प्रो-एक्टिव नीति से कोरोना की तीसरी लहर का होगा मुकाबला

कोरोना की तीसरी लहर से बच्चों व किशारों को बचाने के लिए प्रदेश सरकार ने कमर कस ली है. उत्तर प्रदेश सरकार ने बच्चों की स्वास्थ्य, सुरक्षा को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से घर-घर मेडिकल किट वितरण का विशेष अभियान शुरू किया है. प्रदेश में रविवार से 75 जनपदों में 50 लाख के करीब मेडिकल किटों का वितरण के कार्य को शुरू किया गया है. करीब 75 हजार निगरानी समितियों की मदद से लक्षण युक्त बच्चों की पहचान का काम भी शुरू कर दिया गया है. कोरोना की पहली और दूसरी लहर में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में निगरानी समितियों ने अहम भूमिका निभाई है. ऐसे में एक बार फिर से सरकार ने इन निगरानी समितियों को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है. बता दें कि तीसरी लहर का डट कर मुकाबला करने के लिए प्रदेश की 3011 पीएचसी और 855 सीएचसी को सभी अत्याधुनिक संसाधनों से लैस किया गया है.

महानिदेशक (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य) डॉ डीएस नेगी ने बताया कि मेडिकल किट के वितरण के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. मेडिकल किट को बच्चों व किशोरों को उनकी उम्र के अनुसार अलग-अलग चार वर्गों में विभाजित किया गया है. नवजात शिशु से लेकर एक साल तक और एक से पांच वर्ष की उम्र के बच्चों की मेडिकल किट में पैरासिटामोल सीरप की दो शीशी, मल्टी विटामिन सीरप की एक शीशी और दो पैकेट ओआरएस घोल रखा गया है. छह से 12 वर्ष की उम्र के बच्चों और 13 से 17 वर्ष की उम्र के किशोरों की मेडिकल किट में पैरासिटामोल की आठ टैबलेट, मल्टी विटामिन की सात टैबलेट, आइवरमेक्टिन छह मिली ग्राम की तीन गोली और दो पैकेट ओआरएस घोल रखा गया है. उन्होंने बताया कि प्रदेश के सभी अस्पतालों में तीसरी लहर को ध्यान में रखते हुए पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं. अस्पतालों कोई कमी न हो इस बात भी ध्यान रखा जा रहा है.

कोरोना के लक्षणों समेत मौसमी बीमारी से बचाएगी दवाएं

मेडिकल-किट में उपलब्ध दवाईयां कोविड-19 के लक्षणों से बचाव के साथ 18 साल से कम उम्र के बच्चों का मौसमी बीमारियों से भी बचाएंगी. तीसरी लहर से बचाव के लिए सरकार ने प्रदेश में 75000 निगरानी समितियों को जिम्मेदारी सौंपी हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में मेडिकल मेडिसिन किट के वितरण को गति देने के लिए 60 हजार से अधिक निगरानी समितियों के चार लाख से अधिक सदस्यों को लगाया गया है.

 प्रो-एक्टिव नीति के तहत प्रदेश में किया जा रहा काम

प्रदेश में विशेषज्ञों के आंकलन के अनुसार कोरोना की तीसरी लहर से बचाव के संबंध में योगी सरकार प्रो-एक्टिव नीति अपना रही है. सभी मेडिकल कॉलेजों में पीआईसीयू और एनआईसीयू की स्थापना को तेजी से पूरा किया जा रहा है. पीडियाट्रिक विशेषज्ञ, नर्सिंग स्टाफ अथवा टेक्निशियन की जरूरत के अनुसार जिलावार स्थिति का आकलन करते हुए पर्याप्त मानव संसाधन की व्यवस्था युद्धस्तर पर कराई जा रही है. अस्पतालों में बाइपैप मशीन, मोबाइल एक्स-रे मशीन समेत जरूरी उपकरणों की व्यवस्था की जा रही है. बता दें कि प्रदेश में डॉक्टर्स और नर्सिंग स्टाफ के पहले चरण का प्रशिक्षण का कार्य पूरा हो गया है. इनके जरिए अन्य स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है.

प्रदेश में महज 3165 एक्टिव केस

कोरोना संक्रमण के मामलों में उत्तर प्रदेश की स्थिति लगातार बेहतर हो रही है. पिछले 24 घंटों में प्रदेश में संक्रमण के महज 222 नए मामले दर्ज किए गए हैं. प्रदेश में कोविड रिकवरी रेट 98.5 प्रतिशत पहुंच गया है. प्रदेश में अब तक पांच करोड़  70 लाख 85 हजार 424 कोरोना की जांचें की जा चुकी हैं. मिशन जून के तहत निराधृत लक्ष्य को तय समय सीमा से पहले हासिल करने वाले यूपी में अब तक तीन करोड़ चार लाख 51 हजार 330 वैक्सीन की डोज दी जा चुकी हैं.

ओडीओपी से कामगारों की होगी तरक्‍की, छात्र भी बनेंगे आत्‍मनिर्भर

एकेटीयू से सम्‍बद्ध प्रदेश के तकनीकी एवं प्रबंधन संस्‍थानों में पढ़ने वाले छात्र ओडीओपी से जुड़े हर जिले के उत्‍पाद का एक नई पहचान देंगे. ओडीओपी उत्‍पादों को कैसे तकनीक से जोड़ कर उनको नई पहचान दी जाए. इसे लेकर छात्र अपना आइडियाज देंगे. ओडीओपी विभाग के साथ मिलकर एकेटीयू एक मेगा हैकाथन का आयोजन करने जा रहा है.

अभी हाली ही में ओडीओपी विभाग व एकेटीयू की ओर से लखनऊ की चिकनकारी व जरदोजी को कैसे नई पहचान दिलाई जाए. इस पर हैकाथन का आयोजन किया गया था. इसमें लखनऊ समेत प्रदेश के अन्‍य जिलों के इंजीनियरिंग कॉलेजों के 70 से अधिक छात्रों ने अपने आइडियाज एकेटीयू को भेजे थे. इसमें 5 छात्रों के आइडियाज को फाइनल राउंड में चुना गया था. छात्रों के बेहतर रूझान को देखते हुए अब ओडीओपी प्रदेश के हर जिले के ओडीओपी उत्‍पाद को लेकर मेगा हैकाथन का आयोजित करने की तैयारी कर रहा है. उत्‍तर प्रदेश सरकार के सूक्ष्‍म मध्‍यम एवं लघु उद्योग विभाग व एकेटीयू के बीच ओडीओपी उत्‍पादों को बढ़ावा देने के लिए एक एमओयू हुआ है. जिसके तहत इस कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा.

एक जनपद – एक उत्पाद उत्‍तर प्रदेश सरकार की महत्‍वाकांक्षी योजना है. इसका उद्देश्य प्रदेश के अलग अलग जनपदों में बनने वाले उत्‍पादों को अन्‍तर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर पहचान दिलवाना और कामगारों को रोजगार के अवसर उपलब्‍ध करा कर उन्‍हें आत्‍मनिर्भर बनाना है. उत्‍तर प्रदेश में ऐसे उत्‍पाद बनते हैं, जो पूरे देश में कहीं नहीं बनते हैं. इसमें प्राचीन एवं पौष्टिक कालानमक चावल, फिरोजाबाद का कांच उत्‍पाद, मुरादाबाद का पीतल उद्योग, दुर्लभ एवं अकल्पनीय गेहूं डंठल शिल्प, विश्व प्रसिद्ध चिकनकारी, कपड़ों पर जरी-जरदोजी का काम, मृत पशु से प्राप्त सींगों व हड्डियों से अति जटिल शिल्प कार्य आदि है. इन कलाओं से ही उन जनपदों की पहचान होती है. इनमें से तमाम ऐसे उत्पाद हैं जो अपनी पहचान खो रहे थे. सरकार उनको ओडीओपी के तहत फिर से पहचान दिला रही है.

एमएसएमई से समझौते के बाद एकेटीयू पूरे प्रदेश के हर जिले के ओडीओपी उत्‍पाद को नई पहचान देने के लिए मेगा हैकाथन का आयोजन करेगा. इसमें बीटेक व एमबीए के छात्र-छात्राएं एक जनपद, एक उत्‍पाद योजना से जुड़े उत्‍पादों को कैसे तकनीक से जोड़कर बेहतर बनाया जाए, जिससे वह उत्‍पाद अन्‍तर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर नई पहचान बना सके. इस पर अपने आइडियाज देंगे.

Monsoon Special: तो बारिश में भी खूबसूरत रहेगी स्किन

मौनसून का सुहावना मौसम, झमाझम बारिश में लौंग ड्राइव पर जाने व गरमगरम पकौड़े खाने का जो मजा होता है, वह किसी और मौसम में नहीं होता. यह मौसम दिल को छू जाता है, क्योंकि चिपचिपी व उमसभरी गरमी से राहत जो मिलती है.

लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह मौसम जितना आप को तरोताजा व रिलैक्स फील करवाता है, उतना ही इस मौसम में स्किन ऐलर्जी का भी डर बना रहता है. ऐसे में अगर स्किन की प्रौपर केयर नहीं की जाती तो यह हमारी सुंदरता को खराब करने का काम कर सकता है.

तो आइए जानते हैं इस संबंध में फरीदाबाद के ‘एशियन इंस्टिट्यूट औफ मैडिकल साइंसेज’ के डर्मैटोलौजिस्ट डाक्टर अमित बांगा से:

कौनकौन सी स्किन ऐलर्जी का डर

मौनसून में स्किन ऐलर्जी एक बड़ी समस्या है. जानिए, कौनकौन सी स्किन ऐलर्जी का डर इस मौसम में हो सकता है और कैसे इन से बचा जा सकता है:

ऐक्जिमा

यह एक ऐसा रोग है, जिस में स्किन पर ज्यादा पसीना आने, टैंपरेचर के बढ़ने, स्किन की प्रोटैक्टिव लेयर डैमेज होने व मौइस्चर खत्म होने के कारण स्किन पर रैडनैस, जलन, सूजन, खुजली व स्किन पर पपड़ी बन कर निकलने के कारण स्किन से खून भी निकलने लगता है.

ये भी पढ़ें- स्किन के लिए सही नहीं ये 5 Mistakes 

ऐसी स्थिति में घरेलू ट्रीटमैंट्स व सैलून का रुख करने के बजाय डर्मैटोलौजिस्ट की सलाह लेनी चाहिए ताकि स्थिति और खराब न हो, क्योंकि इस में असहनीय दर्द व खुजली आप की स्किन की खूबसूरती को बिगाड़ने का काम करती है. इस मौसम में आमतौर पर डाईशिदरोटिक ऐक्जिमा होता है, जिस में स्किन के अंदर छोटेछोटे छाले पड़ जाते हैं.

कौनकौन से टैस्ट: ऐक्जिमा का पता लगाने के लिए पैच टैस्ट, ऐलर्जी टैस्ट व खाने से कुछ चीजें हटाई जाती हैं ताकि ऐलर्जी के सही कारणों के बारे में पता लगाया जा सके.

क्या है ट्रीटमैंट: स्किन को हमेशा मौइस्चराइज रखें. हमेशा माइल्ड सोप व क्रीम्स का ही चयन करें. इस बात का ध्यान रखें कि इन में ड्राई व परफ्यूम न हो. डर्मैटोलौजिस्ट टैस्टेड क्रीम्स लगाएं. स्थिति ज्यादा खराब होने पर डाक्टर ऐंटीबायोटिक दवाएं भी देते हैं.

किन चीजों से बचें: इस दौरान बहुत गरम पानी से नहाने से बचें, साथ ही बहुत ही हार्श साबुन, क्रीम्स व मौइस्चराइजर का इस्तेमाल न करें, क्योंकि ये स्किन के मौइस्चर को चुराने के साथसाथ स्किन को और ड्राई बना देते हैं.

अत: अपनी स्किन को क्लीन व मौइस्चराइज रखें ताकि उस पर पसीना न जमने पाए. नायलौन के कपड़े पहनने के बजाय कौटन के खुलेखुले कपड़े पहनें और कभी इन्फैक्शन वाली जगह न खुरचें.

रिंगवर्म

बदलते मौसम में स्किन पर रिंगवर्म यानी दाद की समस्या होना आम है खासकर सैंसिटिव स्किन पर, क्योंकि बारिश के बाद मौसम में बढ़ती उमस व चिपचिपापन फंगस को बढ़ाने के लिए अनुकूल माना जाता है.

इस में शुरुआत में स्किन पर छोटे व लाल रंग के निशान पड़ने शुरू होते हैं, जिन के बारबार कपड़े से टच होने पर इन्फैक्शन बढ़ जाता है.

क्या है ट्रीटमैंट: लूज कौटन के कपड़े पहनें. जब भी बाहर से आएं तो नहाएं जरूर ताकि स्किन पर जमी गंदगी व पसीना शरीर पर चिपकने न पाए. स्किन को मौइस्चराइज रखें.

अंडरआर्म्स पर ऐंटीफंगल पाउडर अप्लाई करें. इस बात का ध्यान रखें कि सैल्फ ट्रीटमैंट व कैमिस्ट से इस की दवा न लें, क्योंकि उस में स्टेराइड्स होते हैं, जो स्थिति को और खराब कर सकते हैं.

किन चीजों से बचें: जिस जगह पर इन्फैक्शन हुआ है, उस पर इरिटेशन होने पर भी उसे रगड़े नहीं और न ही बारबार टच करें, क्योंकि इस से इन्फैक्शन और अधिक बढ़ने की संभावना रहती है. साथ ही पसीना आने पर शरीर को साफ करती रहें वरना इस इन्फैक्शन को और अधिक बढ़ने के लिए माहौल मिलने से आप के लिए परेशानी बढ़ सकती है.

हाइपरपिगमैंटेशन

ज्यादा उमस के कारण मौनसून में हाइपरपिगमैंटेशन की समस्या भी आम है. इस में चेहरे की स्किन डल व उस पर डार्क पैचेज नजर  आने लगते हैं. यह समस्या तब उत्पन्न होती है जब सूर्य के सीधे संपर्क में आने से मेलोनौसाइट्स अति सक्रिय हो जाते हैं.

मौनसून के मौसम में कभीकभी सूर्य के प्रकाश का बहुत तीव्र न होने पर भी मैलानिन का अधिक उत्पादन होता है, जिस से स्किन पर हाइपरपिगमैंटेशन की समस्या पैदा हो जाती है. जिन लोगों की ऐक्ने प्रोन व सैंसिटिव स्किन होती है, उन्हें इस मौसम में यह समस्या ज्यादा परेशान करती है.

क्या है ट्रीटमैंट: आप अभी तक विटामिन ए का इस्तेमाल ऐजिंग को रोकने के लिए करती होंगी. लेकिन बता दें कि इसे हफ्ते में 3 दिन चेहरे पर अप्लाई करने से यह हाइपरपिगमैंटेशन की समस्या का भी जड़ से निदान करने का काम करता है. ‘जर्नल औफ कुटेनियस एवं ऐस्थेनिक सर्जरी’ में प्रकाशित शोध के अनुसार, हाइड्रोक्विनोन हाइपरपिगमैंटेशन का बेहतरीन उपचार है.

वहीं विटामिन सी युक्त क्रीम में ऐंटीऔक्सीडैंट्स प्रौपर्टीज होने के कारण यह कोलेजन के उत्पादन को बढ़ा कर दागधब्बों को दूर कर के पिगमैंटेशन को दूर करने में सहायक होती है. आप इस मौसम में लाइट वेट, जैल व वाटर बेस्ड, नौन औयली व नौन कमेडोजेनिक सनस्क्रीन खरीदें, क्योंकि यह पोर्स को ब्लौक नहीं करता है.

किन चीजों से बचें: सूर्य के सीधे संपर्क में आने से बचें और अगर जरूरी होने पर घर से बाहर निकलना पड़े तो सनस्क्रीन लगा कर व खुद को कवर कर के ही निकलें. स्किन को बारबार छूने की आदत से बचें.

स्कैबीज

यह एक संक्रमण बीमारी है. वैसे तो इस बीमारी का शिकार कोई भी बन सकता है, लेकिन इस का शिकार ज्यादातर बच्चे बनते हैं. यह बीमारी एक से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैल जाती है. यह एक छोटे कीट के कारण होती है, जिस से स्किन पर जलन, खुजली, लाल निशान इत्यादि पड़ जाते हैं.

यह सोफा, फर्नीचर इत्यादि जगह पर भी 4-5 दिनों तक जीवित रहता है और जब कोई इसे टच कर लेता है, तो वह भी संक्रमित हो जाता है. इस में आमतौर पर खुजली रात के समय ज्यादा होती है और जब हम उसे खुजलाते हैं तो वहां घाव बनने से स्थिति और खराब हो जाती है. इसलिए तुरंत इस के लक्षण दिखाई देने पर डाक्टर को दिखाएं.

ये भी पढ़ें- Monsoon Special: इन 6 टिप्स से करें बालों की केयर

क्या है ट्रीटमैंट: डर्मैटोलौजिस्ट आप को परमेथ्रिन क्रीम लगाने की सलाह देते हैं, जो कीट व उस के अंडों को नष्ट करने का काम करती है. वहीं 1% जीबीएचपी क्रीम लगाने को भी कहा जाता है.

लेकिन इसे खुद से ट्राई न करें, बल्कि डाक्टर इसे कैसे व कब लगाना है अच्छी तरह से गाइड करते हैं. प्रौपर ट्रीटमैंट आप को 15-20 दिनों में ठीक कर देता है. लेकिन अगर आप खुद से इस का इलाज करती हैं तो यह बीमारी महीनों या फिर सालोंसाल खिंच जाती है.

किन चीजों से बचें: जिन जगहों पर इन्फैक्शन हुआ है, उन्हें खुजलाएं नहीं और न ही टच करें. अगर टच करें भी तो हाथों को तुरंत वाश करें, क्योंकि इस से दूसरी जगह संक्रमण की संभावना नहीं रहती है. जिस भी साबुन, क्रीम व औयल का इस्तेमाल करें, उस में नीम ट्री ऐक्सट्रैक्ट हो. यह कीट को मारने में काफी कारगर होता है.

साथ ही आप ऐसैंशियल औयल जैसे क्लोव औयल या लैवेंडर औयल प्रभावित जगह पर लगाएं. यह कीट को मारने के साथसाथ स्किन को ठंडक पहुंचाने का भी काम करता है. वहीं ऐलोवेरा जैल स्किन की जलन व इचिंग को दूर करने में मदद करता है.

हीट रैश

उमस, पसीने व साफसफाई का ध्यान नहीं रखने की वजह से स्किन के पोर्स बंद हो जाते हैं, जिस के कारण शरीर के अंदर छोटेछोटे छाले पड़ जाते हैं, जिन में परेशान करने वाली जलन व खुजली होती है. असल में उमस के कारण आने वाला पसीना स्किन के कौंटैक्ट में जब ज्यादा देर रहता है, तो स्किन पर उस का रिएक्शन रैशेज के रूप में सामने आता है, जिस के लिए समय पर सही ट्रीटमैंट की जरूरत होती है.

क्या है ट्रीटमैंट: घर में आते ही कपड़े बदलें व शरीर का तापमान सामान्य होने के बाद ठंडे पानी से बाथ लें. फिर स्किन पर सेलामाइन लोशन में थोड़ा सा ऐलोवेरा जैल डाल कर लगाएं. यह स्किन इरिटेशन को दूर कर के रैशेज की प्रौब्लम से राहत दिलवाने का काम करता है. साथ ही कौटन के कपड़े पहनें.

किन चीजों से बचें: ऐसे समय में तब बाहर निकलने से बचें जब बहुत ज्यादा गरमी हो. ऐसी ऐक्सरसाइज करने से बचें, जिस से बौडी बहुत ज्यादा वार्म हो जाती हो. ढीले व कंफर्ट कपड़े पहनने के साथसाथ बौडी को ठंडा व हाइड्रेट रखें.

टिनिया कैपिटिस

यह एक ऐसी बीमारी है, जो फंगल इन्फैक्शन के कारण स्कैल्प, बांहें और पलकों पर होती है, जिस में हेयर शौफ्ट और फोलिकल्स पर अटैक करने की क्षमता होती है. यह बीमारी मौइस्चर वाली जगह पर पनपनी है, इसलिए जिन्हें ज्यादा पसीना आता है, उन्हें आसानी से अपना शिकार बना लेती है.

इस के कारण बाल टूटने की समस्या, जिस से वह एरिया गंजा लगने लगता है. मवाद से भरे घाव, सूजन, स्किन का लाल पड़ना, जलन, पैची स्किन इत्यादि अन्य परेशानियां शामिल हैं.

अगर समय पर इलाज नहीं करवाया जाता तो हमेशा के लिए दाग पड़ने के साथसाथ गंजेपन की भी समस्या हो सकती है. इसलिए तुरंत डाक्टर को दिखाने की जरूरत होती है.

ये भी पढ़ें- Beauty Tips: स्किन टोन के हिसाब से खरीदें नेल पेंट

क्या है ट्रीटमैंट: लाइट वेट औयल, मौइस्चराइजर युक्त शैंपू व कंडीशनर लगाने की सलाह दी जाती है. हाइजीन का खास ध्यान रखने की जरूरत होती है, क्योंकि यह बीमारी एक से दूसरे व्यक्ति में फैलती है. अगर कोई भी संक्रमित व्यक्ति का हेयरब्रश, पर्सनल सामान इस्तेमाल करता है तो उसे भी इस बीमारी के होने का डर रहता है.

मनोज कुमार की पोती की शादी में इतना महंगा था उर्वशी रौतेला का लुक, कीमत जानकर फैंस हुए हैरान

बौलीवुड एक्‍ट्रेस उर्वशी रौतेला (Urvashi Rautela) अपने फिटनेस और फैशन को लेकर हमेशा सुर्खियों में छाई रहती हैं. वहीं हाल ही में शेयर किया गया उर्वशी रौतेला (Urvashi Rautela) वेडिंग लुक सोशलमीडिया पर छा गया है. दरअसल, बौलीवड के मशहूर एक्‍टर मनोज कुमार की पोती मुस्‍कान गोस्‍वामी की शादी में उर्वशी का ट्रैडिशनल लुक देखने को मिला. वहीं इस लुक से ज्यादा इस साड़ी की कीमत ने फैंस को चौंका दिया है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

58 लाख का था पूरा लुक

मुस्‍कान गोस्‍वामी के प्रीवेडिंग फंक्शन में उर्वशी ने गुजराती पटोला साड़ी कैरी की थी, जिसके साथ गोल्ड ज्वैलरी कैरी की थी. वहीं खबरों की मानें तो उनका लुक पूरे 58 लाख रुपये का था, जिसे सुनकर फैंस के होश उड़ गए हैं.


ये भी पढ़ें- GHKKPM: लाल साड़ी पहनकर सई ने जीता फैंस का दिल, विराट के साथ दिए रोमांटिक पोज

इतना लगा था साड़ी बनने में समय

उर्वशी रौतेला के स्‍टाइलिस्‍ट ने एक इंटरव्यू में बताया कि ‘उर्वशी की पटोला साड़ी को बनने में 6 महीने का वक्‍त लगा, जिसमें 70 से ज्‍यादा दिन सिल्‍क थ्रेड्स की कलरिंग और करीब 25 दिन बुनाई में लगे थे. करीब 12 लोगों ने दो साल से ज्‍यादा वक्‍त तक इस पर काम किया था. ‘

शादी में था कुछ ऐसा लुक

मेहंदी के अलावा शादी में एक्ट्रेस उर्वशी रौतेला ने ग्रीन कलर का चुनाव किया, जिसके दुपट्टे पर लगाए गए गोटे में मल्टीकलर वर्क का इस्तेमाल किया गया है. वहीं इसके साथ कैरी की गई ज्वैलरी की बात करें तो इस लुक के साथ भी गोल्ड ज्वैलरी और कुंदन का मिक्स काम किया था, जो उनके लुक के साथ एकदम खूबसूरत लग रहा था. वहीं मेकअप तो उनके लुक पर चार चांद लगा रहा था.

ये भी पढ़ें- प्रिंटेड ड्रैसेस में छाया टीवी की नागिन का जादू, मौनसून में मौनी रॉय के लुक कर सकती हैं ट्राय

दूरी- भाग 1 : समाज और परस्थितियों से क्यों अनजान थी वह

लेखक- भावना सक्सेना

फरीदाबाद बसअड्डे पर बस खाली हो रही थी. जब वह बस में बैठी थी तो नहीं सोचा था कहां जाना है. बाहर अंधेरा घिर चुका था. जब तक उजाला था, कोई चिंता न थी. दोपहर से सड़कें नापती, बसों में इधरउधर घूमती रही. दिल्ली छोड़ना चाहती थी. जाना कहां है, सोचा न था. चार्ल्स डिकेन्स के डेविड कौपरफील्ड की मानिंद बस चल पड़ी थी. भूल गई थी कि वह तो सिर्फ एक कहानी थी, और उस में कुछ सचाई हो भी तो उस समय का समाज और परिस्थितियां एकदम अलग थीं.

वह सुबह स्कूल के लिए सामान्यरूप से निकली थी. पूरा दिन स्कूल में उपस्थित भी रही. अनमनी थी, उदास थी पर यों निकल जाने का कोई इरादा न था. छुट्टी के समय न जाने क्या सूझा. बस्ता पेड़ पर टांग कर गई तो थी कैंटीन से एक चिप्स का पैकेट लेने, लेकिन कैंटीन के पास वाले छोटे गेट को खुला देख कर बाहर निकल आई. खाली हाथ स्कूल के पीछे के पहाड़ी रास्ते पर आ गई. कहां जा रही है, कुछ पता न था. कुछ सोचा भी नहीं था. बारबार, बस, मां के बोल मस्तिष्क में घूम रहे थे. अंधेरा घिरने पर जी घबराने लगा था. अब कदम वापस मोड़ भी नहीं सकती थी. मां का रौद्र रूप बारबार सामने आ जाता था. उस गुस्से से बचने के लिए ही वह निकली थी. निकली भी क्या, बस यों लगा था जैसे कुछ देर के लिए सबकुछ से बहुत दूर हो जाना चाहती है, कोई बोल न पड़े कान में…

पर अब कहां जाए? उसे किसी सराय का पता न था. जो पैसे थे, उन से उस ने बस की टिकट ली थी. अंधेरे में बस से उतरने की हिम्मत न हुई. चुपचाप बैठी रही. कुछ ऐसे नीचे सरक गई कि आगे, पीछे से खड़े हो कर देखने पर किसी को दिखाई न दे. सोचा था ड्राइवर बस खड़ी कर के चला जाएगा और वह रातभर बस में सुरक्षित रह सकेगी.

ये भी पढ़ें- बच्चे की चाह में : राजो क्या बचा पाई अपनी इज्जत

बाहर हवा में खुनक थी. अंदर पेट में कुलबुलाहट थी. प्यास से होंठ सूख रहे थे. पर वह चुपचाप बैठी रही. नानीमामी बहुत याद आ रही थीं. घर से कोई भी कहीं जाता, पूड़ीसब्जी बांध कर पानी के साथ देती थीं. पर वह कहां किसी से कह कर आई थी. न घर से आई थी, न कहीं जाने को आई थी. बस, चली आई थी. किसी के बस में चढ़ने की आहट आई. उस ने अपनी आंखें कस कर भींच लीं. पदचाप बहुत करीब आ गई और फिर रुक गई. उस की सांस भी लगभग रुक गई. न आंखें खोलते बन रहा था, न बंद रखी जा रही थीं. जीवविज्ञान में जहां हृदय का स्थान बताया था वहां बहुत भारी लग रहा था. गले में कुछ आ कर फंस गया था. वह एक पल था जैसे एक सदी. अनंत सा लगा था.

‘‘कौन हो तुम? आंख खोलो,’’ कंडक्टर सामने खड़ा था, ‘‘मैं तो यों ही देखने चढ़ गया था कि किसी का सामान वगैरा तो नहीं छूट गया. तुम उतरी क्यों नहीं? जानती नहीं, यह बस आगे नहीं जाएगी.’’ उस के चेहरे का असमंजस, भय वह एक ही पल में पढ़ गया था, ‘‘कहां जाओगी?’’

उस समय, उस के मुंह से अटकते हुए निकला, ‘‘जी…जी, मैं सुबह दूसरी बस से चली जाऊंगी, मुझे रात में यहीं बैठे रहने दीजिए.’’

‘‘जाना कहां है?’’

…यह तो उसे भी नहीं पता था कि जाना कहां है.

कुछ जवाब न पा कर कंडक्टर फिर बोला, ‘‘घर कहां है?’’

यह वह बताना नहीं चाहती थी, डर था वह घर फोन करेगा और उस के आगे की तो कल्पना से ही वह घबरा गई. बस, इतना ही बोली, ‘‘मैं सुबह चली जाऊंगी.’’

‘‘तुम यहां बस में नहीं रह सकती, मुझे बस बंद कर के घर जाना है.’’

‘‘मुझे अंदर ही बंद कर दें, प्लीज.’’

‘‘अजीब लड़की हो, मैं रातभर यहां खड़ा नहीं रह सकता,’’ वह झल्ला उठा था, ‘‘मेरे साथ चलो.’’

कोई दूसरा रास्ता न था उस के पास. इसलिए न कोई प्रश्न, न डर, पीछेपीछे चल पड़ी.

बसअड्डे तक पहुंचे तो कंडक्टर ने इशारा कर एक रिकशा रुकवाया और बोला, ‘‘बैठो.’’ रिकशा तेज चलने से ठंडी हवा लगने लगी थी. कुछ हवा, कुछ अंधेरा, वह कांप गई.

उस की सिहरन को सहयात्री ने महसूस करते हुए भी अनदेखा किया और फिर एक प्रश्न उस की ओर उछाल दिया, ‘‘घर क्यों छोड़ कर आई हो?’’

‘‘मैं वहां रहना नहीं चाहती.’’

‘‘क्यों?’’

‘‘कोई मुझे प्यार नहीं करता, मैं वहां अनचाही हूं, अवांछित हूं.’’

‘‘सुबह कहां जाओगी?’’

‘‘पता नहीं.’’

‘‘कहां रहोगी?’’

‘‘पता नहीं.’’

‘‘कोई तो होगा जो तुम्हें खोजेगा.’’

‘‘वे सब खोजेंगे.’’

‘‘फिर?’’

‘‘परेशान होंगे, और मैं यही चाहती हूं क्योंकि वे मुझे प्यार नहीं करते.’’

‘‘तुम सब से ज्यादा किसे प्यार करती हो?’’

‘‘अपनी नानी से, मैं 3 महीने की थी जब मेरी मां ने मुझे उन के पास छोड़ दिया.’’

‘‘वे कहां रहती हैं?’’

‘‘मथुरा में.’’

‘‘तो मथुरा ही चली जाओ?’’

‘‘मेरे पास टिकट के पैसे नहीं हैं.’’ अब वह लगभग रोंआसी हो उठी थी.

वह ‘हूंह’ कह कर चुप हो गया था.

हवा को चीरता मोड़ों पर घंटी टुनटुनाता रिकशा आगे बढ़ता रहा और जब एक संकरी गली में मुड़ा तो वह कसमसा गई थी. आंखें फाड़ कर देखना चाहा था घर. घुप्प अंधेरी रात में लंबी पतली गली के सिवा कुछ न दिखा था. कुछ फिल्मों के खौफनाक दृश्यों के नजारे उभर आए थे. देखी तो उस ने ‘उमराव जान’ भी थी. आवाज से उस की तंद्रा टूटी.

‘‘बस भइया, इधर ही रोकना,’’ उस ने कहा तो रिकशा रुक गया और उन के उतरते ही अपने पैसे ले कर रिकशेवाला अंधेरे को चीरता सा उसी में समा गया था. वह वहां से भाग जाना चाहती थी. कंडक्टर ने उस का हाथ पकड़ एक दरवाजे पर दस्तक दी थी. सांकल खटखटाने की आवाज सारी गली में गूंज गई थी.

भीतर से हलकी आवाज आई थी, ‘‘कौन?’’

‘‘दरवाजा खोलो, पूनम,’’ और दरवाजा खोलते ही अंदर का प्रकाश क्षीण हो सड़क पर फैल गया. उस पर नजर पड़ते ही दरवाजा खोलने वाली युवती अचकचा गई थी. एक ओर हट कर उन्हें अंदर तो आने दिया पर उस का सारा वजूद उसे बाहर धकेलरहा था. दरवाजा एक छोटे से कमरे में खुला था, ठीक सामने एक कार्निस पर 2 फूलदान सजे थे, बीच में कुछ मोहक तसवीरें. एक कोने में एक छोटा सा रैक था जिस पर कुछ डब्बे थे, कुछ कनस्तर, एक स्टोव और कुछ बरतन, सब करीने से लगे थे. एक ओर छोटा पलंग जिस पर साफ धुली चादर बिछी थी और 2 तकिए थे. चादर पर कोई सिलवट तक न थी.

ये भी पढ़ें- Short Story: राजू बन गया जैंटलमैन

कुल मिला कर कम आय में सुचारु रूप से चल रही सुघड़ गृहस्थी का आदर्श चित्र था. वह भी ऐसा ही चित्र बनाना चाहती थी. बस, अभी तक उस चित्र में वह अकेली थी. अकेली, हां यही तो वह कह रहा था. ‘‘पूनम, यह लड़की बसअड्डे पर अकेली थी. मैं साथ ले आया. सुबह बस पर बिठा दूंगा, अपनी नानी के घर मथुरा चली जाएगी.’ युवती की आंखों में शिकायत थी, गरदन की अकड़ नाराजगी दिखा रही थी. वह भी समझ रहा था और शायद स्थिति को सहज करने की गरज से बोला, ‘‘अरे, आज दोपहर से कुछ नहीं खाया, कुछ मिलेगा क्या?’’

युवती चुपचाप 2 थालियां परोस लाई और पलंग के आगे स्टूल पर रखते हुए बोली, ‘‘हाथमुंह धो कर खा लो, ज्यादा कुछ नहीं है. बस, तुम्हारे लिए ही रखा था.’’ दोपहर से तो उस ने भी कुछ नहीं खाया था किंतु इस अवांछिता से उस की भूख बिलकुल मर गई थी. घर का खाना याद हो आया, सब तो खापी कर सो गए होंगे, शायद. क्या कोई उस के लिए परेशान भी हो रहा होगा? जैसेतैसे एक रोटी निगल कर उस ने कमरे के कोने में बनी मोरी पर हाथ धो लिए और सिमट कर कमरे में पड़ी इकलौती प्लास्टिक की कुरसी पर बैठ गई.

पूनम नाम की उस युवती ने पलंग पर पड़ी चादर को झाड़ा और चादर के साथ शायद नाराजगी को भी. फिर जरा कोमल स्वर में बोली, ‘‘क्या नाम है तुम्हारा, घर क्यों छोड़ आई?’’ ‘‘जी’’ कह कर वह अचकचा गई.

‘‘नहीं बताना चाहती, कोई बात नहीं. सो जाओ, बहुत थकी होगी.’’ शायद वह उस की आंखों के भाव समझ गई थी. एक ही पलंग दुविधा उत्पन्न कर रहा था. तय हुआ महिलाएं पलंग पर सोएंगी और वह आदमी नीचे दरी बिछा कर. वे दोनों दिनभर के कामों से थके, लेटते ही सो गए थे. हलके खर्राटों की आवाजें कमरे में गूंजने लगीं. उस की आंख में तो नींद थी ही नहीं, प्रश्न ही प्रश्न थे. ऐसे प्रश्न जिन का वह उत्तर खोजती रही थी सदा.

आगे पढ़ें- उस के स्कूल में दौड़ प्रतियोगिता हुई थी…

ये भी पढ़ें- अपनी ही दुश्मन: कविता के वैवाहिक जीवन में जल्दबाजी कैसे बनी मुसीबत

मुक्ति का बंधन- भाग 3: अभ्रा क्या बंधनों से मुक्त हो पाई?

घर आ कर मेरे कुछ भी कर जाने की धमकी के आगे झुक कर पापा ने मां को बुलवा लिया. अब शठे शाठ्यम समाचरेत यानी जिस ने लाठी का प्रयोग किया उस के लिए लाठी का ही तो प्रयोग करना पड़ेगा, समान आचरण से ही क्रूर इंसान को सीख मिल सकेगी.

एक तरफ मुझे ट्रेनिंग में वापस जाने की हड़बड़ी थी. दूसरी ओर शादी वाले युवक से पीछा छुड़ाना था. और तो और, प्रबाल के लिए हमारे परिवार में एक स्थान बनाना था ताकि मुझे ले कर उस की कोशिश को महत्त्व मिल सके.

सब से पहले मैं ने प्रबाल से बात की. वह सहर्ष तैयार हो गया कि नाना और पापा की कड़ी को जोड़ने में वह मुख्य भूमिका में आएगा. धीरेधीरे उस की पहल पर नाना की प्रबाल के साथ जहां अच्छी ट्यूनिंग हो गई वहीं मेरे पापा के स्वभाव के प्रति भी उन में नर्म रुख आया.

इधर, एचआर मैनेजर मैम को उन की बात की याद दिलाते हुए मैं ने उन से मुझे जल्द ट्रेनिंग में वापस बुलाने को कहा. मैम मेरी आत्मनिर्भरता की सोच का स्वागत करती थीं और उन्होंने पापा पर जोर डाला कि वे मेरी ट्रेनिंग को पूरी करने दें. अड़ी तो मैं भी थी. उन्होंने भी सोचा कि एक बार यह पारंपरिक बिजनैसमैन फैमिली में चली गई तो यों ही इस का बेड़ा गर्क होने ही वाला है. कहीं ज्यादा रोक से बिगड़ गई तो लड़के वालों के सामने हेठी हो जाएगी. पापा ने मुझे ट्रेनिंग में जाने दिया. प्रबाल मुझ पर लगातार नजर रखे था.

एक दिन बड़ी घुटी सी महसूस कर रही थी मैं. माइग्रेन से सिर फटा जा रहा था मेरा. प्रबाल पास आया और मुझे देखता रहा, फिर कहा, ‘‘व्यर्थ ही परेशान होती हो. मैं हूं तुम्हारा दोस्त, क्यों इतना सोचती हो. तुम मेरे साथ होती हो तो मुझे खुशी होती है, और मैं यह तुम से कह कर और ज्यादा खुश होना चाहता हूं. तुम भी कहो, अगर मैं तुम्हारे किसी काम आ सकूं तो. इस से मुझे बेहद खुशी होगी. विचारों को खुला छोड़ो. इतना घुटती क्यों हो?’’

मैं, बस, रो पड़ी. मेरी स्थिति भांप कर प्रबाल ने आगे कहा, ‘‘मैं तुम्हारे साथ हूं अभ्रा, तुम चाहो तब भी और न चाहो, तब भी. जरूरी नहीं कि हम सामाजिक रीति से पतिपत्नी बनें कभी, लेकिन साथ होने का एहसास, जो समझे जाने का एहसास है, वह अनमोल है. अगर मेरा तुम से जुड़े रहना तुम्हें पसंद नहीं, तो बेझिझक तुम वह भी कह दो. हां, मैं तुम्हें भूलने की गारंटी तो नहीं दे सकूंगा, लेकिन तुम जैसा चाहोगी वैसा ही होगा.’’

आंखों में आंसू थे मेरे जरूर, लेकिन दिल में सुकून के फूल खिल उठे थे. सच, प्रबाल की सोच मेरी सोच के कितने करीब थी.

ये भी पढ़ें- बेवफाई: हीरा ने क्यों दिया रमइया को धोखा

जब तुम्हें कोई पसंद आता है तो तुम अपनी मरजी से उसे पसंद करते हो. फिर बंधन के नाम पर प्रेम की जगह उम्मीदों, आदेशों, निर्देशों और खुद की मनमानी की जंजीरों से क्यों बांध देते हो उसे? यह तो सामने वाले के दायरे को संकरा करना हुआ.

परिवार में पिता कमा कर लाता है, अपना दायित्व निभाता है. यह उस का बड़प्पन है. लेकिन बदले में परिवार के अन्य सदस्यों के विचारों और इच्छाओं का मान न करना, अपनी मनमानी करना, न्यायसंगत नहीं है. पैसे के बदले उसे ऐसे अधिकार तो नहीं मिल सकते. बच्चे पैदा करने में आप ने किसी पर दया तो नहीं की थी. विचारों के उथलपुथल के बीच मैं सुन्न सी पड़ गई थी.

प्रबाल ने कहा, ‘‘जो भी परेशानी हो, मुझे बताना. मैं हल निकालूंगा.’’

शादी वाले युवक का फोन नंबर कुछ सोच कर मैं ने पापा से यह कह कर रख लिया था कि शादी से पहले परिचय कर लूंगी फोन पर. बाद में मैं ने यह नंबर प्रबाल को दिया और हम ने इस पर मंथन करना शुरू किया.

प्रबाल इस बीच नाना के साथ अपनेपन की जमीन तैयार कर चुका था. अब वह वहां जा कर मेरे उन विचारों से मेरे घर वालों को अवगत करा रहा था जिन में अब तक किसी की दिलचस्पी नहीं थी. उस ने नाना से अपनी बात पूरी करते हुए कहा, ‘‘अहंकार पर मत लो नाना. मैं समझता हूं उसे, क्योंकि मैं ने समझने की कोशिश की है. आप लोग उस के ज्यादा करीबी जरूर हो, लेकिन बात किसी को महत्त्व देने की है. आप लोग खुद को और खुद की सोचों को ज्यादा महत्त्व देते हो और मैं अभ्रा को. इसलिए, मैं ज्यादा आसानी से उसे समझ पाता हूं.’’

नाना इतने भी अडि़यल नहीं थे, वे समझ गए और मुझे मदद देने को तैयार हो गए. शादी वाले युवक को फोन कर नाना ने कहा, ‘‘बेटा, आप का बहुत ही परंपरावादी परिवार है, लेकिन यह शादी आप को कोई सुख नहीं दे पाएगी. लड़की के पिता सिर्फ बेटी को सजा देने के लिए यह शादी करवा रहे हैं. लेकिन बेटी किसी दबाव या मनमानी सह कर नहीं जिएगी. वह स्वतंत्र सोच वाली आधुनिक लड़की है. शादी के बाद आप सब की जगहंसाई न हो. बाकी, आप की इच्छा.’’

लड़के ने तुरंत फोन रखने की कोशिश में कहा, ‘‘मैं नहीं करने वाला यह शादी, मुझे शुरू से ही शक था.’’

‘‘सुनो बेटे, सुनोसुनो, यह तुम मत कहना कि हम ने आगाह किया तुम्हें, क्योंकि लड़की के पापा के डर से हमें यह कहना पड़ेगा हम ने ऐसा नहीं कहा. और तुम प्रमाण देने लगे तो हमें फिर और दूसरा रास्ता अपनाना पड़ेगा. आप लोग लड़के वाले हो, लड़की के बारे में पता करना आप का हक है. इसी लिहाज से कह देना कि आप को लड़की जमी नहीं.’’

‘‘हां, कह दूंगा.’’

बात शांति से खत्म. पापा को जब सुनने में आया कि होटल मैनेजमैंट पढ़ने वाली लड़की खानदानी बहू नहीं बन सकती और इसलिए रिश्ता खत्म, तो पापा ने खूब लानत भेजी मुझे. मैं ने भी कह दिया, ‘‘अब तो कहीं ऊंची नौकरी कर लूं तभी आप की कटी नाक फिर से निकले. फीस जारी रखिए ताकि अपने पैरों पर खड़ी हो कर आप का नाम रोशन करूं.’’

‘‘और लड़कों के साथ जो भाग जाती हो?’’

‘‘एक दोस्त है मेरा प्रबाल, लड़की की शक्ल नहीं है उस की. बस, इतना ही कुसूर है. थोड़ा तो आगे बढि़ए पापा.’’

इस बीच, प्रबाल नाना की पुरानी सोचों में काफी बदलाव ले आया था. वे अब नई पीढ़ी को समझने को तैयार रहने लगे थे. मैं ट्रेनिंग में ही थी और होटल का बंकर ही फिलहाल मेरा ठिकाना था.

मेरे जन्मदिन पर नाना ने अपने घर में एक छोटा सा आयोजन रखा और कुछ परिचितों को बुलाया. पार्टी के खास आकर्षण मेरे मांपापा थे जिन्हें नाना ने अपनी वाकपटुता से आने के लिए राजी कर लिया था. निसंदेह इस में प्रबाल की दक्षता भी कम नहीं थी.

प्रबाल का मानना था कि तोड़ने में हम जितनी ऊर्जा गंवाते हैं, जोड़ने में उतनी ही ऊर्जा क्यों न गंवा कर देखा जाए. जिंदगी को खूबसूरती से जिया जाए तो दुनिया की सुंदरता को हम शिद्दत से महसूस कर सकते हैं.

प्रबाल और मेरी उपस्थिति में जब एक अच्छी पार्टी रात गए खत्म हुई तो नाना ने प्रबाल को रात हमारे साथ ही रुक जाने को कहा.

पापा का पहला सवाल, ‘‘अभी तक यहां क्यों है?’’ इशारा प्रबाल की ओर था उन का.

नाना ने कहा, ‘‘ताकि हम सब साथ हो सकें. कुछ देर रुक कर मेरी बात सुनो आकाश, किसी की कुछ न सुनना और अपना फरमान दूसरों पर थोप देना, तुम्हारी यह आदत तुम्हें दूसरों की नजर में गिरा रही है.’’

‘‘मैं आप का कोई ज्ञान नहीं सुनूंगा. आप बेटी के बाप हैं, उतना ही रहें.’’

‘‘बस पापा,’’ मैं कूद पड़ी थी बीच में, ‘‘पुराने ढकोसलों से पटी पड़ी आप की सोच और उन निरर्थक सोचों पर आप की दूसरों की जिंदगी चलाने की कोशिश हमें ले डूबेगी. आप बुरी तरह अहंकार की चपेट में हैं, पैसे और रुतबे की धौंस से आप अपने परिवार को बांधे नहीं रख सकते. जिंदगीभर आप तानाशाही नहीं चला सकते. आप मेरा खर्च उठा कर अपना कर्तव्य निभा रहे हैं, बदले में लेने की कुछ फिक्र न करें. बेटी का पिता कह कर किसे नीचे दिखा रहे हैं? आप क्या हैं?’’

ये भी पढ़ें- Short Story: नाजुक गुंडे

मेरी मां अवाक मुझे देख रही थीं. अचानक बोल उठीं, ‘‘यह प्रबाल की संगत का असर है, वरना सोच तो कब से थी हम में, लेकिन बोलने की हिम्मत कहां थी.’’

‘‘यही तो चाहते रहे पापा कि उन के आगे किसी की हिम्मत नहीं पड़े. उन्हें कभी हिम्मत हुई कि अपने अंदर के अहंकार के शिलाखंड को तोड़ें? कोशिश ही नहीं की कभी खुद को गलत कहने की, खुद की सोचों को मथने की.’’

पापा सिर झुकाए बैठे रहे जैसे सिर से पैर तक  ज्वालामुखी पिघल कर गिरतेगिरते बर्फ सा जमता जा रहा था. धीरेधीरे उन्होंने सिर उठाया और प्रबाल की ओर देखा और देखते रह गए. 6 फुट की हाइट, गोरा, शांत, सुंदर चेहरा, समझदार ऐसा कि सब को साथ लिए चलने का हुनर हो जिस में, अच्छा परिवार, लेकिन नौकरीकैरियर? होटल? नहींनहीं.

पापा अभी कुछ नकारात्मक कह पड़ते, इस से पहले मैं ने कमान संभाल ली, ‘‘पापा, अभी मुझे काफी कुछ करना है, दुनिया को अपने सिरे से ढूंढ़ना है, इसलिए नहीं कि मैं मनमानी करना चाहती हूं, बल्कि इसलिए क्योंकि मुझे खुद को खुद के अनुसार गढ़ना है किसी अन्य के अनुसार नहीं.

‘‘मेरे खयाल से प्रबाल अगर होटल लाइन में है तो यह उस की खुद की मरजी है, किसी और की मरजी की गुलामी कर के आप के अनुसार किसी खानदानी लाइन जैसे कि डाक्टरी या इंजीनियरिंग में जाता और अपना परफौर्मैंस खराब करता तो क्या वह किसी काम का होता?’’

तुरंत मां ने कहा, ‘‘हम प्रबाल को अपना समझते हैं. यह हमेशा हमारे परिवार के साथ खड़ा रहा है. मेरे हिसाब से आकाश, आप भी समझ रहे होंगे. हम इसे अपने लिए बांध कर रख लेते हैं. अभ्रा को पढ़ने देते हैं.’’

पापा ने पहली बार खुलेदिल से प्रबाल की ओर देखा, फिर मां से कहा, ‘‘ठीक है.’’

ये दो शब्द उपस्थित सारे लोगों की सांसों में सुगंधित, मीठी बयार भर गए.

प्रबाल समझ गया था कि उसे राजगद्दी मिल चुकी है लेकिन उसे राजगद्दी से ज्यादा ‘मैं’ चाहिए थी. वह मेरी भावनाओं को अच्छी तरह समझता था.

उस ने कहा, ‘‘मां, मैं वचन देता हूं मैं आप सब का ही हूं और रहूंगा. मैं अभ्रा को छोड़ कर कहां जाऊंगा? मगर उसे खुल कर जीने दें. उसे जब जैसे मेरे साथ आना हो, आए. यह मुक्ति का बंधन है, टूटेगा नहीं.’’

मैं प्रबाल की आंखों से उतर कर जाने कहां खो कर भी प्रबाल में ही समा गई. हां, यह मुक्ति का ही बंधन था जिस ने मुझे अदृश्य डोर में बांधे रखे था, बिना बंधन का एहसास दिए.

ये भी पढ़ें- काली की भेंट: क्या हुआ पुजारीजी के साथ

कोरोना मुक्त होने के बाद घर को सेनेटाइज करने के 5 टिप्स

कोरोना की दूसरी लहर से देश में अधिकांश लोग प्रभावित हुए हैं. अस्पताल जाने की अपेक्षा जहां तक सम्भव हुआ लोगों ने होमआइसोलेशन के विकल्प को चुना. यदि आप भी कोरोना संक्रमण के दौरान होम आइसोलेशन में थे और अब ठीक हो चुके हैं तो घर को भी पूरी तरह संक्रमण मुक्त करना आवश्यक है. घर की किस प्रकार से साफ सफाई की जाए कि वह पूरी तरह कोरोना मुक्त हो जाये. इसी को परिलक्षित करते हुए कुछ टिप्स यहां पर प्रस्तुत हैं

 1-ग्लव्स का प्रयोग करें

कोरोना संक्रमण के बाद आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कम हो जाती है, और घर की सफाई के लिए फिनायल या लाइजोल जैसे प्रोडक्ट का आप प्रयोग करेंगी इसलिये ग्लव्स और मास्क का प्रयोग

अवश्य करें. घर के प्रत्येक हिस्से में झाड़ू लगाकर फिनायल आदि से पोंछा लगाएं. खिड़कियां, दरवाजे खोल दें ताकि ताजी हवा का आवागमन हो सके.

2-गर्म पानी का प्रयोग करें

ठंडे पानी की अपेक्षा गर्म पानी में संक्रमण समाप्त करने की अधिक क्षमता अधिक होती है, इसलिए सफाई के लिए गर्म पानी का प्रयोग करें. फ्लोर पर पहले गर्म फिर ठंडे पानी से पोंछा लगाएं. हो सके तो पोंछा लगाने के लिए साफ नए कपड़े का प्रयोग करें.

ये भी पढ़ें- क्या आपके फ्रिज से भी आती है बदबू

3-सेनेटाइजर का करें प्रयोग

टेबल, कुर्सी, दरवाजा, स्विच बोर्ड, जैसी सभी वस्तुओं को सेनेटाइजर से स्प्रे करके डस्टर से भली भांति पोंछे ताकि संक्रमण का नामो निशान भी न रहे.

4-गजेट्स की भी करें सफाई

गजेट्स की सफाई के लिए कोलीन जैसे कॉमन डिसइन्फेक्ट का प्रयोग करें. गजेट्स पर सीधे स्प्रे करने के स्थान पर टिश्यू पेपर पर डिसइन्फेक्ट स्प्रे करके उससे साफ करें ताकि उनके अंदर पानी या एल्कोहल जाने की गुंजाइश न रहे.

5-ये भी रखें ध्यान

घर के पर्दे, बेडशीट, कुशन कवर आदि को बदलकर तुरन्त धो दें. खिड़कियों और दरवाजों को साबुन युक्त पानी से धो दें. कोरोना काल के दौरान प्रयोग किये गए सभी बर्तनों को भी साबुन युक्त पानी से धोकर धूप में सूखने दें फिर प्रयोग करें.

कोरोना के दौरान प्रयोग किये गए ऑक्सीमीटर, थर्मामीटर, बी पी इंस्ट्रूमेंट, स्टीमर, नेबुलाइजर आदि को भी कोलीन आदि से साफ करके रखें. अंत में पूरे घर में सेनेटाइजर स्प्रे कर दें.

ये भी पढ़ें- घर की सफाई के लिए ट्राय करें ये 18 गैजेट्स

टीकाकरण और जांच में उत्तर प्रदेश ने पकड़ी रफ्तार

लखनऊ . उत्तर प्रदेश के जनपदों में कराए गए सीरो सर्वे के शुरुवाती नतीजे सकारात्मक आए हैं. प्रदेश में कराए गए सीरो सर्वे के शुरुआती नतीजों के मुताबिक सर्वेक्षण में लोगों में हाई लेवल एंटीबॉडी की पुष्टि हुई है. बता दें कि प्रदेश में चार जून से सभी जनपदों में सीरों सर्वे को शुरू किया गया था  सीरो सर्वे प्रदेश के सभी 75 जिलों में किया गया. सर्वे के जरिए किस जिले के किस क्षेत्र में कोरोना का कितना संक्रमण फैला और आबादी का कितना हिस्सा संक्रमित हुआ इसकी पड़ताल इस सर्वे से की गई. इसके साथ ही इस सर्वे के जरिए कितने लोगों में कोरोना से लड़ने के लिए एंटीबाडी बन चुकी है इसकी जानकारी एकत्र की गई है. ऐसे में सीरो सर्वे के शुरुवाती नतीजे सकारात्मक आना प्रदेशवासियों के लिए राहत भरी खबर है.

टीकाकरण और जांच में रफ्तार पकड़ते हुए नए वेरिएंट डेल्टा प्लस की जांच को अनिवार्य करते हुए युद्धस्तर पर कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए जमीनी स्तर पर तैयारियों को अंतिम रूप प्रदेश में दिया जा रहा है. प्रदेश में एक्टिव केस की संख्या में कमी होने की बावजूद भी प्रदेश में ट्रिपल-टी की रणनीति पर कार्य किया जा रहा है. प्रदेश में संक्रमण दर 0.1 प्रतिशत से भी कम स्तर पर आ चुकी है, जबकि रिकवरी रेट 98.5 प्रतिशत पहुंच गया है. बता दें कि ज्यादातर जिलों में संक्रमण के नए केस इकाई की संख्या  में दर्ज किए जा रहे हैं, तो 50-52 से अधिक जिलों में 50 से कम एक्टिव केस ही रह गए हैं. प्रदेश में अब कुल एक्टिव केस की संख्या 3,423 है.

पिछले 24 घंटों में एक ओर जहां दो लाख 69 हजार 272 सैम्पल की जांच की गई, वहीं मात्र 226 नए पॉजिटिव केस सामने आए. उत्तर प्रदेश में अब तक 05 करोड़ 65 लाख 40 हज़ार 503 कोविड टेस्ट किए जा चुके हैं. प्रदेश में अब तक कुल 16 लाख 79 हजार 416 प्रदेशवासी कोरोना से लड़ाई जीत कर स्वस्थ हो चुके हैं.

सितंबर में हुआ था सीरो सर्वे

कोरोना की पहली लहर के दौरान पिछले साल सितंबर में 11 जिलों में सीरो सर्वे कराया गया था. यह सर्वे लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, गोरखपुर, आगरा, प्रयागराज, गाजियाबाद, मेरठ, कौशांबी, बागपत व मुरादाबाद में हुआ था.

मिशन जून के तहत निर्धारित समय से पाया यूपी ने लक्ष्य

मिशन जून के तहत एक माह में एक करोड़ प्रदेशवासियों के टीकाकरण के निर्धारित लक्ष्य को यूपी सरकार ने 24 जून को ही प्राप्त कर लिए. निशुल्क टीकाकरण अभियान के तहत प्रदेश में अब  प्रतिदिन सात लाख से अधिक डोज दी जा रही हैं. अब तक 02 करोड़ 90 लाख से अधिक वैक्सीन डोज लगाए जा चुके हैं. करीब 42 लाख लोगों ने टीके के दोनों डोज प्राप्त कर लिए हैं. एक जुलाई से हर दिन न्यूनतम 10 लाख लोगों को टीका-कवर देने का लक्ष्य यूपी सरकार ने निर्धारित किया है. विकास खंडों को क्लस्टर में बांटकर वैक्सीनेशन की नीति के अच्छे परिणाम प्रदेश में देखने को मिले हैं. पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर यह एक तिहाई विकास खंडों में लागू है  अब सरकार जल्द ही एक जुलाई से इसे पूरे प्रदेश में लागू करेगी.

दुल्हन बनीं ‘लॉकडाउन की लव स्टोरी’ फेम सना सैय्यद, व्हाइट लहंगे में दिखा प्रिसेंस लुक

स्टार प्लस के सीरियल ‘दिव्य दृष्टि’ (Divya Drishti) एक्ट्रेस सना सैय्यद (Sana Sayyad) ने बीते दिन 25 जून को बॉयफ्रेंड ईमाद शम्सी (Imaad Shamsi) के साथ निकाह किया, जिसके फोटोज सोशलमीडिया पर छाई हुई हैं. जहां सना के दोस्त शादी में जमकर मस्ती करते नजर आए तो वहीं दुल्हन बनी सना भी पति ईमाद संग पार्टी का मजा लेती नजर आईं. आइए आपको दिखाते हैं सना सैय्यद की शादी से जुड़ी खास यादों की झलक…

दुल्हन बनीं सना सैय्यद

‘लॉकडाउन की लव स्टोरी’ (Lockdown Ki Love Story) एक्ट्रेस सना सैय्यद और ईमाद शम्सी के निकाह की फोटोज की बात करें तो दुल्हन के लिबाज में सना बेहद खूबसूरत लग रही थीं. गोल्डन और बेज कलर के लहंगे में जहां सना जलवे बिखेर रही थीं. तो वहीं उनके दुल्हे राजा ईमाद शम्सी आयवरी कलर की शेरवानी में सना को टक्कर देते नजर आ रहे थे.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by 💞Drishti 💞 (@cutie_sana_sayyad)

ये भी पढ़ें- अनुपमा से अपने पांव दबवाएगी काव्या, देखें वीडियो

दोस्त हुए निकाह में शामिल

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Aly’s Creations (@lovlyy.aly)

सना सैय्यद के निकाह में सेलेब्स भी नजर आए. जहां उनके टीवी शो ‘दिव्य दृष्टि’ को-स्टार रह चुके एक्टर अध्विक महाजन अपनी वाइफ संग शामिल हुए तो वहीं इसी सीरियल से जुड़े कुछ और सितारे भी शादी में जमकर मस्ती करते नजर आए. साथ ही सना भी दोस्तों संग जमकर ठुमके लगाती दिखीं.

 शादी के फोटोज पर फिदा हुए फैंस

एक्ट्रेस सना सैय्यद और ईमाद शम्सी के निकाह की फोटोज और वीडियो सोशलमीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं. जहां फैंस उन्हें बधाइयां दे रहे हैं. तो वहीं रोमांटिक अंदाज में नजर आईं सना सय्यद की अदाओं को देख फैंस उनके कायल हो गए हैं.

बिदा होते हुए कुछ यूं था अंदाज

बिदाई के दौरान जहां इमोशनल होते हुए नजर आती हैं तो वहीं एक्ट्रेस सना सैय्यद खुशनुमा माहौल में नजर आईं. हंसते हुए वह अपने घर से बिदा हुईं, जिसे देख फैंस मजेदार रिएक्शन दे रहे हैं.

ये भी पढ़ें- Barrister Babu की छोटी बोंदिता का सफर हुआ खत्म, फेयरवेल पार्टी में इमोशनल हुआ अनिरुद्ध

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Aly’s Creations (@lovlyy.aly)

बता दें, एक्ट्रेस सना सैय्यद और ईमाद शम्सी साथ पढ़ाई कर चुके हैं, जिसके बाद कुछ ही साल पहले दोनों ने एक-दूसरे को डेट करना शुरु किया.

इंटिमेट सीन्स नहीं कर सकतीं टीवी एक्ट्रेस रूपल त्यागी, पढ़ें इंटरव्यू  

 कोरियोग्राफर से अभिनय के क्षेत्र में आने वाली टीवी अभिनेत्री रूपल त्यागी बंगलुरु की है. शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने बंगलुरु में शामक डावर की डांस इंस्टिट्यूट ज्वाइन किया. उस दौरान उन्हें बॉलीवुड कोरियोग्राफर पोनी वर्मा को एसिस्ट करने का मौका, फिल्म ‘भूल भुलैया का गाना ‘मेरे ढोलना’…में मिला.दो साल तक वह मुंबई और बंगलुरु आना-जाना करती रही और बार-बार ऐसा करना संभव न हो पानेकी वजह से वह मुंबई शिफ्ट हो गयी. मुंबई आने के बाद रूपल कोरियोग्राफी के साथ-साथ अभिनय की भी ऑडिशन देने लगी. उनकी कोशिश तब रंग लायी, जब उन्हें पहली धारावाहिक ‘हमारी बेटियों का विवाह’ में मंशा कोहली की भूमिका मिली. इसके बाद उन्होंने ‘एक नयी छोटी सी जिंदगी, कसम से,सपने सुहाने लड़कपन के’ आदि कई धारावाहिकों में काम कर घर-घर पहचानी गयी. शांत और हंसमुख रूपल दंगल टीवी पर धारावाहिक ‘रंजू की बेटियां’ में बुलबुल की भूमिका निभा रही है. आइये जाने, रूपल की कहानी उनकी जुबानी.

सवाल- इस धारावाहिक में आप बुलबुल की भूमिका निभा रही है, आप कितनी एक्साइटेड और खुश है?

बुलबुल की भूमिका हर दिन मुझे सरप्राइज करता रहता है, मैंने अपने कैरियर में ऐसी भूमिका नहीं निभाई है. शो की शुरुआत में बुलबुल एक रेसलर थी, लेकिन अब वह किसी की बॉडीगार्ड है. एक राजनेता के बॉडीगार्ड की भूमिका आजतक टीवी पर नहीं दिखाया गया है, इसलिए इसे करने में मैं बहुत एन्जॉय कर रही हूं.

सवाल- लॉकडाउन के दौरान शूटिंग कैसे की और किस तरह की सावधानी आप खुद बरतती है?

लॉकडाउन के दौरान पूरी टीम सिलवासा चली गयी थी और वहां सेट पर एक बायोबबल एनवायरनमेंट में हम सभी थे, यूनिट से न कोई बाहर जाता और न कोई अंदर आता था. सिलवासा जाने के बाद सबने कोरोना टेस्ट कराया, हम सब एक रिसोर्ट में रहे, शूट किया, खाना-पीना और सोना सब वही करते रहे. बहुत अच्छी सुरक्षा सिलवासा में रखी गयी. मैंने अभी वैक्सीन नहीं लगवा है,जिन लोगों को स्लॉट मिला उन्होंने वैक्सीन ले लिया है. मैं खुद के लिए बहुत सावधान रहती हूं,मास्क पहनना, सेनेटाईज करना और अच्छा पौष्टिक आहार लेती हूं.

सवाल- अभिनय के क्षेत्र में आना एक इत्तफाक था, या बचपन से सोचा था?

मुझे बचपन से ही अभिनय की इच्छा थी और किसी भी माध्यम में अभिनय करना, मेरे लिए कुछ फर्क पड़ने वाला नहीं था. फिर चाहे वह विज्ञापन, साउथ फिल्म हो या थिएटर कुछ भी करना मुझे पसंद रहा है. मुझे 5 साल की उम्र से पता था कि मुझे एक्टिंग करना है. मुंबई आने पर मुझे टीवी में काम करना ठीक लगा, क्योकि मुझे सुबह उठकर काम पर जाना और शाम को घर लौटकर आना पसंद है. सेट पर समय बिताने में मुझे किसी प्रकार की समस्या नहीं है.

ये भी पढ़ें- अनुपमा से अपने पांव दबवाएगी काव्या, देखें वीडियो

सवाल- कोरियोग्राफर से एक्ट्रेस कैसे बनी?

मैं बंगलुरु से कोरियोग्राफी सीखने के बाद कोरियोग्राफर पोनी वर्मा को एसिस्ट करने मुंबई आई थी और फिल्म भूल भुलैया की कोरियोग्राफी ख़त्म करने के बाद मैंने एक्टिंग करने का मन बना लिया. कोरियोग्राफी से मुझे बहुत कुछ सीखने का अवसर मिला था. मैंने ऑडिशन देना शुरू किया और पहली टीवी शो ‘हमारी बेटियों का विवाह’ में मंशा की भूमिका निभाई. इस तरह धीरे-धीरे काम मिलना शुरू हो गया.

सवाल- पहली बार पेरेंट्स को कोरियोग्राफी छोड़कर अभिनय करने की इच्छा बताने पर उनके रिएक्शन क्या थे?

मैंने 5 साल की उम्र में एक विज्ञापन शूट किया था और वे जानते थे कि अभिनय मेरा पैशन है, क्योंकि छोटी अवस्था से मैं आईने के सामने खड़ी होकर कंघी को माइक बनाकर अभिनय करती थी. स्कूल में भी हर कार्यक्रम में भाग लेकर पेरेंट्स को इनवाइट किया करती थी. उनकी चिंता केवल इस बात की थी कि मैं मुंबई जाकर अच्छी तरह सेटल्ड हो जाऊं.

सवाल- पहला ब्रेक मिलना कितना मुश्किल था?

संघर्ष बहुत था, क्योंकि 100 से 200 ऑडिशन देने के बाद एक फाइनल होता है और शुरुआत में बात ऐसी ही थी. कहाँ कैसे ऑडिशन दिए जाते है, इसे समझने में समय लगा. एक बार समझ आने पर काम मिलना आसान हो जाता है,लेकिन तब प्रतिभा आपको आगे लाती है. धारावाहिक ‘सपने सुहाने लड़कपन के’ से मेरी जिंदगी बदली, इससे पहले जो काम मिले वे अधिक हिट शो नहीं थे. धारावाहिक ‘हमारी बेटियों का विवाह’ में मंशा कोहली की भूमिका मेरा पहला काम था.

सवाल- आप कोरियोग्राफी को छोड़कर एक्टिंग में आई, दोनों में क्या अंतर देखती है?

कोरियोग्राफी कैमरे के पीछे होता है, जबकि एक्ट्रेस परदे के सामने होती है. इसलिए एक आर्टिस्ट को अच्छा दिखने का प्रेशर रहता है, जबकि कोरियोग्राफी में ये प्रेशर नहीं होता औरव्यक्ति लुक छोड़कर काम पर अधिक मन लगा सकता है. इसके अलावा दोनों की फील्ड अलग है. एक में सिखाना पड़ता है, जबकि दूसरे में काम कर दिखाना होता है.

सवाल- क्या फिल्मों की तरह टीवी में भाई-भतीजावाद का कभी आपने सामना किया?

मैं नेपोटिज्म को अधिक नहीं मानती, स्वतंत्र भारत में सबको अपने मन मुताबिक काम करने की आज़ादी होनी चाहिए. ये सही है कि एक डॉक्टर पिता अपने बेटे को डॉक्टर ही बनाना चाहेगा, लेकिन बिना डॉक्टर की शिक्षा लिए,अगर उसे क्लिनिक में बैठाता है तो वह गलत बात है.वैसे ही एक एक्टर का अपने बेटे या बेटी को एक्टर बनाने की प्लानिंग को मैं गलत नहीं समझती.

सवाल- क्या आप हिंदी फिल्मों में काम करना नहीं चाहती?

मैं अभी टीवी पर काम कर बहुत संतुष्ट हूं, इस शो के समाप्त होने के बाद अगर कोई फिल्म मिले, तो मैं अवश्य करुँगी, क्योंकि मैं एक साथ 2 से 3 प्रोजेक्ट नहीं कर सकती. मेरा मन भटक जाता है. इसके अलावामैं इंटिमेट सीन्स नहीं कर सकती, जैसा आज फिल्में और वेब सीरीज में चल रही है. टीवी की काम से बहुत खुश हूं. मैं किसी रेस में नहीं हूं, इसलिए मुझे किसी भी काम के लिए जल्दबाजी नहीं करनी है. मैं ख़ुशी से जीना चाहती हूं.

ये भी पढ़ें- Barrister Babu की छोटी बोंदिता का सफर हुआ खत्म, फेयरवेल पार्टी में इमोशनल हुआ अनिरुद्ध

सवाल- फैशन आप कितनी पसंद करती है और कितनी फूडी है?

फैशन को मैं एन्जॉय करती हूं. नए कपडे और शूज मुझे बहुत पसंद है. साफ-सुथरा रहना मेरी आदत रही है. मुझे साधारण खान-पान पसंद है, माँ के हाथ का बनाया दाल चावल, पोहा बहुत पसंद है.

सवाल- कोई मेसेज जो देना चाहे?

मेरा सबसे कहना है कि लाइफ में बहुत कुछ कर लेने से ख़ुशी नहीं मिलती. सभी लोग पैसे के पीछे भाग रहे है. आज का दिन इकलौता ही है, जो पास्ट है उसकी कुछ यादगार लम्हे और भविष्य की कुछ इमेजिनेशन. इसे समझने वाला व्यक्ति आज को नष्ट नहीं करेगा. सभी को इस परिस्थिति को समझने की जरुरत है. किसी को सुनना बंद करें, अपना काम ईमानदारी से करें.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें