Haathi Mere Saathi Review: इन कमियों की वजह से एंटरटेन नहीं करती फिल्म

रेटिंग: डेढ़ स्टार

निर्माताः ईरोज नाउ इंटरनेशनल

निर्देशकः प्रभु सोलोमन

कलाकारः राणा डग्गूबती, पुलकित सम्राट, जोया हुसेन, श्रिया पिलगांवकर और अनंत महादेवन

अवधिः दो घंटे 41 मिनट

ओटीटी प्लेटफार्मः ईरोज नाउ और जी सिनेमा

‘‘विकास के नाम पर जंगलों को समूल नष्ट करना कितना जायज है.’’ तथा जलवायु परिवर्तन के अहम सवाल पर प्रभु सोलोमन फिल्म ‘हाथी मेरे साथी’’ लेकर आए हैं. जो कि ‘जी सिनेमा’ और ‘ईरोज नाउ’ पर 18 सितंबर से स्ट्रीम हो रही है.

केरल में फिल्मायी गयी इस फिल्म को छत्तीसगढ़ की कहानी बताया गया है. वैसे यह फिल्म भारत के वन मैन के रूप में जाने जाते जादव पायेंग के जीवन से प्रेरित कहानी है, जादव पायेंग ने माजुली में हजारों पेड़ लगाने और एक संपूर्ण आरक्षित वन बनाने का मिशन अपने ऊपर ले लिया था.

बेहतरीन फोटोग्राफी के बावजूद लेखक व निर्देशक प्रभू सोलोमन की अपनी कमियों के चलते पूरी फिल्म का बंटाधार हो गया. फिल्म वन संरक्षण व हाथियों के संरक्षण का संदेश देने मे बुरी तरह से विफल रहती है.

कहानीः

फिल्म की शुरूआत में कैमरा ऊपर से जंगल के कुछ लुभावने दृश्यों, पेड़ों की छतरियों, खूबसूरत जानवरों, समृद्ध हरे पेड़ों और जानवरों की आवाज के साथ शुरू होती है.पर कहानी का केंद्र वनदेव (राणा दग्गुबाती) भारत के वन पुरुष हैं, जिन्हें राष्ट्रपति अब्दुल कलाम आजाद द्वारा वनों के उत्थान कार्य के लिए सम्मानित किया गया है. वह जंगल में पशु पक्षियों खासकर हाथियों के बीच ही रहते हैं.वनदेव बार बार याद दिलाते हैं कि उन्होेने इस जंगल में एक लाख पेड़ लगाए हैं. उनके दादाजी अर्जुन सिंह ने अपनी जमीन सरकार को रखरखाव और संरक्षण के लिए दान कर दी थी। इसलिए जब पर्यावरण मंत्री जगन्नाथ सेवक (अनंत महादेवन) उस सुरक्षित वनक्षेत्र के पांच सौ एकड़ में ‘डीआरएल टाउनशिप बनाने का फैसला करते हैं. पर्यावरण मंत्री अपने शहरी ग्राहकों को आवासीय टावरों, एम्फीथिएटर, व्यायामशालाओं, शॉपिंग मॉल और स्विमिंग पूल के साथ देना चाहते हैं. तो वनदेव इसके विरोध में खड़े हो जाते हैं.एक वन अधिकारी (विश्वजीत प्रधान) वनदेव कोे प्रस्तावित टाउनशिप के खिलाफ कानूनी मामला बनाने में मदद करता है.मगर मंत्री उसका तबदला कर भ्रष्ट वन अधिाकरी की नियुक्ति कर देते हैं. उधर मंत्री के कहने पर ठेकेदार शंकर (पुलकित सम्राट) नामक कुमकी (प्रशिक्षित) हाथी के महावत की सेवा लेता है.शंकर का हाथी छोटू जंगल के सभी हाथियों को भगाकर जंगल के चारों तरफ सात मीटर उंची दीवार उठाने में मदद करता है.

लेखन व निर्देशनः

माना कि फिल्म ‘हाथी मेरे साथी’ में जो मुद्दा उठाया गया है,वह अति प्रासंगिक और तात्कालिक है. क्योंकि हमारे देश के नेता ही चंद रूपयों के लालच में वनों की कटाई करवा रहे हैं. लेकिन फिल्मकार प्रभु सोलोमन इस संदेश को सही अंदाज में पेश करने में विफल रहे हैं.हकीकत में भ्रष्ट पर्यावरण मंत्री, उसके आगे पीछे बंधुआ मजदूर की भांति घूमने वाले पुलिस अफसर, उपदेशात्मक भाषणबाजी, ग्रामीण की भीड़, जंगल व हाथियों के बचाने के लिए जिंदगी दांव पर लगाने वाला ‘फारेस्ट मैन आफ इंडिया’, माओ वादी, वसीयतनामा, ठेकेदार, वकील, इमारत बनाने वाले कर्मी, घूसखोर अफसर आदि का चूं चूं का मुरब्बा है प्रभु सोलोमन की फिल्म ‘‘हाथी मेरे साथी.’’ फिल्म की पटकथा बहुत गड़बड़ है. फिल्म में पत्रकार अरुंधति (श्रिया पिलगांवकर) का किरदार जबरन ठूंसा हुआ लगता है. इस किरदार को हटा दें, तो भी कहानी पर कोई असर नही पड़ेगा. फिल्म में उपदेशात्मक भाषणबाजी की भरमार है. अन्यथा फिल्म तो एक घंटे में ही खत्म हो जाती है. पर उसके बाद बेवजह खींची गयी है. पटकथा बहुत गड़बड़ है. कई दृश्यों व संवादो व उपदेशात्मक भाषण बाजी का कई बार दोहराव है. फिल्म का निर्देशन व प्रस्तुतिकरण अत्यंत कष्टप्रद व जर्जर है. भ्रष्ट राजनेताओं द्वारा अपने लाभ के लिए किसी भी हद तक जाने के कथानक पर हजारों फिल्में बन चुकी हैं. उसी को इसमें भी दोहराया गया है. वनदेव व हाथियों के बीच के दृश्य मजाकिया बनकर रह गए हैं. दोनों के बीच कोई तालमेल नजर नही आता, यह निर्देशक की सबसे बड़ी विफलता है. एक हाथी ही हाथियों के झुंड को नुकसान पहुंचाने का प्रयास करता है, इससे बड़ा हास्यास्पद दृश्य क्या हो सकता है. हर जानवर को इतनी समझ होती है कि कौन उसका हितैशी है, मगर फिल्मकार ने दिखाया है कि वर्षों से जिन हाथियों के साथ वनदेव रहा है, वही हाथी उसे मारना चाहते हैं. किसी भी किरदार में कोई गहराई नहीं है. फिल्म में बेवजह आरवी (जोया हुसेन) और शंकर (पुलकित सम्राट) का रोमांटिक एंगल भी जोड़ा गया है. पर यह प्रेम कहानी भी अधपकी ही है.

अभिनयः

भालू जैसी चाल,बार बार अपनी गर्दन को दाएं बाएं घुमाने वाले वनरक्षक व जंगल में एक लाख पेड़ लगाने का दावा करने वाले वनदेव के किरदार में राणा डग्गूबती पूरी फिल्म को अपने कंधे पर ढोने का प्रयास करते हैं, मगर कमजोर पटकथा व कमजोर चरित्र चित्रण के चलते उनकी मेहनत भी जाया जाती है. शंकर के किरदार में पुलकित सम्राट नही जमे. मंत्री के किरदार मे अनंत महादेवन ठीक ठाक हैं. आरवी के किरदार में जोया हुसेन हैं, मगर उनके हिस्से करने को कुछ आया ही नही.

हमारे यहां ऐसा नहीं होता: धरा की सास को क्यों रहना पड़ा चुप

हर फैमिली के बैस्ट फ्रैंड हैं ये बेहद जरूरी हैल्थ गैजेट्स 

 

अगर आप भी यह मानते हैं Health Is Wealth, तो ओमरोन से बेहतर  बैस्ट फ्रैंड कौन हो सकता है. ओमरोन सालों से हैल्थ गैजेट्स बनाने वाली कंपनियों में सब से आगे रही है. इस कंपनी के सभी हैल्थ गैजेट्स को उन्नत टैक्नोलौजी का इस्तेमाल कर बनाया गया है. इन का इस्तेमाल करना काफी सरल है.

ओमरोन के मशहूर हैल्थ गैजेट्स में शामिल हैं 

रखेगा ब्लड प्रैशर को कंट्रोल में  : लाइफस्टाइल की वजह से हर घर में कोई न कोई इंसान ब्लड प्रैशर की प्रौब्लम से जूझ रहा है. इसे साइलैंट किलर भी माना जाता है. इस डिजीज को काबू में रखने के लिए ओमरोन का ब्लड प्रैशर मौनिटर बैस्ट है. इस की मदद से घर पर ही रक्तचाप की स्थिति का पता लगाया जा सकता है. 

वजन पर रखेगा नजर यह हैल्थ गैजेट :  लोग आज अपने फिटनैस को ले कर काफी चिंतित रहते हैं. वे स्लिम दिखना चाहते हैं, साथ ही यह उम्मीद करते हैं कि उन का वजन कंट्रोल में रहे. कुल मिला कर कहा जाए तो वे खुद को मोटा नहीं देखना चाहते हैं. आप का वजन कितना बढ़ रहा है या उस में किस तरह का चेंज आ रहा है यह पता लगाने में ओमरोन का वजन और BMI स्केल मौनिटर आप की मदद करेगा. 

दिल की बीमारियों को करेगा मौनिटर : हार्ट डिजीज एक बड़ी हैल्थ प्रौब्लम के रूप में सामने आई है. ओमरोन के कुछ गैजेट्स स्पैशियली दिल के सेहत की देखभाल करने के लिए हैं. ये गैजेट्स हार्टबीट समेत हार्ट डिजीज से जुड़ी दूसरी समस्याओं को ट्रैक करने का काम करता है.

बेहद जरूरी है यह हैल्थ गैजेट :  यहां बात हो रही है इलैक्ट्रौनिक थर्मामीटर की. यह शरीर के सही तापमान को बताने के लिए बिल्कुल परफैक्ट उपकरण है. वैसे तो यह गैजेट हर किसी के घर में होना चाहिए लेकिन जिन घरों में बच्चे और बुजुर्ग हों, वहां मैडिकल किट्स में इस का शामिल होना और भी जरूरी हो जाता है. 

Three generations of cheerful males and females standing one by one behind each other at park

समय के साथ लोगों की सोच बदली है और वह इस बात में यकीन करने लगे हैं कि सेहत से जुड़े कुछ उपकरण केवल डाक्टर्स के लिए ही नहीं बल्कि हर परिवार, हर घर के लिए जरूरी है. सेहत के प्रति लापरवाही नहीं बरती जानी चाहिए इसलिए जरूरी है कि सेहत का सही ख्याल रखा जाए,  शरीर में सेहत से जुड़े बदलावों को मौनिटर किया जाए. ओमरोन के हैल्थ गैजेट्स इसी को ध्यान में रख कर तैयार किए गए हैं. इसे बनाते समय इस बात का भी ध्यान रखा गया है कि इस का उपयोग करना आसान हो ताकि सामान्य इंसान भी इस का फायदा उठा सके 

सिंगल वूमन के लिए जरूरी हैं ये 7 मैडिकल टैस्ट

जो महिलाएं शादी नहीं करतीं या तलाक अथवा पति की मृत्यु के कारण अकेली रह जाती हैं उन में उम्र बढ़ने पर अकेलेपन की भावना घर करने लगती है, क्योंकि जब तक वे 40 की होती हैं, उन के भाईबहनों, कजिंस और दोस्तों की शादियां हो जाती हैं और वे अपनेअपने परिवार में व्यस्त हो जाते हैं, जिस से वे एकदम अकेली पड़ जाती हैं. इस से उन में तनाव का स्तर बढ़ने लगता है, जो उन्हें कई बीमारियों का शिकार बना देता है. उन में वजन कम या अधिक होने, उच्च रक्त दाब, हृदय रोग, तंत्रिकातंत्र से संबंधित समस्याएं यहां तक कि कई प्रकार के कैंसर होने की आशंका तक बढ़ जाती है.

एकल जीवन बिता रही महिलाओं को अपनी सेहत का और अधिक खयाल रखना चाहिए. वे यह न सोचें कि हैल्थ चैकअप समय और पैसों की बरबादी है. चूंकि कई गंभीर बीमारियों के लक्षण प्रथम चरण में नजर नहीं आते, इसलिए मैडिकल टैस्ट जरूरी है ताकि बीमारी का पता चलने पर उस का समय रहते उपचार करा लिया जाए.

प्रमुख मैडिकल चैकअप

ओवेरियन सिस्ट टैस्ट: अगर आप को पेट के निचले हिस्से में दर्द हो या अनियमित मासिक धर्म हो अथवा मासिक धर्म के दौरान अत्यधिक ब्लीडिंग हो तो ओवेरियन सिस्ट का टैस्ट कराएं. अगर सामान्य पैल्विक परीक्षण के दौरान सिस्ट का पता चलता है, तो ऐब्डोमिनल अल्ट्रासाउंड किया जाता है. छोटे आकार के सिस्ट तो अपनेआप ठीक हो जाते हैं पर यदि ओवेरियन ग्रोथ या सिस्ट का आकार 1 इंच से बड़ा हो तो आप को ओवेरियन कैंसर होने की आशंका है. इस स्थिति में डाक्टर कुछ और टैस्ट कराने की सलाह देते हैं.

मैमोग्राम: यह महिलाओं के लिए सब से महत्त्वपूर्ण टैस्ट है. जब कैंसर हो जाने पर भी कोई बाहरी लक्षण दिखाई न दे तब यह टैस्ट कैंसर होने का पता लगा लेता है. क्लीनिकल ब्रैस्ट ऐग्जामिनेशन (सीबीई) किसी डाक्टर द्वारा किया जाने वाला ब्रैस्ट का फिजिकल ऐग्जामिनेशन है. इस में स्तनों के आकार में बदलाव जैसे गठान, निपल का मोटा हो जाना, दर्द, निपल से डिस्चार्ज बाहर आना और स्तनों की बनावट में किसी प्रकार के बदलाव की जांच की जाती है.

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कितने अंतराल के बाद: सीबीई साल में 1 बार और मैमोग्राम 2 साल में 1 बार.

कोलैस्ट्रौल स्क्रीनिंग टैस्ट: कोलैस्ट्रौल एक तरह का फैटी ऐसिड होता है. यह जांच यह बताने के लिए जरूरी है कि आप के दिल की बीमारियों की चपेट में आने की कितनी संभावना है. कोलैस्ट्रौल 2 प्रकार के होते हैं-एचडीएल या हाई डैंसिटी लिपोप्रोटीन्स और एलडीएल या लो डैंसिटी लिपोप्रोटीन्स. इस टैस्ट में रक्त में दोनों के स्तर की जांच होती है.

कितने अंतराल के बाद: 3 वर्ष में 1 बार. लेकिन अगर जांच में यह बात सामने आती है कि आप के रक्त में कोलैस्ट्रौल का स्तर सामान्य से अधिक है या आप के परिवार में दिल की बीमारी का पारिवारिक इतिहास रहा है तो डाक्टर आप को हर 6 से 12 महीनों में यह जांच कराने की सलाह देते हैं.

ब्लड प्रैशर टैस्ट: नियमित रूप से ब्लड प्रैशर की जांच शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है. अगर आप का ब्लड प्रैशर 90/140 से अधिक या कम है तो आप के दिल पर दबाव पड़ता है, जिस से ब्रेन स्ट्रोक, हार्ट अटैक और किडनी फेल होने की आशंका बढ़ जाती है.

कितने अंतराल के बाद: साल में 1 बार, लेकिन अगर आप का ब्लड प्रैशर सामान्य से अधिक या कम है तो डाक्टर आप को 6 महीने में 1 बार कराने की सलाह देंगे.

ब्लड शुगर टैस्ट और डायबिटीज स्क्रीनिंग: ब्लड शुगर टैस्ट में यूरिन की जांच कर रक्त में शुगर के स्तर का पता लगाया जाता है. डायबिटीज स्क्रीनिंग में शरीर के ग्लूकोज के अवशोषण की क्षमता की जांच की जाती है.

कितने अंतराल के बाद: 3 साल में

1 बार. पारिवारिक इतिहास होने पर प्रति वर्ष.

बोन डैंसिटी टैस्ट: बोन डैंसिटी टैस्ट में एक विशेष प्रकार के ऐक्स रे के द्वारा स्पाइन, कलाइयों, कूल्हों की हड्डियों की डैंसिटी माप कर इन की शक्ति का पता लगाया जाता है ताकि हड्डियों के टूटने से पहले ही उन का उपचार किया जा सके.

कितने अंतराल में कराएं: हर 5 साल बाद.

पैप स्मियर टैस्ट: इस के द्वारा गर्भाशय के कैंसर की जांच की जाती है. अगर समय रहते इस के बारे में पता चल जाए तो इस का उपचार आसान हो जाता है. इस में योनि में एक यंत्र स्पैक्युलम डाल कर सर्विक्स की कुछ कोशिकाओं के नमूने लिए जाते हैं. इन कोशिकाओं की जांच की जाती है कि कहीं इन में कोई असमानता तो नहीं है.

कितने अंतराल के बाद: 3 साल में 1 बार.

-डा. नुपुर गुप्ता (कंसलटैंट ओस्टेट्रिशियन ऐंड गाइनोकोलौजिस्ट, निदेशक, लैव वूमन क्लीनिक, गुड़गांव)

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उलझन: भाग 2- टूटती बिखरती आस्थाओं और आशाओं की कहानी

लेखक-  रानी दर

प्रतीक्षा से बोझिल वातावरण एकाएक हलका हो गया था. बातचीत आरंभ हुई तो इतनी सहज और अनौपचारिक ढंग से कि देखतेदेखते अपरिचय और दूरियों की दीवारें ढह गईं. रमाशंकरजी का परिवार जितना सभ्य और सुशिक्षित था, उन के बहनबहनोई का परिवार उतना ही सुसंस्कृत और शालीन लगा.

चाय पी कर नलिनीजी ने पास रखी अटैची खोल कर सामान मेज पर सजा दिया. मिठाई के डब्बे, साड़ी का पैकेट, सिंदूर रखने की छोटी सी चांदी की डिबिया. फिर रश्मि को बुला कर अपने पास बिठा कर उस के हाथों में चमचमाती लाल चूडि़यां पहनाते हुए बोलीं, ‘‘यही सब खरीदने में देर हो गई. हमारे नरेशजी का क्या है, यह तो सिर्फ बातें बनाना जानते हैं. पर हम लोगों को तो सब सोचसमझ कर चलना पड़ता है न? पहलीपहली बार अपनी बहू को देखने आ रही थी तो क्या खाली हाथ झुलाती हुई चली आती?’’

‘‘बहू,’’ मैं ने सहसा चौंक कर खाने के कमरे से झांका तो देखती ही रह गई. रश्मि के गले में सोने की चेन पहनाते हुए वह कह रही थीं, ‘‘लो, बेटी, यह साड़ी पहन कर आओ तो देखें, तुम पर कैसी लगती है. तुम्हारे ससुरजी की पसंद है.’’

रश्मि के हाथों में झिलमिलाती हुई चूडि़यां, माथे पर लाल बिंदी, गले में सोने की चेन…यह सब क्या हो रहा है? हम स्वप्न देख रहे हैं अथवा सिनेमा का कोई अवास्तविक दृश्य. घोर अचरज में डूबी रश्मि भी अलग परेशान लग रही थी. उसे तो यह भी नहीं मालूम था कि उसे कोई देखने आ रहा है.

हाथ की प्लेटें जहां की तहां धर मैं सामने आ कर खड़ी हो गई, ‘‘क्षमा कीजिए, नलिनीजी, हमें भाईसाहब ने इतना ही कहा था कि आप लोग रश्मि को देखने आएंगे, पर आप का निर्णय क्या होगा, उस का तो जरा सा भी आभास नहीं था, सो हम ने कोई तैयारी भी नहीं की.’’

‘‘तो इस में इतना परेशान होने की क्या बात है, सरला बहन? बेटी तो आप की है ही, अब हम ने बेटा भी आप को दे दिया. जी भर के खातिर कर लीजिएगा शादी के मौके पर,’’ उन का चेहरा खुशी के मारे दमक रहा था, ‘‘अरे, आ गई रश्मि बिटिया. लो, रमाशंकर, देख लो साड़ी पहन कर कैसी लगती है तुम्हारी बहूरानी.’’

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‘‘हम क्या बताएंगे, दीदी, आप और जीजाजी बताइए, हमारी पसंद कैसी लगी आप को? हम ने हीरा छांट कर रख दिया है आप के सामने. अरे भई, अनुपम, ऐसे गुमसुम से क्यों बैठे हो तुम? वह जेब में अंगूठी क्या वापस ले जाने के इरादे से लाए हो?’’ रमाशंकरजी चहके तो अनुपम झेंप गया.

‘‘हमारी अंगूठी के अनुपात से काफी दुबलीपतली है यह. खैर, कोई बात नहीं. अपने घर आएगी तो अपने जैसा बना लेंगे हम इसे भी,’’ नलिनीजी हंस दीं.

पर मैं अपना आश्चर्य और अविश्वास अब भी नियंत्रित नहीं कर पा रही थी, ‘‘वो…वो…नलिनीजी, ऐसा है कि आजकल लड़के वाले बीसियों लड़कियां देखते हैं…और इनकार कर देते हैं…और आप…?

‘‘हां, सरला बहन, बड़े दुख की बात है कि संसार में सब से महान संस्कृति और सभ्यता का दंभ भरने वाला हमारा देश आज बहुत नीचे गिर गया है. लोग बातें बहुत बड़ीबड़ी करते हैं, आदर्श ऊंचेऊंचे बघारते हैं, पर आचरण ठीक उस के विपरीत करते हैं.

‘‘लेकिन हमारे घर में यह सब किसी को पसंद नहीं. लड़का हो या लड़की, अपने बच्चे सब को एक समान प्यारे होते हैं. किसी का अपमान अथवा तिरस्कार करने का किसी को भी अधिकार नहीं है. हमारे अनुपम ने पहले ही कह दिया था, ‘मां, जो कुछ मालूम करना हो पहले ही कर लेना. लड़की के घर जा कर मैं उसे अस्वीकार नहीं कर सकूंगा.’

‘‘इसलिए हम रमाशंकर और भाभी से सब पूछताछ कर के ही मुंबई से आए थे कि एक बार में ही सब औपचारिकताएं पूरी कर जाएंगे और हमारी भाभी ने रश्मि बिटिया की इतनी तारीफ की थी कि हम ने और लड़की वालों के समस्त आग्रह और निमंत्रण अस्वीकार कर दिए. घरघर जा कर लड़कियों की नुमाइश करना कितना अपमानजनक लगता है, छि:.’’

उन्होंने रश्मि को स्नेह से निहार कर हौले से उस की पीठ थपथपाई, ‘‘बेटी का बहुत चाव था हमें, सो मिल गई. अब तुम्हें 2-2 मांओं को संभालना पड़ेगा एकसाथ. समझी बिटिया रानी?’’ हर्षातिरेक से वह खिलीखिली जा रही थीं.

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‘‘अच्छा, बहनजी, अब आप का उठने का विचार है या अपनी लाड़ली बहूरानी को साथ ले कर जाने का ही प्रण कर के आई  हैं?’’ रमाशंकरजी अपनी चुटकियां लेने की आदत छोड़ने वाले नहीं थे, ‘‘बहुत निहार लिया अपनी बहूरानी को, अब उस बेचारी को आराम करने दीजिए. क्यों, रश्मि बिटिया, आज तुम्हारी जबान को क्या हो गया है? जब से आए हैं, तुम गूंगी बनी बैठी हो. तुम भी तो कुछ बोलो, हमारे अनुपम बाबू कैसे लगे तुम्हें? कौन से हीरो की झलक पड़ती है इन में?’’

रश्मि की आंखें उन के चेहरे तक जा कर नीचे झुक गईं तो वह हंस पड़े, ‘‘भई, आज तो तुम बिलकुल लाजवंती बन गई हो. चलो, फिर किसी दिन आ कर पूछ लेंगे.’’

तभी इन्होंने एक लिफाफा नरेशजी के हाथों में थमा दिया, ‘‘इस समय तो बस, यही सेवा कर सकते हैं आप की. पहले से मालूम होता तो कम से कम अनुपमजी के लिए एक अंगूठी और सूट का प्रबंध तो कर ही लेते. जरा सा शगुन है बस, ना मत कीजिएगा.’’

हम लोग बेहद संकोच में घिर आए थे. अतिथियों को विदा कर के आए तो लग रहा था जैसे कोई सुंदर सा सपना देख कर जागे हैं. चारों तरफ रंगबिरंगे फूलों की वादियां हैं, ठंडे पानी के झरझर झरते झरने हैं और बीच में बैठे हैं हम और हमारी रश्मि. सचमुच कितना सुखी जीवन है हमारा, जो घरबैठे लड़का आ गया था. वह भी इंजीनियर. भलाभला सा, प्यारा सा परिवार. कहते हैं, लड़की वालों को लड़का ढूंढ़ने में वर्षों लग जाते हैं. तरहतरह के अपमान के घूंट गले के भीतर उड़ेलने पड़ते हैं, तब कहीं वे कन्यादान कर पाते हैं.

क्या ऐसे भले और नेक लोग भी हैं आज के युग में?

नलिनीजी के परिवार ने लड़के वालों के प्रति हमारी तमाम मान्यताओं को उखाड़ कर उस की जगह एक नन्हा सा, प्यारा सा पौधा रोप दिया था, मानवता में विश्वास और आस्था का. और उस नन्हे से झूमतेलहराते पौधे को देखते हुए हम अभिभूत से बैठे थे.

‘‘अच्छा, जीजी, चुपकेचुपके रश्मि बिटिया की सगाई कर डाली और शहर के शहर में रहते भी हमें हवा तक नहीं लगने दी?’’ देवरानी ने घुसते ही बधाई की जगह बड़ीबड़ी आंखें मटकाते हुए तीर छोड़ा.

‘‘अरे मंजु, क्या बताएं, खुद हमें ही विश्वास नहीं हो रहा है कि कैसे रश्मि की सगाई हो गई. लग रहा है, जैसे सपना देख कर जागे हैं. उन लोगों ने देखने आने की खबर दी थी, पर आए तो पूरी सगाई की तैयारी के साथ. और हम लोग तो समझो, पानीपानी हो गए एकदम. लड़के के लिए न अंगूठी, न सूट, न शगुन का मिठाईमेवा. यह देखो, तुम्हारी बिटिया के लिए कितना सुंदर सेट और साड़ी दे गए हैं.’’

मंजु ने सामान देखा, परखा और लापरवाही से एक तरफ धर कर, फिर जैसे मैदान में उतर आई, ‘‘अरे, अब हमें मत बनाइए, जीजी. इतनी उमर हो गई शादीब्याह देखतेदेखते, आज तक ऐसा न देखा न सुना. परिवार में इतना बड़ा कारज हो जाए और सगे चाचाचाची के कान में भनक भी न पड़े.’’

‘‘मंजु, इस में बुरा मानने की क्या बात है. ये लोग बड़े हैं. जैसा ठीक समझा, किया. उन की बेटी है. हो सकता है, भैयाभाभी को डर हो, कहीं हम लोग आ कर रंग में भंग न डाल दें. इसलिए…’’

‘‘मुकुल भैया, आप भी…हम पर इतना अविश्वास? भला शुभ कार्य में अपनों से दुरावछिपाव क्यों करते?’’ छोटे भाई जैसे देवर मुकुल से मुझे ऐसी आशा नहीं थी.

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‘‘अच्छा, रानीजी, जो हो गया सो तो हो गया. अब ब्याह भी चुपके से न कर डालना. पहलीपहली भतीजी का ब्याह है. सगी बूआ को न भुला देना,’’ शीला जीजी दरवाजे की चौखट पर खड़ेखड़े तानों की बौछार कर रही थीं.

‘‘हद करती हैं आप, जीजी. क्या मैं अकेले हाथों लड़की को विदा कर सकती हूं? क्या ऐसा संभव है?’’

‘‘संभवअसंभव तो मैं जानती नहीं, बीबी रानी, पर इतना जरूर जानती हूं कि जब आधा कार्य चुपचाप कर डाला तो लड़की विदा करने में क्या धरा है. अरे, मैं पूछती हूं, रज्जू से तुम ने आज फोन करवाया. कल ही करवा देतीं तो क्या घिस जाता? पर तुम्हारे मन में तो खोट था न. दुरावछिपाव अपनों से.’’

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Anupamaa: समर के पीछे पड़ीं काव्या-किंजल और नंदिनी, ऐसे किया परेशान

सीरियल अनुपमा की कहानी में इन दिनों नया मोड़ आता दिख रहा है, जिसे फैंस काफी पसंद कर रहे हैं. वहीं सीरियल के सितारे भी इस बात से बेहद खुश हैं. इसी बीच अनुपमा के सेट से एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें समर लड़कियों के बीच घिरे हुए नजर आ रहे हैं. आइए आपको दिखाते हैं वीडियो की झलक…

समर का हुआ ये हाल

टीवी सीरियल अनुपमा में समर का किरदार निभाने वाले पारस कलनावत ने एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया है, जिसमें किंजल यानी निधि शाह, काव्या यानी मदालसा शर्मा और नंदिनी यानी अनघा भोंसले, समर के साथ मस्ती करती नजर आ रही हैं. इसी के साथ वह #touchit गाने पर डांस करते हुए भी दिख रहे हैं.

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काव्या संग करते हैं मस्ती

सीरियल की कैमेस्ट्री से हटकर औफस्क्रीन कैमेस्ट्री की बात करें तो काव्या यानी मदालसा शर्मा और समर यानी पारस कलनावत की बौंडिंग काफी अच्छी है. दोनों अक्सर सेट पर मजेदार वीडियो बनाते हैं और फैंस के साथ शेयर करते हैं. हाल ही में पारस कलनावत कृष्ण बनकर मदालसा के साथ ठुमके लगाते हुए भी नजर आए थे. फैंस को दोनों की कैमेस्ट्री काफी पसंद आई थी.

अनुपमा की जिंदगी में आया नया पड़ाव

 

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सीरियल की बात करें तो अनुज के दिए पार्टनरशिप के प्रपोजल को अनुपमा ने मंजूर कर लियाहै. हालांकि वनराज इस बात से नाखुश है, जिसके चलते वह अनुपमा को चुनौती देता है कि जल्दी वह इसका सपना तोड़ देगा. लेकिन अनुपमा अपने फैसले पर टिकी रहती है और अनुज को अपनी इस डील को केवल डील ही रखने के लिए कहती है.

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शिल्प को सम्मान शिल्पियों का स्वावलंबन: सीएम योगी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अगले 03 महीने में प्रदेश के 75 हजार कारीगरों और शिल्पियों को आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य तय किया है. इन तीन माह में 75 हजार शिल्पियों को प्रशिक्षित कर इन्हें विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना से जोड़ते हुए स्वावलम्बन से जोड़ा जाएगा आजादी के अमृत महोत्सव पर शिल्पियों और करीगरों के लिए यह सबसे बड़ा तोहफा होगा.

मुख्यमंत्री ने यह बातें विश्वकर्मा दिवस के मौके पर शुक्रवार को ‘विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना’ के तहत 21,000 लाभार्थियों को टूलकिट और 11 हजार लाभार्थियों को ‘प्रधानमंत्री मुद्रा योजनांतर्गत ऋण वितरण करते हुए कहीं. लोकभवन में आयोजित मुख्य समारोह के साथ-साथ जिला मुख्यालयों पर भी कार्यक्रम आयोजित हुए.

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 26 दिसम्बर 2018 में हमने प्रदेश में विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना का शुभारंभ किया, तब से परंपरागत हस्तशिल्पियों, कारीगरों को सम्मान देने, उनको स्वावलंबी बनाने और प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने का यह सिलसिला चलता आ रहा है. हस्तशिल्पियों ने योजनाओं का लाभ लेकर एक जनपद एक उत्पाद और विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना ने रोजगार उत्पन्न करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना काल में हर व्यक्ति चिंता में था कि उत्तर प्रदेश का क्या होगा. लेकिन हमारे पारंपरिक करीगरों, हस्तशिल्पियों ने मिलकर ऐसा तंत्र विकसित किया जिससे हर प्रवासी को शासन की योजनाओं से जुड़ने और प्रधानमंत्री की आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने का काम किया. आज बेरोजगारी की दर चार पांच फीसदी है. यह प्रसन्नता प्रदान करने वाला है. हमने दिसम्बर 2018 से 68412 से अधिक शिल्पियों को 100 करोड़ के उन्नत टूल किट वितरित किये हैं. सीएम ने कहा कि बहनें और माताएं यदि ठान लें तो उत्तर प्रदेश को रेडीमेड गारमेंट का हब बनाने में देरी नहीं लगेगी.

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री कहते हैं कि हमें अपने परंपरागत उद्यम और कारीगरी को एक मंच देना ही होगा. उनका प्रशिक्षित कराएं. आज प्रदेश के 21,000 से अधिक कारीगरों व हस्तशिल्पियों को टूलकिट वितरित किए जा रहे हैं. प्रदेश सरकार अपने परंपरागत कारीगरों व उद्यमियों को स्वावलंबी बना रही है, जिससे वह आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में अपना योगदान दे सकें.

मुख्यमंत्री ने कहा कि गांव के मोची, नाई, बढ़ई को मंच मिलना चाहिए. उन्हें सबल बनाना है. उन्हें उच्च प्रशिक्षण देकर तकनीकी से जोड़ना है और सर्टिफिकेट देकर साथ ही ट्रेनिंग के दौरान 250 रुपये प्रतिदिन प्रशिक्षण भत्ता देते हुए मजबूत बनाना है. उन्होंने बताया कि आज तक 1 लाख हस्तशिल्पियों को इस योजना से जोड़ा गया है, प्रशिक्षित करके टूलकिट उपलब्ध करवाए हैं. उन्होंने अधिकारियों से कहा कि अगले 03 महीनों में 75 हजार करीगरों और हस्तशिल्पियों को टूल किट और ऋण उपलब्ध कराने की कार्ययोजना बनाएं.

उन्होंने विभाग के मंत्रियों से कहा कि वो गांव-गांव में करीगरों, हस्तशिल्पियों के यहां पहुंचकर उनको प्रोत्साहित करने का भी काम करें. उन्होंने कहा कि हमें कारीगरों को सम्मान देना होगा वो ही हमारी धरोहर हैं. उन्होंने कहा कि आज इस कार्यक्रम को आयोजित करने के लिए विभाग को और आपको धन्यवाद बधाई देता हूं. प्रधानमंत्री जी के जन्मदिन के दिन से और सेवा के उनके 20 वर्ष के उपलक्ष्य में अगले 20 दिनों तक अलग अलग कार्यक्रम होंगे.

मुख्यमंत्री ने पीएम मोदी को दी जन्मदिन की बधाई

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कार्यक्रम के दौरान कहा कि आज दो महत्वपूर्ण दिन है एक तो विश्वकर्मा जी की जयंती और दूसरा दुनिया के सबसे लोकप्रिय राजनेता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का जन्मदिन. प्रधानमंत्री जी के इस वर्ष 6 अक्टूबर को सेवा के 20 वर्ष के रूप में पूरे हो रहे हैं. मैं प्रदेश की जनता की तरफ से देश में जो उनकी ओर से की गई सेवाएं हैं उनके लिए हृदय से अभिनन्दन करता हूं.

मोदी जी के प्रयास से जो खुशहाली आपके जीवन में प्रारंभ हुई है, देश-समाज को नई दिशा मिली है. उसको विकास के उत्सव में रूप में प्रदेश में 7 अक्टूबर तक मनाया जाएगा. हुनरमंदों, कारीगरों और हस्तशिल्पियों को सम्मान देने वाले कार्यक्रम से इसकी शुरुआत की जा रही है.

आयोध्या में इस बार हम साढ़े 7 लाख दिए जलाने जा रहे : सीएम योगी

मुख्यमंत्री ने कहा कि 2017 में अयोध्या में दीपोत्सव के लिए 51 हजार दीप जुटाने के लिए हमें पूरे प्रदेश की खाक छाननी पड़ी थी. इस वर्ष हम साढ़े सात लाख दिए जलाने जा रहे हैं. हमने तकनीक से करीगरों को जोड़ा तभी यह संभव हो पाया है. हमारे कारीगर लक्ष्मी गणेश की मूर्ति बनाना छोड़ दिया था. चीन जैसे नास्तिक देश मूर्तियां बनाने लगा. पिछली सरकारों ने चिंता नहीं की. आज हमारे कारीगर मूर्तियां बना रहे हैं. चीन से अच्छी, सुंदर, सस्ती और टिकाऊ. उन्हीं कारीगरों के चेहरों पर आज खुशहाली आ गयी है.

मुख्यमंत्री योगी के आर्थिक मॉडल से प्रदेश बन रहा आत्मनिर्भर: सिद्धार्थनाथ सिंह

एमएसएमई विभाग के मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आर्थिक मॉडल ने प्रदेश को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने का काम किया है. बहुत कम लोगों को इसकी समझ है. पंडित दीनदयाल जी कह गये कि आखिरी पायदान पर खड़े व्यक्ति तक लाभ पहुंचना चाहिये. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की प्रेरणा से यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उसको प्रदेश में पूरा करने का काम किया है.

एक जनपद एक उत्पाद योजना ने उन गरीबों को जिनके पास हुनर है उनको आगे ले जाने का काम किया है. ओडीओपी और विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना ने प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने का काम किया है. उन्होंने कहा कि कोरोना के होते हुए भी प्रदेश में 68412 लोगों ने विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना से प्रशिक्षण लिया है.

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए मुख्यमंत्री की अभिनव सोच को आगे बढ़ाने का और 17 दिसम्बर को एक बड़ा आयोजन कर 75 हजार लोगों को विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना से प्रशिक्षण दिलाकर टूलकिट वितरित किये जाने का आश्वासन दिया.

पाखी पर भड़केगा सम्राट, विराट को लेकर परिवार के सामने पूछेगा सवाल

सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin) की कहानी में नए-नए ट्विस्ट आ रहे हैं.जहां एक तरफ सम्राट का सहारा लेकर पाखी, विराट के करीब आ रही है तो वहीं सई अपनी शादीशुदा जिंदगी को नया मौका देने की तैयारी कर रही है. इस बीच सीरियल में बड़ा हंगामा देखने को मिलने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे….

पाखी ने चली नई चाल

अब तक आपने देखा कि सई दोबारा घर लौट आती है, जिसे देखकर पाखी के चेहरे की हवाइयां उड़ जाती है और वह नया प्लान बनाते हुए अपना दुपट्टा हवन की आग में डाल देती है. लेकिन समय रहते सम्राट देख लेता है और उसे बचा लेता है, जो पाखी को बिल्कुल पसंद नही आता. इसी के साथ वह पाखी पर सवाल उठाना शुरु करती है.

 

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सम्राट को आएगा गुस्सा

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि सई से बात करने के लिए सम्राट अपना हाथ आगे बढ़ाएगा. लेकिन विराट कहेगा कि सई मेरी बीवी है इसलिए वह उससे सवाल और जवाब मांगेगा. वहीं पाखी, विराट को भड़काने के लिए कहेगी कि वह सई को हार चुका है. परिवार और विराट सई का हर कदम पर सपोर्ट कर रहा है, जिसके कारण वह हाथ से निकल चुकी है, जिसे सुनकर सम्राट आग बबूला हो जाएगा और पाखी से कहेगा कि वह हर समय भड़काने का काम क्यों करती है. उसे क्या चाहिए विराट या कुछ और इसी के साथ वह पाखी से अपने सवालों के जवाब भी मांगेगा, जिसे सुनकर पाखी और पूरा चौह्वाण परिवार चौंक जाएगा.

 

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सई उठाएगी नया कदम

सीरियल में आने वाले ट्विस्ट की बात करें तो सम्राट, सई को विराट के लिए उसके प्यार को समझने के लिए कहेगा, जिसके चलते सई एक अलग जगह जाने का फैसला करेगी. वह विराट संग गढ़चिरौली जाएगी. जहां वह, विराट के प्यार की परीक्षा लेने की तैयारी करेगी.

 

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यंग गर्ल्स पर खूब जचेंगे ‘अनुपमा’ की ‘किंजल’ के ये लुक्स

स्टार प्लस के सीरियल ‘अनुपमा’ में इन दिनों काफी ड्रामा देखने को मिल रहा है, जो फैंस को काफी एंटरटेन कर रहा है. आज हम आपको ‘अनुपमा’ के आगे आने वाले ट्विस्ट की नही बल्कि शो में किंजल के रोल में नजर आने वाली निधि शाह के फैशन के बारे में बताएंगे.

सिंपल रहने वाली किंजल के सोशलमीडिया अकाउंट की बात करें तो वह अक्सर अपनी इंडियन लुक में फोटोज शेयर करती रहती हैं. इसीलिए आज हम यंग गर्ल्स के फेस्टिव सीजन के निधि शाह के कुछ आउटफिट के बारे में आपको बताएंगे.

1. प्लेन सूट के साथ कलरफुल टच

अगर आप फेस्टिव सीजन में अपने लुक को सिंपल लेकिन स्टाइलिश बनाना चाहती हैं तो निधि शाह का ये लुक जरूर ट्राय करें. प्लेन वाइट सूट पर कलरफुल टच आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. वहीं ज्वैलरी की बात करें तो आप मल्टी कलर ज्वैलरी इस लुक के साथ कैरी कर सकती हैं.

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2. सिंपल शरारा लुक करें ट्राय 

अगर आप शरारा पहनना चाहती हैं तो निधि शाह का ये प्रिंटेड शरारा लुक आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. इसके साथ आप हैवी औक्साइड ज्वैलरी ट्राय कर सकती हैं.

3. ये कौम्बिनेशन है परफेक्ट

अगर आप फेस्टिव सीजन में किसी पार्टी का हिस्सा बनने वाली हैं तो ग्लिटर सिलवर लहंगे के साथ प्लेन ब्लाउज आपके लिए परफेक्ट रहेगा. ये आपके लुक को क्लासी बनाने में मदद करेगा.

4.  पिंक लहंगा है परफेक्ट

 

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And honey, you should know, that i could never go on without you ~🎶 🌸

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फेस्टिव सीजन हो या वेडिंग, निधि शाह का ये पिंक लहंगा आपके लिए परफेक्ट औप्शन साबित होगा. इसके साथ हैवी ज्वैलरी आपके लुक पर चार चांद लगा देगी.

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5. फ्लावर प्रिंट लहंगा करें ट्राय

 

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Rise n slayyyyy 💞

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अगर फेस्टिव सीजन में लहंगा ट्राय करना चाहती हैं तो फ्लावर प्रिंटेड लहंगा आपके लिए परफेक्ट औप्शन है.

माइक्रोवेव में न रखें ये बर्तन, हो सकता है नुकसान

क्या आप जानती हैं कि भोजन को प्लास्टिक के डब्बे में रख कर माइक्रोवेव ओवन में पकाने पर आप को बांझपन, मधुमेह, मोटापा, कैंसर (कर्क रोग) आदि होने का खतरा हो सकता है?

दरअसल, विभिन्न अध्ययनों में वैज्ञानिकों ने पाया है कि प्लास्टिक के डब्बे में भोजन को रख कर माइक्रोवेव ओवन में पकाने या गरम करने पर उच्च रक्तचाप की समस्या पैदा हो सकती है. इस से प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है, मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को नुकसान पहुंचता है, दूसरी तरह के और कई भयावह दुष्प्रभाव सामने आते हैं. दरअसल, माइक्रोवेव ओवन में प्लास्टिक के बरतन के गरम होने पर उस में मौजूद रसायनों का 95% तक रिसाव होता है.

सेहत की दुश्मन प्लास्टिक

प्लास्टिक के बरतनों को बनाने के लिए औद्योगिक रसायन बिस्फेनोल ए का इस्तेमाल किया जाता है. इस रसायन को सामान्य तौर पर बीपीए के नाम से जाना जाता है. इस रसायन का सीधा संबंध बांझपन, हारमोनों में बदलाव और कैंसर की बढ़ोतरी से है. यह लैगिंक लक्षणों में बदलाव लाता है यानी यह पुरुषोचित गुणों को भी कम करता है. यह मस्तिष्क की संरचना को नुकसान पहुंचाने, और मोटापा बढ़ाने का भी काम करता है.

प्लास्टिक में पीवीसी, डाइऔक्सिन और स्टाइरीन जैसे कैंसरकारी तत्त्व पाए जाते हैं, जिन का सीधा संबंध कैंसर से होता है.

चौंकाने वाला सच यह है कि जब प्लास्टिक के बरतन में भोज्यपदार्थों को रख कर माइक्रोवेव ओवन में पकाया जाता है तो प्लास्टिक के पात्र में मौजूद रसायन, ओवन की गरमी से पिघल कर खाद्य पदार्थ पर अपना असर छोड़ता हैं. भोजन गरम होने पर प्लास्टिक के गरम बरतन से निकलने वाले रसायनों के संपर्क में आता है और दूषित हो जाता है.

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माइक्रोवेव में किसी भी तरह का प्लास्टिक सुरक्षित नहीं है. हालांकि, इतना जरूर है कि सामान्य तौर पर इस्तेमाल में लिए जाने वाले प्लास्टिक की तुलना में प्लास्टिक के दूसरे विकल्प कम खतरनाक है, जिन में अपेक्षाकृत रूप से कम हानिकारक रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है.

जब भी माइक्रोवेव का इस्तेमाल करें उस से दूरी बनाए रखें, क्योंकि विभिन्न शोधों में पाया गया है कि माइक्रोवेव के इस्तेमाल के समय हानिकारक विकिरण निकलते हैं. हालांकि अधिकांश मामलों में यह जरूर पाया गया है कि माइक्रोवेव में भोजन पकाना या गरम करना नुकसानदेह नहीं है. माइक्रोवेव में गलत बरतन का प्रयोग आप की सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है. इसलिए प्लास्टिक का इस्तेमाल करना छोड़ दें.

कांच के बरतन अधिक सुरक्षित

भोजन को पैक करने के लिए कांच के बरतन अधिक सुरक्षित हैं. वे प्लास्टिक की तरह रसायन नहीं छोड़ते और भोजन को गरम करने के लिहाज से भी सुरक्षित होते हैं. आप अपने भोजन को बिना गरम किए भी खा सकते हैं, हालांकि यह इस पर निर्भर करता है कि खाद्य पदार्थ क्या है.

चूंकि प्लास्टिक का उपयोग सभी जगह हो रहा है, इसलिए प्लास्टिक के इस्तेमाल से खुद को दूर रखना काफी मुश्किल है. लेकिन प्लास्टिक का कम से कम उपयोग कर आप अपने भोजन और पेयपदार्थों को इस के विषैले असर से अधिक से अधिक दूर रख सकती हैं और शरीर में बीपीए का स्तर कम रख सकती हैं.

– डा. निताशा गुप्ता, गाइनोकोलौजिस्ट ऐंड आईवीएफ ऐक्सपर्ट, इंदिरा आईवीएफ हौस्पिटल, नई दिल्ली

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