बड़े काम के हैं व्हाट्सऐप के ये ट्रिक्स

लेखक- शाहनवाज

स्मार्टफोन यूज करने और इंटरनैट चलाने वाले व्हाट्सऐप के बारे में जानते ही होंगे. व्हाट्सऐप पूरी दुनिया में स्मार्टफोन यूज करने वाले लोगों के फोन में सब से कौमन एप्लीकेशन है जिस की जरूरत आजकल तकरीबन सभी को होती है. व्हाट्सऐप का इस्तेमाल पहले के समय में सिर्फ लिखे हुए मैसेज को भेजने के लिए किया जाता था लेकिन आज के एडवांस जमाने के साथ व्हाट्सऐप काफी एडवांस हो चुका है. अब लिखे हुए मैसेज भेजने के साथसाथ व्यक्ति व्हाट्सऐप पर वौइसकौल और वीडियोकौल दोनों कर सकते हैं. इस के अलावा, व्हाट्सऐप मल्टीमीडिया सैंड करने का तो जरिया है ही.

एक आंकड़े के अनुसार, पूरे भारत में व्हाट्सऐप यूज करने वाले लोगों की संख्या करीब 39 करोड़ है. लेकिन हर कोई व्हाट्सऐप के सभी टिप्स और ट्रिक्स से वाकिफ हो, यह जरूरी नहीं. ये कुछ टिप्स और ट्रिक्स उन यूजर्स के लिए सब से ज्यादा यूजफुल होंगे जो किसी से संपर्क करने के लिए ज्यादातर व्हाट्सऐप का इस्तेमाल करते हैं और सब से ज्यादा व्हाट्सऐप पर ऐक्टिव रहते हैं.

बिना नंबर सेव किए मैसेज भेजना:

व्हाट्सऐप में कई बार ऐसा होता है कि आप को किसी अनसेव्ड नंबर पर मैसेज भेजना होता है जिस के लिए आप को सब से पहले उस का नंबर अपने फोनबुक में सेव करना होता है. इसी के बाद ही आप उसे व्हाट्सऐप कर सकते हैं. लेकिन इस ट्रिक से आप व्यक्ति का नंबर सेव किए बिना उसे मैसेज भेज सकते हैं, बशर्ते वह व्हाट्सऐप पर मौजूद हो.

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उदाहरण के लिए, यदि आप को 98123××××× नंबर को बिना सेव किए उस को व्हाट्सऐप संदेश भेजना है तो आप को सब से पहले अपने फोन का ब्राउजर ओपन करना है, फिर यूआरएल में द्धह्लह्लश्चह्यर्//2ड्ड.द्वद्ग/+98123××××× टाइप करना है और सर्च कर लेना है. जिस के रिजल्ट में एक विंडो ओपन होगी जो आप से पूछेगी कि क्या आप को इस नंबर पर चैट करना है, जिस पर क्लिक करते ही आप के फोन में व्हाट्सऐप खुल जाएगा और आप उस नंबर पर बिना उसे सेव किए मैसेज भेज सकते हैं. याद रखें कि यूआरएल में नंबर डालने से पहले कंट्री कोड डालना जरूरी है और जिसे आप मैसेज भेज रहे हैं उस का व्हाट्सऐप पर अकाउंट होना चाहिए.

औटो रिप्लाई करना :

यह ट्रिक उन व्हाट्सऐप यूजर्स के लिए बेहद यूजफुल है जो बिजनैस के उद्देश्य से व्हाट्सऐप का इस्तेमाल करते हैं और उन के लिए जिन्हें व्हाट्सऐप पर बड़ी संख्या में मैसेज आते हैं जिन पर एकएक कर रिप्लाई करना कई बार बेहद मुश्किल हो जाता है. इस के अलावा यदि आप बिजी हैं और चाहते हैं कि आप को व्हाट्सऐप पर मैसेज भेजने वालों को एक औटोमेटेड रिस्पौंस चला जाए तो आप इस ट्रिक का बखूबी इस्तेमाल कर सकते हैं.

इस के लिए आप को प्ले स्टोर से एक थर्ड पार्टी एप्लीकेशन डाउनलोड करना होगा जो बेशक थोड़ा रिस्की जरूर है लेकिन यदि फिर भी आप ट्राई करना चाहें तो कर सकते हैं. प्ले स्टोर के सर्च बौक्स में आप को टाइप करना है- व्हाट्स औटो रिप्लाई ऐप. जिसे डाउनलोड करने के बाद आप को इसे अपने फोन की सैटिंग्स में जा कर इनेबल करना है, नोटिफिकेशन की परमिशन देनी है और अपने कस्टम मैसेज फीड कर सेव कर देना है. यह औटोमैटिकली किसी के मैसेज करने पर औटो रिप्लाई कर देगा.

किसी मैसेज को बुकमार्क करना :

जिस तरह से हम अपने कंप्यूटर या लैपटौप में किसी खास वैबसाइट को आसानी से एक्सैस करने के लिए बुकमार्क कर लेते हैं ताकि हमें आसानी से वह वैबसाइट मिल जाए, ठीक उसी तरह से आप व्हाट्सऐप में कोई मैसेज सेव कर सकते हैं जिसे आप आसानी से एक्सैस कर सकते हैं.

व्हाट्सऐप में जो कोई भी मैसेज आप बुकमार्क करना चाहते हैं उसे लौंग प्रैस करने के बाद सब से ऊपर एक स्टार का निशान बना होता है जिसे क्लिक कर आप व्हाट्सऐप के स्टार मैसेज के फोल्डर में जा कर उसे पढ़ सकते हैं. बुकमार्क किया हुआ मैसेज उस फोल्डर में तब तक सेव रहेगा जब तक आप उसे डिलीट न कर दें.

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मैसेज की फौर्मेटिंग करना :

आप ने कई बार देखा होगा कि आप के फैमिली या फ्रैंड व्हाट्सऐप ग्रुप्स में फौरवर्ड किए हुए मैसेज आते हैं जो दिखने में काफी स्टाइलिश लगते हैं. कहीं बोल्ड अक्षरों का इस्तेमाल किया जाता है तो कहीं इटैलिक्स का. जिसे करना बेहद आसान होता है जो कई व्हाट्सऐप यूजर्स को पता ही नहीं होता.

इस के लिए आप को मैसेज टाइप करते समय ही कुछ अक्षरों का ध्यान रखना होता है. यदि आप बोल्ड अक्षरों का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो जितने हिस्से को बोल्ड करना है उस की शुरुआत और अंत में **(स्टार) टाइप कर देना है. इटैलिक्स के ट्ठ (अंडरस्कोर) और स्ट्राइकथ्रू के लिए – (हाइफन) का इस्तेमाल मैसेज की शुरुआत व अंत में कर आप अपने मैसेज को अधिक अट्रैक्टिव बना सकते हैं. यकीन न हो तो इस्तेमाल कर के देखिए.

आर्टिस्ट कृपा शाह से जानें कैसे भरे जीवन में रंग

कोविड 19 की महामारी नेबच्चों से लेकर बुजुर्ग सभी को प्रभावित किया है. लगातार लॉकडाउन से घर में कैद रहकर व्यक्ति को कुछ करने की इच्छा भी धीरे-धीरे नष्ट होती जा रही है, ऐसे में संगीत, कला, पेंटिंग्स, डांस, योगा आदि का सहारा लेने से ये चीजें, व्यक्ति कीबेरंग जिंदगी में कुछ रंग भरने का काम कर सकती है. बॉलीवुड की कई कलाकारों ने भी इसका सहारा लिया है. इस कड़ी में सबसे पहले अभिनेता सलमान खान आते है, उन्होंने अपनी बोरियत को कम करने के लिए कई पेंटिंग्स बनाए है. इसके अलावा अनन्या पांडे, जान्हवी कपूर, सनी लियोनि आदि सभी कलाकार पेंटिंग्स बनाकर अपनी उदास जिंदगी में रंग भरने की कोशिश कर रहे है.

अवसाद दूर करती है कलर्स

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रंग हमेशा किसी व्यक्ति के जीवन मेंमहत्वपूर्ण भूमिका निभाते है, क्योंकि फ्रेश चित्र पर लगाये गए रंग आपकी क्रिएटिविटी के साथ-साथ, मानसिक अवसाद से भी राहत देती है. आर्टिस्ट कृपा शाह ने भी अपने पेंटिंग्स में वाईब्रेंट कलरकॉम्बिनेशन और शार्प ब्रश स्ट्रोक्स से एक कहानी को कैनवास पर उतारने में सफल हुई और कई अवार्ड भी जीती. एब्सट्रैक्ट पेंटिंग बनाने में माहिर कृपा शाहने आर्ट की शिक्षा मुंबई से ली और जब भी समय मिलता परिवार के साथ कैनवास पर पेंटिंग करती गयी. कृपा शाह आर्टिस्ट होने के साथ-साथ एक जन हितैषी भी है. कृपा का कहना है कि इस पेंडेमिक की वजह से मेरा मन बहुत उदास रहता है, क्योंकि बहुत सारे लोगों ने कोविड से अपनी जान गवा दी है. इसलिए अभी मैं कुछ महीनों से सबको ऑक्सीजन, बेड, फ़ूड आदि जो भी संभव हुआ मदद करती जा रही हूँ. मेरे लिए अमीर हो या गरीब सब एक जैसे है, जिसे भी मेरी जरुरत होती है, मैं मदद करती हूँ. मेरे परिवार के और कई जानने वालों ने ऑक्सीजन की कमी से दम तोडा है. इसलिए जो लोग कोविड से ठीक होते है, उन्हें मैं एक पेड़ देकर उसे ग्रो करने की सलाह देती हूँ, क्योंकि लोगों ने अपने स्वार्थ के लिए जंगलों के पेड़ काँटे और जानवरों का शिकार किया है, जिसका परिणाम पूरा विश्व भुगत रहा है. अभी परिस्थिति ऐसी हो गयी है कि व्यक्ति मरना नहीं चाहता, लेकिन मरने के लिए बाध्य हो रहे है.  इसलिए क्रिएटिव पर्सन होने की वजह से मैंने अधिक से अधिक पेड़ ग्रो करने का सिद्धांत लिया है.

बेकार पड़ी वस्तुओं को दें क्रिएटिविटी

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कृपा ऑनलाइन पेंटिंग्स सिखाती है, जिसे बच्चे, बुजुर्ग और अकेले रहने वाले व्यक्ति भी सीख सकें. इसमें उन्हें रंग और रंगों के मिश्रण से बनने वाले अलग-अलग कलर का परिचय करवाती है. कृपा कहती है कि एक वृद्धाश्रम में भी मैंने कुछ क्रिएटिव सिखाने के लिए मोबाइल व्हाट्स एप का सहारा लिया है. इसमें 4 से 5 व्यक्ति साथ मिलकर तरह-तरह की चीजे बनाते है और आईडियाज शेयर करते है. उन्हें पेंटिंग्स नहीं सिखा पाती, क्योंकि उनके पास रंग नहीं होता और वे वयस्क है. किसी को वहां जाकर रंग पहुँचाने नहीं दिया जाता, ऐसे में मैंने उन्हें बिना कैची के अख़बार फाड़कर अलग-अलग चीजे बनना सिखाई है.उन्हें स्टेपलर और सेलोटेपआसानी से मिल जाता है.अखबार से महिलाओं और पुरुषों ने पंखा, गणपति, पक्षी, टोकरी आदि कई वस्तुएं बनाई है, इस कला से मैं उनके मायूस जिंदगी में थोड़ी ख़ुशी देने की कोशिश मैंने कर रही हूँ.रंगों के बिना घर पर ऐसे कई सामान पड़ी होती है, जिसे लेकर एक क्रिएटिव चीज बनायीं जा सकती है.इतना ही नहीं छोटी उम्र में अचानक विधवा हुई महिलाओं को भी ट्रोमा से निकालने का प्रयास मैं मनोवैज्ञानिक तरीके से करती हूँ.

मिला परिवार का सहयोग

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आर्टिस्ट कृपा शाह को बचपन से ही पेंटिंग का शौक था, जिससे उन्होंने 25 साल बाद सबसे परिचित करवाई. छोटी उम्र से ही उन्होंने बड़े-बड़े कैनवास पर बिना डरे पेंटिंग्स बना चुकी है. कृपा कहती है कि मुझे पेंटिंग और गरबा डांस का शुरू से शौक था. रंगों के साथ खेलना अच्छा लगता था. कम उम्र में शादी हुई और बच्चे भी हो गए, लेकिन मैंने पेंटिंग करना जारी रखा, क्योंकि इससे मुझे सकारात्मक सोच मिलता रहा. तब नई आइडियाज को कैनवास पर उतारते हुए रंगों की गहराई में जाना और स्केचिंग करना पसंद था.  पहले मेरे पेंटिंग्स रियलिटी से जुडी हुई होती थी, जिसमें प्रकृति से जुड़ी महिलाएं, पुरुष, बच्चे, जानवर आदि होते थे. चिनिया चोली पहनी हुई सिर पर मटकी रखकर पानी भरने के लिए जाती गांव की महिला, पेड़-पौधे,पालतू जानवरआदि जिसे असल जिंदगी में देख पाते है. मैंने उसे कैनवास पर जगह दिया था. दूसरा बच्चा होने के बाद मेरे परिवार वालों ने मेरे सारें पेंटिंग्स, मेरे घर भेजवा दी. यहाँससुराल पक्ष और पति के सहयोग से मैंने एक बार फिर पेंटिंग्स के क्षेत्र में आई. इस काम में मेरी माँ माया शाह, पति संदीप शाह और तीनों बेटियों का बहुत सहयोग रहा है. सबसे छोटी बेटी नताशा शाह पेंटिंग करती है और प्रदर्शनी से मिले फण्ड को कैंसर पेशेंट को डोनेट करती है. मेरी बड़ी बेटी वंशिका शाह और दूसरी काव्या शाह है, जो अलग क्षेत्र से जुडी हुई है. मैंने अपने परिवार के साथ सामंजस्य स्थापित कर कैरियर बनायीं है, क्योंकि मैं खुद की आइडेंटिटी चाहती हूँ. हर महिला को इसे बनाये रखना जरुरी है, क्योंकि जब तक महिला खुद को रेस्पेक्ट नहीं करेगी, उसे कोई सम्मान नहीं देगा.

करना था कुछ अलग

मैं अब रीयलिस्टिक पेंटिंग्स से हटकर कुछ यूनिक करना चाहती थी. मैंने एब्सट्रैक्ट यानि निराकार पेंटिंग पर जानकारी हासिल की. ये कठिन था, पर मैंने धीरे-धीरे एक कहानी को कैनवास पर उतारने की कला मेरे अनुभव से आने लगी, जिसे सभी पसंद करने लगे. फलस्वरूप मैंने कई शो किये,जिससे मेरा आत्मविश्वास भी बढ़ता गया. मुझे कई अवार्ड मिले, मेरा एक सिग्नेचर पेंटिंग हो गया. मैंने कैनवास पर रंगों और शंख को मिलाने के बाद की सकारात्मकता को पेंटिंग्स के द्वारा दिखाया है. शंख भी प्रकृति में पानी के अंदर अलग-अलग रूपों में पाया जाता है, जिसे बहुत कम लोगों ने देख पाते है. मैंने स्कूबा डाइविंग के जरिये पानी के नीचे जाकर देखा है. इससे शंख की जो छवि मेरे अंदर आई, उसे मैंने कैनवास पर उतारा. पेंटिंग्स में मेरे शंख का नाम अबिस्का है. मैंने अलग-अलग आकार केशंख की जोड़ी बनाई है, जो एक इमोशनल टच माँ-बेटी, पति-पत्नी, सास-ससुर, माता-पिता, माँ-बेटे आदि के रिश्तो केसंबंधो को मैंने कैनवास पर उतारा है, जो हॉट और कोल्ड दोनों से बना है. उसके आसपास जिस रंग को फैलाया गया है,वह उस रिश्ते की  मजबूती को दिखाती है और कैनवास के द्वारा इसी मेसेज को लोगों तक पहुंचाती हूँ. मैंने अपने पेंटिंग्स में ऑरेंज, पीला और हरे रंगों का अधिक प्रयोग किया है, जो उर्जा प्रदान करती है. इसके अलावा नीला रंग शांति और हरा रंग लक्जरी का अनुभव कराती है, जो महंगे जगह पर नहीं समुद्र या नदी के किनारे भी मिल सकती है.

जानें कैसा हो उमस में आपका डाइट

कोरोना की दूसरी लहर के बाद देश में राज्य स्तरीय लौकडाउन शुरू किया गया था. चूंकि अब मामलों में गिरावट आई है तो कई शहर अनलौक की प्रक्रिया अपना रहे हैं. लोगों का कामधंधा फिर से खुल गया तो लोग वापस बाहर निकलने लगे हैं. लेकिन बाहर निकलने के साथ बढ़ती उमस कोरोना समय में स्वास्थ्य पर खराब असर डाल सकती है.

उमस में न सिर्फ मौसम का तापमान बढ़ता है बल्कि शरीर का तापमान भी बढ़ने लगता है. बेचैनी, घरबराहट, सुस्ती के अलावा शरीर संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. जिस में शरीर का डीहाइड्रेट होना, अति पसीना आना, जल्दी बीमार पड़ना, इम्यूनिटी की कमी होना संबंधित दिक्कतें आ सकती हैं.

ऐसे में इन दिक्कतों को दूर करने के लिए ऐसी डाइट टिप्स आजमाए जाने की जरूरत है जो शरीर को फायदा पहुंचाएं.

डाइट टिप्स

ताजा खाना खाएं और स्वस्थ रहें : बेहतर है कि उमस में तुरंत पकाया हुआ खाना ही खाएं क्योंकि इस मौसम में खाना जल्दी खराब होने की संभावना रहती है. साथ ही, ऐसा खाना अपनी डाइट में शामिल करें जो जल्दी पच जाए. गाजर, टमाटर, पालक, खीरे के अलावा पानी से भरपूर लौकी, तुरई जैसी सब्जियां कम कैलरी वाली होती हैं, साथ ही इन से एसिडिटी  जैसी समस्याएं भी दूर होती हैं. इन में उमस से लड़ने की ताकत होती है.

चायकौफी कम : उमस में कोशिश करें कि चाय या कौफी का अधिक सेवन न हो. कैफीन से शरीर में डीहाइड्रेशन होता है. इस के बजाय जूस, आइस टी, दही, लस्सी, छाछ, नीबू पानी, आम पन्ना, बेल शरबत, नारियल पानी, गन्ने का रस पी सकते हैं. आप ग्रीन टी का सेवन कर सकते हैं.

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ग्लूकोज सेवन : उमस में हर समय ग्लूकोस मौजूद रहना चाहिए. यह बहुत साधारण और आम चीज है. बाहर निकलते समय यह जरूरी है कि बोतल में पानी के साथ ग्लूकोस मिला कर लिया जाए. यह शरीर को डीहाइड्रेट होने से बचाता है.

फलों पर जोर : यदि मीठा खाने का मन हो तो कोशिश करें कि फल को ही प्रायोरिटी में रखें और मिठाई खाने से बचें. उमस के मौसम में ऐसे बहुत से फल होते हैं जिन में भरपूर पानी होता है जो शरीर को रिफ्रैश रहने में मदद पहुंचाते हैं, जैसे तरबूज, खरबूजा, अन्नानास, पपीता इत्यादि.

पेय पदार्थ आवश्यक

– उमस में कम से कम 3 लिटर पानी पीना आवश्यक है. शरीर का तापमान बढ़ता है तो सब से पहले शरीर में पानी की कमी महसूस होती है. ऐसे में समयसमय पर पानी पीते रहें.

– डाइट में लिक्विड के तौर पर सूप, सैलेड फ्रूट्स बढ़ाएं. मसालेदार और तेज खाने से बचें.

– खाने में सफाई का पूरा ध्यान रखें. इस मौसम में पानी से संबंधित काफी बीमारियां फैलने की संभावनाएं रहती हैं. ऐसे में पानी का साफ होना सब से जरूरी है.

– कहीं बाहर उमस से आए हों तो तुरंत ठंडा पदार्थ न लें. घर पर भी हों तो ऐसे पेय पदार्थों से दूर रहें जो अत्यधिक ठंडे हों. इस तरह के पदार्थ पाचनक्रिया के अलावा शरीर के नैचुरल कूलिंग सिस्टम पर प्रभाव डाल सकते हैं.

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टेसू के फीके लाल अंगार- भाग 1 : क्या था सिमरन के अतीत की यादों का सच

लेखक- शोभा बंसल

सिमरन के पांव आज जमीन पर नहीं पड़ रहे थे. उस के होमस्टे को 15 दिन के लिए बुक जो कर लिया गया था.

वैसे तो यह उत्साह उस में हमेशा से ही बना रहता है, क्योंकि पुडुचेरी में सिम्मी होमस्टे अपनेपन और पंजाबियत के लिए जो प्रसिद्ध है.

चंडीगढ़ से कोई डाक्टर राजीव यहां कौंफ्रेंस पर आ रहे थे और वह कुछ दिन यहां पर अपनी पत्नी के साथ रहने वाले थे, सो होमस्टे में स्पेशल तैयारियां चल रही थीं.

वैसे भी सिमरन का चंडीगढ़ से पुराना नाता रहा है, तो उस का उत्साह देखते ही बनता था. वजह, इस चंडीगढ़ से कितनी खट्टीमीठी यादें जुड़ी हैं. अतीत के पन्ने फड़फड़ा उठे.

पंजाब के नाभा की रहने वाली सिमरन कभी अपने दारजी और बेबे की आंखों का तारा थी. सिमरन, मतलब जिसे इज्जत से याद किया जाए. पर उस ने तो ऐसा कारनामा किया है कि शायद पीढ़ियों तक कोई भी उस के खानदान में सिमरन का नाम भूल कर भी नहीं लेगा. उस का तो जीतेजी उस की यादों के साथ और उस के नाम के साथ शायद पिंडदान कर दिया गया था. उस ने लंबी सांस खींचते सोचा, क्यों कट्टरपंथी होते हैं परिवार वाले?

सिमरन के स्कूल पास करने के बाद उस के मातापिता ने बड़े अरमानों और नसीहतों के साथ उसे आगे की पढ़ाई के लिए चंडीगढ़ भेज दिया.

खुलेखुले माहौल ने भोलीभाली सिमरन को अलग ही दुनिया में ला पटका. यह तो पहला पड़ाव था. पता नहीं ऐसे कितने ही पड़ाव उसे अभी देखने थे.

अब कालेज उस के लिए पढ़ाई के साथ आजादी और मौजमस्ती का अड्डा भी था. तब लड़कियों का इज्जत व मान भी था. अगर रैगिंग और छेड़छाड़ होती भी थी तो हेल्दी तरीके से. आज की तरह अनहेल्दी एटमोस्फेयर न था.

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अकसर जब उस की खूबसूरती पर लड़के फब्ती कसते तो ऊपर से तो वह बेपरवाह रहती, पर अंदर ही अंदर उसे अपने रूप पर फख्र महसूस होता.

एक दिन जब वह अपने रूममेट स्नेहा के साथ लाल फुलकारी दुपट्टा पहन कालेज पहुंची, तो अचानक
‘लाल छड़ी मैदान में खड़ी…’
का कोरस बज उठा.

गुस्से में उस ने जो पलट कर देखा तो सब शरारती लड़के सीटियां मारने लगे. तभी एक सीनियर ने सब को हाथ के इशारे से रोका. उस हरी आंखों वाले नौजवान ने आगे बढ़ कर डायलौग मारा, “कुड़िए तेरी मंगनी हो गई, तो फिर चाय पार्टी दे.”

यह सुन सिमरन के गाल शर्म से लाल हो उठे और उस ने फुलकारी से अपना मुंह ढक लिया.

यह देख उस सीनियर ने बड़ी अदा से फिल्मी अंदाज में गाना शुरू कर दिया, “रुख से जरा नकाब हटा दो मेरे हुजूर, जलवा फिर एक बार दिखा दो मेरे हुजूर…”

सिमरन ने गुस्से में पैर पटक कर जो जाना चाहा, तो उस ने सिमरन के पैरों में झुक कर अदा से बैठते हुए नया तराना शुरू किया, “अभी ना जाओ छोड़ कर, के दिल अभी भरा नहीं…”

और कुछ सीनियर लड़केलड़कियां स्नेहा, सिमरन और उस हरी आंखों वाले सीनियर के चारों तरफ घेरा डाल इस छेड़छाड़ का मजा लेने लगे और मिल कर गाने लगे, “कहां चल दिए इधर तो आओ हमारे दिल को यूं ना तड़पाओ.”

तभी किसी ने कहा, “पैट्रिक, भागो. प्रिंसिपल सर इधर ही आ रहे हैं.”

ऐसा सुनते ही सारे सीनियर खिसक लिए.

उस हरी आंखों वाले पैट्रिक की शरारत अकसर सिमरन के जेहन में आ कर उसे गुदगुदा जाती.

फिर एक दिन वह रिकशे में बैठ कर सैक्टर 17 जा रही थी, तभी एक मोटरसाइकिल उस की बगल से गुजरी और हेलमेट पहने किसी नौजवान ने फब्ती कसी, “अगर चुन्नी लेने का इतना ही शौक है तो ढंग से लिया करो. नहीं तो किसी दिन गले में फांसी का फंदा बन जाएगी…”

जब तक वह कुछ रिएक्ट करती और अपनी चुन्नी संभालती, तब तक उस के गले से चुन्नी फिसल कर रिकशे के पहिए में फंस गई.

यह सब इतनी जल्दी और अचानक हुआ कि उस की चीख निकल गई. लोग जब तक इकट्ठे होते, तब तक पैट्रिक ने अपना हेलमेट उतार उस की चुन्नी को पहिए से अलग किया और रिकशे वाले को पैसे दे रफादफा होने को कहा. फिर आंखें तरेर कर सिमरन को अपने साथ मोटरसाइकिल पर बैठा होस्टल वापस ले आया.

सिमरन को याद हो आया,
“बेबे सही कहती थी, चुन्नी जमीन को छूनी नहीं चाहिए. चुड़ैल चिमट जाती हैं.”

शायद उस की चुन्नी के सहारे इश्क चुड़ैल उस से चिपट चुकी थी.

वह तो बस पैट्रिक की हरी आंखों में डूबने को उतावली थी. जितना वह पैट्रिक को पाने की, छूने की कोशिश करती, उतना ही वह पता नहीं क्यों परेशान हो जाता और शादी से पहले ऐसे संबंधों को गलत बताता. वह उस के इस व्यवहार पर वारीवारी हो जाती.

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आज वह महसूस कर रही है कि सच में कुछ इनसान अंदर और बाहर से कितने अलग होते हैं. पता नहीं, कब गिरगिट की तरह रंग बदल ले. वक्त भी तो गिरगिट की तरह रंग बदलता है.

उन दिनों धीरेधीरे उन दोनों के बीच दोस्ती परवान चढ़ने लगी. अब पढ़ाई के साथ सिमरन और पैट्रिक कल्चर क्लब के एक्टिव मेंबर बन चुके थे.

उस की रूममेट स्नेहा ने उसे कई बार पैट्रिक के साथ ज्यादा नजदीकियां न बढ़ाने का इशारा भी किया. पर उसे उस की ईर्ष्या समझ सिमरन ने अनसुना कर दिया, क्योंकि सिमरन पर तो जैसे पैट्रिक की हरी आंखों का सम्मोहन छाया था. उस में आए बदलाव को उस की बेबे ने भी महसूस किया और उस की शादी के लिए दारजी पर दबाव डालना शुरू कर दिया.

इधर समय ने करवट ली. उन के कालेज के इंटर कालेज फेस्टिवल में उन दोनों का ‘हीररांझा’ नाटक देख एक प्रोड्यूसर ने उन्हें अपनी अगली पिक्चर में नायकनायिका बनाने का औफर दिया और अपना विजिटिंग कार्ड थमा दिया.

अब वे दोनों इस विजिटिंग कार्ड के पंखों पर सवार हो यथार्थ की दुनिया से सपनों की दुनिया में विचरने लगे.
इधर दोनों के फाइनल्स हुए, उधर सिमरन की शादी कपूरथला की जानीमानी अमीर पार्टी से पक्की हो गई.

पैट्रिक को भी केरल वापस आ कर चाय बागान संभालने का हुक्ममनामा मिला. दोनों के ही नायकनायिका बन दुनिया के दिलों पर राज करने के सपने चकनाचूर हो गए.
न तो सिमरन पक्की गृहस्थन बनना चाहती थी और न ही पैट्रिक चाय बागान का मालिक – एक ठेठ व्यापारी.

तभी जैसे उस की तंद्रा को तोड़ते नीचे रिसेप्शन से मैसेज मिला कि मिस्टर और मिसेज राजीव पहुंच गए हैं. अपने को एक बार शीशे में निहार सिमरन नीचे भागी.

होमस्टे का स्टाफ अतिथियों के लिए फ्रेश ड्रिंक्स और आरती का थाल ले कर स्वागत की पूरी तैयारी के साथ खड़ा था. पहला इंप्रेशन अगर अच्छा रहा तो खुदबखुद उस के होमस्टे की पब्लिसिटी हो जाएगी.

यह सोच कर सिमरन के होठों पर स्मित मुसकान आ गई. पर, जैसे ही उस ने राजीव दंपती को देखा तो लगा मानो पैरों तले जमीन निकल गई हो और उस के होठों पर आई मुसकान मानो वहीं जम गई. उस के सामने तो उस की कालेज के जमाने की रूममेट स्नेहा अपने पति डाक्टर राजीव के साथ खड़ी थी.

इधर स्नेहा भी सिमरन को यों यहां पुडुचेरी में होमस्टे की मालकिन देख ठगी सी रह गई. यह तो पैट्रिक के साथ मुंबई भाग गई थी. फिर यहां कैसे…?

इधर सिमरन ने भी वक्त की नब्ज देख गर्मजोशी से स्नेहा का हाथ पकड़ा और उस के गले लग गई.

डाक्टर राजीव ने स्नेहा की तरफ सवालिया निगाहों से देखा, तो उस ने इशारे से सब बाद में बताने को कहा. शायद वो यह नहीं देख पाए कि उस का इशारा करना सिमरन की निगाह से नहीं छुप पाया था.

एकबारगी तो सिमरन के चेहरे का रंग उड़ गया. कहीं उस का अतीत उस के सुखद और शांत वर्तमान और भविष्य पर हावी हो कर उथलपुथल न कर दे. फिर जब डाक्टर राजीव रिसेप्शन पर पेपर वर्क पूरा कर रहे थे, तो सिमरन ने स्नेहा का हाथ दबाते हुए उस के कान में कहा, “डा. राजीव को मेरे बारे में कुछ भी बताने से पहले मेरे से मिल लेना, प्लीज.”

उस दिन डा. राजीव की पुडुचेरी के एक आश्रम में कौंफ्रेंस थी, तो स्नेहा पुरानी सखी सिमरन से मिलबैठ बातें करने का बहाना बना वहीं होमस्टे में रुक गई. क्योंकि सिमरन का अतीत जानने की उस को भी उत्सुकता थी.

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उधर पुडुचेरी के सूर्यास्त की लालिमा सदैव ही सिमरन को उदास और एकाकी करती आई है. आज वह अपने कमरे में बैठ चाह कर भी अपनी इस अवसाद भरी सोच से बाहर नहीं निकल पा रही थी.

स्नेहा ने उसे अतीत के गहरे अंधेरे कुएं में जो धकेल दिया था. तभी स्नेहा ने हौले से दरवाजा थपथाया. अपने व्यथित मन को सहेज सिमरन ने प्रोफेशनल होस्ट और दोस्त की इमेज पहन ली.

स्नेहा ने कमरे में इधरउधर झांकते हुए पूछा, “पैट्रिक कहां है?”

सिमरन ने फीकी मुसकान के साथ कहा कि वह यहां अपनी बेटी के साथ अकेली ही रहती है और यह होमस्टे उस का ही है.

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आखिर क्यों रणबीर कपूर के परदादा ने दबाए थे दिलीप कुमार के पैर

दिलीप कुमार के सामने रणबीर कपूर चैथी पीढ़ी के कलाकार है. इतना ही नहीं दिलीप कुमार और रणबीर कपूर के बीच सिर्फ दो मुलाकाते ही हुई हैं. पर इन मुलाकातों ने रणबीर कपूर के दिलो दिमाग में ऐसा असर किया है कि वह कभी उन्हे भुला नही सकते. दिलीप कुमार के साथ अपनी मुलाकात को याद करते हुए रणबीर कपूर कहते हैंः

दिलीप कुमार जैसा इंसान, कलाकार कभी मरता नहीं. दिलीप कुमार थे, दिलीप कुमार हैं और दिलीप कुमार हमेशा रहेंगे. मेरा मानना है कि वह हर भारतीय के दिल में हमेशा जिंदा रहेंगे. दिलीप कुमार को लेकर मेरी कुछ यादें बहुत अच्छी है. मुझे अच्छी तरह से याद है कि जब मेरी पहली फिल्म‘‘सांवरिया’’रिलीज हुई थी,तो दिलीप साहब फिल्म के प्रीमियर पर आए थे. उस वक्त उनसे मेरी लंबी मुलाकात नहीं हो पायी थी. दूसरे ही दिन सुबह वह अपनी गाड़ी में मेरे घर के बाहर आए. घर के अंदर नहीं आए. उन्होंने हमारे घर के चैकीदार से कहा कि,‘साहबजादे रणबीर को बाहर बुलाकर लाओ. ’मैं बाहर गया. उन्होंने मुझे नीचे बैठाया. फिर मेरे दादाजी,परदादाजी को लेकर कई किस्से सुनाए. फिल्मों को लेकर उन्होंने बहुत सी बातें सुनायी. उन्होंने परफार्मेंस को लेकर कई बातें कही. कुछ टिप्स भी दे दिए. दिलीप कुमार जैसे दिग्गज कलाकार का आशिर्वाद जब मिलता है,तो अपने आप आपके अंदर एक ऐसा आत्म विश्वास आ जाता है कि फिर आपको लगता है कि अब आपकी सारी राह आसान हो गयी है.

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इस मुलाकात में कम से कम तीन घंटे हमारे बीच बातचीत होती रही. दिलीप कुमार साहब ने मेरे पापा या मेरे दादाजी को लेकर कुछ किस्से सुनाए. पर मुझे उनका सुनाया हुआ वह किस्सा मेरे दिलो दिमाग में बैठ गया,जो कि उन्होने मेरे ग्रैंड दादाजी यानी मेरे परदादा स्वर्गीय पृथ्वी राजकपूर को लेकर सुनाया. दिलीप कुमार साहब और मेरे परदादा पृथ्वीराज कपूर ने एक साथ फिल्म‘‘मुगल ए आजम’’में एक साथ काम किया था. फिल्म की शूटिंग चल रही थी. एक दिन दिलीप कुमार साहब सेट पर पहुंचे,तो कुछ बीमार थे. वह मेकअप रूम में जाकर बैठ गए. जब यह बात मेरे परदादा स्वर्गीय पृथ्वीराज कपूर को पता चली,तो वह दिलीप साहब के मेकअप रूम में गए और दिलीप कुमार साहब को अपनी गोद में बिठाया तथा उनके पैर दबाने लगे. फिर अपने चरित्रों की भी बात की. दिलीप कुमार साहब ने बताया कि यह वह दौर था,जब पृथ्वीराज कपूर और वह दोनों बहुत लोकप्रिय थे. दोनों के बीच जबरदस्त प्रतिस्पर्धा थी. इसके बावजूद उस दौर में यह कलाकार आपस में बड़े दिल के साथ व्यवहार करते थे. जबकि अब तो सभी कलाकार सेल्फिश हो गए हैं. सिर्फ अपने बारे में ही सोचते हैं.

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Anupamaa: नंदिनी ने मारा होने वाले ससुर वनराज को थप्पड़, Funny वीडियो वायरल

स्टार प्लस के सुपरहिट सीरियल ‘अनुपमा’ में आए दिन नए ट्विस्ट आ रहे हैं, जिसके चलते शो की टीआरपी पहले नंबर पर बनी हुई है. वहीं सीरियल के सेट पर भी स्टार्स के बीच मस्ती का माहौल देखने को मिलता है, जिसकी वीडियो और फोटोज सोशलमीडिया पर वायरल होती रहती हैं. इसी बीच औनस्क्रीन ससुर वनराज और होने वाली बहू नंदिनी की फनी वीडियो वायरल हो रही हैं. आइए आपको दिखाते हैं फनी वीडियो…

वनराज को पड़ा थप्पड़

 

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सीरियल अनुपमा में वनराज का लीड रोल अदा करने वाले सुधांशु पांडे ने हाल ही में इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें नंदिनी यानी एक्ट्रेस अनघा भोंसले सुधांशू को जोरदार तमाचा मारती हुई नजर आ रही हैं. दरअसल,  सुधांशु पांडे ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा, ‘ मेरी बेटी मुझे इतना प्यार करती है कि जब मैं गलती करता हूं तो मुझे कान के नीचे बजा के आवाज के साथ बताती है, जोर का झटका जोर से’.

 

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सेट पर करते हैं मस्ती

 

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अनुपमा के सितारे सेट पर कई बार मस्ती करते हुए नजर आते हैं. हाल ही में काव्या यानी मदालसा शर्मा, समर यानी पारस कलनावत, किंजल यानी निधि शाह, नंदिनी यानी अनघा भोसले और वनराज यानी सुधांशू पांडे गाना गाते हुए नजर आए थे, जिसे फैंस ने काफी पसंद किया था. हालांकि बीते दिनों अनुपमा के सेट पर गुटबाजी की खबरों ने फैंस को परेशान कर दिया था.

 

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सीरियल के अपकमिंग ट्रैक की बात करें तो वनराज और काव्या की नौकरी जाने के बाद अनुपमा पूरा घर संभालती हुई नजर आएगी. हालांकि काव्या, अनुपमा को ताने मारने से बाज नही आएगी. इसी बीच खबरे हैं कि सीरियल में नई एंट्री देखने को मिलेगी, जिसे जानकर फैंस का मजेदार रिएक्शन देखने को मिल रहा है.

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Shocking: Choti Sarrdaarni से हुई सरबजीत और सहर की छुट्टी! पढ़ें खबर

कलर्स के पौपुलर सीरियल ‘छोटी सरदारनी’ (Choti Sarrdaarni) की कहानी में नया मोड़ लाने के लिए मेकर्स ने नया प्लान बना लिया है. खबरे हैं कि जहां शो में लीप लाने का फैसला कर लिया है तो वहीं शो में नजर आने वाले लीड कलाकारों को अलविदा कहने का मन बना लिया है. वहीं इस खबर से फैंस को झटका लगने वाला है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

लीप के चलते होगा ये बदलाव

 

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खबरों की मानें तो ‘छोटी सरदारनी’ में जल्द ही फैंस को 20 साल का लीप देखने को मिलने वाला है, जिसके चलते सरबजीत सिंह गिल यानी अविनेश रेखी सीरियल से विदा लेने वाले हैं. हालांकि मेहर का किरदार निभाने वालीं निम्रित कौर अहलूवालिया (Nimrit Kaur Ahluwalia) शो में बनी रहेंगी, जो कि मेहर की बेटी सहर का किरदार निभाती नजर आएंगी. दरअसल, अविनेश रेखी शो में सहर के पिता के रोल निभाने के लिए तैयार नहीं थे क्योंकि इस समय वह मेहर यानी निमृत के पिता के रोल में नजर आ रहे हैं, जिसके कारण ये फैसला लिया गया है.

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 इन स्टार्स का होगा रोल खत्म

एक रिपोर्ट के मुताबिक, शो की कहानी में 20 साल के लीप के बाद कई लीड रोल खत्‍म किए जाएंगे, जिनमें सीरियल में ‘छोटी सहर’ के रोल में नजर आ रहीं केविना टाक (Kevina Tak) और सरबजीत सिंह गिल का किरदार निभा रहे अविनेश रेखी शो से विदा लेंगे. वहीं मेहर की मां का कुलजीत के रोल में नजर आने वाली अनिता राज (Anita Raaj)की भी छुट्टी होने वाली है.हालांकि अभी इस खबर पर औफिशियली मोहर नही लगाई है. लेकिन फैंस को इस खबर से झटका लगने वाला है.

नई एंट्री से आएगी नया ट्विस्ट

सीरियल छोटी सरदारनी की कहानी को दिलचस्प मोड़ देने के लिए मेकर्स सीरियल में नए किरदारों की भी एंट्री करवाने वाले हैं, जिसमें विभा छिब्‍बर, जो एक दमदार राजनेता की भूमिका में नजर आएंगी. तो वहीं सहर के लिए नए लीड किरदार की भी तलाश की जा रही है. वहीं परम सिंह गिल के किरदार में शहजादा धामी नजर आने वाले हैं.

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दिलीप कुमार का निधन, 98वें साल की उम्र में कहा दुनिया को अलविदा

साल 2020 में जहां बौलीवुड इंडस्ट्री ने कई दिग्गज कलाकारों को खोया तो वहीं अब साल 2021 में भी सिनेमा इंडस्ट्री के दिग्गज एक्टर को खो दिया है. दरअसल, बौलीवुड के ट्रैजडी किंग दिलीप कुमार लंबे समय से बीमार चल रहे थे, जिसके बाद उनका निधन हो गया है. दिलीप साहब के निधन की खबर सुनते ही पूरी इंडस्ट्री सदमे में है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

दोस्त ने दी निधन की खबर

दिलीप कुमार के फैमिली फ्रेंड फैजल फारुखी ने एक्टर के औफिशियल ट्विटर अकाउंट से उनके निधन की जानकारी फैंस को दी. उन्होंने लिखा- बहुत भारी दिल से ये कहना पड़ रहा है कि अब दिलीप साहब हमारे बीच नहीं रहे. वहीं खबर मिलते ही इंडस्ट्री जहां शोक में डूब गई है तो वहीं राजनीति से लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रद्धांजलि व्यक्त की है. बता दें, दिलीप कुमार खराब तबीयत के चलते कई बार अस्पताल में एडमिट भी हो चुके हैं, जिसके चलते फैंस उनकी सलामती की दुआ मांगते रहते थे.

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भाई का हुआ था निधन

 

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बीते साल 2020 में दिलीप कुमार के दो छोटे भाई असलम खान (88) और एहसान खान (90) को कोरोना वायरस होने के कारण निधन हो गया था. हालांकि, सायरा बानो ने बताया था कि दोनों भाइयों के निधन की खबर दिलीप साहब को नहीं दी गई थी. लेकिन जब बाद में उन्हें जब पता चला तो उन्होंने अपना जन्मदिन और शादी की सालगिरह भी नहीं मनाई थी.

 

 

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पहले खान थे दिलीप कुमार

 

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एक्टर दिलीप कुमार (Dilip Kumar) का असली नाम मोहम्मद युसूफ खान (Mohammed Yusuf Khan) था, जिनका जन्म 11 दिसंबर 1922 को हुआ था. वहीं हिंदी सिनेमा में उनकी मेथड एक्टिंग के चलते The First Khan के नाम से जाना जाता है.

पर्सनल लाइफ को लेकर सुर्खियों में रहे दिलीप कुमार

 

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बता दें, एक्टर दिलीप कुमार (Dilip Kumar) अभिनेत्री मधुबाला के साथ दिलीप कुमार का रिश्ता सुर्खियों में रहा, लेकिन दोनों ने कभी अपने रिश्ते को शादी का नाम नहीं दिया. हालांकि दिलीप कुमार ने 1966 में एक्ट्रेस सायरा बानो से शादी की. उनके आखिरी समय तक सायरा बानो उनके साथ रहीं. साथ ही फैंस को उनकी हेल्थ से जुड़ी जानकारी समय समय पर देती रहीं.

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Family Story In Hindi: सितारों से आगे- भाग 2- कैसे विद्या की राहों में रोड़ा बना अमित

लेखिका- डा. सरस्वती अय्यर

 अगला दिन रविवार था. सुबह विद्या की नींद देर से खुली, घड़ी की ओर देखा, तो बड़बडाई कि अरे 9 बज गए. किसी ने मुझे उठाया तक नहीं. लगभग दौड़ते हुए कमरे से बाहर आई तो देखा बाहर गार्डन में मां, पिताजी और अमित बैठ कर गंभीरतापूर्वक किसी विषय में बातचीत कर रहे थे. ड्राइंगरूम में फोन की घंटी बज रही थी. विद्या ने फोन उठाया तो दूसरी तरफ से आवाज आई, ‘‘अमित हैं?’’

‘‘नहीं वे बाहर गार्डन में हैं. मैं विद्या बोल रही हूं, आप कौन?’’ विद्या ने पूछा.

सवाल के जवाब में फिर सवाल पूछा गया, ‘‘आप उस की कौन हैं?’’

‘‘मैं उन की पत्नी हूं,’’ विद्या ने जवाब दिया.

यह सुनते ही फोन कट गया.

‘कौन हो सकती है और उस ने फोन क्यों काटा?’ सोचते हुए विद्या बाथरूम में चली गई. जल्दी से फ्रैश हो कर किचन में जा कर 4 कप कौफी बना कर वह गार्डन में सब के लिए कौफी ले कर आई. उसे देखते ही तीनों शांत हो गए. गुडमौर्निंग कहते हुए विद्या ने मुसकराते हुए सब को कौफी दी और बैठते हुए अमित से पूछा, ‘‘आप का प्रोजैक्ट कैसा रहा? गए थे डेढ़ माह के लिए और लगा दिए 5 महीने,’’ कहते हुए उस ने अमित को शिकायतभरी नजरों से देखा.

मगर अमित ने कोई जवाब नहीं दिया. उड़तीउड़ती नजर उस पर डालते हुए चाय की चुसकियां लेता रहा.

विद्या को उस का यह व्यवहार कुछ चुभ गया पर वह स्वयं को संभालते हुए बोली, ‘‘अरे अमितजी आप का अभी एक फोन आया था, किसी महिला का था, पर जब मैं ने अपना नाम बताया तो पता नहीं क्यों उस ने जल्दी से फोन रख दिया.’’

‘‘अरे छोड़ो यार किसी बैंक वगैरह की क्रैडिट कार्ड बेचने वाली सेल्स गर्ल होगी,’’ कह कर अमित ने बात पलट दी.

विद्या कहना चाहती थी कि फोन करने वाली महिला का अनौपचारिक ढंग किसी क्रैडिट कार्ड वाली का नहीं हो सकता है, पर सब के सामने वह यह बात कह नहीं पाई. एक शक का कीड़ा कहीं अंदर कुलबुलाया जरूर था, पर उस समय बात आईगई हो गई.

अमित विदेश से सब के लिए ढेर सारे तोहफे लाया था. सब उसी में मगन थे, प्रिया भी आई थी, भाई से मिलने. पर इन सब के बीच विद्या को कहीं न कहीं लगता रहा कि अमित उस से अकेले में मिलने और बात करने में कतरा रहा है. खैर, दोपहर में खाना खा कर और भैया के लाए तोहफे ले कर प्रिया अपने घर चली गई. मां और पिताजी भी अपने कमरे में जा कर सो गए. रसोई वगैरह समेट कर विद्या जब अपने कमरे में पहुंची तो अमित गाड़ी की चाबी हाथ में ले कर कमरे से बाहर निकल रहा था.

‘‘अरे आप कहां जा रहे हैं?’’

विद्या के पूछने पर वह बोला कि थोड़ा दोस्तों से मिल कर आता हूं और वह बाहर निकल गया.

‘‘मुझ से मिलना नहीं आप को, मुझ से कुछ बातें नहीं करना आप को.’’

मगर विद्या की बातें सुनने के लिए अमित वहां कहां था. विद्या अपने आंसुओं पर काबू न पा सकी, जा कर कमरे में लेट गई.

लगातार बजती फोन की घंटी सुन कर विद्या उठी. एक बार फिर सुबह वाली आवाज थी, ‘‘अमित हैं क्या घर पर?’’

नहीं वे बाहर गए हैं. आप कौन?’’ विद्या ने पूछा.

मगर जवाब में, ‘‘अच्छा निकल गया क्या वह? चलो ठीक है ओके,’’ कह कर फोन रख दिया गया.

विद्या का संदेह और गहरा गया. शाम को इस बारे में अमित से बात करूंगी, उस ने तय कर लिया. पर ऐसा हो न सका. रात को 12 बजे अमित घर पहुंचा, तब तक विद्या सो चुकी थी. सुबह उस को भी औफिस जाना था. अगले दिन जल्दी उठ कर घर के काम आदि से फ्री हो कर वह औफिस के लिए निकल गई.

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आज अमित को 10 बजे किसी साइट इंस्पैक्शन के लिए जाना था. इसलिए वह आराम से सो रहा था. विद्या ने उसे जगाना उचित और सासूमां से कह कर वह औटो से चली गई.

विद्या औफिस पहुंच तो गई, पर उस का काम में मन नहीं लगा. एक तो घर पर काम की थकान, ऊपर से 2 दिनों से अमित की उपेक्षा से उस को बेतरह मानसिक कष्ट पहुंचा था. दोपहर होतेहोते उस को जबरदस्त सिर में दर्द होने लगा, बेचैनी होने लगी, चक्कर जैसे आने लगे. वह तुरंत छुट्टी ले कर घर आ गई.

काश, उस दिन घर न आई होती और उस ने वह सबकुछ आंखों से न देखा होता तथा कानों ने सुना न होता, तो क्या उस की जिंदगी आज कुछ और होती? नहीं, ऐसा कभी न कभी तो होना ही था. विद्या की आंखों से न चाहते हुए भी आंसू बह निकले. वृंदा को चादर ओढ़ा कर विद्या उठ खड़ी हुई. वृंदा ने उस के आंसू देख लिए तो हजार सवाल पूंछे और उन के जवाब देना उस के लिए बहुत मुश्किल होगा. अपने कमरे में आ कर विद्या लेट गई. एक बार फिर पुरानी यादें उसे घेरने लगीं और जैसे यादों की कडि़यां एक के बाद एक जुड़ती गईं…

उस दिन दोपहर के लगभग 2 बजे थे जब विद्या घर पहुंची. यह समय सासससुर के सोने का होता था, इसलिए उस ने डुप्लिकेट चाबी से घर का दरवाजा खोला और अपने कमरे की ओर जाने लगी कि अचानक सासूजी के कमरे से आती आवाजों ने उस का ध्यान खींचा. उन में से एक तेज आवाज अमित की थी. कमरे का दरवाला खुला था, पर परदे गिरे हुए थे.

भीतर से अमित की आवाज स्पष्ट सुनाई दे रही थी. गुस्से से भरे लगभग चिल्लाते हुए अमित कह रहा था, ‘‘मां अब तुम मुझ पर जबरदस्ती नहीं कर सकतीं. मैं ने तुम से पहले ही कहा था, मैं शबनम को नहीं छोड़ सकता पर तुम नहीं मानीं यह कह कर कि इस से प्रिया की शादी पर असर पड़ेगा. जोर डाल कर तुम ने उस विद्या को मेरे पल्ले बांध दिया.

‘‘यह तो अच्छा हुआ कि दुबई प्रोजैक्ट में शबनम मेरे साथ थी वरना मैं तो पागल हो जाता. मां प्लीज अब तो प्रिया भी सैटल हो चुकी है, अब विद्या से मेरा तलाक होना जरूरी है. शबनम मुझे शादी के लिए परेशान कर रही है. मैं अब और इंतजार नहीं कर सकता. तुम जल्दी से विद्या के मांबाप से बात करो और उन से कहो कि मुझे आजाद कर दें.’’

इस के पहले विद्या कुछ संभल पाती कि उसे ससुरजी की गरजती हुई आवाज सुनाई पड़ी, ‘‘मैं ने सोचा था कि शादी के बाद तुम सुधर जाओगे, मगर नहीं. तुम्हारे इश्क का भूत अभी तक नहीं उतरा. अरे अब तो तुम बाप बनने जा रहे हो, भूल जाओ पुरानी बातें.’’

विद्या को माजरा कुछ समझे कि उसे सास की मनुहार भरी आवाज सुनाई पड़ी, ‘‘अरे बेटा, इतनी सुंदर, सुघड़ बहू, साथ में सरकारी नौकरी और क्या चाहिए तुझे?’’

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‘‘अरे मां नहीं चाहिए मुझे तुम्हारी सुंदर बहू और उस की नौकरी. मुझे इस प्रौब्लम से जल्दी छुट्टी दिलाओ वरना मैं ने कुवैत में जौब के लिए बात की हुई है. इस बार जाऊंगा तो 15-20 साल नहीं आऊंगा, फिर रहना आराम से अपनी बहू के साथ,’’ यह अमित की विफरती हुई आवाज थी.

विद्या सकते में थी. अब सबकुछ उस के सामने स्पष्ट हो चुका था. उस की आंखों के आगे जैसे अंधेरा सा छा रहा था. उस के पैर लड़खड़ा गए, जबान सूख गई. वह दरवाजे का सहारा लेते हुए वही जमीन पर बैठ गई.

आवाज सुन कर सासूमां लगभग दौड़ती हुई बाहर आईं. विद्या की स्थिति देख कर उन को समझते देर न लगी कि वह सबकुछ सुन चुकी है. उन्होंने तुरंत उसे उठाया, भीतर ले जा कर बिस्तर पर लिटाया. जल्दी से जा कर वे उस के लिए चाय बना कर लाईं. उन्होंने रोती हुई विद्या को बैठा कर प्यार से उस का सिर सहलाया और जबरदस्ती चाय पिलाई.

ससुरजी चिंता से कमरे से अंदरबाहर हो रहे थे. अमित मौका देख कर अपनी बाइक उठा कर जा चुका था. उसे विद्या की कोई परवाह नहीं थी. सास विद्या को समझ रही थी, ‘‘रोओ नहीं बेटे अपनी तबीयत संभालो सब ठीक हो जाएगा.’’

थोड़ी देर बाद जब उन्हें लगा कि रोतेरोते विद्या सो गई है तो वे अपने कमरे में चली गईं.

आगे पढ़ें- अचानक समधीसमधन को आया देख कर…

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क्या मास्क से ब्यूटी संबंधित समस्या है?

सवाल-

क्या मास्क ने ब्यूटी से संबंधित समस्या है? अगर हां तो बताइए यह क्या है और इस से कैसे निबटें?

जवाब-

जी हां, मास्क ने ब्यूटी से संबंधित समस्या है. कोरोना महामारी में मास्क ज्यादा देर तक पहने रहने से आप के फेस पर एक ह्यूमिक ऐन्वायरन्मैंट बनने से पोर्स क्लौग हो जाते हैं और पिंपल्स होने का डर रहता है. इंटरनैट ने इस प्रौब्लम को नाम दिया है मास्कने, यानी मास्क पहनने से होने वाले ऐक्ने.

यदि आप की स्किन भी ‘ऐक्ने प्रोन’ है तो आप ऐक्नों को रोकने के लिए आप दिन में 2 बार ग्लायकोलिक या सैलिसिलिक ऐसिड बेस्ड क्लींजर से फेस वाश करें. यह औयल को कंट्रोल करता है, पोर्स क्लौग्ड से निबटता है और उन बैक्टीरिया का खात्मा करता है जिन से ऐक्ने हो सकते हैं.

यदि आप की स्किन ड्राई या सैंसिटिव है तो आप माइल्ड क्लींजर यूज करें, जिस में हार्श कैमिकल न हों. सौफ्ट कौटन मास्क, जिस में सांस लेना आसान हो और जो लंबे समय तक पहना जा सके, वही इस्तेमाल के लिए परफैक्ट है. मेकअप के बजाय आप एक लाइटवेट डेली मौइस्चराइजर लगाएं, जिस का एसपीएफ 30 हो. यह आप की स्किन को नमी देगा और मास्क पहनने से होने वाली टैन लाइंस से भी छुटकारा देगा. मास्क को हर बार इस्तेमाल करने के बाद माइल्ड साबुन से धो लें. इस से ऐक्ने और स्किन इरिटेशन से बचेंगी. ऐक्ने की समस्याओं से बचने के लिए हफ्ते में 2 बार स्क्रब करें.

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कोरोना वायरस (Corona virus) के संक्रमण से बचने के लिए अपनी और दूसरों की सुरक्षा के लिए मास्क पहनना जितना जरूरी हो गया है. उतना ही ये हमारे फेफड़ों के लिए कितना खतरनाक साबित हो सकता है. वो कैसे? आइए जानें –

कोविड-19 के संक्रमण से बचने के लिए पूरी दुनिया मास्क का सहारा ले रही है। पर विशेषज्ञ का कहना है कि मास्क पहनकर सांस लेने से हमारे फेफड़ों, वायटैलिटी और इम्यूनिटी पर काफी बुरा असर पड़ता है.इतना ही नहीं हम कई गंभीर बीमारियों के शिकार भी हो सकते हैं.

बी एल के हॉस्पिटल के चेस्ट एंड रेस्पिरेटरी डिसीसेस के सीनियर डायरेक्टर एंड एचओडी डॉक्टर संदीप नायर का कहना है कि अपनी और दूसरों की सुरक्षा के लिए मास्क पहनना जरूर है. लेकिन लगातार मास्क पहने रखना हमारे फेफड़ों के लिए कितना खतरनाक साबित हो सकता है.
मास्क पहनने पर कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा ज्यादा होने पर इसमें मौजूद हाइपरकेनिया सिरदर्द और चक्कर जैसी समस्या बढ़ा सकते हैं. इसके लिए आपको कुछ तरीके अपनाने होंगे.

1. अकेले हैं तो मास्क ना लगाएं

राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान का मानना है कि ज्यादा समय तक मास्क लगाने पर शरीर को कई नुकसान हो सकते हैं, इसलिए जब ज्यादा लोगों के बीच मौजूद हो तो मास्क जरूर लगाएं, लेकिन जब बहुत ज्यादा भीड़ में न हो, घर पर अकेले हो या फिर अकेले ड्राइव कर रहे हैं तो मास्क का उपयोग कम कर सकते हैं.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- मास्क पहनने में होती है परेशानी तो अपनाएं ये टिप्स

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