सार्कोमा कैंसर: घबराएं नहीं करवाएं इलाज

आज हम इतने अधिक बिजी हैं कि खुद का ध्यान ही नहीं रख पाते हैं. ऐसे में अनजाने में अनेक बीमारियों की गिरफ्त में आते हैं. फिर चाहे बात हो उसमें कैंसर जैसी घातक बीमारी की. बता दें कि  दुनिया भर में वर्ष 2020 में 10 मिलियन के करीब लोगों की मृत्यु का कारण विभिन्न तरह के  कैंसर हैं. क्योंकि हम खुद का ध्यान नहीं रखने के कारण शुरुवाती लक्षणों को इग्नोर जो कर देते हैं और जब स्तिथि हमारे हाथ से निकल जाती है तब तक जान पर आ बनती है. आपको बता दें कि  सार्कोमा कैंसर भले ही आम नहीं है. लेकिन ये तेजी से बढ़ने वाला कैंसर है. इसलिए समय रहते इसके लक्षणों को पहचान कर इलाज करवाने की जरूरत होती है. आइए जानते हैं इस बारे में मणिपाल होस्पिटल के कंसल्टेंट ओर्थोपेडिक ओंको सर्जन डाक्टर श्रीमंत बी एस से.

क्या है सार्कोमा कैंसर

सोफ्ट टिश्यू सार्कोमा एक प्रकार का कैंसर है, जो शरीर के चारों और मौजूद टिश्यू में हो जाता है. इसमें मांसपेशियों , वसा , रक्त वाहिकाओं, तंत्रिकाओं के साथसाथ जोइंट्स भी शामिल होते हैं. वयस्कों की तुलना में इस बीमारी की चपेट में सबसे ज्यादा बच्चे व उसके बाद युवा आते हैं. और ये कैंसर तब और अधिक घातक हो जाता है, जब ये अंगों में फैलना शुरू हो जाता है. इसलिए इसके लक्षण नजर आते ही तुरंत डाक्टर को दिखाना चाहिए, वरना ये जानलेवा भी साबित हो सकता है.

कब होता है 

वैसे तो इसके किसी खास कारण के बारे में नहीं पता है. लेकिन ये आमतौर पर तब होता है , जब कोशिकाएं डीएनए के भीतर विकसित होने लगती हैं .

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कैसे पहचाने  

– हड्डियों में दर्द होना, खासकर के रात के समय. जिसके कारण सोने में दिक्कत महसूस होना.

–  सूजन के साथ बड़े आकार की गांठ बनने लगती है, जो तेजी से बढ़ती जाती है.

– चलते समय सामान्य से गिरने या जख्म के कारण हड्डी का टूटना.

– पेशाब के साथ कई बार ब्लड का आना.

– पेट में बहुत तेज दर्द होना.

– उल्टी जैसी फीलिंग होना.

– हड्डियों में दर्द होना.

अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दे तो तुरंत डाक्टर को दिखाएं , ताकि जरूरी जांच से बीमारी के बारे में पता लगाकर समय पर इलाज शुरू किया जा सके.

हड्डियों के कैंसर कितने प्रकार के होते हैं

ये निर्म प्रकार के होते हैं –

– ओस्टोओसाकोमा

– इविंगज़ सार्कोमा

– कोंड्रोसार्कोमा

– एडमोंटीनोमा

हड्डियों के कैंसर के निदान के लिए कौन से टेस्ट्स

– एक्सरे (प्लेन रेडियोग्राफ )

– ब्लड टेस्ट्स

– एमआरआई या सिटी स्कैन

– बायोसपी

– होल बोडी स्कैन.

कौनकौन से उपचार उपलब्ध हैं – 

सबसे पहले कैंसर की स्टेज व कैंसर के टाइप को देखकर डॉक्टरों की टीम इलाज शुरू करती है. इसके उपचार के लिए कीमोथेरेपी, सर्जरी या रेडियोथेरेपी का सहारा लिया जाता है. बता दें कि 10 पर्सेंट से अधिक हड्डियों के कैंसर के मामले में लिम्ब सालवेज सर्जरी से उपचार किया जाता है. इससे अवयव यानि अंग बच सके. वहीं बाकि उपायों से भी उस गांठ को निकाला जाता है. ताकि व्यक्ति फिर से सामान्य जीवन जी सके.

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सर्जरी या ट्रीटमेंट के दौरान–  

किन बातों का रखें खयाल 

– नियमित जांच के साथ हर 3 – 6 महीने के अंतराल में स्कैन.

– अपनी डाइट का खास खयाल रखना.

– डाक्टर द्वारा दिए गए सभी निर्देशों का पालन करना.

– कोई भी लक्षण दिखाई देने पर डाक्टर से संपर्क करना.

– दवाओं को सही समय पर लेना.

– शरीर पर भार पड़ने वाली किसी भी एक्टिविटी से थोड़े समय तक दूरी बना कर रखना.

– ट्रीटमेंट के दौरान या सर्जरी के बाद बिना पूछे किसी भी दवा का सेवन नहीं करना.

निजता के अधिकार पर सरकार

आप अपने घर की चारदीवारी में क्या हैं, कैसे रहते हैं, क्या पढ़ते हैं, क्या जमा करते हैं, क्या पहनते हैं, क्या खाते हैं, ये सब बातें समाज ही नहीं सदियों से सामाजिक वैज्ञानिक और कानूनी विशेषज्ञ कहते रहे कि आप का अधिकार है. एक घर चाहे जितना कमजोर हो, दरवाजा कितना ही पापड़ सा हो, छत कितनी ही पतली हो, सरकार कानून व समाज की दृष्टि से आपका किया है, एक अभेद किला.

अफसोस की बात है कि बहुत से लोग इस किले के राज को राज रखना नहीं जानते और आज यह आम है कि पुलिस वाले जब चाहे घरों में घुस कर कैसे रहते हैं, क्या करते हैं जानने का हक रखने की बात करते हैं.

अपने राज्यों के प्रति…..न रहने का एक कारण अपने निजी क्षणों, अपने कमरे, अपने रहनसहन के फोटो फेसबुक, व्हाट्सएप पर बांटना है. आज मैं ने पो……विद खास खाया दिखाने के लिए अपनी क्रोकरी दिखाते हैं और आज नई साड़ी पहनी दिखाने के लिए चोरी ड्रेस नायाब का फोटो डालते हैं. शौर्य वीडियो प्लेटफौर्सों पर तो घरों के दोनों दुनिया भर के लिए खोल दिए गए हैं. लोगों को अपनी निजता के अधिकार की लेथ भर की ङ्क्षचता नहीं रह गई. जराजरा सी बात पर वीडियो काल कर के लड़कियां अपने कमरे की पूरी ज्योग्रौफी दुनिया में बांट देती हैं. आप का किला शीशे का बन कर गया है जिस की सारी खिड़कियां परदे खुले हुए हैं.

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यही आदत आज निजता के अधिकार को खत्म कर रही है. उत्पादक ही नहीं सरकार भी हर नागरिक का पूरा प्रोफाइल बनाने में लगी हुई है. दुनिया भर में लोगों को चेहरों से पहचानने की तकनीक तो ढूंढी जा रही है, उन के बाथरूम तक कैमरों की नजरों में रिकार्ड हो रहे हैं और अमेरिका के विधन डेरा सेंटरों में जमा हो रहे हैं.

आप अगर कानूनबद्ध नागरिक हैं तो आप को किसी बात की ङ्क्षचता नहीं पर यदि किसी उत्पादक को मालूम हो जाए कि आप जनाडू शैंपू इस्तेमाल करती हैं तो आप की जान खा सकता है कि उस का फिनाडू थैंपू खरीदें, आप चाहे एक चीज को खरीद लेते हैं ताकि हल्ले से तो बच सकें. यह निजता का हल है.

इस अधिकार पर दुनिया भर की अदालतों ने लंबेलंबे फैसले दिए हैं और पुलिस यह जानकर कि आप खुद अपनी निजता के हक की ङ्क्षचता नहीं कर रहे, जरा सी बात पर आप का पूरा घर छान सकती है. सैंकड़ों छापों में से केवल इक्कादुक्का के घरों से कुछ आपत्ति जनक मिलता है पर चूंकि लोग अपनी निजता के हक को खो चुके हैं, वे चूं नहीं कर रहे.

एक सक्षम समाज वह है जिस में नागरिक अपने हकों के प्रति सचेत हैं. अपना व्हाट्सएप गु्रप बनाइए, अपने लिए एप डाउनलोड करिए पर अपने राज जाहिर न होने दें. याद रखिए ये लोग अपने ही हर बात जान लेंगे तो कभी भी आप के दुश्मन के हाथों में भी पड़ सकती है.

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Monsoon Special: बच्चों के लिए बनाएं टेस्टी वड़ा पाव

अगर आप मौनसून में बच्चों के लिए टेस्टी और हेल्दी रेसिपी बनाना चाहती हैं तो आज हम आपक वड़ा पाव की रेसिपी बताएंगे. मुंबई में वड़ा पाव औल टाइम फेवरेट फूड है, जिसे हर कोई पसंद करता है.

बनाने के लिए

–  7-8 लहसुन की कलियां

–  4-5 हरीमिर्चें

–  3-4 आलू उबले हुए

–  1/4 कप औयल

–  1 बड़ा चम्मच सरसों

–  1/4 छोटा चम्मच हींग

–  करी पत्ता

–  1/2 छोटा चम्मच हलदी पाउडर

–  थोड़ी सी धनियापत्ती कटी हुई

–  नमक स्वादानुसार.

बनाने के लिए बैटर की

–  1 कप बेसन

–  1/2 छोटा चम्मच हलदी पाउडर

–  1/4 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर

–  नमक स्वादानुसार.

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बनाने के लिए मिर्च फ्राई की

–  5-6 बीच से कटी हुई मिर्चें

–  फ्राई करने के लिए औयल.

बनाने के लिए वड़ा पाव चटनी की

–  2 बड़े चम्मच औयल

–  1/2 कप मूंगफली

–  4-5 लहसुन की कलियां

–  1/2 कप फ्राइड बेसन बैटर क्रंब्स

–  2 बड़े चम्मच लालमिर्च पाउडर

–  फ्राई करने के लिए औयल

–  नमक स्वादानुसार.

बनाने का तरीका

एक पैन में तेल गरम कर के उस में सरसों, हींग, करीपत्ता, लहसुन, हरीमिर्च, हलदी और आलू डाल कर अच्छी तरह मिलाएं. फिर इस में नमक और धनियापत्ती डाल कर अच्छी तरह मिलाते हुए एक तरफ ठंडा होने के लिए रख दें.

विधि बैटर की

एक बाउल में भुना बेसन, हलदी, लालमिर्च पाउडर, नमक और जरूरत के हिसाब से पानी डाल कर अच्छी तरह मिलाएं.

विधि वड़ा पाव की

एक पैन में तेल गरम कर उस में हरीमिर्च व लहसुन डाल कर अच्छी तरह फ्राई करें. फिर एक पैन गरम कर उस में औयल, मूंगफली, लहसुन, फ्राइड बेसन बैटर क्रंब्स, लालमिर्च पाउडर व नमक डाल कर ग्राइंडर में डाल कर दरदरा पेस्ट तैयार करें. फिर आलू मिक्स्चर से मीडियम साइज की बौल्स बनाते हुए उन्हें बेसन के बैटर में लपेटें और तेल में सुनहरा होने तक फ्राई करें. फ्राइड चिली और मूंगफली की चटनी के साथ सर्व करें.

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मौनसून के मौसम में त्वचा में संक्रमण, चेहरे की त्वचा का फटना, शरीर पर चकत्ते पड़ना, पैरों या नाखूनों पर फंगस होना आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है. पेश हैं, इन सब समस्याओं से बचने के उपाय:

1. त्वचा को शांत करने के लिए क्लींजिंग, टोनिंग और फिर मौइस्चराइजिंग जरूरी है. बालों को घुंघराले होने और सूखेपन से बचाने के लिए उन्हें पौष्टिकता प्रदान करना आवश्यक है.

2. घर से बाहर जाने से पहले बालों पर ऐंटीपौल्यूशन स्प्रे का प्रयोग करें. त्वचा को भी सुरक्षित रखना आवश्यक है, इसलिए सनस्क्रीन, ऐलोवेरा जैल और अन्य स्किन प्रोटैक्टर्स जो आप की त्वचा पर सुरक्षात्मक परत बना कर त्वचा संबंधी समस्याओं से बचाते हैं, का प्रयोग कर सकती हैं. ये स्किन प्रोटैक्टर्स आप की त्वचा के रोमछिद्रों को 6-7 घंटों के लिए बंद कर देते हैं और प्रदूषण से होने वाले नुकसान को नियंत्रित करने में मदद करते हैं.

3. त्वचा को हाइड्रेटेड और रिजुविनेट रखने के लिए नियमित रूप से ऐक्सफौलिएशन और स्क्रबिंग करना तथा ग्लो पैक लगाना भी आवश्यक है. आप जब घर से बाहर निकलती हैं तो जहरीले प्रदूषकों का सामना करने के लिए घर में बने पैक का प्रयोग करना भी अच्छा रहता है.

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4. मौनसून के मौसम में भीगने से बाल अनहैल्दी और गंदे हो जाते हैं, क्योंकि बारिश के पानी में अनेक प्रकार के कैमिकल्स और विषैले तत्त्व मिले होते हैं. ऐसे में अच्छे शैंपू और कंडीशनर का प्रयोग करें. ये बालों के शौफ्ट बनाए रखते हैं और उन की नमी को बाहर नहीं जाने देते. बालों की तेल से नियमित मालिश करना भी बेहद जरूरी है, क्योंकि बरसात के दौरान वातावरण में नमी की मात्रा काफी अधिक होती है, जो बालों की जड़ों को बंद कर देती है.

5.  तेल लगाने के बाद भी बालों की स्टीमिंग और मास्किंग की जानी चाहिए. यदि आप घर पर ही मास्क तैयार करना चाहती हैं तो सब से अच्छा विकल्प है ऐवोकाडो के साथ केला, जैतून का तेल या अांवला, रीठा और शिकाकाई जैसी सामग्री का प्रयोग करना. नियमित अंतराल में बालों में कंघी करें.

6.  मौनसून के दौरान सिंथैटिक या टाइट कपड़े न पहनें. ढीले और सूती कपड़े पहनें वरना आप को स्किन इन्फैक्शन और चकत्ते पड़ने जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. सब से महत्त्वपूर्ण बात यह है कि अपनी त्वचा पर सभी कीटाणुनाशक उत्पादों जैसे साबुन, पाउडर, बौडी लोशन आदि का प्रयोग करें जो नमी और शरीर से पसीना आने के दौरान भी त्वचा को सभी प्रकार के संक्रमणों से बचाने में मदद करते हैं.

7.  मुंहासों और चकत्तों को रोकने के लिए चेहरे को हमेशा साफ रखें. अधिक औयली मेकअप प्रोडक्ट्स का प्रयोग न करें. आप के मेकअप प्रोडक्ट्स पाउडर या मिनरल बेस्ड होने चाहिए जो स्किन के लिए फ्रैंडली होते हैं. इस के अलावा अच्छी गुणवत्ता वाले मेकअप उत्पादों का ही प्रयोग करें, क्योंकि आप की त्वचा हाई टैंपरेचर और नमी के कारण जल्दी इन्फैक्शन का शिकार हो जाती है.

8.  फास्ट फूड या अनहैल्दी खाना न खाएं. यदि आप फास्ट फूड खाना ही चाहती हैं या खाने को मजबूर हैं तो आप को यह तय करना चाहिए कि आप का खाना ताजा और गरम हो. पहले से पका खाना बिलकुल न खाएं.

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9.  अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए प्रतिदिन 10-12 गिलास पानी जरूर पीएं ताकि शरीर में मौजूद विषैले पदार्थ पेशाब के द्वारा बाहर निकल सकें. शरीर को साफ रखें. इस के लिए सुबह और शाम दोनों समय स्नान करें.

Family Story In Hindi: मन्नो बड़ी हो गई है- भाग 2

लेखक- डा. मनोज श्रीवास्तव

पर नहीं, तब मम्मी ठीक ही कहती थीं. समझ शादी के बाद ही आती है. महेश के प्यारभरे दो शब्द सुन कर मेरे हाथ तेजी से चलने लगते हैं. वरना दिल करता है कि चकलाबेलन नाले में फेंक दूं. 10 मिनट खाना लेट हो जाए तो पेट क्या रोटी हजम करने से मना कर देता है? क्या सास को पता नहीं कि शादी के तुरंत बाद कितना कुछ बदल जाता है. उस में तालमेल बैठाने में वक्त तो चाहिए न. पर क्या बोलूं? बोली, तो कहेंगे कि अभी से जवाब देने लगी है. जातेजाते महेश शाम को ब्रैड रोल्स खाने की फरमाइश कर गया. मुसकरा कर उस का यह आग्रह करना अच्छा लगा था.

‘क्या करण ऐसा नहीं हो सकता?’ मन ही मन सोचते हुए मैं सास को नाश्ता देने गई. वहां पहुंची तो करण जमीन पर बैठे हुए पलंग पर बैठी सास के पांवों पर सिर रखे, अधलेटा बैठा था. देख कर मैं भीतर तक सुलग सी गई.

‘‘नाश्ता…’’ मैं नाश्ते की प्लेट सास के आगे रख कर चुपचाप वापस जाने लगी.

‘‘मैडमजी, एक तो केतकी को समय पर नाश्ता नहीं दिया, ऊपर से मुंह सुजा रखा है. देख कर मुसकराईं भी नहीं,’’ अपनी मां के साथ टेढ़ी नजर से देखते हुए करण ने कहा.

‘‘नहीं तो, ऐसा तो नहीं है. चाय पिएंगे आप?’’ जबरदस्ती मुसकराई थी मैं.

‘‘ले आओ,’’ करण वापस यों ही पड़ गया. मुसकराहट का आवरण ओढ़ना कितना भारी होता है, आज मैं ने महसूस किया. मैं वापस रसोई में आ गई. मुझे बरबस मां की नसीहत याद आने लगी.

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मम्मी ने एक दिन भैया से कहा था कि सुबह की पहली चाय तुम दोनों अपने कमरे में ही मंगा कर पी लिया करो. मम्मी की बात सुन कर मैं झुंझलाई थी कि क्यों ऐसे पाठ उन्हें जबरदस्ती पढ़ाती हो. तब मां ने बताया था कि उठते ही मां के पास लेट जाने या बैठने से पत्नी को ऐसे लगता है कि मानो उस का पति रातभर अपनी पत्नी नहीं, मां के बारे में ही सोचता रहा हो. ऐसी सोच बिस्तर पर ही खत्म कर देनी चाहिए. तभी पत्नी पति की इज्जत कर सकती है. मां तो मां ही है. पत्नी लाख चाहे पर बेटे के दिल से मां की कीमत तो कम होगी नहीं. पर ऐसे में बहू के दिल में सास की इज्जत भी बढ़ती है.

करण को सास के पैरों पर लिपटा देख, मम्मी की बात सही लगने लगी. मुझे यही महसूस हुआ जैसे करण सास से कह रहा हो, ‘मां, बस, एक तुम्हीं मुझे इस से बचा सकती हो.’

करण के साथ जब मैं नाश्ता कर रही थी तो सास बोलीं, ‘‘अच्छी तरह खिला देना, वरना मायके में जा कर कहेगी कि खाने को नहीं पूछते.’’

करण अपनी मां की बातों को सुन कर हंसने लगा और मेरा चेहरा कठोर हो गया. खानापूर्ति कर के मैं पोंछा लगाने उठ गई. सारे कमरों में पोंछा लगा कर आई तो देखा करण सास के साथ ताश खेल रहा है. मैं हैरान रह गई. मेरे मुंह से निकल गया, ‘‘काम पर नहीं जाना है?’’

‘‘मुझे नहीं पता है?’’ करण गुस्से से देख कर बोला. मैं समझ नहीं पाई कि आखिर मैं ने ऐसा क्या कह दिया था.

‘‘तुम्हें जलन हो रही है, हमें एकसाथ बैठे देख कर?’’

‘‘बेटा, तुम जाओ, यह तो हमें इकट्ठा बैठा नहीं देख सकती,’’ सास ताश फेंक कर बिस्तर पर पसर गईं.

करण ने सास को मनाने के प्रयास में मुझे बहुत डांटा. मैं खामोश ही बनी रही.

उस दिन भैया से भी भाभी ने पूछा था, ‘कहां चले गए थे. शादी में नहीं जाना क्या?’ तब मुझे गुस्सा आ गया था कि भैया मेरे काम से बाजार गए हैं, इसलिए भाभी इस तरह बोली हैं. भैया भी भाभी पर बिगड़े थे. मुझे अच्छा लगा था कि भैया ने मेरी तरफदारी की. कभी यह सोचा भी न था कि भाभी भी तो हम लोगों की तरह ही हैं. उन्हें भी तो बुरा लगता होगा. ऐसा उन्होंने क्या पूछ लिया, जिस का मैं ने बतंगड़ बना दिया था. आज महसूस हो रहा है कि तब मैं कितनी गलत थी.

करण दूसरे कमरे से झांकताझांकता मेरे पीछे स्नानघर में घुस गया.

‘‘तुम्हें बोलना जरूरी था. मम्मी को नाराज कर दिया. चुप नहीं रहा जाता,’’ करण जानबूझ कर चिल्लाने लगा ताकि उस की मां सुन लें. दिल चाहा कि करण का गिरेबान पकड़ कर पूछूं कि मां को खुश करने के लिए मुझे जलील करना जरूरी है क्या?

कुछ भी कह नहीं पाई. चुपचाप आंगन में झाड़ू लगाती रही. आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे. करण ने देखा भी, पर एक बार भी नहीं पूछा कि रो क्यों रही हो. कमरे से किसी काम से निकली तो करण को सास के साथ हंसता देख कर मेरा दम घुटने लगा. मैं और परेशान हो गई. उठ कर रसोई में आ दोपहर का खाना बनाने लगी. बारबार मम्मी व भाभी की बातें याद आने लगीं. मम्मी कहती थीं कि जब घर में किसी का मूड ठीक न हो तो फालतू हंसा नहीं करते. नहीं तो उसे लगता है कि हम उस पर हंस रहे हैं. और भाभी, वे तो हमेशा मेरा मूड ठीक करने की कोशिश किया करतीं. तब कभी महसूस ही नहीं हुआ कि इन छोटीछोटी बातों का भी कोई अर्थ होता है.

ये लोग तो मूड बिगाड़ कर कहते हैं कि तुरंत चेहरा हंसता हुआ बना लो. मानो मेरे दिल ही न हो. इन से एक प्रश्न पूछो तो चुभ जाता है. मुझे जलील भी कर दें तो चाहते हैं कि मैं सोचूं भी नहीं. क्या मैं इंसान नहीं? मैं कोई इन का खरीदा हुआ सामान हूं?

दोपहर का खाना बनाया, खिलाया, फिर रसोई संभालतेसंभालते 3 बज गए. तभी ध्यान आया कि महेश को ब्रैड रोल्स देने हैं. सो, ब्रैड रोल्स बनाने की तैयारी शुरू कर दी. आलू उबालने को रख कर कपड़े धोने चली गई. कपड़े धो कर जब वापस आई तो करण व्यंग्य से बोला, ‘‘मैडमजी, कहां घूमने चली गई थीं. पता नहीं कुकर में क्या रख गईं कि गैस बंद करने के लिए मम्मीजी को उठना पड़ा.’’

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हद हो गई. गैस बंद करना भी इन की मां के लिए भारी काम हो गया. और मेरी कोई परवा ही नहीं है. मैं रसोई में ही जमीन पर बैठ कर आलू छीलने लगी. तभी करण आ गया.

‘‘क्या कर रही हो? 2 मिनट मम्मी के पास बैठने का, उन का मन बहलाने का वक्त नहीं है तुम्हारे पास. जब देखो रसोई में ही पड़ी रहती हो.’’

खामोश रहना बेहतर समझ कर मैं खामोश ही रही.

‘‘जवाब नहीं दे सकतीं तुम?’’ करण झुंझलाया था.

‘‘काम खत्म होगा तो आ जाऊंगी,’’ मैं बिना देखे ही बोली.

‘काम का तो बहाना है. हमारी मम्मी ने तो जैसे कभी काम ही न किया हो,’ बड़बड़ाते हुए वह निकल गया.

कितना फर्क है मेरी मम्मी और सास में. मेरी मम्मी मुझ से कहती थीं कि भाभी का हाथ बंटा दे, खाना रख दे. बरतन उठा दे. फ्रिज में पानी की बोतल रख दे. सब को दूध पकड़ा दे. साफ बरतन संभाल दे. इन छोटेछोटे कामों से ही भाभी को इतना वक्त मिल जाता कि वे मम्मी के पास बैठ जातीं.

आगे पढ़ें- करण और सास को चाय व ब्रैड रोल्स दे…

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फिल्म ‘मिमी’ में सरोगेटेड मदर के रोल में नजर आएंगी कृति सैनन, ट्रेलर हुआ वायरल

पिछले 15 वर्षों से बॉलीवुड में कार्यरत निर्माता दिनेश वीजन  ठोस पारिवारिक मनोरंजन वाली फिल्में परोसते आए हैं. जिनमें ‘बीइंग सर्कस’,  ‘हाईजैक’, ‘लव आज कल’, ‘कॉकटेल’,  ‘लेकर हम दिल दीवाना’,  ‘हैप्पी एंडिंग’, ‘बदलापुर’, ‘हिंदी मीडियम’,  ‘लुका छुपी’जैसी कई सफल फिल्मों का समावेश है. अब ‘जियो स्टूडियो’’के साथ मिलकर दिनेश वीजन एक फिल्म ‘‘मिमी’’लेकर आ रहे हैं, जिसका ट्रेलर आज जारी किया जा चुका है.

फिल्म‘‘मिमी’की कहानी सरोगेट मदर’के इर्द गिर्द घूमती है. यह फिल्म सफल मराठी फिल्म‘‘मला आई व्हायच’’का हिंदी रूपांतरण है, जिसे लक्ष्मण उतेकर ने निर्देशित किया है और इसमें मुख्य किरदार में कृति सैनन हैं. इसके अलावा इसमें पंकज त्रिपाठी व साई ताम्हणकर भी हैं. ,

इस अद्भुत कहानी में हास्य और भावनाओं का एक दिलकश मिश्रण है. फिल्म का ट्रेलर हमें ना सिर्फ गुदगुदाता है, बल्कि हंसाकर लोट-पोट भी करता है. फिल्म के ट्रेलर में पंकज त्रिपाठी और कृति सैनन के बीच कुछ दमदार कॉमिक टाइमिंग का अहसास होता है. इनके बीच की नोकझोक और केमिस्ट्री आपको उत्साहित होने पर मजबूर कर देती है. यह हमें कहानी की एक दिलचस्प झलक भी देता है. ट्ेलर के अनुसार यह कहानी एक उत्साही और बेपरवाह लड़की की अद्वित्यीय कहानी है,  जो जल्दी पैसा कमाने के लिए सरोगेट मदर बन जाती है. जब उसकी योजना अंतिम क्षण में बिगड़ जाती है, तो क्या सब कुछ खत्म जाता है? आगे क्या होता है? मिमी का ट्रेलर हमें निश्चित रूप से फिल्म के बारे में  कई अनुमान लगाने के लिए मजबूर कर देता है!

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फिल्म‘‘मिमी’’की चर्चा करते हुए निर्माता दिनेश विजन कहते है- “यह ट्रेलर फिल्म ‘मिमी’ की तरह ही गर्मजोशी,  उत्साह और हंसी से भरा है. यह हमारी पहली एक्सक्लूसिव ओटीटी रिलीज है, और सिनेमाघरों में परिवार के संग लौटने के लिए कुछ समय लग सकता है. ‘मिमी’ के साथ हम परिवारों के लिए उनके घरों में आराम से बैठकर देखने वाला एक अच्छा सिनेमा लाए हैं. हमें उम्मीद है कि कृति सैनन का प्यारा और हास्यपूर्ण अवतार ज्यादा से ज्यादा दर्शकों को खुशी देगा. इस फिल्म को ‘जियो सिनेमा’और ‘नेटफ्लिक्स’दो ओटीटी प्लेटफार्म एक साथ तीस जुलाई से स्ट्रीम करने वाले हैं. ’’

कृति सैनन अपने इंस्टाग्राम पर रिलीज की तारीख की घोषणा के साथ फिल्म का एक नया पोस्टर साझा कर चुकी हैं.  कृति सैनन कहती हैं-‘‘यह उपदेशात्मक या गंभीर नहीं है. ऐसा नहीं है कि आप सरोगेसी पर फिल्म देखने जा रहे हैं और यह एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म होगी. यह एक बहुत ही मनोरंजक फिल्म है,  जो हास्य से भरपूर है,  और बहुत सारे उतार-चढ़ाव से भरी है. मैंने जिस महिला की भूमिका निभाया है, उसकी तमन्ना फिल्म अभिनेत्री बनने की है. ’’

फिल्म‘‘मिमी’’में शामिल कई लोगों के पुनर्मिलन का प्रतीक है.  इस फिल्म में कृति सैनन,  पंकज त्रिपाठी,  निर्देशक लक्ष्मण उटेकर और निर्माता दिनेश विजान सफलतम रोमांटिक-कॉमेडी ‘लुका छुप्पी’ के बाद एक साथ आए हैं.

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‘जियो स्टूडियो ’ और दिनेश विजान की कंपनी मैडॉक फिल्म्स प्रोडक्शन निर्मित तथा लक्ष्मण उटेकर  निर्देशित फिल्म‘‘मिमी’’में कृति सैनन,  पंकज त्रिपाठी,  साई तम्हंकर,  सुप्रिया पाठक और मनोज पाहवा ने अभिनय किया है. लक्ष्मण उटेकर ने रोहन शंकर के साथ ‘मिमी’की कहानी और पटकथा लिखी है,  जिन्होंने संवाद भी लिखे हैं. यह फिल्म  30 जुलाई 2021 से जियो सिनेमा और नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम होगी.

किंजल के बाद अनुपमा के खिलाफ पाखी को भड़काएगी काव्या, करेगी ये काम

स्टार प्लस के सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupama) को पूरा एक साल हो गया है, जिसके चलते सीरियल के स्टार्स बेहद खुश हैं. वहीं नए-नए ट्विस्ट एंड टर्न्स के कारण सीरियल की टीआरपी भी पहले नंबर पर बनी हुई हैं. वहीं अब अपकमिंग एपिसोड्स में अनुपमा की जिंदगी में नया तूफान आने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे….

किंजल परितोष ने छोड़ा शाह हाउस

अब तक आपने देखा कि अनुपमा जहां अपनी नई जिंदगी की शुरुआत कर चुकी है तो वहीं काव्या और वनराज की जिंदगी में उलट-पुलट शुरु हो गई है, जिसके चलते सीरियल में फैमिली ड्रामा देखने को मिल रहा है. इसी बीच किंजल और पारितोष ने भी घर छोड़कर राखी के पेंट हाउस में रहने का फैसला कर लिया है. हालांकि इसके चलते जहां अनुपमा टूटती हुई नजर आएगी तो वहीं वनराज (Sudhanshu Pandey) और बा नाराज दिखेंगे. हालांकि किंजल शाह हाउस छोड़ना नहीं चाहती लेकिन परितोष और किंजल की मां राखी अपने फैसले पर अड़े हुए हैं.

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अनुपमा पर लगाया बा ने इल्जाम

काव्या का बा को अपनी तरफ करने का प्लान धीरे-धीरे कामयाब हो रहा है. दरअसल, परितोष के घर छोड़ने के लिए बा अपकमिंग एपसोड में अनुपमा को जिम्मेदार ठहराने वाली है. दरअसल, बा, अनुपमा से कहेंगी कि घर में बंटवारा पहले ही हो गया था, अब वह परिवार भी बांट रही है. हालांकि वनराज (Sudhanshu Pandey) इस बात पर बा के खिलाफ होगा. लेकिन बा ज्यादा देर अनुपमा से नाराज नही रहेंगे.

पाखी को भड़काएगी काव्या

 

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बीते दिनों जहां काव्या , किंजल को अनुपमा के खिलाफ भड़काती नजर आई थी तो वहीं अपकमिंग एपिसोड में उसका अगला मोहरा पाखी होगी. दरअसल, आने वाले एपिसोड में समर पूरे परिवार को अनुपमा की एकेडमी दिखाने ले जाएगा. इस दौरान  पाखी और काव्या अकेले रहेंगे. वहीं पाखी लगातार अनुपमा (Anupama) को फोन मिलाएगी, लेकिन नेटवर्क न होने की वजह से अनुपमा का फोन नहीं लगेगा. ऐसे में काव्या (Madalsa Sharma), पाखी से कहेगी कि अनुपमा की पहली प्रायॉरिटी समर है. इसके बाद वो किंजल और पारितोष को चाहती है और फिर नंदिनी. और उसका नंबर आखिर में आता है, जिसके बाद पाखी सोचती नजर आएगी. हालांकि देखना होगा कि क्या पाखी अनुपमा के खिलाफ होगी या काव्या का सपना फिर टूट जाएगा.

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जापान ओलंपिक में यूपी के विजेताओं को मिलेगी इनामी धनराशि

खेलों को बढ़ावा देने वाली प्रदेश सरकार इस साल टोकियो (जापान) में होने वाले ओलंपिक गेम्स में भाग लेने वाले प्रत्येक खिलाड़ी को 10 लाख रुपये देगी. एकल और टीम खेलों में पदक लेकर लौटने वाले खिलाड़ियों का भी उत्साह बढ़ाएगी. यूपी से 10 खिलाड़ी विभिन्न स्पर्धाओं में भाग लेने के लिये टोकियो जाएंगे. राज्य सरकार ओलंपिक खेलों में होने वाले एकल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को 6 करोड़ रुपये, रजत पाने वालों खिलाड़ी को 4 करोड़ रुपये और कांस्य पदक लाने वाले खिलाड़ियों को 2 करोड़ रुपये देगी.

सीएम योगी ने प्रदेश की कमान संभालने के बाद से लगातार खिलाड़ियों की सुविधाओं में बढ़ोत्तरी की है. खिलाड़ियों की प्रतिभा को और निखारने और सुविधाओं को बढ़ाने का भी काम किया है. सरकार ने टोकियो में आयोजित होने वाले ओलंपिक में टीम खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर लाने वाले खिलाड़ी को 3 करोड़ रुपये, रजत लाने पर 2 करोड़ रुपये और कांस्य लाने पर 1 करोड़ रुपये देने का निर्णय लिया है.

‘खूब खेलो-खूब बढ़ो’ मिशन को लेकर यूपी में खिलाड़ियों को राज्य सरकार बहुत मदद दे रही है. खेल में निखार लाने के लिये खिलाड़ियों के बेहतर प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है. प्रशिक्षण देने वाले विशेषज्ञ कोच नियुक्त किये गये हैं. छात्रावासों में खिलाड़ियों की सहूलियत बढ़ाने के साथ-साथ नए स्टेडियमों का निर्माण भी तेजी से कराया है. गौरतलब है कि अपने कार्यकाल में योगी सरकार ने 19 जनपदों में 16 खेलों के प्रशिक्षण के लिये 44 छात्रावास बनवाए हैं. खेल किट के लिये धनराशि को 1000 से बढ़ाकर 2500 रुपये किया गया है.

आशा वर्कर जानेंगी बुजुर्गों की सेहत का हाल

बुजुर्गों की बेहतर सेहत के लिए प्रदेश सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. खासकर कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे और डायलिसिस करवा रहे बुजुर्गों की तीमारदारी में अब आशा वर्कर तैनात की जाएंगी. प्रदेश भर में आशा वर्कर इन बीमारियों से जंग लड़ रहे बुजुर्गों की सूची तैयार करेंगी और इनसे संवाद स्‍थापित कर रोजाना सेहत का हाल जानेंगी. साथ ही दवा और जांच कराने में भी इन बुजुर्गों की मदद करेंगी. मुख्‍यमंत्री ने एक उच्‍च स्‍तरीय बैठक में यह निर्देश जारी किए हैं.

मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने प्रदेश के वरिष्‍ठ नागरिकों की स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं को और बेहतर बनाने के निर्देश दिए हैं. चिकित्‍सा एवं स्‍वास्‍थ्‍य विभाग को वरिष्‍ठ नागरिकों की सूची बनाने को कहा गया है. इससे जरूरत पड़ने पर हर संभव मदद पहुंचाने में आसानी होगी. इस काम में आशा वर्कर अहम रोल अदा करेंगी. अभी तक प्रदेश की 10 लाख 71 हजार से अधिक आशा वर्कर ग्रामीण व शहरी इलाकों में महिलाओं व बच्‍चों को स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी सेवाएं मुहैया कराने में मदद करती है. अब आशा वर्कर प्रदेश के वरिष्‍ठ नागरिकों की सेहत का ख्‍याल भी रखेंगी. आशा वर्कर अपने इलाके के वरिष्‍ठ नागरिकों की सूची तैयार करेंगी. खासकर कैंसर व डायलिसिस पीडि़त मरीजों पर इनका विशेष ध्‍यान होगा. इसके बाद आशा वर्कर रोजाना इनसे संवाद स्‍थापित करेंगी और सेहत का हालचाल पूछेंगी. वरिष्‍ठ नागरिकों को दवा व जांच कराने में सहयोग करेंगी.

एक कॉल पर मिलेगी एम्‍बुलेंस व दवा

चिकित्‍सा एवं स्‍वास्‍थ्‍य विभाग वरिष्‍ठ नागरिकों की बेहतर सेहत के लिए बनाई गई विशेष हेल्‍पलाइन नम्‍बर 14567 को और प्रभावी बनाने जा रहा है. ताकि सेहत से जुड़ी कोई समस्‍या होने पर बुजुर्गों तक फौरन मदद पहुंचाई जा सके. इसके अलावा हेल्‍पलाइन नम्‍बर की जानकारी अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए बड़ा जन जागरूकता अभियान भी शुरू किया जाएगा, ताकि अधिक लोगों को इस सेवा का लाभ मिल सके. हेल्‍पलाइन के जरिए विशेष परिस्थितियों में बुजुर्गों को एक कॉल पर एम्बुलेंस और दवा भी पहुंचाने का काम विभाग करेगा. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग अगले 8-10 महीने में इसे लेकर अपनी कार्ययोजना तैयार करेगा.

अकेले रहने वाले बुजुर्गों के लिए योजना बनेगी वरदान

प्रदेश सरकार अकेले रहने वाले बुजुर्गों की बेहतर सेहत के लिए विशेष योजना तैयार कर रही है. इस योजना के तहत ऐसे बुजुर्गों की देखरेख के लिए एक व्‍यक्ति तैनात किया जाएगा. जो अकेले रह रहे बुजुर्ग को जरूरत पड़ने पर दवा पहुंचाने के साथ जांच के लिए अस्‍पताल ले जाएगा और उनको घर तक पहुंचाएगा. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग अगले 8-10 महीने में इसे लेकर अपनी कार्ययोजना तैयार करेगा.

डॉ. गूगल आम आदमी के लिए सुरक्षित हैं या खतरनाक

एक नहीं बल्कि यह कई शोध और सर्वेक्षणों से साबित हो चुका है कि आम से आम व्यक्ति अगर इंटरनेट का इस्तेमाल करता है, वह सोशल मीडिया के विभिन्न मंचों में सक्रिय है और अपने तमाम दूसरे कामों में इंटरनेट की सहायता लेता है तो निश्चित रूप से वह जब भी किसी स्वास्थ्य संबंधी समस्या का शिकार होता है या उसके घर परिवार के लोग होते हैं, तो वह सबसे पहले इस समस्या की बुनियादी जानकारी और इलाज संबंधी जानकारियां डॉ. गूगल से ही जानना चाहते हैं. उसके पास बहुत सारे सवाल होते हैं और उसे डॉ. गूगल से ही इन तमाम सवालों को पूछना आसान लगता है. ऐसा वो लोग भी करते हैं, जो बात-बात पर दूसरों को ऐसा न करने की सलाह देते हैं.

सवाल है क्या लोग यह गलत करते हैं? शायद तब तक नहीं, जब तक उनके सवाल बीमारी की बुनियादी जानकारी तक ही सीमित रहती है. जब लोग डॉ. गूगल से तुरत फुरत यानी रेडिमेड इलाज पूछते हैं और आंख मूंदकर उस पर अमल भी कर लेते हैं, तो समझिये बहुत बड़ा ब्लंडर करते हैं. लेकिन शुरुआती जानकारी खास करके लक्षणों को स्पष्टता से समझने के लिए डॉ. गूगल की सहायता लेना जरा भी गलत नहीं है. लेकिन अगर आप किसी प्रशिक्षित डॉ. से इस संबंध में पूछेंगे तो वह छूटते ही कहेगा कि यह भी गलत है. कोई भी डॉ. नहीं चाहता कि दुनिया का एक भी मरीज अपनी बीमारी के बारे में जानें और किसी और से जाने या तो बिल्कुल ही नहीं जाने. इसलिए पारंपरिक डॉक्टरों ने भी डॉ. गूगल को कुछ ज्यादा ही बदनाम कर रखा है. क्योंकि डॉ. गूगल इन डॉक्टरों की कमायी में आड़े आते हैं.

बहरहाल पिछले कुछ सालों में पूरी दुनिया में डॉ. गूगल से जानकारियां हासिल करने और उनके नुस्खों पर अमल करने की बढ़ती संख्या के कारण पूरी दुनिया में आज यह बहस का विषय है कि डॉ. गूगल हमारे स्वास्थ्य के दोस्त हैं या दुश्मन. जाहिर है पढ़ा-लिखा यानी प्रशिक्षित डॉक्टर इसे दुश्मन ही बताता है. लेकिन अब सवाल यह है कि लोग इस दुश्मन डॉक्टर के पास जाते क्यों हैं? इसकी कई वजहें होती है. एक तो डॉक्टरों से अपाॅइंटमेंट पाना आसान नहीं होता. जो जितना प्रसिद्ध होता है, उससे अपाॅइंटमेंट पाना उतना ही मुश्किल होता है. एक तो डॉक्टर मरीज को या आशंकित मरीज को उसकी सुविधा का समय नहीं देते. साथ ही अच्छी खासी फीस चार्ज करते हैं, चाहे मरीज या आशंकित मरीज देने की स्थिति में हो या न हो. जबकि डॉ.गूगल 24 घंटे किसी को भी अपनी सेवा देने के लिए हाजिर रहते हैं और वह भी बिल्कुल मुफ्त.

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जैसा कि हम सब जानते हैं दुनिया में करीब एक तिहाई गरीब लोग इस वजह से गरीब होते हैं कि उनकी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के चलते उनके सारे आर्थिक स्रोत खर्च हो गये होते हैं. डॉ. गूगल के पास न जाने की डॉक्टरों की बार बार दी गई सलाह को इसलिए भी लोग नहीं मानते. एक कारण यह भी है कि जहां कोई डॉक्टर इलाज का सिर्फ एक तरीका और कुछ गिनी चुनी दवाईयों के बारे में ही बताता है, वहीं डॉ. गूगल कई किस्म के इलाजों का विकल्प बताते हैं और तमाम तरह की दवाईयों के बारे में भी बताते हैं, जो सस्ती होती हैं. एक बात यह भी है कि अगर इसी समय किसी बीमारी के बारे में बहुत गंभीर चर्चा छिड़ी हो, उसे बहुत खतरनाक माना जा रहा हो और कोई आम आदमी महसूस करता है कि उसे भी यह बीमारी है, तो ऐसा आदमी भी किसी पड़ोस के डॉक्टर के पास जाने की बजाय डॉ. गूगल के पास ही जाता है. इसमें आशंकित मरीज को यह डर भी होता है कि कहीं उसकी आशंका सच न निकल जाए.

हमें यह मानने में भी गुरेज नहीं करना चाहिए कि टेक्नोलाॅजी ने हम सबको कामचलाऊ स्मार्ट तो बना ही दिया है. ऐसे में हम किसी पर निर्भर रहने की बजाय डॉ. गूगल से कंसल्ट करना ज्यादा आसान समझते हैं. आजकल शायद ही कोई शख्स हो जो अपनी मेडिकल रिपोर्ट के नतीजे डॉ. गूगल पर चेक न करता हो. इसकी एक वजह लगातार बढ़ता भ्रष्टाचार भी है. आये दिन ऐसी खबरें आती रहती हैं कि फलानी लैब में बिना कोई जांच किये जांच रिपोर्ट बना दी या किसी क्लीनिक में तमाम सैंपल फेंक दिये जाते हैं और मनमानी रिपोर्ट दे दी जाती है. इस तरह की घटनाओं और अफवाहों से भी लोग डॉ. गूगल के पास जाना पसंद करते हैं.

कुछ दिनों पहले हुए एक बड़े सर्वेक्षण में यह बात सामने आयी थी कि डॉ. गूगल से इलाज करवाने में महिलाएं पुरुषों से कहीं आगे हैं. इस सर्वे के मुताबिक 25 प्रतिशत महिलाओं ने डॉ. गूगल के बताय रास्ते पर चलकर अपने लक्षणों का गलत नतीजा निकाला और न सिर्फ खुद को गंभीर रूप से बीमार मानकर अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ किया बल्कि परिवार को भी सांसत में डाला. आम तौरपर जिन बीमारियों को लेकर आम इंटरनेट सैवी गलतफहमी का शिकार होता है, वे बीमारियां कुछ यूं हैं- ब्रेस्ट कैंसर तथा दूसरे तमाम किस्म के कैंसर, वैजाइनल इंफेक्शन, हाई ब्लड प्रेशर, अस्थमा, आर्थराइटिस, डायबिटीज, सेक्सुअल हेल्थ प्राॅब्लम्स और थायराॅइड जैसी प्राॅब्लम्स को लेकर आम लोग हमेशा चिंतित रहते हैं और इन्हीं चीजों में सबसे ज्यादा डॉ. गूगल का सहारा लेते हैं.

डॉ. गूगल की ज्यादा मदद लेने वाली करीब 75 प्रतिशत महिलाओं ने माना है कि कुछ ऐसी हेल्थ प्राॅब्लम्स होती हैं, जिन्हें वो परिवार या दोस्तों की बजाय डॉ.गूगल से बताने में अधिक सहजता महसूस करती हैं. 50 प्रतिशत महिलाओं ने माना कि ऐसी हेल्थ प्राॅब्लम्स, जिसे दूसरी को बताने में उन्हें शर्म आती है, उसका इलाज करने की जो खूब कोशिश करती है. ऐसे एक सर्वे के मुताबिक डॉ. गूगल का इस्तेमाल करने वाले आम लोग खुद ही मेडिकल स्टोर से दवा खरीदकर अपना इलाज शुरु कर देती हैं. हालांकि अभी तक कोई नहीं जानता कि इस तरह के इलाजों का कितना बुरा नतीजा भी हो सकता है. क्योंकि जरूरी नहीं होता कि इंटरनेट पर दी गई सारी जानकारी सही ही हो. बहुत सी बोगस वेबसाइट्स महज अपने प्रोडक्ट्स की बिक्री के लिए ऐसी सनसनीखेज खबरें प्रकाशित करती रहती हैं.

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कहने का मतलब यह कि डॉ. गूगल वाकई खतरनाक है. मगर सवाल है कि क्या यह बात आम लोग नहीं जानते? निश्चित रूप से जानते हैं और कोई भी जो इस सच को जानता है, खुद को इसके चक्रव्यूह में नहीं फंसाना चाहता. मगर मजबूरी यह है कि वास्तविक डॉक्टर यानी डिग्रीधारी पढ़े लिखे डॉक्टर आम आदमी को अपनी जानकारियां देने के एवज में उन्हें इतना लूटता है कि न चाहते हुए भी वो डॉ. गूगल के चक्रव्यूह में फंस जाता है. इसलिए डॉ. गूगल की आलोचना करने वाले पूरे दुनिया के डॉक्टर ईमानदारी से यह स्वीकारें तो कि लोग डॉ. गूगल के पास इसलिए जा रहे है. क्योंकि असल डॉक्टर उन्हें जीने ही नहीं दे रहा.

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