इन 9 होममेड टिप्स से ट्राय करें हाई ब्लड प्रेशर

उच्च रक्तचाप यानी कि हाई ब्लड प्रेशर वह स्थिति है जब रक्तचाप सामान्य (120/80mmHg) से अधिक हो जाता है. सामान्य रूप से मोटापा, आनुवांशिक कारण, शराब का अत्यधिक सेवन, अधिक मात्रा में नमक का सेवन, व्यायाम न करना, तनाव, दर्द निवारक दवाओं का सेवन और किडनी रोग आदि उच्च रक्तचाप के प्रमुख कारण हैं. वैसे तो इसके निवारण के लिए अनेक दवाएं हैं लेकिन कुछ प्राकृतिक उपाय ऐसे हैं जिनको अपनाकर आसानी से उच्च रक्तचाप से मुक्त हुआ जा सकता है. इन घरेलू उपायों को अपनाने के साथ-साथ डाक्टर के निर्देशों का पालन जरूर किया जाना चाहिए और नियमित चेकअप के साथ-साथ खान-पान संबंधी निर्देशों का भी पालन किया जाना चाहिए.

1. केला

केले में पोटैशियम प्रचुर मात्रा में होता है जो कि सोडियम के असर को कम करता है. केले का हाईब्लड प्रेशर के मरीजों को नियमित रूप से सेवन करना चाहिए. रोज एक से दो केले का सेवन शुरू करें. केले के साथ आप सूखे खुबानी, किशमिश, संतरे का रस, पालक, बेक्ड आलू और कैंटोलाप का भी सेवन कर सकते हैं.

2. अजवायन

अजवाइन में मौजूद फाइटोकेमिकल 3-एन-ब्युटिल्फथलाइड का उच्च स्तर बहुत उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है. यह धमनियों में अधिक स्थान बनाने के साथ बिना बाधा के रक्त प्रवाह में मदद करता है. इसके साथ ही साथ यह तनाव पैदा करने वाले हार्मोन्स, जो कि रक्त वाहिकाओं को सिकोड़ते हैं, को नियंत्रित करने में भी मदद करता है. रोजाना एक गिलास पानी के साथ अजवाइन खाएं. यदि आप चाहें तो दिन में कई बार अजवाइन चबा सकती हैं.

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3. नारियल पानी

उच्च रक्तचाप से पीड़ित लोगों को शरीर में पानी की कमी नहीं होने देना चाहिए. रोजाना आठ से दस गिलास पानी पीना आपके लिए अच्छा होगा. रक्तचाप को कम करने के लिए नारियल का पानी विशेष रूप से फायदेमंद है. नारियल के पानी के साथ, आप खाना पकाने में भी नारियल तेल का उपयोग कर सकती हैं.

4. नीबू

नीबू धमनियों को नरम रखने में सहायक होता है. जब रक्त वाहिकाओं में कठोरता नहीं होगी तो स्वाभाविक रूप से उच्च रक्तचाप कम हो जाएगा. इसके अलावा आप नीबू के नियमित सेवन से हार्टफेल की संभावना को भी कम कर सकते हैं. नीबू में मौजूद विटामिन सी एक एंटीआक्सीडेंट है जो मुक्त कणों के हानिकारक प्रभावों को बेअसर करने में आपकी मदद करता है.

5. शहद

शहद रक्त वाहिकाओं पर असर करती है और दिल पर रक्त के दबाव को कम करती है. इसीलिए यह उच्च रक्तचाप को कम करने में सहायक होती है. हर सुबह खाली पेट दो चम्मच शहद सेवन करें. आप एक चम्मच शहद और अदरक का रस को दो चम्मच जीरा के साथ मिलाकर ले सकती हैं. इसे दिन में दो बार खाएं. एक अन्य प्रभावी उपाय है तुलसी का रस और शहद को बराबर मात्रा में लेना. इसे रोजाना एक बार खाली पेट ले सकते हैं.

6. काली मिर्च

हल्के उच्च रक्तचाप से पीड़ित लोगों को काली मिर्च खाने से फायदा मिलता है. यह प्लेटलेट्स के साथ मिलकर रक्त के थक्के बनने से रोकती है साथ ही चिकनाई पैदा करके रक्त प्रवाह में मदद करती है. आप फलों या सब्जियों के सलाद में कुछ काली मिर्च डाल सकती हैं या सूप में भी एक चुटकी काली मिर्च डाल सकती हैं.

7. लहसुन

कई अध्ययनों से साबित हुआ है कि लहसुन में ब्लड प्रेशर कम करने की क्षमता है. कच्चा हो या पका हुआ दोनों तरह का लहसुन उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में मददगार होता है. साथ ही यह कोलेस्ट्राल के स्तर को भी कम करता है. रोजाना एक या दो कुचले हुए लहसुन खाएं. यह रक्त प्रवाह को सामान्य रखता है, गैस निकालता है और दिल पर दबाव कम करता है. यदि आप कच्चा लहसुन खाना पसंद नहीं करती हैं या इसके सेवन में जलन महसूस हैं तो इसे एक कप दूध के साथ ले सकती हैं.

8. प्याज का रस

एक मध्यम आकार की कच्ची प्याज नियमित रूप से खाने की कोशिश करें. आप एक से दो सप्ताह तक प्रतिदिन दो बार आधा चम्मच प्याज का रस शहद के साथ ले सकते हैं. प्याज में एक एंटीआक्सिडेंट फ्लावानोल मौजूद होता है जिसे क्वरेटिन कहा जाता है. यह आपके रक्तचाप को कम करने में मददगार साबित हो सकता है.

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9. मेथी के बीज

मेथी के बीज में उच्च पोटेशियम और फाइबर होने के कारण यह उच्च रक्तचाप को कम करने के लिए प्रभावी है. दो चम्मच मेथी के बीजों को पानी में लगभग दो मिनट तक उबालें और फिर इसे ठंडा कर लें. इसके बाद इसके बीज निकालकर उसका पेस्ट बना लें. इस पेस्ट को रोज दो बार खाएं, सुबह एक बार खाली पेट पर और एक बार शाम को. अपने रक्तचाप के स्तर में महत्वपूर्ण सुधार के लिए इस उपाय को दो से तीन महीनों तक करें.

13 टिप्स: Washing Machine में कपड़े धोने के टिप्स

क्या आप जानती हैं कि कपड़ों की सही धुलाई के साथसाथ उन की क्वालिटी को भी कैसे बरकरार रखा जा सकता है? अगर नहीं तो परेशान न हों. हम आप को बता रहे हैं कि कपड़ों की सही धुलाई कैसे करें:

1. कपड़ों को धोने से पहले उन्हें अलग-अलग करें जैसे ज्यादा गंदे कपड़ों को अलग धोएं तो कम गंदे कपड़ों को अलग. इसी तरह ऊनी और सूती कपड़ों को भी अलग कर लें. कमीजों, पैंटों, नए सूती कुरतों आदि को अलग धोएं तो चादरों, तौलियों और नाइट सूटों को अलग से धोएं. सभी कपड़ों को एकसाथ मशीन में भर देना उचित नहीं है.

2. मशीन में कपड़ों को डालने का भी एक तरीका होता है जैसे कि बड़े कपड़े सब से पहले फिर उन से छोटे और फिर उन से छोटे. कपड़ों की तह को खोल कर डालें. अगर कपड़ों को यों ही मशीन में भर देंगी तो वे आपस में उलझ जाएंगे और फिर जिस समय मशीन स्पंज करती है, तो उन के फटने और मशीन में एरर आ कर रुक जाने की स्थिति भी उत्पन्न हो जाती है.

3. कोई भी नया कपड़ा डालने से पहले चैक कर लें कि उस का रंग तो नहीं निकल रहा, क्योंकि अगर रंग निकलने वाला कपड़ा हुआ तो मशीन में डाले गए सारे कपड़े खराब हो जाएंगे.

4. डिटर्जैंट पाउडर या साबुन का इस्तेमाल कपड़ों के हिसाब से करें. ज्यादा डिटर्जैंट के इस्तेमाल से ऊनी और सिल्क के कपड़ों को नुकसान पहुंच सकता है.

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5. हर मशीन की डिटर्जैंट लेने की अपनी क्षमता होती है, इसलिए अगर मशीन में 1 ढक्कन डिटर्जैंट डालने के लिए लिखा है, तो उतना ही डालें.

6. कई मशीनों की बुकलेट में लिखा होता है कि नौर्मल डिटर्जैंट के साथ आधा ढक्कन मशीन का डिटर्जैंट भी डालें, जो अलग से खरीदना होता है. लेकिन कई बार महिलाएं सोचती हैं कि इसे खरीदने की क्या जरूरत है. मगर यह सोच ठीक नहीं है, क्योंकि उस डिटर्जैंट की वजह से ही तो कपड़े ज्यादा साफ होते हैं.

7.  डिटर्जैंट चुनते वक्त पहले यह तय कर लें कि पाउडर का इस्तेमाल करना है या लिक्विड डिटर्जैंट का. लिक्विड डिटर्जैंट अपेक्षाकृत ज्यादा महंगा होता है पर इस बात को भी ध्यान में रखें कि अगर आप कपड़े धोने के लिए ठंडे पानी का इस्तेमाल करती हैं तो पाउडर पानी में आसानी से नहीं घुलेगा. बेहद मुलायम कपड़ों को धोने के लिए लिक्विड डिटर्जैंट का इस्तेमाल करें.

8.  डिटर्जैंट का इस्तेमाल करते समय फैब्रिक का भी ध्यान रखें. सिल्क या ऊनी कपड़ों की धुलाई के लिए मुलायम डिटर्जैंट का इस्तेमाल करें. बच्चों के कपड़ों की धुलाई के लिए बेहद मुलायम डिटर्जैंट का इस्तेमाल करें, क्योंकि बच्चों की त्वचा बेहद संवेदनशील होती है. सफेद कपड़ों की धुलाई के लिए ब्लीच फौर्मूला वाले डिटर्जैंट का इस्तेमाल करें तो रंगीन कपड़ों की धुलाई के लिए ऐसे डिटर्जैंट का इस्तेमाल करें जिस से कि कपड़ों में चमक आ जाए.

9. वाशिंग मशीन में कपड़े धोते वक्त सब से पहले डिटर्जैंट डालें और फिर कपड़े, क्योंकि कपड़ों के ऊपर डिटर्जैंट डालने से न सिर्फ कपड़ों में डिटर्जैंट के चिपके रहने की आशंका रहती है, बल्कि कपड़ों का रंग भी उड़ जाता है.

10. कपड़ों को वाशिंग मशीन में डालने से पहले उन पर लगे दागधब्बों को हाथ से छुड़ा लें. दरअसल, वाशिंग मशीन में दाग लगे कपड़ों को सीधा डालने से निशान और गहरे हो जाते हैं.

11. अगर मशीन सेमीऔटोमैटिक है तो कपड़े धुल जाने के बाद अलार्म बजेगा. तब आप को कपड़ों में पानी निकालने के लिए ड्रायर में कपड़े भरने होंगे. इस में 5-10 मिनट लगेंगे. उस के बाद कपड़े सूखने डाल दें.

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12. कपड़े धोने के बाद वाशिंग मशीन का डिटर्जैंट बौक्स भी साफ करना जरूरी है. उस में बचा वाशिंग पाउडर जरूर निकाल लें और अच्छी तरह साफ करें. यदि संभव हो, तो पूरे बौक्स को बाहर निकाल लें और किसी पुराने टूथब्रश से साफ कर लें.

13. वाशिंग मशीन के अंदर का ड्रम भी साफ करती रहें ताकि मशीन साफ रहे. उस में कई सारे छोटेछोटे छिद्र होते हैं, जिन में कीटाणु जमा हो जाते हैं. बेहतर है हर महीने खाली मशीन चला दें. इस के लिए डिशवाशर टैबलेट और गरम पानी का इस्तेमाल करें.

अब हेयर फॉल रोकना आसान 

आपने सुना ही होगा कि महिलाओं की खूबसूरती को बढ़ाने में खूबसूरत बालों का अहम रोल होता है. और खासकर फेस्टिवल्स पर अगर खूबसूरत ड्रेस के साथ खिले खिले व सिल्की बाल और मिल जाए , फिर तो खूबसूरती में चारचांद लग जाता है. लेकिन सोचिए कि अगर आप फेस्टिवल्स के लिए पूरी तरह से रेडी हैं , लेकिन आपके बालों में वो बात न हो तो सारी मेहनत पर पानी फिरने के साथसाथ आपका कोन्फिडेन्स भी कम होगा. ऐसे में जरूरी है कि चाहे फेस्टिवल्स हो या फिर कोई भी मौसम अपने बालों की खास तरह से केयर करें, जिससे आपके बालों की हर कोई तारीफ करे.

आयुर्वेदा है बेस्ट ओप्शन 

जब भी हम हेयर फॉल को रोकने या फिर बालों की ग्रोथ को बढ़ाने के बारे में सोचते हैं या फिर अन्य हेयर प्रोब्लम सोलूशन के बारे में , तो हमारा ध्यान सबसे पहले केमिकल्स वाले हेयर प्रोडक्ट्स की ओर ही जाता है. क्योंकि मार्केट इन प्रोडक्ट्स से भरा जो पड़ा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये केमिकल्स आपके बालों की हालत को और खराब कर सकते हैं , उन्हें डैमेज कर सकते हैं , हेयर फॉल की समस्या को और बड़ा सकते हैं. इसलिए इन प्रोडक्ट्स से जितना हो दूरी बनाकर ही रखना चाहिए. इसकी बजाय अपने बालों की हैल्थ को सुधारने के लिए केश किंग आयुर्वेदिक हेयर आयल का इस्तेमाल कर सकते हैं. ये आपके बालों को झड़ने से रोकने के साथसाथ बालों की ग्रोथ को भी बढ़ाने का काम करते हैं . क्योंकि इसमें मौजूद 21 आयुर्वेदिक हर्ब्स की खूबियां आपको हेयर प्रोब्लम्स को दूर करने में मदद करती है, जिससे आपको मिलते हैं सिल्की व शाइनी हेयर्स.

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क्यों है फायदेमंद 

इसमें हैं विभिन्न हर्ब्स , जो हैं बालों के लिए इस तरह से लाभकारी.

– भृंगराज- ये ब्लड सर्कुलेशन को बूस्ट करके बालों की ग्रोथ को बढ़ाने का काम करता है.

– आंवला- ये हेयर फोलिकल्स को मजबूत बनाने में सक्षम है.

– मेथी- ये बालों को झड़ने से रोकने में मददगार है.

– जटामांसी – ये समय से पहले बालों को ग्रे होने से रोकने का काम करता है.

– मंजिष्ठा- ये हैल्दी व तेजी से बालों को बढ़ने में सक्षम है .

– लोधरा – ये बालों को ठंडक पहुंचाने का काम करता है.

– जापा – ये हेयर ग्रोथ को बढ़ाने का काम करता है.

– ब्राह्मी- ये भी बालों को तेजी से बढ़ाने में काम करता है.

रोजाना बालों की मसाज है जरूरी 

अगर बात करें आयुर्वेदिक आयल की , तो इसके बालों में बेहतरीन रिजल्ट के लिए आपको रोजाना इससे बालों की मसाज करने की जरूरत होती है. ताकि ये जड़ों में पहुंच कर उन्हें मजबूती प्रदान करें और डैंड्रफ, हेयर फॉल जैसी समस्याओं से भी आपको छुटकारा मिल सके. बता दें कि इस तेल की मालिश से आपके सिर की कोशिकाओं काफी सक्रिय हो जाती है, जिससे बाल तेजी से लंबे होते हैं. इसलिए खूबसूरत बालों के लिए मसाज है जरूरी.

हेयर फॉल रोकने के लिए 

इन टिप्स को भी अपनाएं 

अगर आप अपने बालों को झड़ने से रोकना चाहते हैं , तो उसके लिए इन टिप्स को अपनाना न भूलें. आइए जानते हैं उन टिप्स के बारे में-

– स्कैल्प की मसाज करना न भूलें. क्योंकि इससे जड़ों व बालों को मजबूती जो मिलती है.

– न्यूट्रिशन से भरपूर डाइट लें.

–  कभी भी गीले बालों में कंघी न करें, क्योंकि इस स्टेज में बाल कमजोर होने के कारण उनके टूटने व कमजोर होने का डर रहता है.

– खुद को हमेशा हाइड्रेट रखें, ताकि बालों में शाइन आने के साथ ग्रोथ भी बढ़े.

– हॉट टॉवल की मदद से बालों को स्टीम जरूर दें, क्योंकि इससे हेयर फोलिकल्स ओपन होने से हेयर आयल जड़ों तक जाकर बालों को स्ट्रोंग बनाने का काम करता है.

– कभी भी हेयर प्रोडक्ट्स की क्वालिटी के साथ समझौता न करें.

– बालों की हमेशा आयुर्वेदा हेयर प्रोडक्ट्स से ही केयर करें.

Winter Special: फैमिली के लिए बनाएं गुलाबजामुन

गुलाबजामुन एक ऐसी मिठाई है जिसे हर कोई बड़े स्वाद से खाता है, इसे मिठाइयों का राजा भी कहा जाता है. छोटे बड़े सभी कार्यक्रमों में इनकी उपस्थिति होती ही है. इसे बनाने के लिए आमतौर पर मावा अर्थात खोया का प्रयोग किया जाता है, बाजार में गुलाबजामुन का खोया अलग से मिलता है जो सामान्य खोए से अधिक चिकनाई वाला होता है. इसके अतिरिक्त आजकल इंस्टेंट गुलाबजामुन मिक्स भी बाजार में उपलब्ध है जिससे कुछ ही मिनटों में बिना मावा के भी स्वादिष्ट गुलाबजामुन बनाये जा सकते हैं. तो इसीलिए आज हम घर पर कम समय में गुलाब जामुन कैसे बनाएं इसकी रेसिपी बताएंगे.

सामग्री

जरूरतानुसार गुलाबजामुन मिक्स,

थोड़े से बताशे,

1.2 किलोग्राम चीनी,

तलने के लिए प्रीत लाइट.

विधि

1/4 भाग पानी में एक भाग ऐश गुलाबजामुन मिक्स मिलाकर गूंथ लें और 5 मिनट के लिए अलग रख दें. अब मिश्रण के छोटेछोटे गोलों में बताशा भर कर गोले तैयार करें और हलके गीले कपड़े से थोड़ी देर के लिए ढक कर रखें. चीनी और पानी को समान मात्रा में मिलाकर चाशनी तैयार करें. अब तैयार गोलों को धीमी आंच पर प्रीत लाइट कुकिंग मीडियम में सुनहरा होने तक तल लें. तैयार गुलाबजामुन चाशनी में डुबो कर गरमगरम कर सर्व करें.

फिसलन: क्या रीमा खुद को फिसलन से बचा सकी?

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Shraddha Arya Wedding: शादी के बंधन में बंधी Kundali Bhagya की लीड एक्ट्रेस, कुछ खास था अंदाज

Zee TV के सीरियल ‘कुंडली भाग्य’ (Kundali Bhagya) की प्रीता (Preeta) यानी एक्ट्रेस श्रद्धा आर्या (Shraddha Arya) ने 16 नवंबर को शादी कर ली है, जिसके चलते वह सोशलमीडिया पर छाई हुई हैं. बीते दिन मेहंदी की फोटोज सोशलमीडिया पर वायरल हो रही हैं, जिसमें एक्ट्रेस अपनी मेहंदी (Shraddha Arya mehendi ceremony) के साथ डायमंड रिंग फ्लौंट करती नजर आईं. वहीं फैंस को शादी की फोटोज का भी इंतजार रहा. लेकिन अब उनके शादी के लुक की भी फोटोज आ गई है, जिसपर सेलेब्स और फैंस जमकर प्यार लुटा रहे हैं. आइए आपको दिखाते हैं श्रद्धा आर्या की फोटोज की झलक…

दुल्हन बनीं श्रद्धा

आखिरकार श्रद्धा आर्या के फैंस का इंतजार खत्म हो गया है. कुंडली भाग्य की प्रीता यानी एक्ट्रेस श्रद्धा आर्या ने दिल्ली के रहने वाले एक नेवी अफसर राहुल शर्मा से शादी की है. वहीं इस शादी में लुक की बात करें तो श्रद्धा (Shraddha Arya Wedding Look)

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मेहंदी में कुछ ऐसा था लुक

‘कुंडली भाग्य’ (Kundali Bhagya) एक्ट्रेस श्रद्धा आर्या (Shraddha Arya)के मेहंदी लुक की बात करें तो वह ग्रीन और यैलो के कौम्बिनेशन वाले खूबसूरत लहंगे में नजर आ रही हैं. वहीं इस लहंगे के साथ महंगी ज्वैलरी और हाथों पर लगाई खूबसूरत मेहंदी बेहद खूबसूरत लग रहा था.

 तिलक की वीडियो हुई वायरल

 

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हाल ही एक्ट्रेस श्रद्धा आर्या (Shraddha Arya) की प्री-वेडिंग के सेलिब्रेशन का एक वीडियो सामने आया था, जिसमें तिलक किया जा रहा है एक्ट्रेस श्रद्धा आर्या (Shraddha Arya) का. वहीं इस वीडियो में श्रद्धा के होने वाले पति की भी झलक नजर आई थी. वहीं तिलक में लुक की बात करें तो श्रद्धा पिंक कलर के लुक को कैरी करते नजर आईं.

हल्दी में कुछ यूं था अंदाज

श्रद्धा आर्या के हल्दी लुक की बात करें तो वह यैलो के कौम्बिनेशन में नजर आईं. मिरर वर्क वाले शरारा कौम्बिनेशन लुक में श्रद्धा बेहद खूबसूरत लग रही थीं. वहीं इस लुक के साथ फ्लावर ज्वैलरी चार चांद लगा रही थीं. इस लुक में वह अपने दोस्तों के साथ मस्ती करते हुए नजर आईं.

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सपने सच होने का आनंद ही कुछ और होता है- शीतल निकम

शीतल निकम, ड्रैस डिजाइनर

आत्मविश्वास से चमकता चेहरा, बोल्ड ऐंड ब्यूटीफुल, ठाणे निवासी शीतल निकम ने अपने सुंदर, सजे बुटीक में गरमजोशी से स्वागत किया. उन से बात करने के लिए मैं उन से समय ले कर गई थी. इस क्षेत्र में उन का बुटीक दिनोंदिन अपनी नईनई ड्रैसेज के कारण खूब सुर्खियां बटोर रहा है.

अपने घर के एक कोने से बुटीक तक के सफर में उन्होंने जो मेहनत की, जिस लगन से यहां तक पहुंचीं, वह सराहनीय है. पेश हैं, उन से बातचीत के कुछ अंश:

आप की इस काम में रुचि कैसे हुई?

मैं दर्जी परिवार की लड़की थी और यह काम मुझे बहुत क्रिएटिव लगता था. दादी तो इतनी होशियार थीं कि एक बार सामने वाले इंसान पर नजर डालतीं और उस की नाप का कपड़ा काट कर रख देतीं. मैं खूब मूवीज देखती थी. मैं ने अपना पहला कपड़ा एक पीले रंग का सूट सिला था. एक मूवी देख कर पटियाला स्टाइल का सिला था जो मुझे आज भी याद है.

मैं कभी मम्मी से पूछपूछ कर मोतियों के सैट्स बनाती. कपड़ों पर कई तरह की पेंटिंग्स करना सीखा, घर के परदों, चादरों पर कुछ भी पेंट करती, उन्हें सजाती रहती. धीरेधीरे पापा ठेकेदारी का काम करने लगे, जिस से उन्हें थोड़ी सफलता मिलनी शुरू हुई, आर्थिक स्थिति सुधरने लगी और फिर जब एक दिन हम लोग घर में बासमती चावल खा रहे थे, वह दिन हमारे लिए बहुत बड़ा था. लगा, हां अब उतने गरीबी के दिन नहीं रहे. पापा का काम चलने लगा था.

5वीं से 10वीं तक मैं ने कई चीजें सीखीं, कई कोर्स किए. 10वीं के नंबरों पर पापा से साइकिल मिली जो उन की तरफ से गिफ्ट के रूप में मिली पहली चीज थी. 12वीं के बाद मैं ने टेलरिंग की क्लास ली. मुझे पढ़ने का बहुत शौक है, मैं कई घंटे लगातार पढ़ा करती. नवापुर से फिर मैं ने 2 साल का डीएड किया. बीए के दूसरे साल में ठाणे के विनोद निकम से मेरी शादी हो गई. बीए की पढ़ाई मैं ने शादी के बाद पूरी की. मुझे कुछ करना ही था, मैं खाली बैठ ही नहीं सकती थी. मैं ने ऐरोली में 1 साल एक स्कूल में टीचिंग भी की.

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आप के पति कब मिले और शादी कैसे हुई?

‘‘अरेंज्ड मैरिज है, ससुरजी आए थे सब से पहले मुझे देखने, फिर वही हुआ जैसाकि रस्मोरिवाज चलता रहता है. हमारे गांव में अरेंज्ड मैरिज ज्यादा होती हैं.’’

पति क्या करते हैं?

‘‘नौकरी करते हैं. पति को औफिस में बहुत काम रहता था. घर आ कर भी वे उस में काफी व्यस्त रहते. मुझे लगा कि मैं खाली क्यों बैठी रहूं, मुझे भी कुछ करना चाहिए.

अत: मैं ने अपने पति से कहा कि मैं टैक्सेशन का कोर्स कर लूं? फिर तुम्हारी हैल्प भी कर दिया करूंगी.

‘‘पति ऐसे मिले हैं जिन्होंने हमेशा कुछ करने के लिए प्रेरित ही किया, कभी रोका नहीं. फिर मैं ने 1 साल का टैक्सेशन में डिप्लोमा किया. तब एक बेटा हो चुका था. मैं उस की परवरिश में कुछ समय काफी व्यस्त रही. वह कुछ बड़ा हुआ तो मैं ने एलएलबी भी कर ली. फिर एलएलएम भी कर लिया, 2 साल जौब भी कर ली पर इतना सब सीखनेकरने के बाद भी मेरा मन खुश नहीं था. मुझे लगता कि मुझे इतना सब कर के भी मजा नहीं आ रहा है, मैं खुश नहीं हूं, मुझे कुछ और करना है.’’

जौब कहां की और किस तरह की थी?

‘‘1 साल देशपांडे फर्म में की, ला डिपार्टमैंट में. 1 साल नायर ऐंड कंपनी में की. ला की पढ़ाई में तो मन खूब लगा पर जौब में मन नहीं लग रहा था.’’

अपने खुद के बुटीक का आइडिया  कैसे आया?

‘‘अब तक दूसरा बेटा भी हो गया था, मैं ने धीरेधीरे सोसाइटी के ही टेलर से ब्लाउज वगैरह में हुक लगाने का काम लेना शुरू कर दिया, कभी साडि़यों में फौल लगाती. मैं व्यस्त तो रहती पर मेरा मन कुछ और करने के लिए छटपटाता. मुझे हर समय यही लगता कि मुझे यह ला केस की बातें नहीं करनी हैं, मुझे इन से खुशी नहीं मिल रही है, बहुत कन्फ्यूज्ड थी, तब मैं ने एक कोर्स और किया, पर्सनल डैवलपमैंट का. उस के बाद मुझे अपने ऊपर अचानक से कौन्फिडैंस आया. लगा कि मैं अच्छी तरह से सोच लूंगी कि मुझे किस चीज में अब खुशी मिलेगी.

मैं ने अपनी जौब छोड़ दी. लोकल ट्रेन के रोज के सफर से मैं बहुत थकने भी लगी. 2 साल घर से ही सिलाई करती रही. अपने कपड़े खुद सिलने लगी. समझ आने लगा कि मुझे कपड़ों के रंगबिरंगे कलर्स में खुशी मिलती है. अब मैं बहुत उत्साह से अपना काम करती रहती. हमारी बिल्डिंग में नीचे छोटेछोटे सामान रखने के कमरे हैं. मैनेजमैंट ने सोसाइटी में रहने वालों से कहा कि किराया दे कर अगर कोई उन में अपना सामान रखना चाहे तो रख सकता है. पति ने यह बात सुनी तो आकर कहा कि छोटी सी जगह है, अगर वह तुम्हारे काम की हो तो उसे ले सकते हैं. मुझे तो जैसे कोई खजाना मिल गया. मैं ने उस छोटी सी जगह में बैठ कर अपना काम शुरू कर दिया. खूब काम किया. ग्राहक आने लगे, साथसाथ फिर फैशन डिजाइनिंग का कोर्स किया.

उस के बाद कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा. 3 फैशन शोज कर चुकी हूं. एशिया का फैशन शो किया जिन के 20 डिजाइनर्स में से एक मैं हूं. सोलो फैशन शो भी किया है. अपने खुद के ब्रैंड का किड्स शो भी किया है.’’

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लौकडाउन के समय कैसे समय बिताया?

‘‘खाली तो कभी नहीं बैठती. इन दिनों मनीष मल्होत्रा का 5 दिन का इलस्ट्रेशन का औनलाइन वर्कशौप किया, बहुत सारी चीजें सीखती रही, किताबें पढ़ीं.’’

स्टाफ कितना है?

पहले 15 लोग थे, अब  बुटीक पर 7 लोग हैं, बाहर से काम करने वाले  3 लोग हैं.’’

और क्या क्या शौक हैं?

‘‘मूवीज खूब देखती हूं, घूमने जाना पसंद है, खाली समय में फ्रैंड्स से मिलतीजुलती हूं, पार्टीज करती हूं, फ्रैंड्स खूब हैं, नएनए फ्रैंड्स बनाती हूं.’’

‘जहां चाह, वहां राह,’ कहावत को चरितार्थ करती शीतल कहती हैं, ‘‘अपने सपनों को पूरा करने के लिए जी तोड़ कोशिश कर लेनी चाहिए, कोई भी शौक हो, उसे पूरा करने में अगर बहुत मेहनत भी हो, तो भी पीछे नहीं हटना चाहिए. अपने सपने सच होने पर जो खुशी मिलती है, उस का आनंद ही कुछ और होता है.’’\

असुविधा के लिए खेद है: भाग 3- जीजाजी को किसके साथ देखा था ईशा ने

आखिर वह कौन था? सेल्विना का बौयफ्रैंड? मगर क्यों? कनैक्शन क्यों जमा आखिर? अचानक अंधेरे में रोशनी की तरह अपना नेपाली दोस्त अनादि याद आया, कालेज में 3 साल हम अच्छे ही दोस्त थे. अब वह कोलकाता में ही रहता है और सिक्यूरिटी गार्ड सप्लाई संस्थान चलाता है. बैचलर है, घरपरिवार का झंझट नहीं, मेरी मदद कर पाएगा.

हमारे कालेज के वाल्सअप गु्रप में हम सभी जुड़े हैं और इस लिहाज से उस के बारे में थोड़ीबहुत जानकारी मुझे थी. शाम के 6 बज रहे थे. मैं चल पड़ी उस के ठिकाने की ओर.

पहली मंजिल में उस का औफिस और दूसरी मंजिल में उस का घर था.

वह औफिस में ही मिल गया मुझे.

मुझे देख वह इतना खुश हुआ कि मुझे कुछ हद तक यह भी लगा कि मैं पहले ही इस से अपनी दोस्ती जारी रख सकती थी.

थोड़ी देर की बातचीत और कुछ स्नैक्सकौफी के बाद मैं मुद्दे पर आ गई. मैं ने उस से कहा, ‘‘अनादि, बात उतनी खतरनाक न सही, चिंता वाली तो है. मैं प्रोफैशनल तरीका अपना कर ज्यादा होहल्ला नहीं मचाना चाहती. बस जीजी की खुराफात बंद हो. मैं जानती हूं उस में बदले की भावना बचपन से ही कुछ ज्यादा है. अगर किसी पर उस ने टारगेट बना लिया तो उस की खैर नहीं.’’

मैं ने अपनी शादी और उस लड़के के इनकार की घटना बताई ताकि कुछ सूत्र मिल

सके अनादि को. सारी बातें सुन कर उस की दिलचस्पी जगी, कहा, ‘‘चलो कुछ तो खास

करने का मौका मिला वरना यह बिजनैस ऊबाने वाला है.’’

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‘‘देखो, हमारे पास 2 पौइंट हैं. एक बदला जीजी का, दूसरा जीजू से पीछा छुड़ा कर किसी सुंदर लड़के के प्रेम में पड़ कर अपनी जिंदगी को अपनी मरजी से जीना, तो इन 2 बातों में से कौन सी के लिए जीजी इतनी डैस्परेट है?’’

‘‘आज रात को वह सेल्विना के बौयफ्रैंड को बुला रही है. सेल्विना के स्कूल में जीजी पेंटिंग्स सिखाती है.’’

‘‘बाप रे काफी मसले हैं. हमें क्या

करना है?’’

‘‘समस्या यह है कि जीजी के पास उस वक्त कैसे पहुंचा जाए जब जीजी का बुलाया व्यक्ति वहां मौजूद हो क्योंकि मुझे घर में

देखते ही वह पैतरा बदल देगी और विश्वास में

न लूं तो गेम डबल कर के मुझे उलझएगी.

बेहतर यही होगा कि उसे विश्वास दिलाया जाए कि हम से उसे कोई खतरा नहीं. तो एक बात

हो सकती है तुम मेरे बौयफ्रैंड बन कर मेरे साथ घर चलो.

‘‘जीजू के घर मम्मीपापा को छोड़ जब आ रही थी तो  तुम से मुलाकात हुई और कालेज के दिनों से मुझ से प्रेम करने वाले तुम अब मुझे पा कर खोना नहीं चाहते, जीजी हमारी शादी में मदद करे, मम्मीपापा और रिश्तेदारों को समझने में मदद करे. तो हम भी उन की करतूतों पर आंख मूंदे ही साथ रहे हैं,’’ मैं ने प्लान बताया जो जीजी से कहना था.

‘‘ऐसा क्या?’’ नेपाली बाबू ने मेरी ओर बड़ी गहरी दृष्टि डाली.

मुझे कुछ अटपटा लगा. फिर भी मैं ने

सहज रह कर बाकी बातें पूरी की, ‘‘जब

जानेगी कि हमें उस की जरूरत है तो वह हमारा भी फायदा उठाना चाहेगी, और वक्तवक्त पर हमें भी अपनी कारगुजारियों से अनजाने ही अवगत करा देगी. इस के लिए वह कुछ हद तक हमारी ओर से निश्चिंत रहेगी. वह मेरे इस प्रेम वाले कमजोर पक्ष की वजह से मेरी ओर से लापरवाह हो जाएगी क्योंकि उसे लगेगा कि अब मैं ही

खुद अपनी जरूरत के लिए उस के सामन

झकी रहूंगी.’’

अनादि सामान्य दिख रहा था. बोला, ‘‘ग्रेट आइडिया, लैट्स प्रोसीड.’’

रात 9 बजे जब मैं और अनादि घर पहुंचे अपनी चाबी से दरवाजा खोल हम अंदर गए, जीजी के कमरे में लाइट जल रही थी. दोनों बिस्तर पर व्यस्त थे.

लड़का मेरी ही उम्र का लगभग 27 के आसपास, गोरा स्मार्ट और बहुत खूबसूरत था.

हम ने अपना वीडियो कैमरा औन कर लिया.

हमें प्रमाण चाहिए था और इस के लिए ग्रिल वाली खिड़की और परदे की आड़ हमारे लिए काफी थी. जीजी बीचबीच में लड़के से बातें भी करती जाती.

‘‘सेल्विना को वापस जाने को कब कहोगे?’’

‘‘रहने दो न उसे, बेचारी का बहुत पैसा लगा है स्कूल में.’’

‘‘तो मैं तुम्हें कैसे पा सकूंगी. शादी कैसे होगी हमारी?’’

‘‘तुम बड़ी हो उस से 4 साल, मां नहीं मानेगी.’’

‘‘अच्छा तो सिर्फ  मजे के लिए मैं?’’ जीजी होश खो रही थी.

जीजी ने आगे कहा, ‘‘और वह नैकलैस लाए?’’

‘‘हां.’’

‘‘हीरे की लौकेट वाला न?’’

‘‘हां बाबा.’’

‘‘कल, 20 हजार ट्रांसफर करने को बोला था बैंक में. किए?’’

‘‘करता हूं.’’

‘‘अभी करो.’’

‘‘इतनी जल्दी क्या है?’’

‘‘फिर इस वीडियो को देखो, सेल्विना तो क्या हर जगह पहुंच जाएगा. अच्छा लगेगा?

तुम्ही बताओ?’’

तनय वीडियो देख कर तनाव में आ कर उठ बैठा, ‘‘तुम मुझे ब्लैकमेल कर रही हो?’’

‘‘नहीं तनय. मैं तो बस सावधान कर रही हूं, सुख मुझे अकेले नहीं मिल रहा है, तुम्हें भी मिल रहा है, तो कुछ तो चुकाओगे न?’’

तनय ने मोबाइल से तुरंत रुपए ट्रांसफ र कर दिए. जीजी शातिर गेम खेल सकती है, मैं जानती नहीं थी. मैं उलझती ही जा रही थी.

हम ने कैमरा बंद कर दरवाजा खटखटाया. दोनों संभल गए. कुछ देर बाद जीजी ने कमरे का दरवाजा खोला.

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हम ने अपनी तय बातें उन के सामने रखीं. जैसाकि पहले से मालूम था वह भी इसी शर्त पर हमारी शादी में मदद को राजी हुई कि घर पर वे कुछ भी करें, हम उस के मामले में न दखल दें, न ही किसी से कुछ कहें.

हम ने उस का आभार माना और अपने कमरे में चले आए. 10 मिनट में अनादि चला गया. तनय भी थोड़ी देर बाद चला गया.

जीजू यानी निहार का संदेश मिला, ‘‘कब आओगी ईशा? साथ ही फोटो भी लाना. वाकई, जीजू ने कमाल किया. बेहद स्मार्ट और स्लिम हो गए. सच प्यार में बड़ी शक्ति है. उन की तसवीर देख चकित थी.’’

पता कर लिया था कि उन्होंने पार्कस्ट्रीट की एक कालोनी में सेल्विना के साथ मिल कर फ्लैट खरीदा था और सेल्विना के साथ तब तक लिवइन में था, जब तक न सेल्विना को भारतीय नागरिकता मिले और उस से कानूनी प्रक्रिया के तहत शादी हो जाए.

अनादि ने मुझे पता करने को कहा कि जीजी का इस तनय के साथ पहले से फेसबुक और चैटिंग का कोई रिश्ता है क्या?

जीजी से यह पूछने की फिराक में थी कि अनादि का संदेश आया, ‘‘ईशा क्या

मेरी बनोगी? बड़ा मिस करने लगा हूं यार तुम्हें.’’

‘‘यह क्या? जीजी के केस के बीच यह नया गेम क्या है?’’

5 फुट 7 ईंच का अनादि देखनेभालने में गोरा, सीधा, सरल नेपाली नहीं. कहती कि मुझे

5 फुट 7 ईंच की हाइट की लड़की के साथ बिलकुल नहीं जमेगा. लेकिन मैं तो…

मैं मन ही मन झल्ला गई. पर कोई जवाब नहीं दिया. क्या पता नहीं क्यों उसे दुखी कर

पाई. उस का हंसता सा चेहरा मेरी आंखों के आगे घूम गया.

आगे पढें- तनय समझ गया था कि वह ..

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असुविधा के लिए खेद है: भाग 1- जीजाजी को किसके साथ देखा था ईशा ने

‘‘मेरीनानी की चचिया सास की बेटी के बेटे ने मेरी बहन से शादी करने को इनकार किया? मेरी बहन से? क्या कमी है तुझ में? मैं उसे छोड़ूंगी नहीं. मैं ने कहा था इस रिश्ते के लिए. मुझे मना करेगा? 2-4 बार उस से इस बाबत पूछ क्या लिया, कहता है कि आप मेरे

पीछे क्यों पड़ी हैं? उस की इतनी हिम्मत?

मुंबई पढ़ने गया था तो प्राइवेट होस्टल में रहने के लिए कैसे मेरी जानपहचान का फायदा लिया.

अब विदेश में नौकरी हो गई, अच्छी सैलरी

मिल गई तो मेम भा रही है उसे. मुझे इनकार. बताऊंगी उसे.’’

‘‘अरे जीजी छोड़ न. मुझे ऐसे भी पसंद नहीं था वह. तुम भी तो हाथ धो कर उस के पीछे पड़ी थी, सभ्य तरीके से मना करने के बाद भी जब तुम साथ नहीं रही थी, तभी उस ने कहा ऐसा. बात समझेगी नहीं तो क्या करे वह और तब जब पहले से ही वह किसी के प्यार में है. अब तो मैं ने भी जौब जौइन की है, कहां उस के साथ विदेश जाऊंगी. फिर मांपिताजी की तबीयत भी ऐसी कि उन्हें अकेला छोड़ा न जाए.’’

‘‘तू चुप कर. रिश्ता सही था या नहीं यह अलग बात है, पर मेरी बात को वह टालने वाला होता कौन है? आज तक किसी ने बात नहीं

टाली मेरी.’’

‘‘अरे जीजी गुस्सा क्यों होती है जब मुझे करनी ही नहीं थी शादी?’’

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‘‘तु चुप करे. एक मेम के लिए मुझे ‘न’ कहा. मैं छोड़ूंगी नहीं उसे और तेरे लिए तो कभी लड़का न देखूं. कुंआरी ही रह.’’

‘‘दीदी क्यों खून जलाती है अपना? देखो 30 साल की उम्र में ही तुम कितनी चिड़चिड़ी

हो गई हो. वीपी हाई हो जाएगा. बीमार पड़ोगी

तो कंसीव नहीं कर पाओगी. जीजू कुछ कहते नहीं तुम्हें?’’

‘‘तु चुप कर. क्या कहेगा वह? उस की मम्मीपापा के भरोसे चलती थी उस की जिंदगी, अब दोनों गए ऊपर तो मेरा ही मुंह ताकता है. औफिस से घर और घर से औफिस, आता ही क्या है उसे? मुझे कहेगा?’’

जीजी को लगता कि दुनियाजहान का सारा भार जीजी के ही कंधों पर है. पहले हम दोनों

का साझ कमरा था. 3 साल हुए इधर जीजी की शादी हुई और दादादादी भी इहलोक सिधार गए. तब से उन लोगों का कमरा जीजी के नाम किया गया है.

ज्यादातर जीजी अपने भोलेभाले जरा गोलमटोल पति को रसोइए के जिम्मे छोड़ यहां आ जाती. यहां हम सब पर राज करने की पुरानी आदत उस की गई नहीं थी. जीजी के कमरे से फोन पर बात करने की आवाजें आ रही थीं.

‘‘क्यों, छोड़े क्यों? ऐसे ही छोड़ दें? निकालती हूं हवा उस की.’’

उधर शायद जीजी की वह सहेली थी जिन के पति वकील थे. बात नहीं बनी शायद. जीजी ने फोन रख दिया.

बड़ी उतावली हो वह ऐसे किसी सज्जन

को ढूंढ़ रही थी जो जीजी की बात न मान कर जीजी को अपमानित करने वाले दुर्जन की हवा निकाल सके. कौन मिलेगा ऐसा. जीजी सोच में पड़ी थी.

मैं जीजी के कमरे में गई. उसे शांत करने का प्रयास किया, ‘‘जीजी, यह कोई इशू नहीं

है, तुम ईगो पर क्यों लेती हो? तुम अब इस प्रकरण को बंद करो. मुझे नहीं करनी थी कोई शादी… अभी बहुत जल्दीबाजी होगी शादी की बात करना.’’

‘‘मत कर शादी. मैं तेरे लिए लड़ भी नहीं रही. मेरी बात टाल जाए, मुझ से ही काम निकाल कर वह भी विदेशी मेम के लिए? यह गलत है. मैं होने नहीं दूंगी.’’

‘‘बड़ी अडि़यल और बेतुकी है जीजी.’’

‘‘हूं. तुझे उस से क्या तू अपने काम से

काम रख.’’

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इस के 2 दिन बाद शाम को जीजी अपना फोन लाई. मुझ से कहा इन तसवीरों में सब से अच्छी वाली कौन सी है?

‘‘क्यों?’’

‘‘तु बता न.’’

‘‘यह वाली. मगर यह तो 4 साल पुरानी तसवीर है, करोगी क्या इस का?’’

‘‘एक दूसरी एफबी प्रोफाइल खोल कर उस में मेरी सारी पुरानी पेंटिंग्स डालूंगी.’’

‘‘अरे वाह. सच जीजी. यह हुई न बात. यह प्लान बढि़या है.’’

जीजी ने नया प्रोफाइल खोला और अपनी पुरानी पेंटिंग्स की तसवीरें खींच कर उस में डालती रही. वैसे समझ नहीं पाईर् कि पेंटिंग्स पुराने एफबी प्रोफाइल में क्यों नहीं डालीं? जीजी को यहां आए 20 दिन तो हो ही चुके थे. जीजू के लिए हम सब को चिंता होती. वहां अकेले उन्हें दिक्कत होती थी. लेकिन जीजी से इस बारे में कुछ कहो तो उस का उत्तर होता, ‘‘हांहां, मैं तो हूं ही पराई. अब तू ही यहां राज कर. यहां रहने के खर्च देने पड़ेगा क्या? यह मेरा भी घर है. मेरा इस पर हक है.’’

महीनाभर हो गया तो जीजू ही आ गए. मुहतरमा ने वापस जाने को ठेंगा दिखा दिया. जीजू वापस चले गए. जीजी को लगातार फोन पर व्यस्त देखती. कोलकाता के जिस मार्केटिंग एरिया में हम रहते हैं वहां शाम होते ही बाजार और दुकानों में गहमागहमी रहती है. पहले जीजी के  साथ अकसर मैं भी मार्केटिंग को निकला करती थी. लेकिन अब तो जीजी का फोन ही सबकुछ था. कुछ दिनों बाद जीजी ने निर्णय सुनाया कि वह एक जगह पेंटिंग्स सिखाने को जाना चाहती है. कह दिया और शुरू हो गई.

जीजू के लिए वाकई मैं चिंतित थी. एक सीधासरल इंसान इस तरह बेवजह रिश्ते की उलझन में फंस जाए. अफसोस की बात थी. जीजू को एक दिन मैं ने फोन किया और उन से जीजी के बारे में बातें कीं.

‘‘मैं क्या कह सकता हूं? मेरी बातों को वह मानती नहीं, न ही इन 3 सालों में उस का अपनों से कोई लगाव देखा.

‘‘दुनिया रुकती नहीं है ईशा, मेरी भी दुनिया चल रही है. उसे मेरी फिक्र नहीं है… कुछ बोलूं तो खाने को दोड़ती है…’’

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जीजी पार्क स्ट्रीट के ड्राइंग पेंटिग स्कूल में क्लास लेने जाने लगी थी. जीजी ने एक विदेशी बाला से मिलवाया. 26-27 की होगी. गोल्डन बालों में वह एशियन लड़की भारतीय सलवार सूट बड़े शौक से पहने थी.

जीजी ने इंग्लिश में परिचय कराया तो रशियन लड़की मुझ से गले मिली. फिर उस ने टूटीफूटी हिंदी में जो भी कहा उस का सार यही था कि वह अपने होने वाले पति के लिए सब छोड़ आईर् थी. लड़का अभी कोलकाता के किसी मल्टीनैशनल ग्राफिक्स डिजाइनिंग ऐंड कंपनी में काम करता है.

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अब टीवी का कंटैंट ही अच्छा नहीं है- किट्टू गिडवाणी

करीब 35 वर्षों से मौडलिंग और थिएटर से कैरियर की शुरुआत कर टीवी सीरियलों व फिल्मों में अपनी एक अलग मौजूदगी दर्ज करा चुकी अदाकारा किट्टू गिडवाणी ने हिंदी के अलावा इंगलिश व फ्रेंच भाषा में भी अभिनय किया है. इन दिनों वे वैब सीरीज ‘पाटलक’ में नजर आ रही हैं.

प्रस्तुत हैं, किट्टू गिडवाणी से हुई ऐक्सक्लूसिव बातचीत के अंश:

अपनी अब तक  की अभिनय यात्रा को किस तरह से देखती हैं?

मेरी अभिनय यात्रा काफी रोचक व रचनात्मक रही. मैं ने थिएटर, टीवी, फिल्म व ओटीटी प्लेटफौर्म सहित हर प्लेटफौर्म पर बेहतरीन काम किया. मुझ पर कोई इमेज चस्पा नहीं हो सकी. मैं वर्सेटाइल कलाकार हूं. मुझे सदैव रंगमंच पर काम करने में आनंद की अनुभूति होती है. मुझे बेहतरीन टीवी कार्यक्रमों में काम करना पसद है. फिल्में करना पसंद है. जहां मैं ने ‘फैशन’ सहित कुछ फिल्में करते हुए ऐंजौय किया, तो वहीं मैं ने ‘तृष्णा,’ ‘स्वाभिमान,’ ‘जुनून,’ ‘एअरहोस्टेस’ और ‘खोज’ जैसे सीरियल करते हुए काफी ऐंजौय किया. मुझे नहीं लगता कि मेरी तरह सभी कलाकार हर माध्यम में काम करने में सहज हों. मैं ने लंदन व पैरिस जा कर फिल्म व रंगमंच पर काम किया. मैं ने लंदन में एक इंगलिश नाटक में अभिनय किया. फ्रांस में मैं ने 2 फ्रेंच फिल्मों में अभिनय किया.

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1985 में कैरियर शुरू किया था. उन दिनों जिस तरह के सीरियल किए थे, उन से इस में क्या अंतर पाती हैं?

‘‘‘स्वाभिमान’ 1995 में किया था. उस से पहले ‘एअरहोस्टेस’ सहित कई सीरियल किए थे. वक्त के साथ बहुत कुछ बदलता है. लोगों की सोच बदलती है. ऐक्सपोजर जितना अधिक होता है, उस के अनुसार बहुत कुछ बदलता है. जैसेकि हम ने ‘पाटलक’ में अप्पर मिडल क्लास परिवार को लिया है. इसलिए ‘पाटलक’ के साथ  ‘स्वाभिमान’ को जोड़ कर नहीं देख सकते. ‘स्वाभिमान’ उच्चवर्ग की कहानी है. उन दिनों हम सारे संवाद हिंदी में बोलते थे. अब तो हम हिंदी व इंगलिश मिश्रित संवाद बोलते हैं. हर जमाने में रचनात्मकता बदलती रहती है. हर जमाने में अच्छाई व बुराई भी होती है. ऐसे में एक वक्त के सीरियल की तुलना दूसरे वक्त के सीरियल से करना ठीक नहीं है. पहले जब हम वीकली सीरियल करते थे तो उन दिनों बजट कम होता था, जबकि अब बजट काफी बढ़ गया है.’’

मेरा सवाल कलाकार के तौर पर संतुष्टि को ले कर है?

देखिए, कलाकार के तौर पर मुझे संतुष्टि ‘स्वाभिमान’ में भी मिली थी और ‘जुनून’ में भी. मैं ने काम करते हुए काफी ऐंजौय किया था. अब ‘पाटलक’ कर के भी काफी संतुष्टि मिली. मेरे लिए प्रोजैक्ट अच्छा होना चाहिए, तभी मैं उस के साथ जुड़ती हूं. फिर वह प्रोजैक्ट चाहे फिल्म हो, थिएटर हो या सीरियल हो अथवा वैब सीरीज हो, हर प्रोजेक्ट की अपनी एक जान होती है. मेरी राय में हर कलाकार संतुष्टि के पीछे ही भागता रहता है.

वैब सीरीज ‘पाटलक’ से जुड़ने के लिए आप को किस बात ने प्रेरित किया?

इस की पटकथा काफी सुंदर है. निदेशक काफी समझदार हैं. वे पूरे 10 वर्षों तक अमेरिका में रहने के बाद भारत वापस आई हैं. संवादों का स्टाइल काफी नैचुरल/स्वाभाविक है. इस में हास्य के पल भी हैं. इन सारी बातों ने मुझे इस के साथ जुड़ने के लिए आकर्षित किया.

‘पाटलक’ में आप का किरदार?

निजी जीवन में मेरी अपनी कोई संतान नहीं है. मगर वैब सीरीज ‘पाटलक’ में मैं ने प्रमिला शास्त्री का किरदार निभाया है, जिन के 2 बेटे व

1 बेटी है. बेटों की शादी हो चुकी है, पर बेटी की शादी की उसे चिंता है. इस में सिचुएशनल कौमेडी है, जो आजकल कम देखने को मिलती है.

आप ने कई बेहतरीन फिल्में व सीरियल किए पर बीच में काफी समय तक गायब रहीं?

ऐसा न कहें. मैं गायब तो नहीं हुई. देखिए, जब मुझे अच्छी फिल्म या सीरियल करने का अवसर मिलता है, तो मैं करती हूं. महज संख्या गिनाने के लिए कोई भी फिल्म या सीरियल नहीं करती. मैं अच्छा काम नहीं मिलता तो नहीं करती. मैं जबरन खुद को व्यस्त रखने में यकीन नहीं करती.

यह सच है कि मैं ने लंबे समय से टीवी करना बंद कर रखा है. मैं ने पिछले 15 वर्षों से सीरियल नहीं किए हैं. इस की मूल वजह यह है कि अब टीवी का कंटैंट ही अच्छा नहीं है. सच कह रही हूं. और आप भी मेरी इस बात से सहमत होंगे कि अब टीवी का कंटैंट काफी बुरा हो गया है. मैं अपने कैरियर के इस मुकाम पर ‘सासबहू मार्का’ सीरियल नहीं कर सकती. मैं किचन पौलीटिक्स वाले सीरियलों में फिट ही नहीं होती. ऐसे सीरियलों में कलाकार के तौर पर मेरे लिए कोई जगह ही नहीं है.

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इन दिनों नारी स्वतंत्रता, फैमेनिजम आदि की काफी चर्चा हो रही है. आप के लिए फैमेनिजम क्या है?

फैमेनिजम को परिभाषित नहीं किया जा सकता. हर औरत की अपनी एक यात्रा होती है, हर औरत के लिए फैमेनिजम की अपनी परिभाषा होती है. फैमेनिज्म के बारे में हर किसी का एक सिद्धांतवादी दृष्टिकोण होता है. मुझे नहीं लगता कि किसी को मुझे बताने की जरूरत है कि फैमेनिजम क्या है. मेरे लिए फैमेनिजम की परिभाषा यह है कि मैं एक औरत होने के नाते जो करना चाहूं, वह कर सकूं. जो मुझे सही लगता है, उसे ले कर मैं किसी को भी उस का फायदा लेने नहीं दूंगी. मैं अपनी क्षमता के अनुरूप काम करती रहूंगी. किसी भी संस्था को अधिकार नहीं है कि वह फैमेनिजम को परिभाषित करे.

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