किंजल ने मांगी अनुपमा से माफी तो काव्या के सपने हुए चूर, पढ़ें खबर

टीवी सीरियल ‘अनुपमा’ में इन दिनों फैमिली ड्रामा देखने को मिल रहा है. जहां काव्या एक के बाद एक नई चाल चल रही है तो वहीं अनुपमा और किंजल के बीच दूरियां देखने को मिल रही है. इसी बीच अपकमिंग एपिसोड में काव्या को झटका लगने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा आगे…

किंजल को भड़का रही है काव्या

 

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अब तक आपने देखा कि अनुपमा और किंजल की लड़ाई के बाद काव्या ने नया प्लान बना लिया है. वह किंजल को हर वक्त भड़काने में लगी हुई है. इसी के चलते किंजल गुस्से में आकर बिना कुछ खाए पीए खुद को एक कमरे में बंद कर लेती है.  हालांकि समर उसे मनाने की कोशिश करता है. लेकिन ऑफिस जाते वक्त काव्या (Madalsha Sharma) एक बार फिर से उसे भड़काना शुरु कर देती है.

 

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वनराज को सुनाएगी किंजल

 

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इसी बीच काव्या ऑफिस के बाद किंजल को रेस्टोरेंट में खाना खाने ले जाएगी, जिसके कारण उसे घर लौटने में देरी हो जाएगी. इसके कारण घरवालों के साथ किंजल बहस करती नजर आएगी. वहीं बीच में वनराज को खरी खोटी सुननी पड़ेगी.

किंजल करेगी ये काम

 

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अपकमिंग एपिसोड में किंजल को अपनी गलती का एहसास हो जाएगा. दरअसल, किंजल काव्या के प्लान को समझ जाएगी और अनुपमा से माफी मांगती नजर आएगी. वहीं ये सब देखकर काव्या का गुस्सा बढ़ जाएगा. इसी शाह परिवार में एक और बवाल देखने को मिलेगा. काव्या अपने लिए राशन का सामान मंगवाएगी. हालांकि बा उसे कहेगी कि इतना राशन क्यों मंगवाया. लेकिन काव्या कहेगी कि वह वनराज औऱ उसे बता दें कि कितना पैसा देना है राशन का वो देंगे, जिसको लेकर बा उसे गुस्से में कहेगी कि घर बांटना काफी नही है कि अब राशन भी बांटेगी.

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Barrister Babu: ट्रोलिंग के बीच बड़ी बोंदिता ने सेट पर बनाए नए दोस्त, फोटोज वायरल

कलर्स के सीरियल बैरिस्टर बाबू (Barrister Babu) की बड़ी बोंदिता यानी आंचल साहू (Anchal Sahu) इन दिनों सुर्खियों में हैं. दरअसल, औरा भटनागर यानी छोटी बोंदिता के चलते एक्ट्रेस आंचल साहू (Anchal Sahu) को ट्रोलिंग का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि अनिरुद्ध यानी प्रविष्ट उनका पूरा साथ देते हुए नजर आए थे. इसी बीच सीरियल के सेट पर बड़ी बोंदिता यानी आंचल साहू (Anchal Sahu) की कुछ फोटोज वायरल हो रही हैं, जिसमें वह बैरिस्टर बाबू की टीम के साथ बोंडिग बनाती नजर आ रही हैं. आइए आपको दिखाते हैं वायरल फोटोज…

बड़ी बोंदिता ने बनाए दोस्त

 

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बैरिस्टर बाबू की बड़ी बोंदिता यानी आंचल साहू (Anchal Sahu) ने आते ही सीरियल बैरिस्टर बाबू के सेट पर अपना जादू चलाना शुरू कर दिया है. दरअसल,सेट पर कम समय में ही आंचल साहू के नए दोस्त भी बनने गए हैं, जिनमें ये बच्चे शामिल हैं.

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बच्चों के साथ दिए पोज

 

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हाल ही में सीरियल के सेट से कुछ फोटोज वायरल हो रही हैं, जिसमें आंचल साहू (Anchal Sahu) बैरिस्टर बाबू की कास्ट में शामिल बच्चों के साथ पोज देती नजर आ रही हैं. वहीं इन फोटोज में उनकी बोंडिग भी दिख रही है.

आंचल साहू के लुक की हो रही तारीफें

 

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सीरियल के सेट से बड़ी बोंदिता का लुक भी फैंस को पसंद आ रहा है. वहीं अनिरुद्ध के साथ बड़ी बोंदिता की कैमेस्ट्री देखने के लिए फैंस बेताब नजर आ रहे हैं.

 

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बता दें, आज से यानी 1 जुलाई से बैरिस्टर बाबू में 8 साल के लंबे लीप की शुरुआत होने वाली है, जिसमें बोंदिता लंदन से पढाई करके वापस आ जाएगी. वहीं अनिरुद्ध का नफरती अंदाज भी देखने को मिलेगा. फैंस अनुरुद्ध का ये लुक देखकर तारीफों के पुल बांध रहे हैं.

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Monsoon Special: 3 तरह की ग्रेवी से सब्जी का स्वाद बढ़ाए

सब्जी का स्वाद उसकी ग्रेवी से बढ़ जाता है. भारतीयो को हर खाने में मिर्च मसाले पसंद आते है, भारतिय रसोई में सब्जी में ग्रेवी कई तरीके से बनाई जाती है. कई ऐसे पकवान होते हैं जो बिना ग्रेवी के अच्छे ही नहीं लगते, जैसे- छोले, पनीर की सब्जी, और आलू दम इत्यादि. आज हम तीन ऐसी ग्रेवी के बारे में बताने जा रहे हैं जो आप विभिन्न सब्जी रेसिपीज में ट्राई कर सकती हैं. हालांकि इस दौरान यह ध्यान रखना जरूरी है कि सब्जी में ग्रेवी किस तरह की रखनी है, यानि पतली या गाढ़ी. इस बात को ध्यान में रखते हुए अगर आप सब्जी की ग्रेवी बनाएंगी तो परिवार वाले उंगलियां चाटते हुए सब्जी के स्वाद का आनंद उठाएंगे.

काजू खसखस  की ग्रेवी

काजू और खसखस की ग्रेवी मटर मशरूम, और मटर पनीर जैसी सब्जियों में खूब पसंद की जाती है. हालांकि ग्रेवी बनाने के लिए इसे हल्का दरदरा रखें, इससे खाने का आनंद और बढ़ जाता है. ग्रेवी बनाने के लिए काजू, खसखस, अदरक, लहसुन, हरी इलायची, बड़ी इलायची, और टमाटर को एक साथ पीस लें. अब सब्जी में जीरा, साबुत लाल मिर्च, और हींग से तड़का लगाएं. अब ग्रेवी को धीमी आंच पर कुछ देर भून लें. इस ग्रेवी में सब्जी चटपटी चाहते हैं तो आखिर में थोड़ा दही मिक्स कर लें. ग्रेवी में सब्जी को जितनी देर पकाएंगी, यह उतनी ही स्वादिष्ट बनेगी. वहीं ग्रेवी में हमेशा गर्म पानी का उपयोग करें, इससे सब्जी का स्वाद बढ़ जाता है.

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सब्जी में टमाटर की ग्रेवी

टमाटर की ग्रेवी भारतीय घरों में खूब पसंद की जाती है. खासकर बच्चों को काफी पसंद आता है. सिर्फ एक टमाटर को मिक्स कर आप ग्रेवी को स्वादिष्ट बना सकती हैं. हालांकि जब आप किसी सब्जी के लिए टमाटर की ग्रेवी बना रही हैं तो उसमें थोड़ी चीनी, दही और कसूरी मेथी का उपयोग जरूर करें. ग्रेवी बनाने के लिए मसालों में लाल मिर्च पाउडर, धनिया पाउडर, गरम मसाला, और हल्दी मिक्स करें. वहीं टमाटर की ग्रेवी बना रही हैं तो सबसे आखिर में ग्रेवी को थोड़ा थिक रखने के लिए ब्रेड का पाउडर मिक्स कर दें. अब इस ग्रेवी को सब्जी में इस्तेमाल करें.

बिना प्याज और लहसुन की ग्रेवी

ग्रेवी के लिए कुछ चीजें बहुत जरूरी होती हैं, जैसे मसाले, प्याज, लहसुन, और टमाटर लेकिन हिन्दुस्तान के कई घरों में लोग खाने में प्याज और लहसुन का इस्तेमाल नहीं किया जाता. बिना प्याज और लहसुन के भी स्वादिष्ट रेसिपी बना सकते हैं. बिना प्याज और लहसुन के ग्रेवी बनाने के लिए नारियल का टुकड़ा, खसखस के दाने, अदरक, हरी मिर्च, मूंगफली, टमाटर और थोड़ा सा पानी मिलाकर पेस्ट बना लें. जब भी बिना प्याज और लहसुन की सब्जी बना रहे हैं तो इस पेस्ट को मिलाकर ग्रेवी बनाएं. ये ग्रेवी गाढ़ी होने के साथ-साथ टेस्टी भी बनेगी.

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सेंसिटिव स्किन के लिए ट्राय करें ये 5 इटालियन ब्यूटी सीक्रेट्स

हम अपनी स्किन का कई बार बहुत ख्याल रखते हैं लेकिन एक बेदाग और निखरा हुआ चेहरा पाना इतना भी आसान नहीं होता है खास कर तब जब आपकी स्किन बहुत ज्यादा सेंसिटिव होती है क्योंकि सेंसिटिव स्किन पर अगर हम कोई नया या गलत प्रोडक्ट प्रयोग कर लेते हैं तो उससे हमारी स्किन बहुत अधिक खराब होनी शुरू हो जाती है और जितनी मात्रा में हमें पिंपल्स की या अन्य निशान की देखने को मिलती है उन्हें देख कर यह कल्पना भी नहीं की जा सकती कि हम भी कभी अपनी त्वचा को बेदाग और निखरी हुई बना सकेंगे. लेकिन अब आपको स्किन के बारे में चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है. आज हम आपके लिए कुछ इटालियन स्किन सीक्रेट्स लाए हैं जो आपकी स्किन के लिए बहुत ही अधिक लाभदायक रहने वाले हैं और आपकी स्किन को साइड इफेक्ट्स भी नहीं देंगे. आइए जानते हैं.

1. ऑलिव ऑयल : ऑलिव ऑयल आपकी स्किन को न केवल अंदर से अच्छी बनाता है बल्कि बाहर से भी स्किन की गुणवत्ता को और अधिक बढ़िया बना देता है. इसके साथ ही यह आपकी स्किन को हाइड्रेट और मॉइश्चराइज रखता है. इसमें एंटी एजिंग गुण होते हैं और यह हमारी स्किन को बूढ़ा होने से बचाता है. आप ऑलिव ऑयल को अपने मॉइश्चराइजर या स्क्रब आदि में मिला कर उन्हें प्रयोग कर सकते हैं. या फिर कुछ बूंद तेल लेकर उससे अपनी स्किन की डायरेक्ट मसाज भी कर सकते हैं. इटली में ऑलिव ऑयल को गोल्ड ऑफ गॉड कहा जाता है. अगर आपकी स्किन ऑयली है तो आप इसे केवल मॉइश्चराइजर में कुछ बूंदें मिला कर ही प्रयोग करें.

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2. स्ट्राबेरी स्क्रब : क्या आप जानते हैं कि स्ट्राबेरी में संतरे से भी अधिक विटामिन सी होता है और इसमें बहुत अधिक एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं जो आपकी स्किन को डेमेज होने से बचाते हैं. इस स्क्रब को बनाने के लिए आपको कुछ स्ट्राबेरी लेनी होती हैं और उन्हें मैश कर लें. अब उसमें थोड़ी सी चीनी और कुछ बूंद ऑलिव ऑयल की मिला कर मिक्स कर लें. अब इस स्क्रब को अपनी स्किन पर अप्लाई करें और हल्की हल्की और गोल दिशा में मसाज करके एक्सफोलियेट करें.

3. स्ट्राबेरी एंटी इन्फ्लेमेटरी मास्क : स्ट्राबेरी के लाभ तो हम अभी ऊपर पढ़ कर ही आए हैं. इसका मास्क बनाने के लिए आपको 4 स्ट्रॉबेरी मैश कर लेनी हैं और उनमें दो चम्मच चीनी के साथ थोड़ा सा शहद मिला कर अच्छे से मिक्स करें और एक पेस्ट तैयार कर लें. शहद में एंटी बैक्टेरियल गुण होते हैं इसलिए यह पिंपल्स को ठीक करता है. अब इस मास्क को एक ब्रश की मदद से आपके पूरे चेहरे पर लगा लें और 10 से 15 मिनट के बाद इसे धो लें.

4. नींबू का रस : नींबू का रस आपके चेहरे से डार्क स्पोट्स मिटा सकता है लेकिन अगर आप इसका प्रयोग ध्यान से नहीं करेंगी तो इससे आपकी स्किन इरिटेट भी हो सकती है. इसका सही ढंग से प्रयोग करने के लिए एक बर्तन में नींबू का रस निकाल लें और उसमें एक कॉटन पैड डालें और सारा रस उसमें सोख लें और अपनी स्किन पर धीरे धीरे लगाएं. निम्बू के रस में विटामिन सी होता है जिसे एक प्राकृतिक स्किन ब्लीचर माना जाता है.

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5. दही का मास्क : इस मास्क को बनाने के लिए बिना फ्लेवर वाली दही के अंदर 2 चम्मच शहद मिला दें और अच्छे से मिक्स कर लें. दही में लैक्टिक एसिड होता है जो आपकी स्किन से प्राकृतिक रूप से सारी डेड स्किन सेल्स निकाल देता है. शहद आपकी स्किन को मॉइश्चराइज करता है. इस मास्क को अपनी स्किन पर अप्लाई करंआ और 30 मिनट के लिए लगा रहने दें और उसके बाद धो लें. इस मास्क का प्रयोग करने से आपकी स्किन हाइड्रेट और मॉइश्चराइज तो रहेगी ही साथ में आपकी स्किन में एक ताजगी आ जायेगी.

अगर इन सभी नुस्खों का आप ध्यान पूर्वक और नियमित रूप से प्रयोग करेंगी तो आपकी स्किन बहुत कम समय में ही निखरने लगेगी और उसकी गुणवत्ता भी पहले से काफी अच्छी हो जायेगी.

धोखा खाने के बाद भी लोग धोखेबाज व्यक्ति के साथ क्यों रहते हैं?

कई बार लोगों को पता होता है कि उनके पार्टनर ने उन्हें चीट किया है और वह फिर भी इस स्थिति से बाहर नहीं निकलते हैं. ऐसा माना जाता है कि अगर आप खुद को धोखा खा कर भी उसी जगह रखते हैं और आगे नहीं बढ़ते हैं तो आप खुद की कदर नहीं कर रहे हैं और खुद की कदर खुद ही घटा रहे हैं. लेकिन हर बार ऐसा नहीं होता है. इसके अलावा भी बहुत से कारण होते हैं जिनकी वजह से लोग अपने धोखेबाज पार्टनर के साथ रह लेते हैं और इसका कारण यह नहीं होता कि वह खुद की वैल्यू नहीं समझते हैं. आज हम कुछ ऐसे ही लोगों के बारे में बात करेंगे जो धोखा खा कर भी धोखेबाज के साथ रहे हैं और जिन्होंने इसके पीछे का अपना अनुभव शेयर करते हुए बताया है कि ऐसी कौन कौन सी वजहें थी जिसकी वजह से उन्हें ऐसा करना पड़ा. आइए कुछ वजहों को जानते है.

परिवार उनके रिश्ते से अधिक आवश्यक होता है

एक 37 वर्षीय महिला अपना अनुभव बताती हुई कहती हैं कि उन्हें पता चल गया था कि उसके पति उन्हें धोखा दे रहे हैं लेकिन अलग होने से पहले उनके मन में उनकी बेटी के बारे में सवाल जागा कि अगर वह अलग हो गई तो उनकी बेटी का क्या होगा. उन्हें पिता का प्यार किस प्रकार मिलेगा. उनकी बेटी अब अपनी विकास होने वाली उम्र में थी और अगर अब वह अलग हो जाती हैं तो इससे उनकी बेटी के दिमाग पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ सकता था और उनके लिए यह सब सह पाना आसान नहीं होता. इसलिए उन्हें अपने धोखेबाज पति के साथ ही रहना पड़ा.

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सामाजिक शर्मिंदगी का डर

कुछ महिलाएं इस स्थिति से बाहर इसलिए भी नहीं निकल पाती हैं क्योंकि उन्हें यह डर रहता है कि अगर वह अपने पति से अलग हो गई तो समाज उन्हें बहुत से ताने देगा. ऐसे में ही एक महिला कहती हैं कि अगर वह इस बात का खुलासा सब के आगे कर देंगी तो उनके आस पड़ोस की आंटी उस महिला को ही सारी स्थिति का जिम्मेवार ठहराएगी. उनके मुताबिक वह महिला ही होती है जो अपने पति की शारीरिक जरूरतों को पूरा नहीं कर पाती जिस कारण वह दूसरी महिला के पास जाता है. यह भी महिलाओं के लिए एक सबसे बड़ी चुनौती होती है.

प्यार के लिए लड़ना

अगर हम किसी से प्रेम करते हैं और उन्हें किसी और व्यक्ति से प्रेम हो जाता है तो हम अपने रिश्ते को बचाने के लिए अंत तक कोशिश करते रहते हैं ताकि हम उनके प्यार को दोबारा पा सकें. ऐसा ही एक केस एक पुरुष के साथ भी हुआ. उनकी पत्नी उन्हें हर रोज बताती कि वह अपने सह कर्मी के साथ कैसा महसूस करती हैं और वह उसे कितना स्पेशल फील करवाता है. इसी बीच वह अपनी पत्नी का प्यार दुबारा पाने के लिए और अधिक प्रयास करने लग जाते हैं ताकि उन्हें उनका प्यार दोबारा से मिल सके.

इमोशनल जुड़ाव

जब दो लोग एक दूसरे से प्यार करते हैं और वह एक दूसरे का सहारा बन जाते हैं तो एक दूसरे से इस प्रकार जुड़ जाते हैं कि वह किसी और के साथ अपने पार्टनर को बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं. अगर वह अकेले रहने की भी सोचते हैं तो इस ख्याल से ही उनका दिल बहुत अधिक हर्ट होने लगता है. ऐसी ही एक महिला बताती हैं कि उनके पति ने किसी और को किस किया लेकिन वह चाह कर भी उन्हें नहीं छोड़ सकती क्योंकि जब उनके पिता की मृत्यु हुई तो उन्होंने उनका बहुत सपोर्ट किया था लेकिन तब से ही उनका रिश्ता खराब होने लगा था.

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कुछ लोग लोगों के मजाक से डरते हुए भी एक दूसरे के साथ रहते हैं क्योंकि उन्होंने अपने पूरे फ्रेंड सर्कल को अपने रिश्ते के बारे में बताया होता है और ब्रेक अप के बाद उनके दोस्त कहीं उनका मजाक न उड़ाने लगे इसलिए वह ऐसा नहीं करते.

कम जनसंख्या अच्छी बात है

भारत में जहां आज भी हिंदू कट्टरपंथी कुप्रचार के कारण  जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने की बात कर रहे हैं कि इस से मुसलिम जनसंख्या बढ़नी रुक जाएगी, वहीं दुनिया के समर्थ देश जनसंख्या में भारी कमी के अंदेशे से मरे जा रहे हैं.

जापान में 2020 में 8,40,832 बच्चे पैदा हुए जबकि 2019 में 8,65,259 बच्चे पैदा हुए थे. 1899 के बाद से जब से जनगणना शुरू हुई है जापान में 1 साल में पैदा होने वाले बच्चों की यह गिनती सब से कम है.

यही नहीं जहां 2019 में 5,99,007 विवाह हुए थे, वहीं 2020 में 5,25,490 विवाह ही हुए. कम विवाह, कम बच्चे. 2021 में नए बच्चों की गिनती पिछले साल से 10% और कम होने की आशंका है. पहले सरकार को उम्मीद थी कि प्रति वर्ष 7,00,00 बच्चों का पैदा होना 2031 तक होगा पर यह 10 साल पहले हो गया है.

बस इतना जरूर है कि अब तलाकों की गिनती में वृद्धि रुक गई है, फिर भी 1,93,251 तलाक हुए थे.

जापान के ये आंकड़े असल में यूरोप, चीन, अमेरिका जैसे ही हैं जहां कोरोना से नहीं, ग्लोबल वार्मिंग से नहीं, औरतों की अपनी इच्छाओं के कारण बच्चों की गिनती घटती जा रही है.

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चाहे कितना ही वर्क फ्रौम हौम हो जाए, चाहे कितनी ही मैटरनिटी और पैटरनिटी लीव्स मिल जाएं, यह पक्का है कि हर बच्चा मां पर एक बो झ होता है और वह बेकार का बो झ नहीं ढोना चाहती.

सदियों से आदमी बच्चा पैदा करने के लिए औरतों को शादी कर के गुलाम सा बनाते रहे हैं और खुद मौज करते रहे हैं. सामाजिक ढांचा ऐसा बना दिया गया है कि औरतें अपना अस्तित्व बच्चों में ही देखने लगीं.

भारत में ही नहीं पश्चिमी देशों में भी धर्म ने बच्चों पर जोर दिया चाहे बाद में इन बच्चों को धर्म की रक्षा करने के लिए, मरने के लिए भेजा जाता रहा हो. धर्म ने कभी भी बच्चों की खातिर औरतों को कोई छूट न दी, न लेने दी पर बच्चे न हों तो हजार तरह की तोहमतें लगा दीं.

आज की पढ़ीलिखी औरतें इस साजिश को तोड़ कर पुरुषों के बराबर बच्चे पैदा करने का बो झ न ले कर कंसीव कर रही हैं, जहां कुछ नौकरियों में इतना वेतन व सुविधाएं मिल जाती हैं कि किसी हैल्पर को रखा जा सके. अधिकांश औरतें बच्चों के कारण दूसरे दर्जे की नौकरियों में फंस जाती हैं.

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दुनिया की फैक्टरियां और दफ्तर ऐसे जगहों पर हैं जहां पहुंचने के लिए ही घर से 2 घंटे लगते हैं. 13-14 घंटे दूर रह कर औरतें बच्चे पालने और पुरुषों के बराबर काम करने का दावा नहीं कर सकतीं. इसलिए वे न विवाह कर रही हैं, न बच्चे.

बच्चों के बिना शादी हो तो एक और आजादी रहती. जब मरजी पार्टनर बदल लो. पार्टनर न भी बदलो तो जो अच्छा लगे उस के साथ जैसा मरजी संबंध बना लो जो पुरुष हमेशा से करते आए हैं. आखिर यही वजह है कि दुनियाभर में औरतें ही वेश्याएं हैं, आदमी नहीं. आदमियों के पास अवसर है कि घर में पत्नी बच्चे भी संभाले, बिस्तर भी और वे इधरउधर मुंह मारते रहें.

कम जनसंख्या वैसे विश्व के लिए अच्छी बात है. कम लोग ज्यादा सुखी रहेंगे. प्राकृतिक बो झ भी नहीं बढ़ेगा और बेमतलब के विवाद भी नहीं होंगे.

Asahi Kasei का इनोवेटिव प्रीमियम रैप भारतीय किचन का बन गया है परफेक्ट लॉकडाउन पार्टनर

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जापान का नंबर वन प्रीमियम रैप ब्रांड असाही केसी ब्रांड ने 2014 में भारत में कदम रखते ही भारतीय रसोई में अपनी जगह बना ली है. 2020 में असाही केसी को इकोनॉमिक्स टाइम्स ने पसंदीदा प्रीमियम किचन कुकिंग एंड फूड प्रिजर्विंग शीट्स ब्रांडके लिए उद्योग नेतृत्व पुरस्कार से सम्मानित किया. जहां इस वैश्विक महामारी के दौरान लाइफस्टाइल तकनीक ने बहुत से लोगों के जीवन को आसान बनाने में मदद की है, वहीं असाही केसी के प्रीमियम रैप, कुकिंग शीट और फ्राइंग पैन फॉयल ने रसोई में काम करने के लोगों के अनुभव को और आसान बनया है. लॉकडाउन के वक्त हम में से अधिकांश लोगों ने नए व्यंजन ट्राय की तो वहीं कुछ लोग ऐसे भी थे जो बहुत ही बुनियादी परेशानियों जैसे भोजन को सुरक्षित और ताजा कैसे रखें, से जूझ रहे थे.

ये एक अत्याधुनिक रसोई उत्पाद है जिसने रसोई में काम करने वाले अनुभवी हों या शौकिया दोनों की तरीके के लोगों के लिए क्रांतिकारी बदलाव किया,  इसने न सिर्फ उनके समय की बचत की बल्कि उनके किचन के एक्सपिरिएंस को भी आसान बना दिया है. चाहे फूड की फ्रेशनैस की बात करें या फिर फूड को स्टोर करने की असाही केसी रैप हर मामले में बेतरीन साबित हुआ है.

एक बहुमुखी रसोई नायक के रूप में असाही केसी ने अपनी अलग पहचान बनाई है. खाना पकाने की कई समस्याओं के समाधान के रुप में प्रीमियम रैप ने भारत में कामकाजी जोड़ों और एकल परिवारों की रसाई में क्रांति पैदा की है जिन्हें अपने खाने को लंबे समय तक स्टोर रखने की आवश्यक्ता होती है क्योंकि उनके अपने टाइट वर्क शेडयूल के चलते कभी हफ्तेभर का खाना तैयार करना पड़ता है तो कभी वीकएंड्स पर भी उन्हें अपना बनाने की फुरसत नहीं होती. खासतौर पर अगर हम वर्तमान समय की बात करें जहां लोगों के लिए अपना वर्कलाइफ बैलेंस बनाना बहुत मुश्किल होता है. एक के बाद एक जहां लोग लगातार जूम मीटिंग में व्यस्त हैं वहां उनके स्वस्थ रहने के लिए हेल्दी और ताजा भोजन बहुत जरुरी है. ऐसे में वर्किंग प्रोफेशनल्स के लिए ये प्रोडक्ट वरदान साबित हो रहा है क्योंकि इसके साथ आप बाजार के अस्वस्थ खाने की बजाए अपने घर के खाने को ही लंबे समय तक रेफ्रीजरेटर में स्टोर कर सकते हैं और फिर उसी फॉयल पेपर में माइक्रोवेव में दोबारा गर्म कर सकते हैं.

एक और कारण है जिसके चलते कई लोग असाही केसी प्रीमियम रैप पर इतना भरोसा करते हैं, क्योंकि इसके अंदर पहले से ही कटर जुड़ा हुआ है. बस आपको जितनी जरुरत है उतना रैप बाहर निकालें, बॉक्स को बंद करें और फ्लैप पर अंगूठें का निशान बनाकर कटर से किनारों को काट दें. ये फ्रोज़न फूड को ताजा रखने और सूखने से बचाने के लिए भी फायदेमेंद है. कच्ची सब्जियां, फल, मांस, मुर्गी और मछली, साथ ही बनी हुई रोटी हो या गूंधा हुआ आटा, सभी को आप इस रैप के जरिए आसानी से संरक्षित कर सकते है. ये मॉइस्चर को ट्रैप करके रखता है ऑक्सीजन को उसमें गुजरने से रोकता है. जिससे खाना लंबे वक्त तक कुरकुरा और ताज़ा बना रहता है.

कमरे के तापमान पर खाना स्टोर करना हो या रेफ्रिजरेटर में खाद्य पदार्थों की पैकिंग और भंडारण की दक्षता में ये सुधार करता है. ये रिंकल फ्री प्रोडक्ट है और इसको इस्तेमाल करना आसान है क्योंकि यह पीवीडीसी (पॉलीविनाइलिडीन क्लोराइड) क्लिंग फिल्म से बना है. यह रेफ्रिजरेटर या माइक्रोवेव में किसी भी इंडियन या एथेनिक फूड को स्टोर करने या गर्म करने के लिए भी एक आदर्श प्रोडक्ट है. जापान में 60 से अधिक वर्षों से इसका इस्तेमाल किया जा रहा है, जो उनके स्थायित्व और गुणवत्ता का प्रदर्शन करता है.

इस प्रोडक्ट का आपके किचन में होना आपके लिए बचे हुए खाने को सहूलियत से स्टोर करने में मदद करता है. ये प्रीमियम रैप कच्चे और पके, दोनों तरह के भोजन को बदबू से मुक्त रखते हुए अगले दिन तक खाने के लिए भी सुरक्षित रखता है. इसके साथ ही स्टोरेज के मामले में ये एक बेहतरीन प्रोडक्ट तो है ही साथ में किचन में खाने को गिरने से बचाता है जिससे आपकी रसोई साफ रहती है. वेस्ट मैनेजमेंट के मामले में भी ये गजब का काम करता है क्योंकि एक ओर तो ये खाने की रिफ्रेशमेंट बनाए रखता है तो वहीं उसे गिरने से भी बचाता है. इसमें खाना स्टोर करने से आपका खाना बर्बाद भी कम होता है क्योंकि आप बचा हुआ खाना आराम से स्टोर करके बाद में खा सकते हैं.

औसत निकाल कर देखें तो असाही केसी के प्रोडक्ट एक महीने से ज्यादा चलते हैं और अब बिग बाजार के सभी रिटेलर्स पर मौजूद है. ले मार्चे, दिल्ली में फ़ूडहॉल, एनसीआर, मुंबई, पुणे, बैंगलोर, कोलकाता, हैदराबाद, चेन्नई और अमेज़ॅन और बिगबास्केट बाजार में ये 250 रुपये की कीमत से इसके प्रोडक्टस शुरुआत होती है.

असाही केसी प्रोडक्ट्स की बात करें तो ये भारत में प्रीमियम रैप, फ्राइंग पैन फ़ॉइल और कुकिंग शीट जापान की खाना बनाने, पकाने और स्टोर करने विधि लेकर आए हैं और ये हम प्रोडक्ट अपने क्षेत्र में बेहतरीन काम कर रहे हैं. असाही केसी रसायन और भौतिक विज्ञान में एक वैश्विक दिग्गज है. इसका कारोबार 18.5 अरब डॉलर का है.

मुक्ति का बंधन: अभ्रा क्या बंधनों से मुक्त हो पाई?

लेखक- दीपान्विता राय बनर्जी

स्पोर्ट्स ब्रा से बदल गई खेलों में महिलाओं की कामयाबी की कहानी

पिछले दिनों इंग्लैंड के साथ एकमात्र क्रिकेट टेस्ट में 17 साल की शेफाली वर्मा छायी रहीं. उनकी तुलना बार बार सचिन और सहवाग जैसे भारत के सर्वकालिक दिग्गज क्रिकेटरों से होती रही. लेकिन यह एक शेफाली वर्मा की ही बात नहीं है. हाल के दशकों में देखें तो शायद ही कोई ऐसा खेल हो जिसमें महिलाओं ने पुरुषों के लगभग बराबरी जितना प्रदर्शन न किया हो. यहां तक कि जिन्हें हम पावर गेम्स कहते हैं- टेनिस, बैडमिंटन, क्रिकेट और हाॅकी, इन सब खेलों में भी कई तेजतर्रार महिला खिलाड़ियों ने कई महान पुरुष खिलाड़ियों के रिकाॅर्ड ध्वस्त किये हैं. बहुत सी महिला खिलाड़ियों ने पुरुषों को सीधे सीधे उसी खेल में हराया भी है.

आप कह सकते हैं इसमें कौन सी बड़ी बात है. आज भला कौन सा ऐसा क्षेत्र है, जिसमें महिलायें पुरुषों की बराबरी करती न दिख रही हों. बात सही है. लेकिन खेलों का मामला थोड़ा अलग है. क्योंकि खेल महज आपकी हिम्मत, कौशल और दिमागी ताकत पर ही निर्भर नहीं होते बल्कि खेल बहुत कुछ शारीरिक गठन,क्षमता और फुर्तीलेपन का भी नतीजा होते हैं. महिलाओं और पुरुषों में लंबे समय तक खेल की दुनिया में अगर गैरबराबरी रही तो उसकी एक बड़ी वजह महिलाओं के ब्रेस्ट थे. महिलाएं जब किसी भी खेल में जी जान लगाकर प्रदर्शन कर रही होती हैं, उस समय उनके हिलते स्तन न सिर्फ उनका कंसनट्रेशन तोड़ते हैं बल्कि शारीरिक रूप से थकाते भी हैं और बाधाएं भी खड़ी करते हैं.

वैसे कहने को तो प्राचीन रोम में भी महिला खिलाड़ियों को खेल के दौरान स्तनों को कसकर बांधे रखने के लिए आधुनिक ब्रा जैसी ही चीजें विकसित की गई थीं. लेकिन सब कुछ के बावजूद ये चीजें महिलाओं के लिए सुरक्षित व आरामदेह नहीं थीं. पहली व्यावसायिक रूप से उपलब्ध स्पोर्ट्स ब्रा “फ्री स्विंग टेनिस ब्रा” थी, जिसे 1975 में ग्लैमरिस फ़ाउंडेशन, इंक. द्वारा पेश किया गया था. लेकिन यह पॉवर गेम के लिए आधुनिक अनुकूल स्पोर्ट्स ब्रा सरीखी नहीं थी,यह एक सामान्य व्यायाम ब्रा, थी जिसे शुरू में “जॉकब्रा” कहा जाता था.  1977 में, इसमें कई किस्म के सुधार लिसा लिंडाहल और थिएटर कॉस्ट्यूम डिज़ाइनर पोली स्मिथ ने किया. इस काम में स्मिथ की सहायक हिंडा श्राइबर की भी मदद ली गयी.

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दरअसल लिंडाहल और उसकी बहन, विक्टोरिया वुडरो दोनों को  साधारण ब्रा में व्यायाम करने के अपने बुरे अनुभव थे. इससे उनके स्तनों में  झनझनाहट और दर्द होता था. लिंडाहल और स्मिथ ने एक बेहतर विकल्प की खोज के दौरान पाया कि महिलाओं के स्तनों के लिए एक जॉकस्ट्रैप की आवश्यकता थी. विकीपीडिया के मुताबिक़  वर्मोंट विश्वविद्यालय में रॉयल टायलर थिएटर की पोशाक की दुकान में, लिंडाहल और स्मिथ ने वास्तव में दो जॉकस्ट्रैप को एक साथ सिल दिया और इसे “जॉकब्रा” नाम दिया. बाद में इसका नाम बदलकर “जोगबरा” कर दिया गया. हालांकि अब भी यह पूरी तरह से आधुनिक ब्रा नहीं थी. लेकिन दो त्रिकोणियों पट्टियों को आपस में जोड़ देने से इसने महिलाओं के स्तनों को संभालने में ज्यादा सहूलियत प्रदान की. इस ब्रा के चलते जब महिलाएं व्यायाम करते समय इतने झटके नहीं लगते, जितने झटक साधारण ब्रा में लगते थे. इसने महिला खिलाड़ियों को बड़ी राहत दी, क्योंकि खेल के दौरान ताकतवर स्ट्रोक लगाते समय अब उनके स्तन उस तरह हिलते डुलते नहीं थे,जैसे पहले हिलते थे.

इससे महिलाओं के खेल और फिटनेस दोनो में फर्क आया. महिलाएं अब पहले से ज्यादा फिट रहने लगीं और उनका खेल निखरने लगा. बाद के दिनों में एरगोनाॅमिक्स की परिपक्वता और दुनियाभर में खेलों में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण आधुनिक स्पोर्ट ब्रा में लगातार सुधार हुए और आज यह खेलों के बेहद अनुकूल है. आज स्पोर्ट ब्रा न सिर्फ महिला खिलाड़ियों के व्यक्तित्व में चार चांद लगा रही है बल्कि जबरदस्त शारीरिक लोच-लचक वाले खेलों से पहले जहां  महिलाओं के स्तनों के निप्पल चोटिल हो जाते थे, उस समस्या को भी इसने हल कर दिया है. यही वजह है कि आज स्पोर्ट ब्रा न सिर्फ महिला खिलाड़ियों के लिए बल्कि दूसरी आम घरेलू महिलाओं के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण इनर वियर के रूप में सामने आयी है. इसकी बदौलत आज कोई महिला वैसे ही सब काम कर सकती है, जैसे बिना स्तनों वाले पुरुष करते हैं. पहले महिलाएं दौड़ते समय बहुत परेशान होती थीं. क्योंकि स्तनों के हिलने डुलने से उनके मिगामेंट्स खिंच जाते थे. यही नहीं पहले जब महिलाएं लगातार वर्कआउट करती थीं तो उनके स्तनों का आकार खराब हो जाता था, वे लटक जाते थे. अब ये सब समस्याएं अतीत हो चुकी हैं. स्पोर्ट्स ब्रा ने एक किस्म से आज महिला खिलाड़ियों को ही नहीं किसी भी महिला को बहुत बड़ी ताकत दी है.

स्पोर्ट्स ब्रा ने शारीरिक व्यायाम को महिलाओं के लिए आसान और अनुकूल बना दिया है. स्पोर्ट्स ब्रा बिना पहने एक्सरसाइज करने से महिलाओं को कई तरह के नुक्सान होते हैं ,जिससे इसने छुटकारा दिला दिया है. स्पोर्ट्स ब्रा हर तरह के  स्पोर्ट्स में महिलाओं को सहयोग करती है. इससे अब महिलाओं के शरीर में दर्द नहीं होता, जैसे पहले हुआ करता था. सिर्फ स्तनों में होने वाले दर्द को ही नहीं स्पोर्ट्स ब्रा ने महिलाओं के कमर में होने वाले दर्द को भी खत्म किया है. खेलों के अलावा शारीरिक श्रम वाली गतिविधियों में भी स्पोर्ट्स ब्रा का सपोर्ट मिलता है. क्योंकि स्पोर्ट्स ब्रा से स्तनों का मूवमेंट खत्म या बिलकुल कम हो जाता है जिससे स्तनों के लिगामेंट्स में कोई असर नहीं पड़ता. स्पोर्ट्स ब्रा पसीने और तापमान को भी नियंत्रित करती है. हां, यह महंगी जरूर काफी होती है क्योंकि एडवांस टेक्नोलॉजी और बहुत अच्छा फैब्रिक इस्तेमाल होता है.

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Monsoon Special: बारिश के मौसम में मच्छर भगाने के लिए फौलो करें ये टिप्स

बारिश का मौसम भले ही गर्मी से राहत दिलाता हो लेकिन इस की दूसरी कई समस्याएं भी हैं. इन दिनों मच्छरों से होने वाली बीमारियां डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया आदि का प्रकोप बढ़ जाता है. आज बाजार में तरह-तरह के मौस्क्यूटो रिपलैंट जैसे कॉइल से ले कर कार्ड तक, स्प्रे से ले कर क्रीम तक उपलब्ध हैं.

इन के अलावा इलैक्ट्रॉनिक मच्छर मार डिवाइस और ऐप भी उपलब्ध हैं. अल्ट्रासाउंड पैदा करने वाले ऐंटीमौस्क्यूटो डिवाइस भी बाजार में आ चुके हैं. इन्हें बनाने वाली कंपनियों का दावा है कि ये डिवाइस हाई फ्रिक्वैंसी पर एक विशेष तरह का साउंड निकालते हैं. यह अल्ट्रासोनिक साउंड मच्छरों को पास फटकने से रोकता है.

इन के अलावा मच्छर भगाने का दावा करने वाले कुछ मोबाइल ऐप भी आ चुके हैं. कहने का मतलब यह कि आज मच्छरों से निबटने के लिए बाजार में इतना कुछ मौजूद है, लेकिन मच्छर हैं कि भागते नहीं.

घर-घर में विभिन्न कंपनियों के कौइल, स्प्रे, क्रीम आदि का इस्तेमाल हो रहा है. नित नए रिपलैंट बाजार में आ रहे हैं. मगर इस के प्रयोग से मच्छर भागते नहीं. इस से साफ हो जाता है कि यह मुनाफे का कारोबार है. भारत में यह 5-6 सौ करोड़ का कारोबार है. इतना ही नहीं, इस कारोबार में हर साल 7 से ले कर 10% तक वृद्धि भी हो रही है. मगर रिपलैंट का कारोबार जितना फूल-फल रहा है, मच्छरों का प्रकोप भी उतना ही बढ़ रहा है.

वैसे वैज्ञानिक तथ्य यह भी बताते हैं कि जितना दमदार रिपलैंट बाजार में आता है, मच्छर अपने भीतर उस से लड़ने की उतनी ही ताकत पैदा कर लेते हैं. अगर ऐसा ही है तो इस का मतलब साफ है कि जितना ऐडवांस रिपलैंट बाजार में आता है इंसानों के लिए वह उतना ही बड़ा खतरा बन जाता है, क्योंकि मच्छर उस से निबट लेते हैं.

स्वास्थ्य पर रिपलैंट का प्रभाव

हालांकि रिपलैंट बनाने वाली सभी कंपनियों को केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अधीन केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड में पंजीकरण करवाना पड़ता है. पर बोर्ड का काम इतना ही है. एक बार पंजीकरण की प्रक्रिया खत्म हो जाने के बाद कीटनाशकों के सेहत पर होने वाले नकारात्मक प्रभाव की निगरानी करने की कोई मशीनरी नहीं है. रिपलैंट समेत आजकल बाजार में पाए जाने वाले पर्सनल केयर उत्पाद, रूम फ्रैशनर से ले कर सुगंधित साबुन और डिटर्जेंट पाउडर या लौंड्री उत्पाद तक उपलब्ध हैं.

यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन में वैज्ञानिकों के शोध से पता चलता है कि चाहे वे किसी भी नामी-गिरामी कंपनी के बने क्यों न हों उन में रासायनिक खुशबू का इस्तेमाल होता है, जिस का सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता ही है.

दरअसल, इन में खुशबू पैदा करने के लिए ऐसिटोन, लाईमोनेन, ऐसिटल्डिहाइड, बैंजीन, ब्यूटाडाइन, बैंजो पाइरेन आदि विभिन्न तरह के रासायनों का इस्तेमाल किया जाता है. इन का सब से बुरा असर स्नायुतंत्र पर पड़ता है. दमा, फेफड़ों की बीमारी, जेनेटिक विकृतियां, ब्लड कैंसर आदि का भी इन से खतरा होता है. इस के अलावा कुछ लोगों में एलर्जी, आंखों में जलन की भी शिकायत हो जाती है.

उम्मीद की किरण

मच्छरों से पनपने वाली बीमारियों और उन से होने वाली मौतों के बीच एक उम्मीद जगाने वाली खबर भी है. कोलकाता राजभवन में मच्छरमार और रोकथाम अभियान के दौरान कोलकाता नगर निगम के कीटपतंग विभाग के देवाशीष विश्वास को कुछ ऐसे मच्छरों का पता चला, जो इनसानों को नुकसान पहुंचाने के बजाय उलटा जानलेवा मच्छरों का सफाया करते हैं. सामान्य तौर पर इस मच्छर का नाम ऐलिफैंट मौस्क्यूटो है. इस प्रजाति के मच्छर इंसानी खून के प्यासे होने के बजाय डेंगू के ऐडिस एजिप्टाई लार्वा चट कर जाते हैं.

बताया जाता है कि चीन मच्छर नियंत्रण के लिए मच्छरों का ही इस्तेमाल कर रहा है. दक्षिण चीन में वैज्ञानिकों का एक दल इंजैक्शन के सहारे मच्छरों के अंडों में ओलवाचिया नामक बैक्टीरिया का प्रवेश कर बैक्टीरिया से संक्रमित मच्छर को छोड़ देता है.

चीनी वैज्ञानिकों का मानना है कि ये संक्रमित नर मच्छर जब किसी असंक्रमित मादा मच्छर के साथ मिलन करते हैं तो यह बैक्टीरिया मादा मच्छर में प्रवेश कर जाता है और मच्छरजनित बीमारियों के जीवाणुओं का खात्मा कर देता है.

वहीं सिंगापुर और थाईलैंड में हाथी मच्छर नाम की विशेष प्रजाति के मच्छरों का इस्तेमाल मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया के मच्छरों पर नियंत्रण करने में किया जाता है. इसीलिए निगम इस उपकारी मच्छर के लार्वा को डेंगू और चिकनगुनिया के मच्छरों के उत्पात से त्रस्त इलाकों में फैलाने की तोड़-जोड़ कर रहा है.

गौरतलब है कि कोलकाता डेंगू के ऐडिस मच्छरों की राजधानी बन गया है. इस से पहले ऐडिस मच्छरों का स्वर्ग दिल्ली थी.

अगर श्रीलंका मच्छरजनित बीमारियों पर विजय प्राप्त कर सकता है, चीन, सिंगापुर और थाईलैंड मच्छरों पर नियंत्रण कर सकते हैं, तो भारत क्यों नहीं? पूरे देश में हाथी मच्छर के जरीए जानलेवा मच्छरों पर नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम तैयार किया जाना चाहिए.

मच्छर के काटने पर अपनाएं कुछ घरेलू उपाय

– नीबू के रस को मच्छर द्वारा काटे गए स्थान पर रगड़ लें. मच्छर के काटने से होने वाली खुजली में तुरंत आराम मिलेगा, साथ ही संक्रमण का खतरा भी जाता रहेगा.

– नीबू के रस में तुलसी का मसला पत्ता मिला कर लगाया जा सकता है.

– ऐलोवेरा जैल को 10-15 मिनट फ्रिज में रख कर काटे गए स्थान पर लगाने से भी आराम मिलता है.

– लहसुन या प्याज का पेस्ट सीधे प्रभावित स्थान पर मल लें. कुछ देर तक पेस्ट को लगा रहने दें. फिर अच्छी तरह धो लें. लहसुन या प्याज की गंध से भी मच्छर भागते हैं.

– बेकिंग सोडा को पानी में घोल रुई का फाहा उस में भिगो कर प्रभावित स्थान पर लगा कर 10-12 मिनट छोड़ दें. फिर कुनकुने पानी से धो लें आराम मिलेगा.

– बर्फ के टुकड़े को 10-12 मिनट तक कुछ-कुछ समय के अंतराल पर काटे गए स्थान पर रखें. बर्फ न होने पर ठंडे पानी की धार को कुछ देर तक प्रभावित जगह पर डालें.

– टूथपेस्ट भी खुजली पर असरदार होता है. थोड़ा सा पेस्ट उंगली में ले कर मच्छर द्वारा काटे गए स्थान पर मलें. आराम मिलेगा.

– प्रभावित स्थान पर कैलामाइन लोशन का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. दरअसल, कैलामाइन लोशन में जिंक ऑक्साइड और फेरिक ऑक्साइड जैसे तत्व होते हैं, जो खुजली के साथ-साथ संक्रमण रोकने में भी कारगर होते हैं.

– डियोडैर्रेंट का स्प्रे भी खुजली और सूजन कम करने में कारगर होता है, क्योंकि इस में ऐल्यूमिनियम क्लोराइड होता है, जो दर्द और सूजन को रोकता है.

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