Monsoon Special: ईवनिंग स्नैक्स में बनाएं पौष्टिकता से भरपूर हांडवो

ईवनिंग और मॉर्निंग दोनों ही समय में कुछ न कुछ नाश्ते की आवश्यकता होती ही है. आजकल अधिकांश घरेलू कामों के लिए मेड होती है जिससे महिलाओं को काम से तो आराम मिला है पर वहीं शारीरिक परिश्रम कम हो जाने से बी पी और शुगर जैसी बीमारियां भी जन्म लेने लगीं हैं इसीलिये आज अधिकांश लोग हैल्दी नाश्ता चाहते हैं जिससे उन्हें पोषण तो भरपूर मिले परन्तु कैलोरी न बढ़े. खमीर उठाकर बनाये  जाने वाले खाद्य पदार्थों को सेहत के लिए बहुत अच्छा माना जाता है क्योंकि खाद्य पदार्थों में खमीर उठाने वाला बैक्टीरिया बहुत सेहतमन्द होता है. खमीरी खाद्य पदार्थों में एमिनो एसिड, प्रोटीन, और विटामिन्स पाए जाते हैं जो मसल्स को रिपेयर करने के साथ साथ शरीर को मजबूती प्रदान करते हैं. इसी तारतम्य में हम आपको एक ऐसे नाश्ते को बनाना बता रहे हैं जिसे हमने दाल चावल में खमीर उठाकर बनाया है जिसे बनाना काफी आसान है और ये नाश्ता पौष्टिकता से भरपूर भी है तो आइए देखते हैं कि इसे कैसे बनाते हैं-

कितने लोंगों के लिए           8

बनने में लगने वाला समय     30 मिनट

मील टाइप                          वेज

सामग्री

मिक्स दाल                 1 कप

चावल                         1/2 कप

किसी लौकी                 1 कप

किसी गाजर                  1 कप

बारीक कटा प्याज          1

अदरक हरी मिर्च पेस्ट      1 टीस्पून

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कटी हरी धनिया              1 टीस्पून

नमक                             1/2 टीस्पून

तेल                                 1 टीस्पून

चाट मसाला                      1/2 टीस्पून

सामग्री (बघार के लिए)

मीठा नीम                          8 पत्ती

राई                                    1/4 टीस्पून

लाल मिर्च पाउडर             1/4 टीस्पून

तेल                                 1/2 टीस्पून

विधि

दाल और चावल को 5-6 घण्टे भिगोकर पानी निकाल दें. इसे आधे कप पानी के साथ मिक्सी में पीस लें. अब इसे रात भर अथवा 8 घण्टों के लिए ढककर रख दें ताकि इसमें खमीर उठ जाए. अब इसमें सभी सब्जियां, हरी धनिया, नमक, अदरक, हरी मिर्च का पेस्ट और 1/2 कप पानी डालकर भली भांति चलाएं. एक चम्मच तेल में बघार की सामग्री डालकर तैयार घोल में डालकर चलाएं. एक कढ़ाई या भगोने में 1 लीटर पानी उबलने रखें. अब एक किनारे वाली प्लेट या थाली में चिकनाई लगाकर तैयार मिश्रण को डालकर भगौने के ऊपर रखकर ढक दें. भाप में 25 मिनट तक पकाएं. ठंडा होने पर चौकोर टुकड़ों में काट लें. अब एक नॉनस्टिक पैन में 1/4 टीस्पून तेल डालकर कटे टुकड़ों को मद्धिम आंच पर दोनों तरफ से सुनहरा होने तक सेंकें. ऊपर से चाट मसाला बुरककर चटनी या सॉस के साथ सर्व करें.

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मूवर्स पैकर्स से सामान शिफ्टिंग के 10 टिप्स

नौकरी के चलते एक जगह से दूसरी जगह ट्रांसफर होते ही रहते हैं. इसके अतिरिक्त कई बार लोकल में भी घर चेंज करना पड़ता है. पहले जहां ट्रांसफर की सूचना मिलते ही समान की पैकिंग और शिफ्टिंग को लेकर तनाव होने लगता था वहीं आज शिफ्टिंग के लिए मूवर्स पैकर्स की सुविधा मौजूद है. ये सामान को पैक करने से लेकर गन्तव्य स्थल तक सामान को शिफ्ट करके सेट तक करने की सुविधा प्रदान करते हैं. आजकल तो छोटी बड़ी अनेकों कम्पनियां हैं जो घर का सामान देखकर अपने रेट बतातीं हैं. इनसे काम करवाने से पैकिंग और शिफ्टिंग दोनों ही बहुत आसान हो जाती है, भले ही आप पैकर्स से सामान पैक करवाएं परन्तु कुछ पूर्व तैयारी आपको स्वयम भी करनी होती है जिससे आपका काम तो अच्छे तरीके से होता ही है साथ ही नई जगह पर जाकर आपको अनावश्यक परेशानी का सामना भी नहीं करना पड़ता. तो आइए जानते हैं वे टिप्स जिनका ध्यान रखकर आप मूवर्स पैकर्स की सुविधा का अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकते हैं-

-सामान की करें डिक्लटरिंग

घर में अनेकों सामान ऐसे होते हैं जिनका हम सालों साल उपयोग नहीं करते पर कभी काम आएगा ये सोचकर सहेजते रहते हैं ऐसे सभी सामान को अलग करके किसी जरूरतमंद को दे दें या कबाड़ में दे दें. अनावश्यक सामान के कम हो जाने से पैकिंग और ट्रांसपोर्टेशन की कीमत पर भी असर पड़ेगा.

-किचन पर रखें पैनी नजर

किचन में एक महिला का सर्वाधिक समय व्यतीत होता है. किचन में व्यर्थ के डिब्बे, बर्तन और प्लास्टिक की डलियां आदि पर एक नजर डालें यदि आप इनमें से कुछ भी लंबे समय से बदलने का सोच रहीं हैं तो इससे उपयुक्त समय नहीं हो सकता. आप इस व्यर्थ के सामान को हटाकर नई जगह पर नया सामान आसानी से खरीद सकतीं हैं.

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-जोड़े बनाएं

सामान को उसकी उपयोगिता के आधार पर जोड़ों में रखें, सुई धागा और केंची एक साथ तो चकलाबेलन, तवाचिमटा, मसालदान और दालों के डिब्बे शकर चाय पत्ती के डिब्बे एक साथ रखें, इससे पैकिंग वाले भी इस सामान को एक साथ ही रखेंगे और आपको नई जगह पर जाकर सामान खोजने में परेशानी नहीं होगी.

-पोटलियां बनाएं

आजकल घर में सर्वाधिक मात्रा कपड़ों की होती है. डेली यूज़ और ओकेजन वाइज कपड़ो को अलग रखें. सूटकेस में रखने के बाद जितने भी कपड़े भी बचें सबकी पोटली बनाकर रख दें. इसी प्रकार की व्यवस्था आप चादरों, कम्बलों और सोफे के कवर आदि के लिए भी करें.

-सामान की लिस्टिंग करें

यद्यपि पैकिंग वाले लिस्टिंग करते हैं परन्तु हर कमरे के सामान का वर्गीकरण करके आप स्वयं भी पहले से लिस्टिंग कर लें इससे आपको पैकिंग कम्पनी को बताने में आसानी रहेगी.

-चैक करें

सामान पैक हो जाने के बाद सामान के कार्टून्स की लिस्ट लें और गन्तव्य स्थल पर पहुंचकर लिस्ट से  उनका मिलान करें.

-डिलीवरी लें

सामान डिलीवर हो तो आप वहां मौजूद रहें और हर कमरे के सामान को उसकी जगह के अनुसार ही रखवाएं ताकि आपको बाद में परेशानी का सामना न करना पड़े.

-अनपैक करवाएं

बैड, सोफा, डायनिंग टेबल और कवर्ड आदि को कम्पनी के बंदों से ही अनपैक करवाएं इससे एक तो आपका काम आसान हो जाएगा दूसरे कुछ सामान सेट हो जाने से आप थोड़ा सुकून भी अनुभव करेंगी.

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-कीमती सामान अलग करें

ज्वैलरी, जरूरी दस्तावेज, कैश, लेपटॉप और टी वी स्क्रीन जैसी कीमती, नाजुक और आवश्यक चीजों को पैकिंग कम्पनी को देने के स्थान पर अपने साथ ही लेकर जाएं.

-स्पष्ट बात करें

पैकिंग कम्पनी से गन्तव्य स्थल के फ्लोर, सामान की पैकिंग, अनपेकिंग तथा सामान की सैटिंग आदि के बारे में स्पष्ट बात करें क्योंकि इनमें से हर एक सुविधा के रेट अलग अलग होते हैं. इससे आप किसी भी प्रकार के अनावश्यक विवाद से बच जाएंगे.

साथ रहने के दौरान इन तरीकों से चेक करें अपना रिश्ता

अगर आप दोनों अलग अलग रह रहे हैं तो हो सकता है आपके कभी कभार झगड़े होते हों और ज्यादातर समय आप एक दूसरे के साथ कुछ इस तरह रहते हों मानो हर चीज परफेक्ट है. लेकिन आपके रिश्ते का असली टेस्ट तब होता है जब आप एक साथ रहते हैं. इस दौरान आपको एक दूसरे की कमियों का पता चलता है और यह सब बातें पता लगती हैं कि आपको किन किन चीजों पर काम करने की आवश्यकता है. अगर आप पहले से ही इन चीजों को जान लेंगे तो आपको शादी के बाद अधिक परेशानियां नहीं होंगी. इसलिए अगर आप एक दूसरे के साथ लिव इन में रहने की सोच रहे हैं तो यह एक बुरा आइडिया नहीं है. आइए जानते हैं किन किन तरीकों से आप अपने रिलेशनशिप को टेस्ट कर सकते हैं.

आप यह सोचेंगी कि क्या आप सच में ही खुश हैं

जब आप एक साथ रहते हैं तो आपको अपने पार्टनर की बुरी आदतों के बारे में पता चलेगा और आप उनकी बहुत से चीजों को नोटिस करना शुरू कर देंगी चाहे वह चीजें आपको बुरी ही क्यों न लगती हों. इन चीजों को देख कर अगर आप खुद को खुश महसूस नहीं कर रही हैं तो उन्हें यह आदतें बदलने के लिए बोलें और इससे पता लगेगा कि वह आपके लिए सही है या नहीं.

वह आपको कितनी अटेंशन देते हैं 

एक साथ रहते समय आपको यह पता चलेगा कि आपके पार्टनर अपनी अधिक अटेंशन किसे देते हैं और वह आपको कितना समय दे पाते हैं. अगर वह आपकी ओर जरा भी ध्यान नही देते हैं तो समझ जाएं वह आपके लिए सही नहीं हैं.

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वह एक परिस्थिति का कैसे सामना करते हैं

अगर कल को कोई चुनौती का सामना करना पड़ जाए तो आपके पार्टनर किस तरह रिएक्ट करेंगे यह भी आप साथ रहते समय बहुत सी बातों में नोट कर सकती हैं. उनकी इन्हीं छोटी छोटी बातों पर आपको ध्यान रखना है.

वह घर के कामों में कितनी जिम्मेदारी लेते हैं

अगर आप चाहती हैं कि आपके पार्टनर आपके साथ मिल कर सारा काम करें तो आपको पहले यह देखना होता है कि वह आपकी काम में कितनी मदद करते हैं और कितने आलसी हैं. क्या वह किसी काम की जिम्मेदारी लेते हैं या उनसे बच कर भागते हैं?

इस दौरान आपको पता चलेगा कि वह आपके साथ कितने लंबे समय तक रह सकते हैं :

ज्यादातर रिश्तों के खत्म होने का यही कारण होता है कि पार्टनर्स एक दूसरे से बोर हो जाते हैं. जब आप साथ रहेंगे तो वह आपकी सभी आदतों को देखेंगे और इस दौरान अगर वह आपसे इंप्रेस रहते हैं और आपमें अधिक रुचि दिखाते हैं तो इसका मतलब है वह आपके साथ लंबे समय तक रहने वाले हैं.

आप अपनी खुशियों को पा रहे हैं :

अगर आपको उनके साथ रहने से या समय बिताने से ऐसा लगता है कि अब आप और अधिक खुश रहने लगे हैं या आपके अंदर की खुशियां बाहर आने लगी हैं तो वह व्यक्ति आपके लिए बिल्कुल सही हैं.

यह आपकी मानसिक सेहत का भी एक टेस्ट है :

अगर उनके साथ रहने से आपकी मेंटल हेल्थ स्थिर रहती है और आपके मन को शांति मिलती है तो वह आपके लिए सही है लेकिन अगर उनकी वजह से आपके दिमाग में हर समय चिंता और स्ट्रेस रहती है तो वह आपकी मानसिक सेहत से खिलवाड़ कर रही हैं.

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अगर आपके पार्टनर में ऊपर लिखित टेस्टों को पास कर दिया है तो आप उन्हें अपना होने वाला पति  मान सकती हैं और यह समझ सकती हैं कि आपकी पसंद सच में ही बहुत अच्छी है लेकिन अगर वह आधे से अधिक टेस्टों में फेल हो जाते हैं तो आपको थोड़ा चौकन्ना होने की आवश्यकता है क्योंकि ऐसे व्यक्ति भविष्य में अपनी जिम्मेदारियों से भाग सकते हैं या आप अगर उनके साथ शादी करती हैं तो थोड़ा दुखी रह सकती हैं. इसलिए अपना निर्णय सोच समझ कर ही लें.

सल्फेट फ्री प्रोडक्ट्स क्यों हैं जरूरी 

हम सबने सल्फेट का नाम तो सुना ही है और अपने घरों में कई ब्यूटी प्रोडक्ट्स में इनको पाया भी है. पर क्या आप जानते हैं कि ये होते क्या हैं? सतलिवा की को – फाउंडर नम्रता रेड्डी सिरुपा बताती हैं कि सल्फेट एक प्रकार के डिटर्जेंट होते हैं. अपने शैंपू के पीछे आप कई प्रकार के सल्फेट के नाम पड़ सकते हैं. इसे पेट्रोलियम और प्लांट ऑयल्स से बनाया जाता है. इससे शैंपू और बाकी प्रोडक्ट्स में झाग बनाने की क्षमता आती है और यही झाग आपकी स्किन और स्कैल्प से गंदगी को निकालने का काम करते हैं . लेकिन शायद आप इस बात से अनजान हैं कि सल्फेट युक्त स्किन , हेयर प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल करने से ये आपकी स्किन के नेचुरल आयल को भी खत्म करने का काम करते हैं.  जिसके इस्तेमाल के कारण आपकी त्वचा व बाल धीरेधीरे डल व बेजान होने लगते हैं. यहां तक कि अगर आप सल्फेट को कलर किए हुए बालों में भी इस्तेमाल करते हैं तो इसमें आपके कलर को भी हलका व उड़ाने की भी क्षमता होती है. इससे आप जान ही गए होंगे कि ये आपके लिए कितना नुकसानदायक साबित हो सकता है. इसलिए आज खास ब्यूटी ब्रैंड्स सल्फेट फ्री प्रोडक्ट्स बनाने पर ज्यादा जोर दे रही हैं.

बता दें कि सल्फेट फ्री प्रोडक्ट्स उसे कहते हैं , जिसमें सल्फेट नहीं होता है. लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि आप अपने बालों व स्किन को उस तरह से क्लीन नहीं कर पाएंगे. जबकि सल्फेट फ्री प्रोडक्ट्स भी उतनी ही सफाई देते हैं , बस उनके इस्तेमाल के दौरान उतने झाग नहीं बनते, जितने सल्फेट  प्रोडक्ट्स में बनते हैं. इनके इस्तेमाल से आपकी त्वचा और बालों के नेचुरल आयल, स्किन सेल्स और कलर भी सुरक्षित रहते हैं. सल्फेट फ्री शैंपू आपके बालों से गंदगी को निकालकर उसके आयल और पीएच लेवल को बैलेंस में रखने का काम करता है.

सल्फेट फ्री प्रोडक्ट्स पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित माने जाते हैं. क्योंकि सल्फेट हमें  पेट्रोलियम, फोसिल फ्यूल से मिलता है, जो कि जलवायु परिवर्तन का प्रमुख कारण  है. इसलिए हम सल्फेट के बाकी विकल्प जैसे कि हेम्प सीड ऑयल्स को इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे प्रकृति में कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा को संतुलित रखा जा सकता है.

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सल्फेट फ्री प्रोडक्ट्स के कई फायदे भी होते हैं. जैसा कि ये आपकी त्वचा व बालों को बिलकुल भी नुकसान नहीं पहुंचाता है. स्किन के मोइस्चर को बनाए रखता है और अगर आपकी स्किन पर कोई एलर्जी, जलन वगैरा होती है, तो सल्फेट फ्री प्रोडक्ट्स आपके लिए फायदेमंद साबित होते हैं.

याद रखें किसी भी प्रोडक्ट को खरीदने से पहले उसके लेबल को जरूर पढ़ें. यदि उसमें नीचे लिखे किसी भी तत्व का नाम है , तो इसका मतलब वह प्रोडक्ट्स सल्फेट फ्री नहीं है. जो इस प्रकार से हैं –

– सोडियम लॉरयल सल्फेट(SLS)

– सोडियम लौरेठ सल्फेट (SLES)

– फ्लेट्स

– पैराबेन्स

– थाईथेनोमाइन (TEA)

किनकिन प्रोडक्ट्स में होता है सल्फेट 

सोडियम लॉरयल सल्फेट और सोडियम लौरेठ सल्फेट आमतौर पर पर्सनल प्रोडक्ट्स व क्लीनिंग एजेंट्स में पाया जाता है, जो इस प्रकार से हैं –

– शैंपू

– लिक्विड सोप

– लाउंडरी डिटर्जेंट

– डिश  डिटर्जेंट

– टूथ पेस्ट

– बोडी वाश

– क्रीम्स आदि

इसलिए सल्फेट युक्त प्रोडक्ट्स से बचने के लिए आप नेचुरल प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल कर सकते हैं. क्योंकि ये नेचुरल ऑयल्स व नेचुरल इंग्रीडिएंट्स से बने होने के कारण स्किन , हेयर्स को किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं.

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हैल्थ के लिए भी सेफ नहीं 

क्या आप जानते हैं कि सोडियम लॉरयल सल्फेट व सोडियम लौरेठ सल्फेट आपकी स्किन व हेयर के आयल को चुराने के साथसाथ आपकी आंखों व स्किन पर जलन पैदा करने के साथसाथ लंग्स के लिए भी परेशानी का कारण बनता है. और जब आप इनसे बने प्रोडक्ट्स का लंबे समय तक इस्तेमाल करते हैं तो ये कैंसर का भी कारण बनता है. और जिन लोगों की सेंसिटिव स्किन होती है , अगर वे सल्फेट युक्त प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते हैं तो उनके पोर्स क्लोग होने के साथसाथ एक्ने की समस्या भी हो सकती है.  इसलिए जब भी ब्यूटी प्रोडक्ट्स खरीदें तो देखें कि वे केमिकल फ्री हो.

होर्मोनेस के संतुलन को बिगाड़े 

अनेक रिसर्च में यह साबित हुआ है कि केमिकल युक्त प्रोडक्ट्स के ज्यादा इस्तेमाल करने से होर्मोनेस का संतुलन भी बिगड़ता है. इससे रिप्रोडक्टिव हॉर्मोन जैसे एस्ट्रोजन सबसे ज्यादा प्रभावित होता है. जिससे कई बार पीसीओडी से लेकर इनफर्टिलिटी की समस्या का भी सामना करना पड़ता है. ऐसे में आपके लिए केमिकल वाले प्रोडक्ट्स से दूरी बनाने में ही समझदारी है.

Khatron Ke Khiladi 11: श्वेता तिवारी से लेकर निक्की तम्बोली तक, शो लॉन्च पर छाई ये हसीनाएं

कलर्स का रियलिटी शो खतरों के खिलाड़ी का 11वां सीजन लौंच हो गया है, जिसका सेलिब्रेशन करते शो के होस्ट और कंटेस्टेंट नजर आएं. वहीं शो का हिस्सा रहीं हंसीनाओं ने लौंच पार्टी में हुस्न की बिजलियां गिराईं. जहां एक्ट्रेस श्वेता तिवारी का हौट लुक वाला सूट फैंस को अट्रेक्ट करता दिखा तो वहीं एक्ट्रेस दिव्यांका त्रिपाठी की सिंपल ड्रैस ने फैंस का दिल जीत लिया. आइए आपको दिखाते हैं रोहित शेट्टी (Rohit Shetty) के शो खतरों के खिलाड़ी 11 (Khatron Ke Khiladi) की लौंच पार्टी में हसीनाओं के हौट लुक्स की झलक…

कहर ढाती दिखीं श्वेता तिवारी

 

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शो खतरों के खिलाड़ी 11 (Khatron Ke Khiladi) की लौंच पार्टी में एक्ट्रेस श्वेता तिवारी वाइट कलर का डिजिटल प्रिंट पैंट-सूट पहने नजर आईं. वहीं सफेद रंग के सूट पर ब्राइट कलर्स का प्रिंट बेहद अट्रैक्टिव लुक दे रहा था, जिसे देखकर फैंस उनके लुक की तारीफें करते नही थक रहे हैं.

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दिव्यांका भी नहीं थीं फैशन के मामले में कम

 

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सेलिब्रेशन के मौके पर टीवी की बहू एक्ट्रेस दिव्यांका त्रिपाठी ए-लाइन पैटर्न वाली ब्लैक शॉर्ट लेंथ ड्रेस में नजर आईं, जिसके साथ उन्होंने बूट्स कैरी किए थे.  कटआउट स्लीव्स वाली ड्रैस में दिव्यांका बेहद खूबसूरत लग रही थीं. वहीं इस दौरान दिव्यांका अपनी वेडिंग एनिवर्सरी भी सेलिब्रेट करती दिखीं.

निक्की तम्बोली का दिखा हौट अवतार

 

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बिग बौस 14 फेम निक्की तम्बोली भी लौंच पार्टी पर पहुंची थी. औफ शोल्डर ड्रैस में निक्की तम्बोली का हौट अवतार फैंस को बेहद पसंद आ रहा है. वहीं सोशलमीडिया पर उनकी फोटोज वायरल भी हो रही हैं.

इन बालाओं ने भी बटोरी सुर्खियां

 

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इनके अलावा एक्ट्रेस अनुष्का सेन, ऐश्वर्या अवस्थी और सिंगर आस्था गिल भी अपने लुक को लेकर फैंस के बीच छाई हुई हैं. ब्लैक कलर की फिटिग स्कर्ट और टौप के साथ बूट्स में जहां अनुष्का फैंस के बीच सुर्खियों में हैं तो वहीं. सिंपल ब्लू कलर की ड्रैस में एक्ट्रेस ऐश्वर्या अवस्थी एलिगेंट लुक में फैंस का दिल जीत रही हैं. वहीं सिंगर आस्था गिल का क्यूट पिंक लुक फैंस को पसंद आ रहा है.

 

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टुकड़ों में नींद लेना पड़ सकता है भारी

खूब थके हों और झपकी आ जाए तो आप तरोताजा हो जाते हैं. लेकिन ऐसी दशा में पूरी नींद न लेना या लगातार टुकड़ों में सोना सेहत लिए अच्छा नहीं है. एक स्टडी की मानें तो बार-बार नींद टूटने से शरीर पर बुरा असर पड़ता है

वैसे लंबी और चैन की नींद सौभाग्यशाली लोगों को ही मिलती है, सभी के लिए एक बार में 7-9 घंटे सोना संभव नहीं है. नींद की कमी से कई सारी बीमारियां भी होने लगती हैं. जो लोग एक बार में भरपूर नींद नहीं ले पाते हैं या फिर देर रात तक जगने के बाद सोते हैं उनके मन में अक्सर ख्याल आता है कि क्यों न टुकड़ों में नींद पूरी की जाए.

ऐसे में अमेरिका की जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने अपनी स्टडी में दो तरह की नींद का अध्ययन किया. बिना व्यवधान की लंबी नींद और दूसरी कम समय के लिए टुकड़ों में ली जाने वाली नींद. इस स्टडी में 62 सेहतमंद पुरुषों को शामिल किया गया और एक लैबरेटरी में रखा गया. इनमें कुछ लोगों को बार-बार जगाया गया.

वैज्ञानिकों ने इस शोध में पाया कि पहली रात के बाद दोनों ही समूह के प्रतिभागियों को थकान थी. बाद की रातों में टुकड़ों में सोने वाले समूह की अपेक्षा देर रात के बाद शांति से सोने वाले समूह के लोगों का मूड 30 प्रतिशत बेहतर था. यह भी पता चला कि टुकड़ों में सोने वाले लोग अगले दिन ज्यादा थके और सुस्त नजर आए

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दिन में सोना खतरनाक

स्लीप जर्नल में पब्लिश हुए एक दूसरे शोध की मानें तो जो लोग दिन में 6 घंटे की नींद लेते हैं, उन्हें रात में सात घंटे रोज नींद लेने वालों की अपेक्षा बीमारी का खतरा चार गुना ज्यादा रहता है.

याद्दाश्त कमजोर होना

कम नींद लेने का प्रभाव दिमाग पर पड़ता है और दिमाग सही तरीके से काम नहीं करता. इसकी वजह से पढ़ने, सीखने व निर्णय लेने की क्षमता कमजोर हो जाती है.

भूख ज्यादा लगना

टुकड़ों में नींद लेने से मेटाबॉलिज्म कमजोर हो जाता है. कम नींद लेने के कारण हॉर्मोन में असंतुलन भी होता है जिससे कारण ज्यादा भूख लगती है. इसके कारण ही अच्छी नींद न लेने वाले लोगों को पेट भरने का आभास देर से होता है. इसलिए टुकड़ों में नींद लेने के बजाय एक साथ लंबी नींद लीजिए.

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कोविड पेशेंट के लिए ‘डॉक्टर ऑन व्हील्स’ करती है 20 घंटे काम, जानें कैसे

हर दिन सुबह 8 बजे कर्नाटक के बंगलुरु में रहने वाले 36 वर्षीय जनरल फिजिशियनडॉ. सुनील कुमार हेब्बीकार से किसी हॉस्पिटल या क्लिनिक की ड्यूटीपर नहीं जाते, बल्कि कोविड 19 से पीड़ित मरीजों की चिकित्सा के लिए उनके पास जाते है. ये साधारण कारनहीं,बल्कि मोबाइल क्लिनिक कार है, जिसके अंदर उन्होंने बेड,ऑक्सीजन, थर्मामीटर, ओक्सिमीटर आदि सभी कोविड 19 के मरीजों की इलाज के लिए एक अस्पताल की तरहव्यवस्था रखे हुए है. वे ‘मात्रु सिरी फाउंडेशन’ के फाउंडर ट्रस्टी है और उसके तहत इस कार को चलाते है. कई दिनों की कोशिश के बाद उनसे फ़ोन पर बात हो पायी, क्योंकि वे हर दिन 20 घंटे काम करते है. उनकी कार बंगलुरु के आसपास के सभी जगहों पर उन बुजुर्ग और अकेले रहने वाले मरीजो को देखने जाती है, जो अस्पताल नहीं जा सकते.

मिली प्रेरणा

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डॉ. सुनील कहते है कि मैं पिछले 12 साल से मोबाइल क्लिनिक चला रहा हूँ. एक दिन मैं अस्पताल की ड्यूटी पर जा रहा था. वहां एक एक्सीडेंट हुआ था. मेरे कार से फर्स्टएड बॉक्स निकाल कर मैंने उस लड़के का इलाज किया और नजदीक के अस्पताल में भर्ती किया. उस लड़के की माँ ने फ़ोन कर मुझे उसके इकलौते बेटे को बचाने के लिए धन्यवाद दिया और अगले दिन मुझसे मिलकर मेरे पाँव छू लिया और रोने लगी. मैंने उनसे कहा कि एक नागरिक और डॉक्टर होने के नाते मुझे तो ये करना ही था. मैं उनकी इमोशन से बहुत प्रभावित हुआ और अब कारमें केवल फर्स्ट एड बॉक्स ही नहीं,बल्कि कार की डिकी स्पेस, चेयर के पीछे या आगे, जहाँ जो भी चीज फिट बैठता हो, उसे फिट किया, जिसमें फोल्डिंग कुर्सी,टेबल, बेड, ओक्सिमीटर, ECG मशीनआदि जो भी चीज इलाज के लिए जरुरत है, उसे अच्छी तरह से फिट कर दिया. अभी कोरोना को ट्रीट करने के लिए दो ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर भी लेकर आयेहै. इसमें मैं दो मरीज का इलाज कर सकता हूँ.

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छोड़नीपड़ी नौकरी 

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मरीजों को जानकारी देने के लिए डॉ. सुनील फेसबुक का सहारा लेते है,जिसमें उनकी एक विडियो के साथ फ़ोन नंबर है. पहले सरकारी स्कूल, ओल्ड ऐज होम, कंस्ट्रक्शन वर्कर्स आदि जगहों पर शनिवार और रविवार को इलाज करतेथे. डॉक्टर हेब्बीका कहना है किमैं कॉर्पोरेट हॉस्पिटल में काम करता थाऔर सैलरी भी अच्छी थी,लेकिन एक दिन मेरे सीनियर ने मुझे शनिवार और रविवार को छुट्टी देने से मना कर दिया, मैंने नौकरी छोड़ दी.काम छोड़ने से पैसों की तंगी होने लगी. मैंने एक क्लिनिक शुरू किया, जिसमें रात में ही पेशेंट देखता था, इससे कुछ जीविका चलती रही. लोगों की सेवा करना मेरा निर्णय था, इसलिए किसी भी समस्या का समाधान मुझे ही निकालना था. कोरोना से पहले मैंने लगभग 785 फ्री मेडिकल कैम्प्स पूरे बंगलुरु में लगाया है. अब तक एक लाख 20 हज़ार पेशेंट को 12 साल में ठीक किया है. अभी तेरहवां साल चल रहा है. मेरे साथ 17 स्कूल्स और 5 ओल्ड एज होम जुड़े है. शुरू में मेरे साथ कोई नहीं था, पर बाद में मेरे काम को देखकर कई अलग-अलग फील्ड के डॉक्टर्स भी मुझसे जुड़े, जिससे काम करना आसान हो गया. अभी 2-3 महीने में मैंने कोविड के 700 रोगी का इलाज कर चुका हूँ. करीब 17 लाख लोगों ने मेरे पोस्ट को कोविड के दौरान फेसबुक पर 15 दिन में देख चुके है.कोविड से पीड़ित मरीज को दवा और इलाज मैं फ्री में देता हूँ. मेरे साथ वोलेंटीयर काम करने वाली एक नर्स को कोविड 19 सीरियस हो गया था, उसका इलाज मैंने बहुत मुश्किल से कर उसे उसके घर भेज दिया. अभी जगदीश, आशा लक्ष्मण, सौभाग्या मेरे काम में सहयोग देते है.

वित्तीय चुनौती है अधिक

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डॉ. सुनील को वित्तीय समस्या कई बार आई, लेकिन उनके दोस्तों ने उन्हें सहायता किया, क्योंकि जॉब छोड़ने के बाद जमा किये हुए राशि से उन्होंने 12 साल निकाला है. उनके माता-पिता उनके साथ रहते है और मुश्किल समय में हमेशा उन्हें सहयोग देते है. उनका कहना है कि गरीब और बुजुर्गों को कोविड पीरियड में मुफ्त इलाज की आवश्यकता है. अभी मैं टेम्पो ट्रेवलर वैन खरीदना चाहता हूँ, क्योंकि मेरी ये कार ख़राब हो चुकी है और इससे मैं अधिक दूर तक नहीं जा सकता. टेम्पो ट्रेवलर होने पर अधिक पेशेंट देख सकूँगा और दूर तक भी जा सकता हूँ. बंगलुरु के आसपास में बहुत बड़ी स्लम है,जहाँ गरीबी बहुत अधिक है. ब्लडप्रेशर और डायबिटीज के मरीज नियमित लेने वाली दवा भी खरीदने में असमर्थ है. वहां इस तरह की मोबाइल क्लिनिक की जरुरत है, जिससे उनकी चेकअप के साथ-साथ दवा भी मुफ्त में दी जाय.

आगे की योजनायें

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आगे डॉ. सुनील एक चैरिटेबल अस्पताल अपने गाँव विजयापुरा में बनाना चाहते है, जिसमें गरीबों को मुफ्त में सही इलाज मिले. कोविड की दूसरी लहर में अमीर से लेकर गरीब बहुतों ने अपनी जान बिना इलाज और ऑक्सीजन के गवाई है, जिसका उन्हें मलाल है. डॉ. सुनील कहते है कि ऑक्सीजन और बेड की कमी बंगलुरु में बहुत थी. मैं 300 किलोमीटर रातभर गाड़ी चलाकर तमिलनाडु से ऑक्सीजन सिलिंडर ब्लैक में बंगलुरु लाया, जिससे कई लोगों की जान बची. एक छोटे बच्चे को मैं ऑक्सीजन के अभाव में नहीं बचा पाया. कोविड के इस भयंकर रूप को देखकर मैं कुछ को ऑनलाइन कंसलटेशन और कुछ को बुलाकर इलाज करता हूँ. मेरे साथ काम करने वालों को भी मैंने आने से मना कर दिया है, क्योंकि ये बीमारी बहुत खतरनाक है. मैं कई अस्पताल से जुड़ा हूँ, क्योंकि सीरियसली बीमार रोगी को अस्पताल में एडमिट करने की जरुरत पड़ती है, लेकिन कोविड में सारे अस्पताल भरे होने की वजह से मैं किसी भी बीमार को एडमिट नहीं कर सका. मेरा मेसेज लोगों से यह है कि कोरोना की कोई दवा नहीं है. केवल लक्षण के आधार पर इलाज किया जाता है. यंग लोगों की लापरवाही से ये रोग अधिक फैला है और यूथ की मृत्यु भी अधिक हुई है. कोविड की तीसरी लहर न आयें, इसके लिए जरुरत के बिना घर से बाहर न निकलना, मास्क पहनना, डिस्टेंस मेंटेन करना और हाथ धोना ये सब रोज की प्रैक्टिस में लाना चाहिए. इस बीमारी से डरने की जरुरत नहीं, क्योंकि मेरे 700 मरीज में केवल 50 मरीज ही थोड़े सीरियस थे.

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सिर्फ मिला एप्रीसिएशन

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डॉ. का कहना है कि सरकार की तरफ से किसी प्रकार की सुविधा मुझे नहीं मिली. कर्नाटक के मुख्यमंत्री और भारत के प्रधान मंत्री ने कोरोना वारियर और हीरो के रूप में उनके वेब साईट पर मेरा नाम डाला है और एप्रीसिएशन मिला है, इसके अलावा किसी प्रकार की वित्तीय सहायता नहीं मिली. मुझे सहयोग करने वाले ऑटो ड्राईवर, मजदूर, अनपढ़ गरीब लोग है, जो केवल व्हाट्सएप चलाना जानते है. उससे ही वे मुझसे जुड़ते है.

Neha Kakkar की तरह Shagufta Ali की मदद करने पर ट्रोल हुईं Madhuri Dixit, देखें वीडियो

रिएलिटी शो में अक्सर आए मेहमानों की लाचारी दिखाकर टीआरपी बटोरी जाती हैं. वहीं बीते दिनों इसी मामले के चलते इंडियन आइडल 12 (Indian Idol 12) में नेहा कक्कड़ (Neha Kakkar) और उनकी बहन सोनू कक्कड़ (Sonu Kakkar) ने ट्रोलिंग का सामना किया था. वहीं अब बौलीवुड एक्ट्रेस माधुरी दीक्षित भी कैमरे के सामने आर्थिक मदद देने के चलते ट्रोलिंग का सामना कर रही हैं. आइए आपको बताते हैं पूरा मामला…

रियलिटी शो में पहुंची एक्ट्रेस

 

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दरअसल, हाल ही में एक्ट्रेस शगुफ्ता अली ने एक इंटरव्यू में अपनी फाइनेंशल कंडीशन का जिक्र किया था, जिसके बाद कई सितारें उनकी मदद के लिए सामने आए थे. इस बीच डांस रियलिटी शो डांस दीवाने 3 के मंच पर स्पेशल गेस्ट के तौर पर एक्ट्रेस शगुफ्ता को बुलाया गया.  जहां उन्होंने अपना दर्द बयां किया कि बीते 4 साल से उनके पास कोई काम नही है और वह घर पर खाली हैं, जिसके कारण उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है.

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माधुरी दीक्षित ने की मदद

 

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एक्ट्रेस शगुफ्ता की दुखभरी कहानी सुनकर होस्ट भारती सिंह से लेकर जज माधुरी दीक्षित की आंखों में आंसू आ गए और माधुरी मंच पर आकर उन्हें 5 लाख रुपये का चेक देते नजर आईं. वहीं माधुरी का कैमरे के सामने चेक देना लोगों को बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा और वह उन्हें जमकर ट्रोल करते नजर आ रहे हैं.

ट्रोलिंग का शिकार हुईं माधुरी

ट्रोलर्स का कहना है कि किसी की मदद करने के लिए ड्रामा करने की जरुरत नही है. वहीं रियलिटी शोज में इन दिनों लोगों की मदद करते हुए कई सितारे नजर आ रहे हैं. इसके चलते कई सितारे ट्रोलिंग का सामना भी कर रहे हैं.

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द विजिलः मनोवैज्ञानिक हॉरर फिल्म, जो डराती नही है, पढ़ें रिव्यू

रेटिंग: ढाई स्टार

निर्माताः बी एच प्रोडक्शन और एंग्री एडम प्रोडक्शन

लेखक व निर्देशकःकीथ थॅामस

कलाकारः डेव डेविस,  मेनाशे लुस्टिग और माल्की गोल्डमैन

अवधिः एक घंटा तीस मिनट

ओटीटी प्लटफार्मः अमेजॉन प्राइम

भाषा: अंग्रेजी और हिंदी

द इनविजिबल मैन,  इंसिडियस फ्रैंचाइजी,  द पर्ज फ्रैंचाइजी,  हैलोवीन फ्रैंचाइजी,  हैप्पी डेथ डे फ्रैंचाइजी,  स्प्लिट,  ग्लास जैसी कई द इनविजिबल मैन,  इंसिडियस फ्रैंचाइजी,  द पर्ज फ्रैंचाइजी,  हैलोवीन फ्रैंचाइजी,  हैप्पी डेथ डे फ्रैंचाइजी,  स्प्लिट,  ग्लास जैसी कई पैरानॉमल गतिविधि पर आधारित फिल्मों के निर्माता इस बार एक यहूदी प्रथा पर मनोवैज्ञानिक हॉरर फिल्म‘‘द विजिल’’ लेकर आए है. यह फिल्म अंग्रेजी भाषा में है, मगर अमेजॉन प्राइम पर इसे हिंदी में देखा जा सकता है.

यहूदी रीति रिवाज के अनुसार किसी इंसान की मृत्यू होने पर अंतिम संस्कार होने तक उस इंसान के पार्थिव शरीर को रात भर घर के अंदर रखा जाता है और घर का एक सदस्य रात भर उस पार्थिव शरीर के पास बैठकर उसकी निगरानी करते हुए उसे बुरी आत्माओं से बचाने के लिए धार्मिक मंत्रो का उच्चारण करता है, इस इंसान को उस वक्त ‘शूमर’कहा जाता है और इस प्रथा को ‘विजिल’की संज्ञा दी गयी है. जिस घर में कोई नही होता, वह पेशेवर शूमर को पैसे देकर बुलाते हैं.

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कहानीः

यह एक रात की कहानी है. यह कहानी याकोव (डेव डेविस) की है, जो कि अपने ब्रोकलिन के अपने हसीदिक समुदाय को छोड़कर आधुनिक दुनिया के अनुकूल रहने के लिए संघर्ष कर रहा है. उसके लिए महिलाओं के साथ बातचीत करना मुश्किल है. मोबाइल फोन का उपयोग करना भी उसके लिए एक चुनौती है. पैसे की कमी है. नौकरी की तलाश में दर दर भटक रहा है. तभी एक पुराना रब्बी उसे मृत लिटवाक पर निगरानी रखने वाले शूमर बनने की नौकरी की पेशकश करता है. पहले वह मना कर देता है. मगर जब रब्बी उसे पांच घंटे के इस काम के लिए चार सौ डॉलर देने की बात करता है, तो मना नहीं कर पाता. रब्बी के साथ वह लिटवाक के घर जाता है, जहां  घर की एकमात्र सदस्य और मनोभं्रंश से पीड़ित श्रीमती लिटवाक (लिन कोहेन) उसे जाने के लिए कहती हैं. पर रब्बी के कहने पर याकोव रूक जाता है. रात में याकोव अजीब आवाजें सुनता है,  चीजें देखता है,  रोशनी करता है और टिमटिमाता है. वह स्वयं एक मानसिक स्थिति से पीड़ित है, जिसकी दवाएं ले रहा है. आस पास घटित हो रही घटनाओं व आवाजों से डर कर वह अपने डाक्टर को फोन करता है, अपनी मित्र सहर को फोन करता है. इस बीच उसे नींद की झपकी लगती है और व सपने में देखता है कि वह एक छोटे बालक के साथ कहीं जा रहा है. रास्ते में कुछ लोग उस बालक की हत्या कर देते हैं, पर वह उसे बचाता नही है. अब बालक इसके लिए उसे दोषी मानता है.  काफी परेशान होने पर श्रीमती लिटवाक उसे बताती हैं कि उनके पति को एक राक्षस,  एक माजिक द्वारा प्रेतवाधित किया गया है, जो घर पर आक्रमण करता है और अब उसे भी नहीं छोड़ेगा. वह कहती है कि वह याकोव को भी नही छोड़ेगा. याकोव उसे घर से निकलने का असफल प्रयास कर ख्ुाद को चोटिल कर लेता है. अंत में श्रीमती लिटवॉक उसे जलती हुई मोमबत्ती देकर एक उपाय बताती है, जिसे याकोव करता है और बुरी आत्मा लिटवाक के शरीर को छोड़कर चली जाती है.

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लेखन व निर्देशनः

जीवन और मृत्यु,  धार्मिक कट्टरवाद, अंधविश्वास, भूत, प्रेत, पिशाच और आधुनिक दुनिया,  पागलपन और विवेक के बीच अंतर्विरोधों की मनोवैज्ञनिक कहानी को फिल्मकार कीथ थॉमस पेश करने में सफल रहे हैं. कम लागत में बनायी गयी फिल्म में छोटी छोटी कई कमियां है. फिल्म का क्लायमेक्स बहुत ही घटिया है. यह एक हॉरर फिल्म है, मगर फिल्म एक भी पल के लिए डराती नही हे. जबकि लेखक व निर्देशक ने यहूदी धार्मिक रीति रिवाज के इर्द गिर्द विश्वास व अविश्वास की फैंटसी रचने की कोशिश जरुर की है.  फिल्मकार इस बात के लिए बधाई के पात्र है कि उन्होने इस फिल्म में  वास्तविक और कल्पित,  दुः ख और अपराधबोध,  आंतरिक राक्षसों और अतीत के घटनाक्रमो के बोझ को लेकर सवाल उठाए हैं. फिल्म की गति धमी है. कैमरामैन की कमजोरी इस फिल्म को सुस्त बनाती है.

अभिनयः

याकोव के किरदार मे डेव डेविस ने शानदार अभिनय किया है. अन्य कलाकार ठीक ठाक हैं.

Kareena-Saif के छोटे बेटे के नाम का हुआ खुलासा! जानें क्या है तैमूर के भाई का नाम

बौलीवुड एक्ट्रेस करीना कपूर खान आए दिन सुर्खियों में रहती हैं. वहीं उनके दोनों बेटे भी लाइमलाइट में आते रहते हैं. जहां तैमूर की फोटोज पर फैंस प्यार लुटाते नजर आते हैं तो करीना और सैफ अली खान के दूसरे बेटे की झलक देखने को बेताब रहते हैं. हालांकि एक्ट्रेस करीना कपूर कई बार फोटोज के जरिए फैंस को चेहरा दिखाने से बचती नजर आती हैं. इसी बीच करीना-सैफ के दूसरे बेटे के नाम का खुलासा हो गया है. आइए आपको बताते हैं क्या कहकर बुलाते हैं तैमूर के छोटे भाई को…

बच्चे के नाम का हुआ खुलासा


फरवरी 2021 में दोबारा पेरेंट्स बनने वाले करीना कपूर खान और सैफ अली खान ने अभी तक फैंस को अपने दूसरे बच्चे का नाम नहीं बताया है. हालांकि तैमूर के नाम की घोषणा कपल ने बड़े धूमधाम से की थी. लेकिन इस बार दूसरे बेटे के नाम का खुलासा नहीं किया गया है. इसी बीच कुछ रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सैफीना कपल के दूसरे बेटे का नाम फाइनल हो गया है. वहीं कहा जा रहा है कि सैफीना कपल अपने छोटे बेटे को अभी जे (Jeh) कहकर बुलाते हैं. हालांकि अभी तक इस बात की कोई औफिशियल जानकारी नहीं दी गई है.

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मंसूर रख सकते हैं नाम

खबरों की मानें तो करीना कपूर खान और सैफ अली खान अपने बेटे का नाम उनके दादाजी जाने-माने क्रिकेटर मंसूर अली खान पटौदी के नाम पर रखना चाहते हैं, जिसके कारण कहा जा रहा है इस कपल के छोटे बेटे का नाम मंसूर हो.

तैमूर के नाम पर हुआ था बवाल

सैफ-करीना ने अपने पहले बेटे का नाम तैमूर अली खान रखने से कुछ लोगों में नाराजगी देखने को मिली थी. दरअसल, तैमूर एक क्रूर और खतरनाक आक्रमणकारी था, जिसने हिन्दुस्तान पर हमला करके यहां लूटपाट और कत्लेआम किया था. वहीं लोगों का कहना था कि करीना-सैफ का ऐसा नाम रखना देश के साथ गद्दारी होगी. हालांकि विरोध के बाद भी कपल ने बेटे का नाम नहीं बदला और सैफ अली खान ने सफाई देते हुए कहा था कि तैमूर का मतलब योद्धा होता है, इसलिए उन्होंने अपने बेटे का नाम रखा है.

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