भूल जाएं कि सरकार आंसू पोंछेगी

देशभर में कोरोना के कारण एक नैगेटिव माहौल है, एक डर है.  मौत से ज्यादा डर मौत से पहले की तड़पन का है, चिकित्सा सुविधाओं के अभावों का है. आमतौर पर जब डर का माहौल होता है, आशा होती है कि सरकार कुछ करेगी, खाली हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठी रहेगी. मगर यहां तो साफ दिख रहा है कि जो सरकार 2014 में जनता की उम्मीदों के बड़े पंखों पर सवार हो कर आई थी वह तो गिद्ध निकली है और मौका ढूंढ़ती है कि जनता की लाशों से कैसे राजनीति की जाए, कैसे उन्हें भुनाया जाए, डर का कैसे लाभ उठाया जाए.

आज हर घर में जो परेशानी है उस का बड़ा बो झ औरतों पर है. वैसे भी दुनिया में जब भी जंग या राजनीतिक उठापटक हुई अंतिम भुगतान औरतों ने किया है. आदमी तो शहीद होते हैं पर अपने पीछे अपने छोड़े खंडहरों को संभालने के लिए औरतों को छोड़ जाते हैं, जो बच्चों की देखभाल और अपने शरीर की अकेले देखभाल के लिए रह जाती हैं.

सोचा गया था कि औरतों को वोट का बराबर का अधिकार मिलेगा तो सरकारें औरतों के बारे में सोचेंगी पर सरकारों ने, शासकों ने, इस तरह का खेल खेला है कि आज कोरोना जैसी आपदा में भी सरकार आंसू पोंछने के लिए कहीं नहीं दिख रही.

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कोरोना के दिनों में सरकार ने अपने हकों या अपनी सुविधाओं में कहीं कोई कमी नहीं की है. देशभर में टैक्स उसी गति से लग रहे हैं और सरकार बारबार बड़े गर्व से कहती है कि लो इस बार फिर जीएसटी का पैसा ज्यादा आया है.

जीएसटी का पैसा ज्यादा आने का अर्थ है लोगों ने उसी कीमत का सामान खरीदने में ज्यादा कर चुकाया, क्योंकि इस देश में कुल उत्पादन तो बढ़ नहीं रहा है. यह अतिरिक्त पैसा किस ने दिया? औरतों ने जिन्होंने और कटौती की.

कोविड के भय के कारण औरतों को घरों में कैद ज्यादा किया गया है. वे ज्यादा नुकसान में हैं जो कमा कर लाती थीं. वे भी जो नहीं लाती थीं. वे भी चारदीवारी में बंद हो कर रह गई हैं और न रिश्तेदारों से मिलबैठ सकती हैं न पड़ोसिनों से.

अगर घर में किसी को कोविड-19 हो जाए तो औरतें ही सब से ज्यादा बो झ ढो रही हैं और वह सरकार जो उन का यह जन्म व अगला सुधारने या मृत्यु के बाद स्वर्ग में स्थान सुरक्षित करने के नाम पर आई थी कहीं नजर नहीं आ रही.

जब दूसरे देशों की सरकारों ने राहत के लिए लोगों के अकाउंटों में पैसा डाला, भारत में पैट्रोल, घरेलू गैस के दाम बढ़े हैं, रोजमर्रा की चीजों पर मिलने वाली छूट कम हुई है, दवाएं महंगी हुई हैं, आय कम हुई है और ये सब सरकार ने किया है.

यह वह सरकार है, जिस ने पश्चिम बंगाल में ताबड़तोड़ चुनावी सभाएं कीं, जिन में प्रधानमंत्री कहते थकते नहीं थे कि जहां तक मेरी नजर जाती है वहां तक लोग ही लोग हैं.

दूसरी जगहों पर 4 जने इकट्ठे हो जाने पर डंडे मारने वाली सरकार ने इस भारी भीड़ को बिना मास्क, गाल से गाल मिला कर बैठने की इजाजत दी जबकि देशभर में कितनी ही जगह पुलिस वालों ने औरतों को भी बाजार से सामान लानेलेजाने के समय मास्क न पहनने पर बुरी तरह लाठियों से पीटा है जो बहुत से वीडियों में कैप्चर किया गया.

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आमतौर पर ‘जनता’ शब्द का इस्तेमाल कर के यह मान लिया जाता है कि सरकारी आतंक को आदमी ही  झेल रहे हैं पर यहां ‘जनता’ का अर्थ अब औरतें ही रह गया है जो अपनी बात केवल रटीरटाई आरती या भजन से कह सकती हैं और किसी काल्पनिक भगवान की प्रार्थना करकर मर जाती हैं.

सदियों से सीताएं और द्रौपदियां दंड  झेलती रही हैं ताकि राम और युधिष्ठिर के अहम की तुष्टि होती रहे. आज हमें इस का बीभत्स रूप दिखने को मिल रहा है और महान शासक अपनी छवि निखारने के लिए नए महल को बनवाने में लगे हैं मानों महल के बाहर कहीं कुछ खराब हो ही नहीं रहा.

5 TIPS: सोच समझकर खरीदें गहनें

गहने पहनना किसे पसंद नहीं होता. गहनों को पहनने में जितना मजा आता है उससे ज्यादा कुछ लोगों को उनकी खरीददारी करने का शौक होता है. लेकिन गहने पहनना और खरीदना ही काफी नहीं होता. इसके लिए आपको गहनों की परख, समझदारी, और सूझ-बूझ की भी जरूरत होती है. अक्सर हम में से कई लोगों के साथ ऐसा होता है कि जब भी हम किसी ज्वेलरी शॉप में जाते हैं, तो ऐसे कई तरह के गहने होते हैं जिनकी खूबसूरती हमारी आँखों को आपनी ओर आकर्षित कर ही लेती है. और हम उसे खरीद लेते हैं. लेकिन ये कितना समझदारी का काम है? क्या गहनों की खरीददारी के लिए इतनी जानकारी काफी है? तो हमारा जवाब होगा नहीं.

1. जानिए आपका स्टाइल- गहनों को खरीदते समय आपको बस यूँ ही खरीददारी नहीं करनी, आपको अपने स्टाइल के बारे में भी पता होना चाहिए. आपको पता होना चाहिए कि आपको आखिर चाहिए क्या. अगर आप ट्रेडिशनल गहनें खरीदना चाहती हैं या आज कल के ट्रेंडी फंकी गहनें. आपको ज्वेलरी शॉप में घुसते समय ही अपने दिमाग में इस बात को क्लियर कर लेना है. वहीं अगर आपको कोई रत्न पसंद है तो आप उस रत्न के बारे में जान लें, ताकि आप दुकानदार से बात कर सकें. अगर आपने किसी भी तरह की शैली का चुनाव पहले कर लिया तो आपके लिए गहनों का चुनाव भी आसान हो जाएगा.

2. अपना बजट करें तय- आपको गहनें अपने लिए लेने हों या किसी को गिफ्ट देना हो. आप सबसे पहले अपना बजट तय करें. क्योंकि आपने खरीददारी करते समय अगर अपने बजट की लाइन ड्रा कर ली तो आपके लिए ही आसानी होगी. लेकिन हां आपके लिए विकल्प थोड़े कम हो सकते हैं. लेकिन आपकी जेब पर गहरा असर नहीं पड़ेगा.

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3. गहनों के बारे में नॉलेज जरूरी- आपको जिस चीज की खरीदारी करनी है, उसके बारे में सिर्फ थोड़ी सी जानकारी काफी नहीं है. आपको समय के साथ और अन्य चीजों के लिए भी खुद को अपग्रेड करने की जरूरत है. किसी भी तरह की खरीददारी करने से पहले उसके बारे में नॉलेज प्राप्त करना और पढ़ना सबसे अच्छा विकल्प है. आप जब भी गहनों की खरीददारी करते हैं तो आपको कैरेट के बारे में पता होना चाहिए. अगर किसी दुकानदार को ये पता चल गया कि आपको कोई नॉलेज है ही नहीं, तो वो आपको आसानी से ठग भी सकता है.

4. हमेशा अच्छी दुकान से करें शॉपिंग- अगर आप कीमती गहनों की खरीददारी करने वाले हैं, तो हमेशा अच्छे, प्रतिष्ठित और विश्वसनीय दुकानदार से ही खरीददारी करें. क्योंकि अच्छी दुकानें हमेशा हीरे, सोने या अन्य जवाहारात खरीदने से वो आपको प्रमाण भी देंगे.

5. होलमार्क वाले खरीदें गहनें- गहनें खरीदते समय भले ही दुकानदार कितना ही विश्वसनीय क्यों ना हो, वो कितना ही खुद को खरा क्यों ना बताता हो, लेकिन समझदारी हमेशा आपको ही दिखानी होगी. आपको गहनें खरीदते समय उसमें होल्मार्किंग हो इसका ध्यान रखना होगा. क्योंकि असली सोने के गहनों में कैरेट की संख्या का एक होल्मार्किंग इशारा होता है. इसका मतलब यही होता है कि सोना खरा है और आप इस पर विश्वास कर सकते हैं. सबसे बड़ी बात भविष्य में आप जब भी उस जेवर को बेचेंगे तो आपको पूरी कीमत मिलेगी.

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अब जब आपको गहने खरीदने जाना हो तो हमारी बताई हुई इन बातों का ख्याल जरुर रखें. इससे आपकी समझदारी झलकेगी और आपको दुकानदार ठगेगा भी नहीं.

व्हाइट हैड्स से छुटकारा पाने के लिए स्क्रबिंग का सही समय कौनसा है?

सवाल-

मैं ब्लैक हैड्स और व्हाइट हैड्स से छुटकारा पाने के लिए स्क्रबिंग शुरू करना चाहती हूं लेकिन उसे करने का कौन सा सही समय है यह जानना चाहती हूं ताकि सही इफैक्ट मिल सके?

जवाब-

ब्लैक हैड्स और व्हाइट हैड्स होने पर सब से पहले तो आप किसी अच्छे क्लीनिक में जा कर ओजोन ट्रीटमैंट से इन्हें दूर करवाएं. इस से ब्लैक हैड्स निकालने में दर्द नहीं होता और ब्लैक हैड्स के निशान भी नहीं पड़ते.

इस के बाद इन से हमेशा के लिए छुटकारा पाने के लिए सुबह नहाते समय रैग्युलर फेस पर साबुन लगाने की जगह 5 से 10 सैकंड स्क्रब करें. इस से आप के चेहरे पर ब्लैक हैड्स और व्हाइट हैड्स होते ही नहीं. साथ ही आप को स्क्रबिंग के लिए अलग से समय नहीं निकालना होगा.

स्क्रबिंग के बाद आप फेस पर सीरम लगा लें, जिस से स्क्रब के बाद खुले हुए पोर्स से सीरम स्किन के अंदर जा कर आप की स्किन को नरिशमैंट देगा.

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बढ़ते पौल्यूशन के कारण फेस पर धूल-मिट्टी के कारण हमारा फेस डल होने लगता है और हमारी स्किन जवां नही रहती. फेस को क्लीन करना जरूरी होता है, जिसके लिए स्क्रबिंग करना बहुत जरूरी है. आज हम आपको स्किन टोन के हिसाब से सक्रब कैसे करें इसके लिए कुछ टिप्स बताएंगे, जिसे ट्राय करके आप घर पर आसानी से स्क्रब कर सकते हैं.

औयली स्किन पर ऐसे करें स्क्रब

1/2 कप हरे चने मैश कर लें. उस में 1 बड़ा चम्मच दही व पानी मिला कर पेस्ट बना लें. इस से हलके हाथों से चेहरे को स्क्रब करें. ठंडे पानी से धो लें. साबुन न लगाएं.

1/2 कप चावल के आटे में 1/2 कप कच्चा पपीता मैश कर के मिला लें और इस में आधे नीबू का रस भी मिला लें. चेहरे को हलका गीला कर के इस पेस्ट से स्क्रब करें.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- Beauty Tips: स्किन टाइप के मुताबिक घर पर ऐसे करें स्क्रबिंग

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

जानें मूड रिफ्रेश करने के 6 आसान टिप्स

कोरोना महामारी के कारण इस समय चारों ओर उदासी और नैराश्य छाया हुआ है, टी वी चैंनलों पर न्यूज का स्थान कोरोना संबंधित खबरों ने ले लिया है, हमारे कितने ही अपने इस संसार को अलविदा कह गये हैं. ऐसे में मन में उदासी या तनाव का आना स्वाभाविक सी बात है. कई बार अपने आप से अथक संघर्ष करने के बाद हम स्वयं को आशावादी भावनाओं और सकारात्मकता की ओर ले जाते हैं परन्तु फिर किसी अप्रत्याशित समाचार को सुनकर मन व्यथित हो जाता है और मन पुनः उदासी और नैराश्य के भावों से घिर जाता है यही नहीं कई बार तो जिंदगी बड़ी बोझिल और नीरस सी प्रतीत होने लगती है.  ऐसे में समझ नहीं आता कि क्या किया जाए जिससे मूड ठीक हो जाये. आप निम्न उपायों को अपनाकर अपने बिगड़े या उदास मूड को ठीक करने का उपाय कर सकतीं हैं-

-घर को व्यवस्थित करें

शोध के अनुसार यदि घर या कमरे में सब कुछ एकदम अस्त व्यस्त है तो मूड एकदम उखड़ा रहता है और हम तनावग्रस्त हो जाते हैं, इसलिए जब भी आपका मूड खराब हो आप अपने घर या कमरे को व्यवस्थित करें, घर को थोड़ा परिवर्तनशील बनाएं अर्थात चीजों का स्थान परिवर्तन करें इससे घर मे आपको नवीनता लगेगी और आप काफी हद तक आप बेहतर फील करेंगे.

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-हाइड्रेट रहें

रिसर्च के अनुसार शरीर में पानी की कमी से कब्ज और लो ब्लड प्रेशर की समस्या हो जाती है, जिसका सीधा असर मूड पर भी पड़ता है इसलिए दिन में कम से कम 10 ग्लास पानी अवश्य पिएं ताकि आप स्वयम को तरोताजा महसूस कर सकें. गर्मियों के मौसम में आप शरीर को शर्बत, ज्यूस और शेक्स और तरबूज, खरबूज जैसे फलों  का सेवन करके भी हाइड्रेट रख सकतीं हैं.

-प्रकृति के नजदीक जाएं

अमेरिका से प्रकाशित सिटीज जरनल के अनुसार पौधों की कटाई, छंटाई और खुदाई के दौरान हमारा ध्यान आसपास की चिंताओं और परेशानियों से हट जाता है. इसके अतिरिक्त आप अपने घर के गार्डन अथवा नजदीक के पार्क में जाएं और वहां के फूलों, पत्तियों और पेड़ों के विकास की प्रक्रिया को गौर से देखें, कुछ ही समय में आपका मूड ठीक हो जाएगा.

-सुबह की चाय

विभिन्न शोधों के अनुसार चाय स्वाभाविक मूड बस्टर  फ्लेवोनॉयड्स का बहुत अच्छा स्रोत है इसलिए सुबह की चाय मानसिक और शारीरिक थकावट दूर करके ताजगी देने वाली होती है. यदि सम्भव है तो अपने पार्टनर के साथ बालकनी या गार्डन में बैठकर प्रकृति का आनंद लेते हुए साथ साथ चाय पिएं .

-मनचाहा काम करें

लिखना, पढ़ना, खाना बनाना, संगीत सुनना या गायन आदि जैसे कार्य जिन्हें करने से आपके मन को सुकून मिलता हो, उन्हें करने का प्रयास करें. यदि आप मूवी के शौकीन हैं तो मूवी देखें, हो सकता है प्रारम्भ में आपका कुछ भी करने का मन न हो परन्तु फिर भी आप स्वयम को व्यस्त रखने का प्रयास करें. कुछ समय पश्चात आपका मन लगने लगेगा.

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-सकारात्मक रहें

मनोवैज्ञानिक कीर्ति वर्मा कहतीं हैं ,”ऐसे में आप अपने जीवन की अच्छाइयों, घटनाओं और आपसे जुड़े अच्छे लोंगों के बारे में सोचें, इससे आपके मन के नकारात्मक विचार गायब होने लगेंगे.” शोध बताते हैं कि परिस्थितियां कितनी भी विपरीत हों परन्तु सकारात्मक विचारों से उन पर विजय सुगमता से पाई जा सकती है.

Monsoon Special: फैमिली के लिए बनाए सैंडविच की नई रेसिपी

सैंडविच की अलग-अलग रेसिपी आप अपनी फैमिली के लिए ट्राय कर सकती हैं, जो आपकी फैमिली को खुश कर देगा.

मसाला रोस्टेड सैंडविच

सामग्री

–  1 मीडियम प्याज कटा

–  1 टमाटर कटा

–  1 शिमलामिर्च कटी

–  100 ग्राम चीज कद्दूकस किया

–  2 ग्राम ओरिगैनो

–  थोड़े से चिली फ्लैक्स

–  1 ग्राम गार्लिक पाउडर

–  10 ग्राम मक्खन

–  1 बड़ा चम्मच औलिव औयल

–  2 पीस सैंडविच ब्रैड

–  थोड़ी सी पिज्जा सौस

–  थोड़ी सी व्हाइट पैपर

–  नमक स्वादानुसार.

स्टफिंग की तैयारी

एक बाउल में प्याज, टमाटर, शिमलामिर्च, ओरिगैनो, चिली फ्लैक्स, गार्लिक पाउडर, नमक, व्हाइट पैपर व औलिव औयल डाल कर अच्छी तरह मिलाएं. सैंडविच के लिए स्टफिंग तैयार है.

विधि

सब से पहले ब्रैड के एक पीस पर बटर व दूसरे पर पिज्जा सौस लगाएं. फिर पिज्जा सौस वाले ब्रैडस्लाइस पर स्टफिंग रख कर उस पर कद्दूकस किया चीज डालें. अब उस पर बटर वाला ब्रैडस्लाइस रख कर उस पर दोबारा कद्दूकस किया चीज डालें. फिर इसे ओवन में 170-180 डिग्री सैंटीग्रेड पर तब तक बेक करें जब तक चीज पिघल न जाए और सैंडविच गोल्डन ब्राउन न हो जाए. अब सैंडविच को बीच से काट कर के टोमैटो कैचअप व पोटैटो वेफर्स के साथ सर्व करें.

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पास्ता रोस्टेड सैंडविच

सामग्री

–  1 कप पास्ता

–  5-6 तुलसी के पत्ते

–  2 टमाटर

–  1 बड़ा चम्मच औलिव औयल

–  3-4 लहसुन की कलियां

–  1 छोटा चम्मच ओरिगैनो

–  1 बड़ा चम्मच चिली फ्लैक्स

–  1 बड़ा चम्मच टोमैटो कैचअप

–  1 बड़ा चम्मच मेयोनीज

–  1 बड़ा चम्मच परमेसन चीज

–  50 ग्राम कद्दूकस किया चीज

–  थोड़ी सी व्हाइट पैपर

–  नमक स्वादानुसार.

सौस बनाने की विधि

सब से पहले नमक के पानी में टमाटरों को ब्लांच करें. फिर छिलका उतार कर बीज अलग करें और टमाटर के गूदे को बारीक काट लें. अब एक पैन में औलिव औयल को गरम कर के उस में कटा लहसुन डाल कर सुनहरा होने तक चलाएं. अब इस में टोमैटो पल्प, साल्ट पैपर सीजनिंग डाल कर तब तक पकाएं जब तक टमाटरों का सारा पानी सूख न जाए. अब इस में थोड़ा सा ओरिगैनो, चिली फ्लैक्स, तुलसी के पत्ते व चीज डाल कर अच्छी तरह मिलाएं. सौस तैयार है.

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पास्ता की विधि

एक पैन में पानी, नमक और औयल डाल कर उस में पास्ता उबालें. जब पास्ता उबल हो जाए तो उसे छलनी में डाल कर पानी निकाल दें. फिर पास्ता में टोमैटो सौस ऐड करें. फिलिंग तैयार है.

विधि

ब्रैडस्लाइसेज पर मेयोनीज लगाएं. अब इस पर टोमैटो पास्ता फिलिंग अप्लाई करें. फिर इस पर कद्दूकस किया चीज, बचा ओरिगैनो व चिली फ्लैक्स डालें. अब इस पर दूसरा ब्रैडस्लाइस रख कर उस पर पास्ता फिलिंग व चीज डालें. फिर इसे पहले से गरम ओवन में 180 डिग्री सैल्सियस पर तब तक पकाएं जब तक चीज पिघल न जाए व सैंडविच गोल्डन ब्राउन न हो जाए. अब सैंडविच को आधा काट कर टोमैटो कैचअप व मेयोनीज के साथ  सर्व करें.

ग्लैमरस अंदाज में दिखीं हिना खान, फैंस कर रहे हैं जमकर तारीफें

सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में ‘अक्षरा’ के रोल से फैंस की दिल जीतने वाली एक्ट्रेस हिना खान आज फैशन सेंसेशन बन चुकी हैं. हर कोई उनके लुक्स और अदाओं का दीवाना है. इसी बीच हिना खान का लेटेस्ट ग्लैमरस अंदाज फैंस के बीच छाया हुआ है. आइए आपको दिखाते हैं हिना खान के लेटेस्ट फैशन की झलक….

ग्लैमरस अंदाज में जीता फैंस का दिल

 

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एक्ट्रेस हिना खान ने हाल ही में अपने लेटेस्ट वीडियो ‘बारिश बन जाना’ की शूटिंग खत्म की है, जिसके बाद उन्होंने एक फोटोशूट करवाया. इस फोटोशूट में हिना खान येलो ड्रेस में कहर ढाती नजर आईं. वहीं ज्वैलरी की बात करें तो सिंपल रिंग के साथ हिना खान का ये लुक कातिलाना लग रहा है. फैंस को हिना का ये अंदाज को काफी पसंद आ रहा है.

 

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स्टाइलिश आउटफिट में नजर आती हैं हिना

 

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हाल ही में हिना खान के स्टाइलिश लुक की जमकर सोशलमीडिया पर तारीफ हुई थी. दरअसल, हिना खान ने हाल ही में कुछ फोटोज शेयर की थीं, जिसमें वह ग्रीन कलर की एसिमेट्रिकल पैटर्न वाली रफल्ड वन शोल्डर ड्रेस में नजर आईं थीं, जिसमें उनका लुक एलीगेंट लग रहा था. पार्टी के लिए हिना खान के ये लुक्स परफेक्ट औप्शन है.

 

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 देसी अवतार में नजर आईं थी हिना खान

 

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बीते दिनों पिता की कार्डियक अरेस्ट से निधन और कोरोना का सामना करने के बाद हिना खान ने पहली बार अपनी फैशन फोटोज इंस्टाग्राम पर शेयर की थीं. इन फोटोज में हिना खान देसी अवतार में नजर आईं.  काले रंग के कढ़ाईदार सूट में हिना खान बेहद खूबसूरत लग रही हैं. हिना खान ने सूट के साथ मैचिंग ज्वैलरी भी कैरी की. ज्वैलरी की बात करें तो मैटल की ये ज्वैलरी के साथ औक्साइड ज्वैलरी बेहद खूबसूरत लग रही है. सिंपल लुक के साथ हिना खान का मेकअप भी बेहद अच्छा था.

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कपिल शर्मा ने पहली बार शेयर की बेटे की फोटो, अनायरा संग आए नजर

टीवी के पौपुलर कौमीडियन कपिल शर्मा (Kapil Sharma) आए दिन सुर्खियों में रहते हैं. प्रोफेशनल तो कभी पर्सनल लाइफ के चलते कपिल शर्मा के फैंस उनसे सवाल पूछते हैं. दरअसल, सोशलमीडिया पर फैंस कपिल शर्मा से बेटी अनायरा की वीडियो या फोटोज शेयर करने के लिए कहते हैं वहीं बेटा होने के बाद अब फैंस कपिल शर्मा से बेटे की फोटो शेयर करने की बात कहते हुए नजर आए. इसी बीच कपिल ने फादर्स डे (Father’s Day) के मौके पर पर अपने दोनों बच्चों की फोटोज शेयर की है, जिसे फैंस काफी पसंद कर रहे हैं. आइए आपको दिखाते हैं कपिल शर्मा के बेटे की पहली फोटो…

बच्चों संग शेयर की फोटो

 

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फैंस के कहने पर कपिल शर्मा ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक फोटो शेयर की है, जिसमें कपिल की गोद में उनके दोनों बच्चे अनायरा और त्रिशान बैठे हुए नजर आ रहे हैं. वहीं कपिल शर्मा ने इस फोटो के साथ मजेदार कैप्शन भी शेयर करते हुए लिखा, ‘पब्लिक की पुरजोर मांग पर अनायरा और त्रिशान पहली बार एक साथ.

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फैंस कर रहे हैं तारीफें

 

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अनायरा और त्रिशान की फोटो देखकर फैंस काफी तारीफें कर रहे हैं. वहीं सोशल मीडिया पर दोनों की फोटो तेजी से वायरल भी हो रही है. हालांकि इससे पहले कपिल शर्मा अपनी बेटी अनायरा की फोटोज और वीडियो सोशलमीडिया पर शेयर करते रहे हैं, जिसे फैंस का प्यारा रिएक्शन मिला है. वहीं बेटे त्रिशान की पहली फोटो शेयर करने के बाद फैंस बेहद खुश हैं.

बता दें, कपिल शर्मा और उनकी पत्नी गिन्नी चतरथ की शादी दिसंबर, 2018 में हुई थी. जिसके बाद दिसंबर, 2019 में दोनों की बेटी अनायरा ने जन्म लिया था. वहीं 1 फरवरी 2021 को कपिल शर्मा दूसरे बच्चे यानी त्रिशान शर्मा के पैरेंट्स बने हैं.

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सरहद पार से- भाग 3 : अपने सपनों की रानी क्या कौस्तुभ को मिल पाई

लेखिका- उषा रानी

‘‘यह सच है, अहमद मुझे पाना चाहता था पर उस में इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह मुझे भगाता. एक औरत हो कर कुलसुम आपा ने मेरा जीवन नरक बना दिया. क्या बिगाड़ा था मैं ने उन का. हमेशा मैं ने सम्मान दिया उन्हें लेकिन…’’ और सुमेधा ऊपर देखने लगीं.

‘‘जज अंकल गए थे तेरे पास तो अहमद को क्या कहा उन्होंने?’’ बात की तह में जाने के लिए सुनयना ने पूछा.

‘‘उन्होंने पहले मुझ से पूछा कि अहमद ने मेरे साथ कोई बदतमीजी तो नहीं की. मेरे ‘न’ कहने पर वे बोले, ‘देखो बेटा, यह जीवन अल्लाह की दी हुई नेमत है. इसे गंवाने की कभी मत सोचना. इस के लिए सजा इस बूढ़े बाप को मत देना. तुम कहो तो मैं तुम्हें अपने साथ ले चलता हूं.’ लेकिन मैं ने मना कर दिया, सुनयना. मेरा तो जीवन इन भाईबहन ने बरबाद कर ही दिया था, अब मैं नवनीत, गरिमा और मम्मीपापा की जिंदगी क्यों नरक करती. ठीक किया न?’’ सुमेधा की आंखें एकदम सूखी थीं.

‘‘तो तू ने अहमद से समझौता कर लिया?’’

‘‘जज अंकल ने कहा कि बेटा, मैं तो इसे कभी माफ नहीं कर पाऊंगा, हो सके तो तू कर दे. उन्होंने अहमद से कहा, ‘देख, यह मेरी बेटी है. इसे अगर जरा भी तकलीफ हुई तो मैं तुम्हें दोनों मुल्कों में कहीं का नहीं छोड़ूंगा.’ दूसरी बार वह केतकी के जन्म पर आए थे, बहुत प्यार किया इसे. यह तो कई बार दादादादी के पास हो भी आई. दो बार तो अंसारी अंकल इसे मम्मी से भी मिलवा लाए.

‘‘जानती है सुनयना, अंसारी अंकल ने कुलसुम आपा को कभी माफ नहीं किया. आंटी उन से मिलने को तरसती मर गईं. आंटी को कभी वह लाहौर नहीं लाए. अंकल ने अपने ही बेटे को जायदाद से बेदखल कर दिया और जायदाद मेरे और केतकी के नाम कर दी. शायद आंटी भी अपने बेटेबेटी को कभी माफ नहीं कर सकीं. तभी तो मरते समय अपने सारे गहने मेरे पास भिजवा दिए.’’

सुमेधा की दुखभरी कहानी सुन कर सुनयना सोचती रहीं कि एक ही परिवार में अलगअलग लोग.

अंकल इतने शरीफ और बेटाबेटी ऐसे. कौन कहता है कि धर्म इनसान को अच्छा या बुरा बनाता है. इनसानियत का नाता किसी धर्म से नहीं, उस की अंतरात्मा की शक्ति से होता है.

‘‘लेकिन यह बता, तू ने अहमद को माफ कैसे कर दिया?’’

‘‘हां, मैं ने उसे माफ किया, उस के साथ निभाया. मुझे उस की शराफत ने, उस की दरियादिली ने, उस के सच्चे प्रेम ने, उस के पश्चात्ताप ने इस के लिए मजबूर किया था.’’

‘‘अहमद और शराफती?’’ सुनयना चौंक कर पूछ बैठीं.

‘‘हां सुनयना, उस ने 2 साल तक मुझे हाथ नहीं लगाया. मैं ने उसे समझने में बहुत देर लगाई. लेकिन फिर ठीक समझा. मैं समझ गई कि कुलसुम आपा इसे न उकसातीं, शह न देतीं तो वह कभी भी ऐसा घिनौना कदम नहीं उठाता. मैं ने उसे बिलखबिलख कर रोते देखा है.

‘‘अहमद ने एक नेक काम किया कि उस ने मेरा धर्म नहीं बदला. मैं आज भी हिंदू हूं. मेरी बेटी भी हिंदू है. हमारे घर में मांसाहारी भोजन नहीं बनता है. बस, केतकी के जन्म पर उस ने एक बात कही, वह भी मिन्नत कर के, कि मैं उस का नाम बिलकुल ऐसा न रखू जो वहां चल ही न पाए.’’

‘‘तू सच कह रही है? अहमद ऐसा है?’’ सुनयना को जैसे विश्वास ही नहीं हो रहा था.

‘‘हां, अहमद ऐसा ही है, सुनयना. वह तो उस पर जुनून सवार हो गया था. मैं ने उसे सचमुच माफ कर दिया है.’’

‘‘तो तू पटना क्यों नहीं गई? एक बार तो आंटी से मिल आ.’’

‘‘मुझ में साहस नहीं है. तू ले चले तो चलूं. मायके की देहली के दरस को तरस गई हूं. सुनयना, एक बार मम्मी से मिलवा दे. तेरे पैर पड़ती हूं,’’ कह कर सुमेधा सुनयना के पैरों पर गिर पड़ी.

‘‘क्या कर रही है…पागल हो गई है क्या…मैं तुझे ले चलूं. क्या मतलब?’’

‘‘देख, मम्मी ने कहा है कि अगर तू केतकी को अपनाने को तैयार हो गई तो वह अपने हाथों से कन्यादान करेंगी. बेटी न सही, बेटी की बेटी तो इज्जत से बिरादरी में चली जाए.’’

‘‘तू लाहौर से अकेली आई है?’’

‘‘नहीं, अहमद और केतकी भी हैं. मेरी हिम्मत नहीं हुई उन्हें यहां लाने की.’’

‘‘अच्छा, उदयेश को आने दे?’’ सुनयना बोलीं, ‘‘देखते हैं क्या होता है. तू कुछ खापी तो ले.’’

सुनयना ने उदयेश को फोन किया और सोचती रही कि क्या धर्म इतना कमजोर है कि दूसरे धर्म के साथ संयोग होते ही समाप्त हो जाए और फिर  क्या धार्मिक कट्टरता इनसानियत से बड़ी है? क्या धर्म आत्मा के स्नेह के बंधन से ज्यादा बड़ा है?

उदयेश आए, सारी बात सुनी. सब ने साथ में लंच किया. सुमेधा को उन्होंने कई बार देखा पर नमस्ते के अलावा बोले कुछ नहीं.

उदयेशजी ने गाड़ी निकाली और दोनों को साथ ले कर होटल पहुंचे. सब लोग बैठ गए. सभी चुप थे. अहमद ने कौफी मंगवाई और पांचों चुपचाप कौफी पीते रहे. आखिर कमरे के इस सन्नाटे को उदयेशजी ने तोड़ा :

‘‘एक बात बताइए डा. अंसारी, आप की सरकार, आप की बिरादरी कोई हंगामा तो खड़ा नहीं करेगी?’’

अहमद ने उदयेश का हाथ पकड़ा, ‘‘उदयेशजी, सरकार कुछ नहीं करेगी. बिरादरी हमारी कोई है नहीं. बस, इनसानियत है. आप मेरी बेटी को कुबूल कर लीजिए. मुझे उस पाप से नजात दिलाइए, जो मैं ने 25 साल पहले किया था.

‘‘सरहद पार से अपनी बेटी एक हिंदू को सौंपने आया हूं. प्लीज, सुनयनाजी, आप की सहेली 25 साल से जिस आग में जल रही है, उस से उसे बचा लीजिए,’’ कहते हुए वह वहीं फर्श पर उन के पैरों के आगे अपना माथा रगड़ने लगा.

उदयेश ने डा. अंसारी को उठाया और गले से लगा कर बोले, ‘‘आप सरहद पार से हमें इतना अच्छा तोहफा देने आए हैं और हम बारात ले कर पटना तक नहीं जा सकते? इतने भी हैवान नहीं हैं हम. जाइए, विवाह की तैयारियां कीजिए.’’

सुनयनाजी ने अपने हाथ का कंगन उतार कर केतकी की कलाई में डाल दिया.

जब ऐसा मिलन हो, दो सहेलियों का, दो प्रेमियों का, दो संस्कृतियों का, दो धर्मों का तो फिर सरहद पर कांटे क्यों? गोलियों की बौछारें क्यों?

बच्चों को कोरोना से बचाने के लिए सिखाएं ये 8 आदतें

गत वर्ष से कोरोना का कहर जारी है, पहली लहर की अपेक्षा दूसरी लहर बहुत घातक सिद्ध हुई है. वैज्ञानिकों और डॉक्टरों के अनुसार तीसरी लहर का आना भी तय है भले ही यह कब आएगी यह सुनिश्चित अभी नहीं किया जा सका है. पहली लहर के अनुपात में दूसरी लहर ने युवाओं और बच्चों को भी अपनी चपेट में ले लिया.

डॉक्टरों के अनुसार तीसरी लहर में सर्वाधिक प्रभावित बच्चे होंगे, इसलिए बच्चों को अभी से सतर्क करना, कोरोना से बचाव के तरीकों और आदतों को उनके व्यवहार में लाना अत्यंत आवश्यक है. यूं भी शोध बताते हैं हम सभी को कोरोना के साथ जीने की आदत डालनी होगी क्योंकि यह समय समय पर अपना प्रकोप दिखाता रहेगा. जून माह से धीरे धीरे अनलॉक की प्रक्रिया भी प्रारम्भ होने वाली है. लगभग दो माह से बच्चे भी घर में कैद हैं. कोरोना का प्रकोप भी कुछ कम हुआ है. अनलॉक होने के साथ धीरे धीरे जिंदगी भी पटरी पर लौटने लगेगी. बच्चों का भी अपने दोस्तों के साथ खेलना और मिलना जुलना प्रारम्भ हो ही जायेगा. इस समय जब कि बच्चे पूरे समय घर पर है उन्हें कोरोना से बचने के तरीकों को अपनी आदत में शुमार करने की समझाइश देने की आवश्यकता है.

1. – घर से बाहर निकलते समय मास्क पहनना, बार बार हाथ धोना और आसपास के लोंगों से 2 फ़ीट की दूरी बनाए रखना.

2. -घर से बाहर दोस्तों आदि के साथ खेलते समय भी चेहरे से मास्क न हटाना और बीच बीच में हाथों को सेनेटाइज करते रहना.

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3. -खेलते समय दूसरे की बोतल का पानी या खाद्य वस्तुओं का प्रयोग न करना.

4. -एक दूसरे की साइकिल या खिलौनों को एक्सचेंज करने से बचना.

5. -दोस्तों से बातचीत करते समय हर हाल में सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन रखना.

6. -बाहर से आकर सबसे पहले साबुन से हाथ धोना.

7. -दुकान के सामान को छूकर देखना या लिफ्ट के सभी बटनों को छूना अथवा सोसाइटी के कैम्प्स की विभिन्न वस्तुओं को चलते फिरते छूने की बच्चों की आदत होती है. उन्हें यह सब न करने की सख्त हिदायत देनी अत्यंत आवश्यक है.

8. -घर से बाहर जाते समय अपने बैग या जेब में सेनेटाइजर ले जाना न भूलना.

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 (मॉडल और अभिनेता)

धारावाहिक ‘कोई अपना सा’ से अभिनय कैरियर की शुरुआत करने वाले अभिनेता ऋषिकेश पांडे आर्मी बैकग्राउंड से है. उन्हें सफलता CID धारावाहिक में इंस्पेक्टर सचिन की भूमिका से मिली. अभिनय से पहले वे एक एजेंसी में मार्केटिंग का काम किया करते थे. वहां आने वाले लोगों से ऋषिकेश की जान पहचान बढ़ी और उन्होंने मॉडलिंग शुरू की. थोड़े दिनों बाद उन्होंने धारावाहिक ‘कोई अपना सा’के लिए ऑडिशन दिया और काम मिल गया. इसके बाद उन्हें पीछे मुड़कर देखना नहीं पड़ा. उनके कुछ प्रमुख सीरियल इस प्रकार है, कहानी घर-घर की, विक्रम और गबराल, कामिनी दामिनी, हमारी बेटियों का विवाह, तारक मेहता का उल्टा चश्मा आदि कई है. अभी वे ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में मुकेश की भूमिका निभा रहे है. काम के दौरान उनका परिचय तृषा दबास से हुआ. प्यार हुआ, शादी की और एक बेटे दक्षय पांडे के पिता बने, लेकिन कुछ पर्सनल अनबन की वजह से 10 साल पहले ऋषिकेश औरतृषा एक दूसरे से अलग हो गए. इस साल उनकाकानूनी तौर पर डिवोर्स कुछ महीने पहले हो चुका है.

मुश्किल था बेटे को संभालना

 

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ऋषिकेश अपने बेटे दक्षय का पालन-पोषण खुद कर रहे है. काम के साथ बेटे की देखभाल कैसे करते है, पूछे जाने पर वे कहते है कि एक छोटे बच्चे के साथ काम बहुत कठिन और तनावपूर्ण था. शादी के बाद सब ठीक था, लेकिन कुछ सालो बाद हम दोनों में अनबन शुरू हो गयी. तृषा मुझे छोड़ अलग रहने लगी. मेरा जीवन हमेशा से बहुत सिंपल रहा है, मुझे पार्टी, नशा ये सब पसंद नहीं. काम के बाद घर पर आना ही मेरा उद्देश्य रहा. डिवोर्स के बाद अच्छी बात ये रही कि तृषा के पेरेंट्स, बहन और कजिन्स ने मेरा साथ दिया, इसलिए कई बार जरुरत पड़ने पर मैं बेटे को उसके नाना-नानी के घर छोड़ता था. वे लोग मेरातृषा से अलग होने की वजह जानते है. इस प्रकार मेरे लिए काम के साथ बच्चे को सम्हालना मुश्किल हो रहा था. कई बार पूरी रात शूटिंग करने के बाद 300 किमी गाड़ी चलाकर उसके स्कूल के फंक्शन में जाता था और टीचर से मिलकर उसे स्कूल पहुंचाकर मैं शूटिंग पर सुबह 11 बजे चला जाता था. बेटे के बीमार होने पर पूरी रात शूट कर उसके पास दिन में रहता था. तब मैंने सोचा कि मैं या तो बच्चा सम्हालूँ या काम करूँ. दोनों काम एक साथ करने में बहुत मुश्किल हो रहा था. जब हमारी अनबन चल रही थी, उस दौरान मेरे पिता की भी मृत्यु हो गयी थी. उस समय मेरा बेटा बहुत छोटा था और तीसरी कक्षा में पढता था. एक बार उसकी छुट्टियां शुरू होने पर उसे कहाँ रखूं उसकी समस्या हो रही थी. उसे मैं अपनी माँ के पास भी छोड़ नहीं सकता था, क्योंकि पिता की मृत्यु के बाद माँ बीमार रहने लगी थी. मैं सोचता था कि बेटे को हमारी बातें न बताई जाय, ताकि उसके मन पर गहरा चोट न लगे. इसलिए पहले की तरह ही बच्चे की देखभाल करता रहा. अभी मैंने उसे होस्टल में डाल दिया  है, क्योंकि अब वह 12 साल का हो चुका है. लॉकडाउन की वजह से अभी वह मेरे साथ मुंबई में है.

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रिश्ता दोस्ती का

ऋषिकेश का बेटे दक्षय के साथ दोस्ती का रिश्ता है. उसे वे ऐसा माहौल देना चाहते है, जिससे उनका बेटा उनसे कुछ न छुपा सकें. ऋषिकेश खुद भी कोई बात बेटे से छुपाते नहीं. कई बार अनुशासन में रखने के लिए थोड़ी कड़क व्यवहार करते है. वैसे दक्षय शांत बच्चा है, वह अपनी पढाई और खेल पर ही समय बिताता है.

होते है बच्चे परेशान

ऋषिकेश का आगे कहना है कि भारत में ऐसे कई घर है, जो आपसी मनमुटाव के बाद भी रिश्ते को सम्हालने की कोशिश करते है, क्योंकि वे परंपरा में बंधकर कर उस रिश्ते को निभाने के लिए मजबूर होते है. मेरा परिवार भी पारंपरिक विचारों वाला है, लेकिन कभी-कभी ऐसे रिश्ते को निभाना संभव नहीं होता. इसके अलावा हर इंसान को ख़ुशी से जीने का अधिकार है, फिर चाहे वह पुरुष हो या महिला. मैं किसी के साथ बदतमीजी करना, गाली-गलौज देना पसंद नहीं करता. मैंने कई सेलेब्रिटी को आपस में अनबन होने पर बदतमीजी करते हुए सुना है. मेरी कोशिश ये रही है कि बच्चा माता-पिता के व्यवहार से परेशान न हो और सारी चीजें पहले की तरह रहे, क्योंकि माता-पिता के अनबन में बच्चों को सबसे अधिक भुगतना पड़ता है, जबकि उनकी कोई गलती नहीं होती.

तलाश कुछ अलग काम की

आर्मी बैकग्राउंड से सम्बन्ध रखने वाले ऋषिकेश के माता-पिता चाहते थे कि वे मेडिकल फील्ड में जाए, लेकिन उन्हें कुछ अलग करने की इच्छा रही. अभिनय के बारें में सोचा नहीं था, क्योंकि मुंबई में रहना और खाना-पीना महंगा है और कोई रिश्तेदार भी वहां नहीं था. वे कहते है कि मुंबई आकर रहना मेरे लिए बहुत संघर्षपूर्ण था. मैंने शुरू में मुंबई आकर एक मार्केटिंग एजेंसी के लिए काम किया. वही परलोगों से मिलना शुरू हुआ. पहले मॉडलिंग शुरू की और एकता कपूर की धारावाहिक ‘कोई अपना सा’ के लिए ऑडिशन दिया और हीरो की भूमिका मिली. इसके बाद कहानी घर-घर की, कामिनी दामिनी, सी आईडी, पोरस आदि कई धारावाहिकों में मुख्य और सपोर्टिंग किरदार निभाया है. एकता कपूर की सीरियल करने के बाद मुझे पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ा. अभी मैं ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में काम कर रहा हूँ. इसके अलावा अजय देवगन की एक फिल्म भी कर रहा हूँ. जीवन में बहुत उतार-चढ़ाव रहे है, लेकिन जब मैं अर्ली ट्वेंटी में था, तो मैंने शादी कर ली.

अच्छी थी दोस्ती

ऋषिकेश की तृषा से मुलाकात एक दोस्त की वजह से हुई थी.तृषा ने भी एक म्यूजिक वीडियो में काम किया था और अपने पिता का व्यवसाय कफपरेड में सम्हालती थी. ऋषिकेश शुरू से ही कोलाबा में रहता है और उनके सामने वाला घर तृषा का था. कई सालों की परिचय के बाद दोनों ने शादी की और बेटा दक्षय हुआ.

लिया कस्टडी बेटे का

बच्चे की कस्टडी ऋषिकेश ने ली है, इसकी वजह पूछने पर वे कहते है कि बचपन से मैं उसकी देखभाल कर रहा हूँ. कहीं भी घूमने जाना हो या व्यायाम करने, मैं बेटे को अपने साथ लेकर जाता था. बचपन से ही मैंने उसका दायित्व लिया है. इसलिए उसकी कस्टडी मैंने लिया है, लेकिन मैं यह भी देखता हूँ कि जब उसका मन करें अपनी माँ से मिले. इसमें मुझे किसी प्रकार की समस्या नहीं है.अभी लॉकडाउन में मैंने खाना बनाने के अलावा घर की साफ़-सफाई सब किया है, उसे नॉन-वेज बहुत पसंद है, खासकर चिकन बहुत पसंद है.

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समझदार है बच्चे

दक्षय अभी 12 साल का है और ऋषिकेश ने उन्हें अपनी रिश्ते के बारें में कभी नहीं बताया, लेकिन बेटे की समझ को देखकर चकित हुए. उनका कहना है कि दक्षय छोटा होने की वजह से मैंने उसे कुछ नहीं कहा, जब भी जरुरत होती, मैं उसकी माँ से मिलवा देता था, ताकि उसे हम दोनों के अलग होने के बारें में पता न चले, लेकिन आज के बच्चे बहुत समझदार होते है. एक बार ट्रेवल करते वक्त वह मुझे तनाव न लेने की बात समझा रहा था. इसके बाद मैंने उसे सारी बातें खुलकर बता दिया, ताकि वह किसी दूसरे से जानने से पहले, मेरा बता देना जरुरी है.

 

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फुटबॉल खेलने का है शौक़ीन

अक्षय को फुटबॉल खेलना पसंद है, इसलिए वह फुटबॉलखिलाड़ी रोनाल्डो का फैन है. फुटबॉल खेलकर उसने गोवा में गोल्ड मैडल भी जीता है. ऋषिकेश कहते है कि उसे टीवी देखना पसंद नहीं और न ही मेरे किसी शो को देखता है. कई बार मैंने जानबूझकर टीवी लगाया पर वह देखता नहीं. शूटिंग पर भी साथ जाना पसंद नहीं करता. वह केवल रोनाल्डो से मिलना चाहता है. मैं अपने बेटे को एक अच्छा इंसान बनाना चाहता हूँ, क्योंकि आज के लोग चकाचौध की जिंदगी और मटेरियलिस्टिक अधिक हो चुके है. मैंने सालों से ये महसूस किया है कि जाति-पाति, धर्म-अधर्म, ऊँच-नीच सिर्फ लोगों को बाँटने का काम करती है और सबको उससे निकलकर जरुरतमंदों की सहायता करना चाहिए. अभिनय मेरा काम से अधिक कुछ भी नहीं और न ही मैं कुछ स्पेशल हूँ. नए जेनरेशन को सबको रेस्पेक्ट करने की बात समझ में आनी चाहिए, जिसे हम खो रहे है.

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