थी, इससे आप भलीभांति परिचित हैं. पहले यहां क्या कहते थे? दीया बरे तो घर लौट आओ! क्योंकि सूरज डूबता था, तो कट्टा लहराने वाले सड़कों पर आ धमकते थे. तब बेटियों की सुरक्षा पर आए दिन सवाल उठते रहते थे, उनका स्कूल कॉलेज जाना तक मुश्किल था. कब कहां दंगा और आगजनी हो जाये कोई नहीं कह सकता था, लेकिन बीते साढ़े चार साल में योगी जी की सरकार ने स्थिति को सुधारने के लिए बहुत परिश्रम किया है. गंगा एक्सप्रेस वे के शिलान्यास के इस ऐतिहासिक मौके पर मौजूद लाखों जनसमुदाय को संबोधित करते हुए पीएम ने विश्वास दिलाया कि जनता के आशीर्वाद से यूपी के विकास का कर्मयोग इसी तरह जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि जिनको माफिया का साथ पसंद है वो उनकी भाषा बोलेंगे लेकिन हम तो उनका यशगान करेंगे जिन्होंने देश के निर्माण में तप और त्याग किया है.

किसान-नौजवान सब पर फोकस, पहली बार किसी सरकार ने समझा गरीबों दर्द

प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के बाद पहली बार गरीब का दर्द समझने वाली सरकार बनी है. पहली बार गैस, सड़क बिजली को प्राथमिकता दी जा रही है. इससे गरीब, दलित पिछड़ों को जीवन बदलता है. पहले यहां रात-बिरात इमरजेंसी में अगर किसी को अस्पताल की जरूरत पड़ती थी तो लोगों को लखनऊ, कानपुर और दिल्ली भागना पड़ता था. दूसरे शहर जाने के लिए सड़कें नहीं थीं. आज यहां सड़कें, एक्सप्रेस-वे बनते जा रहे हैं, मेडिकल कॉलेज भी खुले हैं. ऐसे ही होता है दमदार काम, ईमानदार काम. जो भी समाज में पिछड़ा हुआ है, उसे सशक्त करना, योजनाओं का लाभ पहुंचाना ही हमारी प्राथमिकता है. प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले सालों में बीज से बाजार तक की योजना हमने बनाई है इसका फायदा छोटे किसानों को मिला है. पीएम किसान सम्मान निधि के तहत किसानों के बैंक खाते में पैसा पहुंचा है. आज हम छोटे किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड से जोड़ रहे हैं. पहले छोटे किसानों के लिए बैंक के दरवाजे नहीं खुलते थे. पैसा डायरेक्ट किसान के खाते में जाने से छोटे किसान को बहुत राहत मिली है.

पिछली सरकारों की करगुजारियों की दिलाई याद, बोले अब नहीं होता भेदभाव

लाखों की भीड़ के उत्साह को नमन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हम आपके लिए काम करते हैं. जनता को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पुराने दिनों को याद कीजिए, पुराने निर्णयों को याद कीजिए, पुराने काम-काज के तरीकों को याद करिए, आपको साफ-साफ नजर आएगा कि यूपी में भेदभाव नहीं, सबका विकास हो रहा है. जिन लोगों को पीएम आवास योजना के तहत घर नहीं मिले हैं, उन्हें जल्दी घर मिले इसके लिए मोदी और योगी दिन रात काम कर रहे हैं. गरीबों के पक्के घर बनाने के लिए हमने दो लाख करोड़ रुपए दिए. यह खजाना आपका है, आपको बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए है. हम केवल आपके लिए काम करते हैं.

गंग सकल मुद मंगल मूला, सब सुखकरनि हरनि सब सूला

शिलान्यास के बाद जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि-रामचरित मानस में कहा गया है कि “गंग सकल मुद मंगल मूला, सब सुखकरनि हरनि सब सूला”. यानी मां गंगा सारे मंगलों, उन्नति प्रगति की स्रोत हैं. मां गंगा सारी पीड़ा हर लेती हैं. ऐसे ही गंगा एक्सप्रेस-वे विकास की नई इबारत लिखेगा. यह सारी परेशानियों को दूर करेगा. यह गंगा एक्सप्रेस-वे अनंत संभावनाओं का एक्सप्रेस-वे है. मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ और प्रयागराज जिलों के निवासियों को बधाई देते हुए पीएम ने बताया कि इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण पर 36 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए जाएंगे. यह अपने साथ इस क्षेत्र में व्यापार और रोजगार साथ लाएगा. पीएम मोदी ने इसकी विशेषता बताते हुए कहा कि इस एक्सप्रेस-वे का एक छोर से दूसरा छोर करीब-करीब एक हजार किलोमीटर का है. इतने बड़े यूपी को चलाने के लिए जिस दम की जरूरत है वो आज डबल इंजन की सरकार करके दिखा रही है. उन्होंने कहा कि यूपी में आज जो एक्सप्रेस-वे का जाल बिछ रहा है, नए एयरपोर्ट बन रहे हैं, वो यूपी के लोगों के लिए अनेक वरदान एक साथ लेकर आ रहे हैं. पहला वरदान समय की बचत, दूसरा- सहूलियत और सुविधा में बढ़ोतरी, तीसरा- संसाधनों का सही प्रयोग, चौथा- सामर्थ्य में वृद्धि और पांचवा चौतरफा शांति. अब आपको एक जगह से दूसरे जगह जाने में ट्रैफिक जाम नहीं मिलेगा.

हाल ही में लोकार्पित हुए पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे, काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर तथा गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे, बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे आदि का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा कि यूपी में आज जो आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण हो रहा है वो ये दिखाता है कि संसाधनों का सही उपयोग कैसे किया जाता है. पहले जनता के पैसे का क्या-क्या इस्तेमाल हुआ है ये आप लोगों ने भली-भांति देखा है. लेकिन आज उत्तर प्रदेश के पैसे को उत्तर प्रदेश के विकास में लगाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि जब पूरा यूपी एक साथ बढ़ता है तभी तो देश बढ़ता है. डबल इंजन की सरकार यूपी के साथ है. अब यूपी में भेदभाव नहीं सबका भला होता है. कुछ इलाकों को छोड़ दें तो बिजली ढूंढने पर भी नहीं मिलती थी. पहले कुछ ही लोगों के फायदे के लिए काम होता था. हर जिले को पहले से ज्यादा बिजली दी जा रही है. जब खुद का घर बनता है तब गर्व से सीना चौड़ा होता है.

शहीदों सपूतों को किया नमन, कहा कभी नहीं उतार सकते कर्ज

शाहजहांपुर की क्रांतिकारी धरती पर आए प्रधानमंत्री ने अमर शहीद राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां और ठाकुर रोशन सिंह को नमन किया. उन्होंने कहा कि शाहजहांपुर के तीन सपूतों का कर्ज हम कभी नहीं चुका सकते. रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने स्थानीय जनभाषा में काकोरी के क्रांतिकारियों को नमन किया.

उन्होंने कहा कि यह आप लोगों का आशीर्वाद है कि मुझे इस मिट्टी को माथे पर लगाने का सौभाग्य मिला. मैं इस धरती के सभी महापुरुषों के चरणों में प्रणाम करता हूं. अंग्रेजी सत्ता को चुनौती देने वाले शाहजहांपुर के तीन सपूतों को 19 दिसंबर को फांसी दी गई थी. भारत की आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले इन वीरों का हम सभी के ऊपर बहुत बड़ा कर्ज है. इसे हम कभी चुका नहीं सकते.

पति-पत्नी के रिश्ते में नयापन बनाए रखें ऐसे

शादी के बाद पतिपत्नी प्यार से अपने जीवन का घोंसला तैयार करते हैं. कैरियर बनाने के लिए बच्चे जब घर छोड़ कर बाहर जाते हैं तो यह घोंसला खाली हो जाता है. खाली घोंसले में अकेले रह गए पतिपत्नी जीवन के कठिन दौर में पहुंच जाते हैं. तनाव, चिंता और तमाम तरह की बीमारियां अकेलेपन को और भी कठिन बना देती हैं. ऐसे में वह एंप्टी नैस्ट सिंड्रोम का शिकार हो जाते हैं.  आज के दौर में ऐसे उदाहरण बढ़ते जा रहे हैं. अगर पतिपत्नी खुद का खयाल रखें तो यह समय भी खुशहाल हो सकता है, जीवन बोझ सा महसूस नहीं होगा. जिंदगी के हर पड़ाव को यह सोच कर जिएं कि यह दोबारा मिलने वाला नहीं.

राखी और राजेश ने जीवनभर अपने परिवार को खुशहाल रखने के लिए सारे इंतजाम किए. परिवार का बोझ कम हो, बच्चे की सही देखभाल हो सके, इस के लिए एक बेटा होने के बाद उन्होंने फैमिली प्लानिंग का रास्ता अपना लिया. बच्चे नितिन को अच्छे स्कूल में पढ़ाया. बच्चा पढ़ाई में होनहार था. मैडिकल की पढ़ाई करने के लिए वह विदेश गया. वहां उस की जौब भी लग गई. राखी और राजेश ने नितिन की शादी नेहा के साथ करा दी. नेहा खुद भी विदेश में डाक्टर थी. बेटाबहू विदेश में ही रहने लगे. राखी और राजेश का अपना समय अकेले कटने लगा. घर का सूनापन अब उन को परेशान करने लगा था.

राखी ने एक दिन कहा, ‘‘अगर  बेटाबहू साथ होते तो कितना अच्छा होता. हम भी बुढ़ापे में आराम से रह रहे होते.’’

‘‘राखी जब नितिन छोटा था तो हम दोनों यही सोचते थे कि कब यह पढ़ेलिखे और अच्छी सी नौकरी करे. समाज कह सके कि देखो, हमारा बेटा कितना होनहार है,’’ राजेश ने पत्नी को समझाते हुए कहा.

‘‘तब हमें यह नहीं मालूम था कि हम इस तरह से अकेलेपन का शिकार हो जाएंगे,’’ राखी ने कहा.

राजेश ने समझाते हुए कहा, ‘‘हम ने कितनी मेहतन से उसे पढ़ाया. अपने शौक नहीं देखे. हम खुद पंखे की हवा खाते रहे पर बेटे को हर सुखसुविधा दी. अब जब वह सफल हो गया तो अपने अकेलेपन से घबरा कर उस को वापस तो नहीं बुला सकते. उस के सपनों का क्या होगा.’’

‘‘बात तो आप की भी सही है. हमें खुद ही अपने अकेलेपन से बाहर निकलना होगा. हम अकेले तो ऐसे नहीं हैं. बहुत सारे लोग ऐसे ही जी रहे हैं,’’ राखी ने कहा.

राखी और राजेश ने इस के बाद फिर कभी इस मुद्दे पर बात नहीं की. उन्होंने अपने को बदलना शुरू किया. सोशल ऐक्टिविटीज में हिस्सा लेना शुरू किया. खुद क ो अच्छी डाइट और ऐक्सरसाइज से फिट किया. साल में 2 बार वे अपने बहूबेटे के पास विदेश जाने लगे. वहां वे 20-25 दिनों तक रहते थे.  साल में 1-2 बार बेटाबहू भी उन के पास छुट्टियों में आने लगे. कभी महसूस ही नहीं हुआ कि वे अकेले हैं. सोशल मीडिया के जरिए वे आपस में जुडे़ रहते थे. अपने बारे में राजेश और राखी बहूबेटे को बताते तो कभी बहूबेटा उन को बताते रहते. फैस्टिवल पर कभीकभी एकसाथ मिल लेते थे.

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राखी ने डांस सीखना शुरू किया. लोग शुरूशुरू में हंसने लगे कि यह कैसा शौक है. राखी ने कभी इस बात का बुरा नहीं माना. डांस सीखने के बाद राखी ने अपने को व्यस्त रखने के लिए शहर में आयोजित होने वाले डांस कंपीटिशन में हिस्सा लेना शुरू किया. राखी की डांस में एनर्जीदेख कर सभी उस की प्रशंसा करने लगे. पत्नी को खुश देख कर राजेश भी बहुत खुश था. मातापिता को खुश देख कर बेटाबहू भी खुश थे. जीवन का जो घोंसला सूनेपन से भर गया था, वापस खुशहाल हो रहा था.

राखी और राजेश एंप्टी नैस्ट सिंड्रोम के शिकार अकेले कपल नहीं हैं. समाज में ऐसे लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. आज के समय में हर परिवार में 1 या 2 ही बच्चे हैं. ऐसे हालात हर जगह बन रहे हैं. अब पतिपत्नी खुद को बदल कर आपस में नयापन बनाए रख कर हालात से बाहर निकल रहे हैं.

बनाएं नई पहचान

संतोष और सुमन की एक बेटी थी. वे दोनों सोचते थे कि ऐसे लड़के से शादी करेंगे जो उन के साथ रह सके. बेटी ने विदेश में जौब कर ली. उस की शादी वहीं रहने वाले एक बिजनैसमैन से हो गई. संतोष ने अपनी पत्नी सुमन को खुद को सजनेसंवरने के लिए  कहा. सुमन को यह पहले भी पसंद  था. ऐसे में उस का शौक अब और निखरने लगा.  कुछ ही तैयारी के बाद एक समय ऐसा आया कि सुमन शहर की हर पार्टी में शामिल होने लगी. वह पहले से अधिक निखर चुकी थी. संतोष खुद बिजनैसमैन था इसलिए पत्नी को कम समय दे पाता था पर जहां तक हो सकता था पत्नी का पूरा साथ देता था.

एक दिन सौंदर्य प्रतियोगिता का आयोजन हुआ. सुमन ने उस में हिस्सा लिया और विवाहित महिलाओं की यह सौंदर्य प्रतियोगिता जीत ली. वह अब खुद  ही ऐसे आयोजनों के साथ जुड़ कर  नए सिरे से अपने को स्थापित कर  चुकी है.

अब केवल पति को ही नहीं, उस के बच्चों को भी मां के टैलेंट पर गर्व होता है. सुमन ने मौडलिंग भी शुरू कर दी. वह कहती है हम ने शादी के बाद जिन शौकों को पूरा करने का सपना देखा था, वे अब पूरे हो रहे हैं. ऐसे में मेरा मानना है कि शादी के बाद देखे गए सपने अगर पूरे नहीं हो रहे हैं तो उन को पूरा करने का समय यही है. सपने भी पूरे होंगे और अकेलापन भी दूर होगा.

अपने शौक को पूरा करे

अर्चना को स्कूल के दिनों से ही पेंटिंग बनाने का शौक था. जल्दी शादी, फिर बच्चे होने के बाद यह शौक दरकिनार हो गया था. अर्चना की परेशानी थोड़ी अलग थी. वह सिंगल मदर थी. उस ने खुद ही बेटे आलोक को अपने दम पर पढ़ालिखा कर विदेश भेजा. अब खुद अकेली रह गई. कई बार आलोक अपनी मां को भी अपने साथ ले जाता था. पर अर्चना वहां रहने के लिए तैयार नहीं थी. कुछ दिन बेटे के पास विदेश रह कर वापस चली आती थी. वापस आ कर उसे अकेलापन परेशान करता था.  अकेलेपन से बचने के लिए अर्चना ने अपने पेंटिंग के शौक को पूरा करना शुरू किया. खुद सीख कर अब वह बच्चों को भी पेंटिंग सिखाने लगी. इस से उसे कुछ पैसे भी मिलते थे. इन पैसों से अर्चना ने पेंटिंग कंपीटिशन का आयोजन कराया. अब अर्चना को कहीं भी अकेलापन नहीं लग रहा था. अर्चना ने अपने को फिट रखा. आज वह खुश है और अब वह पहले से अधिक सुंदर लगती है. मां को खुश देख कर बेटा भी पूरी मेहनत से अपना काम कर रहा है.

कई बार पेरैंट्स बच्चों के कैरियर को बनाने के लिए अपने शौक को पूरा नहीं करते. उन को दरकिनार कर देते हैं. जब बच्चे बाहर सैटल हो जाएं तो पेरैंट्स अपने शौक को पूरा कर सकते हैं. इस से 2 तरह के लाभ होते हैं. एक तो पुराने शौक पूरे हो जाते हैं. दूसरे, खुद इतना व्यस्त हो जाते हैं कि खालीपन का एहसास नहीं होता.

अपने शौक के पूरा होने का एहसास दिल को खुशी देता है. कई लोग हैं जो खाली समय में बच्चों को पढ़ाने का काम करते हैं. कुछ लोग पर्यावरण के लिए जागरूकता अभियान चलाते हैं. इस से समाज के लोग उन के साथ खडे़ होते हैं और समाज में उन को नया मुकाम भी हासिल होता है.

पत्नी को प्रोत्सहित करें. उस के लिए पैसे और समय दोनों उपलब्ध कराएं. साथ में, उस के आत्मविश्वास को जगाएं कि वह अभी भी अपने हुनर का कमाल दिखा सकती है.

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नयापन बनाए रखने के टिप्स

एनर्जी से भरपूर दवाएं खाना भी जरूरी होता है. आमतौर पर ऐसे समय में सैक्स के महत्त्व को दरकिनार किया जाता है. हालांकि सैक्स भी इस उम्र में जरूरी होता है. यह केवल शारीरिक ही नहीं, मानसिक हैल्थ के लिए जरूरी होता है. इस से खुद में एक बदलाव का अनुभव होता है.

शुरूआत में पति खुद ही पत्नी का हौसला बढ़ाएं. फैशन, फिटनैस और ब्यूटीफुल ड्रैस आत्मविश्वास को बढ़ाते हैं.

खालीपन को दूर करने के लिए क्याक्या किया जा सकता है जिस से पहचान भी बने, यह पत्नी की योग्यता को देख कर फैसला करें.

सोशल सर्किल बनाते समय यह ध्यान रखें कि एकजैसी सोच के लोग हों. कई बार नैगेटिव सोच के लोग आगे बढ़ने के बजायपीछे ढकेल देते हैं.

अंधविश्वास से आत्मविश्वास तक: क्या नरेन के मन का अंधविश्वास दूर हो पाया

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Christmas Special: पार्टी सीजन में बालों की देखभाल कैसे करें?

पार्टी की मस्ती में बालों की सफाई को नजर अंदाज न करें. एक अच्छे ब्रैंडेड शैंपू से बाल साफ करें और फिर कंडीशनर लगाएं. बालों पर गरम स्टाइलिंग टूल्स का इस्तेमाल करने से पहले विटामिन ई युक्त केयोकार्पिन जैसे लाइट हेयर ऑइल की कुछ बूंदें स्टाइलिंग प्रोडक्ट में मिला कर जरूर लगाएं.

बालों पर ब्लो ड्रायर का इस्तेमाल करने से पूर्व बालों की मिड लैंथ और एंड्स पर विटामिन ई युक्त केयोकार्पिन तेल की कुछ बूंदों को अच्छे से लगाएं. इससे बालों में कड़ापन नहीं आएगा. हफ्ते में बालों को एक बार थोड़ा रैस्ट जरूर दें. इसके लिए बालों को धो कर खुला छोड़ दें.

स्टाइलिंग उत्पाद के बाद बालों में ऑयलिंग है जरूरी

पार्टी का मौसम शुरू हो चुका है. जाहिर है आपको भी किसी न किसी पार्टी में जरूर जाना होगा. पार्टी में सबसे अलग दिखने के लिए आपने शॉपिंग भी की होगी. लेकिन क्या सिर्फ फैंसी ड्रेस पहन कर आप सबसे अलग दिख सकती हैं? शायद नहीं. फैंसी ड्रेस के साथ स्टाइलिश हेयर स्टाइल ही आपको परफैक्ट पार्टी लुक दे सकती है.

लिहाजा स्टाइलिश हेयरस्टाइल के लिए हेयर स्टाइलिंग उत्पादों का भी इस्तेमाल करना पड़ेगा. मसलन हेयर स्प्रे, हीटिंग टूल्स और एक्सैसरीज कुछ ऐसे स्टाइलिंग उत्पाद हैं जो हेयर स्टाइल भले ही खूबसूरत बना दें मगर बालों पर इनका बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है. लेकिन कुछ सावधानियां बरती जाएं तो बालों को बिना नुकसान पहुंचाए भी एक अच्छा हेयर स्टाइल पाया जा सकता है.

ये भी पढ़ें- डैंड्रफ से चेहरे को भी होता है नुकसान

देखभाल की बुनियादी शुरुआत बालों की सफाई से होती है. यदि आप अपने बाल नियमित रूप से नहीं धोती हैं और उन्हें साफ नहीं रखतीं तो बालों की जड़ें कमजोर पड़ जाएंगी और हेयरस्टाइलिंग प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल कमजोर जड़ों वाले बालों को नुकसान पहुंचाएगा. इसलिए बालों को हफ्ते में 2 बार जरूर साफ करें और एक अच्छे तेल से डीप मसाज करें. इससे हेयरस्टाइलिंग उत्पादों के इस्तेमाल से बेजान और शुष्क नजर आने वाले बाल भी सुरक्षित और पोषित रहेंगे.

विटामिन ई, फौलिक ऐसिड, विटामिन बी कौंप्लैक्स, प्रोटीन तथा कैल्शियम जैसे सप्लिमैंट्स बालों के लिए बहुत अच्छे होते हैं. इनको ग्रहण करना जितना जरूरी है उतना ही बालों पर इनका ऊपरी पोषण भी आवश्यक है. बाजार में विटामिन ई युक्त तेल उपलब्ध हैं जो बालों को अच्छा पोषण देते हैं और उन्हें स्वस्थ रखते हैं.

गरम हवा फेंकने वाले स्टाइलिंग उत्पाद भी बालों के स्वास्थ्य के लिए अच्छे नहीं होते मगर इनके बिना अच्छा हेयर स्टाइल पाना भी मुश्किल हो जाता है. ऐसे में ड्रायर, स्ट्रेटनर मशीन या टोंग का इस्तेमाल करना पड़े तो नुकसान से बचने के लिए पहले ही हल्का सा तेल लगा लें.

अल्कोहल या अन्य हानिकारक रासायनिक तत्त्वों वाले स्टाइलिंग प्रोडक्ट्स भी बालों को नुकसान पहुंचाते हैं. इसलिए ऐसे तत्त्वों वाले उत्पादों के इस्तेमाल से बचें या जहां तक संभव हो सके, इनका कम से कम इस्तेमाल करें. इनके नुकसान से बचने के लिए हफ्ते में 2 बार अच्छे विटामिन युक्त ऑलिव ऑयल से बालों को हॉट मसाज दें.

बालों की स्टाइलिंग में हेयर कलर की बड़ी भूमिका है मगर कैमिकल युक्त कलर बालों को रूखा बेजान बना देते हैं. इससे हेयरफाल की समस्या शुरू हो जाती है. इस समस्या से बचा जा सकता है यदि बालों को कलर करने के बाद उनकी अच्छी तरह ऑयलिंग की जाए तो इससे बालों में नमी लौट आएगी और बालों का सूखापन भी दूर होगा.

हेयर एक्सपर्ट

प्रिसिला

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फटाफट काम के लिए ऐसे करें किचन तैयार

रसोईघर किसी भी घर का बेहद अहम हिस्सा होता है. त्योहारी मौसम में अपने रसोईघर को किनकिन चीजों से सजाएं आइए जानते हैं.

रसोईघर की सजावट

रंग

अपनी किचन के लिए उपयुक्त कलर का चुनाव करना बहुत महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि इस से उस की पूरी छवि निर्धारित होती है. बैगनी या हरे जैसे गहरे और गंभीर रंगों से परहेज करें. मनभावन वातावरण बनाने के लिए इन की जगह पीला, मटमैला, नारंगी आदि तटस्थ रंगों का चयन करें.

टाइल्स

सजावटी टाइल्स किचन की दीवारों को दागधब्बों से बचाने के साथसाथ उन का आकर्षण और ज्यादा बढ़ा देती हैं. इन दिनों औनलाइन और औफलाइन दोनों तरीकों से किचन टाइल्स उपलब्ध हैं. पसंदीदा वैराइटीज हैं- मोजेक, सिरैमिक और प्रिंटेड सिरैमिक, रस्टिक, मैट वाल टाइल्स और ग्लौसी सीरीज डिजिटल वाल टाइल्स आदि. आप फलों एवं अन्य भोजन सामग्री के चित्र उकेरी टाइल्स भी पसंद कर सकती हैं.

खिड़कियां

खिड़कियां किसी भी रसोईघर का महत्त्वपूर्ण हिस्सा होती हैं. इसलिए सर्वोत्तम वैराइटी में ही पैसे लगाएं. विंडोज का किचन में प्राकृतिक रोशनी को प्रवेश देने का महत्त्वपूर्ण काम होता है. आजकल झिलमिल सी दिखने वाली खिड़कियां बहुत पसंद की जा रही हैं. रसोईघर को आकर्षक बनाने के लिए कई इंटीरियर डिजाइनर इन का इस्तेमाल कर रहे हैं.

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चिमनी

किचन चिमनी में हर साल बहुत बदलाव आ रहे हैं और इस की मांग लगातार बढ़ रही है, क्योंकि यह मौड्यूलर किचन का अनिवार्य हिस्सा बन गई है. किचन चिमनी मुख्यरूप से 3 प्रकार के फिल्टर्स के साथ आ रही हैं- कैसेट फिल्टर, कार्बन फिल्टर और बैफल फिल्टर. इन में बैफल फिल्टर भारतीय किचन के लिए सर्वोत्तम है.

किचन काउंटर टौप: उपयुक्त किचन

टौप का चयन करने से किचन की उत्पादकता तो बढ़ती ही है, साथ ही इस का आकर्षण भी बढ़ जाता है. यों तो ग्रेनाइट किचन टेबल या टौप बहुत लोकप्रिय हैं, लेकिन आप संगमरमर (काला और सफेद) और विभिन्न प्रकार की चीनीमिट्टी का भी पसंद कर सकते हैं. किचन काउंटर टौप्स में अब तो कौंपैक्ट क्वार्ट्ज का भी जलवा है और नए जमाने के लोग इसे खूब पसंद कर रहे हैं.

रोशनी

रसोईघर में प्रकाश की व्यवस्था बेहद अनिवार्य है. इसलिए अपनी किचन के संपूर्ण सौंदर्यीकरण के लिए अच्छी क्वालिटी के लैंप, बल्ब आदि लगाने चाहिए. एलईडी और हैलोजन किचन लाइट्स भी काफी पसंद की जा रही हैं.

किचन कैबिनेट

जब बात स्टोरेज की आती है, तो किचन कैबिनेट्स बहुत महत्त्वपूर्ण हो जाते हैं. प्रीलैमिनेटेड पार्टिकल बोर्ड्स, हार्डवुड, मरीन प्लाई, हाइब्रिड वुड प्लास्टिक कंपोजिट आदि कुछ बेहतरीन किचन कैबिनेट्स हैं.

रसोईघर की सजावट के इन साधनों के अलावा आप किचन केरौसेल का भी इस्तेमाल कर सकती हैं और जगह बचाने के लिए किचन में काम के लिहाज से ऐडजस्ट होने योग्य टेबल भी खरीद सकती हैं.

रसोईघर का सामान

चलिए अब मौजूदा वक्त में रसोईघर में इस्तेमाल हो रहे विभिन्न प्रकार के सामान की जानकारी देते हैं, जो आप के रसोईघर को और भी आकर्षक बना देंगे.

एअर फ्रायर

यह ऐसा भोजन तैयार करता है, जिस में तेल के जरिए फ्राई किए गए भोजन की तुलना में 80% कम फैट होता है और साथ ही इस के स्वाद में भी कमी नहीं आती है. घर पर एअर फ्रायर होने से पारंपरिक डीप फ्रायर के विपरीत अधिक तेल का इस्तेमाल किए बिना आप पोटैटो चिप्स, चिकन, फिश या पेस्ट्रीज आदि को फ्राई कर सकती हैं.

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जूसर

ताजा जूस पैक्ड जूस की तुलना में बेहतर रहता है. यह आप को न सिर्फ तरोताजा बनाए रखेगा, बल्कि उमस वाले इस मौसम में पानी की कमी से भी बचाए रखेगा.

स्मार्ट कुकी ओवन

10 मिनट के कम से कम वक्त की तैयारी में फ्रैश बेकिंग के लिए स्मार्ट कुकी ओवन शानदार है.

शावरमा ग्रिलर

शावरमा ग्रिलर के साथ घर पर ही शावरमा बनाएं. ये न सिर्फ स्वादिष्ठ होते हैं, बल्कि इन में कई स्वास्थ्यवर्धक गुण भी मौजूद होते हैं. अच्छी तरह से तैयार शावरमा प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट के मजबूत स्रोत हैं. इन में स्वस्थ फैट होता है.

सुनील गुप्ता

संस्थापक एवं निदेशक, ऐक्सपोर्ट्स इंडिया डौट कौम

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Winter Special: सर्दियों में बनाएं ये टेस्टी और हैल्दी Recipe

सर्दियों में हमारी पाचन क्षमता बढ़ जाती है इसीलिए सर्दियों को सेहत बनाने वाला मौसम भी कहा जाता है. इसके अतिरिक्त इन दिनों में भांति भांति की सब्जियां और फल भी भरपूर मात्रा में उपलब्ध रहते हैं जिनसे भांति भांति के व्यंजन बनाना भी बहुत आसान हो जाता है. आज हम आपको ऐसे ही कुछ व्यंजन बनाना बता रहे हैं जो स्वादिष्ट होने के साथ साथ हैल्दी भी हैं, तो आइए देखते हैं कि इन्हें कैसे बनाते हैं-

-चिली मूंगलेट

कितने लोगों के लिए         4

बनने में लगने वाला समय     45 मिनट

मील टाइप                          वेज

सामग्री

धुली मूंगदाल                        1 कप

दही                              1 टेबलस्पून

अदरक, हरी मिर्च पेस्ट     1 टीस्पून

प्याज बारीक कटा           1

पनीर किसा                     1 कप

नमक                              स्वादानुसार

ईनो फ्रूट साल्ट                 1 सैशे

बटर                               2 टेबलस्पून

राई के दाने                     1/2 टीस्पून

करी पत्ता                       6

विधि

मूंगदाल को 4-5 घण्टे के लिए भिगो दें. 5 घण्टे बाद दाल का पानी निकालकर मिक्सी में पीस लें. अब इसमें दही और नमक डालकर 20 मिनट के लिए रख दें. 20 मिनट बाद अदरक, हरी मिर्च पेस्ट, प्याज, और पनीर मिलाएं. अब इसमें ईनो फ्रूट सॉल्ट डालकर अच्छी तरह चलाकर स्टीमर में रखकर 20 मिनट तक पकाएं. ठंडा होने पर डिश से निकाल लें. अब एक नॉनस्टिक पैन में बटर गर्म करके राई और करी पत्ता डालकर तैयार मूंगलेट को दोनों तरफ से सुनहरा होने तक सेंककर हरी चटनी और टोमेटो सॉस के साथ सर्व करें.

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-बथुआ बूंदी रायता

कितने लोंगों के लिए             6

बनने में लगने वाला समय     20 मिनट

मील टाइप                         वेज

सामग्री

ताजा दही                            500 ग्राम

बूंदी                                     100 ग्राम

उबला बथुआ                        500 ग्राम

पानी                                    2 कप

काला नमक                          1/2 टीस्पून

काली मिर्च पाउडर                 1/2टीस्पून

हींग                                     1चुटकी भर

जीरा                                    1/4 टीस्पून

चाट मसाला                        1/2 टीस्पून

हरी मिर्च पेस्ट                       1/2 टीस्पून

सरसों का तेल                       1/4 टीस्पून

विधि

बथुए को मिक्सी में पीस लें. दही को पानी मिलाकर अच्छी तरह फेंटकर पिसा बथुआ और बूंदी  मिलाकर 30 मिनट के लिए ढककर रख दें. 30 मिनट बाद तेल को बघार पैन में गर्म करके हींग, जीरा तड़काकर दही में डालें. अब हरी मिर्च पेस्ट, चाट मसाला, काला नमक और काली मिर्च डालकर अच्छी तरह चलाकर गरम गरम रोटी परांठा के साथ सर्व करें.

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-बाजरा कटलेट

कितने लोगों के लिए               6

बनने में लगने वाला समय        30 मिनट

मील टाइप                             वेज

सामग्री

बाजरे का आटा                    2 कप

उबले आलू                         4

उबली मटर                          1/2 कप

बारीक कटी हरी मिर्च             4

बारीक कटा प्याज                  1

नमक                                   स्वादानुसार

अमचूर पाउडर                     1 टीस्पून

गरम मसाला                        1/2 टीस्पून

लाल मिर्च पाउडर                  1/2 टीस्पून

चाट मसाला                          1/2 टीस्पून

तलने के लिए तेल              पर्याप्त मात्रा में

विधि

आलू को छीलकर मैश कर लें. एक बाउल में समस्त सामग्री को एक साथ अच्छी तरह मिला लें. तैयार मिश्रण से 1 टेबलस्पून मिश्रण लेकर हथेली पर रखकर चपटा करें.इसी प्रकार सारी टिक्कियां तैयार कर लें. अब इन्हें गर्म तेल में मंदी आंच पर सुनहरा होने तक डीप फ्राई करें. बटर पेपर पर निकालकर हरी चटनी या टोमेटो सॉस के साथ सर्व करें.

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गुप्त रोग लाइलाज नहीं

सैक्स का जिक्र आते ही युवा मन में एक विशेष प्रकार की सरसराहट होने लगती है. मन हसीन सपनों में खो जाता है, क्योंकि यह प्रक्रिया है 2 जवां दिलों के आपसी मिलन की.

रमेश का विवाह नेहा से तय हो गया था. रमेश नेहा की खूबसूरती देख पहली ही नजर में उस का दीवाना हो गया था. नेहा को ले कर उस ने हसीन सपने बुन रखे थे. बस, इंतजार था शादी व मिलन की रात का.

रमेश ने पहले कभी शारीरिक संबंध नहीं बनाए थे, इसलिए उस के लिए तो यह नया अनुभव था. मिलन की रात जब रमेश ने नेहा को अपने आगोश में लिया तो उस का धैर्य जवाब देने लगा. उस ने जल्दी से नेहा के कपड़े उतारे और सैक्स को तत्पर हो गया, पर अभी वे एकदूसरे में समा भी न पाए थे कि वह शांत हो गया.

नेहा अतृप्त रह गई. जिस आनंद के सपने उस ने संजो रखे थे सब धराशायी हो गए. रमेश अपने को बहुत लज्जित महसूस कर रहा था.

रमेश जैसी स्थिति किसी भी युवा के साथ आ सकती है. अकसर युवा इसे अपनी शारीरिक कमजोरी या गुप्त रोग मान लेते हैं और उन्हें लगता है कि वे कभी शारीरिक संबंध स्थापित नहीं कर पाएंगे.

बहुत से युवा अपने मन की बात किसी से संकोचवश कर नहीं पाते और हताशा का शिकार हो कर आत्महत्या तक कर लेते हैं. कुछ युवा नीमहकीमों के चक्कर में पड़ जाते हैं जो उन्हें पहले नामर्द ठहराते हैं और फिर शर्तिया इलाज की गारंटी दे कर लूटते हैं. युवाओं को समझना चाहिए कि ऐसी समस्या मानसिक स्थिति के कारण उत्पन्न होती है.

प्रसिद्ध स्किन व वीडी स्पैशलिस्ट डा. ए के श्रीवास्तव का कहना है कि ‘पहली रात में सैक्स न कर पाना एक आम समस्या है, क्योंकि युवाओं को सैक्स की जानकारी नहीं होती. वे सैक्स को भी अन्य कामों की तरह निबटाना चाहते हैं, जबकि सैक्स में धैर्य, संयम और आपसी मनुहार अत्यंत आवश्यक है.

डा. श्रीवास्तव कहते हैं कि सैक्स से पहले फोरप्ले जरूरी है, इस से रक्त संचार तेज होता है और पुरुष के अंग में पर्याप्त कसाव आता है. कसाव आने पर ही सैक्स क्रिया का आनंद आता है और वह पूर्ण होती है. इसलिए युवाओं को सैक्स को गुप्त रोग नहीं समझना चाहिए. यदि फिर भी कोई समस्या है तो स्किन व वीडी विश्ेषज्ञ की राय लें.

आइए, एक नजर डालते हैं कुछ खास यौन रोगों पर :

शीघ्रपतन

अकसर युवाओं में शीघ्रपतन की समस्या पाई जाती है. यह कोई बीमारी नहीं है बल्कि दिमागी विकारों की वजह से ऐसा होता है. इस समस्या में युवा अपने पार्टनर को पूरी तरह से संतुष्ट करने से पहले ही स्खलित हो जाते हैं. यह बीमारी वैसे तो दिमागी नियंत्रण से ठीक हो जाती है, लेकिन अगर समस्या तब भी बनी रहे तो किसी योग्य चिकित्सक से परामर्श ले कर इस समस्या से छुटकारा मिल सकता है.

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नपुंसकता

नपुंसकता एक जन्मजात बीमारी है. इस रोग से ग्रसित लोग स्त्री को शारीरिक सुख देने में सक्षम नहीं होते और न ही संतान पैदा कर पाते हैं. कुछ युवाओं में क्रोमोसोम्स की कमी भी नपुंसकता का कारण होती है. युवाओं को शादी से पहले पता ही नहीं चलता कि उन के क्रोमोसोम्स या तो सक्रिय नहीं हैं या उन में दोष है. कुछ युवा शुरू में नपुंसक नहीं होते पर अन्य शारीरिक विकारों की वजह से वे सैक्स क्रिया सही तरीके से नहीं कर पाते. इसलिए उन को नपुंसक की श्रेणी में रखा जाता है. आजकल तो इंपोटैंसी टैस्ट भी उपलब्ध हैं. अगर ऐसी कोई समस्या है तो इस टैस्ट को अवश्य कराएं.

पुरुष हारमोंस की कमी

पुरुषों में टैस्टेटोरोन नाम का हारमोन बनता है. यही हारमोन पुरुष होने का प्रमाण है. कभीकभी किन्हीं वजहों से टैस्टेटोरोन स्रावित होना बंद हो जाता है तो वह व्यक्ति गुप्त रोग का शिकार हो जाता है. 50 से 55 वर्ष की आयु के बाद इस हारमोन के बनने की गति धीमी पड़ जाती है इसलिए ऐसे व्यक्ति सैक्स क्रिया में जोश से वंचित रह जाते हैं.

सिफलिस

यह वाकई एक गुप्त रोग है जो किसी अनजान के साथ यौन संबंध बनाने से होता है. अकसर यह रोग सफाई न रखने या ऐसे पार्टनर से सैक्स संबंध कायम करने से होता है जो अलगअलग लोगों से सैक्स संबंध बनाता है. इस रोग में यौनांग पर दाने निकल आते हैं. कभीकभी इन दानों से खून या मवाद का रिसाव तक होता रहता है. यदि आप के यौन अंग पर ऐसे दाने उभरते हैं तो तुरंत त्वचा व गुप्त रोग विशेषज्ञ से राय लें और इलाज कराएं. इस का इलाज संभव है.

जिस तरह पुरुषों में यौन या गुप्त रोग होते हैं, उसी तरह महिलाओं में भी गुप्त रोग हो सकते हैं. अकसर बहुत सी युवतियों की सैक्स में रुचि नहीं होती. सैक्स के नाम से वे घबरा जाती हैं ऐसी युवतियां या तो बचपन में किसी हादसे का शिकार हुई होती हैं या फिर किसी गुप्त रोग से पीडि़त होती हैं, यहां तक कि वे शादी करने तक से घबराती हैं.

महिलाओं के कुछ खास गुप्त रोग

बांझपन

युवतियों में 12-13 वर्ष की उम्र से माहवारी आनी शुरू हो जाती है. कभीकभी यह 1-2 साल आगेपीछे भी हो जाती है पर ऐसी भी युवतियां हैं जिन के माहवारी होती ही नहीं. ऐसी युवतियां बांझपन का शिकार हो जाती हैं. स्त्री बांझपन भी पुरुष नपुंसकता की तरह जन्मजात रोग है. बहुतों में अनेक शारीरिक व्याधियों के चलते भी हो जाती है लेकिन वह अस्थायी होती है और इलाज से ठीक भी हो जाता है. अगर किसी किशोरी को माहवारी की समस्या है तो उसे तुरंत किसी योग्य स्त्रीरोग विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए.

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जननांगों में खुजली

जब से समाज में खुलापन आया है युवा मस्ती में कब हदें पार कर देते हैं पता ही नहीं चलता. चूंकि इन्हें जननांगों की साफसफाई कैसे रखी जाए, यह पता नहीं होता इसलिए ये खुजली जैसे यौन संक्रमणों का शिकार हो जाते हैं. यदि बौयफ्रैंड को कोई यौन संक्रमण है तो गर्लफ्रैंड को इस यौन संक्रमण से बचाया नहीं जा सकता. अत: दोनों को ही शारीरिक संबंध बनाने से पहले अपने यौनांगों की अच्छी तरह सफाई कर लेनी चाहिए.

एंड्रोजन हारमोन का अभाव

जिस तरह पुरुषों में पुरुष हारमोन टैस्टेटोरोन होता है, उसी तरह युवतियों में एंड्रोजन हारमोन होता है. जिन युवतियों में इस हारमोन की कमी होती है, उन में सैक्स के प्रति उत्साह कम देखा गया है, क्योंकि यही हारमोन सैक्स क्रिया को भड़काता है. यदि कोई युवती एंड्रोजन हारमोन की कमी का शिकार है तो उसे तुरंत गाइनोकोलौजिस्ट से राय लेनी चाहिए. यह कोई लाइलाज रोग नहीं है.

लिकोरिया

लिकोरिया गंदगी की वजह से होने वाला एक महिला गुप्त रोग है. इस रोग में योनि से सफेद बदबूदार पानी का स्राव होता रहता है, जिस से शरीर में कैल्शियम व आयरन की कमी हो जाती है. इस रोग से बचने के लिए युवतियों को अपने गुप्तांगों की नियमित सफाई रखनी चाहिए और किसी दूसरी युवती के अंदरूनी वस्त्र नहीं पहनने चाहिए. लिकोरिया की शिकार युवतियों को तुरंत लेडी डाक्टर से सलाह लेना चाहिए, वरना यह रोग बढ़ कर बेकाबू हो सकता है.

सैक्स में भ्रांतियां न पालें

सैक्स की अज्ञानता की वजह से अकसर युवकयुवतियां सैक्स को ले कर तरहतरह की भ्रांतियां पाल लेते हैं.

हस्तमैथुन

यह एक स्वाभाविक क्रिया है. अकसर युवकों को हस्तमैथुन की आदत पड़ जाती है. ज्यादा हस्तमैथुन करने वाले युवकों को लगता है कि उन का अंग छोटा या टेढ़ा हो गया है और वे विवाह के बाद अपनी पत्नी से शारीरिक संबंध बनाने में कामयाब नहीं होंगे. कई नीमहकीम भी युवकों को डरा देते हैं कि हस्तमैथुन से अंग की नसें कमजोर पड़ जाती हैं और वे अपनी पत्नी को खुश नहीं रख सकेंगे, पर वास्तव में ऐसा नहीं है. हस्तमैथुन शरीर की आवश्यकता है. शरीर में वीर्य बनने पर उस का बाहर आना भी जरूरी है. इस में किसी प्रकार की कोई बुराईर् नहीं है. युवक ही नहीं युवतियां भी हस्तमैथुन करती हैं. डाक्टरों का भी मत है कि हस्तमैथुन का कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ता.

ज्यादा सैक्स सेहत के लिए हानिकारक

अकसर लोगों को यह कहते सुना जाता है कि ज्यादा सैक्स सेहत के लिए हानिकारक है पर ऐसा बिलकुल भी नहीं है. बल्कि सैक्स से महरूम रहना सेहत पर असर डालता है. सैक्स से मानसिक थकावट कम होती है, चित्त प्रफुल्लित रहता है जो सेहत के लिए अत्यंत जरूरी है.

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साइनोसाइटिस के कारण मैं काफी परेशान हूं, कृपया बताएं मुझे क्या करना चाहिए?

सवाल-

मैं 22 वर्षीय युवती हूं. बी.एससी. कर रही हूं. काफी समय से साइनोसाइटिस से परेशान हूं. मेरी नाक अकसर बंद रहती है, जिस का असर मेरे कानों पर भी होने लगा है. मुझे कम सुनाई देने लगा है. एक डाक्टर की देखरेख में काफी समय से दवा चल रही है पर आराम नहीं आ रहा. कृपया बताएं मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब-

हमारी नाक के पीछे के हिस्से और कानों के बीच एक लंबी नली होती है, जिसे यूसटेशियन ट्यूब कहते हैं. संक्रमण, ऐलर्जी, बारबार सर्दीजुकाम या फिर साइनोसाइटिस होने पर यह नली कभीकभी बंद हो जाती है. इस से कानों के भीतर हवा का संतुलन बिगड़ जाता है और सुनने की क्षमता कमजोर पड़ जाती है.

साइनोसाइटिस के समुचित इलाज और कान के एक छोटे से औपरेशन से इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है. अच्छा होगा कि आप इस संबंध में किसी योग्य ई.एन.टी. विशेषज्ञ से संपर्क करें.

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बड़े और बच्चों, सभी में साइनस के लक्षण एक जैसे ही होते हैं. इसके अलावा, सर्दी-जुकाम, फ्लू, अस्थमा, क्रौनिक औबस्ट्रक्टिव पल्मनरी डिजीज़ (COPD) और साइनस के काफी लक्षण करीब-करीब एक जैसे होते हैं. हालांकि इन सभी बीमारियों में कुछ फर्क भी होता है:

किसी को साइनस की प्रौब्लम अगर कुछ बरसों तक रहे तो वह आगे चलकर अस्थमा में बदल सकती है. हालांकि बच्चों में यह समय 8 से 10 साल का होता है.

ऐसे करें बचाव

1- एलर्जी से बचने के लिए बहुत ज्यादा भारी-भरकम और गद्देदार फर्नीचर से परहेज करें. अपने तकियों, बिस्तरों और कारपेट की नियमित सफाई करें. गलीचों और पायदानों की सफाई का भी ध्यान रखें. परफ्यूम आदि की गंध से दूर रहें. एयर पलूशन से बचें.

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

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