Wedding थीम को ध्यान में रखते हुए ऐसे निखारें दुल्हन का रूप

अकसर दुलहन का मेकअप करते समय छोटीछोटी चीजों को नजरअंदाज कर दिया जाता है, जिस से उस का लुक निखर कर नहीं आ पाता. हर दुलहन पर एक सा ही मेकअप अप्लाई करने की कोशिश की जाती है, जिस से सब गड़बड़ हो जाता है. जिस तरह हर किसी का रंगरूप एकजैसा नहीं होता ठीक उसी तरह हर दुलहन पर भी एकजैसा मेकअप नहीं किया जा सकता. इस बारे में मेकअप ऐक्सपर्ट सोम भल्ला मलिक कहती हैं कि दुलहन के मेकअप में कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है जैसे, शादी का थीम क्या है? शादी दिन में है या रात में? दुलहन की ब्राइडल ड्रैस कैसी है? दुलहन किस तरह का लुक चाहती है?

अगर आप चाहती हैं कि दुलहन यूनीक लगे तो आजमाएं मेकअप ऐक्सपर्ट सोम भल्ला मलिक द्वारा बताए ये टिप्स:

फेस:

मेकअप में बेस महत्त्वपूर्ण होता है. बेस तैयार करने से पहले क्लींजिंग बहुत जरूरी है ताकि फेस अच्छी तरह क्लीन हो और बेस अच्छी तरह अप्लाई हो सके. सब से पहले मेकअप स्टूडियो के फेस क्लींजर से फेस क्लीन करें. गरमी में पसीना जल्दी आता है, इसलिए गरमी में फेस पर मेकअप फिक्सर स्प्रे जरूर करें. इस के बाद टिशू पेपर से थपथपा कर सुखाएं. ऐसा करने से त्वचा के रोमछिद्र खुल जाते हैं, इसलिए इन्हें बंद करने के लिए गुलाबजल से फेस की टोनिंग करें. इस से खुले पोर्स बंद हो जाएंगे. इस के बाद फेस पर मौइश्चराइजर अप्लाई करें. ध्यान रहे मौइश्चराइजर लगा कर कभी मसाज न करें, सिर्फ हाथों से थपथपा कर ही मिक्स करें.

अब बारी आती है फाउंडेशन से बेस बनाने की, लेकिन फाउंडेशन से बेस तैयार करने से पहले स्किनटोन जरूर चैक करें कि आप की स्किनटोन कैसी है. फाउंडेशन लगाने के बाद ब्रश से अच्छी तरह मिक्स करें. ध्यान रहे मेकअप में सही ब्रश का प्रयोग किया जाए. गीले प्रोडक्ट जैसे फाउंडेशन, लाइनर इत्यादि लगाने के लिए हमेशा सिंथैटिक ब्रश का प्रयोग करें और ड्राई प्रोडक्ट जैसे ब्लशर, आईशैडो व पाउडर लगाने के लिए औरिजनल हेयरब्रश का प्रयोग करें.

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आई मेकअप:

बेस बनाने के बाद ब्लैक आईब्रो पैंसिल से आईब्रोज ब्लैक करें. इस के बाद उन पर एक बार टूथपिक चला दें ताकि वे एकजैसी लगें. हमेशा आईब्रोज पर एकसमान पैंसिल चलाएं. कुछ मेकअप करते समय ऐसा भी करते हैं कि जहां हेयर नहीं होते वहां ज्यादा लगा देते हैं. ऐसा न करें, क्योंकि इस से आईब्रोज एकजैसी नहीं लगतीं. ऐलिगैंट लुक के लिए आंखों पर सिल्वर काजल लगाएं. इस के बाद आईबेस अप्लाई करें. साथ ही, आंखों पर लाइट पिंक शेड का शैडो लगाएं. आमतौर पर आईलैशेज बहुत बड़ी नहीं होतीं, इसलिए आर्टिफिशियल आईलैशेज लगाएं. आजकल ब्राइड्स में लैंस का फैशन इन है. जब भी लैंस लगाएं तब इस बात का ध्यान रखें कि जिस कलर की ड्रैस हो उस कलर का आईशैडो न लगाएं. अगर आप ने आई मेकअप और ड्रैस से मैच करते लैंस लगाए हैं तो आंखें अच्छी नहीं लगेंगी. लैंस अलग कलर के लगाएं ताकि देखने में अच्छे लगें.

हेयरस्टाइल

बालों को अच्छी तरह कंघी करने के बाद छोटेछोटे सैक्शन ले कर रोल कर लें. रोल करने के बाद बालों को थोड़ी देर के लिए छोड़ दें. इस के बाद क्राउन एरिया पर स्टफिंग लगा कर अच्छी तरह पिन लगाएं और बालों पर हेयरस्प्रे करें. अब आगे की तरफ साइड से मांग निकालें और साइड के बालों को अच्छी तरह कंघी कर के स्टफिंग के पास पिन करें. दूसरी साइड के बालों में भी ऐसा ही करें. बीच के बचे बालों के छोटेछोटे सैक्शन ले कर ट्विस्ट कर के पफ के ऊपर टर्न करें. अब पीछे के सारे बालों को ऊपर कर के नीचे की तरफ क्लिप लगाएं और बालों को एक गुच्छे का लुक दें. इस के बाद हेयरस्प्रे करें ताकि हेयरस्टाइल सैट हो जाए. अंत में हेयर ऐक्सैसरीज से डैकोरेट करें.

लिप्स:

जब आंखों पर लाइट मेकअप किया है तो लिप्स पर भी लाइट कलर का ही प्रयोग करें. ब्राइड को सोबर लुक देने के लिए पिंक लिप लाइनर से लिप की आउट लाइनिंग करें. फिर लिपस्टिक लगाएं. गालों पर भी पिंक ब्लशर लगाएं.

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अरेबियन ओवरलैपिंग:

अरेबियन ओवरलैपिंग के लिए बालों को अच्छी तरह कंघी करें ताकि हेयरस्टाइल बनाते समय बाल उलझें नहीं. सब से पहले इयर टू इयर पार्टीशन करें. इस के बाद क्राउन एरिया से थोड़े से बाल ले कर अच्छी तरह कंघी करें. अब स्टफिंग रख कर बालों को आगे की तरफ रोल कर के पिन करें. फिर फ्रंट के बालों में सैंटर पार्टिंग निकालें और 1-1 लेयर ले कर ओवरलैपिंग करें यानी राइट साइड वाले बालों को लैफ्ट साइड में और लैफ्ट साइड वाले बालों को राइट साइड में ला कर पिन करें. साथ ही पीछे के बालों की छोटीछोटी लेयर ले कर ट्विस्ट करें और पिन लगाएं. अंत में हेयर ऐक्सैसरीज से डैकोरेट करें.

थायराइड और दूसरी बीमारियों में Constipation की प्रौब्लम का इलाज बताएं?

सवाल-

मैं 42 वर्षीय थायराइड का रोगी हूं. मुझे अकसर कब्ज रहता है. इस समस्या से कैसे छुटकारा पाऊं ?

जवाब-

जिन लोगों में थायराइड हारमोनों का स्तर कम होता है अर्थात जिन्हें हाइपोथायराइडिज्म होता है उन में अकसर कब्ज की समसया देखी जाती है. हाइपोथायराइडिज्म में बड़ी आंत की कार्यप्रणाली धीमी पड़ जाती है, जिस से उस का संकुचन प्रभावित होता है और भोजन से अधिक मात्रा में जल का अवशोषण होने लगता है, जो बड़ी आंत में पचे हुए भोजन की धीमी गति का कारण बन जाता है. जब भोजन बड़ी आंत में सामान्य गति से आगे नहीं बढ़ता है तो मल त्यागने की आदत में बदलाव आ जाता है.

हाइपोथायराइडिज्म से ग्रस्त लोग शारीरिक रूप से सक्रिय रहें. अपने भोजन में सब्जियां, फ लों, साबूत अनाज और दही जरूर शामिल करें. थायराइड हारमोनों के स्तर को नियंत्रित रखने के लिए अपनी दवा सही समय पर लें. तनाव न पालें, क्योंकि यह भी कब्ज का एक प्रमुख कारण है.

सवाल-

मैं 27 वर्षीय गर्भवती महिला हूं. मुझे चौथा महीना चल रहा है, लेकिन कई दिनों से कब्ज के कारण काफी परेशान हूं. कृपया कोई उपाय बताएं?

जवाब-

गर्भावस्था के दौरान ऐस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरौन का स्तर अधिक होने से आंतों की मांसपेशियां रिलैक्स हो जाती हैं, जिस से भोजन और द्रव की गति धीमी हो जाती है और गर्भाश्य का आकार बढ़ने से आंतों पर दबाव पड़ता है, जिस से उन का संकचुन प्रभावित होता है. इसीलिए अकसर गर्भवती महिलाओं को कब्ज हो जाती है. आप को बहुत परेशान होने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन कुछ जरूरी उपाय कर के अपनी पाचनप्रक्रिया को दुरुस्त रख सकती हैं. आप पानी और दूसरे तरल पदार्थों का अधिक मात्रा में सेवन करें. शारीरिक रूप से सक्रिय रहें. गर्भावस्था में अकसर महिलाओं में तनाव का स्तर बढ़ जाता है, इस से भी कब्ज होने की आशंका बढ़ जाती है. तनाव से बचने और मस्तिष्क को शांत रखने के लिए प्रतिदिन 10-20 मिनट तक ध्यान करें. अपने खानपान और नींद का भी पूरा ध्यान रखें. अगर समस्या ज्यादा गंभीर है तो आप का डाक्टर आप को मल को मुलायम करने वाली दवा लेने को कहेगा.

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सवाल-

मैं 26 वर्षीय कालेज स्टुडैंट हूं. मेरा वजन बहुत अधिक है, इसे कम करने के लिए मैं डाइटिंग कर रही हूं. लेकिन इस के कारण मुझे कब्ज रहने लगा है, क्या करूं?

जवाब-

सब से पहले तो डाइटिंग की अवधारणा ही गलत है. आप को वजन कम करने के लिए कभी डाइटिंग नहीं बल्कि डाइट प्लानिंग करनी चाहिए. आप के शरीर को सामान्य रूप से काम करने के लिए एक निश्चित मात्रा में कैलोरी की आवश्यक है. अगर आप प्रतिदिन 1200 कैलोरी से कम का सेवन करेंगी तो आप का मैटाबोलिज्म धीमा पड़ जाएगा, जिस का सीधा प्रभाव आप के मल त्यागने की आदतों पर होगा. आप का पाचनतंत्र ठीक प्रकार से काम करेगा.

सवाल-

मेरा बेटा 10 साल का है. वह सब्जियां बिलकुल नहीं खाता. उस का पेट साफ  नहीं रहता है. क्या सब्जियां न खाना इस का कारण है?

जवाब

बच्चों को सब्जियां खिलाना बहुत जरूरी है क्योंकि पोषक तत्त्वों से भरपूर सब्जियों में फ ाइबर की मात्रा काफ ी अधिक होती है. कब्ज बड़ी आंत की समस्या है और फ ाइबर हमारी आंतों के लिए ब्रश का काम कर उन्हें साफ  रखती है और कब्ज नहीं होने देता. आप अपने बच्चे के डाइट चार्ट में सब्जियों के साथसाथ फ लों और साबूत अनाज भी शामिल करें. उसे पानी और दूसरे  तरल पदार्थ भी पर्याप्त मात्रा में दें.

सवाल

हृदयरोगियों के लिए कब्ज कितनी खतरनाक हो सकती है? किन बातों पर ध्यान रखना जरूरी है?

जवाब

हृदयरोगियों को अगर मल त्यागने में जोर लगाना पड़े, तो यह उन के लिए ठीक नहीं है. वैसे तो कब्ज के कारण हृदयरोगों के गंभीर होने का कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं है, लेकिन मल त्यागने में अत्यधिक प्रैशर लगाने से रक्तदाब बढ़ सकता है, जिस से हार्ट फे ल्योर, हृदय की धड़कनें अनियंत्रित हो जाना और कोरोनरी आर्टरी डिजीज का खतरा बढ़ सकता है. कई हृदयरोगियों में दवा के साइड इफै क्ट्स के कारण भी कब्ज की समस्या हो जाती है.

फाइबर युक्त भोजन का सेवन अधिक करें. पानी और दूसरे तरल पदार्थ अधिक मात्रा में लें. नियमित रूप से ऐक्सरसाइज करें. कब्ज की समस्या गंभीर है तो अपने डाक्टर से बात करें.

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सवाल

मेरी उम्र 55 वर्ष है और मुझे बचपन से कब्ज की शिकायत है. क्या इस का इलाज कराना जरूरी है? इस के नवीनतम उपचार क्या हैं?

जवाब-

इतने लंबे समय से चले आ रहे कब्ज का उपचार करना बहुत जरूरी है. कब्ज के उपचार में केवल दवा से काम नहीं चलता, खानपान और जीवनशैली में बदलाव लाना भी जरूरी है. इस के उपचार के लिए आयुर्वेदिक दवा, हर्बल दवा, एलोपैथी सभी की समयसमय पर आवश्यकता पड़ती है. अपने भोजन में फाइबर युक्त खाद्यपदार्थों जैसे साबूत अनाज, सब्जियों और फ लों का अधिक मात्रा में शामिल करें. नियमित रूप से ऐक्सरसाइज करें. प्रोबायोटिक भोजन का सेवन भी करें. तुरंत किसी फि जिशियन को दिखाएं, क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ यह समस्या और गंभीर हो सकती है.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

मेहमान और फैमिली के लिए बनाएं फ्लेवर्ड मोदक

बाजार से हर दिन प्रसाद के लिए मोदक खरीदकर लाना बहुत महंगा पड़ता है साथ ही बाजार की मिठाइयों में मिलावट की संभावना भी बहुत अधिक होती है इसलिए आज हम आपको ऐसे मोदक बनाना बता रहे हैं जिन्हें आप घर में उपलब्ध सामान से ही बड़ी आसानी से बना सकतीं हैं. मूंगफली हमारे घर में होती ही  है. मूंगफली में प्रोटीन, मिनरल्स और अनेकों विटामिन्स पाए जाते हैं. काजू बादाम जहां हर एक के बजट को सूट नहीं करते वहीं गुणों में काजू बादाम को टक्कर देने वाली मूंगफली सस्ती होने के कारण हर वर्ग का इंसान खरीदने में सक्षम होता है. आज हम आपको मूंगफली से ही तीन फ्लेवर के मोदक बनाना बताएंगे. तो आइए देखते हैं कि इन्हें कैसे बनाते हैं-

कितने लोंगों के लिए            8

बनने में लगने वाला समय      30 मिनट

मील टाइप                           वेज

सामग्री

मूंगफली दाना                   2 कप

पानी                                1/2 कप

शकर                                1 कप

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घी                                     1टेबलस्पून

बारीक कटे मेवा                   1 टेबलस्पून

कोको पाउडर                      1 टीस्पून

केसर के धागे                       10

विधि

केसर के धागों को पीसकर 1/4 टीस्पून पानी में भिगो दें. मूंगफली दानों को धीमी आंच पर भूनकर ठंडा होने पर छिल्के उतार लें. अब इन छिल्का उतरे दानों को मिक्सी में अच्छी तरह पीस लें. जब ये एकदम पेस्ट फॉर्म में हो जाएं तो एक प्लेट में निकाल लें. गैस पर एक पैन में शकर और पानी डालकर अच्छी तरह चलाएं. जब शकर घुल जाए तो मूंगफली का पेस्ट डालकर धीमी आंच पर लगातार चलाते हुए पकाएं. घी डालकर पैन के किनारे छोड़ने तक भूनें. जब मिश्रण गाढ़ा होकर इकट्ठा होने लगे तो मेवा मिलाकर गैस बंद कर दें. इस मिश्रण को तीन भाग में बांट लें. एक में कोको पाउडर दूसरे में केसर  का पानी अच्छी तरह मिलाएं. तीसरे भाग को सफेद ही रहने दें. अब तीनों में से थोड़ा थोड़ा मिश्रण मोदक मोल्ड में डालकर तीन फ्लेवर के स्वादिष्ट मोदक बनाएं. इस प्रकार चुटकियों में तीन प्रकार के मोदक भोग के लिए तैयार हो गए.

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गुजरात की खूबसूरती का लेना है आनंद तो इन जगहों पर जाएं

आपने गुजरात के बारे में तो बहुत कुछ सुना होगा और आप वहां के बारे में बहुत कुछ जानती होंगी  क्योकि गुजरात पर्यटन के प्रचार प्रसार के लिये वहां की मौजूदा सरकार अक्सर विज्ञापन देती रहती है. ऐसे में इस राज्य में घूमने-फिरने के लिए क्या खास है, ये भी जानना जरुरी हो जाता है. चलिए, आज हम आपको बताते हैं, गुजरात में सैर-सपाटे की सबसे खास जगह.

1. गिर नेशनल पार्क

गिर नेशनल पार्क में आपको एशियाई शेर के अलावा कई जानवरों की 40 अन्य प्रजातियां भी देखने को मिलती हैं, जिनमें स्पौट हिरण, सांबर आदि भी शामिल हैं. इस जगह पर आपको जानवरो और मनुष्य का  संगम देखने को मिलता है क्योंकि यहां शेर और मनुष्य एक ही साथ रहते हैं और आते जाते रहते हैं. कोई भी किसी को हानि नही पहुंचाता.

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2. अहमदाबाद

अहमदाबाद को विश्व धरोहर शहर घोषित किया गया है. अगर आप धार्मिक स्थलों पर घूमने-फिरने के शौकीन हैं, तो आप अहमदाबाद के स्वामी नारायण मं‍दिर, साबरमती आश्रम, सिदि सईद मस्जिद में घूम सकती हैं. आपको यहां गुजराती व्यंजनों से सजी थाली आसानी से मिल जाएगी. आप यहां थेपला, ढोकला, मुठिया का मजा ले सकती हैं.

3. दीउ

अगर आपको बीच पर घूमने का मजा लेना है, तो दीउ एक बेहतरीन जगह है. दीउ छोटा-सा शहर एक पुल से गुजरात से जुड़ा हुआ है आप दीउ में घोग्लाह बीच, नागोआ बीच, गोप्ती माता बीच पर अपनी छुट्टियां बिता सकती हैं.

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4. लक्ष्मी विलास पैलेस

राजसी ठाट-बाट से सजा लक्ष्मी विलास महल वड़ोदरा में स्थित है. ये खूबसूरत महल बकिंगघम पैलेस से भी चार गुना बड़ा बताया जाता है. इस महल का एक हिस्सा पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है जहां महाराजा फतेह सिंह संग्रहालय है. यहां पर संगमरमर और कांस्य की कलाकृतियां देख सकती हैं. यहां पर आपको कई बेहतरीन रेस्टोरेंट मिलेंगे, जहां आप अपनी पसंद के खाने का मजा ले सकती हैं.

5. साबरमती आश्रम

साबरमती आश्रम में आपको महात्मा गांधी की झलक मिलेगी. महात्मा गांधी ने यहीं से दांडी मार्च की शुरुआत की थी. इस आश्रम में एक संग्रहालय है, जहां पर महात्मा गांधी से जुड़े अवशेष, तस्वीरें और प्रदर्शनी आदि लगाई जाती है. इस आश्रम में 90 मिनट की सैर में मगन निवास, उपासना मंदिर आदि देख सकते हैं. आश्रम के बाहर स्ट्रीट फूड के बहुत सारे औप्शन मौजूद हैं.

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6. रण औफ कच्छ

गुजरात का सफर रण औफ कच्छ को देखे बिना अधूरा है. ये दुनिया का सबसे बड़ा सौल्टस रेगिस्तान है. कच्छ आने का सही समय ‘रण उत्सव’ है. ये उत्सव हर साल नवम्बर में आयोजित किया जाता है.

7. द्वारका

द्वारका चार धाम में से एक है. यहां गोमती नदी का दृश्य बहुत ही मनोरम लगता है. यहां द्वारकाधीश मंदिर में जन्माष्टमी के दिन दीवाली जैसा माहौल होता है. मंदिर के पास आपको मिठाई की बहुत-सी दुकानें मिलेगी. गुजरात की कई स्पेशल मिठाई आपको द्वारका के आसपास के बाजारों में मिल जाएगी.

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Arranged Marriage में दिलदार बनें, रिश्ता तय करने से पहले ध्यान रखें ये बातें

यदि किसी कारणवश युवा अपना भावी जीवनसाथी खुद न ढूंढ पाए या ढूंढना ही न चाहे और अपने मातापिता के सहयोग से ही विवाह बंधन में बंधने का निर्णय ले, तो आज के समय में पेरैंट्स के लिए अपने बच्चे की मैरिज करना खासा पेचीदा होता जा रहा है.

पेरैंट्स व बच्चों की किसी रिश्ते में किसी एक बिंदु पर सहमति बनना कोई आसान बात नहीं होती. वहां भी जैनरेशन गैप साफ दिखाई देता है और उस पर जब अधिकतर युवा लव मैरिज करने लगे हैं तो अरैंज्ड मैरिज के लिए विवाहयोग्य लड़केलड़कियों का जैसे अकाल सा पड़ने लगा है. और फिर बच्चे साथ में न रह कर दूसरे शहरों में या विदेश में हों तो वैवाहिक रिश्तों के बारे में चर्चा करना कठिन ही नहीं असंभव भी हो जाता है.

सुधा थपलियाल जो एक उच्च शिक्षित गृहिणी हैं, बताती हैं कि बेटी के लिए रिश्ते आते हैं पर जब फोन पर बेटी से रिश्तों के बारे में चर्चा करना चाहती हूं तो सुबह वह जल्दी में होती है, शाम को थकी होती है और छुट्टी के दिन आराम के मूड में होती है. विवाह के बारे में आखिर चर्चा करूं तो किस से करूं.

सावी शर्मा भी एक उच्च शिक्षित गृहिणी हैं. चर्चा छिड़ने पर कहती हैं कि मैं ने बेटे की अरैंज्ड मैरिज की लेकिन मुझे इतनी दिक्कत नहीं आई, क्योंकि बेटे ने पूरी तरह सब कुछ मुझ पर छोड़ दिया था. इसलिए जो रिश्ते मुझे पूरी तरह ठीक लगे, उन्हीं लड़कियों को मैं ने बेटे से मिलवाया और एक जगह बात फाइनल हो गई.

पेरैंट्स की मुशकिल समझें युवा:

अरैंज्ड मैरिज में आजकल पेरैंट्स की सब से बड़ी मुश्किल है बच्चों की कल्पना को धरातल पर उतारना, जोकि नामुमकिन होता है. साथ ही पारिवारिक, सामाजिक व धार्मिक पृष्ठभूमि को देखते हुए सही तालमेल वाले रिश्ते ढूंढना जिस में बच्चे बहुत कम सहयोग देते हैं.

कई युवा सोचते तो बहुत कुछ हैं पर विवाह को ले कर पेरैंट्स के साथ संवादहीनता की स्थिति कायम कर देते हैं, जैसे कि पेरैंट्स को पहली ही बार में उन की कल्पना को धरातल पर उतार देना चाहिए था और ऐसा नहीं हुआ तो यह उन की गलती है. लेकिन युवाओं को समझना चाहिए कि किसी की भी कल्पना धरातल पर नहीं उतरती.

सहज बातचीत से सामने से आए रिश्ते के माइनसप्लस पौइंट्स पर विचार किया जा सकता है. लव मैरिज में जहां बिना कुछ आगापीछा जानेबूझे, सोचेसमझे प्यार हो जाता है, मतलब कि प्यार की भावना ही प्रधान होती है वहीं अरैंज्ड मैरिज में आप के गुण, दोष, कमी, नौकरी, पैसा, सैलरी, खूबसूरती, सामाजिक रूतबा, घरपरिवार शिक्षा बगैरा देख कर ही रिश्ते आते हैं.

इसलिए यदि युवा स्वयं मनचाहा जीवनसाथी न ढूंढ पाए हों और भावी जीवनसाथी ढूंढने के लिए पेरैंट्स पर निर्भर हों तो पेरैंट्स के साथ सहयोग करें ताकि वे आप के लिए सुयोग्य जीवनसाथी का चुनाव कर सकें.

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बच्चों की मुश्किलें समझें पेरैंट्स:

दूसरी तरफ पेरैंट्स को भी चाहिए कि अरैंज्ड मैरिज में भी थोड़ा लव मैरिज वाला लचीलापन लाएं और दिलदार बनें. वर्षों से चली आ रही लकीर को न पीटें. जाति, जन्मपत्री, प्रथाएं, गोत्र, धर्म, रीतिरिवाज जैसी चीजों में उलझने के बाद जो रिश्ते छन कर बचते हैं वे शिक्षा व विचारों के लिहाज से आप के लाडले व लाडली के साथ कितने फिट बैठते हैं यह देखने व सोचने की जहमत भी उठाएं.

इसलिए अरैंज्ड मैरिज में भी इस तयशुदा चारदीवारी से बाहर आ कर थोड़ा उदार रवैया अपनाएं. खुद की सड़ीगली मान्यताओं को एकतरफ रख कर, जो बच्चों के साथ फिट बैठ सके, ऐसे साथी के बारे में सोचें. आजकल के समय में लड़कियों के लिए भी हर तरह का समझौता करना सरल नहीं है. इसलिए उन के लिए भी अरैंज्ड मैरिज करना कोई आसान बात नहीं रह गई.

अरैंज्ड मैरिज की मुश्किलें:

अरैंज्ड मैरिज में बिचौलिए, मातापिता या रिश्तेदार किसी रिश्ते के लिए भावनात्मक दबाव बनाने लगते हैं. यह सही नहीं है. इस के अलावा लड़कालड़की को एकदूसरे को समझने के लिए समय नहीं मिल पाता, यह मुश्किल तब और बड़ी हो जाती है जब वे अलगअलग शहरों में या उन में से एक विदेश में हो.

लव मैरिज में युवा एकदूसरे को लंबे समय तक जाननेसमझने के बाद विवाह का फैसला लेते हैं, इसलिए उन्हें अपने फैसले पर विश्वास होता है. लेकिन अरैंज्ड मैरिज में उन्हें फैसला लेने में घबराहट होती है. आजकल के युवा उम्र व मानसिक रूप से परिपक्व होने के कारण हर किसी के साथ सरलता से सामंजस्य स्थापित नहीं कर पाते हैं.

लव मैरिज में जहां प्रेम गुणदोषों को साथ ले कर चलता है वहीं अरैंज्ड मैरिज में सब कुछ विवाह के बाद की स्थिति पर निर्भर करता है. लव मैरिज में जहां युवा आपसी सहमति से भविष्य की योजना बनाते हैं वहीं अरैंज्ड मैरिज में कई बार इन सब भावी फैसलों पर पारिवारिक दबाव बन जाता है और लड़कालड़की अपने साथी का मंतव्य ठीक से समझ नहीं पाते.

साथी से मिलें कुछ इस तरह:

जब यह तय है कि साथी मातापिता ही ढूंढेंगे तो उन पर भरोसा कीजिए. उन के फैसले के साथ अपनी पसंद भी मिलाइये और भावी साथी के साथ कुछ इस तरह मिलिए:

– साथी को अपने सामने खुलने का अवसर दें. स्थिति में तनाव को दूर करने की कोशिश करें. दोनों में से कोई भी सहज बातचीत शुरू कर के साथी को कंफर्टेबल कर सकता है. आप का उन के बारे में जो भी खयाल बने, अपने परिवार वालों को स्पष्ट तौर पर बताएं.

– गलत निर्णय लेने से अच्छा है देर से निर्णय लेना या फिर नहीं लेना. पर पेरैंट्स के साथ विवाह की चर्चा को ले कर सहज बातचीत या सकारात्मकता बनाए रखें ताकि वे आप के लिए सुयोग्य जीवनसाथी का चयन कर सकें.

– एकदूसरे का इतिहास जानने की कोशिश न करें, बल्कि भविष्य की योजनाओं, रूचियों, स्वभाव बगैरा समझने की कोशिश करें. अपनी नौकरी, वर्किंग आवर, टूरिंग, व्यस्तता, सैलरी आदि के विषय में स्पष्ट जानकारी देना व लेना एकदम सही रहेगा ताकि बाद में कोई विवाद न हो. इस के अलावा एकदूसरे के पुरुष व महिला मित्रों के बारे में रवैया और हद जान लेना भी सही रहेगा.

– खर्चे की बात भी साफ हो जानी चाहिए, क्योंकि अधिकतर लड़कियों की सोच होती है कि पति का पैसा तो सब का लेकिन उन का पैसा सिर्फ उन का. इस के अलावा आजकल की कामकाजी लड़कियां ऐसे लड़कों को पसंद करती हैं जो उन्हें यह विश्वास दिलाएं कि घरपरिवार, बच्चे सिर्फ उन की जिम्मेदारी नहीं हैं.

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अरैंज्ड मैरिज में भी जगाएं लव मैरिज वाला जज्बा:

अब जब विवाह तय हो गया है और आप ने स्वयं को अरैंज्ड मैरिज के लिए तैयार कर लिया है तो एकदूसरे के साथ क्वालिटी टाइम बिताइए, चाहे एक शहर में हों या अलग या फिर विदेश में.

काम के बोझ तले यदि मन बेताब नहीं भी हो पा रहा है, दिल में कई सशंय घूम रहे हैं और साथी के प्रति इतना आकर्षण महसूस नहीं कर पा रहे हैं, तब भी बेताबी जगाइए. आकर्षण पैदा कीजिए एकदूसरे के लिए. सोचिए कि कुदरत ने उन्हें सिर्फ आप के लिए ही बनाया है. फ्लर्टिंग कीजिए, हंसिएहंसाइए, छोटेछोटे सरप्राइज दीजिए और महसूस कीजिए कि आप का प्यार बस अभीअभी शुरू हुआ है व आप को इसे कैसे जीत कर मंजिल तक पहुंचाना है.

अपने लिए साथी भले ही आप ने खुद नहीं ढूंढ़ा है पर पसंद तो आप ने ही किया है. इसलिए उस के प्रति भी वही जज्बा जगाइए जो प्रेम विवाह में होता है. चाहें तो छिपछिप कर मिलें या प्रेम का इजहार करें. फिर  देखिए कैसे अरैंज्ड मैरिज में भी लव मैरिज जैसा लुत्फ आता है.

खुशियों का उजास: बानी की जिंदगी में कौनसा नया मोड़ा आया

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Top 10 Best Heart Disease Tips: दिल की बीमारी की 10 अहम खबरें हिंदी में

Heart Disease Tips in Hindi: इस आर्टिकल में हम आपके लिए लेकर आए हैं गृहशोभा की 10 Heart Disease Tips Stories in Hindi 2021. हाल ही में बिग बॉस 13 के विजेता सिद्धार्थ शुक्ला का मात्र 40 साल की उम्र में हार्ट अटैक से अचानक निधन हो गया है.खबर सुनकर हर कोई हैरान है आखिर ऐसा कैसे हो गया.एक हँसता खेलता जीवन के लिए सपने देखने वाला शख़्स इस तरह कैसे जा सकता है. वहीं इसका कारण दिल का दौरा बताया जा रहा है. इसी के चलते आज हम आपको Heart से जुड़ी बीमारियों की Stories के बारे में बताएंगे, जिससे आपकी हेल्थ पर फर्क पड़ सकता है. तो यहां पढ़िए गृहशोभा की Heart Disease Tips Stories in Hindi.

1. सावधान : हार्ट अटैक का बड़ा कारण है ज्यादा तनाव

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बिग बॉस 13 के विनर और टीवी एक्टर सिद्धार्थ शुक्ला का महज 40 साल की उम्र में हार्ट अटैक से निधन हो गया. जिससे हर कोई सदमे में हैं. उनके फैंस इसलिए भी दुखी और हैरान हैं क्योंकि वो एक हेल्दी पर्सन थे और फिटनेस का पूरा ख्याल रखते थे. फिर भी वो हार्ट अटैक का शिकार हो गए.

मौजूदा समय में बदलती लाइफस्टाइल और तनाव के बीच आम लोग भी इस समस्या से जूझ रहे हैं. ऐसे में कुछ खास बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. ताकी आपका दिल स्वस्थ रहे.

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2. क्यों होते हैं कम उम्र में हार्ट अटैक

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पहले तो हार्ट अटैक बड़ी उम्र के लोगों में देखा जाता था पर पिछले 2 सालों से कम उम्र के युवा इसका शिकार होने लगे हैं. स्टडी है कि हर मिनिट में 3 से 4 भारतीय जिनकी उम्र 30 से 50 के मध्य है वो एक सीवियर हार्ट अटैक से गुजरते हैं .साउथ एशिया के लोग अन्य किसी भी जगह के लोगों की अपेक्षा ज्यादा हार्ट अटैक झेलते हैं .क्योंकि ये हाई ब्लड प्रेशर, टाइप टू डायबिटीज और बढ़े कोलेस्ट्रॉल से पीड़ित होते हैं.आखिर क्या कारण है कि युवा इतनी कम उम्र में दिल के मरीज़ हो जा रहे हैं तो आइए इसके कारण जानते हैं.

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3. बढ़ रहा है हार्ट अटैक का खतरा, ऐसे रखें दिल का ख्याल

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बिग बॉस 13 के विनर और टीवी एक्टर सिद्धार्थ शुक्ला का महज 40 साल की उम्र में हार्ट अटैक से निधन हो गया. जिससे हर कोई सदमे में हैं. उनके फैंस इसलिए भी दुखी और हैरान हैं क्योंकि वो एक हेल्दी पर्सन थे और फिटनेस का पूरा ख्याल रखते थे. फिर भी वो हार्ट अटैक का शिकार हो गए.

मौजूदा समय में बदलती लाइफस्टाइल और तनाव के बीच आम लोग भी इस समस्या से जूझ रहे हैं. ऐसे में कुछ खास बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. ताकी आपका दिल स्वस्थ रहे.

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4. अधिक उबासी लेना हो सकता है आने वाले हार्ट अटैक का संकेत

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हार्ट अटैक एक बहुत ही गंभीर स्थिति होती है जिसमें हमारी जान जाने तक का खतरा भी होता है. इसमें हमारा रक्त प्रवाह ब्लॉक हो जाता है और हमारे ह्रदय की मसल्स डेमेज होने लगती हैं. जैसा कि हमने आज तक देखा या सुना है हम सोचते हैं कि हार्ट अटैक के लक्षण केवल छाती में दर्द होना या फिर जमीन पर गिरना ही होते हैं. परन्तु असल में जब आप को हार्ट अटैक आने की सम्भावना होती है तो यह लक्षण आप के आस पास भी नहीं फिरते हैं. हार्ट अटैक के कुछ लक्षण बहुत ही अजीब व हैरान पूर्वक भी हो सकते हैं जिनमें से एक लक्षण होता है उबासियां लेना. क्या आप चौंक गए? चलिए जानते हैं इसके बारे में.

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5. हार्ट अटैक और हार्ट फेल्योर में क्या फर्क है?

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मेरी उम्र 32 साल है. कुछ साल पहले मेरे पापा को दिल का दोरा पड़ा था और कुछ दिनों पहले ही पता चला कि मेरा दिल लगभग फेल हो चुका है. समस्या गंभीर होने के कारण डाक्टर ने हार्ट ट्रांसप्लांट की सलाह दी है. मैं जानना चाहता हूं कि हार्ट अटैक और हार्ट फेल्योर में क्या फर्क है?

जवाब-

किसी व्यक्ति को हार्ट अटैक तब आता है, जब हृदय की तरफ बहने वाले रक्त में बाधा पैदा हो. अमूमन ऐसा धमनियों में प्लाक जमा होने के कारण होता है. हृदय तक खून नहीं पहुंच पाने की ऐसी गंभीर समस्या के चलते हृदय की मांसपेशियों के बुरी तरह क्षतिग्रस्त होने की आशंका पैदा हो जाती है. दूसरी तरफ, हार्ट फेल्योर एक ऐसी बीमारी है, जो व्यक्ति को धीरेधीरे शिकार बनाती है. इस में हृदय की मांसपेशियां कमजोर और कड़ी पड़ जाती हैं और ऐसे में उन्हें रक्त को पंप करने में मुश्किल आती है, जोकि रक्तप्रवाह के लिए एक जरूरी प्रक्रिया है.

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6. सर्दियों में बढ़ता हार्ट अटैक का खतरा, जानें क्यों

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ठंड का मौसम खुशियों का मौसम होता है, इस खुशनुमा मौसम का मतबल है ढेर सारे त्‍यौहार, छुट्टियां और कई और चीजें. सर्दियों का यह मौसम बच्‍चों और बुजुर्गों की सेहत के लिये परेशानी खड़ी कर कर सकता है, ठंड का यह मौसम अपने साथ हमेशा ही कुछ चुनौतियां और सेहत से जुड़े खतरे लेकर आता है, खासकर बुजुर्गों के लिये. वातावरण में काफी बदलाव होने की वजह से बुजुर्गों के लिये एक सामान्‍य जीवनशैली का पालन कर पाना मुश्किल हो जाता है.

बुजुर्ग जब युवा होते हैं तो उसकी तुलना में इस उम्र में बौडी हीट जल्‍दी खो देते हैं. शरीर में होने वाला बदलाव उम्र बढ़ने के साथ आता है, जिससे आपके लिये ठंड महसूस होना ज्‍यादा मुश्किल हो सकता है. इससे पहले कि बुजुर्ग व्‍यक्ति को कुछ पता चले कि आखिर क्‍या हो रहा है, बहुत ज्‍यादा ठंड खतरनाक समस्‍याओं में बदल सकता है.

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7. जानिए किन ब्लड ग्रुप के लोगों में है हार्ट अटैक की ज्यादा संभावना

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क्या आपको पता है कि आपका ब्लड ग्रुप इस बात की जानकारी देता है कि आपको दिल से संबंधित बीमारियां होंगी या नहीं? जी हां, आपका ब्लड ग्रुप ऐसी कई बातें बताता है. एक शोध के अनुसार जिन लोगों का ब्लड ग्रुप ‘A’, ‘B’ या ‘AB’ है, उन्हें दिल संबंधित बीमारी होने की संभावना अन्य से 9 फीसदी ज्यादा होती है. वहीं ‘O’ ब्लड ग्रुप के लोगों में ये खतरा तुलनात्मक रूप से कम होता है. शोध परिणामों से पता चला है कि ‘A’, ‘B’ या ‘AB’ ब्लड ग्रुप वाले लोगों में ये परेशानी विलेब्रांड के कारण है. विलेब्रांड एक तरह का प्रोटीन है, जो रक्त को जमा देता है.

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8. ..तो आने वाला है हार्ट अटैक

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हार्ट अटैक कभी भी अचानक आ सकता है, लेकिन कुछ लक्षण हैं, जो हार्ट अटैक के 1 महीने पहले नजर आने लगते हैं.  अगर आपको भी नजर आते हैं यह 6 लक्षण तो सावधान हो जाएं, क्योंकि आप हार्ट अटैक के शि‍कार हो सकते हैं. अभी जानिए इन लक्षणों को, ताकि हार्ट अटैक से बचा जा सके.

1. सीने में असहजता

यह दिल के दौरे के लिए जिम्मेदार लक्षणों में से एक है. सीने में होने वाली किसी भी प्रकार की असहजता आपको दिल के दौरे का शि‍कार बना सकती है. खास तौर से सीने में दबाव या जलन महसूस होना. इसके अलावा भी अगर आपको सीने में कुछ परिवर्तन या असहजता का अनुभव हो, तो तुरंत अपने चिकित्सक से सलाह लें.

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9. सेक्स के दौरान हार्टअटैक, जानें क्या है सच्चाई

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सेक्स के कारण दिल का धड़कना बंद हो जाए, यह दुर्लभ होता है. यूएसए टुडे की संवाददाता किम पेंटर का कहना है कि एक बड़ी शोध के अनुसार यह तथ्य सामने आया है कि सेक्स के दौरान या इसके बाद आमतौर पर हृदय गति रुकना बहुत कम अवसरों पर होता है और अगर ऐसा होता भी है तो यह आम तौर पर एक पुरुष के साथ ज्यादा होता है.

1 हजार महिलाओं में से किसी एक को तकलीफ…

शोध में बताया गया है कि एकाएक दिल की धड़कन रुकने के एक सौ मामलों में मात्र एक मामला सेक्स से जुड़ा होता है और एक हजार महिलाओं में से किसी एक को यह तकलीफ होती है. यह अध्ययन अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की वैज्ञानिक बैठक के दौरान पेश किया गया था. इस अध्ययन को जर्नल ऑफ द अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलाजी में प्रकाशित किया गया है.

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10. पेन किलर दवाइयों से बढ़ता है हार्टअटैक का खतरा

सामान्य दर्द निवारक दवाई डाइक्लोफेनेक का इस्तेमाल दिल का दौरा और आघात जैसी हृदय संबंधी प्रमुख बीमारियों के जोखिम को बढ़ा सकता है. एक नए अध्ययन में इस बात को लेकर आगाह किया गया है. एक अध्ययन में डाइक्लोफेनेक के उपयोग की तुलना कोई भी दवा का प्रयोग नहीं करने, पैरासिटामोल तथा अन्य पारंपरिक दवा निवारक दवाओं से करने के साथ की गई है.

पेन किलर के पैकेट पर हो जोखिम का उल्लेख

डेनमार्क स्थित आरहुस विश्वविद्यालय अस्पताल के शोधकर्ताओं ने बताया कि डाइक्लोफेनेक सामान्य बिक्री के लिए उपलब्ध नहीं होनी चाहिए और अगर यह बिकती है, तो उसके पैकेट के आगे के भाग पर इसके संभावित जोखिम का विस्तारपूर्वक उल्लेख किया जाना चाहिए. डाइक्लोफेनेक एक पारंपरिक नौन-स्टेरोयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग (एनएसएआईडी) होता है, जिसका इस्तेमाल दुनियाभर में बड़े पैमाने पर दर्द और सूजन के निवारण के लिए किया जाता है.

इस शोध में डाइक्लोफेनेक का इस्तेमाल शुरू करने वाले लोगों में हृदय रोग संबंधी जोखिम की तुलना अन्य एनएसएआईडी दवाइयों और पैरासिटामोल के इस्तेमाल करने वालों से की गई है.

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आगामी अतीत: भाग 2- आशीश को मिली माफी

एक दिन रात को उस की नींद खुली, प्यास महसूस हुई तो पानी पीने के लिए उठ गई. बगल में नजर पड़ी तो बिस्तर खाली था. मम्मी शायद बाथरूम गई होंगी, सोच कर वह पानी पी कर लेट गई. थोड़ी देर तक जब मम्मी वापस नहीं आईं तो उस ने बाथरूम में झांका, वहां कोई नहीं था. वह बाहर आई, बालकनी में मम्मी कुरसी पर बैठीं, चुपचाप अंधेरे को घूर रही थीं.

‘मम्मी, आप यहां बैठी हैं, नींद नहीं आ रही है क्या?’  वह भी कुरसी खींच कर उन की बगल में बैठ गई, ‘शादी की तैयारियों के कारण आप बहुत थक गई हैं…अपना खयाल रखिए…’

कह कर उस ने मम्मी की तरफ देखा, धुंधलाती चांदनी में उन की आंखों का गीलापन उस ने लक्ष्य कर लिया.

‘क्या हुआ? मम्मी, आप रो रही थीं,’ उस ने स्नेह से पूछा, ‘मैं विदा होने वाली हूं इसलिए?’ उन का मूड ठीक करने के लिए उस ने हलका सा परिहास किया, ‘लेकिन मेरे विदा होने की नौबत नहीं आएगी…या तो अमन विदा हो कर यहां आएगा या फिर आप मेरे साथ चलेंगी.’

मम्मी की आंखों की नमी बूंद बन कर गालों पर लुढ़क गई. वह कोमलता से उन के आंसू पोंछते हुए बोली, ‘मम्मी, क्या बात है?’

‘खुशी के आंसू हैं पगली…’ मम्मी हलका सा मुसकराईं, ‘हर लड़की विदा हो कर अपनी ससुराल जाती है. तू भी जाएगी. मैं तेरे साथ कैसे जा सकती हूं… मेरी शोभा तो अपने ही घर में रहने में है बेटा. यह तेरा मायका है. जबतब तू अपने मायके आएगी तो तेरे आने के लिए भी तो एक घर होना चाहिए. मेरे लिए तो यही खुशी की बात है कि तू इसी शहर में रहेगी और आतीजाती रहेगी.’

कहतेकहते मम्मी चुप हो गईं. वह साफ महसूस कर रही थी कि मम्मी अंधेरे में घूरते हुए अपने आंसू पीने का असफल प्रयास कर रही हैं.

‘मम्मी,’ वह धीरे से उन की हथेली अपने हाथों में ले कर सहलाती हुई बोली, ‘पापा की याद आ रही है न…’ कह कर उस ने मम्मी की प्रतिक्रिया देखने के लिए उन के चेहरे पर अपनी नजरें गड़ा दीं. पापा का नाम सुन कर हमेशा की तरह मम्मी इस बार भड़की नहीं, न ही कोई जवाब दिया, बस, चुपचाप अपने आंसू पोंछती रहीं.

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‘है न मम्मी…’ उन की तरफ से कोई जवाब नहीं आया. थोड़ी देर के लिए दोनों के बीच चुप्पी पसर गई.

‘मम्मी, एक बात कहूं?’ मम्मी ने अपनी प्रश्नवाचक नजरें उस के चेहरे पर गड़ा दीं.

‘फर्ज करो कि यदि आज पापा लौट आएं और अपने किए की माफी मांगें तो क्या आप उन्हें माफ कर देंगी?’

नाजुक समय था, कोमल मूड था सो बिना भड़के बेटी का गाल थपक कर बोलीं, ‘तू क्यों बेकार की बात सोचती है भावना…वह हमारे ही होते तो जाते ही क्यों…और आना ही होता तो अभी तक क्यों नहीं आए…इतने सालों बाद तू उस इनसान को क्यों याद कर रही है? बेटी, तेरी नई जिंदगी शुरू होने जा रही है…अमन अच्छा लड़का है, तू बहुत खुश रहेगी.’

‘मैं ही नहीं मम्मी, हम दोनों ही तो उन को याद कर रहे हैं…’

सुन कर मम्मी की आंखें एक बार फिर बरस गईं. फिर आंसू पोंछ कर बोलीं, ‘सोच रही थी भावना कि ऐसा कौन सा क्षण रहा होगा, मेरी तरफ से ऐसी कौन सी कमी रह गई होगी, जब आशीश का पैर फिसला…और उस क्षण का खमियाजा हम को ताउम्र भुगतना पड़ा…वरना तेरे पापा के व मेरे रिश्ते कड़वाहट भरे कभी नहीं रहे. हम अपने वैवाहिक जीवन से खुश थे. वह औरत अगर उन के जीवन में नहीं आई होती और तेरे पापा भटके नहीं होते तो आज हमारी जिंदगी कितनी खुशहाल होती और मेरी जिंदगी की शाम इतनी अकेली नहीं होती…कैसे कटेगी आगे की जिंदगी…जिंदगी की शाम में जीवनसाथी की कमी सब से अधिक खलती है भावना…याद रखना, तुम और अमन एकदूसरे के प्रति हमेशा ईमानदार रहना और इतने करीब रहना कि बीच में कोई तीसरा अपनी जगह बना ही न पाए.’

‘‘क्या सोच रही हैं डा. भावना, ड्यूटी का समय खत्म हो गया है, घर नहीं जाना है क्या?’’

डा. आर्या का स्वर सुन कर भावना वर्तमान में लौट आई. आंखें खोलीं तो देखा, उस की सहयोगी डा. आर्या उसे आश्चर्य से देख रही थी.

‘‘क्या बात है डा. भावना, आप रो रही थीं?’’

‘‘नहींनहीं, बस, ऐसे ही…कुछ पुरानी बातें याद आ गई थीं…’’ वह अपनी गीली आंखें पोंछती हुई बोली. उस ने अपना बैग खोल कर अंदर रखा कार्ड दोबारा देखा, उस परची को भी देखा जिस पर उस ने पापा का पता लिखा था और जिसे उस ने अस्पताल के रिकार्ड से हासिल किया था. बैग कंधे पर डाल कर वह बाहर निकल गई.

आशीश शर्मा का पता ढूंढ़तेढूंढ़ते जब भावना उन के घर पहुंची तो शाम गहरा रही  थी. धड़कते हृदय से उस ने घंटी बजा दी. अंदर की आवाज पास आती हुई लग रही थी. थोड़ी देर बाद दरवाजा खुल गया. आशीश शर्मा उसे आश्चर्य व खुशी से भौचक हो निहार रहे थे.

‘‘तुम…तुम डा. भावना हो न?’’

‘‘हां, पापा,’’ वह कठिनाई से बोल पाई. बरसों बाद पापा बोलने के लिए उसे काफी प्रयास करना पड़ा.

‘‘आओ…अंदर आओ, बेटी…’’ आशीश शर्मा की खुशी का वेग उन के हावभाव से संभल नहीं पा रहा था. शायद वह समझ नहीं पा रहे थे कि क्या करें और क्या न करें.

हृदय में उठते तूफान को थामते हुए हाथ का कार्ड पकड़ाते हुए वह बोली,   ‘‘यह मेरी शादी का कार्ड है. आप जरूर आइएगा.’’

‘‘तुम्हारी शादी हो रही है…’’ वह खुशी से बोले. फिर कार्ड पकड़ते हुए धीरे से बोले, ‘‘तुम्हारी मम्मी जानती हैं सबकुछ…’’

‘‘हां…’’ वह झूठ बोल गई, ‘‘आप जरूर आइएगा,’’ कह कर वह बिना एक क्षण भी रुके वापस मुड़ गई.

आशीश शर्मा अंदर आ गए, थके हुए से वह कुरसी में धंस गए.

भावना एक आशा की किरण उन के दिल में जगा कर गुम हो गई थी. वह ही जानते हैं कि अपने परिवार से बिछड़ कर वह कितना तड़पे हैं…अपनी बड़ी होती बेटी को देखने के लिए उन्होंने कितनी कोशिश नहीं की…कितना कोसा उन्होंने खुद को, जब वह दामिनी के चंगुल में फंस गए थे…कैसा जाल फेंका दामिनी ने उन्हें फंसाने के लिए…उन की पत्नी एक शांत नदी की तरह थी और दामिनी थी बरसाती उफनता नाला, जो अपने सारे कगारों को तोड़ कर उन की तरफ बढ़ता रहा और वह स्वयं भी उस में बह गए.

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उस समय तो बस, दामिनी को पाना ही जैसे उन का एकमात्र लक्ष्य रह गया था. क्यों इतना आकर्षित हो गए थे वह उस समय दामिनी की तरफ…दामिनी की तड़कभड़क, अपने में समा लेने वाले उद्दाम सौंदर्य के पीछे वह उस की चरित्रहीनता और बददिमागी को नहीं देख पाए.

दामिनी के सामने उन्हें अपनी शांत सौम्य पत्नी बासी व श्रीहीन लगी थी. लगा, उस के साथ जीने में कोई मजा ही नहीं है. एकरस दिनचर्या…तनमन का एकरस साथ…तब नहीं समझा अपनी सीमाओं में रहने वाली नदी की तरह ही उन की पत्नी ने भी उन के जीवन को व उन के परिवार को सीमाओं में बांधा हुआ है.

दामिनी का साथ बहुत लंबे समय तक नहीं रह पाया. शुरू में तो वह दामिनी के सौंदर्य के सागर में डूब गए, लेकिन दामिनी के रूप का तिलिस्म अधिक नहीं रह पाया. धीरेधीरे प्याज के छिलकों की तरह परत दर परत दामिनी का असली चेहरा उन के सामने खुलने लगा. अपनी जिस तनख्वाह में पत्नी व बेटी के साथ वह सुखमय जीवन व्यतीत कर रहे थे, उसी तनख्वाह में दामिनी के साथ गृहस्थी की गाड़ी खींचना मुश्किल ही नहीं दूभर हो रहा था. उस के सैरसपाटे, बनावशृंगार व साडि़यों के खर्चे से वह परेशान हो गए थे. बात इतनी ही होती तो भी ठीक था. दामिनी परले दर्जे की झगड़ालू व बददिमाग थी. उन को हर पल दामिनी की  तुलना में ज्योत्स्ना याद आ जाती. धीरेधीरे उन के बीच की दूरियां बढ़ने लगीं. वह कब, कहां और क्यों जा रही है यह पूछना भी उन के बस की बात नहीं रह गई थी. पति की तरह वह उस पर कोई भी अधिकार नहीं रख पा रहे थे.

वे दोनों लगभग 5 साल तक एकसाथ रहे. इन 5 सालों में वह इस बात को अच्छी तरह समझ गए थे कि दामिनी के जीवन में फिर कोई आ गया है. वह उस को रोकना चाह कर भी रोक नहीं पाए या फिर शायद उन्होंने रोकना ही नहीं चाहा. तब पहली बार नकारे जाने का दर्द उन की समझ में आया था. सामाजिक मानमर्यादा के लिए इतने सालों तक वह किसी तरह दामिनी से बंधे रहे थे, लेकिन जब दामिनी ने उन्हें खुद ही छोड़ दिया तो उन्होंने भी रिश्ते को बचाने की कोई कोशिश नहीं की…दामिनी ने उन्हें तलाक दे दिया.

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नव प्रभात: भाग 1- क्या था रघु भैया के गुस्से का अंजाम

‘‘कहां मर गई हो, कितनी देर से आवाज लगा रहा हूं. जिंदा भी हो या मर गईं?’’ रघुवीर भैया एक ही गति से निरंतर चिल्ला रहे थे.

‘‘क्या चाहिए आप को?’’ गीले हाथ पोंछते हुए इंदु कमरे में आ कर बोली.

‘‘मेरी जुराबें कहां हैं? सोचा था, पढ़ीलिखी बीवी घर भी संभालेगी और मेरी सेवा भी करेगी, लेकिन यहां तो महारानीजी के नखरे ही पूरे नहीं होते. सुबह से साजशृंगार यों शुरू होता है जैसे किसी कोठे पर बैठने जा रही हो,’’ कितनी देर तक भुनभुनाते रहे.

थोड़ी देर बाद फिर चीखे, ‘‘नाश्ता तैयार है कि होटल से मंगवाऊं?’’

इंदु गरमगरम परांठे ले आई. तभी ऐसा लगा, जैसे कोई चीज उन्होंने दीवार पर दे मारी हो. शायद कांच की प्लेट थी.

‘‘पूरी नमक की थैली उड़ेल दी है परांठे में. आदमी भूखा चला  जाए तो ठूंसठूंस कर खाएगी खुद.’’

‘‘अच्छा, सादा परांठा ले आती हूं,’’ इंदु की आवाज में कंपन था.

‘‘नहीं चाहिए, कुछ नहीं चाहिए. अब शाम को मैं इस घर में आऊंगा ही नहीं.’’

‘‘कैसी बातें कर रहे हैं आप? यों भूखे घर से जाएंगे तो मेरे गले से तो एक निवाला भी नहीं उतरेगा.’’

‘‘मरो जा कर,’’ उन्होंने तमाचा इंदु के गाल पर रसीद कर दिया और पिछवाड़े का दरवाजा खोल कर गाड़ी यों स्टार्ट की जैसे किसी जंग पर जाना हो. ऐसे मौके पर अकसर वे गाड़ी तेज गति से ही चलाते थे.

अम्माजी सहित पूरा परिवार सिमट आया था आंगन में. नन्हा सौरभ मेरे पल्लू से मुंह छिपाए खड़ा था. अकसर रघुवीर भैया की चीखें सुन कर परिवार के सदस्य तो क्या, आसपड़ोस के लोग भी जमा हो जाते. पर क्या मजाल जो कोई एक शब्द भी कह जाए.

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एक बार फिर आशान्वित नजरों से मैं ने दिवाकर की ओर देखा था. शायद कुछ कहें. पर नहीं, अपमान का घूंट पीना उन्हें भली प्रकार आता था. उधर, अम्माजी को देख कर यों लगता जैसे तिरस्कृत होने के लिए यह बेटा पैदा किया था.

चिढ़ कर मैं ने ही मौन तोड़ा, ‘‘एक दिन आप का भाई उस भोलीभाली लड़की को जान से मार डालेगा लेकिन आप लोग कुछ मत कहिएगा? न जाने इतना अन्याय क्यों सहा जाता है इस घर में?’’

क्रोध से मेरी आवाज कांप रही थी. उधर, इंदु सिसक रही थी. मैं सोचने लगी, अब शाम तक यों ही वह भूखीप्यासी अपने कमरे में लेटी रहेगी. और रघुवीर भैया शाम को लौटेंगे जैसे कुछ हुआ ही न हो.

एक बार मन में आया, उस के कमरे में जा कर प्यार से उस का माथा चूम लूं, सहानुभूति के चंद बोल आहत मन को शांत करते हैं. पर इंदु जैसी स्वाभिमानी स्त्री को यह सब नहीं भाता था. होंठ सी कर मंदमंद मुसकराते रहना उस का स्वभाव ही बन गया था. क्या मजाल जो रघु भैया के विरोध में कोई कुछ कह जाए.

ब्याह कर के जब घर में आई थी तो बड़ा ही अजीब सा माहौल देखा था मैं ने. रघुवीर भैया और दिवाकर दोनों जुड़वां भाई थे, पर कुछ पलों के अंतराल ने दिवाकर को बड़े भाई का दरजा दिलवा दिया था. शांत, सौम्य और गंभीर स्वभाव के कारण ही दिवाकर काफी आकर्षक दिखाई देते थे.

उधर, रघुवीर उग्र स्वभाव के थे. कोई कार्य तो क्या, शायद पत्ता भी उन की इच्छा के विरुद्ध हिल जाता तो यों आंखें फाड़ कर चीखते मानो पूरी दुनिया के स्वामी हों. अम्माजी और दिवाकर उन्हें नन्हे बालक के समान पुचकारते, सफाई देते, लेकिन वे तो जैसे ठान ही चुके होते थे कि सामने वाले का अनादर करना है.

अम्माजी तब अपने कमरे में सिमट जाया करती थीं और बदहवास से दिवाकर घर छोड़ कर बाहर चले जाते. मैं अपने कमरे में कितनी देर तक थरथर कांपती रहती थी. उस समय क्रोध अपने पति और अम्माजी पर ही आता था, जिन्होंने उन पर अंकुश नहीं रखा था. तभी तो बेलगाम घोडे़ की तरह सरपट भागते जाते थे.

एक दिन मैं ने दिवाकर से खूब झगड़ा किया था. खूब बुराभला कहा था रघु भैया को. दिवाकर शांत रहे थे. गंभीर मुखमुद्रा लिए अपने चेहरे पर मुसकान बिखेर कर बोले, ‘‘शालू, रघु की जगह अगर तुम्हारा भाई होता तो तुम क्या करतीं? क्या ऐसे ही

कोसतीं उसे?’’

‘‘सच बताऊं, मैं उस से संबंधविच्छेद ही कर लेती. हमारे परिवार में बच्चों को ऐसे संस्कार दिए जाते हैं कि वे बड़ों का अनादर कर ही नहीं सकते,’’ क्रोध के आवेग में बहुतकुछ कह गई थी. जब चित्त थोड़ा शांत हुआ तो खुद को समझाने बैठ गई कि मेरे पति भी इसी परिवार के हैं, कभी दुख नहीं पहुंचाया उन्होंने किसी को. फिर रघु भैया का व्यवहार ऐसा क्यों है?

एक दिन, अम्माजी ने अखबार रद्दी वाले को बेच दिए थे. रघु भैया को किसी खास दिन का अखबार चाहिए था. टूट पड़े अम्माजी पर. दिवाकर ने उन्हें शांत करते हुए कहा, ‘आज ही दफ्तर की लाइब्रेरी से तुम्हें अखबार ला दूंगा.’

पर रघु भैया की जबान एक बार लपलपाती तो उसे शांत करना आसान नहीं होता था. गालियों की बौछार कर दी अम्मा पर. वे पछाड़ खा कर गिर पड़ी थीं.

दिवाकर अखबार लेने चले गए और मैं डाक्टर को ले आई थी. तब तक रघु भैया घर से जा चुके थे. डाक्टर अम्माजी को दवा दे कर जा चुके थे. मैं उन के सिरहाने बैठी अतीत की स्मृतियों में खोती चली गई. कैसे हृदयविहीन व्यक्ति हैं ये? संबंधों की गरिमा भी नहीं पहचानते.

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दिन बीतते गए. रघु भैया के विवाह के लिए अम्माजी और दिवाकर चिंतित थे. दिवाकर अपने भाई के लिए संपन्न घराने की सुंदर व सुशिक्षित कन्या चाहते थे. अम्माजी चाह रही थीं, मैं अपने मायके की ही कोई लड़की यहां ले आऊं. पर मुझे तो रघु भैया का स्वभाव कभी भाया ही नहीं था. जानबूझ कर दलदल में कौन फंसे.

एक दिन दिवाकर मुझ से बोले, ‘शालू, रघु के लिए कोई लड़की देखो.’

मैं विस्मय से उन का चेहरा निहारने लगी थी.  समझ नहीं पा रही थी, वे वास्तव में गंभीर हैं या यों ही मजाक कर रहे हैं. रघु भैया के स्वभाव से तो वही स्त्री सामंजस्य स्थापित कर सकती थी जिस में समझौते व संयम की भावना कूटकूट कर भरी हो. घर हो या बाहर, आपा खोते एक पल भी नहीं लगता था उन्हें. मैं हलकेफुलके अंदाज में बोली, ‘ब्याह भले कराओ देवरजी का पर उस स्थिति की भी कल्पना की है तुम ने कभी, जब वे पूरे वातावरण को युद्धभूमि में बदल देते हैं. मैं तो डर कर तुम्हारी शरण में आ जाती हूं पर उस गरीब का क्या होगा?’

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नव प्रभात: भाग 2- क्या था रघु भैया के गुस्से का अंजाम

मैं ने बात सहज ढंग से कही थी पर दिवाकर गंभीर थे. मेरे दृष्टिकोण का मानदंड चाहे जो भी हो पर दिवाकर के तो वे प्रिय भाई थे और अम्माजी के लाड़ले सुपुत्र.

दोनों की दृष्टि में उन का अपराध क्षम्य था. वैसे लड़का सुशिक्षित हो, उच्च पद पर आसीन हो और घराना संपन्न हो तो रिश्तों की कोई कमी नहीं होती. कदकाठी, रूपरंग व आकर्षक व्यक्तित्व के तो वे स्वामी थे ही. मेरठ वाले दुर्गाप्रसाद की बेटी इंदु सभी को बहुत भायी थी.

मैं सोच रही थी, ‘क्या देंगे रघु भैया अपनी अर्धांगिनी को? उन के शब्दकोश में तो सिर्फ कटुबाण हैं, जो सर्पदंश सी पीड़ा ही तो दे सकते हैं. भावों और संवेदनाओं की परिभाषा से कोसों दूर यह व्यक्ति उपेक्षा के नश्तर ही तो चुभो सकता है.’

इंदु को हमारे घर आना था. वह आई भी. 2 भाइयों की एकलौती बहन. इतना दहेज लाई कि अम्माजी पड़ोसिनों को गिनवागिनवा कर थक गई थीं. अपने साथ संस्कारों की अनमोल धरोहर भी वह लाई थी. उस के मृदु स्वभाव ने सब के मन को जीत लिया. मुझे लगा, देवरजी के स्वभाव को बदलने की सामर्थ्य इंदु में है.

विवाह के दूसरे दिन स्वागत समारोह का आयोजन था. दिवाकर की वकालत खूब अच्छी चलती थी. संभ्रांत व आभिजात्य वर्ग में उन का उठनाबैठना था. रघु भैया चार्टर्ड अकाउंटैंट थे. निमंत्रणपत्र बांटे गए थे. ऐसा लग रहा था, जैसे पूरा शहर ही सिमट आया हो.

इंदु को तैयार करने के लिए ब्यूटीशियन को घर पर बुलाया गया था. लोगों का आना शुरू हो गया था. उधर इंदु तैयार नहीं हो पाई थी. रघु भीतर आ गए थे. क्रोध के आवेग से बुरी तरह कांप रहे थे. सामने अम्माजी मिल गईं तो उन्हें ही धर दबोचा, ‘कहां है तुम्हारी बहू? महारानी को तैयार होने में कितने घंटे लगेंगे?’

मैं उन का स्वभाव अच्छी तरह जानती थी, बोली, ‘ब्यूटीशियन अंदर है. बस 5 मिनट में आ जाएगी.’

पर उन्हें इतना धीरज कहां था. आव देखा न ताव, भड़ाक से कमरे का दरवाजा खोल कर अंदर पहुंच गए. शिष्टाचार का कोई नियम उन्हें छू तक नहीं गया था. ब्यूटीशियन को संबोधित कर आंखें तरेरीं, ‘अब जूड़ा नहीं बना, चुटिया बन गई तो कोई आफत नहीं आ जाएगी. गंवारों को समय का ध्यान ही नहीं है. यहां अभी मेहंदी रचाई जा रही है, अलता लग रहा है, वहां लोग आने लगे हैं.’

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अपमान और क्षोभ के कारण इंदु के आंसू टपक पड़े थे. वह बुरी तरह कांपने लगी थी. मैं भाग कर दिवाकर को बुला लाई थी. भाई को शांत करते हुए वे बोले, ‘रघु, बाहर चलो. तुम्हारे यहां खड़े रहने से तो और देर हो जाएगी.’

‘मैं आप की तरह नहीं जो बीवी को सिर पर चढ़ा कर रखूं. मेरे मुंह से निकला शब्द पत्थर की लकीर होता है.’

दिवाकर में न जाने कितना धीरज था जो अपने भाई का हर कटु शब्द शिरोधार्य कर लेते थे. मुझे तो रघु भैया किसी मानसिक रोगी से कम नहीं लगते थे.

जैसेतैसे तैयार हो कर नई बहू जनवासे में पहुंच गई. लेकिन ऐसा लग रहा था मानो उस ने उदासी की चादर ओढ़ी हुई हो. बाबुल का अंगना छोड़ कर ससुराल में आते ही पिया ने कैसा स्वागत किया था उस का.

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हंसीखुशी के माहौल में सब काम सही तरीके से निबट गए. दूसरे दिन वे दोनों कश्मीर के लिए चल दिए थे. वहां जा कर इंदु ने हमें पत्र लिखा. ऐसा लगा, जैसे अपने मृदु व कोमल स्वभाव से हमसब को अपना बनाना चाह रही हो. शुष्क व कठोर स्वभाव के रघु भैया तो उसे ये औपचारिकताएं सिखाने से रहे. उन्हें तो अपनों को पराया बनाना आता था.

उस दिन रविवार था. हमसब शाम को टीवी पर फिल्म देख रहे थे. दरवाजे की घंटी बजाने का अंदाज रघु भैया का ही था. द्वार पर सचमुच इंदु और रघु भैया ही थे.

इंदु हमारे बीच आ कर बैठ गई. हंसती रही, बताती रही. रघु भैया अपने परिजनों, स्वजनों से सदैव दूर ही छिटके रहते थे.

मैं बारबार इंदु की उदास, सूनी आंखों में कुछ ढूंढ़ने का प्रयास कर रही थी. बात करतेकरते अकसर वह चुप हो जाया करती थी. कभी हंसती, कभी सहम जाती. न जाने किस परेशानी में थी. मुझे कुछ भी कुरेदना अच्छा नहीं लगा था.

दूसरे दिन से इंदु ने घर के कामकाज का उत्तरदायित्व अपने ऊपर ले लिया था. मेरे हर काम में हाथ बंटाती. अम्माजी की सेवा में आनंद मिलता था उसे. रघु भैया के मुख से बात निकलती भी न थी कि इंदु फौरन हर काम कर देती.

एक बात विचारणीय थी कि पति के रौद्र रूप से घबरा कर वह उस के पास पलभर भी नहीं बैठती थी. हमारे साथ बैठ कर वह हंसती, बोलती, खुश रहती थी लेकिन पति के सान्निध्य से जैसे उसे वितृष्णा सी होती थी.

कई बार जब पति का तटस्थ व्यवहार देखती तो उन्हें खींच कर सब के बीच लाना चाहती, लेकिन वे नए परिवेश में खुद को ढालने में असमर्थ ही रहते थे.

सुसंस्कृत व प्रतिष्ठित परिवार में पलीबढ़ी औरत इस धुरीविहीन, संस्कारविहीन पुरुष के साथ कैसे रह सकती है, मैं कई बार सोचती थी. इस कापुरुष से उसे घृणा नहीं होती होगी? वैसे उन्हें कापुरुष कहना भी गलत था. कोई सुखद अनुभूति हुई तो जीजान से कुरबान हो गए, मगर दूसरी ओर से थोड़ी लापरवाही हुई या जरा सी भावनात्मक ठेस पहुंची तो मुंह मोड़ लिया.

एक बार दिवाकर दौरे पर गए हुए थे. मैं अपने कमरे में कपड़े संभाल रही थी कि देवरजी की बड़बड़ाहट शुरू हो गई. कुछ ही देर में चिंगारी ने विस्फोट का रूप ले लिया था. उन के रजिस्टर पर मेरा बेटा आड़ीतिरछी रेखाएं खींच आया था. हर समय चाची के कमरे में बैठा रहता था. इंदु को भी तो उस के बिना चैन नहीं था.

‘बेवकूफ ने मेरा रजिस्टर बरबाद कर दिया. गधा कहीं का…अपने कमरे में मरता भी तो नहीं,’ रघु भैया चीखे थे.

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इंदु ने एक शब्द भी नहीं कहा था. क्रोध में व्यक्ति शायद विरोध की प्रतीक्षा करता है, तभी तो वार्त्तालाप खिंचता है. आगबबूला हो कर रघु पलंग पर पसर गए.

अचानक पलंग से उठे तो उन्हें चप्पलें नहीं मिलीं. पोंछा लगाते समय रमिया ने शायद पलंग के नीचे खिसका दी थीं. रमिया तो मिली नहीं, सो उन्होंने पीट डाला मेरे बेटे को.

इंदु ने उस के चारों तरफ कवच सा बना डाला, पर वे तो इंदु को ही पीटने पर तुले थे. मैं भाग कर अपने बेटे को ले आई थी. पीठ सहलाती जा रही और सोचती भी  जा रही थी कि क्या सौरभ का अपराध अक्षम्य था. किसी को भी मैं ने कुछ नहीं कहा था. चुपचाप अपने कमरे में बैठी रही.

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