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जब से फोन का स्वरूप बदला और इतना छोटा हो गया कि वह हम सब की मुट्ठी के अंदर समाने लगा तब यह बहुगुणी भी हो गया, बातचीत और पूरी दुनिया के काम निबटाने के कारण इस छोटे रूप का मोबाइल सब के पास हर समय हर वक्त साथी की तरह रहने लगा. यह सौ फीसदी सच है कि मोबाइल के द्वारा आप पूरी दुनिया की जानकारी अपनी जेब में रख सकती हैं. इसी कारण मोबाइल जीवन का जरूरी अंग बन गया है. लोग इस के बिना जी नहीं पाते हैं. यहां तक कि सुबह, दोपहर, शाम, दिनरात हर पल मोबाइल को अपने पास रखना नहीं भूलते हैं. किसी को चिंता होती है कि कोई जरूरी फोन न आ जाए या किसी को जल्दी उठने के लिए उसी में अलार्म लगाने की जरूरत होती है. आमतौर पर लोगों की यह आदत होती है कि वे रात को सोते समय अपने तकिए के नीचे मोबाइल रख कर सो जाते हैं. लेकिन जो भी ऐसा कर रहा है उस की यह आदत बिलकुल गलत है. ऐसा करने से आगे आने वाले समय में आप को सिरदर्द और चक्कर आने की समस्याएं हो सकती हैं. मोबाइल से निकलने वाला इलैक्ट्रोमैग्नेटिक रैडिएशन काफी नुकसानदेह होता है. लत है गलत
जैसेजैसे मोबाइल फोन और टैबलेट का साइज बढ़ता जा रहा है वैसेवैसे ये गैजेट्स और अधिक नुकसानदेह बनते जा रहे हैं. रात को जब अंधेरा होने लगता है तो हमारा शरीर मैलाटोनिन नाम का तत्त्व शरीर में छोड़ने लगता है. यह तत्त्व शरीर को नींद के लिए तैयार करता है.
मगर मोबाइल फोन और टैबलेट की डिस्पले स्क्रीन से निकलने वाली नीलीहरी रोशनी इस तत्त्व को नहीं बनने देती. इस वजह से शरीर में बहुत ही कम मात्रा में मैलाटोनिन बनता है जिस से आसानी से नींद भी नहीं आती. हमें यह कोशिश करनी चाहिए कि नीलीहरी रोशनी के बजाय उन की डिस्पले स्क्रीन से पीलीलाल रोशनी निकले.
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बढ़ा नुकसान
रातभर मोबाइल को तकिए के पास रखने को ले कर हुए कई अध्ययनों में भी कहा गया है कि इस से तमाम दिक्कतें हो सकती हैं, जिन में प्रमुख हैं- बारबार होने वाला सिरदर्द, सिर में कभीकभी ?ान?ानाहट होना और उस ?ान?ानाहट से निराशा पैदा होना, कम काम करने पर भी लगातार थकान महसूस करना, बेवजह ही चलते हुए चक्कर आना, निराशा और नकारात्मक सोच का बहुत बढ़ जाना, घंटों तक कोशिश कर के भी गहरी नींद न आना, आंखों में सूखापन बनने लगना, किसी भी काम में ध्यान न लगना, शारीरिक श्रम से जी चुराना, कानों में आवाज बजना जैसा महसूस होना, पास बैठ कर बात करने में भी किसी वाक्य को साफ सुनने में कमी, याददाश्त में कमी, पाचनतंत्र में गड़बड़ी, अनियमित धड़कन, जोड़ों में दर्द इतना ही नहीं रातभर मोबाइल पास रहेगा तो वह आप की त्वचा की सामान्य उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को तेज कर सकता है. समय से पहले ?ार्रियां, त्वचा की सूजन, खुजली तक की समस्याओं में योगदान देता है.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
आज सारी दुनिया के सभी चिकित्सकों का यही कहना है कि अगर सोने से पहले मोबाइल फोन अथवा टैबलेट का इस्तेमाल न किया जाए तो लगभग एक घंटे की नींद और ली जा सकती है. उन का कहना है कि हमारी जैविक घड़ी धरती की चौबीसों घंटों की घड़ी के साथ तालमेल बैठा कर काम करती है.
वैज्ञानिकों का मानना है कि दिमाग में एक मास्टर घड़ी होती है जिस पर वातावरण के कई कारणों से भी असर पड़ता है. नींद पूरी न होने से सेहत को काफी नुकसान पहुंचता है. अच्छी नींद लेने के लिए जरूरी है कि सोने से कम से कम 1 घंटा पहले मोबाइल फोन, टैबलेट, लैपटौप जैसी चीजों का इस्तेमाल करना बंद कर दें.
आंखें फाड़फाड़ कर मैं उस का चेहरा देखती रह गई. शोभा के मुंह से ऐसी बातें कितनी विचित्र और बेतुकी सी लग रही हैं, मैं सोचने लगी. जिस औरत ने पूरी उम्र दिखावा किया, अभिनय किया, किसी भी भाव में गहराई नहीं दर्शा पाई उसी को आज गहराई दरकार क्यों कर हुई? यह वही शोभा है जो बिना किसी स्वार्थ के किसी को नमस्कार तक नहीं करती थी.
‘‘देखो न, अभी उस दिन सोमेश मेरे लिए शाल लाए तो वह इतनी तारीफ करने लगी कि क्या बताऊं…पापा इतनी सुंदर शाल लाए, पापा की पसंद कितनी कमाल की है. पापा यह…पापा वह,’’ शोभा अपनी बहू चारू के बारे में कह रही थी, ‘‘सोमेश खुश हुए और कहने लगे कि शोभा, तुम यह शाल चारू को ही दे दो. मैं ने कहा कि इस में देनेलेने वाली भी क्या बात है. मिलबांट कर पहन लेगी. लेकिन सोमेश माने ही नहीं कहने लगे, दे दो.
‘‘मेरा मन देने को नहीं था. लेकिन सोमेश के बारबार कहने पर मैं उसे देने गई तो चारू कहने लगी, ‘मम्मी, मुझे नहीं चाहिए, यह शेड मुझ पर थोड़े न जंचेगा, आप पर ज्यादा जंचेगा.’
‘‘मैं उस की बातें सुन कर हैरान रह गई. सोमेश को खुश करने के लिए इतनी तारीफ कर दी कि वह भी इतराते फिरे.’’
भला तारीफ करने का अर्थ यह तो नहीं होता कि आप को वह चीज चाहिए ही. मुझे याद है, शोभा स्वयं जो चीज हासिल करना चाहती थी उस की दिल खोल कर तारीफ किया करती थी और फिर आशा किया करती थी कि हम अपनेआप ही वह चीज उसे दे दें.
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हम 3 भाई बहन हैं. सब से छोटा भाई, शोभा सब से बड़ी और बीच में मैं. मुझे सदा प्रिय वस्तु का त्याग करना पड़ता था. मैं छोटी बहन बन कर अपनी इच्छा मारती रही पर शोभा ने कभी बड़ी बहन बन कर त्याग करने का पाठ न पढ़ा.
अनजाने जराजरा मन मारती मैं इतनी परिपक्व होती गई कि मुझे उसी में सुख मिलने लगा. कुछ नया आता घर में तो मैं पुलकित न होती, पता होता था अगर अच्छी चीज हुई तो किसी भी दशा में नहीं मिलेगी.
‘‘एक ही बहू है मेरी,’’ शोभा कहती, ‘‘क्याक्या सोचती थी मैं. मगर इस के तो रंग ही न्यारे हैं. कोई भी चीज दो, इसे पसंद ही नहीं आती. एक तरफ सरका देगी और कहेगी नहीं चाहिए.’’
शोभा मेरी बड़ी बहन है. रक्त का रिश्ता है हम दोनों में मगर सत्य यह है कि जितना स्वार्थ और दोगलापन शोभा में है उस के रहते वह अपनी बहू से कितना अपनापन सहेज पाई होगी मैं सहज ही अंदाजा लगा सकती हूं.
चारू कैसी है और उसे कैसी चीजें पसंद आती हैं यह भी मैं जानती हूं. मैं जब पहली बार चारू से मिली थी तभी बड़ा सुखद सा लगा था उस का व्यवहार. बड़े अपनेपन से वह मुझ से बतियाती रही थी.
‘‘चारू, शादी में पहना हुआ तुम्हारा वह हार और बुंदे बहुत सुंदर थे. कौन से सुनार से लिए थे?’’
‘‘अरे नहीं, मौसीजी, वे तो नकली थे. चांदी पर सोने का पानी चढ़े. मेरे पापा बहुत डरते हैं न, कहते थे कि शादी में भीड़भाड़ में गहने खो जाने का डर होता है. आप को पसंद आया तो मैं ला दूंगी.’’
कहतीकहती सहसा चारू चुप हो गई थी. मेरे साथ बैठी शोभा की आंखों को पढ़तीपढ़ती सकपका सी गई थी चारू. बेचारी कुशल अभिनेत्री तो थी नहीं जो झट से चेहरे पर आए भाव बदल लेती. झुंझलाहट के भाव तैर आए थे चेहरे पर, उस से कहां भूल हुई है जो सास घूर रही है. मौसी अपनी ही तो हैं. उन से खुल कर बात करने में भला कैसा संकोच.
‘‘जाओ चारू, उधर तुम्हारे पापा बुला रहे हैं. जरा पूछना, उन्हें क्या चाहिए?’’ यह कहते हुए शोभा ने चारू को मेरे पास से उठा दिया था. बुरा लगा था चारू को.
चारू के उठ कर जाने के बाद शोभा बोली, ‘‘मेरी दी हुई सारी साडि़यां और सारे गहने चारू मेरे कमरे में रख गई है. कहती है कि बहुत महंगी हैं और इतनी महंगी साडि़यां वह नहीं पहनेगी. अपनी मां की ही सस्ती साडि़यां उसे पसंद हैं. सारे गहने उतार दिए हैं. कहती है, उसे गहनों से ही एलर्जी है.’’
शोभा सुनाती रही. मैं क्या कहती. एक पढ़ीलिखी और समझदार बहू को उस ने फूहड़ और नासमझ प्रमाणित कर दिया था. नाश्ता बनाने का प्रयास करती तो शोभा सब के सामने बड़े व्यंग्य से कहती, ‘‘नहीं, नहीं बेटा, तुम्हें हमारे ढंग का खाना बनाना नहीं आएगा.’’
‘‘हर घर का अपनाअपना ढंग होता है, मम्मी. आप अपना ढंग बताइए, मैं उसी ढंग से बनाती हूं,’’ चारू शालीनता से उत्तर देती.
‘‘नहीं बेटा, समझा करो. तुम्हारे पापा और अनुराग मेरे ही हाथ का खाना पसंद करते हैं.’’
अपने चारों तरफ शोभा ने जाने कैसी दीवार खड़ी कर रखी थी जिसे चारू ने पहले तो भेदने का प्रयास किया और जब नहीं भेद पाई तो पूरी तरह उसे सिरे से ही नकार दिया.
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‘‘कोई भी काम नहीं करती. न खाना बनाती है न नाश्ता. यहां तक कि सजतीसंवरती भी नहीं है. अनुराग शाम को थकाहारा आता है, सुबह जैसी छोड़ कर जाता है वैसी ही शाम को पाता है. मेरे हिस्से में ऐसी ही बहू मिलने को थी,’’ शोभा कहती.
‘‘कल चारू को मेरे पास भेजना. मैं बात करूंगी.’’
‘‘तुम क्या बात करोगी, रहने दो.’’
‘‘किसी भी समस्या का हल बात किए बिना तो नहीं निकलेगा न.’’
शोभा ने साफ शब्दों में मना कर दिया. वह यह भी तो नहीं चाहती थी कि उस की बहू किसी से बात करे. मैं जानती हूं, चारू शोभा के व्यवहार की वजह से ही ऐसी हो गई है.
‘‘बस भी कीजिए, मम्मी. मुझे भी पता है कहां कैसी बात करनी चाहिए. आप के साथ दम घुटता है मेरा. क्या एक कप चाय बनाना भी मुझे आप से सीखना पड़ेगा. हद होती है हर चीज की.’’
चारू एक बार हमसब के सामने ही बौखला कर शोभा पर चीख उठी थी. उस के बाद घर में अच्छाखासा तांडव हुआ था. जीजाजी और शोभा ने जो रोनाधोना शुरू किया कि उसी रात चारू अवसाद में चली गई थी.
अनुराग भी हतप्रभ रह गया था कि उस की मां चारू को कितना प्यार करती हैं. यहां तक कि चाय भी उसे नहीं बनाने देतीं. नाश्ता तक मां ही बनाती हैं. बचपन से मां के रंग में रचाबसा अनुराग पत्नी की बात समझता भी तो कैसे.
आगे पढ़ें- अस्पताल रह कर चारू लौटी तो अपने ही…
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कलर्स के सीरियल बैरिस्टर बाबू (Barrister Babu) में बड़ी बोंदिता यानी आंचल साहू (Anchal Sahu) की एंट्री हो चुकी हैं, जिसे दर्शक काफी पसंद कर रहे हैं. हालांकि कुछ लोग छोटी बोंदिता यानी औरा भटनागर के रिप्लेस होने के कारण एक्ट्रेस आंचल साहू (Anchal Sahu) को ट्रोल करते हुए भी नजर आ रहे हैं. लेकिन आज हम आपको आंचल साहू (Anchal Sahu) की किसी खबर के बारे में नहीं बल्कि उनके फैशन के बारे में बताएंगे.
आंचल साहू (Anchal Sahu) सिंपल लुक में काफी खूबसूरत लगती हैं. इसलिए उनका फैशन भी सिंपल लेकिन ट्रैंडी होता है. आइए आपको दिखाते हैं बैरिस्टर बाबू की बड़ी बोंदिता के फैंशन की झलक…
सिंपल लुक कैरी करना पसंद करती हैं बोंदिता
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बड़ी बोंदिता यानी आंचल साहू (Anchal Sahu)सिंपल लुक कैरी करना पसंद करती हैं, जिसका अंदाजा उनके इंस्टाग्राम अकाउंट की फोटोज को देखकर लगाया जा सकता है. आंचल अक्सर सिंपल सूट कैरी करते हुए नजर आती हैं, जिसे फैंस काफी पसंद करते हैं. वहीं इन लुक्स में आंचल की खूबसूरत की तारीफ फैंस करते रहते हैं.
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वेस्टर्न लुक भी होता है ट्रैंडी
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आंचल साहू (Anchal Sahu) के वेस्टर्न लुक की बात करें तो सिंपल डैनिम स्कर्ट के साथ औफशोल्डर टौप हो या जींस के साथ क्रौप टौप, हर लुक में आंचल साहू (Anchal Sahu) का लुक बेहद खास होता है. सिंपल वेस्टर्न अंदाज में आंचल साहू फैंस का दिल जीतती नजर आती हैं.
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पार्टी वियर लुक में गिराती हैं बिजलियां
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पार्टी वियर लुक की बात करें तो हैवी अनारकली सूट में बड़ी बोंदिता बेहद खूबसूरत लगती हैं. लाइट कलर के हैवी अनारकली सूट में आंचल साहू (Anchal Sahu) किसी परी से कम नहीं लगती. उनका हर लुक इन दिनों सोशलमीडिया पर काफी वायरल हो रहा है, जिसे देखकर फैंस काफी खुश हैं.
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मानसून में घर की, खासकर लकड़ी के फर्नीचर और दरवाजेखिड़कियों की देखभाल बहुत जरूरी होती है, वरना मानसून के बाद उनका आकार और रंग, दोनों खराब हो सकते हैं. अगर आप अपना घर बारिश के लिए तैयार नहीं रखती हैं तो यह मौसम भारी मुसीबत का कारण बन सकता है. बारिश का मतलब है नमी, बदबूमारते कपड़े, अलमारियों में फंगल इंफेक्शन और भी बहुत कुछ. इसलिए इस खूबसूरत मौसम का मजा आप ले सकें, इसके लिए आपको थोड़ी-सी तैयारी करनी होगी…
1. फर्नीचर की देखभाल करें
मौसम की नमी लकड़ी की गुणवत्ता और शेप पर बहुत बुरा असर डालती है. इसमें फंगस जमा हो सकती है. इस मौसम में हल्के गीले कपड़े की बजाय साफनरम और सूखे कपड़े से फर्नीचर साफ करें. लेमिनेटेड फर्नीचर जैसे स्टडी डेस्क, अलमारी, शटर या डोर को साफ करने के लिए साबुन और पानी का इस्तेमाल करें. इस बात का खास खयाल रखें कि अलमारी में रखने से पहले कपड़े पूरी तरह से सूख चुके हों. अलमारी में थोड़ी-बहुत सूखी नीम की पत्तियां भी डाल दें.
2. कारपेट्स और रग्स साफ रखें
मानसून कारपेट्स और रग्स पर बहुत ही बुरा असर डालता है. बारिश में खिड़कियां खुली न रखें, उनसे नमी अंदर आकर कारपेट्स में समा जाएगी. नम कारपेट्स फंगस का बहुत बड़ा घर होते हैं. इसी तरह से कारपेट पर गीले फुटवियर ले जाने से भी बचें. बेहतर होगा कि पंखा चलाए रखें. कारपेट्स को नियमित रूप से वैक्यूम क्लीन करती रहें. वैसे अच्छा यही होगा कि इस मौसम में भारी कारपेट्स उठा कर रख दें. आप ईकोफ्रेंडली कारपेट्स भी इस्तेमाल कर सकती हैं. इनकी ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं होती.
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3. सीलन आने से रोकें
बारिश के दिनों में अक्सर दीवारों और छतों पर सीलन आ जाती है. अगर दीवार या छत पर हल्की सी भी दरार है, खिड़कियां सही नहीं हैं तो घर की दीवारें बुरी तरह से प्रभावित होती हैं. इससे पेंट भी पपड़ी के रूप में उतर सकता है. इन दिनों जो पेंट्स लगाए जाते हैं, वे भी नमी को आसानी से पकड़ लेते हैं और फिर पपड़ी के रूप में उतर जाते हैं. आरसीसी की छत में भी पानी घुस सकता है. इसलिए बारिश आने से पहले ही पूरे घर की दीवारों को चेक करें और सारे पाइपों और नालियों की सफाई करवा लें.
सोफों की सफाई
बारिश के मौसम सोफों को वैक्यूम क्लीन करना न भूलें. वैक्यूमिंग करते समय क्लीनर को गर्म हवा वाले मोड पर रखें. सोफे के कोनों में नेफ्थलीन की गोलियां डाल दें.
ऐसा भी करें
रसोई के सारे केबिनेट्स को खाली करके अच्छी तरह साफ करें. खाना खुला न छोड़ें. फ्रिज को भी अच्छी तरह साफ करके देख लें, जो खाद्य सामग्री पुरानी हो गई है, उसे फेंक दें. पेड़पौधों की कटाई करें. बारिश में पेड़-पौधे जल्दी बढ़ते हैं, इसलिए इन्हें ट्रिम कर दें.
बारिश के मौसम में दीमक बहुत तेजी से बढ़ती है. इसलिए पूरे घर के खिड़की-दरवाजे चेक करें कि कहीं कोई दीमक तो नहीं लगी हुई. इस मौसम में घर में कोई तोड़फोड़ या रिनोवेशन न करवाएं.
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बारिश से पहले गद्दों को निकालकर धूप दिखा दें. इससे बारिश में कोई कीड़े बिस्तरों में नहीं लगेंगे.
नमी को पूरी तरह से नियंत्रित करने की कोशिश करें. इलेक्ट्रिकल गैजेट्स को लेकर विशेष सावधानी बरतें. उन्हें सिलिकॉन पाउच में रखें.
फिर दामिनी को पानी की बोतल पकड़ाते हुए विपिन आगे कहने लगे, ‘‘मैं तुम्हारी तकलीफ समझता हूं. मैं तुम्हारे साथ हूं. इस घटना के कारण तुम्हारे प्रति मेरे प्यार में कोई कमी नहीं आएगी. तुम मेरी पत्नी हो और हमेशा रहोगी. अपने मन से आज की इस रात को हमेशा के लिए मिटा दो. आज के बाद हम इस का जिक्र कभी नहीं करेंगे.’’
तभी विपिन का फोन बजा. स्क्रीन पर सृष्टि का नाम देख उन्होंने लपक कर फोन उठाया.
‘‘सौरी पापा, मेरा फोन स्विचऔफ हो गया था, बैटरी डैड हो गई थी. मुझे आज घर लौटने में देर हो गई. वह असल में एक फ्रैंड का बर्थडे था और पार्टी में थोड़ी लेट हो गई. पर अब मैं घर आ चुकी हूं, लेकिन मम्मा घर पर नहीं हैं. आप दोनों कहां हैं?’’ सृष्टि ने पूछा.
सृष्टि घर आ चुकी है. लेकिन उस के कुछ समय देर से आने के कारण उस के अभिभावक इतना घबरा गए कि एक ऐसा कटु अनुभव अपने जीवन में जोड़ बैठे जिसे भूलना शायद संभव नहीं. दामिनी के मन में अब झंझावत चल रहा है. क्या करे वह? क्या उस के लिए इस दुर्घटना को भुलाना संभव होगा? क्या इतना आसान है यह? इन्हीं सब विचारों में उलझी दामिनी घर के सामने आ रुकी अपनी गाड़ी से उतरना नहीं चाह रही थी. काश, वह समय की सूई उलटी घुमा पाती और सबकुछ पहले की तरह खुशहाल हो जाता. उस की गृहस्थी, प्यारी सी बिटिया, स्नेह लुटाता पति अब तक सबकुछ कितना स्वप्निल रहा उस के जीवन में.
विपिन की आवाज पर दामिनी धीरे से उतर कर घर में प्रविष्ट हो गई.
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‘‘कहां गए थे आप दोनों?’’ सृष्टि के प्रश्न पर दामिनी से पहले विपिन बोल उठे, ‘‘तेरी मम्मा की तबीयत कुछ ठीक नहीं है. डाक्टर के पास गए थे.’’
अगले 2 दिनों तक दामिनी यों ही निढाल पड़ी रही. उस का मन किसी भी काम, किसी भी बात में नहीं लग रहा था. रहरह कर जी चाहता कि पुलिस के पास चली जाए और उन दरिंदों को सजा दिलवाने के लिए संघर्ष करे. फिर विपिन द्वारा कही बातें दिमाग में घूमने लगतीं. बात तो उन की भी सही थी कि उस के पास पुलिस को बताने के लिए कोई ठोस बात नहीं, कोई पुख्ता सुबूत नहीं है.
इन दिनों विपिन ने घर संभाल लिया क्योंकि वे दामिनी को बिलकुल परेशान नहीं करना चाहते थे. वे उस के दिल और दिमाग की स्थिति से अनजान नहीं थे और इसीलिए उसे सामान्य होने के लिए पूरा समय देने को तैयार थे.
सृष्टि जरूर बर्थडे पार्टी की तैयारी में लगी हुई थी. अब पार्टी में केवल 3 दिन शेष थे. विपिन दामिनी की मानसिक हालत समझ रहे थे, इसलिए वे पार्टी को ले कर जरा भी उत्साहित न थे. लेकिन सृष्टि को क्या बताते भला, इसलिए उस के सामने वे चुप ही थे.
अगली सुबह विपिन के औफिस चले जाने के बाद सृष्टि दामिनी से साथ मार्केट चलने का आग्रह करने लगी, ‘‘मम्मा, आप के लिए एक न्यू ड्रैस लेनी है. आखिर आप पार्टी की शान होने वाली हैं. सब से स्टाइलिश ड्रैस लेंगे.’’
सृष्टि चहक रही थी. लेकिन दामिनी का मन उचट चुका था. वह अपने मन को शांत करने में स्वयं को असमर्थ पा रही थी. सृष्टि की बात से दामिनी के घाव फिर हरे होने लगे. ‘पार्टी’ शब्द सुन दामिनी को उस रात की बर्थडे पार्टी के कारण वह देर से घर लौटी थी. न सृष्टि पार्टी के चक्कर में पड़ती और न ही दामिनी के साथ यह हादसा होता.
अपने बिगड़ते मूड से दामिनी ने उस रात सृष्टि के देर से घर आने को ले कर कुछ उखड़े लहजे में कहा, ‘‘पार्टी, पार्टी, पार्टी… उस रात किस की बर्थडे पार्टी थी? क्या तुम एक फोन भी नहीं कर सकती थीं? इतनी लापरवाह कब से हो गईं तुम, सृष्टि?’’
अचानक नाराज दामिनी को देख सृष्टि चौंक गई, ‘‘वह… उस दिन… वह मम्मा… अब क्या बताऊं आप को. उस शाम मुझे कुछ ऐसी बात पता चली कि न तो मुझे समय का आभास रहा और न ही अपने डिस्चार्ज हुए फोन को चार्ज करने का होश रहा.’’
कुछ पल सोचने के पश्चात सृष्टि आगे कहने लगी, ‘‘पहले मैं ने सोचा था कि आप को यह बात बता कर चिंतित नहीं करूंगी पर अब सोचती हूं कि बता दूं.’’
सृष्टि और दामिनी का रिश्ता भले ही मांबेटी का था लेकिन उन का संबंध दोस्तों जैसा था. सृष्टि अपनी हर बात बेझिझक अपनी मां से बांटती आई थी. आज भी उस ने अपनी मां को उस शाम हुई देरी के पीछे का असली कारण बताने का निश्चय किया.
‘‘मां, मेरी सहेली है न निधि. उस का एक बौयफ्रैंड है. निधि अकसर उस से मिलने उस के पीजी रूम पर जाया करती थी. यह बात केवल उन दोनों को ही पता थी. मुझे भी नहीं. लेकिन पिछले कुछ दिनों से निधि और उस लड़के में कुछ अनबन चल रही थी.
निधि ने ब्रेकअप करने का मन बना लिया. यह बात उस ने अपने बौयफ्रैंड से कह डाली. वह निधि से अपने निर्णय पर दोबारा विचार करने की जिद करने लगा. फिर उस ने निधि को एक लास्ट टाइम इस विषय पर बात करने के लिए अपने पीजी रूम में बुलाया. बस, निधि से गलती यह हुई कि वह उस लड़के की बात पर विश्वास कर आखिरी बार उस से मिलने को राजी हो गई.’’
दामिनी ध्यान से सृष्टि की बात सुन रही थी. साथ ही, उस का मन इस उलझन में गोते लगा रहा था कि क्या उसे भी सृष्टि को अपनी आपबीती सुना देनी चाहिए.
‘‘उस दिन रूम में निधि के बौयफ्रैंड के अलावा 3 लड़के और मौजूद थे, जिन्हें उस ने अपने दोस्त बताया. जब निधि ब्रेकअप के अपने निर्णय पर अडिग रही तो उन चारों ने मिल कर उस का रेप कर डाला. उस के बौयफ्रैंड को उस से बदला लेना था. उफ, कितनी घिनौनी सोच है. या तो मेरी या किसी की भी नहीं. ऊंह,’’ कह कर सृष्टि के चेहरे पर पीड़ा, दर्द, क्रोध और घिन के मिलेजुले भाव उभर आए.
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वह आगे बोली, ‘‘आप ही बताओ मम्मा, जब निधि मुझ से ये सारी बातें शेयर कर रही थी तब ऐसे में समय का ध्यान कैसे रहता?’’
सृष्टि की बात सही थी. उस समय अपनी बात ढकने के लिए उस ने बर्थडे पार्टी का झूठा बहाना बना दिया था. मगर आज असलियत जानने के बाद दामिनी के पास भी कोई जवाब न था. वह चुपचाप सृष्टि का हाथ थामे बैठी रही, ‘‘निधि ने अब आगे क्या करने का सोचा है?’’ बस, इतना ही पूछ पाई वह.
‘‘इस में सोचना क्या है, मम्मा? जो हुआ उसे एक दुर्घटना समझ कर भुला देने में ही निधि को अपनी भलाई लग रही है. वह कहती है कि जिस नीयत से उस के बौयफ्रैंड ने उस का रेप किया, वह नहीं चाहती कि वह उस में कामयाब हो. वह इस घटना को अपने वजूद पर हावी नहीं होने देना चाहती. वैसे देखा जाए मम्मा, तो उस की बात में दम तो है. एक घटना हमारे पूरे व्यक्तित्व का आईना नहीं हो सकती.
‘‘आखिर रेप को इतनी वरीयता क्यों दी जाए कि उस से पहले और बाद के हमारे जीवन में इतना बड़ा फर्क पड़े. ठीक है, हो गई एक दुर्घटना, पर क्या अब जीना छोड़ दें या फिर बस मरमर कर, अफसोस करते हुए, रोते हुए जिंदगी गुजारें? इस बात को अपने मन में दफना कर आगे क्यों न बढ़ा जाए, वह भी पूरे आत्मविश्वास के साथ,’’ सृष्टि न जाने क्या कुछ कहे जा रही थी.
आज दामिनी के सामने आज की लड़कियों की केवल हिम्मत ही नहीं, उन के सुलगते विचार और क्रांतिशील व्यक्तित्व भी उजागर हो रहे थे. वे सिर्फ हिम्मत ही नहीं रखतीं, बल्कि समझदारी से भी काम लेती हैं. जिन बातों से अपना जीवन सुधरता हो, वे ऐसे निर्णय लेना चाहती हैं, न कि भावनाओं में बह कर खुद को परेशानी में डालने के कदम उठाती हैं. अपनी बेटी के मुंह से ऐसी बातें सुन कर दामिनी के अंदर भी कुछ बदल गया.
जब सृष्टि की बात पूरी हुई तब तक मांबेटी चाय के खाली कप मेज पर रख चुकी थीं.
‘‘तो चल, कौन सी मार्केट ले चलेगी एक शानदार सी ड्रैस खरीदने के लिए,’’ दामिनी ने कहा तो सृष्टि खुशी से उछल पड़ी, ‘‘मैं ने तो शौप भी तय कर रखी है. बस, आप की ड्रैस की फिटिंग चैक करनी है मेरी प्यारी मम्मा,’’ कह उस ने अपनी दोनों बांहें दामिनी के गले में डाल दीं. दामिनी भी सृष्टि को बांहों में ले हंसती हुई झूम उठी.
वन महोत्सव के वृक्षारोपण महाअभियान के अन्तर्गत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सुलतानपुर में पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के किनारे 100 करोड़वां पौधा लगाया गया. मुख्यमंत्री ने कहा कि पांच साल में यूपी सरकार ने वृक्षारोपण अभियान में रिकार्ड कायम किया है. अब तक प्रदेश में वन विभाग के सहयोग से 100 करोड़ पेड़ लगाए जा चुके हैं, अभी यह अभियान 7 जुलाई तक चलेगा. वहीं प्रदेश सरकार ने विभिन्न जनपदों व गांवों में रविवार को 25 करोड़ पौधे लगाकर रिकार्ड बना दिया. सीएम ने कहा कि पूर्वांचल एक्सप्रेस वे को ध्यान में रखते हुए पांच औद्योगिक स्थानों पर पांच औद्योगिक गलियारे विकसित किए जाएंगे, जहां पर उद्योग लगेंगे. इससे पूर्वांचल के युवाओं को नौकरी के लिए कहीं जाना नहीं पड़ेगा. उनको अपने ही शहर में नौकरी मिल जाएगी. वृक्षारोपण अभियान के तहत राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने झांसी में वृक्षारोपण किया.
मुख्यमंत्री ने कहा कि वृक्षारोपण के इस महाअभियान में सरकार कई रिकार्ड बनाने जा रही है. उस रिकार्ड के तहत यूपी में पिछले 5 साल में 100 करोड़ वृक्ष लगाए जा चुके हैं. एक जुलाई से सुबह 10 बजे तक 9 करोड़ पेड़ लगा दिए गए है. वहीं रविवार शाम तक प्रदेश के विभिन्न जनपदों में 25 करोड़ पौधे लगाए गए. यूपी में 7 जुलाई तक वन महोत्सव का आयोजन किया जाएगा. इस दौरान पूरे प्रदेश में 30 करोड़ से अधिक वृक्ष लगाए जाएंगे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यहां पर 100 वर्ष पुराना एक बरगद का वृक्ष है. जिसको हेरिटेज वृक्ष के रूप में संरक्षित किया गया है. सीएम ने कहा कि वृक्षों को संरक्षित करके ही हम एक स्वच्छ समाज दे सकते हैं. एक्सप्रेस वे के किनारे पंचवटी, नक्षत्र वाटिका समेत अन्य औषधीय वाटिकाएं भी बनाई जाए.
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के किनारे वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. यहां पर 2-3 साल पहले खेत हुए करते थे. यहां पर आज एक्सप्रेस वे है. जो पूर्वी उत्तर प्रदेश के अर्थव्यवस्था की रीढ़ बनने जा रहा है. एक्सप्रेस वे के निर्माण के बाद यूपी को व्यापक रोजगार, नौकरी व औद्योगिकीकरण की दिशा में आगे बढ़ने में मदद मिलेगी . सीएम ने कहा कि पूर्वांचल एक्सप्रेस वे देश की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित होगा. इससे पूर्वांचल वासियों व युवाओं को अपने शहर में रोजगार मिलेगा. यूपी समृद्ध होगा.
पांच औद्योगिक कलस्टर होंगे विकसित
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि एक्सप्रेस वे ध्यान में रखते हुए सरकार पूर्वांचल एक्सप्रेस के किनारे पांच औद्योगिक स्थानों पर 5 औद्योगिक कलस्टर विकसित करने जा रही है. यहां पर आईटी पार्क, ओडीओपी व टेक्सटाइल पार्क के साथ अन्य उद्योग लगाए जाएंगे. इन उद्योगों के जरिए लाखों युवाओं को रोजगार मिलेगा. यूपी का युवा अपने ही शहर में नौकरी हासिल कर सकेगा. जो स्वावलंबन के पथ पर चल कर यूपी के विकास में अपना योगदान देगा. पीएम मोदी की मंशा के अनुरूप यूपी एक बिलियन डॉलर की इकोनॉमी बन सकेगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सिर्फ औद्योगिक गलियारा नहीं बनेगा बल्कि पर्यावरण संरक्षण का आधार भी साबित होगा.
स्मृति वाटिकाएं अपनों की यादें संजोने की एक अच्छी पहल
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कोरोना कमजोर हुआ है लेकिन अभी खत्म नहीं हुआ है. इसलिए सोशल डिस्टेसिंग व मास्क का उपयोग बहुत जरूरी है. सीएम ने कहा कि आप खुद भी वैक्सीन लगवाए और अपने परिवार व आसपास के लोगों को वैक्सीन लगवाने के लिए जागरूक करें. मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना में दिवंगत आत्माओं की याद में जो यहां स्मृति वाटिका बनाई गई है. उसके लिए जिला प्रशासन को बधाई. हर गांव व जिले में इस तरह की वाटिका बनाई जाए. उन दिवंगत आत्माओं को नमन व उनके याद में लगाए वृक्ष हमेशा उनकी याद संजोये रहेंगे.
कलर्स टीवी का पौपुलर सीरियल ‘बालिका वधू’ (Balika Vadhu) आज भी फैंस के दिलों पर राज करता है. वहीं इससे जुड़े सितारे भी फैंस को याद हैं. इसी बीच मेकर्स ने इस शो को दूसरा सीजन ‘बालिका वधू 2’ (Balika Vadhu 2) लाने का फैसला किया है. वहीं हाल ही में इसका प्रोमो भी रिलीज कर दिया गया है, जिसे देखकर फैंस भी अपना रिएक्शन दे रहे हैं. आइए आपको दिखाते हैं ‘बालिका वधू 2’ के नए प्रोमो की झलक…
प्रोमों में दिखीं क्यूट आनंदी
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बीते दिनों फैंस सीरियल के दूसरे सीजन की मांग करते नजर आए थे, जिसके बाद मेकर्स ने नए सीजन ‘बालिका वधू 2’ लाने का फैसला किया था. वहीं हाल ही में मेकर्स ने नए सीजन का प्रोमो रिलीज किया, जिसमें छोटी आनंदी के रोल में श्रेया पटेल (Shreya Patel) नजर आ रही हैं. इसी बीच प्रोमो देखने के बाद फैंस नई छोटी आनंदी की तारीफ कर रहे हैं तो दूसरी तरफ जगिया के रोल में कौन नजर आएगा यह जानने के लिए बेताब नजर आ रहे हैं.
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सीरियल की कास्ट हुई फाइनल
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खबरों की मानें तो ‘आपकी नजरों ने समझा’ फेम एक्ट्रेस श्रेया पटेल (Shreya Patel) और ‘बालवीर’ फेम वंश सयानी (Vansh Sayani) आनंदी आर जगिया के रोल में नजर आने वाले हैं. वहीं बालिका वधू के सीजन टू में रिद्धी नायक शुक्ला, केतकी दवे, सीमा मिश्रा, अंशुल त्रिवेदी, सुप्रिया शुक्ला भी दिखने वाले हैं. हालांकि अभी तक शो को कब रिलीज किया जाएगा. इसकी जानकारी नहीं दी है.
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बता दें 2008 से शुरू होकर 8 सालों तक दर्शकों के दिलों पर राज करने वाला शो ‘बालिका वधू’ की तरह ‘बालिका वधू 2’ में भी बाल विवाह प्रथा से जुड़ी कहानी दिखाई जाएगी. हालांकि देखना है कि पिछले सीजन की तरह क्या ये शो फैंस के दिलों में जगह बना पाएगा.
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बौलीवुड एक्टर आमिर खान ने हाल ही में फैंस को अपने और किरण राव के तलाक की खबर से फैंस और इंडस्ट्री के लोगों को झटका दिया था. हालांकि दोनों ने साथ में आकर एक इंटरव्यू भी दिया था. इसी बीच आमिर खान की बेटी Ira ने तलाक की खबर के बाद सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर किया है, जिसे फैंस वायरल कर रहे हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…
पापा के तलाक के बाद किया पोस्ट
आमिर के तलाक की खबरों के बाद उनकी बेटी Ira (Ira Khan) ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर एक पोस्ट किया है, जिसमें जिसमें उन्होंने अपनी एक फोटो शेयर करते हुए लिखा है कि, ‘अगला रिव्यू कल. आगे क्या होने वाला है?’ Ira के इस पोस्ट के बाद फैंस इसे आमिर खान और किरण राव के तलाक से जोड़ रहे हैं.
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तलाक पर बोले आमिर-किरण
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तलाक के खबर आने के बाद आमिर और किरण ने एक इंटरव्यू में कहा कि वह अभी खुश हैं साथ में काम करते हुए मिलकर अपने बेटे आजाद को पालेंगे. वहीं इस वीडियो में आमिर खान और किरण राव एक-दूसरे हाथ पकड़े हुए हैं और काफी खुश नजर आ रहे थे. वहीं इस वीडियो पर फैंस के कई रिएक्शन सामने आ रहे हैं. इसी बीच टीवी और फिल्मी सितारे अपना रिएक्शन दे रहे हैं, जिनमें हिना खान और राखी सावंत जैसे सितारे शामिल हैं.
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बता दें कि आमिर खान ने 1986 में रीना दत्ता से शादी की थी, जिनसे 2 बच्चे जुनैद और Ira हैं. वहीं साल 2002 में दोनों का तलाक होने के बाद साल 2005 में आमिर खान ने किरण राव से शादी की थी, जिनका एक बेटा आजाद है.
पिछले कुछ महीनों में एक खास ट्रेंड देखने में आ रहा है कि स्मार्टफोन चोरी होने के 24 घंटे के अंदर चोर नेट बैंकिंग के जरिये फोन मालिक के एकाउंट से पैसे निकालने की कोशिश करते हैं. दो महीने पहले अप्रैल 2021 में जी.एस. राजशेखरन नाम के एक सज्जन का स्मार्टफोन चेन्नई रेलवे स्टेशन में चोरी हो गया. वह बंग्लुरु जा रहे थे, सोचा बंग्लुरु जाकर सिम बंद करा दूंगा. लेकिन दो दिन बाद बंग्लुरु जाकर जब वह एटीएम से कुछ पैसे निकालने के लिए गये तो पता चला कि उनके एकाउंट में निल बैलेंस है. बैंक में जाकर डिटेल मालूम की तो पता चला कि फोन गुम होने के 24 घंटे के भीतर ही उनके एकाउंट से 78,000.00 रुपये निकल गये थे.
यह एक अकेला किस्सा नहीं है. पिछले ही दिनों दिल्ली में भी यह ट्रेंड देखने को मिला है. प्रमोद परिहार नाम के एक व्यक्ति का मेट्रो में मोबाइल चोरी होता है और 24 घंटे के पहले ही बैंक से करीब 32,000.00 रुपये निकल जाते हैं. लखनऊ, इंदौर और लुधियाना में भी हाल के महीनों ऐसी घटनाएं घट चुकी हैं. इसीलिए दिल्ली पुलिस ने आम लोगों को एक सार्वजनिक हिदायत दी है कि अगर आपका स्मार्टफोन चोरी जो जाए तो उसकी सिम बंद कराने के पहले अपने नेटबैंकिंग को बंद कराएं, अगर उस फोन से बैंक एकाउंट जुड़ा हुआ है.
दरअसल जब से आधार, बैंक एकाउंट के साथ जुड़ गया है और एकाउंट डिटेल भूलने पर बैंकिंग सुविधा देने वाले कई एप मोबाइल फोन के कुछ नंबर लिखकर उस पर वेरीफिकेशन ओटीपी भेजते हैं ताकि आप अपना भूला हुआ पासवर्ड फिर से हासिल कर लें,तब से इस तरह के फ्राड काफी ज्यादा होने लगे हैं. स्मार्टफोन में दिक्कत यह है कि आपके तमाम डाटा होते तो इनक्रिप्टेड हैं (यानी इन्हें कोई पढ़ नहीं सकता ) लेकिन जुगाड़ में माहिर अपराधी किसी न किसी तरीके से इस इनक्रिप्टेड डाटा को पठनीय भाषा में तब्दील कर लेते हैं और ऐसा होने के बाद समझिये आपके बैंक एकाउंट की खैर नहीं. अगर आपने 24 से 48 घंटे में अपने बैंक को अपने साथ हुए इस फ्रॉड की सूचना देते हैं, तब तो संभव है कि आपकी खोई हुई रकम की बैंक भरपाई कर दे , वरना बैंकों के पास भी कई बहाने हैं,जिससे आप अपनी खोई रकम वापस नहीं पाते.
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लब्बोलुआब यह है कि इन दिनों स्मार्टफोन का चोरी का मतलब सिर्फ चोरी होना नहीं है. अपराधी आपके स्मार्टफोन से आपकी ऑनलाइन बैंकिंग डिटेल्स और मोबाइल में मौजूद वॉलेट तक जल्द से जल्द पहुंचने की केाशिश करते हैं और अगर पहुंच गये तो क्या होगा, इसकी बस आप कल्पना ही कर सकते हैं. इसलिए इन दिनों अगर आपका फोन चोरी हो जाए तो आपके नंबर का क्या मिसयूज होगा इससे ज्यादा आशंका इस बात की पैदा हो जाती है कि आपका बैंक में जमा पैसा कितना सिक्योर रह पायेगा ? इसलिए न दिनों यदि आपका फोन चोरी हो जाए, तो सबसे पहले जितना जल्दी हो सके अपनी नेट बैंकिंग एनएक्टिव कराएं,इसकी बैंक को सूचना तुरंत दें और बैंकिंग सेवा के लिए नंबर को ब्लाक करा दें. अगर यह दिन में कामकाजी समय के दौरान हुआ है तो न सिर्फ मेल, एसएमएस के जरिये बल्कि कस्टमर केयर में फोन करके भी यह जानकारी तुरंत दे दें.
इसके साथ ही अगला कदम, अपने सिम को ब्लाक कराने का करें, जिससे कि फोन में किसी भी किस्म का फाइनेंशियल ओटीपी न आ सके. फोन के सिम को ब्लाक करवाने का आपको तात्कालिक रूप से यह नुकसान हो सकता है कि फिर से वही नंबर मिलने में कुछ दिन लगें. लेकिन आप कई तरह की असुरक्षाओं से बच जाएंगे. क्योंकि आजकल ओटीपी सिस्टम के जरिये फोन बैंकिंग सेवा के लिए बड़े खतरे बन गये हैं. फोन चोरी होने के बाद जितना जल्दी हो आप अपने इंटरनेट बैंकिंग यूज का पासवर्ड रिसेट कर लें. बैंक से लिंक्ड यूपीआई पेमेंट को तुरंत डी-एक्टिवेट कर दें और मोबाइल वॉलेट को भी ‘वैरीफाइ हेल्प डेस्क’ पर फोन करके बंद करा दें, वरना पेटीएम और गूगल पे जैसी पलक झपकती मनी ट्रांसफर की सुविधाएं आपको रूला सकती हैं. सिर्फ इतने तक ही सीमित न रहें बल्कि अपने मोबाइल का जिन जिन जगहों पर एक लिंक बेस के रूप में आपने यूज किया हुआ है, मसलन- ई मेल, यू ट्यूब और सोशल मीडिया के दूसरे एकाउंट उनके भी पासवर्ड चेंज कर लें. अगर ये सब कर लेंगे तो आपका 15-20 हजार का मोबाइल फोन भले चला गया हो, लेकिन इससे ज्यादा का हो सकने वाला फाइनेंशियल नुकसान बच जायेगा.
एक यह काम करना भी न भूलें कि इस सब प्रक्रिया के साथ अपनी फोन की पुलिस में रिपोर्ट लिखा दें और उस रिपोर्ट की एक कॉपी पुलिस की मोहर के साथ हासिल करें अगर एफआईआर ऑनलाइन कराते हैं तो एकनालेजमेंट रिसीप्ट अपने पास रखें. ये डॉक्यूमेंट इंश्योरेंस के लिए चाहिए होंगे.