डेल्टा प्लस पर यूपी के विशेषज्ञ डॉक्टरों रहे तैयार : सीएम योगी

सुनियोजित नीति से कोरोना की पहली और दूसरी लहर पर लगाम लगाने वाले सीएम योगी आदित्यनाथ ने नई चुनौतियों का सामना करने के लिए यूपी में व्येवस्थातओं को सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं. दूसरे कई राज्यों में कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ‘डेल्टा प्लस’ से संक्रमित मरीजों की पुष्टि होने से सीएम ने अधिकारियों को अलर्ट मोड पर काम करने के निर्देश दिए हैं. जिसके तहत अब प्रदेश में कोविड के डेल्टा प्लस वैरिएंट की गहन पड़ताल के लिए अधिकाधिक सैम्पल की जीनोम सिक्वेंसिंग की जाएगी. प्रदेश में जीनोम सिक्वेंसिंग की सुविधा के लिए केजीएमयू और बीएचयू में सभी जरूरी व्यवस्थाएं उपलब्ध कराने के निर्देश सीएम ने आला अधिकारियों को दिए हैं. बता दें कि साल 2021 की शुरुवात में ही सरकार ने कोरोना संक्रमण के नए स्ट्रे न को ध्यान में रखते हुए लखनऊ के किंग जॉर्ज चिकित्सार विश्वमविद्यालय (केजीएमयू) में जीन सीक्वेंरसिंग की जांच को शुरू करने का फैसला लिया था. वायरस के नए स्ट्रेयन की पहचान समय से करने के लिए जीन सीक्वेंोसिंग की जांच केजीएमयू में जनवरी में ही शुरू कर दी गई थी.

प्रदेश में आने वाले सभी यात्रियों के आरटीपीसीआर टेस्ट के सैंपल से जीन सिक्वेंसिंग कराई जाएगी. रेलवे, बस , वायु मार्ग से प्रदेश में आ रहे लोगों के सैम्पल लेकर जीन सिक्वेंसिंग टेस्ट किया जाएगा. इसके साथ ही प्रदेश के जिलों से भी कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ‘डेल्टा प्लस’ के सैंपल लिए जाएंगे. रिपोर्ट के परिणाम स्वरूप डेल्टा प्लस प्रभावी क्षेत्रों की मैपिंग कराई जाने के आदेश सीएम ने दिए हैं.

डेल्टा प्लस पर विशेषज्ञ डॉक्टरों ने तैयार की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश में विशेष सतर्कता बरतते हुए समय रहते ही सरकार ने ठोस रणनीति बना ली है. विशेषज्ञों के अनुसार इस बार का वैरिएंट पहले की अपेक्षा कहीं अधिक खतरनाक है. राज्य स्तरीय स्वास्थ्य विशेषज्ञ परामर्श समिति ने इससे बचाव के लिए विस्तृत अनुशंसा रिपोर्ट तैयार की है. राज्य स्तरीय स्वास्थ्य विशेषज्ञ परामर्श समिति की रिपोर्ट के अनुसार दूसरे आयु वर्ग के लोगों की अपेक्षा इस नए वैरिएंट का दुष्प्रभाव बच्चों पर कहीं अधिक हो सकता है. सीएम ने विशेषज्ञों के परामर्श के अनुसार बिना देर किए सभी जरूरी कदम उठाए जाने के आदेश अधिकारियों को दिए हैं. राज्य स्तरीय स्वास्थ्य विशेषज्ञ परामर्श समिति के सदस्यों व अन्य वरिष्ठ चिकित्सकों के जरिए जनजागरूकता का कार्य भी किया जाएगा.

बीएचयू और केजीएमयू ने संभाली कमान

किंग जॉर्ज चिकित्सान विश्वनविद्यालय केजीएमयू के साथ ही बनारस के बीएचयू में जीन सीक्वेंरसिंग की जांच शुरू की गई है. यूपी में अभी तक जीन सीक्वेंनसिंग जांच के लिए सैंपल को पुणे भेजा जाता था पर अब प्रदेश में जांच शुरू होने से प्रदेश के बाहर स्थ्ति दूसरे संस्थाजनों में सैंपल नहीं भेजने पड़ेंगे. बता दें कि यूपी की पहली कोरोना टेस्टि लैब भी केजीएमयू में शुरू हुई थी.

जीन सीक्वेंसिंग अनिवार्य, दो हफ्तों में आएगी रिपोर्ट

अभी तक यूपी में आने वाले यात्रियों की एंटीजन और आरटीपीसीआर जांच कोरोना वायरस की पुष्टि के लिए कराई जा रही थी पर अब प्रदेश के सभी यात्रियों के आरटीपीसीआर सैंपल से जीनोम सिक्वेंसिंग कर ‘डेल्टा+’ की जांच को अनिवार्य कर दिया गया है. पॉजिटिव मरीज में कौन सा स्ट्रेसन मौजूद है इसकी जांच के लिए जीन सीक्वेंासिंग की जांच को अनिवार्य किया गया है. ‘डेल्टा प्लस’ की रिपोर्ट दो हफ्तों में आती है.

11 देशों में पाए गए 197 केस, भारत में आठ

जून 16 तक दुनिया के 11 देशों में 197 केस सामने आए जिसमें ब्रिटेन, भारत, कनाडा, जापान,नेपाल, पोलैंड,तौरकी यूएस समेत अन्य देश शामिल हैं. जिसमें भारत में आठ केस की पुष्टि की गई है.

माइक्रोबायोलॉजी विभाग की अध्येक्ष डॉ अमिता जैन ने बताया कि प्रदेश में मुख्य मंत्री योगी आदित्यानाथ के निर्देशानुसार लैब को एडवांस बनाते के लिए पहले से उपलब्ध संसाधनों के जरिए नई जांच को सबसे पहले केजीएमयू में शुरू किया गया था. संस्था न की जीन सीक्वें सर मशीन से इस जांच से सिर्फ वायरस के स्ट्रेोन की पड़ताल की जाएगी. इसके लिए लैब में कोरोना पॉजिटिव आए मरीजों के रैंडम सैंपल लिए जाएंगे.

GHKKPM: लाल साड़ी पहनकर सई ने जीता फैंस का दिल, विराट के साथ दिए रोमांटिक पोज

स्टार प्लस का सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin) की कहानी में आए दिन नए ट्विस्ट आ रहे हैं, जिसके कारण ये सीरियल टीआरपी चार्ट में टौप 5 में बना हुआ है. वहीं सीरियल के सितारे भी इस कड़ी मेहनत करते नजर आ रहे हैं. हालांकि वह सोशलमीडिया के जरिए फैंस को अपने लुक हो या मस्ती से जुड़ी वीडियो और फोटोज शेयर कर रहे हैं. इसी बीच सीरियल में सई का साड़ी लुक फैंस को बेहद पसंद आ रहा है. आइए आपको दिखाते हैं सई के साड़ी लुक्स की झलक…

फैंस कर रहे पसंद सई का अंदाज

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Ayesha Singh (@ayesha.singh19)

गुम है किसी के प्यार में की सई  (Ayesha Singh)  जब भी साड़ी कैरी करती है तो विराट के अलावा फैंस भी उनकी तारीफें करना नहीं भूलते. हाल ही में लेटेस्ट एपिसोड के लिए सई यानी आएशा सिंह ने रेड कलर की साड़ी में फोटोज शेयर की थी, जिसे फैंस काफी पसंद कर रहे हैं. वहीं सोशलमीडिया पर उनकी फोटोज वायरल हो रही हैं.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Ayesha Singh (@ayesha.singh19)

ये भी पढ़ें- नई नवेली दुलहन बनीं Sapna Choudhary, ट्रेडिशनल लुक में गिराईं बिजलियां

वाइट साड़ी में जीता फैंस का दिल

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Ayesha Singh (@ayesha.singh19)

एक से बढ़कर एक साड़ी में नजर आने वाली सई हाल ही में वाइट साड़ी पर मल्टी कलर पैटर्न वाले डिजाइन वाली साड़ी कैरी करते हुए नजर आईं थीं, जो बेहद खूबसूरत लग रहा था.

मराठी लुक में फैंस करते हैं तारीफें

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Ayesha Singh (@ayesha.singh19)

मराठी बहू सई के किरदार में नजर आने वाली आयशा का मराठी वेडिंग लुक भी बेहद खूबसूरत था. ग्रीन और रेड कलर के कौम्बिनेशन वाली साड़ी में आयशा बेहद खूबसूरत लग रही थीं. वहीं इसके साथ मराठी नथ के साथ ज्वैलपी उनके लुक को कम्पलीट कर रही थी, जिसे फैंस ने काफी पसंद किया था.

शादी के बाद कुछ यूं बदला सई का अंदाज

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Ayesha Singh (@ayesha.singh19)

विराट से शादी के बाद सई का लुक पूरी तरह चेंज हो गया है. अब वह हैवी और ट्रैंडी लुक में सजधजकर साड़ी पहने नजर आती हैं, जिसमें उनका लुक काफी खूबसूरत लगता है.

ये भी पढ़ें- नई नवेली दुल्हन के लिए परफेक्ट हैं ‘नुसरत जहां’ की ये साड़िया

तरुण तेजपाल आरोप मुक्त?

21मई को गोवा के कोर्ट द्वारा तहलका पत्रिका के प्रधान संपादक तरुण तेजपाल अपने पर 8 सालों से चल रहे बलात्कार के केस से बरी हो गए. 2013 में तरुण तेजपाल ने गोवा में तहलका पत्रिका के एक महाआयोजन के बीच एक पांचसितारा होटल की लिफ्ट में और होटल के कारिडौर में कम उम्र की एक सहकर्मी के साथ जिस तरह की अश्लील हरकतें की थीं, वे भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत बलात्कार की श्रेणी में आती हैं. गोवा पुलिस ने 30 नवंबर, 2013 को तेजपाल को गिरफ्तार किया था, मगर कुछ वक्त जेल में काटने के बाद फरवरी, 2014 से जमानत पर चल रहे थे.

तरुण तेजपाल पर गोवा की पुलिस उपाधीक्षक सुनीता सावंत द्वारा आईपीसी की धारा 342 (गलत तरीके से रोकना), 342 (गलत मंशा से कैद करना), 354 (गरिमा भंग करने की मंशा से हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करना), 354-ए (यौन उत्पीड़न), 376 (2) (महिला पर अधिकार की स्थिति रखने वाले व्यक्ति द्वारा बलात्कार) और 376 (2) (के) (नियंत्रण कर सकने की स्थिति वाले व्यक्ति द्वारा बलात्कार) के तहत यह मुकदमा दर्ज कराया गया था, मगर कोर्ट में वे इन में से किसी भी धारा के तहत दोषी साबित नहीं हुए.

क्या सुबूतों को मिटाया गया

उल्लेखनीय बात यह है कि यह मुकदमा गोवा पुलिस ने मीडिया में आई खबरों और प्रसारित वीडियो के चलते खुद संज्ञान ले कर दर्ज किया था. आखिर गोवा पुलिस की क्या दुश्मनी थी तरुण तेजपाल से कि जब उन्होंने कुछ किया ही नहीं था तो इतनी संगीन धाराओं में उन पर मुकदमा ठोंक दिया और 2,846 पन्नों की चार्जशीट लिख मारी?

आखिर कुछ तो गलत देखा था पुलिस ने. कुछ तो सुबूत लगे थे उस के हाथ. तभी तो इतनी लंबीचौड़ी चार्जशीट भी बनी, तो उस गलती की कुछ तो सजा मिलनी चाहिए थी तेजपाल को. मगर नहीं मिली, क्योंकि पुलिस को मैनेज कर लिया गया. सुबूतों को मिटाया गया ताकि कोर्ट में आरोप सिद्ध न हो सकें और तेजपाल को संदेह का लाभ मिल जाए. और फिर वही हुआ. तेजपाल बाइज्जत बरी हुए.

न्यायाधीश क्षमा जोशी ने अपने फैसले में लिखा है कि कोर्ट के समक्ष पेश किए गए सुबूतों पर विचार करने के बाद अभियुक्त (तरुण तेजपाल) को संदेह का लाभ दिया जाता है, क्योंकि अभियोजन पक्ष (पीडि़त पक्ष) द्वारा लगाए गए आरोपों का समर्थन करने वाला कोई सुबूत नहीं है.

ये भी पढ़ें- पीरियड्स पर आधारित फिल्मों को लोग गंभीरता से नहीं लेते- सुशील जांगीरा

अदालत ने कहा कि जांच अधिकारी ने  21 नवंबर, 2013 की महत्त्वपूर्ण सीसीटीवी फुटेज (पहली मंजिल की गैस्ट लिफ्ट) को देखा, जिस में साफ दिखता है कि आरोपी लिफ्ट से बाहर निकल रहा है. फुटेज को महत्त्वपूर्ण जानने के बाद भी ऐसा लगता है कि जांच अधिकारी ने फुटेज को जब्त करने में देरी की और इस बीच 7 नवंबर, 2013 की पहली मंजिल के सीसीटीवी फुटेज को नष्ट कर दिया गया.

अदालत ने यह भी कहा कि जांच अधिकारी ने उस कमरे को कभी सील नहीं किया, जिस में पहली मंजिल का महत्त्वपूर्ण फुटेज वाला डीवीआर रखा गया था. अदालत ने पुलिस को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि जांच के दौरान गोवा पुलिस ने सुबूतों को नष्ट किया और सही साक्ष्यों को कोर्ट में पेश नहीं किया.

गौरतलब है पुलिस को पांचसितारा होटल की पहली मंजिल का सीसीटीवी फुटेज, जिस में तेजपाल पीडि़त लड़की के साथ अश्लील हरकतें करते नजर आए थे, को कोर्ट में पेश करना चाहिए था, मगर यह महत्त्वपूर्ण फुटेज, जो आरोपी का दोष सिद्ध कर सकता था, नष्ट कर दिया गया.

फैसले के खिलाफ अपील

गोवा सरकार ने अब निचली अदालत के फैसले के खिलाफ बांबे हाईकोर्ट में अपील करने का ऐलान किया है. अगर हाईकोर्ट से भी तेजपाल राहत पा जाते हैं, जैसाकि मुमकिन भी है तो सुप्रीम कोर्ट का रास्ता बचता है. इस में कई साल लग जाएंगे.

गौतलब है कि दिसंबर, 2012 में दिल्ली की सड़कों पर दौड़ती एक बस में अब तक का सब से जघन्य ‘निर्भया कांड’ हुआ था. इतना संगीन और घिनौना सामूहिक बलात्कार कांड जिस के बाद पूरे देश में महिला सुरक्षा को ले कर जबरदस्त कुहराम मचा हुआ था.

पूरा मीडिया जगत इस मामले को ले कर सड़कों पर था. तरुण तेजपाल की तहलका टीम भी निर्भया को न्याय दिलाने के लिए इस आंदोलन का हिस्सा थी. यही वह वक्त था जब भारत में यौन हिंसा से जुड़े तमाम कानूनों में बड़ा परिवर्तन किया गया. डिजिटल रेप, कार्यस्थल पर रेप अथवा यौन उत्पीड़न, शादी के बाद पति द्वारा रेप जैसे मुद्दों पर खुली बहस देशभर में शुरू हुई.

‘निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या’ केस को देखते हुए यौन हिंसा से जुड़े कानूनों की समीक्षा के बाद भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस वर्मा (रिटायर्ड) की अध्यक्षता वाली समिति ने महिलाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए कई महत्त्वपूर्ण सु झाव दिए, जिन में से कइयों को अपनाते हुए महिला सुरक्षा और अपराध से जुड़े दशकों पुराने कानूनों को बदला गया.

कठोरतम सजा का प्रावधान

2013 में बलात्कार की परिभाषा को ‘फोर्स्ड पीनो-वैजाइनल पेनिट्रेशन’ से बढ़ाया गया और नई परिभाषा के अंतर्गत महिला के शरीर में किसी भी चीज या शारीरिक अंग को जबरदस्ती डालना भी बलात्कार माना गया. इस के अलावा किसी महिला को गलत तरीके से छूना, पकड़ना, जबरन चूमना, अश्लील बातें या इशारे करना जैसी चीजों को भी बलात्कार की विभिन्न श्रेणियों में लाया गया और उस के लिए कठोरतम सजा का प्रावधान किया गया.

काम की जगह पर यौन उत्पीड़न की रोकथाम के लिए 2005 में बनाई गई विशाखा ‘गाइडलाइंस’ को इसी साल कानून की शक्ल दी गई. इस के तहत हर दफ्तर को जहां पुरुषों के साथ महिलाएं काम करती हैं, यौन उत्पीड़न की जांच और फैसले के लिए इंटरनल कंप्लेंट कमेटी बनानी अनिवार्य की गई.

रसूखदार व्यक्ति के खिलाफ मामला

2013 में तरुण तेजपाल का मामला इस नई परिभाषा के तहत किसी रसूखदार व्यक्ति के खिलाफ आया पहला मामला था. एक ऐसा पत्रकार और एक प्रतिष्ठित पत्रिका का प्रधान संपादक जो खुद निर्भया केस में बढ़चढ़ कर लिखतालिखाता रहा, इस से जुड़ी बहसमुबाहिसों में शामिल होता रहा, उस ने जब अपनी ही सहकर्मी की इज्जत पर हमला किया तो पूरा मीडिया उस के खिलाफ खड़ा हो गया.

‘तेजपाल का तहलका कांड’ और ‘तरुण तेजपाल ने खूब कमाई दौलत और शोहरत, स्कैंडल ने कर दिया बरबाद’ जैसी हैडलाइंस के साथ तेजपाल के अपराध पर कई लेख प्रकाशित हुए.

गोवा में जिस होटल की लिफ्ट में यह कांड हुआ था उस लिफ्ट की सीसीटीवी फुटेज और होटल के कौरिडोर, जिस में वे लड़की का पीछा करते और उसे पकड़ते नजर आ रहे हैं, का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ. देशभर में तेजपाल के खिलाफ प्रदर्शन हुए और सड़कों पर उन की तसवीरें जलाई गईं.

मगर इस केस की अहम बात यह है कि जिस लड़की के साथ तेजपाल ने यौन अपराध किया था उस ने खुद इस मामले में एफआईआर नहीं करवाई थी, बल्कि मीडिया खबरों और वीडियो टेप के आधार पर गोवा पुलिस ने अपराध का स्वयं संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज किया था.

ये भी पढ़ें- धर्म है या धंधा

चूंकि इस अपराध को गोवा में तेजपाल की मैगजीन के एक बड़े आयोजन के दौरान अंजाम दिया गया था तो इसे कार्यस्थल में यौन उत्पीड़न का मामला माना गया और इसी के तहत पीडि़त लड़की ने अपने दफ्तर को चिट्ठी लिख कर पूरे मामले की जानकारी दी थी और इंटरनल कंप्लेंट कमेटी से जांच की मांग की. मगर उस समय तहलका मैगजीन के दफ्तर में कोई इंटरनल कंप्लेंट कमेटी नहीं बनी थी, अब बन गई हो तो कहा नहीं जा सकता.

गौरतलब है कि संशोधित भारतीय कानून के मुताबिक अगर कोई महिला काम की जगह पर यौन उत्पीड़न की शिकायत करना चाहती है तो यह उस की मरजी है कि वे इस के लिए दफ्तर में इंटरनल कंप्लेंट कमेटी के तहत जांच की मांग करे या फिर क्रिमिनल ला के सैक्शन 354(ए) के तहत पुलिस के पास जाए.

दफ्तरों की नीयत

भारत में अकसर कार्यस्थल पर कोई अभद्र, अशोभनीय, अश्लील हरकत अथवा बलात्कार की कोशिश अथवा बलात्कार होने पर ज्यादातर महिलाएं पुलिस के पास जाने के बजाय ‘सैक्सुअल हैरसमैंट ऐट वर्कप्लेस’ ऐक्ट के तहत दफ्तर में बनी कमेटी के आगे शिकायत करना बेहतर मानती हैं, जिस के तहत उन्हें कई तरह की राहत तुरंत मिल सकती है, जबकि पुलिस के पास मामला दर्ज करवाने और क्रिमिनल प्रौसिक्यूशन का रास्ता इख्तियार करने पर लंबा वक्त लगता है, पैसा और वक्त बरबाद होता है, सुनवाई के लिए हर बार उस जगह के कोर्ट में जाना पड़ता है, जहां घटना हुई, फिर डिफैंस लायर की टीम के उलटेसीधे सवालों को  झेलना, मीडिया के आंकलनों से बचना, सोशल मीडिया पर लोगों की बातों का शिकार बनने से बच पाना किसी पीडि़त महिला के लिए आसान नहीं होता है.

दफ्तर की इंटरनल कंप्लेंट कमेटी, जिस में तीनचौथाई सदस्य महिलाएं होती हैं, के आगे पूरी बात रखना पीडि़त महिला के लिए आसान होता है और शिकायत सही पाए जाने पर उस को तुरंत राहत मिलती है जैसे उस का विभाग या टीम बदल दी जाती है, मैनेजर बदल दिया जाता है, उस को आर्थिक भुगतान और काउंसलिंग की सुविधा मिलती है.

वहीं आरोपी का दोष सिद्ध होने पर उसे नौकरी से बरखास्त तक किया जा सकता है अथवा पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस को सौंपा जा सकता है. लेकिन भारत के निजी क्षेत्र में कितनी कंपनियों ने यह कमेटी बनाई है, इस का कोई आंकड़ा आज तक मौजूद नहीं है. बस चर्चाओं के कारण इतना भर हुआ है कि लोगों को इस के बारे में थोड़ाबहुत पता है कि उन का कैसा व्यवहार गलत है और यौन उत्पीड़न की परिभाषा में आ सकता है, पर दफ्तरों की नीयत अब भी औरतों को न्याय दिलाने की नहीं है, कमेटियां या तो बनाई ही नहीं जाती हैं या सदस्यों का चयन कानून के मुताबिक नहीं होता है अथवा उस की जानकारी दफ्तर में सब को नहीं दी जाती है.

मार्च, 2020 में काम की जगह पर यौन उत्पीड़न पर हुए एक सर्वे में पत्रकार जगत से भाग लेने वाली 456 महिलाओं में से एकतिहाई ने कहा कि उन के साथ यौन दुर्व्यवहार हुआ है, लेकिन 50 फीसदी ने इस के बारे में किसी को नहीं बताया.

हाईप्रोफाइल मामला

तरुण तेजपाल ऐसे दूसरे हाईप्रोफाइल भारतीय पत्रकार हैं, जिन्हें लैंगिक दुर्व्यवहार के मामले में गंभीर आरोपों का सामना तो करना ही पड़ा, मीडिया में भी काफी छीछालेदर हुई, मगर उन की मोटी चमड़ी पर इस का कोई ज्यादा असर नहीं हुआ.

इस से पहले दिल्ली की एक अदालत ने पूर्व मंत्री और संपादक एमजे अकबर की ओर से दायर मानहानि मामले में फैसला देते हुए पत्रकार प्रिया रमानी को बरी कर दिया था. प्रिया रमानी ने एमजे अकबर पर यौन दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया था, जिस के बदले में एमजे अकबर ने आदेश के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में अपील की थी. अकबर को भी अपने किए की कोई सजा नहीं मिली, अलबत्ता वे भाजपा का फ्रंट फेस अब नहीं हैं, उन्हें मंत्री पद से बरखास्त कर के थोड़ा पीछे धकेल दिया गया है. मगर जिंदगी मजे में कट रही है.

बेकार है न्याय की उम्मीद करना

ऐसा हो सकता है कि किसी औरत ने रेप की शिकायत की हो और उस के मामले में कार्रवाई भी हुई हो, जिस के बाद उसे न्याय भी मिल गया हो, लेकिन भारत में अधिकतर मामलों में रेप पीडि़ता शिकायत के बाद और भी ज्यादा प्रताडि़त की जाती है, यहां तक कि उस का जीना मुहाल हो जाता है और कभीकभी तो वह आत्महत्या तक कर लेती है तो कभी आरोपी के हाथों ही मार डाली जाती है.

‘मीटू’ जैसे सोशल मीडिया आंदोलनों की बदौलत अचानक बहुत सी महिलाएं सामने आईं और उन्होंने बताने की हिम्मत जुटाई कि वे बलात्कार, अश्लील हरकत, छेड़छाड़, भद्दे कमैंट्स की पीड़ा से गुजरी हैं.

ये भी पढें- सावधान ! अक्‍टूबर तक दस्‍तक दे सकती है Corona की तीसरी लहर !

प्रिया रमानी ने भी एमजे अकबर पर मीटू के तहत ही आरोप लगाया था. मगर मीटू आंदोलन या ‘द रेपिस्ट इज यू’ जैसे गाने पूरी दुनिया में छाने के बावजूद महिलाओं के प्रति यौन अपराधों में कोई कमी आई हो ऐसा नहीं हुआ.

यौन अपराधों और कानूनों को ले कर सिर्फ जागरूकता ही पर्याप्त नहीं है. जब तक न्याय दिलाने वाली संस्थाएं, पुलिस और देश की अदालतें रसूखदारों की ताकत और पैसे के लालच से आजाद नहीं होंगी, पीडि़ताओं को न्याय नहीं मिलेगा.

सख्त सजा के अभाव में तेजपाल और अकबर जैसे लोग हर दिन किसी न किसी औरत के सीने से दुपट्टा खींचते ही रहेंगे.

Monsoon Special: बारिश में लें चीजी कॉर्न समोसे का मजा

बारिश का मौसम देश में अपनी दस्तक दे चुका है. इस समय कॉर्न भरपूर मात्रा में बाजार में मिलता है. यूं तो आजकल फ्रोजन कॉर्न के रूप में साल भर ही कॉर्न उपलब्ध रहते हैं परन्तु बारिश का तो मौसम ही भुट्टों का होता है. देशी भुट्टे जहां छोटे दाने के वहीं स्वीट कॉर्न बड़े दाने और मिठास लिए होते हैं. कॉर्न में आयरन, फाइबर, तथा अनेकों मिनरल्स प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं इसलिए इन्हें अपनी डाइट में किसी न किसी रूप में अवश्य शामिल करना चाहिए. आजकल के बच्चे आमतौर पर ऐसी चीजों को खाना कम ही पसन्द करते हैं, परन्तु यदि इन्हें उनके अनुकूल बना दिया जाए तो वे बड़े स्वाद से खाते हैं. आज हम आपको कॉर्न से बनने वाली एक ऐसी ही डिश के बारे में बता रहे हैं जिसे बनाना भी आसान है और बच्चों को पसन्द भी आएगी. तो आइए देखते हैं कि इसे कैसे बनाते हैं-

 कितने लोंगों के लिए           6

बनने में लगने वाला समय     30 मिनट

मील टाइप                          वेज

सामग्री

समोसे के कवर के लिए        

मैदा                                1 कप

नमक                              1/2 टीस्पून

मोयन के लिए तेल             1 टेबलस्पून

ये भी पढ़ें- Monsoon Special: बच्चों के लिए बनाएं पनीर टिक्का सैंडविच

भरावन के लिए

उबले मक्के के दाने            1कप

किसा मोजरेला चीज           1 कप

हरी मिर्च कटी                    4-5

नमक                                स्वादानुसार

हरा धनिया बारीक कटा       1 टीस्पून

तलने के लिए तेल               पर्याप्त मात्रा में

विधि

मैदा में नमक और तेल डालकर पानी की सहायता से पूरी जैसा गूंथ लें. इसे एक सूती कपड़े से ढककर आधे घण्टे के लिए रख दें. एक बाउल में भरावन की समस्त सामग्री को एक साथ मिलाएं. अब तैयार मैदा से लोई लेकर रोटी जैसा बेलें. इसे बीच से काटकर सभी किनारों पर पानी लगाएं और मोड़कर समोसे के लिए कोन बनाएं. इसमें 1 चम्मच भरावन का मिश्रण भरकर पैक कर दें. इसी प्रकार सारे समोसे बना लें. तैयार समोसों को गरम तेल में सुनहरा होने तक तलकर टोमेटो सॉस के साथ सर्व करें. चूंकि इसमें चीज की फिलिंग होती है इसलिए सही तरीके से पैक करना अत्यंत आवश्यक होता है. आप चाहें तो इन्हें बनाकर सिल्वर फॉयल या क्लिंग फ़िल्म से कवर करके पहले से बनाकर फ्रिजमें स्टोर भी कर सकतीं हैं.

ये भी पढ़ें- Monsoon Special: नाश्ते में बनाएं पैनकेक चीज सैंडविच

सरहद पार से- भाग 1 : अपने सपनों की रानी क्या कौस्तुभ को मिल पाई

लेखिका- उषा रानी

‘इंडोपाक कल्चरल मिशन’ के लिए जिन 5 शिक्षकों का चयन हुआ है उन में एक नाम कौस्तुभ का भी है. अभी 2 साल पहले ही तो आई.आई.टी. कानपुर से एम. टेक. करने के बाद प्रवक्ता के पद पर सीधेसीधे यहीं आया था. स्टाफ रूम के खन्ना सर किसी न किसी बहाने लाहौर की चर्चा करते रहते हैं. वह आज तक इतने और ऐसे ढंग से किस्से सुनाते रहे हैं कि लाहौर और खासकर अनारकली बाजार की मन में पूरी तसवीर उतर गई है. इस चयन से कौस्तुभ के तो मन की मुराद पूरी हो गई.

सुनयनाजी बेटे कौस्तुभ की शादी के सपने देखने लगी हैं. ठीक भी है. सभी मातापिता की इच्छा होती है बेटे को सेहरा बांधे, घोड़ी पर चढ़ते देखने की. छमछम करती बहू घर में घूमती सब को अच्छी लगती है. सुबहसुबह चूडि़यां खनकाती जब वह हाथ में गरमागरम चाय का प्याला पकड़ाती है तो चाय का स्वाद ही बदल जाता है. फिर 2-3 साल में एक बच्चा लड़खड़ाते कदम रखता दादी पर गिर पड़े तो क्या कहने. बस, अब तो सुनयनाजी की यही तमन्ना है. उन्होंने तो अभी से नामों के लिए शब्दकोष भी देखना शुरू कर दिया है. उदयेशजी उन के इस बचकानेपन पर अकसर हंस पड़ते हैं, ‘क्या सुनयना, सूत न कपास जुलाहे से लट्ठमलट्ठा वाली कहावत तुम अभी से चरितार्थ कर रही हो. कहीं बात तक नहीं चली है, लड़का शादी को तैयार नहीं है और तुम ने उस के बच्चे का नाम भी ढूंढ़ना शुरू कर दिया. लाओ, चाय पिलाओ या वह भी बहू के हाथ से पिलवाने का इरादा है?’

‘आप तो मेरी हर बात ऐसे ही मजाक में उड़ा देते हैं. शादी तो आखिर होगी न. बच्चा भी होगा ही. तो नाम सोचने में बुराई क्या है?’

यह बोल कर सुनयना किचन में चली गईं और 2 कप चाय ले कर आईं. एक कप उन्हें पकड़ाया और दूसरा अपने सामने की तिपाई पर रखा. प्याला होंठों से लगाते हुए उदयेशजी ने फिर चुटकी ली, ‘अच्छा बताओ, क्या नाम सोचा है?’

ये भी पढ़ें- कौन जिम्मेदार: किशोरीलाल ने कौनसा कदम उठाया

‘अरे, इतनी जल्दी दिमाग में आता कहां है. वैसे भी मैं नाम रखने में इतनी तेज कहां हूं. तेज तो सुमेघा थी. उस ने तो मेरी शादी तय होते ही मेरे बेटे का नाम चुन लिया था. उसी का रखा हुआ तो है कौस्तुभ नाम.’

‘अच्छा, मुझे तो यह बात पता ही नहीं थी,’ उदयेशजी की आवाज में चुहल साफ थी, ‘हैं कहां आप की वह नामकर्णी सहेलीजी. आप ने तो हम से कभी मिलवाया ही नहीं.’

‘क्यों, मिलवाया क्यों नहीं, शादी के बाद उस के घर भी हो आए हैं आप. कितनी बढि़या तो दावत दी थी उस ने. भूल गए?’ उलाहना दिया सुनयनाजी ने.

‘अरे हां, वह लंबी, सुंदर सी, बड़ीबड़ी आंखों वाली? अब कहां है? कभी मिले नहीं न उस के बाद? न फोन न पत्र? बाकी सहेलियों से तो तुम मिल ही लेती हो. विदेश में कहीं है क्या?’ उदयेशजी अब गंभीर थे.

‘वह कहां है, इस की किसी को खबर नहीं.’

बचपन की सहेली का इस तरह गुम हो जाना सुनयनाजी की जिंदगी का एक बहुत ही दुखदायी अनुभव है. वह अकसर उन की फोटो देख कर रो पड़ती हैं.

कौस्तुभ समेत 5 शिक्षकों और 50 छात्रों का यह दल लाहौर पहुंच गया है. लाहौर मुंबई की तरह पूरी रात तो नहीं पर आधी रात तक तो जागता ही रहता है. शहर के बीचोबीच बहती रोशनी में नहाई नहर की लहरें इस शहर की खूबसूरती में चार चांद लगा देती हैं. एक रात मेहमानों का पूरा दल अलमहरा थिएटर में नाटक भी देख आया.

लाहौर घूम कर यह दल पाकिस्तान घूमने निकला. हड़प्पा देखने के बाद दल ननकाना साहब भी गया. गुजरांवाला की गलियां और कराची की हवेलियां भी देखी गईं. पाकिस्तान का पंजाब तो उन्हें भारत का पंजाब ही लगा. वही सरसों के लहलहाते खेत और तंदूर पर रोटी सेंकती, गाती हुई औरतें. वही बड़ा सा लस्सी भर गिलास और मक्के की रोटी पर बड़ी सी मक्खन की डली. 55 भारतीयों ने यही महसूस किया कि गुजरे हुए 55 सालों में राजनेताओं के दिलों में चाहे कितनी भी कड़वाहट आई हो, आम पाकिस्तानी अब भी अपने सपनों में अमृतसर के गलीकूचे घूम आता है और हिंदू दोस्तों की खैरखबर जानने को उत्सुक है.

कौस्तुभ की अगवाई में 10 छात्रों ने लाहौर इंजीनियरिंग कालिज के 25 चुने हुए छात्रों से मुलाकात की. भारतपाक विद्यार्थी आपस में जितने प्रेम से मिले और जिस अपनेपन से विचारों का आदान- प्रदान किया उसे देख कर यही लगा कि एक परिवार के 2 बिछुड़े हुए संबंधी अरसे बाद मिल रहे हों. और वह लड़की हाथ जोड़ सब को नमस्ते कर रही है. कौस्तुभ के पूछने पर उस ने अपना नाम केतकी बताया. गुलाबी सूट में लिपटी उस लंबी छरहरी गोरी युवती ने पहली नजर में ही कौस्तुभ का दिल जीत लिया था.

ये भी पढ़ें- मार्मिक बदला: रौनक से कौनसा बदला लेना चाहती थी रागिनी

रात में कौस्तुभ बड़ी देर तक करवटें बदलता रहा. उस की यह बेचैनी जब डा. निरंजन किशोर से देखी नहीं गई तो वह बोल पड़े, ‘‘क्या बात है, कौस्तुभ, लगता है, कहीं दिल दे आए हो.’’

‘‘नहीं, ऐसा कुछ नहीं है पर न जाने क्यों उस लड़की के खयाल मात्र से मन बारबार उसी पर अटक रहा है. मैं खुद हैरान हूं.’’

‘‘देखो भाई, यह कोई अजीब बात नहीं है. तुम जवान हो. लड़की सुंदर और जहीन है. तुम कहो तो कल चल पड़ें उस के घर?’’ डा. किशोर हलके मूड में थे.

वह मन ही मन सोचने लगे कि ये तो इस लड़की को ले कर सीरियस है. चलो, कल देखते हैं. हालीडे इन में सभी पाकिस्तानी छात्रछात्राओं को इकट्ठा होना ही है.

डा. किशोर गंभीर हो गए. उन्होंने निश्चय कर लिया कि इस प्रकरण को किसी न किसी तरह अंजाम तक जरूर पहुंचाएंगे.

दूसरे दिन डा. किशोर तब सकते में आ गए जब कौस्तुभ ने उन्हें केतकी से सिर्फ मिलवाया ही नहीं बल्कि उस का पूरा पता लिखा परचा उन की हथेली पर रख दिया. डा. किशोर भी उस लड़की से मिल कर हैरान रह गए. उस की भाषा में शब्द हिंदी के थे. वह ‘एतराज’ नहीं ‘आपत्ति’ बोल रही थी. उन्होंने आग्रह किया कि वह उस के मातापिता से मिलना चाहेंगे.

अगले दिन वे दोनों केतकी के घर पहुंचे तो उस ने बताया कि पापा किसी काम से कराची गए हैं. हां, ममा आ रही हैं. मिलने तब तक नौकर सत्तू की कचौड़ी और चने की घुघनी ले कर आ चुका था.

आगे पढ़ें- केतकी की ममा आईं तो उन को देख कर…

ये भी पढ़ें- परिवर्तन: क्या काम करते थे महेश के बाबा

REVIEW: जानें कैसी है वेब सीरीज ‘Ray’

रेटिंगः  तीन स्टार

निर्माताः ए टिपिंग प्वाइंट

निर्देशकः श्रीजित मुखर्जी, अभिषेक चैबे, वासन बाला

कलाकारः केके मेनन, मनोज बाजपेयी,  संजय शर्मा, गजराज राव, हर्षवर्धन कपूर, अली फजल

अवधिः चार एपीसोड, लगभग चार घंटे

ओटीटी प्लेटफार्मः नेटफ्लिक्स

इस बार ‘नेटफ्लिक्स’’ भारत के सेक्सपिअर कहे जाने वाले फिल्मकार व लेखक स्व. सत्यजीत रे लिखित चार लघु कहानियों पर अलग अलग चार एपीसोड की एंथोलॉजी सीरीज ‘‘रे’’ लेकर आया है, जिसे अलग अलग निर्देशकों ने निर्देशित किया है. इन कहानियों में सामाजिक व्यंग, डार्क कॉमेडी, मनोविज्ञान,  अर्थव्यवस्था व बेहरीन चत्रि चित्रण है.

कहानियां

पहली कहानी ‘बहुरूपिया’ इंद्राशीष साहा (के के मेनन) के इर्द गिर्द घूमती है, जो एक अकेला उपेक्षित मेकअप कलाकार है जो जीवनयापन करने के लिए संघर्ष कर रहा है. पर बचपन से ही अपनी दादी के करीब रहे हैं. दादी की मौत होने तक वह उनकी सेवा करते रहते हैं. सभी इंद्राशीष की दादी को पागल कहते थे, जबकि वह एक सफल व्यवसायी थी. एक अमरीकन प्रोडक्शन हाउस के लिए मेकअप का सामान निर्माण कर भेजती थी. उधर कंपनी का मैनेजर सुरेश(संजय शर्मा) भी उसे नौकरी से निकालने पर आमादा है. पर वह अपनी दादी की सेवा में कटौती नही करता. उसकी दादी की कैंसर से मौत हो जाती है. उसके बाद वकील बताता है कि उनकी दादी अपनी सारी जयदाद और लाखों रूपए उनके नाम छोड़ गयी हैं. फिर वह अपने सपनों को आगे बढ़ाने और अपने जुनून का पालन करने का फैसला करता है. स्वभाव से नास्तिक,  मेकअप कलाकार के रूप में अपनी प्रतिभा के कारण किसी व्यक्ति की शारीरिक पहचान को बदलने की इंद्राशीष  की उल्लेखनीय क्षमता उसे श्रेष्ठ महसूस कराती है और एक दिन वह अपने वर्चस्व को साबित करने के लिए एक फकीर ध् बाबा(दिव्येंद्र भट्टाचार्य)  के साथ बेवजह खिलवाड़ करता है, जिसकी परिणित काफी दुखद होती है.

ये भी पढ़ें- Barrister Babu की छोटी बोंदिता का सफर हुआ खत्म, फेयरवेल पार्टी में इमोशनल हुआ अनिरुद्ध

दूसरी कहानी ‘हंगामा है क्यों बरपा’’है. यह सत्यजीत रे की लघु कहानी बरिन भौमिक-एर ब्यारम पर आधारित है. इसकी कहानी चोरी की बीमारी और गायक मुसाफिर अली(मनोज बाजपेयी)  के इर्दगिर्द घूमती है. मुसाफिर अली का असली नाम राजू है. बचपन में वह अपने दोस्तो के खिलौने चुराया करते थे. बड़े होने पर नौकरी की तलाश में हैं. एक बार ट्ेन में यात्रा करते समय उनकी मुलाकात असलम बेग(गजराज राव)उर्फ मशहूर कुश्तीबाज जेगना से होती है. और राजू, असलम बेग की खुशवक्त नामक घड़ी चुरा लेते हैं. उसके बाद वह अपना नाम बदलकर मुसाफिर अली कर लेते हंै और मशहूर गायक बन जाते हैं. दस साल बाद फिर ट्ेन यात्रा में मुसाफिर अली की मुलाकात असलम बेग से होती है. . इस बार दोनो की बीमारी सामने आती हैं.

तीसरी कहानी ‘‘स्पॉट लाइट’’है. यह कहानी एक मशहूर अभिनेता विक्रम अरोड़ा(हर्षवर्धन कपूर  ) के इर्द गिर्द घूमती है, जिसे घमंड है कि पूरी दुनिया उनके चेहरे की गुलाम है. वह कपूर की फिल्म की शूटिंग के लिए दूसरे शहर जाते हैं. वहंा जिस होटल के मेडोना कमरे में वह रूकते हैं, उस पर ईश्वर की तरह पूजी जा रही दीदी कब्जा करती हैं, सभी दीदी की पूजा कर रहे हैं, पर विक्रम तो दीदी को अपने सामने कुछ समझते ही नही हैं. जिसके चलते विक्रम को फिल्म से निकाल दिया जाता है, मच्छरदानी की एड हाथ से निकल जाती है. हालत खराब हो जाती है. विक्रम को अहसास होता है कि अब उसका चेहरा बदल गया, जिसे लोग देखना नही चाहते. तब विक्रम,  दीदी से मिलने की सोचते हैं. पर तब तक दीदी के यहां पुलिस छापा मार चुकी होती है और अब उसकी असलियत लोगों के सामने आने वाली है. पर विक्रम किसी तरह अकेेले में दीदी से मिलते हैं. दीदी उसे अपनी आप बीती सुनाती है. व्रिकम की मदद से दीदी अमरीका भागने में सफल हो जाती है, विक्रम फंस जाते हैं. लेकिन मंत्री की बेटी की शादी मंे तीन दिन मुफ््त में नृत्य करने के वायदे के साथ जेल जाने से बच जाते हैं. दीदी के आशिवार्द से उनकी तकदीर फिर से चमक जाती है.

चैथी कहानी ‘‘फारगेट नॉट मी’’है. यह सत्यजीत रे की कहानी ‘‘बिपिन चैधरी का स्मृतिभ्रम’पर आधारित है. यह कहानी एक सफल उद्योगपति इपसित रामा नायर(अली फजल)  के इर्द गिर्द घूमती है, जिसकी याददाश्त का लोहा सभी मानते हैं. उन्हे कई पुरस्कार मिल चुके है. लेकिन सफलता के मद में चूर इपसित अपने स्कूल व कालेज के दोस्तों के साथ जो हरकते करते हैं, उससे सभी दोस्त नाराज होकर एक ऐसा खेल रचते हैं, जिसमें इप्सित फंसकर पागल सा हो जाता है. एक रात एक अजनबी (अनिंदिता बोस)दोस्ताना मुस्कान के साथ इप्सित के पास पहुंचती है. वह इप्सिट को अच्छी तरह से जानने का दावा करते हुए उसके साथ अजंटा की गुफाओं में बिताए हुए बेहतरीन पलों की याद दिलाती है. यहां से चीजें खराब होने लगती हैं. इप्सिट चीजों को भूलना शुरू कर देता है,  एक दिन वह एक दुर्घटना के साथ मिलता है और अस्पताल में पहुंच जाता है. इप्सिट की सेक्रेटरी मैगी (श्वेता बसु प्रसाद) मिलने आती है और इप्सिट के लिए मुसीबत बढ़ जाती है.

निर्देशनः

इन चार कहानियों में से दो कहानियों ‘‘बहुरूपिया’’और ‘‘फॉरगेट नॉट मी’’का निर्देशन श्रीजित मुखर्जी ने किया है, जबकि ‘‘हंगामा है क्यों बरपा’का निर्देशन अभिषेक चैबे और ‘‘स्पॉटलाइट’का निर्देशन वासन बाला ने किया है. श्रीजीत मुखर्जी का निर्देशन ‘‘बहुरूपिया’में भी कमाल का है. काश उन्होने इस कहानी कीपृष्ठभूमि बंगाल कलकत्ता रखा होता, तो यह अति श्रेष्ठतम कृति बन जाती. ‘हंगामा है क्यों बरपा’में निर्देशक अभिषेक चैबे महान  कलाकारों की मौजूदगी के बावजूद अपने निर्देशन का जलवा नही विखेर पाते.  वैसे उन्होने उर्दू की गजल का शानदार उपयोग किया है. श्रीजित मुखर्जी निर्देशित एक घ्ंाटे से अधिक अवधि की लघु फिल्म‘‘फारगेट नॉट मी’’काफी कसी हुई फिल्म है. श्रीजीत मुखर्जी ने ‘‘फॉरगेट नॉट मी’’को डार्क मनोवैज्ञानिक रोमांचक के रूप में बेहतर बनाया है. उनका निर्देशन तारीफ लायक है.

इस पूरी सीरीज की सबसे कमजोर कड़ी निर्देशक वासन बाला और अभिनेता हर्षवर्धन कपूर हैं. वासन बाला ने सत्यजीत रे ‘स्पॉटलाइट’ कहानी को गड़बड़ करने में कोई कसर बाकी नही छोड़ी. वासन बाला निर्देशित एक घंटे से अधिक लंबी लघु फिल्म ‘‘स्पॉटलाइट’’ विखरी हुई फिल्म है. इस कहानी में सामाजिक व्यंग जबरदस्त है, पर वासन बाला उसे उभारने में असफल रहे हैं. ‘स्पॉटलाइट’ने वासन बाला के अतीत के शानदार कार्यों पर भी पानी फेर दिया. वासन बाला ने तो पूरी एंथोलॉजी को लगभग मारने वाला काम ही किया है.

‘बहुरूपिया’कहानी का संवाद-‘‘धूल चेहरे पर थी और मैं आइना साफ करता रहा’’इंसान की सोच व कार्यशैली पर करारा तमाचा है. तो वही ‘स्पॉट लाइट’कहानी का संवाद ‘‘कुत्तों के बीच रहना है, तो भेड़ नही भेड़िया बनना होगा. ’बहुत कुछ कह जाता है.

ये भी पढ़ें- अनुपमा से अपने पांव दबवाएगी काव्या, देखें वीडियो

अभिनयः

‘बहुरूपिया’कहानी में इंद्राशीष के किरदार में के के मेनन ने  शानदार अभिनय कर लोगों को आकर्षित करने में सफल रहे हैं. तो वहीं पवित्र इंसान फकीर बाबा के किरदार में दिब्येंदु भट्टाचार्य तथा अपनी पहचान बनाने के लिए संघर्षरत अभिनेत्री के किरदार में बिदिता बैग भी छाप छोड़ती हैं. ‘हंगामा है क्यों बरपा’कहानी में मनोज बाजपेयी की उत्कृष्ट अभिनय प्रतिभा और गजराज राव का लाजवाब अभिनय ‘सत्यजीत रे’की श्रद्धांजलि में चार चांद लगाते हैं. रघुबीर यादव और मनोज पाहवा के छोटे किरदार भी छाप छोड़ जाते हैं. फारगेट नॉट मी’कहानी में अनिंदिता बोस, श्वेता बसु प्रसाद के साथ ही अली फजल ने शानदार अभिनय किया है. ‘स्पॉटलाइट’कहानी में सुपर स्टार विक्रम अरोड़ा के किरदार में हर्षवर्धन कपूर निराश करते हैं. वह कई जगह महज कैरीकेचर ही हैं. विक्रम अरोड़ा के किरदार के लिए हर्षवर्धन कपूर का चयन निदे्रशक की सबसे बड़ी भूल है. ‘हंगामा है क्यों बरपा’कहानी में मनोज बाजपेयी की उत्कृष्ट अभिनय प्रतिभा और गजराज राव का लाजवाब अभिनय ‘सत्यजीत रे’की श्रद्धांजलि में चार चांद लगाते हैं. रघुबीर यादव और मनोज पावा के छोटे किरदार भी छाप छोड़ जाते र्हैं. र्वानका चयन ही गलत है. राधिका मदान भी मात खा गयी हैं. चंदन रॉय सान्याल ने अवश्य बेहरीन अभिनय किया है.

Barrister Babu की छोटी बोंदिता का सफर हुआ खत्म, फेयरवेल पार्टी में इमोशनल हुआ अनिरुद्ध

 कलर्स के सीरियल बैरिस्टर बाबू में जल्द ही लीप आने वाला है, जिसके चलते छोटी बोंदिता यानी औरा भटनागर का सफर खत्म होने वाला है. इसी बीच सीरियल की कास्ट संग औरा भटनागर का सेट पर आखिरी दिन सेलिब्रेट किया गया है, जिसकी फोटोज सोशलमीडिया पर छा गई है. वहीं शो के लीड एक्टर भी इस दौरान इमोशनल होते हुए नजर आए. आइए आपको दिखाते हैं छोटी बोंदिता की फेयरवेल पार्ट की फोटोज…

टीम ने ऐसे दिया फेयरवेल

दरअसल, सीरियल बैरिस्टर बाबू की टीम ने औरा भटनागर के लिए एक छोटी सी फेयरवेल पार्टी रखी थी. इस दौरान उन्होने केक भी काटा. वहां फेयरवेल के दौरान सीरियल की पूरी टीम ने तालियों के साथ औरा भटनागर को फेयरवेल दिया है, जिसकी वीडियो खुद एक्ट्रेस ने फैंस के साथ शेयर की है.

फेयरवेल में रो पड़े लीड एक्टर

छोटी बोंदिया यानी औरा भटनागर के फेयरवेल का जश्न जहां बेहद शानदार था तो वहीं सीरियल के लीड एक्टर प्रविष्ठ मिश्रा यानी अनिरुद्ध (Pravisht Mishra) इमोशनल होते हुए नजर आए, जिसकी फोटोज देखकर फैंस भी मायूस नजर आए.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by 🤍 | Nidhi (@theaniditiann)

ये भी पढ़ें- अनुपमा से अपने पांव दबवाएगी काव्या, देखें वीडियो

वायरल हुए फोटोज

 

View this post on Instagram

 

A post shared by ANIDITA _143 (@anidita_143)

औरा भटनागर के फेयरवेल की फोटोज सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है. वहीं औरा भटनागर के सीरियल से बिदाई की खबर सुनकर फैंस भी काफी दुखी हो गए है. हालांकि इस सेलिब्रेशन में बड़ी बोंदिता को देखकर कुछ फैंस खुश हुए हैं. क्योंकि उन्हें आने वाले सीरियल की कहानी में मजेदार ट्विस्ट का इंतजार है.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by ColorsTV (@colorstv)

बता दें, सीरियल बैरिस्टर बाबू में जल्द ही 8 साल लंबा लीप आएगा, जिसका प्रोमो हाल ही में शो के मेकर्स ने रिलीज किया था, जिसमें लीप के बाद बड़ी बोंदिता यानी आंचल साहू जहां लंदन से पढ़ाई करके वापस आएगी तो वहीं अनिरुद्ध बोंदिता से नफरत करेगा.

ये भी पढ़ें- शाह परिवार में फूट डालेगी ‘काव्या’, ‘अनुपमा’ के खिलाफ होगी ‘किंजल’

अनुपमा से अपने पांव दबवाएगी काव्या, देखें वीडियो

टीवी सीरियल अनुपमा इन दिनों टीआरपी चार्ट्स में धमाल मचा रहा है. वहीं हाल ही में मेकर्स द्वारा रिलीज किए गए प्रोमो ने फैंस को चौंका दिया था. वहीं अनुपमा का अपकमिंग एपिसोड भी खूब धमाकेदार होने वाला है. दरअसल, काव्या, अनुपमा को नीचा दिखाने की कोशिश करती नजर आने वाली है, जिसका वीडियो वायरल हो रहा है. आइए आपको दिखाते हैं काव्या का नया प्लान…

अनुपमा से पैर दबवाएगी काव्या

 

View this post on Instagram

 

A post shared by anupama (@anup.ama242)

अपकमिंग एपिसोड में काव्या, अनुपमा से बदला लेती हुई नजर आएगी. दरअसल, काव्या अनुपमा को नीचा दिखाने के लिए उससे अपने पैर पर मलहम और दबाने के लिए कहेगी. हालांकि अनुपमा, काव्या के पैर दबाएगी. लेकिन काव्या चुपके से उसकी एक फोटो खींच लेगी. वहीं अनुपमा भी करारा जवाब देते हुए कहेगी कि अब उसे किसी चीज की जरुरत नही है. उसके पास पैर दबाते हुए फोटो है, जिससे उसका सारा दर्द भाग जाएगा.

ये भी पढ़ें- शाह परिवार में फूट डालेगी ‘काव्या’, ‘अनुपमा’ के खिलाफ होगी ‘किंजल’

अनुपमा को चिढ़ाने का काम करती है काव्या

अब तक आपने देखा कि वट-सावित्री की पूजा के लिए शाह परिवार और काव्या (Madalsha Sharma) काफी एक्साइटेड है. इसी के साथ वह पूरी परिवार के सामने अनुपमा को ताना मारने का एक भी मौका नही छोड़ रही है. दरअसल, काव्या, अनुपमा से वट-सावित्री की बात करके उसे जलाते हुए नजर आती है. हालांकि अनुपमा ही काव्या की पूजा में होने वाले अपशकुन को रोकने में मदद करती है.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by anupama (@anup.ama242)

वनराज करेगा अनुपमा को याद

 

View this post on Instagram

 

A post shared by anupama (@anup.ama242)

दूसरी ओर वनराज, अनुपमा की तरफ खींचा चला जा रहा है. काव्या के बर्ताव को देखकर वह बार-बार अनुपमा के साथ उसकी पुरानी बाते याद करता हुआ नजर आता है, जिसके चलते काव्या और वनराज के बीच कई बार झगड़ा भी देखने को मिलता है. वहीं अनुपमा के बच्चे काव्या को हिदायत देते नजर आते हैं. दरअसल, वट-सावित्री की पूजा से पहले काव्या अनुपमा के बच्चों पर उनकी छोटी मां होने के चलते अपना हुकूम चलाने की कोशिश करती है. लेकिन काव्या की बातों को सुनकर तोषु, समर, किंजल और पाखी हंसते हैं, जिसे देखकर काव्या का गुस्सा सांतवे आसमान पर पहुंच जाता है. इसी के साथ पाखी और समर काव्या से कहेंगे कि वो वनराज के साथ कम आवाज में लड़ा करें क्योंकि आवाज पूरे घर को सुनाई देती है.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by anupama (@anup.ama242)

ये भी पढ़ें- Anupamaa की सौतन और नंदिनी पर आया समर को गुस्सा! वायरल हुआ Funny Video

एक्ट्रेस जैसा दिखना है स्टाइलिश तो अपने पास रख लें ये सस्ती चीजें

आजकल हर कोई परफेक्ट दिखना चाहता है चाहे पार्टी का मौका हो या शादी का. सेलिब्रिटी फैशन हमेशा ट्रैंड में रहता है. सोशल मीडिया के इस दौर में हर कोई फैशनेबल और रिप्रेजेनटेबल दिखना चाहता है. हम ये नहीं कहते कि सिर्फ कपड़ों से ही आप सुंदर दिख सकती है. हमारी इनर ब्यूटी ही है जो हमारी पर्सनैली को निखारती है, लेकिन कुदरत की दी हुई चीज यानी खुद से प्यार करने में कोई बुराई तो है नहीं. इसलिए खुद पर थोड़ा सा ध्यान देकर आप भी खुद को पैंपर कर सकती हैं.
ऐसे में स्किन केयर से लेकर मेकअप और ड्रेसिंग सेंस का काफी महत्त्व होता है. अच्छा दिखने के लिए जरूरी नहीं है कि आप अपने पैसे पानी की तरह बहा दें. बल्कि कम पैसे खर्च करके भी आप वो लुक पा सकती हैं जो आपको भीड़ से अलग बना सकती है. बस जरूरत है तो थोड़ा सा दिमाग लगाने की और फिर देखिए कमाल.

तो अगर आप भी एक्ट्रेस लुक से प्रभावित हैं और उनके जैसा लुक पाना चाहती हैं तो हम यहां आपके लिए कुछ खास टिप्स लेकर आए हैं.

रंग बिरंगे ट्राउजर

जींस तो हर कोई पहनता है और आपके पास भी जींस की ढेर लगी होगी. ऐसे में अब जब जींस खरीदने का मन करे तो उसकी जगह पर दूसरे रंग के ट्राउजर खरीदें. ये पहहने पर स्टाइलिश लुक देते हैं और किसी भी टॉप के साथ मैच कर जाते हैं. ऑफिस के लिए तो ये आउफिंट्स काफी कंफर्टेबल भी होते हैं. एंकल लेंथ ट्राउजर को कुर्ती के साथ जरूर ट्राई करें ये फॉर्मल लुक देने के साथ ही लेटेस्ट फैशन के हिसाब से भी “खूब भालो” वाली फील देती है.

ये भी पढ़ें- TV की फैशन क्वीन हैं ‘ये रिश्ते हैं प्यार के’ की ‘कुहू’, बौलीवुड एक्ट्रेसेस को भी देती हैं मात

प्लीटेड स्कर्ट

 

View this post on Instagram

 

Definitely not looking like this at the moment. We we’re up since 4am after three hours of sleep and now already in cozy pajamas. Cleaned & prepared the house for the holiday.. who else is like this too? I can’t go without the house perfectly clean. 🙈 we had some heavy rain on our way but we’re safe and sound now. So here’s a picture from yesterday 🤍 Werbung da Verlinkungen #beigelife #neutralshades #neutralstyle #zaraoutfit #hmxme #pleatedskirt #skirtlove #momstyle #mumstyle #womenwithstyle #classyoutfit #elegantstyle #lookdujour #tenuedujour #modeblogger #cardigans #falloutfit #autumnstyle #nordstromstyle #petitefashion #petitegirl #parisianstyle #tenue #modafemininaonline #effortlesschic

A post shared by Sandra „Audrey“ Bible (@audrey.s.bible) on

जो भी हो अपनी आलमारी में एक प्लीटेड स्कर्ट तो जरूर रखें. ये आपके बजट में होने के साथ स्टाइलिश लुक के लिए काफी है. डेट पर जाना हो या ऑफिस की पार्टी में, यह फॉर्मल और कैजुएल दोनों के लिए परफेक्ट चॉइस है. किसी भी टॉप के साथ स्कर्ट कैरी करें और शानदार लुक पाएं.

स्ट्रिप ड्रेस

हर लड़की जो एक्ट्रेस लुक से इंसपायर है और वैसा ही लुक पाना चाहती हो तो उसके पास कम से कम एक स्ट्रिप ड्रेस तो होनी ही चाहिए. अगर आप किसी दिन कुछ अलग लुक चाहती हैं तो इसे जरूर ट्राई करें. ये भी बजट फ्रैंडली है और ये आपको बार-बार शॉपिंग करने से भी बचाएगी. इसकी लेंथ आप अपने हिसाब से तय कर सकती हैं.

सिकुइन साड़ी

हम लड़कियां कितनी भी वेस्टर्न ड्रेस क्यों न ट्राई कर लें लेकिन जब बात साड़ी की आती है तो हमारे मुंह से “वॉव” निकल ही जाता है. साड़ी तो जैसे प्यार हो हमारा. कुछ ही महीनों पहले सबने अपने फेसबुक पर साड़ी चैलेंज तो पोस्ट किया ही होगा.

ऐसे में अगर आप चाहती हैं कि साड़ी में किछ नया ट्राई करें तो अपनी फेवरेट कलर की सिकुइन साड़ी जरूर रखें. यकीन मानिए इसे पहनने के बाद आप बहुत खूबसूरत लगने वाली हैं. चाहें शादी का फंक्शन हो या कोई कॉकटेल पार्टी, साड़ी का फैशन कभी नहीं जाता. आपने भी देखा ही होगा कि कैसे बॉलीवुड दिवाज साड़ी में अपने जलवे बिखेरती हैं. वहीं हम आपको ये भी बता दें कि सिकुइन साड़ी तो इस समय एक्ट्रेस की चॉइस बनी हुई है.

ये भी पढ़ें- 47 की उम्र में भी फैशन के मामले में कम नहीं तब्बू

खास टिप्स

लुक को कंपलीट करने के लिए फुटवियर का खास ध्यान रखे. इसलिए एक शूज, एक हील और फ्लैट स्लीपर तो आपके पास होना ही चाहिए.

Monsoon Special: इन 6 टिप्स से करें बालों की केयर

डर्मालिंक्स, गाजियाबाद की ट्राइकोलौजिस्ट डाक्टर विदूषी जैन का कहना है कि लगभग 90% महिलाओं में मौनसून के मौसम में बालों की समस्या 30 से 40% तक बढ़ जाती है. वैसे तो 100 बालों तक गिरना आम बात है, लेकिन मौनसून के मौसम में यह संख्या 250 तक पहुंच जाती है, जिस का मुख्य कारण मौसम में उमस के कारण स्कैल्प में पसीने का रिसना, रूसी और ऐसिडिक बारिश का पानी भी हो सकता है.

बहुत ज्यादा नमी के अलावा इन दिनों फंगल इन्फैक्शन का खतरा सब से ज्यादा होता है. वैसे तो फंगल इन्फैक्शन जानलेवा नहीं होता है, लेकिन अगर उस का उपचार ठीक समय पर ढंग से न किया जाए तो गंभीर समस्या उत्पन्न हो सकती है.

सौंदर्य विशेषज्ञा भारती तनेजा बालों की देखभाल के संदर्भ में बताते हुए कहती हैं कि बरसात के मौसम में तैलीय ग्रंथियां ज्यादा सक्रिय होती हैं, जिस के कारण सीबम के सिर की स्किन पर जमने से बाल चिपचिपे हो जाते हैं. इस से सिर में खुजली और बालों में डैंड्रफ होना आम समस्या है. इसलिए सिर की सफाई पर विशेष ध्यान दें और हर दूसरे दिन ऐंटीडैंड्रफ शैंपू करती रहें. बाल धोने से कम से कम 1 घंटा पहले तेल की मालिश करनी चाहिए. इस से बालों में चमक बनी रहेगी साथ ही बारिश के मौसम में बाल चिपचिपे भी नहीं होंगे.

मौनसून में चाय तथा नीबू का हर्बल हेयर रिंस काफी लाभदायक साबित हो सकता है. इस के लिए प्रयोग की गई चायपत्ती को खुले पानी में फिर से उबाल कर ठंडा कर लें और इसे शैंपू के बाद बालों को धोने में उपयोग में लाएं. अंत में 1 मग पानी में नीबू रस मिला कर इस से बालों को धोएं. बालों की मजबूती बनाए रखने के लिए हफ्ते में 3-4 बार बालों को प्रोटीन ट्रीटमैंट दें. इस के लिए फेंटे हुए 1 अंडे को गीले बालों पर लगाएं. 15 मिनट तक इसे लगा रहने दें और फिर पानी से धो लें.

ये भी पढ़ें- Beauty Tips: स्किन टोन के हिसाब से खरीदें नेल पेंट

मौनसून में बालों की देखभाल के टिप्स

मौनसून के मौसम में बालों को हैल्दी और आकर्षक बनाए रखने के लिए निम्नलिखित बातों का खयाल रखें:

तेल की मालिश:

बालों में तेल लगा कर मालिश करने से इन को पोषण मिलता है. बालों की जड़ों तक अच्छी तरह से मालिश करनी चाहिए. इस से बालों का टूटना और रूखापन चला जाता है. हफ्ते में 2-3 बार तेल से मालिश की जा सकती है. तेल लगाने के कुछ घंटे बाद शैंपू करें. मौनसून में बारिश के कारण बालों में गंदगी जल्दी जमा हो जाती है. इसे साफ करने के लिए हफ्ते में 2 बार बालों की हौट औयल से भी मालिश की जा सकती है.

बालों को बांध कर रखें:

बारिश के मौसम में बालों को बांध कर रखना उचित होता है ताकि उन की नमी को बरकरार रखा जा सके. यही नहीं बारिश के मौसम में बालों में पोषण की भी कमी होती है, जिस से वे अधिक झड़ने लगते हैं. अगर आप ऐसे कमजोर बालों पर किसी तरह की स्टाइलिंग वाली चीज का उपयोग करती हैं, तो आप के बाल और कमजोर हो जाएंगे और ज्यादा झड़ने लगेंगे. इसलिए बालों को अच्छी तरह बांध कर रखें.

कंडीशनर का उपयोग:

बरसात के मौसम में बालों के फ्रिजी होने की समस्या अधिक हो सकती है. इस मौसम में हवा में नमी का स्तर बालों को शुष्क बना देता है, जिस से स्पिलिट ऐंड्स होने के साथसाथ हेयर डैमेज और हेयर फौल की समस्या भी शुरू हो जाती है. इसलिए मौनसून में जब भी आप बालों को धोएं तो उस के बाद कंडीशनर जरूर लगाएं. इस से बाल स्मूथ, हैल्दी और फ्रिजी फ्री हो जाएंगे.

बालों को सूखा रखें:

बारिश में भीगना सभी को पसंद है लेकिन अकसर बारिश का पानी अशुद्ध और अम्लीय होता है, जिस से बाल खराब होने का खतरा रहता है. बरसात में जब बाल अधिक समय तक गीले रहते हैं तो स्कैल्प से जुड़ी कई परेशानियां हो सकती हैं. इसलिए बारिश में बाल गीले हों तो इन्हें तुरंत सुखा लें. सूखाने के लिए हेयर ड्रायर के बजाय टौवेल का इस्तेमाल करें.

ये भी पढ़ें- फेस की Redness को ऐसे करें दूर

बाहर निकलते समय बालों को कवर करें:

बरसात के मौसम में घर से बाहर निकलने से पहले बालों को अच्छी तरह स्कार्फ से ढक कर रखें. साथ में छाता भी ले कर निकलें. ऐसा करने से बालों के साथसाथ स्कैल्प की भी देखभाल होगी.

हैल्दी डाइट:

इस मौसम में बालों को झड़ने से रोकने के लिए बाहर का तलाभुना खाना कम से कम खाएं. औयली फूड ब्लड सर्कुलेशन को धीमा कर देता  है. इसलिए बालों को पोषण देने वाला ही भोजन करें. विटामिन ई, विटामिन के और प्रोटीन का उपयोग ज्यादा करें, संतुलित भोजन करें.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें