6 TIPS: Pregnancy में पहनें मैटरनिटी बेल्ट

मैटरनिटी बेल्ट एक किस्म का पट्टा होता है जो गर्भवती महिलाओं के पेट और कमर को सहारा देता है. ये बेल्ट गर्भावस्था के बाद भी पहनी जा सकती है.  इसको पहनने से उभरी और सूजी हुई मांसपेशियां वापस अपने पुराने आकार में आ जाती हैं. यह लचीली बेल्ट गर्भवती महिलाओं को गर्भ के दूसरे और तीसरे तिमाही चरण में बहुत सहायता करती है.

गर्भवती महिलाओं को मैटरनिटी बेल्ट से कई फायदे होते हैं. गर्भावस्था के दौरान और उसके बाद भी मैटरनिटी बेल्ट को पहनना जा सकता है.

1. दर्द कम करती है

गर्भावस्था के दौरान अधिकतर महिलाओं को पीठ, कमर और जोड़ों में दर्द होता है. इस कारण वो अपने दैनिक काम करने में भी बहुत तकलीफ महसूस करती हैं. मैटरनिटी बेल्ट उनके गर्भ और पीठ को सहारा देती है और बिना किसी दर्द के काम करने में सहायता करती है. गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को कई तरह के दर्द होते हैं.

यह दर्द स्नायु, नितम्ब के अगले हिस्से और पेट के नीचे की तरफ होते हैं. इस दर्द का कारण मुख्यतः गर्भ के बढ़ने के कारण स्नायु और हड्डियों पर पड़ने वाला अतिरिक्त भार होता है. बेल्ट के कारण यह भार बंट जाता है. अतः किसी एक स्थान पर अतिरिक्त भार नहीं पड़ता. इसके साठ ही गर्भावस्था के दौरान शरीर में रिलैक्सिन नाम के होर्मोन की मात्रा बढ़ जाती है. इस कारण नितम्ब के जोड़ों पर असहाय दर्द होता है. कई बार इसी कारण पीठ के नीचले हिस्से में भी दर्द होता है. बेल्ट पहनने से जोड़ों को सहारा मिलता है और दर्द में आराम मिलता है.

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2. हल्का दबाव

यदि दिन भर के काम के दौरान पेट को हल्का-हल्का दबाव दिया जाता रहे तो यह गर्भाशय को सहारा देता है और चलने-फिरने के दौरान होने वाली मुश्किल को भी कम करता है. लेकिन यह ध्यान में रखा जाना चाहिए की दबाव बहुत ज्यादा ना हो और बेल्ट इतनी कसकर ना बांधी जाए कि पेट में खून का बहाव प्रभावित हो.

3. दैनिक क्रियाकलापों में सहायता

गर्भावस्था में नियमित रूप से चलने-फिरने से उच्च रक्तचाप, अवसाद और डायबिटीज जैसी बीमारियां दूर रहती हैं. लेकिन शारीरिक मेहनत के दौरान होने वाला दर्द और असहजता बहुत सी औरतों को टहलने-घूमने से रोक देते हैं. मैटरनिटी बेल्ट पहनने से आपका दर्द और असहजता कम होगी और आप अपनी दैनिक दिनचर्या को जी पाएंगी.

4. हर्निया के मरीजों के लिए लाभदायक

जिन महिलाओं को हर्निया की समस्या है, गर्भावस्था के दौरान यह बेल्ट उनके लिए बहुत आवश्यक और सहायक है.

5. शरीर की मुद्रा को सही रखती है

मैटरनिटी बेल्ट पहनने से आपकी पीठ को सहारा मिलता है जिस कारण शरीर की मुद्रा सही बनी रहती है. इससे नीचली पीठ जरुरत से ज्यादा खिंचने से बच जाती है. गर्भावस्था के दौरान अतिरिक्त वजन के कारण कई बार रीढ़ की मासपेशियां खिंच जाती हैं. मैटरनिटी बेल्ट इन मासपेशियों को खिंचचने से बचाती है और शरीर को सीधे रखने में सहायता करती है.

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6. प्रसव के पश्चात के फायदे

प्रसव के बाद मॉसपेशियां और स्नायु ढीले पड़ जाते है. उनको वापस अपने पुराने आकार में आने में समय लगता है. इसके साथ ही महिलाओं को अपने नवजात शिशु को भी देखना पड़ता है. प्रसव के बाद बेल्ट पहनने से यह आसान हो जाता है. नवजात शिशु के साथ ही नयी-नवेली मां के शरीर को भी स्वस्थ होने का मौका मिल जाता है.

इन सबके बावजूद, यह मैटरनिटी बेल्ट आपकी समस्याओं के समाधान का मात्र एक बाहरी सहारा है. यह भी जरूरी है कि इसपर आवश्यकता से अधिक निर्भर ना हों. जरूरी है कि मांसपेशियों और स्नायु की बेहतरी हेतु व्यायाम और खान-पान का खास ध्यान रखा जाए. यह बेल्ट पहनने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य लें.

फिल्म प्रमोशन में छाया Priyanka Chopra का अंदाज, फैंस पूछ रहे हैं कई सवाल

बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड में पहचान बनाने वाली एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा (Priyanka Chopra) आए दिन सुर्खियों में रहती हैं. पिछले दिनों अपनी मैरिड लाइफ  (Priyanka Chopra Married Life) को लेकर मीडिया में छाने वाली प्रियंका चोपड़ा इन दिनों अपने लुक को लेकर चर्चा में हैं. दरअसल, हाल ही में देसी गर्ल प्रियंका चोपड़ा ने अपना एक लुक  (Priyanka Chopra Look) फैंस के साथ शेयर किया है, जिसके चलते वह ट्रोलिंग का शिकार भी हो रही हैं. हालांकि फैंस उनके लुक को काफी पसंद कर रहे हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

ड्रैस थी खास

 

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दरअसल, हाल ही में एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा अपनी फिल्म द मैट्रिक्स रिसरेक्शन (The Matrix Resurrections) के ग्रैंड प्रीमियर में पहुंची. जहां उन्होंने एक शिमरी गाउन कैरी किया था. इस दौरान स्लिट  पैटर्न वाली ऑफ-शोल्डर शिमरी ड्रेस पहनकर जहां प्रियंका नमस्ते करती नजर आईं तो वहीं मां के साथ जमकर पोज देती हुई नजर आईं थीं.

 

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ट्रोल हुई प्रियंका

 

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लुक की बात करें तो प्रियंका चोपड़ा ने अपने आउटफिट में शिमरी पैटर्न के साथ रस्ट-ऑरेंज कलर की स्लीव एड की थी, जो उनके लुक को और भी हौट बना रहा था. लेकिन ट्रोलर्स उनके इस लुक को पंखे से तुलना करते नजर आए. वहीं कुछ लोग उनसे सवाल करते नजर आए कि साड़ी किधर है. हालांकि फैंस प्रियंका चोपड़ा के लुक की तारीफें करते नजर आए थे.

 

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फैशन को लेकर सुर्खियों में रहती हैं प्रियंका

 

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प्रियंका चोपड़ा अक्सर अपने फैशन सेंस को लेकर सुर्खियों में रहती हैं. वह फैंस के साथ लगातार अपने लुक्स को शेयर करती हैं. वहीं फैंस भी प्रियंका चोपड़ा के लुक्स को काफी पसंद करते हैं. हाल ही में अपनी फिल्म प्रमोशन के दौरान प्रियंका के एक से बढ़कर एक अवतार ने सोशलमीडिया पर बवाल मचाया था. वहीं उनकी फोटोज काफी वायरल भी हुई थीं.

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Winter Special: सर्दियों में बनाएं ये 4 वन ड्राप आयल अचार

सर्दियों के मौसम में बाजार में सब्जियों की बहार होती है. इसीलिए इस मौसम में अचारों की भी बहार होती है. अचार जहां एक ओर भोजन को विविधता प्रदान करते हैं, वहीं दूसरी ओर भोजन के स्वाद को भी बढ़ाने के साथ साथ हमें पौष्टिकता भी प्रदान करते हैं. कुछ लोग अचार खाने से परहेज करते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि अचार में बहुत तेल मसालों का प्रयोग किया जाता है परन्तु आज हम आपको ऐसे कुछ अचार के बारे में बता रहे हैं जिन्हें बनाने में केवल 1 टीस्पून तेल और बहुत कम मसालों का प्रयोग किया गया है, ये बनते भी बहुत जल्दी हैं और खाने में भी बहुत स्वादिष्ट लगते हैं,  पर हां ये अचार ताजे ही खाने में अच्छे लगते हैं और इन्हें आप कम मात्रा में रखकर 10 से 15 दिन तक आराम से प्रयोग कर सकतीं हैं. तो आइये देखते हैं कि इन्हें कैसे बनाया जाता है-

-मूली का अचार

कितने लोगों के लिए          8

बनने में लगने वाला समय    20 मिनट

मील टाइप                         वेज

सामग्री

ताजी मूली                         4

राई की दाल                      1/2 टीस्पून

हल्दी पाउडर                      1/4 टीस्पून

चिली फ्लैक्स                      1/2 टीस्पून

नमक                               1/2 टीस्पून

नीबू का रस                         1 टीस्पून

सरसों का तेल                    1 टीस्पून

विधि

मूली को छीलकर पतले गोल टुकड़ों में काट लें. तेल को गर्म करके गैस बंद कर दें. अब इसमें राई और हल्दी डालकर मूली के टुकड़े डालकर  चलाएं. चिली फ्लैक्स, नीबू का रस और नमक डालकर अच्छी तरह चलाएं और 2-3 दिन बाद प्रयोग करें.

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-मिक्स वेज अचार

कितने लोगों के लिए          8

बनने में लगने वाला समय     20 मिनट

मील टाइप                       वेज

सामग्री

गाजर                          4

गोभी                            1 कप

हरी मिर्च                        6

अदरक                          1 मध्यम गांठ

नीबू                               4

राई की दाल                   1 टीस्पून

हल्दी पाउडर                  1/2 टीस्पून

नमक                           1 टीस्पून

हींग                              चुटकी भर

सरसों का तेल                1 टीस्पून

विधि

गाजर को छीलकर 1 इंच के लंबे और पतले टुकड़ों में काट लें. गोभी को भी छोटे छोटे टुकड़ों में काट लें. 1 नीबू, अदरक और हरी मिर्च को भी लम्बाई में छोटे टुकड़ों में काट लें. शेष 3 नीबू का रस निकाल कर अलग रख लें. अब एक पैन में तेल गरम करके हींग, राई की दाल, हल्दी पाउडर डालकर सभी सब्जियां व नमक डालकर फुल फ्लेम पर 2 से 3 मिनट तक अच्छी तरह चलाते हुए पकाकर गैस बंद कर दें. ठंडा होने पर नीबू का रस मिलाकर एयरटाइट जार में भरकर तुरन्त ही प्रयोग करें.

-अदरक, कच्ची हल्दी का अचार

कितने लोगों के लिए            8

बनने में लगने वाला समय     20 मिनट

मील टाइप                         वेज

सामग्री

मोटा किसा अदरक               1/2 कप

मोटी किसी कच्ची हल्दी         1/2 कप

बारीक कटी हरी मिर्च             6

नीबू का रस                          1/2 कप

राई की दाल                        1 टीस्पून

काला नमक                        1/2 टीस्पून

काली मिर्च दरदरी कुटी         1/4 टीस्पून

विधि

एक बाउल में समस्त सामग्री को एक साथ अच्छी तरह मिक्स करके कांच के जार में भरकर 3-4 दिन तक धूप में रखकर प्रयोग करें.

-पिंड खजूर का अचार

कितने लोगों के लिए                8

बनने में लगने वाला समय        20 मिनट

मील टाइप                            वेज

सामग्री

बीज निकले ख़जूर                2 कप

नीबू का रस                         1/2 कप

काली मिर्च पाउडर               1/4 टीस्पून

काला नमक                        1/2 टीस्पून

सोंठ पाउडर                        1/4 टीस्पून

भुना जीरा पाउडर                1/4 टीस्पून

घी                                     1/4 टीस्पून

विधि

खजूर को धोकर साफ सूती कपड़े से अच्छी तरह पोंछ लें. अब इन्हें छोटे छोटे टुकड़ों में काट लें. गर्म घी में कटे खजूर को तेज आंच पर 2 मिनट तक चलाते हुए भूनें ताकि इनकी नमी समाप्त हो जाये. जब ये ठंडे हो जाएं तो एक बाउल में डालकर समस्त सामग्री को अच्छी तरह मिलाएं. कांच के जार में भरकर रखें. आप इसे तुरंत ही प्रयोग कर सकतीं हैं.

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शादी से पहले, शादी के बाद

इनसान की जो कामना पूरी हो जाती है उस के प्रति वह कुछ समय बाद उदासीन सा हो जाता है और दूसरी कामनाओं के पीछे भागने लगता है. आजकल विवाहित जोड़े, विवाह की बात तय होने के बाद एकदूसरे के लिए बहुत ही उतावले रहने लगते हैं, एकसाथ घूमतेफिरते हैं, खातेपीते हैं, भावी जीवन को ले कर बातें करते हैं, एकदूसरे के घर होने वाले आयोजनों में, उत्सवों में साथसाथ नजर आते रहते हैं, एकदूसरे के घर भी रह आते हैं, एकदूसरे का परिचय भी बड़े गर्व से लोगों से करवाते हैं. उस दौरान उन का एकदूसरे के प्रति समर्पण आसमान छू रहा होता है. दोनों को अपनी भावी ससुराल की हर चीज बहुत अच्छी लगती है. अगर कुछ बुरा भी लगता है तो उसे चुनौती समझ कर स्वीकार करते हैं. लेकिन यही कपल विवाह के साल 2 साल बाद एकदूसरे से उदासीन से हो जाते हैं, उकता से जाते हैं. यानी उन के प्रेम का रंग फीका पड़ने लगता है. एकदूसरे की अच्छाइयां बुराइयों में बदलने लगती हैं. जो बातें चैलेंज के रूप में ली थीं, वे जी का जंजाल बन जाती हैं. विवाह के पहले एकदूसरे का जो पहननाओढ़ना मन को बहुत भाता था, विवाह के कुछ समय बाद वही पहनावा फूहड़पन और भद्देपन में बदलने लगता है. एकदूसरे की कमियां गिनातेगिनाते रातें बीत जाती हैं. देखते ही देखते दोनों एकदूसरे से बेजार से हो जाते हैं. अलगअलग शौक पाल कर रास्ते अलगअलग करने लगते हैं. अगर दोनों जौब में होते हैं तो अधिक व्यस्तता का बहाना बना कर एकदूसरे से दूरियां बनाने लगते हैं.

बौलीवुड के सितारे इन की प्रेरणा बन जाते हैं. 10 में से 5 कलाकारों की यही कहानी होती है. रणधीर कपूरबबीता, अमृतासिंहसैफ, आमिर खान, संजय दत्त, रितिक रोशन आदि इसी राह पर चले हैं.

विवाह बाद दूरियां क्यों

दरअसल, हमारा जीवन एक गाड़ी की तरह है. पतिपत्नी उस गाड़ी के 2 पहिए हैं. यदि उन का संतुलन बिगड़े तो परिवार बिखरने तक की नौबत आ जाती है.

3-4 दशक पहले तलाक के मामले बहुत कम थे. उस के पीछे भी कुछ अहम कारण थे. उस समय युवकयुवतियों को सगाई के बाद भी मिलनेजुलने की इतनी छूट नहीं होती थी. एक सीमा रेखा होती थी. फोन पर बात होती थी. किसी पारिवारिक आयोजन में मुलाकात हो जाती थी. उन का जीवन एक ऐसी किताब की तरह होता था, जिस का 1-1 अध्याय पढ़ने को मिलता था. अगला अध्याय पढ़ने की उत्सुकता बनी रहती थी. इस प्रकार एकदूसरे के जीवन का 1-1 नया अध्याय पढ़ने में उम्र में, स्वभाव में परिपक्वता आ जाती थी. एकदूसरे के घरपरिवार, शिक्षा, कालेज, शौक, पुराने मित्रों के बारे में पता करते, सोचतेसमझते विवाह की नींव इतनी मजबूत हो जाती थी कि टूटने का सवाल ही नहीं उठता था.

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मगर आजकल अति आधुनिकता के पीछे भागते युवकयुवतियां अपने जीवन की किताब विवाह तय होते ही एकदूसरे को सौंप देते हैं. विवाह होने से पहले ही वे एकदूसरे की जीवन की किताब पढ़ चुकते हैं. इस कारण एकदूसरे के प्रति उत्सुकता, बेचैनी, जानने की ललक समाप्त हो जाती है.

नीरस बन जाती है जिंदगी

मृणाल का ही उदाहरण लें. वह बहुत ही मेधावी छात्रा थी. बंगाली परिवार से थी. कालेज में यूनियन के प्रैसिडैंट सुमीर, जो एक कट्टर ब्राह्मण परिवार से था, को दिल दे बैठी. दोनों एकदूसरे के आकर्षण में ऐसे डूबे कि सब कुछ भुला बैठे. मृणाल हर समय सुमीर की बातें करती. अब वह पढ़ने में पिछड़ने लगी. कईकई बार रात को भी गायब रहने लगी. परीक्षा परिणाम आया तो कई विषयों में अनुत्तीर्ण रही.

दोनों परिवारों के घोर विरोध के बावजूद दोनों का विवाह हो गया. पर कुछ ही सालों में मृणाल, जिस की सुंदरता खिलते गुलाब जैसी थी, पूर्णतया मुरझा गई. शुष्क काले घेरे शृंगार के नाम पर एक छोटी सी बिंदी बस. पीहर की बड़ी हवेली में रहने वाली ससुराल के छोटे से घर में रहती. दालचावल बीनती दिखती रही थी.

एक दिन मृणाल को उस की एक सहेली मिल गई तो मृणाल ने उसे बताया कि वह पहले खुल कर जीती थी पर उस के कट्टर ब्राह्मण ससुराल वालों ने दिल से नहीं स्वीकारा. बस बेटे की जिद के आगे घुटने टेक दिए थे. मुझे रसोईघर में खाना बनाने की अनुमति नहीं थी. रोज अपना खाना रसोईघर से बाहर बनाती. सास बहुत छुआछूत करती. सुमीर बिलकुल बदल चुका है. कहता है यहां रहना है तो उस की मां के अनुसार चलना होगा. किसी राजनीतिक पार्टी में शामिल हो गया है. सारासारा दिन घर से बाहर रहता है. खानेपीने का कोई समय तय नहीं. उस की भी शिक्षा अधूरी है वरना कोई नौकरी ही कर लेती.

उस का यह हाल सुन सहेली की आंखें भर आईं. भरे मन से वह वहां से घर वापस आ गई. कुछ महीनों बाद सुमीर से तलाक ले कर मृणाल मायके लौट गई. यह सुन कर सहेली का मन बहुत उदास हो उठा कि विवाह से पहले प्रेम का, साथसाथ घूमनेफिरने, एकदूसरे को समझने का तलाक के रूप में अंत?

बढ़ती दूरियां

अर्थशास्त्री की नजर में किसी भी वस्तु का बाजार में भाव उस की भाग और पूर्ति के सिद्घांत पर टिका रहता है. जैसे बाजार में फल, सब्जी, दालें या अन्य किसी वस्तु की पूर्ति पर्याप्त मात्रा में है और मांग कम है तो बाजार भाव गिर जाता है. इस के विपरीत पूर्ति कम और मांग ज्यादा है, तो उस वस्तु के भाव एकदम बढ़ जाते हैं.

अर्थशास्त्र की मांग और पूर्ति का यही सिद्घांत वैवाहिक जीवन पर भी लागू होता है. यदि विवाह से पहले एकदूसरे की पूर्ति बहुत ज्यादा होती है अर्थात बहुत अधिक मिलनाजुलना रहता है तो विवाह के बाद मांग कम हो जाती है. दोनों आपस में छोटीबड़ी सभी बातें शेयर करते हैं. किसी बात पर कोई परदा नहीं है तो विवाह के बाद एकदूसरे के प्रति उत्सुकता समाप्त हो जाती है. जीवन में नीरसता सी आ जाती है. दूरियां बढ़ती हैं और फिर धीरेधीरे अलग होने के कगार पर आ खड़े होते हैं.

दूसरी ओर एक संतुलित तरीके से मिलनेजुलने पर आकर्षण बना रहता है. विवाह के बाद एकदूसरे को अच्छी तरह जानने की उत्सुकता बनी रहती है. विवाह के बाद दोनों एकदूसरे से अपनी बातें शेयर करते हैं तो जीवन में सरसता बनी रहती है. एकदूसरे को अधिक से अधिक जानने की कोशिश में आपस में बंधे रहते हैं.

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समय की मांग

समय की यह मांग है कि विवाह से पहले लड़का और लड़की एकदूसरे को अच्छी तरह समझपरख लें ताकि विवाह के बाद जीवन सही ढंग से गुजरे. पर कभीकभी युवा इस सुविधा का अनुचित फायदा उठाने लगते हैं. एकदूसरे को ज्यादा से ज्यादा प्र्रभावित करने के लिए अपनी आमदनी, परिवार, धनदौलत की बढ़ाचढ़ा कर तारीफ करते हैं. दोनों में से कोई एक या फिर दोनों ही एकदूसरे को सब्जबाग दिखाते हैं, जो भविष्य में जा कर घातक ही सिद्घ होता है.

गलतफहमी में न रहें

हमारे एक नजदीकी रिश्तेदारी में विवाह तय होने के बाद लड़कालड़की दोनों एकदूसरे का स्वभाव, आदतें समझने के बजाय एकदूसरे को प्रभावित करने के लिए झूठी शान बघारने लगे कि हमारे पास इतना धन है, इतना सोना है. खूब हवाई किले बनाने लगे. मगर जब विवाह हुआ तो पता चला कि दोनों ही साधारण परिवार से हैं. लड़की ने ससुराल में जा कर पाया कि लड़के द्वारा बघारी गई शेखियों में कुछ भी सच नहीं है. वह एक अति साधारण परिवार की बहू बन कर रह गई. असलियत खुलने पर बहुत झगड़ा हुआ. अपनी सारी उम्मीदों पर पानी फिरता देख 4 महीने में ही लड़की मायके लौट गई.

विवाह से पहले लड़केलड़कियों का आपस में मेलजोल सही है. इस दौरान दोनों को अपने स्वभाव, आदतें, जीवन स्तर की सही तसवीर पेश करनी चाहिए. अपने जीवन की पूरी किताब एकदूसरे को न सौंप दें. कुछ पाठ विवाहोपरांत पढ़ने में ही आनंद आता है.

अपने होने वाले जीवनसाथी को किसी गलतफहमी में न रहने दें. इसी में दोनों का फायदा है, क्योंकि झूठे हवामहल बनाने से विवाह की नींव कमजोर रहती है और विवाह का महल भरभरा कर गिर जाता है.

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Sunrise Pure स्वाद और सेहत उत्सव में आज बनाते हैं दाल तड़का

घर का हैल्दी खाना अक्सर लोगों को पसंद नही आता. लेकिन अगर वो टेस्टी और नए अंदाज में बनाया जाए तो फैमिली का दिल जीत लेता है. अगर आप डिनर के लिए या लंच के लिए टेस्टी और हेल्दी रेसिपी ट्राय करना चाहते हैं तो दाल तड़का की ये रेसिपी आपके लिए परफेक्ट रेसिपी है.

सामग्री

–   200 ग्राम काली मूंग

–   1 प्याज कटा

–   1 छोटा चम्मच अदरक कद्दूकस की

–   1/2 छोटा चम्मच हलदी पाउडर

–   1 टमाटर बारीक कटा

–   1 हरी मिर्च बारीक कटी

–   1 बड़ा चम्मच नींबू का रस

–   थोड़ी सी धनियापत्ती बारीक कटी

–   2 बड़े चम्मच Sunrise Pure दाल तड़का मसाला

–   1 बड़ा चम्मच देशी घी

–   नमक स्वादानुसार.

बनाने का तरीका

  • 200 ग्राम काली मूंग को उबालकर एक तरफ रख दें. एक पैन में तेल गरम करें और उसमें कटा प्याज, लहसुन, अदरक और सूखी मिर्च को सुनहरा होने तक भूनें.
  • अब उबली हुई दाल, 2 बड़े चम्मच Sunrise Pure मसाला, कटे टमाटर, हरी मिर्च, स्वादानुसार नमक डालकर 5 मिनट तक पकाएं. कटे हरे धनिये से सजाकर सर्व करें.

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मेरे बाद क्या बेटी को भी ब्रैस्ट कैंसर होने का खतरा है?

सवाल-

3 वर्ष पूर्व मेरे बाएं स्तन में कैंसर का पता चला था. चूंकि मुझ में बीआरसीए जीन पाया गया, इसलिए उस समय मेरे दोनों स्तनों को रिमूव कर दिया गया. मेरी 13 वर्ष की बेटी है. मुझे इस बात की चिंता है कि कहीं वह भी स्तन कैंसर के खतरे के दायरे में न आ जाए. हालांकि उस में इस का कोई लक्षण प्रकट नहीं हुआ है, लेकिन मैं इस को ले कर आश्वस्त होना चाहती हूं. बताएं इस के लिए मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब-

प्राय: बच्चों में जो गांठें पाई जाती हैं वे सुसाध्य (बेनाइन) होती हैं और उन के कैंसर के रूप में विकसित होने की संभावना बहुत दुर्लभ होती है. स्तन कैंसर 15 से 39 वर्ष की महिलाओं में काफी कौमन एवं आक्रामक होता है. अपने इतिहास को जानने के बाद आप की चिंता स्वाभाविक है. लेकिन जब तक आप को बेटी में कोई लक्षण न दिखाई दे तब तक भयभीत होने की जरूरत नहीं है. इस के लक्षणों में कांख अथवा स्तनक्षेत्र में गांठ, स्तन के आकारप्रकार में परिवर्तन, स्तन से रक्त का डिस्चार्ज इत्यादि शामिल हैं. हालांकि ये लक्षण अन्य बीमारियों के भी हो सकते हैं. ऐसी स्थिति में चिकित्सक से संपर्क करें. दोनों स्तनों का अल्ट्रासाउंड कराएं. यदि किसी तरह का संदेह नजर आए, तो इस की पुष्टि के लिए एमआरआई कराएं.ट

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ब्रैस्ट कैंसर तब होता है जब  कोशिका बढ़ती है और दो संतति कोशिकाओं का निर्माण करने के लिए विभाजित होकर स्तन में शुरू होता है. भारत में महिलाओं के बीच यह  एक प्रमुख कैंसर है, यह सर्वाइकल कैंसर के बाद दूसरे स्थान पर आता  है, लेकिन आश्वस्त रूप से, यदि शुरू के ही  स्टेज  (स्टेज I-II) में पता चलता है तो यह सभी प्रकार के कैंसर में से सबसे अधिक इलाज योग्य भी है. मेनोपॉज़  के बाद की महिलाएं (55 वर्ष से अधिक आयु) अधिक कमजोर होती हैं. हालांकि, कम उम्र की महिलाओं में भी इसका प्रचलन बढ़ रहा है. हर 2 साल में प्रिवेंटिव जांच अनिवार्य है, खासकर अगर तत्काल परिवार की महिला रिश्तेदार (दादी, मां, चाची या बहन) को कभी  कैंसर हुआ हो.लाइफलाइन लेबोरेटरी की एमडी (पैथ) एचओडी हेमेटोलॉजी, साइटोपैथोलॉजी और क्लिनिकल (पैथ) डॉक्‍टर मीनू बेरी के मुताबिक हालांकि यह रेयर है किन्तु  पुरुषों को भी स्तन कैंसर हो सकता है – डक्टल कार्सिनोमा और लोब्युलर कार्सिनोमा सबसे संभावित प्रकार हैं. महिला पुरुष दोनों में लक्षण कमोबेश समान होते हैं.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- जानें क्या है ब्रैस्ट कैंसर और इसका इलाज

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

सिद्धार्थ की वापसी – भाग 3 : सुमित और तृप्ति शादी के बाद भी खुश क्यों नहीं थें

तभी मां उस के पास बैठ बोली थीं. ‘कहो, मां.’ ‘ऐसे कब तब चलेगा? न किसी से कुछ कहतीसुनती हो, न हंसतीबोलती हो. तुम्हारे पिताजी जहां भी विवाह की बात चलाते हैं, तुम कोई न कोई बहाना बना कर टाल जाती हो. लगता है, तुम्हारे मन को तो सुमित के अलावा कोई भाता ही नहीं.’ ‘उस का नाम मत लो, मां. उस ने मुझे धोखा दिया है,’ तृप्ति क्रोधित स्वर में बोली थी. ‘नहीं बेटी, धोखा तो तब होता जब वह बिना कुछ बताए तुम से विवाह कर लेता. सच पूछो तो मैं उस की साफगोई से बहुत प्रभावित हूं. उस में संबंधों की नाजुक डोर को संभालने की क्षमता है. जरा सोचो, जो व्यक्ति अपने नन्हे से बच्चे से इस तरह जुड़ा है,

भविष्य में तुम्हें किस तरह रखेगा. मेरा मतलब है यदि तुम उस से विवाह करने का निर्णय लो तो…’ तृप्ति की मां ने बात आगे बढ़ाई थी. आखिरकार, तृप्ति को कुछ समझ आया था, सो उस ने मां से हां कह दी थी. तृप्ति ने तो केवल स्वीकृति दी थी, बाकी बातचीत तो उस के पिता और बड़े भाई ने की थी. वे तो उझानी जा कर सुमित के मातापिता और सिद्धार्थ से भी मिल आए थे. इस तरह वह सुमित की पत्नी बन कर उस के घर में आ गई थी. अब तो स्वयं उस का 4 वर्ष का बेटा मयूर था. सिद्धार्थ की बात इन 7 वर्षों में न उस ने की, न सुमित ने उठाई, फिर अचानक उस का सिद्धार्थ को ले कर इस तरह बेचैन हो उठना? तृप्ति की समझ में कुछ नहीं आया था. इतने वर्षों से तो वह दादादादी के साथ आराम से रह रहा था, फिर अब अचानक क्या हो गया? तभी द्वार पर आहट हुई थी और तृप्ति ने मुड़ कर देखा था.

द्वार खोला तो बाहर सुमित का चचेरा भाई रघु खड़ा था. ‘‘अरे रघु भैया, आप? आइए न, अंदर आइए,’’ तृप्ति ने स्वागत करते हुए कहा. ‘‘अब आओ न, द्वार के पीछे छिपे क्यों खड़े हो बेटे? कोई कुछ नहीं कहेगा,’’ कहते हुए रघु ने किसी को पुकारा. ‘‘कौन है वहां?’’ तृप्ति ने पूछा. ‘‘अपना सिद्धू है, भाभी. उझानी में किसी की नहीं सुनता है, दिनभर बाहर खेलता रहता है. पिछली बार ताऊजी ने सुमित भैया से भी कहा था कि अब उन से नहीं संभलता, पालपोस कर बड़ा कर दिया, अब तो आप लोग संभाल लीजिए. बेचारा, बिना मां का बच्चा है. गुस्सा भी आए तो इस पर हाथ नहीं उठता,’’ रघु उसे ले कर अंदर आते हुए कह रहा था. खापी कर रघु चला गया था. पर सिद्धार्थ भौचक्का सा घर की हर वस्तु को छू कर देख रहा था. सुमित पास की दुकान से मयूर को साथ ले कर कुछ खरीदने गया था.

पता नहीं, कहां रह गया. तृप्ति सोच ही रही थी कि मयूर के गुनगुनाने के दूर से आते स्वर से ही उस ने सुमित के कदमों की आहट पहचान ली थी. ‘‘अरे, सिद्धू,’’ सिद्धार्थ पर नजर पड़ते ही सुमित चौंक गया था. वह फिर बोला, ‘‘यह यहां कैसे आया?’’ ‘‘रघु आया था छोड़ने,’’ तृप्ति बोली थी. ‘‘कुछ दिन इसे यहीं रहने दो. मैं इस के लिए कुछ और प्रबंध करने का प्रयत्न कर रहा हूं. मेरे मित्र सुंदर बाबू इसे गोद लेने को भी तैयार हैं, पर मेरा ही मन नहीं माना,’’ सुमित ने मानो सफाई दी थी. ‘‘अब और शर्मिंदा मत करो, सुमित. तुम्हारी पत्नी हूं. तुम्हारा दुख तो मुझे बहुत पहले ही समझ लेना चाहिए था, पर अब तो मुझे भूल सुधारने का अवसर दो. अब सिद्धार्थ यहीं रहेगा. आज जब रघु ने उसे बिना मां का बच्चा कहा तो मेरा मन भर आया,’’ तृप्ति ने कहा तो सुमित छोटे बच्चे की तरह फूटफूट कर रोने लगा. सुमित को सांत्वना देते हुए पहली बार तृप्ति को लगा कि उन के बीच की अनकही दूरी सदा के लिए खत्म हो गई है. अब सुमित सही अर्थों में उस का हो गया है.

‘भारत रत्न डॉ एपीजे अब्दुल कलाम अवार्ड 2021’ से सम्मानित हुए ये सेलेब्स

हाल ही में मुंबई के इस्कॉन ऑडिटोरियम में चांद सुल्ताना के ‘भारत निर्माण फाउंडेशन चैरिटेबल ट्रस्ट’ द्वारा “भारत रत्न डॉ एपीजे अब्दुल कलाम अवार्ड 2021“ का शानदार आयोजन किया गया. इस अवार्ड फंक्शन में मुख्य अतिथि के रूप में किरीट सोलंकी (मेम्बर अॉफ पार्लियामेंट, लोक सभा) मौजूद रहे.    इस अवसर पर गायिका मधुश्री ने ‘यहां कान्हा सो जा जरा’ तथा गायक उदित नारायण ने ‘‘पापा कहते हैं..’’ गाकर मौजूद लोगों को भाव विभोर कर दिया.

प्रतिष्ठित पुरस्कार भारत रत्न डॉ एपीजे अब्दुल कलाम अवार्ड 2021“ से सलमा आगा, उदित नारायण, अनु मलिक, दीपशिखा नागपाल, मधुश्री,  निहारिका रायजादा, सुनील पाल, डॉ भारती लव्हेकर (एमएलए), एकता जैन, कैलाश मासूम, एकांश भारद्वाज,मौरिस नोरोन्हा, डॉ खालिद शेख, डॉ राजेश डेरे, परवेज लकड़ावाला, सत्यम आनंदजी, विजय केड़िया, आराध्या गुप्ता, वैजयंतीमाला कांबले, चंद्रकांत द्विवेदी को नवाजा गया.

मशहूर गायक सलमा आगा ने इस अवसर पर कहा-‘‘यह दर्शकों की मोहब्बतें हैं कि हमारे परिवार के लोग चार पीढ़ियों से पसंद किए जा रहे हैं. मेरी बेटी ज़ारा खान का गाना ‘कुसु कुसु’ काफी हिट हुआ है. मैं चांद सुल्ताना को बधाई देती हूं कि वह भारत निर्माण फाउंडेशन चैरिटबल ट्रस्ट की अध्यक्ष हैं, जिनके द्वारा भारत रत्न एपीजे अब्दुल कलाम अवार्ड का शानदार आयोजन किया  गया. चांद सुल्ताना सेंसर बोर्ड की सदस्य भी हैं. इतनी छोटी सी उम्र में इन्होंने काफी बड़ा मुकाम हासिल किया है. यह इनका पहला अवार्ड शो है, जो बेहद कामयाब रहा. मैं कलाम साहब जैसी हस्ती के नाम का अवार्ड पाकर गौरवान्वित महसूस कर रही हूं.’’

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जबकि संगीतकार अनु मलिक ने कहा-‘‘किरीट सोलंकी जी ने मुझसे कहा कि आपने ‘बॉर्डर’ सहित कई फिल्मों में देशभक्ति पूर्ण संगीत दिया है. मैं बेहद खुश हूं कि मुझे एपीजे अब्दुल कलाम के नाम का अवार्ड दिया गया ऐसा लग रहा है कि जैसे मुझे उनकी दुआएं मिलीं.’’

एकांश भारद्वाज ने कहा-‘‘ एक तो यह अवार्ड शो डॉ एपीजे अब्दुल कलाम साहब के नाम पर था, उसपर से यहां इतनी बड़ी बड़ी हस्तियां स्टेज पर मौजूद थीं, ऐसे में मुझे एंकरिंग की जिम्मेदारी दी गई, जो मेरे लिए काफी चैलेंजिंग थी. मुझे खुशी है कि लोगों ने बतौर एंकर मेरे काम को सराहा, उदित नारायण जी ने मेरे लिए दो शब्द कहे, तो अच्छा लगा. भारत रत्न डॉ एपीजे अब्दुल कलाम अवाड्र्स 2021 की ट्रॉफी हासिल करना मेरे लिए उम्र भर का यादगार लम्हा रहा.’’

फिल्म ‘सूर्यवंशी’ फेम अभिनेत्री निहारिका रायज़ादा ने कहा-‘‘एपीजे अब्दुल कलाम के नाम का अवार्ड मिलना मेरे लिए गर्व की बात है. कलाम साहब जैसा दिमाग रखने वाले व्यक्तित्व एक मिसाल होते हैं. सूर्यवंशी फ़िल्म के लिए मुझे यह अवार्ड मिला है. मैं तमाम आयोजकों की शुक्रगुजार हूं.’’

स्टैंडअपन कॉमेडियन सुनील पाल ने कहा-‘‘एपीजे अब्दुल कलाम के नाम का अवार्ड मिलना बड़ी बात है. मैं कैलाश मासूम और चांद सुल्ताना का आभारी हूँ कि उन्होंने मुझे इस सम्मान से नवाजा.’’

उदित नारायण ने कहा-‘‘चांद सुल्ताना का शुक्रिया. भारत निर्माण फाउंडेशन चैरिटेबल ट्रस्ट का आभार. अब्दुल कलाम जैसे इंसान, राष्ट्रपति के नाम का पुरस्कार पाकर गर्व महसूस होता है.’’

पालघर से आई सोशल वर्कर वैजयंती माला कांबले को भी इस सम्मान से नवाजा गया जो वर्षों से लोगों की मदद कर रही हैं.

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मालिनी संग रोमांटिक पोज देगा आदित्य, Imlie को होगी जलन!

स्टार प्लस के सीरियल इमली में मालिनी (Mayuri Deshmukh) और आदित्य (Gashmeer Mahajani) की शादी की तैयारियां इन दिनों देखने को मिल रही हैं. वहीं आर्यन (Fehmaan Khan) ने दोनों की शादी कवर करने की जिम्मेदारी इमली को सौंपी है, जिसके चलते आदित्य पूरी कोशिश कर रहा है कि इमली को जला सके. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

आर्यन और इमली आते हैं साथ

अब तक आपने देखा कि इमली और आर्यन का साथ में आरती करना जहां आदित्य को परेशान करता है, जिसके चलते वह मालिनी को साथ में आरती करने के लिए बुलाता है. हालांकि आर्यन, इमली का साथ देता नजर आता है. वहीं आर्यन की मां नर्मदा, अर्पिता के साथ त्रिपाठी हाउस में आती है. जहां आर्यन और इमली को एक साथ आरती करते देख नर्मदा बहुत खुश होती है और दोनों की जोड़ी की बात अर्पिता से कहती है.

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मालिनी को लगता है डर

इसके अलावा, आर्यन की मां को देखकर मालिनी डरती नजर आती है कि कहीं वह त्रिपाठी परिवार को ना बता दे कि वह आर्यन से मिलने उसने घर गई थी, जिसके चलते वह पूरी कोशिश करती है कि नर्मदा को कुछ बोलने न दे. लेकिन आर्यन, नर्मदा के सामने मालिनी के इरादों को छिपाते हुए कहता है कि यहां वह सिर्फ शादी कवर करने के लिए आए हैं. वहीं मालिनी, आर्यन को शुक्रिया करते हुए कहती है कि  उसके प्रपोजल को न मानने के बाद उसने मदद की उम्मीद नहीं की थी. लेकिन वह रियलिटी में बहुत चालाक है और अपने मकसद को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है. इसलिए वह इमली जैसी लड़की की मदद कर रहा है.

 

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इमली को ताना मारेगा आदित्य

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि आदित्य, इमली को अपनी और मालिनी की फोटोज शूट करने के लिए बुलाएगा, जिसके चलते वह परेशान होगी. हालांकि आदित्य पूरी कोशिश करेगी कि वह इमली और आर्यन का अपमान कर सके, जिसके चलते वह कहेगा कि इमली और आर्यन के पोज़ रोमांटिक थे. वहीं आदित्य भी मालिनी का हाथ चूमने के लिए आदित्य एक घुटने पर बैठ जाएगा. वह इमली को जलन महसूस कराने की कोशिश करेगा.

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