मॉडल यावर मिर्जा को अभिनय में किसका मिला साथ?

दबंग,बाडीगार्ड,रेडी,दबंग 2,फुगली, प्रेम रतन धन पायो, मस्तीजादे,मित्रों ,राधे जैसी फिल्मों के नृत्य निर्देशक मुदस्सर खान के नए म्यूजिक वीडियो ‘‘सात समुंदर पार’’से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शोहरत बटोर चुके मॉडल यावर मिर्जा ने अभिनय की शुरूआत की है. इस म्यूजिक वीडियो में यावर मिर्जा के साथ टीवी अदाकारा निया शर्मा नजर आ रही हैं,जो कि ‘एक हजारों में मेरी बहना’, ‘कालीः एक अग्निपरीक्षा’,‘जमाई राजा’जैसे सीरियलों और विक्रम भट्ट की ईरोटिक रोमांचक वेब सीरीज ‘‘ट्विस्टेड’’ में अभिनय कर शोहरत बटोर चुकी हैं.

मध्य प्रदेश के एक छोटे से शहर से ताल्लुक रखने वाले यावर मिर्जा कहते हैं-‘‘मैं हमेशा से अभिनय को कैरियर बनाने के अलावा बौलीवुड का हिस्सा बनना चाहता था. मुझे हमेशा मॉडलिंग में सराहना मिली.  शोहरत मिली. पर जब मैं मुंबई आया, तो मैंने अभिनय करने का अवसर पाने के लिए अॉडीशन देने के साथ ही अपने शरीर को उपयुक्त बनाने के लिए लगातार काम करता रहा. कुछ दिन बाद मुझे अहसास हुआ कि मुझे पहले मॉडल के रूप में शोहरत बटोरनी चाहिए.

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उसके बाद मुझे म्यूजिक वीडियो,टीवी सीरियल, वेब सीरीज और फिल्मों में अभिनय करने के लिए प्रयास करना चाहिए. कड़ी मेहनत का फल तब मिला,जब मुझे टीवी स्टार निया शर्मा के साथ म्यूजिक वीडियो ‘सात समुंदर पार‘ में हीरो बनकर अभिनय करने  का अवसर मिला. जब मुझे यह गाना सुनाया गया,तो मैं उत्साहित हो गया. इस गाने में हम दोनों की केमेस्ट्री और एनर्जी कमाल की है. यह गाना मशहूर नृत्य निर्देशक मुदस्सर खान ने निर्देशित किया है,जबकि इसका निर्माण ‘टी वाई एफ प्रोडक्शन फिल्म्स’और सह निर्माण रुचिका महेश्वरी ने किया है. ’’

गीत ‘‘सात समुंदर पार’’को  देव नेगी और निकिता गांधी ने अपनी आवाज में स्वरबद्ध किया है. जबकि रैपर एनबी निखिल बुधराजा ने गाने में रैपिंग पार्ट किया है. इसके संगीतकार विवेक कर हंै. टी वाई एफ की प्रोडक्शन मैनेजर अनुशी अरोड़ा और प्रोडक्शन कंट्रोलर लविश कुकरेजा ने मुंबई में शूटिंग के वक्त सारे प्रबंध किए. यह गाना बहुत जल्द ही बाजार में आएगा.

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Sasural Simar Ka 2 के सेट पर 5 महीने के बेटे की ऐसे केयर करता है ये एक्टर, देखें फोटोज

टीवी के पौपुलर सीरियल में से एक ससुराल सिमर का 2 (Sasural Simar Ka 2) इन दिनों सोशलमीडिया पर छाया हुआ है. दरअसल, ललित कश्यप का किरदार निभा रहे एक्टर वसीम मुश्ताक (Waseem Mushtaq) इन दिनों अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर सुर्खियों में हैं. वसीम मुश्ताक बीते कुछ महीने पहले ही पिता बने हैं, जिसके बाद वह अपने 5 महीने के बेटे को लेकर सेट पर नजर आए, जिसकी फोटोज सोशलमीडिया पर वायरल हो रही हैं. आइए आपको दिखाए वायरल फोटोज…

बेटे की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं वसीम

एक्टर वसीम मुश्ताक का बेटा 5 महीने का हो चुका है, जिसे लेकर वह ससुराल सिमर का 2 के सेट पर लेकर आते हैं. वहीं उसका ख्याल सेट पर रखने की कोशिश करते हैं. तारि उनकी वाइफ भी काम कर सके. एक इंटरव्यू में वसीम मुश्ताक ने बेटे को लेकर कहा कि ‘पिता होने के नाते मैं सारी जिम्मेदारी अपनी पत्नी पर नहीं डालना चाहता. मिखाइल हम दोनों का बेटा है. माता पिता होने के नाते हम दोनों की कुछ जिम्मेदारियां है. हमारे कल्चर में माना जाता है कि केवल मां ही अपने बच्चे को पाल सकती है. मैं ऐसा नहीं मानता. मेरी पत्नी नौकरी करने जाती है और मैं अपने बेटे की देखभाल करता हूं.’

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बेटे के साथ वक्त बिताते हैं वसीम

सेट पर बेट को लाने की बात पर वसीम मुश्ताक ने कहा, ‘मैं अपने बेटे को शो के सेट पर ले जाता हूं. हम दोनों ने अपनी जिम्मेदारी बराबर बांट ली है. मुझे पिता का किरदार निभाने में बहुत मजा आ रहा है. एक पिता अपने बेटे को बहुत कुछ सिखाता है. पिता भी मां की तरह अपने बेटे का ख्याल रख सकते हैं. मेरे साथ मेरे दोनों बच्चे सेफ होते हैं. मेरे बच्चे अभी चलना कूदना सीख रहे हैं. मेरे बच्चों के फिलहाल मेरे सपोर्ट की जरूरत है. मैं हमेशा अपने बेटों के आसपास रहना चाहता हूं.’

बता दें वसीम मुश्ताक ने आयशा मुश्ताक से शादी की है, जिनसे उनके 2 बच्चे हैं. वहीं सीरियल की बात करें तो वह कई पौपुलर शोज में नजर आ चुके हैं, जिसके चलते उनकी फैनफौलोइंग काफी बढ़ी हुई है.

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शाह परिवार के सामने आया अनुपमा का सच, राखी दवे ने डील का किया खुलासा

सीरियल अनुपमा में एक के बाद एक नए ट्विस्ट देखने को मिल रहे हैं, जिसके चलते दर्शक काफी एंटरटेन हो रहे हैं. जहां अनुपमा की एक गलती से पूरा परिवार परेशान है तो वहीं राखी दवे की डील के कारण अनुपमा का बिहेवियर बदला-बदला नजर आ रहा है. इसी बीच अपकमिंग एपिसोड में अनुपमा और राखी दवे की डील के राज का खुलासा होने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

घर पहुंची राखी दवे

अब तक आपने देखा कि अनुपमा 20 लाख का इंतजाम होने के बाद पूरे परिवार के साथ रक्षा बंधन मनाने की तैयारी करती है, जिसके चलते पूरा परिवार खुश नजर आता है. लेकिन इस बीच किंजल की मां राखी दवे शाह निवास में एंट्री लेती है और शाह परिवार को ताने सुनाती नजर आती है. हालांकि वह डील के बारे में परिवार को कुछ नही बताती पर अनुपमा को वह डराती हुई नजर आती है.

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राखी दवे से डरी अनुपमा

 

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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि वनराज, अनुपमा से 20 लाख रुपए की बात करते है. हालांकि वनराज सोचता है कि अनुपमा की दोस्त देविका ने उसे पैसे दिए हैं. लेकिन अनुपमा उसे सच नही बताती. डील होने से खुश राखी दवे को देखकर काव्या उससे सच जानने के कोशिश करती है. लेकिन वह कुछ नही बताती. लेकिन अनुपमा, राखी दवे से डरी-डरी नजर आती है.

 

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सामने आया डील का सच

दूसरी तरफ अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि वनराज और राखी दवे के बीच फिर तकरार होगी, जिसके कारण शाह परिवार में हंगामा देखने को मिलेगा. इस बीच राखी दवे गुस्से में पूरे परिवार को अनुपमा संग डील का खुलासा करेगी और बताएगी कि उसने अनुपमा को 20 लाख रुपए दिए हैं, जिसके बदले में अनुपमा ने अपने हिस्से का घर उसके पास गिरवी रखा है, जिसे सुनकर वनराज समेत पूरा परिवार हैरान रह जाएगा. वहीं इस बात से वनराज काफी नाराज होगा और अनुपमा को कहेगा कि जितना दर्द उसने 25 सालों में उसे दिया था. उसने एक पल वही दर्द सूत समेत उसे वापस लौटा दिया है. इसे सुनने के बाद अनुपमा टूट जाएगी. हालांकि समर उसका साथ देता नजर आएगा.

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दुल्हन बनीं कृति सेनन, फोटोज देख फैंस कह रहे हैं ये बात

बीते दिनों रिलीज हुई कृति सेनन की फिल्म मीमी की तारीफें आज भी सोशलमीडिया पर सुनने को मिल रही हैं. इसी बीच कृति सेनन का नया फोटोशूट फैंस के बीच सुर्खियां बटोर रहा है. दरअसल, हाल ही में कृति सेनन ने एक ब्राइडल फोटोशूट करवाया है, जिसे देखकर फैंस उन्हें परम सुंदरी का टैग देते नजर आ रहे हैं. आइए आपको दिखाते हैं कृति सेनन का ब्राइडल लुक…

दुल्हन बनीं कृति सेनन

 

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वायरल फोटोज में कृति सेनन लाल रंग का लहंगा पहने नजर आ रही हैं. लाल रंग का लहंगा, हाथों में कलीरे, दुल्हन सी सजीं कृति सेनन को अलग-अलग पोज देकर फैंस का दिल जीत रही हैं.

 

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मनीष मल्होत्रा के लहंगे में बटोरी सुर्खियां

 

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मशहूर फैशन डिजाइनर मनीष मल्होत्रा का डिजाइन किए गए कृति सेनन के लहंगे पर जरी का वर्क किया गया है, जिसके साथ हैवी ज्वैलरी और हाथों में कलीरे कृति सेनन के लुक पर चार चांद लगा रहे हैं.

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फैंस कह रहे हैं ये बात

 

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दुल्हन के लुक में कृति सेनन को देखकर कई यूजर्स ने कमेंट करके उन्हें परम सुंदरी बता रहे हैं. वहीं विदेशी लोग भी इन फोटोज को देखकर उनके लुक और ड्रैस की तारीफें करते नजर आ रहे हैं.

प्रभास संग फोटोज हई वायरल

 

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हाल ही में मुंबई पहुंचे बाहुबली एक्टर प्रभास संग कृति सेनन नजर आईं, जिसके बाद फैंस दोनों की साथ में फिल्म आने का इंतजार कर रहे हैं.

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मेकअप फौर परफैक्ट Selfie

ब्यूटी क्वीन बनने की ख्वाहिश अब बीते दिनों की बात हो गई है. अब हर हसीन आंखों में एक नया ख्वाब करवटें लेता नजर आता है और वह है सैल्फी क्वीन का ताज हासिल करने का. सैल्फी खींचना, अपलोड करना और फिर फेसबुक, ट्विटर पर कितने लाइक्स मिले इस पर ही उन की जिंदगी का सारा दारोमदार टिका होता है और यह हाल महज टीनऐजर्स का नहीं है, गृहिणियां और कामकाजी महिलाएं भी सैल्फी क्रेजी बन चुकी हैं. लेकिन सैल्फी क्लिक करना जितना आसान है, परफैक्ट सैल्फी खींच पाना उतना ही मुश्किल है. मेकअप, कैमरा ऐंगल, बैकग्राउंड और ऐसी ही कई और बातों को सीखने और ध्यान में रखने से ही आप पाएंगी एक मैजिकल परफैक्ट सैल्फी. तो आइए, जाने कुछ मैजिकल टिप्स:

एसपीएफ युक्त ब्यूटी प्रोडक्ट्स से रहें दूर:

सनस्क्रीन क्रीम, लोशन लगा कर सैल्फी ली तो चेहरा धुलाधुला सा नजर आएगा, क्योंकि ब्यूटी प्रोडक्ट्स में जो एसपीएफ इस्तेमाल होता है वह चेहरे पर एक लेयर औफ शाइन बना देता है ताकि सनलाइट रिफ्लैक्ट हो सके और आप सनटैनिंग से बच सकें.

मैट प्राइमर का इस्तेमाल करें:

मैट प्राइमर का इस्तेमाल कर आप अपने टीजोन को चमकदार दिखने से रोक सकती हैं और इस से आप की स्किन औयली और पैची भी नजर नहीं आएगी. प्राइमर का एक फायदा यह भी होगा कि चेहरे के सारे पैचेज छिप जाएंगे और फिल्टर का इस्तेमाल किए बिना भी आप की सैल्फी फ्रैश, खूबसूरत व यंग नजर आएगी.

मसकारा ब्लैक ही चुनें:

सैल्फी लेते वक्त मसकारा अवश्य लगाएं. यह आंखों को पूरी तरह खोल देता है और उन्हें बड़ा दिखाता है. बड़ीबड़ी कजरारी आंखों के जादू से कौन बच पाया है. मसकारा न सिर्फ पलकों को लंबा, घना दिखाता है, बल्कि उन की परफैक्ट शेप को भी हाईलाइट करता है. लेकिन ध्यान देने की बात यह है कि सैल्फी लेते वक्त हमेशा ब्लैक मसकारा ही चुनें. ड्रैस के रंग के अनुसार ब्लू, ग्रीन, ब्राउन मसकारा नहीं, क्योंकि सैल्फी में ब्लैक मसकारा ही सब से बेहतर रिजल्ट देता है.

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आईब्रोज:

आईब्रोज के परफैक्ट शेप में होने से चेहरे को नीट ऐंड क्लीन लुक मिलता है. साथ ही आप आईब्रोज के गैप्स को भी आईब्रो पैंसिल से अच्छी तरह भर लें वरना आईब्रोज सैल्फी में हलकी नजर आएंगी या दिखेंगी ही नहीं. इसलिए आईब्रोज डार्क व मोटी रखें. पतली और हलकी आईब्रोज से आंखें खिंची हुई सी लगती हैं और फिर उम्र भी अधिक नजर आती है.

आईलैशेज:

इन्हें लंबा, घना दिखाने के लिए क्रेयौन बेस्ड काजल पैंसिल अप्लाई करें.

लिप्स:

फुलर लिप्स पाने के लिए क्यूपिड बो पर हाईलाइटर अप्लाई करें. परफैक्ट पाउट लुक के लिए सैंसुअस लिपग्लौस लगाएं और अगर क्लासिक फिनिश की चाहत रखती हैं तो मैट लिपस्टिक लगाएं. मैच्योर महिलाएं डार्क कलर लगाएंगी तो लिप्स सिकुड़े हुए यानी रिंकल्स वाले लगेंगे और वे उम्रदराज भी नजर आएंगी.

और एक बात, अगर आप के लिप्स ही आप के चेहरे का सब से बड़ा आकर्षण हैं तो बिंदास बोल्ड कलर की लिपस्टिक विद लिपग्लौस लगाएं व प्रौपर फिल्टर के यूज से लिप्स को हाईलाइट भी करें.

ब्लशऔन:

पिक्चर परफैक्ट सैल्फी के लिए हाई चीकबोंस जरूरी हैं. अपनी चीकबोंस को पीच या पिंक ब्लशर से हाईलाइट करें और सैल्फी में द बैस्ट नजर आएं.

इल्यूमिनेटर ट्रिक:

यंग और ग्लोइंग स्किन पाने के लिए लिक्विड इल्यूमिनाइजर सब से अच्छा ब्यूटी प्रोडक्ट है. इसे अवश्य इस्तेमाल करें. अगर आप की चीकबोंस उठी नहीं हैं, तो इल्यूमिनेटर की सहायता से हाई चीकबोंस का भ्रम पैदा कर मैजिकल सैल्फी पा सकती हैं.

ब्रोंजर:

सन किस्ड लुक पाना चाहती हैं, तो ब्रोंजर अप्लाई करें. लेकिन इस के चुनाव में सावधानी बरतें. याद रखें कि शिमरी ब्रोंजर सामने तो अच्छा लगता है, मगर सैल्फी में चिपचिपा, स्टिकी नजर आ सकता है. सैल्फी लेते वक्त मैट ब्रोंजर का इस्तेमाल सही औप्शन है.

स्माइल:

सैल्फी में पाउटी फेस बनाना एक रूटीन और बोरिंग पोज हो गया है. बदलाव के लिए दिल लूट लेने वाली और कम से कम 500 लाइक्स पाने वाली मोहक स्माइली सैल्फी लें.

हेयरडू:

बालों को क्राउनिंग ग्लौरी यों ही नहीं कहा गया है. प्रौपर हेयरस्टाइल से लुक्स में जमीनआसमान का फर्क पड़ता है. सैल्फी के लिए फैंसी बन हेयरडू अपनाएं या फिर बालों में वेव्स, कर्ल्स डालें. ये भी खूबसूरती बढ़ाते हैं. पिकनिक गैटटुगैदर हिली ऐरिया में हो या बीच पर सैल्फी तो ली ही जाती है. लेकिन तेज हवा खेल बिगाड़ सकती है. अच्छा हो अगर पर्स में हेयरस्प्रे कैरी करें. साथ ही हेयरपिन्स भी.

लाइटिंग:

परफैक्ट सैल्फी वह होती है, जिस में लाइट इफैक्ट प्रौपर हो, उस में शैडो नहीं पड़नी चाहिए, न ही सैल्फी लेते वक्त आप के हाथ की ओर न ही सोर्स औफ लाइट की ओर. बेहतर होगा अगर प्राकृतिक रोशनी में सैल्फी लें. घर के अंदर भी हैं, तो खिड़की या दरवाजे के करीब जाएं ताकि सूर्य की किरणें चेहरे को नैचुरल ग्लो दे सकें. रात में सैल्फी क्लिक करें तो ध्यान रखें कि सोर्स औफ लाइट आप के सामने हो या फिर आप के सिर के ऊपर.

हाथ को स्थिर रखें:

शेकी हैंड से ली गई सैल्फी क्लीयर नहीं आती. बेहतर हो अगर आप दोनों हाथों का इस्तेमाल कर सैल्फी खींचें. कुछ स्मार्टफोन में ऐंटीशेक फीचर आता है, जिस से यह प्रौब्लम पूरी तरह हल हो जाती है. एक और तरीका है कि आप बर्स्ट मोड में फोटो लें, जिस में औटोमैटिकली कई शौट्स शूट हो जाते हैं और बाद में आप उन में से सब से अच्छे फोटो को अपलोड कर सकती हैं.

बैकग्राउंड भी महत्त्वपूर्ण है:

सैल्फी में महज आप का खूबसूरत दिखना ही काफी नहीं है. सूटेबल बैकग्राउंड का होना भी जरूरी है. अस्तव्यस्त बैडरूम या बाथरूम में खींची सैल्फी कभी ज्यादा लोगों को अपील नहीं करती. अपनी ड्रैस के रंग से मेल खाता बैकग्राउंड चुनें. आप की सैल्फी में चार चांद लग जाएंगे.

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सही कैमरा ऐंगल चुनें:

डबल चिन इफैक्ट से बचने के लिए कैमरे को अपनी चिन के नीचे कभी न रखें. सिर को हलका सा तिरछा कर पोज बनाएं, तो अकसर स्टाइलिश फोटो आता है. सैल्फी में कंप्लीट बौडी लेने की कोशिश न करें. अकसर बौडी थोड़ी डिफैक्टिव आती है. सैल्फी लेते वक्त आकर्षक ऐक्सैसरीज का इस्तेमाल ऐक्स्ट्रा ग्लैमर भर देता है जैसे स्कार्फ, औक्सीडाइज्ड ज्वैलरी पीस, गौगल्स या हैट. लेकिन एक समय में 2 से ज्याज ऐक्सैसरीज न पहनें.

सही फिल्टर का इस्तेमाल:

इस का इस्तेमाल कम करें. चेहरे के दागधब्बे छिपाने या फिर खासतौर पर अपने होंठों या आंखों पर फोकस करने तक बात ठीक है, लेकिन बहुत ज्यादा फिल्टर से नैचुरैलिटी चली जाती है.

सैल्फी अपनी खुशी और मजे के लिए खींचें. इसे अपना ऐडिक्शन न बनने दें और न ही अपलोड करने के बाद इस पर आए कमैंट्स से अपने ऊपर असर लें. और हां, सैल्फी के लिए अपनी जान को खतरे में कतई न डालें.

महिलाओं के इन 10 नखरों के बारे में जान कर आप मुस्कुराए बिना नहीं रहेंगे

महिलाएं किसी माने में पुरुषों से कम नहीं हैं. कई क्षेत्रों में तो वे पुरुषों को भी पछाड़ चुकी हैं. बात बचत की हो या फिर परिवार को बांधे रखने की, महिलाएं अपनी सारी भूमिकाएं बखूबी निभाती हैं. उन में खूबियों के साथसाथ कुछ ऐसी हरकतें भी होती हैं, जिन का जवाब मिल पाना मुश्किल है. आइए, जानते हैं वे हरकतें कौन सी हैं :

पीछे बुराई सामने बखान:

आप ने अकसर अपनी श्रीमती को अपनी सहेली से कहते सुना होगा कि अरे वह नीलिमा न जाने खुद को क्या समझती है. थोड़े अच्छे कपड़े क्या पहनती है, उसे लगता है उस से सुंदर कोई और है ही नहीं. लेकिन जैसे ही श्रीमती की मुलाकात नीलिमा से किसी पार्टी या फंक्शन में होती है तो उन की राय तुरंत बदल जाती है. तब वे कहती हैं कि हाय नीलिमा, आप की साड़ी बहुत सुंदर है. साडि़यों का कलैक्शन आप के पास कमाल का है. कोई कुछ भी कहे, मुझे आप की ड्रैसिंग सैंस बेहद पसंद है. भई, जब आप को तारीफ करनी ही थी तो पीठ पीछे बुराई क्यों की और अगर सच में मन में नफरत थी तो फिर यह तारीफ क्यों? अब आप ही बताएं कि है न यह सोचने वाली बात?

सलाह लेंगी पर मन की करेंगी:

‘‘अच्छा मांजी मैं व्यायाम क्लास के लिए कहां जाऊं सरकार नगर या बगल वाली बिल्डिंग में?’’

मान लें कि मांजी ने कहा सरकार नगर, लेकिन तब भी वे पति से पूछेंगी, ‘‘आप को क्या लगता है मुझे व्यायाम क्लास के लिए कहां जाना चाहिए?’’

माना पति ने भी कहा सरकार नगर. पर 2 लोगों से एक सा जवाब पाने के बाद भी उन के दिल को तसल्ली नहीं मिलती. अपनी 2-4 सहेलियां से भी यही सवाल पूछेंगी और आखिर में कहेंगी, ‘‘मैं सोच रही हूं बगल वाली बिल्डिंग ठीक रहेगी. सरकार नगर वाली क्लास में बाकी सुविधाएं तो ठीक हैं, लेकिन वह घर से थोड़ा दूर है.’’

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श्रीमतीजी, जब आप को अपने मन की करनी ही थी तो लोगों की सलाह क्यों ली?

खाएंगी भी मोटापे से भी डरेंगी:

‘‘बस…बस थोड़ा ही देना’’  ‘‘अरे यह ज्यादा है थोड़ा कम करो’’, ‘‘चलो आप कह रही हैं तो चख ही लेती हूं’’, ‘‘इतना काफी है ज्यादा खाऊंगी. तो मोटी हो जाऊंगी.’’ जब भी खानेखिलाने की बात होती है महिलाएं अकसर इन जुमलों का इस्तेमाल करती हैं. लेकिन खाती जरूर हैं. इतना ही नहीं, खाने की सामग्री थोड़ाथोड़ा कहतेकहते अधिक भी हो जाती है और किसी को पता भी नहीं चलता. उन्हें भी नहीं.

अगर वाकई में उन्हें नहीं खाना है तो इतनी सारी बातें कहने के बजाय एक साधारण सा न भी कह सकती हैं.

5 मिनट कहेंगी सजने में घंटों लगा देंगी:

‘‘बस 5 मिनट में रैडी हो कर आई’’, ‘‘हां…हां… मैं तैयार हूं बस 3 मिनट’’, ‘‘बस आ ही रही हूं.’’ महिलाओं के मुंह से ये वाक्य तब सुनने को मिलते हैं जब वे तैयार हो कर कहीं जाने के मूड में होती हैं. पूछने पर हर बार कहती हैं कि बस ‘‘5 मिनट’’ और उन के ये 5 मिनट 5 से 10, 10 से 15, 15 से 20 बढ़ते जाते हैं. हैरान करने वाली बात तो यह है कि तैयार होने में 30 मिनट से भी अधिक समय लगाने के बावजूद कुछ न कुछ बाकी ही रहता है. इस का खुलासा तब होता है जब कोइ उन्हें कहता है कि मिसेज शर्मा, आप बहुत खूबसूरत नजर आ रही है और वे जवाब में कहती हैं, ‘‘क्या खूबसूरत. मैं तो अच्छी तरह से तैयार भी नहीं हो पाई, शर्माजी को आने की जल्दी जो पड़ी थी.’’ क्यों यह भी सच है न?

साथी को बदलेंगी फिर बदलाव से चिढ़ेंगी:

हमसफर भले कितना भी अच्छा क्यों न हो, महिलाओं के लिए वह कभी परफैक्ट नहीं होता है. बारबार टोक कर वे उसे हमेशा सुधारने में लगी रहती हैं. ‘‘भई, पार्टी में कभी आगे बढ़ कर आप भी लोगों से बात कर लिया करो,’’ ‘‘आप कभी खुद शौपिंग पर जा कर हमारे लिए कुछ नहीं लाते हो.’’

बेचारे पति कई बार ये ताने सुनने के बाद खुद को बदल लेते हैं. तब वही पत्नियां उन से कहती हैं, ‘‘पार्टी में तुम्हें लोगो से मिलने की बड़ी जल्दी होती है’’, ‘‘यह अपने मन से क्या उठा लाए? जब शौपिंग करनी नहीं आती है तो करते क्यों हो?’’ अब आप ही बताएं कुसूरवार कौन है?

शौपिंग के लिए हर वक्त रहेंगी रैडी:

‘‘मैं औनलाइन शौंपिंग में यकीन नहीं रखती,’’  कहने वाली महिलाएं को अगर इंटरनैट पर कोई काम करते वक्त साड़ी, सूट या ज्वैलरी का विज्ञापन दिख जाए, तो क्लिक कर के एक बार उसे देखती जरूर हैं. भई, अगर खरीदना नहीं है तो देखना क्यों? कुछ कहती हैं, ‘‘मैं तो बस फलां मौल से शौपिंग करती हूं.’’ लेकिन अगर पता चल जाए कि पास में ज्वैलरी की नई शौप खुली है तो देखने जरूर पहुंच जाती हैं. खरीदें या न खरीदें यह बाद की बात है.

‘‘मैं तो बस संडे को शौपिंग करती हूं.’’ ऐसा कहने वाली महिलाओं की भी कोई कमी नहीं है, लेकिन यह भी बस कहने की बात है. कुछ दिनों बाद वे खुद कहती हैं, ‘‘सोच रही हूं मंडे को शौपिंग पर चली जाऊं, घर में अकेली बैठ कर क्या करूंगी?’’

कहने का मतलब बस यही है कि महिलाएं किसी भी स्थिति में और कहीं भी शौपिंग के लिए तैयार रहती हैं.

हर बात को ले कर रहती हैं कन्फ्यूज्ड:

‘‘जानू शादी में क्या पहनूं, लहंगासाड़ी या फिर घाघराचोली’’, ‘‘मांजी नास्ते में क्या बनाऊं डोसा या ढोकला’’, ‘‘क्या करूं यार समझ नहीं पा रही पार्टी में जाऊं या नहीं.’’ बात छोटी हो या बड़ी, फैसले को ले कर महिलाएं हमेशा कन्फ्यूज्ड रहती हैं. ‘करूं या न करूं, जाऊं या नहीं. क्या पहनूं, क्या नहीं खाऊं या न खाऊं’ जैसी तमाम बातें महिलाओं से जुड़ी होती हैं, लेकिन फैसले को ले कर वे हमेशा हां, न में ही उलझी रहती हैं. मजेदार बात यह है कि महिलाएं जिन बातों को ले कर उलझन में रहती हैं, उन को छोड़ कर कुछ तीसरा ही करती हैं.

लड़ेंगी भी रोएंगी भी:

यह कहना गलत नहीं होगा कि पत्नियां पतियों के सामने अपने आंसुओं का इस्तेमाल तलवार की तरह करती हैं, जिन्हें देख कर बेचारे पति खुद घुटने टेक देते हैं. मजेदार बात तो तब होती है जब गलती खुद पत्नी की होती है, लेकिन वे पति पर बरस पड़ती हैं और आखिर में आंसू बहा कर पति को यों एहसास दिलाती हैं जैसे गलती उन की है. बेचारे पति भी कुछ समझ नहीं पाते. पत्नी की आंखों में आंसू देख कर सौरी बोल कर मामले को रफादफा कर देते हैं और पत्नियां मन ही मन मुसकराती हैं. न जानें वे ऐसी क्यों हैं?

हर हाल में कहेंगी मैं ठीक हूं:

‘‘आप को मेरी कोई फ्रिक नहीं है’’, ‘‘कल से मेरी तबीयत खराब है. पर आप को क्या’’, ‘‘मेरा सिर दर्द से फटा जा रहा है, लेकिन आप को क्या.’’  जैसी न जानें कितनी बातें हैं, जो पत्नियां अपने पति से अकसर गुस्से में कहती हैं खासकर तब जब पति उन का हालचाल उन से न पूछे. लेकिन पत्नियों के तानों के बाद जब कभी पति पत्नी से पूछता है कि अब दर्द कैसा है या तबीयत कैसी है  तो पत्नी कहती है कि मैं ठीक हूं, फिर चाहे दर्द ज्यों का त्यों क्यों न हो. अब आप ही बताएं जब ठीक ही थी तो पति को इतनी बातें सुनाने की क्या जरूरत थी.

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नाराज भी रहेंगी फिक्र भी करेंगी:

चाहे पति आसमान से चांद ही क्यों न ले आएं, लेकिन पत्नियां हमेशा उन से नाराज ही रहती हैं. लेकिन यह भी सच है कि  उन की नाराजगी में फ्रिक भी छिपी होती है. नाराजगी के चलते वे भले फोन लगा कर आप से प्यार भरी बातें न करें, लेकिन नाराजगी के अंदाज में आप की खैरियत का जायजा ले ही लेती हैं. इतना ही नहीं, अपनी नाराजगी को वे हमेशा एक ओर रखती हैं और पति की चायपानी, टिफिन जैसी जरूरतों को एक तरफ, कभी वे अपनी नाराजगी में पति का नुकसान नहीं करती हैं. अब आप ही बताएं क्या वे ऐसी नहीं हैं?

घरेलू सामान और उत्पाद की आजादी

जैसे एक युग में स्टीम इंजन से चलने वाली फैक्ट्रियों ने लाखों छोटे कारीगरों का काम छीना था पर बदले में अपने वक्र्स को ज्यादा खुशनुमा रिहायश और ग्राहकों को अच्छा काम दिया था. वैसे ही आज की डिजिकल क्रांति छोटे दुकानदारों, सेवाएं देने वालों और छोटे मैकेनिकों आदि को समाप्त कर रही है और व्यापार की बागड़ोर बड़ी कंपनियों के हाथों में एब्म कर रही है. मोबाइल बेस्ड टैक्नोलौजी से मिली सुविधा के कारण आज किराना शौप्स, टेलर्स, पेंटर, खाने का समय बनाने वाले सब गायब होते जा रहे हैं. फिल्पकार्ट, अमेजान और उस जैसे प्लेटफौर्म खुद कुछ नहीं बना रहे पर दूसरों का सामान बेच कर मोटी कमाई कर रहे हैं.

ओला राइड कंपनी जिस ने सारे देश में लगभग कालीपीली टैक्सियां गायब कर दी है. वे आटो को भी समाप्त करने में लगे हैं. बाइक टैक्सी व्यवसाय भी उन की टैक्नोलौजी में फिट बैठता है. अब कारों को खरीदने में माहिर और अपनी पुरानी गाडिय़ों को बेचने में माहिर हो जाने के बाद वे पुरानी गाडिय़ों के व्यवसाय में उतर रहे हैं और देश भर में फैलसे पुरानी गाडिय़ों को बेचने वालों का सफाया कर देंगे.

इस तरह की कंपनियां कानून बदलवा सकती हैं. वे सरकार पर दबाव डालेंगी जब तक सॢटफाइड कार न हो, कोई पुरानी कार बेची न जाए और फिर सॢटफेशन बिजनैसों को खरीदना शुरू कर देंगे. वे सडक़ किनारे कि लगे बाजारों की जगह शहर के बाहर हजारों गाडिय़ां एक जगह खड़ी करने की जगह बना लेंगे. सुविधा के नाम पर  आप को गाड़ी का मेप, रंग, कितनी चली, ठीक हालत में है, कैसी गड्डियां हैं. कैसे बैलून हैं, कल और सेफ्टी फीचर सब मिल जाएगा, सिर्फ मोबाइल पर कोई झिकझिक नहीं, कोई डर नहीं कि गाड़ी  किसी अपराध में तो नहीं पकड़ी गर्ई है.

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इस का मतलब है कि लाखों पुरानी कारों के विक्रताओं के बच्चों को अब ओला या उस जैसी एक्टो कंपनियों में नौकरी से संतुष्ट रहना होगा. एक स्वतंत्र व्यवसाय जिस में मालिक गर्व महसूस करता था उसी तरह गायब हो जाएगा जैसे कभी बरतन ठोक कर बना लेने वाला ठठेरा (यह शब्द आज की पीढ़ी के लिए अनजाना है) गर्व भी महसूस करता था और आजादी से अपना छोटा सा काम करता था.

यही टाटा एमजी कंपनी करने जा रही है जो दवाइयों को फार्मा कंपनियों से खरीद कर केवल अपने ऊंचाइयों के जरिए घरघर पहुंचाएगी. आप के पड़ोस का कैमिस्ट जो डाक्टर का भी काम करता था, गायब हो जाएगा. यह भी डिजिटल टैक्नोलौजी की कमाल है. ग्राहक चाहे इसे भी सुविधा माने पर असल में यह कैमिस्टों को लाभ डिलिवरी बौय बना देगा.

जैसे पहले राजा तलवार के बल पर किसान को लूटते थे, फिर फैक्ट्रियां के बल पर आप मजदूरों को गुलामी करनी पड़ी वैसेे ही अब डिजिटल मोनोपोली से आम आदमी गुलाबी की एक और जंजीर गले में डाल लेगा. इस गुलामी का असर घरों पर सब से ज्यादा पड़ता है. जब भी किसी समाज में गुलामी का दौर बढ़ा है, वहां की औरतें और गुलाम हो गई हैं. एक युग में पंडों के पाखंड ने कैरे समाज को वर्चस्व में ले लिया था. जहां भी धर्म का समाज पर मोनोपौली हुई वहां औरतों पर हजारों नए प्रतिबंध लगे. जब आम आदमी के अधिकारों को बल मिला चाहे शिक्षा के कारण या सरकार, उद्योगपति या पाखंडबाजों के खिलाफ विद्रोह से, औरतों ने राहत की सांस ली. यह पूरे समाज में बराबरी के अवसरों और आजादी का नतीजा है.

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जब आप घरेलू सामान, घरेलू सेवाओं और यहां तक कि घरों के लिए एकदो कंपनियों पर निर्भर रह जाएंगी. आप की आजादी छिन जएगी. व्हाट्सएप या फेसबुक पर जाने अनजानों के बारे में जान कर खुश न हो कि वाह क्या कमाल है तकनीक का. यह चूहेदान में लगी डबल रोटी है जिसे खाने के लालच में आप चूहेदानियों में फंस रहे हैं और फिर गुलाम हो जाते हैं. एमेजन, फ्लिपकार्ड, ओला ने शुरू में सस्ते में जो कुछ देना शुरू किया था, आज बंद कर दिया है. अब वे हर चीज अपनी मनचाही कीमत पर दे रहे हैं और चूंकि पड़ोस में दुकानदार कम हो गए हैं और आप आलस्य के मारे घर बैठे सामान खरीदने के आदी हो गए हैं, आप आॢथक गुलाम हो गए हैं.

सफेद सियार: क्या अंशिका बनवारी के चंगुल से छूट पाई?

लेखक- जीतेंद्र मोहन भटनागर

Travel Special: प्रकृति का अनमोल तोहफा है नेतरहाट

प्राकतिक सौंदर्य एवं खनिज संपदा से परिपूर्ण झारखंड राज्य के लातेहार जिले में समुद्र तल से 3,622 फीट ऊंचाई पर स्थित नेतरहाट का मौसम सालभर खुशनुमा रहता है. इसे प्रकृति का अनमोल तोहफा कहा जाता है, यही वजह है इस अनुपम स्थल को निहारने के लिए पर्यटक यहां खिंचे चले आते हैं. आने वाले पर्यटक प्रकृति के इस खूबसूरत स्थल को ‘नेचर हाट’ भी कहते हैं.

नेतरहाट को ‘छोटा नागपुर की रानी’ भी कहा जाता है. नेतरहाट शब्द की उत्पत्ति के विषय में कहा जाता है कि नेतुर (बांस) और हातु (हाट) मिलकर यह शब्द बना है. प्राचीन समय में यहां बांस का जंगल था, जिस कारण इसका नाम नेतरहाट पड़ गया. नेतरहाट पठार के निकट की पहाड़ियां सात पाट कहलाती हैं. यहां बिरहोर, उरांव और बिरजिया जाति के लोग निवास करते हैं.

रांची से करीब 160 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नेतरहाट आने के लिए प्रतिदिन बसें चलती हैं. रांची से आने के दौरान नेतरहाट पहुंचने के 50 किलोमीटर पूर्व से ही पहाड़ियों पर बने टेढ़े-मेढ़े रास्तों पर किसी वाहन की सवारी आपको रोमांचित कर देगी.

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नेतरहाट पहुंचने के लिए घने जंगलों और पहाड़ियों से होकर गुजरना पड़ता है. बनारी गांव से एक सर्पीला रास्ता हमें वहां तक ले जाता है. इन रास्तों से गुजरते हुए कभी-कभी लोग भयभीत भी हो जाते हैं. रास्तेभर बांस, सेमल, पलाश, पइन, साल और अयर के पेड़ आपका स्वागत करते नजर आएंगे तो कचनार फूल की महक आपको तरोताजा करती रहेगी.

नेतरहाट आने वाले पर्यटक यहां के सूर्योदय और सूर्यास्त देखना नहीं भूलते. सूर्योदय के दौरान इंद्रधनुषी छटा को देखकर ऐसा लगता है कि हरी वादियों से एक रक्ताभ

गोला धीरे-धीरे ऊपर उठ रहा है. इस क्षण प्रकृति का कण-कण सप्तरंगी हो जाता है और पर्यटक इस दृश्य को देखकर सहसा कह उठते हैं- अद्भुत!

सूर्यास्त देखने के लिए लोग नेतरहाट से 10 किलोमीटर दूर मैगनोलिया प्वाइंट जाते हैं.

पर्यटक यहां का प्रसिद्ध नेतरहाट आवासीय विद्यालय भी देखने आते हैं. इस विद्यालय की स्थापना इंडियन पब्लिक स्कूल कान्फ्रेंस के संस्थापक सदस्य एफ .जे. पायर्स ने वर्ष 1951 में किया था. यह विद्यालय गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए विख्यात है.

पर्यटक पहाड़ी से उतरती कोयल नदी की बलखाती लहरों के नयनाभिराम दृश्य देखने के लिए कोयल व्यू-प्वांइट पर पहुंचते हैं. नेतरहाट से 35 किलोमीटर दूर शंख नदी पर सदनी जल प्रपात एक महत्वपूर्ण पिकनिक स्थल है तो नेतरहाट से 65 किलोमीटर दूर लोध जलप्रपात भी है.

यदि जंगल-पहाड़ होते हुए पैदल जाएं तो 16 किलोमीटर की दूरी ही तय करनी पड़ती है. वैसे मैगनोलिया प्वाइंट से भी दूर पहाड़ों से गिरती लोधा जलप्रपात के पानी की तीन पतली धाराएं दिखती हैं. यह जलप्रपात 468 फीट की ऊंचाई से गिरती है.

यहां आने वाले पर्यटक ऊपरी घाघरी झरना और निचली घाघरी झरना भी देखना नहीं भूलते. झारखंड का दूसरा सबसे बड़ा जलप्रपात बरहा घाघ भी यहीं है, जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है.

यहां तीन से चार दिन रहकर प्रातिक छटा का लुत्फ पूरी तरह उठाया जा सकता है. यहां ठरहने के लिए वन विभाग के रेस्ट हाउस के अलावा विभिन्न श्रेणी के निजी रेस्ट हाउस भी उपलब्ध हैं.

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नेतरहाट आने के लिए रांची से गुमला होते भी एक मार्ग है और डालटनगंज या लातेहार से बेतला नेशनल पार्क और महुआडांड़ होते हुए भी यहां पहुंचा जा सकता है. प्रतिदिन पांच से छह बसें रांची और डालटनगंज से चलती हैं. अगर अपने वाहन से सैर करना चाहें तो कहना ही क्या!

अगर आप गर्मी की लंबी छुट्टी में किसी पर्यटन स्थल की सैर करना चाहते हैं तो नेतरहाट इसके लिए उत्तम स्थान हो सकता है.

डेल्फिक काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र’ के आधिकारिक ‘लोगो’ का हुआ अनावरण, सेलेब्स हुए शामिल

2500 वर्ष पहले प्राचीन ग्रीस में ‘‘डेल्फिक गेम्स’’की शुरूआत हुई थी और इन्हें ओलंपिक के समान माना जाता है.  ओलंपिक शारीरिक खेलों के लिए जाने जाते हैं, जबकि ‘डेल्फिक गेम्स’कला और संस्कृति को बढ़ावा देते हैं. डेल्फिक गेम्स – संगीत और ध्वनि,  परफॉर्मिंग आर्ट्स,  भाषा-आधारित कला,  व्हिज्युअल आर्ट्स,  सामाजिक कला,  पर्यावरण कला और वास्तुकला सहित छह प्रमुख कला श्रेणियों का प्रतिनिधित्व कर,  सैकड़ों उप- श्रेणियों और शैलियों को तथा कई नए प्रकार की कला,  कलाप्रेमी और विभिन्न कलाकारों के लिए एक सामान मंच प्रदान करने का एक अमूल्य काम करता है. आधुनिक डेल्फिक खेलों को 1994 में पुनर्जीवित किया गया था. कला और संस्कृति की उन्नति और उस संदर्भ में विचार- विमर्श करने के लिए डेफ्लिक गेम्स एकमात्र वैश्विक मंच है.  बर्लिन स्थित आंतरराष्ट्रीय डेल्फिक गेम्स का आयोजन दुनिया भर में हर चार वर्ष में एक बार किया जाता है. अब तक यह प्रतियोगिता आठ देशों की यात्रा कर चुकी है. पिछले कुछ वर्षों के दौरान भारत ने दक्षिण कोरिया और मलेशिया जैसे विभिन्न देशों में डेल्फिक गेम्स के कुल 3 सत्रों में भाग लेकर स्वर्ण और रजत पदक जीते हैं.

भारत में ‘डेल्फिक खेलों’’को बढ़ावा देन के मकसद से कुछ वर्ष पहले भारत में ‘‘इंडियन डेल्फिक काउंसिल’’का गठन किया गया था. धीरे धीरे इस तरह के खेलों को लेकर भारत के राज्यो में काम किया गया. अब तक महाराष्ट् राज्य सहित देश के 22 राज्यों मंे डेल्फिक खेलों को लेकर संगठन बने हुए हैं. महाराष्ट् राज्य में हाल ही में ‘‘डेल्फिक काउंसिल आफ महाराष्ट्’’का गठन किया गया, जिसके प्रतीक चिन्ह ‘लोगो’का अनावरण कई फिल्मी हस्तियो की मौजदूगी में महाराष्ट्र के राज्यपाल माननीय भगत सिंह कोश्यारी के हाथों किया गया. ‘‘डेल्फिक काउंसिल अॉफ महाराष्ट्र’’ का प्रतीक चिन्ह(लोगो) ‘पानी‘ है और प्राचीन काल से डेल्फिक गेम्स का यह एक अनूठा प्रतीक है. ‘कई कलाओं के माध्यम से शांति’ प्रस्थापित करने का रूपक ‘पानी‘ है. अंतर्राष्ट्रीय डेल्फिक काउंसिल एक गैर- सरकारी,  गैर-राजनीतिक,  गैर- सांप्रदायिक,  गैर-धार्मिक संगठन है.  यह दुनिया का एकमात्र मंच है, जो कला और संस्कृतियों का पोषण कर समाज में शांति का संदेश देता है.

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इस मौके पर शास्त्रीय नृत्यांगना,  अभिनेत्री और सांसद हेमा मालिनी उद्घाटन समारोह में सम्मानित अतिथि, वरिष्ठ अभिनेता और राष्ट्ीय नाट्य विद्यालय के अध्यक्ष परेश रावल मुख्य अतिथि के अलावा प्रसिद्ध उद्योगपति यश बिरला, अभिनेत्री भाग्यश्री,  हफीज कॉन्ट्रॅक्टर,  देवेंद्र प्रताप सिंह तोमर,  सलीम-सुलेमान,  श्रेयस तलपड़े, गणेश आचार्य,  बॉस्को-सीजर,  तेजस्विनी कोल्हापुरे व इंडियन डेल्फिक काउंसिल के प्रतिनिधि रमेश प्रसन्ना और डेल्फिक काउंसिल अॉफ महाराष्ट्र के अन्य अधिकारी भी इस समारोह में मौजूद थे.

‘‘डेल्फिक काउंसिल अॉफ महाराष्ट्र’’के अध्यक्ष साहिल सेठ, उपाध्यक्ष सुरेश थॉमस, महासचिव अपराजित अवि मित्तल व संयुक्त महासचिव श्रीमती.  प्रणिता पंडित, अली अकबर रिजवी को कोषाध्यक्ष के तौर पर चुना गया. जबकि डेल्फिक काउंसिल ने कुछ श्रेणियों को विभाजित कर उनके कई संचालक भी घोषित किए. संगीत कला एवं ध्वनि के विभाग पर सुलेमान मर्चेंट, सामाजिक कला विभाग पर राजवीर कौशिक,  व्हिजुअल आर्ट्स विभाग पर श्रीमती बीना तलत,  पर्यावरणीय कला और वास्तुकला (आर्किटेक्चर) इस विभाग पर विनय अग्रवाल, तो परफॉर्मिंग आर्टस् एवं इरोबटिक्स विभाग पर अमित कपूर को नियुक्त किया गया. जबकि श्रीमती अमिता भट और श्रीमती रचना पुरी को क्रमशः भाषा कला और वक्तृत्व व डेल्फिक क्लब और सदस्यता विभाग के संचालक पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है. तो वहीं सलाहकार के तौर पर यश बिरला (बिरला ग्रुप), देवेंद्र सिंह तोमर (केंद्रीय कृषी मंत्री), डॉ.  अली इराणी (नानावटी हॉस्पिटल), क्वेझर खालिद (पोलीस कमिशनर रेल्वे मुंबई),  सलीम मर्चंट (संगीत निर्देशक),  साक्षी तंवर (अभिनेत्री) हैं. डेल्फिक कौंसिल की अलग अलग समितियांे के साथ नृत्य निर्देशक बॉस्को, फैशन डिजायनर एमी बिलामोरिया, अभिनेत्री सुचित्रा कृष्णमूर्ती , नृत्य निर्देशक गणेश आचार्य, अभिनेत्री तेजस्वनी कोल्हापुरी, फिल्ू निर्देशक निवेदिता बसु, जरीन खान, तेज सप्रू, राघव सच्चर,  टिस्का चोपड़ा व पवन नागपाल का समावेश है.

इस अवसर पर हेमा मालिनी ने कहा-“महामारी के कारण पिछले वर्ष से दुनिया में निराशा की भावना है, लेकिन इस कठिन अवसर ने हमारे जीवन में कला और संस्कृति के महत्व को मजबूत किया है. हमें कुछ ऐसा चाहिए, जो हमारे दिल और आत्मा को छू जाए और हमारे मन को शांत करे और हमारे भीतर प्रेरणा निर्माण करे ऐसे कुछ शब्दों की हमें जरुरत है. भारत में अपार प्रतिभा है. योग को दुनिया के सामने लाने में आपने जो मेहनत की है,  मुझे उम्मीद है कि ठीक उसी तरह डेल्फिक आंदोलन के नेतृत्व में आप नई प्रतिभाओं को दुनिया के सामने लाने में सफल होंगे. ‘‘

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‘डेल्फिक काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र’ के अध्यक्ष व भारतीय राजस्व सेवा अधिकारी साहिल सेठ ने कहा- “भारत में डेल्फिक काउंसिल से जुड़ना और कला और संस्कृति के विकास को बढ़ावा देना मेरे लिए गर्व की बात है. यह न केवल लोगों को एक साथ लाने का बल्कि राज्य और उसके लोगों के लिए वैश्विक मौका प्रदान करने का एक साधन है. महाराष्ट्र में कला और संस्कृति की समृद्ध विरासत और डेल्फिक काउंसिल के कारण, हम इस विरासत के माध्यम से समाज प्रबोधन का कार्य करने की कोशिश करेंगे.  हम जल्द ही अपनी पहली पहल की घोषणा करेंगे,  जिसमें बच्चों के लिए कला,  एक लघु फिल्म समारोह और बहुत कुछ शामिल होगा. ‘‘

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