Bigg Boss 15 में हुस्न के जलवे बिखेरेंगी डोनल बिष्ट, देखें फोटोज

कलर्स का रियलिटी शो ‘बिग बॉस’(Bigg Boss) का 15वां सीजन जल्द शुरु होने वाला है, जिसका हाल ही में कंटेस्टेट से जुड़ा एक प्रोमो रिलीज किया गया है, जो सोशलमीडिया पर वायरल हो रहा है. दरअसल, प्रोमो में डोनल बिष्ट और अफसाना खान जैसे सितारे नजर आए हैं, जिसे देखकर फैंस काफी खुश हैं. वहीं बात करें ‘बिग बॉस 15’ के कन्फर्म कंटेस्टेंट्स में से एक टीवी एक्ट्रेस डोनल बिष्ट(Donal Bisht) तो उनका हौट लुक सोशलमीडिया पर काफी वायरल हो रहा है. आइए आपको दिखाते हैं डोनल बिष्ट के लुक्स की झलक…

डोनल बिष्ट के लुक के फैंस हुए कायल

 

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टीवी जर्नलिस्ट रह चुकीं डोनल बिष्ट का लुक फैंस के बीच काफी पौपुलर है. कभी बिकिनी तो कभी ड्रैसेस का कलेक्शन रखने वाली डोनल का लुक काफी खूबसूरत लगता है, जिसे फैंस काफी पसंद करते हैं.

 

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ड्रैसेस के कलेक्शन हैं खास

 

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डोनल बिष्ट के सोशलमीडिया की बात करें तो वह नई-नई ड्रैसेस में नजर आती हैं, जिसमें फ्लावर प्रिंट से लेकर प्रिंटेड शामिल हैं. औफ शोल्डर हो या कोई औफ स्लीव ड्रैसेस के कलेक्शन फैंस के बीच काफी पौपुलर हो गए हैं.

पार्टी गाउन हैं ट्रैंड

 

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पार्टी के लिए अगर आप कई टाइप के औप्शन की तलाश कर रहे हैं तो डोनल बिष्ट के ये गाउन काफी खूबसूरत हैं. शादी हो या पार्टी में हौट लुक के लिए डोनल बिष्ट के ये गाउन कलेक्शन काफी खूबसूरत हैं.

 

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बैडरूम की मस्ती भरी शारीरिक हरकतें 

लेखक- वीरेन्द्र बहादुर सिंह 

घर में बैडरूम ही एक ऐसी जगह है, जहां पति-पत्नी अपना कीमती समय व्यतीत कर सकते हैं. उनके यादगार और प्रेमिल क्षणों का संग्रह इसी जगह होता है. यहां होने वाली खटपट और प्रेम तो कभी होने वाली छेड़छाड़ और हरकतें दोनों को ही हमेशा याद रहती हैं. बेडरूम में होने वाली प्रत्येक क्रिया में मौजमस्ती और शारीरिक हरकतें कभी नहीं भूली जा सकतीं. जीवन हमेशा संघर्ष और तकलीफों से भरा रहता है. ऐसे में अगर पति-पत्नी दोनों अपने बेडरूम में थोड़ी मस्तीमजाक और तूफानी पलों का आनंद प्राप्त कर लें तो तन और मन दोनों थोड़ी देर के लिए हल्का और कूल हो जाता है. हर दंपत्ति के लिए ऐसे पलों का आनंद लेना जरूरी है.

इससे उनके बीच एकदूसरे के प्रति आकर्षण बना रहता है, साथ ही दोनों को एकदूसरे के साथ थोड़ा अपना कह सकें, इस तरह का मस्तीभरा समय बिताने का मौका भी मिल जाता है. कभी दोनों में से एक भी अनुपस्थित रहता है तो इस समय की यादें प्रेम का अनुभव कराती रहती हैं.

जयदीप और बीना की शादी को 7 साल हो गए हैं. दोनों नौकरी करते हैं. रात को डिनर के समय दोनों साथ खाते हुए बातचीत करते हैं. इसके अलावा उनके पास समय निकालना बहुत मुश्किल था. धीरे-धीरे बीना पर काम का बोझ बढ़ता गया. अब वह घर देर से आने लगी. जयदीप उसकी स्थिति को समझता था. वह जानता था कि बीना खूब थक जाती है और तनाव महसूस करती है. रात को खाने के बाद बीना बेडरूम में आती तो भी भी लैपटाप ले कर काम करती रहती. कभी-कभी जयदीप को लगता कि उसकी पत्नी उसे समय नहीं दे रही है. दूसरी ओर वह यह भी देख रहा था कि वह सचमुच काम में व्यस्त रहती है. बीना पहले इतनी सीरियस नहीं थी. शादी के बाद वह आफिस के काम को ले कर बहुत ज्यादा व्यस्त हो गई थी. जयदीप जिसे कालेज के समय से प्यार करता था, वह मस्तीखोर बीना कहीं खो गई थी.

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रविवार को बीना सुबह देर तक सोती रही. जयदीप उसके लिए चायनाश्ता तैयार कर के कमरे में आया. बीना फिर सो गई तो जयदीप ने उसके गाल पर किस किया. बीना करवट बदल कर फिर सो गई. जयदीप ने दूसरे गाल पर किस किया तो बीना ने आंखें खोलीं. जयदीप ने हल्के से उसके सिर पर चुंबन किया और उसी तरह उसके होठों पर चुंबन करने जा रहा था कि बीना ने उसे हल्के हाथ से धक्का मार दिया तो वह बेड से नीचे गिर गया. उसे देख कर बीना हंसने लगी तो जयदीप तुरंत उठ कर उसकी ओर बढ़ा. बीना तकिया ले कर उसे मस्ती से मारने लगी. दूसरी ओर दूसरी तकिया ले कर जयदीप भी उसे मारने लगा. इस बीच दोनों एकदूसरे के साथ मस्ती के मूड में आ गए.

बीना उठ कर भागने लगी तो जयदीप ने लपक कर उसकी कमर पकड़ी और धीरे से बिस्तर पर धकेल दिया. दोनों ही एकदूसरे के साथ पूरी तरह मस्ती के मूड में थे. बीना इस तरह खिलखिला कर हंस रही थी जैसे खिल रही हो.

अंत में दोनों थक कर बिस्तर पर लेट गए. बीना ने जयदीप के गाल पर हल्के से चुंबन किया और अपना सिर उसके सीने पर रख दिया. बीना का यह प्रेमिल स्पर्श पा कर जयदीप उसकी ओर झुका. एक लंबे समय के बाद दोनों के बीच प्रेमक्रीडा हुई. इस शारीरक संबंध में दोनों को हो  संतोषजनक आनंद मिला. बीना के मन में काम का बोझ होने के बावजूद वह खुद को काफी फ्रेश महसूस कर रही थी. केवल शारीरिक सुख से नहीं, जयदीप और उसके बीच के संबंध और संबंध में घुले प्यार और मस्ती से उन्हें संपूर्ण संतोष का अनुभव हो रहा था. जीवन में केवल शारीरिक संबंध ही नहीं, शारीरिक मस्ती भी एकदूसरे को नजदीक होने का अनुभव कराती है.

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काव्या के सामने अनुज-वनराज में होगी हाथपाई! Anupama उठाएगी ये कदम

स्टार प्लस के सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupama) में कहानी दिलचस्प मोड़ लेने के लिए तैयार है. जहां वनराज की जलन बढ़ती जा रही है तो वहीं काव्या इस बदले व्यवहार को देख हैरान है. हालांकि इसका असर अनुपमा की जिंदगी पर नहीं पड़ रहा. वह अनुज के साथ अपने करियर की शुरुआत को लेकर बेहद खुश है. लेकिन जल्द ही अनुज कपाड़िया और वनराज की लड़ाई होने वाली है, जिसके चलते अनुपमा की जिंदगी दोराहे पर खड़ी होगी. आइए आपको बताते हैं पूरी कहानी…

मुंबई पहुंचा वनराज

अब तक आपने देखा कि अनुपमा और अनुज बिजनेस के काम से मुंबई जाते हैं. जहां वह समंदर किनारे मस्ती भी करते नजर आते हैं. इसी बीच वनराज और काव्या भी वहां पहुंच जाते हैं. दरअसल, वनराज बिल्कुल भी अनुज और अनुपमा को साथ नहीं देखना चाहता है, जिसके चलते काव्या भी दोनों को लेकर वनराज से सवाल करती है. लेकिन वनराज कोई जवाब नहीं देता.

 

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वनराज के सवालों से परेशान होगी अनुपमा

वनराज के अनुज और अनुपमा के रिश्ते पर उठे सवाल बढ़ते चले जाएंगे. वहीं अपकमिंग एपिसोड में वनराज इस ओर एक और कदम बढ़ाएगा, जिसके कारण अनुज का पारा बढ़ जाएगा. दरअसल, अनुपमा और अनुज (Anuj Kapadia) एक साथ पब जाएंगे. जहां पर वनराज और काव्या भी पहुंचेंगे, जिसे देखकर अनुपमा को गुस्सा आ जाएगा. लेकिन वह दोनों को नजरअंदाज करने का फैसला लेगी. इसी बीच वनराज, अनुपमा को अनुज की पीठ थपथपाते देखेगा, जिससे उसका पारा बढ जाएगा.

वनराज और अनुज के बीच होगी हाथापाई


दूसरी तरफ वह गुस्से में वनराज, अनुपमा के पास जाकर अनुपमा और अनुज के रिश्ते पर कीचड़ उछालने की कोशिश करेगा. लेकिन जहां अनुपमा उसे करारा जवाब देगी तो वहीं अनुज गुस्से में वनराज का कौलर पकड़ लेगा. इसी के साथ वनराज के लगातार इल्जामों को सुनने के बाद अनुज का उस पर हाथ उठ जाएगा. लेकिन अनुपमा दोनों को शांत करवाएगी और कहेगी कि अगर लड़ना ही है तो डांस मुकाबला करके एक दूसरे से लड़े ना कि पब का माहौल खराब करके, जिसके बाद अनुज और वनराज के बीच डांस फेसऔफ देखने को मिलेगा.

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इन 5 Tips से पाएं सफेद बालों से छुटकारा

आजकल की भाग-दौड़ भरी जिंदगी, तनाव, प्रदूषण और अन्य समस्याओं के कारण हम अपने शरीर के ऊपर ध्यान नहीं दे पाते हैं. जिसके कारण हमे न जाने कितनी समस्याओं क सामना करना पड़ता है. जिसके कारण हम और परेशान रहते हैं. इन्ही समस्याओं में एक समस्या है असमय बालों का सफेद होना जिसके लिए हम न जानें क्या-क्या उपाय करते हैं कि इस समस्या से निजात मिल जाए.

आज का दौर फैशन का दौर है. जिसके कारण हमारे सफेद बाल होने के कारण हम असहज महसूस करते है. किसी भी पार्टी या किसी भी समारोह में जाने के लिए हमारा मन नहीं करता है क्योंकि आप नहीं चाहते है कि आपको कोई कुछ कहे आपका मजाक उड़ाए. कई लोगों के बहुत ही कम उम्र में ही बाल सफेद हो जाते हैं.

कई बार तो आपके दोस्त आपको कह देते हैं कि आप बूढें हो रहे हैं. जिसके कारण आपको बुरा लगता है. अगर आप भी इन समस्याओं से गुजर रहे है तो इन उपायों को अपनाएं. हम अपनी खबर में ऐसे उपायों के बारें में बता रहे है. जिससे आपके असमय हो रहे सफेद बालों से निजात मिल जाएगा. ये नेचुरल उपाय है जिसे करने से आपको सौ प्रतिशत फायदा मिलेगा.

1. तिल और गाजर का पेस्ट

इस पेस्ट से आप अपने बालों को काले बना सकते है. इसके लिए इन दोनों चीजों को बराबर मात्रा में लें और इसमें 1 चम्मच मेथी का पाउडर मिलाएं और फिर इसे धूप में कम से कम आधा घंटे के लिए रख दें. फिर इसे आपने बालों में लगाएं.

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2. अदरक

अदरक हमारी सेहत के साथ-साथ सौंदर्य के लिए भी काफी फायदेमंद है. ये आपको सफेद बालों से भी निजात दिला सकती है. इसके लिए अदरक और जोजोबा तेल मिलाकर सिर और बालों पर लगाएं. सप्ताह में कम से कम 2 बार लगाएं. इससे आपके बाल काले हो जाएगे.

3. तुरई

तुरई के बारें में तो जानते होंगे. इसकी सब्जी हमारी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होती है. लेकिन यह आपके बालों को काला भी बना सकती है. इसके लिए इसे टुकड़ों में काटकर सूखा लें. इन्हें एक कप में डालकर उसमें नारियल तेल मिला लें और चार दिन तक रहने दें. इसके बाद तेल को काला होने तक गर्म कर लें और सप्ताह में कम से कम 3 बार बालों में लगाएं.

4. गुड़हल

ये बालों को सफेद होने से बचाने के साथ-साथ उनमें शाइनिंग भी देता है. इसके लिए इसके फूलों को एक पैन में 20 मिनट उबाल लें. इसके बाद इस पेस्ट को बालों में ठीक ढंग से लगाने के बाद साफ पानी से धो लें और फिर शैंपू कर लें.

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5. चौलाई

ये सब्जी बालों को सफेद होने से बचाती है. यह भंगुर बाल के उपचार में भी उपयोगी है. चौलाई का रस पानी में मिला लें. इसे बालों पर लगाएं और दो घंटों का तक छोड़ दें. आप इन पत्तों का पेस्ट भी लगा सकते हैं. बालों का नेचुरल कलर बनाए रखने के लिए नियमित रूप से इसका इस्तेमाल करें.

क्या पहली बार शारीरिक संबंध बनाते समय आने वाली परेशानियों के बारे में बताएं?

सवाल

मैं 18 वर्षीय युवती हूं. मैं ने सुना है कि जब भी कोई युवती किसी युवक से पहली बार शारीरिक संबंध स्थापित करती है, तो बहुत दर्द होता है. क्या यह सच है और ऐसा क्यों होता है?

जवाब

कुंआरी युवतियों के यौनांग में एक पतली सी झिल्ली होती है, जिसे कौमार्य झिल्ली कहते हैं. जब कोई युवती पहली बार संबंध बनाती है तो वह झिल्ली फट जाती है, जिस से थोड़ा सा रक्तस्राव और हलका सा दर्द होता है.

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कामुकता का राज और स्त्री की संतुष्टि को कुछ इस तरह समझिए

मेरठ का 30 वर्षीय मनोहर अपने वैवाहिक जीवन से खुश नहीं था, कारण शारीरिक अस्वस्थता उस के यौन संबंध में आड़े आ रही थी. एक वर्ष पहले ही उस की शादी हुई थी. वह पीठ और पैर के जोड़ों के दर्द की वजह से संसर्ग के समय पत्नी के साथ सुखद संबंध बनाने में असहज हो जाता था. सैक्स को ले कर उस के मन में कई तरह की भ्रांतियां थीं.

दूसरी तरफ उस की 24 वर्षीय पत्नी उसे सैक्स के मामले में कमजोर समझ रही थी, क्योंकि वह उस सुखद एहसास को महसूस नहीं कर पाती थी जिस की उस ने कल्पना की थी. उन दोनों ने अलगअलग तरीके से अपनी समस्याएं सुलझाने की कोशिश की. वे दोस्तों की सलाह पर सैक्सोलौजिस्ट के पास गए. उस ने उन से तमाम तरह की पूछताछ के बाद समुचित सलाह दी.

क्या आप जानते हैं कि सैक्स का संबंध जितना दैहिक आकर्षण, दिली तमन्ना, परिवेश और भावनात्मक प्रवाह से है, उतना ही यह विज्ञान से भी जुड़ा हुआ है. हर किसी के मन में उठने वाले कुछ सामान्य सवाल हैं कि किसी पुरुष को पहली नजर में अपने जीवनसाथी के सुंदर चेहरे के अलावा और क्या अच्छा लगता है? रिश्ते को तरोताजा और एकदूसरे के प्रति आकर्षण पैदा करने के लिए क्या तौरतरीके अपनाने चाहिए?

सैक्स जीवन को बेहतर बनाने और रिश्ते में प्यार कायम रखने के लिए क्या कुछ किया जा सकता है? रिश्ते में प्रगाढ़ता कैसे आएगी? हमें कोई बहुत अच्छा क्यों लगने लगता है? किसी की धूर्तता या दीवानगी के पीछे सैक्स की कामुकता के बदलाव का राज क्या है? खुश रहने के लिए कितना सैक्स जरूरी है? सैक्स में फ्लर्ट किस हद तक किया जाना चाहिए?

इन सवालों के अलावा सब से चिंताजनक सवाल अंग के साइज और शीघ्र स्खलन की समस्या को ले कर भी होता है. इन सारे सवालों के पीछे वैज्ञानिक तथ्य छिपा है, जबकि सामान्य पुरुष उन से अनजान बने रह कर भावनात्मक स्तर पर कमजोर बन जाता है या फिर आत्मविश्वास खो बैठता है.

वैज्ञानिक शोध : संसर्ग का संघर्ष

हाल में किए गए वैज्ञानिक शोध के अनुसार, यौन सुख का चरमोत्कर्ष पुरुषों के दिमाग में तय होता है, जबकि महिलाओं के लिए सैक्स के दौरान विविध तरीके माने रखते हैं. चिकित्सा जगत के वैज्ञानिक बताते हैं कि पुरुष गलत तरीके के यौन संबंध को खुद नियंत्रित कर सकता है, जो उस की शारीरिक संरचना पर निर्भर है.

पुरुषों के लिए बेहतर यौनानंद और सहज यौन संबंध उस के यौनांग, मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी पर निर्भर करता है. पुरुषों में यदि रीढ़ की हड्डी की चोट या न्यूरोट्रांसमीटर सुखद यौन प्रक्रिया में बाधक बन सकता है, तो महिलाओं के लिए जननांग की दीवारें इस के लिए काफी हद तक जिम्मेदार होती हैं और कामोत्तेजना में बाधक बन सकती हैं.

शोध में वैज्ञानिकों ने पाया है कि एक पुरुष में संसर्ग सुख तक पहुंचने की क्षमता काफी हद तक उस के अपने शरीर की संरचना पर निर्भर है, जिस का नियंत्रण आसानी से नहीं हो पाता है. इस के लिए पुरुषों में मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और शिश्न जिम्मेदार होते हैं.

मैडिसन के इंडियाना यूनिवर्सिटी स्कूल और मायो क्सीविक स्थित वैज्ञानिकों ने सैक्सुअल और न्यूरो एनाटोमी से संबंधित संसर्ग के प्रचलित तथ्यों का अध्ययन कर विश्लेषण किया. विश्लेषण के अनुसार,

डा. सीगल बताते हैं, ‘‘पुरुष के अंग के आकार के विपरीत किसी भी स्वस्थ पुरुष में संसर्ग करने की क्षमता काफी हद तक उस के तंत्रिकातंत्र पर निर्भर है. शरीर को नियंत्रित करने वाले तंत्रिकातंत्र और सहानुभूतिक तंत्रिकातंत्र के बीच संतुलन बनाया जाना चाहिए, जो शरीर के भीतर जूझने या स्वच्छंद होने की स्थिति को नियंत्रित करता है.’’

डा. सीगल अपने शोध के आधार पर बताते हैं कि शारीरिक संबंध के दौरान संवेदना मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी द्वारा पहुंचती है और फिर इस के दूसरे छोर को संकेत मिलता है कि आगे क्या करना है. इस आधार पर वैज्ञानिकों ने पाया कि उत्तेजना 2 तथ्यों पर निर्भर है.

एक मनोवैज्ञानिक और दूसरी शारीरिक, जिस में शिश्न की उत्तेजना प्रत्यक्ष तौर पर बनती है.

इन 2 कारणों में से सामान्य मनोवैज्ञानिक तर्क की मान्यता में पूरी सचाई नहीं है. डा. सीगल का कहना है कि रीढ़ की हड्डी की चोट से शिश्न की उत्तेजना में कमी आने से संसर्ग सुख की प्राप्ति प्रभावित हो जाती है. इसी तरह से मस्तिष्क में मनोवैज्ञानिक समस्याओं में अवसाद आदि से तंत्रिका रसायन में बदलाव आने से संसर्ग और अधिक असहज या कष्टप्रद बन जाता है.

स्त्री की यौन तृप्ति

कोई युवती कितनी कामुक या सैक्स के प्रति उन्मादी हो सकती है? इस के लिए बड़ा सवाल यह है कि उसे यौन तृप्ति किस हद तक कितने समय में मिल पाती है? विश्लेषणों के अनुसार, शोधकर्ता वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि ऐसे लोगों को चिकित्सकीय सहायता मिल सकती है और वे सुखद यौन संबंध में बाधक बनने वाली बहुचर्चित भ्रांतियों से बच सकते हैं.

इस शोध में यह भी पाया गया है कि युवतियों के लिए यौन तृप्ति का अनुभव कहीं अधिक जटिल समस्या है. इस बारे में पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने माइक्रोस्कोप के जरिए युवतियों के अंग की दीवारों में होने वाले बदलावों और असंगत प्रभाव बनने वाली स्थिति का पता लगाया है.

वैज्ञानिकों ने एमआरआई स्कैन के जरिए महिला के दिमाग में संसर्ग के दौरान की  सक्रियता मालूम कर उत्तेजना की समस्या से जूझने वाले पुरुषों को सुझाव दिया है कि वे अपनी समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं. उन्हें सैक्सुअल समस्याओं के निबटारे के लिए डाक्टरी सलाह लेनी चाहिए, न कि नीम हकीम की सलाह या सुनीसुनाई बातों को महत्त्व देना चाहिए. इस अध्ययन को जर्नल औफ क्लीनिकल एनाटौमी में प्रकाशित किया गया है.

महत्त्वपूर्ण है संसर्ग की शैली

डा. सीगल के अनुसार, महिलाओं के लिए संसर्ग के सिलसिले में अपनाई गई पोजिशन महत्त्वपूर्ण है. विभिन्न सैक्सुअल पोजिशंस के संदर्भ में शोधकर्ताओं द्वारा किए गए सर्वेक्षणों में भी पाया गया है कि स्त्री के यौनांग की दीवारों को विभिन्न तरीके से उत्तेजित किया जा सकता है.

आज की भागदौड़भरी जीवनशैली में मानसिक तनाव के साथसाथ शारीरिक अस्वस्थता भी सैक्स जीवन को प्रभावित कर देती है. ऐसे में कोई पुरुष चाहे तो अपनी सैक्स संबंधी समस्याओं को डाक्टरी सलाह के जरिए दूर कर सकता है.

कठिनाई यह है कि ऐसे डाक्टर कम होते हैं और जो प्रचार करते हैं वे दवाएं बेचने के इच्छुक होते हैं, सलाह देने में कम. वैसे, बड़े अस्पतालों में स्किन व वीडी रोग (वैस्कुलर डिजीज) विभाग होता है. अगर कोई युगल किसी सैक्स समस्या से जूझ रहा है तो वह इस विभाग में डाक्टर को दिखा कर सलाह ले सकता है.

 

परिवर्तन: शिव आखिर क्यों था शर्मिंदा?

बच्चों को सिखाएं खुश रहने की कला

रीमा और रमन के इकलौते बेटे 8 वर्षीय अक्षत के पास मंहगे से मंहगे खिलौनों का भंडार है पर कल से उसने अपने दोस्त बीनू के जैसी कार खरीदने की जिद लगा रखी है. उसे कुछ के समझाने के बजाए रमन ने उसे रोता देखकर अगले दिन वैसी ही कार लाकर दे दी जिससे वह उस समय तो खुश हो गया परन्तु क्या अभिभावकों द्वारा बच्चे क़ी जिद पूरी करने का ये तरीका सही है ? क्या इसके बाद उसकी इच्छाओं का अंत हो जाएगा. वास्तव में  बच्चे मिट्टी के समान होते हैं उन्हें जिस भी ढांचे में ढाल दिया जाए वे बड़ी आसानी से ढल जाते हैं. आजकल आमतौर पर परिवार में एक या दो बच्चे होते हैं और अपने इन नौनिहालों को हर अभिभावक जिंदगी की दौड़ में शिखर पर देखना चाहता है. इसके अतिरिक्त कई बार माता पिता अपने सपनों को पूरा करने के लिए भी बच्चों को मोहरा बना देते हैं. नौनिहालों को शिखर  पर पहुंचाने के लिए वे बाल्यावस्था से ही केरियर में श्रेष्ठतम करने के लिए विभिन्न विषयों की कोचिंग में भेजना प्रारम्भ कर देते हैं, स्कूल और कोचिंग के बीच में पिसते बच्चे जीवन के व्यवहारिक ज्ञान से अनभिज्ञ ही रह जाते हैं.

अक्सर वे कैरियर और एकेडेमिक्स में तो बेहतर प्रदर्शन करना सीख जाते हैं परन्तु दूसरों की भावनाओं या तकलीफों को समझना या उन पर काम करने से अछूते ही रह जाते हैं. जब कि जीवन को सफलता पूर्वक चलाने के लिए एकेडमिक्स के साथ साथ व्यवहारिक ज्ञान का होना भी अत्यंत आवश्यक है. यद्यपि 2020 में कोरोना के आगमन के बाद से कोचिंग व स्कूल के बंद होने से बच्चे घर में हैं, कोचिंग या क्लासेज भी ऑनलाइन ही हैं  भले ही बच्चे घर में हैं और उनका परिवार के साथ जुड़ाव भी बढ़ा है परन्तु उन्हें जीवन मूल्यों से परिचित कराना अत्यंत आवश्यक है. आवश्यक है कि किताबी शिक्षा के साथ साथ बच्चों को भावनाओं क़ी कोचिंग भी दी जाए. उन्हें खुश रहने और अपने व्यवहार से दूसरों को खुश करने की कला सिखाई जाए ताकि वे भविष्य में भी एक जिम्मेदार पिता, पति और नागरिक बनकर  सुखमय जीवन व्यतीत कर सकें.

-रिश्तों की महत्ता बताएं

अक्सर माता पिता बच्चों से केरियर और सफलता के बारे में तो बात करते हैं परन्तु कभी भी रिश्तों और रिश्तेदारों के बारे में बात नहीं करते. काउंसलिंग एक्सपर्ट कैथलीन ओकानर कहती हैं, ” बच्चों से उन रिश्तों पर बात करें जिन्होंने आपको खुशी दी. उन्हें बताएं कि आपने उन रिश्तों के लिए क्या कुछ नहीं किया. उन्हें जिंदगी में रिश्तों का महत्त्व बताएं ताकि भविष्य में वे उनके साथ जीना सीख सकें. उन्हें परिवार की महत्ता और उसके प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाना सिखाएं. इसके लिए आवश्यक है कि आप उन्हें अपने बाल्यावस्था की छोटी छोटी शैतानियां और बातें कहानियों के रूप में सुनाएं इससे उन्हें सुनने में मजा भी आएगा और वे उन रिश्तों से परिचित भी हो सकेंगे. पहले जहां छुट्टियों में बच्चे दादी नानी के घर जाते थे वहीं आजकल छुट्टियों में घूमने जाने का ट्रेंड हो गया है जिससे बच्चे नाते रिश्तेदारों से अपरिचित ही रह जाते हैं. वर्ष में कम से कम एक बार उन्हें परिवार के सदस्यों से अवश्य मिलवाएं ताकि वे उनसे जुड़ाव भी महसूस कर सकें.

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-रोल मॉडल बनें

बच्चे सदैव अपने माता पिता का अनुकरण करते हैं. परिस्थितियां चाहे कैसी भी हों पर  रश्मि हमेशा दीवाली मनाने अपने ससुराल ही जाती है इससे उसके बच्चे ग्रैंड पेरेंट्स और चाचा बुआ जैसे रिश्तों को तो समझ ही पाते हैं साथ साथ उनका सम्मान करना और परिवार के साथ रहना भी सीखते हैं. इस बाबत रश्मि कहती है,”आप इसे मेरा स्वार्थ भी कह सकते हैं क्योंकि आज जो बच्चे देखेंगे कल वही वे हमारे साथ करेंगे.”

इसलिए जो भी आप उनसे करवाना चाहते हैं उसे अपने जीवन में अवश्य उतारें ताकि वे आपको देखकर अपने व्यवहार में ला सकें.

-संतुष्ट रहना सिखाएं

यद्यपि कोरोना के आगमन के बाद से अभिभावकों ने बच्चों को संतुष्ट रहना सिखाया परन्तु उन्हें समझाना होगा कि जीवन में खुशी कभी पैसे से नहीं खरीदी जा सकती बल्कि खुश रहने के लिए संतुष्ट होना आवश्यक है और इच्छाओं का कभी अंत नहीं होता. इसके लिए उन्हें ऐसे लोंगों से परिचित कराएं जो उनसे कम भौतिक चीजों के साथ भी खुश रहते हैं. उन्हें छोटी छोटी बातों में खुश होना सिखायें. 90 के दशक से सकारत्मकता के मनोविज्ञान पर काम कर रहे मार्टिन सोलोमन जिंदगी के उद्देश्य पर काम कर रहे हैं वे कहते हैं बच्चों को बताएं कि सिर्फ पैसे कमाने से खुशी नहीं मिलती खुशी के लिए संतुष्ट होना जरूरी है वह भाव खुद में तलाशें जैसे किसी को पर्यावरण की रक्षा करना पसंद है तो किसी को गरीबो की मदद करना.

-धन का मूल्य समझाएं

आजकल परिवार का स्वरूप एक या दो बच्चों तक सीमित रह गया है. बच्चों की डिमांड उनके मुंह से निकलते ही पूरी हो जाती है इससे वे समझ ही नहीं पाते कि धन कमाने में कितना परिश्रम लगता है. उज्जैन में एक प्रतिष्ठित स्कूल के संचालक श्री वासवानी जी कहते हैं,”मेरा बेटा यदि 3 चीजों की डिमांड करता है तो उसमें से मैं एक बार में एक ही डिमांड पूरी करता हूं ऐसा नहीं है कि मैं उसकी डिमांड पूरी नहीं कर सकता परन्तु यदि इच्छा व्यक्त करते ही पूरी हो जाएगी तो उसे पैसे की वैल्यू ही समझ नहीं आएगी.” इसलिए बच्चों को बाल्यावस्था से ही पैसा बहुत मेहनत से कमाया जाता है यह समझाया जाना अत्यंत आवश्यक है.

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-कृतज्ञता सिखाएं

बच्चों को अपने आसपास के लोंगों, कामगारों के प्रति कृतज्ञ होना सिखाएं. घर के प्रेस वाले, मेड, ड्राइवर और अन्य कामगारों के उदाहरणों से ही उन्हें समझाएं कि उनका आपके जीवन में कितना महत्त्व है. कई घरों में बच्चे घर के कामगारों से बदतमीजी से बात करते हैं और अभिभावक उन्हें टोकने के बजाय हसना प्रारम्भ कर देते हैं जो सर्वथा अनुचित है क्योंकि यदि उन्हें प्रथम बार में ही टोक कर दण्डित किया जाए तो वे दोबारा गल्ती नहीं करेंगे.

-पर्यावरण के प्रति जगरूक बनाएं

अनीता अपने बच्चे के जन्मदिवस पर हर साल एक पौधा लगाती है और अपने बच्चे से ही उसकी देखभाल करने को कहती है इससे बच्चे में प्रकृति प्रेम बढ़ने के साथसाथ जिम्मेदारी का भाव भी आता है. आज समय की मांग है कि हम अपने बच्चों को पर्यावरण के प्रति जागरूक बनाएं ताकि भविष्य में भी वे पर्यावरण को सहेजने में अपनी जिम्मेदारी निभा सकें. प्रकृति ने मानव जीवन को क्या क्या दिया है और उसे सहेजना कितना और क्यों जरूरी है यह उन्हें बचपन से ही सिखाया जाना अत्यंत आवश्यक है.

लड़कियों के बचकानेपन का लाभ

मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने एक बलात्कार के अभियुक्त के प्रति नरमी बरतते हुए उसे जमानत पर रिहा कर दिया है क्योंकि अदालत के अनुसार वह लडक़ी अपनी इच्छा से नवंबर 2018 में उस के साथ मंदसौर से सूरत चली गर्ई जहां उसे एक बच्चा भी दोनों के प्रेम से हुआ.

आमतौर पर अदालतों का ऐसे मामलों में भी रुख बहुत ही संख्त होता है और 18 साल से कम की लडक़ी के साथ किसी भी तरह का यौन संबंध बलात्कार ही माना जाता है चाहे लडक़ी के  उकसाने और सहमति पर ही क्यों न यौन संबंध बने हो, कानून मानता है 18 वर्ष से पहले लडक़ी को रत्ती भर अक्ल नहीं होती और उस के बचकानेपन का लाभ उठाने का हक किसी को नहीं. जब लडक़ी भागी थी तो वह 15 साल की थी और लडक़ा 19 साल का.

अदालतों के सामने अब ये समस्या आनी शुरू होगी जब लडक़ालडक़ी स्पष्ट रूप से सहमती से संबंध बनाएंगे और बाद में मुकर जाएंगे. इस आयु में लडक़ी के पिता का खून खौल जाता है और वह ही पुलिस के दरवाजे खटखटा कर अपनी भड़ास निकालता है. इस तरह के स्पष्ट मामले में लडक़ों को दोषी ठहराना या लंबे समय तक जेल में बंद कर देना एक तरह से लडक़ीलडक़े का पूरा जीवन खराब कर देना होगा.

‘मेरी बेटी को मेरी नाक के नीचे से भगा ले गया’ वाली भावना बहुत सा रोष पैदा करती है और मातापिता अक्सर कानूनों का हवाला देकर भागे युगल को पकड़ ही नहीं लाते, पुलिस अदालत की शरण में जा कर अपने वर्षों और बड़ा पैसा खराब कर डालते हैं. अदालतें तो शिकायत होने पर लडक़े को गिरफ्तार करने का आदेश देंगी ही पर कम अदालतें ही समझती हैं कि किशोरावस्था के प्रेम परिपक्व न हों पर गहराई पूरी होती है, यह प्राकृतिक जरूरत है.

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या तो हम लोग लड़कियों को बंद तालों, बुरकों, घूंघटों, परदों में रखें या फिर उन्हें पूरी छूट दें, आगे बढऩे की, अपने सहीगलत फैसलों की, यौन स्वतंत्रता की. वे घर का संबल भी बनें अैर संस्कृति व धर्म के नाम पर अपने पर कंट्रोल भी रखें, संभव नहीं है.

मातापिता का फर्ज है कि वे विवेक से काम लें, आवेश से नहीं. लडक़ी ने बेवकूफी की है तो वे भी उस से बढ़ कर बेवकूफ बन कर लडक़ी पर दुश्चरित्र होने का ठप्पा न लगाएं. समाज तो क्या कोई और उदार युवक भी उन के इस बेकार के पब्लिसिटी वाले काम को माफ नहीं करेगा. वे लडक़ी का पूरा भविष्य भी खराब करेंगे, लडक़े का भी.

हमेशा ही किशोर मांऐ होती रही हैं और पहले जहां उन्हें कूएं में कूद जाने का या चक्ले पर बैठ जाने को बाध्य किया जाता था, आज अकेली मां का वजूद बनता जा रहा है. बेटी 18 साल से कम हो तो भी उसे बलात्कार का मामला दर्ज कराने को उकसाने से उतना ही नुकसान होगा जितना उसके प्रेमी के साथ भागने से हुआ था.

15 साल की उम्र में जो लडक़ी 3 साल युवक के साथ रही. कैसे कह सकती है कि उस के साथ जबरदस्ती हुई या उसे बहकाया गया. अदालत ने वैसे तो सही संदेश दिया है कि उन्हें अपने हाल पर छोड़ दो पर पुलिस और मातापिता इसे मानेंगे, इस में शक है.

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जानें क्या है हैटेरोटोपिक Pregnancy

कुछ अरसा पहले गुड़गांव स्थित पारस अस्पताल में एक दुर्लभ मामला तब सामने आया जब 32 वर्षीय पूजा हांडा को पेट में तेज दर्द और योनि से अनियमित रक्तस्राव के चलते अस्पताल लाया गया. जांच करने पर उस में हैटेरोटोपिक प्रैगनैंसी का पता चला. इस समस्या की पहचान करने में 1 माह का समय लग गया. 1 महीना पहले उस की एमटीपी कराई गई. तब वह 7 सप्ताह की गर्भवती थी. एमटीपी के पहले ही उसे पैल्विक क्षेत्र में दर्द था और सर्जरी के द्वारा गर्भपात करने के बाद भी उसे दर्द रहता था. इस स्थिति में यूटरस और फैलोपियन ट्यूब में प्रैगनैंसी एकसाथ होती है. इसलिए संभवतया इस डायग्नोसिस के बारे में नहीं सोचा जाता है.

हैटेरोटोपिक प्रैगनैंसी है क्या

हैटेरोटोपिक प्रैगनैंसी एक असामान्य अवस्था है, जिस में 2 या 3 से अधिक गर्भधारण एक ही समय पर अलगअलग स्थानों यानी गर्भाशय के भीतर और बाहर दोनों जगह हो जाते हैं. हैटेरोटोपिक प्रैगनैंसी के मामले बहुत ही कम देखने को मिलते हैं. भारत में 10 से 30 हजार गर्भवती महिलाओं में से 1 को यह समस्या होती है. अमेरिका और पश्चिमी देशों में जरूर लगभग 2% महिलाओं में यह समस्या पाई जाती है. हाल ही में हुए कई अध्ययनों से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार इस प्रकार के मामले असिस्टेड रिप्रोडक्शन आईवीएफ में अधिक देखे गए हैं. आईवीएफ के दौरान हाइड्रोस्टैटिक प्रैशर उत्पन्न होता है, जिस से भू्रण को गर्भाशय में हस्तांतरित करने के दौरान खतरा और अधिक बढ़ने की आशंका बनी रहती है. पिछले कुछ वर्षों से हैटेरोटोपिक प्रैगनैंसी के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, क्योंकि गर्भधारण के लिए आईवीएफ और दूसरी असिस्टेड रिप्रोडक्टिव तकनीकों का उपयोग काफी बढ़ रहा है.

बढ़ जाता है मृत्यु का खतरा

आंकड़ों के अनुसार गर्भावस्था और प्रसूति के दौरान होने वाली कुल मौतों में से 10 से 15% का कारण हैटेरोटोपिक प्रैगनैंसी है. चूंकि इस का डायग्नोसिस कठिन होता है, इसलिए इस के कारण होने वाला रक्तस्राव घातक साबित होता है.

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कारण

हाल में हुए सर्वेक्षणों के अनुसार उन महिलाओं में हैटेरोटोपिक प्रैगनैंसी होने का खतरा 35% होता है, जिन में पहले भी यह समस्या हुई हो. 31% में श्रोणि सूजन की बीमारी पहले से हो सकती है. 33% महिलाओं में जिन की पहले पुनर्निर्माण ट्यूबल सर्जरी हुई होती है उन में भी इस की आशंका बढ़ जाती है. वैसे हैटेरोटोपिक प्रैगनैंसी के अधिकांश मामले असिस्टेड रिप्रोडक्टिव तकनीकों से ही संबंधित होते हैं. इस के अलावा उन महिलाओं में भी इस की आशंका बढ़ जाती है जो तंबाकू का सेवन करती हैं.

लक्षण

पेट के निचले भाग में दर्द हैटेरोटोपिक प्रैगनैंसी का सब से सामान्य लक्षण है. योनि से रक्तस्राव और पेट की बाईं ओर दर्द होना भी इस का लक्षण है. कई महिलाओं में हैटेरोटोपिक प्रैगनैंसी के कारण आंतरिक रक्तस्राव भी होता है.

रिस्क फैक्टर्स

निम्न परिस्थितियां हैटेरोटोपिक प्रैगनैंसी के खतरे को बढ़ा देती हैं:

  1. जिन महिलाओं में पहले भी हैटेरोटोपिक प्रैगनैंसी हुई हो.
  2. संक्रमण जिस के कारण फैलोपियन ट्यूब की सामान्य अवस्था गड़बड़ा जाती है. इस के कारण फैलोपियन ट्यूब्स क्षतिग्रस्त हो जाती हैं या उन में रुकावट आ जाती है, जिस से हैटेरोटोपिक प्रैगनैंसी का खतरा बढ़ जाता है.
  3. फैलोपियन ट्यूब्स का ट्यूमर भी महिलाओं में हैटेरोटोपिक प्रैगनैंसी का खतरा बढ़ा देता है.
  4. पैल्विक क्षेत्र का संक्रमण भी इस का खतरा बढ़ा देता है.
  5. कई लोगों से शारीरिक संबंध होने के कारण भी संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है.
  6. गर्भधारण के समय में सिगरेट पीने से भी हैटेरोटोपिक प्रैगनैंसी की आशंका बढ़ जाती है.

डायग्नोसिस

हैटेरोटोपिक प्रैगनैंसी का डायग्नोसिस ब्लड हारमोन टैस्ट और पैल्विक अल्ट्रासाउंड के द्वारा किया जाता है. पैल्विक क्षेत्र में होने वाले दर्द और प्रजनन की उम्र में रक्तस्राव की कभी अनदेखी न करें. कोई भी गर्भवती चाहे वह प्राकृतिक रूप से गर्भवती हुई हो या असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टैक्नोलौजी के द्वारा, अगर वह पेट दर्द की शिकायत करती है तो जो विभिन्न डायग्नोसिस किए जाते हैं उन में हैटेरोटोपिक प्रैगनैंसी की संभावना का भी ध्यान रखना चाहिए.

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उपचार

इस का उपचार सर्जरी और दवाओं दोनों के द्वारा किया जाता है. हैटेरोटोपिक प्रैगनैंसी के लिए पारंपरिक सर्जरी के बजाय लैप्रोस्कोपी सर्जरी ही डाक्टर और मरीज की प्राथमिकता होनी चाहिए, क्योंकि इस में रक्तस्राव और दर्द कम होता है. फिर अस्पताल में भी अधिक दिनों तक नहीं रहना पड़ता. ठीक होने में भी कम समय लगता है और खर्च भी अधिक नहीं आता.

-डा. नुपुर गुप्ता

कंसलटैंट ओब्स्टिट्रिशन ऐंड गाइनोकोलौजिस्ट, पारस अस्पताल, गुड़गांव

Hina Khan से लेकर Shivangi Joshi तक, Iconic Gold Awards 2021में छाया टीवी हसीनाओं का जलवा

कोई फंक्शन हो या पार्टी टीवी हसीनाओं के लुक्स के जलवे सुर्खियों में रहते हैं. इसी बीच मुंबई में हुए आइकॉनिक गोल्ड अवार्ड्स 2021 (Iconic Gold Awards 2021) के रेड कार्पेट में भी टीवी हसीनाओं के लुक्स ने चार चांद लगा दिए. हिना खान से लेकर शिवांगी जोशी तक हर किसी का लुक्स सोशलमीडिया पर वायरल हो रहा है. आइए आपको दिखाते हैं Iconic Gold Awards 2021 में हसीनाओं के लुक्स की झलक…

हिना खान का ग्लैमरस अंदाज

 

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टीवी एक्ट्रेसेस का लुक आए दिन बदलता रहता है. वहीं संस्कारी बहू अक्षरा के रोल से दिल जीतने वाली हिना खान (Hina Khan) का लुक भी Iconic Gold Awards 2021 के रेड कार्पेट पर सुर्खियां बटोरता नजर आया ग्रीन कलर के स्टाइलिश सूट में वह बेहद खूबसूरत लग रही थीं. फैंस को उनका ये लुक काफी ट्रैंडी लगा.

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बेटी नायरा भी नहीं रही पीछे

अक्षरा की बेटी नायरा यानी शिवांगी जोशी (Shivangi Joshi) भी रेड कार्पेट पर खूबसूरत औफशोल्डर रेड कलर के गाउन में नजर आईं, जिसमें वह किसी परी से कम नहीं लग रही थीं.

नागिन का दिखा जलवा

 

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नागिन के रोल में फैंस का दिल जीत चुकीं फेमस एक्ट्रेस सुरभि चंदना भी ब्लैक ड्रेस में रेड कार्पेट पर उतरी, जिसमें उनका लुक फैंस के दिलों पर बिजलियां गिरा रहा था. सोशलमीडिया पर उनके इस लुक की काफी तारीफें हो रही हैं.

 Bigg Boss की हसीनाओं के दिखे जलवे

हाल ही में Bigg Boss OTT की विनर बनीं दिव्या अग्रवाल जहां ग्लैमर्स अंदाज में व्हाइट ड्रेस पहने नजर आईं तो वहीं शो में उनकी दोस्त रहीं एक्ट्रेस रिद्धिमा पंडित ब्लैक ड्रेस में बिजलियां गिरातीं नजर आईं. इस दौरान बिग बॉस 14 के बाद कपल बनें एजाज खान और पवित्रा पुनिया भी रेड कार्पेट पर नजर आए. इस दौरान दोनों का लुक एक दूसरे को कौम्पिलिमेंट दे रहा था.

 

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