संजय दत्त के बाद दो भारतीय डॉक्टरों को मिला गोल्डन वीजा, पढ़ें खबर

भारत के दो डॉक्टरों को संयुक्त अरब अमीरात (UAE) का प्रतिष्ठित गोल्डन वीजा मिला है. दोनों आयुर्वेदिक डॉक्टर केरल के रहने वाले हैं. इससे पहले एक्टिंग के क्षेत्र में गोल्ड वीजा पाने वाले संजय दत्त भारत के पहले एक्टर हैं. जिन्हें यूएई का गोल्डन वीजा मिला है.अभिनेता संजय दत्त ने गोल्डन वीजा मिलने की जानकारी खुद अपने ट्वीट करके दी थी.

खबरों के मुताबिक यूएई के फेडरल अथॉरिटी फॉर आइडेंटिटी एंड सिटिजनशिप ICA ने केरल के डॉ श्याम विश्वनाथन पिल्लई और डॉ जसना जमाल को गोल्डन वीजा दिया है.डॉ श्याम विश्वनाथन पिल्लई केरल के कोल्लम के रहने वाले हैं और अबू धाबी में बुर्जील डे सर्जरी सेंटर में वैद्यशाला के सीईओ हैं. इन्हें 17 जून को चिकित्सा पेशेवरों और डॉक्टरों की श्रेणी के अंतर्गत गोल्डन वीजा दिया गया है. डॉ पिल्लई ने उनका आभार भी व्यक्त किया.

अब बात आती है डॉ जसना …. दुबई के अल ममजार की रहने वाली डॉक्टर जसना जमाल को 24 जून को गोल्डन वीजा दिया गया. डॉ जसना ने भी आभार व्यक्त करते हुए कहा कि ईश्वर की कृपा से, मुझे गोल्डन वीजा से सम्मानित किया गया है. यह बहुत खुशी की बात है. मैं इस शानदार अवसर के लिए यूएई के नेताओं को तहे दिल से धन्यवाद देती हूं. जसना केरल के त्रिशूर की रहने वाली हैं.

इससे पहले भारतीय अभिनेता संजय दत्त को जब गोल्डन वीजा मिला तो उन्होंने ट्वीट के जरिए जानकारी दी थी और कहा कि यूएई की तरफ से गोल्डेन वीजा से सम्मानित किया गया है और उन्होंने आगे कहा कि वो मेजर जनरल मोहम्मद अल मारी की उपस्थिति में गोल्डन वीजा पाकर काफी सम्मानित महसूस कर रहे हैं.

इतनी ही नहीं भारत की एक छात्रा तस्नीम असलम को उसकी उत्तम अकादमिक रिकॉर्ड के लिए यूएई ने 10 साल का वीजा दिया है. उस छात्रा को अब 2031 तक यूएई में रहने की अनुमति मिल गई है. अब उस छात्रा को बार-बार गोल्डन वीजा लेने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी.

क्या होता है यूएई गोल्डन वीजा ?

दरअसल यूएई UAE का गोल्डेन वीजा दुबई में 10 साल का रेजिडेंट परमिट है. गोल्डेन वीजा की शुरुआत पहली बार 2019 में की गई थी. दुबई के उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और शासक हिज हाइनेस शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम ने इसकी शुरुआत निवेशकों और व्यापारियों के लिए की थी. इस गोल्डन वीजा का फायदा ये है कि इस वीजा को पाने वाला व्यक्ति 10 साल तक यूएई में रह सकता है और अगर वो 10 साल तक बार- बार यूएई जाता है तो उसे हर बार वीजा लेने की जरूरत नहीं होगी.

खबरों के मुताबिक साल 2020 में गोल्डेन वीजा की इजाजत कुछ विशेष लोगों के लिए भी दे दी गई, जिसमें किसी विशेष डिग्री, डॉक्टरों, वैज्ञानिकों और प्रोफेशन के लोग शामिल हो सकते हैं. नियमों में इन बदलावों के बाद ही संजय दत्त को गोल्डन वीजा दिया गया था. यूएई के अलावा पुर्तगाल, स्पेन, ग्रीस, यूएसए, माल्टा, सेंट किट्स एंड नोविस, डोमिनिका, एंटीगुआ, बारबुडा जैसे देश भी गोल्डेन वीजा देते हैं.

किस तरह का होता है गोल्डन वीजा ?

वैसे तो वीजा कई तरह के होतें हैं जैसे ई- वीज़ा, टूरिस्ट वीज़ा, टेंपररी वर्कर वीज़ा, ट्रांजिट वीज़ा, बिजनेस वीजा स्टूडेंट वीजा, और भी कई होते हैं लेकिन गोल्डन वीजा अलग है….जिसे बार- बार लेने की जरूरत नहीं पड़ती है और ये दो तरह का होता है….तो सबसे पहले तो एक 10 साल का गोल्डन वीजा होता है और ये वीज़ा सिर्फ़ निवेशकों को दिया जाता है. इस वीज़ा में व्यक्ति पति या पत्नी, बच्चों और साथ ही और एक व्यक्ति जो आपके साथ हो उसको लेकर UAE जा सकते हैं.

दूसरा होता है 5 साल का गोल्डन वीजा जो निवेशकों को दिया जाता है साथ-साथ ये वीज़ा आंट्रेप्रेनोर, प्रतिभाशाली छात्रों, विज्ञान और नॉलेज के फील्ड में काम करने वाले लोगों को दिया है और शोधकर्ताओं को भी जैसे डॉक्टरों, विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों, संस्कृति और कला के फील्ड में जो काम करते हैं उनको गोल्डन वीज़ा दिया जाता है. 5 साल के गोल्डन वीज़ा में भी व्यक्ति अपनी पत्नी और बच्चों को लेकर जा सकता है.

क्यों दिया जाता है गोल्डन वीजा ?

दरअसल गोल्डन वीजा उन लोगों को दिया जाता है जो अपने कार्यक्षेत्र में काफी नाम कमा चुके हों और टैलेंटेड हों. ऐसे लोगों को यूएई में बसाने और उनके हुनर का फायदा उठाने के लिए यूएई सरकार गोल्डन वीजा देती है. इस तरह का गोल्डन वीजा प्राप्त करने वाले लोगों को अरब देश में काफी सुविधाएं मिलती हैं.

गोल्डन वीजा कैसे करें अप्लाई ?

जो गोल्डन वीज़ा के लिए आवेदन करना चाहते हैं, वे फेडरल अथॉरिटी फॉर आइडेंटी एंड सिटिजनशिप (आईसीए) की वेबसाइट के जरिये अप्लाई कर सकते हैं.संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्रालय के तहत काम करने वाले जनरल डायरेक्टर ऑफ रेजिडेंसी एंड फॉरेनर्स अफेयर्स के जरिये भी अप्लाई किया जा सकता है. उसमें आपसे कुछ डॉक्यूमेंट्स मांगे जाते हैं जो आपको भरने होतें हैं. उसके बाद कुछ फॉर्मैलिटीज़ और वेरिफेकशन की प्रोसेस होती है और फिर वहां की अथॉरिटीज़ पर डिपेंड करता है कि वो आपको गोल्डन वीज़ा देते हैं या नहीं.

महंगी डिमांड्स तो हो जाएं सतर्क

फ्रैंडशिप कब किस उम्र में किससे हो जाए , कहां नहीं जा सकता. और फिर उस लम्हे से जीवन इतना खूबसूरत लगने लगता है कि अपनी इस दोस्त के लिए हम चाँद तारे तक तोड़ लाने की बात करने लगते हैं. क्योंकि विपरीत लिंग के प्रति अट्रैक्शन जो होता है. ये सही है कि आप इस रिश्ते में एकदूसरे को समझें, एकदूसरे के साथ बेहतरीन पल बिताएं, एक दूसरे की फीलिंग्स की कद्र करें, एक दूसरे से हर बात शेयर करें, एक दूसरे की मदद करें. लेकिन जब आपकी पार्टनर इस रिश्ते की आड़ में धीरेधीरे आपसे महंगे गिफ्ट्स की डिमांड करने लगे तो आपके लिए थोड़ा सतर्क होना जरूरी है, ताकि ये दोस्ती आपकी जेब पर भारी न पड़े और आप अपने पार्टनर की सच्चाई को भी जान पाएं. हम आपको बताते हैं कि जब गर्लफ्रैंड करे डिमांड तब आपको क्या करना है और किन बातों का आपको भी ध्यान रखना है.

– फ्रैंडशिप डे पर रिंग की डिमांड

गिफ्ट चाहे छोटा हो या बड़ा , वही अच्छा लगता है, जो दिल से दिया जाता है. न कि मांग कर लिया हुआ गिफ्ट. अभी आपने वैलेंटाइन डे पर ही उसे ब्रैंडेड शौपिंग करवाई थी, लेकिन अब फिर से आने वाले फ्रैंडशिप डे के लिए अगर वह रिंग की डिमांड करने लगे तो आप उसे बोलें कि रिंग तो मैं इस बार तभी दूंगा जब तुम भी इस खास दिन पर अपने हाथों से मुझे रिंग पहनाओगी, वो भी मुझसे पहले . अगर वे मान जाए तो ही उसे रिंग गिफ्ट करे, क्योंकि इस सौदे में घाटा जो नहीं है. लेकिन अगर वह साफ मना कर दे तो आपको भी बिना शर्म किए साफ इंकार कर देना चाहिए. क्योंकि दोस्ती सिर्फ वन वे नहीं बल्कि टू वे पर चलती है.

– आई फोन की जिद

आप दोनों का शौपिंग पर जाने का प्लान बना हो और इस प्लान को बनाने का पूरा क्रेडिट आपकी गर्लफ्रैंड को जाता हो. क्योंकि उसने ही आप पर शौपिंग के लिए जोर जो डाला है . तो आप पहले से ही थोड़ा सावधान हो जाएं. क्योंकि शौपिंग मतलब आपकी पॉकेट पर बोझ पड़ना. ऐसे में अगर वे जबरदस्ती आपसे आई फोन लेने की जिद करने लगे ये बोलकर कि मैं पैसे व कार्ड लाना भूल गई हूं, इसलिए अभी तुम अपने कार्ड से पेमेंट कर दो, बाद में मैं चुका दूंगी तो आप स्मार्ट बनकर साफ मना कर दें कि मैं कार्ड ही नहीं लाया. इसलिए तुम्हें नहीं दिला सकता. क्योंकि अगर अभी आपने पेमेंट कर दी, तो समझ जाएं कि आपकी जेब पर डांका डल गया है. भले ही वो आपके न करने पर आपसे मुंह बना लें तो बनाने दें. क्योंकि पैसों के बल पर कोई भी रिश्ता ज्यादा दिनों तक नहीं चल पाता है.

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– अपनी हर जरूरतों के लिए आप पर निर्भरता

अगर फ्रैंडशिप होने के बाद से वह अपनी हर जरूरतों के लिए आप पर निर्भर है, तो समझ जाएं कि आपसे रिश्ता सिर्फ पैसों के लिए ही रखा हुआ है. कभी फोन रिचार्ज, तो कभी कैब का बिल , तो कभी महंगे रेस्टोरेंट्स में जाने का शौक , यहां तक कि प्यार का सहारा लेकर हर महीने आपसे मोटी रकम वसूल करना. अगर ऐसा आपकी गर्लफ्रैंड की आदत में शामिल हो गया है तो पहले तो उसे प्यार से समझाने की कोशिश करें , लेकिन फिर भी समझ न आए तो ब्रेकअप में ही समझदारी है. क्योंकि अगर ब्रेकअप नहीं किया तो आप सिर्फ लुटेंगे ही , क्योंकि प्यार जो नहीं है इस रिश्ते में.

– स्मार्ट वाच की डिमांड

हो सकता है कि आपकी गर्लफ्रैंड के फ्रैंड्स के पास स्मार्ट वाच या फिर ब्रैंडेड कंपनी की वाच हो. लेकिन उसके पास नहीं. ऐसे में वह रोज आप पर इसे दिलवाने का दबाव बनाए. यहां तक कि अपनी इस इच्छा को पूरा करने के लिए आपके साथ इतना अधिक मीठा व्यवहार करें कि आप भी सोच में पड़ जाएं. ऐसे में आप उसकी मीठीमीठी बातों में आने से बेहतर आप समझदारी से काम लें. उसे बोलें कि अभी ये मेरे बजट में नहीं है. इसलिए नहीं दिलवा पाउँगा. आगे भी इस तरह की महंगी चीजें दिलवाने का वादा न करें. समझदार के लिए इस तरह के जवाब ही काफी होते हैं.

ध्यान दें –

– शोऑफ़ से बचें

अकसर लड़कों की यह आदत होती है कि वे अपनी गर्लफ्रैंड पर टशन ज़माने के लिए उन पर कभी अपने पैसों का टशन दिखाते हैं तो कभी उन्हें महंगेमहंगे रेस्टोरेंट्स में ले जाते हैं. जिससे वे अपने बोयफ़्रेंड को काफी अमीर समझ कर उन्हें लूटने लगती हैं . जो बाद में उनकी परेशानी का कारण बन जाता है. क्योंकि रोजरोज की डिमांड्स पूरी करना किसी के बस में नहीं होता. इसलिए शुरुवात से ही रिश्ते में शोऑफ को जगह न दें. ताकि आगे ये रिश्ता बोझ न बने.

– उसे भी मौका दे

अगर आप अपनी फ्रैंडशिप को ये देखने के लिए आजमाना चाहते हैं कि ये प्यार सच्चा है या फिर सारा पैसों का खेल है तो आप अपनी गर्लफ्रैंड को भी खर्चा करने का मौका दें. हर बात में आप आगे आकर उसे पैसे देने से न रोकें. क्योंकि इससे उसकी असलियत सामने नहीं आ पाएगी. आप अगर रेस्टोरेंट में गए हैं और लंच या डिनर के बाद जब बिल देने की बारी आए तो आप ये कहकर भी उससे पैसे निकलवा सकते हैं कि यार सोरी मैं तो जल्दीजल्दी में पर्स ही लाना भूल गया. ऐसे में अगर वे खुशीखुशी ये कहकर दे दे कि कोई बात नहीं डिअर कभी तुम तो कभी मैं , . तो समझ जाएं कि रिश्ता थोड़ा सच्चा है और अगर मुंह बनाए और मजबूरी में बिल पे करने के बाद आपसे ठेडाठेडा बोले तो समझ जाएं कि वे सिर्फ आपके पैसों पर ऐश करना चाहती है.

– आपकी कमाई सिर्फ आपकी ही

हो सकता है कि आपका घर परिवार भी अच्छा हो और आप अच्छी जौब भी करते हो. लेकिन इसका ये मतलब बिलकुल नहीं कि आपकी कमाई को बिना सोचेसमझे आपकी गर्लफ्रैंड यूं ही बर्बाद करे. इसलिए आपको कब, कहा, कितना खर्चा करना है, इस बात का निर्णय आपको लेना होगा. और जब भी आपकी गर्लफ्रैंड बोले कि यार तुम तो कमाते हो, फिर भी इतनी कंजूसी किस बात की, तो आप उसे बोलें कि ये मेहनत की कमाई है और जब जरूरत होती है तो मैं खर्च करता ही हूँ. अगर मैं आज कमाया हुआ आज ही उड़ा दूंगा तो भविष्य के लिए क्या बचाऊंगा. इससे उसे समझ आ जाएगा कि आपके पैसों को खर्च करवाना इतना आसान नहीं.

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– समझें जरूरत को भी

जरूरी नहीं कि हर गर्लफ्रैंड लूटने वाली ही हो और हर बार डिमांड लूटने के मकसद से ही की गई हो. क्योंकि कई बार जरूरत के कारण भी उसे आपसे कुछ मांगना पड़ सकता है. ऐसे में आपकी भी ये जिम्मेदारी है कि आप उसके तुरंत बोलते ही न न कर दें, बल्कि उसकी बात को सुनें व जरूरत को समझें. अगर आपको लगता है कि उसकी मांग जायज है और आप उसे अफोर्ड कर सकते हैं तो हेल्प जरूर करें. क्योंकि अगर आप ज़रूरत के समय भी जान बूझकर मुंह मोड़ लेंगे तो ये एक मजबूत रिश्ते के लिए सही नहीं होगा.

कोरोना के समय में बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य का रखें ध्यान कुछ इस तरह

दुनियाभर में कोरोनावायरस महामारी के समय में सोशल डिस्टेंसिंग, क्वारंटाइन और देश भर में स्कूलों के बंद रहने से बच्चे प्रभावित हुए हैं. कुछ बच्चे और युवा बेहद अलग-थलग महसूस कर रहे हैं और उन्हें चिंता, उदासी और अनिश्चितता का सामना करना पड़ रहा है. वे अपने परिवारों पर इस वायरस के प्रभाव को लेकर भय और दुख महसूस कर सकते हैं. ऐसे भय, अनिश्चितत, और कोविड-19 के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए घर पर ही रहने जैसी स्थिति उन्हें शांत बैठे रहना मुश्किल बना सकती है. लेकिन बच्चों को सुरक्षित महसूस कराना, उनके हेल्दी रुटीन को बरकरार रखना, उनकी भावनाओं को समझना बेहद महत्वपूर्ण है. इस बारे में बता रहे हैं Kunwar’s Educational Foundation के educationist(शिक्षाविद्) राजेश कुमार सिंह.

महामारी के बारे में समाचार देखने या इसे लेकर लोगों की बातें सुनने से बच्चे डर सकते हैं. कोविड-19 ने उनके स्कूल संबंधित, मित्रता, और सामान्य रुटीन को बदल दिया है, इसलिए आपके बच्चे के भय को दूर करना और उनके शारीरिक और भावनात्मक हितों का ध्यान रखा जाना मुख्य प्राथमिकता होनी चाहिए. यहां ऐसे कुछ टिप्स बताए जा रहे हैं जिनसे आपके बच्चे को महामारी के दबाव से छुटकारा पाने में मदद मिल सकती हैः

• उम्र के स्तर पर बातचीत करें:

यदि आपका बच्चा छोटा है तो बहुत ज्यादा जानकारी उसके साथ साझा न करें, क्योंकि इससे उनकी मानसिक स्थिति प्रभावित हो सकती है. इसके बजाय, उसके द्वारा पूछे जाने वाले हरेक सवाल का जवाब देने की कोशिश करें.

• सवाल का जवाब आसानी से और ईमानदारी से दें:

यदि आपका बच्चा महामारी के बारे में कोई सवाल पूछना चाहता है तो इसके लिए ईमानदारी से जवाब देना हमेशा एक अच्छी नीति है. हालांकि आप अपने बच्चों को ज्यादा डराना नहीं चाहते हैं, लेकिन उनके साथ सोशल डिस्टेंसिंग और हाथ धोने जैसी सुरक्षा संबंधित आदतों के बारे में बात करना गलत नहीं है.

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• समझदार बनें:

आपका बच्चा दोस्तों से मिलने या अन्य पारिवारिक सदस्यों के पास जाने में सफल नहीं होने पर निराश हो सकता है. इसका ध्यान रखें. उसे यह समझाएं कि आप उनकी निराशा को समझते हैं, और आप भी अपने दोस्त और विशेष अवसरों को याद कर रहे हैं.

• वर्चुअल प्लेडेट्स की व्यवस्था करें:

अपने बच्चे को वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग सेवा से जोड़ें, जिससे कि वे नजदीकी मित्रों और दादा-दादी के साथ संपर्क में बने रह सकें. इससे उनका ध्यान बंटाने में मदद मिलेगी.

• बच्चों को अतिरिक्त प्यार एवं स्नेह दें:

यह हम सभी के लिए तनावपूर्ण समय है और हमें अतिरिक्त देखभाल से सभी लाभ मिल सकते हैं. आपका बच्चा अतिरिक्त हग और किसेस को पसंद करेगा.

• स्पेशल वन-आन-वन टाइम को निर्धारित करें:

यदि हर कोई हर समय एक-दूसरे के साथ घर पर हो, तो हरेक सदस्य को प्रत्येक बच्चे के साथ समय बिताना संबंध मजबूत बनाने का अच्छा तरीका है.

वयस्कों का खयाल कैसे रखें?

जहां छोटे बच्चे महामारी को लेकर भयभीत हो सकते हैं, वहीं बड़े बच्चे और वयस्क इससे संबंधित प्रतिबंधों से असंतुष्ट हो सकते हैं. अपने मित्रों के साथ समय बिताना वयस्कों के लिए वाकई बेहद जरूरी है, जिससे कि सोशल डिस्टेंसिंग के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर कर सकें. यहां ऐसे कुछ तरीके बताए जा रहे हैं जिसके जरिये आप उन्हें अच्छी तरह से समझा-बुझा सकते हैंः

• यह समझाएं कि सोशल डिस्टेंसिंग और अन्य नियम क्यों जरूरी हैं: वे यह सोच सकते हैं कि यदि वे अच्छा महसूस कर रहे हैं तो वे दूसरों से मुलाकात कर सकते हैं. उन्हें यह समझाएं कि भले ही वे अच्छा महसूस करें, लेकिन वे वायरस फैला सकते हैं और इससे उनके दादा-दादी या अन्य पारिवारिक सदस्यों को भी खतरा हो सकता है.

• उनकी कुंठा या गुस्से को शांत रखने की कोशिश करें:

उन चीजों को लेकर सहानुभूति रखें जिनसे उन्हें महामारी की वजह से वंचित रहना पड़ रहा है. उनकी भावनाओं को समझें. यदि आपके एरिया में प्रतिबंधों की वजह से आपके बच्चे को अपने दोस्तों से मिलना मुश्किल हो रहा है तो उन्हें यह समझने के लिए प्रोत्साहित करें कि वे किस तरह से वर्चुअली तरीके से अपने दोस्तों से जुड़े रह सकते हैं.

हेल्दी रुटीन बनाए रखें

महामारी की वजह से आपको अपने सामान्य दैनिक रुटीन को अनदेखा करना पड़ सकता है. लेकिन निरंतरता बच्चों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. नियमित समय पर भोजन करने और सोने की आदत से आपके बच्चे को सुरक्षित महसूस करने में मदद मिल सकती है.

• नए हेल्दी रुटीन बनाएं:

जिस तरह से आप न्यू नाॅर्मल को समायोजित करते हैं, उसी तरह आपको अपने बच्चों के लिए नए दैनिक शेड्यूल (schedule) बनाने की जरूरत हो सकती है. भले ही बेडटाइम्स जैसी आदतें दैनिक स्कूल के बगैर बदल गई हों, लेकिन हर दिन समान शेड्यूल पर अमल करने की कोशिश करें. व्यायाम, परिवार के साथ डिनर, और घरेलू कार्य जैसी गतिविधियों के साथ साथ बच्चे को दोस्तों के साथ बातचीत करने के लिए भी समय निर्धारित करें, चाहे यह सुरक्षात्मक तरीके से व्यक्तिगत तौर पर हो या आनलाइन के माध्यम से हो.

• सुरक्षा सलाह पर अमल करें:

विभिन्न क्षेत्रों को कई तरह के प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है. इसलिए सीडीसी, डब्ल्यूएचओ, और अपने स्थानीय सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राधिकरणों की सलाह पर अमल करना जरूरी है. प्लेग्राउंड, स्कूलयार्ड, और पार्क ऐसे ज्यादा संपर्क वाले एरिया हैं जहां आपके बच्चे को स्वयं और दूसरों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आपके निर्देशों का पालन करना चाहिए. उन्हें मास्क पहनने, सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने, और नियमित तौर पर अपने हाथ धोने जैसी आदतों पर ध्यान देना चाहिए.

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• स्वच्छता और हाथ धोने की महत्ता को समझें:

बार बार हाथ धोना भले ही उबाऊ लग सकता है, लेकिन अब यह जीवन-रक्षक उपाय बन सकता है. अपने बच्चे को बाहर से आने या अन्य लोगों के संपर्क में आने के बाद हर बार हाथ धोने का आदत बनाने को कहें. छोटे बच्चों में आदत को प्रोत्साहित करने के लिए अपने बच्चे के पसंदीदा गाने में से किसी एक की धुन पर एक गीत बनाएं और हाथ धोते समय इसे एक साथ गाएं.

• सुरक्षा प्रोटोकाल पर स्वयं अमल करें :

सोशल डिस्टेंसिंग और अन्य सुरक्षा प्रोटोकाल पर स्वयं अमल करें, दूसरों के साथ भी इसे अपनाने की कोशिश करें. छोटे बच्चे प्रभावशाली होते हैं और वे आपके व्यवहार की ही नकल करेंगे, इसलिए सुनिष्चित करें कि आप उनके लिए एक सकारात्मक मिसाल स्थापित करेंगे.

तो हमेशा रहेंगी Young & Beautiful

कोरोना के कारण हम ने अपनी स्किन केयर को अनदेखा करना शुरू कर दिया है खासकर युवाओं ने. उन्हें लगता है कि अभी हमें घर में ही तो रहना है, कहीं जाना नहीं है, कोई देखने वाला है नहीं है, किसी से मिलना नहीं है, इसलिए स्किन की देखभाल न भी करें तो क्या फर्क पड़ता है. जबकि वे इस बात से अनजान हैं कि उन की यह सोच उन की स्किन को खराब करने का काम कर रही है.

भले ही वे फेसबुक, इंस्टाग्राम या फिर किसी अन्य सोशल मीडिया प्लेटफौर्म पर फिल्टर्स का सहारा ले कर खुद को खूबसूरत दिखा कर दूसरों की वाहवाही लूट रहे हों, लेकिन असलियत इस से काफी अलग है. ऐसे में अगर आप हमेशा नैचुरली यंग व ब्यूटीफुल स्किन पाना चाहती हैं तो समय से पहले हो जाएं सावधान वरना आप की स्किन छोटी उम्र में भी 60 जैसी दिखने लगेगी. तो आइए जानते हैं कि कैसे आप खुद को रखें यंग:

कब होती है  झुर्रियों की समस्या

उम्र के 20वें वर्ष में त्वचा अपने शबाब पर होती है. उस पर प्रौब्लम्स कम व चेहरे पर ग्लो, रौनक व आकर्षण ज्यादा होता है. लेकिन जब इस उम्र में त्वचा के प्रति लापरवाही बरती जाती है तो चेहरे पर फाइन लाइंस के साथसाथ  झुर्रियां भी नजर आने लगती हैं.

ये स्किन पर तब नजर आती हैं जब स्किन के अंदर, जो हमारी स्किन की ऊपरी लेयर को सपोर्ट करने वाली कोलेजन और इलास्टिन नामक प्रोटीन की लेयर होती है, उस में कमी आनी शुरू हो जाती है, जिस से स्किन अपना मौइस्चर व ब्यूटी खोने लगती है. इसलिए आप खुद को  झुर्रियों से दूर रखने के लिए स्किन केयर के साथसाथ हैल्दी ईटिंग हैबिट्स को फौलो करना न भूलें.

टैंशन को रखें खुद से दूर

आज चाहे बात घर की हो या फिर बाहर की, हर जगह स्ट्रैस का माहौल व्याप्त है. किसी को इस महामारी के कारण अपनों के जाने का डर व गम है, तो किसी को कैरियर की चिंता सता रही है तो किसी को जौब के जाने का खौफ खासकर के यंगस्टर्स काफी स्ट्रैस में हैं, जो उन की हैल्थ को बिगाड़ने का काम कर रहा है.

बता दें कि हमारे शरीर में कार्टिसोल नामक स्ट्रैस  हारमोन होता है, जो हमारे ज्यादा चिंतित रहने के कारण उस का संतुलन बिगड़ जाता है, जिस की वजह से चेहरे पर मुंहासे, फाइन लाइंस, मैटाबोलिज्म में असंतुलन होने लगता है, जिसे समय रहते कंट्रोल करना बहुत जरूरी है. इसलिए जितना हो सके पौजिटिव सोचते हुए खुद को स्ट्रैस से दूर रखें वरना आप की यह टैंशन आप के चेहरे की रौनक को चुरा लेगी.

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घरेलू नुसखे भी असरदार

समय से पहले बूढ़ा होना कोई नहीं चाहता. ऐसे में ये घरेलू नुसखे थोड़े ही दिनों में आप की  झुर्रियों को छूमंतर कर के फिर से आप को यूथफुल स्किन देने का काम करेंगे:

–  रोजाना ऐलोवेरा जैल से चेहरे की मसाज करने से न सिर्फ चेहरा मिनटों में खिल उठता है, बल्कि स्किन में कोलेजन बढ़ने से स्किन हाइड्रेट रहने के साथसाथ  झुर्रियां भी कम होती हैं.

–  केला न सिर्फ सेहत के लिए अच्छा होता है, बल्कि यह स्किन की भी रंगत बदल देता है, क्योंकि यह एंटीऔक्सीडैंट्स से भरपूर होने के साथसाथ नैचुरल डीटौक्स का भी काम कर के चेहरे पर फाइन लाइंस व  झुर्रियों से बचाने का काम करता है. इस के लिए आप केले का पेस्ट बना कर उसे चेहरे पर अप्लाई करें, फिर आधे घंटे बाद चेहरे को पानी से क्लीन कर लें. आप को कुछ ही हफ्तों में सुधार नजर आने लगेगा.

–  नारियल के तेल में मौइस्चराइज व हाइड्रेट करने वाली प्रौपर्टीज होने के कारण ये स्किन की  इलास्टिसिटी को इंप्रूव कर के स्किन को सौफ्ट बनाने का काम करती हैं. इस के लिए आप रोजाना रात को इस से मसाज कर के सुबह चेहरे को क्लीन करें. इस से आप को धीरेधीरे  झुर्रियां कम होती नजर आने के साथसाथ आप का चेहरा भी निखर उठेगा.

–  और्गन औयल लाइट होने के कारण स्किन में आसानी से अवशोषित हो जाता है. साथ ही इस में फैटी ऐसिड्स व विटामिन ई होने के कारण यह फाइन लाइंस व  झुर्रियों से बचाता है. इस के लिए आप रात को और्गन औयल से चेहरे की मसाज कर के छोड़ दें. आप को महीनेभर में रिजल्ट दिखने लगेगा.

कुछ खास हैबिट्स जो बचाएंगी ऐजिंग से

–  चाहे आप का बाहर आनाजाना हो या नहीं, फिर   भी आप रोजाना सीटीएम रूटीन यानी क्लींजिंग, टोनिंग व मौइस्चराइजिंग जरूर करें, क्योंकि इस से स्किन पर जमा गंदगी रिमूव होने के साथसाथ स्किन का नैचुरल पीएच लैवल बना रहता है, जो स्किन को यंग बनाने का काम करता है.

–  अधिकांश लोग यही सोचते हैं कि अगर घर से बाहर नहीं जाना तो सनस्क्रीन लगाने की जरूरत नहीं होती है, जबकि आप को बता दें कि ऐसा नहीं है, क्योंकि जब हम घर में स्किन डैमेजिंग लाइट्स जैसे ब्लू लाइट, जो स्मार्ट डिवाइस से, अल्ट्रावायलेट रेंज के संपर्क में आते हैं, तो भले ही उस से स्किन टेन नहीं होती है, लेकिन यह कोलेजन व इलास्टिक टिशू को ब्रेक करने के कारण समय से पहले ऐजिंग व स्किन कैंसर का कारण बनती है. इसलिए सनस्क्रीन का इस्तेमाल हमेशा करें.

–  ऐसे स्किन केयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल बिलकुल न करें, जो स्किन पर जलन पैदा करने का काम करते हों, क्योंकि इस से स्किन का नैचुरल मौइस्चर व ग्लो खोने लगता है व ऐजिंग की समस्या सामने आती है.

–  मेकअप रिमूव कर के ही सोएं वरना मेकअप में इस्तेमाल होने वाले कैमिकल्स स्किन पर जल्दी ऐजिंग इफैक्ट्स लाने का काम करते हैं.

–  तलाभुना खाने के बजाय पौष्टिक डाइट लें. इस से आप की स्किन अंदर से भी खिल उठेगी.

–  जितना हो सके शुगर का इन्टेक कम करें, क्योंकि ब्लड शुगर लैवल बढ़ने से ऐजिंग का प्रोसैस जल्दी व तेजी से बढ़ता है.

जरूरी है ऐडवांस्ड ट्रीटमैंट

थोड़ी सी सावधानी और देखभाल से  किस तरह हमेशा यंग लुक रहता है, बता रही हैं डर्मैंटोलौजिस्ट, डाक्टर भारती तनेजा:

–  बात अगर लेटैस्ट ट्रीटमैंट की की जाए तो कोलेजन को या तो अंदर से बनाया जा सकता है या फिर ऊपर से डाला जा सकता है. लेकिन सब से आसान तरीका जो है, जो पहले 30-40 की उम्र में लोग लेना शुरू करते थे, लेकिन आज छोटी उम्र में ही लेना शुरू हो गए हैं और इस में कोई खराबी भी नहीं है, क्योंकि आज बढ़ता प्रदूषण, मेकअप का ज्यादा इस्तेमाल करने के कारण स्किन अपनी इलास्टिसिटी खोने लगती है, जिस से स्किन पर फाइन लाइंस दिखने लगती हैं.

–  ऐसे में इस प्रौब्लम से छुटकारा पाने के लिए फिलर्स का सहारा लिया जाता है, जो आज के समय में बेहतरीन इलाज माना जाता है. इस के जरीए जहां पर भी यानी स्किन के नीचे जहां जगह बन गई होती है या फिर जहां कोलेजन खत्म हो गया है, वहां फिलर्स भर दिया जाता है. फिलर्स यानी ह्यालूरोनिक ऐसिड भर दिया जाता है, जो स्किन के अंदर जा कर कोलेजन व इलास्टिन को एकदम से बनाना शुरू कर देता है. इस से स्किन फिर से खिल उठती है. यह इलाज कुछ ही मिनटों में हो जाता है.

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–  जिस तरह से लेजर ट्रीटमैंट के जरीए चेहरे से अनचाहे बालों को हटाया जाता है, उसी तरह लेजर के जरीए  झुर्रियों का भी इलाज किया जाता है, क्योंकि यह स्किन को रीजनरेट करने का काम करती है. यह ट्रीटमैंट बहुत सालों से  झुर्रियों के लिए दिया जाता है. इस में बस काफी दिनों तक रैग्युलर ट्रीटमैंट लेने की जरूरत होती है. इस से स्किन फिर से खुद से कोलेजन बनाना शुरू कर देती है, जो  झुर्रियों को खत्म करने का काम करता है और यंग स्किन देता है.

–  स्किन को ऐक्सफौलिएट करने से भी  झुर्रियों की समस्या का निदान होता है. ऐक्सफौलिएट करने के लिए अगर लेटैस्ट ट्रीटमैंट की बात करें तो एक कार्बन ऐक्सफौलिएशन होता है, साथ ही इस के साथ मिला कर लेजर का इस्तेमाल भी किया जाता है.

–  आजकल हाइड्रोडर्मा विजन का भी काफी चलन है. इस में वाटर के साथसाथ खास तरह के सीरम का इस्तेमाल कर के स्किन को ऐक्सफौलिएट किया जाता है. इस से स्किन से  झुर्रियों की समस्या को काफी हद तक ठीक किया जा सकता है.

–  हम हाइड्रोनिक ऐसिड, सीरम व कोलेजन को जब भी स्किन के अंदर डालना चाहते हैं तो उस के लिए सब से अच्छा तरीका होता है अल्ट्रासोनिक मशीन का इस्तेमाल करना. यह किसी भी चीज को स्किन के अंदर पेनिट्रेट करने में मदद करती है. इस तरह आप ऐडवांस्ड ट्रीटमैंट की मदद से  झुर्रियों से छुटकारा पा सकती हैं.

  किस को ज्यादा रिस्क

जिन की स्किन ड्राई व डीहाइड्रेट होती है, उन्हें  झुर्रियों का खतरा सब से ज्यादा होता है. ड्राई स्किन का मतलब जिस में औयल की कमी होती है और डीहाइड्रेट स्किन का मतलब जिस में पानी की कमी होती है, क्योंकि पानी और औयल दोनों का बैलेंस ही स्किन को खूबसूरत बनाता है, रिंकल्स फ्री बनाता है और स्किन देखने में पल्म व टाइट नजर आती है. इसलिए स्किन की ड्राइनैस व पानी की कमी को पूरा करने के लिए खुद को हाइड्रेट रखने के साथसाथ फेस पर स्किन टाइप के हिसाब से मौइस्चराइजर भी जरूर अप्लाई करें.

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शादी के बाद सामने आया नई दुल्हन Yami Gautam का फर्स्ट लुक, पहना डायमंड का मंगलसूत्र

हाल ही में बॉलीवुड एक्ट्रेस यामी गौतम (Yami Gautam) ने ‘उरी- द सर्जिकल स्ट्राइक’ फेम फिल्म निर्देशक आदित्य धर (Aditya Dhar) के साथ शादी की थी, जिसकी फोटोज ने सोशलमीडिया पर धूम मचा दी थी. वहीं अब एक्ट्रेस यामी गौतम (Yami Gautam) ने शादी के बाद अपना मंगलसूत्र फ्लांट करती नजर आईं, जिसके बारे में फैंस जानने के लिए एक्साइटेड हैं. आइए आपको बताते हैं क्या है मंगलसूत्र में खास बात…

मंगलसूत्र में दिखा अलग लुक

 

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दरअसल, शादी के बाद एक्ट्रेस यामी गौतम (Yami Gautam) अपने होमटाउन से वापस मुंबई लौटी हैं. वहीं इस दौरान वह सिंपल लुक में नजर आईं, लेकिन खास बात है कि उनका मंगलसूत्र लुक को अलग ही स्टाइल दे रहा था. पीले रंग के सिंपल सूट के साथ डायमंड का सिंपल मंगलसूत्र यामी के लुक को कम्पलीट कर रहा है. फैंस भी उनके इस लुक की तारीफें कर रहे हैं.

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स्टाइल को कम्पलीट कर रहा था मंगलसूत्र

 

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नई-नवेली दुल्हन के रूप में यामी गौतम (Yami Gautam) ने बहन सुरीली संग (Surili Gautam) अपनी एक फोटो शेयर की है, जिसमें वह हरे रंग की सिल्क साड़ी के साथ सिंदूर और लंबे झूमके पहने नजर आ रही हैं. वहीं इस लुक के साथ उनका डायमंड का मंगलसूत्र चार चांद लगा रहा है.

बौलीवुड एक्ट्रेसेस भी करती हैं फ्लांट

 

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यामी (Yami Gautam) के अलावा बौलीवुड की कई हसीनाएं अपना मंगलसूत्र फ्लौंट करती नजर आईं हैं, जिनमें दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone) से लेकर प्रियंका चोपड़ा (Priyanka Chopra) का नाम भी शामिल है. पार्टी हो या कोई फंक्शन हर जगह बौलीवुड के डायमंड के मंगलसूत्र ने उनके लुक पर चार चांद लगाया है. वहीं ट्रैंडी मंगलसूत्र देखकर फैंस भी तारीफें करना नही भूलते हैं.

 

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क्राइम शो देखने की लत को कैसे दूर करूं ?

सवाल-

मैं 32 वर्षीया विवाहिता हूं. सासससुर नहीं रहे इसलिए 17 साल का देवर साथ ही रहता है. मैं उसे अपने बच्चे जैसा प्यार करती हूं. पर इधर कुछ दिनों से देख रही हूं कि वह टीवी पर अकसर क्राइम शो देखता है और उसी पर बातें भी करता है. कुछ दिनों पहले उस का 2-4 लड़कों से झगड़ा भी हो गया था. मैं ने डांटा तो पलट कर जवाब तो नहीं दिया पर उस ने उस दिन से मुझ से बात कम करता है. क्राइम शो देखने की लत कई बार मना करने पर भी उस ने नहीं छोड़ी है. उस की यह लत उसे गलत दिशा में तो नहीं ले जाएगी? कृपया उचित सलाह दें?

जवाब-

टीवी पर दिखने वाले अधिकतर क्राइम शो काल्पनिक होते हैं, जो समाज में जागरूकता तो नहीं फैलाते अलबत्ता लोगों को गुमराह जरूर करते हैं.

अकसर रिश्ते में धोखाधड़ी, एक दोस्त द्वारा दूसरे दोस्त का कत्ल, पैसे के लिए हत्या, शादी में धोखा, अवैध संबंध, पतिपत्नी में रिश्तों में विश्वास का अभाव दिखाना कहीं न कहीं लोगों के मन में अपनों के प्रति अविश्वास का भाव ही पैदा करता है. यकीनन, टीवी पर दिखाए जाने वाले अधिकतर क्राइम शो न सिर्फ रिश्तों को प्रभावित करते हैं, अपराधियों के लिए मार्गदर्शक की भूमिका भी निभाते हैं.

हाल ही में एक खबर सुर्खियों में आई थी जिस में एक आदमी ने अपनी ही पत्नी की निर्मम हत्या कर दी थी. जब वह पकड़ा गया तो उस ने पुलिस को बताया कि यह हत्या उस ने टीवी पर प्रसारित एक क्राइम शो देखने के बाद की थी. यह कोई एक मामला नहीं. आएदिन ऐसी घटनाएं घट रही हैं.

अधिकतर क्राइम शो में दिखाया जाता है कि अपराधी किस तरह अपराध करते वक्त एहतियात बरतता है, ताकि वह कानून के चंगुल में फंस न सके. इस से कहीं न कहीं आपराधिक मानसिकता

के लोगों का गलत मार्गदर्शन ही होता है.

बच्चों को तो इन धारावाहिकों से दूर ही रखने में भलाई है. और फिर आप के देवर की उम्र तो अभी काफी कम है. उस का मन अभी पढ़ाई की ओर लगना चाहिए. आप उसे प्यार से समझाने की कोशिश करें. उसे अच्छी पत्रिकाएं या अच्छा साहित्य पढ़ने को दें या प्रेरित करें. आप चाहें तो अपने पति से भी बात करें ताकि समय रहते उसे सही दिशा की ओर मोड़ा जा सके.

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

प्रधानमंत्री मोदी ने बढ़ाया खिलाड़ियों का हौसला

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने लोकप्रिय कार्यक्रम “मन की बात” में टोक्यो ओलंपिक में भाग लेने जा रहे उत्तर प्रदेश के खिलाड़ियों की हौसला अफजाई की.

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में खिलाडियों के जीवन संघर्ष और उससे निकल कर इस मुकाम तक पहुंचने की गाथा को सराहा. उन्होंने कहा कि टोक्यो जा रहे हमारे खिलाड़ियों ने बचपन में साधनों-संसाधनों की हर कमी का सामना किया, लेकिन वो डटे रहे, जुटे रहे . उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर की प्रियंका गोस्वामी जी का जीवन भी बहुत सीख देता है .  एक बस कंडक्टर की बेटी  प्रियंका ने बचपन से ही मेडल के प्रति आकर्षण था जिसने उन्हें रेस वाकिंग का चैंपियन बनाया.

प्रधानमंत्री ने बढ़ाया खिलाड़ियों का हौसला

इसी के क्रम में उन्होंने वाराणसी के शिवपाल सिंह का नाम लिया जो जेवलिन थ्रो के खिलाड़ी हैं.  शिवपाल का तो पूरा परिवार ही इस खेल से जुड़ा हुआ है . इनके पिता, चाचा और भाई, सभी भाला फेंकने में पारंगत हैं . पीएम ने कहा कि परिवार की यही परंपरा उनके लिए टोक्यो ओलंपिक में काम आने वाली है .

मुख्यमंत्री ने दिया प्रधानमंत्री को धन्यवाद

मुख्यमंत्री योगी ने प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद दिया और कहा कि उन्होंने हमेशा खेलों को बढ़ावा दिया. मुख्यमंत्री ने कहा कि पी एम की प्रेरणा से ही उनकी सरकार ने खेल और खिलाड़ियों को प्रोत्साहन की नीति अपनाई जिससे अनेक खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि हासिल की.

ट्रोलिंग का शिकार हुई Barrister Babu की बड़ी बोंदिता, सपोर्ट में आया अनिरुद्ध

कलर्स टीवी के सीरियल ‘बैरिस्टर बाबू’ (Barrister Babu) की छोटी बोंदिता का सफर पिछले दिनों खत्म हो गया है. हालांकि बड़ी बोंदिता का भी चुनाव किया जा चुका है. लेकिन फैंस को बड़ी बोंदिता यानी आंचल साहू का शो में होना पसंद नहीं आ रहा है, जिसके चलते एक्ट्रेस ट्रोलिंग का शिकार हो रही हैं. वहीं अब इस मामले में सीरियल के लीड एक्टर प्रविश्ट मिश्रा यानी अनिरुद्ध सपोर्ट के लिए सामने आए हैं. आइए आपको बताते हैं पूरा मामला…

नए प्रोमो के चलते ट्रोल हुईं बड़ी बोंदिता

 

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दऱअसल, सीरियल ‘बैरिस्टर बाबू’ में जल्द ही 8 साल लंबा लीप आने वाला है, जिसमें बड़ी बोंदिता दिखाई देंगी वहीं इस प्रोमो को देखने के बाद फैंस का गुस्सा देखने को मिल रहा है. फैंस का मानना है कि अंचल साहू की जगह औरा भटनागर को ही बोंदिता को किरदार निभाना चाहिए. इसी बीच टीवी सीरियल ‘बैरिस्टर बाबू’ के अनिरुद्ध यानी प्रविष्ठ मिश्रा (Pravisht Mishra) अंचल साहू के सपोर्ट में खड़े हुए हैं.

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अनिरुद्ध ने दिया साथ

 

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सीरियल ‘बैरिस्टर बाबू’ का प्रोमो शेयर करते हुए प्रविष्ठ मिश्रा आंचल साहू के बारे में लिखा, ‘इस शो की कहानी मेरे दिल के बहुत करीब है. हम सब इस शो को और भी बेहतर बनाना चाहते हैं. मुझे उम्मीद है कि बदलाव होने पर भी फैंस इस शो को उतना ही प्यार देंगे. मैंने प्रोमो में आ रहे कुछ कमेंट देखे हैं. हमारी टीम आपकी भावनाओं की कद्र करती है. एक कलाकार होने के नाते औरा भटनागर कमाल की चाइल्ड एक्ट्रेस हैं. आप सभी ने छोटी बोंदिता को बहुत प्यार दिया है. आप सभी लोगों से ज्यादा मैं उस बच्ची से प्यार करता हूं लेकिन हमें कहानी आगे बढ़ानी ही होगी. आपको बड़ी बोंदिता को भी एक मौका देना होगा. मैं अंचल साहू का स्वागत कपना चाहता हूं. अब से अंचल साहू भी सीरियल ‘बैरिस्टर बाबू’ के परिवार का हिस्सा है. मैं अनुरोध करता हूं कि अंचल साहू को लेकर फैंस किसी तरह की कोई नकारात्म खबर न फैलाएं. मेरी तरफ से आप सभी को ढ़ेर सारा प्यार…. देखते रहिए सीरियल ‘बैरिस्टर बाबू’….’

 

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बता दें, सीरियल ‘बैरिस्टर बाबू’ में लीप से पहले बोंदिता (Aurra Bhatnagar) और अनिरुद्ध (Pravisht Mishra) हमेशा के लिए जुदा हो जाएंगे, जिसके कारण जहां बोंदिता विदेश चली जाएगी तो वहीं अनिरुद्ध बोंदिता से नफरत करने लगेगा. अब देखना है कि लीप के बाद की कहानी क्या फैंस को पसंद आती है.

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‘काव्या’ से मिलने पहुंचे औफस्क्रीन ससुर Mithun Chakraborty, Anupamaa के साथ भी दिए पोज

टीवी शो अनुपमा इन दिनों सुर्खियों में छाया हुआ है. जहां शो की टीआरपी पहले नंबर पर है तो वहीं सेट पर गुटबाजी की खबरों को लेकर सीरियल सुर्खियों में छाया हुआ है. वहीं लेटेस्ट ट्रैक की बात करें तो वनराज और काव्या की शादी के बाद सीरियल की कहानी में फैमिली ड्रामा देखने को मिल रहा है. इसी बीच सीरियल के सेट पर काव्या यानी मदालसा शर्मा के औफस्क्रीन ससुर यानी बौलीवुड के दिग्गज एक्टर मिथुन चक्रवर्ती पहुंचे. आइए आपको दिखाते हैं वायरल फोटोज…

मदालसा को मिला सरप्राइज

सीरियल अनुपमा में काव्या से जहां उनके सास ससुर नाराज हैं तो वहीं रियल लाइफ में मदालसा के सास ससुर उनसे बेहद प्यार करते हैं, जिसके चलते सीरियल के सेट पर मदालसा शर्मा के औफस्क्रीन सुसर मिथुन चक्रवर्ती ने सरप्राइज दिया. दरअसल, हाल ही में, मदालसा शर्मा उर्फ काव्या को अनुपमा के सेट पर उनके ससुर और दिग्गज अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती अचानक पहुंचे, जिसकी फोटोज सोशलमीडिया पर वायरल हो रही हैं.

 

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अनुपमा संग फोटो की शेयर

 

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अनुपमा के प्रोडक्शन हाउस ने सोशलमीडिया पर शो की टीम के साथ मिथुन चक्रवर्ती की एक फोटो शेयर की है. वहीं शो की दूसरी कास्ट यानी रुपाली गांगुली और दूसरे कास्ट मेंबर्स के साथ खींची गई फोटोज भी सोशलमीडिया पर वायरल हो रही हैं, जिसे देखकर फैंस एक्साइटेड हैं.

बता दें, कुछ दिनों पहले काव्या यानी मदालसा शर्मा की मां शीला देवी और उनके औफस्क्रीन पति मिमोह चक्रवर्ती भी अनुपमा के सेट पर पहुंचे थे, जिसकी फोटोज और वीडियो सोशलमीडिया पर काफी वायरल हुई थी. वहीं मिमोह शो की दूसरी कास्ट संग मस्ती करते हुए भी नजर आए. वहीं सीरियल की बात करें तो फैमिली ड्रामा के चलते अनुपमा की लाइफ में कई परेशानियां आने वाली है, जिसका कारण काव्या होगी.

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मुक्ति का बंधन- भाग 2: अभ्रा क्या बंधनों से मुक्त हो पाई?

अब नाना की हिदायत होने लगी कि मैं रात को फोन न पकड़ूं, दोपहर तक न सोई रहूं, भले ही रात 3 बजे तक नींद आई हो. मेरा ड्रायर से गीले बाल सुखाना उन्हें गवारा न था जबकि होटल में हमें ऐसी ही हिदायतें दी गई थीं क्योंकि हमें ड्यूटी में गीले बाल ले कर आना मना था. पोशाक मेरी मरजी की मैं पहनूं तो नाना की सभ्यता में खलल पड़ता.

मतलब इन कोलाहलों ने मेरे अंतर्मन को सन्नाटे में तबदील कर दिया था. नाना अपनी जगह सही थे. और मैं अब बच्ची नहीं रह गई थी, यह सब नाना को समझाते रहने की एक बड़ी कठिन परिस्थिति से मैं जूझने को मजबूर थी.

अब बहुत हो चुका था. अंतर्मुखी होना मेरी खासीयत से ज्यादा नियति हो गई थी. प्यारइमोशन, सुखदुख अब मैं किसी से साझा नहीं करना चाहती थी. मुझे अपने पापा के आदेशोंनिर्देशों, नाना के अफसोसों, मां की प्यारभरी फिक्रों से नफरत होने लगी थी. मैं सब से दूर जाना चाहती थी. और तब जाने कैसे इस निर्बंध के बंधन में जकड़ कर यहां आ पहुंची थी. यह था उस की अभी तक की जिंदगी का इतिहास.

खुली खिड़की से कुहरा मेरी तरफ बढ़ता सा नजर आया, जैसे अब आ कर मुझे पूरी तरह जकड़ लेगा और मैं खो जाऊंगी इस घने से शून्य में.

ठंड से जकड़न बढ़ती जा रही थी मेरी. पीछे से जैसे कुहरे ने हाथ रखा हो मेरी पीठ पर. मैं सिहर कर पीछे मुड़ी. ओह, प्रबाल वापस आ गया था और अपना ठंडा बर्फीला हाथ मेरी पीठ पर रख मुझे बुला रहा था. वह बोला, ‘‘यह लो अदरक वाली चाय. मैं पी कर तुम्हारे लिए एक ले आया. इस लौज के नीचे क्या मस्त चाय बन रही है. यहां से दूर उस सामने पहाड़ी तक घने कुहरे की चादर बिछ गई है. चलो न, अब तैयार हो कर पैदल चलें पहाड़ी तक.’’

मैं ने चाय ली और उस से थोड़ी मोहलत मांगी. वह नीचे चला गया.

6 फुट का यह लंबा, गोरा, गठीला, रोबीला नौजवान मेरी एक बात पर मेरे साथ कहीं भी चला जाता है. मेरे लिए लोगों से कितनी ही बातें सुनता है और मैं कभी इस से ढंग से बात ही नहीं कर पाती. आज इस की इच्छा का मान रखना चाहिए मुझे.

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वूलन ट्राउजर पर ग्रे कलर की हूडी चढ़ा कर मैं नीचे आ गई. वह मेरे इंतजार में इधरउधर घूमते हुए अगलबगल के छोटे होटलों में लंच के लिए जानकारी जुटा रहा था. मेरी 5 फुट 4 इंच की हाइट और उस की 6 फुट की हाइट के साथ खड़े होते ही अपने ठिगनेपन के एहसास भर से बिदक कर मैं हमेशा उस से दूर जा खड़ी होती हूं और वह एक रहस्यमयी मुसकान के साथ मेरी ओर देख कर फिर दूसरी ओर देखने लगता है.

छत्तीसगढ़ के मनोरम जशपुर में क्रिसमस का यह दिसंबरी महीना गुलाबी खुमारी से पत्तेपत्ते को मदहोश किए था. पहाड़ी तक पहुंचने की सड़क बर्फीली लेकिन चमकीली हो रही थी. पास ही दोनों ओर खाईनुमा ढलानों में मकानों और पेड़ों की कतारें एकदूसरे से दूरियों के बावजूद जैसे लिपटे खड़े दिख रहे थे.

प्रकृति और मानव जिजीविषा का अनुपम समागम. जितना यहां तालमेल है मानव और प्रकृति के बीच, हम शहर के कारिंदों में कहां? रहना होता है बित्तेभर की दूरी में और दिल की खाई पाटे नहीं पाटी जाती.

प्रबाल आगे निकल रहा था. इस कुहेलिका ने उसे कुतूहल से भर दिया था और अकसर मेरा ध्यान रखने वाला प्रबाल आज कुदरत के नजारों में डूबा हुआ आगे बढ़ गया था.

मैं ने घड़ी देखी. सुबह के 8 बज रहे थे. कल आए थे हम दोनों यहां.

होटल मैरियट में क्रिसमस की भारी व्यस्तता के बाद 28 और 29 दिसंबर को हम दोनों को छुट्टी मिली थी.

20 साल की उम्र भारतीय समाज में शिशुकाल ही मानी जाती है, अपने परिवार और रिश्तेदारों में तो अवश्य. ऐसे में पीछे जरूर ही पहाड़ टूट कर ध्वंस लीला चलने की उम्मीद कर सकती हूं. वह भी जब बिना बताए एक लड़के के साथ मैं यहां आ गई हूं.

प्रबाल को मैं 2 सालों से जानती हूं. कालेज में भी वह मेरा अच्छा दोस्त रहा. और इस ट्रेनिंग में भी बराबर मुझे समझने का और साथ देने का जैसे बीड़ा ही उठा रखा था उस ने.

प्रबाल रुक कर मेरा इंतजार कर रहा था. पास जाते ही उस ने एक ऊंची पहाड़ी के पास गोल से एक सफेद रुई से मेघ की ओर इशारा किया. मैं ने देखा तो उस ने कहा, ‘‘ठीक तुम्हारी तरह है यह मेघ.’’

‘‘कैसे?’’

‘‘तुम भी तो ऐसी ही सफेद रुई सी लगती हो कोमल, लेकिन अंदर दर्द का गुबार भरा हुआ, लगता है बरस पड़ोगी अभी. लेकिन बिन बरसे ही निकल जाती हो दूर बिना किसी से कुछ कहे.’’

मैं खुद को कठोर दिखाने का प्रयास करती रहती हूं, लेकिन सच, शरमा गई थी अभी, कैसे समझ पाता है वह इतना मुझे. उस के साथ मेरी दोस्ती बड़ी सरल सी है. ‘कुछ तो है’ जैसा होते भी जैसे कुछ नहीं है. उस के साथ क्यों आई, न जानते हुए भी मुझे उस के साथ ही आने की इच्छा हुई, जाने क्यों. वह भी तो कभी किसी बात पर मुझे मना नहीं करता.

‘‘एकदम अविश्वसनीय,’’ मैं अचानक बोल पड़ी तो वह अवाक हुआ, ‘‘क्या?’’

‘‘तुम्हारा यों बोलना.’’

‘‘क्यों?’’

‘‘कभी कहते नहीं ऐसे.’’

झेंपते हुए वह आगे बढ़ गया. मैं नहीं बढ़ पाई. वहीं रुकी रही. सोच रही थी पीछे क्या हो रहा होगा. नाना, पापा, मां ‘क्यों और क्यों नहीं’ के सवाल लिए सब बरसने को तैयार खड़े मिलेंगे.

77 साल की उम्र में कई तरह की शारीरिक, मानसिक परेशानियों की वजह से थकेहारे नाना अब भी सहर्ष उस युवा लड़की की जिम्मेदारी उठाने को तत्पर थे, जो दबंग दामाद की व्रिदोहिणी बेटी थी और कभी भी उन की नपीतुली कटोरी में नहीं उतरने वाली थी. मेरे अचानक कहीं चले जाने की बात नाना को, मेरे पापा को बतानी पड़ी, कहीं मैं कुछ करगुजर जाऊं और पूरे परिवार को पछताना पड़े.

मैं ने अपना फोन खोला तो पापा के ढेरों संदेश दिखे, ज्यादातर धमकीभरे.

‘पापा, मैं जिऊंगी, मेरी सांसों को आप मेरी मां की तरह डब्बे में बंद नहीं कर सकते. भले ही कितनी ही माइनस हो जाए औक्सीजन मेरे लिए, मैं सांसें तो पूरी लूंगी, पापा,’ मैं ने सोचा.

मैं पीछे से जा कर प्रबाल के बराबर चलने लगी थी. हम एक पहाड़ी पर आ पहुंचे थे. दूधिया कुहरा छंट गया था और अब सूरज की चंपई किरणों ने हमें अपने आलिंगन में ले लिया था.

प्रबाल ने झिझकते हुए मेरा हाथ पकड़ा. मैं धड़कनों को महसूस कर रही थी. मैं ने उस के हाथ से अपना हाथ छुड़ा कर उस के पीठ पर हाथ रखा और कहा, ‘‘प्रबाल, हम दोस्त क्यों हैं, कभी यह सवाल तुम ने सोचा है?’’

‘‘तुम यह सवाल क्यों सोचती हो?’’

‘‘जरूरी है प्रबाल, मेरे लिए यह सवाल जरूरी है. मैं खुद को बहुत अच्छी तरह जानती हूं, इसलिए.’’

‘‘मैं ने तो सोचा नहीं. बस.’’

‘‘अगर सोचोगे नहीं तो आगे चल कर शायद पछताना भी पड़े.’’

‘‘तुम तो अपने घर वालों के बारे में सबकुछ बता ही चुकी हो, मेरे बारे में भी जानती ही हो कि मेरे बड़े भाई इंजीनियर हैं, शादीशुदा हैं, बेंगलुरु में जौब करते हैं, मम्मीपापा दोनों सरकारी जौब में थे और अब दोनों ही रिटायर हो चुके हैं, काफी पैंशन मिलती है, घरबार है. मेरी होटल की पढ़ाई को नाक कटाने वाला मान कर वे मुझ से सीधेमुंह बात नहीं करते थे. तो खानदान से लगभग बिछड़ा हुआ मैं अपने बलबूते ताकत जुटाने की कोशिश कर रहा हूं और तब तक पापा के पैसे से फलफूल रहा हूं. क्या तुम्हें मेरे इन विशेषणों से कोई परेशानी है?’’

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‘‘इसलिए, इसलिए ही प्रबाल, मैं तुम से बात करना चाह रही थी. तुम ने लक्ष्य निर्धारित कर के दौड़ना शुरू कर दिया है लेकिन जिसे संग लिए तुम दौड़ में जीतना चाहते हो वह तो सैर पर निकली है. उसे तो तुम्हारे लक्ष्य से कोई वास्ता नहीं, प्रबाल. उसे अभी हवाओं के कतरों को अपनी झोली में भरने की फिक्र है.’’

‘‘समझता हूं अभ्रा. लेकिन मुझे तुम्हारे साथ की आदत हो गई है. इसलिए नहीं कि तुम बहुत खूबसूरत, मासूम, गोरी और स्लिम हो या तुम अपने पापा की इकलौती हो, या तुम्हारा ब्यूटी सैंस बिंदास है, बल्कि इसलिए कि हम दोनों की सोच में बहुत अंतर नहीं, हम एकदूसरे को एकदूसरे पर थोपते नहीं. और हम समानांतर साथ चल सकते हैं बहुत दूर, इसलिए.’’

‘‘पर उम्मीद के बंधन में मैं नहीं बंध सकती प्रबाल. मैं खरा उतरने से आजिज आ गई हूं. भूल जाओ मुझे और जिन पलों में जब तक साथ हैं उतने में ही जीने दो मुझे.’’

प्रबाल मुझे अपलक देखता रहा. सूरज की भरपूर रोशनी के बावजूद सारे कुहरे उस के चेहरे पर ही आ कर जम गए थे जैसे. हम वापसी में सारे रास्ते चुप रहे और अपने कमरे में आ कर कुछ देर अपनेअपने पलंग पर लेटे रहे.

हम थक कर सो तो गए थे लेकिन हमारे अंदर भी एक कोलाहल था और बाहर भी.

कोलकाता वापस जा कर इस कोलाहल ने मेरे जीवन में भारी संघर्ष का रूप ले लिया. एक लड़के के साथ भागी हुई लड़की फिर से वापस आई है. यह तो भारतीय समाज में कलंक ही नहीं, मौत के समान दंडनीय है. भला हो कानून का जो अंधा है, इसलिए सारे पक्षों को देख पाता है, वरना आंख वालों से इस की उम्मीद नहीं.

मांपापा दोनों इस बीच नाना के पास आ गए थे और पापा अपने मोरचे पर तहकीकात में मुस्तैद रहते हुए भी अपनी कटी नाक के लिए मुझ पर जीभर लानत भेज रहे थे.

नाना ने आते ही मुझे लड़के से बात कराने पर जोर देना चाहा. बात करा दूं तो शादी के लिए ठोकाबजाया जा सके.

अब किस तरह किसकिस को समझाऊं कि इन लोगों की नापतोल से बाहर भागी थी मैं, और साथ था एक समझने वाला दोस्त.

पापा ने इस बीच फरमान सुना दिया, ‘‘सब बंद. पढ़ाई के नाम पर सारे चोंचले बंद. तुम मेरे साथ वापस चल रही हो, एक लड़का देखूंगा और तुम्हें विदा कर दूंगा. सांप नहीं पाल सकता मैं.’’

‘क्या मुझे नाना की बात से हमदर्दी थी? या मैं पापा के आगे घुटने टेक दूं? नहीं पापा, मैं जिऊंगी मां के इतिहास को पलट कर. मैं जिऊंगी खुद की सांसों के सहारे,’ यह सब सोचती मैं सभी को अनदेखा कर अपनी ट्रेनिंग पूरी करने को होटल के लिए निकल गई. होटल पहुंच कर नाना को फोन कर दिया कि ट्रेनी के लिए बने होटल के बंकर में ही मैं रह जाऊंगी, पर वापस उन के घर अब नहीं जाऊंगी.

मुझे होटल से 4 हजार रुपए भत्ते के मिलते और होटल में ही रहनाखाना फ्री था. यह ट्रेनिंग पीरियड कट जाने के लिए काफी था. लेकिन बाद की बात भी माने रखने वाली थी.

मेरे बंकर में रह जाने से प्रबाल को मेरे पीछे के हालात का अनुमान हो गया था और उस की मेरे प्रति सहानुभूति से मुझे उन्हीं गृहस्थी के पचड़े की बदबू सी महसूस हो रही थी. प्रबाल मेरे सख्त रवैए के प्रति अचंभित था. आखिर लड़की को क्या जरा भी सहारा नहीं चाहिए?

नहीं प्रबाल, मैं अपनी सांसें खुद अपने ही संघर्ष की ऊष्मा से तैयार करूंगी.

होटल में रह जाने के मेरे निर्णय की गाज नाना और मां पर गिरी. पापा मां को बिना लिए ही लौट गए इस हिदायत के साथ कि नाना और मां मिल कर जितना बिगाड़ना है मुझे बिगाड़ते रहें, वे अब जिम्मेदार नहीं.

इधर नाना से भी और गिड़गिड़ाया न गया, मां तो पापा के आगे थीं ही गूंगी.

मां की दुर्गति देख यही लगा कि मैं पापा के आगे हथियार डाल दूं और पापा के ढूंढ़े कसाई के खूंटे से बंध जाऊं. लेकिन यह मेरी दुर्गति की इंतहा हो जाती और मां के भविष्य की सुधार की कोई गारंटी भी नहीं थी.

दूसरी मुश्किल थी अगले 6 महीने की कालेज फीस का इंतजाम करना, जो

50 हजार रुपए के करीब थी और यह नाना से लेने की कोशिश पापा के साथ बवाल को अगले पड़ाव तक ले जाने के लिए काफी थी. तो क्या करती, प्रबाल के फीस भर देने के अनुरोध को मजबूरी में मान जाती या पढ़ाई और जिंदगी छोड़ सामंती अहंकार के आगे फिर टूट कर गिर जाती?

साल के बीच से एजुकेशन लोन मिलना मुश्किल था. मैं ने प्रबाल से ही कहना बेहतर समझा. उस ने सालभर की फीस भर दी और मेरी तसल्ली के लिए इस बात पर राजी हो गया कि मैं कोर्स पूरा होते ही नौकरी कर के उस का कर्ज चुका दूंगी.

एक दिन मैं ट्रेनी की हैसियत से होटल की ड्यूटी के तहत रिसैप्शन काउंटर पर खड़ी थी. पापा एक 30 वर्षीय युवक के साथ अचानक कार से उतर कर मेरे पास आए.

पापा ने मुझे मेरे एचआर मैनेजर का मेल दिखाया. मेरे यहां से रवानगी का इंतजाम करा लिया था उन्होंने.

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मैं जल्द एचआर मैनेजर मैम से मिलने गई और वस्तुस्थिति का संक्षेप में खुलासा कर उन से सकारात्मक फीडबैक ले कर पापा के साथ दुर्गापुर लौट गई. हां, जातेजाते एक शर्त लगा दी कि मां वापस आएंगी, तभी आप का कहा सुनूंगी.

अजायबघर के उस लड़की घूरने वाले शख्स, जिसे पापा साथ लाए थे, के आगे पापा को हां कहना पड़ा.

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