विश्व को पर्यावरण प्रदूषण से मुक्त करने के लिए क्या कहते है,‘फारेस्ट मैन ऑफ़ इंडिया’ जादव मोलई पायेंग

व्यक्ति अगर ठान ले तो क्या नहीं कर सकता, मन में इच्छा और काम करने की मेहनत ही उसे आगे ले जाने में सामर्थ्य होती है, ऐसा ही कुछ कर दिखाया है आसाम के जोरहाट जिले की कोकिलामुख गांव की रहने वाले पर्यावरणविद और फॉरेस्ट्री वर्कर जादव ‘मोलई’ पायेंगने, जिन्हें देश ने ‘फारेस्ट मैन ऑफ़ इंडिया’का ख़िताब दिया और साल 2015 को पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से उन्होंने पद्मश्री भी प्राप्त किया.उन्होंने ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे की बंजर और रेतीले जमीन को जंगल में परिवर्तित कर दिया, जहाँ बाघ, हाथी, हिरण, खरगोश आदि वन्य जीव और माइग्रेंटेड हजारों पक्षी शरण लिया करते है. 58 साल के जादव चाहते है कि विश्व में हर स्कूल और कॉलेजों में पर्यावरण के बारें में अच्छी शिक्षा दी जाय, ताकि विश्व नेचुरल डिजास्टर से बच सकें, नहीं तो वो दिन दूर नहीं, जब धरती पूरी पृथ्वीवासी से इसका बदला लेने में जरा सी भी नहीं चुकेगी.जादव के इस काम में उनकी पत्नी बिनीता पायेंग और बेटी मुन्नी पायेंग, बड़ा बेटा संजीब पायेंग और छोटा बेटा संजय पायेंगसभी सहयोग देते है. उन्होंने केवल भारत में ही नहीं, बल्कि विश्व में भी कई बंजर जमीन को जंगल में परिवर्तित किया है, जिसमें फ्रांस, ताइवान और मेक्सिको मुख्य है. इसके अलावा जादव के इस काम को भारत भले ही न समझे, पर अमेरिकी स्कूल ब्रिस्टल कनेक्टिकटके ग्रीन स्कूल की कक्षा 6 की पाठ्यक्रम में जादव के काम को शामिल किया गया है. मोलई फारेस्ट के अंदर काम कर रहे जादव से बात की, जहाँ नेटवर्क की समस्या है, लेकिन उन्होंने उसे दरकिनार करते हुए खास गृहशोभा के लिए बात की, आइये जाने उनकी कहानी उनकी जुबानी.

मिली प्रेरणा

पेड़ लगाने का काम जादव बचपन से कर रहे है. यह स्थान भारत के सूदूर इलाका असम में है, जो जोरहाट जिले की कोकिलामुख गांव कहलाता है. वहां रहने वाले जादव पायेंग कहते है कि वहां मैंने कक्षा तीन में पढने के दौरान एक एग्रीकल्चर साइंटिस्ट से मिला था, उन्होंने बताया था कि पेड़ को लगाना ही नहीं, बल्कि उसकी देखभाल कर बड़ा करना सबसे बड़ी बात होती है. ये बात मेरे मन में बैठ गयी. साल 1979 में 16 वर्ष की उम्र में एक दिन जब मैं 10वीं की परीक्षा देकर घर लौट रहा था, उस दिन गर्मी की वजह से बहुत तेज बारिश हुई और बाढ़ आ गयी थी, पानी नीचे जाते ही 100 से भी अधिक सांपों को ब्रहमपुत्र नदी के किनारे मृत अवस्था में देखा, क्योंकि पानी की तेज बहाव और बालू के घर्षण से सारे सांप मर चुके थे, मुझे लगा कि अगर मैं इन जीव जंतुओं को सम्हाल नहीं सकता, तो मेरी मृत्यु भी इसी तरह होगी, क्योंकि पहले यहाँ 2,500एकड़ जमीन में जंगल था, लेकिन हर साल मानसून और नदी की बाढ़ से जंगल की मिट्टी का कटाव होने की वजह से कई गांव-घर डूब चुके है. करीब 50 प्रतिशत जमीन से वन गायब है और पूरा स्थान बंजर हो चुका है. ऐसा अगर कुछ और सालों तक चलता रहा, तो अगले कुछ सालों में जंगल ख़त्म हो जाएगा और जंगली जानवर, पक्षी और मनुष्य के लिए रहने की जमीन नहीं मिलेगी, ऐसे में मुझे पता चला कि बाँस झाड़ विकसित करने से सांपों को पानी की तेज धार में भी अच्छा संरक्षण मिलेगा. मिट्टी का कटाव भी रुकेगा. 25 बाँस के छोटे-छोटे पौधे मैंने ब्रह्मपुत्र नदी की बलुई तट पर 55 हेक्टेअर जमीन पर लगाया और पता चला कि इन्हें अच्छी तरह ग्रो करने के लिए लाल चींटियाँ(red ants) जरुरी है. मैंने उन चींटियों को बोरे में भरकर वहां छोड़ा और थोड़े दिनों बाद-बाद पानी डालकर उन्हें ग्रो किया. इस तरह 30 साल में 1,390 एकड़ भूमि को जंगल में बदल दिया, जिसमें रॉयल बंगाल टाइगर, चीता, राइनो, हाथी, आदि के अलावा विभिन्न प्रकार की पक्षियाँ सब आने लगे. इस फ़ॉरेस्ट का नाम मेरे निक नेम के आधार पर ‘मोलई फारेस्ट’ दिया गया.

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आसान नहीं थी मंजिल

वहां रहने वाले नजदीक की ग्रामवासियों ने जादव पर इल्जाम लगाया कि उनकी वजह से मकान के आसपास जानवर आने लगे है, जो उनके घरों को तोड़ रहे है. म़ोलई कहते है कि उन लोगों ने साथ मिलकर पेड़ काटने की योजना बनायीं. तक़रीबन हज़ार की संख्या में लोग मेरे सामने आये. मैंने कहा कि पहले मुझे काटों, फिर पेड़ को काट सकते हो. इससे सब चले गयें. इसमें लोकल मीडिया ने अच्छा कवरेज दिया, जिससे पूरे देश को पता चला और एक-एक कर सभी बड़ी मीडिया ग्रुप मुझसे जुड़ गयी. इससे मेरा प्रचार हुआ और जेएनयू के कई वैज्ञानिक यहाँ आकर पेड़, जानवर, पक्षी आदि पर 3 दिन 3 रात रहकर पूरा रिसर्च किया और मुझे पहली बार ‘फ़ॉरेस्ट मैन ऑफ़ इंडिया’ का ख़िताब मिला. भारत के अलावा जर्मनी, श्री लंका, ताइवान, फ्रांस, अमेरिका आदि सभी स्थानों से छात्र जोरहाट में रिसर्च के लिए आते है.

मिला सम्मान

इसके बाद जादव पायेंग को मुंबई स्थित पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम की एक एनजीओ ने स्कूल, कॉलेज और इंडस्ट्री में लोगों को पर्यावरण संरक्षण के बारें में जागरूकता बढ़ाने के लिए बुलाया और मेहनताना देकर पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम ने उन्हें सम्मानित भी किया. जादव आगे कहते है कि उस दौरान मेरा नाम फ़ैल गया और मुझे फ्रांस जाने का मौका मिला. वहां मैंने स्कूल, कॉलेज और इंडस्ट्री के लोगों को पेड़ पौधे लगाने के बारें में जानकारी दी और बताया कि इसके बिना पूरी पृथ्वी ध्वंस हो जायेगी. मैने वहां भी प्लांट लगाया और उसकी देखभाल करना सिखाया.जंगल लगाने की काम के लिए सबसे अधिक सहायता महाराष्ट्र सरकार और वहां की एनजीओ ने किया है. आजतक भी कोई पैसा, तो खाने का सामान भेजते रहते है. इसके अलावा राजस्थान की एक एनजीओ को मैंने 75 हज़ार छोटे प्लांट मैंने भिजवाएं है. वहाँ की सरकार सारे एनजीओ को बुलाकर इसकी जिम्मेदारी दी है. अब तक करीब एक लाख पेड़ वहां लगाये जा चुके है.

पर्यावरण को बचाकर करें विकास

असम में हाथियों का झुण्ड अधिकतर भोजन की तलाश में रेलवे लाइन तक आ जाते है, इससे कई हाथियों की मृत्यु ट्रेन के नीचे काटकर या लोगों द्वारा मार देने से हुआ है. जादव कहते है कि हाथियों का संरक्षण बहुत जरुरी है, क्योंकि भारत सरकार स्टेट गवर्नमेंट ने हाथियों के जंगल का एक बड़ा भाग आयल रिफायनरी के लिए खरीद लिया है, ऐसे में ये जानवर कहाँ जायेंगे? ये धरती जितना मनुष्य के लिए है, उतना ही जानवरों के लिए भी है. अगर उन्हें अपनी जमीन न मिले, तो वे बाहर भोजन की तलाश में आते है और आम जनजीवन को भी क्षति पहुंचाते है. मुझे मुंबई में मेट्रो कार शेड बनाने के लिए आरे रोड का जंगल कांटना भी ठीक नहीं लगा था, पर इसका विकल्प मिला, ये अच्छी बात है.

जंगल में मिला परिवार

जादव हँसते हुए कहते है कि मैंने फारेस्ट के अंदर ही शादी की है. तब मेरी उम्र 42 साल थी,  एक जान-पहचान की बहन के साथ मेरी शादी हुई. मेरे दो बच्चे यही पैदा हुए. मैं पहलेयहाँ गाय और भैस पालता था, मेरी कमाई दूध बेचकर बहुत कम हुआ करती थी, लेकिन सबके सहयोग से मैं आगे बढ़ पाया. इसके अलावा मैंने बहुत सारे पौधे विदेश से भी लाये थे. उसे लगाने के लिए पत्नी, बेटा और बेटी सभी ने बहुत सहयोग दिया है. मेरे जंगल में बेर, बांस झाड, सेमल कॉटन ट्री बहुत अधिक है, सेमल कॉटन की मांग अधिक होने की वजह से व्यवसायियों ने लाखो रुपयें कमाए भी है.

नहीं सहयोग किसी सरकार का

जादव का आगे कहना है कि भारत सरकार की तरफ से मुझे सम्मानित किया जाता है, लेकिन कुछ राशि नहीं मिलती, जिससे मैं जंगल को और आगे बढ़ा सकूँ. मुंबई की एनजीओ समय-समय पर मुझे कुछ सहायता राशि देती है, जिससे मैंने 6 लोगों को जंगल की देखभाल करने के लिए रखा है, जो मेरी अनुपस्थिति में जंगल की देखभाल करते है. आगे ब्रह्मपुत्र नदी बहुत बड़ी है, उसके किनारों और द्वीपों को ग्रीन करना जरुरी है. इसलिए मैंने छोटे-छोटे एनजीओ को इसका भार सौपा है, उन्हें मैं बीज और पौधे देता हूँ और वे उन्हें लगाकर बड़ा करते है. बच्चों को प्रैक्टिकल शिक्षा पर्यावरण संरक्षण के लिए देना जरुरी है, जिससे उन्हें एक पेड़ की कीमत का पता लग सके. जो लोग पैसा कमाने के लिए विदेश जा रहे है, उन्हें अपने देश के लिए कुछ अच्छा काम करने की आवश्यकता है. पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन के लिए हर राज्य में हर किसी को पेड़ लगाना और उसका प्रतिपालन करना जरुरी है. कक्षा 10 तक उनके पाठ्यक्रम में प्लान्टेशन की पूरी जानकारी होनी चाहिए, ताकि वे बाद में कही भी जाकर पेड़ लगायें और देश को पर्यावरण प्रदूशण से बचा सकें.जादव पायेंग ने मेक्सिको की एक एनजीओ FundaciÓn Azteca के लिए एग्रीमेंट साइन किया है, जिसमें वे उत्तरी अमेरिका की बंजर भूमि को जंगल में परिवर्तित करेंगे, जिसके लिए वे नारियल के बीज को वहां लगायेंगे.

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अंत में जादव पायेंग का कहना है कि पूरे देश में खाली और बंजर जमीन पर अधिक से अधिक पेड़ लगायें, इससे धरती काफी हरी-भरी हो जायेगी और नैचुरल डिजास्टर्स में भी कमी आएगी.

फैशन के मामले में ‘नायरा’ से कम नहीं उनकी ‘नानी’

टेलीविजन के पौपुलर शो ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में नायरा की नानी के रोल में नजर आने वाली राजश्री यानी लता सभरवाल को हर कोई जानता है. दादी-नानी के रोल में नजर आने वाली 43 साल की लता हर स्टाइल में खूबसूरत नजर आती हैं. उनका लुक, ज्वैलरी और ड्रेसेस को हर कोई पसंद करता है. इसीलिए आज हम उनके लहंगों के लुक के बारे में बात करेंगे, जिसे आप कहीं भी पार्टी, फंक्शन या शादी में ट्राय कर सकती हैं. आइए आपको दिखाते हैं नायरा की नानी के कुछ खूबसूरत लुक…

1. शादियों के लिए परफेक्ट है लता सभरवाल का ये लुक

अगर आप किसी की शादी में अपने आप को फैशनेबल और खूबसूरत दिखना चाहते हैं तो नायरा की नानी का ये लुक परफेक्ट है. पिंक और गोल्डन लहंगे के कौम्बिनेशन के साथ कुंदन की ज्वैलरी आपके लुक को एलिगेंट दिखाने में मदद करेगा. ये आप चाहें तो किसी संगीत पार्टी में भी ट्राय कर सकती हैं.

 

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2. ब्लैक एंड गोल्डन के कौम्बिनेशन का लहंगा करें ट्राय

 

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शादी के किसी भी फंक्शन के लिए ये लहंगा एकदम परफेक्ट है. गोल्डन के साथ ब्लैक का कौम्बिनेशन ट्राय करके आपका लुक बेहद खूबसूरत दिखेगा. वहीं अगर आप हिल्स ट्राय करेंगे तो ये आपका लुक बेहद नजर आएंगी.

3. हल्दी ट्रेडिशन के लिए बेस्ट है लता सभरवाल का ये लहंगा

 

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अगर आप किसी शादी में हल्दी की रस्मों का हिस्सा बनना चाहती हैं तो ये ड्रेस आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. पीले कलर के लहंगे के साथ कौंट्रास्ट में ब्लू कलर का दुपट्टा आपके लुक के लिए बेस्ट रहेगा. ये आपके लुक को ब्यूटीफुल और एलीगेंट दिखाने में मदद करेगा.

4. मेहंदी के लिए परफेक्ट है लता का ये कौम्बिनेशन 

 

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मेहंदी की रस्मों के लिए हरा कलर परफेक्ट होता है. हरे कलर के लहंगे  के साथ गोल्डन का कौम्बिनेशन आपके लिए परफेक्ट रहेगा. अगर आप लता के इस लहंगे के साथ गोल्डन कलर की कुंदन की ज्वैलरी ट्राय करेंगे तो ये आपके लुक को कम्पलीट करेगा.

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बता दें, एक्ट्रेस लता सभरवाल इन दिनों दो टीवी सीरियल में नजर आ रही हैं, जिनके नाम है ‘इश्क़ में मरजावां’ और ‘यह रिश्ते हैं प्यार के’. शो ‘इश्क में मरजावां’ में वह वसुंधरा देवी का किरदार निभाती नजर आ रही हैं तो वहीं, ‘यह रिश्ते हैं प्यार के’ में मिष्टी की बड़ी मां के रोल में अपने फैंस को एंटरटेन करती दिखाई दे रही हैं.

जाने क्या है फेस मिस्ट के 10 फायदे

फेस मिस्ट का प्रचलन कुछ सालों से हुआ है और पाया गया है कि महिलाओं को मेकअप लगाने से पहले स्किन को तैयार करने के लिए क्लीन्जर और मोइस्चराइजर के बाद मिस्ट बहुत उपयोगी होता है. असल में इसे प्री प्राइमर भी कहा जा सकता है, क्योंकि ये स्किन की हाइड्रेशन को बूस्ट कर उसमें इंस्टेंट ग्लो लाती है. जिसके बाद मेकअप अधिक देर तक फ्रेश और टिका रहता है. ये अधिकतर नैचुरल और हर्बल प्रोडक्ट से बनायीं जाती है, जिससे इसका स्किन पर असर नैचुरल होता है.

इस बारें में ‘द ब्यूटी को डॉट’ की एक्सपर्ट सूरज वाजिरानी का कहना है ब्यूटी इंडस्ट्री ने पिछले कुछ सालों से काफी उन्नति की है और नए- नए उत्पाद से आज की महिलाओं को परिचित करवाया है. इस दिशा में मिस्ट का प्रचलन भी खूब होने लगा है. असल में मिस्ट्स एक तरीके की स्किन ट्रीटमेंट है, जो त्वचा को पोषण, निखार और स्ट्रेंथ देती है. क्योंकि आज की महिलाओं को तनाव, प्रदूषण, अनियमित खान-पान आदि कई समस्याओं से गुजरना पड़ता है, जिसका असर उनकी त्वचा पर सबसे पहले देखी जा सकती है. ऐसे में मिस्ट के प्रयोग से त्वचा को कुछ हद तक बचाया जा सकता है. इसके फायदे निम्न है,

1. मेकअप से पहले फेस मिस्ट को लगाने से ब्यूटी प्रोडक्ट आसानी से ब्लेंड हो जाता है जिससे इंस्टेंट, फ्रेश और मनोहर लुक आसानी से मिलता है, ये हर तरह की स्किन के लिए उपयोगी होता है.

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2. अगर ऑफिस से कहीं बाहर पार्टी में जाना पड़े, तो इसके स्प्रे से टचअप आसानी से हो जाता है, स्प्रे के बाद उँगलियों की पोरों से ब्लेंड करें, इससे आपकी थकान कम हो जाती है और उसका असर आपकी चेहरे पर दिखता है.

3. दिन में किसी भी समय इसे लगाया या स्प्रे किया जा सकता है, ये परफेक्ट लुक को आसानी से देती है.

4. ये रफ़ स्किन डे को भी तरोताजा बना सकती है, क्योंकि लम्बे समय तक एयर कंडीशनर में काम करने या धूप में अधिक समय तक रहने से त्वचा नमी खो देती है, ऐसे में फेस मिस्ट की नमी को सहेजने का काम करती है.

5. जो लोग अधिकतर मेकअप लगाते है, उनकी त्वचा रुखी और बेजान हो जाती है, उनके लिए फेस मिस्ट बहुत फायदेमंद होता है,

6. ये मौइस्चराइजर के नीचे हाइड्रेशन की एक्स्ट्रा लेयर बनाकर परफेक्ट टोनर का काम करती है.

7. ये त्वचा को पूरी तरह से नेचुरल लुक देती है, जिससे किसी को इसे लगाने से पहले सोचने की जरुरत नहीं होती, हर स्किन टोन के लिए यह उपयोगी होता है.

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8. टी ट्री फेस मिस्ट एंटी- माइक्रोबियल मौजूद होते है, यह स्किन को प्यूरीफाई करती है, जिससे पसीने और चिपचिपेपन से व्यक्ति को राहत मिलती है, इसके इस्तेमाल से चेहरे पर ग्लो आती है और झुर्रियाँ कम होने की वजह से यंग और फ्रेश लुक देती है.

9. कुकुम्बर मिस्ट भी रिफ्रेशर लुक देने के साथ-साथ डीप कंडीशनिंग भी करती है,इसके अलावा रोज मिस्ट, एलोवेरा मिस्ट आदि कई है, जिसे अपनी त्वचा के अनुसार चुनने की आवशयकता होती है.

10. मिस्ट का प्रयोग केवल महिलाएं ही नहीं पुरुष भी कर सकते है, ये पूरी तरह से स्किन केयर प्रोडक्ट है.

5 टिप्स: जानें कैसे छुड़ाएं कौफी मग से दाग

सफेद कप में चाय या कौफी पीने का मजा ही कुछ और है. आप कौफी पीने के तुरंत बाद ही कप में पानी डाल के रख देती हैं. अगर कप को तुरंत नहीं धोना है, तो पानी डालकर ही सिंक में रखें, इससे स्टेन नहीं लगते. पर सावधानियों के बावजूद कई बार कौफी कप में स्टेन रह ही जाते हैं. सफेद कप में भूरे दाग बिल्कुल शोभा नहीं देते. ऐसे दागों को छुड़ाना और अधिक मुश्किल हो जाता है. पर कुछ चीजों से आप आसानी से कौफी कप पर लगे जिद्दी दागों को छुड़ा सकती हैं. घर में मौजूद इन चीजों से आसानी से छुड़ाए कप से कौफी स्टेन

1. बेकिंग सोडा

बेकिंग सोडा में जरा सा पानी मिलाकर पेस्ट बना लें. इस पेस्ट को स्टेन पर लगाएं. कुछ मिनट के लिए छोड़ दें. स्पौंज या ब्रश से साफ कर लें. मिनटों में कप पहले जैसे चमकेंगे. अगर एक बार पेस्ट लगाने से दाग न निकलें तो दोबारा पेस्ट लगाएं.

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2. सिरका

स्टेन हटाने का यह ईको-फ्रेंडली तरीका है. बेकिंग सोडा वगैरह में इंडस्ट्रीयल केमिकल होते हैं. सिरके में केमिकल्स की मात्रा बहुत कम होती है. 1 कप सिरके को गर्म करें और कप को सिरके में 3-4 घंटों के लिए भिगो दें. बर्तन बार से धो लें. दाग लगे कप नए जैसे हो जाएंगे.

3. दाग पर रगड़े नमक-नींबू

नमक – नींबू खाने का स्वाद बढ़ाने के साथ साथ दाग और धब्बे निकालने में भी असरदायक है. स्टेन कप में पानी लगाएं. 1 चम्मच नमक डालें और स्क्रब करें. नींबू के छिलके रगड़ने से भी दाग और धब्बे साफ हो जाते हैं.

4. कौर्न स्टार्च और सिरके का पेस्ट

कौर्न स्टार्च और सिरके का पेस्ट बना लें. स्टेन कप पर यह पेस्ट लगाएं. कुछ देर के लिए छोड़ दें. फिर स्पौंज से स्क्रब कर लें. दाग धब्बे साफ हो जाएंगे.

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5. नमक और सिरका

कौफी स्टेन लगे कप पर नमक और सिरका लगाएं. कुछ घंटों के लिए छोड़ दें. पानी और बर्तन बार से धो लें. इन टिप्स को आजमाएं और कप पर लगे कौफी स्टेन को भूल जाएं.

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रेटिंगः तीन स्टार

निर्माताः निखिल इडवाणी, मधु भोजवानी

निर्देशकः मिताक्षरा कुमार

कलाकारः कुणाल कपूर,  दृष्टि धामी,  डिनो मोरिया,  शबाना आजमी,  राहुल देव,  आदित्य सील, साहेर बंबा व अन्य.  

अवधिः कुल अवधि – पांच घंटे 42 निमट ,  35 से 52 मिनट के आठ एपीसोड

ओटीटी प्लेटफार्मः हॉट स्टार डिज्नी

इन दिनों जब वर्तमान सरकार भारत के इतिहास के पुर्नलेखन पर  काम कर रही है, तभी निर्माता निखिल आडवाणी और निर्देशक मिताक्षरा कुमार भारत में मुगल साम्राज्य के उत्थान व पतन पर  छह सीजन तक चलने वाली वेब सीरीज ‘‘द एम्म्पायर ’’ का पहला सीजन लेकर आए हैं. जो कि ब्रिटिश लेखक एलेक्स रदरफोर्ड के छह भाग के उपन्यासों ‘‘एम्पायर औफ द मोगुलः रेडर्स फ्रॉम द नॉर्थ’’पर आधारित है. आठ एपीसोड की यह सीरीज ‘‘हॉट स्टार डिज्नी’’ पर 27 अगस्त से स्ट्रीम हो रही है. अफसोस की बात यह है कि इसमें इतिहास कम, बौलीवुड मसाला फिल्मों के सारे तत्व मौजूद हैं. पहले सीजन में उत्तर मध्य एशिया में 14 वर्ष की उम्र में बादशाह बनने से हिंदुस्तान के शासक बनने व उनकी मौत तक बाबर के जीवन की कहानी है. शायद फिल्मकारों ने वर्तमान हालात में विवादों से बचने के लिए कम से कम इतिहास को छूने की कोशिश की है.

कहानीः

वर्तमान उज्बेकिस्तान 14वीं-15वीं सदी में तुर्क-मंगोलों के अधीन था. वहां स्थित समरकंद और फरगना राज्यों से बाबर की कहानी शुरू होती है. कहानी ‘शुरू होती है 1526 एडी, पानीपत की पहली लड़ाई से, जहां जहां युद्ध के मैदान में लगभग परास्त हो चुका जहीरुद्दीन मोहम्मद बाबर अपनी जिंदगी की यात्रा को याद कर रहा है. फिर कहानी फ्लैशबैक में समरकंद और फरगना पहुंचती है.

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कहानी शुरू होती है खंूखार शासक शैबानी खान (डिनो मोरिया) के अत्याचारों व समरकंद के शासक व उनके तीन बेटांे का सरेआम बुरी तरह से कत्लेआम से. अब उसकी नजर फरगान पर है. फिर कहानी फरगान पहुॅचती है.  किशोरवय बाबर के पिता उसे विश्व के सर्वाधिक खूबसूरत देश हिंदुस्तान में बसने का का ख्वाब दिखाते हैं, जो कि फरगना से काफी दूर है. बाबार के रहम दिल व शेरो शायरी के पिता की राय में तुर्क-मंगोलों-अफगानों की धरती पर जिंदगी की कभी खत्म न होने वाली मुश्किलें हैं और आततायी दुश्मनों से कड़ा संघर्ष है.  जबकि हिंदुस्तान इस धरती की जन्नत है.

तभी शैबानी खान (डिनो मोरिया) की तरफ से धमकी भरा पत्र आता है. और कई लोग गद्दारी कर शैबानी खान की मदद करते हैं, तथा बाबर के पिता मारे जाते हैं.  जिसके चलते 14 वर्ष की उम्र में बाबर को उनकी नानी अर्थात शाह बेगम (शबाना आजमी) फरगना के तख्त पर बैठा देती है. पर शैबानी खान की नजरें समरकंद के बाद फरगना पर भी हैं. बाबर अमन पसंद है.  उसे परिवार तथा आवाम की चिंता है.  वह खून-खराबा नहीं चाहता.  उसे पिता का दिखाया ख्वाब भी याद है.  बाबर, शैबानी खान के सामने प्रस्ताव रखता है कि अगर उसे परिवार और शुभचिंतकों समेत किले से निकल जाने दे,  वह हमेशा के लिए चला जाएगा.  शैबानी मान जाता है मगर इस शर्त पर कि बाबर अपनी खूबसूरत बहन खानजादा (दृष्टि धामी) वहीं उसके पास छोड़ जाए. बाबर अपनी बहन खानजादा को शैबानी खान का गुलाम बनाकर अपने खानदान व विश्वास पात्र लोगों के साथ दर दर भटकता है. उसके साथ उसका दोस्त कासिम भी है और बहन के गम में अपने शरीर पर कोड़े बरसाने व शराब पीने लगता है. अंततः रानी, वजीर खान उसे उसका मसकद याद दिलाते हैं. फिर बाबर धीरे धीरे अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने लगते हैं. पहले माहम से विवाह करते हैं, फिर काबुल की शहजादी से विवाह कर काबुल के बादशाह बना जाते हैं. अलग अलग रानियों से हुमायंू व कामरान सहित तीन बेटों के पिता बनते हैं. फिर पिता की बात याद कर इब्राहिम लोधी को हरकार हिंदुस्तान की सल्तनत पर काबिज होेते हैं. पर घर की कलह और अपनी विरासत दो काबिल बेटों,  हुमायूं और कामरान में से किसे सौंपे की चिंता अंततः उन्हे मौत तक ले जाती है.

लेखन व निर्देशनः       

वेब सीरीज में बाबर की जिंदगी के उतार-चढ़ाव और संघर्षों का चित्रण है. जिसमें राजनीतिक व पारिवारिक संघर्ष भी है. तो वहीं बाबर की जिंदगी पर उनकी नानी के अलावा बहन खानजादा और बेगमों के असर का भी चित्रण है. तो वहीं बाबर और कासिम के बीच ‘गे’सबंध पर भी हलका सा इशारा है. सीरीज में बार-बार बाबर के साथ उसकी किस्मत का भी जिक्र होता है.  इस सीरीज में बाबर को खून का प्यास नही बल्कि नर्मदिल,  विचारवान और दार्शनिक व्यक्ति की तरह पेश किया गया है.

इसका हर एपीसोड भव्यता के साथ बनाया गया है. कास्ट्यूम वगैरह पर भी खास ध्यान दिया गया है. मगर इतिहास पर गहराई से ध्यान नही दिया गया. बतौर निर्देशक मिताक्षरा कुमार ने कहानी को इतिहास के नजदीक रखने के बजाय भावनाओं के करीब रखा है.  युद्ध के दृश्यों को आकर्षक और भव्य ढंग से शूट किया गया है.  पहले दो एपीसोड जिस तरह से फिल्माए गए हैं, वह काफी कुछ भ्रमित करते हैं. पहले दो एपीसोड मेंे उर्दू के कठिन शब्द वाले संवाद भी हैं. जिसके चलते दर्शक अगले एपीसोडों की तरफ बढ़ने से पहले सोचने पर विवश हो जाता है. तीसरे एपीसोड से पटकथा सही ढर्रे पर चलती है. लेकिन कहानी कई बार 10 से 18 साल आगे बढ़ी , पर फिल्मकार बता नही पाए कि यह वक्त कैसे गुजरा?1526 में शुरू हुई कहानी 30 से 40 वर्ष पीछे जाती है. इन तीस वर्षों की कथा का सही अंदाज में चित्रण नहीं किया गया है. तीस वर्ष का समय बीतता है, मगर किरदारों के चेहरे से उम्र में बदलाव नही आता. जवानी व चमकदमक ज्यो की त्यों बरकरार रहती है. यह सब अखरता है. यह निर्देशक की सबसे बड़ी कमजोर कड़ी है.

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अभिनयः

खूंखार व निर्दयी शैबानी खान के किरदार को डिनो मोरिया ने बड़ी मश्क्कत के साथ चित्रित किया है. बाबर के किरदार में कुणाल कपूर का अभिनय शानदार है. कई जगहों पर उनके भावुक दृश्य बढ़िया हैं. बाबार की बहन खानजादा के किरदार में दृष्टि धामी सुंदर दिखने के साथ खानजादा को अपने अभिनय से जीवंतता प्रदान की है. दृष्टि धामी लोगों को याद रह जाती हैं. वह अपनी चैड़ी आँखों से काफी कुछ कह जाती हैं. सख्त दिल और अपने मकसद को पूरा कराने वाली नानी के किरदार में शबाना आजमी अपना प्रभाव छोड़ती हैं. वैसे भी शबाना आजमी एक बेहतरीन अदाकारा हैं, इसमें कोई दो राय नही है. राहुल देव,  इमाद शाह,  आदित्य सील (हुमायूं) समेत अन्य कलाकारो का अभिनय ठीक ठाक है.

GHKKPM: पाखी ने किया विराट से प्यार का इजहार तो सम्राट ने दी सई को सलाह

टीवी सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin) की कहानी में इन दिनों नए नए ट्विस्ट आ रहे हैं. जहां पाखी, सम्राट को तलाक देने के लिए तैयार हो गई है तो वहीं सई को अपने प्यार का एहसास होने लगा है. लेकिन अपकमिंग एपिसोड में पाखी का एक कदम 4 जिंदगियां बदलने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

पाखी ने बनाया प्लान

अब तक आपने देखा कि पाखी, विराट और सई को अलग करने का प्लान बना चुकी है, जिसके चलते वह विराट तो बाहर कैफे में मिलने के लिए कहती है क्योंकि वह उसे अपने दिल की बात बताना चाहती है. इसी बीच सई, विराट और पाखी की सारी बातें सुनकर दुखी हो जाती है.

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 विराट से कही दिल की बात


अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि पाखी, विराट को दिल की बात कहने के लिए खूबसूरत साड़ी पहनेगी और फिर कैफै जाएगी. दूसरी तरफ भवानी, सम्राट को समझाने की कोशिश करेगी कि वह पाखी को तलाक ना दे क्योकि वह अपनी शादी बचाना चाहती है. वहीं पाखी, विराट से कैफे में मिलकर कहती है कि वह उसके साथ अपनी जिंदगी की नई शुरुआत करना चाहती है.

सई करेगी फैसला

पाखी के कदम से अंजान सई अपने रिश्ते के बैरे में सोचेगी वहीं सम्राट उसे एहसास दिलाएगा कि वह विराट से कितना प्यार करती है और अपने शादीशुदा रिश्ते को नए नजरिये से देखने के लिए कहेगा, जिसके बाद वह विराट की तरफ अपना कदम बढाएगी.

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क्या शो में होने वाली है अनुपमा के पहले प्यार की एंट्री? देखें वीडियो

रुपाली गांगुली स्टारर शो अनुपमा में इन दिनों नए-नए ट्विस्ट देखने को मिल रहे हैं. जहां अनुपमा का घर गिरवी रखने का सच शाह परिवार के सामने आ गया है तो वहीं राखी दवे अपनी बेटी किंजल को वापस लाने का प्लान बनाती नजर आ रही हैं. लेकिन अब अनुपमा की जिंदगी में एक नया शख्स आने वाला है, जिसका मेकर्स ने प्रोमो रिलीज किया है. आइए आपको दिखाते हैं अनुपमा का नया प्रोमो…

घर छोड़ेगा वनराज

 

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अब तक आपने देखा कि  शाह  निवास गिरवी रखने का सच पूरा शाह परिवार जान जाता है, जिसके बाद घर में काफी हंगामा देखने को मिलता है. वहीं वनराज भी अनुपमा को खरी खोटी सुनाते हुए नजर आता है. इसी के साथ वह घर छोडने का फैसला भी करता है, जिसे सुनकर बा को धक्का लगता ह.

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अनुपमा की जिंदगी में आएगा नया मेहमान

 

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हाल ही में अनुपमा के मेकर्स ने नया प्रोमो रिलीज किया, जिसमें बापूजी किसी नए शख्स को लेकर बात करते हुए कह रहे हैं कि अनुज कपाड़िया कौन है, जो अनुपमा की जिंदगी में आने वाला है. प्रोमो प्रोमो देखने के बाद फैंस  काफी खुश हैं और कहा जा रहा है कि ये नया किरदार राम कपूर का होगा. हालांकि अभी तक कोई औफिशियल घोषणा नही की गई है.

 

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वनराज कहेगा ये बात सीरियल की बात करें तो अपकमिंग एपिसोड में वनराज अनुपमा को भला बुरा कहेगा और काव्या से शादी करने के फैसले को सही कहेगा. वहीं राखी दवे अपने बदला लेने की तैयारी करती नजर आएगी.

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नीरस हो रहे रिश्ते में रोमांस जगाने के आजमाएं ये टिप्स

जब लंबे समय तक साथ रह कर ऐसा अनुभव होने लगे कि आप सोलमेट के साथ नहीं, फ्लैटमेट के साथ रह रहे हैं, तो समझ लीजिए आप को कुछ तरीके अब सोचने ही पड़ेंगे कि कैसे रोमांस फिर से लाया जाए. कुछ बोरियत को उम्र का बढ़ना मान लेते हैं और फिर इस बोरियत से बचने के लिए कहीं और आकर्षित होने लगते हैं. मगर ऐसी नौबत आने ही न दें.

रिलेशनशिप थेरैपिस्ट रीता कोठारी का कहना है, ‘‘परफैक्ट रिलेशनशिप का आइडिया ही एक भ्रम है. सब में अच्छीबुरी आदतें होती हैं. बस प्यार ही वह भावना है, जो इस रिश्ते को सहेज कर रख सकती है और एकदूसरे की बुरी आदतों की उपेक्षा कर सकती है.’’

आइए, जानें कि विशेषज्ञ आप के रिश्तों को सुधारने के लिए क्या होमवर्क करने के लिए कहते हैं:

आलिंगन से बढ़ता है विश्वास

रिलेशनशिप कोच आदिति का कहना है, ‘‘आलिंगन से विश्वास बढ़ता है और हैप्पीनैस हारमोंस औक्सीटोसिन और सैरोटोनिन बढ़ते हैं. इस से निराशा कम होती है और अंडरस्टैंडिंग बढ़ती है. जानें कि आप के पार्टनर को क्या अच्छा लगता है. कुछ पल बांहों में रहना या कम देर रहना. रिसर्च कहती है कि बहिर्मुखी लोगों को दिन में 8 बार हग करना अच्छा लगता है.’’

मनोवैज्ञानिक डा. अंजलि कहती हैं, ‘‘रिसर्च के अनुसार प्रिय की मौजूदगी से किसी भी कार्य को करने की सामर्थ्य बढ़ती है. जो कपल्स साथ ऐक्सरसाइज करते हैं उन की बौंडिंग ज्यादा अच्छी होती है. एक दंपती ने अपना अनुभव बताया कि दोनों ने एक डांस क्लास साथ जौइन की तो दोनों के रिश्ते में बहुत सकारात्मक परिवर्तन हुआ. अत: कोई भी ऐक्टिविटी साथ जरूर करें.’’

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कैसे बढ़ाएं अंतरंगता

अंजलि आगे कहती हैं, ‘‘बैड पर एक ही समय जाएं. इस से दोनों को कुछ समय साथ रहने को मिलेगा जिस से अंतरंगता बढ़ेगी. हां, यह प्रतिदिन तो संभव नहीं हो

सकता, क्योंकि कोई पार्टनर देर तक काम कर रहा हो सकता है या बाहर हो सकता है पर कोशिश करें कि ऐसा महीने में 7 दिन तो हो.

1991 में जेफरी लार्सन की रिसर्च के अनुसार जिन पतिपत्नी का स्लीपिंग पैटर्न मैच नहीं करता उन्हें ऐडजस्टमैंट में मुश्किलें आती हैं.

छोटेछोटे संकेत से बढ़ाएं प्यार

एकदूसरे का हाथ पकड़ कर दिन की शुरुआत करें या मौर्निंग वाक के समय या चाय पीते हुए. इस से प्यार में ऊष्मा बढ़ती है या बाहर जाने पर टेबल तक ही हाथ पकड़ लें. हाथ और उंगलियों में सब से ज्यादा स्पर्श की अनुभूति होगी. इस टच से स्ट्रैस हारमोंस कम होते हैं और दोनों रिलैक्स्ड होते हैं. इसलिए एकदूसरे के हाथ में अपना हाथ देने में देर न करें. इस स्पर्श का आनंद उठाएं.

वैवाहिक जीवन की सफलता और इसे आनंददायक बनाने के लिए पार्टनर को थैंक्स बोलते रहना बहुत जरूरी है. धीरेधीरे दोनों एकदूसरे को टेकेन फौर ग्रांटेड लेने लगते हैं पर रोज किसी न किसी बात पर एकदूसरे को प्यार से थैंक्स कहने से यही लगेगा कि दोनों की हर बात पर एकदूसरे का ध्यान है. ये छोटेछोटे संकेत प्यार बढ़ाते हैं.

मोबाइल से दूर रहें

अमेरिकन साइकोलौजिकल ऐसोसिएशन के अध्ययन के अनुसार स्मार्टफोन के ज्यादा प्रयोग से रिश्तों में अनिश्चितता आती है, गैजेट्स ने पतिपत्नी के समय और स्पेस पर असर डाला है. दोनों भले ही साथ खाना खा रहे हों पर ध्यान फोन पर होता है. साथ होने पर आधा घंटा फोन से दूर रहने की आदत डालना इतना मुश्किल भी नहीं है. हो सके तो डाइनिंग टेबल को नो फोन जोन बना दें. आधा घंटा भी बात कर के दोनों एकदूसरे के साथ और जुड़ सकते हैं.

हंसने से फील गुड हारमोन इंडोर्फिंस बढ़ता है जो इम्यून सिस्टम को अच्छा रखता है. महिलाएं पुरुषों में सैंस औफ ह्यूमर होना पसंद करती हैं पर इस के लिए स्टैंडअप कौमेडियन होना जरूरी नहीं है. कोई फनी मूवी साथ देखें या कोई फनी चीज किसी बुक से सुनाएं, साथ हंसें और हंसाएं.

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बिताएं खुशनुमा पल

धीरेधीरे समय के साथ काम और परिवार की जिम्मेदारी में सैक्स पीछे छूटता चला जाता है. सब से ध्यान हटा कर हफ्ते में कम से कम 1 बार ही सही सैक्स का आनंद अवश्य लें.

कभीकभी अकेले कहीं समय बिताने जाएं, यह जरूरी है. चाहे आप को हर काम अपने पार्टनर के साथ करने की आदत हो पर कभीकभी सिर्फ अपनी कंपनी ऐंजौय करें.

40 की उम्र के बाद खुद को ऐसे रखें फिट एंड फाइन

आमतौर पर देखा जाता है कि चालीस की उम्र के बाद से महिलाओं में कई तरह की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. 40 की उम्र ऐसा पड़ाव है, जब स्त्री के शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं. इस उम्र में मेनोपौज के बाद कुछ समस्याएं, जैसे चिड़चिड़ापन, थकान, वजन बढना, लगातार खाते रहने की चाहत आदि हो सकती हैं. हालांकि यह समस्या सभी स्त्रियों में एक समान नहीं होती.

कई महिलाओं को लगता है कि वह बिल्कुल स्वस्थ हैं पर वह वाकई में पूरी तरह से स्वस्थ हो यह जरूरी नहीं है. ऐसे में जरूरी है कि आप अपनी हेल्थ को क्रौस चेक करें और डाक्टर से परामर्श लें. इसी के साथ ही रूटीन चेकअप कराती रहें और अपने खानपान और फिटनेस का भी विशेष खयाल रखें.

आइये जानें 40 की उम्र के बाद होने वाली समस्याओं और उनसे बचने के उपायों के बारें में-

ब्लड प्रेशर

इस उम्र में ब्लड प्रेशर का खतरा बढ़ जाता है. जब स्त्रियां अपने खानपान पर ध्यान नहीं देतीं तो बीपी बढऩे की पूरी संभावना होती है. यदि आपको लगे कि आपका ब्लड प्रेशर सामान्य है, तब भी नियमित रूप से इसकी जांच करानी चाहिए.

डाइट :

इस उम्र में ओमेगा-थ्री फैटी एसिड से युक्त आहार का सेवन रक्तचाप को नियंत्रित करने के साथ हृदय की अनियमित गति को भी ठीक करने में मददगार है.

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फिटनेस :

एक शोध के अनुसार सिल्वर योग ब्लड प्रेशर की समस्या को कम करता है. अगर आप किसी भी कारण योग नहीं कर पा रही हैं तो सुबह कम से कम 45 मिनट टहलें.  टहलते समय ध्यान रखें कि पहले 10 सामान्य गति से और अगले 20 मिनट तेज गति से चलें और फिर अपनी गति को मध्यम कर 10 मिनट तक चलें. रोजाना 40-45 मिनट ऐसा करें. अगर आप सुबह टहल नहीं पा रही हैं तो रात को डिनर के 30 मिनट बाद टहले.

कोलेस्ट्रौल

ब्लड प्रेशर के साथ-साथ स्त्रियों में कोलेस्ट्रौल की भी समस्या हो जाती है. इसलिए महिलाओं को हर पांच साल में कोलेस्ट्रौल की जांच जरूर करानी चाहिए. एक शोध में पाया गया है कि कभी-कभी एचडीएल या अच्छा कोलेस्ट्रौल भी टाइप-1 मधुमेह से पीडि़त महिलाओं के हृदय रोग के खतरे को बढ़ा सकता है.

डाइट :

उच्च फाइबर खाद्य पदार्थ जैसे दलिया, जौ, गेहूं, फल और सब्जियों का सेवन करें. यह रक्त में कोलेस्ट्रौल कम करने में मदद करता है.

फिटनेस :

हफ्ते में पांच दिन 30 से 40 मिनट एरोबिक एक्सरसाइज करें और अपने लिपिड प्रोफाइल को मौनिटर करें.

डायबिटीज

डायबिटीज अपने आप में एक गंभीर समस्या है. सही समय पर इसका पता न चलने पर हृदय रोग, किडनी व आंखों से संबंधित समस्याओं की आशंका बढ़ जाती है. इसलिए स्त्रियों को साल में कम से कम एक बार डायबिटीज की जांच अवश्य करानी चाहिए.

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डाइट :

डायबिटीज में फाइबर डाइट शुगर लेवल को नियंत्रित करता है. इसलिए गेहूं, ब्राउन राइस या व्हीट ब्रेड आदि को अपनी डाइट में शामिल करें, साथ ही ताजे फल और सब्जियों का सेवन करें. इसके अलावा उच्च प्रोटीन डाइट लें और खूब पानी पिएं.

फिटनेस :

व्यायाम करने से शरीर में रक्तसंचार सुचारु रूप से होता है. इससे ब्लड शुगर नियंत्रित रहता है, मेटाबौलिज्म संतुलित रहता है और मधुमेह का खतरा कम होता है. वैसे मधुमेह के मरीजों को कई तरह के व्यायाम करने चाहिए. कभी योग करें, कभी कार्डियो और कभी वेट लिफ्टिंग. हमेशा एक तरह से एक्सरसाइज न करें.

फाइबर एक्स: आपके कपड़ों के लिए एक सुरक्षा कवच

हमने आज तक यही सीखा है कि कपड़े हमें धूल मिट्टी, सर्दी और गर्मी जैसे मौसम के प्रकोप से बचाते हैं लेकिन केवल इतना ही नहीं कपड़े हमें मच्छरों, बैक्टेरिया, अनचाही स्मेल और वायरस आदि से भी बचाने में समर्थ होते हैं.

 फाइबर एक्स :

एक नैनो केमिक्स बिजनेस ने आपके कपड़ों के लिए एक एंटी वायरल ट्रीटमेंट सुविधा लॉन्च की है जो आपको कपड़ों के माध्यम से फैब्रिक की पावर के जरिए इस वैश्विक महामारी कोविड से भी बचा पाएगा. फाइबर एक्स में इतनी क्षमता है की वह आपके कपड़े को एक टूल, एक लाइफ गार्ड, एक यूटिलिटी और एक सुरक्षा कवच में तब्दील कर सकता है ताकि आप की जिंदगी और वातावरण को बचाया जा सके. इससे आपके कपड़ों की क्षमता को नैनो टेक्नोलॉजी के प्रयोग से बढ़ाया जाता है. इसमें आपको फॉर्मल, कैजुअल, लिनन, स्पोर्ट्स वियर, अंडर गारमेंट्स, अफॉल्स्ट्री या किसी भी फैब्रिक के कपड़े एक स्मार्ट मशीन में डाले जाते हैं और कस्टमर के घरों तक पहुंचाएं जाते हैं.

अब आपको नेफ्थेलिन बॉल्स को गुड बाय बोल देना चाहिए क्योंकि फाइबर एक्स जैसी तकनीक अब आपके जीवन को और आसान बनाने के लिए उपलब्ध हो चुकी है. इसके माध्यम से अब आपको हर बार कपड़े निकालने के बाद उन पर डियोड्रेंट या किसी तरह का स्प्रे छिड़कने की भी कोई आवश्यकता नहीं है. हो सकता है यह सब सुन कर आप को इस पर विश्वास कर पाना थोड़ा सा मुश्किल हो लेकिन ऐसा सच में संभव हो रहा है. फाइबर एक्स जोकि नैनो केमिक्स द्वारा बनाया गया है, एक नई पहल है और इसने हमारे सामने कुछ ऐसा पेश किया है जिसके बारे में शायद हमने कभी सोचा भी नहीं होगा.

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फाइबर एक्स एक भविष्य की ओर लिया गया कदम है जो हमारे कपड़ों को बहुत सी चीजों से सुरक्षित बचा कर रखता है. इस तकनीक द्वारा मनुष्य का जीवन भी बहुत सुरक्षित बन गया है. यह कपड़े एंटी माइक्रोबियल, एंटी वायरल, एंटी ऑडर, एंटी फंगल, आपके वातावरण के अनुसार तापमान को बदल लेने वाले, लिनन गारमेंट्स, फर्नीचर, बैग्स, सॉफ्ट टॉय, कार्पेट और टॉवल भी उपलब्ध हो चुके हैं.

इसलिए आपको भी जल्द से जल्द फाइबर एक्स शील्ड खरीद लेनी चाहिए ताकि आप अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा को सुनिश्चित कर सकें. यह कपड़ों के मामले में किया गया शायद आज तक का सबसे अनोखा और महत्त्वपूर्ण एक्सपेरिमेंट होगा जो मानव जाति के लिए बहुत अधिक लाभदायक भी रहने वाला है. शायद ऐसे फाइबर के बारे में आज तक आपने कभी और कहीं नहीं सुना होगा.

फाइबर एक्स एक इकलौती ऐसी तकनीक है जो कपड़ों में महामारी के दौरान एक बहुत महत्त्व स्थापित करने जा रही है और जिस प्रकार लोगों को कपड़े खरीदने में भी भय लग रहा है इस तकनीक के कारण वह भय भी कम हो सकता है. इस मुश्किल वक्त में जब लोग अपने हाइजीन और सुरक्षा के लिए इतने अधिक सचेत हैं, फाइबर एक्स एक बहुत अच्छी और काम आने वाली तकनीक है जो लोगों में राहत प्रदान कर रही है और यह तकनीक मनुष्य की जिंदगी को सुरक्षा और सेफ गार्ड प्रदान करने में काफी काम आने वाली है.

अपने कपड़ों पर इस तकनीक का प्रयोग करवाना या अपने कपड़ों को फाइबर एक्स करवाना बहुत ही अफोर्डेबल और मुश्किलों से रहित है. बहुत से डिपार्टमेंटल स्टोर, ड्राई क्लीनर्स और मेडिकल स्टोर्स ने इस तकनीक को आगे बढ़ाने के लिए अपना सहयोग दिया है इसलिए इसका प्रयोग करना भी काफी ज्यादा आसान हो जाने वाला है. यह स्टोर फाइबर एक्स तकनीक के कलेक्शन स्टोर्स के रूप में काम में लिए जायेंगे. यह स्टोर लोगों के कपड़ों को पिक करेंगे और उन्हें ट्रीटमेंट के लिए आगे भेज देंगे, इसके बाद इन्हीं स्टोर्स से लोग अपने कपड़े वापिस ले जायेंगे. इससे भी अच्छी बात यह है कि फाइबर एक्स की नैनो टेक्नोलॉजी और उसके इंग्रीडिएंट ओका टैक्स क्लास वन द्वारा सर्टिफाई किए जा चुके हैं. यह तकनीक सीडीएससीओ, आईएसओ और NABL द्वारा इवेलुएट किए गए हैं. यह नॉन मेटल, नॉन सिल्वर और नॉन इचिंग तकनीक के कपड़े न केवल अन्य मनुष्यों के लिए बल्कि छोटे शिशु के लिए भी सुरक्षित हैं. यह तकनीक बच्चों को भी सभी प्रकार के बैक्टेरियल इंफेक्शन से बचाने में लाभदाई होने वाली है. इसलिए अपने कपड़ों को फाइबर एक्स के लिए आज ही भेज दें.

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