नव प्रभात: भाग 3- क्या था रघु भैया के गुस्से का अंजाम

पति को शांत कर कुछ समय बाद इंदु मेरे कमरे में आ कर मुझ से क्षमायाचना करने लगी. मैं बुरी तरह उत्तेजित हो चुकी थी. अपनेआप को पूर्णरूप से नियंत्रित करने का प्रयास किया लेकिन असफल ही रही, बोली, ‘देखूंगी, जब अपने बेटे से ऐसा ही व्यवहार करेंगे.’

इंदु दया का पात्र बन कर रह गई. बेचारी और क्या करती. हमेशा की तरह उसे बैठने तक को नहीं कहा था मैं ने.

शाम को अपनी गलती पर परदा डालने के लिए रघु भैया खिलौना बंदूक ले आए थे. सौरभ तो सामान्य हो गया. अपमान की भाषा वह कहां पहचानता था, लेकिन मेरा आहत स्वाभिमान मुझे प्रेरित कर रहा था कि यह बंदूक उस क्रोधी के सामने फेंक दूं और सौरभ को उस की गोद से छीन कर अपने अहं की तुष्टि कर लूं.

लेकिन मर्यादा के अंश सहेजना दिवाकर ने खूब सिखाया था. उस समय अपमान का घूंट पी कर रह गई थी. दूसरे की भावनाओं की कद्र किए बिना अपनी बात पर अड़े रह कर मनुष्य अपने अहंकार की तुष्टि भले ही कर ले लेकिन मधुर संबंध, जो आपसी प्रेम और सद्भाव पर टिके रहते हैं, खुदबखुद समाप्त होते चले जाते हैं.

उस के बाद तो जैसे रोज का नियम बन गया था. इंदु जितना अपमान व आरोप सहती उतनी ही यातनाओं की पुनरावृत्ति अधिक तीव्र होती जाती थी. भावनाओं से छलकती आंखों में एक शून्य को टंगते कितनी बार देखा था मैं ने. प्रतिकार की भाषा वह जानती नहीं थी. पति का विरोध करने के लिए उस के संस्कार उसे अनुमति नहीं देते थे.

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उधर, रघु भैया को कई बार रोते हुए देखा मैं ने. इधर इंदु अंतर्मुखी बन बैठी थी. कितनी बार उस की उदास आंखें देख कर लगता जैसे पारिवारिक संबंधों व सामाजिक दायित्वों का निर्वाह करने में असमर्थ हो. 1 वर्ष के विवाहित जीवन में वह सूख कर कांटा हो गई थी. अब तो मां बनने वाली थी. मुझे लगता, उस की संतान अपनी मां को यों तिरस्कृत होते देखेगी तो या स्वयं उस का अपमान करेगी या गुमसुम सी बैठी रहेगी.

एक दिन इंदु की भाभी का पत्र आया. ब्याह के बाद शायद पहली बार वे पति के संग ननद से मिलने आ रही थीं. इंदु पत्र मेरे पास ले आई और बोली, ‘‘भाभी, मेरे भाभी और भैया मुझ से मिलने आ रहे हैं.’’

इंदु का स्वर सुन कर मैं वर्तमान में लौट आई, बोली, ‘‘यह तो बड़ी खुशी की बात है.’’

‘‘आप तो जानती हैं, इन का स्वभाव. बातबात में मुझे अपमानित करते हैं. भाभीभैया को मैं ने कुछ नहीं बताया है आज तक. उन के सामने भी कुछ…’’ उस का गला रुंध गया.

‘‘दोषी कौन है, इंदु? अत्याचार करना अगर जुर्म है तो उसे सहना उस से भी बड़ा अपराध है,’’ मैं ने उसे समझाया. मैं मात्र संवेदना नहीं जताना चाह रही थी, उस का सुप्त विवेक जगाना भी चाह रही थी.

मैं ने आगे कहा, ‘‘पति को सर्वशक्तिमान मान कर, उस के पैरों की जूती बन कर जीवन नहीं काटा जा सकता. पतिपत्नी का व्यवहार मित्रवत हो तभी वे सुखदुख के साथी बन सकते हैं.’’

इंदु अवाक् सी मेरी ओर देखती रही. उस का अर्धसुप्त विवेक जैसे विकल्प ढूंढ़ रहा था. दूसरे दिन सुबह ही उस के भैयाभाभी आए थे. उन का सौम्य, संतुलित व संयमित व्यवहार बरबस ही आकर्षित कर रहा था हमसब को. उपहारों से लदेफदे कभी इंदु को दुलारते, कभी रघु को पुचकारते. कितनी देर तक इंदु को पास बैठा कर उस का हाल पूछते रहे थे.

गांभीर्य की प्रतिमूर्ति इंदु ने उन्हें अपने शब्दों से ही नहीं, हावभाव से भी आश्वस्त किया था कि वह बहुत खुश है. 2 दिन हमारे साथ रह कर अम्माजी व रघुवीर भैया से अनुमति ले कर वे इंदु को अपने साथ ले गए थे.

प्रथम प्रसव था, इसलिए वे इंदु को अपने पास ही रखना चाहते थे. रघुवीर भैया का उन दिनों स्वभाव बदलाबदला सा था. चुप्पी का मानो कवच ओढ़ लिया था उन्होंने. इंदु के जाने के बाद भी वे चुप ही रहे थे.

प्रसव का समय नजदीक आता जा रहा था. हमसब इंदु के लिए चिंतित थे. यदाकदा उस के भाई का फोन आता रहता था. रघुवीर भैया व हम सब से यही कहते कि उस समय वहां हमारा रहना बहुत ही जरूरी है. डाक्टर ने उस की दशा चिंताजनक बताई थी. ऐसा लगता था, रघु इंदु से दो बोल बोलना चाहते थे. उन जैसे आत्मकेंद्रित व्यक्ति के मन में पत्नी के लिए थोड़ाबहुत स्नेह विरह के कारण जाग्रत हुआ था या अपने ही व्यवहार से क्षुब्ध हो कर वे पश्चात्ताप की अग्नि में जल रहे थे, इस बारे में मैं कुछ समझ नहीं पाई थी.

रघु के साथ मैं व सौरभ इंदु के मायके पहुंचे थे. मां तो इंदु की बचपन में ही चल बसी थीं, भैयाभाभी उस की यों सेवा कर रहे थे, जैसे कोई नाजुक फूल हो.

अवाक् से रघु भैया कभी पत्नी को देखते तो कभी साले व सलहज को. ऐसा स्नेह उन्होंने कभी देखा नहीं था. पिछले वर्ष जब इंदु को पेटदर्द हुआ था तो दवा लाना तो दूर, वे अपने दफ्तर जा कर बैठ गए थे. यहां कभी इंदु को फल काट कर खिलाते तो कभी दवा पिलाने की चेष्टा करते. इंदु स्वयं उन के अप्रत्याशित व्यवहार से अचंभित सी थी.

3 दिन तक प्रसव पीड़ा से छटपटाने के बाद इंदु ने बिटिया को जन्म दिया था. इंदु के भैयाभाभी उस गुडि़या को हर समय संभालते रहते. इधर मैं देख रही थी, रघु भैया के स्वभाव में कुछ परिवर्तन के बाद भी इंदु बुझीबुझी सी ही थी. कम बोलती और कभीकभी ही हंसती. कुछ ही दिनों के बाद इंदु को लिवा ले जाने की बात उठी. इस बीच, रघु एक बार घर भी हो आए थे. पर अचानक इंदु के निर्णय ने सब को चौंका दिया. वह बोली, ‘‘मैं कुछ समय भैयाभाभी के पास रह कर कुछ कोर्स करना चाहती हूं.’’

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ऐसा लगा, जैसे दांपत्य के क्लेश और सामाजिक प्रताड़ना के त्रास से अर्धविक्षिप्त होती गई इंदु का मनोबल मानो सुदृढ़ सा हो उठा है. कहीं उस ने रघु भैया से अलग रहने का निर्णय तो नहीं ले लिया?

स्पष्ट ही लग रहा था कि कोर्स का तो मात्र बहाना है, वह हमसब से दूर रहना चाहती है. उधर, रघु भैया बहुत परेशान थे. ऊहापोह की मनोस्थिति में आशंकाओं के नाग फन उठाने लगे थे. इंदु के भैयाभाभी ने निश्चय किया कि पतिपत्नी का निजी मामला आपसी बातचीत से ही सुलझ जाए तो ठीक है.

इंदु कमरे में बेटी के साथ बैठी थी. रघु भैया के शब्दों की स्पष्ट आवाज सुनाई दे रही थी. इंदु से उन्होंने अपने व्यवहार के लिए क्षमायाचना की लेकिन वह फिर भी चुप ही बैठी रही. रघु भैया फिर बोले, ‘‘इंदु, प्यार का मोल मैं ने कभी जाना ही नहीं. यहां तुम्हारे परिवार में आ कर पहली बार जाना कि प्यार, सहानुभूति के मृदु बोल मनुष्य के तनमन को कितनी राहत पहुंचाते हैं.

‘‘उस समय कोई 3 वर्ष के रहे होंगे हम दोनों भाई, जब पिताजी का साया सिर से उठ गया था. उन की मृत्यु से मां विक्षिप्त सी हो उठी थीं. वे घर को पूरी तरह से संभाल नहीं पा रही थीं.  ऐसे समय में रिश्तेदार कितनी मदद करते हैं, यह तुम जान सकती हो.

‘‘मां का पूरा आक्रोश तब मुझ पर उतरता था. मुझे लगता वे मुझ से घृणा करती हैं.’’

‘‘ऐसा कैसे हो सकता है. कोई मां अपने बेटे से घृणा नहीं कर सकती,’’ इंदु का अस्फुट सा स्वर था.

‘‘बच्चे की स्कूल की फीस न दी जाए, बुखार आने पर दवा न दी जाए, ठंड लगने पर ऊनी वस्त्र न मिलें, तो इस भावना को क्या कहा जाएगा?

‘‘मां ऐसा व्यवहार मुझ से ही करती थीं. दिवाकर का छोटा सा दुख उन्हें आहत करता. उन की भूख से मां की अंतडि़यों में कुलबुलाहट पैदा होती. दिवाकर की छोटी सी छोटी परेशानी भी उन्हें दुख के सागर में उतार देती.’’

‘‘दिवाकर भैया क्या विरोध नहीं करते थे?’’

‘‘इंदु, जब इंसान को अपने पूरे मौलिक अधिकार खुदबखुद मिलते रहते हैं तो शायद दूसरी ओर उस का ध्यान कभी नहीं खिंचता. या हो सकता है, मुझे ही ऐसा महसूस होता हो.’’

‘‘शुरूशुरू में चिड़चिड़ाहट होती, क्षुब्ध हो उठता था मां के इस व्यवहार पर. लेकिन बाद में मैं ने चीख कर, चिल्ला कर अपना आक्रोश प्रकट करना शुरू कर दिया. बच्चे से यदि उस का बचपन छीन लिया जाए तो उस से किसी प्रकार की अपेक्षा करना निरर्थक सा लगता है न?

‘‘हर समय उत्तरदायित्वों का लबादा मुझे ही ओढ़ाया जाता. यह मकान, यह गाड़ी, घर का खर्चा सबकुछ मेरी ही कमाई से खरीदा गया. दिवाकर अपनी मीठी वाणी से हर पल जीतते रहे और मैं कर्कश वाणी से हर पल हारता रहा.

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‘‘धीरेधीरे मुझे दूसरों को नीचा दिखाने में आनंद आने लगा. बीमार व्यक्ति को दुत्कारने में सुख की अनुभूति होती. कई बार तुम्हें प्यार करना चाहा भी तो मेरा अहं मेरे आगे आ जाता था. जिस भावना को कभी महसूस नहीं किया, उसे बांट कैसे सकता था. अपनी बच्ची को मैं खूब प्यार दूंगा, विश्वास दूंगा ताकि वह समाज में अच्छा जीवन बिता सके. उसे कलुषित वातावरण से हमेशा दूर रखूंगा. अब घर चलो, इंदु.’’

रघु फूटफूट कर रोने लगे थे. इंदु अब कुछ सहज हो उठी थी. रघु भैया दया के पात्र बन चुके थे. मैं समझ गई थी कि मनुष्य के अंदर का खोखलापन उस के भीतर असुरक्षा की भावना भर देता है. फिर इसी से आत्मविश्वास डगमगाने लगता है. इसीलिए शायद वे उत्तेजित हो उठते थे. इंदु घर लौट आई थी. वह, रघु भैया और उन की छोटी सी गुडि़या बेहद प्रसन्न थे. कई बार मैं सोचती, यदि रघु भैया ने अपने उद्गार लावे के रूप में बाहर न निकाले होते तो यह सुप्त ज्वालामुखी अंदर ही अंदर हमेशा धधकता रहता. फिर विस्फोट हो जाता, कौन जाने?

Anupama: बा- बापूजी देंगे अनुज कपाड़िया को आशीर्वाद तो खौलेगा वनराज का खून

सीरियल अनुपमा (Anupama) का नया ट्रैक इन दिनों दर्शकों के दिलों को छू रहा है, जिसके चलते शो की टीआरपी पहले नंबर पर बनी हुई है. अनुज कपाड़िया (Gaurav Khanna) की एंट्री से जहां अनुपमा की जिंदगी में चेंज आ गया है तो वहीं वनराज का दोनों को साथ देखकर खून खौल रहा है. इसी बीच सीरियल में अपकमिंग कई नए ट्विस्ट आने वाले हैं.

अनुज को शाह हाउस लाया समर

अब तक आपने देखा कि नंदिनी के एक्स बौयफ्रैंड के आने से समर परेशान है, जिसके चलते वह घर से बाहर चला जाता है. लेकिन वह रास्ते में एक्सीडेंट का शिकार हो गया. लेकिन अनुज उसे बचा लेता है, जिसके चलते समर जन्माष्टमी पर उसे अपने घर ले जाता है.

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बा – बापूजी देंगे आशीर्वाद

 

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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि समर घर लौटेगा तो पूरा परिवार खुश हो जाएगा. वहीं समर पूरे परिवार को अनुज से मिलवाएगा. जहां बा-बापूजी को अनुज काफी पसंद आएगा और वह उसे अपना आशीर्वाद देंगे. इसी के साथ वह अनुज को जन्माष्टमी सेलिब्रेशन में साथ रहने को कहेंगे, जिसे सुनकर अनुज बेहद खुश होगा. वहीं वनराज का ये देखकर खून खौलेगा.

अनुज-अनुपमा साथ मनाएंगे जन्माष्टमी

 

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शाह परिवार के अनुज को जन्माष्टमी मनाने के चलते वह बेहद खुश होकर डांस करेगा. इसी के साथ अनुपमा उसका साथ देगी, जिसे देखकर वनराज का जहां खून खौलेगा तो वहीं काव्या बेहद खुश होगी. साथ ही काव्या, अनुपमा को कहेगी कि वह अनुपमा को खुश रखे क्योंकि वह एक अमीर इंसान है, जिससे उन्हें फायदा होगा.

बता दें, हाल ही में अनुपमा का जन्माष्टमी लुक सामने आया था, जिसमें वह बेहद खूबसूरत लग रही थीं. वहीं फैंस को ये लुक इतना पसंद आया कि वह सोशलमीडिया पर वायरल कर रहे हैं. फैंस उनके इस लुक की जमकर तारीफें कर रहे हैं.

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साढ़े चार वर्षाें में प्रदेश ने खाद्यान्न उत्पादन में नया रिकॉर्ड

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व व मार्गदर्शन में देश ने सर्वांगीण विकास के नये प्रतिमान स्थापित किये हैं. कृषि एवं कृषि कल्याण के क्षेत्र में भी अभूतपूर्व परिवर्तन हुआ है. देश में पहली बार मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किये गये. न्यूनतम समर्थन मूल्य के तहत किसानों को लागत का डेढ़ गुना मूल्य प्रदान करने के साथ ही, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के अन्तर्गत किसानों को आर्थिक सहायता सुलभ करायी गयी. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना सहित विभिन्न योजनाएं प्रभावी ढंग से क्रियान्वित की गयीं.

मुख्यमंत्री जी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाने के सम्बन्ध में विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे. वर्चुअल माध्यम से 03 चरणों में इस सम्मेलन का आयोजन कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय भारत सरकार तथा वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय भारत सरकार द्वारा किया जा रहा है. सम्मेलन को केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर एवं केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने भी सम्बोधित किया.

मुख्यमंत्री जी ने सम्मेलन के आयोजन के लिए केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री तथा केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री के प्रति आभार जताते हुए कहा कि इस आयोजन से राज्यों को कृषि एवं किसान कल्याण के सम्बन्ध में रणनीति बनाने में सहायता मिलेगी. इस प्रकार निर्मित रणनीति का सफल क्रियान्वयन करके प्रधानमंत्री जी के किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य को सफलतापूर्वक प्राप्त किया जा सकेगा.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कृषि प्रदेश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. विषम परिस्थितियों में भी कृषि और किसानों का कल्याण प्रदेश सरकार का मुख्य लक्ष्य है. कोविड-19 की वैश्विक महामारी देश के लिए चुनौतीपूर्ण रही है. स्वस्थ जीवन, व्यक्ति की सबसे बड़ी आवश्यकता है. समुचित पोषण एवं सुरक्षित भोजन वर्तमान परिवेश की सबसे बड़ी चुनौती है. कोविड कालखण्ड में कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए किसानों द्वारा अनाज, दलहन, तिलहन, सब्जी, फल, दूध आदि की प्रचुर उपलब्धता आमजन को सुनिश्चित करायी गई है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि विगत लगभग साढ़े चार वर्षाें में प्रदेश ने खाद्यान्न उत्पादन में नया रिकॉर्ड स्थापित किया है. वर्ष 2012 से वर्ष 2017 की अवधि में प्रति वर्ष धान का औसत उत्पादन 139.40 लाख मीट्रिक टन था. वर्तमान सरकार के साढ़े चार वर्ष में यह औसत बढ़कर 163.45 लाख मीट्रिक टन हो गया. वर्ष 2012 से वर्ष 2017 की अवधि में धान की खरीद 123.61 लाख मीट्रिक टन रही. वर्तमान सरकार के साढ़े चार वर्ष में यह बढ़कर 214.56 लाख मीट्रिक टन हो गई. वर्ष 2012 से वर्ष 2017 की अवधि में 14,87,519 कृषकों को 17,119 करोड़ रुपए धान मूल्य का भुगतान हुआ. वर्तमान सरकार के साढ़े चार वर्ष की अवधि में 31,88,529 कृषकों को अब तक 37,885 करोड़ रुपए धान मूल्य का भुगतान किया जा चुका है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्ष 2012 से वर्ष 2017 की अवधि में गेहूं उत्पादन 288.14 लाख मीट्रिक टन था. वर्तमान सरकार के साढ़े चार वर्ष की अवधि में यह बढ़कर 369.47 लाख मीट्रिक टन हो गया है. वर्ष 2012 से वर्ष 2017 की अवधि में 94.38 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हुई थी. वर्तमान सरकार के साढ़े चार वर्ष के कार्यकाल में ही 209.67 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की जा चुकी है. वर्ष 2012 से वर्ष 2017 के मध्य 19,02,098 कृषकों को 12,808 करोड़ रुपए गेहूं मूल्य का भुगतान किया गया. वर्तमान सरकार के साढ़े चार वर्ष की अवधि में ही 43,75,574 कृषकों को 36,405 करोड़ रुपए गेहूं मूल्य का भुगतान किया जा चुका है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि खरीफ फसलों की बुआई के समय डी0ए0पी0 उर्वरक की कीमतें अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में बढ़ने के कारण प्रति बोरी मूल्य 2400 रुपए हो गया था. प्रधानमंत्री जी द्वारा 500 रुपए अनुदान प्रति बोरी से बढ़ाकर 1200 रुपए प्रति बोरी कर दिया गया. इससे किसानों को पूर्व की भांति 1200 रुपए प्रति बोरी की दर पर पर्याप्त मात्रा में डी0ए0पी0 उपलब्ध हुई. खरीफ 2020-21 में 57 लाख मीट्रिक टन उर्वरक वितरण लक्ष्य के सापेक्ष अब तक 52.95 लाख मीट्रिक टन उर्वरक की उपलब्धता कराते हुए 36.76 लाख मीट्रिक टन उर्वरक का वितरण कराया गया है. दानेदार यूरिया के स्थान पर इफ्को द्वारा विकसित नैनो तरल यूरिया का कृषकों द्वारा उपयोग किए जाने के लिए प्रचार-प्रसार किया जा रहा है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गन्ना किसानों को वर्ष 2012 से वर्ष 2017 तक की अवधि में 95,215 करोड़ रुपए गन्ना मूल्य का भुगतान हुआ. वर्तमान सरकार द्वारा 45.74 लाख गन्ना कृषकों को अब तक 1,42,366 करोड़ रुपए से अधिक का रिकॉर्ड गन्ना मूल्य का भुगतान कराया जा चुका है. वर्ष 2020-21 में कुल 21.80 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में कुल 1783.40 लाख मीट्रिक टन गन्ने का उत्पादन हुआ है, जो 818.07 कुन्तल प्रति हेक्टेयर है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि माह जुलाई, 2021 तक प्रदेश में कुल 165.55 लाख किसान क्रेडिट कार्ड का वितरण किया गया. वर्ष 2012 से वर्ष 2017 के मध्य 239515.07 करोड़ रुपए का ऋण वितरण हुआ था, जबकि वर्तमान सरकार के साढ़े चार वर्ष में यह बढ़कर 471723.82 करोड़ रुपए से अधिक हो गया है. इस प्रकार वर्तमान सरकार के कार्यकाल में फसली ऋण वितरण में पूर्व की सरकार के सापेक्ष 96.95 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जैविक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वर्तमान सरकार द्वारा परम्परागत कृषि विकास योजना के अन्तर्गत 36 जनपदों में 585 क्लस्टर के 11,700 हेक्टेयर क्षेत्रफल में जैविक खेती कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है. प्राकृतिक खेती के क्रियान्वयन हेतु 35 जनपदों के 38,670 हे0 क्षेत्रफल की 03 वर्ष के लिए 197 करोड़ रुपए की कार्य योजना भारत सरकार को प्रेषित की गई है. नमामि गंगे परियोजना के अन्तर्गत 3,309 क्लस्टर (66,180 हे0) स्थापित कर 1,03,442 कृषकों को लाभान्वित किया गया है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा भारत सरकार द्वारा कृषि अवसंरचना निधि की स्थापना की गयी है, जिससे कृषक अपनी उपज का उचित मूल्य प्राप्त कर सकें. इस उद्देश्य को पूर्ण करने हेतु भारत सरकार द्वारा फार्मगेट एवं समेकन केन्द्र (प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों, किसान उत्पादन संगठन, कृषि उद्यमी, स्टार्टअप, मण्डी समिति, एफ0पी0ओ0) के वित्त पोषण के लिए एक लाख करोड़ रुपए की वित्तीय सुविधा कृषि अवसंरचना निधि द्वारा प्रदान की गयी है. उन्होंने सुझाव दिया कि कृषि अवसंरचना निधि का पोर्टल अंग्रेजी भाषा में होने के कारण कृषकों को योजना समझने एवं आवेदन करने में कठिनाई हो रही है. अतः पोर्टल को हिन्दी भाषा में भी संचालित कराया जाए.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि योजना के अन्तर्गत प्रदेश के शेड्यूल कॉमर्शियल बैंकों को कुल 197 परियोजनाओं के आवेदन प्राप्त हुए, जिनकी लागत 218 करोड़ रुपये है. इन आवेदनों में से लगभग 20 करोड़ रुपए की 20 परियोजनाओं की स्वीकृति के बाद प्रथम किस्त वितरित की गई है. वर्तमान में सेण्ट्रल पी0एम0यू0 तथा विभिन्न शेड्यूल कॉमर्शियल बैंक के स्तर पर 74 आवेदन प्रक्रियाधीन हैं. इनकी परियोजना लागत 126 करोड़ रुपए है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कृषि अवस्थापना निधि के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश के पैक्स को नाबार्ड की मल्टी सर्विस सेण्टर योजना के तहत लगभग 1,100 पैक्स के आवेदन पोर्टल पर प्राप्त हुए हैं. इनमें से नाबार्ड द्वारा 549 पैक्स के लगभग 120 करोड़ रुपए की डी0पी0आर0 स्वीकृत की गई है. इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश द्वितीय स्थान पर है. लगभग 45 करोड़ रुपए की लागत के 250 पैक्स के प्रस्ताव स्वीकृत हैं. 170 पैक्स को, प्रति पैक्स 4.25 लाख रुपए की दर से, प्रथम किस्त के रूप में कुल 10 करोड़ रुपए वितरित किए जा चुके हैं.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के लाभार्थी कृषक 250.09 लाख हैं. 165.55 लाख किसान क्रेडिट कार्ड वितरित किए जा चुके हैं.योजना के प्रारम्भ से वित्तीय वर्ष 2021-22 के माह अगस्त, 2021 तक 250.09 लाख कृषकों के बैंक खातों में कुल 32571.29 करोड़ रुपए की धनराशि डी0बी0टी0 के माध्यम से हस्तान्तरित की गई है. कुल 07 जनपदों में 100 प्रतिशत तथा 14 जनपदों में 90 प्रतिशत या उससे अधिक किसान क्रेडिट कार्डधारक कृषक हैं. 17 जनपदों में 25 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक तथा केवल 01 जनपद में 25 प्रतिशत से कम किसान क्रेडिट कार्डधारक कृषक हैं. इन जनपदों में अभियान चलाकर किसान क्रेडिट कार्ड बनाए जाने की कार्यवाही प्रगति पर है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि माह जनवरी, 2020 तक कुल 111.13 लाख किसान क्रेडिट कार्ड बने थे, जबकि जुलाई, 2021 तक कुल 165.55 लाख किसान क्रेडिट कार्ड बन गए थे. इस प्रकार जनवरी, 2020 से जुलाई, 2021 तक की अल्प अवधि में ही कुल 54.42 लाख किसान क्रेडिट कार्ड बनाए गए हैं. कुछ जनपदों में किसान क्रेडिट कार्ड कम बनने का मुख्य कारण, कृषकों का अप्रवासी होना तथा छोटी जोत के कृषकों द्वारा किसान क्रेडिट कार्ड बनवाए जाने में रुचि न लेना है. उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि पीएम किसान के लाभार्थियों का डाटाबेस तथा किसान क्रेडिट कार्ड का डाटाबेस भारत सरकार के पास है, यदि दोनों डाटा की मैचिंग राज्य सरकार को उपलब्ध करा दी जाए, तो किसान क्रेडिट कार्ड बनाने में गति आएगी.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत सरकार द्वारा देश के किसानों का एक डाटाबेस तैयार किए जाने की योजना है, जिसमें किसानों के कल्याण के लिए संचालित सभी योजनाओं को लिंक किया जाएगा, किसानों को समय-समय पर एडवाइजरी उपलब्ध करायी जाएगी तथा उनके उत्पादों के उचित विपणन की व्यवस्था की जाएगी. पायलट प्रोजेक्ट के अन्तर्गत भारत सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश के 03 जनपदों-मथुरा, मैनपुरी तथा हाथरस को सम्मिलित किया गया है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि तिलहनी फसलों के उत्पादन में वृद्धि हेतु भारत सरकार द्वारा पुरोनिधानित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (ऑयल सीड्स) योजना प्रदेश के समस्त 75 जनपदों में संचालित है. कृषकों की आय में वृद्धि करने हेतु योजना के अन्तर्गत तिलहनी फसलों के मिनीकिट भारत सरकार द्वारा निःशुल्क प्रदान किए जाते हैं. वर्तमान वर्ष में खरीफ में 13,960 तिल एवं मूंगफली के बीज मिनीकिट कृषकों को निःशुल्क वितरित कराए जा चुके हैं. राई/सरसों एवं अलसी के 4,77,500 बीज मिनीकिट का वितरण कराया जाना प्रस्तावित है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गत वर्ष कुल तिलहनी फसलों (खरीफ व रबी) से 11.93 लाख हे0 भूमि आच्छादित की गई तथा कुल 12.71 लाख मीट्रिक टन तिलहनी फसलों का उत्पादन हुआ. वर्ष 2021-22 हेतु कुल तिलहनी फसलों से 13.68 लाख हे0 क्षेत्रफल को आच्छादित करने का लक्ष्य है तथा कुल 15 लाख मीट्रिक टन तिलहनी फसलों का उत्पादन सम्भावित है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कोविड से प्रभावित होने के बावजूद वर्ष 2020-21 के दौरान प्रदेश से कृषि निर्यात 17,58,479.29 मीट्रिक टन रहा, जिसका मूल्य 2,389,89 मिलियन यू0एस0 डॉलर था. गत वर्ष 2019-20 में उत्तर प्रदेश से 15,15,784.59 मीट्रिक टन कृषि निर्यात, जिसका 2,227.87 मिलियन यू0एस0 डॉलर था. रुपए के सन्दर्भ में यह कीमत बढ़कर 17,699.12 करोड़ रुपए हो गई, जबकि गत वर्ष 2019-20 में 15,902.78 करोड़ रुपए थी. वित्तीय वर्ष 2020-21 में उत्तर प्रदेश से सर्वाधिक वृद्धि नॉन-बासमती चावल के निर्यात में रही. मात्रा के सन्दर्भ में यह वृद्धि 50.34 प्रतिशत बढ़कर 3,60,897.38 मीट्रिक टन हो गयी है. वित्तीय वर्ष 2019-20 में यह निर्यात 24,0043.93 मीट्रिक टन था. रुपए के सन्दर्भ में यह बढ़कर 913.16 करोड़ रुपए हो गई है. वर्ष 2019-20 में 689.70 करोड़ रुपए का निर्यात हुआ था.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत सरकार की कृषि निर्यात नीति के सामंजस्य में प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2019 में अपनी राज्य कृषि निर्यात नीति अधिसूचित की गई है. इसका उद्देश्य राज्य से वर्ष 2019 के निर्यात से वर्ष 2024 तक कृषि निर्यात को दोगुना करना है. राज्य स्तर की निर्यात निगरानी समिति, मण्डल स्तरीय कृषि निर्यात निगरानी समिति और जिला स्तर पर क्लस्टर फैसिलिटेटिंग सेल बनाकर राज्य, मण्डल और जिला स्तर पर कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए संस्थागत तंत्र विकसित किया गया है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि विगत 06 माह में कानपुर से गंगा जी के किनारे उत्पादित जामुन का मई-जून, 2021 में लगभग 5,000 किलोग्राम का प्रथम बार यूनाईटेड किंगडम को निर्यात किया गया है. जामुन निर्यात से किसानों को 35 रुपए से 40 रुपए प्रति किलोग्राम के स्थान पर लगभग 70 रुपए प्रति किलोग्राम प्राप्त हुआ है. प्रदेश में कृषि निर्यात हेतु दो पैक हाउस लखनऊ एवं सहारनपुर में स्थापित हैं. लखनऊ पैक हाउस का इण्टीग्रेटेड पैक हाउस के रूप में आधुनिकीकरण किया जा रहा है तथा अमरोहा एवं वाराणसी में नये पैक हाउस निर्मित किये जा रहे हैं.

पिछले 2-3 वर्षों से मुझे कब्ज की शिकायत है, बताएं क्या करूं?

सवाल

मेरी उम्र 36 वर्ष है. मैं  सरकारी कार्यालय में क्लर्क हूं. पिछले 2-3 वर्षों से मुझे कब्ज की शिकायत है. बताएं क्या करूं?

जवाब-

लगातार लंबे समय तक बैठे रहने से उदर गुहा दब जाती है, जिस से पाचन क्रिया धीमी पड़ जाता है और कब्ज का कारण बन जाती है. जो लोग रोज घंटों बैठे रहते हैं उन में आंतों की मूवमैंट भी नहीं होती है, जिस से आंतें अपनी पूरी क्षमता के साथ काम नहीं कर पाती हैं. आंतों में पचे हुए भोजन की गति सामान्य न होना कब्ज का कारण बन जाता है. आप अपनी जौब तो बदल नहीं सकते, लेकिन अपनी आदतों में बदलाव जरूर ला सकते हैं. जंक

फू ड के बजाय संतुलित, पोषक और हलके भोजन का सेवन करें. 7-8 घंटे की नींद लें. खाने और सोने का समय निर्धारित कर लें, क्योंकि आप क्या खाते हैं और कितना सोते हैं, उस के साथ यह भी महत्त्वपूर्ण है कि आप कब खाते और सोते हैं. सप्ताह में कम से कम 150 मिनट अपना मनपसंद वर्कआउट करें. अनावश्यक तनाव न पालें.

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कब्ज, गैस और अपच गंभीर बीमारियां है. आजकल लोगों में ये बेहद आम हैं पर कई बार इनका परिणाम बेहद गंभीर होता है, इसलिए जरूरी है कि इसे नजरअंदाज ना किया जाए. कब्ज, पाचन तंत्र की उस स्थिति को कहते हैं जिसमें व्यक्ति को मलत्याग में बहुत मुश्किल होती है.

आज जिस तरह की लोगों की लाइफस्टाइल हो गई है, इस तरह की परेशानी बेहद आम है. ऐसे में लोगों को अपने खानपान पर खासा ध्यान देने की जरूरत है. जानकारों की माने तो आज 100 में से हर 90 इंसान को कब्ज की परेशानी है. इसमें सबसे बड़ी परेशानी होती है कि ये बीमारी अकेले नहीं आती, बल्कि अपने साथ बहुत सी बीमारियां लाती है.

इस खबर में बिना किसी दवा के इस्तेमाल के हम आपको इसका घरेलू इलाज बताने वाले हैं. जिसकी मदद से आप आसानी से इस परेशानी का इलाज कर सकेंगी. तो आइए जाने इस क्या है इस परेशानी का इलाज.

ये दो फल कब्ज की परेशानी को जड़ से दूर करेंगे

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

जिम्मेदार कौन: कानून या धर्म

अच्छे खातेपीते घरों के पुरुषों की लार किस तरह मजदूरों की छोटी लड़कियां देखतेदेखते टपकने लगती है, इसका एक उदाहरण दिल्ली में देखने को मिला. यह 13 साल की लडक़ी अपने मातापिता और 3 भाईबहनों के साथ एक किराए के कमरे में रहती थी. उस के मकान मालिक उस के पिता को बहका कर अपने एक रिश्तेदार के साथ गुडग़ांव भेज दिया कि रिश्तेदार के यहां हमउम्र बेटी के साथ खेल सकेगी.

एक माह बाद पिता को खबर किया कि फूड पायजङ्क्षनग की वजह से लडक़ी की मृत्यु हो गई है और वे बौडी को एंबूलेंस में दिल्ली ला रहे हैं ताकि परिवार उस का हाद कर सकें. पिता तैयार भी था पर पड़ोसियों के कहने पर उस ने बेटी का शरीर जांचा तो खरोंचे दिखीं. एक अस्पताल में जांच करने पर पता चला कि उसे बेरहमी से रेप किया गया था और गला घोंट कर मार डाला गया था.

ऐसी घटना हजारों की गिनती में देश में हर माह दोहराई जाती है. कुछ अखबारों और पुलिस थानों तक पहुंचती हैं. ज्यादातर दवा दी जाती हैं. जहां मृत्यु नहीं हुर्ई हो, वहां तो लडक़ी वर्षों तक उस मानसिक व शारीरिक जख्म को ले कर तड़पती रहती है.

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कानून कैसा भी हो, बलात्कारी को कैसा भी दंड मिले, यह तो पक्का है कि जो अपराध हो गया उस का सामाजिक व भौतिक असर कानूनी मरहम से ठीक नहीं हो सकता. अपराधी को सजा मिलने का अर्थ यह भी होता है कि वास्तव में लडक़ी का रेप हुआ था और बातें बनाने वाले कहना शुरू कर देते हैं यह तो सहमति से हुआ सेक्स था जिस में बाद में लेनदेन पर झगड़ा हो गया. रेप की शिकार को वेश्या के से रंग में पोत दिया जाता है.

रेल का अपराध एक शारीरिक अपराध के साथ एक सामाजिक अपंगता बन जाता है, यह इस अपराध को करने देने की सब से ज्यादा जिम्मेदारी कहां जा सकता है. अगर रेप को महज मारपीट की तरह माना जाता तो हर रेप पर खुल कर शिकायत होती और हर बलात्कारी डरा रहता कि पकड़ा जाएगा तो न जाने क्या होगा. अब हर बलात्कारी जानता है कि लडक़ी चुप रहेगी क्योंकि बात खोलने पर बदनामी लडक़ी और उस के परिवार की ज्यादा होगी, लडक़ी के भाईबहन तक उस से घृणा करेंगे, मातापिता हर समय अपराध भाव लिए घूमेंगे. जब विवाहित अहिल्या का अपने पति गौतम वेषधारी इंदु के साथ संबंध में दोषी अहिल्या मानी गई हो और जहां बलात्कारों से बचने के लिए का जौहर को महिमामंडित किया जाता हो और विधवा का पुनॢववाह तक मंजूर न हो, वहां यह मानसिकता होना बड़ी बात नहीं है.

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रेप पर दोषी के दंड अवश्य मिलना चाहिए पर यह संभव तो तभी है न जब रेप की शिकार शिकायत करे और फिर उस घटना का पलपल पुलिस, डाक्टर, काउंसलर, अदालत, वकील को बताएं. जब उसे हर घटना को बारबार दोहरा कर फिर जीना होगा तो चुप रहना ही ज्यादा अच्छा रहेगा. कमी कानूनों में नहीं, कमी व्यवस्था की नहीं. कमी उस धाॢमक सामाजिक व्यवस्था की है जिस में हर मंदिर को तो आदमी देखते ही सिर झुका देता है पर तुरंत बाद में लडक़ी को लपकने की इच्छा से ताकने लगता है. क्या अपनेआप का सृष्टि……भगवान की एजेंसी कहने वाला धर्म अपने भक्तों को रेप करने से नहीं रोक सकता?

तो फिर जिम्मेदार कानून नहीं धर्म है, समाज है.

1 दिन में पाएं पिंपल प्रौब्लम से छुटकारा, पढ़ें खबर

चेहरे पर आया एक छोटा सा पिंपल हमारा सारा मूड खराब कर देता है. चेहरे के पिंपल को जाने में करीब 4 से 5 दिन लगते हैं, और जब यह जाते हैं तो चहरे पर एक निशान छोड़ जाते हैं. क्‍या आपने कभी पिंपल को एक दिन में हटाने की सोची है? आप सोंच रही होंगी कि यह कैसे हो सकता है. लेकिन ऐसा आइस क्‍यूब के इस्‍तेमाल से मुमकिन है. चलिये जानते हैं फिर वो तरीके जिनसे यह संभव हो सकता है.

स्‍टेप 1: पहले अपने चेहरे को गरम पानी और फेस वाश से धो लें. पिंपल वाले चेहरे पर कभी भी स्‍क्रब का प्रयोग ना करें वरना पिंपल का पस पूरे चेहरे पर फैल जाएगा.

स्‍टेप 2: अब मुल्‍तानी मिट्टी को चंदन पाउडर और नींबू के रस के साथ मिलाएं. इस फेस पैक को 5 मिनट तक के लिये चेहरे पर लगाएं.

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स्‍टेप 3: पांच मिनट के बाद फ्रिज में से आइस क्‍यूब निकालें और अपने पिंपल पर मसाज करना शुरु कर दें. इसको लगातार रगड़ती रहें भले ही आपकी त्‍वचा सुन्‍न पड़ जाए. इसी तरह से दो आइस क्‍यूब्‍स अपने चेहरे पर घिस डालिये. इसकी ठंडक पिंपल की लालिमा और सूजन को दबा देगी और आपका पिंपल एक ही दिन में गायब हो जाएगा.

स्‍टेप 4: अपने चेहरे से पानी को पोंछने के लिये एक साफ कपड़े का प्रयोग करें. आइस क्‍यूब रगड़ते वक्‍त अगर कोई पस पिंपल से निकल भी आए तो उसे तुरंत का तुरंत ही पोछ डालें.

अब शीशे में दे‍खिये कि क्‍या आपके चेहरे के पिंपल का साइज हल्‍का हो गया है या नहीं. चेहरे पर दुबारा पिंपल ना आए इसके लिये खूब सारा पानी पीजिये और हाइड्रेट रहिये. कई लोगों को यह पता नहीं होता है कि पिंपल आने का कारण डिहाइड्रेशन भी होता है. जिन लोगों को कैफीन या कौफी ज्‍यादा पीने का शौक है, उनको इस आदत पर थोड़ा कंट्रोल लगाना चाहिये.

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संबंध को टेकेन फार ग्रांटेड लेंगी तो पछताना ही पड़ेगा

लेखक- वीरेंद्र बहादुर सिंह 

एक सुखी दांपत्य के लिए क्या जरूरी है? इस बात से जरा भी इनकार नहीं किया जा सकता कि दांपत्य जीवन के लिए हेल्दी फिजिकल रिलेशन जरूरी है. अलबत्त, यह जरूरी नहीं कि इसके अलावा भी ऐसा बहुत कुछ है जो संबंध को हमेशा सजीव रखता है.हग, स्पर्श, प्यार , कद्र, सम्मान और संवाद कभी संबंध को सूखने नहीं देते.

शबाना आजमी से एक इंटरव्यू में पूछा गया था कि जावेद साहब इतनी सारी कविताएं, गीत और गजल लिखते हैं तो आप पर भी रोजाना एक गीत या गजल लिखते होंगें? शबाना आजमी ने इस सवाल के जवाब में कहा था कि जावेद साहब मेरे ऊपर कविता या गीत नहीं लिखते, इतने लंबे वैवाहिक जीवन में मेरे ऊपर गिनती की 3-4 कविताएं लिखी होंगीं. पर सच बात तो यह है कि मुझे उनसे कोई शिकायत नहीं है. क्योंकि उनके व्यवहार में मैं अपने प्रति भरपूर स्नेह देखती हूं. मेरी छोटीछोटी बातों का ध्यान रखना, मेरी हर बात को शांति से सुनना, मेरी कोई प्राब्लम हो तो उसे हल करना, रोजाना प्रेम से हग करना,  यह सब मेरे लिए कविता से विशेष है. मैं अपने प्रति उनके स्नेह को आज भी वैसा ही अनुभव कर रही हूं, जो मेरे लिए कविता से बढ़ कर है. शबाना आजमी की पूदी बात में आखिरी बात बारबार  पढ़ने और समझने लायक है कि ‘मैं इतने सालों बाद भी उनके अपने प्रति स्नेह को उनके व्यवहार में अनुभव कर सकती हूं.’ यही सब से महत्वपूर्ण बात है.

पूरे दिन की दौड़भाग के बाद घर आने पर मिलने वाला पत्नी का प्रेम भरा एक हग दिन भर की थकान उतार सकता है. यह वाक्य हम न जाने कितनी बार पढ़ या सुन चुकी होंगीं, शादी के बाद शुरू के दिनों में कुछ समय तक पति-पत्नी के बीच यह घटनाक्रम चलता है. पर जैसेजैसे समय बीतता जाता है, वैसेवेसे यह आदत छूटने लगती है. अलबत्त, पति थक कर आया हो, पूरे दिन घर और घर के सदस्यों की देखभाल करने वाली पत्नी की भी इच्छा होती है कि उसका भी कोई ख्याल रखे. जिस तरह पति आफिस से थकामांदा आता है और पत्नी के हाथ की गरमामरम चाय पी कर उसकी थकान उतर जाती है, उसी तरह रोज सवेरे जल्दी उठ कर नाश्ता तैयार करने वाली पत्नी को भी किसी दिन आराम दे कर पति नाश्ता बनाए तो पत्नी के लिए इससे बढ़कर खुशी की बात दूसरी नहीं होगी.

डेप्थ अफेक्शन और एट्रेक्शन का खेल

यह समय ऐसा है कि संबंधों में डेप्थ मुश्किल से ही देखने को मिलता है. युवा अफेक्शन और एट्रेक्शन के बीच की पतली रेखा को भूलते जा रहे हैं. परिणामस्वरूप एट्रेक्शन को प्रेम मान लेने की गलती कर रहे हैं. एट्रेक्शन कुछ समय बाद कम होने लगता है, इसलिए एक समय जो व्यक्ति बहुत अच्छा लग रहा होता है, वही व्यक्ति कुछ समय बाद जीवन की भूल लगने लगता है. यहां महिला या पुरुष,  किसी एक गलती नहीं कही जा सकती, महिला और पुरुष दोनों की ओर से अब ऐसा होने लगा है. मार्डर्न कल्चर को मानने वाले युवाओं में यह चीज खास कर देखने को मिलती है. ये बहुत जल्दी किसी की ओर आकर्षित हो जाते हैं. यह आकर्षण फिजिकल होता है, इसलिए कुछ दिनों बाद वह आदमी बोर लगने वगता है. फिर उस आदमी की बातें, विचार और पसंद अच्छी नहीं लगतीं.मन में उसे छोड़ कर भाग जाने का मन होने लगता है.

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 प्रेम को शारीरिक संबंध की बाऊंड्री में न लाएं

सेक्सुअल रिलेशन हम सब की जरूरत है. आदमी की बेसिक जरूरत में एक जरूरत है. पर प्रेम केवल शारीरिक संबंधों की बाऊंड्री में नहीं आता. प्रेम इस सब से परे है. हम जब अपने पार्टनर से जुड़ते हैं, तो शारीरिक रूप से खुश रखने के साथसाथ मानसिक रूप से भी खुशी देने के वचन का हमेशा पालन करना चाहिए. क्योंकि शारीरिक खुशी कहीं न कहीं स्वखुशी भी होती है. जबकि पार्टनर को दिया जाने वाला प्रेम, लगाव, स्नेह और अपनेपन की भावना पूरी तरह पार्टनर की खुशी के लिए किया गया कार्य है.

 छोटे स्टेप्स भी ध्यान देने लायक

ऐसा कहा जाता है कि प्रेम करने वाला व्यक्ति आप द्वारा की गई छोटी से छोटी बात पर ध्यान रखता है और यह बात उसके लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है. जेसेकि पति उठे तो उसके लिए गरम पानी तैयार रखना, इससे पति को आप की केयरिंग का आभास होगा. पार्टनर की छोटी से छोटी बात का ध्यान रखने की आदत, रास्ते में जा रहे हों और पार्टनर को ठंड लगने पर अपनी जैकेट उतार कर ओढ़ाने की आदत, कार में जा रहे हों, पार्टनर जहां उतरे उसे हग कर के सीआफ करने की आदत, थोड़ा समय निकाल कर पार्टनर को सरप्राइज देने की आदत, सुबह उठने तथा रात को सोने के पहले उसी तरह बाहर से आने पर तुरंत स्नेहिल हग करने की आदत, पार्टनर को उसके कार्यस्थल से पिकअप करने की आदत, लांग ड्राइव पर गए हों तो पार्टनर की पसंद के गाने बजाने की आदत, जैसे छोटेछोटे काम भी आपको प्रेम करने के लिए अति महत्वपूर्ण हो सकते हैं. क्योंकि आपकी यही आदतें आपको अनुभव कराएंगी कि आप उसके लिए महत्वपूर्ण हैं.

 समय समय पर संबंध को पोसना जरूरी है

खैर, आप कहेंगे कि नयानया संबंध बना है तो सभी ऐसा करते हैं. यह बात सौ प्रतिशत सच है, नया संबंध बना हो, एकदूसरे को इम्प्रेश करने की शुरुआत हो तो इस तरह की तमाम छोटीछोटी चीजें एकदूसरे के लिए पार्टनर्स करते रहते हैं. पर जैसेजैसे समय गुजरता जाता है, वैसेवैसे ये चीजें भुलाती जाती हैं. कहो कि पार्टनर एकदूसरे को टेकेन फार ग्रांटेड लेना चाहते हैं. यह टेकेन फार ग्रांटेड लेने की आदत ही संबंधों में गैप लाने की शुरुआत करती है. ‘बारबार थोड़ा प्रेम जताना हो’?’ ‘यह तो पता ही हो न?’ ‘संबंध को कितना समय हो गया, अब यह बहुत अच्छा नहीं लग रहा’, ‘यह लपरझपर हमें नहीं आता’, ‘यह सब नयानया संबंध बना था तो किया था, अब हमेशा के लिए यह अच्छा नहीं लगता’, आदमी की यही मानसिकता संबंध में गैप लाने का काम करती है. एक सीधासादा उदाहरण देखते हैं. हम घर में एक पेड़ उगाते हैं. शुरूशुरू में उसकी खूब देखभाल करते हैं. उसमें खाद डालते हैं  पानी डालते हैं. थोड़ेथोड़े दिनों में उसकी गुड़ाई कर के उसे हराभरा रखने की कोशिश करते हैं. जब तक यह सब करते रहते हैं, तब तक पेड़ खूब हराभरा रहता है. उसमें सुंदर फूल भी आते हैं. पर जैसेजैसे समय गुजरता जाता है, पेड़ भी बड़ा हो जाता है, देखने में सुंदर लगने लगता है, तब उसकी देखभाल कम कर देते हैं. ऐसा करने से कुछ दिनों में पेड़ सूख जाएगा. संबंधों में भी ऐसा होता है. संबंध भी जतन मांगते हैं. इन्हें टेकेन फार ग्रांटेड लेने के बदले इनका जतन करें. संबंध में भी स्नेह, प्रेम लगाव की खाद और पानी डालते रहें. इस तरह करने से वह हमेशा हराभरा रहेगा.

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 जतन सब से ज्यादा जरूरी

लड़केलड़की के बीच संबंध बनता है तो सेक्सुअली क्लोजनेस आ ही जाती है, यह स्वाभाविक भी है. पर शारीरिक निकटता के साथ संबंध में स्नेह और मानसिक निकटता भी बनाए रखें, पार्टनर की छोटीछोटी बात का ध्यान रखें, यहां केवल लड़का या लड़की ही नहीं, दोनों की बात है. दोनों ही एकदूसरे के लिए ज्यादा समय न निकाल सकते हों तो भी छोटेछोटे काम से एकदूसरे के लिए लगाव फील कराएं, जैसेकि सुबह उठ कर एकदूसरे को स्नेह भरा हग करें, लंच बनाते समय एक साथ समय गुजारें, एकदूसरे की तमाम चीजों का ख्याल रखें, एकदूसरे को दिन में बारबार आई लव यू कहें, पूरे दिन क्या किया, रात को एकदूसरे से जानें, मन में क्या चल रहा है, एकदूसरे से शेयर करें. पार्टनर फ्रस्ट्रेट हो तो उस पर गुस्सा होने के बजाय उसे संभालें. छोटीछोटी सरप्राइज दें. जैसा पहले बताया कि संबंध भी हरेभरे पेड़ की तरह है. इसे टेकेन फार ग्रांटेड लेने के बजाय इसका जतन करना जरूरी है.

ट्रेवल के दौरान इन 8 बातों का रखें ध्यान

आपने अपना बैग पैक कर लिया है और पूरी तरह से तैयार हो गए है यात्रा पर जाने के लिए. तो ये ध्‍यान रखें कि आपके पास ऐसी एक किताब ज़रूर हो जो आपके परिवार, म्‍यूजिक और दोस्‍तों के अलावा पूरे सफर में आपका साथ न छोड़े. आइए आपको बताते हैं कुछ ऐसी किताबों के बारे में जो सफर के दौरान आपके रोमांच और उत्‍साह को और बढ़ा देंगी.

1. औन द रोड 

अर्थ और ज्ञान की तलाश में सड़क पर निकले लोगों के लिए यह किताब काफी फायदेमंद है. सफर के दौरान अगर आपका दोस्त कार चला रहा है या आप बस में हैं, तो यह किताब आपकी आदर्श साथी साबित होगी.

2. ‘इंटू द वाइल्ड‘ 

जौन क्रैकुअर की किताब ‘इंटू द वाइल्ड’ कहानी है क्रिस्टोफर मैंक्केंडलेस नामक युवक की, जो दुनियादारी को छोड़ अलास्का के निर्जन जंगलों में जिंदगी बिताने चला जाता है. जंगल की यात्रा पर जाने से पहले इस कितना को अपने साथ ले जाना न भूलें.

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3. गोइंग सोलो 

अगर आप किसी ट्रिप पर अकेले जाने का प्‍लान कर रहे हैं तो रोअल डाल की कितना गोइंग सोलो आपको काफी अच्‍छी लगेगी. इस किताब में साहसिक, हास्य और रोचक क्षणों के कई ऐसे पहलू हैं, जो आपको अकेला महसूस नहीं होने देंगे.

4. आई हाईक

अगर आप एक लंबी पैदल यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो अपने पास ग्रिनटर ये किताब ज़रूर रखें. यह आपकी यात्रा के मज़े को दोगुना कर देगी.

5. मर्डर औन द ओरिएंट एक्सप्रेस

अगर आप रोमांच के शौकिन हैं और आपकी यात्रा काफी लंबी है, तो अगाथा क्रिस्टी की ये मर्डर मिस्ट्री आपको निराश नहीं करेगी.

6. अ फिल्‍ड गाइड टू गेटिंग लौस्ट 

रेबेका की इस किताब की कहानी बेहद मार्मिक और प्रेरक है जो आपको सपनों की दुनिया में ले जाएगी.

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7. एन इडियट अब्रोड: द ट्रेवल डायरिज़ औफ कार्ल

ट्रिप के दौरान मूड को रिफ्रेश करने के लिए ये बुक काफी अच्‍छी है. इस किताब में कई ऐसी बातें बताई गईं हैं जो सफर के दौरान आपकी थकान को चुटकी में दूर कर देगी.

8. अलेक्स गारलैंड की द बीच

अगर आपको समुद्र, रेत और सूरज से लगाव है. तो आपको ये किताब बेहद पसंद आएगी.

क्यों होते हैं कम उम्र में हार्ट अटैक

हाल ही में बिग बॉस 13 के विजेता सिद्धार्थ शुक्ला का मात्र 40 साल की उम्र में हार्ट अटैक से अचानक निधन हो गया है.खबर सुनकर हर कोई हैरान है आखिर ऐसा कैसे हो गया.एक हँसता खेलता जीवन के लिए सपने देखने वाला शख़्स इस तरह कैसे जा सकता है.

पहले तो हार्ट अटैक बड़ी उम्र के लोगों में देखा जाता था पर पिछले 2 सालों से कम उम्र के युवा इसका शिकार होने लगे हैं. स्टडी है कि हर मिनिट में 3 से 4 भारतीय जिनकी उम्र 30 से 50 के मध्य है वो एक सीवियर हार्ट अटैक से गुजरते हैं .साउथ एशिया के लोग अन्य किसी भी जगह के लोगों की अपेक्षा ज्यादा हार्ट अटैक झेलते हैं .क्योंकि ये हाई ब्लड प्रेशर, टाइप टू डायबिटीज और बढ़े कोलेस्ट्रॉल से पीड़ित होते हैं.आखिर क्या कारण है कि युवा इतनी कम उम्र में दिल के मरीज़ हो जा रहे हैं तो आइए इसके कारण जानते हैं.

मानसिक तनाव –

आजकल युवा मानसिक रूप से अधिक परेशान होते हैं .धैर्य की कमी और काम के दौरान य्या उसकी वजह से होने वाले तनाव के कारण एंग्जायटी डिसऑर्डर होंना एक आम समस्या हो गई है .एंग्जायटी के कारण स्ट्रेस के लिए जिम्मेदार हार्मोन कार्टिसोल का स्तर बढ़ जाता है जिस से हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है.

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लाइफ स्टाइल –

आजकल के युवाओं की जीवन शैली बहुत ही अलग हो गई है जिसके कारण उन्हें कईं बीमारियों का सामना करना पड़ता है जिनमे हार्ट अटैक भी एक है. देर रात तक जागना और काम करना सुबह सुबह सोना ये सब हाइपरटेंशन को बढ़ा देता है जिस से हार्ट अटैक की संभावना को बढ़ जाती है.बहुत देर तक फिजिकल वर्क नहीं करना भी सेहत पर विपरीत प्रभाव डालता है.आजकल समय की कमी के कारण चलना फिरना न के बराबर हो गया है.एक्सरसाइज नहीं करने से डायबिटीज और ओबेसिटी का खतरा बढ़ जाता है.जब ब्लड में शुगर का स्तर बढ़ता है तो क्लॉट होने के चांस बढ़ जाते हैं जिस से हार्ट अटैक आ सकता है.ये आर्टरीज की दीवारों में सूजन का कारण बनता है जिस से हार्ट अटैक हो सकता है. घर से आफिस गाड़ी में जाना और वहाँ भी बैठे हुए काम करना भी सेहत के लिए हानिकारक है.वैसे ही हमारे देश को डायबिटीज कैपिटल के रूप में जाना जाता है.

खान पान-

आजकल के युवाओं का खान पान सही नहीं है. अधिकतर उनके पास समय की कमी होने से जंक फूड उनकी पहली पसंद है जिसके कारण शरीर मे बेड कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाता है जो आगे जाकर हार्ट अटैक में बदल सकता है.इसी कारण लोग मोटापे से ग्रसित हैं जो कि एक बहुत बड़ी समस्या है.

नशा

आजकल बढ़ते तनाव के चलते युवाओं में नशा करने की लत लग जाती है जो कि हार्ट के लिए सही नहीं है.जो भी दिन में 10 सिगरेट या उस से ज्यादा पीता है उसमें हार्ट अटैक होने की सम्भावना सामान्य से ज्यादा होती है.तम्बाकू का सेवन सेहत के लिए सही नहीं है ये रक्त शिराओं में जाने वाली ऑक्सीजन का प्रवाह काट देता है जिस से हार्ट तक पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुँच पाती और हार्ट अटैक आने का खतरा बढ़ जाता है.कुछ लोग अल्कोहल का सेवन करते हैं जिस से धमनियाँ जल्दी सिकुड़ने लगती हैं और हृदयाघात की संभावना बढ़ जाती है.

बचाव के तरीके-

यदि आप इस सबसे बचना चाहते हैं तो सबसे पहले अपने जीवन मे थोड़ा अनुशासन लाना होगा . सुबह जल्दी उठ कर एक्सरसाइज करना चाहिए.खान पान में बदलाव करना चाहिए  बहुत अधिक तेल वाला खाना और जंक फूड पूरी तरह बंद कर देना चाहिए. समय पर सोना और समय पर जागना चाहिए 8 घंटे की नींद लेना बहुत जरूरी है.मानसिक स्वास्थ्य का खयाल रखना चाहिए.इस तरह हम अपने हृदय का खयाल रकह सकते हैं.

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फैमिली के लिए बनाएं हैल्दी और टेस्टी अरवी की कढ़ी

आपने अरवी की सब्जी तो कई बार खाई होगी, लेकिन क्या आपने अरवी की कढ़ी खाई है. अरवी की कढ़ी टेस्टी और हेल्दी होती है, जिसे आसानी से फैमिली के लिए बना सकते हैं.

सामग्री

– 5 अरवी मीडियम आकार की

– 2 बड़े चम्मच बेसन

– 1 कप खट्टा दही

– 3 कप पानी

– 1 छोटा चम्मच कौर्नफ्लोर

– 1/2 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर

– 2 हरीमिर्चें लंबाई में कटी

– 1/2 छोटा चम्मच हलदी पाउडर

– नमक स्वादानुसार.

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सामग्री तड़के की

– 1 बड़ा चम्मच तेल

– 1 छोटा चम्मच घी

– 3-4 करीपत्ते

– 1/2 छोटा चम्मच अजवाइन

– 1/2 छोटा चम्मच जीरा

– 1/2 छोटा चम्मच राई

– 1/8 छोटा चम्मच हींग

– 2 साबूत लालमिर्चें सजावट के लिए

– 1/4 छोटा चम्मच देगीमिर्च पाउडर.

विधि

एक बाउल में बेसन, दही, पानी, लालमिर्च पाउडर, हलदी पाउडर और नमक मिलाएं और हैंड ब्लैंडर से चर्न करें. अरवी को छील धोपोंछ कर लंबाई में काट लें. एक नौनस्टिक कड़ाही में तेल गरम कर के पहले अरवी फ्राई कर के निकाल लें. बचे तेल में हींग, जीरा, राई, अजवाइन का तड़का लगा कर बेसन का घोल डालें और मीडियम आंच पर कढ़ी लायक गाढ़ा होने तक पकाएं. इस में अरवी के टुकड़े भी डाल दें. कढ़ी तैयार हो जाए तो सर्विंग बाउल में निकालें. 1 चम्मच घी गरम कर के साबूत लालमिर्च और देगीमिर्च का तड़का लगाएं और फिर सर्व करें.

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