एक मौका और : भाग 2- हमेशा होती है अच्छाई की जीत

लेखिका- मरियम के. खान

पता चला कि सोहेल को भी किसी ने इस पागलों वाले अस्पताल में भरती करा दिया था, जबकि वह भी पूरी तरह स्वस्थ था. वह अस्पताल डा. काशान का था. कुछ देर बाद डा. काशान वहां आया तो सोहेल चीख पड़ा, ‘‘यह गलत है. आप सब धोखा कर रहे हैं. सही इंसान को यहां क्यों भरती कर रखा है?’’

डा. काशान ने इत्मीनान से कहा, ‘‘ये देखो.’’

इस के बाद उस ने रिमोट से एक स्क्रीन औन कर दी. स्क्रीन पर एक स्लाइड चलने लगी, जिस में सोहेल पागलों की तरह चीख रहा था, चिल्ला रहा था. 2 नर्सें उसे बांध रही थीं. वह देख कर सोहेल फिर चीखा, ‘‘यह सरासर झूठ है.’’

उस के इतना कहते ही डाक्टर के इशारे पर नर्स ने फिर से सोहेल को इंजेक्शन लगा कर सुला दिया.

सोहेल को जब होश आया तो उस ने नूर को गौर से देखा. उसे याद आया कि यह लड़की तो वही है जो ईमान ट्रस्ट स्कूल में पढ़ती थी. सोहेल भी बीकौम करने के बाद स्कूल में मदद के तौर पर पढ़ाने जाता था. वैसे सोहेल भी एक अच्छे परिवार से ताल्लुक रखता था.

उस के पिता की एक फैक्ट्री थी. फैक्ट्री में अचानक लगने वाली आग ने सब कुछ बरबाद कर दिया था. उस में उस के पिता की भी मौत हो गई थी. उस समय सोहेल 19 साल का था. उन दिनों वह ईमान ट्रस्ट के स्कूल में पढ़ा रहा था.

सोहेल के लिए पिता की मौत बहुत बड़ा सदमा थी. उस ने अपने कुछ हमदर्दों की मदद से इंश्योरेंस का क्लेम हासिल किया. फिर से फैक्ट्री शुरू करने के बजाय उस ने वे पैसे बैंक में जमा कर दिए. फैक्ट्री की जमीन भी किराए पर दे दी, जिस से परिवार की गुजरबसर ठीक से होती रहे. उस के 2 और भाई थे जो उस से छोटे थे. एक था कामिल जिस की उम्र 15 साल थी, उस से छोटा था 12 साल का जमील.

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भाइयों और मां की जिम्मेदारी सोहेल पर ही थी. यह जिम्मेदारी वह बहुत अच्छे से निभा रहा था. एमबीए के एडमिशन में अभी टाइम था, इसलिए वह ट्रस्ट के स्कूल में पढ़ाता रहा. इस स्कूल में ज्यादातर गरीब घरों के बच्चे पढ़ते थे. नूर को उस ने उसी स्कूल में देखा था. वह बेहद खूबसूरत थी. उस नूर को आज वह एक मेच्योर औरत के रूप में देख रहा था. वही बाल, वही आंखें, वही नैननक्श.

यह क्लिनिक शहर से बाहर सुनसान सी जगह पर था. चारदीवारी बहुत ऊंची थी. ऊपरी मंजिल की सब खिड़कियों में मोटीमोटी ग्रिल लगी हुई थीं. इंतजाम ऐसा था कि कोई भी अपनी मरजी से बाहर नहीं निकल सकता था.

पहले डा. काशान एक मामूली मनोचिकित्सक था. वह प्रोफेसर मुनीर के साथ काम करता था. फिर उस ने अपना खुद का क्लिनिक खोल लिया. लोगों को ब्लैकमेल करकर के वह कुछ ही दिनों में अमीर हो गया. इस के बाद उस ने शहर के बाहर यह क्लिनिक बनवा लिया.

इस इमारत में आनेजाने के खास नियम थे. एक अलग अंदाज में दस्तक देने से ही दरवाजे खुलते थे. काशान ने यहां 5 लोग रखे हुए थे. 2 नर्सें, 2 कंपाउंडर, एक मैनेजर कम फोटोग्राफर जिस का नाम राहिल था. सही मायनों में राहिल ही उस क्लिनिक का कर्ताधर्ता था.

डा. काशान उसे उस समय यतीमखाने से ले कर आया था, जब वह बहुत छोटा था. अपने यहां ला कर उस ने उस की परवरिश की. धीरेधीरे उसे क्लिनिक के सारे कामों में टे्रंड कर दिया. अब वह इतना सक्षम हो गया था कि काशान की गैरमौजूदगी में अकेला ही सारे मरीजों को संभाल लेता था. एक तरह से वह डा. काशान का दाहिना हाथ था.

एक दिन डा. काशान कुछ परेशान सा था. उस ने राहिल की तरफ देखते हुए कहा, ‘‘राहिल, मुझे कुछ खतरा महसूस हो रहा है. शायद किसी को हमारे गोरखधंधे की खबर लग गई है. इसलिए मैं सोच रहा हूं कि सब कुछ खत्म कर दिया जाए.’’

राहिल घबरा कर बोला, ‘‘डाक्टर साहब, ऐसा कैसे हो सकता है? यह तो बहुत बड़ा जुल्म होगा.’’

‘‘तुम मेरे टुकड़ों पर पल कर यहां तक पहुंचे हो. तुम्हें सहीगलत की पहचान कब से हो गई. मैं जो कह रहा हूं, वही होगा. अगले हफ्ते यह काम हर हाल में करना है.’’ डाक्टर ने दहाड़ कर कहा.

नूर को ऐसा लगा जैसे कोई उस का नाम पुकार रहा है. उस ने दरवाजे की जाली की तरफ देखा तो वहां सोहेल के सफेद बाल दिखाई दे रहे थे. यह पहला मौका था जब किसी ने उसे पुकारा था. वरना वहां इतना सख्त पहरा था कि कोई किसी से बात तक नहीं कर सकता था. चोरीछिपे बात कर ले तो अलग बात है.

नूर को यहां आए दूसरा महीना चल रहा था. उसे अब लगने लगा था कि वह सचमुच ही पागल है. सोहेल ने फिर कहा, ‘‘नूर, मैं सोहेल हूं. याद है, जब मैं तुम्हें स्कूल में पढ़ाने आता था…’’

नूर ने कुछ याद करते हुए कहा, ‘‘हां, मुझे याद आ रहा है. आप हमारे स्कूल में पढ़ाते थे. मगर आप यहां कैसे?’’

‘‘मुझे एक साजिश के तहत यहां डाला गया है. मुझे लगता है कि तुम भी किसी साजिश का शिकार हो कर यहां पहुंची हो. इस बारे में मैं तुम से बाद में बात करूंगा.’’

नूर सोच में पड़ गई. उस के दिमाग में परिवार और कारोबार की पुरानी बातें घूमने लगीं. उस के दोनों बेटे सफदर और असगर के कालेज के जमाने से ही पर निकालने शुरू हो गए थे. दौलत के साथ सारी बुराइयां भी उन दोनों में आती गईं.

नूर उन्हें समझाने की बहुत कोशिश करती लेकिन उन पर कुछ असर नहीं हुआ. दूसरी तरफ उस का टेक्सटाइल मिल का बिजनैस भी आसान नहीं था. उस में भी उसे सिर खपाना पड़ता था. हालात बुरे से बुरे होते गए. अब दोनों बेटों ने घर पर शराब भी पीनी शुरू कर दी थी. रोज नईनई लड़कियां घर पर दिखाई देतीं.

नूर अगर ज्यादा जिरह करती या उन्हें कम पैसे देती तो घर की कीमती चीजें गायब होने लगतीं. अगर वह मेनगेट बंद करती तो पीछे के दरवाजे से निकल जाते. यहां तक कि उस के जेवर भी गायब होने लगे थे. जैसेतैसे उन दोनों ने ग्रैजुएशन किया और मां के सामने तन कर खड़े हो गए, ‘‘अम्मी, अब हम पढ़लिख कर इस काबिल हो गए हैं कि अपना बिजनैस संभाल सकें.’’

‘‘अच्छा, ठीक है. कल से तुम औफिस आओ. मैं देखती हूं कि तुम दोनों को क्या काम दिया जा सकता है.’’ नूर ने कहा.

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बेटी हुमा भी भाइयों से किसी तरह पीछे न थी. उस ने भी भाइयों की देखादेखी मौडर्न कल्चर सीख लिया था. रोज उस के बौयफ्रैंड बदलते थे. नूर पति के बिना अपने को बेहद अकेला और कमजोर समझने लगी थी. अब हालात उस के काबू से बाहर होते दिख रहे थे. मजबूर हो कर वह बेटी से बोली, ‘‘बेटा, जिसे तुम पसंद करती हो, उसे मुझ से मिलवाओ. अगर वह ठीक होगा तो उसी से तुम्हारी शादी कर दूंगी.’’

हुमा दूसरे दिन ही एक लड़के को ले आई, जिस का नाम अहमद था. वह शक्ल से ही मक्कार नजर आ रहा था. उस के मांबाप नहीं थे, चचा के पास रहता था. बीकौम कर के नौकरी की तलाश में था. हुमा के दोनों भाई इस लड़के से शादी के खिलाफ थे. नूर कोई नया तमाशा नहीं करना चाहती थी. उस ने बेटों को समझाया. 4 लोगों को जमा कर के बेटी का निकाह अहमद से कर दिया.

बेटी ने गरीब ससुराल जाने से साफ मना कर दिया. इसलिए अहमद भी घरजंवाई बन कर रहने लगा. असगर और सफदर तो बराबर औफिस जा रहे थे. काम भी सीख रहे थे पर पैसे मारने में कोई मौका नहीं छोड़ते थे. धीरेधीरे असगर मैनेजर की पोस्ट पर पहुंच गया. इस के बाद तो वह बड़ीबड़ी रकमों के घपले करने लगा, जिस में सफदर उस का साथ देता था. हुमा के कहने पर अहमद को भी नौकरी देनी पड़ी. हालात दिनबदिन खराब हो रहे थे. कंपनी लगातार घाटे में चलने लगी.

आगे पढ़ें- 2-3 दिन तक इस मामले को ले कर…

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‘तारक मेहता’ के ‘टप्पू -बबीता’ के डेटिंग की खबर पर वायरल हुए मीम्स, फैंस ने किया ये काम

पौपुलर कॉमेडी सीरियल ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ (Taarak Mehta Ka Ooltah Chashmah) सालों से फैंस को एंटरटेन कर रहा है. वहीं इनके किरदार घर-घर में फेमस है और बात की जाए बबीता जी और जेठालाल की जोड़ी की तो फैंस इनके दिवाने हैं. इसी बीच बबीता यानी मुनमुन दत्ता (Munmun Dutta) और टप्पू यानी राज अनादकट (Raj Anadkat) की डेटिंग की खबर ने फैंस को चौंका दिया है, जिसके चलते सोशलमीडिया पर मीम्स वायरल हो रहे हैं. आइए आपको दिखाते हैं मीम्स…

मीम्स में दिखा जेठा लाल का रिएक्शन

हाल ही में लोगों को इस बात का यकीन नहीं हो रहा है कि तारक मेहता का उल्टा चश्मा का टप्पू, बबीता जी से प्यार करने लगा है. वहीं न्यूज सामने आते ही फैंस को जेठालाल की याद आ गई है और वह सोशलमीडिया पर मजेदार मीम्स वायरल कर रहे हैं, जो तेजी से वायरल हो रहे हैं. इन फनी मीम्स में टप्पू-बबीता जी के रिलेशनशिप की खबर से जेठा का टूटता दिल नजर आ रहा है, जिसे फैंस काफी पसंद कर रहे हैं.

 

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9 साल का है एज गैप

 

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हाल ही में खबर है कि तारक मेहता की बबीता जी यानी मुनमुन दत्ता अपने 9 साल छोटे टप्पू यानी कोस्टार राज अनादकट को डेट कर रही हैं. 33 साल की मुनमुन दत्ता और 24 साल के राज अनादकट के रिश्ते की खबर जानने के बाद जहां कई फैंस मजेदार मीम्स शेयर कर रहे हैं तो वहीं कुछ लोग टप्पू को कलंक बता कर रहे हैं, जिसके चलते दोनों सोशलमीडिया पर काफी वायरल हो रहे हैं.

 

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बता दें, तारक मेहता का उल्टा चश्मा शो कई सालों से फैंस को एंटरटेन कर रहा है. वहीं बबीता जी इस शो से 10 सालों से भी ज्यादा जुड़ी हुई हैं तो वहीं टप्पू के किरदार में राज अनादकट 2017 में रिप्लेस के जरिए शो से जुड़े थे.

 

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Dementia मानसिक बीमारी या बढ़ती उम्र के साथ होने वाली एक असहजता?

डिमेंशिया कोई विशेष बीमारी नहीं है बल्कि बढ़ती उम्र के साथ भूलने की समस्या है. इस बीमारी के कुछ लक्षण इस प्रकार है जैसे :- नई बातों को याद रखने में दिक्कत होना, किसी प्रकार के तर्क को ना समझ पाना ,लोगों से मेलजोल करने में परेशानी होना ,सामान्य कार्य को करने मे दिक्कत होना ,अपनी भावनाओं को काबू न कर पाना और धीरे-धीरे रोगी के व्यक्तित्व में बदलाव होना.

डिमेंशिया के प्रकार :-

डिमेंशिया अनेक कारणों से हो सकता है जैसे कि अल्ज़ाइमर, लुई बोडीज़, वासकूलर पार्किंसन इत्यादि. इसके अलावा कुछ भी लक्षण है जैसे हाल ही में हुई किसी घटना को भूल जाना, बातचीत करने के वक्त सही शब्दों का इस्तेमाल न कर पाना, भीड़ भाड़ में जाते समय घबरा जाना, मोबाइल चलाने की समझ भूल जाना, जरूरी निर्णय न ले पाना और साधारण सी चीजों के बारे में भी जानकारी नहीं समझ पाना. कई बार देखा जाता है कि रोगी लोगों पर बहुत अधिक शक भी करने लगता है. अपने आसपास के लोगों को मारने लगता है. झूठ मूठ के इल्जाम लगाने लगता है, छोटी-छोटी बातों पर उत्तेजित होने लगता है ,दिन भर चुपचाप बैठे रहने लगता है. डिमेंशिया के कुछ मरीजों में तो कई मरीज ऐसे भी मिलते हैं जो मारपीट करने में भी नहीं झिझकते हैं.

डिमेंशिया के कौन से लक्षण किस व्यक्ति में नजर आएंगे यह इस बात पर निर्भर करता है कि उनके मस्तिष्क के किस हिस्से को नुकसान हुआ है.भारत में ज्यादातर यह समझा जाता है कि बढ़ती उम्र के साथ यह लक्षण स्वभाविक हो जाते हैं. डिमेंशिया का एक मुख्य कारण अवसाद भी हो सकता है.

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डिमेंशिया होने के कारण:-

शालीमार बाग स्थित मैक्स हॉस्पिटल के न्यूरो साइंस विभाग के प्रिंसिपल कंसलटेंट डॉ शैलेश जैन के मुताबिक मस्तिष्क हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है. लेकिन खराब लाइफस्टाइल और कई बीमारियां मस्तिष्क के लिए बड़ा खतरा बन जाती हैं.

इस बीमारी का एक मुख्य कारण निष्क्रिय या अति सक्रिय थायराइड हो सकता है क्योंकि अगर एक मरीज में यदि उसका थायराइड निष्क्रिय होगा तो उसे शॉर्ट टर्म मेमोरी लॉस हो सकता है, या वह व्यक्ति एकाग्रता से परेशान हो सकता है. इसके अलावा यदि थायराइड बहुत अधिक सक्रिय होगा तो इसकी वजह से रोगी के अंदर बेचैनी, निष्क्रिय पिट्यूटरी ग्रंथि ,यकृत और गुर्दे की बीमारियां पैदा हो सकती हैं. इस बीमारी की वजह से रोगी को ब्रेन ट्यूमर तक होने की संभावना हो सकती है और अब धीरे-धीरे विश्व भर में यह मामले तेजी से बढ़ रहे हैं हालांकि ट्यूमर को सर्जरी के बाद हटाया जा सकता है.

डिमेंशिया में सिर में चोट लगना भी एक बहुत बड़ी समस्या है. विशेषज्ञ मानते हैं कि सिर में बार-बार चोट लगने से भी याददाश्त संबंधी समस्याएं, मानसिक असंतुलन की समस्या , आसान गणित को हल करने की समस्या और खराब एकाग्रता के कारण अकेलेपन की शिकायत बढ़ने लगती है. भारत जैसे देश में हम यह मान लेते हैं कि यह बढ़ती उम्र के साथ यह चोट लगने के वजह से ऐसा होता है लेकिन यदि हम इन समस्याओं को अनदेखा करते हैं तो रोगी के स्वास्थ्य पर भी इसका बहुत अधिक बुरा प्रभाव पड़ता है.

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वृद्ध व्यक्तियों में विटामिन बी 12 की कमी होना भी चिंता की बात है, क्योंकि विटामिन B12 हमारी तांत्रिका कोशिकाओं को स्वस्थ रखने में और मेगालोब्लास्टिक एनीमिया को रोकने में मदद करता है. इसके अलावा विटामिन बी 12 तंत्रिका कोशिकाओं में मौजूद अनुवांशिक पदार्थ डीएनए बनाने के लिए भी सहायक होता है. यदि व्यक्ति के शरीर में विटामिन बी 12 की कमी होती है तो इस वजह से रोगी को अवसाद चिड़चिड़ापन दृष्टि दोष भूलने की बीमारी और एकाग्रता की समस्या आने लगती है. इस समस्या से निपटने के लिए रोगी के आहार में अंडा ,मांस, मछली शामिल करना चाहिए.

दुनियाभर मे अगले वर्ष तक लगभग डिमेंशिया से 144 लाख लोगों की प्रभावित होने की संभावना है . इस बीमारी से निपटने के लिए विशेषज्ञों की उचित सलाह लेनी चाहिए और रोगियों की उचित देखभाल करनी चाहिए.

घर पर आसानी से ऐसे बनाएं पालक के टेस्टी कोफ्ते

आजकल लोग अपने लाइफस्टाइल में हेल्दी रहने लिए कई तरह की चीजें एड करते हैं. पर वह उनके लिए हेल्दी साबित नही होती, क्योंकि वह उन चीजों को घर पर बनाने की बजाय बाजार से खरीदते हैं. जो हेल्थ के लिए बिल्कुल ठीक नहीं है. हेल्दी रहने के लिए साग खाना बेहद जरूरी है. इसीलिए आज हम आपको अपने हेल्थ को अच्छा रखने के लिए एक टेस्टी रेसिपी बनाएंगे, वो भी बिना टेस्ट से कौम्प्रमाइज किए. आजकल मार्केट में पालक, मेथी आदि खूब मिलते हैं. ऐसे में आप घर पर पालक कोफ्ता करी जरूर ट्राय करें. ये खाने में बेहद स्वादिष्ट होती है. आइए जानते हैं पालक कोफ्ता बनाने का आसान तरीका…

पालक कोफ्ता बनाने के लिए सामान

पालक – 200 ग्राम

बेसन – 1 कप

हरी मिर्च – 1 बारीक कटी

अदरक – ½ इंच टुकडा़

नमक – 1/4 छोटी चम्मच

लाल मिर्च पाउडर – 1/4 छोटी चम्मच

ग्रेवी बनाने के लिए चाहिए…

टमाटर – 4

हरी मिर्च – 2

अदरक का पेस्ट

क्रीम – ½ कप

तेल – 2-3 टेबल स्पून

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हरा धनिया थोड़ी बारीक कटी

जीरा पाउडर – ½ छोटी चम्मच

हींग – 1 पिंच

हल्दी पाउडर – ½ छोटी चम्मच

धनिया पाउडर – 1 छोटी चम्मच

लाल मिर्च पाउडर – 1/4 छोटी चम्मच

गरम मसाला -1/4 छोटी चम्मच

नमक – स्वादानुसार

पालक कोफ्ता बनाने का तरीका…

पालक के कोफ्ते बनाने के लिए सबसे पहले पालक को बारीक काट कर रखिए. एक बड़े प्याले में बेसन निकाल लीजिए और थोड़ा पानी डालते हुए गाढ़ा घोल तैयार करिए. बेसन के घोल में बारीक कटा हुआ अदरक, बारीक कटी हरी मिर्च, चौथाई छोटी चम्मच लाल मिर्च पाउडर और आधा छोटी चम्मच नमक डालकर सभी मसालों को अच्छे से मिला लीजिए. अब इसमें काट कर रखी हुई पालक डालकर अच्छी तरह मिलाइये. अब कढ़ाई में तेल डालकर गरम करिए और मिश्रण से थोड़ा मिश्रण निकाल कर कोफ्ते का आकार देते हुये तेल में डाल दीजिए. इन्हें पलट-पलट कर, ब्राउन होने तक तल लीजिए. तले हुये कोफ्ते प्लेट में निकाल कर रख लीजिए.

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पालक कोफ्ते की ग्रेवी बनाने के लिए…

कढ़ाई में 2 टेबल स्पून तेल डालकर गरम कीजिए. गरम तेल में जीरा, हींग, हल्दी पाउडर, धनिया पाउडर डालकर हल्का सा भून लीजिए. टमाटर, अदरक, हरी मिर्च का पेस्ट डालिए और मिलाइए. लाल मिर्च पाउडर डालकर मसालों को धीमी आंच पर तब तक भूनिए, जब तक मसाले के ऊपर तेल तैरता न दिखाई देने लगे. अब क्रीम डालकर लगातार चलाते हुए तब तक भूनें जब तक की मसाले में उबाल न आ जाए.

ग्रेवी में उबाल आने पर 2 कप पानी डाल दीजिए और लगातर चलाते हुए फिर से उबाल आने तक पकाएं. अब गरम मसाला, नमक और थोड़ा सा हरा धनिया डाल कर मिला दीजिए. ग्रेवी में कोफ्ते डालकर और ढक कर 2 मिनट तक धीमी आंच पर पकने दें.

अपनी तलाकशुदा पत्नी से विवाह

शायद ही कभी किसी ने देखासुना हो कि तलाक के 4 साल और अलगाव व खटपट के 12 वर्षों बाद पतिपत्नी ने दोबारा शादी कर ली. मामला कुछकुछ विचित्र किंतु सत्य है जिस के बारे में जान कर महसूस होने लगा है कि तलाक के बाद पतिपत्नियों की हालत या मानसिकता पर कोई एजेंसी अगर सर्वे व काउंसलिंग करे तो पतिपत्नी का दोबारा मिल कर उजड़ी गृहस्थी को संवार लेना एक संभव काम है.

तलाक व्यक्तिगत, कानूनी, सामाजिक, पारिवारिक हर लिहाज से एक तकलीफदेह प्रक्रिया है जिस की मानसिक यंत्रणा के बारे में शायद भुक्तभोगी भी ठीक से न बता पाएं. इस के बाद भी तलाक के मामले दिनोंदिन बढ़ रहे हैं. इस से यही उजागर होता है कि अकसर पतिपत्नी या तो गलतफहमी का शिकार रहते हैं या फिर मारे गुस्से के अपना भलाबुरा नहीं सोच पाते. तलाक में नजदीकी लोगों की भूमिका कहीं ज्यादा अहम हो जाती है जो बजाय बात संभालने के, बिगाड़ते ज्यादा हैं.

यह ठीक है कि कुछ मामलों में तलाक अनिवार्य सा हो जाता है पर अधिकांश मामलों में यह जिद व अहं का नतीजा होता है जो खासतौर से पत्नी के हक में अच्छा नहीं होता. समाज के लिहाज से यह दौर बदलाव का है जिस में महिलाएं पहले सी दोयम दरजे की नहीं रह गई हैं. वे हर स्तर पर समर्थ, सक्षम और जागरूक हुई हैं लेकिन तलाक के बाद ये सभी बातें हवा हो जाती हैं जब उन्हें अपने अकेलेपन का एहसास होता है और वे एक स्थायी असुरक्षा में जीने को मजबूर हो जाती हैं.

मुमकिन है कभीकभी उन्हें लगता हो कि तलाक बेहद जरूरी भी नहीं था. इस से बच कर तलाक के बाद की दुश्वारियों से भी बचा जा सकता था लेकिन बात ‘अब पछताए होत का जब चिडि़या चुग गई खेत’ सरीखी हो जाती है. तलाक का कागज उन्हें नए माहौल और हालत में जीना सिखा देता है, इसलिए चाह कर भी वापस नहीं मुड़ा जा सकता क्योंकि तलाक के बाद पति दूसरी शादी कर नई पत्नी के साथ शान से गुजर कर रहा होता है. वहीं, अधिकांश पत्नियां, जो भारतीय संस्कारों से ग्रस्त ही कही जाएंगी, किसी दूसरे को सहज तरीके से पति मानने या स्वीकारने के लिए खुद को तैयार या सहमत नहीं कर पातीं और जब तक खुद को तैयार कर पाती हैं तब तक उम्र का सुनहरा हिस्सा उन के हाथों से फिसल चुका होता है.

शशिकांत संग वंदना

मध्य प्रदेश के भिंड जिले के इस दिलचस्प मामले को बतौर मिसाल लिया जाए तो तलाकशुदाओं के लिहाज से यह एक अच्छी पहल सिद्ध हो सकती है. वंदना और शशिकांत की शादी साल 2001 में हुई थी. ये दोनों साधारण खातेपीते कायस्थ परिवार के हैं और दोनों के ही पिता पुलिस विभाग में नौकरी करते हैं. शादी के बाद वंदना ससुराल आई तो उसे नया कुछ खास नहीं लगा क्योंकि उस का मायका भी भिंड में ही है. संयुक्त परिवार से संयुक्त परिवार में आने से उसे तालमेल बैठाने में कोई दिक्कत पेश नहीं आई.

शशिकांत प्राइवेट नौकरी करता था. उस की कोई खास आमदनी नहीं थी. संयुक्त परिवारों में खर्चे का पता नहीं चलता, न ही कोई कमी महसूस होती. देखते ही देखते एक साल गुजर गया और वंदना ने एक बच्ची को जन्म दिया जिस का नाम घर वालों ने प्रिया रखा.

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शायद आपसी समझ का अभाव था या फिर संयुक्त परिवार की बंदिशें थीं कि दोनों एकदूसरे से असंतुष्ट रहने लगे और जल्द ही आरोपोंप्रत्यारोपों का सिलसिला शुरू हो गया जिन में कोई खास दम नहीं था. यह बात वक्त रहते दोनों समझ नहीं पाए, लिहाजा रोजरोज की खटपट शुरू हो गई. पतिपत्नी के बीच का तनाव और विवाद उजागर हुए तो दोनों के घर वालों ने दखल देते समझाया पर बजाय समझने के दोनों भड़कने लगे और आखिरकार अपना फैसला भी सुना दिया कि अब हम साथ नहीं रह सकते. लिहाजा, हमारा तलाक करा दिया जाए.

दोनों ही परिवारों की भिंड में इज्जत है, इसलिए घर वाले कतराए, लेकिन तमाम समझाइशें बेकार साबित हो चुकी थीं. दोनों कुछ समझने को तैयार नहीं थे. एक दिन वंदना प्रिया को ले कर अपने मायके चली गई तो शशिकांत ने भी आपा खो दिया और तलाक का मुकदमा दायर कर दिया.

8 साल मुकदमा चला. तारीखें पड़ीं, पेशियां हुईं और आखिरकार 2012 में तलाक यानी कानूनन विवाहविच्छेद इस शर्त पर हुआ कि पत्नी व बेटी को गुजारे के एवज शशिकांत 2 हजार रुपए महीने देगा जो कि कुछ साल उस ने दिए भी.

2014 में शशिकांत ने अदालत में एक अर्जी दाखिल कर अपनी आर्थिक स्थिति का हवाला देते भरणपोषण राशि देने में असमर्थता जताई तो अदालत ने भरणपोषण का आदेश रद्द कर दिया. अब तक घर और समाज वालों की दिलचस्पी इन दोनों से खत्म हो गई थी. वंदना मायके में थी लेकिन सहज तरीके से नहीं रह पा रही थी. उधर, शशिकांत को भी लग रहा था कि जो कुछ भी हुआ वह ठीक नहीं हुआ.

शशिकांत और वंदना दोनों कशमकश की जिंदगी जी रहे थे. बेटी प्रिया का भी कोई भविष्य नहीं था और सब से ज्यादा तकलीफदेह बात दोनों का एकदूसरे को न भूल पाना थी. झूठा अहं, गुस्सा और ठसक दम तोड़ रहे थे. दोनों को ही बराबर से समझ आ रहा था कि वे जानेअनजाने  जिंदगी की सब से बड़ी गलती या बेवकूफी कर चुके हैं, पर अब कुछ हो नहीं सकता था, इसलिए कसमसा कर रह जाते थे.

जब सब्र टूटा

बीती 9 अक्तूबर को वंदना बेटी प्रिया को ले कर भिंड के एएसपी अमृत मीणा के दफ्तर पहुंची और बगैर किसी हिचक के उन से कहा कि अब उस के सामने खुदकुशी करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है. अमृत मीणा ने सब्र से उस की पूरी बात सुनी और तुरंत शशिकांत को तलब किया. थाने में ही उन्होंने दोनों को साथ बैठा कर चर्चा की. 14 साल की होने जा रही प्रिया का हवाला दिया और जमानेभर की ऊंचनीच समझाई तो वंदना और शशिकांत हद से ज्यादा जज्बाती हो उठे और फिर से साथ रहने को तैयार हो गए.

अमृत मीणा भी अपनी पहल और समझाइश का वाजिब असर देखते उत्साहित थे. लिहाजा, उन्होंने इन दोनों की हिचक दूर करते तुरंत दफ्तर में ही उन की दोबारा शादी का इंतजाम कर डाला. दोनों 14 साल का गुबार और भड़ास निकाल चुके थे, इसलिए दोनों शादी के लिए तैयार हो गए ताकि तलाक और अलगाव का एहसास खत्म हो जाए.

एएसपी के रीडर रविशंकर मिश्रा ने पंडित की भूमिका निभाई और मंत्र पढ़ते हुए दोनों की शादी करा दी. 14 साल बाद इन पतिपत्नी ने दोबारा एकदूसरे को जयमाला पहनाई और शशिकांत वंदना को घर ले कर आ गया. बाकायदा विदाई भी हुई, अमृत मीणा अपनी गाड़ी से दोनों को घर छोड़ कर आए. बहुत कम मौकों और मामलों पर पुलिस वालों का मानवीय पहलू देखने में आता है, जो इस मामले में दिखा.

दोबारा विवाह का यह अनूठा मामला था. इस प्रतिनिधि ने बीती 25 नवंबर को वंदना और शशिकांत से बात की. दोनों खुश थे. वे बीती बातें नहीं करना चाहते थे जिन में उन्होंने बेहद तनाव झेला था. वंदना की चहक और शशिकांत की परिपक्वता बता रही थी कि वे इस नई जिंदगी से खुश हैं और चाहते हैं कि दूसरे तलाकशुदा पतिपत्नी भी गुस्सा और पूर्वाग्रह छोड़ कर शादी करें. अगर वे ऐसा करते हैं तो पहले जो खो चुके हैं उसे वे मय ब्याज के हासिल कर सकते हैं.

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जल्दबाजी, गुस्सा, अहं, जिद और अपनों के ही भड़काने पर पतिपत्नी तलाक तो ले लेते हैं पर इन में से अधिकांश बाद में पछताते हैं. वजह, दूसरी शादी आसान नहीं होती और अगर हो भी जाए तो तलाक का धब्बा सहज तरीके से जीने नहीं देता और इस पर भी, दूसरे जीवनसाथी के मनमाफिक होने की गारंटी नहीं रहती.

तो फिर तलाक के बाद क्यों न पहले जीवनसाथी की तरफ सुलह का हाथ बढ़ाया जाए, इस अहम सवाल पर वंदना और शशिकांत के मामले से सोचा जाए तो बात बन सकती है.

तलाक के बाद अधिकांश पतिपत्नी अवसाद में ही जीते नजर आते हैं खासतौर से उस सूरत में जब तलाक की कोई ठोस वजह न हो. ज्यादातर तलाकों की वजह बेहद हलकी होती है. ऐसा आएदिन के मामलों से उजागर भी होता रहता है. अगर शादी के बाद एक साल या उस से भी ज्यादा का वक्त पतिपत्नी ने एकसाथ गुजारा है तो एकदूसरे को भुला देना उन के लिए आसान नहीं होता.

तलाक के पहले परिवार परामर्श केंद्र, अदालत और काउंसलर सोचने के लिए वक्त देते हैं लेकिन उस वक्त पतिपत्नी दोनों के दिलोदिमाग में इतना गुस्सा व नफरत का गुबार भरा होता है कि वे सोचते कम, झल्लाते ज्यादा हैं.

तलाक के बाद की दुश्वारियां, अकेलापन, अपनों की अनदेखी वगैरा उन्हें समझ आने लगती हैं. पर चूंकि तलाकशुदा पतिपत्नी की दोबारा शादी की पहल किसी भी स्तर पर नहीं होती, इसलिए सुलह की गुंजाइशें होते हुए भी बात नहीं बन पाती. ऐसे में जरूरत इस बात की है कि भिंड के इस प्रयोग को दोहराया जाए क्योंकि संभव है पति और पत्नी अपनी गलतियां महसूस करते हुए दोबारा साथ रहना चाहते हों.

इन 10 ब्यूटी मिस्टेक्स के ये हैं स्मार्ट सौल्यूशंस

सुंदर दिखना कौन नहीं चाहता, सुंदर दिखना हर किसी की ख्वाहिश होती है. आज हर किसी में सुंदर दिखने की होड़ लगी है. आप की खूबसूरती की सभी तारीफ करें, आप इस के प्रयास करती रहती हैं. आप की ब्यूटी को निखारने में मेकअप की अहम भूमिका होती है, लेकिन कई बार जानेअनजाने छोटीछोटी मिस्टेक्स हो जाती हैं. ये मेकअप मिस्टेक्स किसी से भी हो सकती हैं, फिर चाहे वह आप हों या आप की सहेली या फिर कोई पसंदीदा अभिनेत्री. यहां छोटीछोटी गलतियों के स्मार्ट सौल्यूशंस बता रहे हैं, मेकअप ऐक्सपर्ट्स कपिल पाठक और ऐना.

मिस्टेक 1

बेमेल रंग

बेमेल रंग जैसी मिस्टेक होना आम बात है, अकसर युवतियां चेहरे पर ध्यान देने की वजह से यह भूल जाती हैं कि गरदन व बांहों का रंग अलग है. यह देखने में बड़ा बेमेल लगता है. यह ब्रौंजर के अधिक इस्तेमाल करने से होता है.

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चेहरे के रंग से अगर आप अपनी गरदन व बांहों का मेल कराना चाहती हैं, तो ब्रौंजर को अपने फोरहैड, नोज, चीकबोंस व जौ लाइन से गरदन तक लगाएं. ध्यान रखें कि ब्रौंजर स्किन टोन से 2 शेड गहरा हो.

मिस्टेक 2

मोटा व गाढ़ा आइलाइनर लगाना

गाढ़ा व मोटा आइलाइनर हर किसी पर केकी लुक देता है. यह सिर्फ कैमरा फेस करने के लिए उपयुक्त रहता है.

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क्लासिक नैचुरल लुक पाने के लिए आप वाटर बेस्ड नैचुरल कलर वाला लाइनर चुनें. अगर आप की पलकें बड़ी हैं, तो आप थोड़ी मोटी लाइन बना सकती हैं. जिन की पलकें छोटी हों, उन्हें पतली और कोने के बाहर निकलती हुई लाइन बनानी चाहिए.

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मिस्टेक 3

आईब्रो सैटिंग्स

सही आकार होने के बावजूद भौं के बाल ठीक से कोंब न होने से खराब लगते हैं.

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लैश ब्रश या क्लीन मसकारे से भौं को ऊपर व बाहर की ओर फैलाएं ताकि वे सही शेप में नजर आएं. जो बाल अनईवन दिखें, उन पर हलका सा पानी लगा कर शेप दें. आप चाहें तो ब्रो जैल भी लगा सकती हैं.

मिस्टेक 4

चमकदार चेहरा

युवतियां दूसरों की देखादेखी अपने चेहरे पर भी ऐसा मेकअप कर लेती हैं, जो अत्यधिक चमकदार लगता है.

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मेकअप से पहले फेस प्राइमर लगाएं. उस के बाद तेलरहित बेस चुनें. बेस लगाने के बाद ट्रांसलूसैंट पाउडर से मेकअप का टचअप करें व सैट करें. फिर बाद में पाउडर न लगाएं. इस के बाद चेहरे पर ब्लौटिंग पेपर रख कर दबाएं ताकि ऐक्स्ट्रा पाउडर व औयल निकल जाए.

मिस्टेक 5

लिपस्टिक का दांतों पर लगना

लिपस्टिक लगाने के बाद हमेशा आप मिरर में देख कर स्माइल करें, ताकि आप को पता चल जाए.

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लिपस्टिक लगाने का सब से अच्छा तरीका यह है कि आप उसे हमेशा ब्रश की सहायता से लगाएं. चैक करने के लिए अपनी उंगली होंठों के अंदर ले जा कर होंठ अच्छी तरह से दबाएं ताकि ऐक्स्ट्रा लिपस्टिक आप की उंगली पर आ जाए.

मिस्टेक 6

फाउंडेशन का यूज

कभीकभार जल्दबाजी में ज्यादा फाउंडेशन लग जाता है. सूखने पर पता चलता है कि अधिक फाउंडेशन की वजह से चेहरा केकी लग रहा है.

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फेस ड्राई है तो पाउडर फाउंडेशन का यूज न करें. इस की जगह लिक्विड या क्रीमी फार्मूला यूज करें. मिक्स स्किन के लिए क्रीम टू पाउडर फाउंडेशन का यूज करें. अगर फाउंडेशन ज्यादा लग गया हो, तो गीला स्पौंज ले कर ऊपर से नीचे की ओर चेहरा साफ करें. हाथ बराबर चलाएं. टिश्यू पेपर को चेहरे पर रख कर हलका सा दबाएं. ऐसा करने से ऐक्स्ट्रा फाउंडेशन क्लीन हो जाएगा.

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मिस्टेक 7

गाढ़ा आई मेकअप

क्या आप को पता है कि डार्क आई मेकअप आप की आंखों को और छोटा कर देता है. रात की पार्टी के लिए स्मोकी आई लुक सब से ज्यादा पसंद किया जाता है. यह आंखों के आसपास के भाग को काला कर देता है, जिस से आंखों का सफेद हिस्सा दिखाई नहीं देता और यह आंखों को भी छोटा दिखाता है.

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आम धारणा है कि स्मोकी आई लुक ब्लैक शैडो से ही मिल पाता है, लेकिन ऐसा नहीं है. इस की जगह ग्रे व ब्लू शेड भी बेहतरीन लुक देते हैं. सब से पहले अपनी निचली और ऊपरी पलकों पर ब्लैक आइलाइनर लगाएं. अब पलकों पर ग्रे शैडो अप्लाई करें और एक पतले आइलाइनर ब्रश से उसे पलकों पर फैलाएं. अच्छी तरह से ब्लेंड करें ताकि लाइन नजर न आए. अब भीतरी कोनों पर व्हाइट सिमरी शैडो लगाएं.

मिस्टेक 8

गलत है वैक्सिंग का तरीका

कभीकभी वैक्सिंग से त्वचा काली पड़ जाती है और शरीर पर दाने उभर आते हैं, वैक्सिंग करने का यह तरीका काफी नुकसानदायक है.

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गरम वैक्स से बालों को निकालना दुखदायी तो होता है, पर तब जब वैक्स जरूरत से ज्यादा गरम हो जाए, यह स्किन को बर्न कर दागधब्बे छोड़ देता है इसलिए वैक्स को सही टैंपरेचर पर गरम करें.

मिस्टेक 9

ब्यूटी मास्क

होममेड ब्यूटी मास्क से कभीकभी स्किन पर रैशेज भी आ जाते हैं.

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होममेड ब्यूटी मास्क तो होम व नैचुरल चीजों को मिला कर ही तैयार किया जाता है. पर फिर भी स्किन में रैशेज की वजह बन जाता है. ऐसे में साफ कपड़े को दूध में भिगो कर उन जगहों पर लगाएं. इस से स्किन पर होने वाली इरिटेशन कम होगी.

मिस्टेक 10

ग्लौसी लिप्स

इस से बचने के लिए मेगा शाइन लिपग्लौस चुनें.

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ज्यादा लिपग्लौस न लगाएं. अगर यह आप के होंठों से बाहर आने लगे तो इसे दोबारा यूज न करें. टिश्यू पेपर को होंठों पर रख कर हलके से दबाने पर यह अपनेआप फैल जाएगा.

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Couples के लिए जन्नत से कम नहीं है ऊटी, ये है बेस्ट Honeymoon Spot

शिमला में बर्फ पड़ते ही ज्यादातर लोग शिमला में स्नोफौल देखने की प्लानिंग करते हुए नजर आते हैं. ऐसे में सीजन में घाटा उठा रहा शिमला टूरिज्म फिर से गुलजार हो गया है. लेकिन दूसरी तरफ शिमला जाने वाले लोगों की संख्या एकाएक बढ़ गई है.

अगर आप भी शिमला घूमने का प्लान बना रही हैं, तो वहां जाने से पहले अपनी विश लिस्ट थोड़ी बढ़ा लीजिए, क्योंकि वहां आपको काफी भीड़ मिल सकती है.

आइए, हम आपको शिमला की तरह ही खूबसूरत एक और जगह के बारे में बताते हैं. ऊटी एक ऐसी खूबसूरत जगह जिसे कपल्स की फेवरेट हनीमून डेस्टिनेशन माना जाता है. आइए, जानते हैं क्या है यहां खास.

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यह दक्षिण भारत का प्रमुख हिल स्टेशन है, जो हनीमून हौट स्पौट के रूप में भी प्रसिद्ध है. यह शहर तमिलनाडु के नीलगिरी जिले का एक भाग है. ऊटी शहर के चारों ओर स्थित नीलगिरी पहाड़ियों के कारण इसकी सुंदरता बढ़ जाती है. इन पहाड़ियों को ब्लू माउन्टेन (नीले पर्वत) भी कहा जाता है. कुछ लोगों का ऐसा विश्वास है कि इस स्थान का नाम यहां की घाटियों में 12 वर्ष में एक बार फूलने वाले कुरुंजी फूलों के कारण पड़ा. ये फूल नीले रंग के होते हैं तथा जब ये फूल खिलते हैं तो घाटियों को नीले रंग में रंग देते हैं.

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क्या है खास

बोटेनिकल गार्डन, डोडाबेट्टा उद्यान, ऊटी झील, कलहट्टी प्रपात और फ्लौवर शो आदि कई कारण हैं जिनके लिए ऊटी पूरे विश्व में मशहूर है. एवलेंच, ग्लेंमोर्गन का शांत और प्यारा गांव मुकुर्थी राष्ट्रीय उद्यान आदि ऊटी के कुछ प्रमुख पर्यटन स्थल हैं.

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कैसे पहुंचे

ऊटी का नजदीकी एयरपोर्ट कोयंबटूर 89 किलोमीटर दूर है. मुंबई, कालीकट, चेन्नई व मदुरै के लिए यहां से नियमित उड़ानें हैं. चेन्नई व कोयंबटूर से ट्रेनें भी हैं. बस-टैक्सी लेकर मदुरै,  तिरुअंनतपुरम, रामेश्वरम, कोच्चि, कोयंबटूर से यहां पहुंचा जा सकता है.

अगर आप भी अपने पार्टनर के साथ किसी खास जगह पर घूमना चाहते हैं, तो ये जगह आपके लिए परफेक्ट डेस्टिनेशन साबित हो सकती है.

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झूठ से सुकून: शशिकांतजी ने कौनसा झूठ बोला था

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जानें कैसा हो आपका Party आउटफिट्स

पार्टी की बात आते ही युवतियों के चेहरे खिल उठते हैं, क्योंकि जहां पार्टी मस्ती का दूसरा नाम है वहीं उन्हें पार्टी में न्यू ड्रैसेज पहनने का मौका जो मिलता है. ऐसे में अगर आप पार्टी में गौर्जियस लुक के साथ ऐंट्री करना चाहती हैं तो जानें किस पार्टी में कैसी हो आप की ड्रैस ताकि आप सैंटर औफ अट्रैक्शन बन जाएं.

वैडिंग पार्टी

चाहे फैमिली वैडिंग फंक्शन हो या फिर फ्रैंड की वैडिंग, ऐक्साइटमैंट तो होती ही है. ऐसे में यदि अवसर के हिसाब से ड्रैस हो, तो कहना ही क्या. और आजकल वैडिंग पार्टी के लिए लौंग गाउन से बैस्ट कुछ है ही नहीं, जो आप को मौडर्न लुक देने का काम करेगा. यह आप पर डिपैंड करता है कि आप स्लीवलैस गाउन कैरी करना चाहती हैं या फिर स्लीव के साथ. यह इतना कंफर्टेबल है कि आप इसे पहन कर पार्टी एंजौय कर सकती हैं.

साथ ही, आप इस मौके पर साड़ी पहन कर भी हौटैस्ट दिख सकती हैं. बस, जरूरत है कि सही साड़ी चूज करने की, जैसे शिफौन की साडि़यां काफी अच्छा गैटअप देती हैं. वहीं, आजकल नैट वाली साडि़यां भी डिमांड में हैं. इस पर पट्टी व स्ट्रिप वाले ब्लाउज पहन कर आप और भी हौट दिख सकती हैं.

कैसे हो ऐक्सैसरीज

यदि आप का गाउन या साड़ी हैवी है तो आप को गले में सिर्फ पतली चैन ही कैरी करनी है. गाउन या साड़ी के साथ कौलर नैकलेस और कड़ा स्टाइल ब्रैसलेट डालें. इस के साथ पैंसिल हील आप की ग्रेस बढ़ाने का काम करेगी.

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फैमिली गेटटूगेदर

फैमिली गेटटूगेदर मतलब डबल मस्ती और फुल कंफर्ट. ऐसे मौके पर आप को ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं. बस, रेडी रहें, सनड्रैस, स्कर्ट और पैंट विद मिनी टौप के साथ, जो आप को वियर करने में भी इजी रहेंगे और कूल एहसास भी दिलवाएंगे. आप देखने वालों की नजरों में भी छा जाएंगी.

ऐक्सैसरीज हो स्मार्ट

सनड्रैस के साथ एथनिक ज्वैलरी आप के लुक में जहां चारचांद लगाएगी, वहीं स्कर्ट और पैंट के साथ सिर्फ हैंड ऐक्सैसरीज पहन कर आप खुद को ओवर लुक दे सकती हैं. दोनों ही ड्रैसेज के साथ हाईहील जंचेगी.

बर्थडे पार्टी

बर्थडे पार्टी के बहाने जब फ्रैंड्स से मिलने की बात हो तो आप खुद को सब से खूबसूरत दिखने में पीछे नहीं रहेंगी. ऐसे में आप मिनी, स्लिप ड्रैस, ह्यूब ड्रैस, कैप्री, प्लाजो विद कुरती पहन कर खुद को दें प्रिटी लुक ताकि आप के फ्रैंड्स आप को देख कर यह कहने से न रहें कि तुम तो बहुत ही सैक्सी लग रही हो.

ऐक्सैसरीज से नो कौंप्रोमाइज

इन ड्रैसेज के साथ आप हैंगिंग इयररिंग्स, एथनिक रिंग्स और सैंडिल्स में रौप सैंडिल्स, टिपटौप सैंडिल्स, किटन हील्स पहन सकती हैं.

किट्टी पार्टी

किटी पार्टी मतलब ट्रैंडी लुक, जहां खाने की ढेरों वैराइटियों का लुत्फ उठाने का मौका तो मिलता ही है, साथ ही, इस मौके पर एकदूसरे के आउटफिट्स भी देखने लायक होते हैं. ऐसे में यदि आप भी अपने गु्रप में अलग दिखना चाहती हैं तो स्कर्ट, प्लाजो टौप, फ्रौक, फ्रौक स्टाइल कुरती पहन कर किटी पार्टी में खुद को यूनीक दिखाने में पीछे न रहें. इन के साथ पंपस हील्स का कौंबिनेशन मस्त लगेगा.

कालेज फैस्ट

युवतियां कालेज फैस्ट को ले कर काफी क्रेजी रहती हैं. इस के लिए वे कई दिनों पहले से ही खुद को संवारने की तैयारी शुरू कर देती हैं, क्योंकि भले ही सब उन के फ्रैंड्स हैं, लेकिन इस मौके पर कोई उन की तारीफ न कर के उन के फ्रैंड्स की तारीफ करे तो यह उन्हें बिलकुल गवारा नहीं. ऐसे में मार्केट में क्या लेटैस्ट व यूनीक आउटफिट मौजूद है, इस पर उन की नजर रहती है. यदि आप भी अपने कालेज फैस्ट में वाहवाही लूटना चाहती हैं तो इस बार स्लिप व नैट ड्रैस, मिनी विद शौर्ट टौप, ब्लैक लौंग गाउन के साथ पार्टी में ऐंट्री कीजिए फिर देखिए अच्छेअच्छे आप के दीवाने हो जाएंगे.

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ऐक्सैसरीज भी हो स्मार्ट

आप इन आउटफिट्स के साथ हैवी पैंडेंट वाली चेन ट्रैंडी ज्वैलरी पहन सकती हैं और हाई हील तो आप की ड्रैस में चारचादं लगाएगी ही, इसलिए हाई हील कैरी करना न भूलें.

आउटिंग

फैमिली या फ्रैंड्स के साथ आउटिंग पर जाना किसी पार्टी को एंजौय करने से कम नहीं होता. ऐसे में अगर आप आउटिंग पर गोवा वगैरा जाने का मूड बना रही हैं तो शौर्ट्स के साथ शौर्ट टौप, जिस में टमी भी दिखें, आप को काफी सैक्सी फील करवाएगी. इस आउटफिट में आप बीच पर भी काफी कंफर्टेबल हो कर एंजौय कर पाएंगी. इस के साथ आप फ्लैट चप्पल व ब्रैसलेट भी वियर करें. तो बहुत ही स्मार्टी लुक पा सकती हैं.

लेकिन, ध्यान रखें कि ड्रैस के हिसाब से ही आप का मेकअप व हेयरस्टाइल हो, तभी आप के आउटफिट्स निखर कर आ पाएंगे.

अधूरा सा इश्क: क्या था अमन का फैसला

लेखिका- डा. रंजना जायसवाल

यादों के झरोखे पर आज फिर किसी ने दस्तक दी थी. न चाहते हुए भी अमन का मन उस और खींचता चला गया. अपनी बेटी का आंसुओं से भीगा हुआ चेहरा उसे बारबार कचोट रहा था.

“विनय, मुझे माफ कर दो, मैं तुम से शादी नहीं कर सकती. मैं अपने पापा को धोखा नहीं दे सकती. मैं उन का गुरूर हूं…उन के भरोसे को मैं तोड़ नहीं सकती. हो सके तो मुझे माफ कर देना.”

देर रात श्रेया के कमरे की जलती हुई लाइट को देख अमन के कदम उस ओर बढ़ गए थे. श्रेया की हिचिकियों की आवाजें बाहर तक आ रही थीं. अमन दरवाजे पर कान लगाए खड़ा था. फोन पर उधर किसी ने क्या कहा अमन यह तो नहीं सुन पाया पर श्रेया के शब्द सुन कर उस के पैर कमरे के बाहर ही जम गए. कितना गुस्सा आया था उसे…पिताजी के खिलाफ जा कर उस ने श्रेया का कालेज में दाखिला कराया था और वह…

“आग और भूसे को एकसाथ नहीं रखा जाता. वैसे भी इसे दूसरे घर जाना है. कल कोई ऊंचनीच हो गई तो मुझ से मत कहना.”

अपने बाबा की बात सुन श्रेया संकोच और शर्म से गड़ गई थी. तब अमन ने कितने विश्वास के साथ कहा था,”पिताजी, मुझे श्रेया पर पूरा भरोसा है. वह मेरा सिर कभी झुकने नहीं देगी.”

श्रेया रोतेरोते सो गई. अमन उसे सोता हुआ देख रहा था. उस की छोटी सी गुड़िया कब इतनी बड़ी हो गई… तकिया आंसुओं से गीला हो गया था. बिस्तर के बगल में रखे लैंप की रौशनी में उस का मासूम चेहरा देख अमन का कलेजा मुंह को आ गया. कितना थका सा लग रहा था उस का चेहरा मानों वह मीलों का सफर तय कर के आई हो. कितनी मासूम लग रही थी वह.

उस की श्रेया किसी लड़के के चक्कर में…अभी उस ने दुनिया ही कहां देखी है? आजकल के ये लड़के बाप के पैसों से घुमाएंगेफिराएंगे और फिर छोड़ देंगे. श्रेया के मासूम चेहरे को देख अमन को किसी की याद आ गई. सच मानों तो इतने सालों के बाद भी वह उस चेहरे को भूल नहीं पाया था.

उसे लगा आज किसी ने उसे 25 साल पीछे ला कर खड़ा कर दिया हो. न जाने कितनी ही रातें उस ने उस के खयालों में बिता दी थीं. उस के जाने से कुछ नहीं बदला था, रात भी आई थी…चांद भी आया था पर बस नींद नहीं आई थी.

कितनी बार…हां, न जाने कितनी ही बार वह नींद से जाग कर उठ जाता.तब एक बात दिमाग में आती, जब खयाल और मन में घुमड़ते अनगिनत सवाल और बवाल करने लगे तब तुम आ जाओ. तुम्हारा वह सवाल जनून बन जाएगा और बवाल जीवन का सुकून…आज सोचता हूं तो हंसी आती है. बावरा ही तो था वह…बावरे से मन की यह न जानें कितनी बावरी सी बातें थीं. कोई रात ऐसी नहीं थी जब वह साथ नहीं होती. हां, यह बात अलग थी कि वह साथ हो कर भी साथ नहीं होती. अमन को कभीकभी लगता था कि उस के बिना तो रात में भी रात न होती. शायद इसी को तो इश्क कहते हैं… इतने साल बीत जाने पर भी वह उस को माफ नहीं कर पाया था.

सच कहा है किसी ने मन से ज्यादा उपजाऊ जगह कोई नहीं होती क्योंकि वहां जो कुछ भी बोया जाए उगता जरूर है चाहे वह विचार हो, नफरत हो या प्यार. कुछ ख्वाहिशें बारिश की बूंदों की तरह होती हैं जिन्हें पाने की जीवनभर चाहत होती है. उस चाहत को पाने में हथेलियां तो भीग जाती हैं पर हाथ हमेशा खाली रहता है. उस का प्यार इतना कमजोर था कि वह हिम्मत नहीं कर पाई. बस, कुछ सालों की ही तो बात थी…

“कैसी लग रही हूं मैं..?” खुशी ने मुसकराते हुए अमन से पूछा था. अमन उस के चेहरे में खो सा गया था. लाल सुर्ख जोड़े और मेहंदी लगे हाथों में वस और भी खूबसूरत लग रही थी. वह उसे एकटक देखता रहा और सोचता रहा कि मेरा चांद किसी और की छत पर चमकने को तैयार था.

“तुम हमेशा की तरह खूबसूरत…बहुत खूबसूरत लग रही हो.”

“सच में…”

“क्या तुम्हें मेरी बात पर भरोसा नहीं, कोई गवाह चाहिए तुम्हें…”

अमन की आंखों में न जाने कितने सवाल तैर रहे थे. ऐसे सवाल जिन का जवाब उस के पास नहीं था. खुशी ने अचकचा कर अपनी आंखें फेर लीं और भरसक हंसने का प्रयास करने लगी. अमन उस मासूम हंसी को कभी नहीं भूल सकता था. न जाने क्या सोच कर वह एकदम से चुप हो गया. उस समय वे दोनों कमरे में अकेले थे. बारात आने वाली थी.सब तैयारी में इधरउधर दौड़भाग रहे थे. कमरे में एक अजीब सा सन्नाटा पसरा हुआ था.

शायद बारात आ गई थी. भीड़ का शोर बढ़ता जा रहा और खुशी के चेहरे पर बेचैनी भी…वह तेजी से अपनी उंगलियों में दुपट्टे को लपेटती और फिर ढीला छोड़ देती. कुछ था जो उस के हाथों से छूटने जा रहा था पर….खुशी सोच रही थी कि माथे का सिंदूर रिश्ते की निशानी हो सकती है पर क्या प्यार की भी? तब खुशी ने ही बोलना शुरू किया, “अमन, शायद तुम्हें मुझ से, अपने जीवन से शिकायत हो. शायद तुम्हें लगे कुदरत ने हमारा साथ नहीं दिया पर एक बार खिड़की से बाहर उन चेहरों को देखो जो मेरी खुशी के लिए कितने दिनों से दौड़भाग रहे हैं. मेरे पापा से मिल कर देखो, खुशी उन की आंखों से बारबार छलक रही है और मेरी मां… वह भी कितनी खुश है.

“क्या अगर आज हम ने उन की मरजी के खिलाफ जा कर चुपचाप शादी कर ली होती, इतने लोगों को दुख पहुंचा कर हम नए जीवन की शुरुआत कर पाते? तुम्हें शायद मेरी बातें आज न समझ में आए पर एक न एक दिन तुम्हें लगेगा कि मैं गलत नहीं थी. हो सके तो मुझे भूल जाना…”

“भूल जाना…” आसानी से कह दिया था खुशी ने यह सब पर क्या यह इतना आसान था? अमन मुसकरा कर रह गया. उस की मुसकराहट में खुशी को न पा पाने का गम, अपने बेरोजगार होने की मजबूरी बारबार साल रही थी. आज खुशी जिन लोगों का दिल रखने की कोशिश कर रही थी, क्या किसी ने उस का दिल रखने की कोशिश की? खुशी की बहनें जयमाल के लिए खुशी को ले कर चली गईं. अमन काफी देर तक उस स्थान को देखता रहा जहां खुशी बैठी थी. उस के वजूद की खुशबू वह अभी तक महसूस कर रहा था.

खुशी सिर्फ उस के जीवन से नहीं जा रही थी, उस के साथ उस की खुशियां, उस के होने का मकसद को भी ले कर चली गई थी. वह तेजी से उठा और भीड़ में गुम हो गया.

“अरे अमन, वहां क्यों खड़े हो? यहां आओ न… फोटो तो खिंचवाओ,” खुशी की मां ने हुलस कर कहा और वह झट से दोस्तों के साथ मंच पर चढ़ गया. न जाने क्यों खुशी का चेहरा उतर गया था. एक अजीब सा तनाव और गुस्सा अमन के चेहरे पर था, जैसे किसी बच्चे से उस का पसंदीदा खिलौना छीन लिया गया हो. अमन खुशी के पति के पीछे जा कर खड़ा हो गया, जैसे वह खुद को बहला रहा था. जिस जगह पर आज खुशी का पति बैठा है इस जगह पर तो उसे होना चाहिए था.

आज उस का मन यादों के भंवर में घूम रहा था. याद है, आज भी उसे खुशी से वह पहली मुलाकात… फरवरी की गुलाबी ठंड शीतल हवा के झोंके चेहरे से टकरा कर एक अजीब सी मदहोशी में डुबो रहे थे. बादलों से झांकता सूरज बारबार आंखमिचौली कर रहा था.

तभी सामने से आती एक सुंदर सी लड़की जिस ने पीले सलवारकमीज पर चांदी की चूड़ियां डाल रखी थीं, उस पर नजरें टिक गईं. हाथ की कलाई में बंधी घड़ी को उस ने बेचैनी से देखा. शायद उसे क्लास के लिए आज देर हो गई थी. उस के चेहरे पर बिखरी हुई लटें किसी का भी मन मोह लेने में सक्षम थी, हर पल उस के कदम अमन की ओर बढ़ते जा रहे थे और उस के हर बढ़ते हुए कदम के साथ अमन का दिल जोरजोर से धङकने लगा था. सांसें थम सी गई थीं, चेहरा घबराहट से लाल हो गया था. शायद यह उम्र का असर था या फिर कुछ और, उस की निगाहों की कशिश उसे अपनी ओर खींचने को मजबूर करती थीं. उसे रोज देखने की आदत न जाने कब मुहब्बत में बदल गई.

वे घंटों एकदूसरे के साथ सीढ़ियों पर बैठे रहते थे, उन के मौन के बीच भी कोई था जो बोलता था. एकदूसरे का साथ उन्हें अच्छा लगता था. आज भी उस रास्ते से जब वह गुजरता तो लगता वह उन सीढ़ियों पर बैठा उस का इंतजार कर रहा है और वह अपनी सहेलियों के बीच घिरी कनखियों से उस के चेहरे को पढ़ने की कोशिश कर रही है.

यहीं…हां, यहीं तो उस ने अपनी शादी का कार्ड पकड़ाया था. न जाने क्यों उस की बोलती और चमकती आंखों में लाल डोरे उभर आए थे. कुछ खोईखोई सी लग रही थी वह… उस दिन भी तो उस ने उस का पसंदीदा रंग पहन रखा था. यह इत्तिफाक था या फिर कुछ और वह आज तक समझ नहीं पाया…

हाथों में वही चांदी की चूड़ियां… लाल सुर्ख कार्ड को उस ने अपनी झुकी पलकों और कंपकंपाते हाथों के साथ अमन को पकड़ाया. पता नहीं वह भ्रम था या फिर कुछ और… उस के गुलाबी होंठ कुछ कहने के लिए फड़फड़ाए थे पर…हिरनी सी चंचल आंखों से में एक अजीब सा सूनापन था. खालीपन तो उस की आंखों में भी था…

“आओगे न…” इन 2 शब्दों ने उस के कानों तक आतेआते न जाने कितने मीलों का सफर तय किया था. सच ही तो है, हम सब एक सफर में ही तो हैं.

“तुम…तुम सचमुच चाहती हो मैं आऊं?”

आंसू की 2 बूंदें उस कार्ड पर टप से टपक पङे और वह मेरे बिना कोई जवाब दिए दूर बहुत दूर चली गई. कितना गुस्सा आया था उस दिन… एक बार… हां, एक बार भी नहीं सोचा उस ने मेरे बारे में…क्या वह मेरा इंतजार नहीं कर सकती थीं? कितनी शामें मैं ने उस की उस पसंदीदा जगह पर इंतजार किया था पर वह नहीं आई. शायद उसे आना भी नहीं था. खिड़की से झांकता पेड़ मुझ से बारबार पूछता कि क्या वह आएगी? पर नहीं, पार्क में पड़ी लकड़ी की वह बैंच…

आज भी उस बैंच पर गुलमोहर के फूल गिरते हैं, जिन्हें वह अपने नाजुक हाथों में घुमाघुमा अठखेलियां करती थी. बारिश की बूंदें जब उस के चेहरे को छू कर मिट्टी में लोट जाती तब वह उस की सोंधी खुशबू से पागल सी हो जाती. बरगद का वह विशाल पेङ जहां वह अमन के साथ घंटों बैठ कर भविष्य के सपने बुनती, आज भी उस का इंतजार कर रहा था. अपनी नाजुक कलाइयों से वह उस विशाल पेङ को बांधने का निर्रथक प्रयास करती, उस का वह बचपना आज भी अमन को गुदगुदा देता.

अमन सोच रहा था कि शब्द और सोच इंसान की दूरियां बढ़ा देते हैं और कभी हम समझ नहीं पाते और कभी समझा नहीं पाते. कल वह खुशी को समझ नहीं पाया था और आज वह श्रेया को नहीं समझ पा रहा. उस ने तो सिर्फ उतना ही देखा और समझा जितना वह देखना और समझना चाहता था. जिंदगीभर उसे खुशी से शिकायतें रहीं पर एक बार भी उस ने यह सोचा कि खुशी को भी तो उस से शिकायतें हो सकती हैं? वह भी तो उस के पिता से मिल कर उन्हें समझा सकता था? खुशी का दिया जख्म उसे आज तक टीस देता था पर आज श्रेया के प्यार के बारे में जान कर भी वह कुछ नहीं करेगा?

क्या उस नए जख्म को बरदाश्त कर पाएगा? खुशी और श्रेया न जाने क्यों उसे आज एक ही नाव पर सवार लग रहे थे, जो दूसरों का दिल रखने के चक्कर में अपना दिल रखना कब का भूल चुके थे.

सच कहा था उस दिन खुशी ने कि एक दिन मुझे उस की बातें समझ में आएंगी. अमन की आंखें बोझिल हो रही थीं, वह थक गया था अपने विचारों से लड़तेलड़ते…उस की पत्नी नींद के आगोश में थी. अमन खिड़की के पास आ कर खड़ा हो गया. बाहर तेज बारिश हो रही थी. हवा के झोंके ने अमन के तन को भिगो दिया. पानी की तेज धार में पत्ते धूल गए थे और कहीं न कहीं अमन की गलतफहमियां भी… वह निश्चय कर चुका था कि बेशक उस की जिंदगी में खुशी नहीं आ पाई थी मगर मेरी श्रेया किसी की नफरत का शिकार नहीं बनेगी…वह कल ही उस से बात करेगा.

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