पापा आमिर खान के तलाक के बाद बेटी Ira ने किया पोस्ट, लिखी ये बात

बौलीवुड एक्टर आमिर खान ने हाल ही में फैंस को अपने और किरण राव के तलाक की खबर से फैंस और इंडस्ट्री के लोगों को झटका दिया था. हालांकि दोनों ने साथ में आकर एक इंटरव्यू भी दिया था. इसी बीच आमिर खान की बेटी Ira ने तलाक की खबर के बाद सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर किया है, जिसे फैंस वायरल कर रहे हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

पापा के तलाक के बाद किया पोस्ट

ira

आमिर के तलाक की खबरों के बाद उनकी बेटी Ira (Ira Khan) ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर एक पोस्ट किया है, जिसमें जिसमें उन्होंने अपनी एक फोटो शेयर करते हुए लिखा है कि, ‘अगला रिव्यू कल. आगे क्या होने वाला है?’ Ira के इस पोस्ट के बाद फैंस इसे आमिर खान और किरण राव के तलाक से जोड़ रहे हैं.

 

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तलाक पर बोले आमिर-किरण

 

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तलाक के खबर आने के बाद आमिर और किरण ने एक इंटरव्यू में कहा कि वह अभी खुश हैं साथ में काम करते हुए मिलकर अपने बेटे आजाद को पालेंगे. वहीं इस वीडियो में आमिर खान और किरण राव एक-दूसरे हाथ पकड़े हुए हैं और काफी खुश नजर आ रहे थे. वहीं इस वीडियो पर फैंस के कई रिएक्शन सामने आ रहे हैं. इसी बीच टीवी और फिल्मी सितारे अपना रिएक्शन दे रहे हैं, जिनमें हिना खान और राखी सावंत जैसे सितारे शामिल हैं.

 

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बता दें कि आमिर खान ने 1986 में रीना दत्ता से शादी की थी, जिनसे 2 बच्चे जुनैद और Ira हैं. वहीं साल 2002 में दोनों का तलाक होने के बाद साल 2005 में आमिर खान ने किरण राव से शादी की थी, जिनका एक बेटा आजाद है.

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स्मार्ट फोन चोरी हो जाए तो सिम बंद कराने से पहले बंद कराएं Netbanking

पिछले कुछ महीनों में एक खास ट्रेंड देखने में आ रहा है कि स्मार्टफोन चोरी होने के 24 घंटे के अंदर चोर नेट बैंकिंग के जरिये फोन मालिक के एकाउंट से पैसे निकालने की कोशिश करते हैं. दो महीने पहले अप्रैल 2021 में जी.एस. राजशेखरन  नाम के एक सज्जन का स्मार्टफोन चेन्नई रेलवे स्टेशन में चोरी हो गया. वह बंग्लुरु जा रहे थे, सोचा बंग्लुरु जाकर सिम बंद करा दूंगा. लेकिन दो दिन बाद बंग्लुरु जाकर जब वह एटीएम से कुछ पैसे निकालने के लिए गये तो पता चला कि उनके एकाउंट में निल बैलेंस है. बैंक में जाकर डिटेल मालूम की तो पता चला कि फोन गुम होने के 24 घंटे के भीतर ही उनके एकाउंट से 78,000.00 रुपये निकल गये थे.

यह एक अकेला किस्सा नहीं है. पिछले ही दिनों दिल्ली में भी यह ट्रेंड देखने को मिला है. प्रमोद परिहार नाम के एक व्यक्ति का मेट्रो में मोबाइल चोरी होता है और 24 घंटे के पहले ही बैंक से करीब 32,000.00 रुपये निकल जाते हैं. लखनऊ, इंदौर और लुधियाना में भी हाल के महीनों ऐसी घटनाएं घट चुकी हैं. इसीलिए दिल्ली पुलिस ने आम लोगों को एक सार्वजनिक हिदायत दी है कि अगर आपका स्मार्टफोन चोरी जो जाए तो उसकी सिम बंद कराने के पहले अपने नेटबैंकिंग को बंद कराएं, अगर उस फोन से बैंक एकाउंट जुड़ा हुआ है.

दरअसल जब से आधार, बैंक एकाउंट के साथ जुड़ गया है और एकाउंट डिटेल भूलने पर बैंकिंग सुविधा देने वाले कई एप मोबाइल फोन के कुछ नंबर लिखकर उस पर वेरीफिकेशन ओटीपी भेजते हैं ताकि आप अपना भूला हुआ पासवर्ड फिर से हासिल कर लें,तब से इस तरह के फ्राड काफी ज्यादा होने लगे हैं. स्मार्टफोन में दिक्कत यह है कि आपके तमाम डाटा होते तो इनक्रिप्टेड हैं (यानी इन्हें कोई पढ़ नहीं सकता ) लेकिन जुगाड़ में माहिर अपराधी किसी न किसी तरीके से इस इनक्रिप्टेड डाटा को पठनीय भाषा में तब्दील कर लेते हैं और ऐसा होने के बाद समझिये आपके बैंक एकाउंट की खैर नहीं. अगर आपने 24 से 48 घंटे में अपने बैंक को अपने साथ हुए इस फ्रॉड की सूचना देते हैं, तब तो संभव है कि आपकी खोई हुई रकम की बैंक भरपाई कर दे , वरना बैंकों के पास भी कई बहाने हैं,जिससे  आप अपनी खोई रकम वापस नहीं पाते.

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लब्बोलुआब यह है कि इन दिनों स्मार्टफोन का चोरी का मतलब सिर्फ चोरी होना नहीं है. अपराधी आपके स्मार्टफोन से आपकी ऑनलाइन बैंकिंग डिटेल्स और मोबाइल में मौजूद वॉलेट तक  जल्द से जल्द पहुंचने की केाशिश करते हैं और अगर पहुंच गये तो क्या होगा, इसकी बस आप कल्पना ही कर सकते हैं. इसलिए इन दिनों अगर आपका फोन चोरी हो जाए तो आपके नंबर का क्या मिसयूज होगा इससे ज्यादा आशंका इस बात की पैदा हो जाती है कि आपका बैंक में जमा पैसा कितना सिक्योर रह पायेगा ? इसलिए न दिनों यदि आपका फोन चोरी हो जाए, तो सबसे पहले जितना जल्दी हो सके अपनी नेट बैंकिंग एनएक्टिव कराएं,इसकी बैंक को सूचना तुरंत दें और बैंकिंग सेवा के लिए नंबर को ब्लाक करा दें. अगर यह दिन में कामकाजी समय के दौरान हुआ है तो न सिर्फ मेल, एसएमएस के जरिये बल्कि कस्टमर केयर में फोन करके भी यह जानकारी तुरंत दे दें.

इसके साथ ही अगला कदम, अपने सिम को ब्लाक  कराने का करें, जिससे कि फोन में किसी भी किस्म का फाइनेंशियल ओटीपी न आ सके. फोन के सिम को ब्लाक करवाने का आपको तात्कालिक रूप से यह नुकसान हो सकता है कि फिर से वही नंबर मिलने में कुछ दिन लगें. लेकिन आप कई तरह की असुरक्षाओं से बच जाएंगे. क्योंकि आजकल ओटीपी सिस्टम के जरिये फोन बैंकिंग सेवा के लिए बड़े खतरे बन गये हैं. फोन चोरी होने के बाद जितना जल्दी हो आप अपने इंटरनेट बैंकिंग यूज का पासवर्ड रिसेट कर लें. बैंक से लिंक्ड यूपीआई पेमेंट को तुरंत डी-एक्टिवेट कर दें और मोबाइल वॉलेट को भी ‘वैरीफाइ हेल्प डेस्क’ पर फोन करके बंद करा दें,  वरना पेटीएम और गूगल पे जैसी पलक झपकती मनी ट्रांसफर की सुविधाएं आपको रूला सकती हैं. सिर्फ इतने तक ही सीमित न रहें बल्कि अपने मोबाइल का जिन जिन जगहों पर एक लिंक बेस के रूप में आपने यूज किया हुआ है, मसलन- ई मेल, यू ट्यूब और सोशल मीडिया के दूसरे एकाउंट उनके भी पासवर्ड चेंज कर लें. अगर ये सब कर लेंगे तो आपका 15-20 हजार का मोबाइल फोन भले चला गया हो, लेकिन इससे ज्यादा का हो सकने वाला फाइनेंशियल नुकसान बच जायेगा.

एक यह काम करना भी न भूलें कि इस सब प्रक्रिया के साथ अपनी फोन की पुलिस में रिपोर्ट लिखा दें और उस रिपोर्ट की एक कॉपी  पुलिस की मोहर के साथ हासिल करें अगर एफआईआर ऑनलाइन कराते हैं तो एकनालेजमेंट रिसीप्ट अपने पास रखें. ये डॉक्यूमेंट इंश्योरेंस के लिए चाहिए होंगे.

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बबूल का पौधा : अवंतिका ने कौनसा चुना था रास्ता

बस 3 मिनट का सुख और फिर…

तेजतर्रार, स्मार्ट, अपना काम निकालने में सक्षम लड़कियों के  बलात्कार के आरोप का ब्लैकमेल की तरह इस्तेमाल करने की एक कोशिश को सुप्रीम कोर्ट ने टीवी ऐंकर वरुण हिरामथ को दी गई जमानत की राहत को कैंसिल न कर के फेल कर दिया.

इस मामले में शिकायतकर्ता ने अपनी स्टेटमैंट में यह तो मान लिया था कि वह और आरोपी एक ही कमरे में रजामंदी से थे और यह भी कि उस ने अपने कपड़े भी उतारे थे पर उस ने दावा किया कि उस ने सैक्स संबंध बनाने की सहमति नहीं दी और अगर सैक्स हुआ तो यह बलात्कार था.

सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि जब स्त्रीपुरुष एक कमरे में सहमति से हों तो और स्त्री पुरुष का कहना इच्छा से मान रही हो तो बलात्कार का मामला नहीं बनता.

फरवरी, 2020 में दिल्ली के एक होटल में हुए इस मामले पर आरोपी की दलील थी कि कानून कहता है कि कपड़े उतारने की सहमति दे भी दी गई थी तो उसे सैक्स संबंध की सहमति नहीं माना जा सकता. सुप्रीम कोर्ट उस से सहमत नहीं हुआ और वरुण हिरामथ को मिली जमानत बरकरार रखी गई.

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पढ़ीलिखीं, साथ काम कर रही लड़कियों के साथ संबंध बनाना अब एक जोखिम का काम बनता जा रहा है. आदमियों को अकसर लगता है कि पढ़ीलिखी उदार विचारों वाली लड़की सैक्स के मामले में भी उदार होगी पर यह हमेशा नहीं होता. बहुत बार लड़कियां अपने व्यक्तित्व का इस्तेमाल केवल उस हद तक करती हैं जिस हद तक पुरुष अपने बोलने की कला या संपर्कों का करते हैं.

अपने बदन को दिखाने में संकोच न करने वाली हर लड़की अपनी इच्छा के विरुद्ध बिस्तर पर जाने को तैयार हो जाएगी, यह सम झना बड़ी भूल है. पुरुष आमतौर पर सम झते हैं कि वे हर उस औरत को पटा सकते हैं जो काम के सिलसिले में उन के पास आए. औरतें दूसरी तरफ बिस्तर पर उसी के साथ जाना चाहती हैं जो उन्हें पसंद आए. किसी भी लड़की को एक समय में एक ही पसंद आता है और उस के प्रति निष्ठावान रहती है और यह संभव है कि इस पसंदीदा व्यक्ति में पति नहीं हो. अगर पति के साथ न निभाया जा रहा हो, प्रेम न रह गया हो तो सैक्स संबंध केवल कानून सम्मत बलात्कार बन कर रह जाता है.

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पुरुष इस बात को नहीं सम झ पाते और उन्हें लगता है कि जिस ने उन के साथ चाय पी, खाना खाया, घंटों बिताए उस के साथ सैक्स संबंध का हक बन गया. यह हक न पुरुष को है और न ही स्त्री को. अपने शरीर का आकर्षण दर्शा कर पुरुष को उत्तेजित कर संबंध बना लेना बलात्कार कम माना जाता है पर ऐसा हो तो बड़ी बात नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट आमतौर पर सैक्स संबंधों के मामलों में औरतों की सहीगलत सभी बातें मान लेता है पर इस मामले में अगर भिन्न आदेश दिया है तो यह अच्छी बात है.

पड़ोसी की न जात पूछें और न धर्म

हाल ही में पंजाब के बटाला में दिनदिहाड़े एक 7 साल के बच्चे को अगवा करने की कोशिश की गई. लेकिन उसी समय बच्चे के साथ आए उस की ममेरी बहन के बेटे ने शोर मचा दिया. उसी समय बच्चे का पड़ोसी वहां से निकल रहा था. उस ने किडनैपर पर ईंट से हमला कर दिया, तो वह बच्चे को वहीं छोड़ कर भाग गया.

इस घटना ने बच्चे की मां सोनिया को अहसास दिलाया कि अगर वह पड़ोसी समय पर वहां नहीं पहुंचता और बच्चे को बचाने की कोशिश नहीं करता, तो पता नहीं उस के मासूम बच्चे के साथ क्या होता.

अक्तूबर, 2018 में हरियाणा में गुरुग्राम के ट्यूलिप औरेंज हाईराइज अपार्टमैंट्स में पड़ोसी की मदद करने का एक ऐसा मामला सामने आया जिस ने अच्छे और हिम्मती पड़ोसी होने की मिसाल दी. 33 साल की स्वाति ने पड़ोसियों की जिंदगी बचाने के लिए अपनी ही जान दांव पर लगा दी थी.

दरअसल, एक छोटे से शौर्टसर्किट से लगी आग ने उस इमारत के एक फ्लोर पर बड़ा भीषण रूप ले लिया था. स्वाति अपार्टमैंट्स से निकलने के बजाय वहां मौजूद सभी लोगों को
होशियार कर बाहर जाने के लिए कहने लगीं और निकलने में मदद भी करने लगीं. आग बुझने के बाद फायरफाइटर्स को छत के दरवाजे पर बेहोशी की हालत में स्वाति मिली थी. अस्पताल ले जाते समय उन की रास्ते में ही मौत हो गई थी.

इसी तरह दिल्ली की रहने वाली प्रिया की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है. प्रिया हर राखी के दिन सुबहसुबह तैयार हो कर थाल में राखी सजा कर कुतुब भाई के घर जाती थी. कुतुब उस का सगा भाई नहीं था. दोनों के धर्म भी अलग थे, मगर उन के परिवारों में रिश्तेदारों सा प्यार था.

दरअसल, जब प्रिया छोटी थी तब उस के पड़ोस में एक परिवार आया. उस परिवार में कई बच्चे थे, जिन में एक कुतुब भी था. प्रिया के घर वाले दूसरे धर्म के लोगों से ज्यादा बातचीत नहीं रखते थे. सो, प्रिया को उन के घर जाने की मनाही थी.

इसी बीच एक दिन प्रिया छत से नीचे गिर गई. उस समय उस के पिता औफिस में थे और मां नहा रही थीं. घर में दादी थीं जो चल नहीं पाती थीं. सामने गली में खेल रहे कुतुब ने प्रिया को गिरते देखा तो तुरंत भागा और अपनी मोटरसाइकिल पर बिठा कर उसे अस्पताल पहुंचाया.

बाद में जब प्रिया के मातापिता को इस घटना की जानकारी मिली तो वे हाथ जोड़ कर कुतुब को धन्यवाद कहने लगे. तभी से प्रिया और कुतुब के परिवारों में रिश्तेदारों सा प्यार हो गया और प्रिया हर साल कुतुब को राखी बांधने लगी. यह रिश्ता आज तक उसी तरह चल रहा है.

एक समय था जब ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की तर्ज पर सारा महल्ला भाईचारा निभाता था और लोग पड़ोसियों के साथ हर तरह के दुखसुख एक परिवार की तरह शेयर किया करते थे. पर आज समय बदल गया है. गलाकाट प्रतियोगिता के इस समय में लोगों की व्यस्तता बहुत बढ़ गई है, इसलिए कहीं न कहीं लोग अपने घरों में सिमटते जा रहे हैं. एकल परिवार के इस जमाने में पड़ोसियों की कौन कहे अब तो रिश्तेदारों से भी मिले हुए महीने और साल बीत जाते हैं.

मगर इस बदलाव के बीच भी जब इनसान मुसीबत में होता है तो उस की मदद के लिए पड़ोसी ही सब से पहले पहुंच सकते हैं. अगर आप घर से दफ्तर जाने में लेट हो रहे हैं या आधी रात में कभी अस्पताल जाने की जरूरत हो तो आप के पड़ोसी ही आप की मदद कर सकते हैं. आप को लिफ्ट दे सकते हैं. साथ ही आप के न होने पर पीछे से आप के घर की निगरानी भी रख सकते हैं. ऐसे में पड़ोसियों से हमेशा बना कर रखने में ही समझदारी है. आप के पास कुछ पड़ोसी ऐसे जरूर होने चाहिए जो आड़े वक्त में काम आएं और रिश्तेदारों की कमी पूरी कर सकें.

जातिधर्म का न रखें बंधन

इनसान शादीब्याह तो अपनी मरजी चला सकता है और अपनी जाति या धर्म में जीवनसाथी खोज सकता है, मगर जब बात आती है पड़ोसी की तो यहां आप का कोई वश नहीं.

धर्मजाति का प्रमाणपत्र दे कर कोई इनसान घर नहीं लेता. घर अपना हो या किराए पर, आप के बगल में कोई भी रहने आ सकता है. बेहतर होगा कि पुरानी सोच अपनाते हुए उस की जन्मकुंडली पूछने के बजाय आप खुले दिल से उसे अपनाएं. उसे अहसास दिलाएं कि वह आप के लिए बहुत अहमियत रखता है, क्योंकि पड़ोसी ही रियल लाइफ में आप के सुखदुख का साथी बनता है.

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अगर पड़ोसी के साथ आप के मधुर संबंध हैं तो समझिए कि आप को जिंदगी की बहुत बड़ी नियामत मिल गई है.

अगर पड़ोसी दूसरे धर्म या जाति का है तो यह भी अच्छा है. आप को उन के बारे में जानने का मौका मिलता है. दूसरों की संस्कृति की जानकारी मिलती है. हर संस्कृति में बहुत सी अच्छी और सीखने की बातें होती हैं. यह आप पर निर्भर करता है कि आप उन से क्या सीखते हैं.

बच्चों को बढ़ाने दें मेलजोल

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी ने हमें इतना मसरूफ कर दिया है कि हमारे पास अपने पड़ोसियों के साथ बैठ कर बात करने का क्या उन का हालचाल तक पूछने का समय नहीं है. अब लोगों के घर तो बड़े होते जा रहे हैं, पर अपने पड़ोसियों के लिए उन के दरवाजे तक नहीं खुलते हैं. मर्द सुबहसुबह काम पर निकल जाते हैं और अपने पड़ोसियों से कोई खास संबंध नहीं रखते हैं, जबकि औरतें टैलीविजन के सामने पड़े रहने में ज्यादा सुकून महसूस करती हैं. बच्चों को भी बाहर जा कर पड़ोस के बच्चों के साथ न खेलने की हिदायतें दी जाती हैं.

बच्चों के स्कूल के दोस्त अकसर उन के घरों से बहुत दूर रहते हैं. घर में दिनभर बंद कमरे में वीडियो गेम खेलना बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर बुरा असर डालता है. अगर बच्चे पड़ोस के बच्चों के साथ खेलें, बातें करें तो वे शारीरिक व मानसिक तौर पर सेहतमंद भी रहेंगे.

एक रिपोर्ट के मुताबिक 55 फीसदी बच्चों को उन के मातापिता द्वारा बाहर जा कर खेलने की इजाजत नहीं दी जाती है, जबकि उन के विकास के लिए उन्हें पड़ोस के बच्चों के साथ
खेलने दिया जाना चाहिए.

ऐसे कायम रखें रिश्ते में मिठास

जिंदगी में रस घोलते पड़ोसी केवल मुश्किल समय में ही नहीं, बल्कि खुशी के माहौल को और मजेदार बनाने में भी सब से बेहतर साबित होते हैं. बगीचे की छोटीमोटी सफाई हो, बच्चों की बर्थडे पार्टी हो या घर की चीनी खत्म हो जाए तो पड़ोसी का दरवाजा खटखटाने का अनुभव, पड़ोसियों के साथ आपसी संबंध बहुत प्यारे और मीठे होते हैं, जो जिंदगी में ताजगी भर देते हैं. इस मिठास को बरकरार रखने के लिए ध्यान रखें इन कुछ बातों का :

-पड़ोसियों से रिश्ते बनाने और उसे कायम रखने का सब से पहला नियम है कि उन्हें उन की प्राइवेसी दें. दोस्ती का हाथ जरूर बढ़ाएं, पर उन के हर काम में या निजी मसलों में दखलअंदाजी न करें.

-ऐसा कोई शख्स नहीं जिसे कभी न कभी किसी की जरूरत न पड़ती हो. हमारा पड़ोसी ही एक ऐसा इनसान होता है जिस की हमें सब से ज्यादा जरूरत पड़ती है, क्योंकि वह सब से करीब होता है और किसी भी समय आप के पास पहुंच सकता है, इसलिए जरूरी है कि आप भी मददगार बनें, तभी आप का पड़ोसी भी मुसीबत के समय में आप के काम आएगा. अगर उन्हें किसी तरह की जरूरत है तो कोशिश करें कि आप उन की मदद कर सकें.

-आप हफ्ते में एक बार किटी पार्टी का प्रोग्राम भी बना सकते हैं. इस से आप एकदूसरे के परिवारों से परिचित होंगे व आपसी संबंधों में मिठास भी रहेगी.

-अकसर घरेलू औरतें घरों में ही रहती हैं और केवल बच्चों को स्कूल से लाना और ले जाना ही करती हैं. ऐसी औरतें पड़ोस की दूसरी औरतों के साथ पास के बाजार या माल वगैरह में जा कर बाहरी दुनिया से रूबरू हो सकती हैं. कभीकभी पड़ोसी के और अपने बच्चों को साथ ले कर पिकनिक का प्रोग्राम भी बनाया जा सकता है.

-अगर आप की और आप के पड़ोसी की काम करने की जगह आसपास है तो गाड़ी में एक साथ भी जाया जा सकता है. इस से पैसों की बचत के साथसाथ रिश्ते भी मजबूत होते हैं.

जब बेवजह हो चिड़चिड़ाहट

-पैसे का लेनदेन करते समय ईमानदारी बरतें. अगर आप ने उन से जरूरत के समय रुपए लिए हैं तो वापस करना भी आप का फर्ज बनता है, ताकि बाद में कभी जरूरत होने पर वह खुद से आप की मदद करने को आगे आएं.

-इसी तरह पड़ोसियों के वाहन, फोन, उपकरण, सिलैंडर या दूसरी चीजें मांगते हैं तो समय पर उन्हें
सहीसलामत वापस करना न भूलें.

-चुगलखोर पड़ोसी न बनें. भूल कर भी पड़ोसियों के बारे में कोई अंटशंट बात न कहें, क्योंकि एक बार भरोसा टूट जाए तो रिश्ता पहले की तरह बनने में समय लगता है.

-डींग न हांकें. कभी भी पड़ोसी के आगे अपनी अमीरी को ले कर घमंड न दिखाएं. एकदूसरे को समान समझें, तभी प्यार बढ़ता है.

बच्चों में पोस्ट कोविड, मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम (MIS-C) को न करें नजरंदाज

5 साल के तरुष को एक रात तेज बुखार आया, साथ में पेट दर्द भी था, उसकी माँ सरोज शेलार खुद एक डॉक्टर है, इसलिए कुछ दवाइयां दी,लेकिन कुछ फायदा बच्चे को नहीं हो रहा था. वह समझ नहीं पा रही थी, क्या करें. उन्होंने बेटे को पास के एक अस्पताल ले गयी और तुरंत भर्ती करवाई. वहां बच्चों के डॉक्टर ने उसकी जांच की और बताई कि उसे टाइफाइड हुआ है और उसी हिसाब से उन्होंने दवाई देनी शुरू की, लेकिन तरुष का बुखार उतर नहीं रहा था. अगले दिन तेज बुखार के साथ उसका पेट फूलने लगा, आँखे लाल हो गयी, मुंह में छाले और बदन पर लाल-लाल रैशेज दिखाई पड़ने लगी.

उसकी माँ डॉ. सरोज ने पेडियाट्रिशन को बुलाकर कहा कि उन्हें इलाज का प्रोसेस सही नहीं दिख रहा है, क्योंकि बेटे ने अब खाना पीना भी छोड़ दिया है,इसलिए आप इस बच्चे को सही इलाज़ दें या फिर वह कहीं दूसरे अस्पताल में ले जाएगी. इस बात से घबराकर डॉक्टर ने बच्चे की आरटीपीसीआर चेक किया,तो कोविड निगेटिव निकला, लेकिन‘कोविड एंटीबॉडी टेस्ट’ पॉजिटिव आया. इतनी देर में बच्चे की हालत और अधिक ख़राब हो गयी, उसे आई सी यू में रखा गया. डॉ. सरोज अगले दिन दूसरे अस्पताल में बेटे को ले गयी, वहां डॉक्टर ने बताया कि ये पोस्ट कोविड में होने वाली बीमारी है, जबकि तरुष को कोविड नहीं हुआ था. दो दिन बाद बच्चे को डिस्चार्ज मिल गया. करीब एक महीनेकी दवा के बाद तरुष ठीक हो सका. यहाँ ये समझना जरुरी है कि तरुष की माँ डॉक्टर होने की वजह से बीमारी का इलाज सही नहोने को समझ पायी, लकिन आम इंसान के लिए इस बीमारी को समझना नामुमकिन था.

क्या है मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेटरीन सिंड्रोम (MISC) 

असल में पोस्ट कोविड की ये बीमारी खासकर बच्चों में अधिक देखी जा रही है. इसकी वजह बच्चों का एसिम्पटोमेटिककोविड होने से है, क्योंकि अधिकतर पेरेंट्स ने खुद को कोविड होने पर किसी रिश्तेदार के पास बच्चे को भेज देते है. इससे बच्चे में कोविड हुआ है या नहीं समझना मुश्किल हो जाता है, क्योंकि बच्चे को इस बारें में पता नहीं है. पेरेंट्स ने भी किसी प्रकार के लक्षण बच्चे में नहीं देखा है. इस बारें में पुणे की मदरहुड हॉस्पिटल की कंसलटेंट नियोनाटोलोजिस्ट एंड पेडियाट्रिशन डॉ. तुषार पारिख कहते है कि कोरोना की ये बीमारी मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेटोरी सिंड्रोम(MIS)  बच्चों में कोरोना होने के बाद 2 सप्ताह से लेकर 5 या 6 सप्ताह बाद में होता है. कई बार कोरोना संक्रमण एसिम्पटोमेटिकहोता है,ऐसे में बच्चे को कोरोना संक्रमण होने पर बुखार खासी होती है और कुछ दिनों में ठीक भी हो जाता है. 2 सप्ताह बाद फिर से बुखार आने लगता है. तब पेरेंट्स घबरा जाते है. मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम (MIS-C) की बीमारीके लक्षण निम्न है,

  • बच्चे को तेज बुखार आना,
  • पेट में दर्द होना,
  • शरीर में रैशेज का आना,
  • मुंह के अंदर अल्सर हो जाना,
  • जीभ का लाल होना,
  • आँखों का लाल हो जाना आदि .

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इसके अलावा शरीर के सभी अंगों में इन्फ्लेमेशन यानि सूजन आ जाती है, जिससे बच्चा सुस्त हो जाता है. कभी- कभी हार्ट में सूजन की वजह से ब्लड सर्कुलेशन बाधित होती है, जिससे बच्चे को चक्कर आना और दूसरे ऑर्गन भी प्रभावित हो जाता है. ऐसे में बच्चे को हॉस्पिटल में भर्ती करवाना पड़ता है. कई बार हार्ट की कोशिकाओं में सूजन आ जाने से सीने में दर्द, सांस लेने में कठिनाई हो सकती है. कई बार फेफड़े पर भी इसका असर देखा गया है. ये आजकल कोविड की वजह से बहुत कॉमन हो चुका है, अधिकतर बच्चे पेट दर्द और तेज बुखार के साथ आते है और डॉक्टर इसे गैस्ट्रोएन्टराइटिस, कोलाईटिस, एपेंडेसाईटिस आदि समझकर इलाज करते है, जिससे बच्चे की हालत गंभीर हो जाती है और कई बार बच्चे की  जान बचाना भी मुश्किल हो जाता है. अपने एक अनुभव के बारें में डॉ. तुषार का कहना है कि 7 साल की एक लड़की को एपेंडिक्स की बिमारी कहकर मेरे पास ऑपरेशन के लिए भेजी गयी थी,सोनोग्राफी किया तो कुछ नहीं था, लेकिन MIS का टेस्ट पॉजिटिव आया. इसलिए जब भी बच्चा पेट दर्द के साथ बुखार लेकर आये, तो उसे MIS की जांच करना जरुरी है, ताकि पोस्ट कोविड की जटिलताओं को समय रहते पहचान लिया जाय. 24 घंटे से अधिक किसी बच्चे में पेट दर्द और बुखार है, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएँ.

मुश्किल है समझना

ये बीमारी पहले नहीं देखी जा रही थी, इसलिए डॉक्टर्स को भी समझने में देर हुई, लेकिन कोविड पीरियड में बहुत सारे बच्चों में ये बिमारी देखी गयी. ये रोग कावासाकी नामक एक बिमारी से थोडा मेल खाता है, इसमें भी मुंह, जीभ लाल होना, रैशेज होना, बुखार आना आदि रहता है, लेकिन कावासाकी बीमारी की वजह किसी को आजतक पता नहीं चल पाया  है. कोरोना में ही इसे देखा गया. कोरोना काल में इसे ‘कावासाकी लाइक इलनेस’ का नाम भी दिया गया है.मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम (MIS-C) की ये बीमारी भी कई तरह की होती है,मसलन कावासाकी लाइक प्रेजेंटेशन, इसमें माइल्ड, मॉडरेट और सीवियर किसी भी प्रकार का हो सकता है.

रिस्क फैक्टर

वैसे मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम (MIS-C)  की ये बिमारी 1 प्रतिशत से भी कम बच्चों में होता है, लेकिन कोरोना की वजह से ये अधिक दिखाई पड़ रहा है,इसमें 12 साल से ऊपर के बच्चे अधिक कॉमन, 6 से 12 साल के बच्चे में लेस कॉमन और 6 साल से नीचे बच्चों में बहुत कम है.

सही जाँच है जरुरी

इसके आगे डॉ.तुषार कहते है कि शुरुआत में डॉक्टर्स को भी इस बिमारी की जानकारी नहीं थी,लेकिन अब रोगी देखकर समझ जाते है. क्लिनिकलजांच से इसे पता लगाया जाता है.अगर बच्चे को बुखार है और MIS-C की कोई लक्षण नहीं है, एक से दो दिन तक फीवर की दवा देने के बाद भी बुखार न उतरने पर तुरंत बच्चों के डॉक्टर के पास ले जाए. क्लिनिकल जाँच के अलावा आरटीपीसीआर और कोविड एंटीबॉडी टेस्ट किया जाता है. बच्चे को अगर कोविड हुआ है, तो पेरेंट्स को बच्चे के पोस्ट कोविड के लक्षण है या नहीं, उसका ध्यान रखने की जरुरत है.डॉक्टर्स को भी इस बारें में जानकारी होनी चाहिए, क्योंकि ऐसे केसेज में कोविड एंटीबॉडी ब्लड टेस्ट करने से तुरंत पता लग जाता है.

सावधानियां

मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम(MIS-C) का इलाज हो जाने पर केवल एक महीना सावधानी बरतना पड़ती है, क्योंकि शरीर के अंदर आये सूजन को ठीक करने के लिए करीब एक महीने तक दवा लेनी पड़ती है. इसमें स्टेरॉयड और तकलीफ ज्यादा होने पर आईवी इंजेक्शन के द्वारा इम्यूनोग्लोबुलिन की दवा देनी पड़ती है. डी डायमर की लेवल अधिक होने पर भी एडवांस दवा की इंजेक्शन देनी पड़ती है. अभी तक मैंने 38 बच्चों की चिकित्सा अप्रैल और मई में किये है. इन महीनों में सबसे अधिक बच्चे इससे प्रभावित थे. सभी बच्चे सीरियस नहीं होते. मॉडरेट और सीवियर होने पर ही उन्हें स्टेरॉयड दिया जाता है. 10 बच्चों में से तक़रीबन 3 बच्चों में मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम पाया गया है. समय से आने पर इस बीमारी का इलाज हो सकता है, लेकिन कई बार ये बीमारी सीरियस हो सकती है, जिसमें हाई कार्डिएक सपोर्ट, ब्लड प्रेशर की दवा आदि देने की आवश्यकता होती है.इस बीमारी से ठीक होने के कुछ सालों बाद हार्ट की कोरोनरी ब्लड वेसेल्स में अगर सूजन आ गया है, तो उन बच्चों को थोड़े अधिक दिनों तक ऑब्जरवेशन में रखना पड़ता है. उनके ब्लड में क्लोटिंग होने का खतरा रहता है, इसलिए लम्बे समय तक दवा लेना पड़ता है. कोरोनरी ब्लड वेसेल्स में सूजन से बाद में भी खून के थक्के उसमें जमा होने की वजह से हार्ट एटैक आ सकता है, इसलिए पहले 3 से 4 महीने के अंतर पर और बड़े होने पर साल में एक बार डॉक्टर की सलाह अवश्य लें. कावासाकी में भी कई बार बच्चों में हार्ट एटैक आ जाता है, लेकिन उसकी संख्या बहुत कम है.

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रहे सतर्क

पहली लहर में बुजुर्ग, जिन्हें अब वैक्सीन लग चुका है, दूसरी लहर में यूथ को कोविड अधिक हुआ, जबकि उन्हें भी अब वैक्सीन की एक डोज दिया जा चुका है,इसलिए तीसरी लहर में बच्चे अधिक प्रभावित होंगे, ऐसा माना जा रहा है, लेकिन कोई ठोस वैज्ञानिक सबूत नहीं मिला है. सावधान रहना आवश्यक है, ताकि बच्चे कोविड से अधिक प्रभावित न हो. पेरेंट्स के लिए मेरा यही मेसेज हैकि कोरोना अभी गया नहीं है. बड़े बच्चों को कोविड के सारे गाइडलाइन्स को फोलो कराएं और साथ में वजह भी क्लियर करें. इसके अलावा 18 साल से कम उम्र के बच्चों को फ्लू का इंजेक्शन दिलवाने की राय ‘कोविड टास्क फ़ोर्स’ ने दी है, क्योंकि इससे फ्लू सम्बंधित बिमारियां कम होगी और हेल्थकेयर पर बोझ भी कम होगा. हर बारिश के बाद वैसे भी फ्लू के केसेज बढ़ते है और पुणे में फ्लू की इंजेक्शन बच्चों को दिए जा रहे है. इसके अलावा परिवार के सभी वैक्सीनेटेड सदस्यों के बीच में बच्चा रहने पर बच्चा सुरक्षित रहता है. इसे ‘कोकून स्ट्रेटिजी’ कहा जाता है, इसे अपनाने की कोशिश करें.

Monsoon Special: 18 साल की उम्र में बौलीवुड एक्ट्रेसेस को टक्कर देती हैं अवनीत कौर

डांस रियलिटी शो में बतौर कंटेस्टेंट नजर आने वाली एक्ट्रेस अवनीत कौर (Avneet Kaur) आज टीवी इंडस्ट्री की पौपुलर एक्ट्रेसेस में से एक हैं. बौलीवुड एक्ट्रेस रानी मुखर्जी (Rani Mukharji) के साथ फिल्म मर्दानी में अपनी एक्टिंग से पहचान बनाने वाली अवनीत कौर (Avneet Kaur) इन दिनों फैशन के मामले में फैंस के बीच छाई हुई हैं. वहीं 18 साल की उम्र में अवनीत बड़ी बड़ी हौट एक्ट्रेसेस को पीछे छोड़ती नजर आती हैं. आज हम आपको दिखाते हैं अवनीत कौर (Avneet Kaur)के कुछ लुक्स, जिसे आप हर सीजन में ट्राय कर सकते हैं.

1. Neon कौम्बिनेशन है परफेक्ट

मानसून में अगर आप कुछ अलग और परफेक्ट लुक चाहती हैं तो नियोन कलर आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. अवनीत की तरह आप नियोन कलर के साथ वाइट का कौम्बिनेशन करके आप अपने लुक को चमका सकते हैं. ये आपके लुक को मानसून में ब्राइट लुक देगा.

 

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Hello hair. It’s you and me against the elements.🌈💚 Wearing- @_mad_over_accessories 📸- @amandeepnandra

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2. पोल्का डौट है परफेक्ट औप्शन

 

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Chota sa fasana, kise kya batana…..❤️ #throwback

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अगर आप नया ट्रैंड ढूंढ रही हैं तो पोल्का डौट आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. पोल्का डौट की साड़ी हो या ड्रैस आपके लुक के लिए खूबसूरत ट्रैंड है. आप चाहें तो अवनीत की तरह पोल्का डौट ड्रैस विद फ्रिल पैटर्न का लुक ट्राय कर सकती हैं.

3. डैनिम है परफेक्ट औप्शन

 

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Do you like Tom more or Jerry ?❤️ Wearing- @burger.bae

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डैनिम हर मौसम में परफेक्ट लुक है. वहीं अगर मौनसून की बात की जाए तो डैनिम जींस की बजाय आप शौट्स ट्राय कर सकती हैं. इसके साथ आप क्रौप टौप का कौम्बिनेशन करके आपके लुक के लिए परफेक्ट रहेगा.

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4. इंडियन लुक है परफेक्ट

 

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Meinu ishq tera lae dooba ❤️ Do you like me in Indian more or western? 📸- @sonianandra

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अगर आप इंडियन लुक ट्राय करना चाहती हैं तो अवनीत कौर के सिंपल और शाइनी कुर्ते के साथ जंक ज्वैलरी आपके लुक के लिए परफेक्ट औप्शन है.

5. कलरफुल ड्रैस है परफेक्ट

 

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THIS OR THAT 💕💖💫 Styled by @anshudixit_ Outfit @mad.glam Fashion pr team @vblitzcommunications

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मानसून में अगर आप कलरफुल ड्रैस ट्राय करना चाहते हैं तो अवनीत कौर की ये ड्रैस आपके लिए परफेक्ट औप्शन है.

कैसे चुनें परफैक्ट फाउंडेशन

अगर आप को अपनी फ्रैंड की पार्टी में जाना हो और आप की स्किन डल, चेहरे पर दागधब्बे नजर आ रहे हों, जिन के कारण आप पार्टी में नहीं जाना चाहती हैं. लेकिन आप की फ्रैंड ने झट  से आप को एक समाधान बता दिया, जिस से मिनटों में आप की स्किन चमकदमक उठेगी और कोई यकीन भी नहीं कर पाएगा कि आप ने पार्लर से नहीं, बल्कि खुद से अपना रूप निखारा है.

अगर आप ने उस प्रोडक्ट को अपनी स्किन टाइप को ध्यान में रख कर नहीं खरीदा तो आप का चेहरा इतना बेढंगा लगेगा कि आप खुद उसे देख कर हैरान रह जाएंगी.

जी हां, यहां हम बात कर रहे हैं फाउंडेशन की, जो स्किन को खूबसूरत बनाने का काम करता है. इसलिए इस के चयन में अपनी स्किन टाइप को ध्यान में जरूर रखें.

कैसेकैसे फाउंडेशन

लिक्विड फाउंडेशन: अगर बिगनर्स और ड्राई स्किन वालों की बात करें तो लिक्विड फाउंडेशन उन के लिए बैस्ट है क्योंकि यह एक तो इजी टु अप्लाई है और दूसरा यह आसानी से स्किन में ब्लैंड हो जाता है. लिक्विड फाउंडेशन औयल और वाटर बेस फौर्मूले से मिल कर बनाया जाता है.

यह पोर्स व डार्क मार्क्स को हैवी कवरेज देने के साथसाथ आप के स्किन टोन को नैचुरल लुक देते हुए निखारने का भी काम करता है. ये सभी स्किन टाइप पर सूट करता है.

कौनकौन से ब्रैंड्स: लैक्मे परफैक्टिंग लिक्विड फाउंडेशन, मेबेलीन फिट मी फाउंडेशन, रेवलोनकलर स्टे लिक्विड फाउंडेशन, लोरियल इनफालिबल फाउंडेशन.

ध्यान दें: लिक्विड फाउंडेशन स्किन पर  4-5 घंटे ही स्टे करता है. लेकिन अगर आप इसे घंटों लगाए रखती हैं तो स्किन पर पसीना आने के साथसाथ स्किन औयली होने से उस पर पैच पड़ने भी शुरू हो जाते हैं. इसलिए इस बात का ध्यान रखें.

पाउडर फाउंडेशन: अगर आप की औयली स्किन है तो आप पाउडर फाउंडेशन का चयन करें क्योंकि ये एक ड्राई सौल्युशन है, जो पिगमैंट्स और मिनरल्स से मिल कर बनता है. यह आप की स्किन पर आने वाले अतिरिक्त औयल को शोख कर के उसे नैचुरल फिनिश देने का काम करता है. इस फाउंडेशन को आप आसानी से ब्रश, स्पौंज की मदद से लगा सकती हैं.

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यह आप को मार्केट में प्रैसेड व लूज फौर्म में मिल जाएगा. ड्राई स्किन वाली इस फाउंडेशन को लगाने से बचें क्योंकि इस से झुर्रियां, डार्क स्पौट्स अच्छे से कवर नहीं होने के कारण बहुत ही खराब लुक नजर आता है.

कौनकौन से ब्रैंड्स: मेबेलीन फिट मी पाउडर फाउंडेशन, लोरियल पैरिस ट्रू मैच प्रैस पाउडर, मैक्स स्टूडियो फिक्स पाउडर प्लस फाउंडेशन, ऐवोन मिनरल फाउंडेशन.

ध्यान दें: औयली स्किन वालों को ज्यादा मुंहासे, दागधब्बों की शिकायत होती है. अगर आप को भी यह दिक्कत है तो आप मीडियम कवरेज की जगह फुल कवरेज वाले फाउंडेशन का चयन करें. यह फाउंडेशन आप की स्किन पर  2-3 घंटे ही स्टे रहता है.

क्रीम फाउंडेशन: एक तो ड्राई स्किन की प्रौब्लम और दूसरा फुल डे कोई इवेंट अटैंड करना हो, ऐसे में आप क्रीम फाउंडेशन से अपने फेस को 10-12 घंटों की कवरेज दे सकती हैं यानी घंटों आप का चेहरा फ्रैश नजर आएगा. यह स्किन को हाइड्रेट रखने का भी काम करता है क्योंकि फाउंडेशन में ऐसैंशियल औयल जो डाले जाते हैं.

कौनकौन से ब्रैंड्स: मेबेलीन मूज फाउंडेशन, लैक्मे 9 टू 5 मूज फाउंडेशन, मैक मिनरलाइज फाउंडेशन, कलर गर्ल 360 क्लीन व्हिपड क्रीम फाउंडेशन.

ध्यान दें: अगर स्किन ज्यादा ड्राई है तो फाउंडेशन को ब्रेक होने से बचाने के लिए पहले फेस पर मौइस्चराइजर जरूर अप्लाई करें.

सीरम फाउंडेशन: यह इन दिनों काफी डिमांड में है क्योंकि यह स्किन को पोषण देने का काम करने के साथसाथ फ्रैश व ग्लौसी लुक भी देता है क्योंकि आजकल बहुत सारे सीरम फाउंडेशन और्गन औयल की खूबियों से भरपूर होते हैं.

इन का सिलिकौन बेस्ड फौर्मूला इन्हें वाटरी और पतला बनाता है, जिस से यह आसानी से लगने के कारण आसानी से सैट हो जाता है. यह खासतौर से औयली स्किन को ध्यान में रख कर डिजाइन किया गया है. भले ही यह 2-3 घंटे ही स्टे करता है, लेकिन इस का रिजल्ट काफी अच्छा होता है.

कौनकौन से ब्रैंड्स: लोरियल पैरिस ऐज परफैक्ट रैडिएंट सीरम फाउंडेशन, लैक्मे ऐब्सोल्यूट और्गन औयल सीरम फाउंडेशन, डिओर डीआरएक्स न्यूड ऐयर सीरम फाउंडेशन.

ध्यान दें: सीरम फाउंडेशन ड्राई व औयली स्किन दोनों के लिए होता है, इसलिए इसे  खरीदते वक्त अपनी स्किन को ध्यान में जरूर रखें, तभी आप को सीरम फाउंडेशन का फायदा मिल पाएगा.

मूस फाउंडेशन: इसे व्हिपड फाउंडेशन भी कहा जाता है. यह बहुत ही लाइट व स्किन पर बहुत ही सौफ्ट टच देने का काम करता है. यह स्किन पर मैट फिनिश दे कर फाइन व स्पौट्स को कवर करने का काम करता है. यह चेहरे को भद्दा नहीं बनाता बल्कि स्पौट्स को कवर करते हुए स्किन टोन को इंप्रूव करता है. यह सभी स्किन टाइप पर सूट करता है. लेकिन यह स्किन पर  3 घंटे तक ही स्टे रहता है.

कौनकौन से ब्रैंड्स: लैक्मे ऐब्सोल्यूट मूज फाउंडेशन, फेसेज मूज फाउंडेशन, ब्लैक रैडियंस कलर परफैक्ट एचडी मूज फाउंडेशन.

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कैसे लगाएं फाउंडेशन

जब भी चेहरे पर फाउंडेशन लगाएं, तो उस से पहले अपनी स्किन को क्लींजर से क्लीन करना न भूलें ताकि स्किन पर जमी धूलमिट्टी, गंदगी रिमूव हो सके.

फिर पोर्स को टाइट करने के लिए टोनर का इस्तेमाल कर के उस के बाद फेस पर मौइस्चराइजर अप्लाई करें और अगर आप के पोर्स ज्यादा बड़े हैं तो प्राइमर का इस्तेमाल करें. यह स्मूद बेस बनाने के साथसाथ स्किन की प्रोटैक्शन का भी काम करता है.

फिर इस पर ड्रौप ड्रौप कर के फाउंडेशन लगाएं और उसे ब्यूटी ब्लैंडर की मदद से स्किन में अच्छी तरह में मिलाएं ताकि पूरे फेस को एकजैसी टोन मिल सके. ज्यादा फेयर दिखने के लिए कभी भी ज्यादा फाउंडेशन न लगाएं क्योंकि इस से आप का पूरा लुक बिगड़ सकता है.

बबूल का पौधा- भाग 1 : अवंतिका ने कौनसा चुना था रास्ता

रात के लगभग 2 बजे अवंतिका पानी पीने के लिए रसोई में गई तो बेटे साहिल के कमरे की खिड़की पर हलकी रोशनी दिखाई दी. रोशनी का कभी कम तो कभी अधिक होना जाहिर कर रहा था कि साहिल अपने मोबाइल पर व्यस्त है. गुस्से में भुनभुनाती अवंतिका ने धड़ाक से कमरे का दरवाजा खोल दिया.

साहिल को मां के आने का पता तक नहीं चला क्योंकि उस ने कान में इयरफोन ठूंस रखे थे और आंखें स्क्रीन की रोशनी में उलझ हुई थीं.

‘‘क्या देख रहे हो इतनी रात गए? सुबह स्कूल नहीं जाना क्या?’’ अवंतिका ने साहिल को झकझरा.

मां को देखते ही वह हड़बड़ा गया, लेकिन उसे मां की यह हरकत जरा भी पसंद नहीं आई.

‘‘यह क्या बदतमीजी है? प्राइवेसी क्या सिर्फ आप लोगों की ही होती है, हमारी नहीं? मैं तो कभी इस तरह से आप के कमरे में नहीं घुसा,’’

साहिल जरा जोर से बोला. बेटे की तीखी प्रतिक्रिया से हालांकि अवंतिका सकते में थी, लेकिन उस ने किसी तरह खुद को संयत किया.

‘‘क्या देख रहे थे मोबाइल पर?’’ अवंतिका ने सख्ती से पूछा.

‘‘वैब सीरीज,’’ साहिल ने जवाब दिया.

अवंतिका ने मोबाइल छीन कर देखा. सीरीज सिक्सटीन प्लस थी.

‘‘बारह की उम्र और वैब सीरीज. अभी तो तुम टीन भी नहीं हुए और इस तरह की सीरीज देखते हो,’’ अवंतिका पर गुस्सा फिर हावी होने लगा.

साहिल ने कुछ नहीं कहा, लेकिन बिना कहे भी उस ने जाहिर कर दिया कि उसे मां की यह दखलंदाजी जरा भी नहीं सुहाई. अवंतिका उसे इसी हालत में छोड़ कर अपने कमरे में आ गई. पानी से भरी आंखें बारबार उसे रोने के लिए मजबूर कर रही थीं, मगर वह उन्हें रोके बैठी थी. रोए भी तो आखिर किस के कंधे पर सिर रख कर.

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कोई एक कंधा थोड़ी नियत किया था उस ने अपनी खातिर. सुकेश का कंधा जरूर कहने को अपना था, लेकिन उस के अरमान थे ही इतने ऊंचे कि उसे कंधा नहीं आसमान चाहिए था.

अवंतिका ने आंखों को तो बहने से रोक लिया, लेकिन मन को बहने से भला कौन रोक सका है. इस बेलगाम घोड़े पर लगाम कोई बिरला ही लगा सकता है. अवंतिका ने भी मन के घोड़े की लगाम खोल दी. घोड़ा सरपट दौड़ता हुआ 15 बरस पीछे जा कर ठहर गया. यहां से अवंतिका को सबकुछ साफसाफ नजर आ रहा था…

अवंतिका को वह सब चाहिए था जो उस की निगाहों में ठहर जाए, फिर कीमत चाहे जो हो. कीमत की परवाह वह भला करती भी क्यों, हर समय कोई न कोई एटीएम सा उस की बगल में खड़ा जो होता था और उस एटीएम की पिन होती थी उस की अदाएं, उस की शोखियां.

जब वह अदा से अपने बाल झटक कर अपनी मनपसंद चीज पर उंगली रखती, तो क्या मजाल कि एटीएम काम न करे.

अवंतिका 24 की उस उम्र में महानगर आई थी जिसे वहां लोग बाली उम्र कहते थे. शादी के बाद छोटे शहर से महानगर में आई इस हसीन लड़की को अपनी खूबसूरती का बखूबी अंदाजा था. इस तरह का अंदाजा अकसर खूबसूरत लड़कियों को स्कूल छोड़तेछोड़ते हो ही जाता है.  कालेज छोड़तेछोड़ते तो यह पूरी तरह से पुख्ता हो जाता है. भंवरे की तरह मंडराते लड़कों का एक मुख्य काम यह भी तो होता है.

अवंतिका ने कालेज करने के बाद डिस्टैंस लर्निंग से एमबीए किया था. एक तो महानगर की ललचाती जिंदगी और दूसरे पति सुकेश के औफिस जाने के बाद काटने को दौड़ता अकेलापन… अवंतिका ने भी नौकरी करने का मानस बनाया. सुकेश ने भी थोड़ी हिचक के बाद अपनी रजामंदी दे दी तो हवा पर सवार अवंतिका अपने लिए काम तलाश करने लगी.

2-4 जगह बायोडाटा भेजने का बाद एक जगह से इंटरव्यू के लिए बुलावा आया. सुकेश के जोर देने पर वह साड़ी पहन कर इंटरव्यू देने के लिए गई. अवंतिका ने महसूस किया कि इंटरव्यू पैनल की दिलचस्पी उस के डौक्यूमैंट्स से अधिक उस की आकर्षक देहयष्टि में थी.

‘साड़ी से कातिल कोई पोशाक नहीं. तरीके से पहनी जाए तो कमबख्त बहुत कमाल लगती है,’ यह खयाल आते ही डाइरैक्टर के साथसाथ अवंतिका की निगाह भी साड़ी से झंकते अपनी कमर के कटाव पर चली गई. वह मुसकरा दी.

न जाने क्यों अवंतिका अपने चयन को ले कर आश्वस्त थी. और हुआ भी वही. अवंतिका का चयन डाइरैक्टर रमन की पर्सनल सैक्रेटरी के रूप में हो गया.

औफिस जौइन करने के लगभग 3 महीने बाद कंपनी की तरफ से उसे रिफ्रैशर कोर्स करने के लिए दिल्ली हैड औफिस भेजा गया. पहली बार घर से बाहर अकेली निकलती अवंतिका घबराई तो जरूर थी, लेकिन अंतत: वह अपना आत्मविश्वास बनाए रखने में कामयाब हुई.

इस कोर्स में कंपनी की अलगअलग शाखाओं से करीब 10 कर्मचारी आए थे. रोज शाम को क्लास के बाद कोई अकेले तो कोई किसी के साथ इधरउधर घूमने निकल जाता.

यह एक सप्ताह का कोर्स था. 5 दिन की ट्रेनिंग के बाद आज छठे दिन परीक्षा थी. अवंतिका सुखद आश्चर्य से भर उठी जब उस ने परीक्षक के रूप में अपने बौस रमन को देखा. 2 घंटे की परीक्षा के बाद पूरा दिन खाली था. अवंतिका की फ्लाइट अगले दिन सुबह की थी. रमन ने उस के सामने आउटिंग का प्रस्ताव रखा जिसे अवंतिका ने एक अवसर की तरह स्वीकार कर लिया.

मौल में घूमतेघूमते अवंतिका ने महसूस किया कि रमन उस की हर इच्छा पूरी करने को तत्पर लग रहा है. पहले तो अवंतिका ने इसे महज एक संयोग समझ, लेकिन फिर मन ही मन अपना वहम दूर करने का निश्चय किया.

टहलतेटहलते दोनों एक साडि़यों के शोरूम के सामने से गुजरे तो अवंतिका जानबूझ कर वहां ठिठक कर खड़ी हो गई. उस ने शरारत से साड़ी लपेट कर खड़ी डमी के कंधे से पल्लू उतारा और अपने कंधे पर डाल लिया. अब इतरा कर रमन की तरफ देखा. रमन ने अपनी अनामिका और अंगूठे को आपस में मिला कर ‘लाजवाब’ का इशारा किया. अवंतिका शरमा गई.

इस के बाद उस ने प्राइज टैग देखा और आश्चर्य से अपनी आंखें चौड़ी कीं. अवंतिका ने साड़ी का पल्लू वापस डमी के कंधे पर डाला और निराश सी वहां से हट गई. इस के बाद वे एक कैफे में चले गए.

अवंतिका अनमनी सी मेन्यू कार्ड पर निगाहों को सैर करवा रही थी और रमन की आंखें उस के चेहरे पर चहलकदमी कर रही थीं.

‘‘तुम और्डर करो, मैं अभी आता हूं,’’ कह कर रमन कैफे से बाहर निकल गया.

15 मिनट बाद रमन वापस आया. अब तक अवंतिका कौफी और सैंडविच और्डर कर चुकी थी. खापी कर दोनों गैस्ट हाउस चले गए.

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रात लगभग 10 बजे रमन का कौल देख कर अवंतिका को जरा भी आश्चर्य नहीं हुआ.  लेकिन जब उस ने उसे अपने कमरे में आने को कहा तब वह अवश्य चौंकी. ‘इतनी रात गए क्या कारण हो सकता है,’ सोच कर अवंतिका ने अपने टू पीस पर गाउन डाला और बैल्ट कसती हुई रमन के रूम की तरफ चल दी. रमन उसी का इंतजार कर रहा था.

‘‘हां, कहिए हुजूर, कैसे याद फरमाया?’’ अवंतिका ने आंखें नचाईं. एक शाम साथ बिताने के बाद अवंतिका उस से इतना तो खुल ही गई थी कि चुहल कर सके. अब उन के बीच औपचारिक रिश्ता जरा सा पर्सनल हो गया था.

‘‘बस, यों ही. मन किया तुम से बातें करने का,’’ रमन उस के जरा सा नजदीक आया.

‘‘वे तो फोन पर भी हो सकती थीं,’’ अवंतिका उस की सांसें अपनी पीठ पर महसूस कर रही थी. यह पहला अवसर था जब वह सुकेश के अतिरिक्त किसी अन्य पुरुष के इतना नजदीक खड़ी थी. वह सिहर कर सिमट गई.

‘‘फोन पर बातें तो हो सकती हैं लेकिन यह नहीं,’’ कहते हुए रमन ने अवंतिका को उस साड़ी में लपेटते हुए अपनी बांहों में कस लिया. साड़ी को देखते ही अवंतिका खुशी से उछलती हुई पलटी और रमन के गले में बांहें डाल दी.

‘‘वाऊ, थैंक्स सर,’’ अवंतिका ने कहा.

‘‘सरवर औफिस में, यहां सिर्फ रमन,’’ कह कर रमन ने दोनों के बीच से पहले साड़ी की और उस के बाद गाउन की दीवार भी हटा दी.

यही वह पल था जिस ने अवंतिका के इस विश्वास को और भी अधिक मजबूत कर दिया था कि हुस्न चाहे तो क्या कुछ हासिल नहीं हो सकता. संसार का कोई सुख नहीं जो उस के चाहने पर कदमों में झक नहीं सकता. दुनिया में ऐसा कोई पुरुष नहीं जो बहकाने पर बहक नहीं सकता.

आगे पढ़ें- धीरेधीरे अवंतिका रमन की सैक्रेटरी कम…

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Family Story In Hindi: कच्ची गली- भाग 2- खुद को बदलने पर मजबूर हो गई दामिनी

सृष्टि ने उस के जन्मदिन की तैयारी शुरू कर दी. पार्टी पौपर्स, हैप्पी बर्थडे स्ट्रिंग, दिल की शेप के गुब्बारे और मेहमानों की एक लिस्ट. दामिनी के 50वें जन्मदिन को वाकई खास बनाना चाहती थी उस की बेटी. विपिन का भी पूरा सहयोग था. केवल धनदान से ही नहीं, बल्कि श्रमदान से भी विपिन साथ दे रहे थे.

अगली सुबह दामिनी थोड़ी देर से उठी. आज फिर उसे माइग्रेन अटैक आया था. सुबह उठने के साथ ही सिर में दर्द शुरू हो गया था. ऐसे में अकसर उस की इंद्रियां उस का पूरा साथ नहीं निभाती थीं, सो हर काम थोड़ा धीमी गति से होता था.

‘‘क्या हुआ मेरी प्यारी मम्मा को?’’ सृष्टि उस का उतरा चेहरा देख कर पूछने लगी.

‘‘बेटा, फिर वही सिरदर्द,’’ दामिनी अपना माथा सहलाती हुई बोली.

‘‘उफ, आप दवाई ले कर रैस्ट करो. हमारे जाने के बाद कोई काम मत करना.’’

सृष्टि की बात मान कर विपिन और उस के चले जाने के बाद दामिनी दवा खा कर कुछ देर सो गई.

फोन की घनघनाहट से दामिनी की आंख खुली, ‘‘हैलो,’’ टूटी हुई आवाज में वह बोली.

‘‘दामिनी, मैं रजत बोल रहा हूं. मेरे सहकर्मी को अपनी बेटी के दाखिले के सिलसिले में सृष्टि से कुछ पूछना है पर न जाने क्यों उस का सैलफोन स्विचऔफ आ रहा है. जरा उसे बुला कर अपने फोन से बात करवा दो.’’

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‘‘सृष्टि, सृष्टि कालेज से अभी लौटी कहां है. आज तबीयत थोड़ी ढीली लग रही थी, इसलिए आंख लग गई. क्या समय हुआ है?’’

‘‘रात के 8 बज रहे हैं. सृष्टि अभी तक नहीं लौटी,’’ विपिन के स्वर में चिंता के भाव घुलने लगे.

समय सुन कर दामिनी भी हड़बड़ा कर उठ बैठी, ‘‘इतनी देर सृष्टि को कभी नहीं होती. उस पर उस का फोन भी औफ आ रहा है. ऐसा क्या हो गया होगा,’’ कहती हुई दामिनी के पसीने छूट गए.

‘‘क्या तुम उस की सहेलियों के घर जानती हो?’’ विपिन ने पूछा.

‘‘हां, कुछ सहेलियां पास में ही रहती हैं. मैं फौरन जा कर पूछ आती हूं. तुम कहां हो?’’ दामिनी बोली.

‘‘मैं औफिस से घर के लिए चल दिया हूं. सृष्टि के कालेज के रास्ते में हूं. मैं पूरा रास्ता उसे देखता आऊंगा,’’ विपिन काफी घबरा कर बोल रहे थे.

‘‘मैं भी पासपड़ोस, अपने महल्ले व हाईवे तक सृष्टि को देख कर आती हूं,’’ दामिनी ने जल्दबाजी में अपनी चुन्नी उठाई और सड़क की ओर दौड़ पड़ी.

सब से पहले दामिनी ने सृष्टि की सब से पास रहने वाली  सहेली का दरवाजा खटखटाया, तो उस ने बताया, ‘‘आंटी, आज मैं कालेज गई ही नहीं. क्या हुआ, आप इतनी परेशान क्यों हैं?’’

मगर दामिनी के पास उत्तर देने का समय न था. वह भागती हुई दूसरी सहेली के घर पहुंची. फिर  तीसरी. पड़ोस में केवल इतनी ही लड़कियां सृष्टि के कालेज में पढ़ती थीं. कहीं भी सृष्टि की खबर न पा कर दामिनी की चिंता बढ़ती जा रही थी.

‘‘दामिनी अब हाईवे की ओर चलने लगी. तीव्र गति से कदम बढ़ाती दामिनी अब सुबकने लगी कि पता नहीं मेरी बच्ची कहां होगी. इतनी देर कभी नहीं हुई उसे. फोन क्यों स्विचऔफ है. कम से कम एक फोन कर देती. आएगी तो बहुत डांटूंगी. यह भी कोई तरीका हुआ. मन ही मन में बड़बड़ाती अपने आंसुओं को पोंछती हुई दामिनी हाईवे पर चली जा रही थी. कभी दुकान पर बैठे चाय पी रहे लोगों से पूछती तो कभी सड़क पर जा रहे लोगों को अपने फोन पर सृष्टि का फोटो दिखा कर उस के बारे में जानकारी हासिल करने का प्रयास करती.

उधर विपिन जगहजगह अपनी कार रोक कर सृष्टि को खोजने में प्रयत्नशील थे. घर निकट आता जा रहा था, किंतु सृष्टि का कुछ पता नहीं चल रहा था. विपिन की बेचैनी बढ़ती जा रही थी. कार चलाते हुए अब वे हाईवे पर पहुंच चुके थे. रात काफी हो चुकी थी. गाडि़यां तेज रफ्तार से अपने गंतव्य स्थान को दौड़ी जा रही थीं. कार चलाते हुए विपिन अब घर के निकट पहुंचने लगे लेकिन सृष्टि का कोई अतापता न चला था. विपिन किसी अनिष्ट की आशंका से घबरा रहे थे.

तभी उन्होंने सड़क के किनारे किसी को औंधेमुंह गिरा देखा. तेजी से गाड़ी को साइड में लगाते हुए विपिन उतरे और उस ओर बढ़ चले. वह किसी स्त्री का शरीर था जिस के कपड़े बेतरतीब अवस्था में थे. करीब 10 फर्लांग दूर चुन्नी पड़ी हुई थी. विपिन बेहद घबरा गए कि कहीं यह सृष्टि तो नहीं… आज क्या पहना था सृष्टि ने, यह भी विपिन को नहीं पता क्योंकि सृष्टि उन के औफिस जाने के बाद ही अपने कालेज जाया करती है. लगभग भागते हुए विपिन उस की तरफ बढ़े और कंधे से पकड़ कर उस का चेहरा अपनी ओर मोड़ा.

उस के बाद जो उन्होंने देखा, उन के चेहरे पर विषादपूर्ण भाव उभर आए. पलभर को मानो उन्हें काठ मार गया.

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‘‘यह तो दामिनी है,’’ उन के मुंह से अस्फुट बोल निकले. दामिनी से दूर गिरी उस की चुन्नी, कंधे से सरका हुआ उस का कुरता, खुली हुई सलवार जो उस के घुटनों तक गिरी हुई थी और दुख व तकलीफ में लिपटा उस का चेहरा आदि सबकुछ साफसाफ दर्शा रहा था कि उस के साथ क्या बीत चुका है. जिस अनहोनी की आशंका दोनों मातापिता अपनी नवयौवना बेटी के लिए कर रहे थे, यथार्थ में वही दुर्घटना दामिनी के साथ घट चुकी थी.

‘‘यह क्या हुआ, तुम यहां कैसे, इस हालत में… उठो दामिनी,’’ कहते हुए विपिन सहारा दे कर दामिनी को उठाने लगे.

दामिनी मूर्च्छित सी अवस्था में उठने का प्रयास करने लगी. सृष्टि को ढूंढ़ते हुए वह यहां एक सुनसान कोने में पहुंच गई थी. सृष्टि का नाम पुकारती वह यहांवहां भटक रही थी कि सड़क से गुजरती एक गाड़ी में सवार कुछ लड़कों की गंदी नजर उस पर पड़ गई. अकेली औरत, चिंता में बेहाल, रुकी हुई गाड़ी की ओर बेध्यानी में बढ़ती चली गई और कुछ सशक्त हाथों ने उसे गाड़ी के भीतर घसीट लिया.

फिर इन्हीं सड़कों पर, चलती गाड़ी में उस के साथ वही अपमानजनक, अनहोनी दुर्घटना घट गई जैसी खबरें अखबार में पढ़ते हुए विपिन का मन परेशान हो जाया करता. कौन सोच सकता था कि जवान लड़की की मां को भी वही खतरा है जिस का डर अकसर मातापिता को अपनी युवा बेटियों के लिए लगता है. जमाना सेफ्टी पिन का हो या पैपरस्प्रे का औरतों के लिए सुनसान गलियां हमेशा से खतरा रहीं और आज भी हैं.

‘‘उठो दामिनी, हिम्मत करो. घर चलो,’’ विपिन दामिनी को दिलासा देने लगे.

क्या औरतों के लिए घर की देहरी लांघना सदा ही लक्ष्मणरेखा का प्रश्न रहेगा? किसी भी उम्र की औरत हो, कोई भी शहर हो, कोई भी जमाना हो कब तक औरत की इज्जत के लिए हर गली कच्ची रहेगी? कब तक हर औरत को रेप जैसे अपमानजनक अपराध के बाद ऐसे मुंह छिपाना पड़ेगा मानो वह इस की शिकार नहीं बल्कि असली गुनहगार है? केवल दामिनी नाम रख देने से औरत में शक्ति नहीं आती. वह फिर भी निर्बल, भेद्य, आलोचनीय, अशक्त रहती है. कब होगी वह सुबह जो सच्चा सवेरा लाएगी? कब बिखरेंगी वे किरणें जो सच्चा उजाला फैलाएंगी? दामिनी सुन्न दिलदिमाग लिए, लंगड़ाती हुई, विपिन के कंधे का सहारा लिए अपनी कार में बैठ गई.

‘‘विपिन…’’ कह दामिनी रोने लगी, ‘‘देखो न, यह क्या हो गया,’’ फिर स्वयं को समेटती हुई बोली, ‘‘पुलिस स्टेशन चलो, मुझे एफआईआर लिखवानी है.’’

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विपिन ने गाड़ी को सड़क के एक ओर लगाया और  दामिनी के सिर पर हाथ फेर कर उसे शांत करने लगे, ‘‘जो होना था सो हो गया. अब इन बातों से क्या होगा? इतनी रात को, यहां सुनसान कोने में कौन सी गाड़ी थी, कौन लोग थे, क्या तुम पहचान पाओगी? क्या तुम ने गाड़ी का नंबर देखा? पुलिस सब पूछेगी, तुम से सुबूत मांगेगी. उस पर जब यह खबर समाज में फैल जाएगी तो हमारे परिवार की इज्जत का क्या होगा? सब रिश्तेदार क्या कहेंगे? सृष्टि पर क्या बीतेगी… आगे चल कर उस की शादी के समय… कुछ सोचो दामिनी. भलाई इसी में है कि इस बात को यही खत्म कर दिया जाए. आने वाले कल के बारे में विचार करो.’’

आगे पढ़ें- सृष्टि घर आ चुकी है. लेकिन उस के…

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