सुपरमॉडल से कम नहीं है करण और प्रीता की बेटी, Kundali Bhagya में जीत रही है फैंस का दिल

सीरियल कुंडली भाग्य की कहानी में मेकर्स नया ट्विस्ट लाए हैं, जिसके चलते शो में करण लूथरा की बेटी पीहू की एंट्री हुई है. वहीं फैंस को ये नई एंट्री काफी पसंद आती है. लेकिन क्या आपको पता है रियल लाइफ में कुंडली भाग्य में पीहू के किरदार में नजर आने वाली चाइल्ड आर्टिस्ट स्वर्णा पांडे फैशन के मामले में प्रीता यानी श्रद्धा आर्या को टक्कर देती हैं. आइए आपको दिखाते हैं फोटोज…

Modeling करती हैं स्वर्णा

 

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फैंस को जानकर हैरानी होगी कि करण लूथरा और प्रीता की बेटी पीहू यानी स्वर्णा पांडे एक नन्हीं मॉडल हैं, जिसका सबूत उनके सोशलमीडिया की फोटोज को देखकर लगाया जा सकता है.

5 साल की उम्र में दिखती हैं स्टाइलिश

 

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पांच साल की उम्र में स्वर्णा पांडे फैशन क्वीन हैं, जिसका अंदाजा उनके सोशलमीडिया के अकाउंट को देखकर लगाया जा सकता है. एक से बढ़कर एक लुक में स्वर्णा फैंस का दिल जीतती है. नए- नए स्टाइल में स्वर्णा पांडे शो की लीड एक्ट्रेस श्रद्धा पांडे को टक्कर देती नजर आती हैं.

 

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सेट पर भी दिखता है स्टाइलिश अंदाज

 

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सीरियल ‘कुंडली भाग्य’ के सेट पर स्वर्णा पांडे खूब मस्ती करती हैं, जिसकी वीडियो और फोटोज वह सोशलमीडिया पर शेयर करती हैं. हाल ही में स्वर्णा पांडे अपने औनस्क्रीन पापा करण और सेट के दूसरे सितारों के साथ सेट पर मस्ती करती दिखीं थीं. इस दौरान स्वर्णा के लुक ने फैंस को काफी एंटरटेन किया था.

 

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क्यूटनेस में देती हैं स्टारकिड्स को टक्कर

 

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सोशलमीडिया फोटोज को देखकर पीहू यानी स्वर्णा पांडे का क्यूट अंदाज फैंस को दिल जीतता है. वहीं फैंस उन्हें स्टारकिड्स से तुलना करते हुए नजर आते हैं. फैंस का मानना है कि स्वर्णा पांडे बार्बी डौल की तरह है, जो सभी का दिल जीतते हैं.

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बेरुखी : भाग 3- आखिर कौन था रमेश का हत्यारा

इंसपेक्टर शर्मा चौंके. नरेश से उस का क्या संबंध था, जो वह उस की मौजूदगी में भी उस के फ्लैट में पूरी रात रुकता था. लेकिन कोई आदमी भला किसी गैरमर्द को कैसे अपने फ्लैट में पूरी रात रुकने देगा? यह बात उन की समझ में नहीं आई. बस इतना ही समझ में आया कि किसी बात पर दोनों में तकरार हुई होगी, जिस की वजह से नरेश को जान गंवानी पड़ी. तकरार की वजह रुपया भी हो सकता था और ऐश्वर्या की खूबसूरती भी.

अब इंसपेक्टर शर्मा के सामने चुनौती थी सलीम का पता लगाना. वह भी इस तरह कि ऐश्वर्या को पता न लग सके. इंसपेक्टर शर्मा गार्ड को साथ ले कर वाराणसी आ गए. काफी सोचविचार कर उन्होंने एक चाल चली. वह सीधे ऐश्वर्या के फ्लैट पर पहुंचे और उसे बताया कि खूनी का पता चल गया है. एकदम से चौंक कर ऐश्वर्या ने पूछा, ‘‘कैसे, कौन है हत्यारा?’’

‘‘आप की कागज वाली बात सच निकली. मांगी गई रकम न मिलने पर नरेश के औफिस के एक कर्मचारी ने उस की हत्या की है.’’ झूठ बोल कर इंसपेक्टर शर्मा ऐश्वर्या के चेहरे पर आनेजाने वाले भावों को पढ़ने की कोशिश करते रहे. उन्होंने देखा, ऐश्वर्या के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच आई थीं. उन्होंने पूछा, ‘‘कातिल के पकड़े जाने से आप खुश नहीं हैं क्या?’’

‘‘क्यों नहीं, मैं तो बहुत खुश हूं.’’ ऐश्वर्या ने कहा, ‘‘क्या आप ने उस कर्मचारी को गिरफ्तार कर लिया है?’’

‘‘नहीं, वह फरार है.’’ इंसपेक्टर शर्मा ने कहा. इस तरह उन्हें आगे की जांच के लिए समय मिल गया. इस के बाद उन्होंने सादे कपड़ों में ऐश्वर्या के घर की निगरानी के लिए सिपाहियों को लगा दिया. अगले दिन ही दोपहर के आसपास ऐश्वर्या अपने फ्लैट से निकली और मुख्य सड़क पर आ कर एक जगह खड़ी हो गई. थोड़ी देर में काले रंग की एक कार आई, जिस पर बैठ कर वह चली गई. कार में कौन था, यह सिपाही नहीं देख पाया. लेकिन उस कार का नंबर उस ने नोट कर लिया था. नंबर से पता चला कि वह कार किसी सलीम की थी. इस तरह सलीम का पता चल गया.

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अब इंसपेक्टर शर्मा को गार्ड से उस की शिनाख्त करानी थी. वह गार्ड को अपनी कार में बैठा कर उसी जगह खड़े हो गए, जहां एक दिन पहले ऐश्वर्या कार पर सवार हुई थी. थोड़ी देर में वह कार आई तो गार्ड ने सलीम की पहचान कर दी. अगले दिन इंसपेक्टर शर्मा ऐश्वर्या के फ्लैट पर पहुंचे. जब उन्होंने उस से सलीम के बारे में पूछा तो वह सकते में आ गई. उस ने हकलाते हुए कहा, ‘‘सलीम मेरा भाई है.’’

‘‘कहां रहता है?’’

‘‘भदोही में.’’ ऐश्वर्या ने कहा.

ऐश्वर्या इस बात की सूचना सलीम को दे सकती थी, इसलिए इंसपेक्टर शर्मा ने पहले ही अपनी एक टीम वहां भेज दी थी. वह ऐश्वर्या के घर से सीधे निकले और सलीम के घर की ओर चल पड़े. पता उन के पास था ही. भदोही पहुंच कर उस की आलीशान कोठी देख कर वह दंग रह गए. उन्होंने गार्ड से सलीम के बारे में पूछा तो उस ने बताया कि वह तो औफिस में है. पता ले कर इंसपेक्टर औफिस पहुंचे तो वहां वह मिल गया. उन्होंने सीधे पूछा, ‘‘रुखसाना उर्फ ऐश्वर्या से आप का क्या संबंध है?’’

‘‘रुखसाना मेरे यहां रिसैप्शनिस्ट थी. 2 साल मेरे यहां काम करने के बाद उस ने किसी नरेश नाम के व्यक्ति से कोर्टमैरिज कर ली थी.’’

‘‘शादी के बाद वह कहां गई?’’

‘‘मुझे नहीं मालूम.’’

‘‘थोड़ा कोशिश कीजिए, शायद याद आ जाए.’’

‘‘वह मेरे लिए एक कर्मचारी से ज्यादा कुछ नहीं थी, इसलिए मैं उस के बारे में पता कर के क्या करूंगा?’’ कह कर सलीम ने पल्ला झाड़ना चाहा. तभी एक कर्मचारी ने अंदर आ कर उस के सामने एक पर्ची रख दी. पर्ची पढ़ कर सलीम ने कहा, ‘‘माफ कीजिए इंसपेक्टर साहब, एक जरूरी काम आ गया है, मैं अभी आता हूं.’’

कर्मचारी से चाय लाने को कह कर सलीम बाहर आया. इंसपेक्टर ने उस कंप्यूटर की स्क्रीन अपनी ओर मोड़ ली, जो सीसीटीवी कैमरे से जुड़ा था. स्क्रीन पर ऐश्वर्या उर्फ रुखसाना का चेहरा दिख रहा था. हालांकि वह बुरके में थी, लेकिन अंदर आ कर उस ने चेहरा खोल लिया था. उसे देख कर इंसपेक्टर शर्मा हैरान रह गए. उन्हें पक्का यकीन हो गया कि नरेश की हत्या के पीछे इन्हीं दोनों का हाथ है.

ऐश्वर्या ने पूछा, ‘‘इंसपेक्टर तो नहीं आया था?’’

‘‘वह अंदर बैठा है.’’ सलीम ने कहा, ‘‘उसे यहां का पता कैसे मिला?’’

‘‘मैं ने बताया है. उस से तुम्हें अपना भाई बताया है.’’

‘‘बेवकूफ, तुम ने तो सारा खेल बिगाड़ दिया.’’ सलीम फुसफुसाते हुए चीखा.

‘‘मैं ने कैसे खेल बिगाड़ दिया?’’

‘‘तुम्हें यह कहने की क्या जरूरत थी कि मैं तुम्हारा भाई हूं.’’

‘‘और क्या कहती?’’

‘‘मैं ने उसे सचसच बता दिया है कि तुम मेरे यहां रिसैप्शनिस्ट थी.’’

‘‘अब क्या होगा?’’ ऐश्वर्या बेचैनी से बोली.

‘‘अब जो भी होगा, हम दोनों झेलेंगे. फिलहाल तुम जिस तरह आई हो, वैसे ही लौट जाओ.’’ सलीम ने कहा और औफिस में आ कर बैठ गया. उस के बैठते ही इंसपेक्टर शर्मा ने कहा, ‘‘आप रुखसाना को पहचान तो सकते हैं? इस के लिए आप को मेरे साथ वाराणसी चलना होगा.’’

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‘‘मेरे पास समय नहीं है.’’

‘‘समय निकालना होगा.’’ इंसपेक्टर शर्मा ने घुड़का तो वह साथ चल पड़ा. पहले तो वह कहता रहा कि वह रुखसाना के बारे में कुछ नहीं जानता. लेकिन जब इंसपेक्टर शर्मा ने कहा कि उन के पास इस बात के सबूत हैं कि उस का रुखसाना उर्फ ऐश्वर्या से अवैध संबंध था तो वह सन्न रह गया.

थाने पहुंच कर इंसपेक्टर शर्मा ने ऐश्वर्या उर्फ रुखसाना, सलीम और गार्ड को आमनेसामने किया तो सारा रहस्य उजागर हो गया. गार्ड ने सलीम की ओर इशारा कर के कहा, ‘‘यही साहब अकसर ऐश्वर्या मैडम से मिलने देर शाम को आया करते थे.’’

अब सिवाय अपना अपराध स्वीकार करने के उन दोनों के पास कोई उपाय नहीं बचा था. सलीम और ऐश्वर्या फंस चुके थे. अब इंसपेक्टर शर्मा यह जानना चाहते थे कि ऐश्वर्या उर्फ रुखसाना ने सलीम के साथ मिल कर नरेश की हत्या क्यों की थी?

पूछताछ शुरू हुई तो रुखसाना ने सिसकते हुए कहा, ‘‘सलीम के यहां नौकरी करते हुए उन से मेरे नाजायज संबंध बन गए थे. मैं इन से निकाह करना चाहती थी, लेकिन इन्होंने मना कर दिया. यह मुझे बीवी नहीं, रखैल बना कर रखना चाहते थे, जो मुझे मंजूर नहीं था. इन की बेवफाई से मैं हताश हो उठी. तभी नरेश से मेरी मुलाकात हुई. फिर मैं ने उन्हें पाने में देर नहीं की.’’

‘‘आप ने नरेश को धोखा क्यों दिया, जबकि उस ने तुम्हारे लिए अपने खून के रिश्ते तक को छोड़ दिया था?’’

‘‘वह सुबह निकलते थे तो देर रात को ही घर आते थे. उन पर काम का बोझ इतना अधिक था कि आते ही खापी कर सो जाते थे. जबकि मैं चाहती थी कि वह मुझे समय दें, मुझ से बातें करें, घुमानेफिराने ले जाएं. लेकिन उन्हें अपने काम के अलावा कुछ सूझता ही नहीं था, जिस से मैं चिढ़ जाती थी.’’

‘‘वह तुम्हारी हर सुखसुविधा का खयाल रखते थे, क्या यह कम था?’’

‘‘एक औरत को सिर्फ सुखसुविधा ही नहीं चाहिए. उस की और भी ख्वाहिशें होती हैं. अगर उन के पास मेरे लिए समय नहीं था तो वह मुझ से शादी ही न करते.’’ सिसकते हुए ऐश्वर्या ने कहा.

‘‘इस का मतलब यह तो नहीं कि किसी और से संबंध बना लिया जाए.’’ इंसपेक्टर शर्मा ने कहा, ‘‘चलो संबंध बना लिया, ठीक था, लेकिन नरेश को मार क्यों दिया?’’

‘‘नरेश की बेरुखी की वजह से मैं ने सलीम से दोबारा जुड़ने का मन बनाया. इत्तफाक से उसी बीच एक मौल में मेरी मुलाकात सलीम से हो गई. यह खरीदारी करने आए थे. इन्होंने मुझ से फोन नंबर मांगा तो मैं ने दे दिया. उस के बाद बातचीत तो होने ही लगी, मिलनाजुलना भी शुरू हो गया. सलीम मेरी हर ख्वाहिश पूरी करते थे. यह अकसर देर शाम को मेरे घर आते और सुबह जल्दी चले जाते.’’

‘‘तुम्हारे पति ऐतराज नहीं करते थे?’’

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‘‘मैं उन्हें रात की कौफी में ज्यादा मात्रा में नींद की गोलियां मिला कर दे देती थी, जिस से वह गहरी नींद सो जाते थे. एक रात उन की नींद खुल गई. मुझे अपने पास न पा कर जब वह उठे तो दूसरे कमरे में लाइट जलती देख कर वहां आ गए. सलीम को मेरे साथ देख कर वह कुछ पूछते, उस के पहले ही हम दोनों ने उन्हें कस कर पकड़ लिया. सलीम ने उन के हाथ पकड़ लिए तो मैं ने उन के मुंह में कपड़ा ठूंस दिया. इस के बाद जमीन पर गिरा कर सलीम तब तक उन का गला दबाए रहा, जब तक उस की मौत नहीं हो गई. उस के बाद रात में लाश को ले जा कर कुएं में डाल दिया.’’

पूछताछ के बाद इंसपेक्टर शर्मा ने ऐश्वर्या उर्फ रुखसाना और सलीम को वाराणसी की अदालत में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया. इन दोनों का क्या होगा, यह तो समय बताएगा, पर नरेश को तो ऐश्वर्या उर्फ रुखसाना की खूबसूरती पर मरमिटने की सजा मिल गई. आज की नई पीढ़ी सीरत पर नहीं, सूरत पर मर रही है, जिस का वह खामियाजा भी भुगत रही है.

कथा सत्यघटना पर आधारित. किन्हीं कारणों से पात्रों के नाम बदल दिए गए हैं.

एनिवर्सरी गिफ्ट: भाग 1- बेटा-बहू से भरे दिनेश और सुधा का कैसा था परिवार

लेखिका- ऋतु थपलियाल

सुबह की लालिमा नंदिनी का चेहरा भिगो रही थी. पर नंदिनी के चेहेरे पर अभी भी आलस की अंगड़ाई अपनी बांहें फैलाए बैठी थी. तभी नंदिनी को अपने बालों पर जय की उंगलियों का स्पर्श महसूस हुआ. 6 वर्षों से जय के प्रेम का सान्निध्य पा कर नंदिनी के जीवन में अलग ही चमक आ गई थी. उस ने अपने पति जय की तरफ करवट ली और एक मुसकान अपने अधरों पर फैला ली.

‘हैप्पी एनिवर्सरी मेरी जान,’ जय ने नंदिनी के चेहरे को चूमते हुए कहा.

‘सेम टू यू माई डियर,’ प्रेम का प्रस्ताव पाते ही नंदिनी जय के समीप चली गई.

‘तो आज क्या प्रोग्राम है आप का?’ जय ने नंदिनी को अपनी बांहों में कसते हुए पूछा.

‘प्रोग्राम तो तुम को तय करना है. आज तो मुझे बस सजना और संवरना है,’ नंदिनी ने जय को देखते हुए कहा और उस के चेहरे पर एक मीठी सी मुसकान तैर गई.

‘तुम शादी के 6 वर्षों बाद भी नहीं बदली हो. आज भी उतनी ही खुबसूरत और…,’ जय ने शरारती लहजे में नंदिनी को देखते हुए कहा. वह जानता था, नंदिनी आज भी उतने ही जतन से सजा करती है जितने जतन से वह शादी के बाद सजती थी.

अजय उस की खूबसूरती और सादगी का दीवाना था. आस्ट्रेलिया में दोनों मिले थे. जय अपनी पढ़ाई के सिलसिले में मेलबोर्न गया था. अजनबी देश में एकमात्र सहारा जय का दोस्त सुनील था, जो वहां अपने रिश्तेदार के साथ रह रहा था. सुनील के रिश्तेदार की बेटी नंदिनी थी.

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नंदिनी और जय की पहली ही मुलाक़ात दोनों को एकदूसरे के करीब ले आई थी. लेकिन जैसेजैसे समय अपने पंख लगा कर उड़ता गया, नंदिनी और जय के बीच प्रेम का अटूट बंधन बनता गया. और शादी के 6 वर्षों भी दोनों में वही प्रेम बरकरार था.

लेकिन आज 5 साल सुनते ही नंदिनी जय की बांहों से अपनेआप को मुक्त करवा कर बैठ गई.

‘6 साल…,’ उस ने एक ठंडी सांस छोड़ते हुए कहा.

‘जी, 6 साल. नंदिनी, सच तुम्हारे साथ ये 6 साल कैसे बीते, मुझे पता ही न चला,’ जय ने नंदिनी को बांहों में भरते हुए कहा जैसे वह भी नंदिनी से ऐसे ही उत्तर की प्रतीक्षा कर रहा हो.

लेकिन इस बार नंदिनी ज्यादा असहज हो गई थी. वह जय की बांहों से निकल कर बैड से नीचे उतर गई थी.

‘क्या हुआ नंदू, कोई बात हो गई है? क्या मुझ से कोई गलती हो गई है?’

‘नहींनहीं, कैसी बातें कर रहे हो तुम. तुम ने तो मुझे हर जगह सपोर्ट किया है. बस…’ नंदिनी अपनी बात पूरी नहीं कर पाई, उस के चेहरे पर एक उदासी की छाया सी आ गई.

‘ओह, मैं समझ गया,’ जय ने नंदिनी के पास आ कर उस का चेहरा अपने हाथों में ले कर कहा.

‘देखो नंदू, वह मेरी मां है. मैं उस की इकलौती संतान हूं. मां और पापा ने मुझे बहुत संघर्ष से पाला है, मैं उन की उम्मीद हूं. पहले तो मैं उन की मरजी के खिलाफ विदेश गया, फिर तुम से शादी की, उस के बाद परिवार न बड़ा कर तुम्हारे कैरियर के फैसले में साथ दिया. अचानक से मैं ने सब काम खासतौर से अपनी मां की मरजी के खिलाफ जा कर किए हैं. ऐसे में मां को धक्का लगना लाजिमी है. लेकिन तुम चिंता मत करो, इस बार मैं ने कुछ सोच रखा है.’

‘तुम ने सोच रखा है… क्या कहना चाहते हो तुम, प्लीज, साफसाफ कहो न,’ नंदिनी ने छोटे बच्चे की तरह मचलते हुए जय से कहा.

‘मां हर बार तुम से बच्चे के लिए कहती, इसलिए मैं ने बच्चे के लिए सोच लिया है.’

‘बच्चे के लिए सोच लिया है…मतलब… जय, मैं समझ नहीं पा रही हूं कि तुम क्या कहना चाहते हो. तुम ही तो हो जो मेरी सारी प्रौब्लम समझते हो. वैसे भी, कौन मां नहीं बनना चाहता है. लेकिन न जाने मैं क्यों कंसीव नहीं कर पा रही हूं. जो इलाज चल भी रहा था वह इस लौकडाउन के चलते बंद हो गया,’ नंदिनी की आवाज में भारीपन आने लगा था, ‘रही बात मां की, तो तुम्हें पता ही है कि वे मुझ से अभी तक कटीकटी सी रहती हैं और हर साल एनिवर्सरी के दिन उन का एक ही सवाल होता है. ऐसे मैं मेरा मन बात करने को नहीं करता है.’ और नंदिनी की आंखों में दुख का सैलाब तैरने लगा था.

जय नंदिनी की हालत समझता था. इसलिए उस ने उसे प्यार से पकड़ कर कमरे के कोने में करीने से सजी कुरसी पर बैठा दिया. और धीरे से नंदिनी को सहलाने लगा. वह जानता था नंदिनी और मां के बीच एक खाई है जिसे भरना मुश्किल है लेकिन वह यह भी जानता था कि यह नामुमकिन नहीं है.

मेलबोर्न में उस ने नंदिनी से शादी करने का सपना देख तो लिया था पर इस सपने को पूरा करने में जो मुश्किलें आने वाली थीं उन से जय अनजान नहीं था. एक दिन जब हिम्मत कर के जय ने अपने मातापिता को अपने और नंदिनी के बारे में बता दिया, तब जय के पिता दिनेश ने तो खुलेहाथों से नंदिनी को स्वीकार किया, पर जय की मां सुधा ने आसमान सिर पर उठा लिया था. आखिर उन की इकलौती औलाद उन के संस्कारों के खिलाफ कैसे जा सकती थी. एक गैरजातीय लड़की को वे अपनाने के लिए तैयार न थीं. उन्होंने जय को काफी उलाहने दिए. जय लगभग टूट गया था. उस के सामने सारे दरवाजे बंद हो रहे थे. नंदिनी के साथ वह अपने भविष्य के सपने देखने लगा था. इतना आगे आ जाने के बाद वह अब पीछे नहीं हट सकता था.

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इस कशमकश की घड़ी में अगर किसी ने उस का साथ दिया था तो वे थे जय के पिता दिनेश, जिन्होंने संकटमोचक की तरह जय को एक सुझाव दिया कि पढ़ाई ख़त्म होते ही जय भारत में ही अपनी नौकरी करे और नंदिनी को विदा करवा कर भारत ले आए. उस के बाद वे सब संभाल लेंगे. जय के पिता जानते थे कि यह सब करना आसान न होगा क्योंकि जय की मां पहले से ही जय की गैरजातीय पसंद से सख्त नाराज थी. जैसा जय के पिता दिनेश ने सोचा था वैसा ही हुआ. जय के भारत लौटने की ख़ुशी सुधा को जहां राहत पहुंचा रही थी, वहीं नंदिनी से विवाह का समाचार सुधा के लिए गहरा आघात साबित हुआ था. इस समाचार को पा कर वे अपनेआप को संभाल न पाईं और उन की तबीयत खराब हो गई. हालांकि, जैसे ही सुधा ने जय को अपनी आंखों के सामने देखा, उन का मन पिघल गया पर अपने बेटे के साथ नंदिनी को देख कर सुधा को अपना बेटा उन से छिन जाने का एहसास हुआ. मां और बेटे के बीच में शायद नंदिनी अनजाने ही आ गई थी और यही उस बेचारी का दोष था जिस के लिए सुधा जी ने उसे शादी के 6 साल बाद भी माफ़ नहीं किया था.

जय अपनी मां और नंदिनी दोनों के जज्बातों को समझता था, इसलिए जिंदगी में कड़वाहट न हो, उस ने अलग रहने का फैसला किया. लेकिन उसे नहीं पता था कि मां की नाराजगी नंदिनी के प्रति कम नहीं, बल्कि बढ़ जाएगी.

बेचारी नंदिनी असहाय सी महसूस करने लगी थी. वह हर कोशिश करती कि उस की सास सुधा उसे अपना ले. पर हर बार वह नाकामयाब हो जाती थी.

लेकिन जय के पिता दिनेश जी का संपर्क बच्चों के साथ लगातार बना रहा. वहीं, सुधा ने एक साल तक नंदिनी से बात नहीं की और न ही उसे अपनाने में दिलचस्पी दिखाई. हालांकि ऐसे कई मौके आए जब नंदिनी और सुधा जी का आमनासामना हुआ. पर नंदिनी ने हमेशा अपनेआप को असहज ही महसूस किया.

आगे पढ़ें- उस ने जय को निराश नहीं किया. जौब…

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एनिवर्सरी गिफ्ट: भाग 2- बेटा-बहू से भरे दिनेश और सुधा का कैसा था परिवार

लेखिका- ऋतु थपलियाल

समय चंचल हिरन की भांति दौड़ने लगा था. जय और नंदिनी की शादी को 2 साल बीत गए थे. सुधा ने बेटे को तो अपना लिया था पर नंदिनी के लिए आज भी वह अपनी बांहें नहीं फैला पाई थी. कहते हैं समय घावों को भर देता है, पर नंदिनी के साथ ऐसा नहीं हो रहा था. वह सपनों से भरी अल्हड सी लड़की, जो मेलबोर्न से भारत चली आई थी, जय के साथ कदम से कदम मिला कर चलने की कोशिश कर रही थी. जय ने नंदिनी की तनाव से भरी जिंदगी को दूर करने का फैसला लिया और नंदिनी को जौब करने के लिए प्रोत्साहित किया. नंदिनी जय के इस फैसले से फूली नहीं समा रही थी. उसे पहली बार तपिश में ठंडी फुहार का अनुभव हुआ. जय को अपने जीवनसाथी के रूप में चुन कर उस को गर्व महसूस हो रहा था.

उस ने जय को निराश नहीं किया. जौब लगते ही नंदिनी की मेहनत रंग लाई और वह उन्नति के शिखर पर चढ़ने लगी. दोनों एकदूसरे को संभालते हुए आगे बढ़ रहे थे. लेकिन शायद दोनों की खुशियों को फिर से नजर लगने वाली थी. जय और नंदिनी की शादी को 2 साल पूरे हो गए थे. हालांकि सुधा का गुस्सा और नाराजगी अभी भी शांत नहीं हुई थी लेकिन बेटे को तो अपने से दूर नहीं किया जा सकता, इसलिए दोनों परिवार महीने में एकबार आपस में मिल कर अच्छा समय बिताने की कोशिश करने लगे थे. सबकुछ ठीक रहता पर नंदिनी कहीं न कहीं अजनबी जैसा महसूस करती थी.

और एक दिन फिर से एक जलजला नंदिनी और जय के जीवन में आ गया. दिनेश जी और सुधा की एनिवर्सरी का दिन था. दोनों परिवार एकसाथ बैठे हुए थे. तभी सुधा ने जय के सामने एक इच्छा रख दी, जिसे सुन कर जय और नंदिनी फिर से दोराहे पर खड़े हो गए.

‘जय, तुम ने जो चाहा, हम ने उसे स्वीकार किया पर कम से कम तुम एक इच्छा तो हमारी पूरी कर दो,’ सुधा ने चाय का घूंट भरते हुए कहा.

‘मां, कैसी बातें करती हैं आप, आप ने और पापा ने जो मेरे लिए किया है, मैं उस का ऋण कभी नहीं चुका सकता. आप हुक्म करें, आप की क्या इच्छा है. मैं और नंदिनी उसे जरूर पूरी करेंगे.’

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‘देखो, समय का क्या भरोसा. कब क्या हो जाए. तुम्हारे साथ के सभी दोस्तों के घर में रौनक हो गई है, मैं भी चाहती हूं कि अगले साल तक तुम दोनों भी दो से तीन हो जाओ. कम से कम मेरे जो अरमान तुम्हारी शादी के लिए थे, वे पोते का मुंह देख कर पूरा हो सकें,’ सुधा ने तिरछी निगाह से नंदिनी को देखते हुए जय से कहा.

जय और नंदिनी के चेहरे का जैसे रंग उड़ गया था. ऐसा नहीं था कि वे दोनों बच्चा नहीं चाहते थे लेकिन जिस तरह से नंदिनी अपने कैरियर के सफर में आगे बढ़ रही थी, जय और नंदिनी ने फैसला किया था कि अभी वे 2 साल और इंतजार करेंगे.

लेकिन सुधा की यह ख्वाहिश सुन कर फिर से जय उसी दोराहे पर आ कर खड़ा हो गया जहां से वह चला था. जय की समझ में नहीं आ रहा था कि वह मां से क्या कहे क्योंकि बड़ी मुश्किल से मां ने नंदिनी को स्वीकारोक्ति दी थी, यह अलग बात थी कि इस में नाराजगी का पुट हमेशा से ही विद्यमान रहा था. अब अगर वह मां को अपना फैसला सुनाता है तो कहीं पहले जैसी स्थिति न हो जाए.

जय के चेहरे पर आए तनाव को दिनेशजी ने बखूबी पढ़ लिया था. उन्होंने बात को संभालते हुए कहा. ‘जल्दबाजी की कोई जरूरत नहीं है. तुम और नंदिनी इस फैसले के लिए स्वतंत्र हो.’

दिनेशजी का यह कहना जय की मां सुधा को अपना अपमान लगा और वह झटके के साथ उठ कर अपने कमरे के भीतर चली गई. एक खुशनुमा माहौल फिर से उदासी के दामन में सिमट गया.

अब यह इच्छा हर साल जय को सताने लगी थी क्योंकि मां जब भी फोन पर बात करती, अपनी इस इच्छा को जरूर जताती थी. और हर साल पूछा जाने वाला यह सवाल जय और नंदिनी को दंश के समान पीड़ा पहुंचाने लगा था. हालांकि इस दौरान नंदिनी ने इलाज भी शुरू कर दिया था, वह सुधाजी को कोई भी शिकायत का मौका नहीं देना चाहती थी लेकिन समय को कुछ और ही मंजूर था. नंदिनी को कुछ गायनिक कोम्प्लिकेशन थे जिन का पहले इलाज होना था, फिर आगे की प्रक्रिया हो सकती थी. दोनों इसी आस से इलाज करवा रहे थे कि उन्हें जल्द ही कामयाबी मिल जायगी. पर अचानक से कोरोना का कहर आ गया और सबकुछ बंद हो गया.

जय ने नंदिनी को समझाते हुए कहा, ‘नंदू, कल पापा से बात हुई थी, तब हम दोनों ने एक समाधान निकाला है.’

‘प्लीज, पूरी बात बताइए कि आप दोनों के बीच क्या बात हुई और क्या समाधान निकाला है.’

‘नंदू, पापा एक संस्था के साथ व्हाट्सऐप ग्रुप में जुड़े हुए हैं. उस में बहुत सारे ऐसे बच्चों के बारे में सूचना आ जाती है जिन्होंने अपने मातापिता कोरोना में खो दिया है और अब कोई भी रिश्तेदार उन्हें अपनाने के लिए तैयार नहीं है.’

‘तो तुम कहना क्या चाहते हो, तुम कही एडौप्शन की बात तो नहीं कर रहे हो,’ नंदिनी कहतेकहते कुरसी से लगभग खड़ी हो गई, ‘तुम जानते हो तुम क्या कह रहे हो?’

‘हां, पापा और मैं ने यही सोचा है. इस में गलत क्या है?’

‘नहीं जय, इस में कुछ भी गलत नहीं है बल्कि यह तो बहुत ही अच्छा तरीका है अपनी खाली पड़ी दुनिया को रंगों और किलकारियों से भरने का. लेकिन तुम शायद भूल गए हो कि मां ने मुझे ही अब तक नहीं अपनाया है तो फिर किसी के बच्चे को कैसे स्वीकार करेंगी.’

‘उस की तुम चिंता मत करो. मैं ने कल पापा से बात की है. अब लौकडाउन में मिलने वाली छूट के समय वे मां को ले कर आ रहे है. तब सब साथ में ही बात करेंगे.’

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‘ओह, जय, मुझे तो बहुत टैंशन हो रही है. तुम दोनों ने जो सोचा है, मैं उस का विरोध नहीं करती हूं, पर मां…’ कहतेकहते नंदिनी चुप हो गई.

‘माई डियर, माना कि मेरी मां थोड़ा पुराने ख़यालात की है लेकिन तुम भूल रही हो कि वे भी एक मां हैं. जब तुम्हारी पीड़ा को उन के आगे रखूंगा तो वे जरूर समझ जाएंगी. और वैसे भी, मैं ने अपने संकटमोचक से बात कर ली है. इस बार तो मान को मानना ही होगा.’

“संकटमोचक… कौन?’ नादिनी ने आश्चर्य से जय को देखते हुए कहा. आखिर, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि जय के दिमाग में क्या चल रहा है.

‘वह तो तुम्हें शाम को ही पता चलेगा. तब तक क्यों न हम दोनों अपनी एनिवर्सरी सैलिब्रेट कर लें,’ कहते हुए जय ने नंदिनी को अपनी बांहों में उठा लिया. नंदिनी की खिलखिलाहट से घर गूंजने लगा.

दिन का समय हो आया था. सूरज अपनी तपिश की किरणों से धरती को गरमी दे रहा था. नंदिनी शिद्दत के साथ अपने सासससुर के पसंदीदा खाने को बनाने में लगी हुई थी. तभी डोरबैल बजी. जय तेजी से दरवाजे की ओर लपका था. दरवाजा खुलते ही सुधा और दिनेश ने जय को देखा और उन के चेहरे पर ममत्व से भरी मुसकान फ़ैल गई. दोनों ने जय को बधाई दी और गले से लगा लिया. सुधा घर के अंदर आ कर ड्राइंगरूम के सोफे पर बैठ गई. दिनेशजी नंदिनी को ढूंढते हुए किचन में चले गए और उस को पैसों का लिफाफा पकड़ाते हुए बोले, ‘शादी की बहुतबहुत शुभकामनाएं. हम दोनों की ओर से यह छोटी सी भेंट है. तुम अपने लिए कुछ खरीद लेना. हां, जय की चिंता मत करना, उस को उस की मां ने दे दिया है.’ ससुर और बहू के मुख पर हलकी सी हंसी तैर गई.

नंदिनी ने ससुर को पानी का गिलास दिया और साथ ही साथ उन के पैरों को भी स्पर्श कर लिया. दिनेशजी ने भी अपनी बहू के सिर पर आशीर्वाद का हाथ रख दिया. फिर वे ड्राइंगरूम में सुधा के समीप आ कर सौफे पर बैठ गए.

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एनिवर्सरी गिफ्ट: भाग 3- बेटा-बहू से भरे दिनेश और सुधा का कैसा था परिवार

लेखिका- ऋतु थपलियाल

सुधा के चेहरे पर अब भी नंदिनी को ले कर एक तनाव बना हुआ था. उस तनाव को सभी महसूस कर रहे थे. नंदिनी ने सुधा को भी पानी दिया और उस के चरण स्पर्श किए. पर सुधा ने ‘ठीक है, ठीक है’ कह कर अपनी नाराजगी फिर से दिखा दी थी. जय मौके की नजाकत को भांप गया था. उस ने नंदिनी को जल्दी से खाना लगाने का इशारा कर दिया था.

डाइनिंग टेबल पर सबकुछ अपनी मनपसंद का बना देख सुधा कुछ कह नहीं पाई. हां, दिनेशजी ने अपनी बहूँ के हाथ के बने खाने की खूब तारीफ की. सुधा चुप ही रही.

खाना खाने के बाद सब ड्राइंगरूम में आ गए. नंदिनी ने सभी को आइसक्रीम सर्व की और अपने आइसक्रीम का बाऊल ले कर सब के साथ बैठ गई. सुधा शायद इसी पल का इंतजार कर रही थी. तभी उस ने जय से पूछ ही लिया.

‘जय, मुझे कब तक इंतजार करना होगा.’

जय तो इसी मौके की तलाश कर रहा था. उस ने अपने पापा दिनेशजी की ओर देखा और कहा, ‘मां, पापा ने एक सुझाव दिया है मैं और नंदिनी बिलकुल तैयार हैं, बस, अगर आप की हां हो जाए तो… अगले 15 दिनों में ही मैं आप की इच्छा पूरी कर सकता हूं.‘

सुधा को लगा शायद उन के बेटे जय का दिमाग खराब हो गया है. भला 15 दिनों में कोई कैसे मातापिता बन सकता है.

‘जय, पागल हो गए हो, क्या कह रहे हो. 15 दिनों में भला कौन मांबाप बन सकता है. सुनो, मैं इस तरह के मजाक को बिलकुल भी बरदाश्त नहीं करूंगी.’ सुधा ने अपने तीखे लहजे से अपनी बात कही और जय को चेतावनी भी दे दी कि वे अब उस की एक नहीं सुनेंगी.

तभी दिनेशजी ने कहा, ‘सुधा, यह सब ईश्वर के हाथ में होता है.’

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‘अच्छा, तो तुम ही बताओ कि शादी को 6 साल होने को आ गए हैं पर अभी तक कुछ क्यों नहीं हुआ. जय और उस के दोस्त नीरज की शादी एकसाथ हुई थी. नीरज 2 बच्चों का पापा बन गया है और हमारा जय अभी तक… माना कि शादी के कुछ साल एंजौय में बीत गए, पर उस के बाद तो नंदनी की ही लापरवाही रही न. मैं ने कितना कहा था कि मेरे पास आ जाओ, मैं इलाज करवा देती हूं पर हर बार जय कहता था कि मां, नंदिनी का डाक्टर घर के पास ही है, उस को वहीं दिखाने में सुविधा होगी. फिर लेदे कर इस कोरोनाकाल ने कसर पूरी कर दी. एक साल से इलाज वहीं का वहीं रह गया. और अब यह दूसरा साल भी ऐसे ही जाएगा.’

‘ऐसी बात नहीं है सुधा, वे दोनों अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे थे पर नाकामयाब हो रहे थे. फिर यह कोरोना आ गया. अब यह तो उन दोनों के बस के बाहर था और कहीं न कहीं मुझे लगता है कि वे अब तुम्हारे रौद्र रूप का सामना नहीं करना चाहते हैं.’ दिनेश जानते थे कि सुधा के आगे किसी का तर्क नहीं चलेगा पर आज उन्होंने भी सुधा से तर्क करने की ठान ली थी. दोनों में जैसे जिरह शुरू हो गई थी.

‘तुम कहना क्या चाहते हो, मैं गलत हूं, गुस्सैल हूं और मेरी वजह से यह सब हुआ है. और वे दोनों मेरे स्वभाव की वजह से मातापिता नहीं बन पा रहे हैं,’ अचानक से लगे आरोप को सुधा सहन नहीं कर पाई और बौखला गई.

सुधा के इस रूप को देख कर नंदिनी सहम सी गई थी. उस की आंखें छलछलाने लगीं. उस को लगा, शायद अब वह सुधाजी की नाराजगी बरदाश्त नहीं कर पाएगी. वह दौड़ती हुई अपने कमरे में चली गई.

दिनेशजी ने फिर से सुधा को समझाने का प्रयास किया, ‘नहीं, तुम गलत समझ रही हो. मेरा यह कहने का मतलब नहीं था.’

‘तो फिर तुम क्या कहना चाहते हो? पहले तो जय ने लव मैरेज की, मैं ने नंदिनी को गैरजातीय होते हुए भी अपना लिया. फिर दोनों ने अपने कैरियर को तवज्जुह दी. उसे भी मैं ने स्वीकार कर लिया. अपनी कोई इच्छा उन पर नहीं थोपी. पर अब तो मुझे ख़ुशी का एक मौका दे दे,’ सुधा ने ऊंची आवाज में दिनेश से कहा.

‘तुम ने उन्हें अपना लिया?’ दिनेश के चेहरे पर प्रश्न था, जो सुधा को देख कर उन्होंने पूछा था, ‘सुधा, जब से नंदनी इस घर में आई है, तुम ने उस से ठीक से बात भी नहीं की. हमेशा उस को एहसास करवाया कि वह गैरजातीय है और सब से जरूरी कि वह तुम्हारी पसंद की नहीं है. उस बेचारी पर कितना प्रैशर रहता होगा, यह मैं समझ सकता हूं,’ दिनेश ने लगभग चिल्लाते हुए कहा.

सुधा दिनेश के इस रूप को देख कर सहम सी गई थी. आज तक दिनेश ने कभी इस तरह झल्ला कर उस से बात नहीं की थी. जय ने भी अपने पिता का ऐसा रूप पहली बार देखा था. घर में गरमहट का माहौल हो गया था.

‘तुम कहना क्या चाहते हो, मैं उन की निजी जिंदगी में दखलंदाजी कर रही हूं जिस से दोनों के ऊपर प्रैशर बन रहा है और इस वजह से उन दोनों के यहां बच्चा नहीं हो रहा है?’

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‘नहीं, तुम गलत समझ रही हो. मैं, बस, तुम्हें उस एहसास को याद दिलाना चाहता हूं जो तुम शायद भूल गई हो कि जय के होने से पहले तुम्हारे साथ भी यही सब हुआ था. हमारी शादी को 6 महीने ही हुए कि तुम अपना कैरियर बनाना चाहती थीं, इसलिए जल्दी बच्चा न करने का फैसला लेना चाहती थीं. और उस के बाद 2 साल तक हमारे चाहने पर भी तुम कंसीव नहीं कर पाई थीं. मां का कितना प्रैशर तुम पर था, कुछ याद आया तुम्हें,’ दिनेश ने सुधा को लगभग झिंझोड़ते हुए कहा, वह तो शुक्र था कि तुम जल्दी ही कंसीव कर गईं वरना… न जाने तुम्हें भी नंदिनी के जैसे तनावयुक्त माहौल का शिकार होना पड़ता. बेचारी नंदिनी तो गैरजातीय होने का भी दुख झेल रही है,’ जय के पिता अपनी बात कहतेकहते रोआंसे हो उठे थे.

अपने जीवन की इतनी बड़ी सचाई अपने बेटे और बहू के आगे खुलते देख सुधा सहम सी गई थी. जय समझ चुका था कि दोनों कहीं मुख्य मुद्दे से भटक न जाएं, उस ने तुरंत मां का हाथ पकड़ लिया.

बेटे का सहारा पा कर सुधा कुछ नरम पड़ गई थी. सुधा ने लगभग रोते हुए अपने बेटे से कहा, ‘जय, देखो, तुम्हारे पापा मुझ से क्या कह रहे हैं. मैं अपने दिनों को भूल गई हूं और मैं जानबूझ कर नंदिनी पर प्रैशर बना रही हूं क्योंकि मैं उसे पसंद नहीं करती हूं. अरे, जो भय मैं ने उस समय महसूस किया था, बस, मैं यही चाहती हूं कि वह अब फिर से हमारे सामने न आए. क्या ऐसा सोचना गलत है?’

तभी दिनेशजी ने सुधा को उन के अतीत की कुछ और बातें याद दिलाईं, बोले, ‘याद है तुम्हें जब तुम छहसात महीने तक कंसीव नहीं कर पाई थीं, तो तुम मां का फोन भी नहीं लेती थीं क्योंकि उन की एक ही बात तुम्हें भीतर तक दुख पहुंचा जाती थी. उस समय तुम पर कितना दबाव था, यह सिर्फ मैं ही जानता हूं. वही दबाव आज जय और नंदिनी महसूस कर रहे हैं.’

सुधा की आंखें फर्श पर जा कर टिक गई थीं जैसे उस के सामने अतीत के पन्ने किसी ने खोल कर रख दिए थे. वह कुछ भी नहीं कह पा रही थी. उस के भीतर जैसे कुछ थम गया था.

‘सुधा, क्या तुम ने यह प्रैशर डालने से पहले जय और नंदिनी से बात की है कि क्या कारण है कि उन को संतान का सुख नहीं मिल पा रहा है, कहीं हमारे बच्चों को हमारी सहायता की जरूरत तो नहीं है,’ इस बार दिनेशजी ने अपनी आवाज को नर्म रखते हुए कहा.

आगे पढ़ें- दिनेश धीरे से सुधा के समीप आ गए…

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एनिवर्सरी गिफ्ट: भाग 4- बेटा-बहू से भरे दिनेश और सुधा का कैसा था परिवार

लेखिका- ऋतु थपलियाल

सुधा मौन हो गई थी क्योंकि उस ने ऐसा किया ही नहीं था. नंदिनी को अपनाने में जो कशमकश शादी के समय हुई थी, वही कशमकश उसे आज भी हो रही थी. जय सुधा के चेहरे के बदलते भावों को देखते ही समझ गया कि पापा की कही गई बात सीधा निशाने पर जा कर लगी है. अब वह किसी भी तरह से यह मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहता था.

‘मां, माना कि मैं ने आप की मरजी के खिलाफ जा कर शादी की पर नंदिनी के मन में आप के प्रति कोई बुरी भावना नहीं है. पिछले कुछ वर्षों से वह बेचारी शारीरिक और मानसिक तनाव झेल रही है. हम दोनों ही चाहते हैं कि हम जल से जल्द आप की इच्छा को पूरा कर सकें पर शायद…,’ जय ने मां की ओर देख कर कहा. उस की आवाज में एक पीड़ा थी जिसे शायद सुधाजी ने महसूस कर लिया था.

दिनेश धीरे से सुधा के समीप आ गए और उन्होंने ने सुधा के कंधे पर हाथ रख कर कहा, ‘हो सकता है इलाज में मिल रही नाकामयाबी और तुम्हारे प्रश्नों की बौछार से दोनों बच्चे बचना चाहते हों.’

सुधा मासूम बच्चे की तरह दिनेश और जय के चेहरे की तरफ देखने लगी थी.

‘आप का सोचना भी गलत नहीं है पर अगर इस मुश्किल घड़ी में हम बच्चों को आप लोग रास्ता नहीं दिखाएंगे तो और कौन दिखाएगा. मां, दादी तो अनपढ़ थीं पर आप तो पढ़ीलिखी हो. और वैसे भी, आजकल तो आईवीएफ और सैरोगेसी सुविधाएं उपलब्ध हैं. आप लोगों के समय यह सब कहां था,’ जय ने गंभीर स्वर में मां सुधा की ओर देखते हुए कहा.

‘तो मैं ने कब मना किया है आईवीएफ करवाने से,’ सुधा ने जय की ओर देखते हुए लगभग रुंधे गले से कहा.

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इस बार दिनेशजी ने कहा, ‘तुम अब भी गलत समझ रही हो. तुम जो कहती हो उस में गलत कुछ भी नहीं है, बस, समझने की जरूरत है कि उन दोनों के साथ कैसी परेशानी आ रही है. हो सकता है कि आईवीएफ करवाने के लिए उन के पास इतना बजट ही न हो.’

‘अरे, अगर ऐसी समस्या है तो जय को मुझ से बात करनी चाहिए थी न. मैं उस की मां हूं, कोई दुश्मन तो नहीं हूं न,’ सुधा ने जय और दिनेश की ओर देखते हुए कहा जैसे वह अपनी सफाई रखना चाहती थी.

‘सुधा, बच्चों का ऐसा व्यवहार कोई नया नहीं है. जब उन्हें लगता है कि वे हमारी इच्छा को पूरा नहीं कर पा रहे हैं तो वे आंखें चुराना शुरू कर देते हैं.’

सुधा चुपचाप दिनेश का मुंह देखने लगी थी. उस की आंखों में नमी आ गई थी. उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह दिनेश को अपनी सफाई में अब क्या जवाब दे.

तभी जय की गंभीर आवाज उस के कानों से टकरा गई, ‘मां, कोरोना की वजह से नंदिनी का इलाज भी रुक गया. हर महीने के तनाव में घिरी नंदिनी के जीवन का बस अब एक ही मकसद रह गया है कि वह जल्दी से तुहारी इच्छा पूरी कर सके. मैं उस को रोज घुटते और टूटते हुए देखता हूं. बच्चे के लिए मां ही सब से बड़ा सहारा होती है. और मेरे लिए आप हैं. पर आप की नाराजगी के कारण मैं अपनी कोई बात आप से कह भी नहीं पाया. अब मुझे भी एक घुटन सी महसूस होने लगी है.’

जय सुधा से थोड़ी दूर जा बैठा था. वह नहीं चाहता था कि मां उस के छलक आए आंसू देखे.

उस के अधूरे वाक्य में सुधा को अपने बेटे का दिया हुआ संदेश साफ़ सुनाई दे रहा था. उस की आंखें छलछला आईं. वह कुरसी पर बैठ कर ही रोने लगी. शायद बेटे की पीड़ा उस ने महसूस कर ली थी जिसे वह बरदाश्त नहीं कर पा रही थी.

दिनेश ने सुधा का चेहरा अपने हाथों में ले कर कहा, ‘सुधा, मैं समझ सकता हूं कि तुम्हें उन की चिंता है पर अपने बच्चों की परेशानी हम नहीं समझेंगे, तो और कौन समझेगा. जिस तरह से समय निकल रहा है और दोनों बच्चों की उम्र बढ़ रही है, उस से हो सकता है कि नंदिनी को भी कंसीव करने में परेशानियों का सामना करना पड़े. पर एक तरीका है जिस से इस महामारी के समय भी जय के घर किलकारियां गूंज सकती हैं और तुम्हारी इच्छा भी पूरी हो सकती है.’

सुधा ने प्रश्न भरी नज़रों से दिनेश की ओर देखा.

‘जब जय से बात हुई थी तब मैं ने उस से इस बात का जिक्र किया था. सौरी कि तुम्हें नहीं बताया. उस ने और नंदिनी ने इस का फैसला भी तुम पर ही छोड़ दिया है.’

‘जब तुम दोनों ने आपस में बात कर ली है तो फिर मुझे क्या फैसला लेना है. मैं भला क्यों उन की खुशियों में आड़े आऊंगी. मैं तो बस चाहती हूं कि मुझे दादी कहने वाला जल्दी से आ जाए.’ सुधा ने अपने आंसुओं को पोंछते हुए कहा. उस की कही बात में नाराजगी भी झलक रही थी.

‘मैं जानता हूं, तुम जय का भला चाहती हो, पर नंदिनी का क्या…’

‘फिर तुम अजीब बात करने लगे हो, जय और नंदिनी एक ही तो हैं,’ दिनेश की बातें सुन कर सुधा ने थोड़ा चिढ़ते हुए कहा.

‘चलो, तुम ने माना तो कि जय और नंदनी एक ही हैं. सुधा, मेरा तुम से एक सवाल है कि क्या तुम ने नंदिनी को दिल से स्वीकार कर लिया है?’

सुधा दिनेश की ओर देखने लगी जैसे वह इस पहेली को सुलझाना चाहती थी. उस ने थोड़ा नाराज होते हुए कहा, ‘आप भी कैसे बातें करते हैं, जब कह रही हूं कि जय और नंदिनी एक ही हैं तब… और वैसे भी, आज आप ने अतीत की बातों को याद दिला कर मुझे एहसास करवा दिया की नंदिनी भी कहीं न कहीं मेरी ही तरह हर बात से छिपना चाहती है. उसे उस छांव की तलाश है जो इस धूप से उसे बचा सकती है.’

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परदे के पीछे छिपी नंदिनी की हिचकियां ड्राइंगरूम में बैठे तीनों सदस्यों ने सुन ली थीं. जय तुरंत उठ कर नंदिनी की ओर चल पड़ा और उस का हाथ पकड़ कर सब के सामने ले आया. नंदिनी की आंखों से अभी भी आंसूं टपक रहे थे.

‘मां, अगर आप चाहो तो इस धूप को हमेशा के लिए ठंडी छांव में बदल सकती हो,’ जय ने मां सुधा को प्यारभरी नजरों से देखते कहा.

‘अब पहेलियां बुझाना बंद भी करो. जल्दी बताओ, मैं तुम दोनों के लिए ऐसा क्या कर सकती हूं?’

‘देखा, अब की न तुम ने पढ़ीलिखी, समझदार सास वाली बात,’ कह कर दिनेश लगभग हंसने लगे.

‘बस, बस, अब जल्दी बताओ. ज्यादा बेर के पेड़ पर चढ़ाने की जरूरत नहीं है,’ सुधा अपनी जिज्ञासा को छिपाने में असमर्थ हो रही थी. इसलिए उस की आतुरता उस की आवाज से ही झलकने लगी थी.

‘पापा के दोस्तों का एक व्हाट्सऐप समूह है. उस में किसी ने मैसेज भेजा था कि इस कोरोनाकाल में एक 6 महीने की बच्ची अनाथ हो गई है. उस के मातापिता कोरोना की वजह से अब इस दुनिया मे नहीं रहे. रिश्तेदारों ने भी लेने से मना कर दिया है, इसलिए अगर कोई उस बच्ची को लेने का इच्छुक हो तो वह दिए गए नंबर पर फोन कर सकता है,’ जय एक सांस में सारी बात कह गया था. शायद उसे डर था कि कहीं मां फिर से नाराज न हो जाए.

सुधा चुपचाप जय की बातें सुन रही थी. वह उठ कर खड़ी हो गई. कमरे में सन्नाटा छा गया. सभी जानते थे कि सुधा ने बड़ी मुश्किल से अभीअभी नंदिनी को स्वीकार किया था, अब किसी बाहरी बच्चे को स्वीकार करना सुधा के लिए आसान निर्णय नहीं होगा. जय सुधा के उत्तर की प्रतीक्षा कर ही रहा रहा था की सुधा अपना मोबाइल ले कर अपने पति दिनेश के सामने जा खड़ी हो गई.

‘जल्दी से वह नंबर बताओ जो तुम्हारे ग्रुप में आया है.’

दिनेश को जैसे किसी ने नींद से जगा दिया था. उन्होंने तुरंत अपना फोन निकाल कर सुधा को फोन नंबर दिया. सुधा नंबर ले कर दूसरे कमरे में चली गई. अगले ही पल सुधा ने उस नंबर पर बात की. बात खत्म होते ही वह वापस ड्राइंगरूम में आई और उस ने जय और नंदिनी को तैयार होने को कहा. किसी की कुछ समझ में नहीं आ रहा था. सब आश्चर्य से सुधा को देख रहे थे.

‘अब ऐसे क्या देख रहे हो, मुझे लगा, जय और नंदनी की खुशियों को जल्दी से ले आते हैं. कहीं कोई और न ले जाए. मैं ने अभी जिस नंबर पर बात की है वह आश्रम की संचालिका का नंबर है. उसी ने बताया कि वहां कोरोनाकाल में बेसहारा हुए बच्चे हैं और वह 6 महीने की बच्ची अभी भी आश्रम में ही है. उन्होंने कहा है कि हमें वहां आ कर कुछ फौर्मेलिटीज पूरी करनी होंगी, तभी हम बच्ची को ले जा सकते हैं.’

जय सुधा का धन्यवाद करना चाहता था लेकिन सुधा ने उस को गले लगाते हुए कहा, ‘आज मेरे परिवार ने मेरी आंखें खोल दीं. पढ़ेलिखे होने का मतलब केवल जौब करना ही नहीं होता है, परिवार मे खुशियां बिखेरना भी होता है. और अगर ये खुशियां बाहर से आती हैं तो इस में बुराई ही क्या है. जय और नंदनी, जल्दी से तैयार हो जाओ. हमें जल्दी ही आश्रम के लिए निकलना है. वैसे भी, सरकार ने शाम के 8 बजे तक ही बाहर निकलने की आजादी दी है, इसलिए सभी जल्दी करो.’

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‘लेकिन मां, तुम ने मुझे तो एनिवर्सरी का गिफ्ट दे दिया था, पर नंदिनी को कुछ भी नहीं दिया था. तो मैं समझूं कि आप अभी भी नंदिनी से नाराज हो,’ जय ने अपनी पत्नी के हाथों को पकड़ते हुए कहा.

सुधा कुछ कहती, उस से पहले ही नंदिनी ने अपनी सास की ओर देखते हुए कहा, ‘नहीं जय, मां ने तो मुझे तुम्हारे गिफ्ट से भी ज्यादा अनमोल गिफ्ट दिया है जिस के लिए मैं मां की हमेशा ऋणी रहूंगी.’

और सुधा ने नंदिनी को गले से लगा लिया. सारे गिलेशिकवे आंसुओं में बह गए थे. नंदिनी ने सुधा के गले लगे ही जय को देख कर कहा, ‘तुम्हारे संकटमोचक ने फिर से बचा लिया.’ जय जोरजोर से हंसने लगा. दिनेशजी जय के कंधे पर हाथ रख कर मुसकरा रहे थे. आज परिवार में खुशहाली छा गई थी और एनिवर्सरी गिफ्ट को लाने के लिए सब तैयार हो कर आश्रम की ओर चल पड़े.

लंदन जाकर ये इलाज कराना चाहते थे Sidharth Shukla, Bigg Boss 13 में किया था खुलासा

हाल ही में टीवी के पौपुलर एक्टर सिद्धार्थ शुक्ला (Sidharth Shukla) के निधन ने फैंस और सेलेब्स को चौंका दिया. जहां सिद्धार्थ के अचानक चले जाने से उनका परिवार टूटा नजर आया तो वहीं उनकी खास दोस्त शहनाज गिल (Shehnaaz kaur Gill) को देख फैंस दिल टूट गया. इसी बीच Late सिद्धार्थ शुक्ला  (Sidharth Shukla) की कई वीडियो सोशलमीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिसमें एक वीडयो सिद्धार्थ शुक्ला की एक इच्छा का है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

लंदन जाकर करना चाहते थे ये काम

 

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बिग बॉस 13 (Bigg Boss 13) के विनर रह चुके सिद्धार्थ शुक्ला ने शो में इस बात का जिक्र किया था कि वो सिगरेट की लत से परेशान हो चुके हैं, जिसके कारण वह लंदन जाकर लंग क्लीनिंग का ट्रीटमेंट करवाना चाहते हैं. दरअसल, सिद्धार्थ शुक्ला  (Sidharth Shukla) ने शो के कंटेस्टेंट से कहा था कि वह लंदन में लंग ट्रीटमेंट इसलिए करवाना चाहते हैं क्योंकि वहां आसानी से उनका डार्क कार्बन निकाल दिया जाएगा.

 

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शहनाज से होने वाली थी शादी

 

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खबरों की मानें तो सिद्धार्थ और शहनाज (Shehnaaz kaur Gill) की शादी होने वाली थी. ये बात जगजाहिर है कि शहनाज का दिल सिद्धार्थ के लिए धड़कता था. वहीं कहा जा रहा है कि दोनों दिसंबर में शादी करने वाले थे, जिसके लिए होटल की बुकिंग भी कर ली गई थी. हालांकि इसकी कोई पुख्ता जानकारी सामने नही आई है.

 

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बता दें, सिद्धार्थ शुक्ला (Sidharth Shukla) की मां और बहनों ने फैंस के लिए 6 सितंबर यानी आज शाम 5 बजे एक ऑनलाइन प्रेयर मीट रखवाई है, जिसमें सिद्धार्थ शुक्ला के करीबी उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करेंगे. वहीं इसका खुलासा उनके दोस्त करणवीर बोहरा ने किया है.

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समर की जान बचाएगा अनुज कपाड़िया, शाह हाउस में होगी एंट्री

Star Plus के सीरियल अनुपमा में अनुज कपाड़िया की एंट्री हो चुकी है, जिसे फैंस काफी पसंद कर रहे हैं. वहीं अपकमिंग एपिसोड में मेकर्स सीरियल की कहानी में  नए मोड़ लाने की तैयारी हैं. दरअसल, सीरियल में काव्या जहां अनुपमा और अनुज को एक करने की कोशिश करेगी तो वहीं वनराज का नया चेहरा देखने को मिलेगा.

काव्या कसती है ताना

सीरियल में अब तक आपने देखा कि अनुज और अनुपमा की एक रियूनियन पार्टी में मुलाकात होती है, जिसे देखकर वनराज का खून खौल उठता है. हालांकि किंजल दोनों को सपोर्ट करती नजर आई. इसी बीच पाखी पूरे शाह परिवार को अनुपमा और उसके दोस्‍तों की पुरानी फोटोज और अनुपमा का डांस दिखाएगी. हालांकि काव्‍या दोनों पर ताना कसती दिखती है.

 

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समर को होगा एक्सीडेंट

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि नंदिनी और समर के बीच गलतफहमी और झगड़े के कारण बड़ा हंगामा होता नजर आएगा. दरअसल, पूरा शाह परिवार  जन्‍माष्‍टमी का जश्न मनाएगा. जहां समर अपने और नंदिनी के रिश्ते को लेकर परेशान होगा और घर नही लौटेगा. वहीं अनुपमा उसे फोन करेगी और उसे घर आने को कहेगी. लेकिन समर आने से मना कर देगा. इसी बीच समर का एक्सीडेंट हो जाएगा और फोन पर अनुपमा ये सब सुन लेगी.

अनुज बचाएगा जान

 

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दूसरी तरफ समर के पीछे एक ट्रक आता देख अनुज उसे बचाने की कोशिश करेगा. लेकिन ट्रक दोनों को टक्‍कर मार देगा, जिससे दोनों घायल हो जाएंगे. हालांकि दोनों को ज्यादा नुक्सान नही होगा. तो वहीं अनुज, समर को लेकर शाह निवास पहुंचेगा. जहां वनराज, काव्या और अनुपमा उसे देखकर चौंक जाएंगे.

बता दें, समर, नंदिनी की जिंदगी में उसके एक्स बौयफ्रेंड के आने से परेशान है, जिसके चलते वह अनुपमा से अपना दर्द शेयर करता हुआ नजर आता है कि नंदिनी उसे छोड़ देगी. लेकिन अनुपमा उसे समझाती है कि अगर वह उससे प्यार करता है तो वह नंदिनी की खुशी का ख्याल रखेगा.

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टीचर्स डे पर जानें Celebs की बातें

हर बच्चे के जीवन में अध्यापक की भूमिका पेरेंट्स के बाद अहम होती है. दोनों मिलकर ही एक बच्चे को उसकी भविष्य से परिचित करवाते है और एक सफल इंसान बनाने के लिए गाइड करते है, इन दोनों की संतुलन में जरा भी कमी बच्चे की भविष्य को बिगाड़ देती है. इसलिए जितना जरुरी एक अध्यापक का उसके जीवन में है, उतना ही जरुरी उन्हें रेस्पेक्ट देना भी है और टीचर्स डे हर साल अध्यापक के सम्मान और शिक्षा के प्रति अभिभावकों और बच्चों को जागरूक करने के लिए मनाया जाता है. कुछ सेलेब्रिटीज ने टीचर्स डे पर अपने अनुभव शेयर किये है, जिनकी वजह से उन्हें हमेशा आगे बढ़ने, चुनौतियाँ लेने और एक अनुशासित जीवन बिताने की प्रेरणा मिली है, आइये जाने उनका कहना क्या है,

निवेदिता बसु

निर्माता और क्रिएटिव डायरेक्टर निवेदिता बसु कहती है कि मेरे जीवन में पहले पेरेंट्स इसके बाद सास-ससुर ने गहरी छाप छोड़ी है. इसके बाद निर्माता निर्देशक एकता कपूर को मैं अपनी टीचर मानती हूँ, क्योंकि मैंने मनोरंजन की दुनिया में जब से काम शुरू किया है, उन्होंने मुझे हर तरह से सहयोग दिया, इसलिए मैं आज एक निर्माता, निर्देशक बन पायी हूँ. ऐसा वे हर व्यक्ति को सहयोग देती है,जो उनके बैनर तले काम करते है, उनका और मेरा रिश्ता पिछले 22 सालों से है. वे हर कर्मचारी को काम सिखाने के अलावा उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा भी देती है.

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विजयेन्द्र कुमेरिया

अभिनेता विजयेन्द्र कहते है कि मेरे जीवन में मेरे पिता ही सबसे बड़े अध्यापक है, उनसे मैंने बहुत कुछ सीखा है, उनकी अच्छी क्वालिटी को मैंने अपने जीवन में अडॉप्ट किया है. उन्होंने किसी की सहायता करने में कभी पीछे नहीं हटें, मेहनत को सबसे अधिक महत्व दिया है और सही बात कहने में वे कभी डरे नहीं. आज मैं जहाँ हूँ, इसका श्रेय मेरे पिता को जाता है, वे मेरे आदर्श है.

शीना बजाज  

बेस्ट ऑफ़ लक-निक्की फेम शीना बजाज कहती है कि मेरे कई टीचर्स है, जिसकी वजह से मुझे अच्छी शिक्षा मिली और मैं सभी का नाम बताना चाहती हूँ, मिस अबीगेल, मिस ब्रिनेल, ग्रेस पिंटो, पामेला मैम ये सभी मेरे स्कूल की टीचर्स रही है. पामेला मैम जो अब गुजर चुकी है, हमेशा कहती थी कि जितना हो सकें जरुरतमंदों की मदद करनी चाहिए और मुझे हमेशा सहयोग देती थी. जब मैंने बचपन में फिल्में की, तो उन्होंने मुझे करिकुलम के साथ जाने देती थी. वह टीचर्स को मेरे घर पर भेजकर मेरी स्टडीज को पूरा करवाती थी.  आज वे सभी टीचर्स मेरी कैरियर से बहुत खुश है. मेरा सभी अध्यापिकाओं से अभी भी जुड़ाव है. मुझे याद है एक बार जब ग्रेस पिंटो मैम पूरे क्लास के बच्चों को खुद में विश्वास, अपने उद्देश्यों पर अडिग रहने और धैर्य की बात समझाई थी. इसलिए आज मैं जो करना चाही, कर पाई.

देव जोशी

बालवीर रिटर्न्स फेम देव जोशी टीचर्स डे को याद करते हुए कहते है कि ये दिन मुझे बीते दिनों की याद दिलाता है, जो स्कूल के मेरे चहेते टीचर्स से जुड़ी है. मेरे स्कूल में टीचर्स की इस दिन छुट्टी रहती थी और स्टूडेन्ट्स उनका काम करते थे.सभी बच्चे अपने चहेते टीचर्स की तरह कपड़े पहनते थे और गंभीरता से अपना काम करते थे.मेरे जीवन में मेरे हर टीचर का महत्वपूर्ण योगदान है. जब भी मुझे जरूरत हुई, उन्होंने मुझे सही रास्ता दिखाया. मेरी माँ शुरू से ही मेरी मार्गदर्शक रही हैऔर अभिनय की कला उन्होंने ही मुझे सिखाई. मुझे जीवन के जो सबसे बड़े सबक सिखाये गए है,उनमें से एक है जीवन में आपकी दो यूनिफॉर्म्‍स होती हैं, एक को आप स्कूल में पहनते है और दूसरी आपको प्राप्त करनी होती है, तो पहली यूनिफॉर्म के साथ कड़ी मेहनत करें, ताकि आपको दूसरी यूनिफॉर्म सही ढंग से मिले.

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4 टिप्स: स्किन के लिए बेस्ट है टमाटर

टमाटर जितना हमारी हेल्थ के लिए अच्छा होता है उतना ही यह स्किन को भी फायदा पहुंचाता है. ऐसे कईं तरीके हैं, जिन्हें हम टमाटर के साथ स्किन के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं. ये आपकी स्किन को हर सीजन में हेल्दी और खूबसूरत बनाएगा. इसीलिए आज हम आपको टमाटर के कुछ फायदे बताएंगे, जिससे आप स्किन खूबसूरत और बेदाग स्किन पा सकते हैं.

1. नेचुरल सनस्क्रीन है टमाटर

टमाटर स्किन सम्बन्धी कई प्रौब्लम्स को जड़ से खत्म करता है. इसको खाने और चेहरे पर इसका रस मलने से सनबर्न और टैन खत्म होता है. टमाटर में पाया जाने वाला लाइकोपीन तत्व स्किन को अल्ट्रावायलेट किरणों के हानिकारक प्रभाव से बचाता है. टमाटर नेचुरल सनस्क्रीन के रूप में काम करता है.

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2. ड्राई और डल स्किन के लिए बेस्ट है टमाटर

गर्मियों में ड्राई और डल स्किन से महिलाएं काफी परेशान रहती हैं. ऐसे में कौस्मैटिक प्रौडक्टस की जगह बेहतर होगा अगर आप घरेलू उपचार करें और इसमें टमाटर आपका सबसे बड़ा मददगार साबित होगा. टमाटर जिसे सुपरफूड कहा जाता इसकी मदद से आपकी स्किन शाइनी और मुलायम बन सकती है.

3. स्किन पोर्स प्रौबल्म के लिए परफेक्ट है टमाटर

अगर आपकी स्किन के पोर्स खुल गये हैं, तो आपको टमाटर का जूस पीना चाहिए और इसे चेहरे पर भी लगाना चाहिए.  टमाटर का जूस चेहरे पर एस्ट्रिजेंट के रूप में काम करता है. एक टेबल स्पून टमाटर के जूस में चार-पांच बूंदें नींबू के रस की डालें और चेहरे पर लगाएं. बाद में गुनगुने पानी से चेहरा धो लें. खुले पोर्स की प्रौब्लम से छुटकारा मिल जाएगा. ब्लैकहेड प्रभावित हिस्से पर टमाटर के स्लाइस को रगड़ने से आप इस परेशानी से छुटकारा पा सकते हैं.

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4. झुर्रियों से पाएं छुटकारा

टमाटर सेलुलर डैमेज से लड़ते हैं, नमी को बरकरार रखते हैं, जिससे झुर्रियों को आने से रोका जा सकता है. यही नहीं, टमाटर में मौजूद एसिड आपके पिंपल्स को कम करने और स्किन को साफ करने में मदद करता है.

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